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Incest इंस्पेक्टर की बेटी

Ashokafun30

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Superb going...As usual.....Master Writer
Thank you
I Love Hearts GIF
 

Ashokafun30

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Ooooo ho....


सेक्स की शिक्षा लेने के लिए यह सब कार्यक्रम किया गया है....

मान गए सलोनी को...अपने मजे के लिए क्या जबरदस्त इंतजाम किया है......
Thank you dear
ye sex ki shiksha sirf unke hi nahi, aapke bhi kaam aayegi
maje lene ke liye :areypagle:
 
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Ashokafun30

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अब पापा वो सब करने वाले थे , जैसा मैं चाहती थी, जो मैं उनसे चाहती थी, मैं और इंतजार नही कर सकती थी
इसलिए मैने धीरे से उनके कान में गर्म साँसे छोड़ते हुए कहा : “ओके पापा…जैसा आपको ठीक लगे…”

ऐसा करते हुए मैने जान बूझकर अपने गीले होंठो से उनके कानो को छू लिया , जिसकी तरंगे उनके पूरे शरीर में दौड़ती हुई महसूस की मैने….उनके लॅंड तक

आवेश में आकर उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया , मेरे नंगे बूब्स उनकी चौड़ी छाती में पीसकर आमलेट बनकर रह गए , अब पापा की पाठशाला शुरू होने वाली थी, जिसके लिए मैने ये सब जतन किए थे

************
अब आगे
************

पापा का चेहरा देखने लायक था
उनको तो जैसे मुँह मांगी मुराद मिल गयी थी
मुझे नासमझ समझकर उनके मन में लड्डू फुट रहे थे
और वो मेरे साथ वो क्या-2 कर सकते है उसका एहसास मैं उनकी आँखो की चमक से लगा पा रही थी

उन्होने मुझे अपने रूम में जाने को कहा और बोले की मैं थोड़ी देर में आता हूँ
मैं रूम में चल दी और पापा अपने रूम की तरफ

वो शायद ये सुनिश्चित करना चाहते थे की मॉम गहरी नींद सो रही है
वो किसी भी प्रकार का रिस्क नही लेना चाहते थे

मैं अपने बेड पर बैठी थी
जैसे कोई नयी नवेली दुल्हन
मेरा दिल धाड़ -2 करके धड़क रहा था
काश श्रुति मेरे पास होती
ऐसे मुश्किल वक़्त में उसका साथ होता तो मुझे ये सब करने में इतना डर नही लगता जितना लग रहा है अभी




ऐसा तो मैने सोचा भी नही था
ये सब इतना जल्दी-2 हुआ की मुझे सोचने का मौका भी नही मिला
वैसे देखा जाए तो इन सब में पापा का ही हाथ था
जिन्हे देखकर मैं ये सब करने का मन बना चुकी थी

ना तो वो मॉम के साथ ड्रॉयिंग रूम में चुदाई करते और ना ही वो दूसरी सलोनी की
सब कुछ अपने आप होता चला गया
मैं वो सब देखती गयी और उनकी तरफ झुकती चली गयी

मैं ये सोच ही रही थी की पापा कमरे में आए और उन्होने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया
मेरे चेहरे पर थोड़ा डर था, जिसे देखकर वो मुस्कुराए और मेरे पास आकर बोले

“डरने की कोई ज़रूरत नही है, मैं कोई ग़लत काम थोड़े ही कर रहा हूँ अपनी बेटी के साथ, तुझे कुछ सीखा रहा हूँ , ताकि शादी के बाद कोई परेशानी ना हो…”

शादी का नाम सुनते ही मेरे चेहरे पर लाली छा गयी
मैं किसी छोटी बच्ची की तरह लाड लड़ाते हुए बोली : “मुझे नही करनी कोई शादी वादी, अभी मेरी उम्र ही क्या है “

पापा मेरे करीब बैठते हुए बोले : “मैं कौनसा अभी करवा रहा हूँ तेरी शादी, मेरा मतलब है की जब भी होगी, तुझे सब पता तो होना चाहिए ना अपने शरीर के बारे में , और ये बात हम दोनो के बीच ही रहेगी, याद है ना…”

मैने अपनी छोटी उंगली को उनकी उंगली में फँसा कर कहा : “जी पापा….पिंकी प्रोमिस”

ऐसा करके हम दोनो हंस दिए
अब सीरियस होने का टाइम आ चूका था
मेरा मतलब है मज़े लेने का

इसलिए पापा थोड़े गंभीर होते हुए बोले : “देखो बीटा , जो मैं तुम्हे बताने और सीखाने वाला हूँ उसके लिए तुम्हे अपनी शर्म छोड़कर ….अपने कपड़े….निकालने होंगे….”

मैने सिर झुका लिया, जैसे मैं पहले से जानती थी की ये सब तो करना होगा

मैने धीरे से कहा : “जी पापा…”
पापा : “और कभी भी, कोई भी डॉउट हो तो उसी वक़्त पूछ लेना…ओके ”

मैने हां में सिर हिलाया
पापा : “चलो फिर….उतारो….”
उनके चेहरे की चमक भी बढ़ती जा रही थी
जैसे जो सपने वो पिछले कई दिनों से देख रहे थे, वो सच होने का समय आ चुका था

मैं उठी और अपनी टी शर्ट उतारने लगी
तो पापा ने रोक दिया
और बोले : “ये नही….नीचे का उतरो बस….”
जैसे वो सिर्फ़ पॉइंट तो पॉइंट उसी बात को सिखाना चाहते थे जिसके लिए हमारी बात हुई थी
ये दिखाकर वो अपने पॉइंट बना रहे थे शायद
की एक पापा होने के नाते वो सिर्फ़ मुझे वही बताएँगे जिसके बारे में मैं श्रुति से फोन पर बाते करके परेशान हो रही थी
यानी चूत का चिपचिपापन

हालाँकि हर मर्द की पहली पसंद तो लड़की का यौवन ही होता है, उसके बूब्स
जिन्हे वो अपने जिन्न जैसे हाथो में पकड़कर मसल सके
मैं उनकी चाल समझ कर मुस्कुरा दी, वो शुरू में अपना विश्वास बनाना चाहते थे

इसलिए मैने अपनी स्कर्ट उतारी और उसे एक कोने में फेंक दिया
अब मैं सिर्फ़ अपनी पेंटी में थी नीचे से
मेरी मोटी जाँघे देखकर ही उनकी जीभ निकल आई और उन्होने अपने सूखे होंठो को चाट कर एक गहरी साँस ली
और बोले : “ये….ये कच्छी भी उतारो सलोनी …”

उनका हाथ अपने खड़े लॅंड को छुपाने में भी लग गया
शायद वो नही दिखाना चाहते थे की एक बाप का लॅंड अपनी बेटी को देखकर खड़ा हो रहा है

मैने झिझकते-2 अपनी पेंटी भी उतार दी

मैने 2 दिन पहले ही अपनी पुस्सी को क्लीन किया था, एक भी बाल नही था उसपर
एकदम चिकनी, और बीच में चीरा और उसमें से झाँकता गुलाबीपन
और गुलाबीपन में से रिसता हुआ ताज़ा शहद




वो बिना पलके झपकाए मेरी पुसी को देखे जा रहे थे
कुछ बोल ही नही रहे थे

मैं धीरे से बोली : “प….पापा…… अब क्या करू….”

पापा हड़बड़ाए और अपनी आवाज़ में संतुलन बनाते हुए बोले : “उम्म…हाँ..हाआंन्न्….अब…अब तुम करो वही….जैसे करते हो….मैं बताता हूँ फिर की तुम क्या गलत करते हो “

वो किसी टीचर की तरह मुझे प्रेक्टिकल करने के निर्देश दे रहे थे, जिनकी स्टूडेंट इस वक़्त आधी नंगी बैठी थी

मैं धीरे से अपने बेड पर पीठ के बल लेट गयी और अपनी कांपती हुई उंगलियाँ अपनी चूत के होंठो पर लगाई और उन्हे धीरे-2 रगड़ने लगी

ऐसा करते ही मेरी आँखे खुद ब खुद बंद हो गयी जो अक्सर हो जाया करती है जब मैं मास्टरबेट करती हूँ
और मेरे होंठो से एक दबी हुई सी सिसकारी निकल गयी

“उम्म्म्मममम……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….”
 
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Ashokafun30

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पापा के खुले मुँह से लार निकालकर नीचे गिर गयी, ऐसा दृश्य देखकर उनकी भी हालत खराब हो गयी थी
मेरी चूत को इतने करीब से देखकर वो खुद पर कैसे काबू रख पा रहे थे ये तो वही जानते थे
पर मुझसे तो अब रहा नही जा रहा था
मेरी दो उंगलिया कब तीन में बदल गयी मुझे भी पता नही चला
और तीन का पंजा मेरी चूत के उपर ऐसे चल रहा था जेसीबी की खुदाई हो रही हो कोई खजाना ढूंढने में

खजाना तो नही पर अंदर दबा हुआ रस बूँद-2 बनकर फूट रहा था और मेरी उंगलियों के साथ मिलकर चूत के होंठों को भी गीला कर रहा था

ये रस भी वैसे किसी खजाने से काम नहीं था

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ऐसा करीब मैं 2 मिनट तक करती रही जिसकी वजह से मेरा रोमांच और उत्तेजना बढ़ने लगी
मेरे निप्पल्स टाइट होने लगे, मेरे रोँये खड़े हो गये
और जैसे ही मुझे मज़ा आने लगा पापा ने एकदम से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक दिया

और बोले : “यही तो ग़लत तरीका है बेटा….रुको मैं बताता हूँ ..”

इतना कहकर वो मेरे करीब आ बैठे
मैने बड़ी मुश्किल से अपने हाथ को अपनी चूत की तरफ जाने से रोका
ऐसे में तो मैं अपने बाप की भी नही सुनती
पर अब सुननी पड़ रही थी
क्योंकि बात तो मेरे पते की ही थी ना

उन्होने मेरी जूस से भीगी उंगलिया अपने चेहरे के करीब लाकर देखा और धीरे से उसे सूंघ भी लिया
और बोले : “देखो, ये तो उपर-2 से करते हो तुम, असली मज़ा तो अंदर से मिलता है, रूको मैं बताता हूँ ….”

इतना कहकर उन्होने अपने दाँये हाथ की बीच वाली उंगली मेरे मुँह में डाली और उसे चूसने को कहा
वो मोटी, खुरदूरी उंगली करीब 2 इंच के रेडियस की थी , मैने अनमने मन से उसे मुँह में लिया और अपनी थूक से गीला कर दिया
फिर उन्होने वो उंगली सीधा लेजाकर मेरी चूत पर रख दी

ये पल मेरे लिए किसी बिजली के झटके लगने जैसा था
पापा की उंगली एक अलग ही उर्जा से भरी हुई थी
एकदम सख़्त, रॉ और गर्म भी
और ये पहला मौका था जब किसी मर्द का स्पर्श हुआ था वहां
मेरे शरीर पर
और वो भी सीधा मेरी पुस्सी पर
और वो भी मेरे पापा का

उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

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ये कैसा एहसास था
मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये
मैने अपने शरीर को समेट सा लिया
जांघे भींच ली मैने
उनकी उंगली मेरी चूत के होंठो के बीच फँस कर रह गयी

पापा : “अर्रे….ऐसे मत करो…थोड़ा ढीला छोड़ो अपने जिस्म को…टांगे खोलो….तभी तो मैं कुछ कर पाउँगा ….”

ऐसा बोलते-2 उनके मुँह से लार निकल रही थी
शायद मेरी चूत को अपनी उंगली से छूकर उनके मुँह में पानी भर आया था
मेरी जाँघ पर लार गिरते ही उन्होने शर्म के मारे उसे खुद ही दूसरे हाथ से सॉफ कर दिया
सॉफ क्या कर दिया मेरी जाँघ पर पूरा फेला सा दिया
मेरा तो जिस्म जल सा उठा उनकी लार से
जैसे गर्म तवे पर पानी का छींटा मार दिया हो

पर अब पापा की बात माननी ज़रूरी थी
तभी तो वो मुझे आगे का सिखाएँगे

मैने जांघे खोल दी
उन्होने मेरी चूत के होंठ फेलाए और अपनी उंगली थोड़ा अंदर डाल दी
उनकी उंगली ही इस वक़्त मेरे लिए किसी लॅंड से कम नही थी
मेरी 3 उंगलिया मिलाकर उनकी एक उंगली की मोटाई थी
इसलिए जब वो अंदर गयी तो मुझे थोड़ा सा दर्द भी हुआ

मेरे मुँह से आहहहह निकल गयी
वो मेरे करीब आए, और मेरे साथ ही बेड पर आधे लेट गए और मुझे अपने कंधे से चिपका लिया
और फिर उसी हाथ को, जो मेरी चूत पर था, उसे निकालकर मेरे होंठो को उसी उंगली से बंद करते हुए बोले : “शssssssह……परेशान मत हो मेरी बच्ची ….जो होने वाला है उसके बाद तुम्हारी लाइफ बदलने वाली है”

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मेरे होंठ लरज उठे ,अपने ही रस को अपने होंठो पर महसूस करके और वो भी अपने पापा की उंगली से
मैने हल्की जीभ निकाल कर उनकी उंगली चाट ली
मुझे ऐसा लगा जैसे चूत रस फ़्लेवर वाली कोई कैंडी चूस रही हूँ मैं

पापा फिर से अपने काम पर लग गये

और अंदर उंगली डालते ही अचानक पापा ने अपनी उंगली से मेरी चूत के उपर की तरफ रगड़ डालते हुए अंदर के एक उभार को छू लिया
मैं एकदम से सिहर उठी
ये मेरी क्लिट थी

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और कसम से कह रही हूँ दोस्तों
आज से पहले मुझे पता ही नही था की इसी पर रगड़ाई करके मुझे मज़े मिलते है
मैं तो उपर-2 से रगड़ लिया करती थी
कभी अंदर उंगली डाल कर भी रगड़ती थी पर कभी इस बात पर ध्यान ही नही दिया की असल मे उस दाने को स्पर्श और रगड़ मिल रही है जो मज़े देता है
उसपर हो रहे घर्षण से उत्तेजना बढ़ती है और कामरस निकलता है

सच में
पापा से कुछ अलग सीखने को मिला
उनकी उँगलियों में जादू था
वैसे भी, जब तक कोई नही बताएगा , अपने आप ये बातें कैसे पता चलेंगी भला

हमारे स्कूल्स की सैक्स एजुकेशन इतनी एडवांस तो हुई नही है की ये सब भी बताए

खैर, मैं तो उनकी उंगली को अपने दाने पर महसूस करते ही सिसकारियाँ मारकर अपने अंदर की उत्तेजना बाहर निकालने लगी

“सस्स्सस्स……अहह….. ओह पपाााआअ…. अहह……. सच में पापा…..बहुत मज़ा आ रहा है अब……अहह….. पहले क्यों नहीं बताया ये सब……ओह पापा……मेरे अच्छे पापा………..”

मैने अपना चेहरा उनकी बगल में छुपा लिया, ताकि मेरी सिसकारियां बाहर ना जाए
उनकी मर्दानी महक मेरे नथुनों में बस गयी, पापा की टी शर्ट मेरे होंठो में फँस गयी
मैने उसे अपने दांतो में भींचा और उसे चूसना शुरू कर दिया
पापा को शायद इसका अंदाज़ा नही था, उन्हे तो बस मेरी गर्म साँसे अपने सीने पर महसूस हो रही थी

पापा की उंगली करीब एक इंच तक मेरी चूत में थी, वो किसी मशीन की तरह नीचे से खुदाई करते हुए उपर तक आती और मेरे दाने को रगड़ते हुए मेरे लिप्स को पूरा तर कर जाती
ऐसा उन्होने करीब 8-10 बार किया
मेरे तो पैर छटपटाने लगे उनके इस प्रहार से
ऐसी उत्तेजना मैने आज तक फील नही की थी

और तभी मेरी जाँघ पर मैने पापा के खड़े लॅंड को महसूस किया
वो एकदम कड़क हो चूका था
और शायद पापा जान बूझकर अब उसे मेरी जाँघ से टच करवा रहे थे
मैने भी अपनी जाँघो को उसपर रगड़ना शुरू कर दिया
उपर और नीचे
ऐसा करते-2 कब उनका लॅंड अपनी लूँगी से बाहर आ गया, मुझे भी पता नही चला
मुझे तो उसकी गर्मी से पता चला की शेर पिंजरे से बाहर आ चूका है, उनके प्रिकम से अपनी जाँघ पर गीलापन भी महसूस किया मैने
अब वो खुद अपनी तरफ से मेरी जाँघ पर अपने लॅंड के घिस्से लगा रहे थे, और मैं भी अपनी जाँघो से उसे सहला रही थी
और साथ ही उनके हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत की रगड़ाई एक लयबध तरीके से कर रही थी
देखा जाए तो पापा के लॅंड पर मेरी जाँघ की रगड़ाई और मेरी चूत पर पापा की उंगली की घिसाई एक ही लय में चल रही थी

और जल्द ही हम दोनो की मेहनत रंग लाई
मैं झड़ने के करीब थी और जब झड़ी तो मैने पापा की गर्दन पर अपनी बाहें लपेट दी और अपने गीले होंठ उनकी नंगी गर्दन पर रखकर जोरों से हाफने लगी
मेरी चूत से खुशी के फुव्वारे फूट पड़े

“ओह………पपाााआआआआआआआआआआअ….. उम्म्म्ममममममममममममम…….मजाआाआआअ आआआआआआअ गय्ाआआआआआ…….. अहह”

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पापा ने झट्ट से उस भीगी उंगली को चूस लिया, जिसमें मेरा रस लिसड़ा हुआ था
 
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