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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
भाग 126 (मध्यांतर)
भाग 127 भाग 128 भाग 129 भाग 130 भाग 131 भाग 132
भाग 133 भाग 134 भाग 135 भाग 136 भाग 137 भाग 138
भाग 139 भाग 140 भाग141 भाग 142 भाग 143 भाग 144 भाग 145 भाग 146 भाग 147 भाग 148
 
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LustyArjuna

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं सोनी)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। अलब अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह अल्बर्ट की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।

फाड़ ही डाला सोनी की चुत को, खेर ये शुभ काम सरयु सिंह से होता ऐसी उम्मीद थी परन्तु यहां तो BBC मार गया बाजी।

उम्मीद से परे, बहुत कामुक अपडेट था। विकास को cuckold दिखाया गया है, ये अलग प्रकार की कामुकता भर दिया है।
 

LustyArjuna

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं सोनी)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। अलब अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह अल्बर्ट की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।

फाड़ ही डाला सोनी की चुत को, खेर ये शुभ काम सरयु सिंह से होता ऐसी उम्मीद थी परन्तु यहां तो BBC मार गया बाजी।

उम्मीद से परे, बहुत कामुक अपडेट था। विकास को cuckold दिखाया गया है, ये अलग प्रकार की कामुकता भर दिया है।
 

LustyArjuna

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं सोनी)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। अलब अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह अल्बर्ट की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।

फाड़ ही डाला सोनी की चुत को, खेर ये शुभ काम सरयु सिंह से होता ऐसी उम्मीद थी परन्तु यहां तो BBC मार गया बाजी।

उम्मीद से परे, बहुत कामुक अपडेट था। विकास को cuckold दिखाया गया है, ये अलग प्रकार की कामुकता भर दिया है।
 

LustyArjuna

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं सोनी)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। अलब अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह अल्बर्ट की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।

फाड़ ही डाला सोनी की चुत को, खेर ये शुभ काम सरयु सिंह से होता ऐसी उम्मीद थी परन्तु यहां तो BBC मार गया बाजी।

उम्मीद से परे, बहुत कामुक अपडेट था। विकास को cuckold दिखाया गया है, ये अलग प्रकार की कामुकता भर दिया है।
 

yenjvoy

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सरयू सिंह ने भोग ले लिया था ...कहानी में लिखा है
BAAT Sahi hai aapki, parantu shubhkarya sampann hone k pehle hi saryu Singh ko daura pad gaya tha, aur vahin se ek Tarah saryu-sugna relation par grahan lag gya. Is liye ek baar to kaam Sahi tarah se anjaam tak pahunchna chahiye, jis me dono ko Maza bhi Aaye AUR hospital vagairah tak baat na pahunche. Paathako ki utsukta abhi baaki hai
 

Lovely Anand

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BAAT Sahi hai aapki, parantu shubhkarya sampann hone k pehle hi saryu Singh ko daura pad gaya tha, aur vahin se ek Tarah saryu-sugna relation par grahan lag gya. Is liye ek baar to kaam Sahi tarah se anjaam tak pahunchna chahiye, jis me dono ko Maza bhi Aaye AUR hospital vagairah tak baat na pahunche. Paathako ki utsukta abhi baaki hai
मुझे नहीं लगता कि किसी स्त्री को गुदामैथुन में आनंद आता होगा हां योनि मर्दन के दौरान गुड़ा द्वारका उपयोग उत्तेजना बढ़ाने के लिए किया जा सकता है पर सिर्फ गुदा द्वार द्वारा मैथुन अप्राकृतिक है इसमें पुरुष को तो आनंद आ सकता है परंतु महिलाओं को कदापि नहीं ऐसा मेरा मानना है यदि इसकी पाठिका महिलाएं हैं तो वह मेरी बात पर अपनी राय रख सकती हैं।
सुगना कैसे इस अवस्था में आनंद उठाएगी कहना कठिन है पर सोनू का मन तो रख ही सकती है...
 
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LustyArjuna

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं सोनी)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। अलब अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह अल्बर्ट की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।

फाड़ ही डाला सोनी की चुत को, खेर ये शुभ काम सरयु सिंह से होता ऐसी उम्मीद थी परन्तु यहां तो BBC मार गया बाजी।

उम्मीद से परे, बहुत कामुक अपडेट था। विकास को cuckold दिखाया गया है, ये अलग प्रकार की कामुकता भर दिया है।
 

LustyArjuna

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भाग 147

(विशेष भाग)

भाग 145 में आपने पढ़ा..

सुगना की आंखें बंद थी और चेहरा आकाश की तरफ था.. अधर खुले थे सुगना गहरी सांस भर रही थी…भरी भरी चूचियां सोनू के सीने से रगड़ खा रही थी.. सोनू की हथेलियां सुगना के नितंबों को थामें उसे सहारा दे रही थी… सोनू अपने होठों से सुगना की चूचियों को पकड़ने की कोशिश करता परंतु सुगना के निप्पल उसकी पहुंच से बाहर थे…सोनू का दिल सुगना की गुदांज गांड को छूने के लिए बेताब था। पर सोनू ने सुगना का तारतम्य बिगाड़ने की कोशिश ना कि वह अपनी बहन को परमआनंद में डूबते उतराते देख रहा था…आज सोनू नटखट छोटे भाई की बजाए एक मर्द की तरह बर्ताव कर रहा था। सोनू का सुगना के प्रति प्यार अनोखा था वासना थी पर उसे सुगना की खुशी का एहसास भी था। सुगना मदहोश थी और यंत्रवत अपनी कमर हिलाये जा रही थी.. चेहरे पर तेज और तृप्ति के भाव स्पष्ट थे..

नियति ने रति क्रिया में पूरी तन्मयता से लिप्त सोनू और सुगना को कुछ पल के लिए उन्हीं के हाल में छोड़ दिया..

अब आगे…

जैसे-जैसे सुगना की उत्तेजना बढ़ती गई उसकी कमर रफ्तार पकड़ती गई । सोनू अपनी दोनों हथेलियां से उसके कमर को थामें हुआ था और उसकी कमर की गति को संतुलित किए हुए था। सुगना की उत्तेजना जब चरम पर पहुंच गई सोनू को इसका एहसास हो गया उसने अपने एक हाथ से सुगना को सहारा दिया और दूसरा हाथ सुगना सुगना के दाहिने नितंब को सहारा दे रहा था उंगलियां दरार में उस गुप्त द्वारा को खोज रही थी जो हर मर्द को पसंद होता है। आखिरकार सोनू ने सुगना की करिश्माई गांड को अपनी उंगलियों से छू लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा। गुलाब की कली जैसी सुगना की गांड को वह अपनी उंगलियों से धीरे-धीरे फैलाने की कोशिश करने लगा।

सुगना ने सोनू की उंगलियों का यह स्पर्श महसूस किया परंतु उत्तेजना के शिखर पर पहुंच चुकी सुगना अपनी काम यात्रा में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं चाहती थी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की पर स्वाभाविक रूप से अपनी गांड को सिकोड़ लिया। उसका ध्यान अब भी वही केंद्रित था कुछ ही देर में सोनू की उंगलियों ने उसकी गांड पर दबाव बनाना शुरू किया अब सुगना को यह स्पर्श मादक लगने लगा उसने अपने कमर की गति और बढ़ा दी और आखिरकार सुगना की बुर से रस फूट पड़ा।

सुगना की कमर अब धीरे-धीरे शांत पड़ रही थी। उसने निढाल होकर अपना सर सोनू के कंधे पर रखकर सोनू से एकाकार हो गयी । ऐसा लग रहा था जैसे सुगना एक बच्चे की भांति सोनू की गोद में थी और अपना सर उसके कंधे पर रखे हुए कुछ फलों के लिए आराम कर रही थी। सोनू ने अपनी उंगलियां उसकी गांड से हटा ली और सुगना को एक बच्चे की तरह गोद में रहने दिया वह उसकी पीठ सहलाता रहा।


कुछ पलों बाद सुगना को एहसास हुआ कि उसके इस अद्भुत स्खलन के बावजूद सोनू का लंड अब भी उसके बुर में खूंटे की तरह तना हुआ है। वह आश्चर्यचकित थी।

इतनी उत्तेजना में आज तक कोई बिना स्खलित हुए नहीं रह सकता था पर आज सोनू के लंड ने सुगना को चुनौती दे दी थी। सुगना ने बिना सोनू से नजरे मिलाए उसके कान में बोला..

“ए सोनू तोर पानी ना छूटल हा का”

सोनू के चेहरे पर विजेता की मुस्कान थी उसने सुगना के चेहरे को अपनी आंखों के ठीक सामने कर लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोला

“आज त तू अपने में लागल रहलु हा हमार ध्यान कहां रहल हा”

बात सच थी सुगना आज सच में वासना में डूबी हुई थी उसने एक बार फिर अपनी कमर हिलानी चाही पर उसकी बुर संवेदनशील हो चुकी थी वह और संभोग कर पाने की स्थिति में नहीं थी। उसने अपनी कमर थोड़ा ऊपर उठाई सोनू उसका इशारा समझ गया उसने अपना लंड सुगना की झड़ी हुई बुर से बाहर निकाल लिया।

लंड पक्क ….की आवाज के साथ बाहर आ गया.। ऐसा लग रहा था जैसे किसी वैक्यूम पंप से उसके पिस्टन को खींच लिया गया हो।

सोनू का लंड सुगना के प्रेम रस से पूरी तरह नहाया हुआ था । ऐसा लग रहा था जैसे सोनू के लंड को किसी मक्खन की हांडी में डुबो दिया गया हो सुगना उस अद्भुत लंड को देख रही थी जो उसके ही काम रस में डूबा चमक रहा था। सोनू ने सुगना को अपनी बाईं जांघ पर बैठा लिया और अपनी हथेली से सुगना की बुर को थपथपाते हुए बोला..

“दीदी आज तो यह स्वार्थी हो गई सिर्फ अपना ध्यान रखा और अपने साथी को अकेला छोड़ दिया”

सुगना अपनी हार स्वीकार कर चुकी थी उसने अपने कोमल हाथों से सोनू के लंड को थाम लिया और होले होले उसे हिलने लगी।

सोनू अब भी सुगना की बुर को सहलाए जा रहा था उसने सुगना को छेड़ते हुए बोला…

“दीदी ठीक लागल ह नू…”

“हां सोनू सुगना ने सोनू के होठों को चूमते हुए बोला और इस बात की तस्दीक भी कर दी कि वह बेहद खुश थी।

“अब जल्दी से अपन भी कर ले “

“अब सब तहरे हाथ में बा..” सोनू ने प्रतिउत्तर में सुगना के होंठ चूमते हुए कहा।

बात सच थी सोनू का लंड सुगना के हाथ में था सुगना उसे पूरी तन्मयता से हिला रही थी वह कभी उसके सुपाड़े को बाहर करती कभी सुपाड़े के पीछे केंद्रित नसों को सहलाती कभी उसे अपनी मुट्ठी में लेकर मसल देती और कभी अपनी हथेलियों को नीचे लाकर सोनू के अंडकोसों को सहलाती। वह पूरी तन्मयता से सोनू को स्खलित करने में लगी हुई थी पर सोनू को न जाने आज कौन सी दिव्य शक्ति प्राप्त थी वह इस स्खलित होने को तैयार न था..

सुगना ने सोनू को उत्तेजित करने के लिए दूसरा रास्ता अख्तियार किया और बोला…

“अपन हाथ से का सहलावत बाड़े…” सोनू को सुगना से ऐसे प्रश्न की उम्मीद ना थी पर अब जब सुगना ने पूछ ही दिया था उसने अपनी नज़रें झुकाए हुए कहा

“अपन सुगना दीदी के…” सोनू के शब्द रुक गए अपने होठों से सुगना की बुर कहने की हिम्मत सोनू नहीं जुटा पाया पर सुगना ने आज कुछ और ही सोच रखा था..

साफ-साफ बोल

“अपना दीदी के का?

सोनू को जैसे करंट सा लगा उसके लंड में अचानक एक कंपन हुआ सुगना ने उसे महसूस भी किया सुगना मन ही मन मुस्कुरा रही थी उसका दांव कामयाब हो रहा था वह अपने भाई की इच्छा बखूबी जानती थी।

उधर सोनू सोच रहा था सुगना दीदी आज किस मूड में है.

“बोल ना अपन दीदी के का…?” सोनू जितना शर्मा रहा था सुगना अब उतना ही सोनू पर हावी हो रही थी। आखिरकार सोनू भी मैदान में आ गया और सुगना की बुर की फांकों को अपनी उंगलियों से फैलाते हुए बोला..

“बुर……” सोनू के यह शब्द बेहद उत्तेजक थे यह उत्तेजना जितना सुगना ने महसूस की सोनू ने उससे ज्यादा और उसका लंड स्खलन के कगार पर पहुंच गया.. पर सोनू स्खलित नहीं होना चाहता था वह सुगना से और भी बातें करना चाहता था। आज जब सुगना ने कामुक बातें खुद ही शुरू की थी तो सोनू मन ही मन इस अवसर का सदुपयोग कर सुगना को और भी खोलना चाह रहा था।

उधर सुगना ने लंड के उछलने को महसूस कर अपनी उंगलियों का दबाव कुछ और भी बढ़ा दिया था ताकि वह सोनू को शीघ्र स्खलित कर सके कभी सोनू बोल उठा

दीदी तनी धीरे से …दुखाता…

सोनू ने अपनी उत्तेजना कम करने के लिए बाल्टी में से लोटे से पानी निकाला और अपने लंड पर डाल दिया।

लंड पर पानी पढ़ते ही सुगना का काम रस जो अब तक एक स्नेहक का काम कर रहा था धुल गया सुगना को अब अपनी हथेली आगे पीछे करने में असुविधा हो रही थी।

तभी सोनू ने सुगना की बुर पर से अपनी उंगलियां उठाई और सुगना के होठों को उसके ही काम रस से भीगी हुई अंगुलियों से छूते हुए बोला..

“दीदी लगता तहर हांथ दुखा जाई…. लेकिन तहर होंठ में जादू बा “

सुगना को सोनू की यह हरकत अटपटी लगी परंतु उसने सोनू का रिदम नहीं तोड़ा। सोनू ने जो इशारे में कहा था कहा था वह कठिन था। इस वक्त खुली धूप में अपने ही घर के आंगन में अपने ही भाई सोनू का लंड चूसना… हे भगवान सोनू क्या चाह रहा था..

परंतु सुगना को न जाने क्या हो गया था उसे सोनू की कोई बात बुरी न लग रही थी उसने सोनू के कान में कहा अच्छा ठीक बा पहले ठीक से नहा ले तब..

सोनू ने एक बार फिर बाल्टी से पानी निकालने की कोशिश की पर बाल्टी में पानी खत्म हो चुका था लोटे और बाल्टी के टकराने की आवाज ने इस बात की तस्दीक की और अब सुगना को सोनू की गोद से उठाना ही पड़ा।

पूरी तरह नंगी सुगना खड़ी हो रही थी सुगना की जांघों के बीच चुदी हुई फूल चुकी बुर सोनू की निगाहों के सामने थी।

सोनू ने सुगना के नितंबों को पड़कर उसे अपने चेहरे से सटा लिया। सोनू की जीभ बाहर आई और सुगना की बुर से स्खलित हुए रस को छीन लाई..

सुगना तुरंत पीछे हटी और सोनू के सर को खुद से धकेलते हुए बोली

“ अरे सोनू अभी गंदा बा मत कर”

सोनू को इस बात से कोई फर्क ना पड़ता था उसे तो सुगना प्यारी थी उसका हर अंग प्यारा था और हर रूप में प्यारा था फिर भी बहस की गुंजाइश न थी। सुगना पूरी तरह नंगी थी उसने तार पर टंगा तोलिया उठाकर अपने अधोभाग को ढकने की कोशिश की पर सोनू ने रोक लिया और बोला ..

“ दीदी इतना सुंदर लगत बाड़ू मत तोलिया मत खराब कर..” सोनू ने जिस तरह से यह बात कही थी सुगना भली-भांति समझ चुकी थी कि सोनू उसे पूरी तरह नंगा देखना और रखना चाह रहा है तोलिया का खराब होना तो एक बहाना था।

नंगी सुगना हैंडपंप चलाने लगी…सोनू उसे एक टक देखे जा रहा था..भरी भरी चूचियां लटक कर कभी हैंडपंप के हैंडल को छूती भरी भरी जांघें और उसके त्रिकोण पर चमकती फूली हुई बुर…. सोनू मंत्रमुंध होकर सुगना को देख रहा था…

सुगना शर्मा रही थी..

उसने लजाते हुए कहा…

“अपना दीदी के ऐसे नंगा कर हैंडपंप चलवावत तोर लाज नइखे लागत”

सोनू को न जाने क्या सूझा वह उठकर खड़ा हो गया और सुगना की मदद के लिए उसके पास आ गया सुगना ने उसे रोकने की कोशिश की.. और बोली

“अरे हम तो ऐसे ही मजाक करत रहनी हां ते नहा ले”

पर सोनू अब कहां मानने वाला था उसने जिस अवस्था में सुगना को देखा था उसके मन में कुछ और ही चल रहा था वह सुगना के पीछे आ चुका था और अपने दोनों हाथों को सुगरा की कमर के दोनों तरफ करते हुए सुगना के साथ-साथ हैंडपंप के हैंडल को पकड़ चुका था सुगना उसकी पकड़ में थी वह अपने होंठ सुगना की पीठ से सटाए हुए था और धीरे-धीरे हैंडपंप चलाए जा रहा था। सोनू का मजबूत सीना सुगना की कमर से सटा हुआ था और सोनू की पुष्टि जांघें सुगना की जांघों से सटने लगी थी । सुगना को अंदाज़ हो गया था कि आगे क्या होने वाला है..

कुछ ही पलों में सोनू के लंड ने सुगना की बुर के मुहाने पर एक बार फिर दस्तक दे दी.. अब तक सुगना की बुर पुनः संभोग के लिए तैयार हो चुकी थी सुगना ने अपनी कमर थोड़ा पीछे की और सोनू के लंड का स्वागत किया हैंडपंप से पानी निकलना जारी था। सोनू हल्के हल्के हैंडपंप चलाए जा रहा था और अपनी बहन के बुर में अपने लंड को अंदर डाले जा रहा था।

सेक्स की यह पोजीशन अनोखी थी सुगना मन ही मन सोनू की आतुरता पर मुस्कुरा रही थी उसने सोनू का भरपूर साथ देने की सोची उसने अपनी कमर को थोड़ा और नीचे किया और नितंबों को ऊंचा कर सोनू के कार्य को सरल कर दिया सोनू अब सुगना को धीरे-धीरे चोद रहा था और हल्के-हल्के हैंड पंप चलाए जा रहा था।

धीरे-धीरे चुदाई का वेग बढ़ता गया.. सोनू और सुगना दोनों आनंद में डूबे हुए थे सुगना की उत्तेजना एक बार फिर बढ़ने लगी उसने सोनू के एक हाथ को हैंडपंप पर रहने दिया पर दूसरे हाथ को उठाकर अपनी चूचियों पर रख दिया सोनू को तो मानो दोनों जहां की खुशियां मिल गई हों।

बाल्टी में पानी भर चुका था और सोनू के अंडकोषों में भी।

सुगना की कमर अब दुखने लगी थी…बह हैंडपंप को रोकते हुए बोली ..

“ जो पानी भर गइल नहा ले “

सोनू अब भी सुगना को चोद रहा था। सुगना एक झटके से खड़ी हुई और सोनू का लैंड एक बार फिर

“पक्क…. “ की आवाज करते हुए बाहरआ गया। सुगना पलटी उसने सोनू के काम रस से सने लंड को अपने हाथों में लिया और बोला “सोनू अब नहा ले बाकी बिस्तर पर”

पर सोनू अब पूरी तरह गर्म हो चुका था उसने आंगन में किनारे रखें धान के बोरे को खींच कर आंगन के बीच में कर दिया और सुगना के लहंगे को उसके ऊपर डाल दिया…सुगना सोनू की मनोदशा समझ चुकी थी वह नंगी धीरे-धीरे सोनू के पास आ गई..

ऐसा लग रहा था जैसे सुगना सोनू के अधीन हों चुकी थी।

एक दासी की भांति वह उसके इशारे को पूरी तरह स्वीकार और अंगीकार कर रही थी।

सोनू ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसे धान के बोरे पर पीठ के बल लिटा दिया…सुगना की दोनों जांघें स्वतः हवा में पैल गई.. और फूली हुई बुर आसमान की तरफ ताकने लगी जैसे विधाता से अपने हिस्से की अधूरी खुशियां मांग रहीं हो..

विधाता ने उसे निराश न किया सोनू जो एक टक सुगना की नंगी बुर को देख रहा था उस पर झुकता गया और अपने होंठ खोलकर बुर के होठों को ढंक लिया और जीभ चुदी हुई बुर की गहराइयों में उतरने लगी। सुगना ने अपनी फैली हुई जांघें सिकोड़ ली और सोनू के सर को दबाने की कोशिश की पर सुगना आज स्वयं कंफ्यूज थी वह सोनू के सर को धकेलना तो बाहर की तरफ चाहती थी पर जांघों का दबाव बुर की तरफ था।

सुगना के गोरे पैर सोनू की मांसल पीठ पर आराम कर रहे थे..

सोनू पूरी तसल्ली से कटोरी में से खीर खा रहा था जो सुगना और सोनू दोनों ने मिलकर बनाई थी। सुगना तड़प रही थी उसकी काम उत्तेजना एक बार फिर परवान चढ़ रही थी…कहां उसे सोनू को स्खलित करना था पर वह खुद एक बार फिर स्खलित होने को तैयार थी।

तभी सोनू ने अपना सर बाहर किया सुगना से बोला…

“दीदी आज मन खुश हो गइल बा…”

“ई काहे “ सुगना ने अपनी शरारती आंखे नचाते हुए बोला…

“आज मन भर चूमब और चाटब “

सुगना जान चुकी थी कि आज सोनू उसे गंदी बातें कर अपनी हदें तोड़ रहा है पर आज सुगना ने कोई आपत्ति जाहिर न कि अभी तक वह उसका खुलकर साथ देने लगी और बोली..

“का चटबे ?”

“अपना सुगना दीदी के बुर…” सोनू यह बोल तो गया परंतु उसे एहसास हो गया कि उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया है उसने झट अपना सर सुगना के पेडू से सटा दिया और होंठ एक बार फिर रस चूसने में लग गए..

“बदमाश ..तनी धीरे से….. दुखा……” सुगना अपनी उत्तेजना के चरम पर थी वह अपनी मादक कराह को पूरी न कर पाई…उसकी आवाज लहरा रही थी। वह स्खलित होना कतई नहीं चाहती थी वो अपने गोरे पैर सोनू की पीठ पर धीरे-धीरे पटकने लगी।

सोनू रुक गया और एक बार फिर सुगना की जांघों के बीच से सर निकाल लिया। सोनू के होंठ काम रस से चमक रहे थे सुगना ने अपने हाथों से उसे आलिंगन में आने का इशारा किया और सोनू सुगना के ऊपर छाता चला गया। सुगना ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके अधरों को चूमते हुए बोली..

“ तोरा हमरा ओकरा से कभी घिन ना लागेला का…अतना गंदा चीज के भी जब चाहे चुम ले वे ले”

(आशय तुम्हें मेरी उस चीज से कभी घिन नहीं लगता है क्या? उसे कभी भी चूम लेते हो…)

“कौन चीज दीदी” सोनू सच में शैतानी कर रहा था यह बात कहते हुए उसका लंड और तन गया था और उसने सुगना के बुर के मुहाने पर दस्तक दे दी थी…जिसे सुगना ने भी महसूस कर लिया था….लंड का सुपाड़ा फूलकर कुप्पा हो गया था.. और सुगना के भगनासे पर दस्तक दे रहा था.

सुगना ने सोनू की तरफ देखा और अपनी पलके बंद करते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया और कान में बोली “अपना दीदी के चोदल बुर….” सुगना की कामुक आवाज में कहे गए यह शब्द सोनू के कान में गूंजने लगे।

सोनू बेहद उत्साहित था..उसने अपने लंड को सुगना की बुर की दरार पर रगड़ते हुए कहा..

“काहे लागी.. चोदले भी त हम ही बानी…”

सुगना निरुत्तर थी…जैसे को तैसा मिला चुका था। सुगना का सिखाया सोनू उस पर ही भारी पड़ रहा था..

सुगना को चुप देखकर सोनू ने उसे उकसाते हुए कहा .

“पर तू लजालू..”

“ ना …अईसन बात नइखे ले आऊ…” सुगना ने सोनू को मुखमैथुन के लिए आमंत्रित कर दिया।

“तोहरा घिन ना लागी” सोनू अपनी खुशी को दबाते हुए बोला।

“अरे हमरा घिन काहे लागी हमार आपन ह”

सुगना सोनू को आमंत्रित कर रही थी सोनू से रहा न गया उसने सुगना के होठों को चूम लिया। सुगना को भली बात पता था कि सोनू के होठों पर उसका काम रस और सोनू के लंड से निकली वीर्य की लार लगी हुई थी।

सोनू और सुगना के अधर एक दूसरे में खो गए और इसी समय सोनू ने अपना लंड एक बार फिर सुगना की बुर में गहरे तक उतार दिया। सुगना मचल उठी पर होंठ बंद थे उसने अपनी जांघों को सोनू के नितंबों पर लपेटकर अपनी उत्तेजना का प्रदर्शन किया… परंतु अगले ही पल सोनू ने अपने लंड को सुगना की बुर से पूरी तरह बाहर निकाल लिया। सोनू का लंड सुगना की बुर की चासनी से नहाया हुआ प्रतीत हो रहा था। सोनू धान के बोरे का सहारा लेकर खड़ा हो गया उसने सुगना के हाथ पकड़े और उसे भी बोरी पर बैठा दिया।

सोनू का लंड सुगना की आंखों की ठीक सामने था उसके ही कामरस से डूबा हुआ, चमकता और पूरी तरह उत्तेजित। सुगना को पता था उसका सोनू क्या चाह रहा था। उसने एक बार सोनू की तरफ देखा और अगले ही पल अपने होंठ खोलकर सोनू के लंड के सुपाड़े को अपने होठों के भीतर भर लिया।

अपने दोनों हथेलियां से सोनू के लंड को पकड़े सुगना सोनू के लंड के सुपाड़े को चुभलाने लगी उसकी आंखें सोनू को देख रही थी जैसे वह सोनू को बताना चाह रही हूं कि मैं तुमसे और तुम्हारे किसी भी कृत्य से घृणा नहीं करती हूं… मुझे तुम पसंद हो .हर हाल में ..हर रूप में …हर अवस्था में …तुम्हारी चाहत ही मेरी इबादत है.. सुगना का यह समर्पण अनूठा था..

नंगी सुगना पूरी तन्मयता से अपने भाई सोनू का लंड चूस रही थी।

सोनू बेहद प्रसन्न हो गया सुगना ने उसके सारे अरमान पूरे कर दिए थे। उसने अपना लंड सुगना के मुंह से निकाला और नीचे घुटनों के बाल बैठते हुए सुगना की जांघों पर अपना सर रख दिया और बेहद संजीदा स्वर में बोला दीदी हमरा के माफ कर दिहा लेकिन लेकिन एक इच्छा मन में और बा..

“गुस्सा ना करबू तो बोलीं “

सुगना सोनू के बाल सहलाते हुए बोली “गुस्सा ना करब”

“हमरा ऊ हो चाहिंं “

(मुझे वह भी चाहिए)

सुगना को समझ नहीं आया कि सोनू क्या कहना चाह रहा है उसने प्यार से पूछा

“का चाहि साफ-साफ बोल”

सोनू ने बहुत हिम्मत जुटाई पर उसके होंठ नहीं खुले। अपनी जिस बहन के नाराज होने से कभी उसकी सिटी पिट्टी गुम हो जाती थी वह किस मुंह से कहता कि वह उसकी गुदाज गाड़ को भोगना चाह रहा है।

सोनू चुप ही रहा पर सुगना ने उसे फिर उकसाया

“जवन मन में बा साफ-साफ बोल लजो मत” सुगना सोनू से लज्जा त्याग कर अपनी बात कहने के लिए कह रही थी

आखिरकार सोनू ने हिम्मत जुटाई उसके होंठ तो अब भी ना खुले पर उसने अपनी उंगलियों से सुगना की उस जादुई गांड को छू लिया।

सुगना समझ चुकी थी आखिर सोनू भी अब पूरी तरह मर्द हो चुका था जिस तरह कभी सरयू सिंह उसकी गांड के पीछे पड़े थे अब उसका छोटा भाई सोनू भी उसी राह चल पड़ा था सुगना को पता चला चुका था यह अंग कामुक मर्दों को बेहद पसंद आता था।

सुगना ने सोनू के सर को अपनी गोद से उठाया और उसके कान पकड़ते हुए बोला..

“ते अब कुछ ज्यादा सयान हो गइल बाड़े”

सोनू ने कोई उत्तर ना दिया पर सुगना की जांघों को चूमते हुए बोला “बोल ना दीदी देबे”

सुगना चुप ही रही उसे पता था यह उसके और सोनू के बीच यह वासना की पराकाष्ठा होती उसने… सोनू के लंड को पकड़ कर उसे सहलाते पर बात को टालते हुए कहा…

“छोटका सोनू के जवन चाहि सब मिली पर आज ना.. आज मालूम बा नू केकर पुजाई करके बा?

सोनू को ध्यान आ गया कि आज सुगना की बुर की पूजा होनी थी जिसके लिए सुगना ने आज विशेष इत्र भी लगाया था।

सोनू ने और देर ना की उसने एक बार फिर सुगना को धान के बोरे पर लिटा दिया और अपने लंड को सुगना की लिस्लीसी बुर में गहरे तक उतार दिया। सुगना की दोनों चूचियों को अपने हाथों से थामे सोनू सुगना को चोदने लगा।

कभी वह उसके होठों को चूमता कभी चूचियों को और अपने प्यार का इजहार करता परंतु नीचे उसका लंड बेरहमी से सुगना की बुर को चोद रहा था.. धीरे-धीरे सोनू और सुगना का प्यार परवान चढ़ता गया.. उत्तेजना में सोनू ने एक बार सुगना की चूची को जोर से मसल दिया और उसे सुगना की वही मादक कराह सुनाई पड़ गई जिसके लिए सोनू बेचैन था.

“सोनू बाबू तनी धीरे से…दुखाता…”

सोनू ने अपनी चुदाई की रफ्तार और बढ़ा दी और उसके लंड ने सुगना की बुर के कंपन महसूस किए…सुगना एक बार और झड़ने वाली थी। अब सोनू ने भी अपनी उत्तेजना पर लगाम लगाना उचित न समझा उसने मन ही मन सुगना की उस गुदाज की गांड की कल्पना की…और सुगना को पूरी ताकत से चोदने लगा…. नतीजा स्पष्ट था सुगना हाफ रही थी और उसकी बुर कांप पर रही थी सुगना एक बार फिर झड़ रही थी..

इस अवस्था में भी सुगना को यह याद था कि उसका छोटा भाई अब तक स्खलित नहीं हुआ है उसने अपने चरमोत्कर्ष से समझौता कर मदमस्त आवाज में कहा

“सोनू और जोर से…. ह हा ऐसे ही …आ….. ईईई”

सोनू सुगना की झड़ती बुर को और ना चोद पाया.. उसके वीर्य की धार सुगना के गर्भाशय को छू गई.. सोनू ने तुरंत ही अपना लंड बाहर निकाल दिया…और अपने पंप को हाथों से पकड़ कर अपने वीर्य की धार से अपनी बहन सुगना को भिगोने लगा..

सुगना अपनी अधखुली पलकों से सोनू के लंड को स्खलित होते हुए देख रही थी… और सोनू की वीर्य वर्षा में भीगते हुए तृप्त हो रही थी..


सोनू भी निढाल होकर धीरे-धीरे नीचे घुटनों के बल बैठ गया अपने लंड को सुगना के बुर के मुहाने पर धीरे धीरे पटकने लगा… ऐसा लग रहा था कि सुगना की बुर की पूजा करते-करते सोनू का लंड अब दम तोड़ चुका था।

सोनू ने अपने भाई की मेहनत को नजरअंदाज ना किया उसने उसका सर अपनी नंगी चूची पर रख लिया जो उसके ही वीर्य से सनी हुई थी ..

सोनू पूर्ण तृप्ति के साथ अपनी बहन सुगना के आगोश में कुछ पलों के लिए बेसुध सा हो गया..

सुगना ने कुछ पलों बाद सोनू को जगाया। पहले सुगना ने स्नान किया और वह अपने कपड़े लेकर अंदर अपने कमरे में चली गई सोनू अब भी स्नान कर रहा था। सुगना को कपड़े ले जाते हुए देखकर सोनू ने कहा..

“दीदी कपड़ा मत पहनीहे एक बार और?” सुगना ने पीछे पलट कर देखा वह सोनू के आग्रह को टाल नहीं पाई

सुगना अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई सोनू का इंतजार कर रही थी…सोनू अब भी नहा रहा था वैसे भी उसके पास समय था लंड को दोबारा जागृत होने में समय लगना स्वाभाविक ही था।

स्नान करने के बाद सोनू सुगना के कक्ष में आया सुगना उसकी घनघोर चुदाई से तृप्त थकी हुई बिस्तर पर नग्न सो रही थी…वह अपने सोनू का इंतजार कर रही थी पर परंतु उसकी आंख लग चुकी थी. इतनी सुंदर इतनी प्यारी और चेहरे पर गजब की संतुष्टि लिए सुगना बेहद खूबसूरत लग रही थी। सोनू अपनी बहन की नग्नता का आनंद लेता रहा पर उसको चोदने के लिए जगाना उचित न समझा…

सोनू और सुगना का प्यार निराला था। सुगना के प्रति उसका प्यार उसकी वासना पर भारी पड़ गया था।

बिस्तर पर पड़ा सुगना का लहंगा सोनू के वीर्य की गवाही दे रहा था…जो सुगना और सोनू के मिलन के दौरान धान के बोरे पर पड़ा अपनी मल्लिका की नंगी पीठ को छिलने से बचाए हुए था।

कुछ देर यूं ही निहारने के बाद सोनू ने अपने कपड़े पहने और पिछले दरवाजे से बाहर निकाल कर एक बार फिर सामने के दरवाजे का ताला खोलकर अंदर दाखिल हो गया।

सुगना अब भी सो रही थी…बिंदास बेपरवाह क्योंकि उसकी परवाह करने वाला उसके करीब ही था…

अद्भुत अपडेट लवली भाई।
कामुकता और उत्तेजना की पराकाष्ठा का उत्कृष्ट उल्लेखन किया है इस अपडेट में।
 

LustyArjuna

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भाग 148

इसी दौरान कई सारी किशोरियों अपनी वासना पर काबू न रख पाती और कूपे में लड़कों द्वारा संभोग की पहल करने पर खुद को नहीं रोक पाती और अपना कोमार्य खो बैठती।


कौमार्य परीक्षण के दौरान ऐसी लड़कियों को इस अनूठे कृत्य से बाहर कर दिया जाता। निश्चित ही कुंवारी लड़कियों को मिल रहा है यह विशेष काम सुख अधूरा था पर आश्रम में उन्हें काफी इज्जत की निगाह से देखा जाता था और उनके रहन-सहन का विशेष ख्याल रखा जाता था। मोनी अब तक इस आश्रम में कुंवारी लड़कियों के बीचअपनी जगह बनाई हुई थी। ऐसी भरी और मदमस्त जवानी लिए अब तक कुंवारे रहना एक एक अनोखी बात थी। नियति उसके कौमार्य भंग के लिए व्यूह रचना में लगी हुई थी…

अब आगे


रतन अब तक दर्जनों पर अपनी साली मोनी की बुर चूस चुका था पर दुर्भाग्य मोनी ने अब तक उसके लंड को हाथ तक ना लगाया था। मोनी को तो यह ज्ञात भी नहीं था कि कूपे में उसे मुखमैथुन का सुख देने वाला कोई और नहीं उसका अपना जीजा रतन था।

आश्रम में रतन जब जब मोनी को देखता उसकी काम उत्तेजना जागृत हो जाती। ऐसी दिव्य सुंदरी को भोगने की इच्छा लिए वह उसके आसपास रहने की कोशिश करता परंतु मोनी निर्विकार भाव से उससे बात करती। उसे तो यह एहसास भी नहीं था कि उसकी छोटी सी अधखिली बुर को फूल बनाने के लिए उसका जीजा कब से तड़प रहा था। विद्यानंद ने भी मोनी को नोटिस कर लिया था पिछले कई महीनो से कुएं में जाने के बावजूद मोनी ने अपना कौमार्य बचा कर रखा था निश्चित ही यह एक संयम की बात थी। विद्यानंद कई बार उसे सबके बीच प्रोत्साहित और सम्मानित कर चुके थे। मोनी नई किशोरियों के लिए एक प्रेरणास्रोत थी।

नियति स्वयं आश्चर्य चकित थी कि एक बार मुखमैथुन का यौन सुख लेने के पश्चात क्या यह इतना सरल था की पुरुष की उंगलियों या लिंग को अपने योनि में प्रवेश होने से रोक लेना. कितना कठिन होगा मोनी के लिए उस समय लाल बटन को दबाना जब उसकी बुर स्वयं पुरुष स्पर्श को अपनी योनि में गहरे और गहरे तक महसूस करने के लिए लालायित हो रही होगी।

बहरहाल मोनी को इंतजार करना था…

उधर बनारस में सुगना और सरयू सिंह के अनूठे प्रेम से पैदा हुआ सूरज, सुगना के पास बैठा अपने नाखून कटा रहा था…सुगना उसके दिव्य अंगूठे को देखकर सोनी के बारे में सोचने लगी…

कैसे वह सूरज के अंगूठे को सहलाकर उसकी नून्नी को बड़ा कर देती थी और फिर उसे शांत करने के लिए उसे अपने होंठ लगाने पड़ते थे। विधाता ने न जाने सूरज को यह विशेष अंगूठा किसलिए दिया था…इधर सुगना की नजर अंगूठे पर थी उधर सूरज स्वयं बोल उठा जो शायद स्वयं भी यही बात सोच रहा था..

“मां…सोनी मौसी कब आएंगी?

“क्यों क्या बात है अभी उनकी क्यों याद आ रही है?”

जिस अंगूठे को देखकर सुगना ने सोनी को याद किया था शायद सूरज को भी वही बातें याद आ गई थी वह चुप ही रहा। छोटे सूरज ने अपना अंगूठा हिला कर दिखाया और मुस्कुराने लगा। सुगना समझ चुकी थी उसने सूरज की गाल पर एक मीठी चपत लगाई और बोली..

“बेटा ई ठीक ना ह अपना अंगूठा बचाकर रखना भगवान ने इसे विशेष काम के लिए बनाया है…”

शायद सुगना के पास इस समस्या का निदान नहीं था वह सूरज को समझने के लिए और इस प्रक्रिया से दूर रहने के लिए भगवान और धर्म का सहारा ले रही थी।

तभी लाली सुगना के पास आई और मचिया खींचकर उसके बगल बैठ गई। नाखून कट जाने के बाद सूरज खेलने भाग गया… तभी लाली ने सुगना से बात शुरू करते हुए पूछा…

“मां बाबूजी कैसे हैं?

“बिल्कुल ठीक है तुम्हारे लिए कुछ बनाकर भेजा था खिलाई नहीं क्या था उसमें”

लाली खुश हो गई वह तुरंत ही उठकर जाने लगी परंतु सुगना ने रोक लिया…और बोली

“ठीक बा बाद में खिलाना”

“ए सुगना उस दिन उतना देर क्यों हो गया था..अपने गांव सीतापुर भी गईं थी क्या..”

लाली असल में देरी का कारण जानना चाह रही थी पर शायद सीधे-सीधे पूछने में घबरा रही थी।

सुगना की छठी इंद्री काम करने लगी उसे न जाने क्यों ऐसा एहसास हुआ कि कहीं लाली को शक तो नहीं हो गया है उसने बड़ी चतुराई से पूछा

“सोनूवा से ना पूछले हां का?”

“ तू हिंदी कभी ना सीख पईबू हम हिंदी बोला तानी तब फिर भोजपुरी शुरू हो गईलु “

“ठीक है बाबा सॉरी …अब हिंदी ही बोलूंगी”

सुगना ने अपने चेहरे पर कातिल मुस्कान बिखेर दी और अपने हाथों से अपने कान पकड़ लिए। ऐसा लग रहा था.. जैसे वह सलेमपुर में सोनू के साथ किए गए कृत्य के लिए उसकी पत्नी लाली से माफी मांग रही थी। सुगना की यह अदा इतनी खूबसूरत थी की मर्द तो क्या लाली स्वयं उस पर आसक्त हो जाती थी कितनी सुंदर कितनी प्यारी थी सुगना। उस पर नाराज होना या उससे रुष्ट होना बेहद कठिन था। दोनों सहेलियां इधर-उधर की बातें करने लगी पर लाली के मन में शक का कीड़ा धीरे-धीरे और बड़ा हो रहा था। लाली को यह पता था कि उस इत्र का प्रयोग विशेष अवसरों पर ही किया जाता है वह भी कामुक गतिविधियों की तैयारी करते समय।

स्त्रियां उसे पुरुषों को लुभाने के लिए अपने जननागों पर लगाती हैं और पुरुष उसकी मादक खुशबू में अपना सर और होंठ उनकी जांघों के बीच ले आते हैं।

तभी फोन की घंटी बज उठी…फोन सुगना के पास ही था उसने अपने हाथ बढ़ाए और फोन का रिसीवर अपने कानों में लगाकर अपनी मधुर आवाज में बोली

“हेलो…”

“लाली घर पर है क्या?” सामने से एक भारी आवाज आई

“आप कौन” सुगना उस अजनबी को नहीं पहचान पा रही थी..

“लाली यही रहती है ना?” उस अजनबी ने पूछा..

“पर आप कौन?” सुगना ने अपना प्रश्न दोहराया।

“आप लाली को फोन दीजिए ना?” वह मुझे पहचान जाएगी..

“कौन है” लाली नेपूछा

सुगना ने फोन लाली को पकड़ा दिया..

“ हां बोलिए.. कौन हैं आप…” लाली ने पूछा

“आवाज से पहचानो”

लाली को यह आवाज पहचानी पहचानी सी लग रही थी पर मन में संशय था..

“बनारस आ गइल बानी हम ” उस अजनबी ने आगे कहा।

लाली उस अनजान व्यक्ति को थोड़ा थोड़ा पहचान रही थी फिर उसने तुक्का लगाया और बोला..

“मनोहर भैया ?”

“हां और कैसी हो…”

अब जब लाली पहचान ही चुकी थी तो उन दोनों की बातें शुरू हो गई सुगना कुछ देर तक तो लाली की बात सुनती रही और उनकी बातचीत से उस अनजान व्यक्ति को पहचानने की कोशिश करती रही परंतु सफल न रही…

“ठीक बा शाम के आवा…” लाली ने बात समाप्त की और फोन रख दिया उसके चेहरे पर खुशी थी।

कौन था लाली? सुगना ने उत्सुकता वश पूछा..

अरे मनोहर भैया उनका ट्रांसफर बनारस हो गया है…

“कौन ?” सुगना उस अजनबी को नाम से नहीं पहचान पा रही थी।

अरे वही मनोहर भैया मेरे मामा के लड़के जिनका पूरा परिवार एक एक्सीडेंट में मारा गया था…

लाली के चेहरे पर खुशी से उदासी के भाव आ गए। उसे वह दिन याद आ गया जब मनोहर के परिवार के सारे सदस्य एक साथ एक कर दुर्घटना में मारे गए थे और वह अपने मांमा के घर में मनोहर को रोते बिलखते देख रही थी। घर में पड़ी पांच लाशें देखकर सभी का कलेजा मुंह को आ रहा था।

इस दुर्घटना ने मनोहर को पूरी तरह अकेला कर दिया था। उसकी पत्नी उसके दोनों बच्चे और उसकी मां और उसका छोटा भाई सभी उसे कर दुर्घटना में मारे गए थे।

मनोहर जो लाली से उम्र में लगभग 4 , 5 साल बड़ा था इस दुर्घटना के बाद पूरी तरह अकेला हो गया था। क्योंकि वह एक सरकारी नौकरी में था इसलिए वह अक्सर बाहर दिल्ली ही रहता था। यह तो भला हो फोन का जिससे वह वह लाली के संपर्क में आ गया था। वरना लाली से उसका मिलना कम ही हो पता था जब वह गांव जाता तो लाली बनारस में अपने पति पूर्व राजेश के साथ रहती थी।

बहरहाल लाली मनोहर के आगमन की तैयारी में लग गई सुगना ने भी स्वाभाविक रूप से अपनी सहेली का साथ दिया और आज शाम के खाने के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जाने लगे मेहमानों का स्वागत लाली और सुगना दोनों को पसंद था वैसे भी यह मेहमान अनूठा था।

शाम को पूरा परिवार नए मेहमान का इंतजार कर रहा था। बाहर गाड़ी की आवाज से लाली को एहसास हो गया कि उसके मनोहर भैया आ चुके हैं वह दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ी

मनोहर गाड़ी से उतर रहा था। कद लगभग 5 फुट 11 इंच कसरती बदन और सुंदर सुडौल काया लिए वह लाली की तरफ बढ़ा। लाली ने झुककर उसके चरण छुए और उसे अंदर बुला लिया..

अंदर पूरा परिवार उसका इंतजार कर रहा था सोनू ने आगे बढ़कर उसे हाथ मिलाया। मनोहर आगे बढ़ा उसने सरयू सिंह और कजरी के पैर छुए पदमा को वह पहचानता तो नहीं था परंतु उम्र के कारण उसने पदमा के भी पैर छुए। पदमा के पैर छूकर वह जैसे ही उठा उसे सुगना के दर्शन हो गए।

मनोहर खूबसूरत सुगना को देखते ही रह गया हे भगवान यह अप्सरा जैसी युवती कौन है? इससे पहले की मनोहर इधर-उधर देखता लाली बोल पड़ी..

यह मेरी सहेली है सुगना…पर अब ननद बन चुकी है.. लाली चहकते हुए बोली..

सुगना ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और प्रति उत्तर में मनोहर ने भी। मनोहर की आंखें सुगना पर कुछ फलों के लिए टिकी रह गई।

चाय का दौर चला और मनोहर के बारे में अब सब विस्तार पूर्वक जान चुके थे। मनोहर एक राजस्व अधिकारी था वह पहले दिल्ली में पोस्टेड था उसका गांव आना-जाना काम ही होता था वैसे भी पूरे परिवार के देहांत के बाद गांव आने का कोई औचित्य भी नहीं था। अभी कुछ दिनों पहले उसका कैडर चेंज हुआ और उसकी नई पोस्टिंग बनारस में मिली और वह ज्वाइन करने के बाद सीधा लाली से मिलने आ गया था।

मनोहर द्वारा लाई गई विविध प्रकार की मिठाइयां और फल बच्चे बड़े प्रेम से खा रहे थे। लाली ने सभी बच्चों से भी मनोहर का परिचय कराया और कुछ ही देर में मनोहर परिवार के एक सदस्य के रूप में सबसे घुल मिल गया सिर्फ सुगना ही एक ऐसी थी जिससे वह नजरे नहीं मिल पा रहा था पता नहीं उसके मन में क्या कसक थी…और सुगना स्वयं किसी अजनबी से अपने परिवार वालों की उपस्थिति में इतनी जल्दी खुल जाए यह मुमकिन नहीं था।

परंतु बातों के दौरान सुगना का भी जिक्र आया और उसके भगोड़े पति रतन का भी। मनोहर सुगना के लिए सोच कर दुखी हो रहा था इस छोटी उम्र में ही सुगना को विधवा सा जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था। विधाता ने सच में उसके साथ अन्याय किया था। मनोहर की सोच एक सामान्य व्यक्ति की सोच थी पर विधाता के लिखे को टाल पाने की शक्ति शायद किसी में न थी।

मनोहर कुछ ही घंटे में पूरे परिवार के साथ दूध में पानी की तरह मिल गया। खाना खिलाने वक्त सुगना भी उससे कुछ हद तक रूबरू हुई और मनोहर के कानों में सुगना की मधुर आवाज सुनाई पड़ी जो उसके जेहन में रच बस गई।

कुल मिलाकर मनोहर एक प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी था और काबिल था। वह लाली के परिवार से नजदीकियां बढ़ाना चाहता था। कारण स्पष्ट था उसके जीवन में परिवार के नाम पर कुछ भी ना था और अब बनारस आने के बाद उसे ईश्वर की कृपा से एक परिवार मिल रहा था। सोनू और मनोहर भी अपने शासकीय कार्यों के बारे में बात करते-करते कुछ हद तक दोस्त बन रहे थे।

“सरयू सिंह ने मनोहर से कहा रात हो गई है

बेटा यहीं रुक जाते।”

मनोहर रुकना तो चाहता था परंतु वह इस तैयारी के साथ नहीं आया था उसने हाथ जोड़कर क्षमा मांगी और फिर कभी कह कर परिवार से विदा लिया और अपनी घड़ी में बैठकर अपने गेस्ट हाउस की तरफ निकल पड़ा।

मनोहर सभी के दिलों दिमाग पर एक अच्छी और अमित छवि छोड़ गया था।

अगली सुबह लाली और सोनू अपने बच्चों के साथ जौनपुर के लिए निकल रहे थे। लाली अपने कमरे में तैयार हो रही थी उधर सुगना झटपट सबके लिए नाश्ता बना रही थी एकांत पाकर सोनू रसोई में चला गया…

उसने सुगना को पीछे से अपने आगोश में भर लिया और सुगना कि याद में तने हुए अपने लंड को उसके नितंबों से सटाते हुए उसके गर्दन को चूमने लगा और बोला.

“दीदी कल के दिन हमेशा याद रही “

“हमरो..” सुगना का अंतर्मन मुस्कुरा रहा था

“दीदी सावधान रहिह लाली तोहरा इत्र के खुशबू सूंघ ले ले बिया…”

सुगना सोनू का इशारा समझ चुकी थी उसने पूछा

“तब तू का कहल?”

“कह देनी की दीदी अपन बक्सा ठीक करत रहे ओहि में इत्र देखनी और हमारा हाथ में लग गईल”

अब तक लाली भी रसोई में पहुंच चुकी थी उसने उन दोनों की बातें ज्यादा तो न सुनी पर इत्र का जिक्र वह सुन चुकी थी अंदर आते ही उसने बोला..

“लगता अपना सुगना दीदी के इत्र तोहरा ज्यादा पसंद आ गइल बा..”

सोनू और सुगना दोनों सतर्क हो गए…सुगना ने पाला बदला और लाली का साथ देते हुए बोली…

“इकरा अपने बहिनिया के खुशबू पसंद आवेला…ते भी त पहिले लाली दीदी ही रहले…”

सुगना ने जो कहा वह सोनू और लाली दोनों अपने-अपने हिसाब से सोच रहे थे..पर लाली सुगना की बातों में खुद ही उलझ गई थी…

बात सच ही थी जो सोनू पहले लाली की बुर के पीछे दीवाना रहता था अब अपनी बहन सुगना के घाघरे में अपनी जन्नत तलाश रहा था।

सुगना का भरा पूरा घर कुछ ही देर में खाली हो गया..

लाली और सोनू जौनपुर के लिए निकल चुके थे कुछ ही देर बाद सरयू सिंह और कजरी भी अस्पताल के लिए निकल गए। बच्चे स्कूल के लिए जा चुके थे

घर में सिर्फ सुगना और उसकी मां पदमा ही बचे थे। घरेलू कार्य निपटाने ने के बाद दोनों मां बेटी बैठे बातें कर रहे थे। पदमा की मां ने मनोहर की बात छेड़ दी। पदमा उसकी तारीफ करते हुए नहीं थक रही थी और ईश्वर द्वारा उसके साथ किए गए अन्याय के लिए उससे सहानुभूति दिख रही थी। सुगना भी उसकी बातें सुन तो रही थी परंतु कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी।

उधर सरयू सिंह और कजरी हॉस्पिटल में डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे तभी सरयू सिंह ने कहा..

“लाली का तो भाग्य ही बदल गया सोनू से विवाह करने के बाद लाली और उसका परिवार बेहद खुश है मुझे लगता है सोनू भी खुश है भगवान दोनों की जोड़ी बनाए रखें”

“हां सच में यह शादी पहले तो बेमेल लग रही थी पर दोनों को देखकर लगता है कि यह निर्णय सही ही रहा सुगना सच में समझदार और सबका ख्याल रखने वाली है” कजरी ने सरयू सिंह के समर्थन में कहा.

“पर बेचारी सुगना के भाग्य में भगवान ने ऐसा क्यों लिखा?”

सुगना कजरी की पुत्रवधू थी और उसे बेहद प्यारी थी उन दोनों ने सरयू सिंह को अपने जीवन में एक साथ साझा किया था यहां तक कि अपनी पुरी यात्रा के दौरान सरयू सिंह के साथ बिस्तर भी साझा किया था..

*क्यों अब क्या हुआ…? कजरी ने बातचीत के क्रम को आगे बढ़ाया।

“क्या सुगना अपना आगे का जीवन अकेले व्यतीत करेगी? रतनवा तो अब आने वाला नहीं है?

कजरी के कलेजे में हूक उठी अपने पुत्र के बिछड़ने का गम उसे भी था उसकी उम्मीद भी अब धीरे-धीरे खत्म हो रही थी यह तय था की रतन अब वापस नहीं आएगा .. दोबारा सुगना को स्वीकार करने के बाद उसे छोड़कर जाने वाले रत्न से अब कोई उम्मीद नहीं थी..

“हां बात तो सही है पर क्या किया जा सकता है?”

“क्या लाली के जैसे सुगना पुनर्विवाह नहीं कर सकती? सरयू सिंह ने अपने मन की बात कह दी..

कजरी कोई उत्तर दे पाती इससे पहले अस्पताल के अटेंडेंट ने आवाज लगाई “सरयू सिंह ..सरयू सिंह”

सरयू सिंह का नंबर आ चुका था वह अपना झोला झंडी लेकर खड़े हो गए…कजरी भी उनके पीछे हो ली।

कजरी के दिमाग में सरयू सिंह द्वारा कही गई बातें घूम रही थी सुगना का पुनर्विवाह …यदि ऐसा हुआ तो…

क्या अब सुगना उसकी पुत्र वधु नहीं रहेगी। यह विधाता पहले पुत्र गया तो क्या अब सुगना भी चली जाएगी मैं अपना बुढ़ापा किसके सहारे काटूंगी? नहीं नहीं मुझे स्वार्थी नहीं होना चाहिए…सच में लाली कितना खुश है यदि सुगना का पुनर्विवाह होता है तो क्या वो और खुश हो जाएगी? पर अभी भी तो वह खुश ही रहती है? कई तरह की बातें कजरी के दिमाग में चलने लगीं।

सरयू सिंह कजरी को भंवर जाल में छोड़कर बिस्तर पर लेकर अपना चेकअप कर रहे थे। चेकअप की गतिविधियों में वह कुछ पलों के लिए सभी को भूल अपने चेकअप पर ध्यान दे रहे थे।

शाम होते होते सरयू सिंह और कजरी वापस सलेमपुर के रास्ते में थे।

कजरी ने अपनी स्वार्थी भावनाओं पर विजय पाई और उसने सुगना के भले की ही सोची।

“आप ठीक ही कह रहे थे सुगना के विवाह हो जाए तो ठीक ही रहल हा” कोई मन में बा का?

“तोहरा मनोहर कैसन लागल हा? ओकर भी कोई परिवार नईखे?”

कजरी अब सारी बात समझ आ चुकी थी सरयू सिंह के दिमाग में यह विचार क्यों आया..

सरयू सिंह की भांति कजरी भी अब मनोहर और सुगना को एक साथ देखने लगी। सुगना और मनोहर की जोड़ी में कोई भी कमी दिखाई नहीं पड़ रही थी दोनों एक दूसरे के लिए सर्वथा उपयुक्त थे।

शायद पहले जोड़ियां मिलते समय भौतिक और सामाजिक मेल मिलाप को ज्यादा महत्व दिया जाता था । अंतर्मन और प्यार का कोई विशेष स्थान नहीं होता था ऐसा मान लिया जाता था कि एक बार जब दोनों एक ही खुद से बदले तो उनमें निश्चित ही प्यार हो जाएगा।

पर क्या ऐसा हों पाएगा…तब सुगना और सोनू के प्यार का क्या होगा। जो सुगना अपनी बुर पहले ही सोनू को दहेज में दे चुकी थी वह क्यों भला किसी और मर्द को अपनाएगी..

प्रश्न कई थे उत्तर भविष्य के गर्भ में दफन था।

सारी गुत्थियां सुलझाने वाली नियति खुद ही उलझ गई थी उसे विराम चाहिए था…

शेष अगले भाग में…

लवली भाई, कहानी को नया मोड़ दे रहे हैं। परन्तु सुगना अब सोनु के अलावा किसी और की होती हैं तो सुगना का चरित्र हरण हो जायेगा।

वेसे कहानी के अनुसार सुगना को अपने पुत्र सुरज के साथ भी सम्बन्ध बनाने पड सकते हैं।
 
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