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बडा ही अप्रतिम सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 28
सुबह सुबह नाश्ते की टेबल पर सब बैठे नाश्ता कर रहे थे....
रीना – (सरला से) माजी कल रिकी को डॉक्टर के पास लेके जाना है चेकअप के लिए....
सरला – लेकिन डॉक्टर ने अगले महीने के लिए बोला था....
राजेश – मा वो कल डॉक्टर का फोन आया था अमेरिका से डॉक्टर जो रिकी का ऑपरेशन करने वाले थे उन्होंने बताया है कि अगले महीने मुश्किल है उनका इसीलिए वो कल ही रिकी का चेकअप करेंगे और कल ऑपरेशन....
ऑपरेश की बात सुन जहा सरला का चेहरा उतर गया वही बाकी के लोगों का जैसे नाश्ता करना रुक गया तब....
सरला – (सबसे) सब नाश्ता करो अपना (रीना से) ठीक है तुम तैयारी करो मै भी कल चलूंगी साथ में , और जरा जल्दी करो आज घर में पूजा रखी है पंडित जी आते होगे थोड़ी देर में....
साहिल – दादी पूजा अभी रहने देते है....
दादी – क्यों बेटा मैने कहा था ना , तुझे सिर्फ बैठने है बस....
साहिल – मेरा वो मतलब नहीं था दादी , मै बस इसीलिए बोल रहा था कि रिकी हॉस्पिटल से होके आ जाए फिर पूजा रखना आप , और प्लीज़ दादी अब आप मना मत करना....
दादी – (मुस्कुरा के) ठीक है , मै पंडित जी को बोल दूंगी , अब खुश है तू....
साहिल – बिल्कुल मेरी प्यारी दादी....
साहिल की बात से सबके चेहरे में मुस्कान आ गई जबकि रीना , साहिल की बात सुन उसकी आंख में हल्की नमी आ गई जिसे सबसे छुपा लिया उसने , कुछ समय सबका नाश्ता होने के बाद तब....
रिकी – (साहिल से) भईया अब कुछ दिन आपको हॉस्पिटल में आना होगा फिर मै आपके साथ वही पर गेम खेलूंगा....
साहिल – अरे यार कल से तो मेरा कॉलेज शुरू हो रहा है फिर कैसे आऊंगा मै आपके पास....
रिकी – तो क्या हुआ आप कॉलेज के बाद आजाना हॉस्पिटल तब खेलेंगे हम साथ में....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा , अब देखो आप मै ऐसा जादू करूंगा आपके ऊपर आप तुरन्त जाओगे हॉस्पिटल और तुरन्त आजाओगे घर में फिर हम साथ में खेलेंगे गेम....
बात सुन रिकी मुस्कुराने लगा जिसे देख साहिल ने मुस्कुराते हुए रिकी को गले लगा लिया....
साहिल – तुम बिल्कुल ठीक हो रिकी तुम्हे अब से कोई दर्द नहीं होगा खेलने में , ये मेरा वादा है तुमसे....
जहां रिकी मुस्कुरा रहा था वही रीना और राजेश आंख में आंसू के साथ मुस्करा रहे थे साथ में बाकी के घर वाले भी तब....
कमल – (साहिल से) चल फिर आज कही घूम के आते है हम , क्या बोलता है तू....
साहिल – मैने कब मना किया , दादी से पूछ लेता हु मै....
साहिल – (दादी से) दादी मै और कमल आज घूम आए कही कल से तो कॉलेज शुरू हो रहा है अपना....
दादी – इसमें पूछना क्या है बेटा जब जा रहा है घूमने एक काम कर सभी बच्चों को साथ लेजा , तू नया है शहर में ये तुझे शहर घूमा देगे अपने साथ....
बेचारा मारता क्या ना करता साहिल को माननी पड़ी अपनी दादी की बात बेमन से....
साहिल – (सुनंदा को देख के) आप भी चलो हमारे साथ घूमने आप भी नए हो शहर में , आप भी देख लेना शहर को....
सुनंदा – क्यों न सभी लोग चले शहर घूमने आज तो संडे है काम भी नहीं होता होगा हर किसी को....
राजेश – बात तो सही है सुनंद जी की , सब लोग एक साथ घूम आओ आज वैसे भी कभी कभी तो मौका मिलता है....
दादी – मै तो नहीं चल पाओगी ज्यादा मेरे पैर में दर्द होने लगता है , हा तुम सब घूम आओ (राजेश से) राजेश वकील से बात हुई तुम्हारी....
राजेश – हा मा बात हुई है मेरी वो आज आपसे मिलने आएगा शाम को....
दादी – ठीक है (साहिल और कमल से) तुम दोनों अपने डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी कर के देदेना मुझे अभी जरूरी काम है....
कमल – हमारे डॉक्यूमेंट किस लिए दादी....
दादी – बेटा घर में अचार खत्म हो गया है तुम दोनों के डॉक्यूमेंट का अचार बना के खिलाऊंगी रात में तुमको , और कुछ जानना है....
दादी की बात से सब हंसने लगे साथ में कमल और साहिल भी थोड़ी देर बाद हर कोई तैयार हो रहा था अपने कमरे में....
कविता – (अवनी से) आज सब साथ में घूमने चल रहे है , क्या तुझे पता है कमल को क्या पसंद है....
अवनी – क्यों पूछ रही है ऐसा....
कविता – क्योंकि कमल और साहिल रहे है काफी वक्त एक साथ तो जो कमल को पसंद होगा वहीं साहिल को भी....
खुशी – हा यार इस बहाने साहिल से बात करने का मौका मिल जाएगा हमें....
अवनी – मेरी बात चित हुई जरूर है कमल से लेकिन उसकी पसंद मैंने पूछी नहीं अभी तक....
कविता – (मू बना के) कोई काम ढंग से किया है तूने कभी....
अवनी – सॉरी यार मै सच में भूल गई थी , चल मै अभी पूछ लेती हु कमल से....
खुशी – हा साहिल के सामने जाके पूछ ले ताकि उन्हें भी समझ आ जाए....
कविता – पागल मत बन तू साहिल के समने पूछने का मतलब जानती है ना फिर उन्हे लगेगा कि हम उन्हें परेशान करने की तैयारी कर रहे है....
अवनी – बेवकूफ नहीं हूँ यार मै अकेले में पूछ लूंगी कमल से....
खुशी – हा ये सही रहेगा और गलती मत करना तू कोई भी....
अवनी – हा ना यार (कविता से) वैसे तूने क्या सोचा है क्या लेगी साहिल के लिए....
कविता – मै नया मोबाइल लेने की सोच रही हूँ , उनको देने के लिए....
खुशी – अरे यार ये तो मैने सोचा हुआ था साहिल के लिए....
कविता – अब तू कुछ और सोच मै तो नया फोन ही लूंगी....
खुशी – ठीक है मै लैपटॉप लेलूगी उनके लिए (अवनी से) तूने कुछ सोचा है....
अवनी – मै उनके लिए नए कपड़े लूंगी....
इस तरफ इनकी अलग प्लानिंग थी साहिल के लिए दूसरी तरफ....
सुनीता – (सुमन से) अब साहिल से बात होती है तेरी....
सुमन – अभी नहीं दीदी अभी भी वो वैसे ही बात करता है....
सुनीता – कोई बात नहीं सुमन दीदी थोड़ा वक्त तो लगेगा लेकिन अच्छी बात ये है कि साथ में है अब वो....
सुमन – आज भी उसे ये सिर्फ दिखावा लगता है , उसे लगता है कभी ना कभी किसी कारण घर से निकाल देगे सब लोग उसे....
सुनीता – चिन्ता मत करो दीदी धीरे धीरे उसे समझ आने लगेगा प्यार सबका , देखा नहीं आपने जब मा ने पूजा की बात कही तो साहिल ने कैसे बोल दिया जब रिकी आएगा हॉस्पिटल से तब पूजा करने के लिए , प्यार साहिल के दिल में है बस समझ जाएगा थोड़ वक्त दो उसे , वैसे भी अब कमल भी है न साथ हमारे वो सम्भाल लेगा साहिल को और कोई एसी बात हुई तो बता देगा हमें....
सुमन – हा तुम सही कह रही हो सुनैना देखा मैने साहिल को किस तरह से रिकी के लिए बोल रहा था , सिर्फ प्यार नजर आरहा था उसमें , लेकिन एक बात बताओ तुम कमल के साथ यहां आई तो साहिल को शक नहीं हुआ कुछ....
सुनीता – (हस्ते हुए) नहीं दीदी कमल ने पहले ही बता दिया था साहिल को ये बात , इतनी बड़ी खुशी छुपाए कहा छुपती कमल से....
सुमन – हम्ममम कमल बहुत खुश नसीब है जिसे तुम्हारे जैसी मां और साहिल जैसा साथी मिला....
सुनीता – चिन्ता मत करो दीदी देखना जल्द ही साहिल समझेगा सबके प्यार को....
दूसरी तरफ कमरे में....
साहिल – तुझे भी घूमने की बात बोलनी थी वो भी सबके सामने अबे अकेले में बोलता मुझे साला मेरा भी दिमाग घास चरने गया था जो सबके समाने दादी से पूछा मैने....
कमल – चिंता क्यों करता है बे घूमने जा रहे है हम जंग लड़ने नहीं....
साहिल – अबे यहां जहर खाने को पैसे नहीं है उनके साथ घूमने का मतलब समझता है....
कमल – क्या मतलब है बे....
साहिल – मतलब ये कि मेरे पास जायद पैसे नहीं है समझा और घूमते वक्त उनलोगों ने पैसे खर्च किए तो कल कॉलेज में पक्का पोस्टमार्टम करने की तैयारी हो जाएगी अपनी....
कमल – क्या बे तू भी ना कितने पैसै चाहिए तुझे....
साहिल – साले बोल तो ऐसे रहा है जैसे कुबेर का खजाना रखा हो तेरे पास....
कमल – (मुस्कुरा के) वो तो है ना बे ये देख (हाथ में मोबाइल दिखाते हुए) ये है पैसे....
साहिल – अबे ये नया मोबाइल कहा से ले लिया बे और इसमें पैसे कहा से....
कमल – बैंक अकाउंट पहले से था बाकी पैसे मा ने डाल दिए....
साहिल – तेरा मतलब सुनीता बुआ ने , कितने पैसे डाले है....
कमल – पूरे पचास लाख है बे साथ मोबाइल में PTM अब ज्यादा सोच मत समझा....
साहिल – क्यों इसका हिसाब नहीं लेगा कोई तेरे से....
कमल – नहीं लेगे , अब चल चलते है घूमने....
साहिल – कमीना है बे तू.....
थोड़ी देर में सब निकल गए घूमने के लिए रस्ते में....
सुनैना – तो कहा घूमने चलना है ये तो बताओ....
शबनम – पहले चल के मूवी देखते है....
पायल – हा यार बहुत दिन हो गए मूवी देखे....
अवनी – तो मॉल में चलते है यार मूवी भी देख लेगे साथ में खाना पीना और शॉपिंग भी कर लेगे....
सुनीता – बात तो ठीक है लेकिन महारानियो तुम्हे किस बात की शॉपिंग करनी है अब....
कविता – (साहिल की तरफ धीर से इशार कर सुनीता से) ज्यादा नहीं बुआ थोड़ी सी करेंगे....
सुनीता – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है (साहिल से) तुम क्या लोगे अपने लिए साहिल....
इस तरफ साहिल का पूरा ध्यान सड़क पे था जहां वो शहर की बड़ी बड़ी खूबसूरत बिल्डिंग और मार्केट देख रहा था , साहिल को कुछ ना बोलता देख....
सुनीता – (साहिल के कंधे पे हाथ रख) क्या हुआ साहिल क्या देख रहे हो....
साहिल – (सुनीता को देख हल्का मुस्कुरा के) बहुत खूबसूरत शहर है बुआ एक से एक ऊंची इमारतें , सुंदर मार्केट बनी हुई है यहां पर , इतना तो मैने **** शहर में भी नहीं दिखा मुझे कभी....
सुनीता – (मुस्कुरा के) ये मुम्बई शहर है साहिल आज से नहीं ये शुरू से ही खूबसूरत शहर रहा है....
साहिल – हम्ममम यहां हर चीज बहुत दूर दूर बनी हुई है बुआ , नए लोगों को घूमने का मजा ही आ जाता होगा यहां , है ना बुआ....
सुनीता – बिल्कुल , अच्छा तुम बताओ क्या शॉपिंग करोगे तुम.....
साहिल – (मुस्कुरा के) मेरी जरूरत कुछ खास नहीं है बुआ , जो भी है मेरे पास वही बहुत है मेरे लिए....
पायल – तब तो आज की आपकी शॉपिंग हम करेंगे और आप मना नहीं करोगे....
साहिल – फिलहाल तो घूमूंगा बस शॉपिंग की जरूरत नहीं मुझे , सब कुछ तो है मेरे पास....
शबनम – ठीक है साहिल भाई जैसी आपकी मर्जी लेकिन हमारी मर्जी हम जो चाहे वो खरीदेगे और आप बस कुछ नहीं बोलोगे , ये फाइनल है बस....
इन बातों के आगे कुछ ना बोल साहिल हल्का मुस्कुरा के खिड़की के बाहर देखने लगा....
कुछ देर बाद मॉल में आते ही मूवी की टिकट लेने लगे थे तब....
सुमन – (कविता , खुशी , अवनी से) नॉर्मल मूवी की टिकट लेना मार धार गोली चलाने वाली मत लेना पता है ना साहिल भी साथ है....
कविता – हा मा मुझे याद है....
इस तरफ सब मूवी देखने जाते है जहा कमल और अवनी एक साथ बैठ जाते है वहीं साहिल के दोनों तरफ सुमन और कविता बैठ जाते है मूवी शुरू होती है थोड़ी देर में हमारे साहिल बाबू चले जाते है नींद की वादियों में उसे पता ही नहीं चलता नींद में अपना सिर सुमन के कंधे पर रख देता है , ये बात सुमन समझ जाती है साथ में कविता भी की साहिल को शायद बोरियत लग रही होगी मूवी तभी वो सो गया ये देख दोनों हल्का मुस्कुराते है , वही सुमन अपने एक हाथ से हल्का हल्का साहिल के सिर को सहलाती है , कुछ समय बाद इंटरवल होता है जब लाइट शुरू होती है हाल की सब एक दूसरे से खाने के लिए पूछते है लेकिन तभी कविता सबको चुप रहने का इशारा कर , सोते हुए साहिल की तरफ इशारा करती है तब....
कमल – (सबसे धीरे से) साहिल सिर्फ गाने सुनने का शौकिन है हमने मूवी कभी देखी नहीं है इसीलिए....
खेर थोड़ी देर बाद इंटरवल खत्म होता है मूवी शुरू हो जाती है जहा साहिल बाबू सो रहे थे वही कमल और अवनी का ध्यान मूवी से ज्यादा सिर्फ अपनी बातों में था , मूवी खत्म होने के बाद सब उठने लगते है तब....
सुमन – (साहिल को धीरे से जगाते हुए) उठो साहिल....
साहिल – (नींद में) हम्ममम बस थोड़ी देर रुको उठता हूँ....
बोल के नींद में चला गया , वही ये देख सब हस रहे थे तब....
कमल – (साहिल को हिलाते हुए) उठ जा कुंभकरण मूवी कब की खत्म हो गई लेकिन तेरी नींद अभी तक पूरी नहीं हुई है क्या , उठ जल्दी वर्ना पानी डाल दूंगा....
साहिल – (नींद से जागते हुए चौक के) क्या मूवी खत्म होगई इतनी जल्दी.....
कमल – हा बे चल उठ बाकी की मूवी घर में देखना....
बोल के कमल हसने लगा साथ में सब....
साहिल – हा हा उठ गया चल....
बोल के थिएटर से निकलने लगते है सब रस्ते में....
कमल – (साहिल को चिढ़ाते हुए) साला लोग थिएटर में मूवी देखन आते है और तू सोने , वाह बेटा वाह गजब का अजूबा है तू यार....
साहिल – हा हा उड़ा ले मजाक , बोल तो ऐसे रहा है जैसे रोज मूवी देखता हु मै....
बाहर आते ही सब माल में बने रेस्टोरेंट में चले गए जहां कविता , अवनी , खुशी , पायल और शबनम खाने का ऑर्डर देने जाते हैं वहीं कमल , साहिल और बाकी के सब वॉशरूम जाते है तब....
रितिका – हेय कविता....
कविता – (पलट के लड़की को देख के) रितिका तुम....
नीति – अरे कविता क्या बात है दो साल बाद मिल रही हो , यार तुम तो जैसे भूल ही गई हमको....
रितिका – और तूने स्कूल क्यों छोड़ दिया था यार....
कविता – मन नहीं लग रहा था मेरा इसीलिए....
रतन – क्या यार कविता दो साल बाद मिल रही हो, अभी तक नाराज हो क्या....
कविता – देखो रतन मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है किसी से.....
रतन – चलो अच्छा है तुम्हे मेरा नाम तो याद है...
राजू – प्लीज़ यार कविता छोड़ो उन बातों को यार , इतने वक्त बाद मिली हो तुम सबसे....
रितिका – हा यार कविता , प्लीज़ मिट्टी डाल उन बातों पर हम फिर से पहले जैसे दोस्त बन जाते है....
अवनी – देखो रितिका , नीति , रतन , राजू हम यहां फैमिली के साथ घूमने आए है इसीलिए प्लीज़ हमारा रस्ता छोड़ो....
राजू – (कविता का हाथ पकड़ के) प्लीज़ कविता माफ कर दे यार हम सब तो बचपन के दोस्त है यार....
कविता – (गुस्से में) मेरा हाथ छोड़ो राजू....
राजू – (हाथ छोड़ के) माफ करना कविता वो....
इससे पहले राजू कुछ आगे बोलता तभी...
एक लड़की जींस टीशर्ट चेहरे में कला चश्मा लगा के उनके सामने आके बोलती है....
लड़की – (बीच में आके) एक बार लड़की बात करने को मना का रही है तो क्यों जबरदस्ती उससे बात करने में लगा है , जवानी जायद जोश मार रही है क्या तेरे अन्दर....
रतन – (लड़की को देख के) कौन हो तुम और हमारे बीच में क्यों आ रही हो , ये हम दोनों दोस्त की बात है आपको बीच में आने की जरूरत नहीं है ओके , अपना काम करिए....
लड़की – (मुस्कुरा के) मै अपना ही काम कर रही हूँ मिस्टर (अपनी ID दिखा का) अब जान गए कौन हूँ मै , चुप चाप निकल यहां से वर्ना तू समझदार है....
राजू – (लड़की के हाथ में पुलिस की ID देख के) I M SORRY मिस मै सिर्फ़ बात कर रहा था और कुछ नहीं....
लड़की – हा देखा मैने सब , और कुछ बोलना है तुझे....
रतन – (डरते हुए) नहीं मिस हम चलते है...
बोल के दोनों लड़के और अपनी दोनों बहन के साथ वहां से निकल गए , उनके जाने के बाद....
लड़की – (पलट के कविता से) तुम ठीक हो ना....
कविता – जी , और थैंक यूं दीदी , वैसे आपका नाम क्या है....
लड़की – मेरा नाम आकृति दबे है , I M A COP....
कविता – (मुस्कुरा के) दीदी मेरा नाम कविता है (अवनी और खुशी की तरफ इशारा करके) ये मेरी बहन है , अवनी और खुशी....
आकृति – (मुस्कुरा के दोनों से) हैलो (कविता से) अब से एक बात ध्यान रखना कविता ऐसे लोग अगर बत्तीमीजी करे तो पहले एक उल्टे हाथ का गाल पर देना (अपना कार्ड देके) उसके बाद मुझे मेरे नंबर पे कॉल करना , तुमने मुझे दीदी कहा है ना , बस बाकी का काम तुम्हारी ये दीदी देख लेगी.....
कविता – (मुस्कुरा के) शुक्रिया दीदी , आइए आपको मेरी फैमिली से मिलवाती हूँ....
आकृति – अभी नहीं कविता अभी मुझे जल्दी जाना है कही , हम फिर जरूर मिलेगे तब , ok....
कविता – ठीक है दीदी....
बाय बोल के आकृति निकल गई वहां से , इधर कविता , अवनी , खुशी भी सबके पास आगए सबने लंच किया रेस्टोरेंट में उसके बाद शॉपिंग की फिर सब घर आगए , घर आके कुछ देर आराम करने के बाद शाम को सब चाय पी रहे थे तब....
कविता – (सुमन से) मा वो मैने भाई के लिए आज नया मोबाइल लिया है....
सुमन – हम्ममम तो देदो उसे....
कविता – वो नहीं लेगे जानती हो आप तो....
सुमन – बात तो सही है , अभी कहा है साहिल....
कविता – अपने कमरे में....
सुमन – और कमल कहा है....
कविता – वो और अवनी दोनों जोक की तरह चिपके बैठे बाहर गार्डन में....
कविता की बात सुन सुमन हंसने लगी....
कविता – आप हस क्यों रही हो....
सुमन – तूने अभी अवनी और कमल को जोक जो कहा ना इसीलिए....
कविता – और नहीं तो क्या कल से देख रही हूँ इन दोनों लैला मजनू को एक दूसरे से इशारों में बाते कर रहे है और आज थिएटर में मूवी नाम के लिए देख रहे थे बस एक दूसरे को देखने में लगे थे जैसे जन्मों के भूखे प्यासे हो मौका मिले तो एक दूसरे को खा जाए ऐसे देख रहे थे दोनों एक दूसरे को.....
कविता की बात सुन सुमन जोर से हंसने लगी पीछे से सुनीता और सुनैना भी जोर से हस्ते हुए कमरे में आ गई आते ही....
सुनीता – (कविता से) क्यों रि कविता क्यों मेरे बच्चे के बुराई कर रही है....
कविता – कमल बच्चा , इतना बड़ा सांड आपको कहा से बच्चा लगता है बुआ....
अचानक से चुप होके सुनीत को देखने लगती है गौर से तब.....
कविता – (सुनीत से) अपने कमल को बच्चा कहा , क्या मतलब इस बात का....
सुनीता – (हड़बड़ा के) नहीं कविता वो मै तो बस.....
कविता – बुआ सच सच बताओ बात क्या है....
सुनैना – (मुस्कुरा के) जो तू समझ रही है वही सच है कविता , कमल को गोद लिया है सुनीता ने आज से नहीं तब से जब साहिल को यहां से बाहर भेजा गया था , और ये सारा प्लान तेरी अमृता बुआ , सुनीता बुआ का था और इसमें इनका साथ तेरी दादी दे रही थी....
कविता – (मुस्कुरा के) लेकिन ये बात हमें क्यों नहीं बताई....
सुनीता – मना किया था मैने ही , सोचा कमल के जन्मदिन में सरप्राइज़ दूंगी सबको....
कविता – ये तो बहुत अच्छी बात है बुआ....
सुनीता – अच्छा ये सब छोड़ पहले ये बता क्यों बुराई हो रही थी कमल की....
कविता – वो बुआ आज मैने , अवनी , खुशी ने साहिल के लिए शौपिंग की है उनको देना है समान लेकिन हमारे हाथ से वो नहीं लेगे इसीलिए मैं मां से इस बारे में बात कर रही थी....
सुनैना – (मुस्कुरा के) एक काम कर कविता तू सारा समान मुझे देदे मै जाके साहिल को दे दूंगी , अभी तक साहिल से बात ही नहीं हुई मेरी अच्छे से , मै अभी जाके बात करती हूँ साहिल से....
कविता – आपसे नाराज तो नहीं होगे कही....
सुनैना – नाराज होगा तो बात करूंगी उससे , चल दे मुझे सारा सामान....
बोल के सुनैना , कविता से दो बैग लेके चली जाती है साहिल के कमरे में जहां साहिल बेड में बैठा अपनी किताबें देख रहा था तब....
सुनैना – (कमरे में आते हुए) मै अन्दर आजाऊं....
साहिल – (सुनैना को देख) आप , कोई काम था....
सुनैना – (मुस्कुरा के) हा काम तो है....
साहिल – बताए....
सुनैना – क्या बात है जब से आया है एक बार भी बात नहीं की मेरे से....
साहिल – ऐसी कोई बात नहीं है , बस किसी से ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं है मुझे....
सुनैना – (मुस्कुरा के) पसंद तो बनाने से बनती है साहिल , और तू कोई पराया थोड़ी है हमारा अपना है....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई पराया अपना बन जाए समझ में आता है , लेकिन जिसने खुद , अपनो ने पराया किया , वो अचानक से दोबारा उसे अपना कैसे बना सकता है....
सुनैना – (मुस्कुरा के) गुस्सा तो तेरी नाक में रहता है जैसा बचपन में था , मुझे आज भी याद है जब तू छोटा था बहुत नखरे करता था , दूध पीने में....
सुनैना की बात सुन साहिल एक तक उसे गौर से देखने लगा तब....
सुनैना – (मुस्कुरा के) यही सोच रहा है ना कि मै ये कैसी बात कर रही हूँ , जब तू दो साल का था साहिल तब की बात है ये , उस वक्त तू , सुमन , और तेरे पिता रनवीर गांव जा रहे थे तेरे नाना नानी के घर पर....
फिर सुनैना ने वही बात बताई साहिल को जो सुमन ने बताई थी सुनंदा को , के कैसे उसके घर वाले मारे गए कैसे रनवीर ने सबको मार दिया और कैसे सब यहां आए....
सुनैना – उसके बाद से सुमन दीदी जैसे गहरे सदमे में चली गई थी , उसे पता तक नहीं था कि घर में क्या हो रहा है उस वक्त मैं और लता ही थे जो तुझे संभालते थे , ऐसा नहीं था कि मै अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देती थी लेकिन उसके साथ तू भी बच्चा है हमारा कैसे भूल जाते तुझे , लेकिन उस हादसे के बाद जैस बहुत कुछ बदल गया था इस घर में , मुझे आज तक ये बात समझ नहीं आई कि क्यो हुआ ऐसा आखिर....
लेकिन एक रात किसी बात पर रनवीर बहुत गुस्सा था तब मै रसोई में थी जब मैने रनवीर की गुस्से वाली आवाज सुनी तो बाहर आई तब बाबू जी समझा रहे थे रनवीर को तब मैने सुना जो बाबू जी ने कहा तेरे जन्म के बाद पंडित जी से मिले थे रनवीर और सुमन तेरी कुंडली बनाने के लिए तब पंडित ने तेरी (साहिल) कुंडली देख के बोला था रनवीर से , की साहिल मनहूस है उसे दूर रखो सबसे वर्ना अनर्थ हो जाएगा लेकिन उल्टा रनवीर ने पंडित की गर्दन दबा दी ये तो अच्छा था कि सुमन ने उस वक्त रोका वर्ना रनवीर , पंडित को मार ही देता....
जब ये बात हम सबने सुनी बाबू जी से तब भी बाबू जी समझा रहे थे रनवीर को लेकिन रनवीर उस वक्त जैसे किसी की सुनने को राजी नहीं था , क्योंकि रनवीर उस हादसे के बात जैसे उस पंडित की बात को सच मान बैठा था और तब रनवीर हर बार सुमन को यही बात समझता था तेरे से दूर रहने की क्योंकि उस वक्त सुमन के पेट में कविता थी , कही तेरी वजह से फिर से वैसा कुछ ना हो इसी वजह से सुमन को लगने लगी थी रनवीर की बात सच....
इसीलिए वो तुझसे दूरी रखती थी ताकि कविता को नुकसान ना पहुंचे लेकिन वही मै , लता , तेरी दादी और दादा को इन बातों से कोई मतलब नहीं था , लेकिन जाने क्यों रीना दीदी भी रनवीर की तरह सच मान बैठी थी इस बात को उसके बाद से उनका रवैया भी तेरे प्रति सख्त हो गया था....
उसके बाद से रनवीर हर बात पर तुझे मारता पीटता और फिर वो दिन आया जिस दिन बाबू जी हम सबको छोड़ के चले गए , और रनवीर ने इल्जाम तेरे पे लगाया और हम चाह के भी कुछ ना कर पाए तब माजी ने जैसे अपना फैसला कर लिया था फिर माजी तुझे ले गई सबसे दूर और किसी को नहीं बताया तेरे बारे में....
बोल के चुप हो गई सुनैना कुछ देर बाद बोली....
सुनैना – साहिल मै मानती हूँ कि तेरे साथ जो हुआ बहुत गलत हुआ लेकिन इसमें दोष सिर्फ हालात के थे , भले तेरा जाना सही लगा हो कुछ को यहां से लेकिन सच ये भी है कि तुझे यहां लाने का फैसला सिर्फ दादी का नहीं हम सबका था....
रही तेरी नफरत की बात तो बस यही कहूंगी कि ये दुनिया प्यार के लिए बहुत छोटी है और नफरत के लिए बहुत बड़ी , और हा इन दोनों बैगों में तेरे लिए हम सबने कुछ ना कुछ तोहफा लिया है इसे मना मत करना इसमें सिर्फ प्यार है सबका , मतलब नहीं है किसी का भी....
बोल के सुनैना चली गई उसके जाते ही साहिल चुप चाप बैठा अपनी सोच में डूबा था तब....
सेमेंथा –(जो चुप चाप बैठी अब सुन रही थी साहिल को देख बोली) क्या सोच रहे हो साहिल....
साहिल – यही की किस तरह मै सबकी बातों के जाल में फंस जाऊ उसके लिए जाने कितनी कहानियां बना रहे है लोग....
सेमेंथा – तुम्हे ऐसा क्यों लगता है जो सुनैना ने तुमसे कहा वो कोई कहानी है....
साहिल – पता नहीं लेकिन मुझे यकीन नहीं है इनकी किसी भी बात पर , और तुम्हे क्या लगता है....
सेमेंथा – उन्होंने जो कहा सच कहा है साहिल क्योंकि यही सच सुमन ने भी कहा था , सुनंदा जी से....
साहिल – क्या पता पहले से कहानी बना के रखी हो दोनों ने....
सेमेंथा – नहीं साहिल ये सच है , जैसा सुमन ने कहा और सुनैना ने कहा वो बिल्कुल सच है....
साहिल – और तुम ऐसा कैसे बोल सकती हो....
सेमेंथा – क्योंकि मुझे पता चल जाता है कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ , लेकिन तुम्हारा दिल इस बात को मानने से राजी नहीं हो रहा है , है ना....
साहिल – हम्ममम खेर जो भी हो सेमेंथा , इनकी कही बात भले सच हो लेकिन मै करूंगा वही जो मै करने आया हूँ....
सेमेंथा – क्या करने आए हो तुम यहां....
साहिल – बदला लेने आया हूँ उस रनवीर से और ये बदला रनवीर को मार कर नहीं उसे उसका सब कुछ छीन के लूंगा मै तिल तिल कर तड़पाऊगा उसे और ऐसा जल्दी ही होगा , और तब उसकी आंखों के सामने उसके अपने उसे ठुकरा के मेरे साथ आ जाएंगे....
सेमेंथा – तुम्हे कैसे पता तुम्हारे दादा को मारा है रनवीर ने....
साहिल – (सेमेंथा को देख मुस्कुराते हुए) मैने तुमसे ये कब कहा कि रनवीर ने मारा है मेरे दादा को....
सेमेंथा – (हड़बड़ाते हुए) वो साहिल मै वो तो.....
साहिल – (मुस्कुरा के) अब बोल भी दो सेमेंथा , तुम्हे कैसे पता चला.....
सेमेंथा – तुम्हे याद है जब गांव में तुम रीना और उसकी बहन राधिका की पोल खोल रहे थे उसके बाद तुम्हे अटैक आया था और तुम बेहोश हो गए थे तब मैने तुम्हारे सिर में हाथ रख के देखने की कोशिश की थी और तभी मैने देखा उस हादसे को जब तुम्हारे दादा की मौत हुई थी तब मैने देखा तुम्हारे दादा को मारने वाले की शकल....
साहिल – मतलब रनवीर को यही न....
सेमेंथा – हा लेकिन तुम्हे कैसे पता चला इस बारे में तुम्हे तो सिर्फ़ काला साया दिखता था न सपने में....
साहिल – दो साल पहले की बात है तब मैं पिकनिक पे गया था स्कूल की तरफ से तब (पिकनिक पे कविता , अवनी , खुशी ने अपने दोस्त के साथ मिल के जो किया सब बता के) उसके बाद मुझे कमल कमरे में ला रहा था तभी मुझे अटैक आया और उसके बाद भी कई बार आया अटैक मुझे क्योंकि कविता , अवनी , खुशी ने जो किया उसके बाद जब भी उन्हे देखता था गुस्सा पर काबू नहीं पा पाता था और अटैक आ जाता था....
इसीलिए पिकनिक के वक्त कमल ने मुझे कही नहीं जाने दिया और ना खुद कही गया और जब वापसी का वक्त आया तब भी मेरा ध्यान किसी पर ना जाए तो कमल मुझे चुपके से बस में लाया और हम निकल गए जब हॉस्टल में आए तो एक दिन कमल ने बताया मुझे ध्यान (Meditation) लगाने वाली बात जिससे मैं गुस्से में काबू पा सकू लेकिन मैं समझ नहीं पाता था कैसे करना है ये तब....
कमल मुझे सिखाता गया साथ में खुद भी करता रहा दो से तीन महीने में मै सिख गया ध्यान लगाना , फिर एक दिन में ध्यान में बैठा था उसी वक्त मुझे अटैक आया जैसा कि हर महीने होता था लेकिन उस वक्त अटैक में जैसे कुछ अलग हुआ मेरे साथ , उस वक्त मैं सपने मे मैं खुद को देखा साथ मे दादा को और साथ में देखा मैने उस काले साए को लेकिन मुझे एक पल के लिए कला साया दिखा था...
उसके बाद उसकी शकल दिखी तब अपने सामने मै रनवीर को देख रहा था , जिसने मेरे दादा जी को मारा और बंदूक मेरे हाथ में थमा दी जिससे सभीं को यही लगने लगा कि मैने मारा है अपने दादा जी को....
बोल के साहिल चुप हो गया कुछ देर तक फिर....
साहिल – और जानती हो वहां पर मैने अपनी दादी को भी देखा था , जिसने दादा जी को मरते देखा , ये देख दादी बिल्कुल बुत जैसी बन गई थी , तब मै समझ गया कि क्यो दादी मेरा साथ दे रही है इतने सालों से , क्योंकि वो सच जानती है , और उस वक्त अगर दादी घर में किसी को बता दे तो भी उनपर शायद ही कोई यकीन करे , और करेगा कैसे कोई यकीन....
इस बात पर कि एक बेटे ने ही अपने बाप को मारा है , कुछ देर बाद ध्यान से जगने के बाद मैंने कमल को सब बता दिया उसे भी यकीन हो गया तब मैने भी सोच लिया था कि बदला लेके रहूंगा मैं रनवीर से लेकिन कैसे कुछ समझ नहीं आ रहा था मुझे , दिन से महीना और महीने से पूरा साल निकल गया , मै कक्षा बारह में आगया था फिर गर्मी की छुट्टी हो गई , हर साल की तरह दादी हर बार आती थी मिलने लेकिन गर्मी की छुट्टी में दादी हमारे साथ रहती थी पूरा महीना भर उस बार भी वैसा ही हुआ तब , दादी के साथ मै और कमल घूमने जाते थे शहर में ही घूमते समय , दादी के पास फोन आया रनवीर का...
(क्योंकि दादी ने बातों बातों में बताया था , घर में रनवीर ने हर साल इंडिया के बाहर घूमने का नियम बनाया है ताकि बच्चों समेत पूरा परिवार हर साल साथ में घूमे , इसके लिए रनवीर हर साल सुमन और कविता से पूछ के ही चुनता है विदेश के शहर को घूमने के लिए फिर)....
रनवीर और सुमन बाकी के परिवार के साथ घूमने गए है इंडिया के बाहर , हर बार की तरह तब फोन पर जिसमें रनवीर , कविता और सुमन ने बात की ये बताने के लिए वो दादी के लिए तोहफा लेके आ रहे है , जो इनका हर बार का था , कुछ देर बात करने के बाद फोन काट दिया तब दादी बताने लगी हर साल जाते है सब मस्ती करते है आते वक्त मेरे लिए कुछ न कुछ लेके आते है , दादी की बात सुनने के बाद मुझे उस वक्त लगा रनवीर की असली कमजोरी कविता और सुमन है , कुछ समय बाद दादी चली गई वापस तब....
एक दिन मैने कमल से बात की इस बारे में तब हमने सोच लिया कि अब रनवीर की इस कमजोरी का ऐसा फायदा उठायेगे और उसको उसकी कमजोरी से दूर ही नहीं करेंगे बल्कि उसके खिलाफ करेंगे कुछ इस तरह की रनवीर ना जी सके ना मर सके , क्योंकि ये बात पक्की थी कि ये मेरा आखिरी साल है स्कूल में इसके बाद दादी जरूर मुझे घर में बुलाएगी आगे की पढ़ाई के लिए , और बस मुझे इंतजार था तो उस दिन का जिस दिन दादी मुझे आगे की पढ़ाई के लिए अपने घर में आने की बात कहे , और फिर मेरे इंतजार की घड़ी खत्म हुई तब जब गांव में दादी ने मुझे घर में रह के आगे की पढ़ाई के लिए कहा इसीलिए मैं तुरंत मान गया बात दादी की , बाकी का काम मेरी अटैक वाली कमजोरी ने कर दिया उसी वक्त जिससे मेरे काम और आसान हो गया.....
बोल के साहिल चुप हो गया तब....
सेमेंथा – अब आगे क्या सोचा है तुमने....
साहिल – मेरी पहली शुरुवात कल से होगी मेरी प्यारी बड़ी मां रीना से , कल उनके रेस्टोरेंट में नौकरी लेके करने वाला हूँ मै....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) तुम नौकरी करोगे उनके रेस्टोरेंट में....
साहिल – (मुस्कुरा के) क्यों नहीं कर सकता हूँ क्या....
सेमेंथा – बस ऐसे ही पूछा....
बोल के दोनों मुस्कुराने लगे....
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जारी रहेगा![]()
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UPDATE me like km aaye yaa Jyada lekin UPDATE aata rahega
Nice updateUPDATE 28
सुबह सुबह नाश्ते की टेबल पर सब बैठे नाश्ता कर रहे थे....
रीना – (सरला से) माजी कल रिकी को डॉक्टर के पास लेके जाना है चेकअप के लिए....
सरला – लेकिन डॉक्टर ने अगले महीने के लिए बोला था....
राजेश – मा वो कल डॉक्टर का फोन आया था अमेरिका से डॉक्टर जो रिकी का ऑपरेशन करने वाले थे उन्होंने बताया है कि अगले महीने मुश्किल है उनका इसीलिए वो कल ही रिकी का चेकअप करेंगे और कल ऑपरेशन....
ऑपरेश की बात सुन जहा सरला का चेहरा उतर गया वही बाकी के लोगों का जैसे नाश्ता करना रुक गया तब....
सरला – (सबसे) सब नाश्ता करो अपना (रीना से) ठीक है तुम तैयारी करो मै भी कल चलूंगी साथ में , और जरा जल्दी करो आज घर में पूजा रखी है पंडित जी आते होगे थोड़ी देर में....
साहिल – दादी पूजा अभी रहने देते है....
दादी – क्यों बेटा मैने कहा था ना , तुझे सिर्फ बैठने है बस....
साहिल – मेरा वो मतलब नहीं था दादी , मै बस इसीलिए बोल रहा था कि रिकी हॉस्पिटल से होके आ जाए फिर पूजा रखना आप , और प्लीज़ दादी अब आप मना मत करना....
दादी – (मुस्कुरा के) ठीक है , मै पंडित जी को बोल दूंगी , अब खुश है तू....
साहिल – बिल्कुल मेरी प्यारी दादी....
साहिल की बात से सबके चेहरे में मुस्कान आ गई जबकि रीना , साहिल की बात सुन उसकी आंख में हल्की नमी आ गई जिसे सबसे छुपा लिया उसने , कुछ समय सबका नाश्ता होने के बाद तब....
रिकी – (साहिल से) भईया अब कुछ दिन आपको हॉस्पिटल में आना होगा फिर मै आपके साथ वही पर गेम खेलूंगा....
साहिल – अरे यार कल से तो मेरा कॉलेज शुरू हो रहा है फिर कैसे आऊंगा मै आपके पास....
रिकी – तो क्या हुआ आप कॉलेज के बाद आजाना हॉस्पिटल तब खेलेंगे हम साथ में....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा , अब देखो आप मै ऐसा जादू करूंगा आपके ऊपर आप तुरन्त जाओगे हॉस्पिटल और तुरन्त आजाओगे घर में फिर हम साथ में खेलेंगे गेम....
बात सुन रिकी मुस्कुराने लगा जिसे देख साहिल ने मुस्कुराते हुए रिकी को गले लगा लिया....
साहिल – तुम बिल्कुल ठीक हो रिकी तुम्हे अब से कोई दर्द नहीं होगा खेलने में , ये मेरा वादा है तुमसे....
जहां रिकी मुस्कुरा रहा था वही रीना और राजेश आंख में आंसू के साथ मुस्करा रहे थे साथ में बाकी के घर वाले भी तब....
कमल – (साहिल से) चल फिर आज कही घूम के आते है हम , क्या बोलता है तू....
साहिल – मैने कब मना किया , दादी से पूछ लेता हु मै....
साहिल – (दादी से) दादी मै और कमल आज घूम आए कही कल से तो कॉलेज शुरू हो रहा है अपना....
दादी – इसमें पूछना क्या है बेटा जब जा रहा है घूमने एक काम कर सभी बच्चों को साथ लेजा , तू नया है शहर में ये तुझे शहर घूमा देगे अपने साथ....
बेचारा मारता क्या ना करता साहिल को माननी पड़ी अपनी दादी की बात बेमन से....
साहिल – (सुनंदा को देख के) आप भी चलो हमारे साथ घूमने आप भी नए हो शहर में , आप भी देख लेना शहर को....
सुनंदा – क्यों न सभी लोग चले शहर घूमने आज तो संडे है काम भी नहीं होता होगा हर किसी को....
राजेश – बात तो सही है सुनंद जी की , सब लोग एक साथ घूम आओ आज वैसे भी कभी कभी तो मौका मिलता है....
दादी – मै तो नहीं चल पाओगी ज्यादा मेरे पैर में दर्द होने लगता है , हा तुम सब घूम आओ (राजेश से) राजेश वकील से बात हुई तुम्हारी....
राजेश – हा मा बात हुई है मेरी वो आज आपसे मिलने आएगा शाम को....
दादी – ठीक है (साहिल और कमल से) तुम दोनों अपने डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी कर के देदेना मुझे अभी जरूरी काम है....
कमल – हमारे डॉक्यूमेंट किस लिए दादी....
दादी – बेटा घर में अचार खत्म हो गया है तुम दोनों के डॉक्यूमेंट का अचार बना के खिलाऊंगी रात में तुमको , और कुछ जानना है....
दादी की बात से सब हंसने लगे साथ में कमल और साहिल भी थोड़ी देर बाद हर कोई तैयार हो रहा था अपने कमरे में....
कविता – (अवनी से) आज सब साथ में घूमने चल रहे है , क्या तुझे पता है कमल को क्या पसंद है....
अवनी – क्यों पूछ रही है ऐसा....
कविता – क्योंकि कमल और साहिल रहे है काफी वक्त एक साथ तो जो कमल को पसंद होगा वहीं साहिल को भी....
खुशी – हा यार इस बहाने साहिल से बात करने का मौका मिल जाएगा हमें....
अवनी – मेरी बात चित हुई जरूर है कमल से लेकिन उसकी पसंद मैंने पूछी नहीं अभी तक....
कविता – (मू बना के) कोई काम ढंग से किया है तूने कभी....
अवनी – सॉरी यार मै सच में भूल गई थी , चल मै अभी पूछ लेती हु कमल से....
खुशी – हा साहिल के सामने जाके पूछ ले ताकि उन्हें भी समझ आ जाए....
कविता – पागल मत बन तू साहिल के समने पूछने का मतलब जानती है ना फिर उन्हे लगेगा कि हम उन्हें परेशान करने की तैयारी कर रहे है....
अवनी – बेवकूफ नहीं हूँ यार मै अकेले में पूछ लूंगी कमल से....
खुशी – हा ये सही रहेगा और गलती मत करना तू कोई भी....
अवनी – हा ना यार (कविता से) वैसे तूने क्या सोचा है क्या लेगी साहिल के लिए....
कविता – मै नया मोबाइल लेने की सोच रही हूँ , उनको देने के लिए....
खुशी – अरे यार ये तो मैने सोचा हुआ था साहिल के लिए....
कविता – अब तू कुछ और सोच मै तो नया फोन ही लूंगी....
खुशी – ठीक है मै लैपटॉप लेलूगी उनके लिए (अवनी से) तूने कुछ सोचा है....
अवनी – मै उनके लिए नए कपड़े लूंगी....
इस तरफ इनकी अलग प्लानिंग थी साहिल के लिए दूसरी तरफ....
सुनीता – (सुमन से) अब साहिल से बात होती है तेरी....
सुमन – अभी नहीं दीदी अभी भी वो वैसे ही बात करता है....
सुनीता – कोई बात नहीं सुमन दीदी थोड़ा वक्त तो लगेगा लेकिन अच्छी बात ये है कि साथ में है अब वो....
सुमन – आज भी उसे ये सिर्फ दिखावा लगता है , उसे लगता है कभी ना कभी किसी कारण घर से निकाल देगे सब लोग उसे....
सुनीता – चिन्ता मत करो दीदी धीरे धीरे उसे समझ आने लगेगा प्यार सबका , देखा नहीं आपने जब मा ने पूजा की बात कही तो साहिल ने कैसे बोल दिया जब रिकी आएगा हॉस्पिटल से तब पूजा करने के लिए , प्यार साहिल के दिल में है बस समझ जाएगा थोड़ वक्त दो उसे , वैसे भी अब कमल भी है न साथ हमारे वो सम्भाल लेगा साहिल को और कोई एसी बात हुई तो बता देगा हमें....
सुमन – हा तुम सही कह रही हो सुनैना देखा मैने साहिल को किस तरह से रिकी के लिए बोल रहा था , सिर्फ प्यार नजर आरहा था उसमें , लेकिन एक बात बताओ तुम कमल के साथ यहां आई तो साहिल को शक नहीं हुआ कुछ....
सुनीता – (हस्ते हुए) नहीं दीदी कमल ने पहले ही बता दिया था साहिल को ये बात , इतनी बड़ी खुशी छुपाए कहा छुपती कमल से....
सुमन – हम्ममम कमल बहुत खुश नसीब है जिसे तुम्हारे जैसी मां और साहिल जैसा साथी मिला....
सुनीता – चिन्ता मत करो दीदी देखना जल्द ही साहिल समझेगा सबके प्यार को....
दूसरी तरफ कमरे में....
साहिल – तुझे भी घूमने की बात बोलनी थी वो भी सबके सामने अबे अकेले में बोलता मुझे साला मेरा भी दिमाग घास चरने गया था जो सबके समाने दादी से पूछा मैने....
कमल – चिंता क्यों करता है बे घूमने जा रहे है हम जंग लड़ने नहीं....
साहिल – अबे यहां जहर खाने को पैसे नहीं है उनके साथ घूमने का मतलब समझता है....
कमल – क्या मतलब है बे....
साहिल – मतलब ये कि मेरे पास जायद पैसे नहीं है समझा और घूमते वक्त उनलोगों ने पैसे खर्च किए तो कल कॉलेज में पक्का पोस्टमार्टम करने की तैयारी हो जाएगी अपनी....
कमल – क्या बे तू भी ना कितने पैसै चाहिए तुझे....
साहिल – साले बोल तो ऐसे रहा है जैसे कुबेर का खजाना रखा हो तेरे पास....
कमल – (मुस्कुरा के) वो तो है ना बे ये देख (हाथ में मोबाइल दिखाते हुए) ये है पैसे....
साहिल – अबे ये नया मोबाइल कहा से ले लिया बे और इसमें पैसे कहा से....
कमल – बैंक अकाउंट पहले से था बाकी पैसे मा ने डाल दिए....
साहिल – तेरा मतलब सुनीता बुआ ने , कितने पैसे डाले है....
कमल – पूरे पचास लाख है बे साथ मोबाइल में PTM अब ज्यादा सोच मत समझा....
साहिल – क्यों इसका हिसाब नहीं लेगा कोई तेरे से....
कमल – नहीं लेगे , अब चल चलते है घूमने....
साहिल – कमीना है बे तू.....
थोड़ी देर में सब निकल गए घूमने के लिए रस्ते में....
सुनैना – तो कहा घूमने चलना है ये तो बताओ....
शबनम – पहले चल के मूवी देखते है....
पायल – हा यार बहुत दिन हो गए मूवी देखे....
अवनी – तो मॉल में चलते है यार मूवी भी देख लेगे साथ में खाना पीना और शॉपिंग भी कर लेगे....
सुनीता – बात तो ठीक है लेकिन महारानियो तुम्हे किस बात की शॉपिंग करनी है अब....
कविता – (साहिल की तरफ धीर से इशार कर सुनीता से) ज्यादा नहीं बुआ थोड़ी सी करेंगे....
सुनीता – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है (साहिल से) तुम क्या लोगे अपने लिए साहिल....
इस तरफ साहिल का पूरा ध्यान सड़क पे था जहां वो शहर की बड़ी बड़ी खूबसूरत बिल्डिंग और मार्केट देख रहा था , साहिल को कुछ ना बोलता देख....
सुनीता – (साहिल के कंधे पे हाथ रख) क्या हुआ साहिल क्या देख रहे हो....
साहिल – (सुनीता को देख हल्का मुस्कुरा के) बहुत खूबसूरत शहर है बुआ एक से एक ऊंची इमारतें , सुंदर मार्केट बनी हुई है यहां पर , इतना तो मैने **** शहर में भी नहीं दिखा मुझे कभी....
सुनीता – (मुस्कुरा के) ये मुम्बई शहर है साहिल आज से नहीं ये शुरू से ही खूबसूरत शहर रहा है....
साहिल – हम्ममम यहां हर चीज बहुत दूर दूर बनी हुई है बुआ , नए लोगों को घूमने का मजा ही आ जाता होगा यहां , है ना बुआ....
सुनीता – बिल्कुल , अच्छा तुम बताओ क्या शॉपिंग करोगे तुम.....
साहिल – (मुस्कुरा के) मेरी जरूरत कुछ खास नहीं है बुआ , जो भी है मेरे पास वही बहुत है मेरे लिए....
पायल – तब तो आज की आपकी शॉपिंग हम करेंगे और आप मना नहीं करोगे....
साहिल – फिलहाल तो घूमूंगा बस शॉपिंग की जरूरत नहीं मुझे , सब कुछ तो है मेरे पास....
शबनम – ठीक है साहिल भाई जैसी आपकी मर्जी लेकिन हमारी मर्जी हम जो चाहे वो खरीदेगे और आप बस कुछ नहीं बोलोगे , ये फाइनल है बस....
इन बातों के आगे कुछ ना बोल साहिल हल्का मुस्कुरा के खिड़की के बाहर देखने लगा....
कुछ देर बाद मॉल में आते ही मूवी की टिकट लेने लगे थे तब....
सुमन – (कविता , खुशी , अवनी से) नॉर्मल मूवी की टिकट लेना मार धार गोली चलाने वाली मत लेना पता है ना साहिल भी साथ है....
कविता – हा मा मुझे याद है....
इस तरफ सब मूवी देखने जाते है जहा कमल और अवनी एक साथ बैठ जाते है वहीं साहिल के दोनों तरफ सुमन और कविता बैठ जाते है मूवी शुरू होती है थोड़ी देर में हमारे साहिल बाबू चले जाते है नींद की वादियों में उसे पता ही नहीं चलता नींद में अपना सिर सुमन के कंधे पर रख देता है , ये बात सुमन समझ जाती है साथ में कविता भी की साहिल को शायद बोरियत लग रही होगी मूवी तभी वो सो गया ये देख दोनों हल्का मुस्कुराते है , वही सुमन अपने एक हाथ से हल्का हल्का साहिल के सिर को सहलाती है , कुछ समय बाद इंटरवल होता है जब लाइट शुरू होती है हाल की सब एक दूसरे से खाने के लिए पूछते है लेकिन तभी कविता सबको चुप रहने का इशारा कर , सोते हुए साहिल की तरफ इशारा करती है तब....
कमल – (सबसे धीरे से) साहिल सिर्फ गाने सुनने का शौकिन है हमने मूवी कभी देखी नहीं है इसीलिए....
खेर थोड़ी देर बाद इंटरवल खत्म होता है मूवी शुरू हो जाती है जहा साहिल बाबू सो रहे थे वही कमल और अवनी का ध्यान मूवी से ज्यादा सिर्फ अपनी बातों में था , मूवी खत्म होने के बाद सब उठने लगते है तब....
सुमन – (साहिल को धीरे से जगाते हुए) उठो साहिल....
साहिल – (नींद में) हम्ममम बस थोड़ी देर रुको उठता हूँ....
बोल के नींद में चला गया , वही ये देख सब हस रहे थे तब....
कमल – (साहिल को हिलाते हुए) उठ जा कुंभकरण मूवी कब की खत्म हो गई लेकिन तेरी नींद अभी तक पूरी नहीं हुई है क्या , उठ जल्दी वर्ना पानी डाल दूंगा....
साहिल – (नींद से जागते हुए चौक के) क्या मूवी खत्म होगई इतनी जल्दी.....
कमल – हा बे चल उठ बाकी की मूवी घर में देखना....
बोल के कमल हसने लगा साथ में सब....
साहिल – हा हा उठ गया चल....
बोल के थिएटर से निकलने लगते है सब रस्ते में....
कमल – (साहिल को चिढ़ाते हुए) साला लोग थिएटर में मूवी देखन आते है और तू सोने , वाह बेटा वाह गजब का अजूबा है तू यार....
साहिल – हा हा उड़ा ले मजाक , बोल तो ऐसे रहा है जैसे रोज मूवी देखता हु मै....
बाहर आते ही सब माल में बने रेस्टोरेंट में चले गए जहां कविता , अवनी , खुशी , पायल और शबनम खाने का ऑर्डर देने जाते हैं वहीं कमल , साहिल और बाकी के सब वॉशरूम जाते है तब....
रितिका – हेय कविता....
कविता – (पलट के लड़की को देख के) रितिका तुम....
नीति – अरे कविता क्या बात है दो साल बाद मिल रही हो , यार तुम तो जैसे भूल ही गई हमको....
रितिका – और तूने स्कूल क्यों छोड़ दिया था यार....
कविता – मन नहीं लग रहा था मेरा इसीलिए....
रतन – क्या यार कविता दो साल बाद मिल रही हो, अभी तक नाराज हो क्या....
कविता – देखो रतन मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है किसी से.....
रतन – चलो अच्छा है तुम्हे मेरा नाम तो याद है...
राजू – प्लीज़ यार कविता छोड़ो उन बातों को यार , इतने वक्त बाद मिली हो तुम सबसे....
रितिका – हा यार कविता , प्लीज़ मिट्टी डाल उन बातों पर हम फिर से पहले जैसे दोस्त बन जाते है....
अवनी – देखो रितिका , नीति , रतन , राजू हम यहां फैमिली के साथ घूमने आए है इसीलिए प्लीज़ हमारा रस्ता छोड़ो....
राजू – (कविता का हाथ पकड़ के) प्लीज़ कविता माफ कर दे यार हम सब तो बचपन के दोस्त है यार....
कविता – (गुस्से में) मेरा हाथ छोड़ो राजू....
राजू – (हाथ छोड़ के) माफ करना कविता वो....
इससे पहले राजू कुछ आगे बोलता तभी...
एक लड़की जींस टीशर्ट चेहरे में कला चश्मा लगा के उनके सामने आके बोलती है....
लड़की – (बीच में आके) एक बार लड़की बात करने को मना का रही है तो क्यों जबरदस्ती उससे बात करने में लगा है , जवानी जायद जोश मार रही है क्या तेरे अन्दर....
रतन – (लड़की को देख के) कौन हो तुम और हमारे बीच में क्यों आ रही हो , ये हम दोनों दोस्त की बात है आपको बीच में आने की जरूरत नहीं है ओके , अपना काम करिए....
लड़की – (मुस्कुरा के) मै अपना ही काम कर रही हूँ मिस्टर (अपनी ID दिखा का) अब जान गए कौन हूँ मै , चुप चाप निकल यहां से वर्ना तू समझदार है....
राजू – (लड़की के हाथ में पुलिस की ID देख के) I M SORRY मिस मै सिर्फ़ बात कर रहा था और कुछ नहीं....
लड़की – हा देखा मैने सब , और कुछ बोलना है तुझे....
रतन – (डरते हुए) नहीं मिस हम चलते है...
बोल के दोनों लड़के और अपनी दोनों बहन के साथ वहां से निकल गए , उनके जाने के बाद....
लड़की – (पलट के कविता से) तुम ठीक हो ना....
कविता – जी , और थैंक यूं दीदी , वैसे आपका नाम क्या है....
लड़की – मेरा नाम आकृति दबे है , I M A COP....
कविता – (मुस्कुरा के) दीदी मेरा नाम कविता है (अवनी और खुशी की तरफ इशारा करके) ये मेरी बहन है , अवनी और खुशी....
आकृति – (मुस्कुरा के दोनों से) हैलो (कविता से) अब से एक बात ध्यान रखना कविता ऐसे लोग अगर बत्तीमीजी करे तो पहले एक उल्टे हाथ का गाल पर देना (अपना कार्ड देके) उसके बाद मुझे मेरे नंबर पे कॉल करना , तुमने मुझे दीदी कहा है ना , बस बाकी का काम तुम्हारी ये दीदी देख लेगी.....
कविता – (मुस्कुरा के) शुक्रिया दीदी , आइए आपको मेरी फैमिली से मिलवाती हूँ....
आकृति – अभी नहीं कविता अभी मुझे जल्दी जाना है कही , हम फिर जरूर मिलेगे तब , ok....
कविता – ठीक है दीदी....
बाय बोल के आकृति निकल गई वहां से , इधर कविता , अवनी , खुशी भी सबके पास आगए सबने लंच किया रेस्टोरेंट में उसके बाद शॉपिंग की फिर सब घर आगए , घर आके कुछ देर आराम करने के बाद शाम को सब चाय पी रहे थे तब....
कविता – (सुमन से) मा वो मैने भाई के लिए आज नया मोबाइल लिया है....
सुमन – हम्ममम तो देदो उसे....
कविता – वो नहीं लेगे जानती हो आप तो....
सुमन – बात तो सही है , अभी कहा है साहिल....
कविता – अपने कमरे में....
सुमन – और कमल कहा है....
कविता – वो और अवनी दोनों जोक की तरह चिपके बैठे बाहर गार्डन में....
कविता की बात सुन सुमन हंसने लगी....
कविता – आप हस क्यों रही हो....
सुमन – तूने अभी अवनी और कमल को जोक जो कहा ना इसीलिए....
कविता – और नहीं तो क्या कल से देख रही हूँ इन दोनों लैला मजनू को एक दूसरे से इशारों में बाते कर रहे है और आज थिएटर में मूवी नाम के लिए देख रहे थे बस एक दूसरे को देखने में लगे थे जैसे जन्मों के भूखे प्यासे हो मौका मिले तो एक दूसरे को खा जाए ऐसे देख रहे थे दोनों एक दूसरे को.....
कविता की बात सुन सुमन जोर से हंसने लगी पीछे से सुनीता और सुनैना भी जोर से हस्ते हुए कमरे में आ गई आते ही....
सुनीता – (कविता से) क्यों रि कविता क्यों मेरे बच्चे के बुराई कर रही है....
कविता – कमल बच्चा , इतना बड़ा सांड आपको कहा से बच्चा लगता है बुआ....
अचानक से चुप होके सुनीत को देखने लगती है गौर से तब.....
कविता – (सुनीत से) अपने कमल को बच्चा कहा , क्या मतलब इस बात का....
सुनीता – (हड़बड़ा के) नहीं कविता वो मै तो बस.....
कविता – बुआ सच सच बताओ बात क्या है....
सुनैना – (मुस्कुरा के) जो तू समझ रही है वही सच है कविता , कमल को गोद लिया है सुनीता ने आज से नहीं तब से जब साहिल को यहां से बाहर भेजा गया था , और ये सारा प्लान तेरी अमृता बुआ , सुनीता बुआ का था और इसमें इनका साथ तेरी दादी दे रही थी....
कविता – (मुस्कुरा के) लेकिन ये बात हमें क्यों नहीं बताई....
सुनीता – मना किया था मैने ही , सोचा कमल के जन्मदिन में सरप्राइज़ दूंगी सबको....
कविता – ये तो बहुत अच्छी बात है बुआ....
सुनीता – अच्छा ये सब छोड़ पहले ये बता क्यों बुराई हो रही थी कमल की....
कविता – वो बुआ आज मैने , अवनी , खुशी ने साहिल के लिए शौपिंग की है उनको देना है समान लेकिन हमारे हाथ से वो नहीं लेगे इसीलिए मैं मां से इस बारे में बात कर रही थी....
सुनैना – (मुस्कुरा के) एक काम कर कविता तू सारा समान मुझे देदे मै जाके साहिल को दे दूंगी , अभी तक साहिल से बात ही नहीं हुई मेरी अच्छे से , मै अभी जाके बात करती हूँ साहिल से....
कविता – आपसे नाराज तो नहीं होगे कही....
सुनैना – नाराज होगा तो बात करूंगी उससे , चल दे मुझे सारा सामान....
बोल के सुनैना , कविता से दो बैग लेके चली जाती है साहिल के कमरे में जहां साहिल बेड में बैठा अपनी किताबें देख रहा था तब....
सुनैना – (कमरे में आते हुए) मै अन्दर आजाऊं....
साहिल – (सुनैना को देख) आप , कोई काम था....
सुनैना – (मुस्कुरा के) हा काम तो है....
साहिल – बताए....
सुनैना – क्या बात है जब से आया है एक बार भी बात नहीं की मेरे से....
साहिल – ऐसी कोई बात नहीं है , बस किसी से ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं है मुझे....
सुनैना – (मुस्कुरा के) पसंद तो बनाने से बनती है साहिल , और तू कोई पराया थोड़ी है हमारा अपना है....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई पराया अपना बन जाए समझ में आता है , लेकिन जिसने खुद , अपनो ने पराया किया , वो अचानक से दोबारा उसे अपना कैसे बना सकता है....
सुनैना – (मुस्कुरा के) गुस्सा तो तेरी नाक में रहता है जैसा बचपन में था , मुझे आज भी याद है जब तू छोटा था बहुत नखरे करता था , दूध पीने में....
सुनैना की बात सुन साहिल एक तक उसे गौर से देखने लगा तब....
सुनैना – (मुस्कुरा के) यही सोच रहा है ना कि मै ये कैसी बात कर रही हूँ , जब तू दो साल का था साहिल तब की बात है ये , उस वक्त तू , सुमन , और तेरे पिता रनवीर गांव जा रहे थे तेरे नाना नानी के घर पर....
फिर सुनैना ने वही बात बताई साहिल को जो सुमन ने बताई थी सुनंदा को , के कैसे उसके घर वाले मारे गए कैसे रनवीर ने सबको मार दिया और कैसे सब यहां आए....
सुनैना – उसके बाद से सुमन दीदी जैसे गहरे सदमे में चली गई थी , उसे पता तक नहीं था कि घर में क्या हो रहा है उस वक्त मैं और लता ही थे जो तुझे संभालते थे , ऐसा नहीं था कि मै अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देती थी लेकिन उसके साथ तू भी बच्चा है हमारा कैसे भूल जाते तुझे , लेकिन उस हादसे के बाद जैस बहुत कुछ बदल गया था इस घर में , मुझे आज तक ये बात समझ नहीं आई कि क्यो हुआ ऐसा आखिर....
लेकिन एक रात किसी बात पर रनवीर बहुत गुस्सा था तब मै रसोई में थी जब मैने रनवीर की गुस्से वाली आवाज सुनी तो बाहर आई तब बाबू जी समझा रहे थे रनवीर को तब मैने सुना जो बाबू जी ने कहा तेरे जन्म के बाद पंडित जी से मिले थे रनवीर और सुमन तेरी कुंडली बनाने के लिए तब पंडित ने तेरी (साहिल) कुंडली देख के बोला था रनवीर से , की साहिल मनहूस है उसे दूर रखो सबसे वर्ना अनर्थ हो जाएगा लेकिन उल्टा रनवीर ने पंडित की गर्दन दबा दी ये तो अच्छा था कि सुमन ने उस वक्त रोका वर्ना रनवीर , पंडित को मार ही देता....
जब ये बात हम सबने सुनी बाबू जी से तब भी बाबू जी समझा रहे थे रनवीर को लेकिन रनवीर उस वक्त जैसे किसी की सुनने को राजी नहीं था , क्योंकि रनवीर उस हादसे के बात जैसे उस पंडित की बात को सच मान बैठा था और तब रनवीर हर बार सुमन को यही बात समझता था तेरे से दूर रहने की क्योंकि उस वक्त सुमन के पेट में कविता थी , कही तेरी वजह से फिर से वैसा कुछ ना हो इसी वजह से सुमन को लगने लगी थी रनवीर की बात सच....
इसीलिए वो तुझसे दूरी रखती थी ताकि कविता को नुकसान ना पहुंचे लेकिन वही मै , लता , तेरी दादी और दादा को इन बातों से कोई मतलब नहीं था , लेकिन जाने क्यों रीना दीदी भी रनवीर की तरह सच मान बैठी थी इस बात को उसके बाद से उनका रवैया भी तेरे प्रति सख्त हो गया था....
उसके बाद से रनवीर हर बात पर तुझे मारता पीटता और फिर वो दिन आया जिस दिन बाबू जी हम सबको छोड़ के चले गए , और रनवीर ने इल्जाम तेरे पे लगाया और हम चाह के भी कुछ ना कर पाए तब माजी ने जैसे अपना फैसला कर लिया था फिर माजी तुझे ले गई सबसे दूर और किसी को नहीं बताया तेरे बारे में....
बोल के चुप हो गई सुनैना कुछ देर बाद बोली....
सुनैना – साहिल मै मानती हूँ कि तेरे साथ जो हुआ बहुत गलत हुआ लेकिन इसमें दोष सिर्फ हालात के थे , भले तेरा जाना सही लगा हो कुछ को यहां से लेकिन सच ये भी है कि तुझे यहां लाने का फैसला सिर्फ दादी का नहीं हम सबका था....
रही तेरी नफरत की बात तो बस यही कहूंगी कि ये दुनिया प्यार के लिए बहुत छोटी है और नफरत के लिए बहुत बड़ी , और हा इन दोनों बैगों में तेरे लिए हम सबने कुछ ना कुछ तोहफा लिया है इसे मना मत करना इसमें सिर्फ प्यार है सबका , मतलब नहीं है किसी का भी....
बोल के सुनैना चली गई उसके जाते ही साहिल चुप चाप बैठा अपनी सोच में डूबा था तब....
सेमेंथा –(जो चुप चाप बैठी अब सुन रही थी साहिल को देख बोली) क्या सोच रहे हो साहिल....
साहिल – यही की किस तरह मै सबकी बातों के जाल में फंस जाऊ उसके लिए जाने कितनी कहानियां बना रहे है लोग....
सेमेंथा – तुम्हे ऐसा क्यों लगता है जो सुनैना ने तुमसे कहा वो कोई कहानी है....
साहिल – पता नहीं लेकिन मुझे यकीन नहीं है इनकी किसी भी बात पर , और तुम्हे क्या लगता है....
सेमेंथा – उन्होंने जो कहा सच कहा है साहिल क्योंकि यही सच सुमन ने भी कहा था , सुनंदा जी से....
साहिल – क्या पता पहले से कहानी बना के रखी हो दोनों ने....
सेमेंथा – नहीं साहिल ये सच है , जैसा सुमन ने कहा और सुनैना ने कहा वो बिल्कुल सच है....
साहिल – और तुम ऐसा कैसे बोल सकती हो....
सेमेंथा – क्योंकि मुझे पता चल जाता है कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ , लेकिन तुम्हारा दिल इस बात को मानने से राजी नहीं हो रहा है , है ना....
साहिल – हम्ममम खेर जो भी हो सेमेंथा , इनकी कही बात भले सच हो लेकिन मै करूंगा वही जो मै करने आया हूँ....
सेमेंथा – क्या करने आए हो तुम यहां....
साहिल – बदला लेने आया हूँ उस रनवीर से और ये बदला रनवीर को मार कर नहीं उसे उसका सब कुछ छीन के लूंगा मै तिल तिल कर तड़पाऊगा उसे और ऐसा जल्दी ही होगा , और तब उसकी आंखों के सामने उसके अपने उसे ठुकरा के मेरे साथ आ जाएंगे....
सेमेंथा – तुम्हे कैसे पता तुम्हारे दादा को मारा है रनवीर ने....
साहिल – (सेमेंथा को देख मुस्कुराते हुए) मैने तुमसे ये कब कहा कि रनवीर ने मारा है मेरे दादा को....
सेमेंथा – (हड़बड़ाते हुए) वो साहिल मै वो तो.....
साहिल – (मुस्कुरा के) अब बोल भी दो सेमेंथा , तुम्हे कैसे पता चला.....
सेमेंथा – तुम्हे याद है जब गांव में तुम रीना और उसकी बहन राधिका की पोल खोल रहे थे उसके बाद तुम्हे अटैक आया था और तुम बेहोश हो गए थे तब मैने तुम्हारे सिर में हाथ रख के देखने की कोशिश की थी और तभी मैने देखा उस हादसे को जब तुम्हारे दादा की मौत हुई थी तब मैने देखा तुम्हारे दादा को मारने वाले की शकल....
साहिल – मतलब रनवीर को यही न....
सेमेंथा – हा लेकिन तुम्हे कैसे पता चला इस बारे में तुम्हे तो सिर्फ़ काला साया दिखता था न सपने में....
साहिल – दो साल पहले की बात है तब मैं पिकनिक पे गया था स्कूल की तरफ से तब (पिकनिक पे कविता , अवनी , खुशी ने अपने दोस्त के साथ मिल के जो किया सब बता के) उसके बाद मुझे कमल कमरे में ला रहा था तभी मुझे अटैक आया और उसके बाद भी कई बार आया अटैक मुझे क्योंकि कविता , अवनी , खुशी ने जो किया उसके बाद जब भी उन्हे देखता था गुस्सा पर काबू नहीं पा पाता था और अटैक आ जाता था....
इसीलिए पिकनिक के वक्त कमल ने मुझे कही नहीं जाने दिया और ना खुद कही गया और जब वापसी का वक्त आया तब भी मेरा ध्यान किसी पर ना जाए तो कमल मुझे चुपके से बस में लाया और हम निकल गए जब हॉस्टल में आए तो एक दिन कमल ने बताया मुझे ध्यान (Meditation) लगाने वाली बात जिससे मैं गुस्से में काबू पा सकू लेकिन मैं समझ नहीं पाता था कैसे करना है ये तब....
कमल मुझे सिखाता गया साथ में खुद भी करता रहा दो से तीन महीने में मै सिख गया ध्यान लगाना , फिर एक दिन में ध्यान में बैठा था उसी वक्त मुझे अटैक आया जैसा कि हर महीने होता था लेकिन उस वक्त अटैक में जैसे कुछ अलग हुआ मेरे साथ , उस वक्त मैं सपने मे मैं खुद को देखा साथ मे दादा को और साथ में देखा मैने उस काले साए को लेकिन मुझे एक पल के लिए कला साया दिखा था...
उसके बाद उसकी शकल दिखी तब अपने सामने मै रनवीर को देख रहा था , जिसने मेरे दादा जी को मारा और बंदूक मेरे हाथ में थमा दी जिससे सभीं को यही लगने लगा कि मैने मारा है अपने दादा जी को....
बोल के साहिल चुप हो गया कुछ देर तक फिर....
साहिल – और जानती हो वहां पर मैने अपनी दादी को भी देखा था , जिसने दादा जी को मरते देखा , ये देख दादी बिल्कुल बुत जैसी बन गई थी , तब मै समझ गया कि क्यो दादी मेरा साथ दे रही है इतने सालों से , क्योंकि वो सच जानती है , और उस वक्त अगर दादी घर में किसी को बता दे तो भी उनपर शायद ही कोई यकीन करे , और करेगा कैसे कोई यकीन....
इस बात पर कि एक बेटे ने ही अपने बाप को मारा है , कुछ देर बाद ध्यान से जगने के बाद मैंने कमल को सब बता दिया उसे भी यकीन हो गया तब मैने भी सोच लिया था कि बदला लेके रहूंगा मैं रनवीर से लेकिन कैसे कुछ समझ नहीं आ रहा था मुझे , दिन से महीना और महीने से पूरा साल निकल गया , मै कक्षा बारह में आगया था फिर गर्मी की छुट्टी हो गई , हर साल की तरह दादी हर बार आती थी मिलने लेकिन गर्मी की छुट्टी में दादी हमारे साथ रहती थी पूरा महीना भर उस बार भी वैसा ही हुआ तब , दादी के साथ मै और कमल घूमने जाते थे शहर में ही घूमते समय , दादी के पास फोन आया रनवीर का...
(क्योंकि दादी ने बातों बातों में बताया था , घर में रनवीर ने हर साल इंडिया के बाहर घूमने का नियम बनाया है ताकि बच्चों समेत पूरा परिवार हर साल साथ में घूमे , इसके लिए रनवीर हर साल सुमन और कविता से पूछ के ही चुनता है विदेश के शहर को घूमने के लिए फिर)....
रनवीर और सुमन बाकी के परिवार के साथ घूमने गए है इंडिया के बाहर , हर बार की तरह तब फोन पर जिसमें रनवीर , कविता और सुमन ने बात की ये बताने के लिए वो दादी के लिए तोहफा लेके आ रहे है , जो इनका हर बार का था , कुछ देर बात करने के बाद फोन काट दिया तब दादी बताने लगी हर साल जाते है सब मस्ती करते है आते वक्त मेरे लिए कुछ न कुछ लेके आते है , दादी की बात सुनने के बाद मुझे उस वक्त लगा रनवीर की असली कमजोरी कविता और सुमन है , कुछ समय बाद दादी चली गई वापस तब....
एक दिन मैने कमल से बात की इस बारे में तब हमने सोच लिया कि अब रनवीर की इस कमजोरी का ऐसा फायदा उठायेगे और उसको उसकी कमजोरी से दूर ही नहीं करेंगे बल्कि उसके खिलाफ करेंगे कुछ इस तरह की रनवीर ना जी सके ना मर सके , क्योंकि ये बात पक्की थी कि ये मेरा आखिरी साल है स्कूल में इसके बाद दादी जरूर मुझे घर में बुलाएगी आगे की पढ़ाई के लिए , और बस मुझे इंतजार था तो उस दिन का जिस दिन दादी मुझे आगे की पढ़ाई के लिए अपने घर में आने की बात कहे , और फिर मेरे इंतजार की घड़ी खत्म हुई तब जब गांव में दादी ने मुझे घर में रह के आगे की पढ़ाई के लिए कहा इसीलिए मैं तुरंत मान गया बात दादी की , बाकी का काम मेरी अटैक वाली कमजोरी ने कर दिया उसी वक्त जिससे मेरे काम और आसान हो गया.....
बोल के साहिल चुप हो गया तब....
सेमेंथा – अब आगे क्या सोचा है तुमने....
साहिल – मेरी पहली शुरुवात कल से होगी मेरी प्यारी बड़ी मां रीना से , कल उनके रेस्टोरेंट में नौकरी लेके करने वाला हूँ मै....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) तुम नौकरी करोगे उनके रेस्टोरेंट में....
साहिल – (मुस्कुरा के) क्यों नहीं कर सकता हूँ क्या....
सेमेंथा – बस ऐसे ही पूछा....
बोल के दोनों मुस्कुराने लगे....
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जारी रहेगा![]()
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UPDATE me like km aaye yaa Jyada lekin UPDATE aata rahega
Nice update broUPDATE 28
सुबह सुबह नाश्ते की टेबल पर सब बैठे नाश्ता कर रहे थे....
रीना – (सरला से) माजी कल रिकी को डॉक्टर के पास लेके जाना है चेकअप के लिए....
सरला – लेकिन डॉक्टर ने अगले महीने के लिए बोला था....
राजेश – मा वो कल डॉक्टर का फोन आया था अमेरिका से डॉक्टर जो रिकी का ऑपरेशन करने वाले थे उन्होंने बताया है कि अगले महीने मुश्किल है उनका इसीलिए वो कल ही रिकी का चेकअप करेंगे और कल ऑपरेशन....
ऑपरेश की बात सुन जहा सरला का चेहरा उतर गया वही बाकी के लोगों का जैसे नाश्ता करना रुक गया तब....
सरला – (सबसे) सब नाश्ता करो अपना (रीना से) ठीक है तुम तैयारी करो मै भी कल चलूंगी साथ में , और जरा जल्दी करो आज घर में पूजा रखी है पंडित जी आते होगे थोड़ी देर में....
साहिल – दादी पूजा अभी रहने देते है....
दादी – क्यों बेटा मैने कहा था ना , तुझे सिर्फ बैठने है बस....
साहिल – मेरा वो मतलब नहीं था दादी , मै बस इसीलिए बोल रहा था कि रिकी हॉस्पिटल से होके आ जाए फिर पूजा रखना आप , और प्लीज़ दादी अब आप मना मत करना....
दादी – (मुस्कुरा के) ठीक है , मै पंडित जी को बोल दूंगी , अब खुश है तू....
साहिल – बिल्कुल मेरी प्यारी दादी....
साहिल की बात से सबके चेहरे में मुस्कान आ गई जबकि रीना , साहिल की बात सुन उसकी आंख में हल्की नमी आ गई जिसे सबसे छुपा लिया उसने , कुछ समय सबका नाश्ता होने के बाद तब....
रिकी – (साहिल से) भईया अब कुछ दिन आपको हॉस्पिटल में आना होगा फिर मै आपके साथ वही पर गेम खेलूंगा....
साहिल – अरे यार कल से तो मेरा कॉलेज शुरू हो रहा है फिर कैसे आऊंगा मै आपके पास....
रिकी – तो क्या हुआ आप कॉलेज के बाद आजाना हॉस्पिटल तब खेलेंगे हम साथ में....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा , अब देखो आप मै ऐसा जादू करूंगा आपके ऊपर आप तुरन्त जाओगे हॉस्पिटल और तुरन्त आजाओगे घर में फिर हम साथ में खेलेंगे गेम....
बात सुन रिकी मुस्कुराने लगा जिसे देख साहिल ने मुस्कुराते हुए रिकी को गले लगा लिया....
साहिल – तुम बिल्कुल ठीक हो रिकी तुम्हे अब से कोई दर्द नहीं होगा खेलने में , ये मेरा वादा है तुमसे....
जहां रिकी मुस्कुरा रहा था वही रीना और राजेश आंख में आंसू के साथ मुस्करा रहे थे साथ में बाकी के घर वाले भी तब....
कमल – (साहिल से) चल फिर आज कही घूम के आते है हम , क्या बोलता है तू....
साहिल – मैने कब मना किया , दादी से पूछ लेता हु मै....
साहिल – (दादी से) दादी मै और कमल आज घूम आए कही कल से तो कॉलेज शुरू हो रहा है अपना....
दादी – इसमें पूछना क्या है बेटा जब जा रहा है घूमने एक काम कर सभी बच्चों को साथ लेजा , तू नया है शहर में ये तुझे शहर घूमा देगे अपने साथ....
बेचारा मारता क्या ना करता साहिल को माननी पड़ी अपनी दादी की बात बेमन से....
साहिल – (सुनंदा को देख के) आप भी चलो हमारे साथ घूमने आप भी नए हो शहर में , आप भी देख लेना शहर को....
सुनंदा – क्यों न सभी लोग चले शहर घूमने आज तो संडे है काम भी नहीं होता होगा हर किसी को....
राजेश – बात तो सही है सुनंद जी की , सब लोग एक साथ घूम आओ आज वैसे भी कभी कभी तो मौका मिलता है....
दादी – मै तो नहीं चल पाओगी ज्यादा मेरे पैर में दर्द होने लगता है , हा तुम सब घूम आओ (राजेश से) राजेश वकील से बात हुई तुम्हारी....
राजेश – हा मा बात हुई है मेरी वो आज आपसे मिलने आएगा शाम को....
दादी – ठीक है (साहिल और कमल से) तुम दोनों अपने डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी कर के देदेना मुझे अभी जरूरी काम है....
कमल – हमारे डॉक्यूमेंट किस लिए दादी....
दादी – बेटा घर में अचार खत्म हो गया है तुम दोनों के डॉक्यूमेंट का अचार बना के खिलाऊंगी रात में तुमको , और कुछ जानना है....
दादी की बात से सब हंसने लगे साथ में कमल और साहिल भी थोड़ी देर बाद हर कोई तैयार हो रहा था अपने कमरे में....
कविता – (अवनी से) आज सब साथ में घूमने चल रहे है , क्या तुझे पता है कमल को क्या पसंद है....
अवनी – क्यों पूछ रही है ऐसा....
कविता – क्योंकि कमल और साहिल रहे है काफी वक्त एक साथ तो जो कमल को पसंद होगा वहीं साहिल को भी....
खुशी – हा यार इस बहाने साहिल से बात करने का मौका मिल जाएगा हमें....
अवनी – मेरी बात चित हुई जरूर है कमल से लेकिन उसकी पसंद मैंने पूछी नहीं अभी तक....
कविता – (मू बना के) कोई काम ढंग से किया है तूने कभी....
अवनी – सॉरी यार मै सच में भूल गई थी , चल मै अभी पूछ लेती हु कमल से....
खुशी – हा साहिल के सामने जाके पूछ ले ताकि उन्हें भी समझ आ जाए....
कविता – पागल मत बन तू साहिल के समने पूछने का मतलब जानती है ना फिर उन्हे लगेगा कि हम उन्हें परेशान करने की तैयारी कर रहे है....
अवनी – बेवकूफ नहीं हूँ यार मै अकेले में पूछ लूंगी कमल से....
खुशी – हा ये सही रहेगा और गलती मत करना तू कोई भी....
अवनी – हा ना यार (कविता से) वैसे तूने क्या सोचा है क्या लेगी साहिल के लिए....
कविता – मै नया मोबाइल लेने की सोच रही हूँ , उनको देने के लिए....
खुशी – अरे यार ये तो मैने सोचा हुआ था साहिल के लिए....
कविता – अब तू कुछ और सोच मै तो नया फोन ही लूंगी....
खुशी – ठीक है मै लैपटॉप लेलूगी उनके लिए (अवनी से) तूने कुछ सोचा है....
अवनी – मै उनके लिए नए कपड़े लूंगी....
इस तरफ इनकी अलग प्लानिंग थी साहिल के लिए दूसरी तरफ....
सुनीता – (सुमन से) अब साहिल से बात होती है तेरी....
सुमन – अभी नहीं दीदी अभी भी वो वैसे ही बात करता है....
सुनीता – कोई बात नहीं सुमन दीदी थोड़ा वक्त तो लगेगा लेकिन अच्छी बात ये है कि साथ में है अब वो....
सुमन – आज भी उसे ये सिर्फ दिखावा लगता है , उसे लगता है कभी ना कभी किसी कारण घर से निकाल देगे सब लोग उसे....
सुनीता – चिन्ता मत करो दीदी धीरे धीरे उसे समझ आने लगेगा प्यार सबका , देखा नहीं आपने जब मा ने पूजा की बात कही तो साहिल ने कैसे बोल दिया जब रिकी आएगा हॉस्पिटल से तब पूजा करने के लिए , प्यार साहिल के दिल में है बस समझ जाएगा थोड़ वक्त दो उसे , वैसे भी अब कमल भी है न साथ हमारे वो सम्भाल लेगा साहिल को और कोई एसी बात हुई तो बता देगा हमें....
सुमन – हा तुम सही कह रही हो सुनैना देखा मैने साहिल को किस तरह से रिकी के लिए बोल रहा था , सिर्फ प्यार नजर आरहा था उसमें , लेकिन एक बात बताओ तुम कमल के साथ यहां आई तो साहिल को शक नहीं हुआ कुछ....
सुनीता – (हस्ते हुए) नहीं दीदी कमल ने पहले ही बता दिया था साहिल को ये बात , इतनी बड़ी खुशी छुपाए कहा छुपती कमल से....
सुमन – हम्ममम कमल बहुत खुश नसीब है जिसे तुम्हारे जैसी मां और साहिल जैसा साथी मिला....
सुनीता – चिन्ता मत करो दीदी देखना जल्द ही साहिल समझेगा सबके प्यार को....
दूसरी तरफ कमरे में....
साहिल – तुझे भी घूमने की बात बोलनी थी वो भी सबके सामने अबे अकेले में बोलता मुझे साला मेरा भी दिमाग घास चरने गया था जो सबके समाने दादी से पूछा मैने....
कमल – चिंता क्यों करता है बे घूमने जा रहे है हम जंग लड़ने नहीं....
साहिल – अबे यहां जहर खाने को पैसे नहीं है उनके साथ घूमने का मतलब समझता है....
कमल – क्या मतलब है बे....
साहिल – मतलब ये कि मेरे पास जायद पैसे नहीं है समझा और घूमते वक्त उनलोगों ने पैसे खर्च किए तो कल कॉलेज में पक्का पोस्टमार्टम करने की तैयारी हो जाएगी अपनी....
कमल – क्या बे तू भी ना कितने पैसै चाहिए तुझे....
साहिल – साले बोल तो ऐसे रहा है जैसे कुबेर का खजाना रखा हो तेरे पास....
कमल – (मुस्कुरा के) वो तो है ना बे ये देख (हाथ में मोबाइल दिखाते हुए) ये है पैसे....
साहिल – अबे ये नया मोबाइल कहा से ले लिया बे और इसमें पैसे कहा से....
कमल – बैंक अकाउंट पहले से था बाकी पैसे मा ने डाल दिए....
साहिल – तेरा मतलब सुनीता बुआ ने , कितने पैसे डाले है....
कमल – पूरे पचास लाख है बे साथ मोबाइल में PTM अब ज्यादा सोच मत समझा....
साहिल – क्यों इसका हिसाब नहीं लेगा कोई तेरे से....
कमल – नहीं लेगे , अब चल चलते है घूमने....
साहिल – कमीना है बे तू.....
थोड़ी देर में सब निकल गए घूमने के लिए रस्ते में....
सुनैना – तो कहा घूमने चलना है ये तो बताओ....
शबनम – पहले चल के मूवी देखते है....
पायल – हा यार बहुत दिन हो गए मूवी देखे....
अवनी – तो मॉल में चलते है यार मूवी भी देख लेगे साथ में खाना पीना और शॉपिंग भी कर लेगे....
सुनीता – बात तो ठीक है लेकिन महारानियो तुम्हे किस बात की शॉपिंग करनी है अब....
कविता – (साहिल की तरफ धीर से इशार कर सुनीता से) ज्यादा नहीं बुआ थोड़ी सी करेंगे....
सुनीता – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है (साहिल से) तुम क्या लोगे अपने लिए साहिल....
इस तरफ साहिल का पूरा ध्यान सड़क पे था जहां वो शहर की बड़ी बड़ी खूबसूरत बिल्डिंग और मार्केट देख रहा था , साहिल को कुछ ना बोलता देख....
सुनीता – (साहिल के कंधे पे हाथ रख) क्या हुआ साहिल क्या देख रहे हो....
साहिल – (सुनीता को देख हल्का मुस्कुरा के) बहुत खूबसूरत शहर है बुआ एक से एक ऊंची इमारतें , सुंदर मार्केट बनी हुई है यहां पर , इतना तो मैने **** शहर में भी नहीं दिखा मुझे कभी....
सुनीता – (मुस्कुरा के) ये मुम्बई शहर है साहिल आज से नहीं ये शुरू से ही खूबसूरत शहर रहा है....
साहिल – हम्ममम यहां हर चीज बहुत दूर दूर बनी हुई है बुआ , नए लोगों को घूमने का मजा ही आ जाता होगा यहां , है ना बुआ....
सुनीता – बिल्कुल , अच्छा तुम बताओ क्या शॉपिंग करोगे तुम.....
साहिल – (मुस्कुरा के) मेरी जरूरत कुछ खास नहीं है बुआ , जो भी है मेरे पास वही बहुत है मेरे लिए....
पायल – तब तो आज की आपकी शॉपिंग हम करेंगे और आप मना नहीं करोगे....
साहिल – फिलहाल तो घूमूंगा बस शॉपिंग की जरूरत नहीं मुझे , सब कुछ तो है मेरे पास....
शबनम – ठीक है साहिल भाई जैसी आपकी मर्जी लेकिन हमारी मर्जी हम जो चाहे वो खरीदेगे और आप बस कुछ नहीं बोलोगे , ये फाइनल है बस....
इन बातों के आगे कुछ ना बोल साहिल हल्का मुस्कुरा के खिड़की के बाहर देखने लगा....
कुछ देर बाद मॉल में आते ही मूवी की टिकट लेने लगे थे तब....
सुमन – (कविता , खुशी , अवनी से) नॉर्मल मूवी की टिकट लेना मार धार गोली चलाने वाली मत लेना पता है ना साहिल भी साथ है....
कविता – हा मा मुझे याद है....
इस तरफ सब मूवी देखने जाते है जहा कमल और अवनी एक साथ बैठ जाते है वहीं साहिल के दोनों तरफ सुमन और कविता बैठ जाते है मूवी शुरू होती है थोड़ी देर में हमारे साहिल बाबू चले जाते है नींद की वादियों में उसे पता ही नहीं चलता नींद में अपना सिर सुमन के कंधे पर रख देता है , ये बात सुमन समझ जाती है साथ में कविता भी की साहिल को शायद बोरियत लग रही होगी मूवी तभी वो सो गया ये देख दोनों हल्का मुस्कुराते है , वही सुमन अपने एक हाथ से हल्का हल्का साहिल के सिर को सहलाती है , कुछ समय बाद इंटरवल होता है जब लाइट शुरू होती है हाल की सब एक दूसरे से खाने के लिए पूछते है लेकिन तभी कविता सबको चुप रहने का इशारा कर , सोते हुए साहिल की तरफ इशारा करती है तब....
कमल – (सबसे धीरे से) साहिल सिर्फ गाने सुनने का शौकिन है हमने मूवी कभी देखी नहीं है इसीलिए....
खेर थोड़ी देर बाद इंटरवल खत्म होता है मूवी शुरू हो जाती है जहा साहिल बाबू सो रहे थे वही कमल और अवनी का ध्यान मूवी से ज्यादा सिर्फ अपनी बातों में था , मूवी खत्म होने के बाद सब उठने लगते है तब....
सुमन – (साहिल को धीरे से जगाते हुए) उठो साहिल....
साहिल – (नींद में) हम्ममम बस थोड़ी देर रुको उठता हूँ....
बोल के नींद में चला गया , वही ये देख सब हस रहे थे तब....
कमल – (साहिल को हिलाते हुए) उठ जा कुंभकरण मूवी कब की खत्म हो गई लेकिन तेरी नींद अभी तक पूरी नहीं हुई है क्या , उठ जल्दी वर्ना पानी डाल दूंगा....
साहिल – (नींद से जागते हुए चौक के) क्या मूवी खत्म होगई इतनी जल्दी.....
कमल – हा बे चल उठ बाकी की मूवी घर में देखना....
बोल के कमल हसने लगा साथ में सब....
साहिल – हा हा उठ गया चल....
बोल के थिएटर से निकलने लगते है सब रस्ते में....
कमल – (साहिल को चिढ़ाते हुए) साला लोग थिएटर में मूवी देखन आते है और तू सोने , वाह बेटा वाह गजब का अजूबा है तू यार....
साहिल – हा हा उड़ा ले मजाक , बोल तो ऐसे रहा है जैसे रोज मूवी देखता हु मै....
बाहर आते ही सब माल में बने रेस्टोरेंट में चले गए जहां कविता , अवनी , खुशी , पायल और शबनम खाने का ऑर्डर देने जाते हैं वहीं कमल , साहिल और बाकी के सब वॉशरूम जाते है तब....
रितिका – हेय कविता....
कविता – (पलट के लड़की को देख के) रितिका तुम....
नीति – अरे कविता क्या बात है दो साल बाद मिल रही हो , यार तुम तो जैसे भूल ही गई हमको....
रितिका – और तूने स्कूल क्यों छोड़ दिया था यार....
कविता – मन नहीं लग रहा था मेरा इसीलिए....
रतन – क्या यार कविता दो साल बाद मिल रही हो, अभी तक नाराज हो क्या....
कविता – देखो रतन मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है किसी से.....
रतन – चलो अच्छा है तुम्हे मेरा नाम तो याद है...
राजू – प्लीज़ यार कविता छोड़ो उन बातों को यार , इतने वक्त बाद मिली हो तुम सबसे....
रितिका – हा यार कविता , प्लीज़ मिट्टी डाल उन बातों पर हम फिर से पहले जैसे दोस्त बन जाते है....
अवनी – देखो रितिका , नीति , रतन , राजू हम यहां फैमिली के साथ घूमने आए है इसीलिए प्लीज़ हमारा रस्ता छोड़ो....
राजू – (कविता का हाथ पकड़ के) प्लीज़ कविता माफ कर दे यार हम सब तो बचपन के दोस्त है यार....
कविता – (गुस्से में) मेरा हाथ छोड़ो राजू....
राजू – (हाथ छोड़ के) माफ करना कविता वो....
इससे पहले राजू कुछ आगे बोलता तभी...
एक लड़की जींस टीशर्ट चेहरे में कला चश्मा लगा के उनके सामने आके बोलती है....
लड़की – (बीच में आके) एक बार लड़की बात करने को मना का रही है तो क्यों जबरदस्ती उससे बात करने में लगा है , जवानी जायद जोश मार रही है क्या तेरे अन्दर....
रतन – (लड़की को देख के) कौन हो तुम और हमारे बीच में क्यों आ रही हो , ये हम दोनों दोस्त की बात है आपको बीच में आने की जरूरत नहीं है ओके , अपना काम करिए....
लड़की – (मुस्कुरा के) मै अपना ही काम कर रही हूँ मिस्टर (अपनी ID दिखा का) अब जान गए कौन हूँ मै , चुप चाप निकल यहां से वर्ना तू समझदार है....
राजू – (लड़की के हाथ में पुलिस की ID देख के) I M SORRY मिस मै सिर्फ़ बात कर रहा था और कुछ नहीं....
लड़की – हा देखा मैने सब , और कुछ बोलना है तुझे....
रतन – (डरते हुए) नहीं मिस हम चलते है...
बोल के दोनों लड़के और अपनी दोनों बहन के साथ वहां से निकल गए , उनके जाने के बाद....
लड़की – (पलट के कविता से) तुम ठीक हो ना....
कविता – जी , और थैंक यूं दीदी , वैसे आपका नाम क्या है....
लड़की – मेरा नाम आकृति दबे है , I M A COP....
कविता – (मुस्कुरा के) दीदी मेरा नाम कविता है (अवनी और खुशी की तरफ इशारा करके) ये मेरी बहन है , अवनी और खुशी....
आकृति – (मुस्कुरा के दोनों से) हैलो (कविता से) अब से एक बात ध्यान रखना कविता ऐसे लोग अगर बत्तीमीजी करे तो पहले एक उल्टे हाथ का गाल पर देना (अपना कार्ड देके) उसके बाद मुझे मेरे नंबर पे कॉल करना , तुमने मुझे दीदी कहा है ना , बस बाकी का काम तुम्हारी ये दीदी देख लेगी.....
कविता – (मुस्कुरा के) शुक्रिया दीदी , आइए आपको मेरी फैमिली से मिलवाती हूँ....
आकृति – अभी नहीं कविता अभी मुझे जल्दी जाना है कही , हम फिर जरूर मिलेगे तब , ok....
कविता – ठीक है दीदी....
बाय बोल के आकृति निकल गई वहां से , इधर कविता , अवनी , खुशी भी सबके पास आगए सबने लंच किया रेस्टोरेंट में उसके बाद शॉपिंग की फिर सब घर आगए , घर आके कुछ देर आराम करने के बाद शाम को सब चाय पी रहे थे तब....
कविता – (सुमन से) मा वो मैने भाई के लिए आज नया मोबाइल लिया है....
सुमन – हम्ममम तो देदो उसे....
कविता – वो नहीं लेगे जानती हो आप तो....
सुमन – बात तो सही है , अभी कहा है साहिल....
कविता – अपने कमरे में....
सुमन – और कमल कहा है....
कविता – वो और अवनी दोनों जोक की तरह चिपके बैठे बाहर गार्डन में....
कविता की बात सुन सुमन हंसने लगी....
कविता – आप हस क्यों रही हो....
सुमन – तूने अभी अवनी और कमल को जोक जो कहा ना इसीलिए....
कविता – और नहीं तो क्या कल से देख रही हूँ इन दोनों लैला मजनू को एक दूसरे से इशारों में बाते कर रहे है और आज थिएटर में मूवी नाम के लिए देख रहे थे बस एक दूसरे को देखने में लगे थे जैसे जन्मों के भूखे प्यासे हो मौका मिले तो एक दूसरे को खा जाए ऐसे देख रहे थे दोनों एक दूसरे को.....
कविता की बात सुन सुमन जोर से हंसने लगी पीछे से सुनीता और सुनैना भी जोर से हस्ते हुए कमरे में आ गई आते ही....
सुनीता – (कविता से) क्यों रि कविता क्यों मेरे बच्चे के बुराई कर रही है....
कविता – कमल बच्चा , इतना बड़ा सांड आपको कहा से बच्चा लगता है बुआ....
अचानक से चुप होके सुनीत को देखने लगती है गौर से तब.....
कविता – (सुनीत से) अपने कमल को बच्चा कहा , क्या मतलब इस बात का....
सुनीता – (हड़बड़ा के) नहीं कविता वो मै तो बस.....
कविता – बुआ सच सच बताओ बात क्या है....
सुनैना – (मुस्कुरा के) जो तू समझ रही है वही सच है कविता , कमल को गोद लिया है सुनीता ने आज से नहीं तब से जब साहिल को यहां से बाहर भेजा गया था , और ये सारा प्लान तेरी अमृता बुआ , सुनीता बुआ का था और इसमें इनका साथ तेरी दादी दे रही थी....
कविता – (मुस्कुरा के) लेकिन ये बात हमें क्यों नहीं बताई....
सुनीता – मना किया था मैने ही , सोचा कमल के जन्मदिन में सरप्राइज़ दूंगी सबको....
कविता – ये तो बहुत अच्छी बात है बुआ....
सुनीता – अच्छा ये सब छोड़ पहले ये बता क्यों बुराई हो रही थी कमल की....
कविता – वो बुआ आज मैने , अवनी , खुशी ने साहिल के लिए शौपिंग की है उनको देना है समान लेकिन हमारे हाथ से वो नहीं लेगे इसीलिए मैं मां से इस बारे में बात कर रही थी....
सुनैना – (मुस्कुरा के) एक काम कर कविता तू सारा समान मुझे देदे मै जाके साहिल को दे दूंगी , अभी तक साहिल से बात ही नहीं हुई मेरी अच्छे से , मै अभी जाके बात करती हूँ साहिल से....
कविता – आपसे नाराज तो नहीं होगे कही....
सुनैना – नाराज होगा तो बात करूंगी उससे , चल दे मुझे सारा सामान....
बोल के सुनैना , कविता से दो बैग लेके चली जाती है साहिल के कमरे में जहां साहिल बेड में बैठा अपनी किताबें देख रहा था तब....
सुनैना – (कमरे में आते हुए) मै अन्दर आजाऊं....
साहिल – (सुनैना को देख) आप , कोई काम था....
सुनैना – (मुस्कुरा के) हा काम तो है....
साहिल – बताए....
सुनैना – क्या बात है जब से आया है एक बार भी बात नहीं की मेरे से....
साहिल – ऐसी कोई बात नहीं है , बस किसी से ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं है मुझे....
सुनैना – (मुस्कुरा के) पसंद तो बनाने से बनती है साहिल , और तू कोई पराया थोड़ी है हमारा अपना है....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई पराया अपना बन जाए समझ में आता है , लेकिन जिसने खुद , अपनो ने पराया किया , वो अचानक से दोबारा उसे अपना कैसे बना सकता है....
सुनैना – (मुस्कुरा के) गुस्सा तो तेरी नाक में रहता है जैसा बचपन में था , मुझे आज भी याद है जब तू छोटा था बहुत नखरे करता था , दूध पीने में....
सुनैना की बात सुन साहिल एक तक उसे गौर से देखने लगा तब....
सुनैना – (मुस्कुरा के) यही सोच रहा है ना कि मै ये कैसी बात कर रही हूँ , जब तू दो साल का था साहिल तब की बात है ये , उस वक्त तू , सुमन , और तेरे पिता रनवीर गांव जा रहे थे तेरे नाना नानी के घर पर....
फिर सुनैना ने वही बात बताई साहिल को जो सुमन ने बताई थी सुनंदा को , के कैसे उसके घर वाले मारे गए कैसे रनवीर ने सबको मार दिया और कैसे सब यहां आए....
सुनैना – उसके बाद से सुमन दीदी जैसे गहरे सदमे में चली गई थी , उसे पता तक नहीं था कि घर में क्या हो रहा है उस वक्त मैं और लता ही थे जो तुझे संभालते थे , ऐसा नहीं था कि मै अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देती थी लेकिन उसके साथ तू भी बच्चा है हमारा कैसे भूल जाते तुझे , लेकिन उस हादसे के बाद जैस बहुत कुछ बदल गया था इस घर में , मुझे आज तक ये बात समझ नहीं आई कि क्यो हुआ ऐसा आखिर....
लेकिन एक रात किसी बात पर रनवीर बहुत गुस्सा था तब मै रसोई में थी जब मैने रनवीर की गुस्से वाली आवाज सुनी तो बाहर आई तब बाबू जी समझा रहे थे रनवीर को तब मैने सुना जो बाबू जी ने कहा तेरे जन्म के बाद पंडित जी से मिले थे रनवीर और सुमन तेरी कुंडली बनाने के लिए तब पंडित ने तेरी (साहिल) कुंडली देख के बोला था रनवीर से , की साहिल मनहूस है उसे दूर रखो सबसे वर्ना अनर्थ हो जाएगा लेकिन उल्टा रनवीर ने पंडित की गर्दन दबा दी ये तो अच्छा था कि सुमन ने उस वक्त रोका वर्ना रनवीर , पंडित को मार ही देता....
जब ये बात हम सबने सुनी बाबू जी से तब भी बाबू जी समझा रहे थे रनवीर को लेकिन रनवीर उस वक्त जैसे किसी की सुनने को राजी नहीं था , क्योंकि रनवीर उस हादसे के बात जैसे उस पंडित की बात को सच मान बैठा था और तब रनवीर हर बार सुमन को यही बात समझता था तेरे से दूर रहने की क्योंकि उस वक्त सुमन के पेट में कविता थी , कही तेरी वजह से फिर से वैसा कुछ ना हो इसी वजह से सुमन को लगने लगी थी रनवीर की बात सच....
इसीलिए वो तुझसे दूरी रखती थी ताकि कविता को नुकसान ना पहुंचे लेकिन वही मै , लता , तेरी दादी और दादा को इन बातों से कोई मतलब नहीं था , लेकिन जाने क्यों रीना दीदी भी रनवीर की तरह सच मान बैठी थी इस बात को उसके बाद से उनका रवैया भी तेरे प्रति सख्त हो गया था....
उसके बाद से रनवीर हर बात पर तुझे मारता पीटता और फिर वो दिन आया जिस दिन बाबू जी हम सबको छोड़ के चले गए , और रनवीर ने इल्जाम तेरे पे लगाया और हम चाह के भी कुछ ना कर पाए तब माजी ने जैसे अपना फैसला कर लिया था फिर माजी तुझे ले गई सबसे दूर और किसी को नहीं बताया तेरे बारे में....
बोल के चुप हो गई सुनैना कुछ देर बाद बोली....
सुनैना – साहिल मै मानती हूँ कि तेरे साथ जो हुआ बहुत गलत हुआ लेकिन इसमें दोष सिर्फ हालात के थे , भले तेरा जाना सही लगा हो कुछ को यहां से लेकिन सच ये भी है कि तुझे यहां लाने का फैसला सिर्फ दादी का नहीं हम सबका था....
रही तेरी नफरत की बात तो बस यही कहूंगी कि ये दुनिया प्यार के लिए बहुत छोटी है और नफरत के लिए बहुत बड़ी , और हा इन दोनों बैगों में तेरे लिए हम सबने कुछ ना कुछ तोहफा लिया है इसे मना मत करना इसमें सिर्फ प्यार है सबका , मतलब नहीं है किसी का भी....
बोल के सुनैना चली गई उसके जाते ही साहिल चुप चाप बैठा अपनी सोच में डूबा था तब....
सेमेंथा –(जो चुप चाप बैठी अब सुन रही थी साहिल को देख बोली) क्या सोच रहे हो साहिल....
साहिल – यही की किस तरह मै सबकी बातों के जाल में फंस जाऊ उसके लिए जाने कितनी कहानियां बना रहे है लोग....
सेमेंथा – तुम्हे ऐसा क्यों लगता है जो सुनैना ने तुमसे कहा वो कोई कहानी है....
साहिल – पता नहीं लेकिन मुझे यकीन नहीं है इनकी किसी भी बात पर , और तुम्हे क्या लगता है....
सेमेंथा – उन्होंने जो कहा सच कहा है साहिल क्योंकि यही सच सुमन ने भी कहा था , सुनंदा जी से....
साहिल – क्या पता पहले से कहानी बना के रखी हो दोनों ने....
सेमेंथा – नहीं साहिल ये सच है , जैसा सुमन ने कहा और सुनैना ने कहा वो बिल्कुल सच है....
साहिल – और तुम ऐसा कैसे बोल सकती हो....
सेमेंथा – क्योंकि मुझे पता चल जाता है कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ , लेकिन तुम्हारा दिल इस बात को मानने से राजी नहीं हो रहा है , है ना....
साहिल – हम्ममम खेर जो भी हो सेमेंथा , इनकी कही बात भले सच हो लेकिन मै करूंगा वही जो मै करने आया हूँ....
सेमेंथा – क्या करने आए हो तुम यहां....
साहिल – बदला लेने आया हूँ उस रनवीर से और ये बदला रनवीर को मार कर नहीं उसे उसका सब कुछ छीन के लूंगा मै तिल तिल कर तड़पाऊगा उसे और ऐसा जल्दी ही होगा , और तब उसकी आंखों के सामने उसके अपने उसे ठुकरा के मेरे साथ आ जाएंगे....
सेमेंथा – तुम्हे कैसे पता तुम्हारे दादा को मारा है रनवीर ने....
साहिल – (सेमेंथा को देख मुस्कुराते हुए) मैने तुमसे ये कब कहा कि रनवीर ने मारा है मेरे दादा को....
सेमेंथा – (हड़बड़ाते हुए) वो साहिल मै वो तो.....
साहिल – (मुस्कुरा के) अब बोल भी दो सेमेंथा , तुम्हे कैसे पता चला.....
सेमेंथा – तुम्हे याद है जब गांव में तुम रीना और उसकी बहन राधिका की पोल खोल रहे थे उसके बाद तुम्हे अटैक आया था और तुम बेहोश हो गए थे तब मैने तुम्हारे सिर में हाथ रख के देखने की कोशिश की थी और तभी मैने देखा उस हादसे को जब तुम्हारे दादा की मौत हुई थी तब मैने देखा तुम्हारे दादा को मारने वाले की शकल....
साहिल – मतलब रनवीर को यही न....
सेमेंथा – हा लेकिन तुम्हे कैसे पता चला इस बारे में तुम्हे तो सिर्फ़ काला साया दिखता था न सपने में....
साहिल – दो साल पहले की बात है तब मैं पिकनिक पे गया था स्कूल की तरफ से तब (पिकनिक पे कविता , अवनी , खुशी ने अपने दोस्त के साथ मिल के जो किया सब बता के) उसके बाद मुझे कमल कमरे में ला रहा था तभी मुझे अटैक आया और उसके बाद भी कई बार आया अटैक मुझे क्योंकि कविता , अवनी , खुशी ने जो किया उसके बाद जब भी उन्हे देखता था गुस्सा पर काबू नहीं पा पाता था और अटैक आ जाता था....
इसीलिए पिकनिक के वक्त कमल ने मुझे कही नहीं जाने दिया और ना खुद कही गया और जब वापसी का वक्त आया तब भी मेरा ध्यान किसी पर ना जाए तो कमल मुझे चुपके से बस में लाया और हम निकल गए जब हॉस्टल में आए तो एक दिन कमल ने बताया मुझे ध्यान (Meditation) लगाने वाली बात जिससे मैं गुस्से में काबू पा सकू लेकिन मैं समझ नहीं पाता था कैसे करना है ये तब....
कमल मुझे सिखाता गया साथ में खुद भी करता रहा दो से तीन महीने में मै सिख गया ध्यान लगाना , फिर एक दिन में ध्यान में बैठा था उसी वक्त मुझे अटैक आया जैसा कि हर महीने होता था लेकिन उस वक्त अटैक में जैसे कुछ अलग हुआ मेरे साथ , उस वक्त मैं सपने मे मैं खुद को देखा साथ मे दादा को और साथ में देखा मैने उस काले साए को लेकिन मुझे एक पल के लिए कला साया दिखा था...
उसके बाद उसकी शकल दिखी तब अपने सामने मै रनवीर को देख रहा था , जिसने मेरे दादा जी को मारा और बंदूक मेरे हाथ में थमा दी जिससे सभीं को यही लगने लगा कि मैने मारा है अपने दादा जी को....
बोल के साहिल चुप हो गया कुछ देर तक फिर....
साहिल – और जानती हो वहां पर मैने अपनी दादी को भी देखा था , जिसने दादा जी को मरते देखा , ये देख दादी बिल्कुल बुत जैसी बन गई थी , तब मै समझ गया कि क्यो दादी मेरा साथ दे रही है इतने सालों से , क्योंकि वो सच जानती है , और उस वक्त अगर दादी घर में किसी को बता दे तो भी उनपर शायद ही कोई यकीन करे , और करेगा कैसे कोई यकीन....
इस बात पर कि एक बेटे ने ही अपने बाप को मारा है , कुछ देर बाद ध्यान से जगने के बाद मैंने कमल को सब बता दिया उसे भी यकीन हो गया तब मैने भी सोच लिया था कि बदला लेके रहूंगा मैं रनवीर से लेकिन कैसे कुछ समझ नहीं आ रहा था मुझे , दिन से महीना और महीने से पूरा साल निकल गया , मै कक्षा बारह में आगया था फिर गर्मी की छुट्टी हो गई , हर साल की तरह दादी हर बार आती थी मिलने लेकिन गर्मी की छुट्टी में दादी हमारे साथ रहती थी पूरा महीना भर उस बार भी वैसा ही हुआ तब , दादी के साथ मै और कमल घूमने जाते थे शहर में ही घूमते समय , दादी के पास फोन आया रनवीर का...
(क्योंकि दादी ने बातों बातों में बताया था , घर में रनवीर ने हर साल इंडिया के बाहर घूमने का नियम बनाया है ताकि बच्चों समेत पूरा परिवार हर साल साथ में घूमे , इसके लिए रनवीर हर साल सुमन और कविता से पूछ के ही चुनता है विदेश के शहर को घूमने के लिए फिर)....
रनवीर और सुमन बाकी के परिवार के साथ घूमने गए है इंडिया के बाहर , हर बार की तरह तब फोन पर जिसमें रनवीर , कविता और सुमन ने बात की ये बताने के लिए वो दादी के लिए तोहफा लेके आ रहे है , जो इनका हर बार का था , कुछ देर बात करने के बाद फोन काट दिया तब दादी बताने लगी हर साल जाते है सब मस्ती करते है आते वक्त मेरे लिए कुछ न कुछ लेके आते है , दादी की बात सुनने के बाद मुझे उस वक्त लगा रनवीर की असली कमजोरी कविता और सुमन है , कुछ समय बाद दादी चली गई वापस तब....
एक दिन मैने कमल से बात की इस बारे में तब हमने सोच लिया कि अब रनवीर की इस कमजोरी का ऐसा फायदा उठायेगे और उसको उसकी कमजोरी से दूर ही नहीं करेंगे बल्कि उसके खिलाफ करेंगे कुछ इस तरह की रनवीर ना जी सके ना मर सके , क्योंकि ये बात पक्की थी कि ये मेरा आखिरी साल है स्कूल में इसके बाद दादी जरूर मुझे घर में बुलाएगी आगे की पढ़ाई के लिए , और बस मुझे इंतजार था तो उस दिन का जिस दिन दादी मुझे आगे की पढ़ाई के लिए अपने घर में आने की बात कहे , और फिर मेरे इंतजार की घड़ी खत्म हुई तब जब गांव में दादी ने मुझे घर में रह के आगे की पढ़ाई के लिए कहा इसीलिए मैं तुरंत मान गया बात दादी की , बाकी का काम मेरी अटैक वाली कमजोरी ने कर दिया उसी वक्त जिससे मेरे काम और आसान हो गया.....
बोल के साहिल चुप हो गया तब....
सेमेंथा – अब आगे क्या सोचा है तुमने....
साहिल – मेरी पहली शुरुवात कल से होगी मेरी प्यारी बड़ी मां रीना से , कल उनके रेस्टोरेंट में नौकरी लेके करने वाला हूँ मै....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) तुम नौकरी करोगे उनके रेस्टोरेंट में....
साहिल – (मुस्कुरा के) क्यों नहीं कर सकता हूँ क्या....
सेमेंथा – बस ऐसे ही पूछा....
बोल के दोनों मुस्कुराने लगे....
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जारी रहेगा![]()
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UPDATE me like km aaye yaa Jyada lekin UPDATE aata rahega
Thank you so much bhai LATEST UPDATE POSTEDBhaut Hee Jabardast And Mazedar Update Diyaa Hee![]()
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Keep It Up️
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Thank you so much bhai LATEST UPDATE POSTEDबहुत ही शानदार अपडेट भाई