If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
प्रिय पाठकों,
सच कहूं तो अब इस कहानी को लिखने के लिए मेरे पास समय की कमी है मैं कभी-कभी कुछ अध्याय लिखनेकी कोशिश करता हूं परंतु उसकी उपयोगिता अब शायद मेरी नजर में कुछ कम हो गई हैं।
अब तक का साथ अच्छा रहा जब कभी समय मिला तू कहानी के बाकी एपिसोड भी लिखने की कोशिश करूंगा और जब कुछ अपडेट रेडी हो...
Soory for the delay I donot reply for update request sent privately..If you really reading story have courage to come on sroty page and mark your presence with your comments.
By the way Required Update has been sent
कहानी में आपका स्वागत है मैंने मैंने कुछ एपडाले एपिसोड नहीं डाले है ताकि आप जैसे पाठक हिम्मत करके इस फार्म पर लॉगिन करें और इस कहानी से अपना जुड़ाव अपने कमेंट के माध्यम से दिखाएं अकेला यही एक पारितोषिक है मेरे कहानी लिखने का जिसका मैं हकदार भी हूं और उम्मीद भीरखता हूं ठीक उतना ही जितना आप कहानी...
आपने कहानी पर कई प्रश्न उठाए हैं एक एक करके उत्तर देता हूं..
"उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।"
उपरोक्त वाक्यांश इस कहानी की प्रस्तावना जो हर पेज के टॉप में...
भाग 151
वह मन ही मन ईश्वर को इतनी सुंदर काया देने के लिए धन्यवाद कर रही थी । आखिरकार उसने अपनी आंखों पर सफेद रुमाल को लपेटकर जैसे ही मोनी ने गांठ बंधी उसकी आंखों के सामने के दृश्य ओझल होते गए। उसे इतना तो एहसास हो रहा था कि कमरे में अब भी रोशनी थी परंतु आंखों से कुछ दिखाई पड़ना संभव नहीं था।
वह...
आपके विचार उत्तम है पर पहले तो सोनू पुलिस में नहीं है। दूसरे या कहानी एक जासूसी या क्राइम रिलेटेड कहानी नहीं है..
आप एक मेरी कहानी एक सफेदपोश की मौत पढ़िए शायद कुछ आनंद आए।
नियति इस कहानी का प्रमुख किरदार है बार बार उपयोग में लाने से हुई असुविधा के लिए खेद है
भाग 150
उधर मनोहर हमेशा इतवार के दिन का इंतजार किया करता था लाली के घर जाने का उसका आकर्षण अब सुगना बन चुकी थी। मनोहर का प्यार एक तरफा था सुगना जैसी पारखी स्त्री भी अब तक मनोहर की मनोदशा से अनजान थी। शायद मनोहर भी महिलाओं को समझता था और अपनी वासना भरी निगाहों पर उसका नियंत्रण कायम था...
यह जिम्मेदारी मैं आप पर ही सोचता हूं आप अपनी ही भाषा में इस काल्पनिक दृश्य को लिखिए मैं उसे बाद में कहानी में अपनी भाषा में जोड़ दूंगा।
Sure
दीपावली में ही धमाके होते हैं
कहानी में प्रेम और प्रतिरोध का अपना रंग होता है..
महोदय ये अप्राकृतिक मैथुन पर एक दो पैराग्राफ लिखकर भेजिए मैं तो चार...