राजु जिस तरह तङप सा रहा था इससे रुपा को भी अब उस लर तरस सा आया, मगर खेतो मे वो कर भी क्या सकती थी जहाँ मिट्टी मे ना तो लेटने की जगह थी और ना ही बैठने की इसलिये...
"ले कर ले, तु अब कैसे करेगा.?" ये कहते हुवे, राजु का लण्ड रुपा की जाँघो के बीच तो लगा ही था जिसे पकङकर रुपा ने अब अपनी एक टाँग को...