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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Akhir kar JN mara gaya. Par muje lgta hai Romesh ne kuch alag hi khel racha hai. Wo khud Delhi me betha hai. Kyoki pichle 2 update se jo clearly romesh ko bataya nahi gaya hai, sirf uske jese koy banke aaya hai. I think issi tarah Vijay Romesh se mast khayega.


Pr writer saab kya twist laate he dekhna padega
Tum jo bolo wahi twist dal deta hu sarkaar:love:

Baki aapne jo socha hai waisa kuch nahi hai, ye bol sakta hu, ha agar aap hukum karo to sab badal sakta hai, aapke ek aadesh per:declare:Kahani aage badh gai hai aur agley update me sab clear ho hi jayega👍
Aap jaroor padhiyega, aapke coments ka hamesha intzaar rahega, @thank you so much for your wonderful review and support ❣️ DesiPriyaRai
 

DesiPriyaRai

प्यार मैं मृत्यु है, मुक्ति नहीं..
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Tum jo bolo wahi twist dal deta hu sarkaar:love:

Baki aapne jo socha hai waisa kuch nahi hai, ye bol sakta hu, ha agar aap hukum karo to sab badal sakta hai, aapke ek aadesh per:declare:Kahani aage badh gai hai aur agley update me sab clear ho hi jayega👍
Aap jaroor padhiyega, aapke coments ka hamesha intzaar rahega, @thank you so much for your wonderful review and support ❣️ DesiPriyaRai
Jesa mene padha vesa muje laga, issi liye mene kaha muje lagta hai. Aur aakhir me kaha bhi "Par writer saab kya twist late hai"

Also congratulations for 100+ pages

Thanks Ok GIF by Originals
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Jesa mene padha vesa muje laga, issi liye mene kaha muje lagta hai. Aur aakhir me kaha bhi "Par writer saab kya twist late hai"

Also congratulations for 100+ pages

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Thank you so much ❣️ 💓 💗 💛 💖 priya ji
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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Rajizexy

❣️and let ❣️
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# 22.

जनार्दन नागा रेड्डी की कार फ्लैट के पोर्च में रुकी। पीछे कमाण्डो की कार थी। वह कार बाहर सड़क के किनारे खड़ी हो गई। जे.एन. अपनी कार से उतरा।

"इन कमाण्डो से कहना, बाहर ही रहें।" उसने अपने ड्राइवर से कहा !!


''और तुम गाड़ी में रहना, ठीक?"

"जी साहब !" ड्राइवर ने कहा।

जे.एन. फ्लैट के द्वार पर पहुँचा। द्वार को आधा खुला देखकर जे.एन. मुस्कराया,

"शायद इंतजार करते-करते दरवाजा खोलकर ही सो गई।"

अन्दर दाखिल होकर जे.एन. ने द्वार बोल्ट किया और सीधा बैडरूम की तरफ बढ़ गया। बैडरूम में रोशनी थी और बाथरूम में शावर चलने की आवाज आ रही थी।

"ओह तो इसलिये दरवाजा खुला था, स्नान हो रहा है।"

"जी हाँ, आप बैठिए।"
बाथरुम से आवाज आई। जनार्दन नागा रेड्डी आराम से बैठ गया। फिर उसने फ्रीज खोला, एक बियर निकाल ली और उसके साथ ही एक गिलास भी। मेज पर पहले से एक गिलास और बियर की तीन चौथाई खाली बोतल रखी थी।

जे. एन. ने उस पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया। उसने अपनी बियर खोली और गिलास में डालने लगा, उसके बाद उसने गिलास होंठों की तरफ बढ़ाया। बाथरूम का दरवाजा खुलने की हल्की आवाज सुनाई दी। जे.एन. मुस्कराया। वह जानता था कि माया दबे कदम उसके करीब आयेगी और फिर पीछे से गले में बाँहें डाल देगी।

वह इन्तजार करता रहा। किसी ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा। जे.एन. को एका एक वह स्पर्श अजनबी लगा। उसका हाथ रुक गया, जाम लबों पर ही ठहर गया। फिर हाथ धीरे-धीरे नीचे आया और मेज के ऊपर ठहर गया।


"जनार्दन नागा रेड्डी !" किसी ने फुसफुसा कर कहा। जे.एन. का हाथ गिलास पर से छूट गया। उसका हाथ तेजी के साथ रिवॉल्वर की तरफ बढ़ा, परन्तु तब तक पीछे से जोरदार झटका लगा!

जे.एन. कुर्सी सहित घूम गया। एक क्षण के लिए उसे चाकू का ब्लेड चमकता दिखाई दिया। उसने चीखना चाहा। वह चीखा भी। परन्तु वह चीख घुटी-घुटी थी। तब तक चाकू उसके जिस्म में पैवस्त हो चुका था। उसकी आंख फटी-की-फटी रह गई। खून सना जिस्म कालीन पर लुढ़कता चला गया।

जनार्दन की चीख शायद बाहर तक पहुंच गई थी और बेल बजने लगी थी। फिर दरवाजा इस तरह बजने लगा, जैसे कोई उसे तोड़ने की कौशिश कर रहा हो। बैडरूम की रोशनी बुझ चुकी थी। वह शख्स पीछे खुलने वाली बालकनी पर पहुँचा। फिर उसने बालकनी पर डोरी बाँधी और फिर डोरी द्वारा तीव्रता के साथ नीचे जा कूदा। उस वक्त सबका ध्यान फ्लैट के मुख्य द्वार की तरफ था। फिर कि सीने चीखकर कहा:


"देखो वह कौ न कूदा है ?"

''लगता है, अन्दर कुछ गड़बड़ हो गई है।"

कूदने वाला बेतहाशा सड़क पर दौड़ता चला गया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक गाड़ी के पीछे खड़ी मोटर साइकिल स्टार्ट हुई और फिर मोटर साइकिल सड़क पर दौड़ने लगी। कमाण्डो जे.एन. को छोड़कर नहीं जा सकते थे। जैसे ही कमांडो को पता चला कि जे.एन. का कत्ल हो गया है, वह सकपका गये।

''क्या करें ?" एक ने कहा।

"उसने कहा था कि अगर उसकी जान को कुछ हो गया, तो उसके आदमी हमें मार डालेंगे। जो कभी भी यहाँ आ सकते हैं।"

"मेरे ख्याल से भागने में ही भलाई है।"

"नौकरी चली जायेगी।" दूसरा बोला।

"नौकरी तो वैसे भी जानी है, जे.एन. तो मर गया। अब तो जान बचाओ।" पहले वाले ने कहा। चारों कार लेकर वहाँ से भाग खड़े हुए।

इंस्पेक्टर विजय के अतिरिक्त बहुत से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटना स्थल पर पहुंच चुके थे। टेलीफोन वायरलेस, टेलेक्स, फैक्स न जाने कितने माध्यमों से यह न्यूज बाहर जा रही थी। सबसे पहले घटना स्थल पर पहुंचने वाला शख्स विजय ही था। माया रो रही थी। पास ही जे. एन. का ड्राइवर और नौकरानी खड़ी थी। बाहर कुछ लोग जमा थे, जिन्हें अन्दर नहीं जाने दिया जा रहा था। फ्लैट के दरवाजे पर भी सिपाही तैनात थे।


"कैसे हुआ ?"

"उसने पहले मुझे मेरे अंकल के एक्सीडेन्ट के फोन का धोखा दिया।" माया बताती जा रही थी। नौकरानी भी बीच-बीच में बोल रही थी।

"वही था, तुम अच्छी तरह पहचानती हो।"

"वही था, रोमेश सक्सेना एडवोकेट ! ओह गॉड ! उसने मुझे बैडरूम के बाथरूम में बांधकर डाल दिया। किसी तरह मैं घिसटती-2 बाहर तक आई, मगर तब तक जे.एन. साहब का कत्ल हो चुका था।

"उसने जाते-जाते मेरे हाथ खोले और बालकनी के रास्ते भाग गया। फिर मैंने मुँह का टेप हटाया और शोर मचाया। उसके बाद दरवाजा खोलकर पुलिस को फोन किया।"

"रोमेश, तुमने बहुत बुरा किया।"

विजय ने अपने मातहत को घटना स्थल पर तैनात किया। तब तक दूसरे अधिकारी भी आ चुके थे। कुछ ही देर में उसकी जीप रोमेश के फ्लैट की ओर भागी चली जा रही थी। वह एक हाथ से स्टेयरिंग कंट्रोल कर रहा था और उसके दूसरे हाथ में सर्विस रिवॉल्वर थी। रोमेश के फ्लैट पर पहुंचते ही उसकी जीप रुक गई।

फ्लैट के एक कमरे में रोशनी हो रही थी। विजय जीप से नीचे कूदा और जैसे ही उसने आगे बढ़ना चाहा, फ्लैट की खिड़की से एक फायर हुआ। गोली उसके करीब से सनसनाती गुजर गई, विजय ने तुरन्त जीप की आड़ ले ली थी।

"इंस्पेक्टर विजय।" रोमेश की आवाज सुनाई दी ।

"अभी ग्यारह जनवरी शुरू नहीं हुई है। मैंने कहा था कि तुम मुझे गिरफ्तार करने ग्यारह जनवरी को आना। इस वक्त मैं जल्दी में हूँ, अगर तुमने मुझ पर हाथ डालने की कौशिश की, तो मैं भूनकर रख दूँगा।"

"अपने आपको कानून के हवाले कर दो रोमेश।" विजय ने चेतावनी दी और साथ ही धीरे-धीरे आगे सरकना शुरू कर दिया।

विजय उस वक्त अकेला ही था। उसी क्षण फ्लैट की रोशनी गुल हो गई। इस अंधेरे का लाभ उठा कर विजय तेजी से आगे बढ़ा। वह रोमेश को भागने का अवसर नहीं देना चाहता था। वह फ्लैट के दरवाजे पर पहुँचा। उसे हैरानी हुई कि फ्लैट का दरवाजा अन्दर से खुला है। वह तेजी के साथ अंदर गया और जल्दी ही उस कमरे में पहुँचा, जिसकी खिड़की से उस पर फायर किया गया था।
वह उस फ्लैट के चप्पे-चप्पे से वाकिफ था।

थोड़ी देर तक वह आहट लेता रहा कि कहीं रोमेश उस पर फायर न कर दे। तभी वह चौंका, उसने मोटर साइकिल स्टार्ट होने की आवाज सुनी। विजय ने कमरे की रोशनी जलाई, कमरा खाली था। वह तीव्रता के साथ खिड़की पर झपटा और फिर उसकी निगाह सड़क पर दौड़ती मोटर साइकिल पर पड़ी।

"रुक जाओ रोमेश !" वह चीखा। उसने मोटर साइकिल की तरफ एक फायर भी किया, परन्तु बेकार ! खिड़की पर बंधी रस्सी देखकर वह समझ गया कि अंधेरा इसलिये किया गया था, ताकि कोई उसे रस्सी से उतरते न देखे। संयोग से विजय उस समय फ्लैट के दरवाजे से अन्दर आ रहा था।

विजय तीव्रता के साथ बाहर आ गया। उसने अपनी जीप तक पहुंचने में अधिक देर नहीं की। उसके बाद जीप को टर्न किया और उसी दिशा में दौड़ा दी, जिधर मोटर साइकिल गई थी। रिवॉल्वर अब भी उसके हाथ में थी। काफी दौड़-भाग के बाद मोटर साइकिल एक पुल पर खड़ी मिली।

विजय ने वहीं से वायरलेस किया, शीघ्र ही एक कार वहाँ पहुंच गई। मोटर साइकिल कस्टडी में ले ली गई। रोमेश का कहीं पता न था।

"फरार हो कर जायेगा कहाँ ?" विजय बड़बड़ाया। एक बार फिर वह रोमेश के फ़्लैट पर जा पहुँचा।



जारी रहेगा…..✍️✍️
Awesome ,thrilling, interesting, suspenseful update
👌👌👌👌👌👌👌
✔️✔️✔️✔️✔️✔️
💯💯💯💯
 

Raj_sharma

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