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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,

Aakhirkar jo socha vahi hua.......apna romy bhai mumbai aa hi gaya JN ka kaam tamam karne.........

Ab dekhna ye he ki tarika kya hoga qatl ka

Keep rocking Bro
Thank you very much for your wonderful review and support bhai ❣️ ab jab aaya hai, to khoon bhi hoga, bas kaise? Ye dekhne wali baat hogi:D:D
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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# 21.

उधर दस जनवरी का दिन रोमेश के लिए भी महत्वपूर्ण था। उसको एक चैलेंजिग मर्डर करना था, लोग चाहे जो अनुमान लगायें, परन्तु रोमेश ने इस कत्ल का ठेका पच्चीस लाख में लिया था और उसने कत्ल की तारीख भी तय कर ली थी।

अगर वह कामयाब हो जाता, तो उसका भविष्य क्या होता? क्या उसे सीमा वापिस मिल जानी थी ? क्या वह कानून के प्रति इंसाफ कर रहा था ?

उधर इंस्पेक्टर विजय के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण था। उसे एक ऐसे शख्स की हिफाजत करनी थी, जो अपराधी था और जिसने बहुत से बेगुनाहों का कत्ल किया था। वह एक माफिया था और जो चीफ मिनिस्टर बन गया था।

वह इस शख्स को नहीं बचा पाता, तो उसकी सर्विस बुक में एक बैड एंट्री होनी थी और इतना ही नहीं उसे रोमेश को गिरफ्तार करने पर भी मजबूर होना पड़ता। हालांकि वह अब अधिक चिन्तित नहीं था। फिर भी यह दिन उसके लिए महत्वपूर्ण था और इसी दिन शंकर नागा रेड्डी के मुकद्दर का भी फैसला होने वाला था।

अखबार वालों को भी सुनगुन थी कि कहीं कोई जबरदस्त न्यूज तो नहीं मिलने वाली। शहर में बहुत-सी जगह यह चर्चाएं थी। पुलिस डिपार्टमेंट से लेकर आम लोगों तक।
दस जनवरी आने तक कुछ नहीं हुआ। विजय एक गश्त लगा कर चला गया। रात के नौ बजे मायादास ने जे.एन. से मुला कात की।

"मैडम माया तीन बार फोन कर चुकी हैं।" मायादास ने कहा,

"उन्हें क्या जवाब दिया जाये ?"

"ओह, मुझे तो ध्यान नहीं रहा, आज शनिवार है।"

"तुम तो जानते ही हो मायादास ! मैं हर शनिवार डिनर उसके साथ उसी के फ्लैट पर लेता हूँ। वैसे भी यहाँ सुबह से दम-सा घुटा जा रहा है। उससे कहो कि हम आ रहे हैं, क्या हमारा जाना ठीक है ?"

"आप तो बेकार में टेंशन पा ले हुये हैं। आपको सब काम अपनी रुटीन के अनुसार करना चाहिये, अब तो शनि का प्रकोप भी खत्म हो गया। सारे ग्रह रात होते ही डूब जातेहैं। मेरा ख्याल है, वहाँ आप सारे तनाव से छुटकारा पा लेंगे। वैसे भी आपके साथ गार्ड तो रहेंगे ही। लोग कहेंगे कि आप बड़े डरपोक हैं। आपकी निडरता की साख है पूरे शहर में और आप हैं कि चूहे की तरह बिल में घुसे हुये हैं।"

"अरे नहीं हम किसी से नहीं डरने वाले। हम वहाँ जाकर आयेंगे। ड्राइवर से कहो कि गाड़ी तैयार रखे।"

"ठीक है, श्री मान जी !"

मायादास बाहर निकल गया, जे.एन. तैयार होने लगा। वह अब सब कुछ भूल चुका था और माया का हसीन फिगर उसके दिलों-दिमाग पर छाता जा रहा था।

माया ने एक बार और कौशिश की, कि जे.एन. से सम्पर्क हो जाये। वह आज रात के लिए जे. एन. को अपने यहाँ आने से रोकना चाहती थी, उसे ख्याल आया कि रोमेश ने उसे किसी कत्ल की चश्मदीद गवाह बनने के लिए कहा था और वह जान चुकी थी कि रोमेश ने जे.एन. को दस जनवरी को कत्ल करने की धमकी भी दी है।

"कहीं वह मेरे फ्लैट पर तो कुछ नहीं करने वाला ? यह ख्याल बार-बार उसके मन में आता और इसीलिये वह शाम से ही जे.एन. को फोन मिला रही थी।"

परन्तु जे.एन. से सम्पर्क नहीं हो पाया, तो उसने माया दास से संपर्क किया। उसने मायादास से ही कह दिया कि जे.एन. को वहाँ न आने दे किन्तु सवा नौ बजे मायादास का फोन आया।

"जे.एन. साहब आपके यहाँ आने वाले हैं।"

''मगर !"

"आप उस सबकी फिक्र न करे, जे.एन. साहब बड़े ही शेर दिल आदमी हैं। उन्हें इस तरह डरा देना भी ठीक बात नहीं प्लीज ! उनका वैसा ही वेलकम करें, जैसा करती हैं। तनाव मुक्त हो जायेंगे और ठीक से रात भी कट जा येगी।''

मायादास ने फोन काट दिया। करीब पांच मिनट बाद ही एक फोन और आया।

"हैलो ।"

"हम जसलोक से बोल रहे हैं, आपके अंकल मिस्टर जेठानी का एक्सी डेन्ट हो गया है। प्लीज कम इमी जियेटली !"
इस सूचना के बाद फोन कट गया।

"ओ माई गॉड, अंकल जेठानी का एक्सी डेन्ट।''

माया जल्द से तैयार हो गई। उसने अपनी नौकरानी से कहा,

''जे. एन. साहब भी आने वाले हैं। अगर कोई हॉस्पिटल से आये, तो उसे हैंडल कर लेना। कहना मैं हॉस्पिटल ही गई हूँ और जे.एन. साहब को भी समझा देना।"

माया फ्लैट से रवाना हो गई। वह अपनी कार दौड़ाती हुई हॉस्पिटल की तरफ बढ़ रही थी। उसके फ्लैट से निकलने के लगभग दस मिनट बाद बेल बजी। नौकरानी ने समझा या तो जे.एन. है, या कोई हॉस्पिटल से आया है, या खुद माया देवी ? नौकरानी ने तुरन्त द्वार खोल दिया।

जैसे ही नौकरानी ने द्वार खोला, उसके मुंह से हल्की-सी चीख निकली और तभी एक दस्ताने वाला हाथ उसके मुंह पर छा गया।

आने वाले ने दूसरे हाथ से फ्लैट का दरवाजा बन्द किया और नौकरानी को घसीटता हुआ स्टोर रूम में ले गया, भय से नौकरानी की आंखें फटी पड़ रही थीं।

शीघ्र ही उसके हाथ पाँव बाँध दिये गये और मारे भय के वह बेहोश हो गई। स्टोर बन्द करके वह शख्स बाहर आया, उसने फ्लैट का मुख्य द्वार का बोल्ट अन्दर से खोल दिया और चुपचाप फ्लैट के बैडरूम में पहुंचकर उसने दस्ताने उतारे, फिर फ्रिज खोला और फ्रिज से एक बियर और गिलास लेकर बैठ गया।
उसने गिलास में बियर डाली, और बियर पीने लगा। कुछ ही देर में माया बड़बड़ाती हुई अन्दर दाखिल हुई। वह नौकरानी को आवाज देती बड़बड़ा रही थी !


"पता नहीं किसने मूर्ख बनाया ? आज कोई फर्स्ट अप्रैल तो है नहीं ? मेरी भी मति मारी गई, यहाँ से अंकल के घर फोन किये बिना ही चल पड़ी हॉस्पिटल।"

बड़बड़ाती माया बैडरूम में पहुंची। बैडरूम में किसी की मौजूदगी देखते ही चीख पड़ी,

"तुम एडवोकेट रोमेश !"
वह शख्स एकदम माया देवी पर झपटा और उसने चाकू की नोंक माया की गर्दन पर रख दी।

''शोर मत मचाना, चलो इधर।"

वह माया को चाकू से कवर करता एक बार द्वार तक आया और फिर से फ्लैट का डोर अनबोल्ट किया। फिर द्वार का मुआयना किया और माया को खींचता हुआ बैडरूम से अटैच बाथरूम में ले गया। उसने बैडरूम का शावर चला दिया और बाथरूम का दरवाजा भी बन्द कर दिया।





जारी रहेगा…..✍️✍️
SHANDAR jabardast update 👌 👌
Next update bhi jaldi de do Raj Bhai :bounce:
 
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फिलहाल तो यही थ्योरी बनती दिख रही है कि रोमेश साहब ट्रेन सफर के दौरान दूसरे स्टाप वाले स्टेशन पर उतरे होंगे । वहां स्टेशन के पास शंकर साहब ने उनके लिए प्राइवेट चाॅपर का इन्तजाम रखा होगा । उस चाॅपर से वो वापस मायानगरी और फिर मायानगरी से माया तक का सफर किसी कार / बाइक से ।
इसके बाद वो जे एन साहब का कत्ल कर के वाया कार / बाइक से चाॅपर तक , और फिर चाॅपर के थ्रू ट्रेन के तीसरे पड़ाव वाले स्टेशन तक । वहां से दिल्ली तक का सफर ट्रेन से करेंगे ।
लोग यही समझेंगे कि एक सुपर फास्ट ट्रेन मे सफर कर रहा व्यक्ति कैसे चलती ट्रेन से उतर कर इतना कम समय मे वापस मुंबई आ सकता है ।

कुल मिलाकर शंकर साहब के सहयोग के बिना वह इस वारदात को अंजाम दे ही नही सकते । चाॅपर का इन्तजाम हर कोई नही कर सकता लेकिन शंकर साहब अवश्य कर सकते है ।

अगर रोमेश साहब दस जनवरी की रात को दिल्ली मे भी पाए जाते है तब रास्ता यही हो सकता है ।

खैर देखते है हमारे राइटर साहब की कलम से क्या निकल कर आता है !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
 

parkas

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# 21.

उधर दस जनवरी का दिन रोमेश के लिए भी महत्वपूर्ण था। उसको एक चैलेंजिग मर्डर करना था, लोग चाहे जो अनुमान लगायें, परन्तु रोमेश ने इस कत्ल का ठेका पच्चीस लाख में लिया था और उसने कत्ल की तारीख भी तय कर ली थी।

अगर वह कामयाब हो जाता, तो उसका भविष्य क्या होता? क्या उसे सीमा वापिस मिल जानी थी ? क्या वह कानून के प्रति इंसाफ कर रहा था ?

उधर इंस्पेक्टर विजय के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण था। उसे एक ऐसे शख्स की हिफाजत करनी थी, जो अपराधी था और जिसने बहुत से बेगुनाहों का कत्ल किया था। वह एक माफिया था और जो चीफ मिनिस्टर बन गया था।

वह इस शख्स को नहीं बचा पाता, तो उसकी सर्विस बुक में एक बैड एंट्री होनी थी और इतना ही नहीं उसे रोमेश को गिरफ्तार करने पर भी मजबूर होना पड़ता। हालांकि वह अब अधिक चिन्तित नहीं था। फिर भी यह दिन उसके लिए महत्वपूर्ण था और इसी दिन शंकर नागा रेड्डी के मुकद्दर का भी फैसला होने वाला था।

अखबार वालों को भी सुनगुन थी कि कहीं कोई जबरदस्त न्यूज तो नहीं मिलने वाली। शहर में बहुत-सी जगह यह चर्चाएं थी। पुलिस डिपार्टमेंट से लेकर आम लोगों तक।
दस जनवरी आने तक कुछ नहीं हुआ। विजय एक गश्त लगा कर चला गया। रात के नौ बजे मायादास ने जे.एन. से मुला कात की।

"मैडम माया तीन बार फोन कर चुकी हैं।" मायादास ने कहा,

"उन्हें क्या जवाब दिया जाये ?"

"ओह, मुझे तो ध्यान नहीं रहा, आज शनिवार है।"

"तुम तो जानते ही हो मायादास ! मैं हर शनिवार डिनर उसके साथ उसी के फ्लैट पर लेता हूँ। वैसे भी यहाँ सुबह से दम-सा घुटा जा रहा है। उससे कहो कि हम आ रहे हैं, क्या हमारा जाना ठीक है ?"

"आप तो बेकार में टेंशन पा ले हुये हैं। आपको सब काम अपनी रुटीन के अनुसार करना चाहिये, अब तो शनि का प्रकोप भी खत्म हो गया। सारे ग्रह रात होते ही डूब जातेहैं। मेरा ख्याल है, वहाँ आप सारे तनाव से छुटकारा पा लेंगे। वैसे भी आपके साथ गार्ड तो रहेंगे ही। लोग कहेंगे कि आप बड़े डरपोक हैं। आपकी निडरता की साख है पूरे शहर में और आप हैं कि चूहे की तरह बिल में घुसे हुये हैं।"

"अरे नहीं हम किसी से नहीं डरने वाले। हम वहाँ जाकर आयेंगे। ड्राइवर से कहो कि गाड़ी तैयार रखे।"

"ठीक है, श्री मान जी !"

मायादास बाहर निकल गया, जे.एन. तैयार होने लगा। वह अब सब कुछ भूल चुका था और माया का हसीन फिगर उसके दिलों-दिमाग पर छाता जा रहा था।

माया ने एक बार और कौशिश की, कि जे.एन. से सम्पर्क हो जाये। वह आज रात के लिए जे. एन. को अपने यहाँ आने से रोकना चाहती थी, उसे ख्याल आया कि रोमेश ने उसे किसी कत्ल की चश्मदीद गवाह बनने के लिए कहा था और वह जान चुकी थी कि रोमेश ने जे.एन. को दस जनवरी को कत्ल करने की धमकी भी दी है।

"कहीं वह मेरे फ्लैट पर तो कुछ नहीं करने वाला ? यह ख्याल बार-बार उसके मन में आता और इसीलिये वह शाम से ही जे.एन. को फोन मिला रही थी।"

परन्तु जे.एन. से सम्पर्क नहीं हो पाया, तो उसने माया दास से संपर्क किया। उसने मायादास से ही कह दिया कि जे.एन. को वहाँ न आने दे किन्तु सवा नौ बजे मायादास का फोन आया।

"जे.एन. साहब आपके यहाँ आने वाले हैं।"

''मगर !"

"आप उस सबकी फिक्र न करे, जे.एन. साहब बड़े ही शेर दिल आदमी हैं। उन्हें इस तरह डरा देना भी ठीक बात नहीं प्लीज ! उनका वैसा ही वेलकम करें, जैसा करती हैं। तनाव मुक्त हो जायेंगे और ठीक से रात भी कट जा येगी।''

मायादास ने फोन काट दिया। करीब पांच मिनट बाद ही एक फोन और आया।

"हैलो ।"

"हम जसलोक से बोल रहे हैं, आपके अंकल मिस्टर जेठानी का एक्सी डेन्ट हो गया है। प्लीज कम इमी जियेटली !"
इस सूचना के बाद फोन कट गया।

"ओ माई गॉड, अंकल जेठानी का एक्सी डेन्ट।''

माया जल्द से तैयार हो गई। उसने अपनी नौकरानी से कहा,

''जे. एन. साहब भी आने वाले हैं। अगर कोई हॉस्पिटल से आये, तो उसे हैंडल कर लेना। कहना मैं हॉस्पिटल ही गई हूँ और जे.एन. साहब को भी समझा देना।"

माया फ्लैट से रवाना हो गई। वह अपनी कार दौड़ाती हुई हॉस्पिटल की तरफ बढ़ रही थी। उसके फ्लैट से निकलने के लगभग दस मिनट बाद बेल बजी। नौकरानी ने समझा या तो जे.एन. है, या कोई हॉस्पिटल से आया है, या खुद माया देवी ? नौकरानी ने तुरन्त द्वार खोल दिया।

जैसे ही नौकरानी ने द्वार खोला, उसके मुंह से हल्की-सी चीख निकली और तभी एक दस्ताने वाला हाथ उसके मुंह पर छा गया।

आने वाले ने दूसरे हाथ से फ्लैट का दरवाजा बन्द किया और नौकरानी को घसीटता हुआ स्टोर रूम में ले गया, भय से नौकरानी की आंखें फटी पड़ रही थीं।

शीघ्र ही उसके हाथ पाँव बाँध दिये गये और मारे भय के वह बेहोश हो गई। स्टोर बन्द करके वह शख्स बाहर आया, उसने फ्लैट का मुख्य द्वार का बोल्ट अन्दर से खोल दिया और चुपचाप फ्लैट के बैडरूम में पहुंचकर उसने दस्ताने उतारे, फिर फ्रिज खोला और फ्रिज से एक बियर और गिलास लेकर बैठ गया।
उसने गिलास में बियर डाली, और बियर पीने लगा। कुछ ही देर में माया बड़बड़ाती हुई अन्दर दाखिल हुई। वह नौकरानी को आवाज देती बड़बड़ा रही थी !


"पता नहीं किसने मूर्ख बनाया ? आज कोई फर्स्ट अप्रैल तो है नहीं ? मेरी भी मति मारी गई, यहाँ से अंकल के घर फोन किये बिना ही चल पड़ी हॉस्पिटल।"

बड़बड़ाती माया बैडरूम में पहुंची। बैडरूम में किसी की मौजूदगी देखते ही चीख पड़ी,

"तुम एडवोकेट रोमेश !"
वह शख्स एकदम माया देवी पर झपटा और उसने चाकू की नोंक माया की गर्दन पर रख दी।

''शोर मत मचाना, चलो इधर।"

वह माया को चाकू से कवर करता एक बार द्वार तक आया और फिर से फ्लैट का डोर अनबोल्ट किया। फिर द्वार का मुआयना किया और माया को खींचता हुआ बैडरूम से अटैच बाथरूम में ले गया। उसने बैडरूम का शावर चला दिया और बाथरूम का दरवाजा भी बन्द कर दिया।





जारी रहेगा…..✍️✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

Raj_sharma

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Kosis karta hu bhai kal dene ki agar office me kaam jyada nahi hua to kal aajayega, thoda audit chal raha hai 1 week se to jyada bada nahi likh paya, warna abhi tak to story khatam kar chuka hota :D
Thank you so much for your valuable review ❣️ bhai.
 

Raj_sharma

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फिलहाल तो यही थ्योरी बनती दिख रही है कि रोमेश साहब ट्रेन सफर के दौरान दूसरे स्टाप वाले स्टेशन पर उतरे होंगे । वहां स्टेशन के पास शंकर साहब ने उनके लिए प्राइवेट चाॅपर का इन्तजाम रखा होगा । उस चाॅपर से वो वापस मायानगरी और फिर मायानगरी से माया तक का सफर किसी कार / बाइक से ।
इसके बाद वो जे एन साहब का कत्ल कर के वाया कार / बाइक से चाॅपर तक , और फिर चाॅपर के थ्रू ट्रेन के तीसरे पड़ाव वाले स्टेशन तक । वहां से दिल्ली तक का सफर ट्रेन से करेंगे ।
लोग यही समझेंगे कि एक सुपर फास्ट ट्रेन मे सफर कर रहा व्यक्ति कैसे चलती ट्रेन से उतर कर इतना कम समय मे वापस मुंबई आ सकता है ।

कुल मिलाकर शंकर साहब के सहयोग के बिना वह इस वारदात को अंजाम दे ही नही सकते । चाॅपर का इन्तजाम हर कोई नही कर सकता लेकिन शंकर साहब अवश्य कर सकते है ।

अगर रोमेश साहब दस जनवरी की रात को दिल्ली मे भी पाए जाते है तब रास्ता यही हो सकता है ।

खैर देखते है हमारे राइटर साहब की कलम से क्या निकल कर आता है !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
Thank you very very much for your amazing review SANJU ( V. R. ) bhai:hug:Wo kya hai na ki ye wala writer aapke jitna smart nahi hai, to jo man me aaya wo 😜 likh diya, aur aage bhi kuch likh chuka hu, to aapke idea fail hone wale hai, aur agar aapke ideas se dobara try bhi karu to kafi kuch badalna padega to khichdi ban jayegi:D
 

Raj_sharma

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dhparikh

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# 21.

उधर दस जनवरी का दिन रोमेश के लिए भी महत्वपूर्ण था। उसको एक चैलेंजिग मर्डर करना था, लोग चाहे जो अनुमान लगायें, परन्तु रोमेश ने इस कत्ल का ठेका पच्चीस लाख में लिया था और उसने कत्ल की तारीख भी तय कर ली थी।

अगर वह कामयाब हो जाता, तो उसका भविष्य क्या होता? क्या उसे सीमा वापिस मिल जानी थी ? क्या वह कानून के प्रति इंसाफ कर रहा था ?

उधर इंस्पेक्टर विजय के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण था। उसे एक ऐसे शख्स की हिफाजत करनी थी, जो अपराधी था और जिसने बहुत से बेगुनाहों का कत्ल किया था। वह एक माफिया था और जो चीफ मिनिस्टर बन गया था।

वह इस शख्स को नहीं बचा पाता, तो उसकी सर्विस बुक में एक बैड एंट्री होनी थी और इतना ही नहीं उसे रोमेश को गिरफ्तार करने पर भी मजबूर होना पड़ता। हालांकि वह अब अधिक चिन्तित नहीं था। फिर भी यह दिन उसके लिए महत्वपूर्ण था और इसी दिन शंकर नागा रेड्डी के मुकद्दर का भी फैसला होने वाला था।

अखबार वालों को भी सुनगुन थी कि कहीं कोई जबरदस्त न्यूज तो नहीं मिलने वाली। शहर में बहुत-सी जगह यह चर्चाएं थी। पुलिस डिपार्टमेंट से लेकर आम लोगों तक।
दस जनवरी आने तक कुछ नहीं हुआ। विजय एक गश्त लगा कर चला गया। रात के नौ बजे मायादास ने जे.एन. से मुला कात की।

"मैडम माया तीन बार फोन कर चुकी हैं।" मायादास ने कहा,

"उन्हें क्या जवाब दिया जाये ?"

"ओह, मुझे तो ध्यान नहीं रहा, आज शनिवार है।"

"तुम तो जानते ही हो मायादास ! मैं हर शनिवार डिनर उसके साथ उसी के फ्लैट पर लेता हूँ। वैसे भी यहाँ सुबह से दम-सा घुटा जा रहा है। उससे कहो कि हम आ रहे हैं, क्या हमारा जाना ठीक है ?"

"आप तो बेकार में टेंशन पा ले हुये हैं। आपको सब काम अपनी रुटीन के अनुसार करना चाहिये, अब तो शनि का प्रकोप भी खत्म हो गया। सारे ग्रह रात होते ही डूब जातेहैं। मेरा ख्याल है, वहाँ आप सारे तनाव से छुटकारा पा लेंगे। वैसे भी आपके साथ गार्ड तो रहेंगे ही। लोग कहेंगे कि आप बड़े डरपोक हैं। आपकी निडरता की साख है पूरे शहर में और आप हैं कि चूहे की तरह बिल में घुसे हुये हैं।"

"अरे नहीं हम किसी से नहीं डरने वाले। हम वहाँ जाकर आयेंगे। ड्राइवर से कहो कि गाड़ी तैयार रखे।"

"ठीक है, श्री मान जी !"

मायादास बाहर निकल गया, जे.एन. तैयार होने लगा। वह अब सब कुछ भूल चुका था और माया का हसीन फिगर उसके दिलों-दिमाग पर छाता जा रहा था।

माया ने एक बार और कौशिश की, कि जे.एन. से सम्पर्क हो जाये। वह आज रात के लिए जे. एन. को अपने यहाँ आने से रोकना चाहती थी, उसे ख्याल आया कि रोमेश ने उसे किसी कत्ल की चश्मदीद गवाह बनने के लिए कहा था और वह जान चुकी थी कि रोमेश ने जे.एन. को दस जनवरी को कत्ल करने की धमकी भी दी है।

"कहीं वह मेरे फ्लैट पर तो कुछ नहीं करने वाला ? यह ख्याल बार-बार उसके मन में आता और इसीलिये वह शाम से ही जे.एन. को फोन मिला रही थी।"

परन्तु जे.एन. से सम्पर्क नहीं हो पाया, तो उसने माया दास से संपर्क किया। उसने मायादास से ही कह दिया कि जे.एन. को वहाँ न आने दे किन्तु सवा नौ बजे मायादास का फोन आया।

"जे.एन. साहब आपके यहाँ आने वाले हैं।"

''मगर !"

"आप उस सबकी फिक्र न करे, जे.एन. साहब बड़े ही शेर दिल आदमी हैं। उन्हें इस तरह डरा देना भी ठीक बात नहीं प्लीज ! उनका वैसा ही वेलकम करें, जैसा करती हैं। तनाव मुक्त हो जायेंगे और ठीक से रात भी कट जा येगी।''

मायादास ने फोन काट दिया। करीब पांच मिनट बाद ही एक फोन और आया।

"हैलो ।"

"हम जसलोक से बोल रहे हैं, आपके अंकल मिस्टर जेठानी का एक्सी डेन्ट हो गया है। प्लीज कम इमी जियेटली !"
इस सूचना के बाद फोन कट गया।

"ओ माई गॉड, अंकल जेठानी का एक्सी डेन्ट।''

माया जल्द से तैयार हो गई। उसने अपनी नौकरानी से कहा,

''जे. एन. साहब भी आने वाले हैं। अगर कोई हॉस्पिटल से आये, तो उसे हैंडल कर लेना। कहना मैं हॉस्पिटल ही गई हूँ और जे.एन. साहब को भी समझा देना।"

माया फ्लैट से रवाना हो गई। वह अपनी कार दौड़ाती हुई हॉस्पिटल की तरफ बढ़ रही थी। उसके फ्लैट से निकलने के लगभग दस मिनट बाद बेल बजी। नौकरानी ने समझा या तो जे.एन. है, या कोई हॉस्पिटल से आया है, या खुद माया देवी ? नौकरानी ने तुरन्त द्वार खोल दिया।

जैसे ही नौकरानी ने द्वार खोला, उसके मुंह से हल्की-सी चीख निकली और तभी एक दस्ताने वाला हाथ उसके मुंह पर छा गया।

आने वाले ने दूसरे हाथ से फ्लैट का दरवाजा बन्द किया और नौकरानी को घसीटता हुआ स्टोर रूम में ले गया, भय से नौकरानी की आंखें फटी पड़ रही थीं।

शीघ्र ही उसके हाथ पाँव बाँध दिये गये और मारे भय के वह बेहोश हो गई। स्टोर बन्द करके वह शख्स बाहर आया, उसने फ्लैट का मुख्य द्वार का बोल्ट अन्दर से खोल दिया और चुपचाप फ्लैट के बैडरूम में पहुंचकर उसने दस्ताने उतारे, फिर फ्रिज खोला और फ्रिज से एक बियर और गिलास लेकर बैठ गया।
उसने गिलास में बियर डाली, और बियर पीने लगा। कुछ ही देर में माया बड़बड़ाती हुई अन्दर दाखिल हुई। वह नौकरानी को आवाज देती बड़बड़ा रही थी !


"पता नहीं किसने मूर्ख बनाया ? आज कोई फर्स्ट अप्रैल तो है नहीं ? मेरी भी मति मारी गई, यहाँ से अंकल के घर फोन किये बिना ही चल पड़ी हॉस्पिटल।"

बड़बड़ाती माया बैडरूम में पहुंची। बैडरूम में किसी की मौजूदगी देखते ही चीख पड़ी,

"तुम एडवोकेट रोमेश !"
वह शख्स एकदम माया देवी पर झपटा और उसने चाकू की नोंक माया की गर्दन पर रख दी।

''शोर मत मचाना, चलो इधर।"

वह माया को चाकू से कवर करता एक बार द्वार तक आया और फिर से फ्लैट का डोर अनबोल्ट किया। फिर द्वार का मुआयना किया और माया को खींचता हुआ बैडरूम से अटैच बाथरूम में ले गया। उसने बैडरूम का शावर चला दिया और बाथरूम का दरवाजा भी बन्द कर दिया।





जारी रहेगा…..✍️✍️
Nice update....
 
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