Dhanyawaad bhai..aapke comments kaa intezaar hai.. here is the story link:ओके दोस्त बिलकुल... आपकी कहानी भी रीड करता हूँ![]()
Thanks.
andypndy
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बिलकुल दोस्त आज ही पढ़ता हूँDhanyawaad bhai..aapke comments kaa intezaar hai.. here is the story link:
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andypndy
Kitni sundar hain kaya, lagta hai ab babu ki baari hain kaya ke maje lene ki.अपडेट -14![]()
काया अपने चरम सूखा का आनंद लिए नींद के आगोश मे समा चुकी थी, शरीर का पानी चुत के रास्ते बह गया था.
रात 3बजे
बाहर खिड़की से आती ठंडी हवा के थपेड़े काया के जिस्म को सूखा चुके थे, ठण्ड से रोये खड़े हुए थे.
एक दम से काया की आंखे खुल गई, जैसे कोई सपना देखा हो.
आस पास देखा रोहित सोया हुआ था, उसके जिस्म के ऊपरी हिस्से पे ब्लाउज विधमान था,
काया ने घड़ी पर नजर डाली 3बजे थे, अभी जो थोड़ी देर पहले हुआ वो उसके जहन मे दौड़ गया, उसकी नजरें अपने पैर के पंजो पर गई, जिसमे कुछ समय पहले कय्यूम का लंड फसा पड़ा था, वो पल याद आते ही काया के जिस्म ने एक झुंझुनी सी ली.
पेट मे गुदगुदी सी होने लगी.
काया के चेहरे पे कोई पछतावा जैसा कुछ नहीं था, एक नजर रोहित की ओर देखा " ये मैंने क्या कर दिया, रोहित जग जाते तो " काया ने जो किया उसकी फ़िक्र नहीं थी, रोहित जग जाता तो ये चिंता थी.
चोर ऐसे ही सोचता है, कहीं पकड़ा जाता तो.
काया का गला सूखता सा महसूस हुआ, जांघो के बीच गीलेपन ने उसे थोड़ा असहज कर दिया था.
काया बिस्तर से उठ हाल मे आ गई, सामने अँधेरे मे कय्यूम सोया पड़ा था.
काया उस विशालकाय आकृति को देख मुस्कुरा दी, अँधेरे मे सिर्फ उसकी महसूस हो रहा था की कोई लेता है,
काया ने किचन मे जा कर फ्रिज खोल दिया.
पानी की बोत्तल निकाल पिने ही वाली थी की गड़ब.... थूक निगल लिया, हाथ से बोत्तल छूटने वाली थी,
सामने कय्यूम सोफे पर बिलकुल नग्न पड़ा था, बालो से भरा कला जिस्म सफ़ेद सोफे पर फ्रिज की हलकी रौशनी मे चमक रहा था.
काया के किये हैरानी उसका शरीर नहीं था वो तो पहले भी देख चुकी थी.
उसकी नजर मे कय्यूम की जांघो के बीच झूलता उसका काला मोटा लंड चुभ रहा था.
कदकपन पानी था, एक तरफ लुड़का पड़ा था लेकिन भयानक दिख रह था.![]()
काया का जिस्म मे एक बार फिर से खलबली सी मचने लगी, मर्दाने अंग को देखने की चाहत पनपने लगी.
उस वक़्त वो हिम्मत नहीं कर पाई थी, कैसे करती पराया मर्द कय्यूम उसे ही देख रहा था, लेकिन यहाँ कौन है, रोहित अंदर सो रहा है, कय्यूम खुद सो रहा है.
काया को वो अंग पास से देखना था, ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा,
काया हाथ मे बोत्तल पकडे कय्यूम की ओर बढ़ चली. पीछे फ्रिज का दरवाजा कहीं अटक गया मालूम होता था रौशनी अभी भी आ रही थी.
काया का दिल धाड धाड़ कर रहा था, कदम कांप रहे थे कभी पीछे हटते तो दो कदम आगे बढ़ जाते.
काया सोफे तक का फैसला तय कर चुकी थी.
सामने सोफे पर विशालकाय शरीर का मालिक कय्यूम बिछा हुआ था.
काया धीरे से कय्यूम के पैरो की तरफ बैठ गई.
जैसे कोई बायोलॉजी का छात्र आज किसी जीव की रचना का बारीकी से मुयाना करने बैठा हो.
काया के सामने कय्यूम का नसो से भरा काला, बड़ा और मोटा लंड लुड़का पड़ा था.
"बबब.... बाप रे.. ये... ये... इतना बड़ा " काया ने दूर से ही हथेली को पूरा खोल लंड के सामंतर रख नापा.![]()
मुरछीत लंड भी उसकी हथेली से बड़ा था.
काया का दिमाग़ सांय सांय करने लगा, ऐसा भी होता है, ऐसा तो बाबू का भी नहीं था.
ये तो रोहित से भी कहीं ज्यादा बड़ा है, आज की रात ही उसने रोहित और कय्यूम दोनों के लंड देखे थे,
तो तुलना तो लाज़मी ही थी, रोहित का तो इसके सामने कुछ भी नहीं.
काया को वो दृश्य याद आ गया जब वो इसी भयानक लंड को अपने पैरो मे कैद कर निचोड़ रही थी.
"ईईस्स्स...... एक सिस्कारी सी काया के मुँह से फुट पड़ी.
काया ने चेहरा नजदीक ले जा के देखा, लंड के आगे गुलाबी सा मोटा आकर का कुछ था जिस के ऊपर एक छोटा सा लम्बाई मे चीरा लगा था.
कितनी अच्छी छात्रा थी काया कितनी बारीकी से समझ रही थी, तभी उसकी नजर लाल लकीर पर पड़ी, को की पुरे लंड पर ऊपर ज़े नीचे की तरफ बनी हुई थी, लगता था जैसे खून सुख के जम गया है.
काया को ध्यान आया उसके पैरो के नाख़ून कय्यूम के लंड पर खरोच मारते हुए गए थे, काया के हाथ आगे बड़े वो टटोल लेना चाहती थी, वजन, मोटाई नापने की इच्छा जाग्रत होने लगी...
की ठप्प...... थप्पक... की आवाज़ के साथ हॉल मे अंधेरा छा गया, काया ने पीछे मूड देखा फ्रिज का दरवाजा बंद हो गया था.
काया का जिस्म इस अँधेरे से उजाले मे आ गया," क्या करने जा रही थी मै.... नहीं.. नहीं... ये गलत है, वो खुद से ऐसा कैसे कर सकती है... नहीं.... " काया पानी की बोत्तल उठा बैडरूम की ओर चल दी.
सुबह 7 बजे, day -6
ट्रिन... ट्रिंग... ट्रिंग....
रोहित के फ़ोन की घंटी बज उठी,
"हहह.... हेलो... हेल्लो " रोहित ने आधी नींद मे जवाब दिया.
काया की नींद भी मोबाइल बजने से खुल गई थी.
"साब... साब मै मकसूद, आज नहीं आ पाउँगा "
"क्यों... क्या हुआ?"
"साब बीबी को मायके छोड़ ने जाना है"
"अरे भाई तो फिर मै बैंक कैसे जाऊंगा?" रोहित की नींद पूरी तरह से फुर्र... हो गई थी.
"पांडे को कार दे दी है वो आ जायेगें आपको लेने "
"ठ... ठीक है कट...."फ़ोन काट दिया.
"आ गया होश बड़े बाबू को " काया ने तुरंत ही गुस्सा करते हुए कहां.
"वो... वो.... सॉरी काया... पता नहीं कल क्या हो गया था ससस... सोरी "
क्या खाक सॉरी पूरी रात ख़राब कर दी अपने, खाना भी नहीं खाया "
"मुझे तो याद नहीं यार कुछ, सॉरी, वैसे मै घर कैसे आया?"
"वो... कय्यूम.... कककक.... कक्क..." काया को जैसे ही कय्यूम का ध्यान आया उसके हलक मे जबान फस गई.
तुरंत बिस्तर से खड़ी हो गई, भागते हुए बाहर हॉल मे आई,
उसे याद आया कय्यूम नंगा सोफे पर सो रहा है.
लेकिन सोफा खाली था " कहां गया.... " काया भागती हुई बाथरूम की तरफ भागी, बाथरूम तो खुला है कोई नहीं है, ककय्यूम के कपडे भी नहीं है, काया फिर से हॉल मे आई, कय्यूम के सफ़ेद जूते नहीं थे.
"उउउफ्फ्फ.... हुउउम.. फ़फ़फ़फ़...." लगता है चले गए,
काया का सीना डर के मारे फटने को था, चेहरे की हवाइया उड़ गई थी, उसे हुए तोते वापस आ चुके थे.
साथ ही रोहित भी.
"क्या हुआ काया? भागी क्यों? " सवाल लाजमी था
"कक्क.... कुछ नहीं मुझे लगा दरवाजे पर कोई है " काया साफ झूठ बोल गई थी.
"बताओ ना मै यहाँ आया कैसे?"
" कय्यूम जी आये थे छोड़ने, छोड़ के चले गए " काया जवाब देती किचन की ओर चल दी.
"भले आदमी है लोग फालतू की बेकार कहते है उसे, तुमने कुछ चाय नाश्ता करवाया या नहीं उन्हें "
जवाब मे काया सिर्फ मुस्कुरा के रह गई.
रोहित बाथरूम की ओर चल पड़ा और काया किचन मे खाना बनाने लगी.
थोड़ी देर बाद डाइनिंग टेबल पर.
"अच्छा सुनो ना रोहित मुझे कुछ सामान लेने है "
"हाँ तो जाओ, घूमो फिरो थोड़ा मन लगेगा "
"तो आप कार भेज देंगे आज?"
"ओह... सॉरी आज मकसूद नहीं है"
"फिर?"
"फिर क्या देख लेना कोई ऑटो वगैरह "
"यहाँ मिलेंगे ऑटो?"
"क्यों नहीं... काफ़ी चलते है, पांडे को बोल के भिजवा दूंगा "
"हाँ भई बड़े बाबू है आप तो" काया ने चुटकी लेते हुए कहां.
"तुम्हारे तो पति हूँ मेरी जान "
रोहित बैंक के लिए निकल गया,.
काया के सामने बहुत काम थे.
*********
आज सुबह से ही बादल लगे हुए थे,
"आज मौसम अजीब हुआ है पांडे " कार मे बैठे रोहित मे पांडे को कहां
"हाँ साब लगता है कहीं बारिश हो रही है, इसलिए यहाँ भी मौसम बिगड़ रहा है"
रोहित बैंक पहुंच चूका था
"सुमित क्या प्रोग्रेस है, कुछ लोन रिकवर हुआ "
"बिलकुल सर, कुछ कुछ तो आया है, लेकिन जो मोटा माल है वहाँ से नहीं आया है "
"मतलब?'"
" मतलब शबाना जी का, कय्यूम का? "
"कय्यूम तो दे देगा, उसने कहां है... इस शबाना का कुछ करना पड़ेगा "
"पांडे.... पांडे..." रोहित ने पांडे को आवाज़ लगाई
"जी सर...?" पांडे तुरंत हाजिर हुआ
"कार की चाबी तो मै काम से हो के आता हूँ "
"आप चला लेंगे? मै चलता हूँ ना?"
"कार चालानी आती है मुझे, अब रास्ते भी पता है मै चला जाऊंगा, वैसे ही बैंक मे स्टाफ की कमी है "
रोहित कार ले चल पड़ा शबाना की कोठी की तरफ.
इधर काया घर के कामों मे व्यस्त थी.
टिंग टोंग.....
"अभी कौन आया?" काया ने दरवाजा खोल दिया
"नमस्ते मैडम जी "
"बाबू तुम...." काया के चेहरे पे मुस्कान आ गई.
बाबू उसे अच्छा लगता था.
"कल से मिली नहीं ना?" बाबू के लहजे मे शरारत थी
"क्या नहीं मिली " काया पलट कर सोफे पर जा बैठी.
साथ ही बाबू भी
" आप मैडम.... "
"अच्छा तो मुझसे मिलने आये हो?"
"हाँ... मैंने सोचा कोई काम हो, इस बिल्डिंग मे आप ही प्यार से बात करती है मुझसे "
" काम तो कोई नहीं है"
" अच्छा " बाबू का मुँह उतर गया, जैसे यहाँ आने का मकसद ही ख़त्म हो गया हो, बाबू पलटने को हुआ ही की.
"अच्छा बाबू तुम किसी ऑटो वाले को जानते हो?"
"हाँ... क्यों... कहां जाना है?"
"मार्किट कुछ सामान लेने है "
"आप इतनी बड़ी मेमसाब ऑटो से जाएगी, "
"इसमें क्या है?" काया जमीन से जुडी महिला थी, कोई घमंड नहीं था उसमे.
हहहहहहम.... बाबू सोचने लगा
"ऑटो तो क्या.... स्कूटी से चले "
"स्कूटी से चले का क्या मतलब?"
"मतलब स्कूटी का इंतेज़ाम है मेरे पास, ऑटो वाला धक्के खिलता ले जायेगा, मै भी दिन भर यहाँ मक्खी ही मरता हूँ, आपके काम आ जाऊंगा, आपकी सेवा कर लूंगा "
बाबू ने बड़ी ही मासूमियत से बात रखी..
"हाहाहाहा.... बाबू तुम भी ना, अच्छा ठीक है सेवा का मौका देती हूँ
"आप तैयार हो जाइये एक घंटे मे नीचे मिलता हूँ "
बाबू तुरंत निकल लिया कहीं काया का मूड ना बदल जाये
काया मुस्कुराती बाथरूम की ओर चल दी.
करीब एक घंटे बाद
रोहित शबाना की कोठी के बाहर खड़ा था, " आज हिसाब कर के रहूँगा "
दूसरी और काया लेगी कुर्ते मे बिल्डिंग के बाहर खड़ी थी, पिंक लेगी मे काया की जाँघे कहर ढा रही थी, फ्लावर प्रिंट कुरता काया के जिस्म पर कसा हुआ था, स्तन अपने आकर को बयां कर रहे थे.
पिंक दुप्पटा गले मे अटका पड़ा था,![]()
आसमान मे बादल छाये हुए थे, धुप बिलकुल भी नहीं थी, जो की काया के लिए सुखद था.
सामने से बाबू एक्टिवा लिए, दाँत निपोर चला आ रहा था.
"चले मैडम?" आँखों पर काला चश्मा चढ़ाये बाबू काया के सामने आ चूका था.
"अरे वाह बड़े हैंडसम लग रहे हो" काया स्कूटी पर जा बैठी.
काया की जाँघे बाबू की कमर से जा लगी.
"आप भी कम हैंडसम नहींअगर रही मैडम "
"हाहाहाहा.... बुद्धू लड़कियों को ब्यूटीफुल बोलते है,"
"वो... वो... सॉरी मैडम आप सुंदर लग रही है"
काया और बाबू का हसीं मज़ाक भरा सफर शुरु हो गया था.
पति पत्नी दोनों ही इस मौसम मे कुछ नया सीखेंगे?
रोहित लोन रिकवर कर पायेगा? इतिहास रहा है जहाँ हुश्न हो वहाँ मर्द पैसे लुटा के ही आता है ले कर नहीं.
बने रहिये कथा जारी है....
रोहित का चक्कर धीरे धीरे समझ आएगा....Kitni sundar hain kaya, lagta hai ab babu ki baari hain kaya ke maje lene ki.
Aur ye rohit ka kya chakkar hai andy bhai?
जल्द ही उसपर आऊंगा.Meri biwi anushri story kab start kar rahe ho