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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

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nain11ster

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भाग:–122


निशांत अपनी बात पूरी कर जो ही जोरदार थप्पड़ दोनो के गाल पर मारा, दिमाग से “सबसे बढ़कर हम” होने का भूत उतर गया। किसी असहाय इंसान की तरह खड़े थे, और गाल टमाटर की तरह लाल हो गया था।

निशांत मारकर जैसे ही पीछे मुड़ा, ठीक उसी वक्त नित्या और तेजस ने लेजर किरणों से हमला कर दिया। निशांत बिना किसी बात की परवाह किये बस चलता रहा। पलटकर नित्या और तेजस के भौंचक्के चेहरे को देखा तक नहीं। एक गया और दूसरे की बारी थी। निशांत के हटते ही वहां रूही पहुंची।

किरणों का निशाने पर न लगना दोनो को घोर आश्चर्य में डाल चुका था। रूही के झन्नाटेदार गरम तवा वाला तमाचा पड़ते ही दोनो वास्तविकता में लौट आये। कुछ तो दोनो ही बोलना चाह रहे थे, लेकिन रूही थी की तप्पड़ मार मारकर न सिर्फ दोनो के गाल सुजा दी, बल्कि गालों पर पंजे के निशान के गड्ढे पड़ गये थे। अब दोनो के मुंह से आवाज की जगह दर्द भरी चीख निकल रही थी।

अलबेली उनका हुलिया देखकर नाकी धुनते हुये.... “मैं कहां मारूं”...

आर्यमणि:– पहले हील होने का सुख दो। उन्हे एहसास करवाओ की दर्द में जब तड़पते रहे तब उस वक्त कोई दर्द और घाव कम करे तो कैसा लगता है...

अलबेली हामी भरी और दोनो के नजदीक जाकर दोनो के गाल पर हाथ रख दी। टॉक्सिक वाला तमाचा पड़ा था, दर्द से दोनो की पहचान हो गयी थी। जैसे ही अलबेली ने हाथ लगाया, दोनो का दर्द कम होने लगा। एक नजर खोलकर दोनो अलबेली को देखे और उनके आंखों से आंसुओं की धार फुट गयी।.... “दादा ये तो बच्चों की तरह रो रहे हैं।”

आर्यमणि:– पहली बार दर्द और सुकून को साथ में मेहसूस किया है ना... जज्बात तो बाहर आएंगे ही...

नित्या:– अब तो हो गया न... अब हमें जाने... आआआआआ...

इस से पहले कहती की “जाने दो” अलबेली ने ऐसा थप्पड़ मारा की मुंह से “दो” शब्द निकलने की जगह पहले 2 दांत निकल आये बाद में दर्द भरी चीख। फिर तो अलबेली का गाल सुजाओ और गाल की चमरी छिल दो अभियान शुरू हो गया। दे थप्पड़, दे थप्पड़ दोनो के गाल के मांस को ही पंजा आकर से गायब कर दिया। एक किनारे का जबड़ा साफ देखा जा सकता था और चीख... दोनो तो दर्द से जैसे बिलबिला गये हो। अपने दर्द से बिलबिलाते आवाज में तेजस गिड़गिड़ाते हुये कहने लगा.... “हां जिंदगी कठिन होती है, हम समझ गये। अब किसी को परेशान नहीं करेंगे”...

आर्यमणि, दोनो को एक साथ पूरा हील करते.... “अभी तो इनके दिल का भड़ास निकला है। मेरे दादा वर्घराज कुलकर्णी, मेरे बचपन की पहली साथी मैत्री, सात्त्विक आश्रम के न जाने कितने अनुयाई, इन सबका हिसाब बाकी है। और अभी कुछ देर पहले जो तूने मेरी मां के बारे में कहा था न, उसे सुनकर मेरी आत्मा धिक्कार रही है कि मैने सुन कैसे लिया।

नित्या:– इनमे से मैने कुछ भी नही किया... सच कह रही हूं।

तेजस:– ये झूठ बोल रही है आर्य।

आर्यमणि तो था ही गुस्से में। ऊपर से तेजस की आवाज दिल में टीस पैदा कर गयी। आर्यमणि, तेजस के मुंह को दोनो मुक्के के बीच ऐसा बजाया की उसके आगे के 16 दांत बाहर आ गये और होंठ का पूरा हिस्सा कचूमर बन गया। दर्द से इस बार तेजस बेहोश ही हो गया। आर्यमणि उसे वापस से हील किया और होश में लाया। हील तो हो गया पर आगे से, ऊपर और नीचे के 16 दांत गायब हो गये.... “मुझे मेरे दोस्त आर्य कहते है। अंजान लोग भी कह सकते है। लेकिन तुझ जैसा नीच मुझसे इतना फ्रेंडली रहे, अजीब लगता है। मां के लिये कहे अपशब्द याद आ गये और उसी का इमोशन बाहर ले आया। हां बकना शुरू कर और बता”

तेजस:– हर काम में नित्या भी बराबर की भागीदारी है। लेकिन तुम सात्त्विक आश्रम को कैसे जानते हो?

आर्यमणि:– उसपर आराम से चर्चा होगी। हम दोनों के पास बहुत समय होगा। हां लेकिन वो तुम्हारी जान बक्शने की जो मैने बात कही थी, वो मैं कर सकता हूं.... लेकिन..

तेजस:– लेकिन क्या???

आर्यमणि:– अम्म्म बताने का मन नहीं हो रहा। पहले तुम बताओ...

तेजस:– क्या???

आर्यमणि:– वही अपने समुदाय के बारे में कुछ जिसे सुनकर मैं तुम्हे ये बता दूं, की तुम्हे छोड़ा कैसे जाये....

तेजस:– हमारे आंखों के साथ–साथ हाथ में भी शक्ति होती है।

आर्यमणि:– जानता हूं, तुम्हारे थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी ने पूरा बका है। अब तुम उनके नेताओं में से एक हो तो कुछ ऐसा बताओ जो तुम्हारा थर्ड लाइन वाले नही जानते हो।

तेजस:– साले गद्दार... उन्ही के वजह से हमारी ये हालत हुई..

आर्यमणि:– सो तो तुम भी हो। अपनी जान फसी तो तुम भी सब बकने को राजी हो गये। अब कुछ ऐसा बताओ जिसे सुनकर मैं तुम्हारे जिंदा रहने का तरीका बता सकूं।

तेजस:– “ठीक है तो सुनो, हम पृथ्वी पर हजारों वर्षों से है। पृथ्वी पर हाइब्रिड जेनरेशन विकसित होने के साथ ही विलुप्त के कगार पर खड़ा हमारा समुदाय अब 5 ग्रहों पर फल फूल रहा है। अब पांचों ग्रह मिलाकर हमारी 800 करोड़ से ज्यादा की आबादी है। देखा जाये तो पृथ्वी पर कोई आबादी ही नही। सभी आबादी दूसरे ग्रहों पर है। वो इसलिए भी शायद क्योंकि पृथ्वी पर आबादी बढ़ाना सबसे आसान है, इसलिए इसे अंत के लिये छोड़ा है।”

“इन सब में जो सबसे अहम बात है, वो यह कि सात्विक आश्रम पर कभी हमला नायजो ने नही करवाया था। उसका एक अपना पुराना दुश्मन था, शुर्पमारीच। उसी ने हमे पृथ्वी पर बसाया था और वही इकलौता था जो वक्त–वक्त पर सात्विक आश्रम को भी तबाह करता था। उसी के सबसे पहले हमले के बाद प्रहरी संस्था बनी थी। देखा जाये तो उस जैसा दुश्मन कभी सात्विक आश्रम वालों ने देखा ही नहीं था।

आर्यमणि:– शुर्पमारीच हां... तो ये मारीच जो है, उसने तुम्हे पृथ्वी पर क्यों बसाया था?

तेजस:– पहले वादा करो की हमे जान से नही मारोगे, तभी इस सवाल का जवाब दूंगा।

आर्यमणि:– मैं वादा करता हूं कि मेरा कहा मानोगे तो मैं तुम्हे जान से नही मारूंगा। अब बताओ...

तेजस:– नायजो पेड़ पौधे के रखवाले होते है। हमे इस ब्रह्माण्ड के हर जड़ी बूटी, औषधि और पेड़ पौधों का ज्ञान है। इसी ज्ञान में कई रहस्य छिपे है,जैसे की किसी को वश में करना, किसी की सीमित यादें मिटाना, किसी की यादों में झांकना, शरीर में पैरालिसिस जैसी स्थिति उत्पन्न कर देना, इत्यादि–इत्यादि। यूं समझ लो की किसी भी शरीर को हम जब चाहे गुलाम बना सकते है। इस पूरी विद्या में हमने शुर्पमारीच को निपुण किया और बदले में उसने हमे 4 प्लेनेट पर बसाया था। जिनमे से एक पृथ्वी भी था।

आर्यमणि:– तू उस वक्त था क्या?

तेजस:– नही मै तो नही था। वास्तविकता तो ये है कि उस वक्त का कोई भी नही। लेकिन 20 शाही खानदान के 40 परिवार पृथ्वी पर है, उन्हे इतिहास से लेकर आने वाले भविष्य की सारी योजना पता रहती है, उनमें से एक हम दोनो भी है।

रूही:– शाही परिवार या नीच परिवार जहां घर के ही लोगों को देखकर जोश जागता है। पलक भी एक शाही परिवार से ही होगी, रिश्ते में तेरी बहन, भतीजी या पोती लगेगी चुतिये।

आर्यमणि:– रूही छोड़ो भी इनके घिनौने वयभिचार की कहानी। तुम्हारी जानकारी से मेरा दिल पिघल गया। सुनो मैं तुम्हे एक इंजेक्शन दूंगा। ये धीमे जहर का इंजेक्शन है। तुम दोनो को मरने में लगभग 8 घंटे से 10 घंटे लगेंगे। जाहिर सी बात है, एंटीडॉट भी है मेरे पास। तो तुम दोनो करना ये है कि अगले 3 घंटे में यदि तुमने खुद को मारने की इच्छा जाहिर नही किये, तब एंटीडोट मैं तुम्हे एंटीडोट लगा दूंगा। तुम तो जड़ी बूटी के ज्ञानी हो, चाहो तो जहर और एंटीडॉट दिखा सकता हूं...

तेजस और नित्या तिरछी नजरों से एक बार एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और बड़े यकीन से कहने लगे.... “तुमने हमे क्या लगाया उसकी जानकारी तीन घंटे बाद ले लेंगे। अभी सीधा इंजेक्शन ठोको”

आर्यमणि:– जैसे तुम्हारी मर्जी। निशांत इंजेक्शन लाओ...

इंजेक्शन आर्यमणि के हाथ मे था। यह वही जहर था जो मैक्सिको में आर्यमणि को जगाने के लिये रूही, अलबेली, ओजल और इवान ने लिया था। इस जहर से मौत तो 8 से 10 घंटे में होती है, लेकिन पहले मिनट से ही ये मौत के दर्द का अनुभव करवाने लगता है। आज तक जितने भी इंसान इस जहर के संपर्क में आये, बेइंतहा दर्द के कारण 5 मिनट से ज्यादा कभी कोई दर्द बर्दास्त न कर पाये और खुद की जान ले लेते थे।

इस जहर का खौफनाक असर ऐसा था कि आर्यमणि जब अपने पैक को हील किया, तब हील के दौरान ही उसकी मरने जैसे हालात हो गईं थी। चारो को किसी तरह हील करने के बाद आर्यमणि जब बेहोश हुआ तब उसके शरीर का हीलिंग प्रोसेस इतना स्लो हो चुका था कि उसे आंख खोलने में लगभग 2 महीने लग गये थे। आर्यमणि और उसके पैक ने कैस्टर ऑयल प्लांट के फूल के जहर का स्वाद चखा था। वही जहर अब आर्यमणि तेजस और नित्या को देने जा रहा था।

तेजस और नित्या भी कम न थे। लैब में शरीर पर एक्सपेरिमेंट करने के बाद तो अमर हो जाते हैं, दोनो इसी भ्रम में थे। उन्हें अभी तक पता भी नही चला था कि रूही और अलबेली उनकी कलाई क्यों पकड़ी थे। तेजस और नित्या अब भी सोच रहे थे कि 8 घंटे में असर करने वाला मामूली जहर उनका क्या बिगाड़ लेगा, जबकि उन गधों ने ये तक गौर न किया की थप्पड़ पड़ने से वो हिल न हुये थे। उनके शरीर से सारा एक्सपेरिमेंट निकाल लिया गया था।

पूरा माहोल तैयार था। आर्यमणि बिना कोई देर किये दोनो को इंजेक्शन लगाकर पीछे अपने साथियों के पास खड़ा हो गया। उन सबको कतार में देख तेजस हंसते हुये कहने लगा.... “आर्यमणि तुमने मेहनत तो बहुत की लेकिन हमारे बारे में पूरी जानकारी नही निकाल पाये। ये जहर हमारा क्या बिगाड़ लेगा। लेकिन डर ये है कि कहीं तुम मुकर न जाओ”...

नित्या:– हिहिहिही... अब ये मूर्ख कैसे मुकड़ सकता है। सबके सामने ही उसने वादा... वादा किया है...

नित्या जब वादा बोल रही थी तब पहला मिनट गुजर चुका था। जहर बदन के जिस हिस्से में लगता वहां से वह खून के साथ सर्कुलेट होकर हृदय तक नही पहुंचता था, बल्कि काफी स्लो बढ़ते हुये खून को ही जहर बनाते चलता था। नित्या जब वादा बोल रही थी तभी से पीड़ा शुरू हुई। किसी तरह अपनी बात पूरी करके वह तेजस को देखने लगी।

तेजस के भी चेहरे का रंग उड़ चुका था। दर्द बर्दास्त करने की जद्दो जेहद उसके चेहरे पर भी साफ देखी जा सकती थी। दूसरा मिनट गुजरा तो दोनो को छटपटाते देखा जा सकता था। बदन को तो हिला नही सकते थे लेकिन चेहरे की दर्द भरी सिकन सारी कहानी बयां कर रही थी। जैसे ही दोनो तीसरे मिनट में प्रवेश किये आर्यमणि प्यारी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते.... “जिंदा रहना कितना मुश्किल होता है शायद ये पता चलना शुरू हो गया होगा। अभी तो तीसरा मिनट ही है। बस 3 घंटे इसके साथ जूझते रहो फिर तुम दोनो को जाने दूंगा”..

आर्यमणि की बात सुनकर दोनो के आंखों से आंसू का सैलाब उमड़ गया। गले से जितना तेज चीख सकते थे, चीखने लगे। बौखलाहट में आंखों से लेजर किरणे निकालने लगे। अगले 2 मिनट तक यही तमाशा चलता रहा उसके बाद हवा हो चुकी थी सारी हेकड़ी... दर्द से बिलखती आवाज में दोनो चिल्लाने लगे.... “ये कैसा बदला ले रहे। अब बर्दास्त नही हो रहा”..

आर्यमणि:– हां क्या कहे, जरा दोहराना...

तेजस पागलों की तरह अपना गर्दन को घुमाते.... “रोक दो इसे... भगवान के लिये रोक दो”

आर्यमणि:– जब मैत्री के साथ बलात्कार करके उसे मार रहे थे तब ये ख्याल नही आया की उसे भी सम्मान के साथ जीने का हक है...

नित्या:– मैं बहुत बड़ी पापी हूं। ना जाने कितने इंसानों को खा चुकी हूं... मुझे नही जिंदा रहना... मार दो मुझे... प्लीज मार दो मुझे...

आर्यमणि:– ठीक से 10 मिनट भी न गुजरे और जिंदगी हार गये... क्या कहा था मैने जो मरने का भय तुम मुझे दिखा रहे, उसके बदले मैं तुम्हे जीने का भय दिखाऊंगा...

तेजस, गला फाड़ चिल्लाते.... “आखिर मेरा लेजर तुम्हे लग क्यों नही रहा। कौन सा तिलिस्म किये हो जो निशाना तुम सबको बनाता हूं, और लेजर कहीं और लग रहा।”

निशांत:– अबे घोंचू, तू सात्त्विक आश्रम के एक गुरु के सामने खड़ा है। गुरु होने के साथ–साथ ये आश्रम का रक्षक भी है। तुम्हे क्या लगता है, सामने से आश्रम के अनुयाई को छूने की औकद भी है तुम्हारी। भूल गये आश्रम वालों को कैसे पीछे से मारते थे? आज सामना हुआ तो फटने लगी...

दोनो ही गिड़गिड़ाते... “हमे मार दो... प्लीज हमे मार दो... अब और ज्यादा दर्द बर्दास्त नही हो रहा। मार दो ना... खड़े क्यों हो।”

आर्यमणि ने आंखों से मात्र इशारा किया और नित्या और तेजस पूरे जड़ों में जकड़े हुये थे। अब तो उनके भयानक दर्द भरी चीख उनके हलख के नीचे दब गयी। ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने पलक से संपर्क किया। पलक तो होटल के फोन को ही देख रही थी। जैसे ही रिंग हुआ, पलक एक बार में फोन उठाती.... “हेल्लो”..

आर्यमणि:– लगता है बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी। अपना पुराना ईमेल चेक करो...

पलक, लैपटॉप पर अपना ईमेल खोलती..... “मैं नया और पुराना नही करती, एक ही ईमेल है। कमाल है, ईमेल तो अब तक तुमने भी नही बदला... इस लिंक का क्या करूं?”

आर्यमणि:– अपने समुदाय, यानी नायजो समुदाय के ही लोगों से ये लिंक शेयर करो और जल्दी से जुड़ जाओ... सबको एक साथ बताऊंगा...

पलक:– तुम बस मुझसे मिलने की जगह बताओ... मैं इसके अलावा कुछ नही करने वाली....

आर्यमणि, बातों के दौरान ही नित्या और तेजस की मौत के भीख मांगने वाला छोटा क्लिप सेंड करते.... “ईमेल चेक करो”..

पलक:– हां वही देख रही हूं...

और जैसे ही वह क्लिप चला पलक बौखलाती... “ये सब क्या है?”

आर्यमणि:– नायजो के 2 रॉयल ब्लड मुझसे मौत की भीख मांग रहे... क्या करना है इनका यही पूछने के लिये सबको जोड़ने कह रहा था, लेकिन 800 करोड़ के समुदाय वालों को अपने 2 बंदों की फिकर नही...

पलक, वह लिंक अपने निजी सिक्योर लाइन से शेयर की। साथ में वीडियो क्लिप भी, जिसके नीचे लिखा था, “आर्यमणि हमसे जुड़ेगा और उसके पास नायजो की जानकारी है, इसलिए केवल नायजो को ही कनेक्ट करे”...

कुछ ही देर में बहुत सारे नाजयो एक साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जुड़ चुके थे। वीडियो ऑन करके सभी देखने लगे। सबके स्क्रीन के आगे बस काला आ रहा था। जितने भी जुड़े लोग थे, वह आपस में एक दूसरे को नही देख सकते थे। तभी स्क्रीन के आगे नायजो के सबसे बड़े अपराधी का चेहरा सामने आया।

आर्यमणि मुस्कुराते हुये.... “उम्मीद है इस चेहरे को किसी ने भुला नहीं होगा। मैं अभी जल्दी में निपटाऊंगा, क्योंकि असली मजा तो कल आने वाले है। जो लोग मुझे जानते है अथवा नहीं जानते है। उन्हे मैं अपना छोटा सा परिचय दे दूं। मेरा नाम आर्यमणि है। मैं दुर्लभ पाये जाने वाले वेयरवॉल्फ प्योर अल्फा हूं, जिसके पास अपना एक अल्फा पैक है। अल्फा पैक मेहमानो को अपना परिचय दो...

रूही:– मैं रूही। प्योर अल्फा पैक की एक अल्फा हीलर।

अलबेली:– मैं अलबेली। प्योर अल्फा पैक की

आर्यमणि:– तो जैसे की तुम सब अपने आंखों के आगे २ पुतले देख रहे हो, वह महज दो पुतले नही बल्कि 2 रॉयल ब्लड है। तुम सब पहले उन्हे देख और सुन लो, उसके बाद बात करेंगे...

 

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भाग:–123


आर्यमणि:– तो जैसे की तुम सब अपने आंखों के आगे २ पुतले देख रहे हो, वह महज दो पुतले नही बल्कि 2 रॉयल ब्लड है। तुम सब पहले उन्हे देख और सुन लो, उसके बाद बात करेंगे...

आर्यमणि अपनी बात कहकर आंखों से मात्र इशारा किया और अगले ही पल जड़ें खुलने लगी। जड़ें नीचे से खुलना शुरू हुई और हर कोई नंगे बदन को खुलते देख रहा था। जड़ें जब खुलकर घुटने के ऊपर पहुंची तब तेजस और नित्या दोनो घुटने पर आ चुके थे। कमर के थोड़े ऊपर तक खुली तो धर को जमीन तक झुका चुके थे। और जब चेहरा खुला तो सर को मिट्टी में रगड़ रहे थे। अपने हाथों से खुदका बाल नोच रहे थे। सबसे आखरी में दोनो का मुंह खोला गया।

जैसे ही मुंह खुला भयावाह चींख चारो ओर गूंजने लगी। चिल्लाते हुये पागलों की तरह दौड़ रहे थे। दौड़ते–दौड़ते जमीन पर फरफराती मछली की भांति उछल रहे थे। खुद के सर को इतना तेज जमीन पर मार रहे थे कि मिट्टी को धंसा चुके थे। दर्द हावी था और गला फाड़ चींख में बस गिड़गिड़ाते हुये मौत की भीख मांग रहे थे।

हालांकि तेजस और नित्या पूर्ण रूप से आजाद थे और एक दूसरे को मार सकते थे, लेकिन पल–पल मौत मेहसूस करवाती दर्द मे दिमाग कितना काम करे। और जो लोग वीडियो देख रहे थे, वो लोग अपने समुदाय के 2 रॉयल ब्लड का यह हाल देखकर खौफ के साए में चले गये। आर्यमणि का एक बार फिर इशारा हुआ और देखते ही देखते दोनो वापस जड़ों के बीच पूर्ण रूप से कैद हो चुके थे। कैद होने क्रम में ही दोनो का चेहरा फोकस करके दिखाया गया, जिसे देखकर सबका मुंह खुला रह गया। पहले सिर्फ रॉयल ब्लड समझ रहे थे लेकिन जब पहचान हुई फिर तो..... पहचान होने के बाद तो देख रहे सभी नायजो अपना सर पकड़कर बैठ गये।

आर्यमणि:– तो देखा तुम सबने कैसे मौत की भीख मांगी जाती है। मुझसे लड़ने आने वालों को सिर्फ इतना ही कहूंगा, मैं तुम्हारे अंदर वो दर्द और भय डाल दूंगा, जिसे मेहसूस कर खुद ही मौत की भीख मांगोगे... मुझे अब आखरी में 2 बातें कहनी है... पहली बात ये की क्या मैं इन्हे जिंदा छोड़ दूं?

आर्यमणि अपनी बात कहकर, जयदेव, सुकेश और पलक का माइक ऑन किया। ये तीनों भी अब एक दूसरे को देख सकते थे। जैसे ही माइक ऑन हुआ चिल्लाते हुये केवल धमकी ही मिल रही थी...

रूही:– ओ खजूर लोग हमारा वक्त बर्बाद मत करो। जिंदा छोड़ दूं, या मार दूं...

पलक:– उन्हे जिंदा छोड़ दो...

रूही:– ठीक है इन्हे छोड़कर हम जा रहे। बाकी डिटेल जान तुम बता दो...

आर्यमणि:– पहले दूसरी बात कह देता हूं। पलक कल तुम अपने कुछ साथी के साथ मुझसे वुल्फ हाउस मिलने आ सकती हो। हां लेकिन उस इकलाफ को लाना मत भूलना...

पलक:– बिलकुल आर्यमणि मैं वहां पहुंच जाऊंगी। कोई समय निर्धारित किये हो?

आर्यमणि:– आज रात ही हम वहां पहुंच जायेंगे, उसके बाद तुम कभी भी आ सकती हो। खुद ही आना किसी दूसरे को अपनी जगह मत भेजना। वैसे तुमने वुल्फ हाउस का पता नही पूछा... लगता है पहले से सब पता किये बैठी हो।

पलक:– हां वो तो तुम्हे भी पता है कि मुझे पता है कि वुल्फ हाउस का पता क्या है। अब ये बताओ, तेजस दादा और अजूरी (नित्या का प्रवर्तित नाम) को जिंदा छोड़ रहे या नही ..

पलक की बात पर आर्यमणि जोर से हंसते.... “यहां कोई इंसानी शिकारी नही जो तुम प्रहरी के पुरानी भगोड़ी और वर्धराज कुलकर्णी पर जिस वेयरवोल्फ नित्या को भगाने का इल्जाम लगा, उसे तुम अजुरि पुकारो। तेजस और नित्या ब्लैक फॉरेस्ट के हिस्से में एक पड़ने वाले एक शहर एन्ज में है। मैने धीमा जहर दिया है जो अपने शिकार को 8 घंटे से पहले नही मारता। अभी जहर दिये मात्र आधा घंटा हो रहा है। बचा सकती हो तो बचा लेना...

आर्यमणि अपनी बात कहकर वीडियो ऑफ कर दिया। वीडियो ऑफ करने के बाद तेजस और नित्या के चेहरे को खोल दिया गया। दोनो के दर्द से बिलबिलाये चेहरे देखने लायक थे।

आर्यमणि:– देखो तुम तो अपने लिये मुझसे मौत मांग रहे थे, लेकिन मैने तुम्हारे समुदाय को खबर कर दिया है। वो लोग शायद तुम्हे बचा ले....

उन्हे चिल्लाते और गिड़गिड़ाते छोड़ पूरा अल्फा पैक निकल आया। कुछ देर में वापस से उनका मुंह बंद हो गया। संन्यासी शिवम्, ओजल और इवान के साथ पहले से वुल्फ हाउस में थे। रात के तकरीबन 10 बजे पूरा वुल्फ पैक भी पहुंच गया। सब के सब लगभग 60 किलोमीटर की रेस लगाकर आ रहे थे। हां एक निशांत था, जो दौड़ नही रहा था, बल्कि आर्यमणि उसे कंधे पर उठाये दौड़ रहा था। रात में किसी से किसी भी प्रकार की बात नही हुई। सभी आराम करने चल दिये।

दूसरी ओर पलक को खबर लगते ही वह भी निकल चुकी थी। उसकी पूरी पलटन ही वुल्फ हाउस के नजदीकी टाउन में थी। नित्या का रोल अब भारती को अदा करना था, इसलिए पूरे 1200 एलियन उसी के कमांड में थे। महा की 400 की टुकड़ी ब्लैक फॉरेस्ट से लगे किसी दूसरे शहर में थी जहां से वुल्फ हाउस 40–45 किलोमीटर पर था।

पलक और उसके 30 विश्ववासनीय लोग प्राइवेट एयरोप्लेन से निकले। 7.३0 बजे तक पलक एन्ज शहर में थी। थोड़ी सी छानबीन के बाद उन्हें एक वीरान सी जगह पर तेजस और नित्या भी मिल गये। पलक और उसके अपने लोगों के अलावा वहां कई सारे वाहन और भी पहुंचे, जिनमे तकरीबन 200 प्रथम श्रेणी के नायजो थे जो सब के सब रॉयल ब्लड के थे। उन सबको लीड भारती ही कर रही थी।

पलक:– भारती तुम यहां क्यों आयी हो?

भारती:– तुम ये मिशन लीड कर रही हो, तो वहीं तक रहो। बाकी अभी तुम्हारी इतनी हैसियत न हुई की मुझसे सवाल करो... रांझे रुके क्यों हो जाकर मेरी बहन और तेजस को छुड़ाकर लाओ...

पलक थोड़ा शॉक होती.... “नित्या तुम्हारी बहन है???”

भारती:– अपनी सगी बहन। बाप भी एक और इंसानी मां की कोख भी एक। समझी क्या?

पलक, अपने लोगों को लेकर किनारे खड़ी होती.... “तुम करो, कोई मदद की जरूरत हो तो याद कर लेना”

भारती उसकी बात पर ध्यान न देकर सामने देखने लगी। वह एलियन रांझे 40–50 लोगों को लेकर पहुंचा और जड़ों को काटकर हटाने लगा। अतिहतन काटकर हटाता रहा। हटाता रहा... हटाता रहा... देखते, देखते लोगों की आंखें पथरा गयी। शाम के 7.30 से देर रात 12 बज गया, लेकिन जड़ था की खत्म होने का नाम ही नही ले रहा था। जैसे शाम 7.30 बजे पुतला खड़ा था, ठीक वैसे ही 12 बजे तक वो पुतला खड़ा था।

भारती और बाकी के लोग वहां जमीन पर ही आसान लगाकर बैठ गये। जब भारती से बर्दास्त न हुआ तब वह कॉल लगाई। यह कॉल सीधा विशपर प्लेनेट के राजा से कनेक्ट हुआ। भारती संछिप्त में उसे पूरी जानकारी दे चुकी थी।

राजा:– नजदीक से दिखाओ मुझे उन जड़ों को... हम्मम... ये बेल की जड़ें है जो पृथ्वी से निकल रही। किसी मंत्र के वश में है। वो जो आश्रम का गुरु था, वो नित्या और तेजस को मारना चाहता था क्या?

भारती:– पता नही...

राजा:– पलक है क्या वहां?

भारती:– हां यहीं है ..

पलक:– बोलिये राजा करेनाराय जी...

राजा:– पलक क्या वो जो आश्रम का गुरु था, वो दोनो को मारना चाहता था?

पलक:– नही... बिल्कुल नही...

भारती:– तुम्हारा एक्स बॉयफ्रेंड था न, इसलिए उसे अच्छा दिखा रही..

पलक:– जिस हिसाब से दोनो चिंख कर अपने मौत को पुकार रहे थे, विश्वास मानो यदि आर्यमणि उन्हे मार देता तो मैं उसे अच्छा कह सकती थी। खैर अब तक तुम जिंदा रहने और मरने का फर्क नहीं जानती इसलिए इतनी जुबान खुल रही है। राजा करेनाराय जी वो दोनो को नही मरेगा, ये पक्का है।

राजा करेनाराय:– तो फिर इंतजार करो उसका तिलिस्म अपने आप टूटेगा...

उनलोगो ने राजा की बात मानकर कुछ देर इंतजार किया। रात के तकरीबन 1 बजे जड़े अपने आप जमीन में गयी और वहां मौजुद हर किसी का हाथ अपने कान पर। नित्या और तेजस की वो भयावाह चींख और अपने ही हाथों से अपना बाल नोचना। पिछले 7 घंटों से दोनो मौत को भयभीत करने वाले दर्द को झेल रहे थे।

भारती भागकर नित्या के पास पहुंची जबकि पलक तेजस के पास। दोनो के साथ एक जैसा व्यवहार हुआ। तेजस और नित्या, पलक और भारती को धक्का देकर बिलखते और चिल्लाते हुए अपने आंखों से लेजर चलाने लगे। कभी लेजर चलते तो कभी अपना सर जमीन पर पटक रहे थे... “मार दो, मार दो, कोई तो मार दो”..

भयवाह मंजर था। भारती को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वो हसरत भरी नजरों से पलक को देखती.... “कुछ तो करो”..

पलक:– इन्हे तगड़ा बेहोश करो और नजदीकी साइंस लैब जल्दी लेकर पहुंचो। वहीं इसका उपचार होगा...

तेजस और नित्या को तुरंत ही बेहोश किया गया। दोनो जब बेहोश हुये उसके बाद तो ऐसा लगा मानो चारो ओर का माहोल पूर्णतः शांत होकर खुशियां बिखेड़ रहा हो।

भारती:– पलक तुम्हारे साथ मैं भी आर्यमणि से मिलने जाऊंगी.... कल के कल वो मेरे हाथों से मरेगा...

पलक:– भारती लेकिन सब पहले से तय हो चुका था न...

भारती:– तय वय को रहने दो और मैं अपने लोगों के साथ अंदर जाऊंगी... तुम्हारा मन हो तो भी, न मन हो तो भी...

पलक:– ठीक है पहले तुम अपने लोगों को लेकर जाना... काम न बना तो पीछे से मैं आऊंगी....

सभी बातें तय हो तो गयी लेकिन तेजस और नित्या के चक्कर में रात काफी हो गयी थी। इसलिए कल की मुलाकात से पहले एक अच्छी नींद सबको चाहिए थी।

8 मार्च की सुबह वोल्फ हाउस के बहुत बड़े से हॉल के बहुत बड़े से डायनिंग टेबल पर पूरा वुल्फ पैक बैठा हुआ था। किचन ओजल और रूही देख रही थी बाकी सब आराम से टेक लगाये थे। चाय–काफी के साथ गरम नाश्ता परोसा जा रहा था।

संन्यासी शिवम:– गुरुदेव आपको क्या लगता है। पहले बात चीत होगी फिर युद्ध या पहले युद्ध होगा और युद्ध में हारने की परिस्थिति में बातचीत करने आयेंगे...

ओजल:– इतनी मेहनत से बनाया है, क्या आप सब पहले इसे खायेंगे...

ओजल की इस तुकबंदी पर सब हंसने लगे। हंसी मजाक के बीच सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर के खाने तक सब बड़े से हॉल के डायनिंग टेबल पर चलता रहा। सभी की हंसी मजाक चल रही थी, इसी बीच स्क्रीन पर चल रही हलचल को देख अलबेली.... “लगता है मेहमान आ गये। दादा, बहुत खा लिया है अब आराम करने की इच्छा हो रही। उनसे कहो 2 घंटे बाद आये।”

आर्यमणि, स्क्रीन को देखते... “ऐसा क्या?”... उधर पलक बहुत सारे भीर के साथ वुल्फ हाउस के दहलीज की सीमा तक पहुंच चुकी थी। सीमा पर बड़ा सा बोर्ड टंगा था, जिसपर खतरा लिखा हुआ था। खतरे के उस बोर्ड के पास पलक चारो ओर घूमकर देख भी रही थी और कानो पर अपने हाथ इस प्रकार रखी थी मानो बात करने के लिये फोन उठाया है।

पलक शायद बात करने का इशारा कर रही थी, और तभी एक ड्रोन उसके कदमों में आकर रुका। पलक एक बार ड्रोन को देखी और उसमे रखा फोन उठाकर... “हेलो, क्या हम आ सकते है?”

आर्यमणि जम्हाई लेते.... “अभी–अभी दिन का खाना हुआ है। वैसे भी रात को चौकीदारी करते–करते सुबह हो गयी थी, इसलिए 2 घंटे बाद आना। अभी हम सब आराम करने जा रहे।”

पलक गुस्से से.... “तुम हमारे सब्र का इम्तिहान ले रहे?”

भारती:– क्या कह रहा है?

पलक:– 2 घंटे बाद आने कह रहा है।

भारती पूरे तैश में आती.... “मेरे शिकारियों, इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि जमीन पर कोई भी ट्रैप नही है। ना ही कोई ट्रैप वायर, न कोई बिजली और न ही गड्ढे खोदकर कोई डेथ ट्रैप बनाया गया। महल तक सीधा दौड़ लगा दो...

“नही रुको... सुनो”.... पलक कहती रही लेकिन कोई न सुना। 200 फर्स्ट और सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी एक साथ दौड़ लगा चुके थे। सीमा से कुछ दूर अंदर जाकर जैसे ही वो जंगल में ओझल हुये ठीक उसी वक्त आंखों के सामने बहुत सारे पेड़ चरमरा कर जमीन में घुस गये और कुछ देर पहले जहां बड़े–बड़े पेड़ खड़े थे, वहां के कुछ हिस्सों से पेड़ों का नामो निशान गायब था और उसकी जगह मैदान दिख रहा था जिसपर घास उगे थे, लेकिन कहीं कोई शिकारी नजर नहीं आ रहा था।...

“हेल्लो... हेल्लो”... पलक के फोन से आवाज आ रही थी। पलक फोन उठाती.... “मेरे शिकारी कहां गायब हो गये?”

आर्यमणि:– और बिना इजाजत अंदर घुसो। सभी शिकारी सुरक्षित है, लेकिन अब यदि बिना इजाजत अंदर घुसे तब न तो वो शिकारी सुरक्षित रहेंगे और न ही जबरदस्ती घुसने वाला...

पलक:– और मै जबरदस्ती आऊं तब?

आर्यमणि:–अब तुम्हे थोड़े न असुरक्षित रखेंगे। तुम्हे अंदर लेंगे बाकी के सभी लोग असुरक्षित। इसलिए बात मानो और 2 घंटे इंतजार करो।

पलक गुस्से का घूंट पीती... “क्या यही तुम्हारी मेहमाननवाजी है? कल तो खुद ही कहे थे किसी भी समय आने, अब आज क्या हो गया?”

रूही:– हां कह तो वो सही रही है बॉस। कल तुमने ही किसी भी वक्त आने के लिये कहा था।

आर्यमणि:–हम्मम, माफ करना पलक, मैं जरा नींद में था। ठीक है, तुम अपने कुछ साथियों के साथ आ सकती हो। हां और वो लड़का तो जरूर साथ होना चाहिए, क्या नाम था उसका...

पलक:– नाम था नही, नाम है एकलाफ। हां वो मेरे साथ ही है। कुछ लोग मतलब कितने लोग के साथ आऊं?

आर्यमणि:– तुम्हारा रूतवा तो देख रहा हूं, बड़ी अधिकारी हो गयी हो। तुम्हारी सुरक्षा के लिये इतने सारे लोग। देखो 4–5 लोगों के साथ आ जाओ। मैने तुम्हे बुलाया है तो इस बात के लिये सुनिश्चित रहो की तुम्हे यहां कोई खतरा नहीं। हां लेकिन तुम्हारे साथ जो दूसरे आयेंगे, वो अपनी जुबान और हरकत के लिये खुद जिम्मेदार होंगे। ये बात समझा देना।

पलक, भारती से.... “वो 4–5 लोगों के साथ ही बुला रहा है भारती। क्या करना है?

भारती, पलक के हाथ से मोबाइल छिनती..... “सुन बे चूहे, तुझे छिपकर मारने में मजा आता है। यहां जाल बिछाकर क्या तू खुद को शेर समझ रहा, दम है तो मुझे अंदर आने दे, फिर देख मैं तेरा क्या हाल करती हूं??

आर्यमणि:– अब तुम कौन हो?

भारती:– मैं उसी नित्या की बहन हूं, जिसे कल तुमने मार डाला...

आर्यमणि:– नित्या मर गयी। लानत है तुम लोगों पर, उसकी जान न बचा पाये। अच्छा बहन की मौत का बदला। हम यहां 7 लोग है। ये बताओ तुम वीर प्रजाति के लोग हो, कितने लोगों के साथ मुझसे बदला लेने आओगी?

भारती इस से पहले कुछ कहती, पलक माइक को कवर करती..... “बहुत चालाक है वो। तुम्हे उकसा कर कम लोगों के साथ अंदर बुलाना चाह रहा।”

भारती:– हम्म्म.. ठीक है देखती जाओ फिर। सुन ओ कीड़े, यहां नित्या के 500 सगे संबंधी है जो तुम्हे मारकर अपना बदला लेना चाहते है। साथ में तेजस के भी सगे संबंधी है। तो अब बता कितनो को बदला लेने अंदर बुला रहा। मैं तो अकेले ही आउंगी। बदला लेने वालों की संख्या सुनकर तेरी फटी तो नही न?

आर्यमणि:– कितनी फटी है वो भी चेक कर लेंगे। बदला लेने वाले लोग एक कतार बनाकर अंदर आना शुरू कर दो। बात करने वाले अभी पीछे खड़े रहेंगे...

भारती, फोन लाइन काटती... “भार में गया सुरंग से जाना, अब तो सीधा सामने से घुसेंगे।”

 

nain11ster

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bich sex se hi koodi maar diya Aryamani ne sustane bhi na diya aur ye log over confidence me fans gaye buri tarah.superb update ab dusra update deo
Dusra kya teesra bhi de diya .. bus kal reply karte karte aankh lag gayi to subah subah de raha... Aaj apne pitare me bahut sare update hai... Jinhe din me ya sham me khol dunga...
 

William

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भाग:–123


आर्यमणि:– तो जैसे की तुम सब अपने आंखों के आगे २ पुतले देख रहे हो, वह महज दो पुतले नही बल्कि 2 रॉयल ब्लड है। तुम सब पहले उन्हे देख और सुन लो, उसके बाद बात करेंगे...

आर्यमणि अपनी बात कहकर आंखों से मात्र इशारा किया और अगले ही पल जड़ें खुलने लगी। जड़ें नीचे से खुलना शुरू हुई और हर कोई नंगे बदन को खुलते देख रहा था। जड़ें जब खुलकर घुटने के ऊपर पहुंची तब तेजस और नित्या दोनो घुटने पर आ चुके थे। कमर के थोड़े ऊपर तक खुली तो धर को जमीन तक झुका चुके थे। और जब चेहरा खुला तो सर को मिट्टी में रगड़ रहे थे। अपने हाथों से खुदका बाल नोच रहे थे। सबसे आखरी में दोनो का मुंह खोला गया।

जैसे ही मुंह खुला भयावाह चींख चारो ओर गूंजने लगी। चिल्लाते हुये पागलों की तरह दौड़ रहे थे। दौड़ते–दौड़ते जमीन पर फरफराती मछली की भांति उछल रहे थे। खुद के सर को इतना तेज जमीन पर मार रहे थे कि मिट्टी को धंसा चुके थे। दर्द हावी था और गला फाड़ चींख में बस गिड़गिड़ाते हुये मौत की भीख मांग रहे थे।

हालांकि तेजस और नित्या पूर्ण रूप से आजाद थे और एक दूसरे को मार सकते थे, लेकिन पल–पल मौत मेहसूस करवाती दर्द मे दिमाग कितना काम करे। और जो लोग वीडियो देख रहे थे, वो लोग अपने समुदाय के 2 रॉयल ब्लड का यह हाल देखकर खौफ के साए में चले गये। आर्यमणि का एक बार फिर इशारा हुआ और देखते ही देखते दोनो वापस जड़ों के बीच पूर्ण रूप से कैद हो चुके थे। कैद होने क्रम में ही दोनो का चेहरा फोकस करके दिखाया गया, जिसे देखकर सबका मुंह खुला रह गया। पहले सिर्फ रॉयल ब्लड समझ रहे थे लेकिन जब पहचान हुई फिर तो..... पहचान होने के बाद तो देख रहे सभी नायजो अपना सर पकड़कर बैठ गये।

आर्यमणि:– तो देखा तुम सबने कैसे मौत की भीख मांगी जाती है। मुझसे लड़ने आने वालों को सिर्फ इतना ही कहूंगा, मैं तुम्हारे अंदर वो दर्द और भय डाल दूंगा, जिसे मेहसूस कर खुद ही मौत की भीख मांगोगे... मुझे अब आखरी में 2 बातें कहनी है... पहली बात ये की क्या मैं इन्हे जिंदा छोड़ दूं?

आर्यमणि अपनी बात कहकर, जयदेव, सुकेश और पलक का माइक ऑन किया। ये तीनों भी अब एक दूसरे को देख सकते थे। जैसे ही माइक ऑन हुआ चिल्लाते हुये केवल धमकी ही मिल रही थी...

रूही:– ओ खजूर लोग हमारा वक्त बर्बाद मत करो। जिंदा छोड़ दूं, या मार दूं...

पलक:– उन्हे जिंदा छोड़ दो...

रूही:– ठीक है इन्हे छोड़कर हम जा रहे। बाकी डिटेल जान तुम बता दो...

आर्यमणि:– पहले दूसरी बात कह देता हूं। पलक कल तुम अपने कुछ साथी के साथ मुझसे वुल्फ हाउस मिलने आ सकती हो। हां लेकिन उस इकलाफ को लाना मत भूलना...

पलक:– बिलकुल आर्यमणि मैं वहां पहुंच जाऊंगी। कोई समय निर्धारित किये हो?

आर्यमणि:– आज रात ही हम वहां पहुंच जायेंगे, उसके बाद तुम कभी भी आ सकती हो। खुद ही आना किसी दूसरे को अपनी जगह मत भेजना। वैसे तुमने वुल्फ हाउस का पता नही पूछा... लगता है पहले से सब पता किये बैठी हो।

पलक:– हां वो तो तुम्हे भी पता है कि मुझे पता है कि वुल्फ हाउस का पता क्या है। अब ये बताओ, तेजस दादा और अजूरी (नित्या का प्रवर्तित नाम) को जिंदा छोड़ रहे या नही ..

पलक की बात पर आर्यमणि जोर से हंसते.... “यहां कोई इंसानी शिकारी नही जो तुम प्रहरी के पुरानी भगोड़ी और वर्धराज कुलकर्णी पर जिस वेयरवोल्फ नित्या को भगाने का इल्जाम लगा, उसे तुम अजुरि पुकारो। तेजस और नित्या ब्लैक फॉरेस्ट के हिस्से में एक पड़ने वाले एक शहर एन्ज में है। मैने धीमा जहर दिया है जो अपने शिकार को 8 घंटे से पहले नही मारता। अभी जहर दिये मात्र आधा घंटा हो रहा है। बचा सकती हो तो बचा लेना...

आर्यमणि अपनी बात कहकर वीडियो ऑफ कर दिया। वीडियो ऑफ करने के बाद तेजस और नित्या के चेहरे को खोल दिया गया। दोनो के दर्द से बिलबिलाये चेहरे देखने लायक थे।

आर्यमणि:– देखो तुम तो अपने लिये मुझसे मौत मांग रहे थे, लेकिन मैने तुम्हारे समुदाय को खबर कर दिया है। वो लोग शायद तुम्हे बचा ले....

उन्हे चिल्लाते और गिड़गिड़ाते छोड़ पूरा अल्फा पैक निकल आया। कुछ देर में वापस से उनका मुंह बंद हो गया। संन्यासी शिवम्, ओजल और इवान के साथ पहले से वुल्फ हाउस में थे। रात के तकरीबन 10 बजे पूरा वुल्फ पैक भी पहुंच गया। सब के सब लगभग 60 किलोमीटर की रेस लगाकर आ रहे थे। हां एक निशांत था, जो दौड़ नही रहा था, बल्कि आर्यमणि उसे कंधे पर उठाये दौड़ रहा था। रात में किसी से किसी भी प्रकार की बात नही हुई। सभी आराम करने चल दिये।

दूसरी ओर पलक को खबर लगते ही वह भी निकल चुकी थी। उसकी पूरी पलटन ही वुल्फ हाउस के नजदीकी टाउन में थी। नित्या का रोल अब भारती को अदा करना था, इसलिए पूरे 1200 एलियन उसी के कमांड में थे। महा की 400 की टुकड़ी ब्लैक फॉरेस्ट से लगे किसी दूसरे शहर में थी जहां से वुल्फ हाउस 40–45 किलोमीटर पर था।

पलक और उसके 30 विश्ववासनीय लोग प्राइवेट एयरोप्लेन से निकले। 7.३0 बजे तक पलक एन्ज शहर में थी। थोड़ी सी छानबीन के बाद उन्हें एक वीरान सी जगह पर तेजस और नित्या भी मिल गये। पलक और उसके अपने लोगों के अलावा वहां कई सारे वाहन और भी पहुंचे, जिनमे तकरीबन 200 प्रथम श्रेणी के नायजो थे जो सब के सब रॉयल ब्लड के थे। उन सबको लीड भारती ही कर रही थी।

पलक:– भारती तुम यहां क्यों आयी हो?

भारती:– तुम ये मिशन लीड कर रही हो, तो वहीं तक रहो। बाकी अभी तुम्हारी इतनी हैसियत न हुई की मुझसे सवाल करो... रांझे रुके क्यों हो जाकर मेरी बहन और तेजस को छुड़ाकर लाओ...

पलक थोड़ा शॉक होती.... “नित्या तुम्हारी बहन है???”

भारती:– अपनी सगी बहन। बाप भी एक और इंसानी मां की कोख भी एक। समझी क्या?

पलक, अपने लोगों को लेकर किनारे खड़ी होती.... “तुम करो, कोई मदद की जरूरत हो तो याद कर लेना”

भारती उसकी बात पर ध्यान न देकर सामने देखने लगी। वह एलियन रांझे 40–50 लोगों को लेकर पहुंचा और जड़ों को काटकर हटाने लगा। अतिहतन काटकर हटाता रहा। हटाता रहा... हटाता रहा... देखते, देखते लोगों की आंखें पथरा गयी। शाम के 7.30 से देर रात 12 बज गया, लेकिन जड़ था की खत्म होने का नाम ही नही ले रहा था। जैसे शाम 7.30 बजे पुतला खड़ा था, ठीक वैसे ही 12 बजे तक वो पुतला खड़ा था।

भारती और बाकी के लोग वहां जमीन पर ही आसान लगाकर बैठ गये। जब भारती से बर्दास्त न हुआ तब वह कॉल लगाई। यह कॉल सीधा विशपर प्लेनेट के राजा से कनेक्ट हुआ। भारती संछिप्त में उसे पूरी जानकारी दे चुकी थी।

राजा:– नजदीक से दिखाओ मुझे उन जड़ों को... हम्मम... ये बेल की जड़ें है जो पृथ्वी से निकल रही। किसी मंत्र के वश में है। वो जो आश्रम का गुरु था, वो नित्या और तेजस को मारना चाहता था क्या?

भारती:– पता नही...

राजा:– पलक है क्या वहां?

भारती:– हां यहीं है ..

पलक:– बोलिये राजा करेनाराय जी...

राजा:– पलक क्या वो जो आश्रम का गुरु था, वो दोनो को मारना चाहता था?

पलक:– नही... बिल्कुल नही...

भारती:– तुम्हारा एक्स बॉयफ्रेंड था न, इसलिए उसे अच्छा दिखा रही..

पलक:– जिस हिसाब से दोनो चिंख कर अपने मौत को पुकार रहे थे, विश्वास मानो यदि आर्यमणि उन्हे मार देता तो मैं उसे अच्छा कह सकती थी। खैर अब तक तुम जिंदा रहने और मरने का फर्क नहीं जानती इसलिए इतनी जुबान खुल रही है। राजा करेनाराय जी वो दोनो को नही मरेगा, ये पक्का है।

राजा करेनाराय:– तो फिर इंतजार करो उसका तिलिस्म अपने आप टूटेगा...

उनलोगो ने राजा की बात मानकर कुछ देर इंतजार किया। रात के तकरीबन 1 बजे जड़े अपने आप जमीन में गयी और वहां मौजुद हर किसी का हाथ अपने कान पर। नित्या और तेजस की वो भयावाह चींख और अपने ही हाथों से अपना बाल नोचना। पिछले 7 घंटों से दोनो मौत को भयभीत करने वाले दर्द को झेल रहे थे।

भारती भागकर नित्या के पास पहुंची जबकि पलक तेजस के पास। दोनो के साथ एक जैसा व्यवहार हुआ। तेजस और नित्या, पलक और भारती को धक्का देकर बिलखते और चिल्लाते हुए अपने आंखों से लेजर चलाने लगे। कभी लेजर चलते तो कभी अपना सर जमीन पर पटक रहे थे... “मार दो, मार दो, कोई तो मार दो”..

भयवाह मंजर था। भारती को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वो हसरत भरी नजरों से पलक को देखती.... “कुछ तो करो”..

पलक:– इन्हे तगड़ा बेहोश करो और नजदीकी साइंस लैब जल्दी लेकर पहुंचो। वहीं इसका उपचार होगा...

तेजस और नित्या को तुरंत ही बेहोश किया गया। दोनो जब बेहोश हुये उसके बाद तो ऐसा लगा मानो चारो ओर का माहोल पूर्णतः शांत होकर खुशियां बिखेड़ रहा हो।

भारती:– पलक तुम्हारे साथ मैं भी आर्यमणि से मिलने जाऊंगी.... कल के कल वो मेरे हाथों से मरेगा...

पलक:– भारती लेकिन सब पहले से तय हो चुका था न...

भारती:– तय वय को रहने दो और मैं अपने लोगों के साथ अंदर जाऊंगी... तुम्हारा मन हो तो भी, न मन हो तो भी...

पलक:– ठीक है पहले तुम अपने लोगों को लेकर जाना... काम न बना तो पीछे से मैं आऊंगी....

सभी बातें तय हो तो गयी लेकिन तेजस और नित्या के चक्कर में रात काफी हो गयी थी। इसलिए कल की मुलाकात से पहले एक अच्छी नींद सबको चाहिए थी।

8 मार्च की सुबह वोल्फ हाउस के बहुत बड़े से हॉल के बहुत बड़े से डायनिंग टेबल पर पूरा वुल्फ पैक बैठा हुआ था। किचन ओजल और रूही देख रही थी बाकी सब आराम से टेक लगाये थे। चाय–काफी के साथ गरम नाश्ता परोसा जा रहा था।

संन्यासी शिवम:– गुरुदेव आपको क्या लगता है। पहले बात चीत होगी फिर युद्ध या पहले युद्ध होगा और युद्ध में हारने की परिस्थिति में बातचीत करने आयेंगे...

ओजल:– इतनी मेहनत से बनाया है, क्या आप सब पहले इसे खायेंगे...

ओजल की इस तुकबंदी पर सब हंसने लगे। हंसी मजाक के बीच सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर के खाने तक सब बड़े से हॉल के डायनिंग टेबल पर चलता रहा। सभी की हंसी मजाक चल रही थी, इसी बीच स्क्रीन पर चल रही हलचल को देख अलबेली.... “लगता है मेहमान आ गये। दादा, बहुत खा लिया है अब आराम करने की इच्छा हो रही। उनसे कहो 2 घंटे बाद आये।”

आर्यमणि, स्क्रीन को देखते... “ऐसा क्या?”... उधर पलक बहुत सारे भीर के साथ वुल्फ हाउस के दहलीज की सीमा तक पहुंच चुकी थी। सीमा पर बड़ा सा बोर्ड टंगा था, जिसपर खतरा लिखा हुआ था। खतरे के उस बोर्ड के पास पलक चारो ओर घूमकर देख भी रही थी और कानो पर अपने हाथ इस प्रकार रखी थी मानो बात करने के लिये फोन उठाया है।

पलक शायद बात करने का इशारा कर रही थी, और तभी एक ड्रोन उसके कदमों में आकर रुका। पलक एक बार ड्रोन को देखी और उसमे रखा फोन उठाकर... “हेलो, क्या हम आ सकते है?”

आर्यमणि जम्हाई लेते.... “अभी–अभी दिन का खाना हुआ है। वैसे भी रात को चौकीदारी करते–करते सुबह हो गयी थी, इसलिए 2 घंटे बाद आना। अभी हम सब आराम करने जा रहे।”

पलक गुस्से से.... “तुम हमारे सब्र का इम्तिहान ले रहे?”

भारती:– क्या कह रहा है?

पलक:– 2 घंटे बाद आने कह रहा है।

भारती पूरे तैश में आती.... “मेरे शिकारियों, इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि जमीन पर कोई भी ट्रैप नही है। ना ही कोई ट्रैप वायर, न कोई बिजली और न ही गड्ढे खोदकर कोई डेथ ट्रैप बनाया गया। महल तक सीधा दौड़ लगा दो...

“नही रुको... सुनो”.... पलक कहती रही लेकिन कोई न सुना। 200 फर्स्ट और सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी एक साथ दौड़ लगा चुके थे। सीमा से कुछ दूर अंदर जाकर जैसे ही वो जंगल में ओझल हुये ठीक उसी वक्त आंखों के सामने बहुत सारे पेड़ चरमरा कर जमीन में घुस गये और कुछ देर पहले जहां बड़े–बड़े पेड़ खड़े थे, वहां के कुछ हिस्सों से पेड़ों का नामो निशान गायब था और उसकी जगह मैदान दिख रहा था जिसपर घास उगे थे, लेकिन कहीं कोई शिकारी नजर नहीं आ रहा था।...

“हेल्लो... हेल्लो”... पलक के फोन से आवाज आ रही थी। पलक फोन उठाती.... “मेरे शिकारी कहां गायब हो गये?”

आर्यमणि:– और बिना इजाजत अंदर घुसो। सभी शिकारी सुरक्षित है, लेकिन अब यदि बिना इजाजत अंदर घुसे तब न तो वो शिकारी सुरक्षित रहेंगे और न ही जबरदस्ती घुसने वाला...

पलक:– और मै जबरदस्ती आऊं तब?

आर्यमणि:–अब तुम्हे थोड़े न असुरक्षित रखेंगे। तुम्हे अंदर लेंगे बाकी के सभी लोग असुरक्षित। इसलिए बात मानो और 2 घंटे इंतजार करो।

पलक गुस्से का घूंट पीती... “क्या यही तुम्हारी मेहमाननवाजी है? कल तो खुद ही कहे थे किसी भी समय आने, अब आज क्या हो गया?”

रूही:– हां कह तो वो सही रही है बॉस। कल तुमने ही किसी भी वक्त आने के लिये कहा था।

आर्यमणि:–हम्मम, माफ करना पलक, मैं जरा नींद में था। ठीक है, तुम अपने कुछ साथियों के साथ आ सकती हो। हां और वो लड़का तो जरूर साथ होना चाहिए, क्या नाम था उसका...

पलक:– नाम था नही, नाम है एकलाफ। हां वो मेरे साथ ही है। कुछ लोग मतलब कितने लोग के साथ आऊं?

आर्यमणि:– तुम्हारा रूतवा तो देख रहा हूं, बड़ी अधिकारी हो गयी हो। तुम्हारी सुरक्षा के लिये इतने सारे लोग। देखो 4–5 लोगों के साथ आ जाओ। मैने तुम्हे बुलाया है तो इस बात के लिये सुनिश्चित रहो की तुम्हे यहां कोई खतरा नहीं। हां लेकिन तुम्हारे साथ जो दूसरे आयेंगे, वो अपनी जुबान और हरकत के लिये खुद जिम्मेदार होंगे। ये बात समझा देना।

पलक, भारती से.... “वो 4–5 लोगों के साथ ही बुला रहा है भारती। क्या करना है?

भारती, पलक के हाथ से मोबाइल छिनती..... “सुन बे चूहे, तुझे छिपकर मारने में मजा आता है। यहां जाल बिछाकर क्या तू खुद को शेर समझ रहा, दम है तो मुझे अंदर आने दे, फिर देख मैं तेरा क्या हाल करती हूं??

आर्यमणि:– अब तुम कौन हो?

भारती:– मैं उसी नित्या की बहन हूं, जिसे कल तुमने मार डाला...

आर्यमणि:– नित्या मर गयी। लानत है तुम लोगों पर, उसकी जान न बचा पाये। अच्छा बहन की मौत का बदला। हम यहां 7 लोग है। ये बताओ तुम वीर प्रजाति के लोग हो, कितने लोगों के साथ मुझसे बदला लेने आओगी?

भारती इस से पहले कुछ कहती, पलक माइक को कवर करती..... “बहुत चालाक है वो। तुम्हे उकसा कर कम लोगों के साथ अंदर बुलाना चाह रहा।”

भारती:– हम्म्म.. ठीक है देखती जाओ फिर। सुन ओ कीड़े, यहां नित्या के 500 सगे संबंधी है जो तुम्हे मारकर अपना बदला लेना चाहते है। साथ में तेजस के भी सगे संबंधी है। तो अब बता कितनो को बदला लेने अंदर बुला रहा। मैं तो अकेले ही आउंगी। बदला लेने वालों की संख्या सुनकर तेरी फटी तो नही न?

आर्यमणि:– कितनी फटी है वो भी चेक कर लेंगे। बदला लेने वाले लोग एक कतार बनाकर अंदर आना शुरू कर दो। बात करने वाले अभी पीछे खड़े रहेंगे...

भारती, फोन लाइन काटती... “भार में गया सुरंग से जाना, अब तो सीधा सामने से घुसेंगे।”
Bhai kya hi kahu..... Jabardast Dhandhu...👌
 

krish1152

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भाग:–121


5 मार्च की मीटिंग जिसमें सुरंग खोदने की बात कही गयी। उसपर तो पलक की भी हंसी छूट गयी थी, लेकिन महा की तरह वह भी खामोश थी। पलक को समझते देर नहीं लगी कि महा भी वही सोच रहा था, जो पलक खुद सोच रही थी। लेकिन उसने महा के सामने खुद को बेवकूफ बनाए रखने का ही फैसला किया। भले ही एलियन ने आकर 2 जगह का वर्णन किया हो, लेकिन अब पलक सुनिश्चित थी कि आर्यमणि उनसे कहां मिलने वाला है। दोनो ओर से चूहे बिल्ली का जानदार खेल चल रहा था। मोहरों की बिसाद बिछ चुकी थी और अब बस सह और मात होना बाकी था।

7 मार्च की शाम 5 बजे, पलक की मुलाकात से ठीक एक दिन पहले... पलक को तो रायन नदी के किनारे अल्फा पैक नही मिला, लेकिन अल्फा पैक को नित्या का पता मिल चुका था, जो 2 दिन मौज मस्ती के लिये निकली थी। अल्फा पैक जर्मनी पहुंचकर आधिकारिक मुलाकात से पहले अपना अस्तित्व दिखाना चाह रही थी। वहीं पलक होटल के कमरे में पड़ी फोन की घंटी बजने का इंतजार कर रही थी।

दक्षिण–पश्चिम जर्मनी का एक शहर एन्ज, जिसमे ब्लैक फॉरेस्ट के बहुत सारे हिस्से आते थे। उस शांत शहर के एक निर्जन कॉटेज, जिसके आस–पास कोई दूसरा घर नही था, उसके छत की दीवार पर बने एक झरोखे से आर्यमणि और रूही नजरें गड़ाए हुये थे।

जाने–आने के एकमात्र दरवाजे पर 200 मीटर की दूरी से अलबेली नजर बनाये हुई थी। वहीं निशांत भ्रम जाल के माध्यम से खुद को काली बिल्ली प्रतीत करता, उस जगह के चारो ओर के क्षेत्र का मुआयना कर रहा था। अंदर नजरों के सामने जो नजारे चल रहे थे, उसे कैमरे के हर एंगल में कैद करती रूही, अपने मन में ही कहने लगी.... “इन घिनौने लोगों की कैसी–कैसी फैंटेसी है।”

अंदर जो चल रहा था वह रंगारंग क्रायक्रम से कम न था। अंदर पूरा नंगा होकर हवस का नया ही खेल चल रहा था, जिसमे 2 नंगे जिस्म में से एक पलक का जिस्म था और दूसरा उसके चचेरे भाई तेजस भारद्वाज का। यूं तो दोनो थर्ड जेनरेशन थे। यानी की पलक और तेजस के दादा अपने सगे भाई थे और उन्ही दो भाई के वंश वृक्ष के नीचे एक घर से पलक तो दूसरे घर से तेजस था।

क्या ही दोनो उधम–पटक और उत्पात मचा रखे थे। पूरे कॉटेज की दीवारें तक चरमरा उठी थी। पोर्न वीडियो के जितने भी एक्शन थे, दोनो पूरे जोश के साथ निभा रहे थे, और पलक के मुंह से जो आवाज आ रही थी...... “आह तेजस भैया... ओह तेजस भैया... आह भैया, प्यास मिटा दो... उफ्फ कबसे जली जा रही”...

और तेजस भी उतने ही जोश में.... “आह पलक... उफ्फ कितनी कसी है तेरी चूत... उफ्फ अपने भाई को गदगद कर दी... आ गांड़ भी मरवा ले”...

“मार ले भाई गांड़ क्या हर छेद मार ले... जहां इच्छा वहां घुसा दे... आह्ह्ह भैया, तुम बहुत मस्त चोदते हो... आह्ह्ह्ह मार लो.. ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है।”

फिर दोनो की एक साथ चिंघाड़ निकल गयी और हांफते हुये अलग हो गये।.... “क्या बात है अपनी चचेरी बहन का रूप देखकर तो मेरी हालत खराब कर दिये”.... नित्या अपने रूप में वापस आती हुई कहने लगी...

“बहुत ही चुलबुली है। और जब भी उसके टांगों के बीच का सोचता हूं, नशा चढ़ जाता है।”... तेजस, नित्या के ऊपर आकर उसके योनि पर अपना लिंग घिसते कहने लगा...

“उफ्फ बहुत ज्यादा जोश में हो। अब किसका”... नित्या मचलती हुई कहने लगी...

तेजस उसके होंटो को काटकर अलग होते.... “इस बार भूमि”...

“हाहाहाहाहा... अपनी सगी बहन”... नित्या लन्ड को पूरे मुट्ठी में भींचते कहने लगी....

तेजस:– आह्ह्ह्ह्ह... तू भी बहन के नाम पर जोश में गयी क्या? भूमि तो नायजो की और ओरिजनल मीनाक्षी की बेटी है। और मैं उसकी भाई की जगह आया एक नायजो हूं, जिसने कबसे भूमि के सपने सजा रखे थे। अब बर्दास्त न हो रहा, जल्दी रूप बदल मैं पेलूंगा...

“नहीईईईई... तू धरती का बोझ है।”.... आर्यमणि आवेश में आकर छत की दीवार तोड़कर नीचे आ गया। ठीक दोनो के मुंह के सामने खड़ा होकर चिल्लाने लगा।

नित्या और उसका पुराना आशिक तेजस दोनो हड़बड़ा कर खड़े हो गये। दोनो आर्यमणि को घूरते.... “तो तुझे तेरी मौत यहां खींच लायी है?”

“किसकी मौत किसको कहां खींच लायी है, वह तो बस थोड़े ही वक्त की बात है। लेकिन उस से पहले कपड़े तो पहन ले, या नंगा ही लड़ेगा”....

“तुझे मारना में वक्त ही कितना लगना है”... तेजस अपनी बात कहकर आंखों से लेजर चलाया। खतरनाक किरणे उसके आंखों से निकली। आर्यमणि तो पहले से जानता था कि ये एलियन नायजो क्या कर सकते है, इसलिए तेजस के हाव–भाव देखकर ही आर्यमणि मूव कर चुका था। कॉटेज के जिस हिस्से में तेजस के आंखों का लेजर टकराया, उस हिस्से की 16 फिट ऊंची और 22 फिट लंबी दीवार किरणों के टकराने के साथ ही पूरा ढह गया।

पता न तेजस की आंखों से लेजर के साथ कौन सा खतरनाक चीज जुड़ा था, जो पल भर में ही उस पूरे कॉटेज को ही धराशाही कर गया। 2 दीवार के गिरते ही ऊपर का छत पूरा भारभरा कर गिर गया। रूही भी छत पर थी। छत के साथ वह भी नीचे आयी। लेकिन वह जमीन पर गिरती उस से पहले ही आर्यमणि दौड़ते हुये रूही को पकड़ा और एक छलांग में कॉटेज के सीमा से बाहर था।

तेजस और नित्या ने मिलकर फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी जैसे ही तूफान को उठा दिया। उस तूफान में पूरा कॉटेज तीतर बितर हो गया और दोनो मलवे के बीच में खड़े हो गये.... “कहां भाग गया मदरचोद। एक घंटे पहले आता तो मैं तेरी मां जया की गांड़ मार रहा था। और तुझे पता है, तेरी जो पहली गर्लफ्रेंड मैत्री थी ना उसे लोपचे के खंडहर में मैने तीन दिन तक खूब पेला था, और उसके बाद कमर से काट दिया। साले तेरे दादा वर्घराज को मैने ही जहर दिया था। बुड्ढे को हमारे बार में पता लगाने की कुछ ज्यादा ही चूल मची थी। कितना छिपेगा हां.. आज तेरी गांड़ मारकर तुझे भी बीच से चीड़ दूंगा”...

तेजस बौखलाया था। दिमागी संतुलन खो बैठा हो जैसे। तेज आवाज में अपनी बात कह रहा था और आंखों से लगातार लेजर किरण निकाल रहा था। जैसे ही तेजस की बात समाप्त हुई... आर्यमणि ठीक उसके सामने कुछ दूरी पर खड़ा दिख गया.... “तू घिनौना है। धरती का बोझ है। तू मेरा और मेरे परिवार का दोषी है। तुझे क्या लगा तू अमर जीवन लेकर आया है। तो चल ये भी देख लेते है, आज कौन किसकी मारता है।”

नित्या:– आज तो तू मरा बच्चे। वैसे मैं तो तेरे साथ खेलना चाहती थी, लेकिन मेरा आशिक को ये मंजूर नहीं...

आर्यमणि:– काश मैं भी तुम्हारे बारे में भी ऐसा कह सकता। लेकिन विश्वास मानो जब मैं तुम दोनो को धीमा मारना शुरू करूंगा, तब अपनी जान बक्शने की भीख नहीं मांगोगे... बल्कि हर पल यही कहोगे, प्लीज मुझे अभी मार दो...

तेजस:– हमे मारना बाद में मदरचोद, पहले तो ये दिखा की मौत से बचकर तू कितना भाग सकता है...

आर्यमणि:– बोल बच्चन क्या दे रहा है बे नंगे, मारकर दिखा...

आर्यमणि सीना तान दोनो के सामने खड़ा, मानो निमंत्रण दे रहा हो। नित्या और तेजस दोनो ही एक साथ लेजर चलाना शुरू कर चुके थे और आर्यमणि... आर्यमणि ने उनके अचूक और प्राणघाती लेजर को मिट्टी का ढेला समझ लिया था। प्योर अल्फा की गति का तो ये मुकाबला भी नही कर सकते थे, लेकिन इस बार कदम तो आहिस्ता बढ़ रहा था पर हाथ उतना ही तेज।

जो भी लेजर की किरण उसके ओर आती, हर किरण पर आर्यमणि जैसे टफली मारकर कह रहा हो... “तू दाएं जा, तू बाएं जा”... जैसे हाथ हिलाकर चेहरे या बदन के आगे से मच्छर–मक्खी को भागते है, ठीक उसी प्रकार लेजर की किरणे थी, जिसे आर्यमणि अपने हाथों से झटक रहा था।

अलबेली और रूही अपने बारी की प्रतीक्षा में, जिसे आर्यमणि अपने मन के संवाद से रोक रखा था.... “अभी रुको”...

किसी भी बलवान से यदि उसका बल छीन लिया जाये, फिर वो खुद को असहाय समझने लगता है, जैसे उस से बड़ा कमजोर इस संसार में नही। आर्यमणि अपने सुरक्षा मंत्र और हाथ के झटके से तेजस और नित्या को लगातार असहाय साबित करने में लगा हुआ था। बाहर से अपनी बारी आने की प्रतीक्षा में रूही और अलबेली घात लगाए बैठी थी। उन दोनो को आर्यमणि अपने मस्तिष्क संवाद से रोक रखा था।

आहिस्ते चलते हुये आर्यमणि तेजस और नित्या के करीब पहुंच गया। फासले एक फिट से भी कम के थे। अब नित्या और तेजस में से किसी के मुंह से शब्द नही फूट रहे थे, बस पागलों की तरह अपने आंख से लेजर चला रहे थे। पाऊं आहिस्ते थे, किंतु हाथ नही। वह अब भी इतने तेज थे कि इतना नजदीक होने के बावजूद एक भी किरण आर्यमणि को छू नही पायी।

फिर शुरू हुआ मौत को भी भयभीत कर देने वाली खौफ और दर्दनाक चींखों का खेल। आर्यमणि सामने सीना ताने खड़ा। उसके एक इशारे पर रूही और अलबेली, दोनो (तेजस और नित्या) के ठीक पीछे खड़ी थी। रूही और अलबेली ने पीछे से तेजस और नित्या के हाथ को पीछे खींचकर उनके शरीर का सारा टॉक्सिक खींचने लगे।

यूं तो तेजस और नित्या दोनो ही पलटना चाह रहे थे, लेकिन सामने खड़ा आर्यमणि ने हाथों के मात्र एक इशारे से दोनो के पाऊं को जड़ों से जकड़ दिया था। ऐसा लग रहा था जमीन से निकली जड़ों ने दोनो को पैंट पहना दिया हो। वहीं रूही ने बचा हुआ कसर भी पूरा कर दिया। ऊपर टॉप भी पहना चुकी थी। सिवाय उनके चेहरे और कलाई के पूरे बदन पर जड़ चढ़ चुका था।

“य्य्य्य, इय्य्य.. ये तुऊऊऊ.. तुमने, कौन सा तिलिस्म किया है?”.... तेजस घबराते हुये पूछने लगा...

आर्यमणि अपने पंजे में पूरा जहर उतारकर एक झन्नाटेदार तमाचा तेजस के गाल पर चिपका दिया। तेजस को ऐसा लगा जैसे भट्टी से अभी–अभी निकले तवे को उसके गाल से चिपका दिया गया हो। ऊपर से जहर का असर इतना दर्दनाक था कि तेजस की चींख रुकी ही नही।

नित्या, तेजस का हाल देखकर तुरंत पाला बदलती.... “देखो आर्यमणि मैं तुम्हारी दुश्मन नही बल्कि अपना दोस्त समझो। मैं तो बस अपने बॉस लोगों का हुक्म बजा रही थी। इसी के बाप सुकेश भारद्वाज ने तुम्हारे दादा को बेज्जत किया था, लेकिन उनके बेइज्जती में मेरा कोई हाथ ना था, मैं बस जरिया थी। उल्टा सजा के तौर पर मुझे कई वर्षों तक जंगल में भटकने छोड़ दिया।”

आर्यमणि:– तुम वही जरिया हो ना, जिसने ओशुज नाम के एक अल्फा वेयरकायोटी को मैक्सिको में कैद करवाई थी। (मैक्सिको की जंगल वाली घटना। जहां वेयरवोल्फ के खून से ड्रग्स के पौधों की सिंचाई करते थे)

नित्या:– तुम्हे कैसे पता...

आर्यमणि:– क्योंकि उस कांड का असर मेरे पूरे अल्फा पैक पर पड़ा था, इसलिए मुझे पता है। तुम सब के कांड तो मुझे शुरू से पता थे, बस जो तब पता नही था वो अब पता कर चुका हूं। तुम्हारा भेद खुल चुका है नायजो... अब न तो पृथ्वी पर तुम्हारी नाजायज हरकतें बर्दास्त हो रही और न ही तुम सब का यहां नाजायज तरीके से रहना। क्या सोचा था, हार–मांस का शरीर होता है इंसान और तुम सब एपेक्स हो। आज मजा लो अपने बोए बीज का...

तेजस का दर्द जब कुछ कम हुआ... “देखो आर्यमणि हजारों की फौज तुम्हे मारने आयी है। उनसे बच गये तो लाख आयेंगे, उनसे भी बचे तो करोड़ों। तब तक वो हमला करते रहेंगे जबतक तुम मर नही जाते...”

“मरना... मरना... मरना... हां मरना... मरने का डर क्यों... वैसे ये मरने का डर तुम दोनो को तो नही होगा क्योंकि अमर जीवन तो तुम्हारे साइंस लैब में मिलता है। है की नही?”.... आर्यमणि दाएं से बाएं गस्त लगाते हुये किसी खौफ की तरह अपनी बात रखा। उसे सुनकर तेजस और भी ज्यादा भयभीत होते... “तुम्हे साइंस लैब के बारे में कैसे पता?”

आर्यमणि:– मुझे क्या पता वो जरूरी नहीं। इस वक्त जो ज्यादा जरूरी है, वो ये की तुम्हे जिंदा रहना है या नही..

दोनो हरबरी में एक साथ... “जिंदा, जिंदा, जिंदा रहना है।”

आर्यमणि:– हम्मम.... ठीक है तो दिया तुम दोनो को जिंदगी। आज तुम्हे एहसास होगा की जीना कितना मुश्किल होता है और मृत्यु कितना सुखद। रूही, अलबेली हो गया क्या?

रूही:– हो गया है बॉस। लेकिन आगे कुछ करने से पहले मुझे अपनी भड़ास निकालनी है।

अलबेली:– और मुझे भी...

दूर से नजर आ रही बिल्ली भी अपने असली स्वरूप में दिखने लगी और निशांत भी जोड़ों से चिल्लाया... “पहले मैं..”

रूही:– ठीक है देवरजी आपको पहला मौका मिलेगा, लेकिन उसके लिये आपको इस नित्या को चूमना होगा...

नित्या:– मुझे छोड़ दो तो चूमना क्या सब करने दूंगी। वो भी जिस लड़की का रूप कहो मैं उस लड़की में बदल सकती हूं। हर रात तुम अलग लड़की के साथ सो सकते हो।

निशांत:– क्या अब भी मुझे चूमना चाहिए...

रूही:– जाने दो, चूमने का हिसाब हम फिर कभी करेंगे...अभी इन एपेक्स सुपरनेचुरल पर हाथ साफ करते है।

निशांत हामी भरते तेजस और नित्या के सामने खड़ा हो गया।.... “तुम लोग गंदे और घिनौने हो। एक ही कुल के लड़कियों के साथ जिस हिसाब से संभोग की इच्छा रखते हो, उस से तुम्हारे समुदाय के विलुप्त होने की कहानी समझ में आती है। तुम्हे जीने का कोई अधिकार नही”..

निशांत अपनी बात पूरी कर जो ही जोरदार थप्पड़ दोनो के गाल पर मारा, दिमाग से “सबसे बढ़कर हम” होने का भूत उतर गया। किसी असहाय इंसान की तरह खड़े थे, और गाल टमाटर की तरह लाल हो गया था।
Nice update
 
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