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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Dekh lo Death Kiñg SANJU ( V. R. ) Xabhi The king ju sabke samajhadani par sawal uthaya gaya hai...ab isme mujhe dosh mat Dena...
Ab writer vo hai or unki kahani ka Saar vahi bhali bhati jante hai ham or Aap to sirf anuman hi lga rhe hai to aise me kuchh anuman galat siddh ho hi jate hai or mere to lagbhag sare hi anuman galat hote hai to isme iljam kaisa ye to satya hi hua mere liye...
Bhai 11 ster fan agar aapko kahani pasand nahi aarahi to mat padhiye ye aapki marji he lekin sabko ese uksana nahi chahiye sab ki pasand alag alag hoti he kisi ko chai pasand hoti he kisiko coffe to sab apne hisab se chale yahi behtar he.
Bhai fan bhai ne jitno ko tag kiya hai Unme se koi bhi ugra nhi hota yha or Khash kr Nainu bhaya ke thread me, Mai or sanju bhaya to sadi sudha hai or ab to Nainu bhaya bhi ho gye, ham log bajar me Aksar sabji ka thaila liye mil jayenge kuchh din baad apne Nainu bhaya bhi milne lagenge thaila liye, ham gussa na hote ha Nainu bhaya ka abhi nya nya hai to unhe samajhne me abhi der lagegi...

Itna sab kahne ka mtlb sirf itna tha ki ham sabko kisi or ke josh dilane se josh na aata, ham apna josh apne sath rakhte hai... To fikar not...
 

Hellohoney

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Ab writer vo hai or unki kahani ka Saar vahi bhali bhati jante hai ham or Aap to sirf anuman hi lga rhe hai to aise me kuchh anuman galat siddh ho hi jate hai or mere to lagbhag sare hi anuman galat hote hai to isme iljam kaisa ye to satya hi hua mere liye...

Bhai fan bhai ne jitno ko tag kiya hai Unme se koi bhi ugra nhi hota yha or Khash kr Nainu bhaya ke thread me, Mai or sanju bhaya to sadi sudha hai or ab to Nainu bhaya bhi ho gye, ham log bajar me Aksar sabji ka thaila liye mil jayenge kuchh din baad apne Nainu bhaya bhi milne lagenge thaila liye, ham gussa na hote ha Nainu bhaya ka abhi nya nya hai to unhe samajhne me abhi der lagegi...

Itna sab kahne ka mtlb sirf itna tha ki ham sabko kisi or ke josh dilane se josh na aata, ham apna josh apne sath rakhte hai... To fikar not...
Bat sahi he sadi suda ka dukh me bhi janta hu bhai vo bhi 18 salo se nanu bhai ne agar dil pe leliya to update me kami aayegi me bhot salo se story padhte aaraha hun mujhe bho bhot si story pasand nahi aati to me nahi padhta jese apne Dr sahab he unki sayad 2 story hi abhi tak padhi he vo likhte besak acha he lekin mujhe story nahi pasand aati to me nahi padhta lekin kabhi galat coment nahi kiya bas yahi samjhana he yahan har koi bhagdod bhari life se free hoke manoranjan karne aate he or kuch padhte he kuch likhte he bhai sab apni jagah he lekin kisika honsla nahi todna chahiye.

Vese me bhot hi kam ya naa ke barabar hi coment karta hun bas ye bat mujhe achi nahi lagi to likh diya baki aap dekhlo es story par mera koi bhi coment nahi he.
 

Anubhavp14

न कंचित् शाश्वतम्
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एक और आश्चर्य की बात जिसपर फिर से चित्रा चौंक गयि, और निशांत चौंकने का अभिनय करने लगा… दोनो सवालिया नज़रों से आर्यमणि को देख रहे थे। आर्यमणि अपनी बात आगे बढ़ाते हुये… "कॉलेज में तुम दोनो से दूर रहना मेरे सीने को जलाता था, लेकिन तुम्हे क्या लगता है कॉलेज में मात्र रैगिंग हो रही थी। मुझ पर तबतक कोशिश की जाती रहेगी जब तक मै मर नहीं जाता। मुझे फसाने के लिए वो मेरे अपनों में से किसी को भी मार सकते है। किसी ने तुम दोनों पर या मेरे मम्मी–पापा पर हमला करके उन्हें मार दिया तो मै उसी दिन अपना गला रेत लूंगा।"
Bhoomi di ka naam nhi liya :rondu:esa kyu why nainu bhaiya why ?
आर्यमणि, "आर्म्स एंड अम्यूनेशन डेवलपमेंट यूनिट" के सभी लीगल दस्तावेज उनके हाथ मे थामते.. "ऊंची उड़ान के पेपर रखो तुम दोनो। बाकी ये फैक्टरी क्या है? कैसे इसे आगे बढ़ना है? उसकि पूरी टेक्निकल और नॉन टेक्निकल डिटेल, मैंने तुम्हारे बैग मे डाल दिया है.."


निशांत और चित्रा थोड़ी हैरानी से... "आर्म्स एंड अमुनेशन डेवलपमेंट यूनिट का प्लान... ये सब तुमने कब बनाया। कहां से सीखा? या यूएस में जब थे तब ये सब प्लान किया था?


आर्यमणि:- हां, यूएस में मैंने किसी के कॉन्सेप्ट को पूरा उठा लिया। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उन लोगों ने बताया, ये आर्म्स एंड वैपन डेवलपमेंट मे पूरा मैकेनिकल इंजीनियरिंग काम आता है। मैंने सोचा 1 बेरोजगार (निशांत) तो पढ़ ही रहा होगा, उसी के साथ धंधा करूंगा। यहां तो मुझे 3 बेरोजगार मिल गये।


चित्रा और निशांत दोनो एक जोर का लगाते… "कमिना कहीं का..."


आर्यमणि:- मैं चाहता हूं बीटेक के बाद तुम दोनो और माधव, तीनो मैकेनिकल वेपन से एमटेक करो। आगे की पढ़ाई में कैसे क्या करना है, उसकी पूरी डिटेल माधव निकाल लेगा। और हां तुम्हारे बैग में पूरे 2000 पन्ने डाले हैं निशांत। उसमे आर्म्स एंड वैपन डेवलपमेंट की पूरी डिटेल है। एक बार तीनो जरूर पढ़ लेना। फैक्टरी की परमिशन ज्यादा से ज्यादा 3 महीने मे मिल जाएगी, लेकिन सवाल–जवाब के लिये जब बुलाये तो वो पूरा पेपर रट्टा मारा हुआ होना चाहिए..


निशांत, चित्रा के गाल खींचता... "मेरी बहन और मेरा अस्थिपंजर जीजा जायेगा। मैं तो कहीं और फोकस करूंगा.."


चित्रा:- कहां, उन प्रहरी के शिकारियों पर ना, जिसने हमारा दोस्त छीना… जया अंटी को रुलाया, भूमि दीदी से आर्य को दूर किया..


निशांत:- हां वो भी करेंगे। लेकिन उस से पहले स्टाफ की सारी बहाली मुझे ही देखनी होगी.. मस्त, मस्टरपीस, 3 तो मेरी पीए होंगी। 8 घंटे की शिफ्ट अनुसार।


तीनो लाइन से पाऊं लगाकर बैठे थे, चित्रा और आर्यमणि झुककर उसका चेहरा देखते, काफी जोर से... "अक्क थू.."
Kuch kuch anuman laga liya tha ki mechanical engineering kyu aur me to kabse madhav ke role ke bare me puch raha tha lekin humare nainu bhaiya jawab hi nahi de rahe the aur me dekh raha hu nainu bhaiya aaj kal halke me sulta rahe hai mere reviews ko:waiting1: question ke answer ni.... na kuch.... galat baat :madno:
Kya isse ye keh sakte hai ki aarya ka vision door ka hai na sirf business karna chahata hai supernaturals jese aur se ladne ke liye bhi wo ye arms and ammunition development ka business start kiya hai
चित्रा:- मेरा वादा है आर्य जिसने भी तुझे हमसे दूर किया है, उनसे उनकी खुशियों को दूर ना कि तो मेरा नाम भी चित्रा नहीं। तू बेफिक्र होकर जा। हमे तो कुछ भी पता नहीं तू क्यों गया। यह हम दोनों मेंटेन कर लेंगे। क्यों निशांत?
jis tarha chitra ne kaha kuch to chitra ko bhi sikhana padega combat se related jese nandu ko apne wo gloves de diye the wo idea to gajab tha nainu bhaiya :applause::applause: bus esa hi kuch chitra aur madhav ke liye bhi mangte hai ....meko to galaxian ka scene imagine kar raha hu jahan puri teeno teams ke techinal aur IT wale ek saath honge Amy Aarav Aroob Serin Aur Yaha se Madhav aur Chitra ......... :yippi::toohappy:fir to bus ese :dj2:dj bajane ki der rahegi aur war start hoga maja aa jayega ....ek role mere ko bhi de dena:happy::smarty: .....
"मुझे जो भी सुन रहे है उनको नमस्कार। शादी की रश्मे शुरू होगी 5 बजे से। मै 4 बजे जाऊंगी तैयार होने। थोड़े कम मेकअप के साथ अपना चेहरा कम चमकाऊंगी और 5 बजे तक तैयार होकर शादी के हॉल में। वो क्या है ना मुझे किसी को दिखाने में इंट्रेस्ट नहीं। क्योंकि मुझे जिसे दिखाना है वो फिक्स है और उसे मै कॉलेज जाने वाले मेकअप में ही मिस वर्ल्ड दिखती हूं, इसलिए एडवांस और हाई-फाई मेकअप पोतना मुझे बकवास लगता है।"

"यहां मेरे साथ 2 क्यूट और हैंडसम लड़के खड़े है। एक मेरा भाई निशांत, उसे 1 रात में कोई गर्लफ्रेंड पटाकर, फोन रिलेशन मेंटेन करने का शौक नहीं, इसलिए वो भी लीपा-पोती में विश्वास नहीं रखता। दूसरा है हम दोनों भाई-बहन के बचपन का साथी आर्य। उसकी तो शादी ही तय हो गयि है। अब पलक जिस दिन उसे देखकर अपने लिए पसंद की थी। उससे कुछ दिन पहले आर्य के पेट में चाकू घुसा था। चेहरे पर 3-4 दिन की हल्की-हल्की दाढ़ी थी। अब वैसे रूप में जब वो पसंद आ सकता है तो थोड़े कम लीपा-पोती में भी आ ही जायेगा। बाकी दूसरी लड़कियां जरा दिल थाम के, ये दोनो इस वक्त भी तुम्हारे दिल में ज़हर बनकर उतर सकते है।"

"खैर, खैर, खैर.… इतना लंबा भाषण देने का मतलब है, जिन-जिन लोगो की शादी हो गयि है या फिर लाइफ पार्टनर फिक्स है। यहां आकर हमारे साथ 2 ठुमके लगाकर एन्जॉय कर सकते है। हां जो सिंगल है और यहां पार्टनर पटाने आये है, या ऊब चुके शादी सुदा लोग, या कमिटेड लोग, किसी और पर डोरे डालने की मनसा रखते हों, वो सजना संवारना जारी रखे। तू म्यूज़िक बजा रे।..


सबको हिलाने वाला भाषण देने के बाद चित्रा माईक फेकी और हाई वोल्टेज म्यूज़िक पर तीनों नाचने लगे। चित्रा का भाषण सुनकर वहां के बहुत से रोमांटिक कपल डांस फ्लोर पहुंच चुके थे।


आर्यमणि को निशांत और चित्रा की मां निलांजना दिख गयि.. उनका हाथ पकड़कर आर्यमणि डांस फ्लोर तक लेकर आया और कमर में हाथ डालकर नाचते हुए कहने लगा… "आंटी आप तो वैसे ही इतनी खूबसूरत हो, आपको मेकअप की क्या जरूरत।"..


निलांजना खुलकर हंसती हुई… "राकेश ने देख लिया ना तुम्हे ऐसे, तो खैर नहीं तुम्हारी।"..


आर्यमणि, चित्रा और निशांत को सुनाते हुये… "तुम दोनो को नहीं लगता तुम्हारि मम्मी के लिए हमे नया पापा ढूंढ़ना होगा। वो राकेश नाईक जम नहीं रहा। क्या कहते हो दोनो।"


चित्रा:- डाइवोर्स करवा देते है।


निशांत:- फिर मेट्रोमनी में डाल देंगे.. हॉट निलांजना के साथ शादी कर 2 जवान बच्चे दहेज में पाये।


तीनों ही कॉलर माईक लगाए थे। जो भी उनकी बात सुन रहे थे हंस-हंस कर लोटपोट हो रहे थे। इसी बीच जया भी आ गई.… जया को देखते हुए चित्रा कहने लगी..… "हमारे बीच आ गई है, गोल्डन एरा क्वीन के नाम से मशहूर जया कुलकर्णी। ओय जया जारा मेरे साथ 2 ठुमके तो लगा।"..


जया:- चित्रा 2 क्या 4 लगा लूंगी, बस मैदान छोड़कर मत भागना।


पीछे से जया का पति केशव… "चित्रा के ओर से मै मैदान में उतरता हूं, जया अब दिखाओ दम।"..


दोनो मिया-बीवी डांस फ्लोर पर नाचने लगे और उन्हें नाचता देख सभी ताली बजाने लगे। कुछ देर बाद और भी परिवार के लोग नाच रहे थे। तभी वहां पर ग्रैंड एंट्री हुई पहली दुल्हन की। मुक्ता आते ही माईक पर कहने लगी… "मेरा होने वाला फिक्स हो गया है। यहां के कॉर्डिनेटर जी (राजदीप), वो तो पता ना क्या-क्या करवा रहे होंगे ब्यूटीशियन से, कोई एक डांस पार्टनर मुझे भी दे दो।"..


आर्यमणि:- कोई एक क्यों पीछे से माणिक भाऊ आ रायले है, आप उनके साथ डांस करो। जबतक मै नम्रता दीदी से डांस के लिए पूछता हूं। वैसे मेरे साथ ही चोट हो गयि, पलक तो हुई सली, माणिक भाव के मज़े है। मेरे ससुराल वाले नीचे किसी को नहीं छोड़ गये, काश अपनी भी कोई साली होती।


अक्षरा:- तू नम्रता को छोड़ उसके साथ तो कोई भी डांस कर लेगा.. मेरे बारे में क्या ख्याल है।


निशांत सिटी बजाते हुए… "मासी आज भी कातिलाना दिखती हो। कहो तो मै अपने पापा के साथ एक मौसा भी ढूंढ लू।"..
Sahi me palak ki zid achi thi .... bhot maja aya chitra ka bebak andaaz aur apne aur madhav ke relation ke baare me thoda bhot bata dena lekin jis tarha usne kaha sahi me majedar tha ki madhav to usko college ke make up me bhi miss world hi maanta hai.....aur nishant ke papa ki bhi achi maje li lekin ab unka role utna lag nhi rha ki aayega jyda aage
khair kuch update se ye akshara bhot aarya se baat badha rahi hai :dancing:kahi aarya pr to apni gandi najar:crazy2: nhi daal rahi ....


नगाड़े बजते रहे और डांस चलता रहा। थोड़ी देर बाद भूमि दूर से ही माईक पर कहती… "मेरे 2 छोटू ब्वॉयफ्रैंड के साथ जिस-जिस ने डांस करना था कर लिया, अब दूर हो जाओ। दोनो सिर्फ मेरे है।"


माणिक:- भूमि मेरी बड़ी साली जी, अपने पुराने आशिक़ को भी मौका दो। एक बार आपके कमर में हाथ डालकर डांस कर लूं, फिर जीवन सफल हो जायेगा।


भूमि:- नम्रता सुन ले इसे, अभी से क्या कह रहा है?


नम्रता:- दीदी आज भर ही तो बेचारा बोलेगा, फिर तो इसका भी हाल जयदेव जीजू जैसा ही होना है। बिल्कुल चुप और पल्लू के पीछे रहने वाले।


नाचते-नाचते भूमि, जया, निशांत, चित्रा और आर्य ने एक गोला बाना लिया। चारो ही आर्यमणि को देखकर धीमे-धीमे डांस कर रहे थे। काफी खुशनुमा पल था ये। ये पल कहीं गुम ना हो जाए इसलिए एक पूरी क्लोज रिकॉर्डिंग आर्य, चित्रा और निशांत ने अपने ऊपर रखी हुई थी।


महफिल जम गया था और लोगों की हंसी पूरे हॉल में गूंज रही थी। अपने और परायों के साथ बिना भेद-भाव और झूमकर नाचने को ही ती शादी कहते है। और इसे जिसने एन्जॉय किया बाद में जाकर यही कहते है, फलाने के शादी में काफी एन्जॉय किया। शायद इसलिए हमारे यहां शादियों में इतने खर्च होते है, ताकि परिवार और रिश्तेदार जो काम में व्यस्त होकर एक दूसरे से जितने दूरियां बाना लिये हो, वो करीब आ सके।
aur kuch update se to bus nainu bhaiya kahi na kahi last me emotional karne ka mauka hi dhundh rahe hai lekin kuch bhi kaho best update aur jo last me kuch lines kahi mujhe sayad usse kuch seekhne ko mila hai.... kyu ki rishtedaari me me jayda maanta nhi
lekin bhot acha update tha bus iisse yahi lag raha hai ki aage ke update bhot intense hone wale hai
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Kisi ki bhavna sahi ho ya na ho pr apne arya ne kya mind blowing performance di hai bhai khair tha to ye Uski dil ki bhavna hi Jise usne pure dil se jia or uske dost bahan or ma ne bhi pr kuchh bhi ho maza hi aa gya padh kr... Arya palak ko prapose karke vha se nikal to aaya vhi baad me palak ke sath suhagsej me bhi romantic mahaul bna diya meri kuchh yade bhi taza kr di vo alag baat hai maine mnai apne hi ghar ke kamre me thi...

Bhai Superb update jabarjast sandar sexy update
भाग:–54





दोपहर के 3 बजते-बजते सभी थक गये थे। शादी की रस्में भी 5 बजे से शुरू होती इसलिए ये तीनों भी सभा भंग करके निकल गये। तीनों सवा 5 बजे तक तैयार होकर आये। चित्रा और आर्यमणि लगभग एक ही वक़्त पर कमरे से निकले। चित्रा, आर्यमणि को देखकर पूछने लगी, "कैसी लग रही हूं".. आर्यमणि अपनी बाहें फैला कर उसे गले से लगाते, "सेक्सी लग रही है। लगता है पहली बार तुझे देखकर नीयत फिसल जायेगी।"


चित्रा उसके सर पर एक हाथ मारती, हंसती हुई कहने लगी… "पागल कहीं का। ये निशांत कहां रह गया।"..


इतने में निशांत भी बाहर आ गया.. चित्रा और आर्यमणि दोनो ने अपनी बाहें खोल ली, निशांत बीच में घुसकर दोनो के गले लगते… "साला शादी आज किसी की भी हो, ये पुरा फंक्शन तो हम तीनो के ही नाम होगा।"..


"तुम दोस्तो के बीच में हमे भी जगह मिलेगी क्या"… भूमि और जया साथ आती, भूमि ने पूछ लिया। चित्रा और निशांत ने आर्यमणि को छोड़ा। भूमि, आर्यमणि को गौर से देखने लगी। उसकि आंख डबडबा गयी। वो आर्यमणि को कसकर अपने गले लगाती, उसके गर्दन और चेहरे को चूमती हुई अलग हुयि।


जया जब अपने बच्चे के गले लगी, तब आर्यमणि को उससे अलग होने का दिल ही नहीं किया। कुछ देर तक गले लगे रहे फिर अलग होते.… "मै और मेरी बेटी अपने हिसाब से एन्जॉय कर लेंगे, ये वक़्त तुम तीनो का है। कोई कमी ना रहे।"..


तीनों हॉल में जाने से पहले फिर से 2 बियर चढ़ाए और इस बार कॉकटेल का मज़ा लेते, 1 पेग स्कॉच का भी लगा लिया। तीनों हल्का-हल्का झूम रहे थे। जैसे ही हॉल में पहुंचे स्टेज पर माला पहने कपल पुतले की तरह बैठे हुये थे। लोग आ रहे थे हाथ मिलाकर बधाई दे रहे थे। फोटो खींचाते और चले जाते।


जैसे ही तीनों अंदर आये... "लगता है ये सेल्फी आज कल लोग प्रूफ के लिये लेते है। हां भाई मै भी शादी में पहुंचा था। तुम भी मेरे घर के कार्यक्रम में आ जाना।".. आर्यमणि ने कहा..


चित्रा:- हां वही तो…. अरे दूल्हा-दुल्हन के दोस्त हो। थोड़े 2-4 पोल खोल दो, तो हमे भी पता चले कितनी मेहनत से दोनो घोड़ी चढ़े है।


निशांत:- या इन सब की ऐसी जवानी रही है, जिस जवानी में कोई कहानी ना है।


आर्यमणि:- अपने बच्चो को केवल क्या अपने शादी की वीडियो दिखाएंगे.. देख बेटा एक इकलौता कारनामे जो हमने तुम्हरे बगैर किया था।


चुपचाप गुमसुम से लोग जैसे हसने लगे हो। तभी स्टेज से पलक की आवाज आयी… "दूसरो के साथ तो बहुत नाचे। दूसरो की खूब तारीफ भी किये.. जारा एक नजर देख भी लेते मुझे, और यहां अपनी कोई कहानी बाना लेते, तो समझती। वरना हमारा भविष्य भी लगभग इनके जैसा ही समझो।"..


स्टेज पर माईक पहुंच चुका था। नये होने वाले जमाई, माणिक बोलने लगा… "आर्य, हम दोनों ही जमाई है। दोस्त ये तो इज्जत पर बात बन आयी।"..


चित्रा:- ऐसी बात है क्या.. कोई नहीं आज तो यहां फिर कहानी बनकर ही जायेगी, जो पलक और आर्य अपने बच्चो को नहीं सुनायेंगे। बल्कि यहां मौजूद हर कोई उनके बच्चे से कहेगा, फलाने की शादी में तुम्हारे मम्मी-पापा ने ऐसा हंगामा किया। पलक जी नीचे तो उतर आओ स्टेज से।


पलक जैसे ही नीचे उतरी निशांत ने सालसा बजवा दिया। इधर आर्यमणि सजावट के फूल से गुलाब को तोड़कर अपने दांत में फसाया और घुटने पर 20 फिट फिसलते हुए उसके पास पहुंचा। पलक के हाथो को थामकर वो खड़ा हुआ और उसकी आखों में देखकर इतना ही कहा…


"आज तो मार ही डालोगी।".. पलक हसी, आर्यमणि कमर पर बांधे लंहगे के ऊपर हाथ रखकर उसके कमर को जकड़ लिया और सालसा के इतने तेज मूव्स को करवाता गया कि पलक को यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो ऐसे भी डांस कर सकती है।


वो केवल अपने बदन को पूरा ढीला छोड़ चुकी थी। जैसे-जैसे आर्यमणि नचा रहा था, पलक ठीक वैसे-वैसे करती जा रही थी। लोग दोनो को देखकर अपने अंदर रोमांस फील कर रहे थे। तभी नाचते हुए आर्यमणि ने पलक को गोल घूमाकर अपने बाहों में लिया और अपने होंठ से गुलाब निकालकर उसके होंठ को छूते हुए खड़ा कर दिया। आर्यमणि अपने घुटने पर बैठकर, गुलाब बढ़ाते हुए.... "आई लव यू"..


इतनी भारी भीर के बीच पलक के होंठ जब आर्यमणि ने छुये, वो तो बुत्त बन गयि। उसकी नजरें चारो ओर घूम रही थी, और सभी लोग दोनो को देखकर मुस्कुरा रहे थे। पलक हिम्मत करती गुलाब आर्यमणि के हाथ से ली और "लव यू टू" कहकर वहां से भागी।


इसी बीच जया पहुंच गयि, आर्यमणि का कान पकड़कर… "इतनी बेशर्मी, ये अमेरिका नहीं इंडिया है।"..


भूमि:- मासी इंडिया के किसी कोन में इतना प्यार से प्यार का इजहार करने वाला मिलेगा क्या? मानती हूं भावनाओ में खो गया, लेकिन बेशर्म नहीं है।


लोग खड़े हो गये और तालियां बजाने लगे। तालियां बजाते हुए "वंस मोर, वोंस मोर" चिल्लाने लगे। तभी आर्यमणि अपनी मां के गले लगकर रोते हुए .. "सॉरी मां" कहा और माईक को निकालकर फेंक दिया।


जया अपने बच्चे के गाल को चूमती, धीमे से उसे अपना ख्याल रखने के लिए कहने लगी। पीछे से भूमि भी वहां पहुंची और आखें दिखाती… "ऐसे लिखेगा कहानी"… वो भूमि के भी गले लग गया। भूमि भी उसे कान में धीमे से ख्याल रखने का बोलकर उसके चहेरे को थाम ली और मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम ली।


पीछे से चित्रा और निशांत भी पहुंच गए। दोनो भाई बहन ने अपने एक-एक बांह खोलकर… "आ जा तुम हमारे गले लग। सबको कोई बुराई नहीं भी दिख रही होगी तो भी तुझे रुला दिया।"..


आर्यमणि अपने नजरे चुराए दोनो के गले लग गया। दोनो उसे कुछ देर तक भींचे रहे फिर उसे छोड़ दिया। इतने में ही वो फॉर्मेलिटी के लिये अपनी मासी के पास पहुंचा और उसके गोद में अपना सर रखकर.. "सॉरी मासी" कहने लगा। मीनाक्षी उसके गाल पर धीमे से मारती… "ऐसे सबके सामने कोई करता है क्या?"..


आर्यमणि:- मै तो अकेले में भी नहीं करता लेकिन पता नहीं क्यों वो गलती से हो गया।


उसे सुनकर वहां बैठी सारी औरतें हसने लगी। सभी बस एक ही बात कहने लगी… "जारा भी छल नहीं है इसमें तो।"..


शाम के 6 बज चुके थे लड़के को लड़के के कमरे में और लड़की को लड़की के कमरे में भेज दिया गया था। आगे की विधि के लिए मंडप सज रहा था। लोग कुछ जा रहे थे, कुछ आ रहे थे। आर्यमणि भी नागपुर निकलने के लिए तैयार था। तभी जब वो दरवाजे पर अकेला हुआ, पलक उसका हाथ खींचकर अंधेरे में ले गयि और उसके होंठ को चूमती… "मुझे ना आज कुछ-कुछ हो रहा है और तुम भी हाथ नहीं लग रहे, सोच रही हूं, श्रवण को मौका दे दूं।"..


आर्यमणि:- ना ना.. ये गलत है। पहले मुझसे कह दो मेरे मुंह पर… तुमसे ऊब गई हूं, ब्रेकअप। फिर जिसके पास कहोगी मै खुद लेकर चला जाऊंगा।


पलक उसके सीने पर हाथ चलाती…. "बहुत गंदी बात थी ये।"


आर्यमणि:- मै जा रहा हूं तुम्हारे ड्रीम को पूरा करने, यहां सबको संभाल लेना। पहुंचकर कॉल करूंगा।


पलक, फिर से होंठ चूमती… "प्लीज़ अभी मत जाओ।"..


आर्यमणि:- मेरे साथ आओ..


पलक:- पागल हो क्या, मै शादी छोड़कर नागपुर नहीं जा सकती।


आर्यमणि:- भरोसा रखो.. और चलो।


पलक भी कार में बैठ गई और दोनो रिजॉर्ट के बाहर थे। आर्यमणि ने कार को घूमकर रिजॉर्ट के पीछे के ओर लिया और जंगल के हिस्से से कूदकर रिजॉर्ट में दाखिल हो गया। पलक को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। फिर भी वो पीछे-पीछे चली जा रही थी। दोनो एक डिलक्स स्वीट के पीछे खड़े थे। आर्यमणि पीछे का दरवाजा खोलकर पलक को अंदर आने कहा, और जैसे ही उस कमरे की बत्ती जली.. पलक अपने मुंह पर हाथ रखती… "आर्य ये क्या है।"..


आर्यमणि, आंख मारते… "2 लोगो के सुहागरात के लिये सेज सज रही थी, मैंने हमारे लिए भी सजवा लिया"


सुनते ही पलक अपनी एरिया ऊंची करती आर्य के होंठ को चूमने लगी। आर्य उसे गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया। ये फूलों की महल और मखमली बिस्तर। आर्य अपने हाथ से पलक के चुन्नी को उसके सीने से हटाकर उसके पेट पर होंठ लगाकर चूमने लगा।


सजी हुई सेज और फूलों कि खुशबू दोनो में गुदगुदा कसिस पैदा कर रही थी। पलक का मदमस्त बदन और लहंगा चुन्नी में पूरी तरह सजी हुई पलक कमाल की अप्सरा लग रही थी। धीमे से डोर को खिंचते हुये आर्यमणि ने लहंगे को खोल दिया। फिर पतली कमर से धीरे-धीरे सरकते हुए लहंगे को पैंटी समेत खींचकर निकाला और आराम से टांग कर रख दिया।


इधर पलक उठकर बैठ चुकी थी और आर्य अपने होंठ से उसके चोली के एक एक धागे के को खोलते उसके पीठ को चूमते नीचे के धागों को खोलने लगा। .. चारो ओर का ये माहौल उनके मिलन में चार चांद लगा रहे थे। अंदर बहुत धीमा सा नशा चढ़ रहा था जो बदन के अंदर मीठा–मीठा एहसास पैदा कर रहा था।


चोली के बदन से अलग होते ही पलक पूरी नंगी हो चुकी थी। उसका पूरा बदन चमक रहा था। छरहरे बदन पर उसके मस्त सुडोल स्तन अलग की आग लगा रहे थे। ऊपर से बदन को आज ऐसे चिकना करवाकर आयी थी कि हाथ फिसल रहे थे। आर्यमणि उसके पूरे बदन पर हाथ फेरते स्तन को अपने हाथों के गिरफ्त में लिया और उसके होंठ चूमने लगे। पलक झपट कर उसे बिस्तर पर उल्टा लिटाकर उसके ऊपर आ गई। अपनी होंठ उसके होंठ से लगाकर चूमने लगी। दोनो इस कदर एक दूसरे के होंठ चूम रहे थे कि पूरे होंठ से लेकर थुद्दी तक गीला हो चुका था। पलक थोड़ी ऊपर होकर अपने स्तन उसके मुंह के पास रख दी और बिस्तर का किनारा पकड़ कर मदहोशी में खोने को बेकरार होने लगी।


आर्य भी बिना देर किए उसके स्तन पर बारी-बारी से जीभ फिराते, उसके निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा। स्तन को अपने दांतों तले दबाकर हल्का-हल्का काट रहा था। पलक के बदन में बिजली जैसी करंट दौड़ रही हो जैसे। वो अपने इस रोमांच को और आगे बढाते हुये, अपने पाऊं उसके चेहरे के दोनो ओर करती, अपनी योनि को उसके मुंह के ऊपर ले गयि। पीछे से उसका पतला शरीर और नीचे की मदमस्त कमर। योनि पर आर्य के होंठ लगते ही पूरा बदन ऐसे फाड़फड़या जैसे वो तड़प रही हो।


आर्य भी मस्ती में चूर अपने दोनो पंजे से उसके नितम्ब को इतनी मजबूती से पकड़े था, पंजों के लाल निशान पड़ गये थे। आर्यमणि अपने पुरा मुंह खोलकर योनि को मुंह में कैद कर लिया। कभी जीभ को अंदर घुसाकर तेजी में ऊपर नीचे कर रहा था। तो कभी पलक की जान निकालते क्लिट को दांतों तले दबाकर हल्का काटते हुये, चूसकर ऊपर खींच रहा था। पलक बिल्कुल पागल होकर उसके ऊपर से हटी। उसका पूरा बदन अकड़ गया और बिस्तर को ऐसे अपने मुट्ठी में भींचकर अकड़ी की हाथ में आए फूल मसल कर रह गये और बिस्तर पर सिलवटें पड़ गयि।


पलक की उत्तेजना जैसे ही कम हुई वो आर्यमणि के पैंट को खोलकर नीचे जाने दी। उसके लिंग को बाहर निकालकर मुठीयाने लगी। लिंग छूने में इतना गुदगुदा और मजेदार लग रहा था कि आज उसने भी पहली बार ओरल ट्राई कर लिया। जैसे ही उसने अपने जीभ से लिंग को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटी, आर्यमणि ऐसा मचला, ऐसा तड़पा की उसकी तड़प देखकर पलक हसने लगी।


इधर पलक ने उसका लिंग चाटते हुए जैसे ही अपने मुंह में लिंग को ली। आर्य ने उसके बाल को मुट्ठी में भींचकर, सर पर दवाब डालकर मुंह को लिंग के जड़ तक जाने दिया। पलक का श्वांस लेना भी दूभर हो गया और वो छटपटाकर अपना सिर ऊपर ली। उसकी पूरी छाती अपनी ही थूक से गीली हो चुकी थी। एक बार फिर वो उसके ऊपर आकर आर्य के होंठ को चूमती अपने होंठ और जीभ फिरते नीचे आयी। उसके सीने पर अपनी जीभ चलती उसके निप्पल में दांत गड़ाकर चूसती हुई नीचे लिंग को मुठियाने लगी।


आर्य तेज-तेज श्वांस लेता इस अद्भुत क्षण का मज़ा ले रहा था। पलक फिर से उसके कमर तक आती उसके लिंग को दोबारा चूसने लगी और आर्य अपने हाथ उसके दरारों में घुसकर गुदा मार्ग के चारो ओर उंगली फिराने लगा। हाथ नीचे ले जाकर योनि को रगड़ने लगा। पलक पागल हो उठी। लिंग से अपना सर हटाकर अपने पाऊं आर्य के कमर के दोनों ओर करके, लिंग को अपने योनि से टीकई और पुरा लिंग एक बार में योनि के अंदर लेती, गप से बैठ गयि।


सजी हुई सेज। बिल्कुल नरम गद्दे और फूलों की आती भिनी-भीनी खुशबू, आज आग को और भी ज्यादा भड़का रही थी। ऊपर से पलक का चमकता बदन। पलक अपना सर झटकती, आर्यमणि के सीने पर अपने दोनो हाथ टिकाकर उछल रही थी। हर धक्के के साथ गद्दा 6 इंच तक नीचे घुस जाता। दोनो मस्ती की पूरी सिसकारी लेते, लिंग और योनि के अप्रतिम खेल को पूरे मस्ती और जोश के साथ खेल रहे थे। आर्यमणि नीचे से अपने कमर झटक रहा था और पलक ऊपर बैठकर अपनी कमर हिलाकर पूरे लिंग को जर तक ठोकर मरवा रही थी।


झटके मारते हुए आर्यमणि उठकर बैठ गया। पलक के स्तन आर्य के सीने में समा चुके थे और वो बिस्तर पर अपने दोनो हाथ टिकाकर, ऊपर कमर का ऐसा जोरदार झटके मार रहा था कि पलक का बदन 2 फिट तक हवा में उछलता। उसके स्तन आर्यमणि के सीने से चिपककर, घिसते हुये ऊपर–नीचे हो रहे थे। बाल बिखर कर पूरा फैले चुका था। और हर धक्के के साथ एक ऊंची लंबी "आह्हहहहहहहहह" की सिसकारी निकलती.. कामुकता पूरे माहौल में बिखर रही थी।


दोनो पूर्ण नंगे होकर पूरे बिस्तर पर ऐसे काम लीला में मस्त थे जिसकी गवाही बिस्तर के मसले हुए फूल दे रहे थे। योनि के अंदर, पर रहे हर धक्के पर दोनो का बदन थिरक रहा था। और फिर अंत में पलक का बदन पहले अकड़ गया और वो निढल पर गयि। आर्यमणि का लिंग जैसे ही योनि के बाहर निकला पलक उसे हाथ में लेकर तेजी से आगे पीछे करने लगी और कुछ देर बाद आर्य अपना पूरा वीर्य विस्तार पर गिराकर वहीं निढल सो गया।



पलक खुद उठी और आर्यमणि को भी उठाई। पलक अपना पूरा हुलिया बिल्कुल पहले जैसा की, और फटाफट कपड़े पहन कर तैयार भी हो चुकी थी। आर्यमणि भी मुंह पर पानी मारकर फ्रेश हुआ और खुद को ठीक करके दोनो जैसे आये थे वैसे ही बाहर निकल गये। रात के 8 बजे के करीब आर्यमणि को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके सवा 8 (8.15pm) बजे तक पलक वापस शादी में पहुंच चुकी थी। पलक आते ही सबसे पहले नहाने चली गई और उसके बाद वापस ब्यूटीशियन के पास आकर हल्का मेकअप करवाई।


पलक रात 8.45 तक वापस खुशबू बिखेरती हुयि इधर से उधर छम-छम करके घूमने लगी। अब शादी की रशमे 9 बजे से शुरू होनी थी इसलिए पलक अपनी बहन के कमरे में दाखिल हो गयि। नम्रता आराम से बैठकर आइने में खुद को देख रही थी, थोड़ी मायूस लग रही थी शायद.…. पलक पीछे से उसके गले लगती…. "ऐसे मायूस क्यों?"..

भाग:–55





पलक रात 8.45 तक वापस खुशबू बिखेरती हुयि इधर से उधर छम-छम करके घूमने लगी। अब शादी की रशमे 9 बजे से शुरू होनी थी इसलिए पलक अपनी बहन के कमरे में दाखिल हो गयि। नम्रता आराम से बैठकर आइने में खुद को देख रही थी, थोड़ी मायूस लग रही थी शायद.…. पलक पीछे से उसके गले लगती…. "ऐसे मायूस क्यों?"..


नम्रता:- कल से बहुत कुछ बदल जायेगा। मेरी पहचान और मेरा काम बदल जायेगा।


पलक:- भावना तो नहीं बदलेगी ना। मेरे लिए वहीं काफी है।


नम्रता:- 5 साल पहले जो 2 बहन थी पलक और नम्रता वो शायद आज ना हो। और शायद जो रिश्ता आज है वो 5 साल बाद ना होगा। परिवर्तन ही नियम है।


पलक:- हम्मम ! किसी से प्यार करती थी क्या?


नम्रता:- नहीं ऐसा कोई नहीं था, और जो था वो प्यार के काबिल नहीं था। मै तो आइने में बस अपने जीवन दर्शन को देख रही थी और सोच रही थी क्या इस जन्म में कुछ हासिल भी कर पाऊंगी।


"पागल, शादी के दिन ऐसा नहीं सोचते है। कुछ हासिल करने के लिए बस कर्म किए जाओ, माहौल बनता जायेगा, और तब तुम उस पल को भी मेहसूस करोगी जब तुम कहोगी की हां मैंने कर्म पथ पर चलकर ये मुकाम हासिल किया। जैसे कि आज।"…. भूमि अपनी उपस्थिति जाहिर करती हुई कहने लगी...


पलक, हसरत भरी नजरो से भूमि को देखती… "जैसे कि आज क्या दीदी।"..


भूमि:- जैसे कि हमे कोपचे वाले पथ पर चलकर होने वाले का चुम्मा मिला करता था। पलक ने मेहनत कि, कर्म किया और सबके बीच होंठ पर चुम्मी पायि।



नम्रता:- हीहीहीहीही… बेचारा आर्यमणि, लगता है शर्माकर भाग गया ।


पलक:- शर्माकर नहीं भगा है, एडवांस बता देती हूं, तैयार हो जाओ "फील द प्राउड मोमेंट" के लिए।


नम्रता और भूमि दोनो उत्सुकता से…. "ऐसा क्या करने वाला है। कहीं कोई बेवकूफी या उस से भी बढ़कर कोई पागलपन।"..


पलक:- नहीं दीदी वो कोई बेवकूफी नहीं करने गया है, बल्कि ऐसा काम करने गया है जिसे जानकर आप कहेंगी… "ये तो कमाल कर दिया आर्य।"..


नम्रता:- क्या बैंक में डाका डालकर सारा माल हमारे पास लायेगा।


पलक नहीं उससे भी बढ़कर… "वो अनंत कीर्ति की पुस्तक खोलने गया है।"..


नम्रता और भूमि दोनो साथ में चौंकते हुये…. "ये कैसे होगा। बाबा के गैर मौजूदगी में बुक तक कोई पहुंच नहीं सकता। उसे खोलना तो दूर कि बात है। एक मिनट तुमने कहा कि वो खोलने गया है। इस वक़्त आर्य कहां है?


पलक:- नागपुर के लिए उड़ चुका है।


भूमि:- दोघेही वेडे आहेत (दोनो पागल है)


नम्रता:- पलक इतना बड़ा फैसला तुम दोनों अकेले कैसे ले सकते हो।


पलक:- जब काम अच्छे भावना से कि जाती है तो उसमें रिस्क भी लेना पड़े तो कोई गम नहीं। हमे आज रात तक का वक़्त दो, कल सुबह तुम सब का होगा।


भूमि:- ना मै इसमें हूं और ना ही मुझे कुछ पता है। कल सुबह तक मै रुक जाती हूं, फिर तुम सुकेश और उज्जवल भारद्वाज को जवाब देती रहना।


नम्रता:- मेरी प्रार्थना है, तुम दोनो कामयाब हो। जब तुमने इतना बड़ा रिस्क ले ही लिया है तो हौसले से आगे बढ़ो। भूमि देसाई, ऐसे मुंह नहीं मोड़ सकती।


भूमि:- ठीक है बाबा समझ गई। भावना अच्छी है और हमे सामने से बता रही हो इसलिए अगर वो फेल भी होता है तो मै मैनेज कर लूंगी।


पलक दोनो के गले लगती… "आप दोनो बेस्ट है।"..


भूमि:- बेस्ट रात तो नम्रता की होने वाली है, इसे बेस्ट ऑफ लक तो बोल दो। पूरे मज़े करना और कोई जल्दबाजी नहीं।


पलक:- बेस्ट ऑफ लक दीदी अपना अनुभव साझा करना, मुझे भी कुछ सीखने मिलेगा।


भूमि:- क्यों तेरे पास मोबाइल नहीं है क्या?"..


भूमि की बात सुनकर तीनों ही हंसने लगी। कुछ देर बाद वही पुराना फिल्मी डायलॉग सुनने को मिला… "दुल्हन को ले आइये, मुहरत का समय बिता जा रहा है।"


विधिवत दोनो शादी रात 10.30 तक संपन्न हो गयि। गेस्ट के साथ बातचीत और खाते पीते हुये रात के 12 बज गये थे। दोनो ही नव दंपत्ति के मन में लड्डू फुट रहे थे। अलग-अलग जगहों के 2 लग्जरियस स्वीट इनके सुहागरात के लिए अलग से सजाकर रखी गयि थी। जिसके सुहाग की सेज उनके आने का इंतजार कर रही थी।


पलक और भूमि, नम्रता को छोड़ने उसके स्वीट तक गये। नम्रता को वहां बिस्तर पर आराम से बिठाकर कुछ देर की बातें हुई। फिर सभी सखी सहेलियां और बहनों ने धक्का देकर माणिक को अंदर भेज दिया। माणिक जब अंदर जा रहा था तब पीछे से भूमि कहने लगी… "माणिक शिकायत नहीं आनी चाहिए मेरी उत्तराधिकारी की।"


दोनो बेचारे शर्मा गये और तेजी से दरवाजा बंद कर लिया। भूमि और पलक के साथ कयि लड़कियां वहां से निकलकर आ रही थी। किनारे से एक जगह पर रिश्तेदारों की भीड़ लगी थी। भूमि और पलक भी उस ओर भिड़ को देखकर चल दी। जैसे ही पलक ने सामने का नजारा देखा उसका दिमाग चक्कर खा गया।


2 कदम पीछे हटकर उसने स्वीटी के ऊपर का बोर्ड देखा… "हैप्पी वेडिंग नाईट.. राजदीप एंड मुक्ता" और अंदर के सेज पर तो कोई और ही खेल खेलकर चला गया था। बिखरे बिस्तर, बिस्तर पर मसले फुल, चादर में पड़ी सिलवटें। कोनो पर सजे फूल की टूटी लड़ी, और बिस्तर पर ताजा वीर्य के धब्बे। जो मज़ा सुहाग की सेज पर भईया और भाभी को लेना था, वहां छोटी बहन और उसका ब्वॉयफ्रैंड मज़ा लूटकर बिखरे सेज को भईया और भाभी के लिए गिफ्ट कर दिया। पलक का दिमाग शॉक्ड। वो दबे पाऊं पीछे आयी और आकर आर्यमणि को कॉल लगाने लगी। 10 मिनट तक ट्राय करती रही लेकिन कोई नेटवर्क ही नहीं मिल रहा था।


पलक:- भूमि दीदी आर्यमणि को कॉल लगाओ, वो पहुंचा की नहीं।


भूमि:- कल तो इन नेटवर्क कंपनी वालो को डंडा कर दूंगी। अभी यहां के मैनेजर को कॉल लगा रही हूं, नेटवर्क ही नहीं मिल रहा। बेचारे दोनो (राजदीप और मुक्ता), जिसने भी ये किया है, अच्छा नहीं किया। खैर दूसरे स्वीट का इंतजाम कर दिया है।


तभी वहां एक छोटी उम्र का प्रहरी पहुंचा और चिढ़कर भूमि से कहने लगा… "दीदी किसने ये रिजॉर्ट बुक किया है। इन रिजॉर्ट वालो ने यहां सिग्नल जैमर लगा रखा था। मै 2 घंटे से परेशान हूं।"


भूमि:- क्या हुआ महा, सब ठीक तो है ना।


माही:- दीदी आज 8 से 10 के बीच बाबा का हर्निया ऑपरेशन था। आई से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन ये साले सिग्नल जैमर लगाये बैठे है।


ये सुनकर तो पलक का दिमाग पूरी तरह से घूम गया। अपने बाबा को वो अकेले में ले जाकर पूरी बात बताने लगी। उज्जवल भारद्वाज ने सुकेश भारद्वाज से कुछ बात की। उसने तुरंत अपना नेटवर्क चेक किया। ये लोग रिजॉर्ट के रिसेप्शन पर जा ही रहे थे कि सभी का नेटवर्क आ गया। सुकेश अपने कदम रोककर सरदार खान को कॉल लगाने लगा, लेकिन वहां का भी कॉल नहीं लगा।


भूमि को बुलाकर नागपुर में रुके प्रहरी से कॉन्टैक्ट करने कहा गया, लेकिन एक भी प्रहरी ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर उज्जवल और सुकेश ने अपने-अपने कॉन्टैक्ट के जरिये शहर के विभिन्न इलाकों की जानकारी ली। जब पूरी जानकारी आ गयि तब उन लोगो ने 4-5 लोगो को सरदार खान के इलाके में भेजा... उधर से जो जवाब मिला, उसे सुनकर पहले सुकेश झटके खाकर गिर गया, और जब उज्जवल ने सुना तो उसे भी सदमा सा लगा।


केशव, जया और भूमि तीनों दूर से बैठकर सबके चेहरे देख रहे थे।… इसी बीच पलक को बीच में बुलाया गया, उसे एक जोरदार थप्पड़ भी पड़ी… "आव बेचारी, इसका तो गाल लाल हो गया। चलो पैकिंग करने.. लगता है अभी ही सब नागपुर लौटेंगे।"


नाशिक एयरपोर्ट वक़्त लगभग 8 बजने वाले थे। आर्यमणि कार से उतरकर पलक के होटों को चूमा… "हे स्वीटहर्ट, लगता है तूफान आने वाला है, हम दोनों इस तूफान का मज़ा लेंगे। मेरा वादा है, आज की रात तुम्हारे जीवन की सबसे यादगार रात होगी।"…


पलक को हाथ हिलाकर अलविदा कहते आर्यमणि बढ़ चला। आखों में चस्मा लगाये विश्वास के साथ चलने लगा। चौड़ी छाती, चेहरे पर विजय की कुटिल मुस्कान और चलने में वो अंदाज की लोग पीछे मुड़कर देखने पर विवश हो जाए।


जैसे ही थोड़ी दूर वो आगे बढ़ा, 2 लोग उसे रिसीव करके छोटे रनवे के ओर ले गए, जहां एक छोटा प्राइवेट जेट पहले से उसके आने की प्रतीक्षा कर रहा था। इसके पूर्व ही ढलते सांझ के साथ रूही अपनी टीम के साथ काम शुरू कर चुकी थी।


किले के अंदर जश्न जैसा माहौल। बस्ती का लगभग 500 मीटर का दायरा। चारो ओर से घिरी हुई बस्ती, बस्ती के बिचो-बीच लंबा चौड़ा एक चौपाल। कितने वेयरवुल्फ थे उस 500 मीटर के किले में थे वो तो किसी को पता नहीं। लेकिन किले के बिचबिच बने चौपाल में थे 200 आदमखोर जंगली कुत्ते, 180 कुरुर वेयरवुल्फ, 5 अल्फा और उन सबका बाप था एक बीस्ट वुल्फ।


पूर्णिमा यानी वेयरवुल्फ के लिये वरदान। आम दिनो से 10 गुना ज्यादा आक्रमकता। आम दिनों के मुकाबले 50 गुना ज्यादा ताकत मेहसूस करना। और आम दिनों की अपेक्षा जीत को निश्चित सुनिश्चित करना। ये थी पूर्णिमा कि रात एक वेयरवुल्फ का परिचय। फिर तो जितने वेयरवुल्फ साथ होंगे उनकी ताकत भी उसी मल्टीपल में बढ़ती है। किले के चौपाल से 6.30 बजे शाम की पहली वुल्फ साउंड। बहुत ही खतरनाक और दिल दहला देने वाला था वो। सभी प्रहरी एक साथ इतनी वुल्फ साउंड कभी नहीं सुने थे। उन्हें लग चुका था कि वो इनका मुकाबला नहीं कर सकते।


इधर रूही.... बॉयज एंड गर्ल्स हैव ए फन। और इवान तुम जारा अलबेली को बीच–बीच में शांत करवाते रहना। पूर्णिमा है और ये खुले में, कहीं भाग ना जाय..


इवान:- ये तो हथकड़ी में है मेरे साथ, चिंता नक्को रे।


रूही:- बेटा ओजल अपने 10 शिकारी मेहमान को जरा यहां तक ले आओ। कहना शहर खतरे में है और उनके बीच केवल हम ही उनकी उम्मीद है। इसलिए एक दूसरे पर भरोसा करने का वक़्त आ गया है। वरना पूर्णिमा है और 185 वेयरवुल्फ के साथ एक बीस्ट अल्फा शहर को बर्बाद कर देगा।


ओजल निकल गयी शिकारियों के पास, जो इतने सारे वुल्फ साउंड सुनकर घबराए थे और मदद के लिए कॉल तो लगा रहे थे लेकिन किसी की भी लाइन कनेक्ट नहीं हो रही थी। नाशिक का सिग्नल जैमर, जिसे आर्यमणि ने बरी ही सफाई से चारो ओर फिट करवाया था। लगभग 8 किलोमीटर के रेंज वाले 3 सिग्नल जैमर लगे थे। सभी जैमर को ओपन करने का वक़्त था रात के 12 बजकर 15 मिनट के बाद कभी भी।


ठीक वैसा ही सिग्नल जैमर सरदार खान के इलाके में भी लगा था। कुछ सरकारी कर्मचारियों की मदद से 8 किलोमीटर के क्षेत्र में जैमर को लगा दिया गया था। सिग्नल सरदार खान के किले का भी जाम हो चुका था जिसे खोलने का समय अगले आदेश तक। बेचारे शिकारी मदद के लिए फोन मिलाते रहे, लेकिन फोन मिला नहीं।


शिकारियों के पास तुरंत ही संदेश लेकर ओजल पहुंची। घबराए तो थे, ही इसलिए अब अपनी गाड़ी पर सवार होकर तुरंत उसके पीछे चल दिये। इधर चढ़ते चांद को देखकर रूही का दिल डोलने लगा। 12 लैपटॉप पहले से ऑन थे। कई सारे उड़न तस्तरी अर्थात ड्रोन तैयार थे जिनकी मदद गुलाल बरसाना था.. माउंटेन एश का गुलाल लिये सभी ड्रोन तैयार थे।


ये माउंटेन एश एक तरह का लक्ष्मण रेखा होता है जिसे कोई वेयरवुल्फ पार नहीं कर सकता। शिकारियों का झुंड वहां पहुंच चुका था। आर्यमणि के पैक को देखकर सुनिश्चित करने लगे… "तुमलोग आर्यमणि के पैक हो क्या?"..


रूही:- बातों का वक़्त नहीं है अभी शिकारी जी। कंप्यूटर कमांड दीजिए और ये ड्रोन पूरे इलाके में माउंटेन एश बरसा देगा। फिर आगे क्या करना है वो तो आप समझ ही गये होंगे।


शिकारी:- पहली बार एक वेयरवुल्फ को माउटेन एश का प्रयोग करते देख रहा हूं।


सभी शिकारी के साथ-साथ ओजल और रूही भी लग गई कंप्यूटर पर। तेजी के साथ ड्रोन 600 मीटर का दायरा कवर किया। बाजार के ओर से माउंटेन एश को उड़ेलते हुए सभी ड्रोन आगे बढ़ रहे थे। लगभग 15 मिनट में ही माउंटेन एश की गुलाल चारो ओर बिखरी पड़ी थी। एक शिकारी आगे बढकर रूही से कहने लगा… "तुम्हारा काम खत्म हो गया है। अब तुम लोग यहां से जा सकते हो।"..


"ऐसे कैसे हम यहां से चले जाए शिकारी जी, ये तो हमारे शिकार है और हमारी रणनीति। आप लोग इस पूर्णिमा की शाम का आनंद उठाइये और प्रहरी समुदाय से कहियेगा, उनका काम अल्फा पैक ने कर दिया।".. रूही उस शिकारी के करीब आकर कहने लगी जो अपना हाथ अभी-अभी चाबुक पर रखा था।
Is update me palak arya ko airport chhod kr vapas aa gyi or bhumi Di ke sath apni bahan ko bhi bta diya ki arya anant Kirti book kholne gya hai...

Mujhe pure update me sabse jyada hasi palak ka chehra imagine karke aaya jb use pta chla ki uski bahan ki suhagsej pr khud apni suhagraat mna kr aai hai, Bahut maza aaya padh kr...

or yha hame pta chla ki arya ke un dron ka uddeshya kya tha kuchh se signal zam kiya aur bakiyo se mountain ass bikherne ka kaam, ye ruhi ne jin 10 sikariyo ko bulvaya kya ye bhumi Di ke the ya secret body prahari ke ya normal prahari...

Mountain ass ko bikher diya hai Sardar khan ke pure ilake me or arya ko dekhte hai Vo kaha pahucha kya vo kitab bhumi Di ke ghar me kholega ya Sardar khan ko mar kr or swami ke sath un spacial secret body ke prahariyo ko khatm krne ke baad kholega...

Jb palak ko pta chla ki vo apni bahan ke suhagraat vale kamre me apni mna chuki hai to uske baad use ek se bdhkr ek jhatke mile, use ye bhi pta chla ki yha jammar lage huye hai or Thik aise hi jammar Nagpur me bhi lage hai...

Bechari palak ko apni bahan ki sadi ke Din baap se chanta khana pada, maza hi aa gya padh kr bhai superb awesome jabarjast sandar lajvab bhai
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Bat sahi he sadi suda ka dukh me bhi janta hu bhai vo bhi 18 salo se nanu bhai ne agar dil pe leliya to update me kami aayegi me bhot salo se story padhte aaraha hun mujhe bho bhot si story pasand nahi aati to me nahi padhta jese apne Dr sahab he unki sayad 2 story hi abhi tak padhi he vo likhte besak acha he lekin mujhe story nahi pasand aati to me nahi padhta lekin kabhi galat coment nahi kiya bas yahi samjhana he yahan har koi bhagdod bhari life se free hoke manoranjan karne aate he or kuch padhte he kuch likhte he bhai sab apni jagah he lekin kisika honsla nahi todna chahiye.

Vese me bhot hi kam ya naa ke barabar hi coment karta hun bas ye bat mujhe achi nahi lagi to likh diya baki aap dekhlo es story par mera koi bhi coment nahi he.
Yes bhai, or kahi comment Karo ya na Karo bhai pr apne Nainu bhaya vo hai jo dhamkaya dekr bhi comment nikalva lete hai :D

Yha Ghar Jaisa mahaul rahta hai kisi se bhi bina formality ke kuchh bhi kah or sun lena yaha aam baat hai to chill rahne ka feel free or feel good...
 
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नैना क्या गई आरोपों की झड़ी लगनी शुरू हो गई । ऐसा एक भी शख्स नही देखा मैने जिसने आरोप नही लगाया हो और उनका तौहीन ना किया हो। जिन के लिए ब्लाइंड सपोर्ट करते आई उन्होने भी उसे गलत ठहराया। वो राइटर भी जिसे वो दिल से पसंद करती थी और उनके लिए रीडर्स को आमंत्रित करते रही। कम से कम नैन भाई से ऐसा अपेक्षा नही किया था मैने।
एक इलेक्शन और उनकी कुछ गलत टिप्पणी सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। और बाकी जो बचा वो उनके दूसरे फोरम ज्वाइनिंग करने से और भी पुरा हो गया।
यह सब अच्छा लगता जब वो यहां मौजूद होती। यह सब और भी अच्छा होता जब उसी वक्त उनके कमेंट पर जबाव भी आया होता। किसी के पीठ पीछे आरोप लगाना सही नही होता।
बहुत खराब लगता है मुझे जब उनके रिव्यू के चिर परिचित अंदाज का भी मजाक उड़ाया जाता है। राइटर....मोडरेटर...रीडर्स सभी ने उनका मजाक उड़ाया। लेकिन मेरा मोरल सपोर्ट और संवेदना उनके लिए पहले भी था और हमेशा ही बरकरार रहेगा।
इश्क पार्ट 2 मे मैने तो शुरुआत से ही अपस्यू का सपोर्ट किया और मुझ पर तो कभी भी नैना या फैन भाई ने प्रेशर नही बनाया और ना ही मेरे रिव्यू का काउंटर रिप्लाई किया।
अपस्यू का किरदार मुझे निश्छल से भी बेहतर लगा था।

कुछ बाते जरूर सच था....हर दूसरे कहानी मे एक ही चीज को लेकर बैठ जाना गलत था दोनो का। कहानी चेंज तो रिव्यू का पैटर्न भी चेंज होना चाहिए। मस्ती मजाक के लिए और भी कई चीजे है....सिर्फ निश्छल और अपस्यू ही नही।

कभी कभार रीडर्स को एक राइटर के नजरिए से भी सोचना चाहिए....उनके भावनाओ को पहचानना चाहिए। उनके अथक परिश्रम की कदर करना चाहिए।
और माहौल के अनुसार अपने विचार प्रकट करना चाहिए।
 

nain11ster

Prime
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नैना क्या गई आरोपों की झड़ी लगनी शुरू हो गई । ऐसा एक भी शख्स नही देखा मैने जिसने आरोप नही लगाया हो और उनका तौहीन ना किया हो। जिन के लिए ब्लाइंड सपोर्ट करते आई उन्होने भी उसे गलत ठहराया। वो राइटर भी जिसे वो दिल से पसंद करती थी और उनके लिए रीडर्स को आमंत्रित करते रही। कम से कम नैन भाई से ऐसा अपेक्षा नही किया था मैने।
एक इलेक्शन और उनकी कुछ गलत टिप्पणी सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। और बाकी जो बचा वो उनके दूसरे फोरम ज्वाइनिंग करने से और भी पुरा हो गया।
यह सब अच्छा लगता जब वो यहां मौजूद होती। यह सब और भी अच्छा होता जब उसी वक्त उनके कमेंट पर जबाव भी आया होता। किसी के पीठ पीछे आरोप लगाना सही नही होता।
बहुत खराब लगता है मुझे जब उनके रिव्यू के चिर परिचित अंदाज का भी मजाक उड़ाया जाता है। राइटर....मोडरेटर...रीडर्स सभी ने उनका मजाक उड़ाया। लेकिन मेरा मोरल सपोर्ट और संवेदना उनके लिए पहले भी था और हमेशा ही बरकरार रहेगा।
इश्क पार्ट 2 मे मैने तो शुरुआत से ही अपस्यू का सपोर्ट किया और मुझ पर तो कभी भी नैना या फैन भाई ने प्रेशर नही बनाया और ना ही मेरे रिव्यू का काउंटर रिप्लाई किया।
अपस्यू का किरदार मुझे निश्छल से भी बेहतर लगा था।

कुछ बाते जरूर सच था....हर दूसरे कहानी मे एक ही चीज को लेकर बैठ जाना गलत था दोनो का। कहानी चेंज तो रिव्यू का पैटर्न भी चेंज होना चाहिए। मस्ती मजाक के लिए और भी कई चीजे है....सिर्फ निश्छल और अपस्यू ही नही।

कभी कभार रीडर्स को एक राइटर के नजरिए से भी सोचना चाहिए....उनके भावनाओ को पहचानना चाहिए। उनके अथक परिश्रम की कदर करना चाहिए।
और माहौल के अनुसार अपने विचार प्रकट करना चाहिए।
Kisne kaha ki main un par aarop laga raha hun.... Nope maine unpar aarop nahi lagaya hai aur pichhe hi kahin maine wah sari baten likhi hain jo apane apne iss post par likha Sanju bhai.... I really admire her efforts and support regarding the story and writer... But... Maine fir ek hi baat kahi na... Kisi ek kirdar ko center me rakhkar poori kahani ke upar judge karna aur har jagah wahi charcha galat hai...

Aur main pichhe me kah nahi raha balki naina dusri I'd se aakar jawab de... Kyonki main janta hun ki wah forum visit to kar rahi.... Haan sath me ek hi chij Sanju bhai.... As a reader, critic aur supporter wah one of the best hai lekin iska ye arth nahi ki unhone ek kirdar ke liye jo kiya wah sahi ho jata hai... Aur jo galat hai wo galat hai....
 
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