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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–52






मंगलवार की सुबह थी। सुबह-सुबह ही राजदीप का फोन आर्यमणि के मोबाइल पर बजने लगा। आर्यमणि फोन पिकअप करते… "सुबह-सुबह मेरी याद कैसे आ गयि भईया। आपको तो अभी किसी और के साथ व्यस्त होना था।"..


राजदीप:- बाकी सबसे तो बात होते रहेगी, लेकिन मै तुम्हे मेरी शादी के लिये खास आमन्त्रित करता हूं। बारात में रंग तुम्हे ही जमाना है।


आर्यमणि:- इसके लिये पहले ही पलक वार्निग दे चुकी है भईया। बोली मेरे राजदीप दादा और दीदी के लगन में तुमने रंग ना जमाया तो हम कोर्ट मैरिज करेंगे, भुल जाना कोई धूम–धाम वाली शादी होगी।


राजदीप:- हाहाहाहा… ज्यादा बातें नहीं करती वो मुझसे लेकिन बहुत चाहती है मुझे। अच्छा मेरा एक छोटा सा काम करोगे।


आर्यमणि:- कहिए ना भईया।


राजदीप:- पलक से साथ मुंबई चले जाओ वहां पर सबके डिज़ाइनर कपड़े बने हुए है उसे लेकर आना है।


आर्यमणि:- एक काम कीजिये आप डिटेल सेंड कर दीजिए मै वहां चला जाता हूं। घर में अभी बहुत से काम होंगे, पलक का वहां होना जरूरी है।


राजदीप:- वो बात नहीं है, दरसअल पलक तुम्हारे लिये वहां से कुछ अपनी पसंद का खरीदना चाहती है। वो तुमसे थोड़ी झिझक रही है बात करने में, और यहां मुंह फुलाए बैठी है, कि सबके लिए आया आर्य के लिए क्यों नहीं?


आर्यमणि:- बच्चो जैसी जिद है। मुझे अच्छा नहीं लगेगा यूं ऐसे अभी कुछ लेना। सॉरी भईया मै वो कपड़े तो ले आऊंगा लेकिन अपने लिये कुछ लेना, मेरा दिल गवारा नहीं कर रहा।


"फोन स्पीकर पर ही है, और तू अपने दिल, जिगर, गुर्दे, कलेजे को अंदर डाल। ये मै कह रही हूं। जैसा राजदीप ने कहा है वो कर। कुछ कहना है क्या तुम्हे इसपर?"…… "नहीं कुछ नहीं आंटी। मैं जाता हूं।"


अक्षरा:- जाता हूं नहीं। यहां आ पलक को ले, और फिर दोनो एयरपोर्ट जाओ। आज तुम दोनों का काम सिर्फ मुंबई घूमना और कपड़े लेना है। आराम से शाम तक शॉपिंग करके सीधा नाशिक पहुंचना। और सुन.. नहीं छोड़ तू यहीं आ फिर बात करती हूं।


कुछ वक़्त बाद आर्यमणि, पलक के घर पर था। दोनो के मुंबई निकलने से पहले अक्षरा, पलक को शख्त हिदायत देकर भेजी, आर्य के पास कम से कम गले और हाथ में पहनने के लिए डायमंड और प्लैटिनम की ज्वेलरी तो होनी ही चाहिए। आर्यमणि गुस्से में चिढ़ते हुए कहता भी निकला..… "बप्पी लहरी ही बना दो।"…. (माफ कीजिएगा यह तब का लिखा था जब बप्पी दा इस दुनिया में थे। उनको भावनापूर्ण श्रद्धांजलि। ॐ शांति !!) उसकी बात सुनकर सब हंसने लगे। जैसे ही कार में बैठकर दोनो कुछ दूर आगे निकले, अपनी सुबह को दुरुस्त करते एक दूसरे के होंठ को बड़ी बेकरारी में चूमे और एयरपोर्ट के लिये निकल गये।


तकरीबन 8.30 बजे सुबह दोनो मुंबई एयरपोर्ट पर थे जहां उनके लिये पहले से एक कार पार्क थी। देवगिरी की वो भेजी कार थी, दोनो उसमे सवार होकर पहले तो देवगिरी के घर पहुंचे जहां बहुत सी बातों पर चर्चा हुई। खासकर देवगिरी के अकूत संपत्ति में से 40% हिस्से को लेकर। दोनो फिर देवगिरी के ड्राइवर के साथ पहले एक बड़े से ज्वेलरी शॉप में गये, जहां पलक ने अपनी पसंद के 2 प्लैटिनम ब्रेसलेट और एक गले का हार खरीदी।


वहां से दोनो पहुंचे फैशन स्टोर। मुंबई की एक महंगी जगह जहां सेलेब्रिटी अपने कपड़ों के लिए आया करते थे। यूं तो ये शॉप 12 बजे खुलती थी, लेकिन देवगिरी का एक कॉल ही काफी था शॉप को 11.30 बजे ओपन करवाने के लिये। पलक ने अपने लिए 4-5 ड्रेस सेलेक्ट की और आर्यमणि के लिये भी उतने ही। दोनो अपने अपने कपड़े लेकर आखरी के ट्रायल रूम के ओर बढ़ रहे थे।


जैसे ही पलक ट्रायल रूम में घुसी, आर्य तेजी के साथ उसी ट्रायल रूम में घुसा और पलक को झटके से दीवार से चिपकाकर उसके गर्दन पर अपने होंठ लगाकर चूमने लगा। पलक भी आर्य के बदन को स्मूच करती उसके चेहरे को ऊपर लेकर आयि और होंठ से होंठ लगाकर किस्स करने लगे।


पलक मिडी ड्रेस पहनकर निकली थी। कूल और स्टाइलिश सिंगल ड्रेस जो नीचे घुटनों तक आती थी। आर्यमणि अपने हाथ नीचे ले जाकर, घुटनों तक लंबे ड्रेस को कमर के ऊपर चढ़ा दिया और पैंटी को किनारे करके योनि के साथ खेलने लगा.….. "आह्हहहहहहह, उफ्फफफ, आह्हहहहहहहह"


पलक पूरा मुंह खोलकर मादक सिसकारियां लेने लगी। आर्यमणि भी उसकी उत्तेजना बढाते, गर्दन पर लव बाइट देते, अपनी उंगली योनि के अंदर डालकर पलक के बदन में भूचाल मचा रहा था। पलक उत्तेजना मे पूरा मुंह खोलकर मादक सिसकारी लेती हुई, अपने हाथ नीचे ले जाकर आर्यमणि के पैंट का जीप खोल दी। लिंग को बाहर निकालकर अपने हाथ से उसे आगे-पीछे करके पूरा तैयार करती, अपने योनि के ऊपर घिसने लगी।


पलक ये उत्तेजना संभाल नहीं पायि और अपने दोनो पाऊं आर्यमणि के कमर मे डालकर उसके गोद में चढ़ गई। आर्यमणि अपनें बांह में उसका पूरा बदन जकर कर अपने ऊपर लिटा दिया और होंठ को पूरे मदहोशी से चूसने लगा। पलक भी उतनी ही मदहोश। अपने हाथ नीचे ले जाकर लिंग के सुपाड़े को अपने योनि के अंदर घुसाई और कमर को हल्का नीचे के ओर धक्का दी... "आह्हहहह.. आह्हहह ……. आह्हहहहहहह.. आर्य.. आह्हह.. और तेज… हां.. हिहिहिही... हां.. हां.. उफ्फफफ.. मज़ा आ गया आर्य.. ईशशशशशश.. धीमे नहीं आर्य.. पूरे जोश से.. यसससस... आह्हहहह"….


उफ्फ क्या मादक एहसास था। दोनो एक दूसरे के होंठ चूमते लगातार धक्के लगा रहे थे। बिल्कुल रोमांचित करने वाला एहसास था। थोड़ी देर में दोनो फारिग होकर श्वांस सामान्य करने लगे। सामान्य होकर दोनो की नजर एक दूसरे पर गयि और दोनो एक दूसरे को देखकर हसने लगे। पलक ने आर्यमणि का चेहरा अपने दोनो हाथ में थामकर उसे पूरा चूमा… "आर्य अब फुर्ती दिखाओ।"..


आर्यमणि अपने ट्रॉयल करने वाले कपड़े समेटकर गेट को हल्का खोला। नजर पहले दाएं, फिर बाएं और किसी को इस ओर आते ना देखकर वो सटाक से दूसरे ट्रायल रूम में पहुंच गया। दोनो अपने लिये वहां से 2 ड्रेस सेलेक्ट किये। पलक ने अपनी पसंद की एक शानदार टैक्सिडो जबरदस्ती आर्यमणि से लड़कर, आर्यमणि के लिए खरीदी, जो दिखने में वाकई कमाल का था। नए लिये ड्रेस का फीटिंग माप लेकर, ड्रेस डिजाइनर ने फिटिंग के लिए 2 घंटे का वक्त लिया। पलक वहां से आर्यमणि को लेकर एसेसरीज खरीदने निकली। मैचिंग फुट वेयर इयर रिंग इत्यादि।


तकरीब 4 बजे शाम तक दोनो पूरे शॉपिंग से फ्री हुए और रात के 8 बजे नाशिक के उस रिजॉर्ट में पहुंच चुके थे, जहां शादी से 5 दिन पहले सारे करीबी अतिथि के साथ, शादी वाले परिवार पहले से पहुंचे हुये थे। रंगारंग कार्यक्रम के बीच एक-एक दिन करके आखिर वो दिन भी आ ही गया जब जया और भूमि के कहे अनुसार आर्यमणि अपनी जिंदगी जीने निकलता।


कुल मिलाकर एक उत्कृष्ठ फैसला जहां पहले के कई महीने आर्यमणि के लिए काफी मुश्किल भरा गुजरा था। वो चीजों को जितना जल्दी हल करने की कोशिश कर रहा था, चीजें उतनी ही उलझती चली जा रही थी। वहीं जबसे मां और भूमि दीदी ने उम्मीद से भरा रास्ता दिखाया था, सब कुछ जैसे आसान सा हो गया था। आर्यमणि के मन में ना तो अब किसी भी प्रकार के सवाल को लेकर चिंता थी। और ना ही प्रहरी कौन है और कैसा समुदाय उसकी चिंता। उसे बस एक छोटा सा काम शौपा गया था, सरदार खान की हस्ती को खत्म करके यदि उससे कोई जानकारी निकले तो ठीक, वरना जिंदगी जीने और खुलकर जीने के लिये इन सब से कहीं दूर निकल जाये।


भविष्य क्या रंग लाती वो तो आने वाले वक़्त का सस्पेंस था, जिसे आज तक कोई भविष्य वक्ता भी ढंग से समझ नहीं पाये थे। फिर क्या इंसान और क्या सुपरनेचुरल आने वाले वक़्त में किसी काम को सुनिश्चित कर पाते। हां वो केवल वर्तमान समय में आने वाले वक़्त के लिए योजना बनाकर, भविष्य में किसी कार्य को संपन्न करने कि सोच सकते थे और वो कर रहे थे।


धीरेन स्वामी जो प्रहरी में ताकत की लालच से आया था, वो बहुत सी बातों से अनभिज्ञ अपनी पूर्ण योजना में लगभग सफल हो चुका था। जहां एक ओर उसने अतीत में हुये अपने साथ धोके का बदला ले लिया था, और 22 में से 20 मेंबर के खिलाफ उसने पूरे सबूत जुटा लिये थे। उन्हे पूर्ण रूप से बहिष्कार तथा महाराष्ट्र से बाहर निकालने की तैयारी चल रही थी। वहीं दूसरी ओर आज रात भारद्वाज के घर चोरी के बाद, वह भारद्वाज को भी बाहर का रास्ता दिखाने वाला था।


वहीं दूसरे ओर सरदार खान अपने लगभग 180 कूरूर समर्थक और 6 अल्फा के साथ पूर्ण चांद निकलने का इंतजार कर रहा था। इस बार वह भी आर्यमणि की ताकत को खुद से कहीं ज्यादा आंककर तैयारी कर रहा था, इस बात से अनजान की उसके मालिकों (प्रहरी सीक्रेट बॉडी) ने अभी उसकी किस्मत लिख डाली थी बस फने खान को उसके अंजाम तक पहुंचाना था।


इस शादी में प्रहरी के सिक्रेट बॉडी के सभी लोग मौजूद थे जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता था। हर सीक्रेट बॉडी प्रहरी अपने कुछ करीबी प्रहरी को भी साथ रखते थे, ताकि उनका मकसद पूरा होते रहे, बिना किसी परेशानी के। शाम ढलते ही चांद दिख जाता। पूर्णिमा की देर रात सबसे पहली लाश रूही और उसके बाद अलबेली की गिड़नी थी। अलबेली के बाद उन 20 शिकारी का नंबर आता, जिसे भूमि ने सरदार खान और उसकी बस्ती पर, 20 अलग-अलग पोजीशन से नजर रखने बोली थी। इन प्रहरी का शिकार करने के बाद चिन्हित किये 200 आम लोग को 50 अलग-अलग सोसायटी में हैवानियत के साथ मारा जाता। पुलिस और प्रशासन को भरमाने के लिए इन सारी घटनाओं को अलग-अलग इलाकों में जंगली जानवर का प्रकोप दिखाया जाता। इसके लिए दूर जंगल से जंगली कुत्ते लाये गये थे और उन्हें इंसान के मांस का भक्षण करवाया जा रहा था।


इंसानी मांस एक एडिक्ट मांस होता है। यदि किसी मांसाहारी को इंसानी मांस और उसका खून मुंह में लग जाए, फिर वो कई दिनों तक भूखा रह लेगा, लेकिन खायेगा इंसानी मांस ही। इसका बेहतरीन उधारहण शेर है, जिसे एक बार इंसानी मांस और खून की लत लग जाए फिर वो कुछ और खाता ही नहीं। एक पूर्ण कैलकुलेट योजना जिसके अंजाम देने के बाद सरदार खान अपने कुछ साथियों के साथ गायब हो जाता। जैसा की सरदार खान को सीक्रेट बॉडी द्वारा करने कहा गया था। वहीं दूसरी ओर सीक्रेट बॉडी की आंतरिक योजना कुछ और ही थी। पूरे एक्शन के बाद सरदार खान और उसके साथियों को किले में मार देना, जिसके लिये उन्होंने फने खान को तैयार किया था। उसके बाद जब प्रहरी समुदाय सरदार खान पर एक्शन लेती तब सरदार खान को उसके साथियों समेत किले में मारने का श्रेय पलक को जाता। प्रहरी के इस एक्शन से पलक रातों रात वह ऊंचाई हासिल कर लेती जिसके लिए भूमि को न जाने कितने वर्ष लग गये।


ये सभी योजना सीक्रेट बॉडी द्वारा बनाई गयि थी, जिसके मुख्य सदस्यों में उज्जवल और सुकेश भारद्वाज थे, जो शायद सीक्रेट बॉडी के मुखिया भी थे। इनके ऊपर तो भूमि और जया को काफी सालों पहले शक हो चुका था, लेकिन दोनो में से कोई भी यह पता करने में असफल रही की आखिर ये सीक्रेट बॉडी प्रहरी इंसान ही है या कुछ और? नागपुर की घटना को अंजाम देने के बाद प्रहरी की सिक्रेट बॉडी कितने तरह के फैसले लेता, वो भी तय हो चुका था।…


1) नागपुर नरसंहार में सरदार खान का नाम बाहर आने के बाद उसे खत्म कर दिया जाना था। इसके लिये उसके बेटे और करीबी माना जाने वाले फने खान को तैयार किया गया था।


सरदार खान जब अपनी टीम के साथ भागने के लिये वापस किला आता, तो उसे एक पार्टी मे उलझाया जाता। जहां उस एक वेटनरी डॉक्टर द्वारा नया तैयार किया गया कैनिन मॉडिफाइड वायरस खाने में मिलाकर खिला दिया जाता। कैनिन वायरस कुत्तों में पाया जाना वाला एक वायरस होता है, जिसके मॉडिफाइड फॉर्म को एक वुल्फ पर ट्राय किया गया। परिणाम यह हुआ कि नाक और मुंह से काला खून निकलता। वो अपना शेप शिफ्ट नहीं कर पाता। सरदार खान को खाने में वही वायरस खिलाकर उसके इंसानी शरीर को फने खान अपने हाथो से फाड़कर, सरदार खान और उसके साथियों को लापता घोषित कर देता।


2) रात में नाशिक से लौटा हुआ आर्यमणि सीधा किताब के पास जाता इसलिए उसके किताब खुलने से पढ़ने तक आर्यमणि पर कड़ी नजर रखी जानी थी। फिर वो गार्ड जैसे ही संदेश भेजते की यहां हम सब भी किताब पढ़ सकते है। ये सूचना मिलते ही आर्यमणि के पास एक खबर पहुंचती जिसमे रूही और अलबेली सरदार खान के किले मे फंसी हुई नजर आती। गुस्से में बस आर्यमणि को किले में पहुंचना था फिर उसके जोश को दर्द भरी सिसकी में तब्दील करने कि पूरी व्यवस्था सरदार खान कर चुका था। जिसका पहला चरण भूमि के घर से देखने मिलता।


गुस्से में इंसान का दिमाग काम नहीं करता और इसी बात का फायदा उठाकर मंजे हुए स्निपर पहले आर्यमणि को ट्राकुलाइज से इतनी बेहोसी की दावा देते जिस से वह केवल गुस्से में सरदार खान के किले में केवल घुस पता। बाकी आगे की कहानी लिखने के लिए सरदार खान वहां इंतजार कर ही रहा था। कोई चूक न हो इसलिए भूमि के घर से लेकर सरदार खान के किले तक जगह–जगह पर 50 स्निपर को तैनात किया जाना था। आर्यमणि को कार से बाहर लाने और उसे एक स्थान पर रोकने के लिए रास्ते में 500 लोग अलग–अलग जगहों पर योजनाबद्ध तरीके से रखे गये थे। कहीं को बच्चा अचानक से गाड़ी के सामने आता तो कहीं रास्ते में पियक्कड़ झगड़ा करते हुये कार को रोकते।


3) एक सोची समझी योजना जिसमे अभी–अभी रिटायर हुई भूमि को पद छोड़ने से पहले जिम्मेदार लोगो की बहाल ना कर पाने के जुर्म में उसे और उसके तमाम बचे प्रहरी को 10 साल की सजा सुनाई जाती, और उन्हे महाराष्ट्र से निकाल दिया जाता।


4) अन्य इलाके जहां बीस्ट अल्फा है, जैसे की मुंबई, कोल्हापुर, पुणे, नाशिक इत्यादि जगह। वहां पूर्णिमा के रात ही इनकी चल रही पार्टी के दौरान बीस्ट अल्फा को मॉडिफाइड कानिन वायरस सेवन करवाया जाता और उसकी शक्ति को किसी और में स्थानांतरित किया जाता। जब प्रहरी वहां पहुंचते तब पता चलता सरदार खान की तरह यहां के बीस्ट अल्फा भी मारे गये है। जिसे प्रहरी का वन नाइट स्पेशल प्रोग्राम घोषित कर दिया जाता जहां सभी बीस्ट अल्फा को समाप्त कर प्रहरी नए सदस्यों के सामने अपनी नई छवि स्थापित करती।


5) जिसे बिलकुल भी नहीं जिंदा छोड़ा जा सकता था, आर्यमणि, उसके लिये विशेष शिकारियों का भी इंतजाम किया गया था। थर्ड लाइन सुपीरियर सीक्रेट शिकारी, सीक्रेट बॉडी के द्वारा तैयार किया हुआ खतरनाक शिकारियों का समूह।


एक बात तो इस योजना से साफ थी। सीक्रेट प्रहरी बॉडी जान बूझकर अच्छा और बुरा खेमा बनाये रखते थे, जहां प्रहरी सदस्य आपसे में भिड़ते रहे और एक दूसरे के खिलाफ साजिश रचते रहे। जिसे प्रहरी सीक्रेट बॉडी को कोई मतलब नहीं था। बस मकसद सिर्फ उन्हे आपस में उलझाए रखना था, ताकि कोई भी इनके ओर ध्यान न दे।
 

nain11ster

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In dono update ke padhane ki baat ek hi baat dimag aayi ki YE KIS LINE ME AA GAYE AAP.. Matlab wahi sex vex ki bate..usne aise Kiya usne waise Kiya, wo itna thaki , usko khub ragada... Hame ye ummid na thi , ha sex wex to chalata rhata hai lekin thoda kam detail me sahi rahata...Baki to suspence chalata hi hai...aur sawami to Maja layega abhi iss story me...
Aapke cooment padhne ke ek hi dimag me aayi thode kam detail ke sath iss comment ko likh sakte the...

Aur haan jyadatar case me pahle wax hota hai tab sex... Sex ke baad ladkiyan wax karwa ke bhi kya karengi...

Baki aap kam detail ke sath padhte hain ummid hai... Escape karte hain ye bhi ummid hai... Isliye aapko sidhi kahani pasand aati hai ye bhi janta hun... Khud me kuch naya development hota nahi aur hum retirement walon se ummid lagaye baithe hai...

Jao pogo hi dekhna tum... Kabhi bade mat hona .... Lagta hai humre retirement ke baad hi ye ladka developed hoga :(
 

Battu

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भाग:–51






शुक्रवार का दिन था, पलक और आर्यमणि एक पंडित से मिले मिलकर सही मूहरत का पता किये। मूहरत पता करने के बाद आर्यमणि आज से ही काम शुरू करता। शायद एक छोटी सी बात आर्यमणि के दिमाग से रह गई। पूर्णिमा के दिन ही राजदीप और नम्रता की शादी नाशिक में थी। इस दिन पुरा नागपुर प्रहरी शादी मे होता और पूर्णिमा यानी वेयरवुल्फ के चरम कुरुरता की रात। कुछ लोगो की काफी लंबी प्लांनिंग थी उस रात को लेकर। जिसकी भनक किसी को नहीं थी। शायद स्वामी, प्रहरी समुदाय के दिल यानी नागपुर में उस रात कुछ तो इतना बड़ा करने वाला था कि नागपुर इकाई और यहां के बड़े-बड़े नाम का दबदबा मिट्टी मे मिल जाता।


एक पुख्ता योजना जहां सुकेश भारद्वाज के घर से अनंत कीर्ति की पुस्तक को चुरा लेना था। जिसके लिए धीरेन स्वामी पूरे सुरक्षा व्यवस्था में सेंध मारने के पुख्ता इंतजाम कर चुका था। इस बात से बेखबर की संतराम और पुराने सुरक्षाकर्मी एक साथ क्यों और कहां छुट्टी पर चले गये। जब कुछ दिनों के लिये नए सुरक्षाकर्मी की बहाल हुई, तब वहां स्वामी के लोग ही बहाल हुये। स्वामी अनंत कीर्ति पुस्तक की चोरी के जरिये सीधा भारद्वाज परिवार पर निशाना साधने वाले था। चूंकि अनंत कीर्ति की पुस्तक जो की प्रहरी मुख्यालय में होनी चाहिए थी, उसे उज्जवल भारद्वाज और देवगिरी पाठक के कहने पर ही सुकेश भारद्वाज के पास रखा गया था। यदि एक बार सुकेश भारद्वाज के घर से वह पुस्तक चोरी हो गयि, फिर प्रहरी से भारद्वाज और उसके सहयोगी को न सिर्फ बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता था, बल्कि उन्हें महाराष्ट्र की सीमा से भी बाहर फेंक देते। बेचारा स्वामी, जिस पुस्तक के इर्द–गिर्द अपनी पूरी चाल चल रहा था, उसे तो यह भी नही पता था कि वर्तमान समय में वह पुस्तक कहां है और किसकी देख रेख में है।


दूसरी प्लांनिंग सीक्रेट बॉडी की थी, जब उन्हे पता चलता की पुस्तक खुल चुकी है। उसी के बाद आर्यमणि और उसके पैक को खत्म किया जाना था। बहरहाल जिनकी जो भी प्लांनिंग थी, वो कहीं ना कहीं आर्यमणि के प्लांनिंग वाली रात की ही थी। क्योंकि आर्यमणि ने भी उसी रात को चुना था जब नागपुर प्रहरी अपने शहर मे ना हो।


फिलहाल इन सब बातों से एक किनारे रखकर अभी तो अनंत कीर्ति की किताब पर काम चल रहा था। पंडित जी से मुहरत के बारे में पूछकर, पलक और आर्यमणि दोनो भूमि के घर पहुंचे। दिन का वक़्त था घर में नौकरों के सिवा कोई नहीं। पलक के दिल के सुकून के लिये आर्यमणि ने किताब निकाली और पलक को बाहर खड़े होकर देखने के लिये कह दिया। उसने किताब पर जैसा ही सौम्य स्पर्श किया, वह किताब चमकने लगी। किताब में जैसे ही चमक दिखी, आर्यमणि ने एक दिखावटी अनुष्ठान शुरू किया, जो पलक के दिल को सुकून दे रहा था।


अनुष्ठान खत्म करके आर्यमणि अपने कमरे में आया। पलक भी उसके पीछे कमरे में आयी और दरवाजा बंद करते… "कल रात दर्द ना के बराबर हुआ और मज़ा ऐसा की दिमाग से उतर नहीं रहा है। आर्य, एक बार और करते है ना।"..


आर्यमणि आंख मारकर पलक को अपने करीब खींचा.. पलक उसे एक छोटी सी किस्स देती हुई कहने लगी… "तुमने मुझे बिगाड़ दिया आर्य।"..


आर्य:- मुझे भी तुम्हारे साथ बिगड़ने में बहुत मज़ा आता है। वरना मुझे बिगाड़ने के लिए बहुत सी लड़कियां आयी और मेरी बेरुखी झेलकर चली गई।


"मै हूं ना मेरे साथ जितना बिगड़ना है बिगड़ लिया करो।" कहती हुई पलक ने होंठ से होंठ लगा दिये। इस बार पलक अपने दहकते अरमान के साथ आर्यमणि के पैंट का बटन खोलकर अपने हाथ उसके अंडरवियर के अंदर डाल दी। सेमी इरेक्ट लिंग को वो अपनी मुट्ठी में पकड़ कर भींच रही थी और तेज चलती श्वांस के साथ आर्य का हाथ अपने स्तन और योनि में एक साथ मेहसूस कर रही थी।


अदभुद क्षण थें। लिंग की गर्मी को हाथ पर मेहसूस करना और मुट्ठी में भर कर खेलने का एहसास ही कुछ अलग था। आज आर्य और भी बिजली गिराते, कपड़े निकालकर उसे सीधा लिटाया और होंठ से उसके बदन को चूमते हुये, जैसे ही होंठ उसके योनि पर डाला, पलक बेचैनी से पागल हो गयि। पूरा मज़ा आज तो दिन के उजाले में था। ऐसा लग रहा था कि वो आर्य को छोड़े ही नहीं। दोनो जब कपड़े पहन कर वापस से तैयार हुये, पलक आर्यमणि के होंठ चूमती… "आज दिन बाना दिया।"..


आर्यमणि:- अभी रात बाकी है।


पलक:- नहीं रात में मत आना। दीदी मेरे साथ होगी। शादी की रस्में शुरू हो गयि है, हम दिन में मज़े करेंगे ना।


आर्यमणि:- मेरा तो अभी एक बार और मन हो रहा है।


पलक, एक हाथ मारते… "सब मेरी ही ढील का नतीजा है। अच्छा सुनो, कल से लेकर शादी तक कॉलेज ऑफ रखना। अब दोस्तो के साथ टिले पर जाकर बहुत बियर पी ली। सब बंद। शादी तक मेरी हेल्प करोगे। और ये तुम्हारी रानी का हुक्म है।


आर्यमणि:- अब रानी का हुक्म कैसे टाल सकतें है। चलिए…


शनिवार की सुबह… आर्यमणि ठीक से उठा भी नहीं था कि सुबह-सुबह पलक का कॉल आ गया।…. "माझा हीरो कसा आहे।"..


आर्यमणि:- जम्हाई और अंगड़ाई ले रहा हूं।


पलक:- वाशरूम जाओ और सीधा नहाकर ही निकालना, मै थोड़ी देर में तुम्हे पिकअप करने आ रही हूं। तैयार हो जाओ मेरी मॉर्निंग बनाने के लिए।


आर्यमणि:- जैसी आपकी इक्छा।


आर्यमणि फटा फटी तैयार होकर घर के दरवाजे पर इंतजार करने लगा। कार रुकी दोनो अंदर और पलक कार ड्राइव करने लगी।.... "सुबह-सुबह पोर्न देखकर आ रही हो क्या?"..


पलक:- तुम्हारे जिस्म को याद करते ही पूरे होश खो देती हूं, मुझे क्यूं पोर्न की जरूरत पड़ने लगी...


कार और भी रफ्तार से बढ़ी और कुछ दूर आगे जाने के बाद एक वीराने से जंगल में रुकी। कार का दरवाजा सेंट्रल लॉक। उजले सीसे पर काला सीसा चढ़ गया। सीट पीछे की ओर थोड़ा खिसकर नीचे झुका। इधर पलक अपने पाऊं से पैंटी निकालने लगी और आर्य अपने जीन्स को घुटने में नीचे करके नंगा हो गया।


आर्य ने कंधे से स्ट्रिप को खिसकाकर ड्रेस को पेट पर जाने दिया। ब्रा के कप को ऊपर करके दोनो स्तन जैसे ही हाथ में लिया… "साइज कुछ बढ़ गए है क्या".. "उफ्फ बातें तो रास्ते भर पूछ लेना, मज़ा मत खराब करो आर्य।".. पलक सीट के पीछे टिककर अपने दोनो पाऊं पूरा फैलाकर, आर्यमणि को अपने ऊपर लेकर उसके होंठ को चूसने लगी...


कुछ देर होटों का रसपान करने के बाद आर्यमणि स्तनों को अपने मुंह से लगाते उसके निप्पल को चूसने लगा और पलक अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके लिंग पर हाथ फेरने लगी। पलक, आर्यमणि का शर्ट खींचकर उसका चेहरा अपने चेहरे के ठीक ऊपर लाकर, अपने उंगलियों पर जीभ फेर दी। अपनी गीली उंगली योनि से रगड़ती, लिंग को पकड़कर अपने योनि के ऊपर घिसने लगी।


आर्यमणि, पलक की आखों में देखते हुए, लंबा धक्का मारकर अपना पूरा लिंग एक बार में, योनि में घुसा दिया... "आह्हहहहह, ऊम्ममममम, उफ्फफफफफफफ अद्भुत सुबहहहहहहहहहहहह"… पलक अपने होटों को दातों तले दबाकर, अपने बड़े नाखून वाले हाथ आर्य के चूतड़ पर रखी और पूरी नाखून उसके चूतड़ में घुसाकर आर्यमणि के कमर का सपोर्ट लेती नीचे से अपनी कमर को ऊपर उछालती, लंबे और कड़ारे धक्कों का मज़ा लेने लगी। आर्यमणि की कमर नीचे धक्का लगा रही होती। पलक कमर ऊपर उछाल रही होती और दोनो खुलकर... "उफ्फफफफफफ.. आह्हहहहहहहह"


कुछ ही देर में दोनो चरम पर थे और आर्यमणि योनि में अपना सारा द्रव्य गिराकर, पास वाली सीट बैठकर हाफने लगा। पलक टिश्यू पेपर से साफ करती हुई कहने लगी… "आर्य, कंडोम इस्तमाल किया करो ना। ये क्या चिपचिप अंत में छोड़ जाते हो। स्वीपर बाना दिया है।"..


आर्य अपने कपड़े ठीक करते… "सॉरी"..


पलक:- अब मुझसे भी ऐसे ही रिएक्शन दोगे। अच्छा जो मर्जी वो करना लेकिन मुझसे प्लीज ये 1-2 शब्दो वाले रिएक्शन नहीं दिया करो।


आर्य:- हम्मम ! समझ गया..


पलक:- ऑफ ओ ये हम और तुम वाली जो मुंह बंद करके साउंड देते हो, वो भी बंद करो मेरे साथ।


आर्यमणि, पलटा और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए उसकी पैंटी कमर तक लाने में मदद करने लगा। आर्यमणि चूमकर अलग बैठते… "अब हैप्पी ना"


पलक:- हां ऐसे कोई शिकायत नहीं रहेगी।


दोनो की गाड़ी फिर से चल परी, प्यार भरी बातों के साथ दोनो आगे बढ़ते रहें। 8 बजे तक गांव पहुंचकर वहां सभी लोगो को शादी में आने का आमंत्रण दी और फिर दोनो वहां से वापस निकल लिये।


दिन के करीब 2 बजे आर्यमणि शादी के काम से फुरसत होकर घर पहुंचा। सभी लोग खाकर अपने-अपने कमरे में आराम कर रहे थे। केवल हाल में माते जया थी, जो जबरदस्ती भूमि को अपने हाथ से खाना खिला रही थी।


वहीं पास में आर्यमणि भी बैठ गया।.… "मां मुझे भी खिलाओ।"… "तू मेरे पास बैठ मै तुझे खिलाती हूं।".. भूमि अपने पास बुलाती कहने लगी। नजारा ही कुछ ऐसा था कि सभी घर के लोग और नौकर देखने में लग गये। जया, भूमि को अपने हाथ से खिला रही थी और भूमि आर्यमणि को।


"क्यों रे आज कल बड़ा ससुरारी बन रहा है। हमे भी तरह-तरह के फंक्शन्स अटेंड करने है, मां को शॉपिंग करवाये ये ख्याल नहीं।"…. जया, आंख दिखाती हुई पूछने लगी। पीछे से भूमि की भाभी वैदेही भी साथ देती... "खाली मां को ही क्यों, मासी है, भाभी है। फिर वो दोनो मयंक और शैली उसपर तो इसका ध्यान ही नहीं रहता।"


आर्यमणि क्या कहता, शाम के वक्त शॉपिंग के लिये हामी भर दिया। शाम के वक़्त पूरी भारद्वाज फैमिली, अपने दूसरे भारद्वाज फैमिली के यहां फंक्शन अटेंड करने जा चुके थे। भूमि और जया, आर्यमणि को लेकर शॉपिंग के लिये निकली।…


भूमि:- आर्य पीछे एक बैग में छोटा सा हार्ड डिस्क और लैपी है। संभाल कर अपने पास रख लेना।"


आर्यमणि:- उसमे क्या है दीदी?


भूमि:- प्रहरी में रहकर मेरा करप्शन का तेरा हिस्सा...


आर्यमणि:- हाहाहाहा.. कितना है।


भूमि:- मेरा करप्शन या तेरा हिस्सा।


आर्यमणि:- दोनो।


भूमि:- सॉरी भाई मेरा धन कितना है वो बताना वसूल के खिलाफ है। तुझे मैंने 2 मिलियन यूएसडी दी हूं, जिसकी अकाउंट डिटेल हार्ड डिस्क मे है। ट्विंस के पास पहले से अलग-अलग अकाउंट है, जिसपर 1 मिलियन यूएसडी है। रूही के पास 1 करोड़ कैश पड़ा हुआ है। इसके अलावा तेरे डिमांड के सारे आइटम तेरे पैक के पास पहुंच गया है। बस तू अपना ख्याल रखना और यहां से जाने के बाद कॉन्टैक्ट में बिल्कुल भी मत रहना।


जया:- बिल्कुल बिंदास होकर जीना, जैसे हमने जीना शुरू किया है। क्योंकि उन्होंने हमे प्रहरी के नाम पर कितनी अच्छी और प्यारी बातें सीखा दी थी। जीना प्रहरी के लिये, मारना प्रहरी के लिये, किन्तु जब इनके करतूत देखे तो पता चला हम इनके लिये मरते रहे और ये उसके पीछे अपना काला मकसद साधते रहे। अगर सरदार खान नहीं भी मरता है तो भी वैल एंड गुड। लेकिन यदि तू उसे मारकर निकला तो समझ हम यहां अंदर ही अंदर नाच रहे होंगे।


तीनों बात कर ही रहे थे कि तभी आर्यमणि के मोबाइल पर संदेश आया और ठीक उसके बाद कॉल… आर्यमणि सबको चुप कराते फोन स्पीकर पर डाला… "हेल्लो, जी कौन"..


देवगिरी पाठक:- तुम्हारा फैन बोल रहा हूं, देवगिरी पाठक।


आर्यमणि:- नमस्ते भाऊ..


देवगिरी:- "खुश रहो…. सुनो मै इधर-उधर की कहानी में ज्यादा विश्वास नहीं रखता, इसलिए पहले सीधा काम की बात करता हूं। मै अपने धंधे का 40% हिस्सा तुम्हे दे रहा हूं, सिर्फ इस विश्वास पर की तुम उनके लिए एक मेहफूज और अच्छा ठिकाना बना पाओ, जो है तो इंसान (वेयरवोल्फ) लेकिन इंसानों के साथ नहीं रह सकते।"

"कंपनी की अकाउंट डिटेल और जरूरी जानकारी तुम्हे मेल करवा दिया है। कंपनी के किस-किस हिस्सेदार के पास कितना प्रोफिट जा रहा है, वो फिगर मिलता रहेगा। बाकी इसपर विस्तार से मै शादी में मिलकर बताऊंगा। रखता हूं अभी।"


फोन कट होते ही…. "चालाक भाऊ, इस बार फंस गया।".. भूमि अपनी प्रतिक्रिया दी।


जया:- मांझे..


भूमि:- मासी वेडा आहे, बब्बोला आज अडकला (पागल है वो मासी, बड़बोला आज फंस गया)


आर्यमणि:- थोड़ा क्लियर बताओ।


भूमि:- मेरे सारे पैसे बच गये रे, वरना मै सोच रही थी तू कब लौटेगा और मै आते ही तुझे बिजनेस में लगाकर कितनी जल्दी अपने पैसे वसूल लूं। लेकिन देख भाऊ को अपनी वाह–वाही की ज्यादा पड़ी है। आम मेंबर के बीच कहता सदस्य ना होने के बावजूद मैंने आर्यमणि को उसके अच्छे काम के लिए 40% हिस्सेदारी दिया। सिर्फ उसके प्रहरी जैसे काम की वजह से.. ..


आर्यमणि:- अब मेरे पास कितने पैसे आएंगे।


भूमि:- अंदाजन 270 मिलियन यूएसडी तेरा हिस्सा। जा बेटा अब तो पूरे एश है तेरे। तू पूरी डिटेल मुझे एक हार्ड डिस्क में दे जरा।


आर्यमणि:- मेल फॉरवर्ड ही करता हूं ना।


भूमि:- भूलकर भी नहीं। पैसे की चोरी जब करने जाओ तो कोई ऑनलाइन बात चित नहीं। अच्छा हां और एक बात। तेरे आर्म्स एंड अम्युनेशन वाली फैक्टरी मै निशांत, चित्रा और माधव के हवाले करूंगी। इस बार इस साले स्वामी को भी आड़े हाथ लेना है। भूमि इमोशनल फूल नहीं है, स्वामी ये तुम भी समझ लो..


आर्यमणि:- तो मुझे क्या करना होगा दीदी...


भूमि:- एक सहमति पत्र और एक अधिग्रहण पत्र, उसके अलावा कुछ ब्लैंक स्टाम्प पेपर पर सिग्नेचर, इतना ही.. एक ही वक्त मे चारो ओर से मारेंगे इन कुत्तों को। ऐसा हाल करूंगी की नागपुर में प्रहरी और शिकारी घुसने से पहले 1000 बार सोचेंगे...

आर्यमणि:– और ये स्वामी कौन है...


भूमि:– एक धूर्त, जिसके प्यार में अंधी होकर पिछले बार इसके धोखे को नही पहचान पायि। खुद को बहुत शातिर समझता है। आर्म्स एंड एम्यूनेशन कम्पनी वाला झोल इस बार स्वामी को भीख मांगने पर मजबूर करवायेगा ..


आर्यमणि:– फिर तो इस काम को सबसे पहले करना है...


शादी में सिर्फ एक हफ्ता रह गये थे और इधर जोर शोर से काम चल रहा था। पलक शादी के साथ-साथ अपने जीवन के नए रोमांच में भी काफी व्यस्त थी और सब चीजों का लुफ्त बड़े मज़े से उठा रही थी। घर परिवार और पलक से फ्री होने के बाद आर्यमणि शाम के करीब 5 बजे अपने पैक के पास पहुंचा।…चारो आराम से बैठकर टीवी पर मूवी देख रहे थे।


आर्यमणि:- क्या चल रहा है यहां…

रूही:- बोर हो गए तो सोचे टीवी देख ले।

आर्यमणि:- ट्विंस यहां मेरे पास आ जाओ।

अलबेली:- भईया जल्दी इन्हे पैक में सामिल करो…

आर्यमणि रूही के ओर देखने लगा। रूही अलबेली से… "अलबेली तू इधर आ जा".

"आई ने तुम्हे हमारा नाम नहीं बताया क्या।"… दोनो एक साथ पुछने लगे।


आर्यमणि:- जी बताया है, खूबसूरत और प्यारी सी दिखने वाली लड़की है ओजल, और उसका खूबसूरत और ईश्वरीय बालक का नाम है इवान। सो तुम दोनो लगभग 2 महीनो से यहां हो। कैसा लगा हम सब के साथ रहकर।


ओजल:- कुछ मजबूरी थी जो आई हमे बाहर नहीं निकाल सकती थी, खुलकर जीना किसे पसंद नहीं।


इवान:- मुझे भी अच्छा लगा। आई अक्सर कहा करती थी, तेरे आर्य भईया आये है और उसके काम को देखकर ऐसा लगता है कि तुम्हे वो ज़िन्दगी मिलेगी जो तुम्हारा सपना है।


आर्यमणि, दोनो के सर पर हाथ फेरते…. "एक वुल्फ का पैक ही उसका परिवार होता है। बदकिस्मत वुल्फ होते है वो, जिनके पैक टूट जाते है और लोग अलग हो जाते है। क्या तुम हमारे साथ पैक में रहना पसंद करोगे।


दोनो भाई बहन एक साथ… "जी बिल्कुल"..


थोड़ी ही देर में रश्म शुरू हुई। पहले इवान को प्रक्रिया बताई गई और ओजल को देखने कहा गया। इवान भी रूही और अलबेली की तरह ही अपने अंदर कुछ मेहसूस कर रहा था और अपने हाथ को ऊपर से लेकर नीचे तक देख रहा था। उसके बाद बारी आयी ओजल की। उसने भी पूरी प्रक्रिया करके पैक में सामिल हो गयि। चूंकि रूही, अलबेली और आर्य को सभी लोग जानते थे इसलिए हवा में फूल को उड़ेलने वाला तकरीबन 1000 ड्रोन खरीदने की जिम्मेदारी ओजल और इवान पर सौंप दी गयि। आगे की तैयारी के लिए रूही को योग्य दिशा निर्देश मिले। रूही समझ गयि और तय समय तक तैयारी कि जिम्मेदारी ले ली।
अद्भुत । खिचड़ी बनाने के लिए सारी पार्टिया तैयारी कर चुकी है। सीक्रेट के सदस्यों की प्लानिंग, बीस्ट वूल्फ के हमले की प्लानिंग, स्वामी की प्लानिंग और सबसे महत्वपूर्ण आर्य की प्लानिंग। सब एक ही रात में अंजाम देने की सोच रखे हुए है तो इसलिए मैंने खिचड़ी बनाना लिखा है। अब आते है पलक महारानी पर, यह गुड़िया शकल और सिरत से जितनी सच्ची दिखी उतनी लगी नही। भले ही अब वो आर्य को मरवाना नही साथ रखना चाहती हो पर इसको प्यार नही कहते। एक हद तक कह सकते है कि पलक को आर्य का साथ और सहवास दोनो ही पसंद आ रहा है हाहाहा, मेरी भाषा भी nain bhai ने अश्लील बना दी। पलक का जुड़ाव सिर्फ स्वार्थवश ही आर्य से जुड़ा है। अब आते है जया और भूमि पर, माता को कुमाता होते करोड़ो में एक बार देखा है वो भी कलयुग की मीडिया द्वारा पर वास्तव में कभी माता को कुमाता होते नही देखा, जया आर्य की माँ है उसके लिए सब कुछ और भूमि भी आर्य के लिए माँ की तरह ही है, यह दोनों आर्य के सच्चे हितेषी है अब nain bhai का भरोसा नही कब इन्हें भी विरोधी दिखा दे भाई मजाक कर रहा हु। वैसे आर्यमणि का पैक में 2 जनो की एंट्री के साथ संख्याबल हुआ चार। अब स्वामी की लंका सबसे पहले लगने वाली है। भूमि को धोखा देना और फिर आर्य को पता होना अब स्वामी की मुश्किलें बढ़ा देगा। लास्ट में एक हजार ड्रोन की खरीद वो भी बच्चों के द्वारा कुछ समझ मे नही आया भाई। बट बहुत बढ़िया और शानदार अपडेट।
 

nain11ster

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फिर से हमारा दिमाग चक्करघिन्नी बन गया । एक तो यही कि पलक फिर से खलनायिका से नायिका के किरदार में नजर आने लगी और फिर प्रहरियों में से कुछ लोग नायक से खलनायक होते दिखाई देने लगे ।
सबसे पहले तो संत पुरुष देवगिरी पाठक जी ! आर्य को अपनी संपत्ति का वारिस बनाने वाला , सच्चाई के राह पर चलने वाला धर्मात्मा योग्य पुरूष खुद के चेहरे पर एक नकली चेहरा लगा रखा है ।
इसके बाद जयदेव साहब ! यह भी इसी ग्रुप का हिस्सा निकले । अपनी ही पत्नी को बेवकूफ बनाया इन्होंने ।
भूमि के लिए तो कभी कुछ बढ़िया हुआ ही नहीं । आशा करता हूं कि उसके गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ हो और इन सभी लोगों से दूर एक अलग आशियाना बनाएं ।

सुकेश भारद्वाज , उज्जवल भारद्वाज , भुमि के बड़े भाई साहब , भुमि के हसबैंड , मिनाक्षी , अक्षरा सभी ने दोहरा चरित्र अपना रखा है ।
उज्जवल भारद्वाज के होनहार संतानों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है हमें अभी, यदि पलक को बाद कर दिया जाए । विश्व देसाई साहब के बारे में भी कुछ क्लियर नहीं है ।

पलक को मोहरा बनाया सभी लोगों ने । आर्य के खिलाफ एक हुस्न का जाल बिछवाया गया ।
जब इंसान ही इंसानी खून का प्यासा हो जाए... भोजन में इंसानी चर्बी और खून स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ लगने लगे... सेक्सुअल लाइफ अमर्यादित हो जाए .... भेड़ियों और कुछ सुपर नेचुरल शक्तियों के द्वारा अपने हित साधने में लगे रहे तो फिर कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है ।

गुरु पूर्णिमा की बेला आ चुकी है । और शायद अनंत कीर्ति के खुलने की भी ।
और एक भव्य विवाह समारोह की भी ।
और एक भयंकर साज़िश की भी ।
यह रात कयामत लाने वाली रात है । बेसब्री से इंतजार है इस रात की ।

पलक और आर्य के जिस्मानी संबंध....पलक का कौमार्य भंग होना....पुरा प्रसंग कामसूत्र का श्रृंगार लगा मुझे । कामुकता की विषय को बड़ी ही सहजता से प्रस्तुत किया आपने ।

इसके पहले चित्रा , निशांत और आर्य का माधव के साथ कुछ हंसी मजाक... कुछ छेड़खानी और माधव का मासुमियत भरा जबाव बहुत ही प्यारा लगा मुझे । अब तो मेरी इच्छा बढ़ते जा रही है कि कब माधव के बापूजी चित्रा के साथ मुलाकात करेंगे !

राकेश जी और आर्य का एक दूसरे को नीचा दिखाने वाला कन्वर्सेशन भी लाजबाव था । राकेश जी के सुखों के दिन अब शायद उंगलियों पर गिने जाने लायक बचे हैं ।

बेहतरीन अपडेट्स नैन भाई ।
संवाद के थ्रू हमने उन माहौल को बखूबी जिया ।
चित्रा , माधव , निशांत और आर्य...... मस्ती ।
आर्य और नाइक साहब........ व्यंग्य ।
सिक्रेट प्रहरियों के मीटिंग में पलक..... विश्वास ।
पाठक जी और जयदेव..... विश्वासघात ।
और पलक एवं आर्य के बीच जिस्मानी संबंध..... कामसूत्र का श्रृंगार ।

और क्या चाहिए कुछेक अपडेट में ! इतना तो लोग पुरी कहानी लिखने में भी नहीं कर पाते ।
ग्रेट वर्क नैन भाई । आउटस्टैंडिंग ।
और जगमग जगमग ।
Tab to bada movie enjoy karte hain jab.... Fir type karna padega... Kar deta hun... Haan to tab to scene bilkul clear hota hai... Jab ek mafia giroh hota hai...

Mafia giroh me ek ubharta hua ladka hota hai jo giroh ke mukhiya ka beta hota hai...

Usi giroh ka pardafash karne ek ladki patrkar aati hai....

Patrkar bete ko fasati hai aur beta patrkar ko fasata hai...

Isi faasa fasi ke dauran beta ko pyar ho jata hai aur apne mafia groh se kahta hai ki ye jo patrkar ladki hai wo humari jad tak kabhi nahi pahunch sakti...

Jab ye sab scene hote hain tab to aap khub enjoy karte hain... Tab to dimag me koi kahani nahi aati ki sala ladka kitna bana criminal hai... Tab to ek lover boy aur lover girl ki image najar aati hai... Criminal aur conspiracy to ek side line story hoti hai... Lekin idhar nahi .... Koi love aur romance enjoy na karega... Sabko sajis hi enjoy karna haj :(...

I hate ju all... I hate ju all...

Aage bahut se sawal bhi likhe hai kya aapne... Kya baat hai aage to aapne kya tarif ki hai...bilkul mujhe tarif ke ghol me lapet kar pyar ke garm kadahi me daalkar chahsni me chhan diya hai Sanju bhai...

I love ju all....i love ju all
 

nain11ster

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अद्भुत । खिचड़ी बनाने के लिए सारी पार्टिया तैयारी कर चुकी है। सीक्रेट के सदस्यों की प्लानिंग, बीस्ट वूल्फ के हमले की प्लानिंग, स्वामी की प्लानिंग और सबसे महत्वपूर्ण आर्य की प्लानिंग। सब एक ही रात में अंजाम देने की सोच रखे हुए है तो इसलिए मैंने खिचड़ी बनाना लिखा है। अब आते है पलक महारानी पर, यह गुड़िया शकल और सिरत से जितनी सच्ची दिखी उतनी लगी नही। भले ही अब वो आर्य को मरवाना नही साथ रखना चाहती हो पर इसको प्यार नही कहते। एक हद तक कह सकते है कि पलक को आर्य का साथ और सहवास दोनो ही पसंद आ रहा है हाहाहा, मेरी भाषा भी nain bhai ने अश्लील बना दी। पलक का जुड़ाव सिर्फ स्वार्थवश ही आर्य से जुड़ा है। अब आते है जया और भूमि पर, माता को कुमाता होते करोड़ो में एक बार देखा है वो भी कलयुग की मीडिया द्वारा पर वास्तव में कभी माता को कुमाता होते नही देखा, जया आर्य की माँ है उसके लिए सब कुछ और भूमि भी आर्य के लिए माँ की तरह ही है, यह दोनों आर्य के सच्चे हितेषी है अब nain bhai का भरोसा नही कब इन्हें भी विरोधी दिखा दे भाई मजाक कर रहा हु। वैसे आर्यमणि का पैक में 2 जनो की एंट्री के साथ संख्याबल हुआ चार। अब स्वामी की लंका सबसे पहले लगने वाली है। भूमि को धोखा देना और फिर आर्य को पता होना अब स्वामी की मुश्किलें बढ़ा देगा। लास्ट में एक हजार ड्रोन की खरीद वो भी बच्चों के द्वारा कुछ समझ मे नही आया भाई। बट बहुत बढ़िया और शानदार अपडेट।

Aaj hum log khichdi part 1 ke najdik pahunchenge.... Jahan ek ore shadi ke mahol ko raat ke 12 baje tak cover karenge... Jabki khichdi part 2 uske parellel nagpur me chal raha hoga... Uske baad usse hi cover karenge...waise sahwas bolna koi language ki kharabi nahi hai... Kam se kam fuhar sabdon ko kinare kar aapne hindi ke upyukt shabd ka chunav kiya hai... :hug;
 
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