फिर से हमारा दिमाग चक्करघिन्नी बन गया । एक तो यही कि पलक फिर से खलनायिका से नायिका के किरदार में नजर आने लगी और फिर प्रहरियों में से कुछ लोग नायक से खलनायक होते दिखाई देने लगे ।
सबसे पहले तो संत पुरुष देवगिरी पाठक जी ! आर्य को अपनी संपत्ति का वारिस बनाने वाला , सच्चाई के राह पर चलने वाला धर्मात्मा योग्य पुरूष खुद के चेहरे पर एक नकली चेहरा लगा रखा है ।
इसके बाद जयदेव साहब ! यह भी इसी ग्रुप का हिस्सा निकले । अपनी ही पत्नी को बेवकूफ बनाया इन्होंने ।
भूमि के लिए तो कभी कुछ बढ़िया हुआ ही नहीं । आशा करता हूं कि उसके गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ हो और इन सभी लोगों से दूर एक अलग आशियाना बनाएं ।
सुकेश भारद्वाज , उज्जवल भारद्वाज , भुमि के बड़े भाई साहब , भुमि के हसबैंड , मिनाक्षी , अक्षरा सभी ने दोहरा चरित्र अपना रखा है ।
उज्जवल भारद्वाज के होनहार संतानों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है हमें अभी, यदि पलक को बाद कर दिया जाए । विश्व देसाई साहब के बारे में भी कुछ क्लियर नहीं है ।
पलक को मोहरा बनाया सभी लोगों ने । आर्य के खिलाफ एक हुस्न का जाल बिछवाया गया ।
जब इंसान ही इंसानी खून का प्यासा हो जाए... भोजन में इंसानी चर्बी और खून स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ लगने लगे... सेक्सुअल लाइफ अमर्यादित हो जाए .... भेड़ियों और कुछ सुपर नेचुरल शक्तियों के द्वारा अपने हित साधने में लगे रहे तो फिर कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है ।
गुरु पूर्णिमा की बेला आ चुकी है । और शायद अनंत कीर्ति के खुलने की भी ।
और एक भव्य विवाह समारोह की भी ।
और एक भयंकर साज़िश की भी ।
यह रात कयामत लाने वाली रात है । बेसब्री से इंतजार है इस रात की ।
पलक और आर्य के जिस्मानी संबंध....पलक का कौमार्य भंग होना....पुरा प्रसंग कामसूत्र का श्रृंगार लगा मुझे । कामुकता की विषय को बड़ी ही सहजता से प्रस्तुत किया आपने ।
इसके पहले चित्रा , निशांत और आर्य का माधव के साथ कुछ हंसी मजाक... कुछ छेड़खानी और माधव का मासुमियत भरा जबाव बहुत ही प्यारा लगा मुझे । अब तो मेरी इच्छा बढ़ते जा रही है कि कब माधव के बापूजी चित्रा के साथ मुलाकात करेंगे !
राकेश जी और आर्य का एक दूसरे को नीचा दिखाने वाला कन्वर्सेशन भी लाजबाव था । राकेश जी के सुखों के दिन अब शायद उंगलियों पर गिने जाने लायक बचे हैं ।
बेहतरीन अपडेट्स नैन भाई ।
संवाद के थ्रू हमने उन माहौल को बखूबी जिया ।
चित्रा , माधव , निशांत और आर्य...... मस्ती ।
आर्य और नाइक साहब........ व्यंग्य ।
सिक्रेट प्रहरियों के मीटिंग में पलक..... विश्वास ।
पाठक जी और जयदेव..... विश्वासघात ।
और पलक एवं आर्य के बीच जिस्मानी संबंध..... कामसूत्र का श्रृंगार ।
और क्या चाहिए कुछेक अपडेट में ! इतना तो लोग पुरी कहानी लिखने में भी नहीं कर पाते ।
ग्रेट वर्क नैन भाई । आउटस्टैंडिंग ।
और जगमग जगमग ।