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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Lazy villain
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Khubsurat balaon ke saath anyay hamesha se hi bura lagta hai mujhe, especially jab us bala ki khubsurti ka savistar avlokan ho chuka ho kahani mein. :sad:

Waise uspar wo kahawat fit baithti hai, dhobi ka kutta, na ghar ka na ghat ka. :D
Wo to hai hi ...Sundar ladaki ke 7 khun manf hone chahiye...lekin kuchh bhi ho palak ke sath bahut bura ho RHA hai...
#justiceforpalak
 
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Lazy villain
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Nischal ki to sahayata ki huyi hai Aryamani mahoday ne bhai. :redface:
Wo isiliye Kiya tha taki nishchal usse prabhavit hokar usse apne team me le le..
Nishchal waha se bhi nikal hi jata kaise na karke...
Aur ye aarya hai to ek wolf hi na Jo Banda aadirishi janawaro ko chir faad deta hai ,jiske puravaj Jo bas sigma tha wo mahajanika ko bhagane par majaboor Kar sakte hai wo sarshaktiman viggo ko aarya bas impress Kar rha tha...kyoki usse pata tha ki ek viggo kitna powerful hota hai , to usne uss viggo ko impress Karne ki koshish ki....aur kuchh nhi tha...
 
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फिर से हमारा दिमाग चक्करघिन्नी बन गया । एक तो यही कि पलक फिर से खलनायिका से नायिका के किरदार में नजर आने लगी और फिर प्रहरियों में से कुछ लोग नायक से खलनायक होते दिखाई देने लगे ।
सबसे पहले तो संत पुरुष देवगिरी पाठक जी ! आर्य को अपनी संपत्ति का वारिस बनाने वाला , सच्चाई के राह पर चलने वाला धर्मात्मा योग्य पुरूष खुद के चेहरे पर एक नकली चेहरा लगा रखा है ।
इसके बाद जयदेव साहब ! यह भी इसी ग्रुप का हिस्सा निकले । अपनी ही पत्नी को बेवकूफ बनाया इन्होंने ।
भूमि के लिए तो कभी कुछ बढ़िया हुआ ही नहीं । आशा करता हूं कि उसके गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ हो और इन सभी लोगों से दूर एक अलग आशियाना बनाएं ।

सुकेश भारद्वाज , उज्जवल भारद्वाज , भुमि के बड़े भाई साहब , भुमि के हसबैंड , मिनाक्षी , अक्षरा सभी ने दोहरा चरित्र अपना रखा है ।
उज्जवल भारद्वाज के होनहार संतानों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है हमें अभी, यदि पलक को बाद कर दिया जाए । विश्व देसाई साहब के बारे में भी कुछ क्लियर नहीं है ।

पलक को मोहरा बनाया सभी लोगों ने । आर्य के खिलाफ एक हुस्न का जाल बिछवाया गया ।
जब इंसान ही इंसानी खून का प्यासा हो जाए... भोजन में इंसानी चर्बी और खून स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ लगने लगे... सेक्सुअल लाइफ अमर्यादित हो जाए .... भेड़ियों और कुछ सुपर नेचुरल शक्तियों के द्वारा अपने हित साधने में लगे रहे तो फिर कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है ।

गुरु पूर्णिमा की बेला आ चुकी है । और शायद अनंत कीर्ति के खुलने की भी ।
और एक भव्य विवाह समारोह की भी ।
और एक भयंकर साज़िश की भी ।
यह रात कयामत लाने वाली रात है । बेसब्री से इंतजार है इस रात की ।

पलक और आर्य के जिस्मानी संबंध....पलक का कौमार्य भंग होना....पुरा प्रसंग कामसूत्र का श्रृंगार लगा मुझे । कामुकता की विषय को बड़ी ही सहजता से प्रस्तुत किया आपने ।

इसके पहले चित्रा , निशांत और आर्य का माधव के साथ कुछ हंसी मजाक... कुछ छेड़खानी और माधव का मासुमियत भरा जबाव बहुत ही प्यारा लगा मुझे । अब तो मेरी इच्छा बढ़ते जा रही है कि कब माधव के बापूजी चित्रा के साथ मुलाकात करेंगे !

राकेश जी और आर्य का एक दूसरे को नीचा दिखाने वाला कन्वर्सेशन भी लाजबाव था । राकेश जी के सुखों के दिन अब शायद उंगलियों पर गिने जाने लायक बचे हैं ।

बेहतरीन अपडेट्स नैन भाई ।
संवाद के थ्रू हमने उन माहौल को बखूबी जिया ।
चित्रा , माधव , निशांत और आर्य...... मस्ती ।
आर्य और नाइक साहब........ व्यंग्य ।
सिक्रेट प्रहरियों के मीटिंग में पलक..... विश्वास ।
पाठक जी और जयदेव..... विश्वासघात ।
और पलक एवं आर्य के बीच जिस्मानी संबंध..... कामसूत्र का श्रृंगार ।

और क्या चाहिए कुछेक अपडेट में ! इतना तो लोग पुरी कहानी लिखने में भी नहीं कर पाते ।
ग्रेट वर्क नैन भाई । आउटस्टैंडिंग ।
और जगमग जगमग ।
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–49






पलक पीछला दरवाजा खोली और आर्यमणि कमरे के अंदर। आते ही वो बिस्तर पर बैठ गया। … "अब ऐसे तो नहीं करो। पार्टी में बहुत थकी गयि थी, आंख लग गयि। आये हो तो कम से कम बात तो करो।"..


आर्यमणि:- कल किसी अच्छे पंडित के पास पहुंचना है, ये तो याद रहेगा ना।


पलक:- भैया और दीदी को बुरा नहीं लगेगा, हम उनसे पहले शादी करेंगे तो।


आर्यमणि:- वेरी फनी….


पलक अपने कदम आगे बढ़ाकर आर्यमणि के ऊपर आयी और नाक से नाक फीराते हुए… "आर्य रूठता भी है, मै आज पहली बार देख रही हूं।"..


आर्यमणि, पलक को बिस्तर पर पलट कर उसके ऊपर आते… "पलक किसी को मानती भी है, पहली बार देख रहा हूं"


पलक, आर्यमणि के गर्दन में हाथ डालकर उसके होंठ अपने होंठ तक लाती…. "बहुत कुछ पलक पहली बार करेगी, क्योंकि उसे आर्य के लिए करना अच्छा लगता है।"..


दोनो की नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। आर्यमणि होंठ को चुमते हुये अपने धड़कन काउंट को पूरा काबू में करना सीख चुका था। कामुकता तो हावी होती थी लेकिन अब शेप शिफ्ट नहीं होता था।


दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमते जा रहे थे और बदन पर दोनो के हाथ जैसे रेंग रहे हो। …. "आर्य, यहीं रुक जाते है। आगे मुझसे कंट्रोल नहीं होगा।".. पलक अपने कामुकता पर किसी तरह काबू पाती हुई कहने लगी। आर्यमणि अपने हाथ उसके अर्द्ध विकसित कड़क सुडौल स्तन पर ले जाकर धीमे से दबाते हुये… "तो कंट्रोल करने कौन कह रहा है।"… "आहह्ह्ह्ह" की हल्की पीड़ा और मादक में लिप्त सिसकी पलक के मुंह से निकल गयि। पलक, आर्यमणि है के बाल को अपने हाथो से भींचती आखें बंद कर ली।


आर्यमणि, पलक के गाउन को धीरे से कंधों के नीचे खिसकाने लगा। पलक झिझक में अपने हाथ कांधे पर रखती… "आर्य, अजीब लग रहा है, प्लीज लाइट आफ करने दो।".. आर्यमणि, पलक के ऊपर से हट गया। वह लाइट बंद करके वापस बिस्तर पर आकर लेट गयि। आगे का सोचकर उसकी दिल की धड़कने काफी तेज बढ़ी हुयि थी। बढ़ी धड़कनों के साथ ऊपर नीचे होती छाती को आर्यमणि अपनी आखों से साफ देख सकता था। काफी मादक लग रहा था।


आर्यमणि ने पलक की उल्टा लिटा दिया और पीछे से चैन को खोलकर नीचे सरकते हुए, उसके पीठ पर किस्स करने लगा। पलक दबी सी आवाज में हर छोड़ती और खींचती श्वांस में पूर्ण मादकता से "ईशशशशशशशशश… आह्हहहहहहहहहहहहहह… कर रही थी। उसका पूरा बदन जैसे कांप रहा हो और मादक सिहरन नश-नश में दौड़ रही थी। पहली बार अपने बदन पर मर्दाना स्पर्श उसके मादकता को धधकती आग की तरह भड़का रही थी। पलक झिझक और मस्ती के बीच ऐसी फसी थी कि कब उसके शरीर से गाउन नीचे गया उसे पता नहीं चला। ब्रा के स्ट्रिप खुल चुके थे और पीठ पर गीला–गिला एहसास ने मादक भ्रम से थोड़ा जागृत किया, तब पता चला कि गाउन शरीर से उतर चुका है और ब्रा के स्ट्रिप दोनो ओर से खुले हुये है।


आर्यमणि उसके कमर के दोनों ओर पाऊं किये, अपने जीभ पलक के पीठ पर चलाते हुये, अपने हाथ नीचे ले गया और पलक को थोड़ा सा ऊपर उठा कर, उसके ब्रा को निकालने की कोशिश करने लगा। पलक भी लगभग अपना संयम खो चुकी थी। वो छाती से ब्रा को निकलते हुये देख रही थी और अपनी योनि में चींटियों के रेंगने जैसा मेहसूस कर रही थी। जिसकी गवाह पीछे से हिल रहे उसके कमर और धीमे से थिरकते उसके चूतड़ दे रहे थे। उत्तेजना पलक पर पूरी तरह से हावी होने लगी थी। वो अपने पाऊं लगातार बिस्तर से घिस रही थी। मुठ्ठी में चादर को भींचती और मुठ्ठी खोल देती...


आर्यमणि ब्रा को निकालकर अपने दोनो हाथ नीचे ले गया और उसके स्तन को अपने पूरे हथेली के बीच रखकर, निप्पल को अपने अंगूठे में फसाकर मसलने लगा। छोटे-छोटे ठोस स्तन को हाथ में लेने का अनुभव भी काफी रोमांचित था। आर्यमणि की धड़कने फिर से बेकाबू हो गयि। पलक के बदन का मादक स्पर्श अब उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था। वो अपने जीभ को उसके कान के पास फिरते गीला करते चला गया।


पलक हाथ का दबाव अपने स्तन पर मेहसूस करती अपना पूरा मुंह खोलकर फेफड़े में श्वांस को भरने लगी। आर्यमणि अपने दोनो हाथ से स्तनों पर थोड़ा और दवाब बनाया.. "आहहहहहह… ईईईईई, आउच.. थोड़ा धीमे.. आर्य, दूखता है... उफ्फफफफ, आर्य प्लीज.. मर गई... ओहहहहहहहह… आह्हहहहहह"


एसी 16⁰ डिग्री पर थी और दोनो का बदन पसीने में चमक रहा था। पलक अपना मुंह तकिये के नीचे दबाकर अपनी दर्द भरी उत्तेजक आवाज को दबा रही थी, लेकिन आर्यमणि, पलक के स्तन को मसलना धीमे नहीं किया। आर्यमणि पूर्ण उत्तेजना मे था। वो स्तनों को लगातार मसलते हुये, अपना जीभ पलक के चेहरे से लेकर, पीठ पर लगातार चला रहा था।


पूर्ण काम उत्तेजना ऐसी थी कि आर्यमणि थोड़ा ऊपर होकर तेजी से अपना लोअर और टी-शर्ट उतार कर पुरा नंगा हो चुका था। पूर्ण खड़ा लिंग उसके उत्तेजना की गवाही दे रहा था। इस बीच आर्य की कोई हरकत ना पाकर, पलक अपनी उखड़ी श्वांस और उत्तेजना को काबू करने लगी। परंतु कुछ पल का ही विराम मिला उसके बाद तो दिल की धड़कने पहले से ज्यादा बेकाबू हो गया। बदन सिहर गया और रौंगटे खड़े हो गये। झिझक के कारण स्वतः ही हाथ कमर के दोनों किनारे पर चले गये और पैंटी को कमर के नीचे जाने से रोकने की नाकाम कोशिश होने लगी। तेज श्वांस की रफ्तार और अचानक उत्पन्न हुई आने वाले पल को सोचकर बदन की उत्तेजना ने पलक को वो ताकत ही नहीं दी की पलक पेंटी को नीचे जाने से थोड़ा भी रोक पाती। बस किसी तरह से होंठ से इतना ही निकला, "मेरा पहली बार है।"…


पलक अपने दोनो पाऊं के बीच सबकुछ छिपा तो सकती थी लेकिन उल्टे लेटे के कारन सबकुछ जैसे आर्य के पाले में था और पलक बस बढ़ी धड़कनों के साथ मज़ा और झिझक के बीच सब कुछ होता मेहसूस कर रही थी। तेज मादक श्वांस की आवाज दोनो सुन सकते थे। लेकिन दिमाग की उत्तेजना कुछ सुनने और समझें दे तो ना। आर्यमणि अपने हाथ दरारो के बीच जैसे ही डाला उसका लिंग अपने आप हल्का–हल्का वाइब्रेशन मोड पर चला गया। आर्यमणि भी थोड़ा सा सिहर गया। वहीं पलक का ये पहला अनुभव जान ले रहा था। हाथ चूतड़ के बीच दरार से होते हुए जैसे ही योनि के शुरवात के कुछ नीचे गये, "ईशशशशशशशशश..… उफ्फफफफफ… आह्हहह..… आर्ययययययययय"… की तेज सिसकारी काफी रोकने के बाद भी पलक के मुंह से निकलने लगी। वह पूरी तरह से छटपटाने लगी। बदहवास श्वांसे और कामों–उत्तेजना की गर्मी अब तो योनि के अंदर कुछ जलजला की ही मांग कर रही थी जो योनि के तूफान को शांत कर दे।


तकिये के नीचे से दबी मादक सिसकारी लगातार निकल रही थी। चूतड़ बिल्कुल टाईट हो गये, पाऊं अकड़ गये और तीन–चार बार कमर हिलने के बाद पलक पहली बार पूर्ण चरमोत्कर्ष के बहाव को योनि से निकालकर बिल्कुल ढीली पड़ गयि। पलक गहरी श्वांस अपने अंदर खींच रही थी। कुछ बोल पाये, इतनी हिम्मत नहीं थी। बस उल्टी लेटी आर्यमणि का हाथ अपने योनि पर मेहसूस कर रही थी। उसकी उंगली योनि के लिप को कुरेदते हुये अंदर एक इंच तक घुसा था। आर्यमणि जब अपनी उंगली ऊपर नीचे करता, पलक सीने में गुदगुदा एहसास होता और पूरा बदन मचल रहा होता।


इसी बीच आर्य एक बार फिर उपर आया इस बार जैसे ही अपने होंठ पलक के होंठ से मिलाया पलक मस्ती में अपना पूरा जीभ, आर्य के मुंह के अंदर डालकर चूसने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ को चूमते जा रहे थे। आर्य वापस से स्तन को दबोचकर कभी पलक के मुंह से दर्द भरी आवाज निकालने पर मजबूर कर रहा था, तो कभी उसे चैन कि स्वांस देता। लेकिन हर आवाज़ किस्स के अंदर ही दम तोड़ रही थी।


आर्य चूमना बंद करके साइड से एक तकिया उठा लिया। पलक के पाऊं को खींचकर बिस्तर के किनारे तक लाया। कमर बिस्तर के किनारे पर था और पाऊं नीचे जमीन पर और कमर के ऊपर का हिस्सा बिस्तर पर पेट के बल लेटा। आर्य ने पलक के कमर के नीचे तकिया लगाया। उसके पाऊं के बीच में आकर अपने लिंग को योनि की दीवार पर धीरे-धीरे घिसने लगा। योनि से लिंग का स्पर्श होते ही फिर से दोनो के शरीर में उत्तेजना की तरंगे लहर उठी। पलक अपने कमर हल्का–हल्का इधर-उधर हिलाने लगी। आर्य पूर्ण जोश में था और लिंग को योनि में धीरे-धीरे डालने लगा। संकड़ी योनि धीरे-धीरे सुपाड़े के साइज में फैलने लगी। पलक की पूरी श्वांस अटक गई। दिमाग बिल्कुल सुन्न था और मादकता के बीच हल्का दर्द का अनुभव होने लगा।


धीरे-धीरे लिंग योनि के अंदर दस्तक देने लगा। पलक की मदाक आहहह हल्की दर्द की सिसकियां में बदलने लगी… पलक अपने कमर तक हाथ लाकर थपथपाने लगी और किसी तरह दर्द बर्दाश्त किये, आर्य को रुकने का इशारा करने लगी। पलक का हाथ कमर से ही टिका रहा। आर्य रुककर आगे झुका और उसके स्तन को अपने दोनो हाथ से थामकर उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर चूमते हुये एक जोरदार धक्का मरा। योनि को किसी ने चिर दिया हो जैसे, पूरा लिंग वैसे ही योनि को चीरते हुये अंदर समा गया।


मुंह की दर्द भरी चींख चुम्बन के नीचे घुट गयि। दर्द से आंखों में आंसू छलक आये। पलक बिन जल मछली की तरह फरफरा गयि। दर्द ना काबिले बर्दास्त था और आवाज़ किस्स में ही अटकि रही। पलक गहरी श्वांस लेती अपने हाथ अपने कमर के इर्द गिर्द चलाती रही लेकिन कोई फायदा नहीं। आर्य अपना लिंग योनि में डाले पलक के होंठ लगातार चूम रहा था और उसके स्तन को अपने हाथो के बीच लिए निप्पल को धीरे-धीरे रगड़ रहा था।


आहिस्ते–आहिस्ते पलक की दर्द और बेचैनी भी शांत होने लगी। योनि के अंदर किसी गरम रॉड की तरह बिल्कुल टाईट फसे लिंग का एहसास उसे जलाने लगा। और धीरे-धीरे उसने खुद को ढीला छोड़ दी। पहले से कई गुना ज्यादा मादक एहसास मेहसूस करते अब दोनो ही पागल हुये जा रहे थे। पलक का कमर फिर से मचलने लगा और आर्य भी होंठ चूमना बंद करके अपने हाथ पलक की छाती से हटाया और दोनो हाथ चूतड़ पर डालकर सीधा खड़ा हुआ। दोनो चूतड़ को पंजे में दबोचकर मसलते हुए धक्के देने लगा।


कसे योनि के अंदर हर धक्का पलक को हल्के दर्द के साथ अजीब सी मादकता दे जाती। तकिए के नीचे से बस... ईशशशशशश, उफ्फफफ, आह्हहहहहहह, ओहहहहहहहहह, आह्हहहह, उफफफफफ, ईशशशशशश... लंबी लंबी सिसकारियों कि आवाज़ आ रही थी।


लगतार तेज धक्कों से चूतड़ थिरक रही थी और दोनो के बदन में मस्ती का करंट दौड़ रहा था। इसी बीच दोनो तेज-तेज आवाज करते "आह आह" करने लगे। मन के अंदर मस्ती चरम पर थी। मज़ा फुट कर निकलने को बेताब था। एक बार फिर पलक का बदन अकड़ गया। इसी बीच आर्य में अपना लिंग पुरा बाहर निकाल लिया और हिलाते हुए अपना वीर्य पलक के चूतड़ पर गिराकर वहीं निढल लेट गया। पलक कुछ देर चरमोत्कर्ष को अनुभव करती वैसी ही लेती रही फिर उठकर बाथरूम में घुस गयि।


जल्दी से वो स्नान करके खुद को फ्रेश की। नीचे हल्का हलका दर्द का अनुभव हो रहा था और जब भी ध्यान योनि के दर्द पर जाता, दिल में गुदगुदी सी होने लगती। पलक तौलिया लपेट कर बाथरूम से बाहर निकली। लाइट जलाकर एक बार सोये हुये आर्य को देखी। बिल्कुल सफेद बदन और करवट लेते कमर के नीचे का हिस्सा देखकर ही पलक को कुछ-कुछ होने लगा। वो तेजी से अपने सारे कपड़े समेटी और भागकर बाथरूम में आ गयि।


पलक कपड़े भी पहन रही थी और दिमाग में आर्य के बदन की तस्वीर भी बन रही थी। पलक अपने ऊपर कपड़े डालकर वापस बिस्तर में आयी। अपने हाथ से उसके बदन को टटोलती हुई हाथ उसके चेहरे तक ले गयि। अपने पूरे पंजे उसके चेहरे पर फिराति, होंठ से होंठ को स्पर्श करके सो गई।


सुबह जब पलक की आंख खुली तब आर्यमणि बिस्तर में नहीं था और पीछे का दरवाजा खुला हुआ था। पलक मुस्कुराती हुई लंबी और मीठी अंगड़ाई ली और बिस्तर को देखने लगी। उठकर वो फ्रेश होने से पहले सभी कपड़ों के साथ बेडशीट भी धुलने के लिए मोड़कर रख दी। इधर पलक के जागने से कुछ ही समय पहले ही आर्यमणि भी जाग चुका था। वो पड़ोस का कैंपस कूदकर घर के अंदर ना जाकर सीधा दरवाजे पर गया, तभी निशांत के पिता राकेश उसे पीछे से आवाज देते… "चलो आज तुम्हारे साथ ही जॉगिंग करता हूं।"..


आर्यमणि:- चलिए..

राकेश:- सुना है आज कल काफी जलवे है तुम्हारे..

आर्यमणि, राकेश के ठीक सामने आते… "आप सीधा कहिए ना क्या कहना चाहते हैं?"..

राकेश:- तुम मुझसे हर वक्त चिढ़े क्यों रहते हो?

राजदीप:- मॉर्निंग मौसा जी, मॉर्निंग आर्य..

आर्यमणि:- मॉर्निंग भईया, पलक नहीं आती क्या जॉगिंग के लिये।

राजदीप:- वो रोज सुबह ट्रेनिंग के लिये जाती है। फिर लौटकर तैयार होकर कॉलेज। यदि सुबह उससे मिलना हो तो तुम भी चले जाया करो ट्रेनिंग करने।

राकेश:- आर्य तो ट्रेनिंग मास्टर है राजदीप, इसे भला ट्रेनिंग की क्या जरूरत।


आर्यमणि:- आप जाया कीजिए अंकल, मैं आईजी होता तो कबका अनफिट घोषित कर दिया होता। आज तक समझ में नहीं आया बिना एक भी केस सॉल्व किये परमोशन कैसे मिल जाती है।


राकेश:- कुछ लोगों के पिता तमाम उम्र एक ही पोस्ट पर रह जाते है इसलिए उन्हें दूसरों की तरक्की फर्जी लगती है।


आर्यमणि:- कुछ लोग सिविल सर्विस में रहकर अपना तोंद निकाल लेते है और पैसे खिला-खिला कर या पैरवी से तरक्की ले लेते है। विशेष सेवा का मेडल भी लगता है उनके लिए सपना ही होगा। जानते है भईया, मेरे पापा को 2 बार टॉप आईएएस का अवॉर्ड मिला। 3 बार विदेशी एंबेसी भी मिल रही थी, लेकिन पापा नहीं गये।


राकेश:- दूसरो के काम को अपने नाम करके ऐसा कारनामा कोई भी कर सकता है।


आर्यमणि:- उसके लिए भी अक्ल लगती है। कुर्सी पर बैठकर सोने और पेट बाहर निकाल लेने से कुछ नहीं होता।


राजदीप:- तुम दोनो बक्श दो मुझे। मासी (निशांत की मां निलजना) मुझे अक्सर ऐसे तीखी बहस के बारे में बताया करती थी, आज ये सब दिखाने का शुक्रिया.. मै चला, दोनो अपना सफर जारी रखो।


आर्यमणि:- ये क्या पलक है जो चेहरा देखकर दौड़ता रहूं। बाय अंकल और थोड़ा कंजूसी कम करके निशांत को भी मेरी तरह एक स्पोर्ट बाइक दिलवा दो।


राकेश:- तू मेरे घर मत आया कर। सुकून से था कुछ साल जब तू नहीं आया करता था।


आर्यमणि:- आऊंगा अब तो रोज आऊंगा। कम से कम एक हफ्ते तक तो जरूर।
Awesome updates🎉👍 bhai

Jo bolo aap mujhe lekin mai bolunga aaj ka update thoda chota lga.
भाग:–50




सुबह के वक्त…. प्रहरी हेडक्वार्टर


राउंड टेबल मीटिंग लगी थी। प्रहरी सीक्रेट बॉडी के सदस्य वहां बैठे हुये थे। पलक अपनी ट्रेनिंग समाप्त करने के उपरांत उन लोगों के सामने खड़ी थी। शायद किसी अहम विषय पर चर्चा थी इसलिए सभी सुबह–सुबह जमा हुये थे। सभा में उपस्थित लोगों में जयदेव, देवगिरी पाठक, तेजस, उज्जवल और सुकेश था।


जयदेव:– पलक, आर्यमणि के ऊपर एक्शन होने में अब से कुछ ही दिन रह गये है। ऐसा क्या खास था जो हम सबको सुबह–सुबह बुला ली।


पलक:– "आप लोगों ने मुझे एक लड़के के पीछे लगाया। उसके पास क्या ताकत है? वह नागपुर में आते ही प्रहरी के हर राज का कैसे पता चलने लगा? क्या उसके दादा ने हमारे विषय में कुछ बताया था, जो वह आते ही इतना अंदर घुस गया कि प्रहरी सीक्रेट बॉडी के राज से बस कुछ कदम दूर ही था? या फिर उसे भूमि ने सब कुछ बताया? मुख्यत: 2 बिंदुओं पर जोड़ दिया गया था... आर्यमणि के पास कैसी ताकत है और क्या वह सीक्रेट बॉडी ग्रुप के बारे में जानता है?"

"जबसे वह नागपुर आया है, मैं आर्य के साथ उसके तीनों करीबी, चित्रा, निशांत और भूमि के करीब रही हूं। परिवार, प्यार और दोस्ती शायद यही उसके ताकत का सोर्स है। बचपन में जब उसने किसी वेयरवॉल्फ को मारा था, तब भी वह किसी के प्यार में था। एक लड़की जिसका नाम मैत्री था। मैत्री लोपचे उस पूरे घटना की ताकत थी। अपने प्यार पर अत्याचार होते देख उसे अंदर से जुनून पैदा हो गया और अपने अंदर उसने इतनी ताकत समेट ली की फिर कोई वुल्फ उसका मुकाबला नहीं कर सका।"

"हम जितनी भी बार आर्य और वुल्फ के बीच की भिड़ंत देखते है, तब पायेंगे की आर्य पूरे जुनून से लड़ा था। और यही जुनून उसकी ताकत बन गयि थी। एक ऐसी ताकत जो अब बीस्ट वुल्फ को भी चुनौती दे दे। आर्य के साथ जब मैं पहली बार रीछ स्त्री के अनुष्ठान तक पहुंची थी, तब मुझे एक बात बहुत ही अजीब लगी, वह जमीन के अंदर हाथ डालकर पता लगा रहा था, तब उसका बदन नीला पड़ गया था। इसका साफ मतलब था की वर्घराज कुलकर्णी ने अवश्य कोई शुद्ध ज्ञान आर्य में निहित किया है, जो मंत्र का असर उसके शरीर पर नही होने देता। इसी का नतीजा था उसका शरीर नीला होना। अब चूंकि तंत्र–मंत्र और इसके प्रभाव सीक्रेट बॉडी प्रहरी से जुड़े नही है, इसलिए हमें इसकी चिंता नहीं होनी चाहिए और न ही जो भी तंत्र–मंत्र की कोई शक्ति उसके अंदर है, उसका आर्य की क्षमता से कोई लेना देना। क्योंकि यदि ऐसा होता तब आर्य ने रीछ स्त्री को जरूर देखा होता। उसे किसी भी तरह की सिद्धि का प्रयोग करना नही आता, लेकिन इस बात से इंकार भी नही किया जा सकता के उसका शरीर खुद व खुद मंत्रों को काट लेता है।"

"सतपुरा में जो भी हुआ उसकी भी मैं पूरी समीक्षा कर सकती हूं। भूमि अपने घर पर थी। उसके सारे करीबी शिकारी और आर्य सतपुरा में। रीछ स्त्री और तांत्रिक से हम जिस रात मिलते उस रात पूरे क्षेत्र को मंत्रो से ऐसा बंधा की हम किसी से संपर्क नही कर पाये। यहां पर मैं पहला केस लेती हूं, आप लोगों के अनुसार ही... आर्यमणि ही वह सिद्ध पुरुष था जिसने पूरे क्षेत्र को बंधा था। तो भी यह कहीं दूर–दूर तक साबित नही होता की आर्य सीक्रेट प्रहरी को जनता है। इसके पीछे का आसन कारण है, वह जानता था कि प्रहरी से अच्छा सुपरनेचुरल को कोई पकड़ नही सकता इसलिए रीछ स्त्री के मामले में उसने शुरू से हमारी मदद ली है।


जयदेव बीच में ही रोकते... "और वो नित्या ने जब उसे मारने की कोशिश की थी"..


पलक चौंकती हुई अपनी बड़ी सी आंखें दिखाती.… "क्या आर्य को मारने की कोशिश"..


उज्जवल:– मारने से मतलब है कि आर्य पर नित्या ने हमला किया था और वह असफल रही। जबकि नित्या के हथियार बिना किसी सजीव को घायल किये शांत ही नही हो सकते .


पलक:– बाबा मुझे यहां पर साजिश की बु आ रही है। क्या वाकई इतनी बात थी...


सुकेश:– क्या करूं मैं तुम्हारे जज़्बात का पलक। हम जानते हैं कि तुम उसे चाहती हो, फिर हम उसे तब तक नही मार सकते जब तक उसमे तुम्हारी मर्जी न हो। और तुम्हे क्या लगता है, यदि उसे मारने का ही इरादा होता तो वो हमसे बच सकता था...


पलक:– माफ कीजिए, थोड़ी इमोशनल हो गयि थी। खैर जयदेव की बातों पर ही मैं आती हूं। आर्य, नित्या के हमले से कैसे बचा? जैसा कि पहला थ्योरी यह था कि आर्य एक सिद्ध पुरुष है, जो की वह कभी हो भी नहीं सकता उसका कारण भी नित्या का हमला ही है। कोई तो पर्दे के पीछे खड़ा था जिसने आर्य के कंधे पर बंदूक रखकर पूरा कांड कर गया। उसी ने आर्य को भी अपने सिद्धि से बचाया ताकि हमारा ध्यान आर्य पर ही केंद्रित हो और कोई भी भूमि पर शक नही करेगा। क्योंकि यदि भूमि किसी सिद्ध पुरुष के साथ काम करती तब वह अपने एक भी आदमी को मरने नही देती। इसका साफ मतलब है कि किसी और को भी रीछ स्त्री के बारे में मालूम था जो परदे के पीछे रह कर पूरा खेल रच गया।"

"मेरी समीक्षा यही कहती है, आर्य एक सामान्य लड़का है, जिसके पास अपनी खुद की क्षमता इतनी विकसित हो चुकी है कि वह वुल्फ को भी घायल कर सकता है। नागपुर आने से पहले वह जहां भी था, वहां उसे रोचक तथ्य की किताब मिली और उसी किताब की जिज्ञासा ने उसे रीछ स्त्री तक पहुंचा दिया। अनंत कीर्ति भी उसकी जिज्ञासा का ही हिस्सा है। जहां एक ओर वह पूरी जी जान से उसे खोलना तो चाहता है लेकिन दूसरी ओर हमे कभी जाहिर नही होने देता। उसकी इस भावना का सम्मान करते हुए मैं ही आगे आ गयि। मतलब तो किताब खोलने से है।"

"एक मनमौजी लड़का रीछ स्त्री को ढूंढने नागपुर पहुंचा। जब वह यहां पहुंचा तो जाहिर सी बात है उसे भी प्रहरी में उतना ही करप्शन दिखा, जितना हम बाहर को दिखाते आये है, 2 खेमा.. एक अच्छा एक बुरा। बस वहीं उसे पता चला की सरदार खान एक दरिंदा है, जिसे खुद प्रहरी सह दे रहे। अब चूंकि किसी ने आज तक सरदार खान को शेप शिफ्ट किये देखा नही वरना आर्य की तरह वह भी प्रहरी को ऐसी नजरों से देखता मानो वह दरिंदे पाल रहे। लेकिन आर्य ने जिस प्रहरी को देखा है वह बुरे प्रहरी है, जिसका पता भूमि भी लगा रही थी।

बस कुछ ही दिन रह गये है। आर्य अपनी पूरी कोशिश और ज्ञान उस किताब को खोलने में लगा रहा है। उसके बाद किताब आपका। किताब खुलते ही, मैं खुद बुरे प्रहरी पर बिजली बनकर गिरूंगी ताकि मेरे प्यार को यकीन हो जाए की मैने बुरा खेमा को लगभग खत्म कर दिया, जैसे मैंने पहले मीटिंग में किया और आप लोगों ने साथ दिया। आर्य बस एक मनमौजी है जिसे सीक्रेट बॉडी के बारे में पता तो क्या उसे दूर–दूर तक इसके बारे में भनक तक नही। जब एक ताकतवर इंसान, जिसे गर्भ में ही किसी प्रकार का शुद्ध ज्ञान दिया गया था, उसे मारने से बेहतर होगा जिंदा रखना और अपने मतलब के लिए इस्तमाल करना। इसी बहाने जिस प्यार के नाटक ने मुझे आर्य के इतने करीब ला दिया, वह प्यार कभी मुझसे दूर न जाये। किताब खुलने के बाद आर्य पर आप लोग एक ही एक्शन लेंगे और वो है मुझसे विवाह करवाना। क्या सभी सहमत है?


पलक की भावना को सबने मुस्कुराकर स्वागत किया। पलक अपनी पूरी समीक्षा देकर वहां से निकल गयि। पलक एक ट्रेनी थी जिसे सीक्रेट बॉडी में कुछ वक्त बाद सामिल किया जाता। चूंकि वह ट्रेनी थी इसलिए उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था की सरदार खान आर्यमणि जान लेने आया था। यदि उस द्वंद में आर्यमणि मारा जाता तब पलक से कह दिया जाता वुल्फ पैक की दुश्मनी, सीक्रेट बॉडी का कोई रोल नहीं। रीछ स्त्री के बारे में चर्चा आम करने की वजह से सीक्रेट बॉडी पहले से ही खुन्नस खाये थे। लेकिन उसके बाद जब जादुई खंजर से दूर करने का भी शक आर्यमणि पर गया, तब तो बौखलाहट में आर्यमणि को 2 बार मारने की कोशिश कर गये। और जब नही मार पाये तब अपनी ही एक ट्रेनी (पलक) से झूठ बोल दिया, "कि हम बस हमला करवा रहे थे, ताकि सबको लगे की सभी पर हमला हुआ है।"..


खैर पलक तो चली गयि। पलक ने जो भी कहा उसपर न यकीन करने जैसा कुछ नही था। सबको यकीन हो गया की आर्यमणि ने जो भी किया वह मात्र एक संयोग था। लेकिन फिर भी सीक्रेट बॉडी पहले से मन बना चुकी थी, वर्धराज का पोता भले कुछ जानता हो या नही, लेकिन उसे जिंदा नही छोड़ सकते। पलक कहां जायेगी, उसे हम समझा लेंगे।


दिन के वक़्त कैंटीन में सब जमा थे। पलक आर्यमणि से नजरे नहीं मिला पा रही थी। इसी बीच चित्रा पलक से पूछ दी… "आज शाम फिर से वही प्रोग्राम रखे क्या? आज पलक को भी ले चलते है। क्यों पलक?"


पलक:- कहां जाना है?


माधव:- शाम के वक़्त बियर की बॉटल के साथ पहाड़ की ऊंचाई पर मज़े से 4 घूंट पीते, दोस्तो के बीच शाम एन्जॉय करने। लेकिन हां सिर्फ दोस्त होंगे, लवर नहीं कोई..


निशांत, उसे ठोकते… "मेरी बहन इतनी डेयरिंग करके तुम्हे लवर मानी है और तू सिर्फ दोस्त कह रहा है। चित्रा ब्रेकअप मार साले को। किसी और को ढूंढ़ना।"..


पलक:- अपनी तरह मत बनाओ उसे निशांत।..


"क्या मै यहां बैठ जाऊं"… क्लास का एक लड़का पूछते हुए..


आर्यमणि:- आराम से बैठ जाओ। मेरे दोस्त निशांत का दिल इतनी लड़कियों ने तोड़ा हैं कि वो अब कोई और सहारा देख रहा।


जैसे ही उस लड़के ने ये बात सुनी, निशांत का चेहरा घूरते… "मुझे लड़का पसंद है।"..


सबकी कॉफी की कप हाथ में और चुस्की होंटों से, और हंसी में एक दूसरे के ऊपर कॉफी की कुछ फुहार बरसा चुके थे। "भाग.. भाग साला यहां से, वरना इतने जूते मारूंगा की सर के बाल गायब हो जाएंगे।"


लड़का:- मेरा नाम श्रवण है, पलक का मै क्लोज मित्र। और सॉरी दोस्त…. तुम्हारे दोस्त ने मुझसे मज़ाक किया और मैंने तुमसे। मुझे तुम में वैसे भी कोई इंट्रेस्ट नहीं, मै तो यहां पलक से मिलने आया था।

पलक:- दोस्तो ये है श्रवण… और श्रवण ये है..


श्रावण:- हां जनता हूं, तुम्हारा होने वाला पति है जो फिलहाल तुम्हारा बॉयफ्रेंड बाना है। आह्हहह !! पलक दिल में छेद हो गया था जब मैंने यह सुना। एक मौका मुझे भी देती।


आर्यमणि:- जा ले ले मौका मेरा भाई। तुम भी क्या याद करोगे।


पलक, आर्यमणि को घूरती… "सॉरी वो मज़ाक कर रहा है। तुम सीरियसली मत लो इसके मज़ाक को।"..


तभी निशांत अपने मोबाइल का स्क्रीन खोलकर कॉन्टैक्ट लिस्ट सामने रखते.. "श्रवण मेरे लिस्ट में तकरीबन 600 कॉन्टैक्ट है जिसमें से 500 मेरे और आर्य के कॉमन कॉन्टैक्ट होंगे"….


माधव:- और बाकी के 100 नंबर..


चित्रा:- 100 में से कुछ लड़कियों के नंबर अपने दोस्तो से भीख मांग-मांग कर जुगाड़े थे। जिनपर एक बार कॉल लगाने के बाद, ऐसा उधर से थुक परी की दोबारा कॉल नहीं कर पाया। कुछ नंबर पर शुरू से हिम्मत नहीं हुई कॉल करने की। और कुछ लड़कियां अपने घर का काम करवाना चाहती थी इसलिए वो इसे कॉल करती हैं। हां लेकिन इसका नंबर कभी नहीं उठाती। और 2-4 नंबर ऐसे होंगे जिसे हाथ पाऊं जोड़कर निशांत ने किसी तरह अपनी गर्लफ्रेंड तो बनाया लेकिन रिश्ता ज्यादा देर टिक नहीं पाया।


"चटाक" की एक जोरदार थप्पड़… "कमिने हो पूरे तुम निशांत, मैं तो यहां तुमसे माफी मांगने आयी थी, लेकिन तुम डिजर्व नहीं करते।".... निशांत की एक्स गर्लफ्रेंड पहुंची थी और चित्रा को सुनकर उसे एक थप्पड़ चिपका दी।


चित्रा भी उसे एक जोरदार थप्पड़ लगाती… "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी हाथ उठाने की। वो किस बात के लिए डिजर्व नहीं करता है। मैंने थोड़ा सा मज़ाक क्या कर लिया तुम तो मेरे भाई का कैरेक्टर ही तय करने लग गई.… डिजर्व नहीं करता। क्या करते दिख गया था वो तुम्हे। एक साल से ऊपर साथ रही थी, क्या देखा तुमने ऐसा बताओ हां। जबतक तुम्हारे साथ था, तुम्हारा होकर रहा। बता दो एक टाइम में 2 को मेंटेन कर रहा हो तो। और इससे आगे मैं नहीं बोलूंगी वरना जिस वक्त तुम खुद को निशांत की गर्लफ्रेंड बताती थी, तुम्हारे उस वक्त के किस्से हम सब को पता है। हर कोई अपनी लाइफ जीने के लिए स्वतंत्र है, तुम जियो लेकिन आइंदा मेरे भाई कंचरेक्टर उछाली ना। फिल्म देखकर आ रही है, सबके बीच थप्पड़ मारेगी.. चल भाग यहां से.…


पूरी भड़ास निकालने के बाद वापस से चित्रा के आवेश को जब निशांत और आर्यमणि ने देखा। दोनो उसका मुंह बंद करके दबोच लिए। कुछ देर बाद दोनो ने उसे जैसे ही छोड़ा... "पकड़ क्यों लिए, गलती हो गई केवल एक थप्पड़ लगाई। हिम्मत देखो, मैं बैठी थी और मेरे भाई को थप्पड़ मारेगी। आर्य पकड़ के ला उसको 2-4 थप्पड़ मारना है।


आर्यमणि, चित्रा को डांटते, "चुप... पानी पी"… चित्रा भी उसे घुरी। आर्यमणि टेबल पर पंजा मारते... "पीयो पानी और शांत"… चित्रा छोटा सा मुंह बनाती चुप चाप पानी पी और धीमे से "सॉरी" कह दी।


श्रावण:- नाइस स्पीच चित्रा, काफी खतरनाक हो। वैसे वो मोबाइल और कॉन्टैक्ट लिस्ट वाली बात तो रह ही गई। मुझे निशांत 500 कॉमन कॉन्टैक्ट के बारे में कुछ बता रहा था…


चित्रा:- कहने का उसका साफ मतलब है, किसी को भी कॉल लगा लगाकर बोलो, आर्य ने तुम्हारे साथ मजाक किया। सब यही कहेगा आर्य और मज़ाक, संभव नहीं। और जब ये कहोगे की मै उससे पहले बार मिला रहा था। तब वो सामने से कहेगा क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई। इसलिए एक कोशिश तो पलक के साथ कर ही लो, क्या पता तुम्हारी किस्मत मे हो।


माधव:- हाहाहाहा… ई सही है, इसी तेवर के साथ जब चित्रा अपनी सास के साथ बात करेगी तो लोग कहेंगे, बहू टक्कर की आयी है।


छोटी मोटी नोक झोंक के बीच महफिल सजी रही। पलक उन सब से अलविदा लेकर अपने दोस्त श्रवण के साथ घूमने निकल गई। आज शाम आर्य वापस से सभी दोस्तो के साथ उसी जगह पर था। एक और हसीन शाम आगे बढ़ता हुआ। फिर से एक और हसीन रात दोस्तो के साथ, और ढलते रात के साथ फिर से आर्यमणि पलक के दरवाजे पर।


पलक आज रात जाग रही थी। जैसे ही आर्यमणि अंदर आया पलक मिन्नते करती हुई कहने लगी… "प्लीज, आज कुछ मत करना। हल्का-हल्का दर्द हो रहा है। ऊपर से चाल को सही तरह से मैनेज करने के कारण, कुछ ज्यादा ही तकलीफ हो गयि।"..


आर्यमणि हंसते हुए उसके खींचकर गले से लगाया और उसके होंठ चूमकर बिस्तर पर लेट गया। पलक भी उसके साथ लेट गयी। दोनो एक दूसरे को बाहों में लिए सुकून से सोते रहे।


अगले दिन फिर से कॉलेज की वहीं महफिल थी। कॉलेज खत्म करके पलक सीधा अपने फैमिली को ज्वाइन कर ली और शादी की शॉपिंग में व्यस्त हो गई। तीसरी शाम फिर से आर्यमणि की अपने दोस्तो के नाम और रात पलक के बाहों में। आज दर्द तो नहीं था लेकिन काम की थकावट से कुछ करने का मूड नहीं बना। लेकिन आर्यमणि भी अगली रात का निमंत्रण दे आया। सोने से पहले कहते हुए सोया, 2 रात तुम्हारी सुन ली।


अगली रात चढ़ते ही पलक के अरमान भी चढ़ने लगे। रह-रह कर पहली रात की झलक याद आती रही और उसे दीवाना बनाती रही। आज रात आर्य कुछ जल्दी पहुंचा। आते ही दोनो होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। चुमते हुए आर्य ने अपना दोनो हाथ पीछे ले जाकर उसके पैंटी के अन्दर डाल दिया और उसके दोनो चूतड़ को हाथ से दबोच कर मालिश करने लगा।


दीवानगी का वही आलम था। काम पूरा चरम पर आज रात भी थोड़ी सी झिझक बाकी थी इसलिए उत्तेजना में हाथ लिंग को मुट्ठी में दबोचने का कर तो रहा था ,लेकिन झिझक के मारे छु नहीं पा रही थी।


नंगे बदन पर, खासकर उसके स्तन पर जब आर्य के मजबूत हाथ मेहसूस होते पलक की मस्ती अपनी ऊंचाइयों पर होती। आज भी लिंग का वहीं कसाव योनि में मेहसूस हो रहा था, किन्तु आज दर्द कम और मस्ती ज्यादा थी।


शुक्रवार का दिन था, पलक और आर्यमणि एक पंडित से मिले मिलकर सही मूहरत का पता किये। मूहरत पता करने के बाद आर्यमणि आज से ही काम शुरू करता। शायद एक छोटी सी बात आर्यमणि के दिमाग से रह गई। पूर्णिमा के दिन ही राजदीप और नम्रता की शादी नाशिक में थी। इस दिन पुरा नागपुर प्रहरी शादी मे होता और पूर्णिमा यानी वेयरवुल्फ के चरम कुरुरता की रात। कुछ लोगो की काफी लंबी प्लांनिंग थी उस रात को लेकर। जिसकी भनक किसी को नहीं थी। शायद स्वामी, प्रहरी समुदाय के दिल यानी नागपुर में उस रात कुछ तो इतना बड़ा करने वाला था कि नागपुर इकाई और यहां के बड़े-बड़े नाम का दबदबा मिट्टी मे मिल जाता।
Awesome updates🎉👍
 

Death Kiñg

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Wo isiliye Kiya tha taki nishchal usse prabhavit hokar usse apne team me le le..
Nishchal waha se bhi nikal hi jata kaise na karke...
Aur ye aarya hai to ek wolf hi na Jo Banda aadirishi janawaro ko chir faad deta hai ,jiske piravaj Jo bas sigma the wo mahajanika ko bhagane par majaboor Kar sakte hai wo sardhaktiman viggo ko aarya bas impress Kar rha tha...kyoki usse pata tha ki ek viggo kitna powerful hota hai , to usne uss viggo ko impress Karne ki koshish ki....aur kuchh nhi tha...
Batao nain11ster bhai itna pyaar koyi kar sakta hai aapke kisi story character se..? :?:
 

B2.

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भाग:–50




सुबह के वक्त…. प्रहरी हेडक्वार्टर


राउंड टेबल मीटिंग लगी थी। प्रहरी सीक्रेट बॉडी के सदस्य वहां बैठे हुये थे। पलक अपनी ट्रेनिंग समाप्त करने के उपरांत उन लोगों के सामने खड़ी थी। शायद किसी अहम विषय पर चर्चा थी इसलिए सभी सुबह–सुबह जमा हुये थे। सभा में उपस्थित लोगों में जयदेव, देवगिरी पाठक, तेजस, उज्जवल और सुकेश था।


जयदेव:– पलक, आर्यमणि के ऊपर एक्शन होने में अब से कुछ ही दिन रह गये है। ऐसा क्या खास था जो हम सबको सुबह–सुबह बुला ली।


पलक:– "आप लोगों ने मुझे एक लड़के के पीछे लगाया। उसके पास क्या ताकत है? वह नागपुर में आते ही प्रहरी के हर राज का कैसे पता चलने लगा? क्या उसके दादा ने हमारे विषय में कुछ बताया था, जो वह आते ही इतना अंदर घुस गया कि प्रहरी सीक्रेट बॉडी के राज से बस कुछ कदम दूर ही था? या फिर उसे भूमि ने सब कुछ बताया? मुख्यत: 2 बिंदुओं पर जोड़ दिया गया था... आर्यमणि के पास कैसी ताकत है और क्या वह सीक्रेट बॉडी ग्रुप के बारे में जानता है?"

"जबसे वह नागपुर आया है, मैं आर्य के साथ उसके तीनों करीबी, चित्रा, निशांत और भूमि के करीब रही हूं। परिवार, प्यार और दोस्ती शायद यही उसके ताकत का सोर्स है। बचपन में जब उसने किसी वेयरवॉल्फ को मारा था, तब भी वह किसी के प्यार में था। एक लड़की जिसका नाम मैत्री था। मैत्री लोपचे उस पूरे घटना की ताकत थी। अपने प्यार पर अत्याचार होते देख उसे अंदर से जुनून पैदा हो गया और अपने अंदर उसने इतनी ताकत समेट ली की फिर कोई वुल्फ उसका मुकाबला नहीं कर सका।"

"हम जितनी भी बार आर्य और वुल्फ के बीच की भिड़ंत देखते है, तब पायेंगे की आर्य पूरे जुनून से लड़ा था। और यही जुनून उसकी ताकत बन गयि थी। एक ऐसी ताकत जो अब बीस्ट वुल्फ को भी चुनौती दे दे। आर्य के साथ जब मैं पहली बार रीछ स्त्री के अनुष्ठान तक पहुंची थी, तब मुझे एक बात बहुत ही अजीब लगी, वह जमीन के अंदर हाथ डालकर पता लगा रहा था, तब उसका बदन नीला पड़ गया था। इसका साफ मतलब था की वर्घराज कुलकर्णी ने अवश्य कोई शुद्ध ज्ञान आर्य में निहित किया है, जो मंत्र का असर उसके शरीर पर नही होने देता। इसी का नतीजा था उसका शरीर नीला होना। अब चूंकि तंत्र–मंत्र और इसके प्रभाव सीक्रेट बॉडी प्रहरी से जुड़े नही है, इसलिए हमें इसकी चिंता नहीं होनी चाहिए और न ही जो भी तंत्र–मंत्र की कोई शक्ति उसके अंदर है, उसका आर्य की क्षमता से कोई लेना देना। क्योंकि यदि ऐसा होता तब आर्य ने रीछ स्त्री को जरूर देखा होता। उसे किसी भी तरह की सिद्धि का प्रयोग करना नही आता, लेकिन इस बात से इंकार भी नही किया जा सकता के उसका शरीर खुद व खुद मंत्रों को काट लेता है।"

"सतपुरा में जो भी हुआ उसकी भी मैं पूरी समीक्षा कर सकती हूं। भूमि अपने घर पर थी। उसके सारे करीबी शिकारी और आर्य सतपुरा में। रीछ स्त्री और तांत्रिक से हम जिस रात मिलते उस रात पूरे क्षेत्र को मंत्रो से ऐसा बंधा की हम किसी से संपर्क नही कर पाये। यहां पर मैं पहला केस लेती हूं, आप लोगों के अनुसार ही... आर्यमणि ही वह सिद्ध पुरुष था जिसने पूरे क्षेत्र को बंधा था। तो भी यह कहीं दूर–दूर तक साबित नही होता की आर्य सीक्रेट प्रहरी को जनता है। इसके पीछे का आसन कारण है, वह जानता था कि प्रहरी से अच्छा सुपरनेचुरल को कोई पकड़ नही सकता इसलिए रीछ स्त्री के मामले में उसने शुरू से हमारी मदद ली है।


जयदेव बीच में ही रोकते... "और वो नित्या ने जब उसे मारने की कोशिश की थी"..


पलक चौंकती हुई अपनी बड़ी सी आंखें दिखाती.… "क्या आर्य को मारने की कोशिश"..


उज्जवल:– मारने से मतलब है कि आर्य पर नित्या ने हमला किया था और वह असफल रही। जबकि नित्या के हथियार बिना किसी सजीव को घायल किये शांत ही नही हो सकते .


पलक:– बाबा मुझे यहां पर साजिश की बु आ रही है। क्या वाकई इतनी बात थी...


सुकेश:– क्या करूं मैं तुम्हारे जज़्बात का पलक। हम जानते हैं कि तुम उसे चाहती हो, फिर हम उसे तब तक नही मार सकते जब तक उसमे तुम्हारी मर्जी न हो। और तुम्हे क्या लगता है, यदि उसे मारने का ही इरादा होता तो वो हमसे बच सकता था...


पलक:– माफ कीजिए, थोड़ी इमोशनल हो गयि थी। खैर जयदेव की बातों पर ही मैं आती हूं। आर्य, नित्या के हमले से कैसे बचा? जैसा कि पहला थ्योरी यह था कि आर्य एक सिद्ध पुरुष है, जो की वह कभी हो भी नहीं सकता उसका कारण भी नित्या का हमला ही है। कोई तो पर्दे के पीछे खड़ा था जिसने आर्य के कंधे पर बंदूक रखकर पूरा कांड कर गया। उसी ने आर्य को भी अपने सिद्धि से बचाया ताकि हमारा ध्यान आर्य पर ही केंद्रित हो और कोई भी भूमि पर शक नही करेगा। क्योंकि यदि भूमि किसी सिद्ध पुरुष के साथ काम करती तब वह अपने एक भी आदमी को मरने नही देती। इसका साफ मतलब है कि किसी और को भी रीछ स्त्री के बारे में मालूम था जो परदे के पीछे रह कर पूरा खेल रच गया।"

"मेरी समीक्षा यही कहती है, आर्य एक सामान्य लड़का है, जिसके पास अपनी खुद की क्षमता इतनी विकसित हो चुकी है कि वह वुल्फ को भी घायल कर सकता है। नागपुर आने से पहले वह जहां भी था, वहां उसे रोचक तथ्य की किताब मिली और उसी किताब की जिज्ञासा ने उसे रीछ स्त्री तक पहुंचा दिया। अनंत कीर्ति भी उसकी जिज्ञासा का ही हिस्सा है। जहां एक ओर वह पूरी जी जान से उसे खोलना तो चाहता है लेकिन दूसरी ओर हमे कभी जाहिर नही होने देता। उसकी इस भावना का सम्मान करते हुए मैं ही आगे आ गयि। मतलब तो किताब खोलने से है।"

"एक मनमौजी लड़का रीछ स्त्री को ढूंढने नागपुर पहुंचा। जब वह यहां पहुंचा तो जाहिर सी बात है उसे भी प्रहरी में उतना ही करप्शन दिखा, जितना हम बाहर को दिखाते आये है, 2 खेमा.. एक अच्छा एक बुरा। बस वहीं उसे पता चला की सरदार खान एक दरिंदा है, जिसे खुद प्रहरी सह दे रहे। अब चूंकि किसी ने आज तक सरदार खान को शेप शिफ्ट किये देखा नही वरना आर्य की तरह वह भी प्रहरी को ऐसी नजरों से देखता मानो वह दरिंदे पाल रहे। लेकिन आर्य ने जिस प्रहरी को देखा है वह बुरे प्रहरी है, जिसका पता भूमि भी लगा रही थी।

बस कुछ ही दिन रह गये है। आर्य अपनी पूरी कोशिश और ज्ञान उस किताब को खोलने में लगा रहा है। उसके बाद किताब आपका। किताब खुलते ही, मैं खुद बुरे प्रहरी पर बिजली बनकर गिरूंगी ताकि मेरे प्यार को यकीन हो जाए की मैने बुरा खेमा को लगभग खत्म कर दिया, जैसे मैंने पहले मीटिंग में किया और आप लोगों ने साथ दिया। आर्य बस एक मनमौजी है जिसे सीक्रेट बॉडी के बारे में पता तो क्या उसे दूर–दूर तक इसके बारे में भनक तक नही। जब एक ताकतवर इंसान, जिसे गर्भ में ही किसी प्रकार का शुद्ध ज्ञान दिया गया था, उसे मारने से बेहतर होगा जिंदा रखना और अपने मतलब के लिए इस्तमाल करना। इसी बहाने जिस प्यार के नाटक ने मुझे आर्य के इतने करीब ला दिया, वह प्यार कभी मुझसे दूर न जाये। किताब खुलने के बाद आर्य पर आप लोग एक ही एक्शन लेंगे और वो है मुझसे विवाह करवाना। क्या सभी सहमत है?


पलक की भावना को सबने मुस्कुराकर स्वागत किया। पलक अपनी पूरी समीक्षा देकर वहां से निकल गयि। पलक एक ट्रेनी थी जिसे सीक्रेट बॉडी में कुछ वक्त बाद सामिल किया जाता। चूंकि वह ट्रेनी थी इसलिए उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था की सरदार खान आर्यमणि जान लेने आया था। यदि उस द्वंद में आर्यमणि मारा जाता तब पलक से कह दिया जाता वुल्फ पैक की दुश्मनी, सीक्रेट बॉडी का कोई रोल नहीं। रीछ स्त्री के बारे में चर्चा आम करने की वजह से सीक्रेट बॉडी पहले से ही खुन्नस खाये थे। लेकिन उसके बाद जब जादुई खंजर से दूर करने का भी शक आर्यमणि पर गया, तब तो बौखलाहट में आर्यमणि को 2 बार मारने की कोशिश कर गये। और जब नही मार पाये तब अपनी ही एक ट्रेनी (पलक) से झूठ बोल दिया, "कि हम बस हमला करवा रहे थे, ताकि सबको लगे की सभी पर हमला हुआ है।"..


खैर पलक तो चली गयि। पलक ने जो भी कहा उसपर न यकीन करने जैसा कुछ नही था। सबको यकीन हो गया की आर्यमणि ने जो भी किया वह मात्र एक संयोग था। लेकिन फिर भी सीक्रेट बॉडी पहले से मन बना चुकी थी, वर्धराज का पोता भले कुछ जानता हो या नही, लेकिन उसे जिंदा नही छोड़ सकते। पलक कहां जायेगी, उसे हम समझा लेंगे।


दिन के वक़्त कैंटीन में सब जमा थे। पलक आर्यमणि से नजरे नहीं मिला पा रही थी। इसी बीच चित्रा पलक से पूछ दी… "आज शाम फिर से वही प्रोग्राम रखे क्या? आज पलक को भी ले चलते है। क्यों पलक?"


पलक:- कहां जाना है?


माधव:- शाम के वक़्त बियर की बॉटल के साथ पहाड़ की ऊंचाई पर मज़े से 4 घूंट पीते, दोस्तो के बीच शाम एन्जॉय करने। लेकिन हां सिर्फ दोस्त होंगे, लवर नहीं कोई..


निशांत, उसे ठोकते… "मेरी बहन इतनी डेयरिंग करके तुम्हे लवर मानी है और तू सिर्फ दोस्त कह रहा है। चित्रा ब्रेकअप मार साले को। किसी और को ढूंढ़ना।"..


पलक:- अपनी तरह मत बनाओ उसे निशांत।..


"क्या मै यहां बैठ जाऊं"… क्लास का एक लड़का पूछते हुए..


आर्यमणि:- आराम से बैठ जाओ। मेरे दोस्त निशांत का दिल इतनी लड़कियों ने तोड़ा हैं कि वो अब कोई और सहारा देख रहा।


जैसे ही उस लड़के ने ये बात सुनी, निशांत का चेहरा घूरते… "मुझे लड़का पसंद है।"..


सबकी कॉफी की कप हाथ में और चुस्की होंटों से, और हंसी में एक दूसरे के ऊपर कॉफी की कुछ फुहार बरसा चुके थे। "भाग.. भाग साला यहां से, वरना इतने जूते मारूंगा की सर के बाल गायब हो जाएंगे।"


लड़का:- मेरा नाम श्रवण है, पलक का मै क्लोज मित्र। और सॉरी दोस्त…. तुम्हारे दोस्त ने मुझसे मज़ाक किया और मैंने तुमसे। मुझे तुम में वैसे भी कोई इंट्रेस्ट नहीं, मै तो यहां पलक से मिलने आया था।

पलक:- दोस्तो ये है श्रवण… और श्रवण ये है..


श्रावण:- हां जनता हूं, तुम्हारा होने वाला पति है जो फिलहाल तुम्हारा बॉयफ्रेंड बाना है। आह्हहह !! पलक दिल में छेद हो गया था जब मैंने यह सुना। एक मौका मुझे भी देती।


आर्यमणि:- जा ले ले मौका मेरा भाई। तुम भी क्या याद करोगे।


पलक, आर्यमणि को घूरती… "सॉरी वो मज़ाक कर रहा है। तुम सीरियसली मत लो इसके मज़ाक को।"..


तभी निशांत अपने मोबाइल का स्क्रीन खोलकर कॉन्टैक्ट लिस्ट सामने रखते.. "श्रवण मेरे लिस्ट में तकरीबन 600 कॉन्टैक्ट है जिसमें से 500 मेरे और आर्य के कॉमन कॉन्टैक्ट होंगे"….


माधव:- और बाकी के 100 नंबर..


चित्रा:- 100 में से कुछ लड़कियों के नंबर अपने दोस्तो से भीख मांग-मांग कर जुगाड़े थे। जिनपर एक बार कॉल लगाने के बाद, ऐसा उधर से थुक परी की दोबारा कॉल नहीं कर पाया। कुछ नंबर पर शुरू से हिम्मत नहीं हुई कॉल करने की। और कुछ लड़कियां अपने घर का काम करवाना चाहती थी इसलिए वो इसे कॉल करती हैं। हां लेकिन इसका नंबर कभी नहीं उठाती। और 2-4 नंबर ऐसे होंगे जिसे हाथ पाऊं जोड़कर निशांत ने किसी तरह अपनी गर्लफ्रेंड तो बनाया लेकिन रिश्ता ज्यादा देर टिक नहीं पाया।


"चटाक" की एक जोरदार थप्पड़… "कमिने हो पूरे तुम निशांत, मैं तो यहां तुमसे माफी मांगने आयी थी, लेकिन तुम डिजर्व नहीं करते।".... निशांत की एक्स गर्लफ्रेंड पहुंची थी और चित्रा को सुनकर उसे एक थप्पड़ चिपका दी।


चित्रा भी उसे एक जोरदार थप्पड़ लगाती… "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी हाथ उठाने की। वो किस बात के लिए डिजर्व नहीं करता है। मैंने थोड़ा सा मज़ाक क्या कर लिया तुम तो मेरे भाई का कैरेक्टर ही तय करने लग गई.… डिजर्व नहीं करता। क्या करते दिख गया था वो तुम्हे। एक साल से ऊपर साथ रही थी, क्या देखा तुमने ऐसा बताओ हां। जबतक तुम्हारे साथ था, तुम्हारा होकर रहा। बता दो एक टाइम में 2 को मेंटेन कर रहा हो तो। और इससे आगे मैं नहीं बोलूंगी वरना जिस वक्त तुम खुद को निशांत की गर्लफ्रेंड बताती थी, तुम्हारे उस वक्त के किस्से हम सब को पता है। हर कोई अपनी लाइफ जीने के लिए स्वतंत्र है, तुम जियो लेकिन आइंदा मेरे भाई कंचरेक्टर उछाली ना। फिल्म देखकर आ रही है, सबके बीच थप्पड़ मारेगी.. चल भाग यहां से.…


पूरी भड़ास निकालने के बाद वापस से चित्रा के आवेश को जब निशांत और आर्यमणि ने देखा। दोनो उसका मुंह बंद करके दबोच लिए। कुछ देर बाद दोनो ने उसे जैसे ही छोड़ा... "पकड़ क्यों लिए, गलती हो गई केवल एक थप्पड़ लगाई। हिम्मत देखो, मैं बैठी थी और मेरे भाई को थप्पड़ मारेगी। आर्य पकड़ के ला उसको 2-4 थप्पड़ मारना है।


आर्यमणि, चित्रा को डांटते, "चुप... पानी पी"… चित्रा भी उसे घुरी। आर्यमणि टेबल पर पंजा मारते... "पीयो पानी और शांत"… चित्रा छोटा सा मुंह बनाती चुप चाप पानी पी और धीमे से "सॉरी" कह दी।


श्रावण:- नाइस स्पीच चित्रा, काफी खतरनाक हो। वैसे वो मोबाइल और कॉन्टैक्ट लिस्ट वाली बात तो रह ही गई। मुझे निशांत 500 कॉमन कॉन्टैक्ट के बारे में कुछ बता रहा था…


चित्रा:- कहने का उसका साफ मतलब है, किसी को भी कॉल लगा लगाकर बोलो, आर्य ने तुम्हारे साथ मजाक किया। सब यही कहेगा आर्य और मज़ाक, संभव नहीं। और जब ये कहोगे की मै उससे पहले बार मिला रहा था। तब वो सामने से कहेगा क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई। इसलिए एक कोशिश तो पलक के साथ कर ही लो, क्या पता तुम्हारी किस्मत मे हो।


माधव:- हाहाहाहा… ई सही है, इसी तेवर के साथ जब चित्रा अपनी सास के साथ बात करेगी तो लोग कहेंगे, बहू टक्कर की आयी है।


छोटी मोटी नोक झोंक के बीच महफिल सजी रही। पलक उन सब से अलविदा लेकर अपने दोस्त श्रवण के साथ घूमने निकल गई। आज शाम आर्य वापस से सभी दोस्तो के साथ उसी जगह पर था। एक और हसीन शाम आगे बढ़ता हुआ। फिर से एक और हसीन रात दोस्तो के साथ, और ढलते रात के साथ फिर से आर्यमणि पलक के दरवाजे पर।


पलक आज रात जाग रही थी। जैसे ही आर्यमणि अंदर आया पलक मिन्नते करती हुई कहने लगी… "प्लीज, आज कुछ मत करना। हल्का-हल्का दर्द हो रहा है। ऊपर से चाल को सही तरह से मैनेज करने के कारण, कुछ ज्यादा ही तकलीफ हो गयि।"..


आर्यमणि हंसते हुए उसके खींचकर गले से लगाया और उसके होंठ चूमकर बिस्तर पर लेट गया। पलक भी उसके साथ लेट गयी। दोनो एक दूसरे को बाहों में लिए सुकून से सोते रहे।


अगले दिन फिर से कॉलेज की वहीं महफिल थी। कॉलेज खत्म करके पलक सीधा अपने फैमिली को ज्वाइन कर ली और शादी की शॉपिंग में व्यस्त हो गई। तीसरी शाम फिर से आर्यमणि की अपने दोस्तो के नाम और रात पलक के बाहों में। आज दर्द तो नहीं था लेकिन काम की थकावट से कुछ करने का मूड नहीं बना। लेकिन आर्यमणि भी अगली रात का निमंत्रण दे आया। सोने से पहले कहते हुए सोया, 2 रात तुम्हारी सुन ली।


अगली रात चढ़ते ही पलक के अरमान भी चढ़ने लगे। रह-रह कर पहली रात की झलक याद आती रही और उसे दीवाना बनाती रही। आज रात आर्य कुछ जल्दी पहुंचा। आते ही दोनो होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। चुमते हुए आर्य ने अपना दोनो हाथ पीछे ले जाकर उसके पैंटी के अन्दर डाल दिया और उसके दोनो चूतड़ को हाथ से दबोच कर मालिश करने लगा।


दीवानगी का वही आलम था। काम पूरा चरम पर आज रात भी थोड़ी सी झिझक बाकी थी इसलिए उत्तेजना में हाथ लिंग को मुट्ठी में दबोचने का कर तो रहा था ,लेकिन झिझक के मारे छु नहीं पा रही थी।


नंगे बदन पर, खासकर उसके स्तन पर जब आर्य के मजबूत हाथ मेहसूस होते पलक की मस्ती अपनी ऊंचाइयों पर होती। आज भी लिंग का वहीं कसाव योनि में मेहसूस हो रहा था, किन्तु आज दर्द कम और मस्ती ज्यादा थी।


शुक्रवार का दिन था, पलक और आर्यमणि एक पंडित से मिले मिलकर सही मूहरत का पता किये। मूहरत पता करने के बाद आर्यमणि आज से ही काम शुरू करता। शायद एक छोटी सी बात आर्यमणि के दिमाग से रह गई। पूर्णिमा के दिन ही राजदीप और नम्रता की शादी नाशिक में थी। इस दिन पुरा नागपुर प्रहरी शादी मे होता और पूर्णिमा यानी वेयरवुल्फ के चरम कुरुरता की रात। कुछ लोगो की काफी लंबी प्लांनिंग थी उस रात को लेकर। जिसकी भनक किसी को नहीं थी। शायद स्वामी, प्रहरी समुदाय के दिल यानी नागपुर में उस रात कुछ तो इतना बड़ा करने वाला था कि नागपुर इकाई और यहां के बड़े-बड़े नाम का दबदबा मिट्टी मे मिल जाता।
Awesome update Bhai ❤️🎉
 

Xabhi

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भाग:–49






पलक पीछला दरवाजा खोली और आर्यमणि कमरे के अंदर। आते ही वो बिस्तर पर बैठ गया। … "अब ऐसे तो नहीं करो। पार्टी में बहुत थकी गयि थी, आंख लग गयि। आये हो तो कम से कम बात तो करो।"..


आर्यमणि:- कल किसी अच्छे पंडित के पास पहुंचना है, ये तो याद रहेगा ना।


पलक:- भैया और दीदी को बुरा नहीं लगेगा, हम उनसे पहले शादी करेंगे तो।


आर्यमणि:- वेरी फनी….


पलक अपने कदम आगे बढ़ाकर आर्यमणि के ऊपर आयी और नाक से नाक फीराते हुए… "आर्य रूठता भी है, मै आज पहली बार देख रही हूं।"..


आर्यमणि, पलक को बिस्तर पर पलट कर उसके ऊपर आते… "पलक किसी को मानती भी है, पहली बार देख रहा हूं"


पलक, आर्यमणि के गर्दन में हाथ डालकर उसके होंठ अपने होंठ तक लाती…. "बहुत कुछ पलक पहली बार करेगी, क्योंकि उसे आर्य के लिए करना अच्छा लगता है।"..


दोनो की नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। आर्यमणि होंठ को चुमते हुये अपने धड़कन काउंट को पूरा काबू में करना सीख चुका था। कामुकता तो हावी होती थी लेकिन अब शेप शिफ्ट नहीं होता था।


दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमते जा रहे थे और बदन पर दोनो के हाथ जैसे रेंग रहे हो। …. "आर्य, यहीं रुक जाते है। आगे मुझसे कंट्रोल नहीं होगा।".. पलक अपने कामुकता पर किसी तरह काबू पाती हुई कहने लगी। आर्यमणि अपने हाथ उसके अर्द्ध विकसित कड़क सुडौल स्तन पर ले जाकर धीमे से दबाते हुये… "तो कंट्रोल करने कौन कह रहा है।"… "आहह्ह्ह्ह" की हल्की पीड़ा और मादक में लिप्त सिसकी पलक के मुंह से निकल गयि। पलक, आर्यमणि है के बाल को अपने हाथो से भींचती आखें बंद कर ली।


आर्यमणि, पलक के गाउन को धीरे से कंधों के नीचे खिसकाने लगा। पलक झिझक में अपने हाथ कांधे पर रखती… "आर्य, अजीब लग रहा है, प्लीज लाइट आफ करने दो।".. आर्यमणि, पलक के ऊपर से हट गया। वह लाइट बंद करके वापस बिस्तर पर आकर लेट गयि। आगे का सोचकर उसकी दिल की धड़कने काफी तेज बढ़ी हुयि थी। बढ़ी धड़कनों के साथ ऊपर नीचे होती छाती को आर्यमणि अपनी आखों से साफ देख सकता था। काफी मादक लग रहा था।


आर्यमणि ने पलक की उल्टा लिटा दिया और पीछे से चैन को खोलकर नीचे सरकते हुए, उसके पीठ पर किस्स करने लगा। पलक दबी सी आवाज में हर छोड़ती और खींचती श्वांस में पूर्ण मादकता से "ईशशशशशशशशश… आह्हहहहहहहहहहहहहह… कर रही थी। उसका पूरा बदन जैसे कांप रहा हो और मादक सिहरन नश-नश में दौड़ रही थी। पहली बार अपने बदन पर मर्दाना स्पर्श उसके मादकता को धधकती आग की तरह भड़का रही थी। पलक झिझक और मस्ती के बीच ऐसी फसी थी कि कब उसके शरीर से गाउन नीचे गया उसे पता नहीं चला। ब्रा के स्ट्रिप खुल चुके थे और पीठ पर गीला–गिला एहसास ने मादक भ्रम से थोड़ा जागृत किया, तब पता चला कि गाउन शरीर से उतर चुका है और ब्रा के स्ट्रिप दोनो ओर से खुले हुये है।


आर्यमणि उसके कमर के दोनों ओर पाऊं किये, अपने जीभ पलक के पीठ पर चलाते हुये, अपने हाथ नीचे ले गया और पलक को थोड़ा सा ऊपर उठा कर, उसके ब्रा को निकालने की कोशिश करने लगा। पलक भी लगभग अपना संयम खो चुकी थी। वो छाती से ब्रा को निकलते हुये देख रही थी और अपनी योनि में चींटियों के रेंगने जैसा मेहसूस कर रही थी। जिसकी गवाह पीछे से हिल रहे उसके कमर और धीमे से थिरकते उसके चूतड़ दे रहे थे। उत्तेजना पलक पर पूरी तरह से हावी होने लगी थी। वो अपने पाऊं लगातार बिस्तर से घिस रही थी। मुठ्ठी में चादर को भींचती और मुठ्ठी खोल देती...


आर्यमणि ब्रा को निकालकर अपने दोनो हाथ नीचे ले गया और उसके स्तन को अपने पूरे हथेली के बीच रखकर, निप्पल को अपने अंगूठे में फसाकर मसलने लगा। छोटे-छोटे ठोस स्तन को हाथ में लेने का अनुभव भी काफी रोमांचित था। आर्यमणि की धड़कने फिर से बेकाबू हो गयि। पलक के बदन का मादक स्पर्श अब उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था। वो अपने जीभ को उसके कान के पास फिरते गीला करते चला गया।


पलक हाथ का दबाव अपने स्तन पर मेहसूस करती अपना पूरा मुंह खोलकर फेफड़े में श्वांस को भरने लगी। आर्यमणि अपने दोनो हाथ से स्तनों पर थोड़ा और दवाब बनाया.. "आहहहहहह… ईईईईई, आउच.. थोड़ा धीमे.. आर्य, दूखता है... उफ्फफफफ, आर्य प्लीज.. मर गई... ओहहहहहहहह… आह्हहहहहह"


एसी 16⁰ डिग्री पर थी और दोनो का बदन पसीने में चमक रहा था। पलक अपना मुंह तकिये के नीचे दबाकर अपनी दर्द भरी उत्तेजक आवाज को दबा रही थी, लेकिन आर्यमणि, पलक के स्तन को मसलना धीमे नहीं किया। आर्यमणि पूर्ण उत्तेजना मे था। वो स्तनों को लगातार मसलते हुये, अपना जीभ पलक के चेहरे से लेकर, पीठ पर लगातार चला रहा था।


पूर्ण काम उत्तेजना ऐसी थी कि आर्यमणि थोड़ा ऊपर होकर तेजी से अपना लोअर और टी-शर्ट उतार कर पुरा नंगा हो चुका था। पूर्ण खड़ा लिंग उसके उत्तेजना की गवाही दे रहा था। इस बीच आर्य की कोई हरकत ना पाकर, पलक अपनी उखड़ी श्वांस और उत्तेजना को काबू करने लगी। परंतु कुछ पल का ही विराम मिला उसके बाद तो दिल की धड़कने पहले से ज्यादा बेकाबू हो गया। बदन सिहर गया और रौंगटे खड़े हो गये। झिझक के कारण स्वतः ही हाथ कमर के दोनों किनारे पर चले गये और पैंटी को कमर के नीचे जाने से रोकने की नाकाम कोशिश होने लगी। तेज श्वांस की रफ्तार और अचानक उत्पन्न हुई आने वाले पल को सोचकर बदन की उत्तेजना ने पलक को वो ताकत ही नहीं दी की पलक पेंटी को नीचे जाने से थोड़ा भी रोक पाती। बस किसी तरह से होंठ से इतना ही निकला, "मेरा पहली बार है।"…


पलक अपने दोनो पाऊं के बीच सबकुछ छिपा तो सकती थी लेकिन उल्टे लेटे के कारन सबकुछ जैसे आर्य के पाले में था और पलक बस बढ़ी धड़कनों के साथ मज़ा और झिझक के बीच सब कुछ होता मेहसूस कर रही थी। तेज मादक श्वांस की आवाज दोनो सुन सकते थे। लेकिन दिमाग की उत्तेजना कुछ सुनने और समझें दे तो ना। आर्यमणि अपने हाथ दरारो के बीच जैसे ही डाला उसका लिंग अपने आप हल्का–हल्का वाइब्रेशन मोड पर चला गया। आर्यमणि भी थोड़ा सा सिहर गया। वहीं पलक का ये पहला अनुभव जान ले रहा था। हाथ चूतड़ के बीच दरार से होते हुए जैसे ही योनि के शुरवात के कुछ नीचे गये, "ईशशशशशशशशश..… उफ्फफफफफ… आह्हहह..… आर्ययययययययय"… की तेज सिसकारी काफी रोकने के बाद भी पलक के मुंह से निकलने लगी। वह पूरी तरह से छटपटाने लगी। बदहवास श्वांसे और कामों–उत्तेजना की गर्मी अब तो योनि के अंदर कुछ जलजला की ही मांग कर रही थी जो योनि के तूफान को शांत कर दे।


तकिये के नीचे से दबी मादक सिसकारी लगातार निकल रही थी। चूतड़ बिल्कुल टाईट हो गये, पाऊं अकड़ गये और तीन–चार बार कमर हिलने के बाद पलक पहली बार पूर्ण चरमोत्कर्ष के बहाव को योनि से निकालकर बिल्कुल ढीली पड़ गयि। पलक गहरी श्वांस अपने अंदर खींच रही थी। कुछ बोल पाये, इतनी हिम्मत नहीं थी। बस उल्टी लेटी आर्यमणि का हाथ अपने योनि पर मेहसूस कर रही थी। उसकी उंगली योनि के लिप को कुरेदते हुये अंदर एक इंच तक घुसा था। आर्यमणि जब अपनी उंगली ऊपर नीचे करता, पलक सीने में गुदगुदा एहसास होता और पूरा बदन मचल रहा होता।


इसी बीच आर्य एक बार फिर उपर आया इस बार जैसे ही अपने होंठ पलक के होंठ से मिलाया पलक मस्ती में अपना पूरा जीभ, आर्य के मुंह के अंदर डालकर चूसने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ को चूमते जा रहे थे। आर्य वापस से स्तन को दबोचकर कभी पलक के मुंह से दर्द भरी आवाज निकालने पर मजबूर कर रहा था, तो कभी उसे चैन कि स्वांस देता। लेकिन हर आवाज़ किस्स के अंदर ही दम तोड़ रही थी।


आर्य चूमना बंद करके साइड से एक तकिया उठा लिया। पलक के पाऊं को खींचकर बिस्तर के किनारे तक लाया। कमर बिस्तर के किनारे पर था और पाऊं नीचे जमीन पर और कमर के ऊपर का हिस्सा बिस्तर पर पेट के बल लेटा। आर्य ने पलक के कमर के नीचे तकिया लगाया। उसके पाऊं के बीच में आकर अपने लिंग को योनि की दीवार पर धीरे-धीरे घिसने लगा। योनि से लिंग का स्पर्श होते ही फिर से दोनो के शरीर में उत्तेजना की तरंगे लहर उठी। पलक अपने कमर हल्का–हल्का इधर-उधर हिलाने लगी। आर्य पूर्ण जोश में था और लिंग को योनि में धीरे-धीरे डालने लगा। संकड़ी योनि धीरे-धीरे सुपाड़े के साइज में फैलने लगी। पलक की पूरी श्वांस अटक गई। दिमाग बिल्कुल सुन्न था और मादकता के बीच हल्का दर्द का अनुभव होने लगा।


धीरे-धीरे लिंग योनि के अंदर दस्तक देने लगा। पलक की मदाक आहहह हल्की दर्द की सिसकियां में बदलने लगी… पलक अपने कमर तक हाथ लाकर थपथपाने लगी और किसी तरह दर्द बर्दाश्त किये, आर्य को रुकने का इशारा करने लगी। पलक का हाथ कमर से ही टिका रहा। आर्य रुककर आगे झुका और उसके स्तन को अपने दोनो हाथ से थामकर उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर चूमते हुये एक जोरदार धक्का मरा। योनि को किसी ने चिर दिया हो जैसे, पूरा लिंग वैसे ही योनि को चीरते हुये अंदर समा गया।


मुंह की दर्द भरी चींख चुम्बन के नीचे घुट गयि। दर्द से आंखों में आंसू छलक आये। पलक बिन जल मछली की तरह फरफरा गयि। दर्द ना काबिले बर्दास्त था और आवाज़ किस्स में ही अटकि रही। पलक गहरी श्वांस लेती अपने हाथ अपने कमर के इर्द गिर्द चलाती रही लेकिन कोई फायदा नहीं। आर्य अपना लिंग योनि में डाले पलक के होंठ लगातार चूम रहा था और उसके स्तन को अपने हाथो के बीच लिए निप्पल को धीरे-धीरे रगड़ रहा था।


आहिस्ते–आहिस्ते पलक की दर्द और बेचैनी भी शांत होने लगी। योनि के अंदर किसी गरम रॉड की तरह बिल्कुल टाईट फसे लिंग का एहसास उसे जलाने लगा। और धीरे-धीरे उसने खुद को ढीला छोड़ दी। पहले से कई गुना ज्यादा मादक एहसास मेहसूस करते अब दोनो ही पागल हुये जा रहे थे। पलक का कमर फिर से मचलने लगा और आर्य भी होंठ चूमना बंद करके अपने हाथ पलक की छाती से हटाया और दोनो हाथ चूतड़ पर डालकर सीधा खड़ा हुआ। दोनो चूतड़ को पंजे में दबोचकर मसलते हुए धक्के देने लगा।


कसे योनि के अंदर हर धक्का पलक को हल्के दर्द के साथ अजीब सी मादकता दे जाती। तकिए के नीचे से बस... ईशशशशशश, उफ्फफफ, आह्हहहहहहह, ओहहहहहहहहह, आह्हहहह, उफफफफफ, ईशशशशशश... लंबी लंबी सिसकारियों कि आवाज़ आ रही थी।


लगतार तेज धक्कों से चूतड़ थिरक रही थी और दोनो के बदन में मस्ती का करंट दौड़ रहा था। इसी बीच दोनो तेज-तेज आवाज करते "आह आह" करने लगे। मन के अंदर मस्ती चरम पर थी। मज़ा फुट कर निकलने को बेताब था। एक बार फिर पलक का बदन अकड़ गया। इसी बीच आर्य में अपना लिंग पुरा बाहर निकाल लिया और हिलाते हुए अपना वीर्य पलक के चूतड़ पर गिराकर वहीं निढल लेट गया। पलक कुछ देर चरमोत्कर्ष को अनुभव करती वैसी ही लेती रही फिर उठकर बाथरूम में घुस गयि।


जल्दी से वो स्नान करके खुद को फ्रेश की। नीचे हल्का हलका दर्द का अनुभव हो रहा था और जब भी ध्यान योनि के दर्द पर जाता, दिल में गुदगुदी सी होने लगती। पलक तौलिया लपेट कर बाथरूम से बाहर निकली। लाइट जलाकर एक बार सोये हुये आर्य को देखी। बिल्कुल सफेद बदन और करवट लेते कमर के नीचे का हिस्सा देखकर ही पलक को कुछ-कुछ होने लगा। वो तेजी से अपने सारे कपड़े समेटी और भागकर बाथरूम में आ गयि।


पलक कपड़े भी पहन रही थी और दिमाग में आर्य के बदन की तस्वीर भी बन रही थी। पलक अपने ऊपर कपड़े डालकर वापस बिस्तर में आयी। अपने हाथ से उसके बदन को टटोलती हुई हाथ उसके चेहरे तक ले गयि। अपने पूरे पंजे उसके चेहरे पर फिराति, होंठ से होंठ को स्पर्श करके सो गई।


सुबह जब पलक की आंख खुली तब आर्यमणि बिस्तर में नहीं था और पीछे का दरवाजा खुला हुआ था। पलक मुस्कुराती हुई लंबी और मीठी अंगड़ाई ली और बिस्तर को देखने लगी। उठकर वो फ्रेश होने से पहले सभी कपड़ों के साथ बेडशीट भी धुलने के लिए मोड़कर रख दी। इधर पलक के जागने से कुछ ही समय पहले ही आर्यमणि भी जाग चुका था। वो पड़ोस का कैंपस कूदकर घर के अंदर ना जाकर सीधा दरवाजे पर गया, तभी निशांत के पिता राकेश उसे पीछे से आवाज देते… "चलो आज तुम्हारे साथ ही जॉगिंग करता हूं।"..


आर्यमणि:- चलिए..

राकेश:- सुना है आज कल काफी जलवे है तुम्हारे..

आर्यमणि, राकेश के ठीक सामने आते… "आप सीधा कहिए ना क्या कहना चाहते हैं?"..

राकेश:- तुम मुझसे हर वक्त चिढ़े क्यों रहते हो?

राजदीप:- मॉर्निंग मौसा जी, मॉर्निंग आर्य..

आर्यमणि:- मॉर्निंग भईया, पलक नहीं आती क्या जॉगिंग के लिये।

राजदीप:- वो रोज सुबह ट्रेनिंग के लिये जाती है। फिर लौटकर तैयार होकर कॉलेज। यदि सुबह उससे मिलना हो तो तुम भी चले जाया करो ट्रेनिंग करने।

राकेश:- आर्य तो ट्रेनिंग मास्टर है राजदीप, इसे भला ट्रेनिंग की क्या जरूरत।


आर्यमणि:- आप जाया कीजिए अंकल, मैं आईजी होता तो कबका अनफिट घोषित कर दिया होता। आज तक समझ में नहीं आया बिना एक भी केस सॉल्व किये परमोशन कैसे मिल जाती है।


राकेश:- कुछ लोगों के पिता तमाम उम्र एक ही पोस्ट पर रह जाते है इसलिए उन्हें दूसरों की तरक्की फर्जी लगती है।


आर्यमणि:- कुछ लोग सिविल सर्विस में रहकर अपना तोंद निकाल लेते है और पैसे खिला-खिला कर या पैरवी से तरक्की ले लेते है। विशेष सेवा का मेडल भी लगता है उनके लिए सपना ही होगा। जानते है भईया, मेरे पापा को 2 बार टॉप आईएएस का अवॉर्ड मिला। 3 बार विदेशी एंबेसी भी मिल रही थी, लेकिन पापा नहीं गये।


राकेश:- दूसरो के काम को अपने नाम करके ऐसा कारनामा कोई भी कर सकता है।


आर्यमणि:- उसके लिए भी अक्ल लगती है। कुर्सी पर बैठकर सोने और पेट बाहर निकाल लेने से कुछ नहीं होता।


राजदीप:- तुम दोनो बक्श दो मुझे। मासी (निशांत की मां निलजना) मुझे अक्सर ऐसे तीखी बहस के बारे में बताया करती थी, आज ये सब दिखाने का शुक्रिया.. मै चला, दोनो अपना सफर जारी रखो।


आर्यमणि:- ये क्या पलक है जो चेहरा देखकर दौड़ता रहूं। बाय अंकल और थोड़ा कंजूसी कम करके निशांत को भी मेरी तरह एक स्पोर्ट बाइक दिलवा दो।


राकेश:- तू मेरे घर मत आया कर। सुकून से था कुछ साल जब तू नहीं आया करता था।


आर्यमणि:- आऊंगा अब तो रोज आऊंगा। कम से कम एक हफ्ते तक तो जरूर।
Ha ha ha ha ha ha jabarjast update bhai maza aa gaya last ki bahash sunke waiting for next update
 

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भाग:–50




सुबह के वक्त…. प्रहरी हेडक्वार्टर


राउंड टेबल मीटिंग लगी थी। प्रहरी सीक्रेट बॉडी के सदस्य वहां बैठे हुये थे। पलक अपनी ट्रेनिंग समाप्त करने के उपरांत उन लोगों के सामने खड़ी थी। शायद किसी अहम विषय पर चर्चा थी इसलिए सभी सुबह–सुबह जमा हुये थे। सभा में उपस्थित लोगों में जयदेव, देवगिरी पाठक, तेजस, उज्जवल और सुकेश था।


जयदेव:– पलक, आर्यमणि के ऊपर एक्शन होने में अब से कुछ ही दिन रह गये है। ऐसा क्या खास था जो हम सबको सुबह–सुबह बुला ली।


पलक:– "आप लोगों ने मुझे एक लड़के के पीछे लगाया। उसके पास क्या ताकत है? वह नागपुर में आते ही प्रहरी के हर राज का कैसे पता चलने लगा? क्या उसके दादा ने हमारे विषय में कुछ बताया था, जो वह आते ही इतना अंदर घुस गया कि प्रहरी सीक्रेट बॉडी के राज से बस कुछ कदम दूर ही था? या फिर उसे भूमि ने सब कुछ बताया? मुख्यत: 2 बिंदुओं पर जोड़ दिया गया था... आर्यमणि के पास कैसी ताकत है और क्या वह सीक्रेट बॉडी ग्रुप के बारे में जानता है?"

"जबसे वह नागपुर आया है, मैं आर्य के साथ उसके तीनों करीबी, चित्रा, निशांत और भूमि के करीब रही हूं। परिवार, प्यार और दोस्ती शायद यही उसके ताकत का सोर्स है। बचपन में जब उसने किसी वेयरवॉल्फ को मारा था, तब भी वह किसी के प्यार में था। एक लड़की जिसका नाम मैत्री था। मैत्री लोपचे उस पूरे घटना की ताकत थी। अपने प्यार पर अत्याचार होते देख उसे अंदर से जुनून पैदा हो गया और अपने अंदर उसने इतनी ताकत समेट ली की फिर कोई वुल्फ उसका मुकाबला नहीं कर सका।"

"हम जितनी भी बार आर्य और वुल्फ के बीच की भिड़ंत देखते है, तब पायेंगे की आर्य पूरे जुनून से लड़ा था। और यही जुनून उसकी ताकत बन गयि थी। एक ऐसी ताकत जो अब बीस्ट वुल्फ को भी चुनौती दे दे। आर्य के साथ जब मैं पहली बार रीछ स्त्री के अनुष्ठान तक पहुंची थी, तब मुझे एक बात बहुत ही अजीब लगी, वह जमीन के अंदर हाथ डालकर पता लगा रहा था, तब उसका बदन नीला पड़ गया था। इसका साफ मतलब था की वर्घराज कुलकर्णी ने अवश्य कोई शुद्ध ज्ञान आर्य में निहित किया है, जो मंत्र का असर उसके शरीर पर नही होने देता। इसी का नतीजा था उसका शरीर नीला होना। अब चूंकि तंत्र–मंत्र और इसके प्रभाव सीक्रेट बॉडी प्रहरी से जुड़े नही है, इसलिए हमें इसकी चिंता नहीं होनी चाहिए और न ही जो भी तंत्र–मंत्र की कोई शक्ति उसके अंदर है, उसका आर्य की क्षमता से कोई लेना देना। क्योंकि यदि ऐसा होता तब आर्य ने रीछ स्त्री को जरूर देखा होता। उसे किसी भी तरह की सिद्धि का प्रयोग करना नही आता, लेकिन इस बात से इंकार भी नही किया जा सकता के उसका शरीर खुद व खुद मंत्रों को काट लेता है।"

"सतपुरा में जो भी हुआ उसकी भी मैं पूरी समीक्षा कर सकती हूं। भूमि अपने घर पर थी। उसके सारे करीबी शिकारी और आर्य सतपुरा में। रीछ स्त्री और तांत्रिक से हम जिस रात मिलते उस रात पूरे क्षेत्र को मंत्रो से ऐसा बंधा की हम किसी से संपर्क नही कर पाये। यहां पर मैं पहला केस लेती हूं, आप लोगों के अनुसार ही... आर्यमणि ही वह सिद्ध पुरुष था जिसने पूरे क्षेत्र को बंधा था। तो भी यह कहीं दूर–दूर तक साबित नही होता की आर्य सीक्रेट प्रहरी को जनता है। इसके पीछे का आसन कारण है, वह जानता था कि प्रहरी से अच्छा सुपरनेचुरल को कोई पकड़ नही सकता इसलिए रीछ स्त्री के मामले में उसने शुरू से हमारी मदद ली है।


जयदेव बीच में ही रोकते... "और वो नित्या ने जब उसे मारने की कोशिश की थी"..


पलक चौंकती हुई अपनी बड़ी सी आंखें दिखाती.… "क्या आर्य को मारने की कोशिश"..


उज्जवल:– मारने से मतलब है कि आर्य पर नित्या ने हमला किया था और वह असफल रही। जबकि नित्या के हथियार बिना किसी सजीव को घायल किये शांत ही नही हो सकते .


पलक:– बाबा मुझे यहां पर साजिश की बु आ रही है। क्या वाकई इतनी बात थी...


सुकेश:– क्या करूं मैं तुम्हारे जज़्बात का पलक। हम जानते हैं कि तुम उसे चाहती हो, फिर हम उसे तब तक नही मार सकते जब तक उसमे तुम्हारी मर्जी न हो। और तुम्हे क्या लगता है, यदि उसे मारने का ही इरादा होता तो वो हमसे बच सकता था...


पलक:– माफ कीजिए, थोड़ी इमोशनल हो गयि थी। खैर जयदेव की बातों पर ही मैं आती हूं। आर्य, नित्या के हमले से कैसे बचा? जैसा कि पहला थ्योरी यह था कि आर्य एक सिद्ध पुरुष है, जो की वह कभी हो भी नहीं सकता उसका कारण भी नित्या का हमला ही है। कोई तो पर्दे के पीछे खड़ा था जिसने आर्य के कंधे पर बंदूक रखकर पूरा कांड कर गया। उसी ने आर्य को भी अपने सिद्धि से बचाया ताकि हमारा ध्यान आर्य पर ही केंद्रित हो और कोई भी भूमि पर शक नही करेगा। क्योंकि यदि भूमि किसी सिद्ध पुरुष के साथ काम करती तब वह अपने एक भी आदमी को मरने नही देती। इसका साफ मतलब है कि किसी और को भी रीछ स्त्री के बारे में मालूम था जो परदे के पीछे रह कर पूरा खेल रच गया।"

"मेरी समीक्षा यही कहती है, आर्य एक सामान्य लड़का है, जिसके पास अपनी खुद की क्षमता इतनी विकसित हो चुकी है कि वह वुल्फ को भी घायल कर सकता है। नागपुर आने से पहले वह जहां भी था, वहां उसे रोचक तथ्य की किताब मिली और उसी किताब की जिज्ञासा ने उसे रीछ स्त्री तक पहुंचा दिया। अनंत कीर्ति भी उसकी जिज्ञासा का ही हिस्सा है। जहां एक ओर वह पूरी जी जान से उसे खोलना तो चाहता है लेकिन दूसरी ओर हमे कभी जाहिर नही होने देता। उसकी इस भावना का सम्मान करते हुए मैं ही आगे आ गयि। मतलब तो किताब खोलने से है।"

"एक मनमौजी लड़का रीछ स्त्री को ढूंढने नागपुर पहुंचा। जब वह यहां पहुंचा तो जाहिर सी बात है उसे भी प्रहरी में उतना ही करप्शन दिखा, जितना हम बाहर को दिखाते आये है, 2 खेमा.. एक अच्छा एक बुरा। बस वहीं उसे पता चला की सरदार खान एक दरिंदा है, जिसे खुद प्रहरी सह दे रहे। अब चूंकि किसी ने आज तक सरदार खान को शेप शिफ्ट किये देखा नही वरना आर्य की तरह वह भी प्रहरी को ऐसी नजरों से देखता मानो वह दरिंदे पाल रहे। लेकिन आर्य ने जिस प्रहरी को देखा है वह बुरे प्रहरी है, जिसका पता भूमि भी लगा रही थी।

बस कुछ ही दिन रह गये है। आर्य अपनी पूरी कोशिश और ज्ञान उस किताब को खोलने में लगा रहा है। उसके बाद किताब आपका। किताब खुलते ही, मैं खुद बुरे प्रहरी पर बिजली बनकर गिरूंगी ताकि मेरे प्यार को यकीन हो जाए की मैने बुरा खेमा को लगभग खत्म कर दिया, जैसे मैंने पहले मीटिंग में किया और आप लोगों ने साथ दिया। आर्य बस एक मनमौजी है जिसे सीक्रेट बॉडी के बारे में पता तो क्या उसे दूर–दूर तक इसके बारे में भनक तक नही। जब एक ताकतवर इंसान, जिसे गर्भ में ही किसी प्रकार का शुद्ध ज्ञान दिया गया था, उसे मारने से बेहतर होगा जिंदा रखना और अपने मतलब के लिए इस्तमाल करना। इसी बहाने जिस प्यार के नाटक ने मुझे आर्य के इतने करीब ला दिया, वह प्यार कभी मुझसे दूर न जाये। किताब खुलने के बाद आर्य पर आप लोग एक ही एक्शन लेंगे और वो है मुझसे विवाह करवाना। क्या सभी सहमत है?


पलक की भावना को सबने मुस्कुराकर स्वागत किया। पलक अपनी पूरी समीक्षा देकर वहां से निकल गयि। पलक एक ट्रेनी थी जिसे सीक्रेट बॉडी में कुछ वक्त बाद सामिल किया जाता। चूंकि वह ट्रेनी थी इसलिए उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था की सरदार खान आर्यमणि जान लेने आया था। यदि उस द्वंद में आर्यमणि मारा जाता तब पलक से कह दिया जाता वुल्फ पैक की दुश्मनी, सीक्रेट बॉडी का कोई रोल नहीं। रीछ स्त्री के बारे में चर्चा आम करने की वजह से सीक्रेट बॉडी पहले से ही खुन्नस खाये थे। लेकिन उसके बाद जब जादुई खंजर से दूर करने का भी शक आर्यमणि पर गया, तब तो बौखलाहट में आर्यमणि को 2 बार मारने की कोशिश कर गये। और जब नही मार पाये तब अपनी ही एक ट्रेनी (पलक) से झूठ बोल दिया, "कि हम बस हमला करवा रहे थे, ताकि सबको लगे की सभी पर हमला हुआ है।"..


खैर पलक तो चली गयि। पलक ने जो भी कहा उसपर न यकीन करने जैसा कुछ नही था। सबको यकीन हो गया की आर्यमणि ने जो भी किया वह मात्र एक संयोग था। लेकिन फिर भी सीक्रेट बॉडी पहले से मन बना चुकी थी, वर्धराज का पोता भले कुछ जानता हो या नही, लेकिन उसे जिंदा नही छोड़ सकते। पलक कहां जायेगी, उसे हम समझा लेंगे।


दिन के वक़्त कैंटीन में सब जमा थे। पलक आर्यमणि से नजरे नहीं मिला पा रही थी। इसी बीच चित्रा पलक से पूछ दी… "आज शाम फिर से वही प्रोग्राम रखे क्या? आज पलक को भी ले चलते है। क्यों पलक?"


पलक:- कहां जाना है?


माधव:- शाम के वक़्त बियर की बॉटल के साथ पहाड़ की ऊंचाई पर मज़े से 4 घूंट पीते, दोस्तो के बीच शाम एन्जॉय करने। लेकिन हां सिर्फ दोस्त होंगे, लवर नहीं कोई..


निशांत, उसे ठोकते… "मेरी बहन इतनी डेयरिंग करके तुम्हे लवर मानी है और तू सिर्फ दोस्त कह रहा है। चित्रा ब्रेकअप मार साले को। किसी और को ढूंढ़ना।"..


पलक:- अपनी तरह मत बनाओ उसे निशांत।..


"क्या मै यहां बैठ जाऊं"… क्लास का एक लड़का पूछते हुए..


आर्यमणि:- आराम से बैठ जाओ। मेरे दोस्त निशांत का दिल इतनी लड़कियों ने तोड़ा हैं कि वो अब कोई और सहारा देख रहा।


जैसे ही उस लड़के ने ये बात सुनी, निशांत का चेहरा घूरते… "मुझे लड़का पसंद है।"..


सबकी कॉफी की कप हाथ में और चुस्की होंटों से, और हंसी में एक दूसरे के ऊपर कॉफी की कुछ फुहार बरसा चुके थे। "भाग.. भाग साला यहां से, वरना इतने जूते मारूंगा की सर के बाल गायब हो जाएंगे।"


लड़का:- मेरा नाम श्रवण है, पलक का मै क्लोज मित्र। और सॉरी दोस्त…. तुम्हारे दोस्त ने मुझसे मज़ाक किया और मैंने तुमसे। मुझे तुम में वैसे भी कोई इंट्रेस्ट नहीं, मै तो यहां पलक से मिलने आया था।

पलक:- दोस्तो ये है श्रवण… और श्रवण ये है..


श्रावण:- हां जनता हूं, तुम्हारा होने वाला पति है जो फिलहाल तुम्हारा बॉयफ्रेंड बाना है। आह्हहह !! पलक दिल में छेद हो गया था जब मैंने यह सुना। एक मौका मुझे भी देती।


आर्यमणि:- जा ले ले मौका मेरा भाई। तुम भी क्या याद करोगे।


पलक, आर्यमणि को घूरती… "सॉरी वो मज़ाक कर रहा है। तुम सीरियसली मत लो इसके मज़ाक को।"..


तभी निशांत अपने मोबाइल का स्क्रीन खोलकर कॉन्टैक्ट लिस्ट सामने रखते.. "श्रवण मेरे लिस्ट में तकरीबन 600 कॉन्टैक्ट है जिसमें से 500 मेरे और आर्य के कॉमन कॉन्टैक्ट होंगे"….


माधव:- और बाकी के 100 नंबर..


चित्रा:- 100 में से कुछ लड़कियों के नंबर अपने दोस्तो से भीख मांग-मांग कर जुगाड़े थे। जिनपर एक बार कॉल लगाने के बाद, ऐसा उधर से थुक परी की दोबारा कॉल नहीं कर पाया। कुछ नंबर पर शुरू से हिम्मत नहीं हुई कॉल करने की। और कुछ लड़कियां अपने घर का काम करवाना चाहती थी इसलिए वो इसे कॉल करती हैं। हां लेकिन इसका नंबर कभी नहीं उठाती। और 2-4 नंबर ऐसे होंगे जिसे हाथ पाऊं जोड़कर निशांत ने किसी तरह अपनी गर्लफ्रेंड तो बनाया लेकिन रिश्ता ज्यादा देर टिक नहीं पाया।


"चटाक" की एक जोरदार थप्पड़… "कमिने हो पूरे तुम निशांत, मैं तो यहां तुमसे माफी मांगने आयी थी, लेकिन तुम डिजर्व नहीं करते।".... निशांत की एक्स गर्लफ्रेंड पहुंची थी और चित्रा को सुनकर उसे एक थप्पड़ चिपका दी।


चित्रा भी उसे एक जोरदार थप्पड़ लगाती… "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी हाथ उठाने की। वो किस बात के लिए डिजर्व नहीं करता है। मैंने थोड़ा सा मज़ाक क्या कर लिया तुम तो मेरे भाई का कैरेक्टर ही तय करने लग गई.… डिजर्व नहीं करता। क्या करते दिख गया था वो तुम्हे। एक साल से ऊपर साथ रही थी, क्या देखा तुमने ऐसा बताओ हां। जबतक तुम्हारे साथ था, तुम्हारा होकर रहा। बता दो एक टाइम में 2 को मेंटेन कर रहा हो तो। और इससे आगे मैं नहीं बोलूंगी वरना जिस वक्त तुम खुद को निशांत की गर्लफ्रेंड बताती थी, तुम्हारे उस वक्त के किस्से हम सब को पता है। हर कोई अपनी लाइफ जीने के लिए स्वतंत्र है, तुम जियो लेकिन आइंदा मेरे भाई कंचरेक्टर उछाली ना। फिल्म देखकर आ रही है, सबके बीच थप्पड़ मारेगी.. चल भाग यहां से.…


पूरी भड़ास निकालने के बाद वापस से चित्रा के आवेश को जब निशांत और आर्यमणि ने देखा। दोनो उसका मुंह बंद करके दबोच लिए। कुछ देर बाद दोनो ने उसे जैसे ही छोड़ा... "पकड़ क्यों लिए, गलती हो गई केवल एक थप्पड़ लगाई। हिम्मत देखो, मैं बैठी थी और मेरे भाई को थप्पड़ मारेगी। आर्य पकड़ के ला उसको 2-4 थप्पड़ मारना है।


आर्यमणि, चित्रा को डांटते, "चुप... पानी पी"… चित्रा भी उसे घुरी। आर्यमणि टेबल पर पंजा मारते... "पीयो पानी और शांत"… चित्रा छोटा सा मुंह बनाती चुप चाप पानी पी और धीमे से "सॉरी" कह दी।


श्रावण:- नाइस स्पीच चित्रा, काफी खतरनाक हो। वैसे वो मोबाइल और कॉन्टैक्ट लिस्ट वाली बात तो रह ही गई। मुझे निशांत 500 कॉमन कॉन्टैक्ट के बारे में कुछ बता रहा था…


चित्रा:- कहने का उसका साफ मतलब है, किसी को भी कॉल लगा लगाकर बोलो, आर्य ने तुम्हारे साथ मजाक किया। सब यही कहेगा आर्य और मज़ाक, संभव नहीं। और जब ये कहोगे की मै उससे पहले बार मिला रहा था। तब वो सामने से कहेगा क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई। इसलिए एक कोशिश तो पलक के साथ कर ही लो, क्या पता तुम्हारी किस्मत मे हो।


माधव:- हाहाहाहा… ई सही है, इसी तेवर के साथ जब चित्रा अपनी सास के साथ बात करेगी तो लोग कहेंगे, बहू टक्कर की आयी है।


छोटी मोटी नोक झोंक के बीच महफिल सजी रही। पलक उन सब से अलविदा लेकर अपने दोस्त श्रवण के साथ घूमने निकल गई। आज शाम आर्य वापस से सभी दोस्तो के साथ उसी जगह पर था। एक और हसीन शाम आगे बढ़ता हुआ। फिर से एक और हसीन रात दोस्तो के साथ, और ढलते रात के साथ फिर से आर्यमणि पलक के दरवाजे पर।


पलक आज रात जाग रही थी। जैसे ही आर्यमणि अंदर आया पलक मिन्नते करती हुई कहने लगी… "प्लीज, आज कुछ मत करना। हल्का-हल्का दर्द हो रहा है। ऊपर से चाल को सही तरह से मैनेज करने के कारण, कुछ ज्यादा ही तकलीफ हो गयि।"..


आर्यमणि हंसते हुए उसके खींचकर गले से लगाया और उसके होंठ चूमकर बिस्तर पर लेट गया। पलक भी उसके साथ लेट गयी। दोनो एक दूसरे को बाहों में लिए सुकून से सोते रहे।


अगले दिन फिर से कॉलेज की वहीं महफिल थी। कॉलेज खत्म करके पलक सीधा अपने फैमिली को ज्वाइन कर ली और शादी की शॉपिंग में व्यस्त हो गई। तीसरी शाम फिर से आर्यमणि की अपने दोस्तो के नाम और रात पलक के बाहों में। आज दर्द तो नहीं था लेकिन काम की थकावट से कुछ करने का मूड नहीं बना। लेकिन आर्यमणि भी अगली रात का निमंत्रण दे आया। सोने से पहले कहते हुए सोया, 2 रात तुम्हारी सुन ली।


अगली रात चढ़ते ही पलक के अरमान भी चढ़ने लगे। रह-रह कर पहली रात की झलक याद आती रही और उसे दीवाना बनाती रही। आज रात आर्य कुछ जल्दी पहुंचा। आते ही दोनो होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। चुमते हुए आर्य ने अपना दोनो हाथ पीछे ले जाकर उसके पैंटी के अन्दर डाल दिया और उसके दोनो चूतड़ को हाथ से दबोच कर मालिश करने लगा।


दीवानगी का वही आलम था। काम पूरा चरम पर आज रात भी थोड़ी सी झिझक बाकी थी इसलिए उत्तेजना में हाथ लिंग को मुट्ठी में दबोचने का कर तो रहा था ,लेकिन झिझक के मारे छु नहीं पा रही थी।


नंगे बदन पर, खासकर उसके स्तन पर जब आर्य के मजबूत हाथ मेहसूस होते पलक की मस्ती अपनी ऊंचाइयों पर होती। आज भी लिंग का वहीं कसाव योनि में मेहसूस हो रहा था, किन्तु आज दर्द कम और मस्ती ज्यादा थी।


शुक्रवार का दिन था, पलक और आर्यमणि एक पंडित से मिले मिलकर सही मूहरत का पता किये। मूहरत पता करने के बाद आर्यमणि आज से ही काम शुरू करता। शायद एक छोटी सी बात आर्यमणि के दिमाग से रह गई। पूर्णिमा के दिन ही राजदीप और नम्रता की शादी नाशिक में थी। इस दिन पुरा नागपुर प्रहरी शादी मे होता और पूर्णिमा यानी वेयरवुल्फ के चरम कुरुरता की रात। कुछ लोगो की काफी लंबी प्लांनिंग थी उस रात को लेकर। जिसकी भनक किसी को नहीं थी। शायद स्वामी, प्रहरी समुदाय के दिल यानी नागपुर में उस रात कुछ तो इतना बड़ा करने वाला था कि नागपुर इकाई और यहां के बड़े-बड़े नाम का दबदबा मिट्टी मे मिल जाता।
Nice update bhai waiting for next update
 
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