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Adultery Freinds Forever (ek daastaan) - (COMPLETED)

Kitno ko lagta he story


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Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
1,484
3,348
144
Update 28





Purana Khandar




समय 7 बज 30 मिनट 45 सेकंड ।




जिशू तो पहले से मजूद था । लेकिन उसने जिन जिन लोगो को बुलाया था सब मजूद थे । और सब उसके खिलाफ थे । खिलाफ हो भी क्यों ना उसने काम ही ऐसा किया की सबकी दिल दुखा दिया था कोई ओ की तो जैसा पूछ पे आग लगा दिया था । पॉपकॉन की तरह तावे पे उछल रहा था ना बैठ पा रहा था ना उठ पा रहा था । सबके जले पे नमक छिड़कने वाला था आज वो । एक अकेला खिलाड़ी समझ बैठा था अपने मन आत्मविश्वास था उसका तदबीर आज और अभी कुछ ही देर पे पूरा होने वाला था । और सबको अपनी परसाई से वाकिफ करवाने वाला था ।






जिशु खंडार के लिंटर पे ऊपर 10 फीट ऊपर खड़ा था और नीचे (शेतन ,विशु ,तपन, तानिया और शीतल खड़ी थी) जो उसके ऊपर भड़ास निकाल रहा था ।



विशू ।" तूने प्रोमिस किया था की शीतल आंटी के साथ कुछ नही करेगा ।" (इसको आज में जिंदा नहीं छोडूंगा)

शेतन ।" भाई ये सब क्यों किया । एक बार भी मुझे तूने बताना ठीक नही समझा अभी विशु ने सब बता दिया लेकिन उसे भी नही पता था कि तू बदले में ये सब करने वाला है ।" (इसे बस जिशु की गलती दिख रही है अभी तपन की गलती के तरफ ध्यान नहीं दिया)


तपन जो गुस्से में अंगारे बन चुका था खंडार की दीवारों पे मुक्का मार के बोला ।" साले कमीने में तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा । " आग बबूला हुए जा रहा था एक सांड की तरह बस सिंह उपर कर के जीशू पे निशाना साध के रखा ।



तानिया ।" बेटा ये तूने क्या किया है । ऐसा क्यों किया मुझसे एक बार बात तो का लेते ।" ( अपनी गलती का पछतावा करती हुई)


अब वो जिसकी एमएमएस वायरल हुई थी ।शीतल बिलख बिलख के रोई जा रही थी ।" कमीने नरक में भी जगह नहीं मिलेगा तुझे । क्यूं किया मेरे साथ ऐसा क्यू । मुझे बर्बाद कर दिया तूने हरामखोर पाखंडी इंसान । सब मुझपे थूकेंगे अब । कहा मुंह छिपती फिरंगी कहा । मेरा घर उजार के क्या मिला तुझे ।"


जिशू लिंटर से जंप मार के नीचे उतरा । तपन गुस्से में जिशू के सामने जा के पूरी ताकत के साथ एक मुक्का मारता है ।





तभी जिशु सबकी आखों की पलकों में गायब हो जाता है और तपन का बार हवा में चला जाता लेकिन एक खंबे पे मुक्का पड़ जाता है । सभी आचार्य चकित रह गए क्यू की जिशू टेलीपोर्ट हो के दूसरी जगह प्रकट हो गया उन लोगो से दो गज दूर ।




हां हा हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां



ये हसी पूरे खंडार पे और उस पहाड़ी एलेका में गूंज उठी । और ये लोग हैरान थे ।


विशु ,तपन और शेतन मन में ये सोच रहे थे ( ये कमीना कैसे यहां से वाहा एक पलक में गायब हो के दूसरी जगह प्रकट हो सकता है । मतलब इसे भी वरदान में दूसरी सकती मिली थी और इसने हमे बताया तक नहीं । पर क्यूं । क्यू नही बताया इसने हमे । इतने दिनो तक ये हमे धोखा दे रहा था )



शीतल और तानिया भूत बनी खड़ी थी इस अद्भुत अविश्वसनीय दृश्य देख के । अच्यार्याचकीट हो के आंखे निकाल के जिशू को देख रही थी । सभी भूल गए थे एक पल के लिए की वो किस मकसद से खंडार के अंदर मजूद हे ।



जिशू थोड़ी और कर्तप दिखता है हास हास के ।सभी हैरान थे । सभी पागल की मानसिकता में थे । तानिया और शीतल तो कुछ समझ ही नही पा रही थी वो दोनो क्या अद्भुत कारनामा देख रही हे । दोनो साधारण इंसान थे उस वरदान की लक्षण समझ के परे थे ।


जिशू मुस्कुराते हुए बोला ।" तपन तुझे बोहोत घमंड है ना अपने ताकत का । आ ले मार ।मार मुझे भाई मार । आज तुझे में एहसास करवाऊंगा असली ताकत किसे कहते हे और इसकी सही प्रोयाग किया कैसे जाता है । बोहोत घमंड हे ना तुझे ।"

तपन कुछ जवाब नही दे पाया बस जिशू को देखता ही रह गया । जिशू के बातों ने जिशू के अंदाज से उसके लहेजे से उसके वो रूप देख के उसके दिमाग खाली हो गया था ।



एक पल के लिए सब लोग नजर नही हटा पा रहे थे जिशू के ऊपर से । सबकी बोलती बंद थी ।



जिशू के आखों से आसूं निकल आए नाजने किस दर्द में तड़प रहा था वो । उसने अपनी नजरे सिर्फ और सिर्फ अपनी मम्मी तानिया की तरफ कर के बोला ।" मम्मी आपको लगता है मैने जो किया वो गलत किया । लेकिन क्या आप जानते है मेरी गलती का नींव कहा से जुड़ा है । जानते हे आप मम्मी कहा से मेरी गलती की नीव जुड़ा हुई हे । मम्मी वो नींव आप और मेरे अजीज दोस्त मेरे भाई जिसे में सगे भाई मानता था तपन । वो नींव आप दोनो हो । मुझे मजबूर का दिया था आप दोनो ने । जिस दिन पता चला उसी दिन से में मर गया हूं । इस दुख से में कभी उभर नहीं पाया आज भी नहीं सायेद कभी नही । मुझे सहारा देने के लिए था मेरा एक भाई जिसे में सगा मानता हूं और वो है बिशु । जिसे ये बात मुझसे पहले पता चली नही तो में किसी को नही बताता । क्यू की इस हमारी दोस्ती टूट जाती हमारी परिवार टूट जाती । शेतन को इसलिए नहीं बताया मैंने उसे । विशु था मुझे सहारा देने के लिए लेकिन वो भी मजबूर था दो दोस्तो में से किसको सुने । मेरा घाव इतना बड़ा था की में जख्म पे मलहल लगाने के लिए कुछ नही था । मम्मी तुम सोच भी नही सकती मुझे कैसा लगता है जब भी आपको तपन के साथ ....(सेक्स ,रोमांस मोज,मस्ती) करते हुए । भला कौन अपनी मम्मी को किसी और के साथ वो भी अपने ही बेटों के दोस्त के साथ । मम्मी मानता हूं एक बार गलती से आपके हाथों से ये सब हो गया । लेकिन आप एक समझदार औरत और समझदार मां और पत्नी थी । पापा को नही बताया तो कमसे कम मुझे बता देते । आखरी मेरे ही दोस्त के साथ । ये तो हक है मेरा क्यू की आपने मेरे दोस्त के साथ रिश्ता बनाया । कोई और होता तो मम्मी ............. में सह भी लेता .............. लेकिन आपने मेरे ही दोस्त के साथ ............. क्यू मम्मी .......... इस हादसे को हुए अभी बोहोत टाइम हो गया है ....... इतने महीने में आपको गलती का एहसास भी नही हुआ और आप तपन के साथ ...........या आप इसे गलती नही जान बूझ के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर समझ के .......... मम्मी मुझसे रहा नही गया और मैने बदले में जो सही लगा वो मैंने किया ।"



जिशू अभी तक बात खतम नही की उसने इस बार तपन से बोला ।" भाई तू मुझे मारने आया था ना । अगर इतना ही बहादुर है सच्चे मर्द होते तो मुझसे बात करते मुझसे कहते की में तुम्हारी मम्मी से प्यार करता हूं । लेकिन तुम कायर निकले । जब तूने मेरे साथ वफा नहीं निभाया तो मैं क्यों निभाऊं । मेने भी तुझे वही दर्द दिया है जो तूने मुझे दिया है दोस्त । कैसा लग रहा है अब । अब तुझे पता चल रहा हे कैसा लगता है जब एक दोस्त दूसरी दोस्त की मम्मी की बिस्तर .............. लगी ना तुझे । हा भाई ऐसे ही लगी थी मुझे और आज भी सहता आ रहा हूं में । अब हम दोनों एक ही नाव पे चबार हे । तू मुझे सबक सिखाना चाहता है और में तुझे । अगर दो दो हाथ भी करना चाहता है तो में तैयार हूं जब तू बोले । अपनी कहानी का तू नायक है और में अपनी कहानी का नायक हूं । "



जिशू शेतन की तरफ खुद एक गुनेगार ठहराते हुए दिखा के शेतन की आखों में देखता है ।" है मेरा भाई । तुझे पराया कर दिया ना मैने । चाय पी गिरी मक्खी की तरह उठा के फेक दिया था मैंने तुझे इस प्लान से । लेकिन में तुझे अपनी ऐसी दुखियारी प्लान में शामिल कर के तेरी हसी नही चिन न नहीं चाहता था । विशू को भी नही बताता लेकिन इसे मुझसे पहले ही पता चल गया था । तू चाहे तो मुझे सजा दे सकता हे ।"


जिशू अब शीतल की तरफ देखता हे ।" आंटी । में आपसे कोई सफाई नहीं दूंगा । बस इतना ही कहूंगा की आपने जो श्राप दी थी वो तो आपके देने से पहले ही लग चुकी थी जो मेरे अपनो के साथ होने वाला था । में जितना भी आपसे माफी मांगू प्रस्सित के लिए कुछ भी नही होगा । इसलिए में ये उचित समझता हूं आप जो भी सजा देना चाहती है जो भी चाहे पुलिस के हाथो पकड़वा के सजा देना चाहती हे । मुझे मंजूर है ।"



जिशु के आसू सुख गए थे स्वगत भाषण से । उसे भी एहसास था उसने गलत किया हे बदले की आग में । और वो खुद चाहता था की उसे सजा मिले ।



तानिया धम से शीर पकड़ के बैठ गई उसने कभी नही सोचा था कि इसका नतीजा इतना भयानक होगा मारने मरने तक तक आ जायेगा ।(नही बेटा में मान टी हूं में गुनेगार हूं । कई बार बेटा कई बार कई बार तुम्हे बताना चाहती थी । लेकिन रिश्ते ही ऐसे हे हमारा की बता नहीं पाई ।आखरी कैसे एक मां अपनी बेटे से उसकी अफेयर के बारे में बता सकती हे । फिर भी बोहोत कशिश की । बोहोत बेटा बोहोत । पर में कमजोर हूं । मुझमें इतनी हिम्मत नही थी लेकिन आज मेरी हिम्मत ना होने की नतीजा मुझे ही नही सबको भुगतना पड़ रहा है । I'm sorry बेटा । माफ कर दो मुझे )



तपन रद्दी में पड़े न्यूज पेपर की तरह मूल्यहीन हो गया था ।( हा दोस्त तुम सही हो । अब तुम्हराब दर्द मुझे एहसास हो रहा है । में भी कमजोर निकला जितनी मेरी ताकत हे उतनी ही खोखला निकला में । क्या फायदा हुए इस वरदान का कुछ नही । सब खत्म हो गया । काश माफी के लायक होता ।"


जिशु (दोस्त में समझता हूं तुम्हारा दर्द । लेकिन गलत तो गलत होता है । में भी सायेद तब तुम्हारा दर्द ठीक से समझ नही पाया जितना अब समझ पा रहा हूं । अगर समझ पाता तो सायेद में कुछ कर पता खुद । सब दर्द तेरे कंधे पे डाल दिया दोस्त । माफ कर दे यारा)


शेतन चिल्ला के बोला ।" ये सब हो क्या रहा है । क्या हे ये सब कोई बताएगा मुझे "


जिशु उसे साइड में ले के गया समझने ।


शीतल (ये क्या बोला रहा है । क्या सुन रहा हूं में । क्या मेरा बेटा और तानिया । क्या सच में । इसलिए जिशु ने मेरे साथ ऐसा किया )




अंधेरा हो रहा था सूरज कब का डाल चुका था । लेकिन आज चांद भी शर्मा रहा था इनलोगो की कायनात देख । तभी एक कड़क बादल गरज उठे आसमान में काली घने मेघ की तकरार कुछ अनहोनी होने का संकट दे रही थी ।जैसे प्रकृति भी नाराज हे इन दृश्य से ।




अचानक खंडार का पुराना चट्ट की मालवा गिरने लगे । विशु और शेतन तो साइड में थोड़ी दूर समझा बुझा सलाह मशरा कर रहे थे ।


जिशू जिस जगह पे था उसके ऊपर कोई मालवा नही था । शीतल , तानिया और तपन जिस जगह थे उस जगह पड़ खंबे टूट के गिर रहे थे । सब कुछ इतना जल्दी हो रहा था जिसकी उम्मीद नहीं थी ।


तीनों वाहा से भागने लगे । शीतल और तपन तो कामयाब हो गए लेकिन तानिया किसी दरार में पेड़ फंस गया । और तपन जल्दी से तानिया के पास गया और तानिया की पेड़ निकलने में लगे थे की उसके ऊपर एक खंबे का मालवा गिर पड़ा । जिसपे लगी दो रोड उसके पीठ से घुस के उसके चीनें से निकल आई ।



जिशु और शीतल एक साथ चिल्लाता है "तपन"
तानिया को कुछ समझ ही नही आया पलक झपटे ही ऐसा हादसा जो हो गया ।


शेतन आवाज सुन के दौर के आ गए और विशु तो अपनी रफ्तार से पहले ही पोहोच गया था तपन के पास ।



"Tapannnnnnnnn"
 

Paromita

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Update 28





Purana Khandar




समय 7 बज 30 मिनट 45 सेकंड ।




जिशू तो पहले से मजूद था । लेकिन उसने जिन जिन लोगो को बुलाया था सब मजूद थे । और सब उसके खिलाफ थे । खिलाफ हो भी क्यों ना उसने काम ही ऐसा किया की सबकी दिल दुखा दिया था कोई ओ की तो जैसा पूछ पे आग लगा दिया था । पॉपकॉन की तरह तावे पे उछल रहा था ना बैठ पा रहा था ना उठ पा रहा था । सबके जले पे नमक छिड़कने वाला था आज वो । एक अकेला खिलाड़ी समझ बैठा था अपने मन आत्मविश्वास था उसका तदबीर आज और अभी कुछ ही देर पे पूरा होने वाला था । और सबको अपनी परसाई से वाकिफ करवाने वाला था ।






जिशु खंडार के लिंटर पे ऊपर 10 फीट ऊपर खड़ा था और नीचे (शेतन ,विशु ,तपन, तानिया और शीतल खड़ी थी) जो उसके ऊपर भड़ास निकाल रहा था ।



विशू ।" तूने प्रोमिस किया था की शीतल आंटी के साथ कुछ नही करेगा ।" (इसको आज में जिंदा नहीं छोडूंगा)

शेतन ।" भाई ये सब क्यों किया । एक बार भी मुझे तूने बताना ठीक नही समझा अभी विशु ने सब बता दिया लेकिन उसे भी नही पता था कि तू बदले में ये सब करने वाला है ।" (इसे बस जिशु की गलती दिख रही है अभी तपन की गलती के तरफ ध्यान नहीं दिया)


तपन जो गुस्से में अंगारे बन चुका था खंडार की दीवारों पे मुक्का मार के बोला ।" साले कमीने में तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा । " आग बबूला हुए जा रहा था एक सांड की तरह बस सिंह उपर कर के जीशू पे निशाना साध के रखा ।



तानिया ।" बेटा ये तूने क्या किया है । ऐसा क्यों किया मुझसे एक बार बात तो का लेते ।" ( अपनी गलती का पछतावा करती हुई)


अब वो जिसकी एमएमएस वायरल हुई थी ।शीतल बिलख बिलख के रोई जा रही थी ।" कमीने नरक में भी जगह नहीं मिलेगा तुझे । क्यूं किया मेरे साथ ऐसा क्यू । मुझे बर्बाद कर दिया तूने हरामखोर पाखंडी इंसान । सब मुझपे थूकेंगे अब । कहा मुंह छिपती फिरंगी कहा । मेरा घर उजार के क्या मिला तुझे ।"


जिशू लिंटर से जंप मार के नीचे उतरा । तपन गुस्से में जिशू के सामने जा के पूरी ताकत के साथ एक मुक्का मारता है ।





तभी जिशु सबकी आखों की पलकों में गायब हो जाता है और तपन का बार हवा में चला जाता लेकिन एक खंबे पे मुक्का पड़ जाता है । सभी आचार्य चकित रह गए क्यू की जिशू टेलीपोर्ट हो के दूसरी जगह प्रकट हो गया उन लोगो से दो गज दूर ।




हां हा हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां



ये हसी पूरे खंडार पे और उस पहाड़ी एलेका में गूंज उठी । और ये लोग हैरान थे ।


विशु ,तपन और शेतन मन में ये सोच रहे थे ( ये कमीना कैसे यहां से वाहा एक पलक में गायब हो के दूसरी जगह प्रकट हो सकता है । मतलब इसे भी वरदान में दूसरी सकती मिली थी और इसने हमे बताया तक नहीं । पर क्यूं । क्यू नही बताया इसने हमे । इतने दिनो तक ये हमे धोखा दे रहा था )



शीतल और तानिया भूत बनी खड़ी थी इस अद्भुत अविश्वसनीय दृश्य देख के । अच्यार्याचकीट हो के आंखे निकाल के जिशू को देख रही थी । सभी भूल गए थे एक पल के लिए की वो किस मकसद से खंडार के अंदर मजूद हे ।



जिशू थोड़ी और कर्तप दिखता है हास हास के ।सभी हैरान थे । सभी पागल की मानसिकता में थे । तानिया और शीतल तो कुछ समझ ही नही पा रही थी वो दोनो क्या अद्भुत कारनामा देख रही हे । दोनो साधारण इंसान थे उस वरदान की लक्षण समझ के परे थे ।


जिशू मुस्कुराते हुए बोला ।" तपन तुझे बोहोत घमंड है ना अपने ताकत का । आ ले मार ।मार मुझे भाई मार । आज तुझे में एहसास करवाऊंगा असली ताकत किसे कहते हे और इसकी सही प्रोयाग किया कैसे जाता है । बोहोत घमंड हे ना तुझे ।"

तपन कुछ जवाब नही दे पाया बस जिशू को देखता ही रह गया । जिशू के बातों ने जिशू के अंदाज से उसके लहेजे से उसके वो रूप देख के उसके दिमाग खाली हो गया था ।



एक पल के लिए सब लोग नजर नही हटा पा रहे थे जिशू के ऊपर से । सबकी बोलती बंद थी ।



जिशू के आखों से आसूं निकल आए नाजने किस दर्द में तड़प रहा था वो । उसने अपनी नजरे सिर्फ और सिर्फ अपनी मम्मी तानिया की तरफ कर के बोला ।" मम्मी आपको लगता है मैने जो किया वो गलत किया । लेकिन क्या आप जानते है मेरी गलती का नींव कहा से जुड़ा है । जानते हे आप मम्मी कहा से मेरी गलती की नीव जुड़ा हुई हे । मम्मी वो नींव आप और मेरे अजीज दोस्त मेरे भाई जिसे में सगे भाई मानता था तपन । वो नींव आप दोनो हो । मुझे मजबूर का दिया था आप दोनो ने । जिस दिन पता चला उसी दिन से में मर गया हूं । इस दुख से में कभी उभर नहीं पाया आज भी नहीं सायेद कभी नही । मुझे सहारा देने के लिए था मेरा एक भाई जिसे में सगा मानता हूं और वो है बिशु । जिसे ये बात मुझसे पहले पता चली नही तो में किसी को नही बताता । क्यू की इस हमारी दोस्ती टूट जाती हमारी परिवार टूट जाती । शेतन को इसलिए नहीं बताया मैंने उसे । विशु था मुझे सहारा देने के लिए लेकिन वो भी मजबूर था दो दोस्तो में से किसको सुने । मेरा घाव इतना बड़ा था की में जख्म पे मलहल लगाने के लिए कुछ नही था । मम्मी तुम सोच भी नही सकती मुझे कैसा लगता है जब भी आपको तपन के साथ ....(सेक्स ,रोमांस मोज,मस्ती) करते हुए । भला कौन अपनी मम्मी को किसी और के साथ वो भी अपने ही बेटों के दोस्त के साथ । मम्मी मानता हूं एक बार गलती से आपके हाथों से ये सब हो गया । लेकिन आप एक समझदार औरत और समझदार मां और पत्नी थी । पापा को नही बताया तो कमसे कम मुझे बता देते । आखरी मेरे ही दोस्त के साथ । ये तो हक है मेरा क्यू की आपने मेरे दोस्त के साथ रिश्ता बनाया । कोई और होता तो मम्मी ............. में सह भी लेता .............. लेकिन आपने मेरे ही दोस्त के साथ ............. क्यू मम्मी .......... इस हादसे को हुए अभी बोहोत टाइम हो गया है ....... इतने महीने में आपको गलती का एहसास भी नही हुआ और आप तपन के साथ ...........या आप इसे गलती नही जान बूझ के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर समझ के .......... मम्मी मुझसे रहा नही गया और मैने बदले में जो सही लगा वो मैंने किया ।"



जिशू अभी तक बात खतम नही की उसने इस बार तपन से बोला ।" भाई तू मुझे मारने आया था ना । अगर इतना ही बहादुर है सच्चे मर्द होते तो मुझसे बात करते मुझसे कहते की में तुम्हारी मम्मी से प्यार करता हूं । लेकिन तुम कायर निकले । जब तूने मेरे साथ वफा नहीं निभाया तो मैं क्यों निभाऊं । मेने भी तुझे वही दर्द दिया है जो तूने मुझे दिया है दोस्त । कैसा लग रहा है अब । अब तुझे पता चल रहा हे कैसा लगता है जब एक दोस्त दूसरी दोस्त की मम्मी की बिस्तर .............. लगी ना तुझे । हा भाई ऐसे ही लगी थी मुझे और आज भी सहता आ रहा हूं में । अब हम दोनों एक ही नाव पे चबार हे । तू मुझे सबक सिखाना चाहता है और में तुझे । अगर दो दो हाथ भी करना चाहता है तो में तैयार हूं जब तू बोले । अपनी कहानी का तू नायक है और में अपनी कहानी का नायक हूं । "



जिशू शेतन की तरफ खुद एक गुनेगार ठहराते हुए दिखा के शेतन की आखों में देखता है ।" है मेरा भाई । तुझे पराया कर दिया ना मैने । चाय पी गिरी मक्खी की तरह उठा के फेक दिया था मैंने तुझे इस प्लान से । लेकिन में तुझे अपनी ऐसी दुखियारी प्लान में शामिल कर के तेरी हसी नही चिन न नहीं चाहता था । विशू को भी नही बताता लेकिन इसे मुझसे पहले ही पता चल गया था । तू चाहे तो मुझे सजा दे सकता हे ।"


जिशू अब शीतल की तरफ देखता हे ।" आंटी । में आपसे कोई सफाई नहीं दूंगा । बस इतना ही कहूंगा की आपने जो श्राप दी थी वो तो आपके देने से पहले ही लग चुकी थी जो मेरे अपनो के साथ होने वाला था । में जितना भी आपसे माफी मांगू प्रस्सित के लिए कुछ भी नही होगा । इसलिए में ये उचित समझता हूं आप जो भी सजा देना चाहती है जो भी चाहे पुलिस के हाथो पकड़वा के सजा देना चाहती हे । मुझे मंजूर है ।"



जिशु के आसू सुख गए थे स्वगत भाषण से । उसे भी एहसास था उसने गलत किया हे बदले की आग में । और वो खुद चाहता था की उसे सजा मिले ।



तानिया धम से शीर पकड़ के बैठ गई उसने कभी नही सोचा था कि इसका नतीजा इतना भयानक होगा मारने मरने तक तक आ जायेगा ।(नही बेटा में मान टी हूं में गुनेगार हूं । कई बार बेटा कई बार कई बार तुम्हे बताना चाहती थी । लेकिन रिश्ते ही ऐसे हे हमारा की बता नहीं पाई ।आखरी कैसे एक मां अपनी बेटे से उसकी अफेयर के बारे में बता सकती हे । फिर भी बोहोत कशिश की । बोहोत बेटा बोहोत । पर में कमजोर हूं । मुझमें इतनी हिम्मत नही थी लेकिन आज मेरी हिम्मत ना होने की नतीजा मुझे ही नही सबको भुगतना पड़ रहा है । I'm sorry बेटा । माफ कर दो मुझे )



तपन रद्दी में पड़े न्यूज पेपर की तरह मूल्यहीन हो गया था ।( हा दोस्त तुम सही हो । अब तुम्हराब दर्द मुझे एहसास हो रहा है । में भी कमजोर निकला जितनी मेरी ताकत हे उतनी ही खोखला निकला में । क्या फायदा हुए इस वरदान का कुछ नही । सब खत्म हो गया । काश माफी के लायक होता ।"


जिशु (दोस्त में समझता हूं तुम्हारा दर्द । लेकिन गलत तो गलत होता है । में भी सायेद तब तुम्हारा दर्द ठीक से समझ नही पाया जितना अब समझ पा रहा हूं । अगर समझ पाता तो सायेद में कुछ कर पता खुद । सब दर्द तेरे कंधे पे डाल दिया दोस्त । माफ कर दे यारा)


शेतन चिल्ला के बोला ।" ये सब हो क्या रहा है । क्या हे ये सब कोई बताएगा मुझे "


जिशु उसे साइड में ले के गया समझने ।


शीतल (ये क्या बोला रहा है । क्या सुन रहा हूं में । क्या मेरा बेटा और तानिया । क्या सच में । इसलिए जिशु ने मेरे साथ ऐसा किया )




अंधेरा हो रहा था सूरज कब का डाल चुका था । लेकिन आज चांद भी शर्मा रहा था इनलोगो की कायनात देख । तभी एक कड़क बादल गरज उठे आसमान में काली घने मेघ की तकरार कुछ अनहोनी होने का संकट दे रही थी ।जैसे प्रकृति भी नाराज हे इन दृश्य से ।




अचानक खंडार का पुराना चट्ट की मालवा गिरने लगे । विशु और शेतन तो साइड में थोड़ी दूर समझा बुझा सलाह मशरा कर रहे थे ।


जिशू जिस जगह पे था उसके ऊपर कोई मालवा नही था । शीतल , तानिया और तपन जिस जगह थे उस जगह पड़ खंबे टूट के गिर रहे थे । सब कुछ इतना जल्दी हो रहा था जिसकी उम्मीद नहीं थी ।


तीनों वाहा से भागने लगे । शीतल और तपन तो कामयाब हो गए लेकिन तानिया किसी दरार में पेड़ फंस गया । और तपन जल्दी से तानिया के पास गया और तानिया की पेड़ निकलने में लगे थे की उसके ऊपर एक खंबे का मालवा गिर पड़ा । जिसपे लगी दो रोड उसके पीठ से घुस के उसके चीनें से निकल आई ।



जिशु और शीतल एक साथ चिल्लाता है "तपन"
तानिया को कुछ समझ ही नही आया पलक झपटे ही ऐसा हादसा जो हो गया ।


शेतन आवाज सुन के दौर के आ गए और विशु तो अपनी रफ्तार से पहले ही पोहोच गया था तपन के पास ।




"Tapannnnnnnnn"
शानदार शब्द के साथ मजेदार अपडेट
 
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Purana Khandar




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जिशू तो पहले से मजूद था । लेकिन उसने जिन जिन लोगो को बुलाया था सब मजूद थे । और सब उसके खिलाफ थे । खिलाफ हो भी क्यों ना उसने काम ही ऐसा किया की सबकी दिल दुखा दिया था कोई ओ की तो जैसा पूछ पे आग लगा दिया था । पॉपकॉन की तरह तावे पे उछल रहा था ना बैठ पा रहा था ना उठ पा रहा था । सबके जले पे नमक छिड़कने वाला था आज वो । एक अकेला खिलाड़ी समझ बैठा था अपने मन आत्मविश्वास था उसका तदबीर आज और अभी कुछ ही देर पे पूरा होने वाला था । और सबको अपनी परसाई से वाकिफ करवाने वाला था ।






जिशु खंडार के लिंटर पे ऊपर 10 फीट ऊपर खड़ा था और नीचे (शेतन ,विशु ,तपन, तानिया और शीतल खड़ी थी) जो उसके ऊपर भड़ास निकाल रहा था ।



विशू ।" तूने प्रोमिस किया था की शीतल आंटी के साथ कुछ नही करेगा ।" (इसको आज में जिंदा नहीं छोडूंगा)

शेतन ।" भाई ये सब क्यों किया । एक बार भी मुझे तूने बताना ठीक नही समझा अभी विशु ने सब बता दिया लेकिन उसे भी नही पता था कि तू बदले में ये सब करने वाला है ।" (इसे बस जिशु की गलती दिख रही है अभी तपन की गलती के तरफ ध्यान नहीं दिया)


तपन जो गुस्से में अंगारे बन चुका था खंडार की दीवारों पे मुक्का मार के बोला ।" साले कमीने में तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा । " आग बबूला हुए जा रहा था एक सांड की तरह बस सिंह उपर कर के जीशू पे निशाना साध के रखा ।



तानिया ।" बेटा ये तूने क्या किया है । ऐसा क्यों किया मुझसे एक बार बात तो का लेते ।" ( अपनी गलती का पछतावा करती हुई)


अब वो जिसकी एमएमएस वायरल हुई थी ।शीतल बिलख बिलख के रोई जा रही थी ।" कमीने नरक में भी जगह नहीं मिलेगा तुझे । क्यूं किया मेरे साथ ऐसा क्यू । मुझे बर्बाद कर दिया तूने हरामखोर पाखंडी इंसान । सब मुझपे थूकेंगे अब । कहा मुंह छिपती फिरंगी कहा । मेरा घर उजार के क्या मिला तुझे ।"


जिशू लिंटर से जंप मार के नीचे उतरा । तपन गुस्से में जिशू के सामने जा के पूरी ताकत के साथ एक मुक्का मारता है ।





तभी जिशु सबकी आखों की पलकों में गायब हो जाता है और तपन का बार हवा में चला जाता लेकिन एक खंबे पे मुक्का पड़ जाता है । सभी आचार्य चकित रह गए क्यू की जिशू टेलीपोर्ट हो के दूसरी जगह प्रकट हो गया उन लोगो से दो गज दूर ।




हां हा हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां



ये हसी पूरे खंडार पे और उस पहाड़ी एलेका में गूंज उठी । और ये लोग हैरान थे ।


विशु ,तपन और शेतन मन में ये सोच रहे थे ( ये कमीना कैसे यहां से वाहा एक पलक में गायब हो के दूसरी जगह प्रकट हो सकता है । मतलब इसे भी वरदान में दूसरी सकती मिली थी और इसने हमे बताया तक नहीं । पर क्यूं । क्यू नही बताया इसने हमे । इतने दिनो तक ये हमे धोखा दे रहा था )



शीतल और तानिया भूत बनी खड़ी थी इस अद्भुत अविश्वसनीय दृश्य देख के । अच्यार्याचकीट हो के आंखे निकाल के जिशू को देख रही थी । सभी भूल गए थे एक पल के लिए की वो किस मकसद से खंडार के अंदर मजूद हे ।



जिशू थोड़ी और कर्तप दिखता है हास हास के ।सभी हैरान थे । सभी पागल की मानसिकता में थे । तानिया और शीतल तो कुछ समझ ही नही पा रही थी वो दोनो क्या अद्भुत कारनामा देख रही हे । दोनो साधारण इंसान थे उस वरदान की लक्षण समझ के परे थे ।


जिशू मुस्कुराते हुए बोला ।" तपन तुझे बोहोत घमंड है ना अपने ताकत का । आ ले मार ।मार मुझे भाई मार । आज तुझे में एहसास करवाऊंगा असली ताकत किसे कहते हे और इसकी सही प्रोयाग किया कैसे जाता है । बोहोत घमंड हे ना तुझे ।"

तपन कुछ जवाब नही दे पाया बस जिशू को देखता ही रह गया । जिशू के बातों ने जिशू के अंदाज से उसके लहेजे से उसके वो रूप देख के उसके दिमाग खाली हो गया था ।



एक पल के लिए सब लोग नजर नही हटा पा रहे थे जिशू के ऊपर से । सबकी बोलती बंद थी ।



जिशू के आखों से आसूं निकल आए नाजने किस दर्द में तड़प रहा था वो । उसने अपनी नजरे सिर्फ और सिर्फ अपनी मम्मी तानिया की तरफ कर के बोला ।" मम्मी आपको लगता है मैने जो किया वो गलत किया । लेकिन क्या आप जानते है मेरी गलती का नींव कहा से जुड़ा है । जानते हे आप मम्मी कहा से मेरी गलती की नीव जुड़ा हुई हे । मम्मी वो नींव आप और मेरे अजीज दोस्त मेरे भाई जिसे में सगे भाई मानता था तपन । वो नींव आप दोनो हो । मुझे मजबूर का दिया था आप दोनो ने । जिस दिन पता चला उसी दिन से में मर गया हूं । इस दुख से में कभी उभर नहीं पाया आज भी नहीं सायेद कभी नही । मुझे सहारा देने के लिए था मेरा एक भाई जिसे में सगा मानता हूं और वो है बिशु । जिसे ये बात मुझसे पहले पता चली नही तो में किसी को नही बताता । क्यू की इस हमारी दोस्ती टूट जाती हमारी परिवार टूट जाती । शेतन को इसलिए नहीं बताया मैंने उसे । विशु था मुझे सहारा देने के लिए लेकिन वो भी मजबूर था दो दोस्तो में से किसको सुने । मेरा घाव इतना बड़ा था की में जख्म पे मलहल लगाने के लिए कुछ नही था । मम्मी तुम सोच भी नही सकती मुझे कैसा लगता है जब भी आपको तपन के साथ ....(सेक्स ,रोमांस मोज,मस्ती) करते हुए । भला कौन अपनी मम्मी को किसी और के साथ वो भी अपने ही बेटों के दोस्त के साथ । मम्मी मानता हूं एक बार गलती से आपके हाथों से ये सब हो गया । लेकिन आप एक समझदार औरत और समझदार मां और पत्नी थी । पापा को नही बताया तो कमसे कम मुझे बता देते । आखरी मेरे ही दोस्त के साथ । ये तो हक है मेरा क्यू की आपने मेरे दोस्त के साथ रिश्ता बनाया । कोई और होता तो मम्मी ............. में सह भी लेता .............. लेकिन आपने मेरे ही दोस्त के साथ ............. क्यू मम्मी .......... इस हादसे को हुए अभी बोहोत टाइम हो गया है ....... इतने महीने में आपको गलती का एहसास भी नही हुआ और आप तपन के साथ ...........या आप इसे गलती नही जान बूझ के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर समझ के .......... मम्मी मुझसे रहा नही गया और मैने बदले में जो सही लगा वो मैंने किया ।"



जिशू अभी तक बात खतम नही की उसने इस बार तपन से बोला ।" भाई तू मुझे मारने आया था ना । अगर इतना ही बहादुर है सच्चे मर्द होते तो मुझसे बात करते मुझसे कहते की में तुम्हारी मम्मी से प्यार करता हूं । लेकिन तुम कायर निकले । जब तूने मेरे साथ वफा नहीं निभाया तो मैं क्यों निभाऊं । मेने भी तुझे वही दर्द दिया है जो तूने मुझे दिया है दोस्त । कैसा लग रहा है अब । अब तुझे पता चल रहा हे कैसा लगता है जब एक दोस्त दूसरी दोस्त की मम्मी की बिस्तर .............. लगी ना तुझे । हा भाई ऐसे ही लगी थी मुझे और आज भी सहता आ रहा हूं में । अब हम दोनों एक ही नाव पे चबार हे । तू मुझे सबक सिखाना चाहता है और में तुझे । अगर दो दो हाथ भी करना चाहता है तो में तैयार हूं जब तू बोले । अपनी कहानी का तू नायक है और में अपनी कहानी का नायक हूं । "



जिशू शेतन की तरफ खुद एक गुनेगार ठहराते हुए दिखा के शेतन की आखों में देखता है ।" है मेरा भाई । तुझे पराया कर दिया ना मैने । चाय पी गिरी मक्खी की तरह उठा के फेक दिया था मैंने तुझे इस प्लान से । लेकिन में तुझे अपनी ऐसी दुखियारी प्लान में शामिल कर के तेरी हसी नही चिन न नहीं चाहता था । विशू को भी नही बताता लेकिन इसे मुझसे पहले ही पता चल गया था । तू चाहे तो मुझे सजा दे सकता हे ।"


जिशू अब शीतल की तरफ देखता हे ।" आंटी । में आपसे कोई सफाई नहीं दूंगा । बस इतना ही कहूंगा की आपने जो श्राप दी थी वो तो आपके देने से पहले ही लग चुकी थी जो मेरे अपनो के साथ होने वाला था । में जितना भी आपसे माफी मांगू प्रस्सित के लिए कुछ भी नही होगा । इसलिए में ये उचित समझता हूं आप जो भी सजा देना चाहती है जो भी चाहे पुलिस के हाथो पकड़वा के सजा देना चाहती हे । मुझे मंजूर है ।"



जिशु के आसू सुख गए थे स्वगत भाषण से । उसे भी एहसास था उसने गलत किया हे बदले की आग में । और वो खुद चाहता था की उसे सजा मिले ।



तानिया धम से शीर पकड़ के बैठ गई उसने कभी नही सोचा था कि इसका नतीजा इतना भयानक होगा मारने मरने तक तक आ जायेगा ।(नही बेटा में मान टी हूं में गुनेगार हूं । कई बार बेटा कई बार कई बार तुम्हे बताना चाहती थी । लेकिन रिश्ते ही ऐसे हे हमारा की बता नहीं पाई ।आखरी कैसे एक मां अपनी बेटे से उसकी अफेयर के बारे में बता सकती हे । फिर भी बोहोत कशिश की । बोहोत बेटा बोहोत । पर में कमजोर हूं । मुझमें इतनी हिम्मत नही थी लेकिन आज मेरी हिम्मत ना होने की नतीजा मुझे ही नही सबको भुगतना पड़ रहा है । I'm sorry बेटा । माफ कर दो मुझे )



तपन रद्दी में पड़े न्यूज पेपर की तरह मूल्यहीन हो गया था ।( हा दोस्त तुम सही हो । अब तुम्हराब दर्द मुझे एहसास हो रहा है । में भी कमजोर निकला जितनी मेरी ताकत हे उतनी ही खोखला निकला में । क्या फायदा हुए इस वरदान का कुछ नही । सब खत्म हो गया । काश माफी के लायक होता ।"


जिशु (दोस्त में समझता हूं तुम्हारा दर्द । लेकिन गलत तो गलत होता है । में भी सायेद तब तुम्हारा दर्द ठीक से समझ नही पाया जितना अब समझ पा रहा हूं । अगर समझ पाता तो सायेद में कुछ कर पता खुद । सब दर्द तेरे कंधे पे डाल दिया दोस्त । माफ कर दे यारा)


शेतन चिल्ला के बोला ।" ये सब हो क्या रहा है । क्या हे ये सब कोई बताएगा मुझे "


जिशु उसे साइड में ले के गया समझने ।


शीतल (ये क्या बोला रहा है । क्या सुन रहा हूं में । क्या मेरा बेटा और तानिया । क्या सच में । इसलिए जिशु ने मेरे साथ ऐसा किया )




अंधेरा हो रहा था सूरज कब का डाल चुका था । लेकिन आज चांद भी शर्मा रहा था इनलोगो की कायनात देख । तभी एक कड़क बादल गरज उठे आसमान में काली घने मेघ की तकरार कुछ अनहोनी होने का संकट दे रही थी ।जैसे प्रकृति भी नाराज हे इन दृश्य से ।




अचानक खंडार का पुराना चट्ट की मालवा गिरने लगे । विशु और शेतन तो साइड में थोड़ी दूर समझा बुझा सलाह मशरा कर रहे थे ।


जिशू जिस जगह पे था उसके ऊपर कोई मालवा नही था । शीतल , तानिया और तपन जिस जगह थे उस जगह पड़ खंबे टूट के गिर रहे थे । सब कुछ इतना जल्दी हो रहा था जिसकी उम्मीद नहीं थी ।


तीनों वाहा से भागने लगे । शीतल और तपन तो कामयाब हो गए लेकिन तानिया किसी दरार में पेड़ फंस गया । और तपन जल्दी से तानिया के पास गया और तानिया की पेड़ निकलने में लगे थे की उसके ऊपर एक खंबे का मालवा गिर पड़ा । जिसपे लगी दो रोड उसके पीठ से घुस के उसके चीनें से निकल आई ।



जिशु और शीतल एक साथ चिल्लाता है "तपन"
तानिया को कुछ समझ ही नही आया पलक झपटे ही ऐसा हादसा जो हो गया ।


शेतन आवाज सुन के दौर के आ गए और विशु तो अपनी रफ्तार से पहले ही पोहोच गया था तपन के पास ।




"Tapannnnnnnnn"
okay update..!!
ab taniya aur tapan ko apne hawas ka anjam pata chala jise woh pyaar ka naam de rahe the..!! jishu ko apne kiye pe pachhtawa bhi hai aur usne shital se maafi bhi mangi isliye muze jishu ka character ek hero jaisa lagta hai aur ab shital ko samjhme aayi hogi apne bete ki kartood..!! aur muze lag hi raha tha jishu ke paas inn sab se alag takad hogi aur aaj usne dikha bhi diya..!! bhai ab jishu aur shital ki love story dikhao ya jishu aur taniya..!!
 
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Purana Khandar




समय 7 बज 30 मिनट 45 सेकंड ।




जिशू तो पहले से मजूद था । लेकिन उसने जिन जिन लोगो को बुलाया था सब मजूद थे । और सब उसके खिलाफ थे । खिलाफ हो भी क्यों ना उसने काम ही ऐसा किया की सबकी दिल दुखा दिया था कोई ओ की तो जैसा पूछ पे आग लगा दिया था । पॉपकॉन की तरह तावे पे उछल रहा था ना बैठ पा रहा था ना उठ पा रहा था । सबके जले पे नमक छिड़कने वाला था आज वो । एक अकेला खिलाड़ी समझ बैठा था अपने मन आत्मविश्वास था उसका तदबीर आज और अभी कुछ ही देर पे पूरा होने वाला था । और सबको अपनी परसाई से वाकिफ करवाने वाला था ।






जिशु खंडार के लिंटर पे ऊपर 10 फीट ऊपर खड़ा था और नीचे (शेतन ,विशु ,तपन, तानिया और शीतल खड़ी थी) जो उसके ऊपर भड़ास निकाल रहा था ।



विशू ।" तूने प्रोमिस किया था की शीतल आंटी के साथ कुछ नही करेगा ।" (इसको आज में जिंदा नहीं छोडूंगा)

शेतन ।" भाई ये सब क्यों किया । एक बार भी मुझे तूने बताना ठीक नही समझा अभी विशु ने सब बता दिया लेकिन उसे भी नही पता था कि तू बदले में ये सब करने वाला है ।" (इसे बस जिशु की गलती दिख रही है अभी तपन की गलती के तरफ ध्यान नहीं दिया)


तपन जो गुस्से में अंगारे बन चुका था खंडार की दीवारों पे मुक्का मार के बोला ।" साले कमीने में तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा । " आग बबूला हुए जा रहा था एक सांड की तरह बस सिंह उपर कर के जीशू पे निशाना साध के रखा ।



तानिया ।" बेटा ये तूने क्या किया है । ऐसा क्यों किया मुझसे एक बार बात तो का लेते ।" ( अपनी गलती का पछतावा करती हुई)


अब वो जिसकी एमएमएस वायरल हुई थी ।शीतल बिलख बिलख के रोई जा रही थी ।" कमीने नरक में भी जगह नहीं मिलेगा तुझे । क्यूं किया मेरे साथ ऐसा क्यू । मुझे बर्बाद कर दिया तूने हरामखोर पाखंडी इंसान । सब मुझपे थूकेंगे अब । कहा मुंह छिपती फिरंगी कहा । मेरा घर उजार के क्या मिला तुझे ।"


जिशू लिंटर से जंप मार के नीचे उतरा । तपन गुस्से में जिशू के सामने जा के पूरी ताकत के साथ एक मुक्का मारता है ।





तभी जिशु सबकी आखों की पलकों में गायब हो जाता है और तपन का बार हवा में चला जाता लेकिन एक खंबे पे मुक्का पड़ जाता है । सभी आचार्य चकित रह गए क्यू की जिशू टेलीपोर्ट हो के दूसरी जगह प्रकट हो गया उन लोगो से दो गज दूर ।




हां हा हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां हां



ये हसी पूरे खंडार पे और उस पहाड़ी एलेका में गूंज उठी । और ये लोग हैरान थे ।


विशु ,तपन और शेतन मन में ये सोच रहे थे ( ये कमीना कैसे यहां से वाहा एक पलक में गायब हो के दूसरी जगह प्रकट हो सकता है । मतलब इसे भी वरदान में दूसरी सकती मिली थी और इसने हमे बताया तक नहीं । पर क्यूं । क्यू नही बताया इसने हमे । इतने दिनो तक ये हमे धोखा दे रहा था )



शीतल और तानिया भूत बनी खड़ी थी इस अद्भुत अविश्वसनीय दृश्य देख के । अच्यार्याचकीट हो के आंखे निकाल के जिशू को देख रही थी । सभी भूल गए थे एक पल के लिए की वो किस मकसद से खंडार के अंदर मजूद हे ।



जिशू थोड़ी और कर्तप दिखता है हास हास के ।सभी हैरान थे । सभी पागल की मानसिकता में थे । तानिया और शीतल तो कुछ समझ ही नही पा रही थी वो दोनो क्या अद्भुत कारनामा देख रही हे । दोनो साधारण इंसान थे उस वरदान की लक्षण समझ के परे थे ।


जिशू मुस्कुराते हुए बोला ।" तपन तुझे बोहोत घमंड है ना अपने ताकत का । आ ले मार ।मार मुझे भाई मार । आज तुझे में एहसास करवाऊंगा असली ताकत किसे कहते हे और इसकी सही प्रोयाग किया कैसे जाता है । बोहोत घमंड हे ना तुझे ।"

तपन कुछ जवाब नही दे पाया बस जिशू को देखता ही रह गया । जिशू के बातों ने जिशू के अंदाज से उसके लहेजे से उसके वो रूप देख के उसके दिमाग खाली हो गया था ।



एक पल के लिए सब लोग नजर नही हटा पा रहे थे जिशू के ऊपर से । सबकी बोलती बंद थी ।



जिशू के आखों से आसूं निकल आए नाजने किस दर्द में तड़प रहा था वो । उसने अपनी नजरे सिर्फ और सिर्फ अपनी मम्मी तानिया की तरफ कर के बोला ।" मम्मी आपको लगता है मैने जो किया वो गलत किया । लेकिन क्या आप जानते है मेरी गलती का नींव कहा से जुड़ा है । जानते हे आप मम्मी कहा से मेरी गलती की नीव जुड़ा हुई हे । मम्मी वो नींव आप और मेरे अजीज दोस्त मेरे भाई जिसे में सगे भाई मानता था तपन । वो नींव आप दोनो हो । मुझे मजबूर का दिया था आप दोनो ने । जिस दिन पता चला उसी दिन से में मर गया हूं । इस दुख से में कभी उभर नहीं पाया आज भी नहीं सायेद कभी नही । मुझे सहारा देने के लिए था मेरा एक भाई जिसे में सगा मानता हूं और वो है बिशु । जिसे ये बात मुझसे पहले पता चली नही तो में किसी को नही बताता । क्यू की इस हमारी दोस्ती टूट जाती हमारी परिवार टूट जाती । शेतन को इसलिए नहीं बताया मैंने उसे । विशु था मुझे सहारा देने के लिए लेकिन वो भी मजबूर था दो दोस्तो में से किसको सुने । मेरा घाव इतना बड़ा था की में जख्म पे मलहल लगाने के लिए कुछ नही था । मम्मी तुम सोच भी नही सकती मुझे कैसा लगता है जब भी आपको तपन के साथ ....(सेक्स ,रोमांस मोज,मस्ती) करते हुए । भला कौन अपनी मम्मी को किसी और के साथ वो भी अपने ही बेटों के दोस्त के साथ । मम्मी मानता हूं एक बार गलती से आपके हाथों से ये सब हो गया । लेकिन आप एक समझदार औरत और समझदार मां और पत्नी थी । पापा को नही बताया तो कमसे कम मुझे बता देते । आखरी मेरे ही दोस्त के साथ । ये तो हक है मेरा क्यू की आपने मेरे दोस्त के साथ रिश्ता बनाया । कोई और होता तो मम्मी ............. में सह भी लेता .............. लेकिन आपने मेरे ही दोस्त के साथ ............. क्यू मम्मी .......... इस हादसे को हुए अभी बोहोत टाइम हो गया है ....... इतने महीने में आपको गलती का एहसास भी नही हुआ और आप तपन के साथ ...........या आप इसे गलती नही जान बूझ के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर समझ के .......... मम्मी मुझसे रहा नही गया और मैने बदले में जो सही लगा वो मैंने किया ।"



जिशू अभी तक बात खतम नही की उसने इस बार तपन से बोला ।" भाई तू मुझे मारने आया था ना । अगर इतना ही बहादुर है सच्चे मर्द होते तो मुझसे बात करते मुझसे कहते की में तुम्हारी मम्मी से प्यार करता हूं । लेकिन तुम कायर निकले । जब तूने मेरे साथ वफा नहीं निभाया तो मैं क्यों निभाऊं । मेने भी तुझे वही दर्द दिया है जो तूने मुझे दिया है दोस्त । कैसा लग रहा है अब । अब तुझे पता चल रहा हे कैसा लगता है जब एक दोस्त दूसरी दोस्त की मम्मी की बिस्तर .............. लगी ना तुझे । हा भाई ऐसे ही लगी थी मुझे और आज भी सहता आ रहा हूं में । अब हम दोनों एक ही नाव पे चबार हे । तू मुझे सबक सिखाना चाहता है और में तुझे । अगर दो दो हाथ भी करना चाहता है तो में तैयार हूं जब तू बोले । अपनी कहानी का तू नायक है और में अपनी कहानी का नायक हूं । "



जिशू शेतन की तरफ खुद एक गुनेगार ठहराते हुए दिखा के शेतन की आखों में देखता है ।" है मेरा भाई । तुझे पराया कर दिया ना मैने । चाय पी गिरी मक्खी की तरह उठा के फेक दिया था मैंने तुझे इस प्लान से । लेकिन में तुझे अपनी ऐसी दुखियारी प्लान में शामिल कर के तेरी हसी नही चिन न नहीं चाहता था । विशू को भी नही बताता लेकिन इसे मुझसे पहले ही पता चल गया था । तू चाहे तो मुझे सजा दे सकता हे ।"


जिशू अब शीतल की तरफ देखता हे ।" आंटी । में आपसे कोई सफाई नहीं दूंगा । बस इतना ही कहूंगा की आपने जो श्राप दी थी वो तो आपके देने से पहले ही लग चुकी थी जो मेरे अपनो के साथ होने वाला था । में जितना भी आपसे माफी मांगू प्रस्सित के लिए कुछ भी नही होगा । इसलिए में ये उचित समझता हूं आप जो भी सजा देना चाहती है जो भी चाहे पुलिस के हाथो पकड़वा के सजा देना चाहती हे । मुझे मंजूर है ।"



जिशु के आसू सुख गए थे स्वगत भाषण से । उसे भी एहसास था उसने गलत किया हे बदले की आग में । और वो खुद चाहता था की उसे सजा मिले ।



तानिया धम से शीर पकड़ के बैठ गई उसने कभी नही सोचा था कि इसका नतीजा इतना भयानक होगा मारने मरने तक तक आ जायेगा ।(नही बेटा में मान टी हूं में गुनेगार हूं । कई बार बेटा कई बार कई बार तुम्हे बताना चाहती थी । लेकिन रिश्ते ही ऐसे हे हमारा की बता नहीं पाई ।आखरी कैसे एक मां अपनी बेटे से उसकी अफेयर के बारे में बता सकती हे । फिर भी बोहोत कशिश की । बोहोत बेटा बोहोत । पर में कमजोर हूं । मुझमें इतनी हिम्मत नही थी लेकिन आज मेरी हिम्मत ना होने की नतीजा मुझे ही नही सबको भुगतना पड़ रहा है । I'm sorry बेटा । माफ कर दो मुझे )



तपन रद्दी में पड़े न्यूज पेपर की तरह मूल्यहीन हो गया था ।( हा दोस्त तुम सही हो । अब तुम्हराब दर्द मुझे एहसास हो रहा है । में भी कमजोर निकला जितनी मेरी ताकत हे उतनी ही खोखला निकला में । क्या फायदा हुए इस वरदान का कुछ नही । सब खत्म हो गया । काश माफी के लायक होता ।"


जिशु (दोस्त में समझता हूं तुम्हारा दर्द । लेकिन गलत तो गलत होता है । में भी सायेद तब तुम्हारा दर्द ठीक से समझ नही पाया जितना अब समझ पा रहा हूं । अगर समझ पाता तो सायेद में कुछ कर पता खुद । सब दर्द तेरे कंधे पे डाल दिया दोस्त । माफ कर दे यारा)


शेतन चिल्ला के बोला ।" ये सब हो क्या रहा है । क्या हे ये सब कोई बताएगा मुझे "


जिशु उसे साइड में ले के गया समझने ।


शीतल (ये क्या बोला रहा है । क्या सुन रहा हूं में । क्या मेरा बेटा और तानिया । क्या सच में । इसलिए जिशु ने मेरे साथ ऐसा किया )




अंधेरा हो रहा था सूरज कब का डाल चुका था । लेकिन आज चांद भी शर्मा रहा था इनलोगो की कायनात देख । तभी एक कड़क बादल गरज उठे आसमान में काली घने मेघ की तकरार कुछ अनहोनी होने का संकट दे रही थी ।जैसे प्रकृति भी नाराज हे इन दृश्य से ।




अचानक खंडार का पुराना चट्ट की मालवा गिरने लगे । विशु और शेतन तो साइड में थोड़ी दूर समझा बुझा सलाह मशरा कर रहे थे ।


जिशू जिस जगह पे था उसके ऊपर कोई मालवा नही था । शीतल , तानिया और तपन जिस जगह थे उस जगह पड़ खंबे टूट के गिर रहे थे । सब कुछ इतना जल्दी हो रहा था जिसकी उम्मीद नहीं थी ।


तीनों वाहा से भागने लगे । शीतल और तपन तो कामयाब हो गए लेकिन तानिया किसी दरार में पेड़ फंस गया । और तपन जल्दी से तानिया के पास गया और तानिया की पेड़ निकलने में लगे थे की उसके ऊपर एक खंबे का मालवा गिर पड़ा । जिसपे लगी दो रोड उसके पीठ से घुस के उसके चीनें से निकल आई ।



जिशु और शीतल एक साथ चिल्लाता है "तपन"
तानिया को कुछ समझ ही नही आया पलक झपटे ही ऐसा हादसा जो हो गया ।


शेतन आवाज सुन के दौर के आ गए और विशु तो अपनी रफ्तार से पहले ही पोहोच गया था तपन के पास ।




"Tapannnnnnnnn"
निराशा जनक अपडेट

उम्मीद के मुताबिक अपडेट नहीं रहा.


बहुत सी बातें मन मन मे ही हो गयी,

कोई वाकई मे पछताया या नही, किसे पता चला,

किसी ने कोई सफाई नही दी,

तानिया का बात बताने के लिए हिम्मत ना जुटाने की बात
सोचना हास्यास्पद लगा,
बताने की हिम्मत नही पर अपने बेटे के दोस्त से लगातार चुदने जाने की बहुत हिम्मत थी

जीशू का तपन को कहना कि तानिया से प्यार करता था तो उसे बताता,
यदि तपन बोल देता कि "मैं तेरी माँ से प्यार करता हूँ " तो क्या जीशू कहता कि तू सच्चा प्यार करता है इसलिए जाकर मेरी माँ को चोद कर मजे कर.

या ये कहना चाहिए था, कि हम 1 परिवार थे, मेरी माँ, तेरी माँ सब समान थी तो ऐसा गंदा रिश्ता रखने का सोचा भी कैसे ?


तानिया को बचा कर तपन उसका सच्चा आशिक साबित हो गया,
इससे आगे भी तानिया बिना पछतावे के तपन से चुदने जाती रहेगी,

जब सबको बुलाया तो सबके सामने सारी बातो का जवाब लेना चाहिए था,

शीतल को ठीक से पता ही नही चला की वाकई मे पुरा मामला क्या था,

वो तो बस अनुमान ही लगा रही है कि शायद तपन और तानिया के बीच कुछ था.
 
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