Update 13
शिवा सुबह जल्दी उठ गया ,नहाधोकर उसने कपड़े बदल लिए, अनाथालय छोड़ने से पहले उसे अनाथलय की तरफ से
तीन जोड़ी कपड़े ,दो अंडरवेयर, एक बैग जिसमे वो सब सामन रखे दिया गया था ,अनाथलय में हर लड़के का बैंक में खाता खोलकर देते थे उसमे उस अनाथलय के तरफ से 25 , 000 जमा होते ते, और जिन बच्चों ने स्कूल में इनाम जीते उसकी राशि भी उसी में जमा की जाती थी ,शिवा ने भी बहुत नगद इनाम जीते हुए थे , स्पोर्ट्स में उसने इसी लिये ज्यादा भाग लिये क्योंकि उसमें नगद राशि अछि मिलती थी उसके बैंक के खाते में 2 लाख के आसपास रकम जमा थी ,उसने यही सोचा था यह पैसे सो शफ़ी चाचा के दे देगा ,लेकिन उसने जब यहाँ आकर देखा तो शफ़ी चाचा के लिये और 18 लाख रुपये लगने वाले है इलाज में तो उसने विनोद शर्मा की याद आयी थी जो शिवा को एक बार जब उसने स्टेट लेवल के कराटे ,बॉक्सिंग, और कुश्ती इन तीनों में गोल्ड मेडल जीते थे तब मिला था ,विनोद ने तब उसे कहा था कि जब उसे लगे कि उसे ज्यादा पैसा कमाना हो और मरने से डर नही लगता हो तब मेरे आना और अपना कार्ड देकर चला गया था,
शिवा बस्ती से निकला बाहर एक ठेले वाले के पास जाकर उसने चाय पी ,बादमे एक टेलीफोन बूथ से उसने विनोद को फ़ोन किया दो बार पूरी रिंग बजने के बाद तीसरी बार विनोद फ़ोन उठाया ,सामने से आवाज आयीं, हैल्लो कौन बोल रहा है
जी सर में विनोदसर बात करना चाहता हु
में विनोद ही बोल रहा हु ,तुम कोन हो
जी सर में शिवा बोल रहा हु
कौन शिवा ,तुम्हे मेरा नंबर किसने दीया
सर में शिवा आपने पहचाना नही जब आप मुझे कॉलेज के चैंपियन शिप में मिले थे औऱ कहा था कि ज्यादा पैसा कमाना हो और जान की चिंता ना हों तब मुझे फ़ोन करना,
कुछ देर बाद सामने से ,हा याद आया बोलो क्या तुम तयार हो
जी सर में तैयार हूं,
ठीक है अभी तुम कहा हो
में धारावी में ही सर
एक पता बताता हूं वहा पर 1 घण्टे में पहोच जावो
शिवा का बचपन मुम्बई में ही गुजरा था इसलिए उसे वहां पहुंचने में ज्यादा मुश्किल नही हूवी,शिवा जब वहा पहुचा तो एक आलीशान ऑफिस था वहा पर 10 से 12 लोग कंप्यूटर पर काम कर रहे थे ,एक बहुत खूबसूरत लडक़ी वह रिसेप्शन पे बैठी थी शिवा ने उससे पूछा मैडम मुझे विनोद सर से मिलना है ,उन्होंने मुझे बुलाया है, उस लडक़ी ने उसे कुछ देर रुकने को कहा और विनोद सर जब आएंगे तब वो उसे उनसे मिला देगी ये बताया ,शिवा वही एक सोफे पर बैठकर विनोद की राह देखने लगा ,आधे घण्टे में उसे उस लड़की ने बुलाकर एक केबिन में भेज दिया ,शिवा जब केबिन में गया विनोद वही बैठा था, विनोद से अपने सामने बैठने का कहा
बोलो क्या तुम तयार हो ,
जी सर में तैयार हूं
पहले मेरी पूरी बात सुन लो फिर फैसला करना ,जिंदगी में पैसा कमाना इतना आसान नही होता ,और एक दिन में बहुत ज्यादा पैसा कमाने के लिये तो और मुश्किल होती है,दुबई में हर महीने एक फाइट होती है उसमें दुनियाभर से फायटर आते है ,उसमे जितने वाले को 50 लाख मिलते है ,लेकिन इसमें सबसे खास बात यह है कि वहा इंसान एक दूसरे से नही बल्कि जंगली और खूंखार भालू, शेर ,भेड़िये, बाघ होते है ,उनसे फायटर लडता है वो भी सिर्फ एक छोटे चाकू से ,एक फायटर एक जानवर से लड़ता है, फायटर को जानवर को मारना होता है या मार मार कर बेहोश करना होता है,अगर कोई फायटर बिना हथियार से लड़ता है तो इनाम दुगना मिलता है 1 करोड़ ,अगर तुम वहा जीते तो इनाम का आधा हिस्सा मेरा होगा अगर तुम हार गए तो वो जानवर तुम्हे वैसे भी मार ही देगा ,अगर तुम बीच फाइट से या तुम्हारे सामने आए हुए जानवर को देखके लड़ने से भागे या मना किया तो तुम्हारे दोनों पैरों पर गोलियां मारकर उसी जानवर के सामने तुम्हे मरने के लिये छोड़ा दिया जायेगा
विनोद की बाते सुनके शिवा को भी डर लगा ,उसे लगा किसी आदमी से लड़ना होता तो कोई बात नही लेकिन एक जानवर से लड़ना वो भी एक चाकू से बहुत मुश्किल लग रहा था उसे,
वो थोड़ा सोच में पड़ गया ,
विनोद बोला , अच्छी तरह से सोच लेना शिवा फिर मुझे बताना ,तुम्हारे पास 7 दिन का समय है ,अगर तुम्हारी लड़ना हो तो 7 दिन के अंदर मुझे फोन कर देना तुम्हारा फोन नही आया तो में समज जाऊंगा तुन नही लड़ने वाले
शिवा उसके ऑफिस से बाहर आ गया ,उसे बहुत भूक लगी थी , सुबह से उसने कुछ नहि खाया था पास के ही एक सस्ते होटल में वहां खाना के लिये गया उसने अपने लिये खाने का आर्डर देकर आया हुवा कहना खा रहा था ,की अचानक उसे कांच टूटने की आवाज आयीं उसने जहाँ से आवाज उस तरफ देखा तो एक आदमी वह काम करने वाले लड़के पर चिल्ला रहा था, उसे गन्दी गालिया दे रहा था ,उस लड़के से कांच के गिलास टूट गए थे ,ये सब देखकर शिवा को अपने पुराने दिन याद आये थे जब वो भी इसी तरह होटल में काम करता था और उसके हाथ से कुछ नुकसान होने पे उसका मालिक भी उसे ऐसा ही करता थे उस वक्त शफ़ी चाचा ही उसे बचाते थे ,शिवा ने खाना वैसा ही छोड़ दिया और उठकर उस लड़के को मालिक से अलग करके ,जो नुकसान हुवा वो खुद भर देगा ऐसा बोलके उसने खाने का ,और जो उस लड़के ने नुकसान किया था वो पैसे भर दिये, शिवा ने उस लड़के के सर प्यार से हाथ घुमाकर कहा ,अपना ख्याल रखना और आगे से ध्यान देना , उस लड़के ने कहा शुक्रिया सर, शिवा बोला ,में कोई सर नही हु छोटे ,में तुम्हारा ही एक भाई हु ,और शिव होटल से निकल गया
शिवा एक पार्क में जाकर बैठ गया उसे समझाने वाला ,या किसी को बताकर वो क्या करे ऐसा उसका कोई नही था ,एक अनाथ को सही गलत क्या है वह उसका खुद का दिल ही बताता है, शिवा को पैसा सिर्फ शफ़ी चाचा के लिये ही चाहिए थे ताकि उनका इलाज हो सके,वो अपने पाव पर फिर खड़े हो सकें चल सके ,शिवा बस अपने बीते कल की यादों में अपने सवालों के जवाब ढूंढ रहा था ,तब उसे अपने अनाथलय के स्कूल में कुश्ती सिखाने आने वाले एक आदमी की याद आई उनका नाम नरेशदादा था ,वो कोई स्पोर्ट्स टीचर नही थे बल्कि अनाथलय को चलनेवाले मनोज देसाई के बड़े भाई थे, वो इतने बड़े ,पैसे वाले होकर भी सब बच्चों को बहुत प्यार करते थे ,सबको अच्छी बातें सिखाते,
शिवा जब अनाथलय में नया नया था वह सबसे अलग ,अकेला ही रहता था,किसीसे ज्यादा बात भी नही करता ,ना कोई खेल खेलता था, भीकु उसे रोज घर मे शराब पीकर किसी जानवर की तरह मारता था,उसके दिल मे बचपन से डर बैठ गया था ,उसने यहां पर कुछ गलती कि तो उसे यहाँ भी मारेंगे
एक दिन शिवा खेल के मैदान में अकेला ही बैठा था ,सब लड़के खेल रहे थे ,उसके बगल में तब उसे किसी ने पुकारा
बेटा तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो ,सब के साथ खेल क्यू नही रहे, शिवा ने जब देखा ये किसकी आवाज है तो वह नरेशदादा थे,शिवा उनको अच्छी तरह जानता था, उसने जवाब दिया ,बस सर ऐसे ही नही खेल रहा
नरेश ,में तुम्हारा कोई टीचर हु
नही सर
तो फिर मुझे सर क्यों बुलाते है, मुझे यहा सब बच्चे क्या बुलाते है
जी नरेशदादा बुलाते है
तुम भी तो सबमे से हो मुझे तुम इसी नाम से बुलाना आगे
जी आप मुझसे बड़े है में आपको नाम से नही बुला सकता
नरेश ,तो क्या नाम से बोलोगे
जी मे आपका दादा बुला सकता हु
नरेश को यह सुनकर बड़ी खुशी हुई ,चलेगा तुम यही नाम से बुलाना ,यहा मुंबई में बड़े भाई को दादा बुलाते और दिल्ली में अपने बाप के पिता को दादा बोलते है
नरेश के प्यार भरी बातो से शिवा का डर भी थोड़ा कम हुवा वो भी नरेश से धीरे धीरे के खुलने लगा उसने अपने डर के बारे में बताया ,उसने नरेश को यह नही बताया कि भीकु को वह कहा मिला ,बस इतना ही बताया कि 10 साल तक वह उसको रोज रात को बेल्ट से मारता था और रोने लगा और बोलने लगा भीकु बोला करता कि में लावारिस हु,उसकी बात जानकर नरेश को खून गुस्से से उबलने लगा ,उसे लग रहा थी अभी जाकर भीकु के हाथ पांव काट दे ,लेकिन अपने गुस्से को अपने अंदर समेटकर नरेश ने पहले शिवा के आंसू पोछे, उसे अपने गले लगाकर चुप करने लगा,नरेश को ऐसा लग रहा था कि शिवा कोई पराया नही बल्कि उसका अपना ही है, शिवा को उसने एक बात समझाई, बेटा हर कोई इंसान में डर रहता है ,बस हमे जिंदगी में एक बात का ही डर रहना चाहिए, कि अगर हम किसी मजबूर को मदद करने से अपने किसी स्वार्थ की वजह से पीछे हट गए और हमारे सिवा उसकी कोई मदद नही करना वाला हो तो ऐसी जिंदगी जीने का क्या फायदा ,अपनी पूरी जिंदगी में ऐसा शर्मनाक पल ना आ आये बस इसी चीज का डर हमेशा रहे बाकी सब डर किसी काम के नही होते ,उस मजबूर की मदद करने में अपने जान की बाजी भी लगानी पड़े तो पीछे नही हटना नही चाहिए ,नरेश ने उसके बात कुछ दिन शिवा के साथ ही रहकर उसके अंदर जैसी नई जान फूंक दी थी ,उसके बाद एक नये शिवा का जन्म हुवा था ,नरेश जब भी मुम्बई आता शिवा के साथ वक्त गुजरता ,नरेश ने शिवा को कुश्ती के और लड़ने के उसे आने वाली सारी कलाये सिखाई थे,और शिवा भी नरेश की बात दिल से मानता था
उन दोनों को पता नही था कि वह एक दूसरे के खून से जुड़े है,नरेश को यह पता नही था कि शिवा ही उसका पोता है,और शिवा को यह नही पता था कि उसे सिखाने वाले उसका अपना ही दादा है,
इन तीन सालों में एक बात और हुवी थी जो शिवा को पता नही थी नरेश ने बड़े प्यार से शिवा से भीकु का पता जान लिया था नरेश जब जब मुम्बई आता था रोज रात को भीकु के घर पर जाकर उसकी जमकर अपने बेल्ट से धुलाई करता था ,
और आज शिवा भी अपनी नरेशदादा की दिखाई राह पर चलने वाला था ,उसके अंदर अब डर खत्म हो गया था ,खून ही अपन खून को सही रास्ता दिखा रहा था
शिवा के कदम वापिस विनोद के ऑफिस की तरफ चल पड़े,विनोद वही मौजूद था ,वो शिवा को देख कर हैरान गया
विनोद ,बोलो शिवा क्या बात है तुम दो घण्टे में वापस आ गए ,कुछ और पूछना था क्या
शिवा ,नहीं सर ,में यह बताने आया था की में दुबई आने को तैयार हूं
विनोद ,शिवा जल्दबाजी मत करो ,तुम्हारे पास सात दिन है
शिवा, मेरा फैसला नहि बदलेगा सर
विनोद ने फिर भी उसे थोड़ा समझाया लेकिन शिवा नही माना, फिर उसने अपने एक आदमी को पास बुलाकर शिवा को दुबई जाने के लिये लगने वाले कागज की लिस्ट देने को बोला और अपने एक आदमी को शिवा यहां से जाने के बाद क्या करता है ,उसे पैसे की क्यो जरूरत है यह पता करने उसके पीछे लगा दिया
शिवा वहां से निकलके पहले बैंक गया वहा जाकर उसने अपने खाते से 1 लाख नब्बे हजार निकाल लिये ,सबसे पहले उसने उन पैसों दो फोन खरीदे एक एंड्राइड और सस्ता
कीपैड वाला दोनों में सिम कार्ड डालकर अपने आधारकार्ड से उनको चालू कर लिया ,वहाँ से वो थोड़ी खानेपिने की चीजें लेकर शफ़ी चाचा के घर पहुंच गया, घर जाकर उसने खानेपीने का सामान जीनत के हाथ मे दे दिया ,सबने मिलकर फिर खाना खाया ,शिवा ने अपनी जेब से डेढ़ लाख रुपये निकालकर जीनत के हाथ मे दिये, जीनत उससे पैसे लेने को तैयार ही नही थी उसे अपनी कसम देकर उसने पैसे लेने को मजबूर किया और यह भी बताया कि यह पैसे उसके अपने मेहनत के है,कोई गलत काम करके उसने यह पैसे कमाए नही है,शिवा ने फिर एंड्राइड फ़ोन सनम के हाथ मे दे दिया ,सनम पढ़ीलिखी थी उसने बी ए तक पढ़ाई की थी ,उसे फोन चलाना आता था ,शिवा ने बोला अभी आप सब मिलके यह फोन इस्तेमाल करो बाद में सबको एक एक फोन लेके दूंगा, शिवा ने सुबह चारो बहनों को अपने साथ लेकर कपड़े की दुकान में लेके गया और सबको अपनी पसंद के दो दो ड्रेस लेके दिए ,जीनत और शफ़ी चाचा को भी उसने दो जोड़ी साड़ी और ड्रेस लेके दिए ,फिर सबको बाहर ही खाना खिलाके घर लौट आए, नए कपड़े लेने से सब लड़कियां बहुत खुश थी, शिवा ने विनोद ने जो कागज बोले थे वो अपने घर से लेके उसके ऑफिस में जमा करवा दिये , विनोद ने शिवा को पहले ही यह बता दिया था कि उसके दुबई का पूरा खर्चा वह खुद करने वाला है,
शिवा ने होटल जाकर मैनेजर से भी मुलाकात की ,उसे अपने काम पर जॉइन होने के लिये अभी 20 दिन बाकी थे,उसने कहा अगर वो होटल में अभी 6 दिन एकाउंट का काम कैसे चलता है यह आकर सीखना चाहेगा ,इससे उसे काम करने में बाद में आसानी होगी,मैनेजर ने भी यह बात को मान लिया ।