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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:-2

कॉलेज से लौट कर जैसे ही साची घर के अंदर पहुंची, अपना बस्ता हॉल में लगे डायनिंग टेबल के ऊपर रख कर सीधी अपने मा के गोद में अपना सर रख कर वो फूट- फुट कर रोने लगी। अनुपमा मिश्रा (साची की मां) को कुछ भी समझ में नहीं आया कि ये हो क्या रहा है और इधर साची लगातार रोए ही जा रही थी।

किसी तरह अनुपमा ने उसे शांत करा कर उस से रोने का कारण पूछा। तब साची सिसकती हुई किसी तरह बोली कि वो परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाई है। एक ही वक़्त पर अनुपमा मिश्रा को दूसरा झटका लगा था क्योंकि साची फेल होने वाली छात्रा तो कभी नहीं रही।

अब अनुपमा को समझते देर न लगी कि उसकी बेटी को शायद उसके फेल होने का गहरा सदमा लगा है और इसलिए वो इतनी व्याकुलता से रो रही है। अनुपमा ने उसे सांत्वना दिया और हौसले से काम लेने के लिए कहने लगीं लेकिन साची थी कि उसे रह रह कर रोना अा रहा था।

सांझ तक पापा मनीष मिश्रा भी लौट आए जो कि एक जिलाधिकारी थे। यूं तो साची अपने पिता के सम्मुख नहीं गई किंतु उसके बारे में अनुपमा ने सारी बात बता दी। मनीष की तो जान बसती थी अपनी पुत्री में इसलिए वो सारे काम छोड़ कर सीधा अपने बेटी के कमरे में गया, पीछे-पीछे अनुपमा भी पहुंची..

मनीष, साची के सिर पर अपना हाथ फेरते उस से पूछने लगा… "क्या हुआ मेरे शेर को, वो आज ऐसे लोमड़ी क्यों बन गई"

अनुपमा:- अरे ! ये कैसी मिसाल है?

मनीष मुस्कुराते हुए कहा… "कुछ नहीं बस माहौल हल्का कर रहा था, वैसे तुम बता रही थी कि साची तुम से लिपट कर खूब रोई, लगता है पापा के लिए आंसू ही नहीं बचे इसलिए तो ये रो नहीं रही"..

अनुपमा, मनीष की बातों से चिढ़ती हुई कहने लगी… "ये कैसी बातें कर रहे हैं आप। यहां बेटी परेशान है और आप है कि बेतुकी बात कर रहे हैं। मुझे यहां चिंता खाए जा रही है….

मनीष:- तुम बेकार में चिंता कर के दिल कि मरीज मत हो जाना क्योंकि शायद ये बॉटल साची अपने बैग में ही भूल गई थी इसलिए अभी नहीं रोई…

अब तक साची जो अपना सिर झुकाए नीचे परी थी वो अपना सिर उठा कर पापा के हाथ में परी ग्लिसरीन की सिसी को देखने लग जाती है…. जैसे ही उसने ये देखा, जल्दी से उठ खड़ी हुई और अपने स्कूटी की चाभी लेे कर बाहर भागी… और जाते जाते कहने लगी "पापा मुझ से इतनी जल्दी पीछा छुड़ाना आप के लिए मुश्किल होगा"…

इस से पहले की अनुपमा कुछ कह पाती या समझ पाती साची फुर्र हो चुकी थी और मनीष अपनी जगह पर बैठ कर हंस रहा था। अनुपमा इस बार गुस्से से मनीष की ओर देखती है…. मनीष को लगा कि अब ज्यादा देर यदि बात को राज रखा गया तो कहीं अनुपमा ना कोई ड्रामा शुरू कर दे इसलिए वो राज से पर्दा उठाते हुए कहने लगा… "तुम ऐसे हैरान मत हो, साची जन बुझ कर फेल हुई है"

अनुपमा:- जान बूझ कर ! लेकिन क्यों?

मनीष:- शायद उसमे हमारी बात सुन ली थी कि ग्रेजुएशन बाद उसके लिए लड़का भी ढूंढना है।

अनुपमा अपने सिर पर हाथ मरती:- क्या करूं मैं इस लड़की का? पढ़ लिख कर कहो कुछ बन जा तो कहती है मै अपनी मा की तरह गृहणी बनूंगी मुझे प्रतियोगिता परीक्षा के नाम पर सिर दर्द नहीं पालना और जब शादी की बात सोच रहे हैं तो ऐसी हरकते। मनीष ये आप के कारण ही इतनी बिगड़ गई है।

इतना कह कर अनुपमा खामोश हो गई और मनीष की ओर देखने लगी। मनीष भी अनुपमा की आंखों में देखने लगा। दोनों एक दूसरे की आंखों में कुछ देर तक देखते रहे और फिर दोनों हसने लगे। थोड़े खिंचा तानी के बाद माहौल थोड़ा रोमांटिक हो चला था और दोनों सुकून से एकांत का आनंद लेने लगे।

इधर साची सांझ को जो निकली तो सीधा रात को घर पहुंची। जैसे ही हॉल में वो पहुंची मनीष और अनुपमा भी वहीं बैठे थे। हालांकि इसमें कुछ भी आश्चर्य नहीं था, साची को पूर्वानुमान था कि उसके माता पिता हॉल में बैठे होंगे और उस पर तगड़े तानों की बौछार करने वाले हैं। फिर भी इस मेलो ड्रामा से बचने के लिए साची चुप-चाप अपने कमरे के ओर खिसकने लगी लेकिन तभी अनुपमा जोर से कहती है… "सोच रही है मेलो ड्रामा से कैसे बचुं… हां … भाग रही है, चल इधर अा"

"पता नहीं कौन देवता पूजती है मेरी मां, मेरी हर बात का ज्ञान इन्हे कैसे हो जाता है"… इतना सोचती हुई वो अपने मां से कहती है… "बिल्कुल नहीं मेरी प्यारी मां, कहिए ना क्या बात है?"

अनुपमा गंभीर होती हुई कहने लगी… "इतना मस्का लगाने की जरूरत नहीं है, आज का तेरा नाटक देख कर हमने तेरी शादी तय कर दी है।"

साची बड़ी अदा से इठलाती हुई कहने लगी….. "देदो, मेरे उनकी तस्वीर देदो…. आज रात उसे मैं अपने सिरहने तले रख कर उन्ही के सपने देखूंगी"

अनुपमा, साची को धीमे से धक्का देती हुई कहने लगी… "हट नौटंकी… कभी कभी मैं सोच में पड़ जाती हूं कि तुझ में किस के गुण अा गए?"

साची:- वो तय करना मेरा काम नहीं वो आप दोनों मिल कर तय करो। फिलहाल मेरी सजा बताओ।

मनीष:- साची बेटा मस्ती बहुत हो गई लेकिन ये जान बूझ कर फेल होना, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। कोई समस्या है तो हम बैठ कर बात कर सकते थे लेकिन ये सब….

साची जो अब तक अपनी मां के गले पड़ी थी अब अपने पापा के गले लगती हुई कहने लगी…. "आई एम सो सॉरी पापा, मुझे लगा यदि मैंने जल्दी-जल्दी ग्रेजुएशन भी कर लिया तो कहीं आप लोग मेरी शादी ना करवा दो.. इसलिए ऐसा किया"

मनीष:- तुम ने हम से कहा कि तुम्हे प्रतियोगिता परीक्षाओं में कोई रुचि नहीं। हमने कभी कोई जोर जबरदस्ती की इस मामले में.. कभी नहीं। फिर तुम ने कहा कि तुम्हे साहित्य में रुचि है और तुम साहित्य से अपना ग्रेजुएशन करना चाहती हो.. हमने ये भी मान लिया… लेकिन आज जो हुआ उस से मेरा दिल टूटा है क्योंकि तुम्हारा लक्ष्य तो केवल शिक्षा पाना था, ना कि शिक्षा के माध्यम से किसी के अंदर नौकर बन कर उसकी नौकरी करना.. फिर तुम्हारा जान बूझ कर फेल होना बिल्कुल अनुचित है और शिक्षा के साथ बेईमानी भी…

साची जो मज़ाक-मज़ाक में कर चुकी थी, उसका अभी उसे दिल से अफसोस हो रहा था। अपने पापा के सामने खड़ी हो कर उसने अपने दोनो कान पकड़ लिए और शांत खड़ी हो गई… इस बार सच में उसके आंखों में आंसू थे जो उसकी आंखों से बह रहे थे।

अनुपमा "हाय मेरी बच्ची" कहती उसे खुद में समेट ली और उसके आंसू पोंछती हुई कहने लगी…. "तू जानती है तुझ में सब से बेस्ट क्या है"

साची:- क्या?

अनुपमा:- दुनिया में बहुत कम ऐसे बच्चे होते हैं जो अपने माता पिता से झुटे मुंह ही माफी मांग ले.. दिल से माफी मग्नी तो दूर की बात है… इसलिए तू मेरा बेस्ट बच्चा है।

मनीष:- हा हा हा… ये बात बिल्कुल सही कही अनुपमा… यहां तक कि मुझे याद नहीं कि तुमने अपने गलती के लिए मुझे से कभी माफी मांगी हो?

अनुपमा:- साची बेटा जरा किचेन से मेरी बेलन तो लेे अा…

और फिर तीनों हसने लगे। साची अपने मां के गोद में ही सिर डाले वहीं बात करते- करते सो गई… सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसने देखा उसके मम्मी पापा दोनों सोफे पर ही लेटे हैं… साची उन दोनों का चेहरा देख कर थोड़ा मुस्कुराई और फिर धीमे से सॉरी कह कर एक सेल्फी लेे ली।

कुछ दिनों बाद पता चला कि मनीष को 5 साल के लिए फौरन एंबेसी में काम करने का मौका मिला है। हालांकि वहां परिवार लेे जाने का प्रावधान तो था किंतु मनीष के छोटे भाई राजीव के जिद के किसी की नहीं चली… हालांकि पहले भी कभी किसी की नहीं चली। तो ये तय हुआ कि मनीष जाएगा विदेश और साची और अनुपमा जाएंगी राजीव के पास, जो कि दिल्ली के लोकसभा सचिवालय में एक उच्च अधिकारी थे और एक शानदार सरकारी बंगलो में पिछले 12 सालों से दिल्ली में रह रहे थे….
 
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kamdev99008

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तो ऐसे पहुंची अनुपमा और सांची........दिल्ली

अब ये अपस्यू नज़र गड़ाए बैठा है........................ देखते हैं क्या है सांची के दिल में
इकरार या इनकार
 

nain11ster

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पहला नशा , पहला खुमार....
नया प्यार है... नया इंतेज़ार...

अपस्यू नाम काफी सोच कर चुना है आप ने , मौलिक नाम है और कहानी की पात्र को खूब जचता भी है.. लेकिन आगे देखते है ये चरित्र अपनी क्या चरित्र बनाता है..!

वैसे कहानी की शुरुवात आप ने मुलाकात से और फिर आंखेचार से की है... कहानी को रूचिला बनाने की अच्छी उपाय है ये... वैसे लड़की की रूप की सोभा वर्णन नहीं हुआ है अभी तक इसका मतलब कुछ ,धमाकेदार अलंकार सहित सौंदर्य वर्णन अभी इंतेजार में है आने को...

ये दोनों किसी मकसद कि बातें कर रहे थे , कहानी की थीम रोमांस है सो मुझे नहीं लगता इसमें कुछ तिलस्मी , एयरी किस्म की स्थिति देखने को मिलेगा.. लेकिन कहानी में क्या होगा ये लेखक साहाब ही जाने...

वैसे पहला प्यार की पहला इकरार बोहोत ही सुन्दर था... बस चरित्र में घुसने को विवश कर देता था...

खूब अच्छी शुरुवात थी , अच्छी पेशकश थी...
आगे की इंतेज़ार में हैं हम... :superb:

करलूँ मैं क्या अपना हाल
ऐ दिल-ए-बेक़रार मेरे दिल-ए-बेक़रार
तू ही बता ....

मेरा मानना है कि हर किरदार जो अपना रोल अदा करने वाला है उसकी खास पहचान उसके सही नाम से होती है... इसलिए मैं नाम के चुनाव में विशेष ध्यान रखता हूं। इस बात को हाईलाइट करने के लिए शुक्रिया क्योंकि जो अभी एक सिंपल सा नाम दिख रहा है उसे ढूंढने के लिए और कैरेक्टर के हिसाब से बिठाने के लिए मुझे 2 दिन लग गए।

जी कहानी में रुचि लेने का शुक्रिया उम्मीद करता हूं कि मैं आगे भी आपका सूची बनाए रखु और जहां तक बात है रूप वर्णन की तो इस पर हमारे विचार भिन्न हो सकते हैं....

क्योंकि जो मजा बिना कोई शब्द कहे उस बात को अनुभव करवाने में है वो शब्दों के माध्यम से सीधे अनुभव करवाने में नहीं इसलिए शायद रूप वर्णन ना होकर भी हो या फिर होकर भी ना हो किसे पता...

नाना कहानी रोमांस और पूर्णतः रोमांस है लेकिन मैं इस बात से भी इनकार नहीं कर सकता कि इस रोमांस में रोमांच नहीं... इसलिए कुछ भी हो सकता है या कुछ नहीं भी.... बस जुड़े रहिए और अपनी प्रतिक्रिया ऐसे ही देते रहिए..

धन्यवाद
 

nain11ster

Prime
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Pahale hi update me itane jhol.
Dono BHAI kaun hai
Shahar kyo laya gaya?
Aur heroine kaun hai.
Isi liye aapki kahani bahut jyada pasand aati hai.
Please bhai Pichhali kahani ko bhi pura karo yaar nischal aur jiva wali please please please
नाना भाई यह तो कहानी शुरुआत ही हो रही है अभी जो नजर आने लगा खैर इस झोल झाल वाली कहानी पर पर अपनी जलेबी जैसी सीधी प्रतिक्रिया देते रहिएगा...

इश्क़ रिस्क की स्टोरी को रिट्रीव करने का काम चालू है... एक बार वो स्टोरी मेरे पास आ गई तो फिर उसे एंड कर के ही इधर पोस्ट करूंगा... फिलहाल इतना ही कहना चाहूंगा की वो स्टोरी अभी मेरे पास नहीं तो बता नहीं पाऊंगा की कब तक कंप्लीट होगी...
 

rgcrazyboy

:dazed:
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bhut ache.
yaha to ek or drama dekhane ko mil gaya.
chalo update kaha se utha ke kaha leja ke pataka hai bhut khub.
story ka title to bhawar rakha he diya hai.
lagata hai update bhi bhawar ki tarah hoge.
pahala update kaha khatam huaa tha or dura kaha se shuru huaa yahe sochate sochate ulja rahai ho.
lage raho hamra kya ham apna hatyar le ke tayar hai tumhara sar fodane ko :bat: :declare:
 

rgcrazyboy

:dazed:
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डाल डाल पात पात करके अमरुद नहीं तोड़ना है यही रहिए और बस वही अपने पुराने अंदाज में जरा दो चार बातें अपडेट के ऊपर लिखते रहिएगा हमें अति प्रशंत्ता होती है ।
kamdev99008 bhai thode se torch bhi satha main lete aana updates par prkash dalne ke liye. :)
 

Aakash.

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Saachi's parents love her very much. Saachi is good in studies but deliberately failed, which means she does not want to get married or is not ready for marriage at the moment. Today's full update was on Saachi and her family members, I loved seeing each other's love. There is a lot of difference in your story from the rest of the stories because your way of writing is different, as you introduce characters today.
As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.
Thank You...
???
 
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