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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#151
भाई, ये नेवले का चक्कर लगाना थोड़ा थोड़ा यिन-यांग जैसा लगा। घड़ी का चक्र हमने अपने सहूलियत के लिए बनाया है - भौतिकी का वो नियम नहीं है।
लेकिन दोनों ने clockwise और anti-clockwise चक्कर लगा कर यिन-यांग या अनंत बना दिया।
जीवन-चक्र अनंत ही तो है।
बहुत बढ़िया लेख रहा नेवले का रहस्य सुलझाना।
धन्यवाद बड़े भाई , आप जैसे महानुभावों से ही सीख रहें है। :pray:
#152
ऐसी अंतरंग घटना हुई हो और शलाका को उसकी याद भी न हो, तो ऐसा केवल एक ही कारण से हो सकता है।
वो लड़की शलाका नहीं, आकृति थी। उसने धोखे से वो अमृत बूँद पी ली रहेगी।
लेकिन यहाँ एक प्रश्न है -- कैसे वो अपनी प्रेमिका को पहचान नहीं सका? वो तो प्रकृति के संग एकाकार होने का बड़ा दम्भ भरता था।
चिड़ियों और तितलियों से बातें कर सकता था। तो फिर एक छल करने वाली लड़की की सच्चाई कैसे न जान सका वो?
भाई जब लम्बे अन्तराल के बाद अपनी नव विवाहिता से मिल रहा हो तो कंट्रोल नही हुआ होगा।:shhhh: ऐसे में बड़े बडों से चूक हो जाती हॅ।
और एक बात, आकृती ने जान बूझ कर ही अमृत पिता था, बल्कि शलाका होती तो पहले आर्यन को पिलाती, फिर खुद पीती। :declare:

#153
“इस समय शलाका को यही नहीं समझ में आ रहा था कि वह गलती किसकी माने, आकृति की जिसने आर्यन को धोखा दिया, आर्यन की ....जिसने एक माँ को उसके बालक से जुदा कर दिया या फिर स्वयं की ....जो उस समय आर्यन को बिना बताए, अपनी माँ का पार्थिव शरीर ले, अपने भाइयों के साथ एरियन आकाशगंगा चली गई थी, जिसकी वजह से आर्यन ने मृत्यु का वरण किया।”
इसका जबाव मुझ से बेहतर आप ही दे सकते है सरकार :pray:
मेरे हिसाब से सबसे बड़ी गलती तो आकृति की है। वो अमृत लेने आई थी और उसके लिए उसने आर्यन से छल किया। संतान/बालक पाना उसका मकसद कभी था ही नहीं - वो उसको मिला। वो अपनी संतान की माता होने के योग्य नहीं है। इसलिए आर्यन का उस बालक को अपनी माँ से अलग करने में कोई बहुत बड़ा दोष नहीं (बस इतना ही कि वो शलाका के रूप में आकृति को पहचान नहीं सका)! कामाग्नि में वैसे भी मति मारी जाती है। कुछ गलती शलाका की भी हो सकती है - प्रेमियों में अगर संवाद न हो, तो सम्बन्ध के छिन्न भिन्न होने में समय नहीं लगता।
ये हुई ना बात, 100% सहमत 🫡
वैसे आकृति को बहुत बड़ा दंड मिला है।
सो तो है। एक माॅ से उसकी संतान को दूर कर देना, सच में बोहोत बडा दंड है।✔️
#154
““यह कैश्वर तो कोई कविताकार लगता है, जहां देखो कविताएं लिख रखीं हैं।” ऐलेक्स ने हंसते हुए कहा।” -- हा हा हा हा हा! केश्वर है आशु कवि! 😂 😂
कंकाल और ऑक्टोपस की लड़ाई! हा हा हा!
हास्य व्यंग्य भी बीच-बीच में जरूरी है भाई साहब , वरना सभी गाली देंगे। कहानी बोर हो जायेगी।:dazed:
#155
अरे बाबा - ये A1 और A7 ने तो चुटकियों में धरा और मयूर को ढेर कर दिया! नाहक ही पिट गए दोनों।
चोबे जी चले थे छब्बे जी बनने, दूबे जी बन कर रह गये।:D
#156 और #157
आया मकोटा और तमराज जैगन! हा हा हा!
गोंजालो? कौन?
द्वार क्रमाँक 2.2 थोड़ा आसान रहा। लेकिन अच्छा है - कभी कभी पहेलियों का आसान होना भी आवश्यक है।
ये थोड़े ही कि हमेशा तकलीफ़ में ही जिया जाए!
गोंजालो, मकोटा का एक सेवक है। जिसे तमराज की और मकोटा की सेवा के लिए रक्खा गया है।
हर पडाव एक समान तो हो ही नही सकता प्रभू :shy:
#158
कैस्पर वारुणि विक्रम -- इनको तो भूल ही गया लगभग। इसीलिए कहानी के संग बने रहना चाहिए।
वॉर ऑफ़ द वर्ल्डस की भूमिका रखी जा रही है। ई तो ससुरा होना ही था!
तय है भाई।
#159
भाई वाह -- चींटियों के बारे में, और उनकी नस्ली विविधता के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला इस अपडेट में।
धन्यवाद भाई :thank_you:
#160
सैंटाक्लॉस की तरह का बूढ़ा, टोबो -- बचपन में एक साइकिल आती थी, टोबू साइकिल!
टीवी में उसका ऐड देख कर मन में मैंने ठान लिया था कि लूँगा तो वही साइकिल। लेकिन घण्टा!
बहुत सालों बाद मिली तो वो एटलस साइकिल - जिसको दूध बेचने वाले इस्तेमाल करते थे। हा हा हा हा! 😂
😁😁
वेगा और युगाका की शक्तियों का स्रोत समझ में आया।
इस महावृक्ष ने बोहोत सी लीला रचाई है भाई 😎

#161
चींटियों का किस्सा ख़तम!
बहुत कुछ जाना इस पूरे वाक़ये में! धन्यवाद।
धन्यवाद भाई, गुगल पर भी भिल सकता है काफी कुछ, मैने टीवी पर डिस्कवरी प्रोग्राम मे देखा था एक बार, बोहोत कुछ बताया गया था।
#162
विल्मर को क्या लाभ हुआ सुनहरी ढाल का? कुछ नहीं!
व्यक्ति को अपनी हैसियत के हिसाब से वरदान माँगना चाहिए - अपात्र या कुपात्र को जब अपनी हैसियत से ऊपर कोई अनुचित स्थान मिलता है, तो वो उसको सम्हाल नहीं पाता। वर्षों से भारत देश के लगभग सभी राजनेता, न्यायाधीश, दरोगा इत्यादि सब या तो अपात्र हैं या कुपात्र। इसीलिए देश का ऐसा बुरा हाल हो गया है।
वैसे, कहा था न - ये आकृति बेहद नीच है। उसका घुन्नापन ख़तम ही नहीं होता।
सही कहा भाई भाई जी, मेरी नजर में मकोटा ओर उसमें कोई अंतर नही है।:sigh:
#163
आर्टेमिस मेलाइट अपोलो ज़ीउस और ऐसे ही असंख्य ग्रीक रोमन देवी देवताओं के नाम से उलझन होने लग गई है।
अब क्या हो सकता है भाई, झेल लीजिए मेरे खातिर , अगली कहानी मे ऐसा गलती नही करूंगा। हमका माफी दैदो :pray:
मैंने देखी है स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी। खूब भीड़ जुटती है उसको देखने के लिए - नाव से जाना होता है उस टापू पर। स्टेचू से बेहतर वो टापू लगता है। मूर्ति अच्छी है, लेकिन बोर भी खूब लगता है वहाँ।
MDCCLXXVI --- बहुत दिनों बाद रोमन में कोई अंक लिखा हुआ देखा।
आप तो पहुंचे हुए निकले सर, हम तो हिंदुस्तान से बाहर ही नहीं निकले कभी।:D
अद्भुत है आपका लेखन भाई! कितना कुछ जानने और सीखने को मिलता है। वाह!
अहोभाग्य हमारे कि ऐसी महागाथा पढ़ने का लाभ मिला। वाह भाई!
ऐसा मत बोलिए भाई साहब, जैसा आप लिख लेते है, वैसा तो हम लिख ही नही पाते।🙏🏼🙏🏼
वैसे आपके इस अप्रतिम, और शानदार रिव्यू के लिए आपका बोहोत-बोहोत आभार भाई। 🙏🏼🙏🏼
वैसे अब हम साथ आ गए वापस। 🙏
स्वागत है आपका फिर से।:dost:
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Gazab ki update he Raj_sharma Bro,
Thank you very much for your wonderful review bhai :thankyou:
Statue of Liberty ke baare me itni jankari dene ke liye dhanywad..........

Suyash and party ke liye samsaya ka ant abhi nahi hua he.........

Rang bhi badlna he aur pairo ki bediya bhi todni he.........

Keep posting Bro
Dono kaam ho jayenge bhzi, nichint rahiye. Aur sath bane rahiye . :thanx:
 

Raj_sharma

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वो सब तो ठीक है लेकिन आपके डिस्प्ले-फ़ोटो में एक लड़का (वो तो आप ही हैं) और एक लड़की है - और दोनों एक ही तरह के फूल लिए हुए हैं।
क्या कोई 'आप आए बहार आई' जैसी खुश - ख़बरी है?
Bahaar to kabhi ki aa chuki hai bhai, bas humne yaha kise ko bataya nahi 😅😅
 

sunoanuj

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अगले भाग की प्रतीक्षा में है !
 
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Raj_sharma

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#164.

“बहुत अच्छे क्रिस्टी। तुमने बहुत अच्छी चीज पर ध्यान दिया।” सुयश ने क्रिस्टी की तारीफ करते हुए कहा- “यानि की अगर हम उस किताब पर लिखी तारीख को सही कर दें तो मूर्ति के पैरों में लगी बेड़ियां अपने आप हट जायेंगी।”

“कैप्टेन, आपने मेरी तारीफ क्यों नहीं की ?” ऐलेक्स ने नकली मुंह बनाते हुए कहा।

ऐलेक्स का ऐसा मुंह देख सभी की चेहरे पर मुस्कान आ गई।

सुयश ने ऐलेक्स की ओर देखा और जोर से उसका गाल पकड़ कर खींच दिया। यह देख सभी हंस दिये।

“अच्छा अगली बात कि मूर्ति के हाथ में पकड़ी मशाल की फ्लेम भी गायब है, हमें उसे भी ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने सभी को फिर से काम की याद दिलाते हुए कहा।

“कैप्टेन, मशाल वाली जगह पर जाने के लिये तो सीढ़ियां बनी हैं, पर इस किताब वाली जगह पर कैसे जायेंगे, वहां जाने का तो कोई रास्ता नहीं है।” तौफीक ने सुयश को ध्यान दिलाते हुए कहा।

“हमें वहां पर उतरने के लिये एक लंबी और मजबूत रस्सी चाहिये होगी...जो कि शायद यहीं कहीं हमें ढूंढने पर मिल जाये?...पर पहले हमें मशाल वाली जगह पर चलना होगा।” सुयश यह कहकर वापस सीढ़ियों की ओर बढ़ गया।

कुछ देर में सभी मशाल वाली जगह पर थे।

यह जगह मूर्ति की सबसे ऊंची जगह थी, यहां से न्यूयार्क शहर का एक बहुत बड़ा हिस्सा दिख रहा था।

सभी ने चारो ओर देखा, पर मशाल की फ्लेम कहीं भी नजर नहीं आयी।
जब काफी देर तक मशाल की फ्लेम नहीं मिली, तो थककर ऐलेक्स ने कहा - “मशाल की फ्लेम का आकार काफी बड़ा है, ऐसे में उस फ्लेम को इस स्थान के अलावा मूर्ति में कहीं नहीं रखा गया होगा, क्यों कि अगर उसे कहीं और रखा गया होता, तो उसको उठाकर यहां तक लाने के लिये कुछ ना कुछ व्यवस्था जरुर होती? पर हमें यहां और कुछ नहीं दिखाई दे रहा? इसका मतलब कुछ तो जरुर ऐसा है, जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं?”

ऐलेक्स के शब्द सुन सुयश कुछ देर के लिये सोच में पड़ गया और फिर वह मशाल की सीढ़ियां चढ़कर मशाल की फ्लेम के पास आ गया।

सुयश कुछ देर तक मशाल की फ्लेम के ऊपर हवा में हाथ लहराता
रहा और अचानक से जैसे ही सुयश ने अपना हाथ नीचे किया, मशाल पर फ्लेम दिखाई देने लगी।

सुयश अब उतरकर नीचे आ गया। सुयश के नीचे आते ही सभी ने उसे घेर लिया।

“कैप्टेन, आप ने यह कैसे किया?” जेनिथ ने सुयश से पूछ लिया।

“दरअसल मुझे अपने पुराने समय की एक घटना याद आ गई।” सुयश ने कहा- “जब मैं xv साल का था, तो मुझे याद है कि अमेरिका के एक प्रसिद्ध जादूगर ‘डेविड कॉपरफील्ड’ ने सबके सामने जादू से, स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को गायब कर दिया था, मैंने भी वह शोटी.वी. पर देखा था। उस समय तो सभी के लिये, यह एक बहुत बड़े जादू के समान था, पर बाद में पता चला कि स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी कहीं गायब ही नहीं हुआ था, जादूगर ने उसके सामने एक शीट लगा कर सिर्फ दुनिया की नजर में गायब किया था।

“तो जब ऐलेक्स यह कह रहा था कि मशाल की फ्लेम को कहीं और नहीं रखा जा सकता? तो मुझे लगा कि कहीं मशाल की फ्लेम अपनी जगह पर ही तो नहीं है, जिसे किसी अदृश्य शीट से ढक दिया गया हो। तभी मुझे उस अदृश्य चीज का ख्याल आया, जिससे कैश्वर ने 25 वीं खिड़की गायब की थी। बस यही सोचने के बाद, मैं उसे चेक करने के लिये मशाल के पास जा पहुंचा और मेरा सोचना बिल्कुल ठीक निकला। कैश्वर ने मशाल की फ्लेम को भी हमें भ्रमित करने के लिये अदृश्य कर रखा था।”

“तो कैप्टेन अब सिर्फ 2 चीजें ही बदलने को बची हैं।” तौफीक ने कहा- “एक तो किताब की तारीख बदल कर मूर्ति की बेड़ियां तोड़नी है और दूसरा मूर्ति का रंग भूरे से हरा करना है बस।”

“तो फिर पहले हमें तुरंत कहीं से रस्सी ढूंढनी होगी।” क्रिस्टी ने कहा।

“तो फिर सबसे पहले इस स्थान को ही ठीक से चेक कर लेते हैं और फिर वापस मुकुट वाले स्थान पर जायेंगे।” ऐलेक्स ने कहा।

सभी ने मशाल वाली जगह को हाथ से टटोलकर ठीक से देख लिया, पर वहां कुछ भी नहीं था।

इसके बाद सभी मुकुट वाले स्थान पर आ गये। पूरा कमरा सबने छान मारा, पर कहीं भी उन्हें रस्सी ना मिली।

यह देख जेनिथ ने हर खिड़की को खोलकर, उसके नीचे बाहर की ओर चेक करना शुरु कर दिया।

आखिरकार जेनिथ को सफलता मिल ही गई। उसका हाथ किसी अदृश्य चीज से टकराया।

“कैप्टेन!” जेनिथ ने खुशी से चीखते हुए कहा- “हम लोग रस्सी ढूंढ रहे थे, पर यहां इस खिड़की के नीचे बाहर की ओर अदृश्य सीढ़ियां हैं, जो कि नीचे किताब तक जा रहीं हैं।” यह सुन सुयश ने राहत की साँस ली।

“पर यह सीढियां तो अदृश्य हैं, बिना देखे इस पर से उतरना खतरे से खाली नहीं है।” क्रिस्टी ने कहा।

“इसीलिये तो मैं आप लोगों के साथ हूं।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “यह काम भी मुझसे अच्छा कोई नहीं कर सकता।”

सभी को शैफाली का तर्क सही लगा। अब शैफाली ने खिड़की के ऊपर चढ़कर अपना पहला कदम
सीढ़ियों पर रखा।

कुछ ही देर में टटोलते हुए शैफाली किताब तक पहुंच गई। शैफाली ने अब किताब के ऊपर लिखे रोमन अक्षरों को सही से सेट कर दिया।

जैसे ही किताब के अक्षर बदले, मूर्ति के पैर में बंधी बेड़ियां अपने आप खुल गईं। शैफाली धीरे-धीरे वापस ऊपर आ गई।

तभी एका एक स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के ऊपर काले घनघोर बादल नजर आने लगे और मौसम बहुत ज्यादा खराब हो गया।

सभी आश्चर्य से ऊपर की ओर देख रहे थे, क्यों कि बादल सिर्फ स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के ही ऊपर थे।
न्यूयार्क की ओर मौसम बिल्कुल साफ नजर आ रहा था।

तभी समुद्र का पानी भी जोर-जोर से ऊपर की ओर उछलने लगा।

“यह मौसम एकाएक कैसे खराब हो गया?” सुयश ने आश्चर्य से ऊपर आसमान की ओर देखते हुए कहा।

तभी अचानक सुयश को कुछ याद आया और वह चीखकर सभी से बोला- “तुरंत यहां से नीचे की ओर भागो, नहीं तो सब मारे जायेंगे।”

“ये आप क्या कह रहे हैं कैप्टेन?” ऐलेक्स ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा- “हमें यहां पर किससे खतरा है?”

“पहले भागो, रास्ते में बताता हूं।” यह कहकर सुयश भी तेजी से सीढ़ियां उतरने लगा।

किसी को कुछ भी समझ में नहीं आया कि सुयश क्यों सबको भागने के लिये कह रहा है, पर फिर भी सभी सुयश के पीछे भागने लगे।

भागते-भागते सुयश ने चिल्ला कर कहा- “यह मूर्ति तांबे की बनी है, जिसके कारण यह मूर्ति आसमान की बिजली को अपनी ओर खींचती है। इसी वजह से पूरे साल में इस पर कम से कम 300 बार बिजली गिरती है। अगर हमारे यहां रहते, वह बिजली इस पर गिरी तो हम झुलस जायेंगे।”

सुयश के शब्द सुन सभी डर गये और तेजी से सीढ़ियां उतरने लगी।

तभी कहीं पानी में जोर की बिजली गिरी, जिसकी वजह से समुद्र के पानी ने मूर्ति को भिगा दिया।

समुद्र के पानी में भीगते ही स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी का रंग भूरे से, हल्का हरा हो गया।

तभी सभी मूर्ति के नीचे मौजूद पत्थर पर पहुंच गये। अभी यह जैसे ही पत्थर के पास पहुंचे, तभी मूर्ति के ऊपर एक जोर की बिजली गिरी।

बिजली के गिरने से तेज प्रकाश चारो ओर फैल गया। अगर सुयश सभी को लेकर समय पर नीचे नहीं आया होता, तो अब तक सभी बिजली में झुलस गये होते।

तभी सुयश की निगाह मूर्ति के हरे रंग पर गई।

“लगता है समुद्र का पानी मूर्ति पर गिरने से ऑक्सीकरण के द्वारा मूर्ति हरी हो गई है।” सुयश ने कहा- “पर अगर मूर्ति हरी हो गई है तो अभी तक यह माया जाल टूटा क्यों नहीं?” सुयश के चेहरे पर आश्चर्य के भाव उभरे।

तभी एक और बिजली आकर मूर्ति पर गिरी। बिजली की रोशनी में सुयश ने जो देखा, उसे देखकर उसकी रुह फना हो गई।

बगल वाली स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी जिंदा हो गई थी और उन्हीं की ओर आ रही थी।

सुयश के चेहरे के भावों को बदलता देख सभी की निगाह उस ओर चली गई, जिधर सुयश देख रहा था।

दूसरी मूर्ति को जिंदा होते देख सबकी हालत खराब हो गई क्यों कि इस समय किसी के भी पास कोई भी चमत्कारी शक्ति नहीं थी और बिना किसी चमत्कारी शक्ति के 151 फुट ऊंची धातु की प्रतिमा को पराजित करना इनमें से किसी के भी बस की बात नहीं थी।

“अब क्या करें कैप्टेन?” क्रिस्टी ने घबराए स्वर में कहा- “बिजली अभी चमकना बंद नहीं हुई है, इसलिये हम मूर्ति के अंदर भी नहीं जा सकते और बाहर रहे तो ये दूसरी मूर्ति हमें मार देगी और इस मूर्ति को हम किसी भी प्रकार से परजित नहीं कर सकते।”

क्रिस्टी की बात तो सही थी, पर पता नहीं क्यों अभी भी सुयश तेजी से कुछ सोच रहा था।

अचानक सुयश जोर से चिल्लाया- “तुम लोग कुछ देर तक इससे बचने की कोशिश करो, मैं देखता हूं कि मैं क्या कर सकता हूं?” यह कहकर सुयश तेजी से सीढ़ियां चढ़कर वापस ऊपर की ओर भागा।

किसी की समझ में नहीं आया कि सुयश क्यों अब मूर्ति के ऊपर जाकर अपनी मौत को दावत दे रहा है, पर अभी सबका ध्यान दूसरी मूर्ति की ओर था।

दूसरी मूर्ति चलती हुई पहली मूर्ति के पास आयी और पानी में हाथ लगाकर उसे गिराने का प्रयत्न करने लगी।

सभी उसे देखकर मूर्ति वाले पत्थर के नीचे छिपकर खड़े हो गये थे।

अभी तक दूसरी मूर्ति की निगाह इनमें से किसी पर नहीं पड़ी थी, इसलिये वह बस पहली मूर्ति को उखाड़ने का प्रयत्न ही कर रही थी।

उधर सुयश लगातार सीढ़ियां चढ़ता जा रहा था, इस समय जैसे उस पर किसी थकान का कोई असर नहीं हो रहा था।

कुछ ही देर में सुयश मूर्ति के मुकुट वाले स्थान पर पहुंच गया, अब वो तेजी से जमीन पर टटोलते हुए जापानी पंखा ढूंढ रहा था।

कुछ देर की मेहनत के बाद सुयश के हाथ वह जापानी पंखा लग गया। सुयश ने तेजी से उस पंखे को वापस बंद कर दिया।

ऐसा करते ही पहली मूर्ति के मुकुट की सारी किरणें सिमट कर एक हो गईं और दूसरी मूर्ति अपनी जगह पर स्थिर हो गई।

तभी फिर से एक जोर की बिजली आसमान से पहली मूर्ति पर गिरी, परंतु आश्चर्यजनक ढंग से वह सारी बिजली बिना सुयश को क्षति पहुंचा ये उस एक किरण से निकलकर दूर पानी में जा गिरी। यह देख सुयश के चेहरे पर मुस्कान खिल गई।

अब उसने जापानी पंखें के द्वारा पहली मूर्ति की किरण को इस प्रकार सेट कर दिया कि अगर अब पहली मूर्ति पर बिजली गिरे तो वह परावर्तित होकर दूसरी मूर्ति पर जा गिरे।

अब बस सुयश को इंतजार था, एक बार फिर से बिजली के पहली मूर्ति पर गिरने का। और इसके लिये सुयश को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।

कुछ ही देर में आसमान में फिर जोर की बिजली कड़की और पहली मूर्ति पर आ गिरी।

इसी के साथ पहली मूर्ति के मुकुट में बनी किरण ने, बिजली को संकेन्द्रित करके दूसरी मूर्ति की ओर भेज दिया।

दूसरी मूर्ति पर बिजली गिरते ही वह मूर्ति टूटकर कणों में परिवर्तित हो गई। और इसी के साथ आसमान में छाए घने बादल कहीं गायब हो गए।

अब सुयश ने एक बार फिर से जापानी पंखे का प्रयोग कर पहली मूर्ति की सातो किरणों को पहले के समान कर दिया।

जैसे ही मूर्ति अपने वास्तविक रुप में आयी, मूर्ति जिस पत्थर पर खड़ी थी, उसमें एक नया द्वार खुल गया, जो कि इस बात का प्रमाण था कि तिलिस्मा का यह द्वार भी पार हो चुका है।

अब सभी को बस सुयश के नीचे आने का इंतजार था। जैसे ही सुयश नीचे आया, सभी ने सुयश के नाम का जोर का जयकारा लगाया।

कुछ देर खुशी मनाने के बाद सभी शांत हो गये।

अब ऐलेक्स ने आखिर पूछ ही लिया- “आपने यह सब कैसे किया कैप्टेन?”

“मैंने सोचा कि दूसरी मूर्ति अगर पहली मूर्ति की सब कमियां दूर करने के बाद जिंदा हुई है, तो वापस पहली मूर्ति में कमी लाकर दूसरी मूर्ति को रोका जा सकता था। यही सोचकर मैंने जापानी पंखे के द्वारा मूर्ति के मुकुट में फिर से कमी ला दी, जिससे दूसरी मूर्ति अपने स्थान पर ही रुक गई। अब रही बात उस मूर्ति को नष्ट करने की, तो मैंने यह देखा कि बिजली उस मूर्ति पर नहीं गिर रही है, इसका साफ मतलब था कि वह मूर्ति तांबे से नहीं बनी है।"

“अब बची बात इस मूर्ति की तो तांबा हमेशा नमक वाले पानी से रिएक्शन कर एक बैटरी का रुप ले लेता है और समुद्र के पानी में नमक था, यानि कि जितनी बार बिजली इस मूर्ति पर गिर रही थी, वह इसे चार्ज करती जा रही थी, अब बस उस बिजली को बढ़ाकर सही दिशा देने की जरुरत थी और वह सही दिशा मैंने सभी किरणों को एक करके कर दी। इस प्रकार से नयी गिरी बिजली, मूर्ति में स्टोर की हुई बिजली के साथ संकेन्द्रित होकर एक दिशा में जाने लगी। जिसे देखकर मैंने उस किरण का मुंह दूसरी मूर्ति की ओर कर दिया और इसी के साथ वह दूसरी मूर्ति नष्ट हो गई।”

“वाह कैप्टेन! आपने तो कमाल कर दिया ।” क्रिस्टी ने सुयश की तारीफ करते हुए कहा- “हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि इतनी बड़ी मूर्ति को बिना किसी चमत्कारी शक्ति के भी पराजित किया जा सकता है।”

“जिस समय तुमने बिना किसी शक्ति के रेत के सभी जीवों को पराजित किया था, यह भी बिल्कुल वैसे ही था।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा- “हमें किसी भी चीज को पराजित करने के लिये सही समय पर सही सोच की जरुरत होती है बस...और वह सही सोच हममें से सबके पास है।”

सुयश के शब्दों से सभी प्रभावित हो गए। कुछ देर बाद सभी अगले द्वार में प्रवेश कर गये।


जारी रहेगा_____✍️
 

Sushil@10

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#164.

“बहुत अच्छे क्रिस्टी। तुमने बहुत अच्छी चीज पर ध्यान दिया।” सुयश ने क्रिस्टी की तारीफ करते हुए कहा- “यानि की अगर हम उस किताब पर लिखी तारीख को सही कर दें तो मूर्ति के पैरों में लगी बेड़ियां अपने आप हट जायेंगी।”

“कैप्टेन, आपने मेरी तारीफ क्यों नहीं की ?” ऐलेक्स ने नकली मुंह बनाते हुए कहा।

ऐलेक्स का ऐसा मुंह देख सभी की चेहरे पर मुस्कान आ गई।

सुयश ने ऐलेक्स की ओर देखा और जोर से उसका गाल पकड़ कर खींच दिया। यह देख सभी हंस दिये।

“अच्छा अगली बात कि मूर्ति के हाथ में पकड़ी मशाल की फ्लेम भी गायब है, हमें उसे भी ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने सभी को फिर से काम की याद दिलाते हुए कहा।

“कैप्टेन, मशाल वाली जगह पर जाने के लिये तो सीढ़ियां बनी हैं, पर इस किताब वाली जगह पर कैसे जायेंगे, वहां जाने का तो कोई रास्ता नहीं है।” तौफीक ने सुयश को ध्यान दिलाते हुए कहा।

“हमें वहां पर उतरने के लिये एक लंबी और मजबूत रस्सी चाहिये होगी...जो कि शायद यहीं कहीं हमें ढूंढने पर मिल जाये?...पर पहले हमें मशाल वाली जगह पर चलना होगा।” सुयश यह कहकर वापस सीढ़ियों की ओर बढ़ गया।

कुछ देर में सभी मशाल वाली जगह पर थे।

यह जगह मूर्ति की सबसे ऊंची जगह थी, यहां से न्यूयार्क शहर का एक बहुत बड़ा हिस्सा दिख रहा था।

सभी ने चारो ओर देखा, पर मशाल की फ्लेम कहीं भी नजर नहीं आयी।
जब काफी देर तक मशाल की फ्लेम नहीं मिली, तो थककर ऐलेक्स ने कहा - “मशाल की फ्लेम का आकार काफी बड़ा है, ऐसे में उस फ्लेम को इस स्थान के अलावा मूर्ति में कहीं नहीं रखा गया होगा, क्यों कि अगर उसे कहीं और रखा गया होता, तो उसको उठाकर यहां तक लाने के लिये कुछ ना कुछ व्यवस्था जरुर होती? पर हमें यहां और कुछ नहीं दिखाई दे रहा? इसका मतलब कुछ तो जरुर ऐसा है, जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं?”

ऐलेक्स के शब्द सुन सुयश कुछ देर के लिये सोच में पड़ गया और फिर वह मशाल की सीढ़ियां चढ़कर मशाल की फ्लेम के पास आ गया।

सुयश कुछ देर तक मशाल की फ्लेम के ऊपर हवा में हाथ लहराता
रहा और अचानक से जैसे ही सुयश ने अपना हाथ नीचे किया, मशाल पर फ्लेम दिखाई देने लगी।

सुयश अब उतरकर नीचे आ गया। सुयश के नीचे आते ही सभी ने उसे घेर लिया।

“कैप्टेन, आप ने यह कैसे किया?” जेनिथ ने सुयश से पूछ लिया।

“दरअसल मुझे अपने पुराने समय की एक घटना याद आ गई।” सुयश ने कहा- “जब मैं xv साल का था, तो मुझे याद है कि अमेरिका के एक प्रसिद्ध जादूगर ‘डेविड कॉपरफील्ड’ ने सबके सामने जादू से, स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को गायब कर दिया था, मैंने भी वह शोटी.वी. पर देखा था। उस समय तो सभी के लिये, यह एक बहुत बड़े जादू के समान था, पर बाद में पता चला कि स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी कहीं गायब ही नहीं हुआ था, जादूगर ने उसके सामने एक शीट लगा कर सिर्फ दुनिया की नजर में गायब किया था।

“तो जब ऐलेक्स यह कह रहा था कि मशाल की फ्लेम को कहीं और नहीं रखा जा सकता? तो मुझे लगा कि कहीं मशाल की फ्लेम अपनी जगह पर ही तो नहीं है, जिसे किसी अदृश्य शीट से ढक दिया गया हो। तभी मुझे उस अदृश्य चीज का ख्याल आया, जिससे कैश्वर ने 25 वीं खिड़की गायब की थी। बस यही सोचने के बाद, मैं उसे चेक करने के लिये मशाल के पास जा पहुंचा और मेरा सोचना बिल्कुल ठीक निकला। कैश्वर ने मशाल की फ्लेम को भी हमें भ्रमित करने के लिये अदृश्य कर रखा था।”

“तो कैप्टेन अब सिर्फ 2 चीजें ही बदलने को बची हैं।” तौफीक ने कहा- “एक तो किताब की तारीख बदल कर मूर्ति की बेड़ियां तोड़नी है और दूसरा मूर्ति का रंग भूरे से हरा करना है बस।”

“तो फिर पहले हमें तुरंत कहीं से रस्सी ढूंढनी होगी।” क्रिस्टी ने कहा।

“तो फिर सबसे पहले इस स्थान को ही ठीक से चेक कर लेते हैं और फिर वापस मुकुट वाले स्थान पर जायेंगे।” ऐलेक्स ने कहा।

सभी ने मशाल वाली जगह को हाथ से टटोलकर ठीक से देख लिया, पर वहां कुछ भी नहीं था।

इसके बाद सभी मुकुट वाले स्थान पर आ गये। पूरा कमरा सबने छान मारा, पर कहीं भी उन्हें रस्सी ना मिली।

यह देख जेनिथ ने हर खिड़की को खोलकर, उसके नीचे बाहर की ओर चेक करना शुरु कर दिया।

आखिरकार जेनिथ को सफलता मिल ही गई। उसका हाथ किसी अदृश्य चीज से टकराया।

“कैप्टेन!” जेनिथ ने खुशी से चीखते हुए कहा- “हम लोग रस्सी ढूंढ रहे थे, पर यहां इस खिड़की के नीचे बाहर की ओर अदृश्य सीढ़ियां हैं, जो कि नीचे किताब तक जा रहीं हैं।” यह सुन सुयश ने राहत की साँस ली।

“पर यह सीढियां तो अदृश्य हैं, बिना देखे इस पर से उतरना खतरे से खाली नहीं है।” क्रिस्टी ने कहा।

“इसीलिये तो मैं आप लोगों के साथ हूं।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “यह काम भी मुझसे अच्छा कोई नहीं कर सकता।”

सभी को शैफाली का तर्क सही लगा। अब शैफाली ने खिड़की के ऊपर चढ़कर अपना पहला कदम
सीढ़ियों पर रखा।

कुछ ही देर में टटोलते हुए शैफाली किताब तक पहुंच गई। शैफाली ने अब किताब के ऊपर लिखे रोमन अक्षरों को सही से सेट कर दिया।

जैसे ही किताब के अक्षर बदले, मूर्ति के पैर में बंधी बेड़ियां अपने आप खुल गईं। शैफाली धीरे-धीरे वापस ऊपर आ गई।

तभी एका एक स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के ऊपर काले घनघोर बादल नजर आने लगे और मौसम बहुत ज्यादा खराब हो गया।

सभी आश्चर्य से ऊपर की ओर देख रहे थे, क्यों कि बादल सिर्फ स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के ही ऊपर थे।
न्यूयार्क की ओर मौसम बिल्कुल साफ नजर आ रहा था।

तभी समुद्र का पानी भी जोर-जोर से ऊपर की ओर उछलने लगा।

“यह मौसम एकाएक कैसे खराब हो गया?” सुयश ने आश्चर्य से ऊपर आसमान की ओर देखते हुए कहा।

तभी अचानक सुयश को कुछ याद आया और वह चीखकर सभी से बोला- “तुरंत यहां से नीचे की ओर भागो, नहीं तो सब मारे जायेंगे।”

“ये आप क्या कह रहे हैं कैप्टेन?” ऐलेक्स ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा- “हमें यहां पर किससे खतरा है?”

“पहले भागो, रास्ते में बताता हूं।” यह कहकर सुयश भी तेजी से सीढ़ियां उतरने लगा।

किसी को कुछ भी समझ में नहीं आया कि सुयश क्यों सबको भागने के लिये कह रहा है, पर फिर भी सभी सुयश के पीछे भागने लगे।

भागते-भागते सुयश ने चिल्ला कर कहा- “यह मूर्ति तांबे की बनी है, जिसके कारण यह मूर्ति आसमान की बिजली को अपनी ओर खींचती है। इसी वजह से पूरे साल में इस पर कम से कम 300 बार बिजली गिरती है। अगर हमारे यहां रहते, वह बिजली इस पर गिरी तो हम झुलस जायेंगे।”

सुयश के शब्द सुन सभी डर गये और तेजी से सीढ़ियां उतरने लगी।

तभी कहीं पानी में जोर की बिजली गिरी, जिसकी वजह से समुद्र के पानी ने मूर्ति को भिगा दिया।

समुद्र के पानी में भीगते ही स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी का रंग भूरे से, हल्का हरा हो गया।

तभी सभी मूर्ति के नीचे मौजूद पत्थर पर पहुंच गये। अभी यह जैसे ही पत्थर के पास पहुंचे, तभी मूर्ति के ऊपर एक जोर की बिजली गिरी।

बिजली के गिरने से तेज प्रकाश चारो ओर फैल गया। अगर सुयश सभी को लेकर समय पर नीचे नहीं आया होता, तो अब तक सभी बिजली में झुलस गये होते।

तभी सुयश की निगाह मूर्ति के हरे रंग पर गई।

“लगता है समुद्र का पानी मूर्ति पर गिरने से ऑक्सीकरण के द्वारा मूर्ति हरी हो गई है।” सुयश ने कहा- “पर अगर मूर्ति हरी हो गई है तो अभी तक यह माया जाल टूटा क्यों नहीं?” सुयश के चेहरे पर आश्चर्य के भाव उभरे।

तभी एक और बिजली आकर मूर्ति पर गिरी। बिजली की रोशनी में सुयश ने जो देखा, उसे देखकर उसकी रुह फना हो गई।

बगल वाली स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी जिंदा हो गई थी और उन्हीं की ओर आ रही थी।

सुयश के चेहरे के भावों को बदलता देख सभी की निगाह उस ओर चली गई, जिधर सुयश देख रहा था।

दूसरी मूर्ति को जिंदा होते देख सबकी हालत खराब हो गई क्यों कि इस समय किसी के भी पास कोई भी चमत्कारी शक्ति नहीं थी और बिना किसी चमत्कारी शक्ति के 151 फुट ऊंची धातु की प्रतिमा को पराजित करना इनमें से किसी के भी बस की बात नहीं थी।

“अब क्या करें कैप्टेन?” क्रिस्टी ने घबराए स्वर में कहा- “बिजली अभी चमकना बंद नहीं हुई है, इसलिये हम मूर्ति के अंदर भी नहीं जा सकते और बाहर रहे तो ये दूसरी मूर्ति हमें मार देगी और इस मूर्ति को हम किसी भी प्रकार से परजित नहीं कर सकते।”

क्रिस्टी की बात तो सही थी, पर पता नहीं क्यों अभी भी सुयश तेजी से कुछ सोच रहा था।

अचानक सुयश जोर से चिल्लाया- “तुम लोग कुछ देर तक इससे बचने की कोशिश करो, मैं देखता हूं कि मैं क्या कर सकता हूं?” यह कहकर सुयश तेजी से सीढ़ियां चढ़कर वापस ऊपर की ओर भागा।

किसी की समझ में नहीं आया कि सुयश क्यों अब मूर्ति के ऊपर जाकर अपनी मौत को दावत दे रहा है, पर अभी सबका ध्यान दूसरी मूर्ति की ओर था।

दूसरी मूर्ति चलती हुई पहली मूर्ति के पास आयी और पानी में हाथ लगाकर उसे गिराने का प्रयत्न करने लगी।

सभी उसे देखकर मूर्ति वाले पत्थर के नीचे छिपकर खड़े हो गये थे।

अभी तक दूसरी मूर्ति की निगाह इनमें से किसी पर नहीं पड़ी थी, इसलिये वह बस पहली मूर्ति को उखाड़ने का प्रयत्न ही कर रही थी।

उधर सुयश लगातार सीढ़ियां चढ़ता जा रहा था, इस समय जैसे उस पर किसी थकान का कोई असर नहीं हो रहा था।

कुछ ही देर में सुयश मूर्ति के मुकुट वाले स्थान पर पहुंच गया, अब वो तेजी से जमीन पर टटोलते हुए जापानी पंखा ढूंढ रहा था।

कुछ देर की मेहनत के बाद सुयश के हाथ वह जापानी पंखा लग गया। सुयश ने तेजी से उस पंखे को वापस बंद कर दिया।

ऐसा करते ही पहली मूर्ति के मुकुट की सारी किरणें सिमट कर एक हो गईं और दूसरी मूर्ति अपनी जगह पर स्थिर हो गई।

तभी फिर से एक जोर की बिजली आसमान से पहली मूर्ति पर गिरी, परंतु आश्चर्यजनक ढंग से वह सारी बिजली बिना सुयश को क्षति पहुंचा ये उस एक किरण से निकलकर दूर पानी में जा गिरी। यह देख सुयश के चेहरे पर मुस्कान खिल गई।

अब उसने जापानी पंखें के द्वारा पहली मूर्ति की किरण को इस प्रकार सेट कर दिया कि अगर अब पहली मूर्ति पर बिजली गिरे तो वह परावर्तित होकर दूसरी मूर्ति पर जा गिरे।

अब बस सुयश को इंतजार था, एक बार फिर से बिजली के पहली मूर्ति पर गिरने का। और इसके लिये सुयश को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।

कुछ ही देर में आसमान में फिर जोर की बिजली कड़की और पहली मूर्ति पर आ गिरी।

इसी के साथ पहली मूर्ति के मुकुट में बनी किरण ने, बिजली को संकेन्द्रित करके दूसरी मूर्ति की ओर भेज दिया।

दूसरी मूर्ति पर बिजली गिरते ही वह मूर्ति टूटकर कणों में परिवर्तित हो गई। और इसी के साथ आसमान में छाए घने बादल कहीं गायब हो गए।

अब सुयश ने एक बार फिर से जापानी पंखे का प्रयोग कर पहली मूर्ति की सातो किरणों को पहले के समान कर दिया।

जैसे ही मूर्ति अपने वास्तविक रुप में आयी, मूर्ति जिस पत्थर पर खड़ी थी, उसमें एक नया द्वार खुल गया, जो कि इस बात का प्रमाण था कि तिलिस्मा का यह द्वार भी पार हो चुका है।

अब सभी को बस सुयश के नीचे आने का इंतजार था। जैसे ही सुयश नीचे आया, सभी ने सुयश के नाम का जोर का जयकारा लगाया।

कुछ देर खुशी मनाने के बाद सभी शांत हो गये।

अब ऐलेक्स ने आखिर पूछ ही लिया- “आपने यह सब कैसे किया कैप्टेन?”

“मैंने सोचा कि दूसरी मूर्ति अगर पहली मूर्ति की सब कमियां दूर करने के बाद जिंदा हुई है, तो वापस पहली मूर्ति में कमी लाकर दूसरी मूर्ति को रोका जा सकता था। यही सोचकर मैंने जापानी पंखे के द्वारा मूर्ति के मुकुट में फिर से कमी ला दी, जिससे दूसरी मूर्ति अपने स्थान पर ही रुक गई। अब रही बात उस मूर्ति को नष्ट करने की, तो मैंने यह देखा कि बिजली उस मूर्ति पर नहीं गिर रही है, इसका साफ मतलब था कि वह मूर्ति तांबे से नहीं बनी है।"

“अब बची बात इस मूर्ति की तो तांबा हमेशा नमक वाले पानी से रिएक्शन कर एक बैटरी का रुप ले लेता है और समुद्र के पानी में नमक था, यानि कि जितनी बार बिजली इस मूर्ति पर गिर रही थी, वह इसे चार्ज करती जा रही थी, अब बस उस बिजली को बढ़ाकर सही दिशा देने की जरुरत थी और वह सही दिशा मैंने सभी किरणों को एक करके कर दी। इस प्रकार से नयी गिरी बिजली, मूर्ति में स्टोर की हुई बिजली के साथ संकेन्द्रित होकर एक दिशा में जाने लगी। जिसे देखकर मैंने उस किरण का मुंह दूसरी मूर्ति की ओर कर दिया और इसी के साथ वह दूसरी मूर्ति नष्ट हो गई।”

“वाह कैप्टेन! आपने तो कमाल कर दिया ।” क्रिस्टी ने सुयश की तारीफ करते हुए कहा- “हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि इतनी बड़ी मूर्ति को बिना किसी चमत्कारी शक्ति के भी पराजित किया जा सकता है।”

“जिस समय तुमने बिना किसी शक्ति के रेत के सभी जीवों को पराजित किया था, यह भी बिल्कुल वैसे ही था।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा- “हमें किसी भी चीज को पराजित करने के लिये सही समय पर सही सोच की जरुरत होती है बस...और वह सही सोच हममें से सबके पास है।”

सुयश के शब्दों से सभी प्रभावित हो गए। कुछ देर बाद सभी अगले द्वार में प्रवेश कर गये।


जारी रहेगा_____✍️
Outstanding update and awesome story and excellent writing
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Badhiya update bhai

To Toffik hi tha jisne sab kiya tha lekin loren ko kyun mar diya usne wo to usse pyar karta tha na or bechari loren bhi uske pyar me andhi hoker uski baten man rahi thi or jis jenith se badla lena chahta tha use abhi tak jinda rakha ha usne usse pyar ka natak karta ja raha ha Jenith ki sab sachhai pata pad gayi ha dekhte han kab tak Toffik babu apni sachhai chhupa pate han waise bure karm ki saja milti hi ha or jis jagah ye sab han usse lagta ha jaise Aslam miya ko saja mili usi prakar Toffik ka bhi number lag sakta ha

उचित समय आने पर, अवश्य ही

चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।

शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।

दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।


इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !

कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी ! :D

सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।

Radhe Radhe guruji,, break pe chala gya tha uske baad is id ka password issue ho gya tha so sign in nahi tha itne time se ab wapas aaya hu to dubara se updates ki demand rakhunga...waise stock to abhi full hai kuch time ke liye so read karta hu

Shandaar update and nice story

शानदार अपडेट राज भाई

Bhut hi badhiya update Bhai
Tisra darvaja khas shaifali ke liye banaya gya hai
Aur shaifali ne apne dimag ka istemal karke chintiyo ki madad se ek chabhi hasil kar li
Ab aage dhekte hai ye baki chabhiya kese hasil karte hai

Awesome update bhai

Hamesha ki tarah lajawab update......Vikram ko आकृति ने बहका लिए है...और अब उसका mind change kar liya hai....

Nice update.....

Kahte hain lalach buri bala hai, ye Aakriti ki ek musibat samapt hua toh dusra musibat samne aa gaya, pahle usne Aryan aur amrit kr liye aur ab apni real face aur apne bete ke liye ek ke baad ek galti karti chali ja rahi hai.

Congratulations for being a moderator from sectional Moderator.

Gajab update and nice story

nice update

nice update. aakruti ko badi aasani se sunahari dhal mil gayi par neeldand kaha gayab ho gaya .vikram ka milna bhi achcha hi raha aakruti ke liye aur uski yaddasht bhi jaa chuki hai jisse aakruti jaise chahe waise uski power ka istemal karne ki soch rahi hai .

intezaar rahgea....

Shaandar update

Mind blowing update👌👌👌

अद्भुत अंक भाई

lovely update. 2 statue of liberty hai jinko ek saman karna hai aur sabhi dhire dhire sudhar karne me kamiyab bhi ho rahe hai .

Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?

फिर से एक अप्रतिम रोमांचक और अद्भुत अविस्मरणीय मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब स्टॅचू ऑफ लिबर्टी की मुर्ती पर तिलिस्मा का नया खेल शुरु हो गया
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

बहुत ही शानदार अपडेट है और स्टेचू के सारे लॉक खोलने वाले लॉजिक भी बहुत जबरदस्त है

अद्भुत कहानी है !

रिव्यू की शुरूआत की जाए
यहाँ स्टोरी में थोड़ा कम्प्लिकेशन्स आ गया आर्टमिश और अपोलो जियूश और लेटो के बच्चे हैं। साथ ही हेरा और जियूश के ग्रैण्ड चिल्ड्रेन कैप्सुर भी हैं इधर तो फैमिली रिलेशनशिप भी निकल गया।
साथ ही हेरा के ड्रोगन कनेक्शन ने सोचने में मजबूर किया कि शफ्फ़ाली के फ़ादर साइड की फैमिली तो ड्रैगन थी कौन सा ड्रैगन होगा जिससे अपोलो ने मारा, लेडन तो वो ड्रैगन नहीं होगा जिससे अपोलो ने मारा क्योंकि लेडन को हरक्यूलिस ने मारा।
हेरा के यहाँ लेडन भी काम करता था बट लेडन उसका सामना नहीं हुआ होगा।
साथ ही आर्टिमिस को ओरेकल ने मेगा लाइट के बारे में बताया बट मेगा लाइट को क्या मिल गया, क्या रोजर मिल गया सुनहरा मानव या वो सुनहरे कस्तूरी के बारे में था।
साथ ही हरक्यूलिस ने क्या कहा था हरक्यूलिस का क्या कनेक्शन है आर्मटिस और मेगालाइट से हरक्यूलिस भी ग्रीक देवता हैं बट उसका क्या रिलेशनशिप इनसे।
साथ ही ओरेकल ने एक तरह कहा है कि आकृति से बंधने में कहीं शलाका से नहीं बंध जाए आकृति।
जस्ट थॉट कहीं ये ग्रीक गॉड वर्सेज़ हीदि गॉड का बैटल नहीं करवा दो, कहीं ये चिंगरी तो नहीं ग्रीक वर्सेज़ हीदू गॉड के बीच।

स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी वाले तिलिस्म का आगमन हो गया, हाफ़ से ज़्यादा तिलिस्म कम्प्लीट हो गया, लेकिन ये जापानी पंखा क्या चीज़ है।
जस्ट गॉट थॉट 2 साल की टाइमलाइन से स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी को आज़ाद करना है कहीं 2 साल पहले कुछ हुआ तो नहीं था।

ये केश्वर की प्रेडिक्टिबिलिटी कहीं कुछ हिंट तो नहीं कि केश्वर का तोड़ इन्होंने ढूँढ नहीं लिया।

साथ ही मज़ा आ गया काफ़ी रिसर्च किया स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी के लिए।

ओवरऑल हमेशा की तरह शानदार अपडेट।


Raj_sharma

#151
भाई, ये नेवले का चक्कर लगाना थोड़ा थोड़ा यिन-यांग जैसा लगा। घड़ी का चक्र हमने अपने सहूलियत के लिए बनाया है - भौतिकी का वो नियम नहीं है।
लेकिन दोनों ने clockwise और anti-clockwise चक्कर लगा कर यिन-यांग या अनंत बना दिया।
जीवन-चक्र अनंत ही तो है।
बहुत बढ़िया लेख रहा नेवले का रहस्य सुलझाना।

#152
ऐसी अंतरंग घटना हुई हो और शलाका को उसकी याद भी न हो, तो ऐसा केवल एक ही कारण से हो सकता है।
वो लड़की शलाका नहीं, आकृति थी। उसने धोखे से वो अमृत बूँद पी ली रहेगी।
लेकिन यहाँ एक प्रश्न है -- कैसे वो अपनी प्रेमिका को पहचान नहीं सका? वो तो प्रकृति के संग एकाकार होने का बड़ा दम्भ भरता था।
चिड़ियों और तितलियों से बातें कर सकता था। तो फिर एक छल करने वाली लड़की की सच्चाई कैसे न जान सका वो?

#153
“इस समय शलाका को यही नहीं समझ में आ रहा था कि वह गलती किसकी माने, आकृति की जिसने आर्यन को धोखा दिया, आर्यन की ....जिसने एक माँ को उसके बालक से जुदा कर दिया या फिर स्वयं की ....जो उस समय आर्यन को बिना बताए, अपनी माँ का पार्थिव शरीर ले, अपने भाइयों के साथ एरियन आकाशगंगा चली गई थी, जिसकी वजह से आर्यन ने मृत्यु का वरण किया।”

मेरे हिसाब से सबसे बड़ी गलती तो आकृति की है। वो अमृत लेने आई थी और उसके लिए उसने आर्यन से छल किया। संतान/बालक पाना उसका मकसद कभी था ही नहीं - वो उसको मिला। वो अपनी संतान की माता होने के योग्य नहीं है। इसलिए आर्यन का उस बालक को अपनी माँ से अलग करने में कोई बहुत बड़ा दोष नहीं (बस इतना ही कि वो शलाका के रूप में आकृति को पहचान नहीं सका)! कामाग्नि में वैसे भी मति मारी जाती है। कुछ गलती शलाका की भी हो सकती है - प्रेमियों में अगर संवाद न हो, तो सम्बन्ध के छिन्न भिन्न होने में समय नहीं लगता।

वैसे आकृति को बहुत बड़ा दंड मिला है।

#154
““यह कैश्वर तो कोई कविताकार लगता है, जहां देखो कविताएं लिख रखीं हैं।” ऐलेक्स ने हंसते हुए कहा।” -- हा हा हा हा हा! केश्वर है आशु कवि! 😂 😂
कंकाल और ऑक्टोपस की लड़ाई! हा हा हा!

#155
अरे बाबा - ये A1 और A7 ने तो चुटकियों में धरा और मयूर को ढेर कर दिया! नाहक ही पिट गए दोनों।

#156 और #157
आया मकोटा और तमराज जैगन! हा हा हा!
गोंजालो? कौन?
द्वार क्रमाँक 2.2 थोड़ा आसान रहा। लेकिन अच्छा है - कभी कभी पहेलियों का आसान होना भी आवश्यक है।
ये थोड़े ही कि हमेशा तकलीफ़ में ही जिया जाए!

#158
कैस्पर वारुणि विक्रम -- इनको तो भूल ही गया लगभग। इसीलिए कहानी के संग बने रहना चाहिए।
वॉर ऑफ़ द वर्ल्डस की भूमिका रखी जा रही है। ई तो ससुरा होना ही था!

#159
भाई वाह -- चींटियों के बारे में, और उनकी नस्ली विविधता के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला इस अपडेट में।

#160
सैंटाक्लॉस की तरह का बूढ़ा, टोबो -- बचपन में एक साइकिल आती थी, टोबू साइकिल!
टीवी में उसका ऐड देख कर मन में मैंने ठान लिया था कि लूँगा तो वही साइकिल। लेकिन घण्टा!
बहुत सालों बाद मिली तो वो एटलस साइकिल - जिसको दूध बेचने वाले इस्तेमाल करते थे। हा हा हा हा! 😂
वेगा और युगाका की शक्तियों का स्रोत समझ में आया।

#161
चींटियों का किस्सा ख़तम!
बहुत कुछ जाना इस पूरे वाक़ये में! धन्यवाद।

#162
विल्मर को क्या लाभ हुआ सुनहरी ढाल का? कुछ नहीं!
व्यक्ति को अपनी हैसियत के हिसाब से वरदान माँगना चाहिए - अपात्र या कुपात्र को जब अपनी हैसियत से ऊपर कोई अनुचित स्थान मिलता है, तो वो उसको सम्हाल नहीं पाता। वर्षों से भारत देश के लगभग सभी राजनेता, न्यायाधीश, दरोगा इत्यादि सब या तो अपात्र हैं या कुपात्र। इसीलिए देश का ऐसा बुरा हाल हो गया है।
वैसे, कहा था न - ये आकृति बेहद नीच है। उसका घुन्नापन ख़तम ही नहीं होता।

#163
आर्टेमिस मेलाइट अपोलो ज़ीउस और ऐसे ही असंख्य ग्रीक रोमन देवी देवताओं के नाम से उलझन होने लग गई है।

मैंने देखी है स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी। खूब भीड़ जुटती है उसको देखने के लिए - नाव से जाना होता है उस टापू पर। स्टेचू से बेहतर वो टापू लगता है। मूर्ति अच्छी है, लेकिन बोर भी खूब लगता है वहाँ।
MDCCLXXVI --- बहुत दिनों बाद रोमन में कोई अंक लिखा हुआ देखा।

अद्भुत है आपका लेखन भाई! कितना कुछ जानने और सीखने को मिलता है। वाह!
अहोभाग्य हमारे कि ऐसी महागाथा पढ़ने का लाभ मिला। वाह भाई!

वैसे अब हम साथ आ गए वापस। 🙏

Gazab ki update he Raj_sharma Bro,

Statue of Liberty ke baare me itni jankari dene ke liye dhanywad..........

Suyash and party ke liye samsaya ka ant abhi nahi hua he.........

Rang bhi badlna he aur pairo ki bediya bhi todni he.........

Keep posting Bro

अगले भाग की प्रतीक्षा में है !

Update posted friends :declare:
 

Raj_sharma

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