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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Should I include a thriller part in the story or continue with Romance only?

  • 1) Have a thriller part

    Votes: 33 39.8%
  • 2) Continue with Romance Only.

    Votes: 54 65.1%

  • Total voters
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Samael00

New Member
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18th Update (Mega Update)


रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
Laa jawab story dill khoosh ho gya jani
 

Dhakad boy

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17th Update
सुबह जब दीपू घर से निकलता है तो उसके जाने के कुछ देर बाद वसु को कविता का फ़ोन आता है...

अब आगे ..

जब दीपू घर से निकल जाता है तो वसु को कविता का फ़ोन आता है. दोनों फिर ऐसे ही हाल चाल की बात करते है और फिर कविता वसु से पूछती है की एक बार वो उनके घर आ सकती है क्या. (कविता अभी भी मीना के पास ही थी. वो अब तक अपने घर नहीं गयी थी)

वसु: क्यों क्या हुआ माँ जी जो मुझे आप बुला रहे हो? कुछ दिन पहले ही तो हम वापस आये है.

कविता: मैं जानती हूँ...लेकिन बात ऐसी है की मैं फ़ोन पे तुम्हे नहीं बता सकती. वसु को थोड़ा चिंता होती है तो पूछती है: वहां सब ठीक तो है ना?

कविता: हाँ ऐसा सोच सकती हो.

वसु: तो फिर मुझे क्यों बुला रही हो वहां पर?

कविता: एक बार तुम आ जाओ... मैं तुम्हे फिर सब बताती हूँ.

वसु: माँ पिताजी ठीक है ना? उनकी तबियत कैसी है?

कविता: माँ पिताजी सब ठीक है.. मैं तुम्हे और कोई काम के लिए बुला रही हूँ. वसु फिर सोचती है और कहती है की वो घर में बात कर के कुछ देर बाद उन्हें फ़ोन कर के बताएगी.

दिव्या को बुलाती है और कहती है की कविता का फ़ोन आया है और उसे उनके घर जाना है. दिव्या भी थोड़ा चिंतित हो जाती है और पूछती है की सब ठीक तो है ना? वसु कहती है माँ पिताजी ठीक है लेकिन और कुछ बात करने के लिए बुलाई है.

दिव्या: वो बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है क्या?

वसु: मैंने भी यहीं बात पूछी थी तो उन्होंने कहा था की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है और खुद मिलकर बात करना चाहती है. मैं एक बार उनसे मिलकर आती हूँ.

दिव्या: हाँ जाओ... क्या पता कुछ हुआ है क्या वहां पर.

वसु: ठीक है.. लेकिन एक बार दीपू से भी बोल देती हूँ.

वसु फिर वसु दीपू को फ़ोन करती है और उसे बताती है की उसे अपने माँ के घर जाना है और कविता से फ़ोन पे हुए बाते बताती है. दीपू काम कर रहा था तो वसु से बात करने के लिए बाहर आता है.

दीपू: जाना ज़रूरी है क्या? मैं तो घर आने के लिए तड़प रहा हूँ.

वसु को ये बात समझ आती है लेकिन हलकी मुस्कान के साथ पूछती है की ऐसा क्यों तड़प रहे हो?

दीपू भी फिर ऐसे ही मस्ती के साथ कहता है: मैं नहीं मेरा छोटा यार और तुम्हारी मुनिया तड़प रही है. सही कहा ना? अगर आप चले जाओगे तो आपकी मुनिया रो देगी.

वसु भी हस्ते हुए: सही कहा लेकिन जाना ज़रूरी है. मेरी मुनिया तो तडपेगी लेकिन आज के लिए दिव्या की मुनिया के आंसूं को पोछ दो. वो भी खुश हो जायेगी.

दीपू: ठीक है अगर आप कहती है तो मैं आपको मन तो नहीं कर सकता है.

वसु भी मस्ती में: मेरे छोटे राजा को बोलो की थोड़ा सबर करे. मैं आने के बाद उसकी अच्छे से ख्याल रखूंगी.. और फिर थोड़ा सीरियस होते हुए कहती है की उसे जल्दी ही निकल जाना चाहिए वरना देर हो जायेगी.

दीपू: हाँ सही कहा आपने. निकल जाओ और वहां जा कर फ़ोन करना. अगर ज़रुरत पढ़ा तो मैं भी आ जाऊँगा.

वसु: ठीक है.

वसु फिर दिव्या को बताती है की उसने दीपू से बात कर ली है और वो निकल रही है. वसु तैयार हो कर निकलने से पहले दिव्या को कमरे में बुला कर कहती है..उसको धीरे से कहती है मैं जा रही हूँ..१-२ दिन में आ जाऊँगी और दीपू का ख्याल रखना.

दिव्या: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? वो तो अब हम दोनों का पति है तो मैं उसका ख्याल रखूंगी ही ना. वसु: अरे पगली और दिव्या को खींच कर अपनी बाहों में लेते हुए ख्याल मतलब ये और ऐसा कहते हुए दिव्या की साडी के ऊपर से उसकी चूत को मसल देती है और कहती है आज तेरी मुनिया को समझा दो की आज उसकी बजने वाली है और हस देती है.

दिव्या: आप भी ना.. आप जा रही हो तो मुझे और मेरी मुनिया को ही दीपू का ख्याल रखना पड़ेगा ना और शर्मा कर अपनी नज़रें खुआ लेती है.

वसु: अब हम दोनों के बीच शर्म कैसी? जब उसने हम दोनों को किस करने को कहा तो तुझे अच्छा नहीं लगा क्या? दिव्या: मुझे तो बहुत अच्छा लगा. पहली बार था लेकिन..

वसु: चल मैं चलती हूँ. बस और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की गांड दबा देती है और कहती है की इसका ख्याल रखना. कहीं वो ये दरवाज़ा भी ना खोल दे.

दिव्या: यहीं तो डर है दीदी. लेकिन मैं संभाल लूंगी. आप चली जाओ. वसु फिर दिव्या को देखते हुए उसके होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी साथ देती है और दोनों एक गहरी किस लेकर एक दुसरे की गांड दबाते हुए अलग हो जाते है.. वसु फिर अपने घर के लिए निकल लेती है.

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जब दीपू को पता चलता है की वसु घर पे नहीं है और सिर्फ दिव्या ही है तो उसे भी थोड़ी ठरक चढ़ती है और वो दिनेश से कहता है की उसे घर में कुछ काम है और वो आज जल्दी जाना चाहता है. दिनेश भी अपने काम में लगा रहता है तो हाँ कह देता है.

वहीँ निशा को पता चलता है की उसकी माँ भी उनके घर गयी है तो वो भी दिनेश से मिलने की सोचती है और दिनेश को फ़ोन कर के उसे कॉफ़ी के लिए बुलाती है. दिनेश भी निशा का फ़ोन देख कर एकदम खुश हो जाता है और उससे मिलने के लिए वो भी अपने ऑफिस से चला जाता है.

दीपू अपना काम जल्दी ख़तम कर के दिव्या से कहता है की वो घर आ रहा है तो दिव्या भी समझ जाती है और फिर वो भी अपना काम कर के थोड़ा तैयार हो जाती है.

दीपू जब घर आता है तो देखता है की दिव्या एक सेक्सी अदा में कड़ी हो कर उसका ही इंतज़ार कर रही थी. दीपू दिव्या को देखता है तो उसी वक़्त उसका लंड एकदम तन जाता है जो की उसके पैंटमें भी दिख रहा था क्यूंकि दिव्या उतनी ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी.

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दीपू दिव्या को देख कर दरवाज़ा बंद कर के कहता है: जानू तुम तो आज मेरी जान ही ले लोगी. इतनी क़यामत लग रही हो.

दिव्या: वो भी फुल मूड में आकर (क्यूंकि निशा घर में नहीं थी) तुम्हारी जान तो नहीं लेकिन और कुछ लेना चाहती हूँ इसीलिए तो ऐसे तैयार हुई हूँ क्यूंकि मुझे पता है तुम मुझे ऐसे ही देखना चाहते हो.

दीपू: एकदम सही कह रही हो मेरी जान और जा कर दिव्या को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ पे टूट पड़ता है. दिव्या भी उसका साथ देती है और दोनों एक दुसरे का रास पीने में लग जाते है. दीपू भी अपनी जुबां उसके मुँह में दाल देता है तो दिव्या भी अपना मुँह खोल कर उसकी जुबां को अंदर ले लेती है और दोनों एक मस्त French Kiss में डूब जाते है. दीपू उसको किस करते हुए अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लग जाता है.

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दिव्या भी मस्त हो जाती है और वो भी आँहें भरने लगती है लेकिन उसकी आवाज़ दीपू के मुँह में ही डाब जाती है. दीपू फिर दिव्या को कमरे में ले जाकर बिस्तर पे बिठाते हुए फिर से उसे किस करने लग जाता है. दिव्या को अब उसका मुँह दुखने लगता है तो कहती है: जानू अब मेरा मुँह दुःख रहा है.

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दीपू: अभी तो तुम्हारा मुँह ही दुःख रहा है लेकिन थोड़ी देर बाद और भी कुछ दुखेगा और ऐसा कहते हुए अपना हाथ उसके पेट पे रखते हुए उसकी नाभि को मसल देता है.

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अब दिव्या भी सिसकियाँ लेना शुरू कर देती है और आहह ओहह करते हुए आवाज़ निकालती है लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. देखते ही देखते दीपू दिव्या की ब्लाउज और ब्रा निकल कर उसे ऊपर से नंगा कर देता है और उसकी मस्त उभरी हुई चूचियों पे टूट पड़ता है. एक को मुँह में लेकर चूसता है तो दुसरे को अपने अंघूठे से दबाता है और उसके निप्पल को भी मरोड़ता है. दिव्या को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था.

दिव्या: ओह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह्ह..जानू ऐसे ही चूसो ना... अच्छा लग रहा है और दीपू का सर अपने चूचियों पे दबा देती है.

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और ५- १० मं तक ऐसे ही चूसने और चाटने और काटने के बाद जब दिव्या के निप्पल में दर्द होता है तो कहती है: जानू थोड़ा दर्द हो रहा है. आराम से पियो ना.. कहीं नहीं भाग रहे है.

दीपू: मैं जानता हूँ जानू.. लेकिन क्या करून.. जब इनको देखता हूँ तो रहा नहीं जाता.. क्यों तुम्हे मजा नहीं आ रहा है क्या?

दिव्या: मजा तो बहुत आ रहा है लेकिन थोड़ा दुःख भी रहा है.. और तुम्हे तो और भी जगह है जहां तुम्हे और मजा आएगा.

दीपू: दिव्या को देख कर कहाँ?

दिव्या: तुम्हे पता नहीं है क्या?

दीपू: मुझे पता है लेकिन मैं तुम्हारे मुँह से सुन्ना चाहता हूँ. मैंने क्या कहा था? यहाँ जब हम बिस्तर पे होंगे तो कोई शर्म नहीं. तो बोलो और कहाँ मजा आएगा मुझे? दिव्या भी अब दीपू की आँखों में देख कर थोड़ा आगे आते हुए उसके कान में कहती है.. तुम्हे मेरी चूत में और मजा आएगा. बहुत रो रही है तुम्हारे ध्यान के लिए.

दीपू: ये हुई ना बात और ऐसा कहते हुए दीपू दिव्या की साडी और पेटीकोट निकाल देता है. दिव्या अब सिर्फ एक छोटे पैंटी में रह जाती है और जैसे वो कहती है उसकी पैंटी एकदम गीली थी.

दीपू फिर दिव्या की गीली पैंटी पे अपनी जुबां रख कर उसको चाट लेटा है. दिव्या भी एकदम उत्तेजित हो जाती है और उसे पता था की अब घर में और कोई नहीं है तो ज़ोर से चिल्लाने और चीकने लगती है क्यूंकि वो भी पूरी उत्तेजित हो गयी थी. उसे इस वक़्त कोई डर नहीं था की उसकी आवाज़ कोई सुन लेगा. ओह्ह्ह रुको मत ... ओह्ह्ह्ह उम्ममम..

दीपू को भी मज़ा आ रहा था तो वो दिव्या की पैंटी उतार फेंकता है जिसमें दिव्या भी उसकी मदत करती है क्यूंकि वो भी अब खुल कर मज़ा लेना चाहती थी और अपनी गांड उठा कर आँखों से दीपू को कहती है की पैंटी निकल दे. अब दीपू की आँखों के सामने दिव्या की एकदम चिकनी और गीली चूत थी जो दीपू को एकदम उकसा देती है और दीपू भी बिना समय गवाए उस पर टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटने में लग जाता है. अपनी जुबां उसकी गीली हुई चूत के अंदर डाल कर अच्छे से चाटने लग जाता है

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दिव्या भी आंहें भरते हुए अपनी गांड उठा के अपनी चूत दीपू के मुँह में देती है और उसी तरह से अपना हाथ दीपू के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत में दबा देती है.

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दिव्या जब दीपू की जीब अब अपनी चूत पे महसूस होता है तो जोर से आह करते हुवे बिस्तर को पकड़ लेती है

दिव्या भी मदहोशी में बड़बड़ाते: हाँ ऐसे ही मेरी चूत खा जाओ. इसी मस्ती में दिव्या भी काफी बार झड़ जाती है और अपनी पानी काफी बार निकल देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है.

दिव्या झड़ कर जब पस्त हो जाती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है और उसी के साथ दिव्या के चूचे भी उपर नीचे हो रहे थे. दीपू भी अपना चेहरा उसकी चूत से हटा कर ऊपर आता है तो दिव्या भी समझ जाती है और उसके होंठ चूम लेती है क्यूंकि दिव्या को पता था की दीपू उसे अपनी चूत रास का स्वाद दिलाना चाहता था.

दिव्या भी दीपू के मुँह से अपना स्वाद लेती है और उसे चूम के कहती है.. अब ठीक?

दीपू: तुम तो बड़ी समझदार हो गयी हो. तुम्हे भी पता था की मैं ऊपर क्यों आया. चलो अब तुम्हारी बारी है और अपने लंड को दिव्या के मुँह के पास ले आता है तो दिव्या उसे देख कर समझ जाती है उसके लंड को पहले अपने मुट्ठी में लेती है और हिलाने लगती है.

५ min तक ऐसे ही हिलाती रहती है और दीपू का लंड भी अब थोड़ा खड़ा हो जाता है.

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दीपू: सिर्फ हिलती ही रहोगी क्या? उसे चूमो चाटो और मुँह में लेकर मुझे भी मजे दो ना.

दिव्या: हाँ मुझे भी पता है. थोड़ा सबर तो करो और फिर दीपू की आँख में देखते हुए उसका लंड को चूमते हुए मुँह में लेती है. पहले धीरे लेकिन आहिस्ता आहिस्ता पूरा मुँह में ले लेती है. जब दीपू का लंड पूरा मुँह में ले लेती है तो दीपू को भी मजा आता है और अपना हाथ दिव्या के सर के पीछे रख कर अपने लंड को एक धक्का मारता है तो पूरा लंड दिव्या के मुँह में चला जाता है. दिव्या ने ऐसा सोचा नहीं था और जब पूरा लंड उसके मुँह में चला जाता है तो वो थोड़ा खास्ती है और कहती है इतना ज़ोर के धक्का क्यों लगा रहे हो और उसके आँख से पानी आ जाता है.

दिव्या: तुम मेरी जान लेने वाले हो क्या? देखो पूरा गले पे लग रहा है और थोड़ा दर्द भी हो रहा है.

दीपू जब देखता है तो उसे उसकी गलती का एहसास होता है और कहता है सॉरी यार तुमने इतना अच्छे से लिया था तो मुझ से रहा नहीं गया.. इसीलिए एक बार में ही पूरा डाल दिया. अब दीपू धीरे धीरे लेकिन प्यार से उसके लंड को आगे पीछे करता है. इसमें दोनों को मजा आता है और ५- ७ min के बाद जब लगता है की दीपू भी झड़ने के करीब है तो अपना लंड उसके मुँह से निकाल लेता है..

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दीपू: चलो जानू तैयार हो जाओ जन्नत की सैर करने के लिए. तुमने अब तक मुझे जन्नत की सैर कराई थी तो अब तुम्हे सैर कराना मेरा भी फ़र्ज़ है और फिर दीपू दिव्या को बिस्तर पे सुला कर उसके पेअर को अपने कंधे पे रखते हुए दिव्या को देखते हुए लंड को चूत पे रख कर एक ज़बरदस्त शॉट मारता है तो उसका ८ इन का पूरा तना हुआ लंड एक बार में ही उसके जड़ तक चला जाता है.

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दिव्या की आंखें थोड़ी बाद हो जाती है दर्द के मारे लेकिन दीपू को पता था तो इसिलए वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेता है और दिव्या की आवाज़ गले में घुट कर ही रह जाती है.

दीपू: हो गया जानू... तुम्हे जो दर्द होना था अब हो गया है. अब मजे ही मजे होंगे. दिव्या को अभी भी दर्द हो रहा था तो वो अपनी दोनों मुट्ठियाँ बिस्तर पे चादर को पकड़ लेती है.

इतने में ही दिव्या एक बार फिर से झड़ जाती है और उसका पानी निकल जाता है. उसका फायदा दीपू को होता है की चूत के पानी निकलने से अब उसका लंड चूत में बड़े आराम से चला जाता है और फिर ऐसे ही दीपू मस्त दाना दान पेलने लगता है दिव्या को. दिव्या को भी अब दर्द काम हो गया था और उसे भी अब मजा आने लगता है.

दिव्या: जानू मेरे पाँव दुःख रहे है. दीपू फिर उसका लंड निकल कर बिस्तर से उठ जाता है.

दिव्या: मैंने तो सिर्फ अपने पाँव नीचे रखने को कहा था. अभी ही मुझे मजा आ रहा है तो तुम बिस्तर से क्यों उठ गए? दीपू हस्ता है कहता है तुम भी उठ जाओ. आज कुछ नया करते है. दिव्या को समझ नहीं आता तो वो भी उठ जाती है. फिर दीपू दिव्या को पकड़ कर उसको चूमते हुए उसका एक पाँव को उठा कर खड़े खड़े ही लंड चूत में डाल कर पेलने लगता है. दिव्या को भी इस पोज़ में मजा आता है और दीपू की तरफ देख कर हस देती है. दीपू ऐसे ही दिव्या को ठोकते रहता है और दिव्या फिर से झड़ जाती है और अब पानी उसकी जांघ पे भी गिर जाता है.

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दिव्या: जानू मैं फिर से झड़ गयी हूँ. तुम्हारा हुआ नहीं है क्या?

दीपू: कहाँ जान इतनी जल्दी कैसे? तुम जैसे गदराये घोड़ी को एक घंटे तक ना पेलून तो फिर मजा क्या है? दीपू फिर दिव्या को घोड़ी बना देता है और दिव्या अपना हाथ दीवार पे रख कर झुक जाती है और दीपू घोड़ी के पोज़ में फिर शुरू हो जाता है. इस सब में पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ें आती रहती है. उनकी किस्मत अच्छी थी की घर में इस वक़्त निशा नहीं थी वर्ण उसे पता चल जाता. ५- १० min तक ऐसे ही घोड़ी बना कर छोड़ने के बाद दीपू भी कहता है की उसका होने वाला है तो दीपू कहती है फिलहाल बाहर ही निकालो. दीपू भी मान जाता है और फिर आखिर में ४- ५ ज़बरदस्त झटके मारने के बाद अपना लंड निकल लेता है और दिव्या की गांड के ऊपर ही अपना पूरा माल निकल देता है. दोनों अब बहुत थक चुके थे क्यूंकि दोनों की चुदाई ऑलमोस्ट १ घंटा चलता है जहाँ दीपू दिव्या को अलग अलग स्टाइल में चोदता है और फिर दोनों बिस्तर पे गिर जाते है और दिव्या दीपू की बाहों में सर रख कर एकदम सुकून पाती है.

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दिव्या: जानू तुम तो एकदम पूरा जान ही निकल देते हो.

दीपू: क्यों तुम्हे मजा नहीं आता क्या? दिव्या दीपू को देख कर उसके होंठ चूमते हुए नहीं बहुत मजा आता है लेकिन थक भी जाती हूँ.

दीपू: उसी थकन में तो मजा भी है ना.. और दिव्या दीपू को देख कर हस्ते हुए उसके सीने में थपकी मारती है. दोनों बहुत थक गए थे तो दोनों की आँख लग जाती है.

नानी के घर:

वसु २- ३ घंटे में बस के सफर में अपने गाँव पहुँच जाती है और फिर अपने माँ बाप के घर चले जाती है. उसकी माँ वसु को देख कर पूछती है की फिर से कैसे आना हुआ? वसु कुछ बहाना बनाती है और कहती है की वो कुछ काम से बाहर आयी थी तो उसी के चलते मैं आप से भी मिलने आ गयी. अब आप और बाबा की तबियत कैसी है? माँ: हम ठीक है बीटा. तू और दिव्या को खुश हो ना? वसु अपनी माँ को गले लगा कर.. एकदम खुश है माँ.. आप हमारी चिंता मत करो और अपनी और बाबा की तबियत का ख्याल रखना. ठीक है? उसकी माँ भी हाँ में सर हिला देती है

वसु: मीना और माँ जी दिख नहीं रहे है?

माँ: वो दोनों अपने कमरे में होंगे. तेरे बाबा तो सो गए.. मैं भी सोने जा रही हूँ.

वसु: हाँ आप सो जाओ. मैं उनसे मिल लेती हूँ. शाम को चाय पीते वक़्त बाबा से भी मिल लूंगी..

वसु फिर कविता के कमरे में जाती है तो अपने सोच में डूबी रहती है. वसु को देख कर वो भी उसे मिलने आती है और प्यार से गले मिलती है.

वसु: तो कहिये माजी क्यों बुलाया है? ऐसी क्या बात है की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती थी.

कविता: बैठो बेटी बताती हूँ. २- ३ दिन पहले मनोज और मीना ऑफिस के एक पार्टी में गए थे... और फिर वहां पर जो भी हुआ कविता वसु को बताती है. मीना बहुत परेशान और दुखी में है. उसे समझ नहीं आ रहा है की वो क्या कर सकती है और आज कल तो बहुत रो भी रही है.

वसु पूरी बात सुन कर: हाँ उसके साथ तो अच्छा नहीं हुआ है. अभी वो कहाँ हैं और मनोज कहाँ है?

कविता: मीना तो अपने कमरे में सो रही है और मनोज ऑफिस गया है. वसु: ठीक है उसे सोने दो. शाम को मैं दोनों से बात करती हूँ. मुझे भी जल्दी जाना होगा क्यूंकि अब दीपू भी काम करने लगा है.

कविता: तुम्हारा चेहरा तो काफी खिला खिला लग रहा है. तुम को खुश हो ना? वसु भी कविता की बात पे हस देती है और कहती है की वो और दिव्या दोनों खुश है. दोनों फिर ऐसे ही कुछ और बातें करते है और फिर वसु भी वहीँ कविता के कमरे में सो जाती है.

शाम को सब उठते है और बैठ कर बाते करते रहते है...मीना वसु को देख कर आश्चर्य हो जाती है क्यूंकि उसे पता नहीं था की वसु वहां उनके घर आ रही है. वसु अपने पिताजी से भी मिलती है और उनसे भी बात करती है. वैसे ही कुछ देर बाद मनोज भी ऑफिस से आ जाता है और वो भी वसु को देख कर आश्चर्य हो जाता है. सब फिर फ्रेश हो कर चाय पीते हैं और फिर वसु मनोज और मीना को इशारे से ऊपर छत पर आने को कहती है. दोनों मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है और फिर वो भी छत पे चले जाते है. शाम का वक़्त था.. सूरज ढल रहा था और अच्छी ठंडी हवा भी चल रही थी. जब तीनो छत पे होते है तो दोनों एक दुसरे को देख कर वसु से पूछते है की उन्हें यहाँ क्यों बुलाया है.

वसु फिर दोपहर को कविता से हुई बात बताती है और मनोज से पूछती है की बात क्या है. मनोज थोड़ा झिझकता है तो वसु कहती है की डरो मत मैं तुम दोनों की मदत करने आयी हूँ. अगर मेरे से कुछ हो सकता है तो मैं तुम दोनों की परेशानी दूर करने की कोशिश करूंगी.

मनोज फिर पार्टी में जो हुआ वो बताता है और कहता है की जब से उसका एक्सीडेंट हुआ है वो मीना पे ज़्यादा "ध्यान" नहीं दे पा रहा है.

वसु: तो तुम इसका इलाज क्यों नहीं करवाते?

मनोज: कोशिश किया था लेकिन डॉक्टर ने कहा की ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते क्यूंकि एक्सीडेंट की वजह से जो चोट आयी है वो बहुत गहरी है और ऐसी की कुछ बातें बताता है.

वसु मीना से: फिर तुम एक बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेती? आजकल तो बहुत लोग बच्चे को गोद ले लेटे है.

मीना: नहीं दीदी मुझे गोद नहीं लेना है और आंसूं बहाती है तो वसु उसे अपने गले से लगा लेती है. चुप हो जा... मैं हूँ ना.. कुछ ना कुछ हल निकल आएगा. चिंता मत करो.

वसु: तो फिर इसका इलाज क्या कर सकते है? दोनों एक दुसरे को देखते है और दुखी चेहरे से वसु की तरफ देखते है. इतने में कविता भी वहां छत पे आ जाती है और तीनो को देखती है. अब कविता को भी कुछ समझ नहीं आता की क्या किया जाए. वसु फिर कुछ सोचती है और कहती है की मुझे आज रात तक सोचने का समय दो. मैं कुछ सोच कर बताती हूँ. सब मान जाते है लेकिन मनोज और मीना अपने मन में सोचते है की वसु के मन में क्या चल रहा है.

यहाँ दीपू के गाँव में:

निशा और दिनेश कॉफ़ी पीने के लिए मिलते है और एक दुसरे के बारे में जानते है... उनको क्या पसंद है क्या पसंद नहीं है.. उस वक़्त होटल में ज़्यादा लोग नहीं रहते और होटल लगभग खाली ही रहता है. दिनेश कॉफ़ी का बिल पाय करके दोनों निकलने को होते है तो दिनेश निशा को देख कर: यार एक बात पूछूं?

निशा: हाँ कहो..

दिनेश: यार अब रहा नहीं जाता. तुम्हारे मम्मी से पूछो की शादी कब होगी. मेरी माँ भी तुझे अपनी बहु बनाने के लिए देख रही है. निशा: ठीक है. माँ अभी नाना के घर गयी है तो मैं आज उनसे बात करके तारिक पक्का करवाती हूँ. दिनेश: ये ठीक रहेगा और निशा की तरफ एक कामुक नज़र से देख कर.. तब तक के लिए मुझे एक छोटा गिफ्ट तो दे दो. निशा को समझ नहीं आता तो पूछती है क्या? दिनेश चारो तरफ देखता है और वहां कोई नहीं होता तो वो अपनी ऊँगली अपने होंठ पे रखता है और दूसरी ऊँगली उसके होंठ की तरफ इशारा करता है. निशा समझ जाती है और वो भी चारो तरफ देख कर जब कोई नहीं दीखता तो दिनेश को पकड़ कर उसके होंठ पे एक गहरा चुम्मा देती है.

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२ min बाद.. अब खुश. दिनेश भी एकदम मस्त हो जाता है और जान तुम तो मुझे पागल कर डौगी. अब तो मुझे अपनी शादी और सुहागरात का इंतज़ार रहेगा. निशा भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है सबर का फल मीठा होता है और हस्ते हुए दोनों होटल से बाहर आ जाते है और फिर दोनों अपनी घर की और निकल जाते है.

रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी. वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....
Shandar update bhai
Dipu aur divya ke bich me ek aur mast chudai
Vahi dekhna hoga ki vasu manoj aur meena ko kya solution deti hai
 
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Shandar update bhai
Dipu aur divya ke bich me ek aur mast chudai
Vahi dekhna hoga ki vasu manoj aur meena ko kya solution deti hai
Bhai, next update Pg 161 mein padho...usmein Vasu ne "solution" bhi diya hai :)

Aapke comments kaa intezaar rahega..

Dhakad boy
 

Dhakad boy

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18th Update (Mega Update)


रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
Bhut hi badhiya update Bhai
Vasu ne dipu ke liye do aur nayi chuto ka intejam karne me lagi hai
Dhekte hai ab aage kya hota hai
 
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Devil2912

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18th Update (Mega Update)


रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
Bahut hi romanchak update diya hai bhai aapne. Nisha ke shaadi se pahle hi Meena pregnant ho jaye shayad.....
😈😈😈😈
Waiting for next update hot and beautiful sex....
 
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18th Update (Mega Update)


रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
वाऊ बढ़िया

वासु और कविता का संगम बहोत ही अच्छे तरीके से शब्दों में ढला है
 
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रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर जबरदस्त शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
लगता हैं दिपू के लिये और दो चुतों का जुगाड हो गया हैं
एक मीना और दुसरी उसकी माँ कविता
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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18th Update (Mega Update)


रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
रसदार और इरोटिक कहानी है
अगली कड़ी का इंतजार रहेगा
 
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