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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Should I include a thriller part in the story or continue with Romance only?

  • 1) Have a thriller part

    Votes: 31 40.3%
  • 2) Continue with Romance Only.

    Votes: 50 64.9%

  • Total voters
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khalid_saab

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बाबा : तुम बहुत भाग्यशाली हो …तुम्हारा लड़का आगे जा कर बहुत होनहार होगा …..लोगों के काम आएगा…और लोग भी उसकी बहुत मदत करेंगे..

बाबा: लेकिन…

अब आगे...

वसु: क्या??

बाबा: इसके ज़िन्दगी में बहुत सी लडकियां और औरतें आएँगी…

वसु: मतलब?

बाबा: तुम्हारे बालक तो प्रेम के पुजारी है

वसु: मैं समझी नहीं

बाबा: याद है जब तुम पिछली बार आयी थी तो मैंने तुम्हारे बेटे को गोद में लिया था और कुछ मंत्र भी पढ़े थे.

वसु: हाँ.

बाबा: उस वक़्त मैंने तुम्हारे बालक के हाथ की लकीर भी देखी थी. अभी तुम्हारा बालक छोटा है और लकीरें अभी बन रही है और आगे जाकर ये लकीरें और भी अच्छे रूप में आएगी. उसका “शुक्र पर्वत” भी बहुत अच्छा है.

वसु: ये “शुक्र पर्वत” क्या है?

बाबा: यह शब्द हस्तरेखा विज्ञान में इस्तेमाल होता है और हथेली में अंगूठे के नीचे के उभार को दर्शाता है जो प्रेम सौंदर्य और कला जैसे गुणों का प्रतीक माना जाता है. बाबा ऐसा कहते हुए वसु का हाथ पकड़ कर उसे वो जगह दिखाता है जिसे शुक्र पर्वत कहते है.

दुनिया में ऐसे बहुत लोग होंगे जिसका शुक्र पर्वत और हाथ की लकीरें अच्छी होगी... इसमें कोई शक नहीं है... लेकिन लेकिन तुम्हारा बालक सब से अलग है.

तुम्हारे बालक को ना चाहते हुए भी बहुत लोगों से प्यार होगा और शायद तुमसे भी..और बहुत सारे लोग भी तुम्हारे बालक के प्यार में पागल हो जाएंगे और इस पर मर मिटेंगे..पहले तो तुम्हे आश्चर्य होगा..लेकिन बाद में तुम खुद ही इस बात को मान लोगी की जो भी हो रहा है..अच्छे ले लिए ही हो रहा है.. क्यूंकि तुम सब लोगों के चेहरे पे जो ख़ुशी देखोगी उससे तुम्हे बहुत गर्व होगा क्यूंकि तुम्हे ये पता होगा की उनके चेहरे पे ख़ुशी तुम्हारे लड़की की वजह से हुई है और ये भी है की तुम्हारा लड़के की ज़िन्दगी में तुम्हारे घर वालों के साथ ही शादी होगी.. एक नहीं लेकिन बहुत लड़कियां उसकी बीवी बनेगी.

बाबा: एक और बात.. तुम्हारा लड़का बहुत बच्चों का बाप बनेगा और सब की ज़िन्दगी में ढेर सारी खुशियां लाएगा.

वसु: मैं कुछ समझी नहीं..

वसु: ये कैसे हो सकता है? ये तो समाज के खिलाफ है.. दुनिया वाले क्या कहेंगे की इसने घर के लोगों से ही शादी कर ली है?

बाबा: मैं जानता हूँ की ये शायद समाज के नियमो के खिलाफ है लेकिन वक़्त, ज़रूरतें और प्यार का ऐसा मेल आएगा की तुम्हारा बालक घर के लोगों से ही शादी करेगा

बाबा: अभी तुम्हे समझ में नहीं आएगा…वक़्त के साथ साथ तुम सब समझ जाओगी..

बाबा: एक और बात..

वसु: क्या?

बाबा: इसके ज़िन्दगी में जितनी भी लडकियां आएगी…काफी लोगों के कमर में एक तिल होगा…ऐसा मुझे लगता है…अब मुझे ये तो पता नहीं की ऐसे कौन लोग है..लेकिन ऐसा हो सकता है…

वसु: क्या सच में?

बाबा: हाँ..

वसु: और मेरी बेटी का कुछ बता सकते हो क्या?

बाबा: तुम्हारी बेटी भी तुम्हारी तरह ही है…रंग, रूप और काम में…लेकिन वो भी तुम्हारी तरह अपने परिवार के लोगों को बहुत प्यार करेगी और इसकी ज़िन्दगी भी खुशाली से ही रहेगी…हाँ…ये तो कहने की ज़रुरत नहीं है इसके जीवन में कुछ उतार चढ़ाव आएगी.. जैसे हर किसीके जीवन में आता है..लेकिन जल्दी ही उनसे उभर के भी आ जायेगी..

वसु बाबा की बात सुनकर एकदम खुश हो जाती है (ख़ास कर के निशा के बारे में.) क्यूंकि उसकी भी उम्र हो रही थी और उसका शादी भी करना था...(उसे और सब को ये पता नहीं था की निशा के मन में क्या है और वो क्या कहने वाली है) और उन्हें प्रणाम कर के उनसे विदा ले लेते है और अपने घर की और निकल जाती है..

घर आने के बाद वसु का पति वसु से पूछता है तो वसु कहती है की बाबा ने बताया है की तुम्हारा लड़का बहुत होशियार और होनहार होगा आगे जा कर लेकिन दीपू के शादी की बात नहीं बताती..

उनकी ज़िन्दगी काफी अच्छी चल रही थी. .. वसु अपने बेटों को बहुत प्यार करती है. और उसका पति भी वसु और बच्चों की बहुत अच्छी देखभाल करता है और रात को रोज़ वसु को चुदाई का मजा भी देता है.

दीपू और निशा जब दोनों जवानी के देहलीज़ पे कदम रखते है तो एक दिन अचानक से उनके बाप को दिल का दौरा पढ़ जाता है और उसे हॉस्पिटल में भर्ती कर देते है.. वसु की हालत बहुत ख़राब हो जाती है.. और रो रो कर उसका हाल बुरा हो जाता है ..डॉक्टर्स भी कहते है की हार्ट अटैक बहुत तेज़ हुआ है और उनके बचने का कोई चांस नहीं है.

दीपू के पापा को जब लगता है की उसके बचने का कोई चांस नहीं है तो वो तीनो को अपने पास बुलाता है

दीपू का हाथ पकड़ कर कहता है : बेटा लगता है मेरे जाने का वक़्त आ गया है.. मेरे जाने के बाद तुम अपनी माँ और बेहन का अच्छे से ख़याल रखना. तुम्हारी माँ बहुत दुःख झेली है . तुम्हारे दादा, दादी, नाना और नानी के खिलाफ हमने शादी की थी.

मैंने भी बहुत दुनिया देखीं है...कहने वाले हमेशा से कहते रहेंगे.. और ताने मारते रहेंगे लेकिन तुम उनकी चिंता मत करो और याद रखना मुश्किल समय में तुम्हे अपने ही काम आने वाले है ना की ये समाज..

दीपू कहता है … आप चिंता मत करो पिताजी. .. माँ और निशा को मैं अच्छे से देखभाल करूंगा और उन्हें कोई दुःख नहीं दूंगा.. आप को कुछ नहीं होगा. बस जल्दी से ठीक हो कर घर आ जाईये. हम सब आपका इंतज़ार कर रहे है घर आने के लिए.

वसु से: तुम भी अपने दोनों बच्चों को बहुत प्यार देना. .. हम दोनों की प्रेम की निशानी है

वसु ये सब बातें सुनकर बहुत रो रही थी.. वसु भी अपने पति से कहती है की उन दोनों को बहुत प्यार देगी और एक अच्छा इंसान बनाएगी

फिर कुछ देर बाद वसु अपने बच्चों को बाहर भेज देती है और उसके पति के पास आती है और थोड़ा असमँझ में रहती है.

उसका पति धीरे से उससे पूछता है की क्या हुआ है.. ऐसे क्यों खड़ी हो?

वसु कुछ सोचती है और फिर धीरे से उसे कहती है....मैं तुम्हे एक बात बताया नहीं है.

क्या?

वसु: तुम्हे पता है ना की मैं बाबा के पास गयी थी और बाबा से मैंने दीपू की कुंडली के बारे में पुछा था

हाँ

वसु: मैंने तुम्हे पूरी बात नहीं बतायी. ..

क्या नहीं बताया?

वसु: यही की बाबा ने दीपू के बारे में और भी कुछ बताया था. ..

क्या बताया था ..

वसु: हम बहुत भाग्यशाली है की दीपू आगे जा कर एक होनहार लड़का होगा और वो सब बातें जो बाबा ने वसु से कहा था वो उसके पति को बताती है.

वसु का पति उसकी पूरी बात सुनकर थोड़ा आश्चार्य हो जाता है लेकिन फिर से कहता है की अच्छी बात है. .. शायद अब मैं ज़्यादा दिन ना रहूँ लकिन दीपू तुम्हे और निशा की अच्छी देखभाल करेगा. .. मुझे इससे ज़्यादा और क्या चाहिए?

वैसे भी उसमें तुम्हारे ही गुण है.

वसु: मतलब?

धीरे से वसु को अपने पास बुला के: वो तुम्हारी तरह एकदम सुन्दर होगा जैसे पुजारी ने बताया था…तुम बिस्तर में जितनी जंगली बनती हो और मुझे तो पूरा थका देती हो, शायद तुम्हारा बेटा भी वैसे ही हो.. और हस देता है.

वसु: चुप रहो तुम.. ये भी कोई समय है ऐसी बातें करने का..

मुझे पूरा विश्वास है की तुम जितनी अच्छी हो हमारे बच्चे भी उतने ही अच्छे होंगे और तुम्हारी देखभाल करेंगे ख़ास कर के दीपू. तुम उसकी चिंता मत करो और अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनने में मदत करो. मुझे और कुछ नहीं चाहिए.

वसु ये सब सुनते हुए उसकी आँखों में आंसू आ जाते है और उसके पति को अच्छे से गले लगा लेती है. इतने में डॉक्टर आ जाता है और कहता है की और ज़्यादा बात करना उनके सेहत के लिए अच्छा नहीं है और वसु को बाहर भेज देता है.

अगले दो दिन में उसकी हालत में कोई सुधार नहीं होता और फिर और तीसरे दिन उसकी मौत हो जाती है.

वसु को बहुत ज़ोर का झटका लगता है..उसके पती की मौत की खबर सुन कर उसके घर वाले भी उनसे मिलने आतें है. .. नाना, नानी, मामा, मामी ,चाचा, चाची और सभी बहुत दुःख भी थे. ..

(इन सब characters kaa introduction बाद में समय आने पर दूंगा)

घर में दुःख छा जाता और वसु की हालत बहुत ख़राब हो जाती है. .. लेकिन उसे सब धैर्य देते है और उसे संभालते है

कुछ दिनों बाद घर के सब कार्य करने के बाद सब लोग वापस अपने घर चले जाते है. .. जाते वक़्त वसु के माता पिता वसु की छोटी बेहन दिव्या को उसके पास रहने को कहते है. .. वसु मना करती है लेकिन वो मानते नहीं है और कहते है की दिव्या उसके साथ ही रहेगी और उसके बच्चों को भी देखभाल में उसकी मदत करेगी.

वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.

दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.

आगे देखते है क्या होता है….
image ke sath dalo aur maza aayega
 

khalid_saab

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वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.

दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.

अब आगे ….


वक़्त गुज़रता है. .. वसु जिसकी उम्र अभी ३५ + थी. .. अपने जवानी के आग में जलती रहती है. .. क्यूंकि वो अपने जवानी के शिकार पे थी और उसकी आग बुझाने के लिए उसका पती नहीं था. लेकिन वो अपनी जवानी को बरकारार रखती है और अपने आपको अच्छे से संभालती है. .. मोटी नहीं लेकिन एकदम गदराया हुआ बदन..बच्चे भी बड़े होने लगते है और वो भी होनहार साबित होते है. वसु की बेटी निशा भी एकदम अपनी माँ पर जाती है और वो भी एकदम सुन्दर और अच्छे बदन की मालिक बन जाती है. उसका बेटा दीपू भी बहुत स्मार्ट और हैंडसम नज़र आता है. ..

वक़्त के साथ साथ अब दोनों कॉलेज जाने लगते है अपनी पढाई के लिए (दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ने जाते है) .. और साथ ही घर का माहौल भी थोड़ा बदल जाता है और सब एक दुसरे के साथ थोड़ा फ्री और प्यार से रहते है.

दोनों पढाई में बहुत अच्छे थे, होशियार थे और हर बार अव्वल नंबर से पास होते थे.

घर में सभी में हसीं मजाक भी चलता है और कभी कभी एक दुसरे को प्यार से छेड़ते भी है.

देखते देखते दिव्या भी अब उस घर में सब से खुल कर रहने लगती है और उसका बदन भी गदरा जाता है. वो भी एक मस्त माल के रूप में निखार जाती है.

दीपू कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ मस्ती में रहता है और उनकी सांगत में रहते हुए उसे भी अब चुदाई का ज्ञान आ जाता है. .... दोस्तों से लड़कियों के बारे में बातें करना.. कभी कभी दोस्तों के घर जाकर उनके साथ मौज मस्ती करना और ब्लू फिल्म्स भी देखना जो हर लड़का उस उम्र में करता है.. दीपू भी वही सब करता है लेकिन वो हमेशा अपने limit में रहता है.

वो हैंडसम था तो उस पर कॉलेज की कई लडकियां भी लाइन मारती है लेकिन फिलहाल वो उनपर ज़्यादा ध्यान नहीं देता.. इसी प्रकार से निशा भी खूबसूरत थी तों उसपर भी कॉलेज के काफी लड़के उसपे मरते है लेकिन वो किसी को घास नहीं देती..

एक दिन कॉलेज में कुछ लड़के निशा को ताड़ते हुए गंदे सा कमैंट्स करते है और उससे छेड़खानी करने लगता है. दीपू और उसका एक अच्छा दोस्त देखते है और उन्हें कहते है की वो निशा से दूर ही रहे. .. उन्ही में उनकी भलाई है. एक लड़का कुछ ऐसे ही गंदे कमैंट्स फिर से करता है तो दीपू को बहुत गुस्सा आता है और उसे पकड़ कर 2-4 मुक्के मार के उसकी हालत ख़राब कर देता है. ये सब निशा के सामने ही होता है.

दोनों फिर कॉलेज से घर आ जाते है और दोनों भी नार्मल तरीके से ही घर में रहता है

Btw, वसु का पति अच्छे से मेहनत कर के १ बडा घर लिया था. .. सभी उसी में रहते है. एक कमरे में वसु और दिव्या और दोनों भाई बेहन अलग कमरे में रहते थे.

रात को निशा सोते वक़्त आज की घटनाओं के बारे में सोचती है. उसे अब धीरे से दीपू के दोस्त के ऊपर ध्यान देती है. वो भी निशा को भाने लगता है. वो भी दीपू की तरह एकदम गोरा अच्छे कद काठी का लड़का था और वो भी दीपू की तरह एकदम स्मार्ट और हैंडसम… नीली आँखे. .. एकदम फुर्तीला बदन और एकदम आकर्षक चेहरा.

दीपू के दोस्त का नाम दिनेश है. उसके परिवार का परिचय बाद में होगा.

निशा भी दिनेश को याद कर के थोड़ा चहल उठती है और वो ना चाहते हुए भी अपना हाथ पाजामे में दाल कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगती है और बड़बड़ाती है

दो मिनट बाद जब निशा अपना हाथ निकलती है तो देखती है की उसका हाथ उसके चूत रस से एकदम भीगा हुआ है.. अपना हाथ अपने नाक के पास लाकर सूंघते हुए शर्मा जाती है.. और ऐसे ही ख्यालों में रहते हुए सो जाती है

वहीँ दीपू अपने कमरे में बेखबर हुए अपने पढाई के बारे में सोच कर सो जाता है.

ऐसे ही एक दिन दोनों नाश्ता कर रहे थे तो दीपू निशा को छेड़ता है और चिढ़ाता है तो निशा अपने मौसी ( दिव्या) से कहती है..

देखो ना मौसी कैसे दीपू मुझे चिढ़ा रहा है आप कुछ कहती क्यों नहीं

दिव्या: बेटा मैं क्यों उसे कुछ कहूँ. .. तुम्हे लगता है की वो तुम्हे चिढ़ा रहा है लेकिन मैं तो ये देख रही हूँ की तुम दोनों एक दुसरे को कितना प्यार करते हो

उसकी छेड़खानी में भी प्यार झलक रहा है और ऐसा कहते हुए दिव्या हस देती है और दोनों को नाश्ता परोस देती है.

नाश्ता करने के बाद दीपू दिव्या को गले लगा लेता है तो दिव्या भी उससे गले लग जाती है. गले लगते वक़्त दिव्या की ठोस चूची दीपू के सीने में दब जाती है और जिसका एहसास दीपू को भी होता है. आज ये पहली बार था जब दीपू को भी एहसास होता है की उकसी मौसी कितनी कड़क माल है. लेकिन दीपू सामान्य रहता है और दिव्या को गले लगाते हुए उसे धन्यवाद देता है की उसने दीपू और निशा की छेड़खानी में प्यार देखा है.

दोनों नास्ता कर के कॉलेज के लिए निकल जाते है

दिव्या वसु से कहती है..वसु मैं कितनी खुश हूँ की तुम लोगों के प्यार ने मुझे मेरे ग़म को भुला दिया है

वसु भी प्यार से दिव्या का गाल सहलाते हुए..तू चिंता क्यों करती है दिव्या.. देखना एक दिन तुझे भी ऐसा पति मिलेगा जो तुम्हे जी जान से प्यार करेगा

वसु थोड़ा पीछे हैट के दिव्या को देखती है और कहती है.. कोई नपुंसक ही होगा जो तुझे देखे और अपना लंड ना हिलाये.. अगर मैं तेरा पति होती तो अब तक तुझे ढेर सारे बच्चों की माँ बना देती और उसे आँख मार देती है.

दिव्या.. छी.. ऐसी भी कोई बातें करता है क्या..तू कब से ऐसी बातें करने लग गयी है.
वसु: क्या करून.. मैं भी तो तेरी तरह ही थोड़ी जल रही हूँ और वैसे भी मैंने क्या गलत कहा है. देख तू इतनी गदरायी हुई है और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की चूचि को पकड़ कर दबा देती है.. जिससे दिव्या के मुँह से आह्हः की सिसक निकलती है

वसु: देखा एक बार चूचि मसली तो तेरी ये हालत है. जब कोई तुझ पर चढ़ेगा तो तेरी क्या हालत होगी. ये बात सुन कर दिव्या शर्मा जाती है और दोनों ही ऐसी कामुक बातें करते हुए अपना समय निकल लेते है..

जवानी के पहली झलक

एक दिन दीपू नहाने के लिए बाथरूम जाता है तो वहां पर एक बाल्टी में कपडे रखे हुए थे. वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता और अपने कपडे निकल कर उस बाल्टी में डाल देता है. तब उसकी नज़र बाल्टी में पड़े एक पैंटी पे नज़र आती है. पैंटी एकदम छोटी और थोड़ा ट्रांसपेरेंट था. ये पहली बार था की उसने कोई पैंटी देखी थी. उस को देख कर एकदम मंत्रमुग्ध हो जाता है और उसे उठाते हुए वो गौर से उसे देखता है. उसे देखते हुए उसके लंड में हलचल होती है और लंड खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते लंड एकदम तन कर पूरे फॉर्म में आ जाता है और पूरा तन जाता है. वो पैंटी को अपनी नाक के पास लाता है और उसे सूंघने लगता है. पैंटी थोड़ी गीली और लसदार लगती है उसे और उसे सूंघते हुए अपने लंड को हिलाते हुए मूठ मारने लगता है और सोचता है की ये पैंटी किसकी होगी जिसकी मेहक उसे पागल और दीवाना बना रही थी.

ये उसके जीवन में पहली बार था जब वो एक पैंटी को देख कर मूठ मार रहा था. उसे बहुत मजा आता है और करीब २ मिनट में ही झड जाता है (क्यूंकि ये उसका ऐसा पहला मौका था की उसने किसीकी पैंटी देखी थी इसीलिए जल्दी ही झड़ जाता है) और देखता है की वो काफी वीर्य निकलता है और वो वीर्य एकदम गाड़ा था.

उसके चेहरे पे हसीं आती है और वो वीर्य को साफ़ करते हुए नहा कर बाहर आता है. आज वो पहली बार तीनो को देखता है तो उसके देखने का नजरिया बदल जाता है. वो देखता है की तीनो एकदम कड़क माल है ..तीनो की उठी हुई चूचियाँ , गदराया हुआ बदन और सब से एहम बात उनकी उठी हुई गांड.

दीपू अपने ज़ज़्बातों को अपने पे काबू रख कर अपना काम करता है और वो भी कॉलेज के लिए निकल जाता है.

कुछ दिन बाद फिर से कॉलेज में कुछ लड़के निशा से बतमीज़ी करते है तो इस बार दीपू का दोस्त दिनेश उनको चेतावनी देता है और उन्हें छोड़ देता है. निशा ये सब देख कर दिनेश को मन ही मन चाहने लगती है. उसे लगता है की दिनेश उसी के लिए बना है भले ही वो उस के भाई का दोस्त था.

लेकिन उसे अब ये पता नहीं था की दिनेश उसके बारे में क्या सोचता है.

उस दिन रात को खाना खाने के बाद जब वसु और दिव्या सो जाते है तो निशा धीरे से दीपू के कमरे में जाती है तो इस वक़्त अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था.

निशा इस वक़्त एक लूज़ टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर रूम में आती है. दीपू उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है क्यूंकि उस टी शर्ट में उसके मम्मे एकदम साफ़ झलक रहे थे ख़ास कर के उसके निप्पल्स जो एकदम तने हुए थे और वो शॉर्ट्स में उसकी चिकनी जांघें एकदम सेक्सी लग रही थी और उसे देख कर धीरे से सीटी मारते हुए कहता है…

क्या बात है. आज इस कमरे में कैसे आना हुआ? दीपू उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहता है.. क्या बात है? तू तो बहुत सेक्सी लग रही है

निशा दीपू के बात से थोड़ा शर्मा जाती है और दीपू के पास आकर उससे कहती है

निशा: मेरी एक मदत करेगा?

दीपू: तू बोल तो सही.

निशा: थोड़ा हड़बड़ाते हुए.. कहती है की उसे उसके दोस्त दिनेश का नंबर चाहिए

दीपू: क्यों?

निशा: अरे यार एक बार देना... मैं उससे बात करती हूँ. दीपू जब ये बात निशा से सुनता है तो थोड़ा निराश हो जाता है लेकिन वो निराश अपनी चेहरे पे नहीं लाता. .. क्यूंकि निशा को उन कपड़ों में देख कर दीपू का भी मन ललचा जाता है.

दीपू: ठीक है मैं उससे एक बार पूछ कर तुझे देता हूँ. ठीक है?

निशा: हाँ ठीक है.

दीपू: वैसे क्या बात है जो तुझे उसका नंबर चाहिए.. कहीं प्यार व्यार का लफड़ा तो नहीं है?

निशा: तू भी ना... फ़ालतू की बात मत कर. जितना तुझसे मदत मांगी हूँ उतना करना यार. आज तू नहीं था तो कुछ लड़के फिर से मुझे छेड़ रहे थे तो दिनेश ने उन सब को फिर से धमकाया और अपनी हद में उनको रहने को कहा. तो एक बार तो उससे बात करना बनता है ना.

दीपू: ठीक है. निशा फिर उसपर झुक कर उसके गाल पे एक प्यार से चुम्मा देती है और कहती है ये मेरी मदत करने के लिए और वहां से अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

दीपू उसकी मटकती हुई गांड को देख कर आहें भरता है लेकिन कुछ नहीं कर पाता. उसे भी लगता है की वो उसकी बेहन है तो ऐसे ख़याल उसके मन में नहीं आना चाहिए. लेकिन जब उसे वो बाथरूम में पैंटी और मूठ मारने की बात याद आती है तो हस देता है और सोचता है की उसकी मटकती गांड को देख कर ऐसे ख्याल तो आएंगे ही.

अगली सुबह जब दोनों नाश्ता कर रहे होते है तो दीपू निशा से कहता है की वो उसे आज दिनेश का नंबर दे देगा.

इतने में उनकी माँ नाश्ता देकर किचन में जाती है. दीपू अपनी नज़र उठाये वसु को देखता रह जाता है क्यूंकि वो भी अपनी बड़ी गांड मटकाते हुए किचन में चली जाती है. उसके चूतड़ काफी मस्त और भरे थे, जिसकी वजह से काफी थिरकन होती थी। निशा जब ये देखती है तो अपनी कोहनी से दीपू को हल्का सा मारते हुए कहती है..कहाँ देख रहा है तू? दीपू भी अपने आपे से बहार आता है और कुछ नहीं कहते हुए अपना नाश्ता करने लग जाता है.

उस दिन कॉलेज में निशा अपने सहेलियों के साथ गप्पे मार रही थी और तभी वहां दीपू और दिनेश भी आ जाते है लेकिन थोड़ा दूर बैठते है. ये पहली बार था जब दिनेश और निशा की आँख मिलती है.

निशा उसको देख कर Hi बोलती है. दीपू ये सब देख और सुन रहा था.

दिनेश भी Hi बोलता है लेकिन वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता.

दीपू को देख कर निशा की दोस्त धीरे से कहती है की दीपू कितना स्मार्ट और हैंडसम है. अगर वो उसका बॉयफ्रेंड होता तो उसे ले कर कहीं भाग जाती और खूब मस्ती करती.

निशा: सिर्फ मस्ती ही करती? उसकी एक और दोस्त: नहीं रे मस्ती नहीं मैं तो उस पे चढ़ जाती और अपनी जवानी उसपे लुटाती.

निशा:क्यों तूने अब तक कितने से चुदवा लिया है?

दोस्त: नहीं रे मैं तो अब तक कुंवारी हूँ और अपने हाथों से ही काम चला रही हूँ.

उस दिन कॉलेज में और कुछ नहीं होता और रात को खाने के बाद दीपू निशा को इशारा करता है की वो उसके कमरे में आये. निशा है देती है. दिव्या उन्दोनो को धीरे से बात करते हुए देख कर कहती है की क्या खुसुर फुसुर हो रही है दोनों के बीच में. दोनों इस बात को टाल देते है और कहते है की कॉलेज की कुछ बातें कर रहे है.

रात को निशा फिर से दीपू के कमरे में ऐसे ही सेक्सी कपड़ों में आती है तो फिर से दीपू की जान हतेली पे आ जाती है लेकिन वो फिलहाल कुछ नहीं करता.

निशा: हाँ बोल किस लिए बुलाया है.

दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
आगे देखते है उन सब का क्या हाल होने वाला है...
mast chal rahi hai
 

kas1709

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18th Update (Mega Update)


रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
Nice update.....
 
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Mass

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❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖
Update 19
Bhai, tum hamesha naye updates request karte rehte ho...lekin itni mehnat ke baad ek mega update diya hai...uspe koi comment nahi??
dont know if you know...lekin ek update likhne ke liye bahut time lagta hai aur sochna bhi padta hai...if i write anything which does not fit into the story, it will be bad..so,I need to think a lot as well.

Would appreciate if you could post some comment on my updates..and yes, then you can ask for next update :)

Smith_15
 
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kasi_babu

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18th Update (Mega Update)


रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.

वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....

अब आगे ...

चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:


समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.

वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.

दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.

वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.

मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.

वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?

मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?

वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.

वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.

मनोज: और?

वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.

वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.

वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.

दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.

वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.

मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.

वसु: हाँ पूछो.

मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.

मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.

वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)

वसु: दूसरी बात?

मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.

वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?

मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.

मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.

अब present रात में:

सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.

वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.

दीपू: माँ तुम कहाँ हो?

वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.

दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.

दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.



कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.

और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.

दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?

वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.

दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.

दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.

वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.

दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.

दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.

दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.

ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.

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वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.

दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.

वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.

वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.

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दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.

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वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.

कविता के कमरे में:

कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.

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वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.

वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.

वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..

कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.

वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?

कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.

वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..

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वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.

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५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..

वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.

मनोज और मीना के कमरे में:

वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.

मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?

मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?

मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.

मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.

मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.

मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.

मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.

मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.

मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.

मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.

फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.

कविता के कमरे में:

वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.

कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.

वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?

वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.

कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.

जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.

कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.

कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.

वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.

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वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था

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वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.

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कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.

वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.

कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.

कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.

कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.

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वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.

कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...

वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.

कविता: क्या कहा उन दोनों ने?

वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.

कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.

वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.

कविता: कौनसी बात?

वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?

वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.

कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?

वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.

कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.

कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?

वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?

वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.

कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?

वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.

कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.

कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.

वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.

कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?

वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.

चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?

कविता: ठीक है.

वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.

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वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.

कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
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