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Mast update hai bhaiदीपू: ये भी कोई बोलने वाली बात है क्या? और फिर दोनों ऐसे ही बातें करते हुए नंगे ही एक दुसरे की बाहों में गहरी नींद में सो जाते है...
अब आगे ...
15th Update - पति पत्नियों में मस्त प्यार ( पहला थ्रीसम)
वसु को सुबह जल्दी उठने की आदत थी तो वो सुबह जल्दी उठ जाती है और आँखें खोल कर अपने आप को देखती है तो शर्मा जाती है क्यूंकि वो दीपू की बाहों में नंगी सोई थी रात को. वसु एक मस्त अंगड़ाई लेते हुए उठ जाती है तो दीपू की भी जाग जाता है और वसु को देखते हुए कहता है इतनी जल्दी कहाँ जा रही हो.
वसु: चुप कर. तुझे पता है मैं जल्दी उठ जाती हूँ फिर भी ऐसे पूछ रहे हो. दीपू फिर वसु को अपनी बाहों में खींच के: ऐसे कैसे जाने दूंगा. सुबह सुबह तो मुँह मीठा करा दो.
वसु: अभी नहीं…पहले फ्रेश हो जाओ.
दीपू: क्यों रात को मज़ा नहीं आया क्या?
वसु भी प्यार से दीपू के गाल को चिमटी देकर.. बहुत मज़ा आया. मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था की मेरी दूसरी सुहागरात भी होगी. दीपू फिर से वसु को चूमने की कोशिश करता है तो वसु मन कर देती है और उठ कर बाथरूम जाकर फ्रेश हो जाती है. दीपू को अभी नींद आ रही थी तो वो फिर से सो जाता है.
फिर वो किचन में जा कर पानी पी कर चाय बना रही होती है तो इतने में दिव्या भी वहां आ जाती है और वसु को पीछे से गले लगा कर.. क्यों दीदी रात कैसी रही? रात को मजा आया क्या?
वसु भी घूम कर दिव्या को देखते हुए.. हाँ.. अच्छा था. मैंने कभी नहीं सोचा था की ऐसे भी दिन देखने को मिलेंगे जब मैं अपने ही बेटे की पत्नी बन जाऊँगी.
दिव्या: मैं भी बहुत खुश हूँ की आप भी बहुत खुश हो. वसु फिर प्यार से दिव्या का माथा चूम लेती है. फिर घर के बाकी लोग भी आ जाते है और वसु की टाँग खींचते है लेकिन प्यार से. येही हाल दीपू का भी होता है. ऐसे ही मस्ती में दिन गुज़र जाता है
तीसरे दिन दिनेश दीपू को फ़ोन करता है.
दिनेश: कहाँ चला गया बे?
दीपू: यार मैं नाना नानी के घर आया था कुछ काम था. बोल क्या हुआ?
दिनेश: हो सके तो जल्दी आ जा यार.. अब काम बढ़ रहा है और जैसे हमने सोचा था अब बिज़नेस को आगे भी बढ़ाना है.
दीपू: हाँ, सही कह रहा है. १- २ दिन मैं आ जाता हूँ और फिर बात करते है.
दिनेश: ठीक है मैं इंतज़ार करता हूँ और फिर फ़ोन रख देता है. दीपू ये बात वसु, दिव्या और निशा को बताता है तो उन लोगों को भी लगता है की घर जाना ही ठीक रहेगा. वसु अपने माँ बाप से बात करके घर निकलने के लिए तैयार हो जाते है.
जाने से पहले सब अपने नाना नानी के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेते है और कहते है की जब भी ज़रुरत हो तो उन्हें ज़रूर फ़ोन करना. वो तुरंत ही आ जाएंगे. फिर सब अपना सामान लेकर निकलने की तैयारी करते है. वसु कमरे में जाकर देख रही थी की कुछ छूटा तो नहीं है तो उतने में कविता वहां आकर पीछे से उसको पकड़ कर अपना हाथ उसे पेट और नाभि पे रख कर धीरे से वसु के कान में कहती है की अगली बार जब आओगी तो खुश खबर ज़रूर देना.
वसु को भी इस बात का मतलब पता था तो वो भी मुड कर कविता को देखते हुए उसकी गांड को दबाते हुए कहती है देखते है क्या होता है. वैसे मैं सोच रही थी की आप भी शादी कर लो. फिर मैं भी येही बात आपसे पूछूँगी और हस देती है.
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कविता: मैंने तो तुम्हे बताया था ना.. पता नहीं मेरे किस्मत में क्या लिखा है.
वसु: चिंता मत करो. जो भी होगा अच्छे के लिए ही होगा और वो बाहर की तरफ देखती है तो दरवाज़े पे कोई नहीं था तो वो कविता की आँखों में देख कर मैं तो जा रही हूँ और मुझे पता है आप भी बहुत तड़प रही हो तो मेरी तरफ से ये.. और ऐसा कहते हुए वसु कविता के होंठ चूम लेती है और दोनों एक गहरा चुम्बन लेते है और अलग हो कर..
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इसके आगे मैं और कुछ नहीं दे सकती और अगर आपके मन में भी शादी करने का ख़याल आये तो बताना. आपकी मदत करूंगी. इतने में वहां निशा और मीना भी आ जाते है और मस्ती में पूछते है की सास बहु में क्या बात हो रही है?
जाने से पहले सब सब से मुलाक़ात करते है तो लता भी धीरे से दोनों (दिव्या और वसु) के कान में कहती है की वो उन दोनों से खुश खबर जल्दी ही सुन्ना चाहती है. दोनों शर्म से कुछ नहीं कहते और वो चारों अपने घर निकल जाते है|
कुछ घंटो बाद वसु और सब घर आ जाते है और थके होने के कारण दोपहर को सो जाते है. शाम को जब सब उठते है तो दीपू सब से पहले निशा से कहता है की वो दिनेश को कुछ नहीं बताये और वो ही उसको बताएगा. निशा हाँ कर देती है तो वसु पूछती है.
वसु: बेटा बताना ज़रूरी है क्या?
दीपू: हाँ माँ बताना तो पड़ेगा ही क्यूंकि कुछ दिन में निशा की भी दिनेश के साथ शादी हो जायेगी तो वो भी हमारे रिश्तों में जुड़ जाएंगे. तो उनको पहले ही बता देते है ताकि उनको बाद में कोई surprise ना हो. वसु को भी ये बात सच लगती है तो वो कुछ नहीं कहती.
शाम को फिर दीपू और निशा दोनों अपने दोस्तों से मिलने जाते है तो घर में सिर्फ वसु और दिव्या ही रह जाते है. अब दोनों के रिश्ते भी बदल गए है और दोनों ही एक दुसरे की सौतन है. ये बात दोनों को पता था तो दोनों नार्मल तरीके से बात करने के लिए संकोच में थे. ये बात वसु जान जाती है तो वो दिव्या को अपने कमरे में बुला कर उससे बात करती है.
वसु: क्यों छोटी बात करने में क्या संकोच कर रही हो?
दिव्या: दीदी वो बात नहीं है. पता नहीं आगे क्या होगा. अब हम दोनों तो दीपू की सौतन हो गयी है तो फिर रात कैसे गुज़रेगी? अब हम दोनों तो उसके साथ ही सोना पड़ेगा ना... अलग तो नहीं सो सकते.
वसु: हाँ, ये बात मैंने भी सोचा है लेकिन मेरे लिए तेरी ख़ुशी से ज़्यादा और कुछ नहीं है. अब हमारे माँ बाप भी खुश है और उन्हें भी मन की शान्ति है.
दिव्या: ये बात तो आप सही कह रही हो. बात सिर्फ सोने का नहीं है लेकिन.. और ऐसे कहते हुए दिव्या रुक जाती है क्यूंकि आगे की बात दोनों को पता था की दिव्या क्या कहना चाहती है और क्यों नहीं कह पाती.
वसु: मुझे पता है..देखते है रात कैसे गुज़रती है.. लेकिन शायद हम को इसकी आदत पड़ जायेगी. दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और कमरे के बाहर जाने लगती है तो वसु उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास ला कर.. क्यों तुझे शर्म आ रही है क्या?
दिव्या भी अपने नज़रें नीचे झुका लेती है लेकिन कुछ नहीं कहती. वसु उसको देख कर अपने से गले लगा लेती है और पीछे से उसकी गांड को दबा कर उसके कान में कहती है..चिंता मत कर.. सब ठीक हो जाएगा.. आखिर में अपना पति दीपू ही है.. कोई बाहर का नहीं तो शर्माने की कोई बात नहीं है. वसु फिर प्यार से उसका माथा चूम लेती है तो दिव्या को भी थोड़ा सुकून मिलता है और वसु हलके से उसके होंठ चूम लेती है और अलग कर देती है दिव्या को अपने से.
वसु: आज रात को हम दोनों दीपू को सरप्राइज देते है ना.
दिव्या: मतलब?
वसु धीरे से उसके कान में कुछ कहती है तो दिव्या भी मान जाती है और हाँ कहती है
दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और फिर अपने काम में लग जाते है.
कुछ समय बाद दोनों दीपू और निशा भी घर आ जाते है और फिर रात को खाना खा कर सब टीवी देखते रहते है तो इतने में निशा को दिनेश का फ़ोन आता है. निशा दिनेश का नंबर देख कर अपने कमरे में भाग जाती है. दीपू निशा को ऐसे जाता देख कर हस देता है और वसु से कहता है की उसके यार का फ़ोन है इसीलिए वो भाग गयी है. ये बात सुनकर दोनों वसु और दिव्या भी हस देते है और फिर थोड़ी देर बाद दीपू टीवी बंद करके अपने कमरे में जा रहा होता है तो वो दोनों वसु और दिव्या की तरफ देख कर.. आप लोग नहीं आ रहे हो क्या? वसु: तू जा.. हम थोड़ी देर में आते है.
वहीँ निशा के कमरे में..
निशा: क्या बात है.. थोड़ी दिन तुमसे बात नहीं की तो उतने उतावले हो रहे हो क्या?
दिनेश: क्यों नहीं.. १- २ दिन बात नहीं किया तो ठीक है लेकिन इतने दिन? वैसे कहाँ चले गए थे? मुझे दीपू ने भी कुछ नहीं बताया.
निशा: (उसको सुबह दीपू की बात याद आती है) वो हम नाना नानी के घर गए थे. उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो उन्हें देखे गए थे.
दिनेश: हाँ दीपू कह रहा था. अब कैसे है?
निशा: अब ठीक है. दीपू कह रहा था की वो तुमसे कल मिलेगा.
दिनेश: हाँ, मुझसे भी कहा था.
फिर दोनों ऐसे ही बातचीत कर के अपने यादों में सो जाते है.
इधर दीपू के कमरे में…
दीपू अपने कमरे में बिस्तर पे सोते हुए अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था तो थोड़ी देर बाद कमरे का दरवाज़ा खुलता है. दीपू अपनी आँख उठे के देखता है तो उसकी आँखें ख़ुशी से एकदम बड़ी हो जाती है और अपना मोबाइल बगल में रख कर सामने का नज़ारा देखता रहता है क्यूंकि सामने का नज़ारा उतना ही सेक्सी था. दोनों वसु और दिव्या एकदम सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी पहने हुए एकदम शज धज के दोनों उसके लिए दूध का ग्लास लाते है.
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और कमरे का दरवाज़ा बंद कर के धीरे से अंदर आते है लेकिन फिर भी दोनों शर्मा रहे थे. ये पहली बार था की दोनों ऐसे सझ धज के पहली बार अपने पति के कमरे में आयी थी.
दीपू दोनों को देख कर एकदम खुश हो जाता है तो दोनों शर्म से दीपू को दूध देती है तो दीपू भी दूध पी कर दोनों को भी दूध पिलाता है. दोनों अब भी बहुत शर्मा रहे थे तो दीपू को इस बात का पता था तो वो दोनों को अपनी बाहों में लेकर धीरे से उनके कान में कहता है की बाहर तो आप दोनों मेरी माँ और मौसी हो..
लेकिन कमरे के अंदर तुम दोनों मेरी जान हो तो ये शर्माना छोड़ दो और जैसे मैंने पहले ही कहा था.. जब हम यहाँ कमरे में रहेंगे तो कोई झिझक नहीं. इसीलिए मैं चाहता हूँ की अगर तुम दोनों की शर्म को दूर करना है तो मेरी दोनों बीवियां एक दुसरे से प्यार करे.
दोनों ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है लेकिन दीपू नहीं मानता और बगल में रखे सोफे पे बैठ जाता है और दोनों को देखता रहता है. दोनों भी शर्म से एक दुसरे के साथ आते है और फिर पहले धीरे से एक दुसरे को चूमते है. एक मं बाद जब दोनों को थोड़ा अच्छा लगता है तो फिर से दोनों एक दुसरे के होंठों को जोड़ देते है और इस बार एक अच्छे लम्बे किस में डूब जाते है जिसे देख कर दीपू को भी बड़ा मजा आ रहा था.
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दोनों को पता भी नहीं चलता जब दोनों किस में रहते हुए एक दुसरे के कपडे भी निकाल देते है और दोनों अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में रहते हुए एक दुसरे के मजे ले रहे थे.
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५ Min तक दोनों एक दुसरे को किस करते है तो इतने में दीपू भी अपने कपडे निकल कर उन दोनों के पास आता है और फिर बारी बारी से दोनों को किस करता है और फिर दोनों को बाहों में लेता है. दोनों वसु और दिव्या एक दुसरे को देखते है और ऐसा पहली बार था की दोनों दीपू की बाहों में रहते हुए दोनों एक दुसरे को फिर से होंठों पे किस करते है और साथ में दीपू को भी किस करते है.
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दीपू फिर दोनों को बिस्तर पे ले जाकर दोनों की ब्रा पैंटी निकल कर दोनों को नंगा कर देता है और फिर दिव्या को सुला कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है. दिव्या भी मजे में दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है तो वही वसु भी उसका साथ देते हुए दीपू का सर उसकी चूत पे दबा देती है.
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५ Min में जब दिव्या आह आह आह करते हुए झड़ जाती है तो वो अपना पानी छोड़ देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है और दिव्या गहरी सांसें लेने लगती है और निढाल हो जाती है. दीपू फिर वसु को भी सुला कर वैसे ही करता है लेकिन इस बार वो वसु की गांड से लेकर चूत तक अच्छे से चूस चूस कर उसका पूरा पानी निकल देता है.
जहाँ दीपू वसु की चूत चूस रहा था तो वहीँ दिव्या भी उठ कर वसु के होंठों पे किस करती है. वसु को अब दोनों जगह से मजा मिल रहा था.
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५-७ Min में वसु का भी वही हाल होता है जो कुछ समय पहले दिव्या का हुआ था. वो भी दीपू का सर उसकी चूत पे दबाते हुए अपना पानी छोड़ देती है.
दीपू भी मस्त में उसका पानी पी कर दोनों को देख कर कहता है की तुम दोनों तो बड़ी मीठी और खटी हो. दोनों वसु और दिव्या ये सुनकर थोड़ा शर्मा जाते है तो दीपू अपना लंड उनके सामने लेकर जाता है. लंड पहले से ही थोड़ा तना हुआ था लेकिन पूरी तरह नहीं.
अब दोनों वसु और दिव्या भी अपना शर्म छोड़ देते है और दोनों दीपू के लंड पे टूट पड़ती है. दोनों बारी बारी से उसका लंड मुँह में लेकर मस्त चूसती है जिसे दीपू बहुत मस्त एन्जॉय कर रहा था. वो तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था.
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अब एक लंड चूसती तो दूसरा उसकी गोटियां चूसती.
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ऐसे ही ५- ७ मं तक दोनों दीपू को खुश करते है तो दीपू को लगता है की अगर वो दोनों ऐसे ही और कुछ देर करे तो वो झड़ जाएगा जो वो चाहता नहीं था.
दीपू फिर अपना लंड दोनों के मुँह से निकालता है तो दोनों एक दुसरे को देख कर हस रहे थे जैसे नहीं चाहते थे उसका लंड छोड़ने को.
दीपू फिर वसु को सुला कर उसकी चूत पे अपना लंड रख कर वसु की तरफ देखता है और पाता है की वसु भी इसके लिए तैयार है तो वो दिव्या को कह कर उसके मुँह पे बैठने को कहता है और वो एक ज़ोरदार झटका मारता है और एक बार में ही उसका पूरा लंड वसु की चूत में जड़ तक चले जाता है. वसु भी ज़ोर से चिल्लाती है लेकिन उसकी आवाज़ दिव्या की चूत में ही दब जाता है क्यूंकि दीपू को पहले ही पता था इसीलिए वो दिव्या की चूत को उसके मुँह पे रखने को कहता है.
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दीपू अब मस्त तरीके से उसका लंड वसु की चूत पे अंदर बाहर करता रहता है और ५ Min के अंदर वसु भी ना चाहते हुए अपना पानी छोड़ देती है जिससे दीपू का लंड भी गीला होने की वजह से फिर से आराम से अंदर बाहर होने लगता है. वहीँ दिव्या भी उत्तेजित होते हुए अपना पानी वसु के मुँह में दाल देती है.
जब वसु थक जाती है तो वो दीपू से कहती है तो दीपू भी मान जाता है और इस बार दिव्या को घोड़ी बना कर उसकी ठुकाई करता है और पेलते रहता है. दिव्या भी वसु की एक चूची को मुँह में लेकर उसको मजा देने लगती है तो वसु भी आगे हो कर दीपू को चूमती है. दीपू को भी अब मजा आने लगा था. वो दिव्या को पेलते हुए वसु को भी मजे दे रहा था
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ऐसे ही दुमदार चुदाई काफी देर तक चलती है जहाँ दीपू बदल बदल कर दोनों को ठोकता है और इन सब में तीनो को भी बहुत मजा आता है. ये चुदाई का सफर लगभग ४५ Min तक चलता है और आखिर में दीपू को भी लगता है की वो भी आने वाला है तो जब ये बात कहता है तो दोनों कहते है की वो अपना पानी उनके मुँह में दे दे. अब दीपू भी बहुत नज़दीक था तो वो अपना लंड दोनों के मुँह के पास ले जाता है और आह... आह... करते हुए अपना रास दोनों के मुँह में झड़ जाता है जिसे दोनों बड़े चाव से पीने लगते है.
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तीनो अब थक जाते है तो दीपू भी थक कर बिस्तर पे गिर जाता है. दोनों वसु और दिव्या भी थक जाते है और बड़े सुकून के साथ दोनों दीपू के बगल में उसके साथ सो जाते है.
दीपू: मजा आया क्या? अब तो दोनों में शर्म नहीं है ना? वसु ये बात सुनकर धीरे से दीपू के कंधे पर प्यार से मारती है तो वहीँ दिव्या भी ऐसे ही करती है और दिव्या कहती है की पहले तो उसे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन दीदी के साथ बहुत मजा आया.
वसु का भी कुछ ऐसे ही हाल था और फिर दोनों दीपू के सीने में अपना सर रख कर सो जाते है. दीपू को भी आज बड़े चैन से नींद आ जाती है और वो भी ख़ुशी से सो जाता है..
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वहीँ निशा के कमरे में ..
निशा दिनेश से बात करने के बाद जब वो बाहर आती है तो वहां कोई नहीं दीखता और वो मन में हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है. उसे पता था की दीपू के कमरे में क्या हो रहा होगा और वो उन सब को याद करते हुए अपना हाथ अपने पैंटी में दाल कर अपनी चूत को मसलते हुए सोचती रहती है... मेरा क्या. कब और कैसे होगा.. और पता भी नहीं चलता जब उसकी चूत भी गीली हो जाती है और पानी छोड़ देती है...
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Behtreen updateदीपू: ये भी कोई बोलने वाली बात है क्या? और फिर दोनों ऐसे ही बातें करते हुए नंगे ही एक दुसरे की बाहों में गहरी नींद में सो जाते है...
अब आगे ...
15th Update - पति पत्नियों में मस्त प्यार ( पहला थ्रीसम)
वसु को सुबह जल्दी उठने की आदत थी तो वो सुबह जल्दी उठ जाती है और आँखें खोल कर अपने आप को देखती है तो शर्मा जाती है क्यूंकि वो दीपू की बाहों में नंगी सोई थी रात को. वसु एक मस्त अंगड़ाई लेते हुए उठ जाती है तो दीपू की भी जाग जाता है और वसु को देखते हुए कहता है इतनी जल्दी कहाँ जा रही हो.
वसु: चुप कर. तुझे पता है मैं जल्दी उठ जाती हूँ फिर भी ऐसे पूछ रहे हो. दीपू फिर वसु को अपनी बाहों में खींच के: ऐसे कैसे जाने दूंगा. सुबह सुबह तो मुँह मीठा करा दो.
वसु: अभी नहीं…पहले फ्रेश हो जाओ.
दीपू: क्यों रात को मज़ा नहीं आया क्या?
वसु भी प्यार से दीपू के गाल को चिमटी देकर.. बहुत मज़ा आया. मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था की मेरी दूसरी सुहागरात भी होगी. दीपू फिर से वसु को चूमने की कोशिश करता है तो वसु मन कर देती है और उठ कर बाथरूम जाकर फ्रेश हो जाती है. दीपू को अभी नींद आ रही थी तो वो फिर से सो जाता है.
फिर वो किचन में जा कर पानी पी कर चाय बना रही होती है तो इतने में दिव्या भी वहां आ जाती है और वसु को पीछे से गले लगा कर.. क्यों दीदी रात कैसी रही? रात को मजा आया क्या?
वसु भी घूम कर दिव्या को देखते हुए.. हाँ.. अच्छा था. मैंने कभी नहीं सोचा था की ऐसे भी दिन देखने को मिलेंगे जब मैं अपने ही बेटे की पत्नी बन जाऊँगी.
दिव्या: मैं भी बहुत खुश हूँ की आप भी बहुत खुश हो. वसु फिर प्यार से दिव्या का माथा चूम लेती है. फिर घर के बाकी लोग भी आ जाते है और वसु की टाँग खींचते है लेकिन प्यार से. येही हाल दीपू का भी होता है. ऐसे ही मस्ती में दिन गुज़र जाता है
तीसरे दिन दिनेश दीपू को फ़ोन करता है.
दिनेश: कहाँ चला गया बे?
दीपू: यार मैं नाना नानी के घर आया था कुछ काम था. बोल क्या हुआ?
दिनेश: हो सके तो जल्दी आ जा यार.. अब काम बढ़ रहा है और जैसे हमने सोचा था अब बिज़नेस को आगे भी बढ़ाना है.
दीपू: हाँ, सही कह रहा है. १- २ दिन मैं आ जाता हूँ और फिर बात करते है.
दिनेश: ठीक है मैं इंतज़ार करता हूँ और फिर फ़ोन रख देता है. दीपू ये बात वसु, दिव्या और निशा को बताता है तो उन लोगों को भी लगता है की घर जाना ही ठीक रहेगा. वसु अपने माँ बाप से बात करके घर निकलने के लिए तैयार हो जाते है.
जाने से पहले सब अपने नाना नानी के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेते है और कहते है की जब भी ज़रुरत हो तो उन्हें ज़रूर फ़ोन करना. वो तुरंत ही आ जाएंगे. फिर सब अपना सामान लेकर निकलने की तैयारी करते है. वसु कमरे में जाकर देख रही थी की कुछ छूटा तो नहीं है तो उतने में कविता वहां आकर पीछे से उसको पकड़ कर अपना हाथ उसे पेट और नाभि पे रख कर धीरे से वसु के कान में कहती है की अगली बार जब आओगी तो खुश खबर ज़रूर देना.
वसु को भी इस बात का मतलब पता था तो वो भी मुड कर कविता को देखते हुए उसकी गांड को दबाते हुए कहती है देखते है क्या होता है. वैसे मैं सोच रही थी की आप भी शादी कर लो. फिर मैं भी येही बात आपसे पूछूँगी और हस देती है.
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कविता: मैंने तो तुम्हे बताया था ना.. पता नहीं मेरे किस्मत में क्या लिखा है.
वसु: चिंता मत करो. जो भी होगा अच्छे के लिए ही होगा और वो बाहर की तरफ देखती है तो दरवाज़े पे कोई नहीं था तो वो कविता की आँखों में देख कर मैं तो जा रही हूँ और मुझे पता है आप भी बहुत तड़प रही हो तो मेरी तरफ से ये.. और ऐसा कहते हुए वसु कविता के होंठ चूम लेती है और दोनों एक गहरा चुम्बन लेते है और अलग हो कर..
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इसके आगे मैं और कुछ नहीं दे सकती और अगर आपके मन में भी शादी करने का ख़याल आये तो बताना. आपकी मदत करूंगी. इतने में वहां निशा और मीना भी आ जाते है और मस्ती में पूछते है की सास बहु में क्या बात हो रही है?
जाने से पहले सब सब से मुलाक़ात करते है तो लता भी धीरे से दोनों (दिव्या और वसु) के कान में कहती है की वो उन दोनों से खुश खबर जल्दी ही सुन्ना चाहती है. दोनों शर्म से कुछ नहीं कहते और वो चारों अपने घर निकल जाते है|
कुछ घंटो बाद वसु और सब घर आ जाते है और थके होने के कारण दोपहर को सो जाते है. शाम को जब सब उठते है तो दीपू सब से पहले निशा से कहता है की वो दिनेश को कुछ नहीं बताये और वो ही उसको बताएगा. निशा हाँ कर देती है तो वसु पूछती है.
वसु: बेटा बताना ज़रूरी है क्या?
दीपू: हाँ माँ बताना तो पड़ेगा ही क्यूंकि कुछ दिन में निशा की भी दिनेश के साथ शादी हो जायेगी तो वो भी हमारे रिश्तों में जुड़ जाएंगे. तो उनको पहले ही बता देते है ताकि उनको बाद में कोई surprise ना हो. वसु को भी ये बात सच लगती है तो वो कुछ नहीं कहती.
शाम को फिर दीपू और निशा दोनों अपने दोस्तों से मिलने जाते है तो घर में सिर्फ वसु और दिव्या ही रह जाते है. अब दोनों के रिश्ते भी बदल गए है और दोनों ही एक दुसरे की सौतन है. ये बात दोनों को पता था तो दोनों नार्मल तरीके से बात करने के लिए संकोच में थे. ये बात वसु जान जाती है तो वो दिव्या को अपने कमरे में बुला कर उससे बात करती है.
वसु: क्यों छोटी बात करने में क्या संकोच कर रही हो?
दिव्या: दीदी वो बात नहीं है. पता नहीं आगे क्या होगा. अब हम दोनों तो दीपू की सौतन हो गयी है तो फिर रात कैसे गुज़रेगी? अब हम दोनों तो उसके साथ ही सोना पड़ेगा ना... अलग तो नहीं सो सकते.
वसु: हाँ, ये बात मैंने भी सोचा है लेकिन मेरे लिए तेरी ख़ुशी से ज़्यादा और कुछ नहीं है. अब हमारे माँ बाप भी खुश है और उन्हें भी मन की शान्ति है.
दिव्या: ये बात तो आप सही कह रही हो. बात सिर्फ सोने का नहीं है लेकिन.. और ऐसे कहते हुए दिव्या रुक जाती है क्यूंकि आगे की बात दोनों को पता था की दिव्या क्या कहना चाहती है और क्यों नहीं कह पाती.
वसु: मुझे पता है..देखते है रात कैसे गुज़रती है.. लेकिन शायद हम को इसकी आदत पड़ जायेगी. दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और कमरे के बाहर जाने लगती है तो वसु उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास ला कर.. क्यों तुझे शर्म आ रही है क्या?
दिव्या भी अपने नज़रें नीचे झुका लेती है लेकिन कुछ नहीं कहती. वसु उसको देख कर अपने से गले लगा लेती है और पीछे से उसकी गांड को दबा कर उसके कान में कहती है..चिंता मत कर.. सब ठीक हो जाएगा.. आखिर में अपना पति दीपू ही है.. कोई बाहर का नहीं तो शर्माने की कोई बात नहीं है. वसु फिर प्यार से उसका माथा चूम लेती है तो दिव्या को भी थोड़ा सुकून मिलता है और वसु हलके से उसके होंठ चूम लेती है और अलग कर देती है दिव्या को अपने से.
वसु: आज रात को हम दोनों दीपू को सरप्राइज देते है ना.
दिव्या: मतलब?
वसु धीरे से उसके कान में कुछ कहती है तो दिव्या भी मान जाती है और हाँ कहती है
दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और फिर अपने काम में लग जाते है.
कुछ समय बाद दोनों दीपू और निशा भी घर आ जाते है और फिर रात को खाना खा कर सब टीवी देखते रहते है तो इतने में निशा को दिनेश का फ़ोन आता है. निशा दिनेश का नंबर देख कर अपने कमरे में भाग जाती है. दीपू निशा को ऐसे जाता देख कर हस देता है और वसु से कहता है की उसके यार का फ़ोन है इसीलिए वो भाग गयी है. ये बात सुनकर दोनों वसु और दिव्या भी हस देते है और फिर थोड़ी देर बाद दीपू टीवी बंद करके अपने कमरे में जा रहा होता है तो वो दोनों वसु और दिव्या की तरफ देख कर.. आप लोग नहीं आ रहे हो क्या? वसु: तू जा.. हम थोड़ी देर में आते है.
वहीँ निशा के कमरे में..
निशा: क्या बात है.. थोड़ी दिन तुमसे बात नहीं की तो उतने उतावले हो रहे हो क्या?
दिनेश: क्यों नहीं.. १- २ दिन बात नहीं किया तो ठीक है लेकिन इतने दिन? वैसे कहाँ चले गए थे? मुझे दीपू ने भी कुछ नहीं बताया.
निशा: (उसको सुबह दीपू की बात याद आती है) वो हम नाना नानी के घर गए थे. उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो उन्हें देखे गए थे.
दिनेश: हाँ दीपू कह रहा था. अब कैसे है?
निशा: अब ठीक है. दीपू कह रहा था की वो तुमसे कल मिलेगा.
दिनेश: हाँ, मुझसे भी कहा था.
फिर दोनों ऐसे ही बातचीत कर के अपने यादों में सो जाते है.
इधर दीपू के कमरे में…
दीपू अपने कमरे में बिस्तर पे सोते हुए अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था तो थोड़ी देर बाद कमरे का दरवाज़ा खुलता है. दीपू अपनी आँख उठे के देखता है तो उसकी आँखें ख़ुशी से एकदम बड़ी हो जाती है और अपना मोबाइल बगल में रख कर सामने का नज़ारा देखता रहता है क्यूंकि सामने का नज़ारा उतना ही सेक्सी था. दोनों वसु और दिव्या एकदम सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी पहने हुए एकदम शज धज के दोनों उसके लिए दूध का ग्लास लाते है.
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और कमरे का दरवाज़ा बंद कर के धीरे से अंदर आते है लेकिन फिर भी दोनों शर्मा रहे थे. ये पहली बार था की दोनों ऐसे सझ धज के पहली बार अपने पति के कमरे में आयी थी.
दीपू दोनों को देख कर एकदम खुश हो जाता है तो दोनों शर्म से दीपू को दूध देती है तो दीपू भी दूध पी कर दोनों को भी दूध पिलाता है. दोनों अब भी बहुत शर्मा रहे थे तो दीपू को इस बात का पता था तो वो दोनों को अपनी बाहों में लेकर धीरे से उनके कान में कहता है की बाहर तो आप दोनों मेरी माँ और मौसी हो..
लेकिन कमरे के अंदर तुम दोनों मेरी जान हो तो ये शर्माना छोड़ दो और जैसे मैंने पहले ही कहा था.. जब हम यहाँ कमरे में रहेंगे तो कोई झिझक नहीं. इसीलिए मैं चाहता हूँ की अगर तुम दोनों की शर्म को दूर करना है तो मेरी दोनों बीवियां एक दुसरे से प्यार करे.
दोनों ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है लेकिन दीपू नहीं मानता और बगल में रखे सोफे पे बैठ जाता है और दोनों को देखता रहता है. दोनों भी शर्म से एक दुसरे के साथ आते है और फिर पहले धीरे से एक दुसरे को चूमते है. एक मं बाद जब दोनों को थोड़ा अच्छा लगता है तो फिर से दोनों एक दुसरे के होंठों को जोड़ देते है और इस बार एक अच्छे लम्बे किस में डूब जाते है जिसे देख कर दीपू को भी बड़ा मजा आ रहा था.
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दोनों को पता भी नहीं चलता जब दोनों किस में रहते हुए एक दुसरे के कपडे भी निकाल देते है और दोनों अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में रहते हुए एक दुसरे के मजे ले रहे थे.
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५ Min तक दोनों एक दुसरे को किस करते है तो इतने में दीपू भी अपने कपडे निकल कर उन दोनों के पास आता है और फिर बारी बारी से दोनों को किस करता है और फिर दोनों को बाहों में लेता है. दोनों वसु और दिव्या एक दुसरे को देखते है और ऐसा पहली बार था की दोनों दीपू की बाहों में रहते हुए दोनों एक दुसरे को फिर से होंठों पे किस करते है और साथ में दीपू को भी किस करते है.
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दीपू फिर दोनों को बिस्तर पे ले जाकर दोनों की ब्रा पैंटी निकल कर दोनों को नंगा कर देता है और फिर दिव्या को सुला कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है. दिव्या भी मजे में दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है तो वही वसु भी उसका साथ देते हुए दीपू का सर उसकी चूत पे दबा देती है.
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५ Min में जब दिव्या आह आह आह करते हुए झड़ जाती है तो वो अपना पानी छोड़ देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है और दिव्या गहरी सांसें लेने लगती है और निढाल हो जाती है. दीपू फिर वसु को भी सुला कर वैसे ही करता है लेकिन इस बार वो वसु की गांड से लेकर चूत तक अच्छे से चूस चूस कर उसका पूरा पानी निकल देता है.
जहाँ दीपू वसु की चूत चूस रहा था तो वहीँ दिव्या भी उठ कर वसु के होंठों पे किस करती है. वसु को अब दोनों जगह से मजा मिल रहा था.
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५-७ Min में वसु का भी वही हाल होता है जो कुछ समय पहले दिव्या का हुआ था. वो भी दीपू का सर उसकी चूत पे दबाते हुए अपना पानी छोड़ देती है.
दीपू भी मस्त में उसका पानी पी कर दोनों को देख कर कहता है की तुम दोनों तो बड़ी मीठी और खटी हो. दोनों वसु और दिव्या ये सुनकर थोड़ा शर्मा जाते है तो दीपू अपना लंड उनके सामने लेकर जाता है. लंड पहले से ही थोड़ा तना हुआ था लेकिन पूरी तरह नहीं.
अब दोनों वसु और दिव्या भी अपना शर्म छोड़ देते है और दोनों दीपू के लंड पे टूट पड़ती है. दोनों बारी बारी से उसका लंड मुँह में लेकर मस्त चूसती है जिसे दीपू बहुत मस्त एन्जॉय कर रहा था. वो तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था.
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अब एक लंड चूसती तो दूसरा उसकी गोटियां चूसती.
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ऐसे ही ५- ७ मं तक दोनों दीपू को खुश करते है तो दीपू को लगता है की अगर वो दोनों ऐसे ही और कुछ देर करे तो वो झड़ जाएगा जो वो चाहता नहीं था.
दीपू फिर अपना लंड दोनों के मुँह से निकालता है तो दोनों एक दुसरे को देख कर हस रहे थे जैसे नहीं चाहते थे उसका लंड छोड़ने को.
दीपू फिर वसु को सुला कर उसकी चूत पे अपना लंड रख कर वसु की तरफ देखता है और पाता है की वसु भी इसके लिए तैयार है तो वो दिव्या को कह कर उसके मुँह पे बैठने को कहता है और वो एक ज़ोरदार झटका मारता है और एक बार में ही उसका पूरा लंड वसु की चूत में जड़ तक चले जाता है. वसु भी ज़ोर से चिल्लाती है लेकिन उसकी आवाज़ दिव्या की चूत में ही दब जाता है क्यूंकि दीपू को पहले ही पता था इसीलिए वो दिव्या की चूत को उसके मुँह पे रखने को कहता है.
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दीपू अब मस्त तरीके से उसका लंड वसु की चूत पे अंदर बाहर करता रहता है और ५ Min के अंदर वसु भी ना चाहते हुए अपना पानी छोड़ देती है जिससे दीपू का लंड भी गीला होने की वजह से फिर से आराम से अंदर बाहर होने लगता है. वहीँ दिव्या भी उत्तेजित होते हुए अपना पानी वसु के मुँह में दाल देती है.
जब वसु थक जाती है तो वो दीपू से कहती है तो दीपू भी मान जाता है और इस बार दिव्या को घोड़ी बना कर उसकी ठुकाई करता है और पेलते रहता है. दिव्या भी वसु की एक चूची को मुँह में लेकर उसको मजा देने लगती है तो वसु भी आगे हो कर दीपू को चूमती है. दीपू को भी अब मजा आने लगा था. वो दिव्या को पेलते हुए वसु को भी मजे दे रहा था
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ऐसे ही दुमदार चुदाई काफी देर तक चलती है जहाँ दीपू बदल बदल कर दोनों को ठोकता है और इन सब में तीनो को भी बहुत मजा आता है. ये चुदाई का सफर लगभग ४५ Min तक चलता है और आखिर में दीपू को भी लगता है की वो भी आने वाला है तो जब ये बात कहता है तो दोनों कहते है की वो अपना पानी उनके मुँह में दे दे. अब दीपू भी बहुत नज़दीक था तो वो अपना लंड दोनों के मुँह के पास ले जाता है और आह... आह... करते हुए अपना रास दोनों के मुँह में झड़ जाता है जिसे दोनों बड़े चाव से पीने लगते है.
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तीनो अब थक जाते है तो दीपू भी थक कर बिस्तर पे गिर जाता है. दोनों वसु और दिव्या भी थक जाते है और बड़े सुकून के साथ दोनों दीपू के बगल में उसके साथ सो जाते है.
दीपू: मजा आया क्या? अब तो दोनों में शर्म नहीं है ना? वसु ये बात सुनकर धीरे से दीपू के कंधे पर प्यार से मारती है तो वहीँ दिव्या भी ऐसे ही करती है और दिव्या कहती है की पहले तो उसे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन दीदी के साथ बहुत मजा आया.
वसु का भी कुछ ऐसे ही हाल था और फिर दोनों दीपू के सीने में अपना सर रख कर सो जाते है. दीपू को भी आज बड़े चैन से नींद आ जाती है और वो भी ख़ुशी से सो जाता है..
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वहीँ निशा के कमरे में ..
निशा दिनेश से बात करने के बाद जब वो बाहर आती है तो वहां कोई नहीं दीखता और वो मन में हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है. उसे पता था की दीपू के कमरे में क्या हो रहा होगा और वो उन सब को याद करते हुए अपना हाथ अपने पैंटी में दाल कर अपनी चूत को मसलते हुए सोचती रहती है... मेरा क्या. कब और कैसे होगा.. और पता भी नहीं चलता जब उसकी चूत भी गीली हो जाती है और पानी छोड़ देती है...
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Super dupr gazab threesome ,dohra swad update, awesome writing skills hi c cc siiiiii cccccccccदीपू: ये भी कोई बोलने वाली बात है क्या? और फिर दोनों ऐसे ही बातें करते हुए नंगे ही एक दुसरे की बाहों में गहरी नींद में सो जाते है...
अब आगे ...
15th Update - पति पत्नियों में मस्त प्यार ( पहला थ्रीसम)
वसु को सुबह जल्दी उठने की आदत थी तो वो सुबह जल्दी उठ जाती है और आँखें खोल कर अपने आप को देखती है तो शर्मा जाती है क्यूंकि वो दीपू की बाहों में नंगी सोई थी रात को. वसु एक मस्त अंगड़ाई लेते हुए उठ जाती है तो दीपू की भी जाग जाता है और वसु को देखते हुए कहता है इतनी जल्दी कहाँ जा रही हो.
वसु: चुप कर. तुझे पता है मैं जल्दी उठ जाती हूँ फिर भी ऐसे पूछ रहे हो. दीपू फिर वसु को अपनी बाहों में खींच के: ऐसे कैसे जाने दूंगा. सुबह सुबह तो मुँह मीठा करा दो.
वसु: अभी नहीं…पहले फ्रेश हो जाओ.
दीपू: क्यों रात को मज़ा नहीं आया क्या?
वसु भी प्यार से दीपू के गाल को चिमटी देकर.. बहुत मज़ा आया. मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था की मेरी दूसरी सुहागरात भी होगी. दीपू फिर से वसु को चूमने की कोशिश करता है तो वसु मन कर देती है और उठ कर बाथरूम जाकर फ्रेश हो जाती है. दीपू को अभी नींद आ रही थी तो वो फिर से सो जाता है.
फिर वो किचन में जा कर पानी पी कर चाय बना रही होती है तो इतने में दिव्या भी वहां आ जाती है और वसु को पीछे से गले लगा कर.. क्यों दीदी रात कैसी रही? रात को मजा आया क्या?
वसु भी घूम कर दिव्या को देखते हुए.. हाँ.. अच्छा था. मैंने कभी नहीं सोचा था की ऐसे भी दिन देखने को मिलेंगे जब मैं अपने ही बेटे की पत्नी बन जाऊँगी.
दिव्या: मैं भी बहुत खुश हूँ की आप भी बहुत खुश हो. वसु फिर प्यार से दिव्या का माथा चूम लेती है. फिर घर के बाकी लोग भी आ जाते है और वसु की टाँग खींचते है लेकिन प्यार से. येही हाल दीपू का भी होता है. ऐसे ही मस्ती में दिन गुज़र जाता है
तीसरे दिन दिनेश दीपू को फ़ोन करता है.
दिनेश: कहाँ चला गया बे?
दीपू: यार मैं नाना नानी के घर आया था कुछ काम था. बोल क्या हुआ?
दिनेश: हो सके तो जल्दी आ जा यार.. अब काम बढ़ रहा है और जैसे हमने सोचा था अब बिज़नेस को आगे भी बढ़ाना है.
दीपू: हाँ, सही कह रहा है. १- २ दिन मैं आ जाता हूँ और फिर बात करते है.
दिनेश: ठीक है मैं इंतज़ार करता हूँ और फिर फ़ोन रख देता है. दीपू ये बात वसु, दिव्या और निशा को बताता है तो उन लोगों को भी लगता है की घर जाना ही ठीक रहेगा. वसु अपने माँ बाप से बात करके घर निकलने के लिए तैयार हो जाते है.
जाने से पहले सब अपने नाना नानी के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेते है और कहते है की जब भी ज़रुरत हो तो उन्हें ज़रूर फ़ोन करना. वो तुरंत ही आ जाएंगे. फिर सब अपना सामान लेकर निकलने की तैयारी करते है. वसु कमरे में जाकर देख रही थी की कुछ छूटा तो नहीं है तो उतने में कविता वहां आकर पीछे से उसको पकड़ कर अपना हाथ उसे पेट और नाभि पे रख कर धीरे से वसु के कान में कहती है की अगली बार जब आओगी तो खुश खबर ज़रूर देना.
वसु को भी इस बात का मतलब पता था तो वो भी मुड कर कविता को देखते हुए उसकी गांड को दबाते हुए कहती है देखते है क्या होता है. वैसे मैं सोच रही थी की आप भी शादी कर लो. फिर मैं भी येही बात आपसे पूछूँगी और हस देती है.
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कविता: मैंने तो तुम्हे बताया था ना.. पता नहीं मेरे किस्मत में क्या लिखा है.
वसु: चिंता मत करो. जो भी होगा अच्छे के लिए ही होगा और वो बाहर की तरफ देखती है तो दरवाज़े पे कोई नहीं था तो वो कविता की आँखों में देख कर मैं तो जा रही हूँ और मुझे पता है आप भी बहुत तड़प रही हो तो मेरी तरफ से ये.. और ऐसा कहते हुए वसु कविता के होंठ चूम लेती है और दोनों एक गहरा चुम्बन लेते है और अलग हो कर..
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इसके आगे मैं और कुछ नहीं दे सकती और अगर आपके मन में भी शादी करने का ख़याल आये तो बताना. आपकी मदत करूंगी. इतने में वहां निशा और मीना भी आ जाते है और मस्ती में पूछते है की सास बहु में क्या बात हो रही है?
जाने से पहले सब सब से मुलाक़ात करते है तो लता भी धीरे से दोनों (दिव्या और वसु) के कान में कहती है की वो उन दोनों से खुश खबर जल्दी ही सुन्ना चाहती है. दोनों शर्म से कुछ नहीं कहते और वो चारों अपने घर निकल जाते है|
कुछ घंटो बाद वसु और सब घर आ जाते है और थके होने के कारण दोपहर को सो जाते है. शाम को जब सब उठते है तो दीपू सब से पहले निशा से कहता है की वो दिनेश को कुछ नहीं बताये और वो ही उसको बताएगा. निशा हाँ कर देती है तो वसु पूछती है.
वसु: बेटा बताना ज़रूरी है क्या?
दीपू: हाँ माँ बताना तो पड़ेगा ही क्यूंकि कुछ दिन में निशा की भी दिनेश के साथ शादी हो जायेगी तो वो भी हमारे रिश्तों में जुड़ जाएंगे. तो उनको पहले ही बता देते है ताकि उनको बाद में कोई surprise ना हो. वसु को भी ये बात सच लगती है तो वो कुछ नहीं कहती.
शाम को फिर दीपू और निशा दोनों अपने दोस्तों से मिलने जाते है तो घर में सिर्फ वसु और दिव्या ही रह जाते है. अब दोनों के रिश्ते भी बदल गए है और दोनों ही एक दुसरे की सौतन है. ये बात दोनों को पता था तो दोनों नार्मल तरीके से बात करने के लिए संकोच में थे. ये बात वसु जान जाती है तो वो दिव्या को अपने कमरे में बुला कर उससे बात करती है.
वसु: क्यों छोटी बात करने में क्या संकोच कर रही हो?
दिव्या: दीदी वो बात नहीं है. पता नहीं आगे क्या होगा. अब हम दोनों तो दीपू की सौतन हो गयी है तो फिर रात कैसे गुज़रेगी? अब हम दोनों तो उसके साथ ही सोना पड़ेगा ना... अलग तो नहीं सो सकते.
वसु: हाँ, ये बात मैंने भी सोचा है लेकिन मेरे लिए तेरी ख़ुशी से ज़्यादा और कुछ नहीं है. अब हमारे माँ बाप भी खुश है और उन्हें भी मन की शान्ति है.
दिव्या: ये बात तो आप सही कह रही हो. बात सिर्फ सोने का नहीं है लेकिन.. और ऐसे कहते हुए दिव्या रुक जाती है क्यूंकि आगे की बात दोनों को पता था की दिव्या क्या कहना चाहती है और क्यों नहीं कह पाती.
वसु: मुझे पता है..देखते है रात कैसे गुज़रती है.. लेकिन शायद हम को इसकी आदत पड़ जायेगी. दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और कमरे के बाहर जाने लगती है तो वसु उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास ला कर.. क्यों तुझे शर्म आ रही है क्या?
दिव्या भी अपने नज़रें नीचे झुका लेती है लेकिन कुछ नहीं कहती. वसु उसको देख कर अपने से गले लगा लेती है और पीछे से उसकी गांड को दबा कर उसके कान में कहती है..चिंता मत कर.. सब ठीक हो जाएगा.. आखिर में अपना पति दीपू ही है.. कोई बाहर का नहीं तो शर्माने की कोई बात नहीं है. वसु फिर प्यार से उसका माथा चूम लेती है तो दिव्या को भी थोड़ा सुकून मिलता है और वसु हलके से उसके होंठ चूम लेती है और अलग कर देती है दिव्या को अपने से.
वसु: आज रात को हम दोनों दीपू को सरप्राइज देते है ना.
दिव्या: मतलब?
वसु धीरे से उसके कान में कुछ कहती है तो दिव्या भी मान जाती है और हाँ कहती है
दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और फिर अपने काम में लग जाते है.
कुछ समय बाद दोनों दीपू और निशा भी घर आ जाते है और फिर रात को खाना खा कर सब टीवी देखते रहते है तो इतने में निशा को दिनेश का फ़ोन आता है. निशा दिनेश का नंबर देख कर अपने कमरे में भाग जाती है. दीपू निशा को ऐसे जाता देख कर हस देता है और वसु से कहता है की उसके यार का फ़ोन है इसीलिए वो भाग गयी है. ये बात सुनकर दोनों वसु और दिव्या भी हस देते है और फिर थोड़ी देर बाद दीपू टीवी बंद करके अपने कमरे में जा रहा होता है तो वो दोनों वसु और दिव्या की तरफ देख कर.. आप लोग नहीं आ रहे हो क्या? वसु: तू जा.. हम थोड़ी देर में आते है.
वहीँ निशा के कमरे में..
निशा: क्या बात है.. थोड़ी दिन तुमसे बात नहीं की तो उतने उतावले हो रहे हो क्या?
दिनेश: क्यों नहीं.. १- २ दिन बात नहीं किया तो ठीक है लेकिन इतने दिन? वैसे कहाँ चले गए थे? मुझे दीपू ने भी कुछ नहीं बताया.
निशा: (उसको सुबह दीपू की बात याद आती है) वो हम नाना नानी के घर गए थे. उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो उन्हें देखे गए थे.
दिनेश: हाँ दीपू कह रहा था. अब कैसे है?
निशा: अब ठीक है. दीपू कह रहा था की वो तुमसे कल मिलेगा.
दिनेश: हाँ, मुझसे भी कहा था.
फिर दोनों ऐसे ही बातचीत कर के अपने यादों में सो जाते है.
इधर दीपू के कमरे में…
दीपू अपने कमरे में बिस्तर पे सोते हुए अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था तो थोड़ी देर बाद कमरे का दरवाज़ा खुलता है. दीपू अपनी आँख उठे के देखता है तो उसकी आँखें ख़ुशी से एकदम बड़ी हो जाती है और अपना मोबाइल बगल में रख कर सामने का नज़ारा देखता रहता है क्यूंकि सामने का नज़ारा उतना ही सेक्सी था. दोनों वसु और दिव्या एकदम सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी पहने हुए एकदम शज धज के दोनों उसके लिए दूध का ग्लास लाते है.
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और कमरे का दरवाज़ा बंद कर के धीरे से अंदर आते है लेकिन फिर भी दोनों शर्मा रहे थे. ये पहली बार था की दोनों ऐसे सझ धज के पहली बार अपने पति के कमरे में आयी थी.
दीपू दोनों को देख कर एकदम खुश हो जाता है तो दोनों शर्म से दीपू को दूध देती है तो दीपू भी दूध पी कर दोनों को भी दूध पिलाता है. दोनों अब भी बहुत शर्मा रहे थे तो दीपू को इस बात का पता था तो वो दोनों को अपनी बाहों में लेकर धीरे से उनके कान में कहता है की बाहर तो आप दोनों मेरी माँ और मौसी हो..
लेकिन कमरे के अंदर तुम दोनों मेरी जान हो तो ये शर्माना छोड़ दो और जैसे मैंने पहले ही कहा था.. जब हम यहाँ कमरे में रहेंगे तो कोई झिझक नहीं. इसीलिए मैं चाहता हूँ की अगर तुम दोनों की शर्म को दूर करना है तो मेरी दोनों बीवियां एक दुसरे से प्यार करे.
दोनों ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है लेकिन दीपू नहीं मानता और बगल में रखे सोफे पे बैठ जाता है और दोनों को देखता रहता है. दोनों भी शर्म से एक दुसरे के साथ आते है और फिर पहले धीरे से एक दुसरे को चूमते है. एक मं बाद जब दोनों को थोड़ा अच्छा लगता है तो फिर से दोनों एक दुसरे के होंठों को जोड़ देते है और इस बार एक अच्छे लम्बे किस में डूब जाते है जिसे देख कर दीपू को भी बड़ा मजा आ रहा था.
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दोनों को पता भी नहीं चलता जब दोनों किस में रहते हुए एक दुसरे के कपडे भी निकाल देते है और दोनों अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में रहते हुए एक दुसरे के मजे ले रहे थे.
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५ Min तक दोनों एक दुसरे को किस करते है तो इतने में दीपू भी अपने कपडे निकल कर उन दोनों के पास आता है और फिर बारी बारी से दोनों को किस करता है और फिर दोनों को बाहों में लेता है. दोनों वसु और दिव्या एक दुसरे को देखते है और ऐसा पहली बार था की दोनों दीपू की बाहों में रहते हुए दोनों एक दुसरे को फिर से होंठों पे किस करते है और साथ में दीपू को भी किस करते है.
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दीपू फिर दोनों को बिस्तर पे ले जाकर दोनों की ब्रा पैंटी निकल कर दोनों को नंगा कर देता है और फिर दिव्या को सुला कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है. दिव्या भी मजे में दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है तो वही वसु भी उसका साथ देते हुए दीपू का सर उसकी चूत पे दबा देती है.
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५ Min में जब दिव्या आह आह आह करते हुए झड़ जाती है तो वो अपना पानी छोड़ देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है और दिव्या गहरी सांसें लेने लगती है और निढाल हो जाती है. दीपू फिर वसु को भी सुला कर वैसे ही करता है लेकिन इस बार वो वसु की गांड से लेकर चूत तक अच्छे से चूस चूस कर उसका पूरा पानी निकल देता है.
जहाँ दीपू वसु की चूत चूस रहा था तो वहीँ दिव्या भी उठ कर वसु के होंठों पे किस करती है. वसु को अब दोनों जगह से मजा मिल रहा था.
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५-७ Min में वसु का भी वही हाल होता है जो कुछ समय पहले दिव्या का हुआ था. वो भी दीपू का सर उसकी चूत पे दबाते हुए अपना पानी छोड़ देती है.
दीपू भी मस्त में उसका पानी पी कर दोनों को देख कर कहता है की तुम दोनों तो बड़ी मीठी और खटी हो. दोनों वसु और दिव्या ये सुनकर थोड़ा शर्मा जाते है तो दीपू अपना लंड उनके सामने लेकर जाता है. लंड पहले से ही थोड़ा तना हुआ था लेकिन पूरी तरह नहीं.
अब दोनों वसु और दिव्या भी अपना शर्म छोड़ देते है और दोनों दीपू के लंड पे टूट पड़ती है. दोनों बारी बारी से उसका लंड मुँह में लेकर मस्त चूसती है जिसे दीपू बहुत मस्त एन्जॉय कर रहा था. वो तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था.
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अब एक लंड चूसती तो दूसरा उसकी गोटियां चूसती.
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ऐसे ही ५- ७ मं तक दोनों दीपू को खुश करते है तो दीपू को लगता है की अगर वो दोनों ऐसे ही और कुछ देर करे तो वो झड़ जाएगा जो वो चाहता नहीं था.
दीपू फिर अपना लंड दोनों के मुँह से निकालता है तो दोनों एक दुसरे को देख कर हस रहे थे जैसे नहीं चाहते थे उसका लंड छोड़ने को.
दीपू फिर वसु को सुला कर उसकी चूत पे अपना लंड रख कर वसु की तरफ देखता है और पाता है की वसु भी इसके लिए तैयार है तो वो दिव्या को कह कर उसके मुँह पे बैठने को कहता है और वो एक ज़ोरदार झटका मारता है और एक बार में ही उसका पूरा लंड वसु की चूत में जड़ तक चले जाता है. वसु भी ज़ोर से चिल्लाती है लेकिन उसकी आवाज़ दिव्या की चूत में ही दब जाता है क्यूंकि दीपू को पहले ही पता था इसीलिए वो दिव्या की चूत को उसके मुँह पे रखने को कहता है.
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दीपू अब मस्त तरीके से उसका लंड वसु की चूत पे अंदर बाहर करता रहता है और ५ Min के अंदर वसु भी ना चाहते हुए अपना पानी छोड़ देती है जिससे दीपू का लंड भी गीला होने की वजह से फिर से आराम से अंदर बाहर होने लगता है. वहीँ दिव्या भी उत्तेजित होते हुए अपना पानी वसु के मुँह में दाल देती है.
जब वसु थक जाती है तो वो दीपू से कहती है तो दीपू भी मान जाता है और इस बार दिव्या को घोड़ी बना कर उसकी ठुकाई करता है और पेलते रहता है. दिव्या भी वसु की एक चूची को मुँह में लेकर उसको मजा देने लगती है तो वसु भी आगे हो कर दीपू को चूमती है. दीपू को भी अब मजा आने लगा था. वो दिव्या को पेलते हुए वसु को भी मजे दे रहा था
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ऐसे ही दुमदार चुदाई काफी देर तक चलती है जहाँ दीपू बदल बदल कर दोनों को ठोकता है और इन सब में तीनो को भी बहुत मजा आता है. ये चुदाई का सफर लगभग ४५ Min तक चलता है और आखिर में दीपू को भी लगता है की वो भी आने वाला है तो जब ये बात कहता है तो दोनों कहते है की वो अपना पानी उनके मुँह में दे दे. अब दीपू भी बहुत नज़दीक था तो वो अपना लंड दोनों के मुँह के पास ले जाता है और आह... आह... करते हुए अपना रास दोनों के मुँह में झड़ जाता है जिसे दोनों बड़े चाव से पीने लगते है.
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तीनो अब थक जाते है तो दीपू भी थक कर बिस्तर पे गिर जाता है. दोनों वसु और दिव्या भी थक जाते है और बड़े सुकून के साथ दोनों दीपू के बगल में उसके साथ सो जाते है.
दीपू: मजा आया क्या? अब तो दोनों में शर्म नहीं है ना? वसु ये बात सुनकर धीरे से दीपू के कंधे पर प्यार से मारती है तो वहीँ दिव्या भी ऐसे ही करती है और दिव्या कहती है की पहले तो उसे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन दीदी के साथ बहुत मजा आया.
वसु का भी कुछ ऐसे ही हाल था और फिर दोनों दीपू के सीने में अपना सर रख कर सो जाते है. दीपू को भी आज बड़े चैन से नींद आ जाती है और वो भी ख़ुशी से सो जाता है..
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वहीँ निशा के कमरे में ..
निशा दिनेश से बात करने के बाद जब वो बाहर आती है तो वहां कोई नहीं दीखता और वो मन में हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है. उसे पता था की दीपू के कमरे में क्या हो रहा होगा और वो उन सब को याद करते हुए अपना हाथ अपने पैंटी में दाल कर अपनी चूत को मसलते हुए सोचती रहती है... मेरा क्या. कब और कैसे होगा.. और पता भी नहीं चलता जब उसकी चूत भी गीली हो जाती है और पानी छोड़ देती है...
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