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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Mass

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बहोत अच्छी लिखावट के साथ कहानिजा रही है

आपके सभी पोस्ट बेहतरीन होते है..................


आपके हर एपिसोड में कुछ नयापन होता है जो की कहानी में पकड़ के रखते है

वैसे कहानी में फुलस्टॉप की जगह हिंदी लिपि का फुल स्टॉप रखे तो बढ़िया "." "।"

सुझाव है................. इस से कहानी में कोई फर्क नहीं पड़ता।मुझे भी शुरुआत में तकलीफ होती थी लेकिन अब प्रेक्टिस हो गई है तो लिख लेती हु।

कोशिश...........

लिखते रहिये
धन्यवाद मैडम. आपका Suggestion मैं next अपडेट से try करता हूँ. बहुत धन्यवाद. साथ बने रहिये

Funlover
 

Mass

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
दिपू और दिव्या की सुहागरात मनाने के बाद घर की लगबग सभी औरतें उसके साथ मजाक कर रहीं हैं उसका वर्णन बडा ही मजेदार और मादक हैं
वसु और दिपू की सुहागरात भी बडी ही जबरदस्त और खतरनाक हो गई वहा भी दिपू ने उसकी कुॅंवारी गांड चोदने का फैसला लिया घर जानें के बाद
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
धन्यवाद भाई आपके कमैंट्स के लिए. आगे देखते है क्या होता है

Napster
 

Mass

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Waiting for next update bro
Try karta hoon bhai...yeh festival season hai to thoda busy hoon..jaldi hi update dene ki koshish karta hoon. Thanks once again.

ckkhandu
 

vineetksng

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mast update
14th Update - दूसरी सुहागरात

दिव्या: ना बाबा… मैं तुम्हारे इस डंडे को झेल नहीं पाऊँगी. दीपू हस देता है और कहता है आज तो ठीक है लेकिन जब हम घर जाएंगे तो मैं कुछ नहीं सुनने वाला हूँ और फिर तुम्हे भी इसकी आदत डाल लेनी पड़ेगी. दोनों एक दुसरे की बाहों में रहते है और ना जाने कब दोनों को नींद आ जाती है और दोनों चैन की नींद में खो जाते है....

अब आगे..

अगली सुबह दोनों मस्त नंगे एक दुसरे की बाहों में गहरी नींद में होते है. सुबह के ८. ०० बज जाते है लेकिन उनको होश नहीं रहता. रानी दरवाज़ा खटखटाती है तो दिव्या उठ जाती है और अपने आप को नंगा देख कर एकदम शर्मा जाती है और बगल में रखे घडी में टाइम देखती है तो एकदम उठ जाती है. उसे दरवाज़े पे आवाज़ आती है तो जल्दी से ऐसे ही बाथरूम चली जाती है और फिर फ्रेश होकर दरवाज़ा खोलती है. वहां पर दिव्या रानी को देखती है तो शर्मा जाती है.

रानी: उठ जाओ दीदी. ..बहुत टाइम हो गया है. और उसकी टांग खींचते हुए.. लगता है रात को बहुत मजे किये. दिव्या: चुप कर तू भी शैतान हो रही है और फिर रानी कमरे में आकर दीपू को मस्त सोया हुआ देखती है. गनीमत थी की दिव्या बाथरूम में जाने से पहले दीपू पे चादर चढ़ा कर उसको धक देती है. रानी फिर जा कर दीपू को उठाती है. दीपू भी मस्ती में अंगड़ाई लेते हुए बिना देखे रानी को पकड़ कर बिस्तर पे लिटा देता है.

रानी: जीजा जी क्या कर रहे हो? मैं रानी हूँ.. दिव्या दीदी नहीं.

दीपू को भी अहसास होता है और वो रानी को अलग कर के उससे माफ़ी मांगता है और शर्मा जाता है.

रानी: लगता है आपने रात में बहुत मजे किये है और अभी भी वैसे ही सोच रहे हो. दीपू कुछ नहीं कहता और अपने आप को देखता है तो मन में सोचता है की दिव्या ने अच्छा किया की उसपर चादर ओढ़ दिया वरना गड़बड़ हो जाता. फिर दीपू भी अपने आप को ढकते हुए बाथरूम चला जाता है.

दिव्या किचन में सब के लिए चाय बना रही होती है तो मीना भी वहां आ जाती है उसकी मदत करने और रानी की तरह वो भी उसकी टांग खींचती है. दिव्या भी उसको देख कर कुछ नहीं कहती और जब वो काम कर रही होती है तो थोड़ा लंगड़ा के चलती है.

मीना: क्या बात है दीदी.. आप क्यों लंगड़ा रही हो?

दिव्या: चुप कर तू भी.. तू भी तो अपनी सुहागरात के बाद ऐसे ही लंगड़ा के चली होगी.

मीना: नहीं दीदी.. इतना तो नहीं जितना आप लंगड़ा रही हो. काश आपका भाई मुझे रोज़ लंगड़ी बना कर भी रखता तो मैं बहुत खुश रहती और धीरे से कहती.. अब तक मैं माँ बन गयी होती और उसका चेहरा उदास हो जाता है. दिव्या भी उसकी तरफ देख कर उसको अपनी बाहों में लेकर चुप हो जा. आगे सब ठीक होगा. चिंता मत कर..

मीना: वैसे लगता है रात को आपने बहुत ज़ोर से चिल्लाया था. हम सब को भी आवाज़ सुनाई आयी. दिव्या वो बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती. मीना फिर से उसकी टांग खींचते हुए..दिव्या के पास आकर धीरे से उसके कान में.. लगता है दीपू का हथियार बहुत ज़बरदस्त है. क्यों ठीक कहा ना?

दिव्या भी कुछ नहीं कहती और मीना की तरफ देख कर हस देती है और फिर दोनों चाय बना कर सब को देने जाते है. दिव्या वसु के पास जाती है चाय लेकर तो वसु उसका खिला हुआ चेहरा और लंगड़ाती चाल देख कर कहती है.. रात को मजा आया क्या?

दिव्या वसु को गले लगा कर: दीदी आपको ही धन्यवाद देना है की आपकी वजह से ही मैं भी औरत बन गयी हूँ. और हाँ.. आज आपकी बारी है तो थोड़ा ध्यान से.. दीपू तो बिस्तर पे शेर बन जाता है.

उसने तो कल मेरा कचुम्बर ही बना दिया था. पहली रात में ही उसने मुझे ४ बार झडा दिया था. वसु जब दिव्या से ये बात सुनती है तो एकदम उसको देखते रहती है.

दिव्या: मैं सच कह रही हूँ. आज रात को आप को भी पता चल जाएगा और हस देती है.

वसु: चुप कर कुछ भी बोलती रहती है तू.

दिव्या भी हस्ते हुए उसके पास आकर कहती है मैं झूट नहीं बोल रही हूँ.

दिव्या: दीदी वैसे एक बात कहूँ?

वसु: हाँ.

दिव्या: दीदी आप कमरे में एकदम बेशर्म रहना तभी आपको भी मज़ा आएगा.

वसु: मतलब?

दिव्या: मतलब ये की कमरे में जब आप दोनों बात करोगे तो झिझकना नहीं. ये दीपू को भी पसंद नहीं है. मैं पहले उनसे बात करने को झिझक रही थी.

वसु: बात करने में क्या झिझक?

दिव्या उसके पास आकर धीरे से वसु के कान मैं: बातें मतलब गन्दी बातें और एक हाथ उसके साडी के ऊपर से चूत पे रख कर और दुसरे हाथ से उसकी एक मस्त ठोस चूची पे रख कर.. मैं इनकी बात कर रही हूँ.. पहले मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन वो कहाँ मानने वाला था. और जब मैं भी थोड़ा खुल गयी तो सच में बहुत मज़ा आया हम दोनों को. अब समझ गयी?

और वैसे भी शायद आपको याद होगा जब उसने ये बात घर में जन्मदिन में कही थी.. और उसको आँख मारते हुए कहती है आपने साफ़ तो कर लिया है ना. वसु को समझ नहीं आता तो वो दिव्या की तरफ देखती है तो फिर से दिव्या उसकी साडी के ऊपर से चूत पे हाथ रख कर.. यहाँ...

वसु दिव्या की तरफ देख कर हस देती है और कुछ नहीं कहती.

इतने में दीपू भी फ्रेश हो कर नहा कर कमरे से बाहर आता है तो सब उसका ही इंतज़ार कर रहे थे क्यूंकि सुबह भी हो गयी थी और तब तक सब ने चाय भी पी ली थी. दीपू सब को देख कर कुछ नहीं कहता और बस हस देता है लेकिन उसे दिव्या और वसु दिखाई नहीं देते क्यूंकि वो दोनों अभी भी वसु के ही कमरे में थे.

दीपू भी फिर थोड़ा बाहर घूमने जाता है और फिर दोपहर को आकर खाना खा के सो जाता है क्यूंकि उसे भी पता था की आज रात को भी उसे “थोड़ी मेहनत” करने पड़ेगी.

दीपू दिव्या को ढूंढता है लेकिन उसे नहीं दिखती तो वो अपनी मामी लता से पूछता है तो लता कहती है.. क्यों रे उसके बिना तो सोयेगा नहीं क्या? ज़ाहिर सी बात है. कल ही शादी हुई है तो अकेले कैसे सोयेगा. आज सुबह से वो बेचारी लंगड़ा कर चल रही है. थोड़ा उसे आराम करने दे और ऐसा कहते हुए हस देती है. दीपू भी कुछ नहीं कह पाता है और कमरे में जाकर सो जाता है.

फिर शाम को फिर से घर में चहल पहल होती है और रात को खाना खाने के बाद इस बार कविता और लता वसु को कमरे में सजाते है. लता थोड़ी देर के लिए दीपू के पास जाती है तो कविता वसु को सजाने लग जाती है. गहने, चूड़ियाँ, होटों पे लाल लिपस्टिक और कपडे भी ऐसे ही पहन ने को बोलती है जैसे कल दिव्या ने पहना था. छोटी ब्लाउज जिसमें से उसकी आदि चूचियां बाहर को निकली हुई थी.

कविता वसु को इस रूप में देख कर एकदम खुश हो जाती है और उसे आईने के सामने ले जाकर उसके पीछे खड़े होते हुए वसु की दोनों मस्त बाहर निकली हुई चूचियों को दबा देती है और कहती है तुम कितनी सुन्दर दिख रही हो.

कविता जब वसु की चूचियां दबाती है तो वसु पलट कर कविता तो देखते हुए: ये आप क्या कर रही हो?

कविता: मुझे माफ़ करना वसु.. तुम्हे ऐसा देख कर रहा नहीं गया तो मैंने ऐसा कर दिया और उसकी आँखों में आंसूं जा जाते है.

वसु: अपनी आँखों में आंसूं क्यों?

कविता: तू बड़ी भाग्यशाली है की तेरी फिर से शादी हो गयी है और हम दोनों की उम्र लगभग बराबर है. काश मैं भी शादी कर पाती.

वसु: आप क्यों नहीं शादी कर लेती?

कविता: नहीं मैं बाहर मुँह नहीं मारना चाहती. मीना क्या सोचेगी. मैं हमेशा मीना के लिए भाई/ बेहन देना चाहती थी लेकिन वो नहीं हो पाया ना ही मैं नानी बन पायी. तेरी किस्मत अच्छी है की तुझे चाहने वाला दूसरा पति मिल गया है और अपनी नज़रें नीचे कर लेती है.

वसु कविता के चेहरे को अच्छे से देखती है और पाती है की कितनी आग में जल रही है और उसकी आँखों में प्यार, थोड़ा वासना और चाहत दिख रहा था. वसु कविता को देखकर उसका चेहरा ऊपर कर के.. परेशान मत होईये माजी. सब ठीक हो जाएगा. क्या पता ऊपर वाला आपकी बात मान जाए और शायद आपने जो दोनों बातें कही है वो सच हो जाए. अभी तो मैं ज़्यादा कुछ नहीं कर सकती बस इतना ही..

और ऐसा कहते हुए वसु कविता के होंटो को अपने होंठों से मिला देती है और एक गहरा चुम्बन देती है. कविता कुछ सोचती उसके पहले ही वसु अपना एक हाथ उसकी चूची पे लेजा कर दबा देती है तो कविता भी उत्तेजित हो जाती है और वसु का साथ देती है और दोनों २- ३ मं तक एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है.

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ठीक उसी वक़्त लता भी कमरे में आती है और दोनों को देख कर हस कर खासते हुए.. क्या बात है.. दोनों सास बहु में बहुत प्यार हो रहा है. लता की बात सुनकर दोनों अलग जो जाते है और दोनों अपना चेहरा नीचे कर लेते है. लता वसु के पास आकर अगर अपना पूरा प्यार मा जी को दोगी तो फिर दीपू का क्या मिलेगा और ऐसा कहते हुए वसु को आँख मार देती है. वसु भी शर्म से अपना चेहरा नीचे झुका लेती है और कुछ नहीं कहती.

लता: वैसे तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो वसु और वो वसु के पास आकर मेरी तरफ से ये. ..और ऐसा कहते हुए वो भी वसु के होंठ को चूम लेती है और लता उसकी गांड को भी दबा देती है. और हाँ अच्छे से मझा करना. तू तो किस्मतवाली है की तेरी ये दूसरी सुहागरात है. ये हर किसी को मिलता नहीं है.

फिर लता और कविता वसु को कमरे में छोड़ कर आते है तो वही मीना और रानी भी दीपू को कमरे में छोड़ कर आने से पहले कहते है की थोड़ा आराम से करना. कल की तरह दीदी भी उतनी ज़ोर से ना चिल्लाये और हस्ते हुए दोनों कमरे से बाहर निकल जाते है.

वसु बिस्तर पे एकदम सझ धज कर बैठी हुई होती है. दीपू आज भी कमरे को देख कर ख़ुशी महसूस करता है क्यूंकि कल की तरह आज भी कमरा अच्छे से सजाया हुआ था.

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दीपू भी आकर बिस्तर पे वसु के बगल में बैठ था है और वसु को देख कर: आप तो बहुत खूबसूरत लग रही हो माँ.

वसु: अब हमारी शादी हो गयी है तो मुझे नाम से बुलाया करो.

दीपू: ठीक है जब हम कमरे में रहेंगे तो मैं आपको नाम से बुलाऊंगा लेकिन बाहर और दिन में सब के सामने आप मेरी माँ और दिव्या मेरी मौसी रहोगी. ठीक है?

वसु: हाँ ठीक है. दीपू फिर वसु का घूंघट उठा के उसको देख कर एकदम खुश हो जाता है और प्यार से उसका माथा चूम लेता है.

दीपू: वसु तुम खुश तो हो ना?

वसु: हाँ. सोचा नहीं था की ये दिन भी आएगा जब दिव्या की भी शादी हो जायेगी और मेरी भी जिससे हम दोनों बहुत प्यार करते है.

दीपू: ये बात तो मुझे केहनी चाहिए की मैं इतना किस्मतवाला हूँ की जिनसे मैं सब से ज़्यादा प्यार करता हूँ आज वो मेरी बीवियां बन गयी है. बस ये होनी को कोई नहीं टाल सकता. मुझे इस बात की भी ख़ुशी है की निशा भी अपने चाहने वाले से ही अपना घर बसायेगी.

वसु: हाँ सही कहा.

दीपू फिर ऐसे ही बातें करते हुए वसु के पूरे गहने निकल देता है और जब उसकी चूचियों को देखता है तो रहा नहीं जाता और अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबा देता है. वसु की आहह में हलकी सिसकी लेती है.

दीपू: वैसे एक बात कहूँ?

वसु: हाँ.

दीपू फिर वसु के कान में कहता है.. कल दिव्या कह रही थी की उसे एक छोटा दीपू चाहिए. तो तुम्हे क्या चाहिए? और हस देता है.

वसु: इस उम्र में तुमको लगता है की मैं तुम्हे छोटा दीपू दे सकती हूँ?

दीपू वसु की तरफ देखते हुए कुछ सोचता है और फिर बिस्तर से उठ कर खड़ा हो कर वसु को भी आने को कहता है. वसु को कुछ समझ नहीं आता तो वो भी खड़ी हो जाती है. दीपू फिर वसु को आईने के सामने ले जाकर अपना हाथ उसकी चूचियों पे रख कर.. देख रही हो तुम कितनी जवान लग रही हो? ३५ से भी ज़्यादा नहीं दिख रही हो.

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देखो ये तुम्हारी चूचियां.. और ऐसा कहते हुए उसकी चूचियां दबा देता है.. कितनी कड़क और सुडौल है और अपना हाथ पीछे ले जाकर उसकी गांड पे रखते हुए... देखा है तुम्हारी गांड.. क़यामत लग रही हो..

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कोई तुम्हे देख कर ये नहीं कह सकता की तुम्हारी उम्र हो गयी है और तुम २ बच्चों की माँ हो.. और उसके कान में कहता है की अगर तुम कहो तो हर साल बच्चों की गूँज तुम्हारे गोद में सुनाई देगी. दीपू जब ये बात कहता है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कहती है की तू कुछ भी बकवास कर रहा है.

दीपू फिर वसु को पलटा कर उसकी और देखते हुए.. मैं सच कह रहा हूँ और फिर अपने होंठ वसु के होंठों से साथ जुड़ा देता है और दोनों एक गहरे और प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ जाते है.

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अब वसु भी उसका साथ देती है और दोनों एक दुसरे की जीभ को खा जाते है और दोनों के मुँह से लार टपकने लगती है. ये किस ५ min तक चलता है और जब दोनों अलग होते है तो दोनों की सांसें गहरी हो जाती है.

वसु: तुम्हारे पिताजी ने भी मुझे इतना अच्छा किस नहीं किया था कभी. कहाँ से सीखा है तूने ये सब?

दीपू हस देता है और कहता है तुम दोनों बहने एक जैसे ही हो. कल दिव्या भी ऐसा ही कुछ कह रही थी और कल अच्छे से प्रैक्टिस और प्रैक्टिकल भी हो गया है.

फिर दीपू वसु को किस करते हुए उसके कपडे भी निकल देता है और खुद भी नंगा हो जाता है और कान में कहता है.. आज तुम पहले मेरे छोटे महाराज को खुश कर दो..फिर दोनों को जन्नत का सैर मिल जाएगा.

वसु समझ जाती है और दीपू उसे बगल पे दीवार के पास ले जाता है और उसे घुटनों पे बल पे बिठा के अपना लंड उसके मुँह में दाल देता है और अंदर बाहर करता है. वसु भी बड़े मजे से उसका लंड चूसने में लग जाती है.

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थोड़ी देर बाद वसु कहती है की उसके पाँव दुःख रहे है तो दीपू उसे बिस्तर पे बिठा कर फिर से अपना लंड उसके मुँह में दे देता है तो वो बड़े चाव से चूसने लग जाती है. दीपू के तो बहुत ही मजे थे और वो तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था.

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दीपू: तुम तो लंड चूसने में एकदम माहिर हो.. ऐसे ही लगे रहो. वसु भी दीपू का लंड चूसते हुए उसका लंड पूरा गीला कर देती है जो अब पूरे आकार में आकर एकदम खम्बे जैसे खड़ा था. वसु उसके खड़े लंड को देख कर कहती है.. दिव्या सही कह रही थी.. तुम तो एकदम खिलाडी निकले हो और मुझे भी बेशरम बना रहे हो.

दीपू: बिस्तर पे तुम जितना अपना शर्म छोड़ डौगी तुम्हेँ ही उतना मजा आएगा. और फिर दीपू कहता है चलो लेट जाओ. मैं भी तुम्हे जन्नत की सैर कराता हूँ.

दीपू फिर उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी चूची पर आ जाता है और बड़ी शिद्दत से उसकी चूचियों पर टूट पड़ता है. एक को मुँह में लेकर चूसता है तो दुसरे को अपने पंजों से दबाते रहता है. वसु भी अब ज़ोर से सिसकियाँ लेने लग जाती है और दीपू के सर को अपनी चूचियों पे दबा देती है. दीपू भी मस्ती में आकर उसके तने हुए निप्पल्स को काटता है तो वसु भी आअह्ह्ह.ऊऊह्ह्ह करके आवाज़ निकलती है लेकिन धीरे से.. क्यूंकि उसे कल के बारे में पता था जब दिव्या ने ज़ोर से चिल्लाया था. ५- १० min तक दीपू उसकी चूचियों को चूसने के बाद नीच जाते वक़्त उसकी गहरी नाभि को भी चूमता और चाटता है. वसु तो सच में जन्नत में पहुँच जाती है. नाभि को चूमने के बाद वो वसु की मस्त गुदाज़ जाँघों को चूमता और चाटता है.

और आखिर में जब वो उसकी चूत की तरफ देखता है तो उसकी फूली हुई एकदम साफ़ चिकनी चूत को देख कर दीपू के मुँह में पानी आ जाता है

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और उसकी चूत के लिप्स को खोल कर एकदम उस पर टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक चूत से गांड तक अच्छे से चाटने लग जाता है. वसु को भी बहुत मजा आ रहा था और अपने हाथ को दीपू के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत पे दबा देती है.

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वसु: आह्ह्ह्ह... आआह्ह.. ऐसे ही खा जाओ मेरी चूत को.. तुम तो मुझे सच में जन्नत की सैर करा रहे हो और वो भी उत्तेजित हो जाती है और उसे पता भी नहीं चलता जब वो अपना पानी छोड़ देती है जिसे दीपू पूरे मजे से पी जाता है.

दीपू वसु का पूरा पानी पी कर फिर से उसकी चूत चाटने लग जाता है और कहता है तुम तो बड़ी स्वादिष्ट हो. इतनी स्वादिष्ट तो कल दिव्या भी नहीं थी. वसु दीपू के मुँह से ये बात सुन कर हस देती है और फिर से दीपू का मुँह उसकी चूत पे दबा देती है. दीपू इस बार उसकी चूत छाते हुए अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करने लगता है लेकिन उसे इस कार्य में थोड़ी तकलीफ हो रही थी क्यों की वसु की चूत एकदम कुंवारी जैसी थी. ऐसा लग ही नहीं रहा था की वो २ बच्चों की माँ है.

वसु फिर से झड़ जाती है और उसे थोड़ी राहत मिलती है तो दीपू उसके ऊपर आकर उसको किस करता है. वसु भी पूरा उसका साथ देती है तो दीपू पूछता है की कैसा लगा? वसु उसे सवालिया नज़र से देखती है तो दीपू कहता है उसके रास का स्वाद कैसे लगा.

वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और फिर पूरे जोश के साथ दीपू को किस करने लग जाती है.

२ min किस करने के बाद दीपू वसु को देखता है और पूछता है की वो तैयार है क्या? उसका मतलब दोनों को मालूम था. वसु भी हाँ में सर हिला देती है लेकिन कहती है की आराम से डालना क्यूंकि बहुत दिनों से उसकी चूत बंद है. दीपू भी उसको चूमते हुए घबराओ मत. एकदम धीरे और प्यार से डालूँगा.

दीपू फिर अपने लंड को अपने थूक से गीला करता है और वसु को देखते हुए पूरे जोश के साथ लेकिन आराम से अपना पूरा लंड उसकी चूत में दाल देता है और उसका पूरा ८ इन का लंड उसकी चूत की जड़ तक चले जाता है और जब ऐसा होता है तो वसु को एकदम सुकून मिलता है जो की उसके चेहरे पे नज़र आता है. (वसु मन में सोचती है कितने सालो बाद फिर से इस चूत में लंड गया है. बहुत अच्छा लग रहा है)अपना लंड पूरा उसकी चूत में दाल कर दीपू वैसे ही रहता है और झुक कर वसु को चूमता है.

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उसके चूमने से वसु को भी थोड़ी राहत मिलती है और २ min बाद अपनी आँखें खोल कर दीपू को देखती है. दीपू भी समझ जाता है और फिर अपना लंड थोड़ा बाहर निकाल कर फिर से अंदर घुसा देता है और फिर वसु को पेलना शुरू कर देता है. वसु को भी अब मजा आने लगता है और वो भी अपनी गांड उठा कर दीपू का पूरा लंड अपनी चूत में लेती है.

दीपू भी वसु को चोदते हुए.. वसु से: जानू.. मुझे कब अपनी गांड दे रही हो?

वसु: ना बाबा.. वहां से तो मै कुंवारी हूँ.

दीपू: ये तो अच्छी बात है. हर दूल्हे को अपनी सुहागरात में कुछ तो कुंवारा मिलना चाहिए ना.

वसु: उसको मनाते हुए.. नहीं ना..

दीपू: इस बात के लिए मैं ना नहीं सुनने वाला हूँ. हाँ इतना कहूंगा की जब हम घर जाएंगे तो... और वैसे भी कुछ दिनों में तुम्हारा जन्मदिन भी है. मेरे जन्मदिन मैं मैंने पहली बार आपको किस किया था.. तो आपके जन्मदिन पे आपकी गांड खोलने का तोहफा दूंगा और उसको चूम लेता है. १० min तक ऐसे ही वसु को पेलता है. फिर १० min बाद दीपू पलट जाता है. अब वो बिस्तर पे होता है तो वसु उसके ऊपर होती है. वसु भी फिर अपनी चूत को उसके लंड पे रख कर पूरा बैठ जाती है और दीपू का पूरा लंड उसकी चूत में चला जाता है.

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ऐसे ही मजे करते हुए फिर थोड़ी देर बाद दीपू वसु को घोड़ी बनाते हुए पेलता रहता है.

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वसु भी दिव्या की तरह इस दुमदार चुदाई में काफी बार झड़ जाती है और उसे कुछ समय तक पता भी नहीं चलता. जब दीपू वसु को घोड़ी बना कर चोदता रहता है तो उसकी मस्त गांड को देख कर अपनी ऊँगली में थूक लगा कर वहां पर रगड़ते हुए अपना ऊँगली अंदर डालने की कोशिश करता है तो वसु कहती है.. मत करो ना.. मैं सेह नहीं पाऊँगी. दीपू भी उसकी बात मानते हुए झुक कर उसकी चूची को दबाते हुए चोदता है. ऐसे ही १० ..१५ min तक छोड़ने के बाद अब दीपू से भी रहा नहीं जाता तो वो वसु से कहता है की उसका भी होने वाला है तो वसु कहती है की बाहर ही निकाल दो ना.. दीपू उसकी बात सुनता नहीं और कहता है की वो उसके अंदर ही झडेगा या फिर उसके मुँह में.. तो वसु कहती है मुँह में तो अपना लंड जल्दी से निकाल कर लंड उसके मुँह में दाल कर पूरा रास उसके मुँह में दाल देता है.

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उसका लंड बहुत सारा पानी छोड़ती है जिसे वसु पी जाती है और कुछ बूंदे भी उसकी मुँह से निकल कर गले में आ जाता है. वसु अपने आप को देख कर एकदम शर्मा जाती है और कहती है की तू तो बहुत ज़्यादा रस छोड़ता है.

दीपू: और यही रस एक दिन आप दोनों के अंदर डालूँगा और अपना हाथ उसके पेट पे रख कर ये पेट भी फूल जाएगा.

दीपू भी एकदम थका हारा बिस्तर पे गिर जाता है और वसु को अपनी बाहों में लेकर.. मजा आया ना मेरी जान? वसु: पूछ मत.. इतने सालों बाद ऐसा लगता है आज मैं फिर से औरत बन गयी हूँ और बहुत मजा भी आया. फिर दोनों थोड़ी देर बाद बाथरूम में जाकर अपने आप को साफ़ करते है और दोनों नंगे ही बिस्तर पे आकर दोनों एक दुसरे के बाहों में खो जाते है. इस बार वसु दीपू के होंठों को चूमते हुए बस ऐसे ही हमें प्यार करना और देते रहना.

दीपू: ये भी कोई बोलने वाली बात है क्या? और फिर दोनों ऐसे ही बातें करते हुए नंगे ही एक दुसरे की बाहों में गहरी नींद में सो जाते है...
,,,
keep it up,,,
 
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Mass

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दीपू: ये भी कोई बोलने वाली बात है क्या? और फिर दोनों ऐसे ही बातें करते हुए नंगे ही एक दुसरे की बाहों में गहरी नींद में सो जाते है...

अब आगे ...

15th Update - पति पत्नियों में मस्त प्यार ( पहला थ्रीसम)

वसु को सुबह जल्दी उठने की आदत थी तो वो सुबह जल्दी उठ जाती है और आँखें खोल कर अपने आप को देखती है तो शर्मा जाती है क्यूंकि वो दीपू की बाहों में नंगी सोई थी रात को. वसु एक मस्त अंगड़ाई लेते हुए उठ जाती है तो दीपू की भी जाग जाता है और वसु को देखते हुए कहता है इतनी जल्दी कहाँ जा रही हो.

वसु: चुप कर. तुझे पता है मैं जल्दी उठ जाती हूँ फिर भी ऐसे पूछ रहे हो. दीपू फिर वसु को अपनी बाहों में खींच के: ऐसे कैसे जाने दूंगा. सुबह सुबह तो मुँह मीठा करा दो.

वसु: अभी नहीं…पहले फ्रेश हो जाओ.

दीपू: क्यों रात को मज़ा नहीं आया क्या?

वसु भी प्यार से दीपू के गाल को चिमटी देकर.. बहुत मज़ा आया. मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था की मेरी दूसरी सुहागरात भी होगी. दीपू फिर से वसु को चूमने की कोशिश करता है तो वसु मन कर देती है और उठ कर बाथरूम जाकर फ्रेश हो जाती है. दीपू को अभी नींद आ रही थी तो वो फिर से सो जाता है.

फिर वो किचन में जा कर पानी पी कर चाय बना रही होती है तो इतने में दिव्या भी वहां आ जाती है और वसु को पीछे से गले लगा कर.. क्यों दीदी रात कैसी रही? रात को मजा आया क्या?

वसु भी घूम कर दिव्या को देखते हुए.. हाँ.. अच्छा था. मैंने कभी नहीं सोचा था की ऐसे भी दिन देखने को मिलेंगे जब मैं अपने ही बेटे की पत्नी बन जाऊँगी.

दिव्या: मैं भी बहुत खुश हूँ की आप भी बहुत खुश हो. वसु फिर प्यार से दिव्या का माथा चूम लेती है. फिर घर के बाकी लोग भी आ जाते है और वसु की टाँग खींचते है लेकिन प्यार से. येही हाल दीपू का भी होता है. ऐसे ही मस्ती में दिन गुज़र जाता है

तीसरे दिन दिनेश दीपू को फ़ोन करता है.

दिनेश: कहाँ चला गया बे?

दीपू: यार मैं नाना नानी के घर आया था कुछ काम था. बोल क्या हुआ?

दिनेश: हो सके तो जल्दी आ जा यार.. अब काम बढ़ रहा है और जैसे हमने सोचा था अब बिज़नेस को आगे भी बढ़ाना है.

दीपू: हाँ, सही कह रहा है. १- २ दिन मैं आ जाता हूँ और फिर बात करते है.

दिनेश: ठीक है मैं इंतज़ार करता हूँ और फिर फ़ोन रख देता है. दीपू ये बात वसु, दिव्या और निशा को बताता है तो उन लोगों को भी लगता है की घर जाना ही ठीक रहेगा. वसु अपने माँ बाप से बात करके घर निकलने के लिए तैयार हो जाते है.

जाने से पहले सब अपने नाना नानी के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेते है और कहते है की जब भी ज़रुरत हो तो उन्हें ज़रूर फ़ोन करना. वो तुरंत ही आ जाएंगे. फिर सब अपना सामान लेकर निकलने की तैयारी करते है. वसु कमरे में जाकर देख रही थी की कुछ छूटा तो नहीं है तो उतने में कविता वहां आकर पीछे से उसको पकड़ कर अपना हाथ उसे पेट और नाभि पे रख कर धीरे से वसु के कान में कहती है की अगली बार जब आओगी तो खुश खबर ज़रूर देना.

वसु को भी इस बात का मतलब पता था तो वो भी मुड कर कविता को देखते हुए उसकी गांड को दबाते हुए कहती है देखते है क्या होता है. वैसे मैं सोच रही थी की आप भी शादी कर लो. फिर मैं भी येही बात आपसे पूछूँगी और हस देती है.

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कविता: मैंने तो तुम्हे बताया था ना.. पता नहीं मेरे किस्मत में क्या लिखा है.

वसु: चिंता मत करो. जो भी होगा अच्छे के लिए ही होगा और वो बाहर की तरफ देखती है तो दरवाज़े पे कोई नहीं था तो वो कविता की आँखों में देख कर मैं तो जा रही हूँ और मुझे पता है आप भी बहुत तड़प रही हो तो मेरी तरफ से ये.. और ऐसा कहते हुए वसु कविता के होंठ चूम लेती है और दोनों एक गहरा चुम्बन लेते है और अलग हो कर..

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इसके आगे मैं और कुछ नहीं दे सकती और अगर आपके मन में भी शादी करने का ख़याल आये तो बताना. आपकी मदत करूंगी. इतने में वहां निशा और मीना भी आ जाते है और मस्ती में पूछते है की सास बहु में क्या बात हो रही है?

जाने से पहले सब सब से मुलाक़ात करते है तो लता भी धीरे से दोनों (दिव्या और वसु) के कान में कहती है की वो उन दोनों से खुश खबर जल्दी ही सुन्ना चाहती है. दोनों शर्म से कुछ नहीं कहते और वो चारों अपने घर निकल जाते है|

कुछ घंटो बाद वसु और सब घर आ जाते है और थके होने के कारण दोपहर को सो जाते है. शाम को जब सब उठते है तो दीपू सब से पहले निशा से कहता है की वो दिनेश को कुछ नहीं बताये और वो ही उसको बताएगा. निशा हाँ कर देती है तो वसु पूछती है.

वसु: बेटा बताना ज़रूरी है क्या?

दीपू: हाँ माँ बताना तो पड़ेगा ही क्यूंकि कुछ दिन में निशा की भी दिनेश के साथ शादी हो जायेगी तो वो भी हमारे रिश्तों में जुड़ जाएंगे. तो उनको पहले ही बता देते है ताकि उनको बाद में कोई surprise ना हो. वसु को भी ये बात सच लगती है तो वो कुछ नहीं कहती.

शाम को फिर दीपू और निशा दोनों अपने दोस्तों से मिलने जाते है तो घर में सिर्फ वसु और दिव्या ही रह जाते है. अब दोनों के रिश्ते भी बदल गए है और दोनों ही एक दुसरे की सौतन है. ये बात दोनों को पता था तो दोनों नार्मल तरीके से बात करने के लिए संकोच में थे. ये बात वसु जान जाती है तो वो दिव्या को अपने कमरे में बुला कर उससे बात करती है.

वसु: क्यों छोटी बात करने में क्या संकोच कर रही हो?

दिव्या: दीदी वो बात नहीं है. पता नहीं आगे क्या होगा. अब हम दोनों तो दीपू की सौतन हो गयी है तो फिर रात कैसे गुज़रेगी? अब हम दोनों तो उसके साथ ही सोना पड़ेगा ना... अलग तो नहीं सो सकते.

वसु: हाँ, ये बात मैंने भी सोचा है लेकिन मेरे लिए तेरी ख़ुशी से ज़्यादा और कुछ नहीं है. अब हमारे माँ बाप भी खुश है और उन्हें भी मन की शान्ति है.

दिव्या: ये बात तो आप सही कह रही हो. बात सिर्फ सोने का नहीं है लेकिन.. और ऐसे कहते हुए दिव्या रुक जाती है क्यूंकि आगे की बात दोनों को पता था की दिव्या क्या कहना चाहती है और क्यों नहीं कह पाती.

वसु: मुझे पता है..देखते है रात कैसे गुज़रती है.. लेकिन शायद हम को इसकी आदत पड़ जायेगी. दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और कमरे के बाहर जाने लगती है तो वसु उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास ला कर.. क्यों तुझे शर्म आ रही है क्या?

दिव्या भी अपने नज़रें नीचे झुका लेती है लेकिन कुछ नहीं कहती. वसु उसको देख कर अपने से गले लगा लेती है और पीछे से उसकी गांड को दबा कर उसके कान में कहती है..चिंता मत कर.. सब ठीक हो जाएगा.. आखिर में अपना पति दीपू ही है.. कोई बाहर का नहीं तो शर्माने की कोई बात नहीं है. वसु फिर प्यार से उसका माथा चूम लेती है तो दिव्या को भी थोड़ा सुकून मिलता है और वसु हलके से उसके होंठ चूम लेती है और अलग कर देती है दिव्या को अपने से.

वसु: आज रात को हम दोनों दीपू को सरप्राइज देते है ना.

दिव्या: मतलब?

वसु धीरे से उसके कान में कुछ कहती है तो दिव्या भी मान जाती है और हाँ कहती है

दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और फिर अपने काम में लग जाते है.

कुछ समय बाद दोनों दीपू और निशा भी घर आ जाते है और फिर रात को खाना खा कर सब टीवी देखते रहते है तो इतने में निशा को दिनेश का फ़ोन आता है. निशा दिनेश का नंबर देख कर अपने कमरे में भाग जाती है. दीपू निशा को ऐसे जाता देख कर हस देता है और वसु से कहता है की उसके यार का फ़ोन है इसीलिए वो भाग गयी है. ये बात सुनकर दोनों वसु और दिव्या भी हस देते है और फिर थोड़ी देर बाद दीपू टीवी बंद करके अपने कमरे में जा रहा होता है तो वो दोनों वसु और दिव्या की तरफ देख कर.. आप लोग नहीं आ रहे हो क्या? वसु: तू जा.. हम थोड़ी देर में आते है.

वहीँ निशा के कमरे में..

निशा: क्या बात है.. थोड़ी दिन तुमसे बात नहीं की तो उतने उतावले हो रहे हो क्या?

दिनेश: क्यों नहीं.. १- २ दिन बात नहीं किया तो ठीक है लेकिन इतने दिन? वैसे कहाँ चले गए थे? मुझे दीपू ने भी कुछ नहीं बताया.

निशा: (उसको सुबह दीपू की बात याद आती है) वो हम नाना नानी के घर गए थे. उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो उन्हें देखे गए थे.

दिनेश: हाँ दीपू कह रहा था. अब कैसे है?

निशा: अब ठीक है. दीपू कह रहा था की वो तुमसे कल मिलेगा.

दिनेश: हाँ, मुझसे भी कहा था.

फिर दोनों ऐसे ही बातचीत कर के अपने यादों में सो जाते है.

इधर दीपू के कमरे में…

दीपू अपने कमरे में बिस्तर पे सोते हुए अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था तो थोड़ी देर बाद कमरे का दरवाज़ा खुलता है. दीपू अपनी आँख उठे के देखता है तो उसकी आँखें ख़ुशी से एकदम बड़ी हो जाती है और अपना मोबाइल बगल में रख कर सामने का नज़ारा देखता रहता है क्यूंकि सामने का नज़ारा उतना ही सेक्सी था. दोनों वसु और दिव्या एकदम सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी पहने हुए एकदम शज धज के दोनों उसके लिए दूध का ग्लास लाते है.

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और कमरे का दरवाज़ा बंद कर के धीरे से अंदर आते है लेकिन फिर भी दोनों शर्मा रहे थे. ये पहली बार था की दोनों ऐसे सझ धज के पहली बार अपने पति के कमरे में आयी थी.

दीपू दोनों को देख कर एकदम खुश हो जाता है तो दोनों शर्म से दीपू को दूध देती है तो दीपू भी दूध पी कर दोनों को भी दूध पिलाता है. दोनों अब भी बहुत शर्मा रहे थे तो दीपू को इस बात का पता था तो वो दोनों को अपनी बाहों में लेकर धीरे से उनके कान में कहता है की बाहर तो आप दोनों मेरी माँ और मौसी हो..

लेकिन कमरे के अंदर तुम दोनों मेरी जान हो तो ये शर्माना छोड़ दो और जैसे मैंने पहले ही कहा था.. जब हम यहाँ कमरे में रहेंगे तो कोई झिझक नहीं. इसीलिए मैं चाहता हूँ की अगर तुम दोनों की शर्म को दूर करना है तो मेरी दोनों बीवियां एक दुसरे से प्यार करे.

दोनों ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है लेकिन दीपू नहीं मानता और बगल में रखे सोफे पे बैठ जाता है और दोनों को देखता रहता है. दोनों भी शर्म से एक दुसरे के साथ आते है और फिर पहले धीरे से एक दुसरे को चूमते है. एक मं बाद जब दोनों को थोड़ा अच्छा लगता है तो फिर से दोनों एक दुसरे के होंठों को जोड़ देते है और इस बार एक अच्छे लम्बे किस में डूब जाते है जिसे देख कर दीपू को भी बड़ा मजा आ रहा था.

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दोनों को पता भी नहीं चलता जब दोनों किस में रहते हुए एक दुसरे के कपडे भी निकाल देते है और दोनों अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में रहते हुए एक दुसरे के मजे ले रहे थे.

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५ Min तक दोनों एक दुसरे को किस करते है तो इतने में दीपू भी अपने कपडे निकल कर उन दोनों के पास आता है और फिर बारी बारी से दोनों को किस करता है और फिर दोनों को बाहों में लेता है. दोनों वसु और दिव्या एक दुसरे को देखते है और ऐसा पहली बार था की दोनों दीपू की बाहों में रहते हुए दोनों एक दुसरे को फिर से होंठों पे किस करते है और साथ में दीपू को भी किस करते है.

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दीपू फिर दोनों को बिस्तर पे ले जाकर दोनों की ब्रा पैंटी निकल कर दोनों को नंगा कर देता है और फिर दिव्या को सुला कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है. दिव्या भी मजे में दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है तो वही वसु भी उसका साथ देते हुए दीपू का सर उसकी चूत पे दबा देती है.

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५ Min में जब दिव्या आह आह आह करते हुए झड़ जाती है तो वो अपना पानी छोड़ देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है और दिव्या गहरी सांसें लेने लगती है और निढाल हो जाती है. दीपू फिर वसु को भी सुला कर वैसे ही करता है लेकिन इस बार वो वसु की गांड से लेकर चूत तक अच्छे से चूस चूस कर उसका पूरा पानी निकल देता है.

जहाँ दीपू वसु की चूत चूस रहा था तो वहीँ दिव्या भी उठ कर वसु के होंठों पे किस करती है. वसु को अब दोनों जगह से मजा मिल रहा था.

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५-७ Min में वसु का भी वही हाल होता है जो कुछ समय पहले दिव्या का हुआ था. वो भी दीपू का सर उसकी चूत पे दबाते हुए अपना पानी छोड़ देती है.

दीपू भी मस्त में उसका पानी पी कर दोनों को देख कर कहता है की तुम दोनों तो बड़ी मीठी और खटी हो. दोनों वसु और दिव्या ये सुनकर थोड़ा शर्मा जाते है तो दीपू अपना लंड उनके सामने लेकर जाता है. लंड पहले से ही थोड़ा तना हुआ था लेकिन पूरी तरह नहीं.

अब दोनों वसु और दिव्या भी अपना शर्म छोड़ देते है और दोनों दीपू के लंड पे टूट पड़ती है. दोनों बारी बारी से उसका लंड मुँह में लेकर मस्त चूसती है जिसे दीपू बहुत मस्त एन्जॉय कर रहा था. वो तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था.

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अब एक लंड चूसती तो दूसरा उसकी गोटियां चूसती.

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ऐसे ही ५- ७ मं तक दोनों दीपू को खुश करते है तो दीपू को लगता है की अगर वो दोनों ऐसे ही और कुछ देर करे तो वो झड़ जाएगा जो वो चाहता नहीं था.

दीपू फिर अपना लंड दोनों के मुँह से निकालता है तो दोनों एक दुसरे को देख कर हस रहे थे जैसे नहीं चाहते थे उसका लंड छोड़ने को.

दीपू फिर वसु को सुला कर उसकी चूत पे अपना लंड रख कर वसु की तरफ देखता है और पाता है की वसु भी इसके लिए तैयार है तो वो दिव्या को कह कर उसके मुँह पे बैठने को कहता है और वो एक ज़ोरदार झटका मारता है और एक बार में ही उसका पूरा लंड वसु की चूत में जड़ तक चले जाता है. वसु भी ज़ोर से चिल्लाती है लेकिन उसकी आवाज़ दिव्या की चूत में ही दब जाता है क्यूंकि दीपू को पहले ही पता था इसीलिए वो दिव्या की चूत को उसके मुँह पे रखने को कहता है.

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दीपू अब मस्त तरीके से उसका लंड वसु की चूत पे अंदर बाहर करता रहता है और ५ Min के अंदर वसु भी ना चाहते हुए अपना पानी छोड़ देती है जिससे दीपू का लंड भी गीला होने की वजह से फिर से आराम से अंदर बाहर होने लगता है. वहीँ दिव्या भी उत्तेजित होते हुए अपना पानी वसु के मुँह में दाल देती है.

जब वसु थक जाती है तो वो दीपू से कहती है तो दीपू भी मान जाता है और इस बार दिव्या को घोड़ी बना कर उसकी ठुकाई करता है और पेलते रहता है. दिव्या भी वसु की एक चूची को मुँह में लेकर उसको मजा देने लगती है तो वसु भी आगे हो कर दीपू को चूमती है. दीपू को भी अब मजा आने लगा था. वो दिव्या को पेलते हुए वसु को भी मजे दे रहा था

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ऐसे ही दुमदार चुदाई काफी देर तक चलती है जहाँ दीपू बदल बदल कर दोनों को ठोकता है और इन सब में तीनो को भी बहुत मजा आता है. ये चुदाई का सफर लगभग ४५ Min तक चलता है और आखिर में दीपू को भी लगता है की वो भी आने वाला है तो जब ये बात कहता है तो दोनों कहते है की वो अपना पानी उनके मुँह में दे दे. अब दीपू भी बहुत नज़दीक था तो वो अपना लंड दोनों के मुँह के पास ले जाता है और आह... आह... करते हुए अपना रास दोनों के मुँह में झड़ जाता है जिसे दोनों बड़े चाव से पीने लगते है.

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तीनो अब थक जाते है तो दीपू भी थक कर बिस्तर पे गिर जाता है. दोनों वसु और दिव्या भी थक जाते है और बड़े सुकून के साथ दोनों दीपू के बगल में उसके साथ सो जाते है.

दीपू: मजा आया क्या? अब तो दोनों में शर्म नहीं है ना? वसु ये बात सुनकर धीरे से दीपू के कंधे पर प्यार से मारती है तो वहीँ दिव्या भी ऐसे ही करती है और दिव्या कहती है की पहले तो उसे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन दीदी के साथ बहुत मजा आया.

वसु का भी कुछ ऐसे ही हाल था और फिर दोनों दीपू के सीने में अपना सर रख कर सो जाते है. दीपू को भी आज बड़े चैन से नींद आ जाती है और वो भी ख़ुशी से सो जाता है..

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वहीँ निशा के कमरे में ..

निशा दिनेश से बात करने के बाद जब वो बाहर आती है तो वहां कोई नहीं दीखता और वो मन में हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है. उसे पता था की दीपू के कमरे में क्या हो रहा होगा और वो उन सब को याद करते हुए अपना हाथ अपने पैंटी में दाल कर अपनी चूत को मसलते हुए सोचती रहती है... मेरा क्या. कब और कैसे होगा.. और पता भी नहीं चलता जब उसकी चूत भी गीली हो जाती है और पानी छोड़ देती है...

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
दिपू और दिव्या की सुहागरात मनाने के बाद घर की लगबग सभी औरतें उसके साथ मजाक कर रहीं हैं उसका वर्णन बडा ही मजेदार और मादक हैं
वसु और दिपू की सुहागरात भी बडी ही जबरदस्त और खतरनाक हो गई वहा भी दिपू ने उसकी कुॅंवारी गांड चोदने का फैसला लिया घर जानें के बाद
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Latest update posted in Pg 131. Pls like, read and look forward to your comments.

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बहोत अच्छी लिखावट के साथ कहानिजा रही है

आपके सभी पोस्ट बेहतरीन होते है..................


आपके हर एपिसोड में कुछ नयापन होता है जो की कहानी में पकड़ के रखते है

वैसे कहानी में फुलस्टॉप की जगह हिंदी लिपि का फुल स्टॉप रखे तो बढ़िया "." "।"

सुझाव है................. इस से कहानी में कोई फर्क नहीं पड़ता।मुझे भी शुरुआत में तकलीफ होती थी लेकिन अब प्रेक्टिस हो गई है तो लिख लेती हु।

कोशिश...........

लिखते रहिये
Madam, Latest update posted in Pg 131. Pls like, read and look forward to your comments.

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