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Aisa hi lag raha hai muje bhi.Bahut hi mast update hai. Mehak bhi jaldi hi chudegi.
Kitni jald wo kahani hi bata paayegi dost....
Thanks a lot
Aisa hi lag raha hai muje bhi.Bahut hi mast update hai. Mehak bhi jaldi hi chudegi.
..........पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..
“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।”
अब आगे
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
और मुनीम ने भी महक को देखा और वह ओर जोश में आ गया,एक और ज़ोरदार धक्का दिया और इस बार पूरा लंड अंधेरी पतली सुरंग में चला गया। महक ने देखा कि उसके पिता का लंड पूनम की चूत में पूरी तरह से समा गया है। अब मुनीम उसके स्तनों और होंठों को चूम और सहला रहा था। वह लगभग 3-4 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा। महक ने देखा की पापा का लंड ने पूनम की चूत फाड़ दी और उसका शील हरण कर दिया, पूनम की चूत से खून निकल कर निचे चादर पर बह रहा था। पूनम का शरीर शिथिल हो गया और वह मुनीम की पीठ सहलाने लगी। और कुछ पल बाद उसने अपनी कमर ऊपर की ओर झटका दिया। यह मुनीम के लिए एक संकेत था। उसने धीमे और लयबद्ध धक्कों के साथ चुदाई शुरू कर दी। महक पूनम के नजदीक आई और महक ने पूनम की आँखें पोंछीं और बोली: “बस कुछ देर और फिर तेरी चूत से मजा छूटेगी पूनम” उसने थोड़ी देर तक उसके स्तनों को सहलाया फिर वह अंदर चली गई। चुदाई उसके लिए कोई नई बात नहीं थी। उसने अपने भाई को सुधा और सुंदरी की चुदाई करते देखा था।
मुनीम पूनम के कसे हुए और कुँवारे बदन को चोद रहा था और उसका आनंद ले रहा था। अब दोनों चुदाई करते हुए किस कर रहे थे।
"अब दर्द हो रहा है? लंड बाहर निकल लूं..!" मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
"साला, बेटीचोद लंड बाहर निकालेगा तो लंड काट कर चूत के अंदर रख लूंगी। मादरचोद मुझे चोदते रहो..जब तक मेरी चूत फट नहीं जाती...फिर अपनी बेटी को चोदना.. ।"
मुनीम ने उसे चूमा और उसकी चुदाई करता रहा। अब पूनम को मजा आ रहा था। वह इधर-उधर बड़बड़ाती रही। अचानक मुनीम को पूनम की माँ की याद आई और उसने पूनम की चूत में एक जोरदार धक्का दे दिया।
“आआआअह्हह्हह….मार डालेगा क्या..अपनी घरवाली सुंदरी याद आ गयी क्या..”? पूनम ने पूछा,
"नहीं, तेरी माँ याद आ गई। वो पहली औरत है जिसे चोदने का मन किया था.. उसे छू भी नहीं पाया, लेकिन आज इतने सालो बाद तुझे यानी की उसकी बेटी को चोद रहा हूँ, लगता है जैसे तेरी माँ को ही चोद रहा हूँ।"
“तो और जोर-जोर से धक्का मारो ना। मेरी माँ तो अब खाई हुई औरत है। मस्ती से चूत मारो उसकी ही समज के मेरी मारो।” पूनम ने मुनीम को जकड़ते हुए कहा: “जो भी मन में आये, जिसको भी चोदना चाहो लेकिन इस माल में आपका लंड रुकना नहीं चाहिए, यह माल अब पूरी तरह से आपके लंड के काबू में है। रुकना नहीं बस चोदते रहो इस चूत को और अपनी सुहाने और स्वादिष्ट रस इस चूत में भर के इसे अच्छे से सींच दो। अब तक पता नहीं था की लंड का स्वाद इतना मस्त ओगा वरना मैं, बहोत पहले ही आपके लंड पर बैठ जाती।“
“अभी तुम इतनी बड़ी भी नहीं हुई हो, और पहले की बात कर रही हो! अगर पहले आती तो छोटी समज के छोड़ देता, पर अब सही समय है बेटी और सही समय पर तुमने अपना सिल मेरे लंड को समर्पित किया है। अपनी माँ के बारे में सोचना जरा मुझे उसके चूत की भूख कब से है।”
अपनी माँ के बारे में सुनते ही पूनम ने मुनीम को चूमा।मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
“मुझे भी तुम्हारे मोटे लंड से चुदवाने में बहुत मजा आ रहा है… मैं तो आई थी परम का लंड सहलाने लेकिन मुझे क्या पता था आज मेरी चूत आप फाड़ डालोगे.. आह्ह… अब बहुत अच्छा लग रहा है।”
“रानी, एक बार रात में तुजे फिर से चोदूंगा… रात में मैं इसी बिस्तर पर रहूंगा.. तू आ जाना, फिर से मैं तेरी माँ समज के तेरी चुदाई करूँगा…।”
“लेकिन काकी (सुंदरी) को पता चलेगा तो! वह क्या सोचेगी की एक बाप जैसी उम्र का आदमी एक फुल सी कच्ची कलि को चोद रहा है, और वह मेरे बारे में क्या सोचेगी! मुझे तो वह रंडी ही कहेगी।“
“अरे, डर मत, तो उसके सामने भी तुजे आज चोदूंगा…। बस तू आज चुदवाने आ जाना । भले परम चोद दे तुजे, फिर भी।”
दोनो मजे लेकर चुदाई कर रहे थे और दोनो का झड़ने का समय आ गया, वैसे पूनम की चूत दो बार पहले ही झड चुकी थी यह तीसरी बार था की वह काका के साथ ही झडेगी। पूनम मुनीम से चिपक गई। कमर को ऊपर उठाया और टांगो से मुनीम की कमर को पकड़ लिया और फिर अचानक उछली और ठंडी पड़ गई। वो मुनीम को चूमती रही और फिर मुनीम ने पूनम की चूत को अपना वीर्यदान कर दिया। माल के अंदर जाते ही पूनम पूरी तरह से ठंडी हो गई।मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
वे कुछ समय तक एक-दूसरे की बाहों में रहे और फिर अलग हो गए। तभी महक दो गिलास गुड़ मिला हुआ गर्म दूध लेकर अन्दर आई और उन्हें दे दिया। दोनों नग्न थे। मुनीम ने अपने लंड को लुंगी से ढकने की कोशिश की लेकिन पूनम ने लुंगी खींच कर एक तरफ फेंक दी।
“क्या काका, मुझे तो चोद डाला, कम से कम महक को आपका लंड तो देखने दो..” उसने महक की ओर देखा और उसे अपने पास बैठने के लिए कहा।
"मजा आया?" महक ने पूछा।
पूनम ने फिर मुनीम के लंड को मुठ मारते हुए कहा:
“पहले तो बहुत दर्द किया, लगा पागल हो जाऊंगी या फिर मर ही जाउंगी, लेकिन बाद में बहुत मजा आया…।”
उसने लंड चूमा और बोली।मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
“देखो तो थोड़ी देर पहले कितना बुरा और टाइट था अब ढीला हो गया है.. यह सुपारा ही खतरनाक है, जिस माल में जाएगा वह इस सुपारे को कभी नहीं भूल पाएगी।”
महक ने अपने पापा की ओर देखा और आँखे निचे कर के पूछा “पापा आपके लंड को तसल्ली मिल गई? मजा आया?”
मुनीम ने महक को हाथ से थोडा खिंचा और बोला: ”तुम्हे क्या लगता है बेटी? इतनी टाईट चूत चोदने को मिले तो कौन मजा नहीं लेगा? लेकिन लगता है तुम्हे आनंद नहीं आया यह देख के!”
“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“
बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
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आज के लिए बस इतना ही कल तक के लिए आपसे विदा लेती हूँ.............लेकिन इस एपिसोड के बारे में आप अपनी राय कोमेंटबॉक्स में देना ना भूलिए.......... आपके मंतव्य ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करते है......................
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।
Mast update“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"
परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।
सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।
“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”
“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।
“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।
“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।
“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”
उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’
दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”
“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”
“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।
'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।
“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।
अभी आगे लिख रही हु .......
Nice update“हा माँ, मैने भी देखा है। उसके बोबले भी दबाऊ?”
“मुझे क्या मालूम, वो दबाने देगी तो दबा-दबा कर तुम दोनों भाई-बहन मज़ा ले लेना लेकिन उसे मत बताना की तुमने मेरे बोबले भी दबाये है और मैने तुमसे कहा है उसकी निपल को दबाने को, उसके बोबले को बड़े करने को...लेकिन अभी उसे चोदना मत। तुम छोटे हो उसे खुश नही कर पाओगे।”
अब परम ओर ज़ोर-ज़ोर से निपल और पुरे बोबले को मसल रहा था, सुंदरी ने परम से पूनम और रेखा के बारे में बात की और पूछा कि वो भी तो परम को खूब मजा देती है...अपने बोबले दबवाती है तुम से!
“नहीं माँ, रेखा तो बस सारा समय मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बैठी रहती है लेकिन पूनम कभी-कभी चुची सहलाने और चुम्मा लेने देती है…”
परम ने दोनों हाथों से चूची को खूब मसला दबाया और कहा कि मां की चूची में पूनम की चूची से ज्यादा मांस (flesh) से भरी हुई है... फिर एक हाथ से एक चूची को दबाते हुए दूसरे हाथ से गाल को पकड़ा और माँ के होठों को चूमने लगा...
सुंदरी ने कस कर पैंट के ऊपर हाथ रख-कर जोर से दबाया और परम झड़ गया.. वो ठंडा हो गया। माँ की गोद से उतरा तो माँ ने देखा कि उसका पैंट के सामने गिला हो गया है। परम नजर झुका कर खड़ा था। सुंदरी ने गिले हिस्से को छूने के बहाने पैंट के ऊपर से लंड को सहलाया। लंड ढीला हो गया था लेकिन फिर भी सुंदरी ने नक्शा लिया कि बेटे का लंड बाप के लंड से लंबा और मोटा है…
उसने गिले हिस्से को सहलाते हुए कहा,उसने कहा,
“ अरे कोई बात नही, बेटे... इतनी देर तक कोई भी स्तनों को दबाएगा तो उसका लंड जवाब दे के पानी गिरेगा ही। तुम जाकर कपड़े बदल लो, बहन आती ही होगी।”
सुंदरी जाने लगी तो परम बोला “ माँ तुम सचमुच बहुत सुंदर और मस्त माल हो। विनोद से चुदवाओगी?”
“बेटे, तुमने तो माँ की सुंदरता अभी देखी कहा! और अपने दोस्त को बोलना की मेरे बारे मे सोचना छोडकर अपनी माँ को चोदे।”
ये पहला मौका था की माँ-बेटे ने चुदाई की बात की।
लिख रही हु....
Nice Bhai bahen ka rishta bhi badal rahaरात को परम ने अपनी बहन महक को गौर से देखा। उसे दिखाया कि महक की चुची बड़ी हो गई है। सुंदरी के गोलाई से कम लेकिन भरा पूरा। महक ने फ्रॉक पहन रखा था जो घुटनो के ऊपर तक ही था। परम अपनी बहन की जवानी को निहार रहा था लेकिन उसका ध्यान सुंदरी पर ही था। महक लंबी हो गई थी. उसके चूतर में उबर आ गया था। बाल लम्बे लम्बे कमर से नीचे आ गये थे। महक की आँखे भी माँ की तरह नशीली थी। महक माँ की तरह ही सावली थी और परम को लगा कि कुछ सालों के बाद लोग सुंदरी के तरह ही महक को चोदने के लिए पागल हो जायेंगे। महक को देखते-देखते अचानक परम बोल उठा,
“महेक आज हम दोनो साथ सोएंगे!”
परम से अचानक यह सुनकर महेक चोंक गयी। उसे अंदाज़ा नही था की उसका बड़ा भाई उसके साथ मस्ती करना चाहता है। महेक भी जवान हो रही थी। उसकी निपल भी तन जाती थी। कभी कभी तो उसकी चूत में बहुत खाल-बली होने लगती थी।
उसका भी मन करता था की कोई मर्द उसे बाहों मे लेकर खूब ज़ोर ज़ोर से दबाए। लेकिन अभी तक किसीने उसके बोबले को टच नही किया था। उसे विनोद पसंद था लेकिन वो इतना बदनाम था कि महक की हिम्मत नहीं होती थी विनोद के पास जाने की... लेकिन हर 2-3 दिन पर विनोद महक के गालो को सहला लेता था और कहता था कि वो महक से ही शादी करेगा ...महक शर्म से पानी-पानी हो जाती थी लेकिन कह नहीं पाती थी ..की "विनोद मुझे चोदो.."
महक को मालूम था कि गाँव के सारे लोग विनोद से डरते थे और नफ़रत करते थे .. और महक चाहती थी कि विनोद फिर गाँव बालों से दोस्ती कर ले...उसने एक दो बार ये बात विनोद से कहीं भी...
लेकिन विनोद तो महक की माँ सुंदरी को चोदना चाहता था और साथ ही महक से शादी भी करना चाहता था....
महेक यह सब सोच ही रही थी की परम ने फिर पुकारा। महेक अपने भाई के बेड पर आ गयी।
“क्या बात है भैया, आज मेरी ज़रूरत क्यों हो गयी।”
“बस मन कर रहा है तुम्हारे साथ सोने को। कितने सालो से हम लोग साथ नही सोए है।”
परम ने महेक का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। महेक उसके बाहो पर माथा टीका कर लेट गयी। दोनो एक दूसरे की ओर घूमकर बाते करने लगे। परम महेक की पीठ को सहलाने लगा। महेक परम से सट गयी। उसने अपना हाथ भाई के कमर पर रख दिया। परम ने हाफ पैंट पहना था और महेक ने फ्रॉक। महेक ने धीरे धीरे अपना हाथ भाई के गंजी के अंदर डाल दिया। अब वो अपने भाई के नाभि को सहला रही थी। परम ने पीठ सहलाते सहलाते कहा,
“तुम तो जवान हो गयी हो… माँ से भी ज़्यादा सुंदर…”
“नही भैया, माँ बहुत ही सुंदर है। छोटे-बड़े सभी उस पर लाइन मारते है।”
“तुम्हारी भी शादी हो जाएगी फिर तुम्हारा घरवाला भी तुम्हे खूब प्यार करेगा और तुम भी माँ की तरह मस्त हो जाओगी।”
“हट मै शादी नही करूँगी।” महेक ने शर्मा कर कहा और अपनी एक टाँग भाई के टाँग पर चढ़ा दी।
“भैया अब सो जाओ, लाइट बंद कर दो।”उसे शर्म महसूस हुई और उसने भाई से लाइट बंद करने का अनुरोध किया।
असल में महक चुदाई का भी पूरा मज़ा चाहती थी..
परम ने हाथ बढ़ा कर लाइट बंद कर दिया और कमरे मे बिल्कुल अंधेरा छा गया। दोनो की साँसे सुनाई पड रही थी। परम को हिम्मत नही हो रही थी की बगल मे सट कर सोई बहन की चुचि को दबाए या उसकी चूत मे उँगुली करे।
उधर महक भी चाह रही थी कि भाई उसे नंगा करके उसको सहलाएं और प्यार करें। महक चुदाई के लिए भी तैयार थी लेकिन सोचा अभी पहली बार में चुदवाना अच्छा नहीं, लेकिन बाकी मजा तो ले लेना चाहिए..
तभी परम ने कहा, “तेरा कोई यार है?”
महेक यार का मतलब समझती थी। “नही, लेकिन क्यो पूछ रहे हो?”
“क्योकि तुम्हारी गोलाई (चुचि) बहुत बड़ी हो गयी और मैने पढ़ा है की लड़को के हाथ लगाने से ही चुचि बढ़ती है। लगता है विनोद खूब मसलता है तेरी चूची को।”
लिख रही हु.......
Mast updateयह सुनकर महेक का पूरा बदन सिहर उठा और भाई से बिल्कुल चिपक गयी।
“नहीं, उसने अब तक इस पर हाथ भी नहीं लगाया..लेकिन तुमको तो पूनम खूब दबाने देती है ना..?” महक ने उत्तर दिया और जोड़ा।
“हट.... तुम ग़लत बोल रहे हो। लड़की जब जवान होती है तो उसकी चुचि अपने आप ही बढ़ने लगती है। मेरी चुचि तो अभी और बढ़ेगी। किसी के छूने से हो सकता है की जल्दी बढ़ जाए।” महेक ने मन ही मन कहा की तुम क्यो नही दबा रहे हो और फिर बिल्कुल चित लेट गयी।
महेक अचानक चित हुई थी और परम का हाथ सीधा महेक की एक चुचि पर रह गया। परम को बहुत अच्छा लगा और उसने हौले से चुचि को दबा दिया। भाई का हाथ चुचि पर पाकर महेक खुश हो गयी।
“भाई, तुमने कभी किसी की चुचि दबाई है? भाई, तुम तो पूनम की चूची खूब दबाते हो, कैसी है उसकी चूची...?" वह भाई से सराहना (appriciation) चाहती थी। महक अच्छी तरह जानती थी कि उसकी चूची पूनम से बड़ी और मांसल है...और भरी हुई है, शायद भाई मेरे इस गोलाई से आकर्षित हो के कुछ देर दबा के दे। थोडा मजा उन्हें और ज्यादा मजा मुझे आये।
“हा बस पूनम की वो भी ठीक से नहीं…तुम्हारे बोबले ज्यादा मांसल और बड़ी भी है…अच्छी गोलाई भी पकड़ ली है तुम्हारे इस बोबले ने...जिसे हर कोई दबाने और चूसने चाहेगा।”
बोलकर परम बहन की चुचि को हौले-हौले मसलने लगा। कभी एक चुचि को तो कभी दूसरी चुचि को। परम ने महसुस किया कि महक की चुची पानी से भरे गुब्बारे की तरह टाइट है जब सुंदरी के धइले स्पंजी (मुलायम) और गुदाज है।
“बहन, तुमने कभी नंगे आदमी को देखा है?”
“नही, भैया” महेक ने धीरे से कहा।
“कभी मन नही करता है?”
“जब सुधा अपनी नौकरानी और अपने पापा की बात सुनाती है तो मेरा भी मन करता है की कोई मुझे भी बाहों मे लेकर खूब मसले और चूमे। मेरे अंग-अंग को दबाए और तब तक दबाता रहे की मै थक ना जाऊ।”
महेक का इतना कहना परम के लिए खुला निमंत्रण था। परम झट से उठकर बैठा और दोनो हाथो से बहन को उठा कर बैठा लिया। महेक को ज़्यादा मालूम था। वो अपनी दोनो टांगे भाई के उगल-बगल रख कर उससे बिल्कुल सट गयी। महेक अपनी भाई के लंड पर बैठी थी। परम दोनो हाथो मे लपेट कर महेक को चूमने लगा। महेक ने भी पूरा साथ दिया। उसकी ताज़ी नोकीली निपल भाई के छाती से बिलकुट सटी हुई थी और नीचे कमर भी उचका रही थी। चूमते चूमते परम बहन को खूब ज़ोर से दबा भी रहा था जैसे की एक लड़की को नही किसी प्लास्टिक की गुड़िया को मसल रहा हो।
“और ज़ोर से दबाऊ? ” उसने बहन से पूछा।
“मुझे तोड़ डालो, मेरी चुचि को मसल-मसल कर चटनी बना दो। जहां मन करता है वहां मसलो खूब दबाओ, बहुत अच्छा लग रहा है।”
परम धइले (स्तन) को मसलता था तो कभी दोनो हाथो मे भर कर पूरी ताक़त से उसे जकड कर बहन की जवानी का मज़ा ले रहा था। लगता ऐसा था की आज ही महक के बोब्लो को अपनी माँ के जैसे बड़े कर देना चाहता हो।
“भाई अभी आपने कहा था की किसी पुरुष से धइले दबवाने से बड़े हो सकते है तो फिर बड़े करो मेरे भी। आपके हाथो से मेरे बोबले बड़े हो इस से ज्यादा और क्या चाहिए आपकी बहन को।“
“कपड़े उतार कर मसलने मे और भी मज़ा आएगा।”
“जो मन करता है करो, बस चोदना मत।”
परम ने फटाफट अपने कपड़े उतारे फिर बहन का फ्रॉक ओर पेंटी उतार दिया और फिर पहले की तरह दोनो चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। परम का तना हुआ लंड महेक के चूत पर दस्तक दे रहा था। महेक एक हाथ से लंड को पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी। परम का ध्यान बहन की चुचि से खेलने मे था। अब उसने निपल (डत्त्ती) को चूसना शुरू किया और उसके चिकने बदन को मसलता रहा।
महेक बहुत गर्म हो गयी थी औरऔर होना ही था पहली बार जो था, ज़ोर ज़ोर से लंड से अपने चूत को रग़ड रही थी। अचानक वो भाई से बिल्कुल चिपक गयी और सिसकारी मारते हुए कहा।
“मै…गयी…भैया” और ज़ोर से चूत का लंड पर धक्का मारा। परम के लंड का सूपड़ा बहन के चूत के अंदर चला गया। लेकिन तुरंत ही महेक को होश आया और उसने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया।
“ओह बहन, लंड बाहर क्यो निकाला अंदर जाने देती!”
महेक पैर फैला कर लेट गयी और कहा “आज बहुत मज़ा आया। पहली बार जवानी का मज़ा लिया है, और जाना की जवानी क्या होती है और अगर इतने से इतनी मजा आती है तो भाई का लंड कैसा मजा देगा। जितने दिन चूत को संभाल सकती हूँ संभालने दो फिर तो तुम्ही को अपनी बहन की सील तोड़नी है। वादा करती हू पहली बार तुम्हारे लंड को ही चूत के अंदर लुंगी और अपना शील आपके लंड को ही गिफ्ट करुँगी।”
महेक लंड को सहलाने लगी और कहा “साला कितनी जल्दी अंदर घुस रहा था, लगता है भूखा है। मै जल्द ही इसके लिए एक मस्त माल लाउंगी।”
परम भी बगल मे बहन के उपर झुक कर लेट गया। उसने बहन की चूत को सहलाया।
इतनी देर मे पहली बार उसने चूत को छुआ था। परमने चूत को सहलाते हुए कहा,
“सुधा कौन है? तुम उसके बारे मे क्या कह रही थी?”
अगले अपडेट तक आप यह कहानी के बारे में अपनी राय बताये ........आशा करती हु की यह पहला एपिसोड आपको पसंद आया होगा.....
बने रहीये मेरे साथ इस कहानी में ...............
Nice updateएपिसोड 2
महक ने लंड को दबाते हुए कहा "अरे वही, रजनी काकी की बेटी, सुधा मेरी क्लास मेट है और मेरी अच्छी दोस्त। उसका बाप अपनी नौकरानी को रोज चोदता है और सुधा सब कुच्छ देखती है। सुधा की माँ भी सुबह काम पर चली जाती है। सुधा पूरा वर्णन करके चुदाई की बात बाद में बताती है। उसकी नौकरानी रेनू हमारी ही उम्र है, लेकिन पिछले एक साल से चुदवा रही है। जब पहली बार रेनू चुदवा रही थी तो सुधा ने देखा था और बाद में देखा कि रेनू के चूत से खूब खून निकला है।
महेक ने भाई के लंड को अपनी जांघो से रगड़ा और कहा “चूत मे उँगुली डाल कर मज़ा लो।।’
परम ने चूत मे उँगुली पेल दी और पूछा “ सुधा के बाप को नही मालूम की उसकी बेटी सब कुछ देखती है?”
“ अरे भैया, उसका बाप तो जान बुझकर सुधा को दिखा-दिखा कर रेणु की चुदाई करता है।’
“ तब तो उसने अपनी बेटी को भी चोद डाला होगा।’
“हो सकता है, लेकिन सुधा कहती है अभी तक उसके बाप ने उसे चोदा नही है ना ही कभी चोदने की बात की है। लेकिन सुधा डरती है की जल्द ही उसका बाप उसे चोदेगा।’
अब परम चूत मे दो उंगली डाल कर मज़ा ले रहा था। “बहन तुम्हारी चूत लंड लेने के लिए तैयार है।”
“भैया बस थोड़ा इंतज़ार करो। धीरे धीरे प्यार से मज़ा दूँगी, घर का माल है, जल्दी क्या है?”उसने भाई को चूमा और कहा .."वैसे भी तुमको मजा देने के लिए पूनम और रेखा है ही...तुम उनको चोदते क्यों नहीं हो...?"
उसने भाई को चूमा और बोली:“अब मुझे पकड़ कर सो जाओ।“ महेक परम की ओर पीठ करके सोने की कोशिश करने लगी।
परमने अपनी टाँग बहन के कमर पर रखी और एक स्तन को जकड़ कर सोने की कोशिश करने लगा। महेक ने चुत्तर को आगे पिछे किया और लंड उसकी गांड मे फँस गया। और उसकी गांड का छेद पहले से ही उसके भाई के लंड सुपारे से बात करने के लिए तैयार था। उसने अपनी गांड के छेद को थोड़ा ढीला किया और गांड को अपने भाई के लंड से बाते करने के लिए छोड़ दिया।
आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
बीच रात मे परम ने लाइट जला दी और आँख फाड़ कर अपनी बहन की नंगी जवानी का दीदार करने लगा। महेक शांत होकर सो रही थी। उसकी गठी हुई चुचि हौले-हौले उपर नीचे हो रही थी। चूत के उपर हल्के-हल्के घुँगराले बाल थे, लेकिन चूत साफ दिख रही थी। उसने हल्के से चूत की फाँक को फैलाया तो उसे गुलाबी माल दिखाई दिया। थोड़ी देर तक देखने के बाद उसने चूत को चूमा और उसकी चूतरस को थोडा चाटा और लाइट ऑन रखकर सोने लगा और कब सो गया मालूम नही।
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