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Adultery तेरे प्यार में .....

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bahut hi gazab ki update he HalfbludPrince Fauji Bhai,

Kabir sahi kah raha he...........vo jindgi ke us daur se gujar raha jaha sabkuch he, lekin chahiye kuch nahi......

Mami ke sath bhi ho sakta he kabir ka relation ho.............

Ab pitaji ye kaisi paheli se bhari chiththi chhod kar gaye he Kabir ke liye.........

Lagta he Nisha aayi he raat ko wapis

Keep rocking Bro
पिताजी ने कुछ सोचकर ही वो पहेली छोड़ी है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bahut hi umda update he HalfbludPrince Fauji Bhai,

Jaisa ki socha tha, vaisa hi hua............

Mami ke sath bhi kabir ke relations rahe he past me, vo aaj fir se taza ho gaye............

Ek baat to aapne solah aane sach kahi he ki jo maja 35+ ki aurat ko chodne me aata he vo maja kachchi kali nahi de sakti........

Ab manju ke ghar aisa kya dekh liye kabir ne........

Keep rocking Bro
35+ wali aurate bistar me aag laga deti hai ye fact hai. Manju ke ghar me aag kisne lagayi ye jaldi hi samne Aa jayega
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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कहानी दिलचस्प होती जा रही है, और किरदार रहस्यमई। हालांकि मुझे मंजू के बारे में भी कुछ संदेह हो रहा है कि कहीं बचपन का छुपा हुआ प्यार तो नहीं जो बदले के रूप में बाहर आने लगा हो। खैर जो भी हो लेखक के लेखनी ही इसका जवाब देगी।

कुछ साल पहले "प्यार का सबूत" (लेखक का नाम the black blood था) नामक कहानी मुझे बेहद पसंद आई थी, वो भी रहस्यमई घटनाओं और षड्यंत्रों से भरी हुई थी। लेखन शैली काफ़ी मिलती जुलती है, कहीं वो आप ही तो नहीं?
कहानी पसंद करने के लिए आभार आपका. मेरी लेखनी का स्तर अभी the black blood भाई जैसा नहीं हुआ है. ये तुलना बेकार है ❤️
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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ये दोनों एक तो नहीं.... लेकिन एक से बढ़कर एक हैं :D xossip के जमाने से मेरे फैवरिट कहानीकार
आपकी ये बाते मुझे पूर्णता की तरफ ले जाती है :D
नियति जाने इस बारे मे
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#8

बैग उठा कर मैंने काँधे पर टांग लिया.

बाबा- अभी तो आया है रुक तो सही .

मैं- आता हु जल्दी ही रात की रोटी साथ खायेंगे.

गाँव के बाजार आकर महसूस किया की आबो हवा बदल गयी थी गाँव की . ईंटो की सड़क पर पक्की हो गयी थी , नालियों का पानी इकठ्ठा नहीं होता था सड़क पर. मेरा गाँव सलीकेदार हो गया था . ये गलिया जहाँ बचपन बीता, जवानी शुरू हुई अब अपनी लग नहीं रही थी. नजर उस दूकान पर पड़ी जहाँ कसेट भरवाने के लिए भीड़ इकठ्ठा होती थी , अब उसका नाम बदल गया था अब रंग बिरंगी सीडी लगी थी . दूकान जिस पर कभी जलेबी, बर्फी और समोसे ही मिलते थे शीशे चढ़ कर आलिशान हो गयी थी . जोहड़ को पार करके मैंने कुंवे पर नीम के पेड़ को सहलाया और उस राह पर चल दिया जहाँ कभी घर होता था. तीन भाइयो की वो हवेली जो कभी मिसाल थी परिवार के प्रेम की , जिसकी चौखट से कभी कोई भूखा नहीं लौटा आज उस हवेली को देख कर रो ही तो पड़ा था उसका वारिस.

वारिस, न जाने क्यों ही मैंने वारिस कहा, जब सब कुछ था तब किसी को कुछ नहीं चाहिए था अब जीती जागती ईमारत जो की घर थी उसे सब भुला गए थे. बरसो पहले इधर पूरा मोहल्ला ही बसा हुआ था पर मैंने देखा की आजकल लोगो की बसाहट इधर उतनी नहीं थी . कुछ घर उजाड़ से पड़े थे , बारिशो में धंसे हुए से कुछ पर ताले थे. खैर, जी भर कर उस ईमारत को देखने के बाद मैंने ऊँची घास से जदोजहद करते हुए दरवाजे तक पहुँच बनाई. पत्थर के दो चार वारो ने ही ताले को आराम दे दिया. दरवाजा खोल कर मैं आँगन में पहुंचा , सब जगह बुरा हाल हुआ पड़ा था . आँगन में जहाँ देखो काई जमी थी . सीलन थी अजीब सी बदबू थी आदमी तो अब रहते नहीं थे इधर तो छोटे मोटे जानवरों का ही ठिकाना थी ये हवेली. कोने में अनाज की टंकी थी धुल से सरोबार. कुछ कमरे खुले थे कुछ पर ताले थे. मैं उस कमरे की तरफ गया जिसे कभी मैं अपना कहता था .एक ताला और तोडना पड़ा मुझे पर एक हैरत भी थी कमरा एकदम सलीके से था , धुल मिटटी का कोई निशान नहीं. मेज पर कुछ किताबे रखी थी, लैंप रखा था . मैंने अलमारी खोली , कुछ कपडे थे . कुछ ख़त थे कुछ फूल थे मुरझाये हुए, एक दराज में कुछ कसेट पड़ी थी . खातो को मैंने पढना शुरू किया कुछ मैंने लिखे थे कुछ जवाब थे. एक दौर था जब मैं आशिकी में था एक दौर है जब मैं अकेला हु. खिड़की जो पीछे गली में खुलती थी खोली मैंने थोड़ी सी हवा आई. बदन में थकान तो थी ही दो पेग लगाने के बाद मैं पलंग पर ही लम्बा हो गया.

आँख खुली तो पाया की ये अगली सुबह थी , बारिश शायद कुछ देर पहले ही थमी होगी. हाथ मुह धो ही रहा था की पुजारी बाबा को अन्दर आते देखा

मैं- बाबा तुम यहाँ

बाबा- रात को तो तू आया नहीं , जानता था इधर ही मिलेगा तू चाय ले आया .

मैं- मैं बस आने ही वाला था आपके पास

बाबा- कोई बात नहीं समझता हूँ इतने दिन बाद आया है तो लगाव लाजमी है .

मैं-ताऊ चाचा सब छोड़ गए इधर से .

बाबा- ताऊ तेरे की तो मौत हो गयी, चाचा तेरा कैसा है तू जानता ही है .

मैं- कब कैसे

बाबा- तेरे जाने के साल भर बाद की बात है खेतो में पड़ा मिला था . न कोई बिमारी, ना कोई घाव किसी को कुछ समझ नहीं आया.

मैं- और ताई

बाबा- उसके बच्चे तो बाहर गए कमाने अकेली ही रहती है , इधर आती है दो-पांच दिन मे. देख कर चली जाती है .

तो वो ताई ही थी जो मेरे कमरे की सफाई करके रखती थी.

“और भाई-भाभी उनका क्या ” मैंने कहा

बाबा-गाँव से थोड़ी दूर उन्होंने मकान बना लिया है उधर ही रहते है , किसी से कोई मेलजोल नहीं रखते . अपने काम धंधे में मगन, गाँव में चाहे कुछ भी हो वो लोग आते नहीं ना किसी की मौत में न किसी की ख़ुशी में .

मैं- बढ़िया है फिर तो

बाबा- क्या कहे अब, किसने सोचा था ये परिवार ऐसे दिन देखेगा.

मैंने चाय पी, थोडा समय बाबा संग बाते की और बाबा को समझाया की हवेली की सफाई करवा दे उसके बाद मैं वहां से चल दिया. ताऊ की मौत से मुझे दुःख तो बहुत हुआ था पर जो जा चूका था उसका अब क्या अफ़सोस करना, बेशक मुझे ताई से मिलना चाहिए था पर फिलहाल मैं उस जगह पर जाना चाहता था जो मुझे बहुत प्रिय थी . घूमते हुए मैं अपने खेतो पर जा पहुंचा जहाँ की हालत देख कर मुझे रोना आ गया. खेत , खेत रहे ही नहीं थे. मेरी तरह समय शायद उनका भी साथ छोड़ गया था . कभी जहा तक मैं देखता फसल खड़ी दिखती थी अब मैं जहाँ तक देख पा रहा था था खरपतवार थी , कीकर के पेड़ थे कुछ और किस्मे थी कहने का मतलब सब बर्बाद था. कुवे पर बने कमरे का दरवाजा खुला था अन्दर बदबू थी जानवरों ने अपना आशियाना बना लिया था .


वापसी में थोड़ी देर पेड़ वाले चबूतरे पर बैठ गया. जेब से पव्वा निकाल कर दो घूँट भरे ही थे की मेरी नजर सामने से आती औरत पर पड़ी उसे जो देखा दिल ठहर सा गया. थोड़ी पास और आई , हमारी नजरे मिली और समय जैसे रुक सा गया...................
Apne Hero ka to sab kuch bikhar gaya dost:sigh: Wahi gaanv ki mitti, wahi johad, vahi ped, wahi khet khalihaan, sab kuch apna hi to hai☺️ khair, wo aurat kon thi jis se najar milte hi dil thahar gaya?:?:
Kahi pritam to nahi laut aai?
Awesome update as usual with mind blowing writings ✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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कहानी मे रहस्य रोमांच की गुंजाईश हमेशा ही रहती है भाई
Tumhari kahani me to hogi hi :approve:
 

Raj_sharma

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