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Dev bhai kaha busy?
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Dev bhai kaha busy?
Busy in lifeKidhar gaayab ho mitra?![]()
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया#122.
कलिका अब चतुर्थ यक्षद्वार के सामने खड़ी थी।
यहां पर एक ही दरवाजा था और उस दरवाजे पर एक समान सी दिखने वाली तीन स्त्रियों की आदमकद मूर्तियां खड़ीं थीं।
“यह चतुर्थ यक्षद्वार है कलिका। इसके भी पीछे की एक कहानी है।
"एक राजकुमार दूसरे राज्य के भ्रमण पर गया। रास्ते में उसने उस राज्य की राजकुमारी को देखा। राजकुमारी देखने में बहुत सुंदर थी। इसलिये राजकुमार ने उस राजा के सामने उसकी पुत्री से विवाह का प्रस्ताव रखा। उस राजा की तीन पुत्रियां थीं, जो देखने में बिल्कुल एक जैसी थीं। राजा ने तीनों पुत्रियों को राजकुमार को दिखाया और पूछा कि वह किस से शादी करना चाहते हैं? अब तुम्हें उस राजकुमार के लिये उचित कन्या का चुनाव
करना पड़ेगा।”
यह सुनकर कलिका ने तीनों मूर्तिंयों को ध्यान से देखना शुरु कर दिया, पर 2 घंटे के बाद भी कलिका को तीनों में एक भी असमानता नहीं दिखाई दी।
“ये तो बिल्कुल एक जैसी हैं, इनमें उचित कन्या का चुनाव कैसे सम्भव है?” कलिका अब परेशान होने लगी, पर उसने अभी भी हिम्मत नहीं हारी।
2 घंटे और बीत गये, पर कलिका को कुछ समझ नहीं आया।
आखिरकार थककर उसने मूर्तियों के स्थान पर इधर-उधर देखना शुरु कर दिया।
तभी कलिका की नजर मूर्तियों के पास पड़े 1 फुट लंबे एक धातु के तार पर पड़ी।
“ये तार यहां पर क्यों पड़ा हुआ है? कहीं इसका उपयोग मूर्ति में तो कहीं नहीं होना है?” यह सोच कलिका ने उस धातु के तार को जमीन से उठा लिया और एक बार फिर मूर्तियों को ध्यान से देखने लगी।
तभी कलिका को मूर्ति के कान में तार के बराबर का बारीक छेद दिखाई दिया। कलिका ने उस तार को पहली मूर्ति के कान में डालना शुरु कर दिया।
वह तार थोड़ी ही देर में उस मूर्ति के दूसरे कान से बाहर आ गया।
यह देख कलिका के चेहरे पर मुस्कान बिखर गयी। अब उसने वही तार दूसरी मूर्ति के कान में डाल दिया, इस बार तार दूसरी मूर्ति के मुंह से बाहर आ गया।
कलिका ने इस बार वह तार तीसरी मूर्ति के कान में डाला, इस बार वह तार किसी भी जगह से बाहर नहीं आया।
यह देख कलि का बोल उठी- “यक्षराज, मैंने पहली मूर्ति के कान में तार डाला तो वह दूसरे कान से बाहर आ गया। इसका मतलब यह राजकुमारी किसी की बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देती है। इसलिये यह राजकुमार के लिये उपयुक्त नहीं होगी।
दूसरी मूर्ति के कान में तार डालने पर उसके मुंह से बाहर आ गया। इसका मतलब यह राजकुमारी किसी भी बात को पचा नहीं पाती। ऐसी राजकुमारी अपने घर के भेद को भी दूसरों को बता सकती है।
तीसरी मूर्ति के कान में तार डालने पर तार कहीं से भी बाहर नहीं आया। इसका मतलब यह राजकुमारी किसी भी बात को ध्यान से सुनती है और उसे अपने अंदर आत्मसात कर लेती है। इसलिये तीसरी राजकुमारी ही राजकुमार के लिये उचित चुनाव है।”
“अकल्पनीय! तुमने हर बार की भांति ही इस बार भी सही चुनाव किया है कलिका। यही राजकुमारी, उस राजकुमार के लिये सबसे उचित चुनाव है।” युवान ने कहा।
इसी के साथ वह राजकुमारी की मूर्ति जीवित हो गई, जिसे लेकर कलिका उस द्वार में प्रवेश कर गई।
राजकुमारी को उस राजकुमार से मिलाने के बाद कलिका पांचवे और आखिरी द्वार की ओर बढ़ गयी।
पर कलिका जैसे ही बाहर निकली। इस बार वह आश्चर्य से भर उठी।
इस समय वह एक ऐसे बड़े से मैदान में खड़ी थी, जहां पर 4 ऊंची-ऊंची मूर्तियां लगी थीं। हर मूर्ति के नीचे एक बड़ा सा मटका रखा था। वह मूर्तियां अग्निदेव, सूर्यदेव, चंद्रदेव एवं व्यास ऋषि की थीं।
तभी एक बार फिर युवान की आवाज वातावरण में गूंजी- “यह तुम्हारा पांचवां और आखिरी यक्षद्वार है। अगर तुम यहां सफल हो गयी तो तुम्हें प्रकाश शक्ति मिल जायेगी।
"इस द्वार में तुम्हें इस चीज का चुनाव करना है कि यहां उपस्थित चारो व्यक्तियों में प्रकाश शक्ति किसके पास हो सकती है? तुम्हें जो उत्तर सही लगे, उसे तुम चुन सकती हो, परंतु ये याद रखना कि ये आखिरी द्वार है, अगर तुम यहां गलत हो गयी तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम कितने द्वार को पार किया है? तुम ऐसी स्थिति में भी अनुतीर्ण ही कहलाओगी और अपने प्राणों से हाथ धो बैठोगी।” यह कहकर युवान चुप हो गया।
एक बार फिर कलिका का कार्य शुरु हो चुका था। लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से इस बार कलिका ने अधिक समय नहीं लिया।
“यक्षराज, चंद्रदेव स्वयं सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित हैं, इसलिये उनके पास प्रकाश शक्ति नहीं हो सकती। अब अगर हम अग्निदेव की बात करें तो अग्नि भी बिना किसी सहारे के आगे नहीं बढ़ती है, इसलिये मुझे लगता है कि इनके पास भी प्रकाश शक्ति नहीं हो सकती।
"अब बचे 2 लोग-सूर्यदेव और महर्षि व्यास। सूर्यदेव स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित तो हैं, पर इनका प्रकाश हमें निरंतर प्राप्त नहीं होता है। इसलिये मुझे नहीं लगता कि सूर्यदेव के पास भी प्रकाश शक्ति हो सकती है।
अब बचे सिर्फ महर्षि व्यास। तो अगर हम ध्यान दें तो महर्षि व्यास ने वेदों की रचना की है और वेद ही सम्पूर्ण ज्ञान का स्रोत है। यानि ज्ञान के प्रकाश से बढ़कर कुछ हो ही नहीं सकता। ये दिन में, रात में, सुख में, दुख में, आशा में, निराशा में हर पल हमें अपने ऊर्जान्वित करता है। अगर दूसरे प्रकार से देखें, तो वेदों
में इन सभी देवताओं का वर्णन किया गया है। यानि वेदों के द्वारा इन सभी देवताओं को भी ऊर्जा मिली है। इसलिये मुझे लगता है कि प्रकाश शक्ति केवल महर्षि वेद व्यास के पास ही होगी।”
“बिल्कुल सही कहा कलिका, वेदों के प्रकाश से बढ़कर इस ब्रह्मांड में और कोई प्रकाश नहीं है। आगे बढ़कर महर्षि वेद व्यास के सामने रखी मटकी का चयन करो और प्रकाश शक्ति की स्वामिनी बन जाओ।” युवान ने हर्षित स्वर में कहा।
कलिका ने आगे बढ़कर महर्षि वेद व्यास के सामने रखी मटकी में हाथ डाला। अंदर उसके हाथ का स्पर्श किसी चीज से हुआ। कलिका ने वह चीज मटके से निकाल ली।
वह सुप्रसिद्ध पुस्तक ऋग्वेद थी।
कलिका ने उस पुस्तक का प्रथम पृष्ठ खोला, पुस्तक को खोलते ही, उसमें से एक बहुत तीव्र प्रकाश की किरणें निकलीं और कलिका के शरीर में समा गयीं।
इतनी तेज रोशनी के कारण कलिका की आँखें बंद हो गयीं। जब उसने अपनी आँखें खोलीं तो वह यक्षलोक के मुख्य द्वार के पास खड़ी थी।
तभी एक बार पुनः युवान की आवाज उभरी- “प्रकाश शक्ति प्राप्त करने के लिये तुम्हें हार्दिक शुभकामनाएं कलिका। इस प्रकाश शक्ति ने भी तुम्हें चुनकर सर्वश्रेष्ठ का ही चुनाव किया है। वैसे मैं इस यक्षावली के समय अंतराल में तुम्हारे चरित्र और तुम्हारे तर्कों से अति प्रसन्न हुआ, इसलिये जाने से पहले तुम मुझसे कोई एक वरदान मांग सकती हो।”
“यक्षराज मैं आपसे स्वयं के लिये नहीं वरन् अपनी पुत्री के लिये कोई ऐसी शक्ति मांगना चाहती हूं, जो उसके पूर्ण जीवनकाल में उसकी सुरक्षा करे।” कलिका ने हाथ जोड़कर कहा।
“बालकों को शक्ति देना, उन्हें उनके मार्ग से भ्रमित करना होता है कलिका। इसलिये मैं तुम्हारी पुत्री को हिमशक्ति दे तो रहा हूं, लेकिन इसका प्रयोग वह 20 वर्ष की आयु के बाद ही कर पायेगी। अब जाओ
कलिका इन वेदों की शक्ति से दुनिया को प्रकाशित करो।”
कलिका ने यक्षराज को हाथ जोड़कर अभिवादन किया और योग गुफा की ओर चल दी।
खून की बारिश: (13 जनवरी 2002, रविवार, 12:40, मायावन, अराका द्वीप)
आर्क वाले द्वार को पार करने के बाद सभी आगे बढ़ते जा रहे थे।
दूसरी ओर का रास्ता भी पथरीला था और छोटे-छोटे पौधों से भरा था। कुछ दूर के बाद बर्फ से ढकी पहाड़ियां नजर आ रहीं थीं।
“पता नहीं किसने इस रहस्यमय जंगल का निर्माण किया है?” क्रिस्टी ने मुंह बनाते हुए कहा- “खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है और ऊपर से पूरे रास्ते भर क्या-क्या मुसीबतें डाल रखीं हैं?”
“मैं तो अगर यहां से बच कर निकल गयी तो अगले 20 वर्ष तक जंगल क्या किसी भी पार्क में भी नहीं जाऊंगी?” जेनिथ ने हंसते हुए कहा।
“मुझे तो ये जंगल बहुत अच्छा लग रहा है।” शैफाली ने भी जेनिथ और क्रिस्टी की बातों के बीच में घुसते हुए कहा- “मैंने तो अपने जीवन भर कुछ देखा ही नहीं था, फिर जब मुझे यहां इतनी प्राकृतिक चीजें नजर
आयीं, तो मैं बहुत खुश हो गयी।”
तभी आगे बढ़ते हुए सभी को जमीन में दीमक की बांबियां बनी दिखाई दीं।
“ये लो...अब पता नहीं कौन सी मुसीबत आने वाली है?” सुयश ने कहा- “जब भी कोई नया क्षेत्र शुरु होता है, तो कोई ना कोई मुसीबत जरुर आती है। पता नहीं इन बांबियों से दीमक निकलकर हमारा क्या करेंगे?”
“कैप्टेन हम तो इन 4 बांबियों को ही देखकर डर गये। जरा नजर उठा कर आगे तो देखिये, यहां कुछ दूरी के क्षेत्र में ऐसी हजारों बांबियां हैं।” क्रिस्टी ने आगे के रास्ते पर नजर मारते हुए कहा।
बंबियों के आगे बहुत दूर तक मशरुम के पेड़ भी नजर आ रहे थे। मशरुम आकार में काफी बड़े और चमकदार दिख रहे थे। दूर से देखने पर वह किसी छतरी की भांति नजर आ रहे थे। मशरुम को देख सभी आगे बढकर उन्हें देखने लगे।
“यह मशरुम कुछ जरुरत से ज्यादा बड़े और चमकदार नहीं लग रहे हैं?” जेनिथ ने कहा।
“यह ‘मून लाइट मशरुम’हैं।” सुयश ने उन मशरुम के पेड़ को देखते हुए कहा- “यह जापान में पाये जाते हैं। रात के समय यह बहुत तेज रोशनी बिखेरते हैं और यह अत्यंत जहरीले होते हैं, इसलिये इन्हें खाया
नहीं जाता।”
“सच में यह जंगल बहुत ही विचित्र है।” तौफीक ने कहा- “कुछ किलोमीटर की ही दूरी पर यहां मौसम एकदम बदल जाता है और यहां पाये जाने वाले पौधे और जीव तो शायद ब्रह्मांड के कोने-कोने से लाकर यहां रखे गये हैं। सब अपने आप में बहुत ही अनोखे और रहस्यमय हैं।”
तभी दीमक वाली बांबियों से लाल रंग की बड़ी-बड़ी चींटियां निकलना शुरु हो गयीं।
“अरे बाप रे, यह तो ‘रेड आंट’हैं, ये तो अफ्रीका के जंगलों में पायी जाती हैं, यह इतनी खतरनाक होती हैं कि अजगर और शेर जैसे जानवर को भी पल भर में खत्म कर देती हैं। सबसे बड़ी मुसीबत इनका संगठित
होना है। यह एक जगह पर लाखों की संख्या में रहती हैं। हमें इनसे अपना बचाव करना पड़ेगा।”
तभी लाल चींटियों ने सबको चारो ओर से घेरना शुरु कर दिया।
“कैप्टेन ... इनसे कैसे बचा जा सकता है?” तौफीक ने पूछा।
“इनसे सिर्फ आग से ही बचा जा सकता है, पर वह हमारे पास यहां पर है नहीं।” शैफाली ने कहा।
तब तक लाल चींटियों ने सभी को चारो ओर से घेर लिया। अब वह किसी सैनिक की तरह उन पर हमला करने के लिये आगे बढ़ने लगी।
वह चींटियां लगातार बांबियों से निकलती ही जा रहीं थीं।
तभी कुछ चींटियों ने जेनिथ के ऊपर हमला कर दिया। जेनिथ चींटियों से बचने के लिये जैसे ही पीछे की ओर बढ़ी, तभी जेनिथ का पैर एक मशरुम के पेड़ से टकराया और जेनिथ जमीन पर गिर पड़ी।
जेनिथ के गिरते ही चींटियां जेनिथ पर झपटीं, तभी जेनिथ ने अपने बचाव में टूटा हुआ मशरुम का टुकड़ा आगे कर दिया।
मशरुम से निकलती रोशनी और खुशबू शायद चींटियों को पसंद नहीं थी। वह उस मशरुम के पेड़ से दूर हटने लगीं।
यह देख जेनिथ ने वह मशरुम का टुकड़ा चींटियों की ओर उछाल दिया। मशरुम का टुकड़ा जिस जगह पर गिरा, चींटियां उस जगह से दूर हट गईं।
यह देखकर जेनिथ ने चीख कर कहा- “कैप्टेन, आप सब लोग अपने हाथों में मशरुम ले लीजिये। ये सारी चींटियां मशरुम से डर रहीं हैं।”
जेनिथ की बात सुन सभी ने मशरुम को तोड़कर अपने हाथों में ले लिया और उसे अपने शरीर से आगे कर चींटियों को पीछे की ओर धकेलने लगे।
जेनिथ की तरकीब काम कर गयी। मशरुम के डर से सारी की सारी चींटियां अपने बिलों में वापस चलीं गईं।
“बाल-बाल बचे।” सुयश ने सभी को देखते हुए कहा- “अगर जेनिथ को समय रहते यह तरकीब ना पता चलती, तो अब तक चींटियों ने हमें चट कर जाना था।”
“कैप्टेन अगर सही कहें तो यह पहली ऐसी मुसीबत थी जो इतनी आसानी से समाप्त हो गई।” क्रिस्टी ने कहा।
पर वह मुसीबत ही क्या, जो इतनी आसानी से खत्म हो जाए।
चींटियों के अपनी बांबियों में घुसते ही उन बांबियों से गाढ़े लाल रंग का धुआं निकलना शुरु हो गया।
“लीजिये क्रिस्टी दीदी, आपके कहते ही मुसीबत शुरु हो गई।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “अब देखते हैं कि यह मुसीबत किस प्रकार की है?”
वह लाल धुंआ धीरे-धीरे पूरे वातावरण में फैलने लगा।
“मेरे हिसाब से हमें यहां रुक कर इस लाल धुंए को देखने की जरुरत नहीं है।” सुयश ने सभी को देखते हुए कहा- “है तो यह किसी प्रकार की मुसीबत ही? इसलिये हमें इस धुंए के फैलने के पहले ही इस स्थान को छोड़ उन बर्फीली पहाड़ियों की ओर जाना होगा।”
सुयश का विचार सभी को सही लगा, इसलिये वह सभी तेजी से सामने दिख रही बर्फीली पहाड़ियों की ओर भागने लगे।
ऐसा लग रहा था कि उन सुर्ख बादलों ने इन्हें भागते देख लिया हो, अब धुंआ और तेजी से वातावरण में फैलने लगा।
“एक बात और सभी लोग ध्यान रखना।” सुयश ने भागते हुए सभी से कहा- “हम सभी ने कुछ देर पहले विषैले मशरुम को छुआ था, तो जब तक हम अपना हाथ ठीक तरह से साफ ना कर लें, कोई भी इन हाथों से अपने मुंह और आँख को नहीं छुएगा।” सभी ने भागते हुए अपनी सहमति जताई।
तभी भागते हुए तौफीक ने पलटकर पीछे देखा, अब वह धुंआ इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसने अब बादलों के एक गुच्छे का रुप धारण कर लिया था।
अब बादल हवा के बहाव से उन्हीं की ओर आ रहे थे।
“कैप्टेन, सावधान!” तौफीक ने सुयश को चेतावनी देते हुए कहा- “अब वह धुंआ बादलों का रुप धारण करके तेजी से हमारी ओर आ रहा है।”
तौफीक की बात सुनकर सुयश ने भी एक बार पलटकर उन खून से सुर्ख बादलों को देखा और अपने दौड़ने की स्पीड बढ़ा दी।
तभी उन बादलों ने बरसना शुरु कर दिया। लाल रंग के बूंदों की वह बारिश बिल्कुल खून की बारिश जैसी प्रतीत हो रही थी।
तभी शैफाली की निगाह उससे कुछ दूर पर गिरी उन बूंदों पर गयी।
वह खूनी बूंदें जमीन पर जिस जगह गिर रहीं थीं, वहां मिट्टी में बुलबुले उठने के बाद एक छोटा सा गड्ढा हो जा रहा था।
यह देख शैफाली चीख उठी - “और तेज भागो, यह साधारण बारिश नहीं तेजाब की बारिश है, जिस पर भी इसकी बूंद गिरेगी, उसका शरीर गलने लगेगा।”
शैफाली के यह शब्द सुनते ही सभी के पैरों में जैसे पंख लग गये हों, सभी पूरी ताकत से बर्फीली पहाड़ियों की ओर भागने लगे।
बर्फीली पहाड़ियां अब ज्यादा दूर नहीं रह गयीं थीं, पर खूनी बादल तो अब उनके सिर पर आ गये थे।
तभी खूनी बारिश की कुछ बूंदें जेनिथ के ऊपर गिरीं। जेनिथ के शरीर की त्वचा उस जगह से झुलस गई।
यह देख जेनिथ ने मन में जोर से नक्षत्रा को समय को रोकने को कहा। नक्षत्रा ने तुरंत समय को रोक दिया। समय के रुकते ही सभी के साथ वह खूनी बूंदें भी हवा में ही रुक गईं।
“इस समस्या का हल तुम्हें तुरंत ढूंढना होगा दोस्त।” नक्षत्रा ने जेनिथ से कहा- “अगर तुमने ज्यादा समय यहां पर लगा दिया तो आगे किसी दूसरी मुसीबत से मैं तुम्हारी मदद नहीं कर पाऊंगा?”
जेनिथ की नजरें तेजी से अपने चारो ओर घूमने लगीं।
उसे किसी ऐसी चीज की तलाश थी, जो उन सभी को इस खूनी बारिश से बचा सके।
उधर नक्षत्रा तेजी से जेनिथ की जली हुई त्वचा को सही करने लगा। काफी देखने के बाद भी जेनिथ को आसपास कुछ नहीं दिखाई दिया।
तभी जेनिथ की नजर अपने आसपास गिरी बूंदों की ओर गईं।
बूंदे जिस जगह गिरीं थीं, उस जगह की हर चीज को उसने जला दिया था, सिवाय एक चीज के....और वह था मून लाइट मशरुम।
जेनिथ के एक सेकेण्ड तक मशरुम की संरचना को ध्यान से देखा और खुश होकर नक्षत्रा को समय को रिलीज करने के लिये बोल दिया।
जैसे ही नक्षत्रा ने समय को रिलीज किया, जेनिथ ने चीखकर सभी से कहा- “सभी लोग तुरंत मशरुम को छतरी की तरह इस्तेमाल करो, मशरुम पर इस खूनी बारिश का कोई असर नहीं हो रहा।
जेनिथ के इतना कहते ही सभी ने एक-एक मशरुम को तोड़कर छतरी की तरह प्रयोग करने लगे।
जेनिथ ने भी एक मशरुम तोड़कर अपने सिर पर लगा लिया। जेनिथ के घाव भी अब भर गये थे।
यहां तक कि किसी को पता भी नहीं चला कि जेनिथ के ऊपर खूनी बूंद गिरी भी थी।
खूनी बूंदें मशरुम पर गिर रहीं थीं, पर अब ये सभी लोग मशरुम के नीचे सुरक्षित थे।
“रुको नहीं... चलते रहो।”सुयश ने सभी को रुके देख चिल्ला कर कहा- “हम इस समय एक विचित्र तिलिस्म में हैं, अगर हम रुके तो ये बादल फिर अपना स्वरुप बदलकर हम पर किसी और रुप में हमला करने लगेंगे। इसलिये जितनी जल्दी हो सके, इस क्षेत्र से बाहर निकलो।”
सुयश के इतना कहते ही सभी फिर बर्फीली पहाड़ियों की ओर भागने लगे।
कुछ ही देर के प्रयास के बाद आखिरकार सभी बर्फीली पहाड़ियों के पास पहुंच ही गये।
खूनी बादलों ने भी अब इनका पीछा छोड़ दिया था।
भागते-भागते सभी इतना थक गये थे कि वहीं जमीन पर लेट गये।
सभी ने अपनी जान बच जाने पर एक बार फिर ईश्वर का धन्यवाद किया और टुकुर-टुकुर आँखों से उस बर्फीले क्षेत्र को देखने लगे, जहां पर
कोई नयी मुसीबत इनका इंतजार कर रही थी।
जारी रहेगा_______![]()
Humse ka bhool hui jo ye saja humko mili...Busy in life
2-4 din hi aaya hu xforum pe 2 mahino
Aage hona kya hai, wahi khatro se do do haathबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
कालिका ने अपनी सुझबुझ से सभी यक्षव्दारों को पार करके प्रकाश शक्ती को प्राप्त कर लिया साथ ही साथ अपनी बेटी के लिये हिम शक्ती
ये सुयश और टीम के लिये मुसीबत थमने का नाम ही नहीं ले रही एक के बाद एक मुसीबत सामने आ रही हैं जैसे तैसे अब सभी बर्फिली पहाडी पर पहुंच गये तो देखते हैं आगे क्या होता है
Kalaat yugaka aur vega ka baap hai dost, and aap sahi kah rahe hain ki shefali and suyash to apni, aur jenith nakshatra ki power se bach sakte hain, per Cristy and Taufiq kaise bachemajedar update..shefali ko shak ho gaya aur usne suyash ko ye baat bata di jenith ki ,suyash ka kehna bhi sahi hai ki agar sawal pucchte rahe to unme ekta nahi rahegi ..
kalat udyan to chamatkari nikla ,suyash aur shefali to apni power ki wajah se bach gaye par christi ke paas koi power nahi thi ,sahi waqt pe uski madad ki jenith ne aur barf dragon ko harane me bhi uska aham yogdan raha ..
aakhir jenith ne nakshatra ke baare me bata diya sabko par jyadatar jhooth hi .
nakshatra ne 10 me se 10 number diye jenith ko jhooth bolne ke liye..
ye kalat naam pehle bhi aa chuka hai kahani me shayad par yaad nahi![]()
Thanks bhainice update
Casper ko itne din baad Achanak shefali ki yaad aana, aur fir swet mahal jaana kuch to locha hai, udhar Vikram and varuni us mahal ko nakshatra lok ki dharohar bata rahe the, Casper ne unka waham bhi nikaal diya#123.
श्वेत महल: (8 दिन पहले.....05 जनवरी 2002, शनिवार, 14:10, निर्माणशाला, अराका द्वीप)
कैस्पर अराका द्वीप के गर्भ में स्थित अपनी निर्माणशाला के एक कमरे में बैठा हुआ था।
चारो ओर स्क्रीन ही स्क्रीन लगीं थीं, जिन पर मायावन के अलग-अलग जगहों के दृश्य दिख रहे थे।
पता नहीं क्यों आज कैस्पर को बहुत बेचैनी हो रही थी?
“अराका के निर्माण के बाद मैग्ना बिना बताए पता नहीं कहां गायब हो गयी ? लगभग 19000 वर्षों से मैग्ना का कोई अता-पता नहीं है। पता नहीं अब वह जीवित भी है या नहीं? माँ भी मैग्ना के बारे में कुछ नहीं बता रहीं हैं? पता नहीं क्यों आज मैग्ना की बहुत याद आ रही है? क्यों ना कुछ दिनों के लिये श्वेत महल चला जाऊं, वही एक ऐसी जगह है, जहां मैंने मैग्ना के साथ आखिरी बार वक्त बिताया था।
..... हां यही ठीक रहेगा ....पर.... पर ऐसे में अगर कोई मायावन को पार कर गया तो?.....नहीं...नहीं.... हजारों वर्षों में जब आज तक कोई मायावन को पार नहीं कर पाया तो इन कुछ दिनों में क्या पार कर पायेगा? और वैसे भी मेरा कृत्रिम
स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है...और...और मैं कुछ दिनों में तो लौट ही आऊंगा? हां यही ठीक रहेगा।”
यह सोचकर कैस्पर ने निर्माणशाला का पूर्ण अधिकार अपने कृत्रिम रोबोट के हाथों में थमाया और एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर निर्माणशाला के गुप्त द्वार से बाहर निकल गया।
कैप्सूल की स्पीड बिल्कुल गोली के समान थी।
लगभग 1 घंटे के तेज सफर के बाद कैस्पर को समुद्र के अंदर एक मूंगे की बहुत बड़ी दीवार दिखाई दी।
यह देख कैस्पर ने काँच की ट्यूब में लगा एक नीले रंग का बटन दबा दिया। बटन के दबाते ही काँच के कैप्सूल से निकलकर कुछ तरंगें मूंगे की दीवार की ओर बढ़ीं।
जैसे ही वह तरंगें मूंगे की दीवार से टकरायीं वह मूंगे की दीवार किसी दरवाजे की भांति एक ओर सरक गयी।
अब कैस्पर के सामने एक विशालकाय मत्स्यलोक था, जिसकी रचना माया ने ही की थी।
चूंकि कैस्पर हजारों वर्षों के बाद यहां आया था, इसलिये मत्स्यलोक की आधुनिकता देखकर वह स्वयं हैरान रह गया।
चारो ओर विशालकाय आधुनिक इमारतें और पानी के अंदर बिजली की तेजी से तैरते आधुनिक जलयान वहां की अतिविकसित सभ्यता की कहानी कह रहे थे।
यह देख कैस्पर ने अपनी काँच की ट्यूब में लगे एक और बटन को दबा दिया, जिससे कैस्पर का वह ट्यूबनुमा जलयान अदृश्य हो गया।
कैस्पर धीरे-धीरे चारो ओर देखता हुआ मत्स्यलोक को पार कर गया।
मत्स्यलोक के आगे पानी में एक विशाल पर्वत दिखाई दिया। जिसके चारो ओर विचित्र जलीय पौधे लगे हुए थे।
कैस्पर ने पर्वत के पास पहुंचकर पुनः एक बटन दबाया। बटन के दबाते ही पर्वत में एक जगह पर एक गुप्त रास्ता दिखाई देने लगा।
कैस्पर ने अपने जलयान को उस गुप्त रास्ते के अंदर कर लिया।
कैस्पर के अंदर प्रवेश करते ही गुप्त द्वार स्वतः बंद हो गया।
गुप्त द्वार के बंद होते ही उस खोखले पर्वत में चारो ओर रोशनी फैल गयी और इस रोशनी में चमक उठा, वहां मौजूद माया महल।
माया महल को देखते ही कैस्पर की आँखों के सामने मैग्ना का चेहरा नाच उठा।
हजारों वर्ष पहले मैग्ना के साथ अपनी माँ माया के लिये जल पर तैरने वाले इसी महल का निर्माण तो दोनों ने किया था, पर पोसाईडन
की इच्छा के अनुसार उन्हें यह महल समुद्र की लहरों से हटाना पड़ा।
पोसाईडन नहीं चाहता था कि समुद्र में उससे श्रेष्ठ महल किसी दूसरे के पास हो। इसलिये कैस्पर ने चुपके से इस महल को तोड़ने की जगह मत्स्यलोक के इस भाग में छिपा दिया था, जहां पर किसी की भी नजर उस महल पर ना पड़े और मैग्ना के लिये बादलों पर एक दूसरे श्वेत महल का निर्माण किया था।
पूरा माया महल एक अदृश्य ऊर्जा के ग्लोब में बंद था, जिससे समुद्र का पानी महल के अंदर नहीं आ रहा था।
कैस्पर अपने जलयान से उतरा और माया महल में प्रवेश कर गया।
हजारों वर्षों के बाद भी महल में कोई भी बदलाव नहीं आया था। सब कुछ पहले की ही तरह था, बस पूरे महल में कोई भी इंसान नहीं था।
कैस्पर महल के कई कमरों से होता हुआ, एक ऐसे कमरे में पहुंचा जहां एक 10 फुट का समुद्री घोड़ा खड़ा था। वह घोड़ा जीवित होकर भी किसी स्टेचू की तरह खड़ा था।
“चलो ‘जीको’ आज हजारों साल बाद मैं तुम्हें बाहर की सैर करा लाता हूं।” यह कहकर कैस्पर उस घोड़े पर सवार हो गया।
कैस्पर के सवार होते ही वह समुद्री घोड़ा बिजली की तेजी से पर्वत से बाहर निकल गया और समुद्र की सतह की ओर चल दिया।
कुछ ही देर में जीको समुद्री की सतह पर पहुंच गया।
समुद्र की सतह पर पहुंचते ही जीको एक सफेद रंग के उड़ने वाले घोड़े में परिवर्तित हो गया और कैस्पर को लेकर आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ चला।
आसमान में ऊंचाई पर हवा काफी तेज थी। चारो ओर सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओं में घूम रहे थे।
काफी देर तक उड़ते रहने के बाद जीको कैस्पर को लेकर श्वेत महल के पास पहुंच गया।
पर श्वेत महल का नजारा देख कैस्पर हैरान रह गया। श्वेत महल के बाहर कई आसमान में उड़ने वाले काँच के पारदर्शी यान खड़े थे।
उस यान से उतरकर कई बच्चे खड़े उस श्वेत महल को निहार रहे थे।
उन बच्चों के पास एक स्त्री और पुरुष भी खड़े थे, जो कि किसी गाइड की तरह से बच्चों को उस श्वेत महल के बारे में बता रहे थे।
“यह मेरा महल टूरिस्ट प्लेस कब से बन गया?” कैस्पर ने आश्चर्य से उस भीड़ को देखते हुए सोचा- “और सबसे बड़ी बात कि पृथ्वी वासियों के पास इतने आधुनिक यान कैसे आ गये?
कैस्पर ने जीको को वहीं बादलों में भीड़ से कुछ दूरी पर रोक दिया और स्वयं चलता हुआ उस गाइड सरीखे स्त्री -पुरुष की ओर बढ़ा।
“हैलो... मेरा नाम कैस्पर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप लोग कौन हैं? और यहां मेरे महल के बाहर क्या कर रहे हैं?” कैस्पर ने पुरुष की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।
वह स्त्री-पुरुष कैस्पर को देखकर आश्चर्य से भर उठे।
पुरुष ने बच्चों को पीछे करते हुए कहा- “तुम्हारा महल?....ये तुम्हारा महल कब से बन गया?...यह तो नक्षत्रलोक की संस्कृति का हिस्सा है। और तुम हो कौन? और आसमान में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचे?”
“यही सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिये....और यह नक्षत्रलोक क्या है? और तुम लोगों ने मेरे महल पर कब्जा कब किया?” कैस्पर के शब्दों में अब गंभीरता आ गयी।
“एक मिनट रुकिये।” स्त्री ने बीच में आते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे साथी का नाम विक्रम है। मुझे लगता है कि अगर आप सही व्यक्ति हैं, तो शायद हम दुश्मन नहीं हैं। हमें कहीं बैठकर आपस में
बात करना चाहिये?”
कैस्पर को वारुणी की बात सही लगी इसलिये उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा- “ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, चलो इस महल में ही बैठकर बात करते हैं।”
“पर हम इस महल में प्रवेश नहीं कर सकते... इसके आसपास अदृश्य किरणों का घेरा है।” विक्रम ने कहा- “हम इस अदृश्य घेरे को पार नहीं कर सकते।”
“यह महल तो तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है तो तुम इसमें प्रवेश क्यों नहीं कर सकते?” कैस्पर ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अच्छा अब सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लीजिये और आप में से कोई एक मेरा हाथ पकड़ ले... मैं आप लोगों को महल के अंदर लेकर चलता हूं।”
यह सुन वारुणि कैस्पर का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ी। तभी विक्रम हंसते हुए बीच में आ गया- “अरे-अरे...तुम कहां उसका हाथ पकड़ने चल दी। तुम मेरा हाथ पकड़ो..कैस्पर का हाथ मैं पकड़ लेता हूं।”
विक्रम और वारुणी की शैतानी भरी हरकत देख कैस्पर को एक बार फिर मैग्ना की याद आ गयी।
मगर तुरंत ही कैस्पर ने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और विक्रम का हाथ पकड़, उन सभी को अदृश्य दीवार के पार लेकर, महल के अंदर की ओर बढ़ गया।
चैपटर-7
मैग्ना शक्ति: (13 जनवरी 2002, रविवार, 14:25, मायावन, अराका द्वीप)
खूनी बारिश को पार करने के बाद सभी बर्फीली घाटी के पास पहुंच गये थे।
जहां तक मशरुम के पेड़ उगे थे, वहां तक पथरीली जमीन थी। उसके आगे से बर्फ की घाटी शुरु हो गयी थी।
एक ऐसी भी जगह थी जो पथरीली जमीन और बर्फ की घाटी को 2 बराबर भागों में बांट रही थी।
“बहुत ही विचित्र धरती है यहां की। लगता है कि जैसे हम किसी फिल्म स्टूडियो में घूम रहे हों, जहां हर थोड़ी दूर पर एक कृत्रिम वातावरण बनाया गया हो।” जेनिथ ने बर्फ की घाटियों की ओर देखते हुए कहा।
“सही कह रही हो जेनिथ दीदी, यहां पर हर चीज कृत्रिम लग रही है।” शैफाली ने कहा- “और हर वातावरण में एक मुसीबत होती है, जो हमें मारने की कोशिश करती है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई नहीं
चाहता कि हम इस द्वीप में आगे बढ़ें?”
“नहीं शैफाली।” क्रिस्टी ने शैफाली को टोकते हुए कहा- “जिसने इस द्वीप की रचना की, वह अवश्य ही बहुत सी विचित्र शक्तियों का मालिक होगा, अगर वह हमें आगे बढ़ने नहीं देना चाहता तो हर मुसीबत का कोई समाधान नहीं रखता, मुझे तो ऐसा लग रहा है कोई हमारी शक्तियों का आकलन कर रहा है और आगे इन सबसे भी ज्यादा बड़ी मुसीबतें हमें मिलने वाली हैं।”
सभी धीरे-धीरे चलते हुए बर्फ की घाटी में प्रवेश कर गये।
“तुम ऐसा किस आधार पर कह रही हो क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी की बातें सुन उससे सवाल किया।
“कैप्टेन, अगर आप इस द्वीप की शुरु से सारी घटनाओं को क्रमबद्ध करेंगे, तो पूरी घटनाएं आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेंगी।”
क्रिस्टी ने अपने तर्कों के द्वारा समझाना शुरु कर दिया-
“जिस प्रकार वीडियो गेम में हर स्टेज को पार करने के बाद अगली स्टेज और कठिन हो जाती है, ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी इस द्वीप पर ऐसा ही हो रहा है। जैसे पहले जब हम इस द्वीप पर आये तो एक जादुई वृक्ष से मिले, जो हमें फल नहीं दे रहा था, फिर जेनिथ का बर्फ में फंस जाना और वह मगरमच्छ
मानव दिखाई दिया, फिर ड्रेजलर पर अजगर का आक्रमण, फिर नयनतारा पेड़ से शैफाली की आँखें आना, फिर शलाका मंदिर का मिलना। यहां तक कि किसी भी घटना में हमें किसी भयानक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा। इसका मतलब वह इस जंगल की पहली स्टेज रही होगी।
इसके बाद लगातार, ब्रूनो, असलम, ऐलेक्स, जॉनी और ब्रैंडन को हमें खोना पड़ा। शायद वह इस जंगल की दूसरी स्टेज रही होगी। पर अगर पिछली कुछ घटनाओं पर हम निगाह डालें तो वहां पर हमें बहुत बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे आग की मुसीबत, फिर एक के बाद एक लगातार 2 विशाल जानवर स्पाइनोसोरस और टेरासोर का सामना करना पड़ा।
फिर सैंडमैन का हमला, फिर अत्यन्त मुश्किल मैग्नार्क द्वार.....तो अगर हम इन सारी घटनाओं को देखें तो हम पर आ रही मुसीबतें खतरनाक और खतरनाक होती जा रहीं हैं। मैं इन्हीं कैलकुलेशन के आधार पर कह रही हूं कि आगे कोई और बड़ी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।”
क्रिस्टी के तर्क काफी सटीक से लग रहे थे।
लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, तभी एक पास के बर्फ के पहाड़ से कोई काले रंग की चीज बर्फ पर फिसलकर उधर आती हुई दिखाई दी।
उसे देखकर तौफीक ने सबका ध्यान उस तरफ कराते हुए कहा- “लो आ रही है कोई नयी मुसीबत? दोस्तों तैयार हो जाओ, उसका सामना करने के लिये।”
तौफीक की बात सुन सभी का ध्यान अब उस बर्फ पर फिसल रही काली चीज पर था।
सभी पूरी तरह से सतर्क नजर आने लगे। कुछ ही देर में वह काली चीज इन सभी के सामने आकर खड़ी हो गयी।
वह एक काले रंग का 10 इंच ऊंचा एक पेंग्विन था, जो अब टुकुर-टुकुर उन्हें निहार रहा था।
“दोस्तों ये ‘लिटिल ब्लू पेंग्विन’ है, ये संसार का सबसे छोटा पेंग्विन होता है।” सुयश ने पेंग्विन को देखते हुए कहा- “वैसे यह खतरनाक नहीं होता, पर इस द्वीप का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये सभी लोग सावधान रहना।”
अब वह छोटा पेंग्विन शैफाली को ध्यान से देखने लगा।
फिर वह पेंग्विन अपनी चोंच से बर्फ पर कुछ लकीरें सी खींचने लगा। सभी हैरानी से उस पेंग्विन की यह हरकत ध्यान से देख रहे थे। बर्फ पर लकीरें खींचने के बाद वह पेंग्विन उन लकीरों से दूर हट गया।
जैसे ही सभी की नजरें उन लकीरों पर पड़ी, सभी आश्चर्यचकित हो उठे, क्यों कि उस पेंग्विन ने बर्फ पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर से MAGNA लिखा था।
अब शैफाली गौर से उस पेंग्विन को देखने लगी।
शैफाली को अपनी ओर देखता पाकर वह पेंग्विन एक दिशा की ओर चल दिया।
“लगता है यह पेंग्विन शैफाली को कहीं ले जाना चाहता है, जहां पर मैग्ना का कोई रहस्य छिपा है।” जेनिथ ने पेंग्विन की हरकतों को ध्यान से देखने के बाद कहा।
जेनिथ की बात सुन शैफाली धीरे-धीरे उस पेंग्विन के पीछे चल दी।
पेंग्विन ठुमकता हुआ आगे-आगे चल रहा था, बीच-बीच में वह पलटकर देख लेता था कि शैफाली उसके पीछे आ रही है कि नहीं? बाकी के सारे लोग शैफाली के पीछे थे।
सभी के दिल में उत्सुकता थी कि आखिर यह पेंग्विन उन्हें ले कहां जाना चाहता है?
पेंग्विन कुछ आगे जाकर एक बर्फ के गड्ढे के पास रुक गया। उसने एक बार फिर पलटकर शैफाली को देखा और उस गड्ढे में कूद गया।
शैफाली ने उस गड्ढे के पास पहुंचकर उसमें झांककर देखा, पर नीचे अंधेरा होने के कारण उसे कुछ नजर नहीं आया।
तभी शैफाली के आसपास की बर्फ पर दरारें नजर आने लगीं।
यह देख सुयश ने चीखकर शैफाली को आगाह किया- “शैफाली तुरंत हटो वहां से..तुम एक जमी हुई झील के ऊपर हो, और वहां की बर्फ टूटने वाली है।”
लेकिन इससे पहले कि शैफाली अपना कुछ भी बचाव कर पाती या फिर वहां से हट पाती, शैफाली के पैरों के नीचे की बर्फ टूटकर झील में गिर गयी और उसी के साथ शैफाली भी झील में समा गई।
यह देख सभी के मुंह से चीख निकल गई।
सभी भाग कर उस बड़े बन चुके गड्ढे में झांकने लगे।
“शैफालीऽऽऽऽ...शैफालीऽऽऽऽऽऽ” सुयश ने जोर की आवाज लगा कर शैफाली को पुकारा।
उधर शैफाली को झील में गिरकर बिल्कुल भी ठंडा महसूस नहीं हो रहा था।
यहां तक कि उसे पानी में साँस लेने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।
पेंग्विन अब कहीं नजर नहीं आ रहा था।
तभी शैफाली को उस झील की तली में एक डॉल्फिन तैरती हुई
दिखाई दी।
“झील के पानी में डॉल्फिन कहां से आ गयी? जरुर इस झील में कोई ना कोई रहस्य छिपा है? मुझे इसका पता लगाना ही होगा।” शैफाली ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया ।
पर जैसे ही वह झील के अंदर डुबकी
लगा ने चली, उसे सुयश की महीन सी आवाज सुनाई दी, जो ऊपर से आ रही थी।
कुछ सोच वह झील की सतह पर आ गई।
शैफाली को सुरक्षित देख सभी की जान में जान आयी।
“कैप्टेन अंकल... आप लोग परेशान मत होइये, मैं झील के पानी में बिल्कुल सुरक्षित हूं, पर मुझे झील के अंदर कोई रहस्य छिपा हुआ लग रहा है, तो आप लोग मेरा थोड़ी देर तक इंतजार करें। मैं अभी झील का
रहस्य पता लगा कर आती हूं।” शैफाली ने कहा।
“पर शैफाली झील का पानी तो बहुत ठंडा होगा, तुम इतने ठंडे पानी में ज्यादा देर तक साँस नहीं ले पाओगी।” तौफीक ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।
“आप चिंता ना करें, मुझे पानी में साँस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही। बस आप लोग थोड़ी देर तक मेरा इंतजार करें।” इतना कहकर शैफाली ने झील के पानी में डुबकी लगायी और झील की तली की ओर
चल दी, जिधर उसने अभी डॉल्फिन को तैरते हुए देखा था।
थोड़ी ही देर में शैफाली को डॉल्फिन फिर से नजर आ गयी, जो कि तैर कर एक दिशा की ओर जा रही थी।
शैफाली ने उस डॉल्फिन का पीछा करना शुरु कर दिया।
झील की तली में पहाड़ी कंदराओं के समान बहुत सी गुफाएं बनी हुईं थीं।
जारी रहेगा______![]()