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Bht khub dst
Update thoda jldi diya kro bhai
Wonderful update mitra![]()
Achi kahani he
Superb
Bahut hi mst update diya h bhai aisehi likhte rho
Bahut hi awesomeLikhte ho Bhai
Gaon ka vivran aur sab kuch bahut hi awesome hai
Well-done![]()
बहुत ही शानदार राजा बाबू अपडेट
Bhut shandaar update.... maja aa raha kuch naya padh ke
बहुत ही शानदार जानदार और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
बहुत ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
बहुत ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
Bahut hi umda update he Arthur Morgan Bro,
Kahani ab aur bhi intersting hoti ja rahi he...........
Keep rocking Bro
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
New update ka wait
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Update ka intezar me guruji
इंतजार कर रहे हैं update ka
Kab ayga update
Suberb
Waiting for next update
अध्याय आठ पोस्ट कर दिया है पेज संख्या 7 पर पढ़ कर प्रतिक्रिया अवश्य दें बहुत धन्यवादUpdate ka intezar me guruji
Mast wala tha updateरजनी को कुछ समझ नहीं आया, मगर सरोज की बात मानते हुए वह बोली, “ठीक है जीजी, बुलाती हूँ।” रजनी दरवाजे तक गई और बिमला को आवाज़ दी।
कुछ ही देर में बिमला आई और अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया। उसने रजनी को मुस्कुराकर देखा। सरोज बोली, “आ गई बिमला, चल अब अपनी खास वाली सेवा कर दे। और रजनी, अगर सीखना चाहे तो उसे भी सिखा दे।
बिमला ने कहा, “हाँ मालकिन, बिल्कुल,” और अपनी साड़ी उतारने लगी।
अध्याय आठजल्दी ही बिमला की साड़ी जमीन पर थी, रजनी एक मेले में आए खेल देखने वाले बच्चे की तरह थी और अब क्या होगा ये सोच कर हैरानी से देख रही थी, बिमला अपनी साड़ी तक ही नहीं रुकी बल्कि उसने कुछ ऐसा किया जिससे रजनी हैरान रह गई, बिमला ने साड़ी के बाद ब्लाउज उतारा और फिर पेटीकोट और एक एक करके लगभग सारे कपड़े ही उसके ज़मीन पर थे और बिमला के बदन पर बस एक कच्छी थी और वो दोनों के बीच खड़ी थी।
रजनी की आँखें तो बिमला के नंगे बदन पर जमी हुईं थीं, बिमला खुद नंगी हुई और सरोज की ओर बढ़ी,
बिमला बिस्तर के पास पहुंची
सरोज: आ गई अब दिखा अपना कमाल रजनी को।
बिमला: जी मालकिन,
बिमला ने एक बार रजनी की ओर देखा मानो कह रही हो कि देख और सीख, उसने अपने हाथ बढ़ाए और सरोज की ब्रा को उसके सीने से खोल कर अलग फेंक दिया, सरोज की मोटी चूचियां नंगी सामने आ गईं, रजनी की तो आँखें और फैल गई उसका दिल जोरों से धड़कने लगा, वो सरोज की मोटी चूचियों की सुंदरता देख मन ही मन उनकी तारीफ करने लगी,
बिमला ने सरोज की नंगी चूचियों को एक दो बार मसला और फिर कटोरी से हथेली में तेल लिया और तेल भरे हाथों से सरोज की चूचियों से खेलने लगी और सरोज की आहें निकलने लगीं। बिमला सरोज की चूचियों को आटे की तरह कभी गूंथती तो कभी उन्हें पकड़ कर हिलाती।
और बिमला की हर हरकत पर सरोज आहें भर रही थी, रजनी का तो ये खेल देख बुरा हाल था वो अपनी उत्तेजना दबाए हुए बस देखे जा रही थी, उसकी टांगों के बीच की नमी उसे महसूस हो रही थी,
बिमला: आह जीजी तुम्हारी चूचियां कितनी मुलायम है मानों माखन की पोटलियां हों।
सरोज: आह ऐसे ही कर इन पर तेरे हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लगता है मुझे आह तुझे पता है इनसे कैसे खेलना है एक अलग आनंद देती है तू,
बिमला: आह हां मालकिन मुझे भी तुम्हारे गुब्बारों से खेलना बहुत पसंद है,
ये कह बिमला अपना मुंह एक चूची पर लगा कर उसे चूसने लगती है और सरोज की आंखें बंद हो जाती है सिर पीछे की ओर हो जाता है,
वहीं कोने में बैठी रजनी चुपचाप सब देख रही थी। पहले वो सरोज की मालिश करने आई थी, पर अब बस देखती जा रही थी—बिमला के हाथों की लय, सरोज की मचलती साँसें, और उनके बीच का अनकहा साज़।
सरोज की आँखें खुलीं और रजनी की ओर उठीं। “क्या हुआ रजनी, ऐसे क्या देख रही है?”
रजनी सकपकाई, “कुछ नहीं जीजी… बस… देख रही थी।”
सरोज ने हँसते हुए कहा, “देख न… सीखना भी है तुझे। बिमला अच्छा पढ़ा रही है आज। ऐसी मास्टरनी नहीं मिलेगी तुझे,
रजनी को अजीब लग रहा था कि नंगी होने के बाद भी दोनों कितनी आसानी से बात कर रही हैं न कोई झिझक न कोई शर्म।
बिमला ने एक शरारती मुस्कान के साथ सरोज चूची को मुंह से निकालते हुए कहा, “सीखने के लिए पहले मन खोलना पड़ता है… और देह भी।”
रजनी और बिमला की नज़र मिली इस बात पर फिर बिमला ने सरोज की चूची को मुंह में भर लिया पर उसकी बात रजनी के मन में घूमने लगी, उधर बिमला ने सरोज की चूची को मुंह से निकाला और फिर दोनों अपनी अपनी चूचियों को एक दूसरे में घिसते हुए बच्चियों की तरह खिलखिलाने लगी,
रजनी को ये देख लगा कि दोनों कितनी खुश लग रही हैं, क्या वो भी इतनी खुश हो सकती है कभी क्या उसके अंदर भी इतनी खुशी बाकी है रजनी ये सब सोच रही थी वहीं सरोज और बिमला एक दूसरे की चूचियों को आपस में मिला रही थी और जल्दी ही दोनों के होंठ भी मिल गए और एक दूसरे के होंठो को चूसने लगी, रजनी के लिए ये बहुत नया था वो पहली बार दो औरतों को एक दूसरे के चूमते हुए देख रही थी पर देखते हुए हर पल उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी।
सरोज और बिमला के होंठ अलग हुए बिमला ने सरोज को बिस्तर के सामने पड़े सोफा पर बैठा दिया और उसके होंठों को एक बार फिर से चूमा। दोनों की नजरें एक बार फिर से रजनी की ओर गईं जो खड़े खड़े दोनों के इस खेल को देख रही थी,
सरोज ने रजनी की प्यासी आंखों को देखा और बोली: देख रजनी मैं तुझसे कुछ भी ऐसा नहीं करवाऊंगी जो तू न करना चाहे, अब तेरे पास दो रास्ते हैं, या तो तू कमरे से चली जा और दूसरा कोई काम कर या आगे बढ़ और हमारे साथ शामिल हो, मर्ज़ी तेरी है।
बिमला: पर रजनी जीजी हमारी बात याद है न, मन और देह दोनो खोलना पड़ेगा।
बिमला ने ये कहा और फिर सरोज ने इतने में बिमला की चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगी, बिमला की सिसकी और खिलखिलाहट निकली।
रजनी के लिए दुविधा हो गई थी, उसका अंतर्मन उसे बता रहा था कि ये सब गलत है और उसे सही मौका मिला है यहां से जाने का और इस महापाप से बचने का, पर उसकी नजरें तो सरोज और बिमला से हट ही नहीं रही थी, उसके कदम इतने भारी हो गए थे कि हिल ही नहीं रहे थे बिमला और सरोज का तो उस पर ध्यान ही नहीं था, सरोज सोफे पर बैठी थी और बिमला सोफे पर ही उसके बगल में घुटनों पर खड़ी होकर अपनी चूचियों को चुसा रही थी। अचानक से सरोज को अपनी चूची पर गर्म एहसास हुआ और उसने बिमला के चूचे से मुंह हटा कर देखा तो उसके दूसरी तरफ रजनी आ चुकी थी, और सरोज की चूची को पकड़ कर चूसने लगी थी, ये देख बिमला के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।
वहीं सरोज के मुंह से आहें निकलने लगी, और वो बापिस बिमला की चूची को मुंह में भरने लगी। रजनी ने अपने मन और मस्तिष्क में से मन की बात सुनी थी और सरोज की चूचियों को चूस रही थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो सरोज की चूचियों से रस उसके मुंह में घुल रहा है। सरोज बिमला की चूचियों को चूस रही थी और बिमला आहें भर रही थी।
बिमला: आह मालकिन ओह ऐसे ही। आह रजनी जीजी तुम भी बहुत अच्छे से चूस रही हो मालकिन की मोटी चूचियां।
रजनी ने बिना मुंह हटाए ही बिमला की ओर देखा और आंखों ही आंखों में मुस्कुराई।।
बिमला: पर ये क्या रजनी जीजी मैने कहा था न देह और मन दोनों को नंगा करना पड़ेगा।
ये सुन रजनी ने अपना मुंह हटाया सरोज कि चूचियों से और ब्लाउज़ उतारने लगी कुछ ही देर में उसकी नंगी चूचियां सामने थीं।
वहीं बिमला भी उठी और अपनी कच्छी में उंगलियां फंसा कर नीचे सरका दी और पूरी नंगी हो गई, और फिर सरोज की टांगों के बीच आ गई सरोज की कच्छी को भी नीचे सरका दिया, रजनी खुद के कपड़े निकालते हुए सकुचा कर सरोज और बिमला को देख रही थी, अभी भी उसमें शर्म बाकी थी, उसने ब्रा उतार दी बस पेटीकोट उसके बदन पर था, और वो खड़ी खड़ी शर्मा रही थी,
सरोज और बिमला ने उसकी ओर देखा और उठ कर उसके पास गई और दोनों ओर से उसे घेर लिया,
सरोज: ये हुई न बात रजनी तूने बिल्कुल सही फैसला लिया है।
बिमला: पर जीजी अभी भी थोड़ी कमी है, ये कह कर बिमला ने रजनी का पेटीकोट उठा कर उसकी कमर पर इकठ्ठा कर दिया अब रजनी की चूत भी सबके सामने थी, जिस पर लगती हुई ठंडी हवा रजनी को महसूस हो रही थी,
बिमला और सरोज दोनों ने रजनी की एक एक चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं
दोनों के हाथ रजनी के नंगे चूतड़ों पर घूमने लगे, रजनी की आँखें बंद हो गई और उसके मुंह से आहें और सिसकियां निकलने लगीं।
रजनी: आह जीजी ओह बिमला आह अच्छा लग रहा है आह हम्मम।
रजनी को यकीन नहीं हो रहा था कि वो कभी औरतों के आमने इस अवस्था में होगी और उससे भी बड़ी बात उसे औरतों का साथ भा रहा था, उसने सोचा नहीं था कि औरतें भी एक दूसरे को इस प्रकार का सुख दे सकती हैं उसे तो यही लगता था कि संभोग से जुड़ी सब चीजें मर्द और औरत के बीच ही हो सकती हैं।
सरोज ने कुछ पल बाद उसकी चूची से मुंह हटाया और बोली: बिमला अब रजनी को अगला पाठ पढ़ा वैसे भी अब अपनी चूत की खुजली सही नहीं जा रही मुझसे।
रजनी को थोड़ी हैरानी हो रही थी सरोज के मुंह से खुले शब्द सुनकर फिर उसने कमरे का माहौल देखा तो खुद उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,
बिमला और सरोज उसके बगल से हट गई थीं बिमला नीचे बैठ गई सोफा के सहारे और सरोज ने सोफे पर चढ़ कर अपनी टांगें फैलाकर बिमला के मुंह पर रख दिया और बिमला बिना देरी किए अपनी जीभ चलाने लगी, और सरोज के मुंह से आहें निकलने लगीं,
रजनी खड़े खड़े ये सब देख हैरान थी एक औरत को दूसरे औरत की चूत चाटते देखना ये दृश्य वो पहली बार देख रही थी पर इस बार वो सिर्फ दर्शक नहीं बनना चाहती थी वो आगे बढ़ी और फिर से सरोज के बगल में जाकर उसकी चूची को मुंह में भर लिया, सरोज तो दोहरे मजे से आहें भरने लगी।
सरोज: आह ओह बिमला आह ऐसे ही जीभ चला अपनी ओह अह रजनी चूस ऐसे ही आह दिखा तेरे अंदर कितनी गर्मी है।
बिमला और रजनी मिलकर हवेली की मालकिन की सेवा कर रही थी और वो उस आनन्द से सिसक रही थी बदन मचल रहा था,
सरोज ये दोहरा मज़ा ज़्यादा देर तक नहीं सह पाई और उसका बदन थरथराते हुए झड़ने लगा, झड़ते हुए वो नीचे फिसलती हुई सोफे पर लेट गई और हांफने लगी।
सरोज: आह ओह अह बिमला, क्या जादू करती है ओह तू।
बिमला ने मुस्कुराते हुए अपने मुंह पर लगे रस को अपनी उंगलियों पर लिया और फिर उंगलियां भी चाटने लगी, रजनी बिमला के इस फूहड़पन को मुस्कुराते हुए देख रही थी, बिमला ने एक उंगली रजनी की ओर बढ़ाई मानो पूछ रही हो कि स्वाद लेना चाहोगी, और उसे और खुद को हैरान करते हुए रजनी ने उंगली को मुंह में लेकर चूस लिया उसे एक अलग सा स्वाद आया उंगली से पर वो बुरा नहीं लगा बल्कि उसे और उत्तेजित कर गया।
बिमला ने ये देखा तो वो जोश और उत्तेजना से भर गई और अगले ही पल उसने रजनी के होंठों से अपने होंठो को मिला दिया, रजनी इस अचानक हमले से हैरान हुई पर कुछ पल बाद वो भी ऐसे साथ देने लगी मानो हमेशा से ये करती आ रही हो, सरोज लेट कर मुस्कान के साथ दोनों को देख रही थी, और अपनी चुचियों से खेल रही थी,
बिमला और रजनी एक दूसरे को चूमते हुए सोफे पर लेट जाती हैं बिमला नीचे होती है और रजनी ऊपर दोनों की मोटी चूचियां आपस में दब जाती हैं दोनों एक दूसरे के होंठों को छोड़ नहीं रहीं, सरोज उनकी टांगों की ओर बैठती है और उसके सामने रजनी की चूत होती है, सरोज रजनी की चूत को हाथ बढ़ाकर सहलाने लगती है, सरोज की उंगलियों को अपनी चूत पर महसूस करते ही रजनी के बदन में सनसनी होती है उसका चेहरा ऊपर उठ जाता है आँखें बंद हो जाती है, सरोज एक उंगली उसकी चूत में घुसा देती है और रजनी की उत्तेजना और आनदं और बढ़ जाता है।
बिमला नीचे से रजनी की छाती और गर्दन को चूमने लगती है, रजनी को ऐसा आनंद कभी नहीं आया था, उसके साथ दो दो औरतें थीं जो उसने बदन के साथ खेलते हुए आनंद पहुंचा रहीं थी, वो वासना और आनदं में बह रही थी, रजनी उस आनदं में डूब कर हिलोरे मार रही थी उसका बदन हर हरकत पर सिहर रहा था और फिर कुछ देर के सुख के बाद एक तीव्र सी ऊर्जा उसके बदन से निकलने लगी, उसका बंद कांपने लगा और वो झड़ने लगी
कुछ देर यूं ही कमरे में शांति रही फिर रजनी के बदन में बापिस जान सी आई,
बिमला: अरे उठो रजनी जीजी ऊपर से तुम तो सोने लगी हमारे ऊपर,
बिमला ने हंसते हुए कहा, तो रजनी उसके होंठों को चूमकर उठ गई, रजनी उठी तो बिमला बोली: क्यों जीजी कैसा लगा?
रजनी ने शर्माकर पहले उसे देखा और फिर सरोज को और फिर बोली: ऐसा तो पहले कभी महसूस नहीं किया ऐसा भी मज़ा आ सकता है सोचा भी नहीं था।
बिमला: चलो तुमने मज़ा ले लिया अब मेरी रसभरी भी बहुत देर से राह देख रही है, ले लो स्वाद इसका भी।
बिमला ने अपनी टांगें खोलते हुए अपनी चूत को दिखाते हुए कहा,
रजनी ने बिमला की चूत को देखा फिर उसके चेहरे की ओर और बोली: पर करना कैसे है मैं नहीं जानती?
बिमला: अरे बस तुम शुरू करो सब अपने आप आ जाएगा।
रजनी ने बिमला के कहे अनुसार अपने चेहरे को आगे किया और बिमला की चूत के पास ले गई, एक अजीब और अलग सी गंध उसकी नाक में घुल गई, सकुचाते हुए रजनी ने जीभ निकाली आग बिमला की गीली चूत पर रखी तो बिमला की आह निकली और साथ ही रजनी के बदन में भी सिरहन हुई। एक अलग सा स्वाद उसकी जीभ पर आया वहीं बिमला चीख पड़ी, कुछ देर तक रजनी नई नई सीखी कला का अभ्यास बिमला पर करती रही बिमला कराहती रही सरोज पास बैठे ये सब देख रही थी।
कुछ देर बाद बिमला झड़ गई और रजनी ने उसके पैरों के बीच से मुंह निकाला तो उसका मुंह गीला था और उसके चेहरे पर बड़ी मुस्कान थी।
सरोज: बहुत अच्छे रजनी तू तो बहुत जल्दी सीख रही है, अब आ मुझे भी दिखा तूने क्या सीखा, रजनी तुरंत सरक कर सरोज के पैरों के बीच आ गई और अब एक आत्मविश्वास के साथ सरोज की चूत चाटने लगी, सरोज उसकी जीभ की कला के असर से आहें भरने लगी, रजनी को अपनी जीभ के बल पर सरोज को इस तरह आहें भरवाने और उसके बदन को नचाने में मज़ा आ रहा था,
कुछ पल बाद बिमला उठी और रजनी और सरोज के बगल में बैठ गई,
बिमला: अरे वाह जीजी बहुत अच्छे से चाट रही हो बहुत अच्छे से सीख गई तुम तो,
सरोज: आह सही कह रही है बिमला, आह क्या मस्त जीभ चला रही है ये, आह इसे तो सिखाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। आह पूरी तैयार है पहले से ही।
सरोज ने रजनी का सिर पकड़ कर अपनी चूत उसके मुंह पर घुमाते हुए कहा,
रजनी दोनों की बातों को बिना अपनी जीभ हटाए सुन रही थी और उत्तेजित हो रही थी।
पूरी तैयार हैं या नहीं अभी देख लूं मालकिन?
सरोज: आह हम्मम।
रजनी को समझ नहीं आया कैसे देखने की बात हो रही है, पर तभी उसे अपने सिर पर बिमला का हाथ महसूस हुआ जिसने उसके बालों को पकड़कर उसे सरोज को चूत से थोड़ा अलग किया, रजनी की नजरें अभी भी सरोज की चूत पर थीं, सरोज ने अपनी टांगों को थोड़ा और पीछे की ओर मोड़ लिया जिससे उसके चूतड़ और खुल गए, बिमला ने फिर रजनी के चेहरे को आगे धकेला और अब उसके मुंह को सरोज की गांड के छेद के करीब कर दिया, रजनी समझ गई ये ही थी वो तैयारी वाली बात, रजनी सरोज की गांड के भूरे कसे हुए छेद को देखने लगी, ये वो छेद है जिसे बदन का सबसे गंदा हिस्सा कहा जाता है, जिससे सब घिन खाते हैं पर सरोज की गांड का छेद ऐसा कुछ नहीं था,
बल्कि उसका छेद तो उसे सुंदर लग रहा था, चूतड़ों के बीच एक बंद गोल छोटी सी खिड़की जैसा, रजनी का चेहरा अपने आप आगे हो गया और उसने अपनी जीभ सरोज के छेद पर फिराई, तो सरोज का पूरा बदन कांप गया, और बिमला और सरोज दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई, वहीं सरोज की गांड चाटते ही रजनी को अपने अंदर कुछ बदलता हुआ सा अहसास हुआ उसे लगा अब सब कुछ बदल रहा है, वो अपने अंदर एक नई ताकत और आज़ादी महसूस करने लगी, बस वो फिर सरोज की गांड चाटने पर पूरी लगन से लग गई, जीभ से उसके छेद को कुरेदने लगी, और सरोज पागल होने लगी,
सरोज ने बिमला को इशारा किया तो बिमला सरोज के चेहरे पर आकर बैठ गई, सरोज उसकी चूत चाटने लगी, तीनों का ये खेल तब तक चला जब तक तीनों एक एक बार और स्खलित नहीं हो गईं। और तीनों थक कर कमरे में लेट गईं, रजनी जानती थी आज उसके अंदर कुछ बदला है, अब वो पहले वाली रजनी नहीं रह गई थी।
दूसरी ओर बाज़ार से निकल कर कर्मा ने मोटरसाइकिल सड़क के एक किनारे पर लगा दी और उस पर बैठ गया, सोनू भी उसके बगल में खड़ा हो गया,
सोनू: कर्मा भैया हम यहां क्यों रुके हैं? कोई काम है?
कर्मा: अरे काम तो नहीं हैं पर काम की चीज हैं,
कर्मा ने खेत की ओर इशारा करते हुए कहा तो सोनू ने उस ओर देखा,
खेत के किनारे तीन औरतें थीं शायद मजदूर थीं, तीनों में से एक सास और दो बहुएं थीं जो खेत में से बालियां बीन रहीं थीं।
तीनों ही मज़दूर थीं पर तीनों के ही बदन भरे हुए और कामुक थे साथ ही उनकी साड़ी ऐसी थी जो उनका पेट और बदन दिखा रही थी।
सोनू: इनका क्या करोगे भैया?
कर्मा: थोड़ी गर्मी शांत करूंगा, तुझे करना है क्या?
सोनू को जैसे ही बात समझ आई उसने तुरंत ना में सिर हिला दिया।
कर्मा: अरे आ तू न शर्माता बहुत है,
सोनू: नहीं भैया सही में मुझे कुछ नहीं करना,
सोनू ने घबराते हुए कहा,
कर्मा: ठीक है मत कर आ मेरे साथ तो चल।
सोनू उसके साथ साथ चल दिया सिर हिलाकर।
कर्मा और वो चलकर खेत के अंदर गए जहां वो तीनों औरतें काम कर रही थीं कर्मा ने एक को इशारा किया तो जो सबसे अधिक उम्र की थी वो आगे आई, कर्मा ने अपना पर्स जेब से निकाला और उसमें से एक नोट निकाल कर उस औरत को थमा दिया,
औरत: कौन चाहिए मालिक?
कर्मा: तू,
ये सुनकर औरत थोड़ी मुस्कुराई साथ ही उसके पीछे खड़ी बहुएं भी आपस में खुसुर पुसुर कर रही थी,
औरत: और ये बाबू,
कर्मा: इसे कुछ नहीं चाहिए,
सोनू ये सब ध्यान से और हैरानी से देख रहा था,
कर्मा उस औरत को लेकर आगे बढ़ा और सोनू उसके पीछे पीछे साथ ही उसकी दोनों बहुएं भी, खेत को पार करके वो लोग एक जगह पहुंचे जहां घास थी,
औरत: मालिक यहीं सही है,
कर्मा: हां ठीक है,
कर्मा ने अपने पैंट से पर्स निकाला और सोनू को पकड़ा दिया फिर पैंटी खोलने लगा।
औरत: ए तुम दोनों खेत में काम करो तब तक जाओ,
उसने अपनी बहुओं से कहा,
फिर सोनू से बोली: बाबू तुम भी बाहर इंतजार कर लो थोड़ा,
सोनू उसकी बात सुन कर मुड़ा ही था।
कर्मा: नहीं सब यहीं रुकेंगे, तेरी बहुएं भी और ये भी।
औरत ने कर्मा की ओर देखा और फिर अपनी नजरें नीची करके साड़ी खोलने लगी, और साड़ी उतार कर नीचे बिछा दी।
और उस पर खुद लेट गई अपने पेटिकोट को कमर तक उठाकर,
औरत: आ जाओ मालिक,
कर्मा: साली ऐसे नहीं पूरे कपड़े उतार,
औरत उठ कर बैठी एक बार कर्मा को देखा फिर उसकी आंखों मे देख और समझ गई कि उससे कुछ नहीं कह सकती थी, उसने ये सोचा और फिर अपने सारे कपड़े उतारने लगी, और पूरी नंगी हो गई अपनी बहुओं के सामने।
कर्मा ने भी अपने कपड़े उतारे और सोनू के हाथ में दे दिए। सोनू इन सब को हैरानी और बहुत ध्यान से दे रहा था, औरत के नंगे बदन को देख कर उसे भी उत्तेजना हो रहीं थी।
कर्मा पूरा नंगा हो कर आगे बढ़ा और औरत को घोड़ी बनाया, और फिर उसके पीछे जगह ली और फिर पीछे से अपना मोटा कड़क लंड उसकी चूत में घुसा दिया जिससे उस औरत की आह निकल गई। कर्मा औरत की कमर थाम उसे चोदने लगा।
औरत आह आह करके आहे भर रही थी और सोनू पहली बार चुदाई देख रहा था अपनी आंखों से उसका लंड पेंट में कड़क हो चुका था पर अभी वो झिझक और शर्म से कुछ नहीं कर पा रहा था सिवाय देखने के।
कर्मा ने औरत को काफी देर चोदा और फिर जब निकलने वाला था तो उस औरत के मुंह में लंड घुसा दिया और झड़ने लगा, औरत के पास और कोई चरा नहीं था सिवाय उसे गटकने के जिसे वो तुरंत गटक गई। कर्मा उठा अपना लंड उसके मुंह से निकाल कर सोनू से अपने कपड़े लेकर पहनने लगा। जल्दी ही दोनों मोटरसाइकिल के पास थे।
कर्मा: क्या हुआ इतनी देर से चुप क्यों है,
सोनू जैसे होश में आया उसके सामने तो बस वही दृश्य चल रहा था, जब कर्मा उस औरत को चोद रहा था,
सोनू: कुछ नहीं भैया.
कर्मा: अरे तू शर्माता बहुत है, इतनी झिझक रखेगा न तो कुछ नहीं मिल पाएगा,
सोनू: वो बात नहीं भैया बस होता है थोड़ा।
कर्मा: शर्म कर पर अपने फायदे के समय तो मत संकोच कर, अच्छा खासा मौका गंवा दिया चुदाई का,
सोनू: कोई बात नहीं भैया मौका तो मिल ही जाएगा।
सोनू ने थोड़ा हंसते हुए कहा,
कर्मा: मेरे साथ रहेगा तो बिल्कुल मिलेगा, पर तुझे मेरे सामने झिझकना छोड़ना होगा, अब तो तूने मुझे नंगा भी देख लिया है।
इस पर दोनों हंस पड़े,
सोनू: नहीं बिल्कुल नहीं झिझकूंगा अब तो, अच्छा एक बात पूछूं भैया?
कर्मा: हां पूछ ना,
सोनू: दो दो जवान बहुओं के होते हुए तुमने सास को ही क्यों चुना,
कर्मा: हां ये पूछा है तूने काम का सवाल, देख इसका जवाब है कि मुझे बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं, पता है क्यों?
सोनू: क्यों?
कर्मा: देख एक तो उनका बदन भरा होता है, हम लड़कों को क्या चाहिए सब कुछ बड़ा बड़ा, तो औरतों की चूचियों से लेकर गांड तक सब कुछ बड़ा बड़ा होता है।
सोनू बात को समझते हुए: हां ये तो सही बात है भाई।
कर्मा: दूसरी वजह कि वो कच्ची कलियों की तरह रोती नहीं, झटके तेज हो या लंबे सब सह जाती हैं ऊपर से कुछ न कुछ सिखा ही देती हैं, शर्माती नहीं हैं इतना,
सोनू: सही में, भैया तुमने तो पूरा पाठ सोच रखा है इस पर तो,
कर्मा: अब लौड़े को सुखी रखना है तो सोचना ही पड़ता है, यार सही में कुछ तो अलग होता है बड़ी उम्र की औरतों में भरा बदन साड़ी में से झांकता पेट, कमर में पड़ी सिलवटें ये देख मेरा तो लंड तन जाता है।
सोनू: हां सही कह रहे हो भैया,
कर्मा: अपने गांव में ही एक से एक मस्त ऐसी औरतें हैं, जिन्हें देख मेरा कड़क हो जाता है।
सोनू: अच्छा सच में कौन कौन?
कर्मा: नहीं रहने दे तू बुरा मान जाएगा।
सोनू सोचने लगा कि ऐसी कौन हैं कहीं ये मां के बारे में तो नहीं बोल रहा? ये सोच कर सोनू को जिज्ञासा होने लगी।
सोनू: अरे नहीं मानूंगा भैया बताओ ना।
कर्मा: पक्का? देख ले फिर बाद में मुंह मत बनाना।
सोनू: हां पक्का बताओ तो सही।
कर्मा: तेरे यार कम्मू की मां और ताई, हाय क्या मस्त गदराए बदन वाली हैं दोनों, कई बार हिलाया है दोनों को सोच कर।
सोनू: अपने दोस्त के परिवार के बारे में सोच कर चुप हो गया।
कर्मा: क्या हुआ तूने बोला था बुरा नहीं मानेगा, वैसे भी देख सोच पर किसका वश है, अब वो सोच में आती हैं तो क्या करूं।
सोनू: हा ये भी सोच में तो कुछ भी हो सकता है।
कर्मा: वही तो यार वैसे तो मन्नू की मां भी कम नहीं है उसका बदन भी खूब भरा है।
सोनू: हां भैया,
सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या बोले अब।
कर्मा: तुझे पसंद नहीं भरे बदन की औरतें?
सोनू: हां पसंद हैं पर ।
कर्मा: तो कभी इन तीनों का नहीं सोचा?
सोनू: नहीं भैया ये दोस्त की मां हैं तीनों इनके बारे में गंदा नहीं सोच सकता।
कर्मा: अच्छा दोस्त है तू पर क्या तेरे दोस्त तेरे घर की औरतों के बारे में नहीं सोचते होंगे इसका विश्वास है तुझे।
ये सुनकर सोनू सोच में पड़ गया फिर कुछ सोच कर बोला: नहीं भैया मेरे दोस्त ऐसे नहीं हैं, वो लोग अच्छे हैं।
कर्मा: चल ये तो और बढ़िया है। चल अब चलते हैं।
कर्मा मोटरसाइकिल शुरू करता है और गांव की ओर चल देते हैं,
गांव आकर कर्मा ने सोनू को उसके घर के सामने उतार दिया और बोला: आज अब तेरी छुट्टी,
सोनू ने भी सिर हिलाया तो कर्मा आगे बढ़ गया और सोनू घर की ओर मुड़ गया, कर्मा थोड़ा आगे बढ़ा तो उसकी मोटरसाइकिल धीमी हुई, बिंदिया अपने घर की दहलीज पर खड़ी थी, कर्मा उसे देखने लगा, बिंदिया की नज़रें भी कर्मा से मिलीं, और कर्मा को अपनी ओर देखता पा कर बिंदिया सकुचाई पर उसने अपनी नजरें फेर ली पर कर्मा ने नहीं हटाई, बिंदिया बार बार नज़र हटा कर देखती तो कर्मा को अपनी ओर देखता पाती, साथ ही उसके चेहरे पर वो मुस्कान थी, ये सिलसिला जब तक कर्मा गली से बाहर नहीं निकल गया तब तक चलता रहा, बिंदिया के दिल की धड़कन बढ़ गई, कर्मा स्वभाव का जैसा भी था पर देखने में सुंदर था ऊपर से उसका रुतबा हवेली का लड़का होने से और था तो गांव की लड़कियां उससे प्रभावित तो रहती थीं पर शर्म की वजह से खुद को रोकती थीं। बिंदिया को भी कर्मा देखने में भाता था पर घरवालों से उसने हमेशा से ये ही सुना था कि हवेली वालों से जितना दूर रहो उतना ही अच्छा है। वैसे भी आज उसे देखने वाले आ रहे थे तो उसके लिए तो कुछ भी सोचना व्यर्थ ही था ये सोच वो अंदर चली गई।
सोनू के घर में कुछ दिनों से शांति थी, उसका बाप उस दिन से घर नहीं लौटा था, उसकी बड़ी बहन नेहा घर संभाल रही थी वहीं नीलेश के कहने से उसके बड़े भाई की नौकरी भी लग गई थी पास के ही गांव में, सोनू घर पहुंचा तो घर पर उसकी दोनों बहने ही थीं,
नेहा: अरे आज इतनी जल्दी कैसे आ गया तू?
सोनू: दीदी वो कर्मा छोड़ गया आज काम कम था।
मनीषा: क्या वो कर्मा, सोनू तू उससे दूर ही रहा कर, तुझे पता है न वो कैसा है, वैसे तू क्या कर रहा था उसके साथ? तुझे तो माली के साथ काम मिला है ना?
सोनू: नहीं दीदी वो मुझे अपने साथ ले गया था बाज़ार, समोसे और ठंडा भी खिलाया,
नेहा: अच्छा इतनी मेहरबानी किस खुशी में?
सोनू: पता नहीं जीजी, शायद वो मेरी उम्र का ही है तो मुझे अपना दोस्त मानता है,
मनीषा: इन हवेली वालों की दोस्ती इन्हें ही मुबारक हो,
नेहा: ऐसा भी नहीं है मनीषा, हो सकता है हम उन लोगों को ज़्यादा ही बुरा मानते हो, पर आज उनकी वजह से ही हमारी कितनी मुसीबतें टली हैं ये भी नहीं भूलना चाहिए।
मनीषा: हां दीदी ये तो सही कह रही हो।
थोड़ी देर आराम और बहनों से बात करने के बाद सोनू घर से निकल गया, कई दिनों से वो अपने दोस्तों से नहीं मिला था, इसीलिए सीधा कम्मू के घर पहुंचा, आंगन में ही सुमन थी जो कपड़े धो रही थी नल के पास बैठ कर उसका ब्लाउज़ पानी से गीला हो चुका था नीचे सिर्फ एक पेटीकोट था वो भी घुटनों पर इकट्ठा था गीला होकर, मखमली पेट पर पानी की बूंदें सरक रहीं थी, गोल गहरी नाभी किसी झील की तरह लग रही थी। और सबसे बड़ी बात ब्लाउज़ गीला होकर पारदर्शी हो गया था और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की झलक दे रहा था।
सोनू ने उसे देखा और उसे कर्मा की बात याद आ गई, वैसे कर्मा भी गलत नहीं कह रहा था, चाची सच में बहुत सुंदर हैं, सोनू के मन में खयाल आया उसे अपने लंड में हरकत हुई सी महसूस हुई तो उसने खुद के सिर को झटका। और आगे बढ़ बोला।
सोनू: चाची प्रणाम, कम्मू कहां है?
सुमन: अरे खुश रह मेरा बच्चा, मां कैसी है तेरी अब सब ठीक है न?
सुमन ने कपड़े धोना जारी रखते हुए कहा क्योंकि वो सोनू को बचपन से खिलाती आई थी वो उसके लिए बेटे के जैसा ही था इसलिए उसने भी कोई ध्यान नहीं दिया।
सोनू: हां चाची सब ठीक है मां भी ठीक है अभी हवेली पर ही है,
सोनू ने मुश्किल से अपनी आंखें और कहीं केंद्रित करते हुए कहा।
सुमन: चल अच्छा है, जा कम्मू कमरे में सो रहा है उठा ले जाकर।
सोनू सुमन की बात सुनकर कमरे में गया और कम्मू को उठाने लगा,
जारी रहेगी।
Kya mst update diya h bhai ekdm badan me garmii aa gyi aisehi update likhte rhyeaरजनी को कुछ समझ नहीं आया, मगर सरोज की बात मानते हुए वह बोली, “ठीक है जीजी, बुलाती हूँ।” रजनी दरवाजे तक गई और बिमला को आवाज़ दी।
कुछ ही देर में बिमला आई और अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया। उसने रजनी को मुस्कुराकर देखा। सरोज बोली, “आ गई बिमला, चल अब अपनी खास वाली सेवा कर दे। और रजनी, अगर सीखना चाहे तो उसे भी सिखा दे।
बिमला ने कहा, “हाँ मालकिन, बिल्कुल,” और अपनी साड़ी उतारने लगी।
अध्याय आठजल्दी ही बिमला की साड़ी जमीन पर थी, रजनी एक मेले में आए खेल देखने वाले बच्चे की तरह थी और अब क्या होगा ये सोच कर हैरानी से देख रही थी, बिमला अपनी साड़ी तक ही नहीं रुकी बल्कि उसने कुछ ऐसा किया जिससे रजनी हैरान रह गई, बिमला ने साड़ी के बाद ब्लाउज उतारा और फिर पेटीकोट और एक एक करके लगभग सारे कपड़े ही उसके ज़मीन पर थे और बिमला के बदन पर बस एक कच्छी थी और वो दोनों के बीच खड़ी थी।
रजनी की आँखें तो बिमला के नंगे बदन पर जमी हुईं थीं, बिमला खुद नंगी हुई और सरोज की ओर बढ़ी,
बिमला बिस्तर के पास पहुंची
सरोज: आ गई अब दिखा अपना कमाल रजनी को।
बिमला: जी मालकिन,
बिमला ने एक बार रजनी की ओर देखा मानो कह रही हो कि देख और सीख, उसने अपने हाथ बढ़ाए और सरोज की ब्रा को उसके सीने से खोल कर अलग फेंक दिया, सरोज की मोटी चूचियां नंगी सामने आ गईं, रजनी की तो आँखें और फैल गई उसका दिल जोरों से धड़कने लगा, वो सरोज की मोटी चूचियों की सुंदरता देख मन ही मन उनकी तारीफ करने लगी,
बिमला ने सरोज की नंगी चूचियों को एक दो बार मसला और फिर कटोरी से हथेली में तेल लिया और तेल भरे हाथों से सरोज की चूचियों से खेलने लगी और सरोज की आहें निकलने लगीं। बिमला सरोज की चूचियों को आटे की तरह कभी गूंथती तो कभी उन्हें पकड़ कर हिलाती।
और बिमला की हर हरकत पर सरोज आहें भर रही थी, रजनी का तो ये खेल देख बुरा हाल था वो अपनी उत्तेजना दबाए हुए बस देखे जा रही थी, उसकी टांगों के बीच की नमी उसे महसूस हो रही थी,
बिमला: आह जीजी तुम्हारी चूचियां कितनी मुलायम है मानों माखन की पोटलियां हों।
सरोज: आह ऐसे ही कर इन पर तेरे हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लगता है मुझे आह तुझे पता है इनसे कैसे खेलना है एक अलग आनंद देती है तू,
बिमला: आह हां मालकिन मुझे भी तुम्हारे गुब्बारों से खेलना बहुत पसंद है,
ये कह बिमला अपना मुंह एक चूची पर लगा कर उसे चूसने लगती है और सरोज की आंखें बंद हो जाती है सिर पीछे की ओर हो जाता है,
वहीं कोने में बैठी रजनी चुपचाप सब देख रही थी। पहले वो सरोज की मालिश करने आई थी, पर अब बस देखती जा रही थी—बिमला के हाथों की लय, सरोज की मचलती साँसें, और उनके बीच का अनकहा साज़।
सरोज की आँखें खुलीं और रजनी की ओर उठीं। “क्या हुआ रजनी, ऐसे क्या देख रही है?”
रजनी सकपकाई, “कुछ नहीं जीजी… बस… देख रही थी।”
सरोज ने हँसते हुए कहा, “देख न… सीखना भी है तुझे। बिमला अच्छा पढ़ा रही है आज। ऐसी मास्टरनी नहीं मिलेगी तुझे,
रजनी को अजीब लग रहा था कि नंगी होने के बाद भी दोनों कितनी आसानी से बात कर रही हैं न कोई झिझक न कोई शर्म।
बिमला ने एक शरारती मुस्कान के साथ सरोज चूची को मुंह से निकालते हुए कहा, “सीखने के लिए पहले मन खोलना पड़ता है… और देह भी।”
रजनी और बिमला की नज़र मिली इस बात पर फिर बिमला ने सरोज की चूची को मुंह में भर लिया पर उसकी बात रजनी के मन में घूमने लगी, उधर बिमला ने सरोज की चूची को मुंह से निकाला और फिर दोनों अपनी अपनी चूचियों को एक दूसरे में घिसते हुए बच्चियों की तरह खिलखिलाने लगी,
रजनी को ये देख लगा कि दोनों कितनी खुश लग रही हैं, क्या वो भी इतनी खुश हो सकती है कभी क्या उसके अंदर भी इतनी खुशी बाकी है रजनी ये सब सोच रही थी वहीं सरोज और बिमला एक दूसरे की चूचियों को आपस में मिला रही थी और जल्दी ही दोनों के होंठ भी मिल गए और एक दूसरे के होंठो को चूसने लगी, रजनी के लिए ये बहुत नया था वो पहली बार दो औरतों को एक दूसरे के चूमते हुए देख रही थी पर देखते हुए हर पल उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी।
सरोज और बिमला के होंठ अलग हुए बिमला ने सरोज को बिस्तर के सामने पड़े सोफा पर बैठा दिया और उसके होंठों को एक बार फिर से चूमा। दोनों की नजरें एक बार फिर से रजनी की ओर गईं जो खड़े खड़े दोनों के इस खेल को देख रही थी,
सरोज ने रजनी की प्यासी आंखों को देखा और बोली: देख रजनी मैं तुझसे कुछ भी ऐसा नहीं करवाऊंगी जो तू न करना चाहे, अब तेरे पास दो रास्ते हैं, या तो तू कमरे से चली जा और दूसरा कोई काम कर या आगे बढ़ और हमारे साथ शामिल हो, मर्ज़ी तेरी है।
बिमला: पर रजनी जीजी हमारी बात याद है न, मन और देह दोनो खोलना पड़ेगा।
बिमला ने ये कहा और फिर सरोज ने इतने में बिमला की चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगी, बिमला की सिसकी और खिलखिलाहट निकली।
रजनी के लिए दुविधा हो गई थी, उसका अंतर्मन उसे बता रहा था कि ये सब गलत है और उसे सही मौका मिला है यहां से जाने का और इस महापाप से बचने का, पर उसकी नजरें तो सरोज और बिमला से हट ही नहीं रही थी, उसके कदम इतने भारी हो गए थे कि हिल ही नहीं रहे थे बिमला और सरोज का तो उस पर ध्यान ही नहीं था, सरोज सोफे पर बैठी थी और बिमला सोफे पर ही उसके बगल में घुटनों पर खड़ी होकर अपनी चूचियों को चुसा रही थी। अचानक से सरोज को अपनी चूची पर गर्म एहसास हुआ और उसने बिमला के चूचे से मुंह हटा कर देखा तो उसके दूसरी तरफ रजनी आ चुकी थी, और सरोज की चूची को पकड़ कर चूसने लगी थी, ये देख बिमला के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।
वहीं सरोज के मुंह से आहें निकलने लगी, और वो बापिस बिमला की चूची को मुंह में भरने लगी। रजनी ने अपने मन और मस्तिष्क में से मन की बात सुनी थी और सरोज की चूचियों को चूस रही थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो सरोज की चूचियों से रस उसके मुंह में घुल रहा है। सरोज बिमला की चूचियों को चूस रही थी और बिमला आहें भर रही थी।
बिमला: आह मालकिन ओह ऐसे ही। आह रजनी जीजी तुम भी बहुत अच्छे से चूस रही हो मालकिन की मोटी चूचियां।
रजनी ने बिना मुंह हटाए ही बिमला की ओर देखा और आंखों ही आंखों में मुस्कुराई।।
बिमला: पर ये क्या रजनी जीजी मैने कहा था न देह और मन दोनों को नंगा करना पड़ेगा।
ये सुन रजनी ने अपना मुंह हटाया सरोज कि चूचियों से और ब्लाउज़ उतारने लगी कुछ ही देर में उसकी नंगी चूचियां सामने थीं।
वहीं बिमला भी उठी और अपनी कच्छी में उंगलियां फंसा कर नीचे सरका दी और पूरी नंगी हो गई, और फिर सरोज की टांगों के बीच आ गई सरोज की कच्छी को भी नीचे सरका दिया, रजनी खुद के कपड़े निकालते हुए सकुचा कर सरोज और बिमला को देख रही थी, अभी भी उसमें शर्म बाकी थी, उसने ब्रा उतार दी बस पेटीकोट उसके बदन पर था, और वो खड़ी खड़ी शर्मा रही थी,
सरोज और बिमला ने उसकी ओर देखा और उठ कर उसके पास गई और दोनों ओर से उसे घेर लिया,
सरोज: ये हुई न बात रजनी तूने बिल्कुल सही फैसला लिया है।
बिमला: पर जीजी अभी भी थोड़ी कमी है, ये कह कर बिमला ने रजनी का पेटीकोट उठा कर उसकी कमर पर इकठ्ठा कर दिया अब रजनी की चूत भी सबके सामने थी, जिस पर लगती हुई ठंडी हवा रजनी को महसूस हो रही थी,
बिमला और सरोज दोनों ने रजनी की एक एक चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं
दोनों के हाथ रजनी के नंगे चूतड़ों पर घूमने लगे, रजनी की आँखें बंद हो गई और उसके मुंह से आहें और सिसकियां निकलने लगीं।
रजनी: आह जीजी ओह बिमला आह अच्छा लग रहा है आह हम्मम।
रजनी को यकीन नहीं हो रहा था कि वो कभी औरतों के आमने इस अवस्था में होगी और उससे भी बड़ी बात उसे औरतों का साथ भा रहा था, उसने सोचा नहीं था कि औरतें भी एक दूसरे को इस प्रकार का सुख दे सकती हैं उसे तो यही लगता था कि संभोग से जुड़ी सब चीजें मर्द और औरत के बीच ही हो सकती हैं।
सरोज ने कुछ पल बाद उसकी चूची से मुंह हटाया और बोली: बिमला अब रजनी को अगला पाठ पढ़ा वैसे भी अब अपनी चूत की खुजली सही नहीं जा रही मुझसे।
रजनी को थोड़ी हैरानी हो रही थी सरोज के मुंह से खुले शब्द सुनकर फिर उसने कमरे का माहौल देखा तो खुद उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,
बिमला और सरोज उसके बगल से हट गई थीं बिमला नीचे बैठ गई सोफा के सहारे और सरोज ने सोफे पर चढ़ कर अपनी टांगें फैलाकर बिमला के मुंह पर रख दिया और बिमला बिना देरी किए अपनी जीभ चलाने लगी, और सरोज के मुंह से आहें निकलने लगीं,
रजनी खड़े खड़े ये सब देख हैरान थी एक औरत को दूसरे औरत की चूत चाटते देखना ये दृश्य वो पहली बार देख रही थी पर इस बार वो सिर्फ दर्शक नहीं बनना चाहती थी वो आगे बढ़ी और फिर से सरोज के बगल में जाकर उसकी चूची को मुंह में भर लिया, सरोज तो दोहरे मजे से आहें भरने लगी।
सरोज: आह ओह बिमला आह ऐसे ही जीभ चला अपनी ओह अह रजनी चूस ऐसे ही आह दिखा तेरे अंदर कितनी गर्मी है।
बिमला और रजनी मिलकर हवेली की मालकिन की सेवा कर रही थी और वो उस आनन्द से सिसक रही थी बदन मचल रहा था,
सरोज ये दोहरा मज़ा ज़्यादा देर तक नहीं सह पाई और उसका बदन थरथराते हुए झड़ने लगा, झड़ते हुए वो नीचे फिसलती हुई सोफे पर लेट गई और हांफने लगी।
सरोज: आह ओह अह बिमला, क्या जादू करती है ओह तू।
बिमला ने मुस्कुराते हुए अपने मुंह पर लगे रस को अपनी उंगलियों पर लिया और फिर उंगलियां भी चाटने लगी, रजनी बिमला के इस फूहड़पन को मुस्कुराते हुए देख रही थी, बिमला ने एक उंगली रजनी की ओर बढ़ाई मानो पूछ रही हो कि स्वाद लेना चाहोगी, और उसे और खुद को हैरान करते हुए रजनी ने उंगली को मुंह में लेकर चूस लिया उसे एक अलग सा स्वाद आया उंगली से पर वो बुरा नहीं लगा बल्कि उसे और उत्तेजित कर गया।
बिमला ने ये देखा तो वो जोश और उत्तेजना से भर गई और अगले ही पल उसने रजनी के होंठों से अपने होंठो को मिला दिया, रजनी इस अचानक हमले से हैरान हुई पर कुछ पल बाद वो भी ऐसे साथ देने लगी मानो हमेशा से ये करती आ रही हो, सरोज लेट कर मुस्कान के साथ दोनों को देख रही थी, और अपनी चुचियों से खेल रही थी,
बिमला और रजनी एक दूसरे को चूमते हुए सोफे पर लेट जाती हैं बिमला नीचे होती है और रजनी ऊपर दोनों की मोटी चूचियां आपस में दब जाती हैं दोनों एक दूसरे के होंठों को छोड़ नहीं रहीं, सरोज उनकी टांगों की ओर बैठती है और उसके सामने रजनी की चूत होती है, सरोज रजनी की चूत को हाथ बढ़ाकर सहलाने लगती है, सरोज की उंगलियों को अपनी चूत पर महसूस करते ही रजनी के बदन में सनसनी होती है उसका चेहरा ऊपर उठ जाता है आँखें बंद हो जाती है, सरोज एक उंगली उसकी चूत में घुसा देती है और रजनी की उत्तेजना और आनदं और बढ़ जाता है।
बिमला नीचे से रजनी की छाती और गर्दन को चूमने लगती है, रजनी को ऐसा आनंद कभी नहीं आया था, उसके साथ दो दो औरतें थीं जो उसने बदन के साथ खेलते हुए आनंद पहुंचा रहीं थी, वो वासना और आनदं में बह रही थी, रजनी उस आनदं में डूब कर हिलोरे मार रही थी उसका बदन हर हरकत पर सिहर रहा था और फिर कुछ देर के सुख के बाद एक तीव्र सी ऊर्जा उसके बदन से निकलने लगी, उसका बंद कांपने लगा और वो झड़ने लगी
कुछ देर यूं ही कमरे में शांति रही फिर रजनी के बदन में बापिस जान सी आई,
बिमला: अरे उठो रजनी जीजी ऊपर से तुम तो सोने लगी हमारे ऊपर,
बिमला ने हंसते हुए कहा, तो रजनी उसके होंठों को चूमकर उठ गई, रजनी उठी तो बिमला बोली: क्यों जीजी कैसा लगा?
रजनी ने शर्माकर पहले उसे देखा और फिर सरोज को और फिर बोली: ऐसा तो पहले कभी महसूस नहीं किया ऐसा भी मज़ा आ सकता है सोचा भी नहीं था।
बिमला: चलो तुमने मज़ा ले लिया अब मेरी रसभरी भी बहुत देर से राह देख रही है, ले लो स्वाद इसका भी।
बिमला ने अपनी टांगें खोलते हुए अपनी चूत को दिखाते हुए कहा,
रजनी ने बिमला की चूत को देखा फिर उसके चेहरे की ओर और बोली: पर करना कैसे है मैं नहीं जानती?
बिमला: अरे बस तुम शुरू करो सब अपने आप आ जाएगा।
रजनी ने बिमला के कहे अनुसार अपने चेहरे को आगे किया और बिमला की चूत के पास ले गई, एक अजीब और अलग सी गंध उसकी नाक में घुल गई, सकुचाते हुए रजनी ने जीभ निकाली आग बिमला की गीली चूत पर रखी तो बिमला की आह निकली और साथ ही रजनी के बदन में भी सिरहन हुई। एक अलग सा स्वाद उसकी जीभ पर आया वहीं बिमला चीख पड़ी, कुछ देर तक रजनी नई नई सीखी कला का अभ्यास बिमला पर करती रही बिमला कराहती रही सरोज पास बैठे ये सब देख रही थी।
कुछ देर बाद बिमला झड़ गई और रजनी ने उसके पैरों के बीच से मुंह निकाला तो उसका मुंह गीला था और उसके चेहरे पर बड़ी मुस्कान थी।
सरोज: बहुत अच्छे रजनी तू तो बहुत जल्दी सीख रही है, अब आ मुझे भी दिखा तूने क्या सीखा, रजनी तुरंत सरक कर सरोज के पैरों के बीच आ गई और अब एक आत्मविश्वास के साथ सरोज की चूत चाटने लगी, सरोज उसकी जीभ की कला के असर से आहें भरने लगी, रजनी को अपनी जीभ के बल पर सरोज को इस तरह आहें भरवाने और उसके बदन को नचाने में मज़ा आ रहा था,
कुछ पल बाद बिमला उठी और रजनी और सरोज के बगल में बैठ गई,
बिमला: अरे वाह जीजी बहुत अच्छे से चाट रही हो बहुत अच्छे से सीख गई तुम तो,
सरोज: आह सही कह रही है बिमला, आह क्या मस्त जीभ चला रही है ये, आह इसे तो सिखाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। आह पूरी तैयार है पहले से ही।
सरोज ने रजनी का सिर पकड़ कर अपनी चूत उसके मुंह पर घुमाते हुए कहा,
रजनी दोनों की बातों को बिना अपनी जीभ हटाए सुन रही थी और उत्तेजित हो रही थी।
पूरी तैयार हैं या नहीं अभी देख लूं मालकिन?
सरोज: आह हम्मम।
रजनी को समझ नहीं आया कैसे देखने की बात हो रही है, पर तभी उसे अपने सिर पर बिमला का हाथ महसूस हुआ जिसने उसके बालों को पकड़कर उसे सरोज को चूत से थोड़ा अलग किया, रजनी की नजरें अभी भी सरोज की चूत पर थीं, सरोज ने अपनी टांगों को थोड़ा और पीछे की ओर मोड़ लिया जिससे उसके चूतड़ और खुल गए, बिमला ने फिर रजनी के चेहरे को आगे धकेला और अब उसके मुंह को सरोज की गांड के छेद के करीब कर दिया, रजनी समझ गई ये ही थी वो तैयारी वाली बात, रजनी सरोज की गांड के भूरे कसे हुए छेद को देखने लगी, ये वो छेद है जिसे बदन का सबसे गंदा हिस्सा कहा जाता है, जिससे सब घिन खाते हैं पर सरोज की गांड का छेद ऐसा कुछ नहीं था,
बल्कि उसका छेद तो उसे सुंदर लग रहा था, चूतड़ों के बीच एक बंद गोल छोटी सी खिड़की जैसा, रजनी का चेहरा अपने आप आगे हो गया और उसने अपनी जीभ सरोज के छेद पर फिराई, तो सरोज का पूरा बदन कांप गया, और बिमला और सरोज दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई, वहीं सरोज की गांड चाटते ही रजनी को अपने अंदर कुछ बदलता हुआ सा अहसास हुआ उसे लगा अब सब कुछ बदल रहा है, वो अपने अंदर एक नई ताकत और आज़ादी महसूस करने लगी, बस वो फिर सरोज की गांड चाटने पर पूरी लगन से लग गई, जीभ से उसके छेद को कुरेदने लगी, और सरोज पागल होने लगी,
सरोज ने बिमला को इशारा किया तो बिमला सरोज के चेहरे पर आकर बैठ गई, सरोज उसकी चूत चाटने लगी, तीनों का ये खेल तब तक चला जब तक तीनों एक एक बार और स्खलित नहीं हो गईं। और तीनों थक कर कमरे में लेट गईं, रजनी जानती थी आज उसके अंदर कुछ बदला है, अब वो पहले वाली रजनी नहीं रह गई थी।
दूसरी ओर बाज़ार से निकल कर कर्मा ने मोटरसाइकिल सड़क के एक किनारे पर लगा दी और उस पर बैठ गया, सोनू भी उसके बगल में खड़ा हो गया,
सोनू: कर्मा भैया हम यहां क्यों रुके हैं? कोई काम है?
कर्मा: अरे काम तो नहीं हैं पर काम की चीज हैं,
कर्मा ने खेत की ओर इशारा करते हुए कहा तो सोनू ने उस ओर देखा,
खेत के किनारे तीन औरतें थीं शायद मजदूर थीं, तीनों में से एक सास और दो बहुएं थीं जो खेत में से बालियां बीन रहीं थीं।
तीनों ही मज़दूर थीं पर तीनों के ही बदन भरे हुए और कामुक थे साथ ही उनकी साड़ी ऐसी थी जो उनका पेट और बदन दिखा रही थी।
सोनू: इनका क्या करोगे भैया?
कर्मा: थोड़ी गर्मी शांत करूंगा, तुझे करना है क्या?
सोनू को जैसे ही बात समझ आई उसने तुरंत ना में सिर हिला दिया।
कर्मा: अरे आ तू न शर्माता बहुत है,
सोनू: नहीं भैया सही में मुझे कुछ नहीं करना,
सोनू ने घबराते हुए कहा,
कर्मा: ठीक है मत कर आ मेरे साथ तो चल।
सोनू उसके साथ साथ चल दिया सिर हिलाकर।
कर्मा और वो चलकर खेत के अंदर गए जहां वो तीनों औरतें काम कर रही थीं कर्मा ने एक को इशारा किया तो जो सबसे अधिक उम्र की थी वो आगे आई, कर्मा ने अपना पर्स जेब से निकाला और उसमें से एक नोट निकाल कर उस औरत को थमा दिया,
औरत: कौन चाहिए मालिक?
कर्मा: तू,
ये सुनकर औरत थोड़ी मुस्कुराई साथ ही उसके पीछे खड़ी बहुएं भी आपस में खुसुर पुसुर कर रही थी,
औरत: और ये बाबू,
कर्मा: इसे कुछ नहीं चाहिए,
सोनू ये सब ध्यान से और हैरानी से देख रहा था,
कर्मा उस औरत को लेकर आगे बढ़ा और सोनू उसके पीछे पीछे साथ ही उसकी दोनों बहुएं भी, खेत को पार करके वो लोग एक जगह पहुंचे जहां घास थी,
औरत: मालिक यहीं सही है,
कर्मा: हां ठीक है,
कर्मा ने अपने पैंट से पर्स निकाला और सोनू को पकड़ा दिया फिर पैंटी खोलने लगा।
औरत: ए तुम दोनों खेत में काम करो तब तक जाओ,
उसने अपनी बहुओं से कहा,
फिर सोनू से बोली: बाबू तुम भी बाहर इंतजार कर लो थोड़ा,
सोनू उसकी बात सुन कर मुड़ा ही था।
कर्मा: नहीं सब यहीं रुकेंगे, तेरी बहुएं भी और ये भी।
औरत ने कर्मा की ओर देखा और फिर अपनी नजरें नीची करके साड़ी खोलने लगी, और साड़ी उतार कर नीचे बिछा दी।
और उस पर खुद लेट गई अपने पेटिकोट को कमर तक उठाकर,
औरत: आ जाओ मालिक,
कर्मा: साली ऐसे नहीं पूरे कपड़े उतार,
औरत उठ कर बैठी एक बार कर्मा को देखा फिर उसकी आंखों मे देख और समझ गई कि उससे कुछ नहीं कह सकती थी, उसने ये सोचा और फिर अपने सारे कपड़े उतारने लगी, और पूरी नंगी हो गई अपनी बहुओं के सामने।
कर्मा ने भी अपने कपड़े उतारे और सोनू के हाथ में दे दिए। सोनू इन सब को हैरानी और बहुत ध्यान से दे रहा था, औरत के नंगे बदन को देख कर उसे भी उत्तेजना हो रहीं थी।
कर्मा पूरा नंगा हो कर आगे बढ़ा और औरत को घोड़ी बनाया, और फिर उसके पीछे जगह ली और फिर पीछे से अपना मोटा कड़क लंड उसकी चूत में घुसा दिया जिससे उस औरत की आह निकल गई। कर्मा औरत की कमर थाम उसे चोदने लगा।
औरत आह आह करके आहे भर रही थी और सोनू पहली बार चुदाई देख रहा था अपनी आंखों से उसका लंड पेंट में कड़क हो चुका था पर अभी वो झिझक और शर्म से कुछ नहीं कर पा रहा था सिवाय देखने के।
कर्मा ने औरत को काफी देर चोदा और फिर जब निकलने वाला था तो उस औरत के मुंह में लंड घुसा दिया और झड़ने लगा, औरत के पास और कोई चरा नहीं था सिवाय उसे गटकने के जिसे वो तुरंत गटक गई। कर्मा उठा अपना लंड उसके मुंह से निकाल कर सोनू से अपने कपड़े लेकर पहनने लगा। जल्दी ही दोनों मोटरसाइकिल के पास थे।
कर्मा: क्या हुआ इतनी देर से चुप क्यों है,
सोनू जैसे होश में आया उसके सामने तो बस वही दृश्य चल रहा था, जब कर्मा उस औरत को चोद रहा था,
सोनू: कुछ नहीं भैया.
कर्मा: अरे तू शर्माता बहुत है, इतनी झिझक रखेगा न तो कुछ नहीं मिल पाएगा,
सोनू: वो बात नहीं भैया बस होता है थोड़ा।
कर्मा: शर्म कर पर अपने फायदे के समय तो मत संकोच कर, अच्छा खासा मौका गंवा दिया चुदाई का,
सोनू: कोई बात नहीं भैया मौका तो मिल ही जाएगा।
सोनू ने थोड़ा हंसते हुए कहा,
कर्मा: मेरे साथ रहेगा तो बिल्कुल मिलेगा, पर तुझे मेरे सामने झिझकना छोड़ना होगा, अब तो तूने मुझे नंगा भी देख लिया है।
इस पर दोनों हंस पड़े,
सोनू: नहीं बिल्कुल नहीं झिझकूंगा अब तो, अच्छा एक बात पूछूं भैया?
कर्मा: हां पूछ ना,
सोनू: दो दो जवान बहुओं के होते हुए तुमने सास को ही क्यों चुना,
कर्मा: हां ये पूछा है तूने काम का सवाल, देख इसका जवाब है कि मुझे बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं, पता है क्यों?
सोनू: क्यों?
कर्मा: देख एक तो उनका बदन भरा होता है, हम लड़कों को क्या चाहिए सब कुछ बड़ा बड़ा, तो औरतों की चूचियों से लेकर गांड तक सब कुछ बड़ा बड़ा होता है।
सोनू बात को समझते हुए: हां ये तो सही बात है भाई।
कर्मा: दूसरी वजह कि वो कच्ची कलियों की तरह रोती नहीं, झटके तेज हो या लंबे सब सह जाती हैं ऊपर से कुछ न कुछ सिखा ही देती हैं, शर्माती नहीं हैं इतना,
सोनू: सही में, भैया तुमने तो पूरा पाठ सोच रखा है इस पर तो,
कर्मा: अब लौड़े को सुखी रखना है तो सोचना ही पड़ता है, यार सही में कुछ तो अलग होता है बड़ी उम्र की औरतों में भरा बदन साड़ी में से झांकता पेट, कमर में पड़ी सिलवटें ये देख मेरा तो लंड तन जाता है।
सोनू: हां सही कह रहे हो भैया,
कर्मा: अपने गांव में ही एक से एक मस्त ऐसी औरतें हैं, जिन्हें देख मेरा कड़क हो जाता है।
सोनू: अच्छा सच में कौन कौन?
कर्मा: नहीं रहने दे तू बुरा मान जाएगा।
सोनू सोचने लगा कि ऐसी कौन हैं कहीं ये मां के बारे में तो नहीं बोल रहा? ये सोच कर सोनू को जिज्ञासा होने लगी।
सोनू: अरे नहीं मानूंगा भैया बताओ ना।
कर्मा: पक्का? देख ले फिर बाद में मुंह मत बनाना।
सोनू: हां पक्का बताओ तो सही।
कर्मा: तेरे यार कम्मू की मां और ताई, हाय क्या मस्त गदराए बदन वाली हैं दोनों, कई बार हिलाया है दोनों को सोच कर।
सोनू: अपने दोस्त के परिवार के बारे में सोच कर चुप हो गया।
कर्मा: क्या हुआ तूने बोला था बुरा नहीं मानेगा, वैसे भी देख सोच पर किसका वश है, अब वो सोच में आती हैं तो क्या करूं।
सोनू: हा ये भी सोच में तो कुछ भी हो सकता है।
कर्मा: वही तो यार वैसे तो मन्नू की मां भी कम नहीं है उसका बदन भी खूब भरा है।
सोनू: हां भैया,
सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या बोले अब।
कर्मा: तुझे पसंद नहीं भरे बदन की औरतें?
सोनू: हां पसंद हैं पर ।
कर्मा: तो कभी इन तीनों का नहीं सोचा?
सोनू: नहीं भैया ये दोस्त की मां हैं तीनों इनके बारे में गंदा नहीं सोच सकता।
कर्मा: अच्छा दोस्त है तू पर क्या तेरे दोस्त तेरे घर की औरतों के बारे में नहीं सोचते होंगे इसका विश्वास है तुझे।
ये सुनकर सोनू सोच में पड़ गया फिर कुछ सोच कर बोला: नहीं भैया मेरे दोस्त ऐसे नहीं हैं, वो लोग अच्छे हैं।
कर्मा: चल ये तो और बढ़िया है। चल अब चलते हैं।
कर्मा मोटरसाइकिल शुरू करता है और गांव की ओर चल देते हैं,
गांव आकर कर्मा ने सोनू को उसके घर के सामने उतार दिया और बोला: आज अब तेरी छुट्टी,
सोनू ने भी सिर हिलाया तो कर्मा आगे बढ़ गया और सोनू घर की ओर मुड़ गया, कर्मा थोड़ा आगे बढ़ा तो उसकी मोटरसाइकिल धीमी हुई, बिंदिया अपने घर की दहलीज पर खड़ी थी, कर्मा उसे देखने लगा, बिंदिया की नज़रें भी कर्मा से मिलीं, और कर्मा को अपनी ओर देखता पा कर बिंदिया सकुचाई पर उसने अपनी नजरें फेर ली पर कर्मा ने नहीं हटाई, बिंदिया बार बार नज़र हटा कर देखती तो कर्मा को अपनी ओर देखता पाती, साथ ही उसके चेहरे पर वो मुस्कान थी, ये सिलसिला जब तक कर्मा गली से बाहर नहीं निकल गया तब तक चलता रहा, बिंदिया के दिल की धड़कन बढ़ गई, कर्मा स्वभाव का जैसा भी था पर देखने में सुंदर था ऊपर से उसका रुतबा हवेली का लड़का होने से और था तो गांव की लड़कियां उससे प्रभावित तो रहती थीं पर शर्म की वजह से खुद को रोकती थीं। बिंदिया को भी कर्मा देखने में भाता था पर घरवालों से उसने हमेशा से ये ही सुना था कि हवेली वालों से जितना दूर रहो उतना ही अच्छा है। वैसे भी आज उसे देखने वाले आ रहे थे तो उसके लिए तो कुछ भी सोचना व्यर्थ ही था ये सोच वो अंदर चली गई।
सोनू के घर में कुछ दिनों से शांति थी, उसका बाप उस दिन से घर नहीं लौटा था, उसकी बड़ी बहन नेहा घर संभाल रही थी वहीं नीलेश के कहने से उसके बड़े भाई की नौकरी भी लग गई थी पास के ही गांव में, सोनू घर पहुंचा तो घर पर उसकी दोनों बहने ही थीं,
नेहा: अरे आज इतनी जल्दी कैसे आ गया तू?
सोनू: दीदी वो कर्मा छोड़ गया आज काम कम था।
मनीषा: क्या वो कर्मा, सोनू तू उससे दूर ही रहा कर, तुझे पता है न वो कैसा है, वैसे तू क्या कर रहा था उसके साथ? तुझे तो माली के साथ काम मिला है ना?
सोनू: नहीं दीदी वो मुझे अपने साथ ले गया था बाज़ार, समोसे और ठंडा भी खिलाया,
नेहा: अच्छा इतनी मेहरबानी किस खुशी में?
सोनू: पता नहीं जीजी, शायद वो मेरी उम्र का ही है तो मुझे अपना दोस्त मानता है,
मनीषा: इन हवेली वालों की दोस्ती इन्हें ही मुबारक हो,
नेहा: ऐसा भी नहीं है मनीषा, हो सकता है हम उन लोगों को ज़्यादा ही बुरा मानते हो, पर आज उनकी वजह से ही हमारी कितनी मुसीबतें टली हैं ये भी नहीं भूलना चाहिए।
मनीषा: हां दीदी ये तो सही कह रही हो।
थोड़ी देर आराम और बहनों से बात करने के बाद सोनू घर से निकल गया, कई दिनों से वो अपने दोस्तों से नहीं मिला था, इसीलिए सीधा कम्मू के घर पहुंचा, आंगन में ही सुमन थी जो कपड़े धो रही थी नल के पास बैठ कर उसका ब्लाउज़ पानी से गीला हो चुका था नीचे सिर्फ एक पेटीकोट था वो भी घुटनों पर इकट्ठा था गीला होकर, मखमली पेट पर पानी की बूंदें सरक रहीं थी, गोल गहरी नाभी किसी झील की तरह लग रही थी। और सबसे बड़ी बात ब्लाउज़ गीला होकर पारदर्शी हो गया था और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की झलक दे रहा था।
सोनू ने उसे देखा और उसे कर्मा की बात याद आ गई, वैसे कर्मा भी गलत नहीं कह रहा था, चाची सच में बहुत सुंदर हैं, सोनू के मन में खयाल आया उसे अपने लंड में हरकत हुई सी महसूस हुई तो उसने खुद के सिर को झटका। और आगे बढ़ बोला।
सोनू: चाची प्रणाम, कम्मू कहां है?
सुमन: अरे खुश रह मेरा बच्चा, मां कैसी है तेरी अब सब ठीक है न?
सुमन ने कपड़े धोना जारी रखते हुए कहा क्योंकि वो सोनू को बचपन से खिलाती आई थी वो उसके लिए बेटे के जैसा ही था इसलिए उसने भी कोई ध्यान नहीं दिया।
सोनू: हां चाची सब ठीक है मां भी ठीक है अभी हवेली पर ही है,
सोनू ने मुश्किल से अपनी आंखें और कहीं केंद्रित करते हुए कहा।
सुमन: चल अच्छा है, जा कम्मू कमरे में सो रहा है उठा ले जाकर।
सोनू सुमन की बात सुनकर कमरे में गया और कम्मू को उठाने लगा,
जारी रहेगी।
धन्यवादMast kamuk garam garam update guruji bahut bahut dhanyawad
बहुत बहुत धन्यवाद भाईKya mst update diya h bhai ekdm badan me garmii aa gyi aisehi update likhte rhyea