- 29,185
- 67,446
- 304
#124.
तभी शैफाली को एक ऐसी गुफा दिखाई दी, जिसका द्वार एक सुनहरी धातु का बना था और देखने से ही मानव निर्मित प्रतीत हो रहा था।
डॉल्फिन उस दरवाजे के पास जाकर पता नहीं कहां गायब हो गयी।
“यह झील के अंदर मानव निर्मित गुफा कैसी है? शायद डॉल्फिन इसी को दिखाने के लिये मुझे यहां तक लायी है। इसके अंदर चलकर देखती हूं। शायद इस द्वीप के किसी राज का पता चल जाये?”
यह सोच शैफाली गुफा के द्वार में प्रविष्ठ हो गई।
गुफा के अंदर एक बहुत विशालकाय स्थान था। जो पूरी तरह से रोशनी से नहाया था। वहां पर एक 20 फुट ऊंचा बड़ा सा सफेद रंग का सीप रखा था।
शैफाली ने कहानियों में भी कभी इतने बड़े सीप के बारे में सुन नहीं रखा था, इसलिये वह इतना बड़ा सीप देखकर आश्चर्य से भर गई।
सीप के बाहर एक सफेद रंग का बटन लगा हुआ था। कुछ सोचने के बाद शैफाली ने उस सफेद बटन को दबा दिया।
बटन के दबाते ही सीप किसी संदूक की तरह खुल गया।
उस सीप के अंदर 10 फुट का एक गोल परंतु पारदर्शी मोती रखा था।
शैफाली को उस मोती के अंदर कुछ चलता हुआ सा प्रतीत हुआ। इसलिये शैफाली, मोती से आँख सटाकर अंदर की ओर देखने लगी।
पर शैफाली ने जैसे ही अपना चेहरा उस मोती से सटाया, वह उस मोती के अंदर प्रवेश कर गई।
मोती कें अंदर बिल्कुल भी पानी नहीं था।
मोती के अंदर एक समुद्री हरे रंग की रबर की ड्रेस हवा में तैर रही थी। यह वही ड्रेस थी, जिसे सपने में शैफाली ने मैग्ना को पहने हुए देखा था।
शैफाली ने उत्सुकता वश उस ड्रेस को हाथ लगाया।
शैफाली के हाथ लगाते ही वह ड्रेस आश्चर्यजनक तरीके से शैफाली के शरीर पर स्वतः धारण हो गई।
वह ड्रेस शैफाली के शरीर पर बिल्कुल फिट लग रही थी। शैफाली उस ड्रेस को देखकर खुश हो गयी, पर जैसे ही वह मोती से निकलने चली, वह निकल नहीं पायी।
“अरे... ये क्या हो गया? मैं मोती में प्रवेश तो आसानी से कर गई थी फिर मैं इस से निकल क्यों नहीं पा रही हूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं इस ड्रेस के साथ इस मोती से बाहर नहीं जा सकती?”
यह सोच शैफाली ने अपनी ड्रेस उतारने की कोशिश की, पर वह ड्रेस तो मानों उसके शरीर से चिपक गयी थी।
शैफाली के बहुत प्रयत्नों के बाद भी वह ड्रेस उसके शरीर से नहीं उतरी।
शैफाली ने मोती में चारो ओर देखा, पर वहां कोई भी ऐसी चीज नहीं थी, जो शैफाली को वहां से निकलने में मदद कर सके।
जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, शैफाली की उलझन बढ़ती जा रही थी, यह तो भला हो कि मोती के अंदर भी उसे साँस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।
तभी शैफाली को बाहर फिर डॉल्फिन तैरती हुई नजर आयी।
शैफाली ने अपने मुंह से सीटी बजाकर डॉल्फिन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
सीटी की आवाज सुन डॉल्फिन उस मोती के पास आ गयी। शैफाली ने इशारे से डॉल्फिन को समझाने की कोशिश की।
पता नहीं डॉल्फिन को क्या समझ आया? कि वह पहले थोड़ा पीछे हटी और फिर तेजी से आगे बढ़कर एक जोरदार टक्कर उस मोती को मार दी।
डॉल्फिन की टक्कर से मोती सीप से निकलकर नीचे गिर गया और पानी में लुढ़कता हुआ एक चट्टान से जाकर टकरा गया।
मोती के लुढ़कने से शैफाली का शरीर अनियंत्रित होकर उस मोती में गोल-गोल नाचने लगा।
तभी अंजाने में ही शैफाली का हाथ उस ड्रेस की बेल्ट पर बने एक डॉल्फिन की आकृति वाले बक्कल से छू गया।
डॉल्फिन की आकृति को छूते ही शैफाली की ड्रेस से एक तेज गोलाकार अल्ट्रा-सोनिक तरंगें निकलीं और उन तरंगों के प्रभाव से वह मोती टूटकर बिखर गया।
मोती के टूटते ही शैफाली स्वतंत्र हो गई। उसने एक बार बेल्ट पर बनी डॉल्फिन की आकृति को देखा और तैरकर झील की सतह की ओर चल दी।
उधर जब काफी देर तक शैफाली उस झील से बाहर नहीं आयी, तो सुयश उस झील में उतरने का प्रयास करने लगा।
तभी पानी की सतह पर शैफाली का चेहरा दिखाई दिया।
सभी शैफाली को देखकर खुश हो गये। सुयश ने आगे बढ़कर शैफाली का हाथ पकड़ उसे झील से बाहर
खींच लिया।
“अरे...यह इतनी सुंदर ड्रेस तुम्हें कहां से मिल गयी?” जेनिथ ने खुश होते हुए पूछा।
शैफाली ने शुरु से अंत तक सारी कहानी सभी को सुना दी।
“अब तो यह साफ हो गया कि शैफाली का इस द्वीप से कोई ना कोई रिश्ता तो जरुर है?” सुयश ने कहा- “शायद यह द्वीप ही शैफाली के सपनों का कारण भी है। अब या तो मैग्ना शैफाली की कोई पहचान की थी, या फिर......।” कहते-कहते सुयश ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
“या.....?” क्रिस्टी ने ना समझने वाले अंदाज में ‘या ’शब्द पर जोर देते हुए सुयश से पूछा।
“या फिर शैफाली ही मैग्ना थी?” सुयश ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा।
“अब तो मुझे भी लगने लगा है कि शैफाली ही मैग्ना थी और इसका इस द्वीप से कुछ गहरा नाता था।” तौफीक ने कहा।
“चाहे जो भी हो, पर मुझे ये ड्रेस बहुत पसंद आयी।” जेनिथ ने कहा- “एक हम लोग हैं जो पिछले 7 दिनों से एक ही कपड़े पहन कर जंगल में घूम रहे हैं। यह जंगल बनाने वाले ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाया...अरे एक शॉपिंग मॉल भी खोल देता, तो उसका क्या जाता?”
जेनिथ की बात सुनकर सभी जोर से हंस दिये और पुनः आगे की ओर बढ़ गये।
उल्का पिंड : (13 जनवरी 2002, रविवार, 15:30, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)
धरा कल ही होश में आ गयी थी, लेकिन वेगा के बारे में जानने के लिये वह एक दिन का बहाना करके वेगा के घर ही रुक गयी थी।
वेगा ने धरा और मयूर को एक कमरा दे दिया था। धरा और मयूर इस समय उस कमरे में अकेले थे।
“यह वेगा तो बहुत ही साधारण इंसान है, यह हमारी धरा शक्ति को नहीं चुरा सकता, शायद इसे किसी ने वह घड़ी भेंट स्वरुप दी है और वेगा को भी इस घड़ी की शक्तियों के बारे में कुछ भी नहीं पता है?” धरा ने खिड़की के बाहर की ओर देखते हुए कहा।
“तुम सही कह रही हो धरा, वैसे भी वेगा एक अच्छा इंसान है, देखा नहीं कल उसने बिना हमें जाने हुए कैसे हमारी मदद की थी और आज भी वह अंजान व्यक्तियों को अपने घर में रखे है।” मयूर ने कहा।
“तो फिर क्या करें? क्या धरा शक्ति के कण को हम वेगा के ही पास छोड़ दें?” धरा के शब्दों में उलझन के भाव थे।
“हम एक काम करते हैं, आज भर हम वेगा के साथ रहकर उसके बारे में जानने की कुछ और कोशिश करते हैं। अगर हमें लगा कि वेगा उस धरा शक्ति के कण को संभाल सकने वाला उचित व्यक्ति है, तो हम धरा शक्ति के उस कण को वेगा के पास ही छोड़ देंगे। लेकिन अगर हमें लगा कि वेगा उस शक्ति का सही अधिकारी नहीं है, तो हम अपनी शक्ति अपने साथ वापस लेते चलेंगे।” मयूर ने कहा।
“ठीक है, फिर आज मैं उससे अपने तरीके से कुछ उगलवाने की कोशिश करती हूं। जरा देखें तो यह इंसान अंदर से है कैसा?” धरा ने मयूर के प्लान पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा।
तभी वेगा ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। वेगा की आवाज सुन दोनों चुप हो गये।
वेगा ने कमरे में प्रवेश करते हुए धरा से पूछा- “अब तबियत कैसी है आपकी?”
“पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हूं।” धरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- “वैसे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने हमारी काफी मदद की।”
“कोई बात नहीं....मैं तो वैसे भी इतने बड़े फ्लैट में अकेला ही रहता हूं।” वेगा ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
“आपके परिवार वाले यहां नहीं रहते हैं क्या?” धरा ने अपनापन दिखाते हुए पूछा।
“नहीं मेरे परिवार वाले यहां से हजारों किलोमीटर दूर रहते हैं।” वेगा ने कहा।
“और इतने बड़े शहर में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या आपकी?” धरा ने वेगा से थोड़ा मस्ती करते हुए पूछा।
यह सुन वेगा के चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान उभर आयी- “मेरे कॉलेज की एक लड़की है। जिसका नाम वीनस है। मैं तो उससे प्यार करता हूं, पर वह मुझे सिर्फ दोस्त ही समझती है...मुझे लगता है कि शायद वह भी मुझे मन ही मन पसंद करती है, पर उसने कभी ऐसा बोला नहीं?”
“अरे वाह! फिर तो तुम्हें धरा की ट्रेनिंग की जरुरत है। यह तुम्हारी सेटिंग जरुर करवा देगी। यह इन सब चीजों में निपुण है।” मयूर ने हंसते हुए कहा।
“क्या सच में आप मेरा यह काम बनवा सकती हैं?” वेगा धरा के सामने किसी बच्चे की तरह से बैठकर बोला।
उसका यह तरीका देख धरा को जोर से हंसी आ गयी- “ठीक है...ठीक है वेगा...मैं तुम्हारा ये काम कर दूंगी। आखिर तुमने मेरी जान बचाई है... पर इसके लिये तुम्हें वीनस को यहां बुलाना पड़ेगा।“
तभी दरवाजे की घंटी बज उठी। वेगा उठकर दरवाजे की ओर बढ़ा।
वेगा ने आई होल से बाहर की ओर झांक कर देखा।
दरवाजे पर वीनस खड़ी थी। वीनस को देख वेगा दरवाजा खोलने के बजाय भागता हुआ धरा के पास पहुंच गया।
“दरवाजे पर वीनस है।” वेगा ने फुसफुसा कर कहा।
“अरे वाह! लगता है ईश्वर भी तुम्हारी सेटिंग जल्दी कराना चाहता है।” धरा बेड से खड़ी होती हुई बोली-
“चलो मैं भी अपने कॉलेज की थोड़ी सी यादें ताजा कर लूं। अच्छा मयूर जी अब आप चुपचाप इस कमरे
में ही रहिये। जब तक मैं ना कहूं, आप बाहर मत आइयेगा।” यह कह धरा ने मयूर को आँख मारी और वेगा के साथ बाहर ड्रांइग रुम में आ गयी।
तब तक वीनस 2 बार घंटी और बजा चुकी थी। धरा ने जल्दी से वेगा के कान में कुछ फुसफुसा कर कहा और स्वयं वेगा के बेडरुम में चली गयी।
वेगा ने धरा को अपने कमरे में जाते देख दरवाजा खोल दिया और वीनस को देखकर जानबूझकर घबराने की एक्टिंग की।
वीनस से वेगा की घबराहट छिपी ना रह सकी।
“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में।” वीनस ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।
“तुम भी तो बिना बताए आ गयी। अगर बता कर आती तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो कर तुम्हारा इंतजार करता।” वेगा ने डरे-डरे स्वर में कहा।
तभी वीनस ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “ये तुम लेडीज परफ्यूम कब से लगाने लगे?”
“वो मेरी एक बहुत पुरानी दोस्त आयी है। उसी ने लगाया था यह परफ्यूम।” वेगा ने घबराते हुए कहा।
तभी वेगा के बेडरुम से धरा निकलकर बाहर आ गयी। उसकी आँखें ऐसे लग रहीं थीं कि जैसे वह सो रही थी।
“यह कौन है वेगा?” धरा ने वीनस की ओर देखते हुए पूछा।
“इसकी छोड़ो।” वीनस ने गुस्सा होते हुए कहा- “पहले मुझे बताओ कि ये तुम्हारी कौन सी दोस्त है?.. तुमने आज तक मुझे इसके बारे में बताया क्यों नहीं?...और ये तुम्हारे बेडरुम में क्या कर रही थी?”
“मैं तो हमेशा ही वेगा के रुम में सोती हूं....क्यूं वेगू डार्लिंग...बताओ ना इसे मेरे बारे में।” धरा ने फुल एक्टिंग करते हुए वेगा के कंधे पर सहारा लेते हुए कहा।
“वेगू डार्लिंग!” अब वीनस का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया- “मुझे सच-सच बताओ वेगा...कौन है ये? नहीं तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी।”
“ये मेरी गर्लफ्रेंड है...इसका नाम धरा है।” वेगा ने मन ही मन हंसते हुए अपनी एक्टिंग को जारी रखते हुए कहा।
“तो मैं तुम्हारी कौन हूं?” वीनस ने चीख कर कहा।
“तुम तो मेरी दोस्त हो ना....तुमने तो इससे ज्यादा कभी मुझे कुछ बताया ही नहीं।” वेगा ने कहा।
“मैं तुम्हारी दोस्त नहीं दुश्मन थी वेगा....पर मुझे कब तुमसे प्यार हो गया, मुझे पता ही नहीं चला....पर अब मैं ये नाटक और ज्यादा नहीं चला सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दूंगी क्यों कि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं वेगा... मुझे लगा कि तुम मेरी फीलिंग्स को समझते होगे, पर तुम...तुमने मेरा दिल दुखाया है।” यह कहकर वीनस रोने लगी।
वेगा को समझ नहीं आया कि वीनस क्या कह रही है, पर इससे ज्यादा अब उसमें नाटक करने की हिम्मत नहीं थी इसलिये वह बोल पड़ा-
“सॉरी वीनस...मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी ज्यादा हर्ट हो जाओगी। दरअसल हम लोग नाटक कर रहे थे। यह धरा है, ये मेरी बड़ी बहन की तरह है। ये नाटक में सिर्फ मेरा साथ दे रही थी। मैं सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं पगली।”
वेगा के बड़ी बहन वाले शब्दों को सुन धरा भी एक पल के लिये वेगा के चेहरे को देखने लगी।
पता नहीं ऐसा क्या था वेगा के उन शब्दों में कि धरा की आँखों में आँसू की एक बूंद आ गयी, पर धरा ने अपना चेहरा पीछे करके तुरंत उसे पोंछ लिया।
वेगा ने वीनस को सहारा देकर एक कुर्सी पर बैठा दिया।
तभी मयूर भी दूसरे कमरे से निकलकर वहां आ गया।
वीनस ने एक पल के लिये सभी को देखा और फिर बोलना शुरु कर दिया-
“वेगा मैं तुम्हारे बारे में सबकुछ जानती हूं.....कि तुम सामरा राज्य के युवराज हो और तुम्हारे भाई युगाका ने जानबूझकर तुम्हें यहां रखा हुआ है। वो नहीं चाहते कि तुम्हारे दुश्मन सीनोर राज्य वाले तुम्हारे बारे में कुछ भी जानें और तुम पर हमला करें।”
वेगा ध्यान से वीनस की बात सुन रहा था।
“तुम यह सब कैसे जानती हो वीनस?” वेगा ने वीनस से पूछा।
“क्यों कि मैं तुम्हारे दुश्मन देश सीनोर की राजकुमारी हूं।”
वीनस के यह शब्द सुन वेगा ने अपना चेहरा वीनस की ओर से घुमा लिया।
वीनस बिना रुके बोले जा रही थी- “सीनोर राज्य के मांत्रिक मकोटा को जैसे ही तुम्हारे बारे में पता चला, उसने मेरे भाई लुफासा से कह के मुझे तुम्हारे कॉलेज में रखवाया।
मेरा काम तुम्हारे हर पल की रिपोर्ट
अपने भाई तक पहुंचाना था। मेरा भाई लुफासा इच्छाधारी शक्तियों का स्वामी है।
वो किसी भी जानवर का रुप धारण कर सकता है। उसने ही पहले बाज, टुंड्रा हंस, बुल शार्क, ईल मछली, सर्प और फिर बैल बनकर तुम पर आक्रमण किये थे। मकोटा ने मेरे भाई से तुम्हारी सिर्फ रिपोर्ट ही मंगवाई थी।
उसने तुम्हें मारने का आदेश नहीं दिया था। पर लुफासा ने मेरी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार की भाषा पढ़ ली। इसलिये वह तुम्हें जान से मार देना चाहता था। मैं आज तुम्हें सबकुछ बताने के लिये ही यहां आयीथी।”
इतना कहकर वीनस चुप हो गयी और वेगा को देखने लगी। वह जानना चाहती थी कि वेगा अब उसके बारे में क्या सोच रहा है।
“मैं तुमसे हमेशा प्यार करता था और करता रहूंगा वीनस..दुनिया की कोई शक्ति मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकती। तुमने अच्छा किया कि मुझे सबकुछ बता दिया। वैसे अगर नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं
पड़ता क्यों कि....मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पहले से ही पता था।”
“क्या ऽऽऽऽ?” इस बार हैरान होने की बारी वीनस की थी- “तुम्हें सबकुछ पहले से ही पता था, फिर भी तुमने मुझे मारने की कोशिश नहीं की?”
“मुझे पता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो, इसलिये मैंने तुम्हारी भावनाओं को सम्मान दिया।” वेगा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी- “क्यों धरा दीदी....मैंने सही किया ना?” इस बार वेगा ने धरा की ओर मुड़ते हुए कहा।
“बिल्कुल सही किया...मेरा भाई कभी गलत नहीं कर सकता।” धरा ने वेगा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
“पर मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि तुम मेरे बारे में जाने कैसे?” वीनस की आँखों में अभी भी आश्चर्य के भाव थे।
जारी रहेगा________
तभी शैफाली को एक ऐसी गुफा दिखाई दी, जिसका द्वार एक सुनहरी धातु का बना था और देखने से ही मानव निर्मित प्रतीत हो रहा था।
डॉल्फिन उस दरवाजे के पास जाकर पता नहीं कहां गायब हो गयी।
“यह झील के अंदर मानव निर्मित गुफा कैसी है? शायद डॉल्फिन इसी को दिखाने के लिये मुझे यहां तक लायी है। इसके अंदर चलकर देखती हूं। शायद इस द्वीप के किसी राज का पता चल जाये?”
यह सोच शैफाली गुफा के द्वार में प्रविष्ठ हो गई।
गुफा के अंदर एक बहुत विशालकाय स्थान था। जो पूरी तरह से रोशनी से नहाया था। वहां पर एक 20 फुट ऊंचा बड़ा सा सफेद रंग का सीप रखा था।
शैफाली ने कहानियों में भी कभी इतने बड़े सीप के बारे में सुन नहीं रखा था, इसलिये वह इतना बड़ा सीप देखकर आश्चर्य से भर गई।
सीप के बाहर एक सफेद रंग का बटन लगा हुआ था। कुछ सोचने के बाद शैफाली ने उस सफेद बटन को दबा दिया।
बटन के दबाते ही सीप किसी संदूक की तरह खुल गया।
उस सीप के अंदर 10 फुट का एक गोल परंतु पारदर्शी मोती रखा था।
शैफाली को उस मोती के अंदर कुछ चलता हुआ सा प्रतीत हुआ। इसलिये शैफाली, मोती से आँख सटाकर अंदर की ओर देखने लगी।
पर शैफाली ने जैसे ही अपना चेहरा उस मोती से सटाया, वह उस मोती के अंदर प्रवेश कर गई।
मोती कें अंदर बिल्कुल भी पानी नहीं था।
मोती के अंदर एक समुद्री हरे रंग की रबर की ड्रेस हवा में तैर रही थी। यह वही ड्रेस थी, जिसे सपने में शैफाली ने मैग्ना को पहने हुए देखा था।
शैफाली ने उत्सुकता वश उस ड्रेस को हाथ लगाया।
शैफाली के हाथ लगाते ही वह ड्रेस आश्चर्यजनक तरीके से शैफाली के शरीर पर स्वतः धारण हो गई।
वह ड्रेस शैफाली के शरीर पर बिल्कुल फिट लग रही थी। शैफाली उस ड्रेस को देखकर खुश हो गयी, पर जैसे ही वह मोती से निकलने चली, वह निकल नहीं पायी।
“अरे... ये क्या हो गया? मैं मोती में प्रवेश तो आसानी से कर गई थी फिर मैं इस से निकल क्यों नहीं पा रही हूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं इस ड्रेस के साथ इस मोती से बाहर नहीं जा सकती?”
यह सोच शैफाली ने अपनी ड्रेस उतारने की कोशिश की, पर वह ड्रेस तो मानों उसके शरीर से चिपक गयी थी।
शैफाली के बहुत प्रयत्नों के बाद भी वह ड्रेस उसके शरीर से नहीं उतरी।
शैफाली ने मोती में चारो ओर देखा, पर वहां कोई भी ऐसी चीज नहीं थी, जो शैफाली को वहां से निकलने में मदद कर सके।
जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, शैफाली की उलझन बढ़ती जा रही थी, यह तो भला हो कि मोती के अंदर भी उसे साँस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।
तभी शैफाली को बाहर फिर डॉल्फिन तैरती हुई नजर आयी।
शैफाली ने अपने मुंह से सीटी बजाकर डॉल्फिन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
सीटी की आवाज सुन डॉल्फिन उस मोती के पास आ गयी। शैफाली ने इशारे से डॉल्फिन को समझाने की कोशिश की।
पता नहीं डॉल्फिन को क्या समझ आया? कि वह पहले थोड़ा पीछे हटी और फिर तेजी से आगे बढ़कर एक जोरदार टक्कर उस मोती को मार दी।
डॉल्फिन की टक्कर से मोती सीप से निकलकर नीचे गिर गया और पानी में लुढ़कता हुआ एक चट्टान से जाकर टकरा गया।
मोती के लुढ़कने से शैफाली का शरीर अनियंत्रित होकर उस मोती में गोल-गोल नाचने लगा।
तभी अंजाने में ही शैफाली का हाथ उस ड्रेस की बेल्ट पर बने एक डॉल्फिन की आकृति वाले बक्कल से छू गया।
डॉल्फिन की आकृति को छूते ही शैफाली की ड्रेस से एक तेज गोलाकार अल्ट्रा-सोनिक तरंगें निकलीं और उन तरंगों के प्रभाव से वह मोती टूटकर बिखर गया।
मोती के टूटते ही शैफाली स्वतंत्र हो गई। उसने एक बार बेल्ट पर बनी डॉल्फिन की आकृति को देखा और तैरकर झील की सतह की ओर चल दी।
उधर जब काफी देर तक शैफाली उस झील से बाहर नहीं आयी, तो सुयश उस झील में उतरने का प्रयास करने लगा।
तभी पानी की सतह पर शैफाली का चेहरा दिखाई दिया।
सभी शैफाली को देखकर खुश हो गये। सुयश ने आगे बढ़कर शैफाली का हाथ पकड़ उसे झील से बाहर
खींच लिया।
“अरे...यह इतनी सुंदर ड्रेस तुम्हें कहां से मिल गयी?” जेनिथ ने खुश होते हुए पूछा।
शैफाली ने शुरु से अंत तक सारी कहानी सभी को सुना दी।
“अब तो यह साफ हो गया कि शैफाली का इस द्वीप से कोई ना कोई रिश्ता तो जरुर है?” सुयश ने कहा- “शायद यह द्वीप ही शैफाली के सपनों का कारण भी है। अब या तो मैग्ना शैफाली की कोई पहचान की थी, या फिर......।” कहते-कहते सुयश ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
“या.....?” क्रिस्टी ने ना समझने वाले अंदाज में ‘या ’शब्द पर जोर देते हुए सुयश से पूछा।
“या फिर शैफाली ही मैग्ना थी?” सुयश ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा।
“अब तो मुझे भी लगने लगा है कि शैफाली ही मैग्ना थी और इसका इस द्वीप से कुछ गहरा नाता था।” तौफीक ने कहा।
“चाहे जो भी हो, पर मुझे ये ड्रेस बहुत पसंद आयी।” जेनिथ ने कहा- “एक हम लोग हैं जो पिछले 7 दिनों से एक ही कपड़े पहन कर जंगल में घूम रहे हैं। यह जंगल बनाने वाले ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाया...अरे एक शॉपिंग मॉल भी खोल देता, तो उसका क्या जाता?”
जेनिथ की बात सुनकर सभी जोर से हंस दिये और पुनः आगे की ओर बढ़ गये।
उल्का पिंड : (13 जनवरी 2002, रविवार, 15:30, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)
धरा कल ही होश में आ गयी थी, लेकिन वेगा के बारे में जानने के लिये वह एक दिन का बहाना करके वेगा के घर ही रुक गयी थी।
वेगा ने धरा और मयूर को एक कमरा दे दिया था। धरा और मयूर इस समय उस कमरे में अकेले थे।
“यह वेगा तो बहुत ही साधारण इंसान है, यह हमारी धरा शक्ति को नहीं चुरा सकता, शायद इसे किसी ने वह घड़ी भेंट स्वरुप दी है और वेगा को भी इस घड़ी की शक्तियों के बारे में कुछ भी नहीं पता है?” धरा ने खिड़की के बाहर की ओर देखते हुए कहा।
“तुम सही कह रही हो धरा, वैसे भी वेगा एक अच्छा इंसान है, देखा नहीं कल उसने बिना हमें जाने हुए कैसे हमारी मदद की थी और आज भी वह अंजान व्यक्तियों को अपने घर में रखे है।” मयूर ने कहा।
“तो फिर क्या करें? क्या धरा शक्ति के कण को हम वेगा के ही पास छोड़ दें?” धरा के शब्दों में उलझन के भाव थे।
“हम एक काम करते हैं, आज भर हम वेगा के साथ रहकर उसके बारे में जानने की कुछ और कोशिश करते हैं। अगर हमें लगा कि वेगा उस धरा शक्ति के कण को संभाल सकने वाला उचित व्यक्ति है, तो हम धरा शक्ति के उस कण को वेगा के पास ही छोड़ देंगे। लेकिन अगर हमें लगा कि वेगा उस शक्ति का सही अधिकारी नहीं है, तो हम अपनी शक्ति अपने साथ वापस लेते चलेंगे।” मयूर ने कहा।
“ठीक है, फिर आज मैं उससे अपने तरीके से कुछ उगलवाने की कोशिश करती हूं। जरा देखें तो यह इंसान अंदर से है कैसा?” धरा ने मयूर के प्लान पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा।
तभी वेगा ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। वेगा की आवाज सुन दोनों चुप हो गये।
वेगा ने कमरे में प्रवेश करते हुए धरा से पूछा- “अब तबियत कैसी है आपकी?”
“पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हूं।” धरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- “वैसे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने हमारी काफी मदद की।”
“कोई बात नहीं....मैं तो वैसे भी इतने बड़े फ्लैट में अकेला ही रहता हूं।” वेगा ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
“आपके परिवार वाले यहां नहीं रहते हैं क्या?” धरा ने अपनापन दिखाते हुए पूछा।
“नहीं मेरे परिवार वाले यहां से हजारों किलोमीटर दूर रहते हैं।” वेगा ने कहा।
“और इतने बड़े शहर में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या आपकी?” धरा ने वेगा से थोड़ा मस्ती करते हुए पूछा।
यह सुन वेगा के चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान उभर आयी- “मेरे कॉलेज की एक लड़की है। जिसका नाम वीनस है। मैं तो उससे प्यार करता हूं, पर वह मुझे सिर्फ दोस्त ही समझती है...मुझे लगता है कि शायद वह भी मुझे मन ही मन पसंद करती है, पर उसने कभी ऐसा बोला नहीं?”
“अरे वाह! फिर तो तुम्हें धरा की ट्रेनिंग की जरुरत है। यह तुम्हारी सेटिंग जरुर करवा देगी। यह इन सब चीजों में निपुण है।” मयूर ने हंसते हुए कहा।
“क्या सच में आप मेरा यह काम बनवा सकती हैं?” वेगा धरा के सामने किसी बच्चे की तरह से बैठकर बोला।
उसका यह तरीका देख धरा को जोर से हंसी आ गयी- “ठीक है...ठीक है वेगा...मैं तुम्हारा ये काम कर दूंगी। आखिर तुमने मेरी जान बचाई है... पर इसके लिये तुम्हें वीनस को यहां बुलाना पड़ेगा।“
तभी दरवाजे की घंटी बज उठी। वेगा उठकर दरवाजे की ओर बढ़ा।
वेगा ने आई होल से बाहर की ओर झांक कर देखा।
दरवाजे पर वीनस खड़ी थी। वीनस को देख वेगा दरवाजा खोलने के बजाय भागता हुआ धरा के पास पहुंच गया।
“दरवाजे पर वीनस है।” वेगा ने फुसफुसा कर कहा।
“अरे वाह! लगता है ईश्वर भी तुम्हारी सेटिंग जल्दी कराना चाहता है।” धरा बेड से खड़ी होती हुई बोली-
“चलो मैं भी अपने कॉलेज की थोड़ी सी यादें ताजा कर लूं। अच्छा मयूर जी अब आप चुपचाप इस कमरे
में ही रहिये। जब तक मैं ना कहूं, आप बाहर मत आइयेगा।” यह कह धरा ने मयूर को आँख मारी और वेगा के साथ बाहर ड्रांइग रुम में आ गयी।
तब तक वीनस 2 बार घंटी और बजा चुकी थी। धरा ने जल्दी से वेगा के कान में कुछ फुसफुसा कर कहा और स्वयं वेगा के बेडरुम में चली गयी।
वेगा ने धरा को अपने कमरे में जाते देख दरवाजा खोल दिया और वीनस को देखकर जानबूझकर घबराने की एक्टिंग की।
वीनस से वेगा की घबराहट छिपी ना रह सकी।
“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में।” वीनस ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।
“तुम भी तो बिना बताए आ गयी। अगर बता कर आती तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो कर तुम्हारा इंतजार करता।” वेगा ने डरे-डरे स्वर में कहा।
तभी वीनस ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “ये तुम लेडीज परफ्यूम कब से लगाने लगे?”
“वो मेरी एक बहुत पुरानी दोस्त आयी है। उसी ने लगाया था यह परफ्यूम।” वेगा ने घबराते हुए कहा।
तभी वेगा के बेडरुम से धरा निकलकर बाहर आ गयी। उसकी आँखें ऐसे लग रहीं थीं कि जैसे वह सो रही थी।
“यह कौन है वेगा?” धरा ने वीनस की ओर देखते हुए पूछा।
“इसकी छोड़ो।” वीनस ने गुस्सा होते हुए कहा- “पहले मुझे बताओ कि ये तुम्हारी कौन सी दोस्त है?.. तुमने आज तक मुझे इसके बारे में बताया क्यों नहीं?...और ये तुम्हारे बेडरुम में क्या कर रही थी?”
“मैं तो हमेशा ही वेगा के रुम में सोती हूं....क्यूं वेगू डार्लिंग...बताओ ना इसे मेरे बारे में।” धरा ने फुल एक्टिंग करते हुए वेगा के कंधे पर सहारा लेते हुए कहा।
“वेगू डार्लिंग!” अब वीनस का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया- “मुझे सच-सच बताओ वेगा...कौन है ये? नहीं तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी।”
“ये मेरी गर्लफ्रेंड है...इसका नाम धरा है।” वेगा ने मन ही मन हंसते हुए अपनी एक्टिंग को जारी रखते हुए कहा।
“तो मैं तुम्हारी कौन हूं?” वीनस ने चीख कर कहा।
“तुम तो मेरी दोस्त हो ना....तुमने तो इससे ज्यादा कभी मुझे कुछ बताया ही नहीं।” वेगा ने कहा।
“मैं तुम्हारी दोस्त नहीं दुश्मन थी वेगा....पर मुझे कब तुमसे प्यार हो गया, मुझे पता ही नहीं चला....पर अब मैं ये नाटक और ज्यादा नहीं चला सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दूंगी क्यों कि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं वेगा... मुझे लगा कि तुम मेरी फीलिंग्स को समझते होगे, पर तुम...तुमने मेरा दिल दुखाया है।” यह कहकर वीनस रोने लगी।
वेगा को समझ नहीं आया कि वीनस क्या कह रही है, पर इससे ज्यादा अब उसमें नाटक करने की हिम्मत नहीं थी इसलिये वह बोल पड़ा-
“सॉरी वीनस...मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी ज्यादा हर्ट हो जाओगी। दरअसल हम लोग नाटक कर रहे थे। यह धरा है, ये मेरी बड़ी बहन की तरह है। ये नाटक में सिर्फ मेरा साथ दे रही थी। मैं सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं पगली।”
वेगा के बड़ी बहन वाले शब्दों को सुन धरा भी एक पल के लिये वेगा के चेहरे को देखने लगी।
पता नहीं ऐसा क्या था वेगा के उन शब्दों में कि धरा की आँखों में आँसू की एक बूंद आ गयी, पर धरा ने अपना चेहरा पीछे करके तुरंत उसे पोंछ लिया।
वेगा ने वीनस को सहारा देकर एक कुर्सी पर बैठा दिया।
तभी मयूर भी दूसरे कमरे से निकलकर वहां आ गया।
वीनस ने एक पल के लिये सभी को देखा और फिर बोलना शुरु कर दिया-
“वेगा मैं तुम्हारे बारे में सबकुछ जानती हूं.....कि तुम सामरा राज्य के युवराज हो और तुम्हारे भाई युगाका ने जानबूझकर तुम्हें यहां रखा हुआ है। वो नहीं चाहते कि तुम्हारे दुश्मन सीनोर राज्य वाले तुम्हारे बारे में कुछ भी जानें और तुम पर हमला करें।”
वेगा ध्यान से वीनस की बात सुन रहा था।
“तुम यह सब कैसे जानती हो वीनस?” वेगा ने वीनस से पूछा।
“क्यों कि मैं तुम्हारे दुश्मन देश सीनोर की राजकुमारी हूं।”
वीनस के यह शब्द सुन वेगा ने अपना चेहरा वीनस की ओर से घुमा लिया।
वीनस बिना रुके बोले जा रही थी- “सीनोर राज्य के मांत्रिक मकोटा को जैसे ही तुम्हारे बारे में पता चला, उसने मेरे भाई लुफासा से कह के मुझे तुम्हारे कॉलेज में रखवाया।
मेरा काम तुम्हारे हर पल की रिपोर्ट
अपने भाई तक पहुंचाना था। मेरा भाई लुफासा इच्छाधारी शक्तियों का स्वामी है।
वो किसी भी जानवर का रुप धारण कर सकता है। उसने ही पहले बाज, टुंड्रा हंस, बुल शार्क, ईल मछली, सर्प और फिर बैल बनकर तुम पर आक्रमण किये थे। मकोटा ने मेरे भाई से तुम्हारी सिर्फ रिपोर्ट ही मंगवाई थी।
उसने तुम्हें मारने का आदेश नहीं दिया था। पर लुफासा ने मेरी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार की भाषा पढ़ ली। इसलिये वह तुम्हें जान से मार देना चाहता था। मैं आज तुम्हें सबकुछ बताने के लिये ही यहां आयीथी।”
इतना कहकर वीनस चुप हो गयी और वेगा को देखने लगी। वह जानना चाहती थी कि वेगा अब उसके बारे में क्या सोच रहा है।
“मैं तुमसे हमेशा प्यार करता था और करता रहूंगा वीनस..दुनिया की कोई शक्ति मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकती। तुमने अच्छा किया कि मुझे सबकुछ बता दिया। वैसे अगर नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं
पड़ता क्यों कि....मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पहले से ही पता था।”
“क्या ऽऽऽऽ?” इस बार हैरान होने की बारी वीनस की थी- “तुम्हें सबकुछ पहले से ही पता था, फिर भी तुमने मुझे मारने की कोशिश नहीं की?”
“मुझे पता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो, इसलिये मैंने तुम्हारी भावनाओं को सम्मान दिया।” वेगा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी- “क्यों धरा दीदी....मैंने सही किया ना?” इस बार वेगा ने धरा की ओर मुड़ते हुए कहा।
“बिल्कुल सही किया...मेरा भाई कभी गलत नहीं कर सकता।” धरा ने वेगा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
“पर मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि तुम मेरे बारे में जाने कैसे?” वीनस की आँखों में अभी भी आश्चर्य के भाव थे।
जारी रहेगा________
