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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#124.

तभी शैफाली को एक ऐसी गुफा दिखाई दी, जिसका द्वार एक सुनहरी धातु का बना था और देखने से ही मानव निर्मित प्रतीत हो रहा था।

डॉल्फिन उस दरवाजे के पास जाकर पता नहीं कहां गायब हो गयी।

“यह झील के अंदर मानव निर्मित गुफा कैसी है? शायद डॉल्फिन इसी को दिखाने के लिये मुझे यहां तक लायी है। इसके अंदर चलकर देखती हूं। शायद इस द्वीप के किसी राज का पता चल जाये?”

यह सोच शैफाली गुफा के द्वार में प्रविष्ठ हो गई।

गुफा के अंदर एक बहुत विशालकाय स्थान था। जो पूरी तरह से रोशनी से नहाया था। वहां पर एक 20 फुट ऊंचा बड़ा सा सफेद रंग का सीप रखा था।

शैफाली ने कहानियों में भी कभी इतने बड़े सीप के बारे में सुन नहीं रखा था, इसलिये वह इतना बड़ा सीप देखकर आश्चर्य से भर गई।

सीप के बाहर एक सफेद रंग का बटन लगा हुआ था। कुछ सोचने के बाद शैफाली ने उस सफेद बटन को दबा दिया।

बटन के दबाते ही सीप किसी संदूक की तरह खुल गया।

उस सीप के अंदर 10 फुट का एक गोल परंतु पारदर्शी मोती रखा था।

शैफाली को उस मोती के अंदर कुछ चलता हुआ सा प्रतीत हुआ। इसलिये शैफाली, मोती से आँख सटाकर अंदर की ओर देखने लगी।

पर शैफाली ने जैसे ही अपना चेहरा उस मोती से सटाया, वह उस मोती के अंदर प्रवेश कर गई।

मोती कें अंदर बिल्कुल भी पानी नहीं था।

मोती के अंदर एक समुद्री हरे रंग की रबर की ड्रेस हवा में तैर रही थी। यह वही ड्रेस थी, जिसे सपने में शैफाली ने मैग्ना को पहने हुए देखा था।

शैफाली ने उत्सुकता वश उस ड्रेस को हाथ लगाया।

शैफाली के हाथ लगाते ही वह ड्रेस आश्चर्यजनक तरीके से शैफाली के शरीर पर स्वतः धारण हो गई।

वह ड्रेस शैफाली के शरीर पर बिल्कुल फिट लग रही थी। शैफाली उस ड्रेस को देखकर खुश हो गयी, पर जैसे ही वह मोती से निकलने चली, वह निकल नहीं पायी।

“अरे... ये क्या हो गया? मैं मोती में प्रवेश तो आसानी से कर गई थी फिर मैं इस से निकल क्यों नहीं पा रही हूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं इस ड्रेस के साथ इस मोती से बाहर नहीं जा सकती?”

यह सोच शैफाली ने अपनी ड्रेस उतारने की कोशिश की, पर वह ड्रेस तो मानों उसके शरीर से चिपक गयी थी।

शैफाली के बहुत प्रयत्नों के बाद भी वह ड्रेस उसके शरीर से नहीं उतरी।

शैफाली ने मोती में चारो ओर देखा, पर वहां कोई भी ऐसी चीज नहीं थी, जो शैफाली को वहां से निकलने में मदद कर सके।

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, शैफाली की उलझन बढ़ती जा रही थी, यह तो भला हो कि मोती के अंदर भी उसे साँस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।

तभी शैफाली को बाहर फिर डॉल्फिन तैरती हुई नजर आयी।

शैफाली ने अपने मुंह से सीटी बजाकर डॉल्फिन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

सीटी की आवाज सुन डॉल्फिन उस मोती के पास आ गयी। शैफाली ने इशारे से डॉल्फिन को समझाने की कोशिश की।

पता नहीं डॉल्फिन को क्या समझ आया? कि वह पहले थोड़ा पीछे हटी और फिर तेजी से आगे बढ़कर एक जोरदार टक्कर उस मोती को मार दी।

डॉल्फिन की टक्कर से मोती सीप से निकलकर नीचे गिर गया और पानी में लुढ़कता हुआ एक चट्टान से जाकर टकरा गया।

मोती के लुढ़कने से शैफाली का शरीर अनियंत्रित होकर उस मोती में गोल-गोल नाचने लगा।

तभी अंजाने में ही शैफाली का हाथ उस ड्रेस की बेल्ट पर बने एक डॉल्फिन की आकृति वाले बक्कल से छू गया।

डॉल्फिन की आकृति को छूते ही शैफाली की ड्रेस से एक तेज गोलाकार अल्ट्रा-सोनिक तरंगें निकलीं और उन तरंगों के प्रभाव से वह मोती टूटकर बिखर गया।

मोती के टूटते ही शैफाली स्वतंत्र हो गई। उसने एक बार बेल्ट पर बनी डॉल्फिन की आकृति को देखा और तैरकर झील की सतह की ओर चल दी।

उधर जब काफी देर तक शैफाली उस झील से बाहर नहीं आयी, तो सुयश उस झील में उतरने का प्रयास करने लगा।

तभी पानी की सतह पर शैफाली का चेहरा दिखाई दिया।

सभी शैफाली को देखकर खुश हो गये। सुयश ने आगे बढ़कर शैफाली का हाथ पकड़ उसे झील से बाहर
खींच लिया।

“अरे...यह इतनी सुंदर ड्रेस तुम्हें कहां से मिल गयी?” जेनिथ ने खुश होते हुए पूछा।

शैफाली ने शुरु से अंत तक सारी कहानी सभी को सुना दी।

“अब तो यह साफ हो गया कि शैफाली का इस द्वीप से कोई ना कोई रिश्ता तो जरुर है?” सुयश ने कहा- “शायद यह द्वीप ही शैफाली के सपनों का कारण भी है। अब या तो मैग्ना शैफाली की कोई पहचान की थी, या फिर......।” कहते-कहते सुयश ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

“या.....?” क्रिस्टी ने ना समझने वाले अंदाज में ‘या ’शब्द पर जोर देते हुए सुयश से पूछा।

“या फिर शैफाली ही मैग्ना थी?” सुयश ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा।

“अब तो मुझे भी लगने लगा है कि शैफाली ही मैग्ना थी और इसका इस द्वीप से कुछ गहरा नाता था।” तौफीक ने कहा।

“चाहे जो भी हो, पर मुझे ये ड्रेस बहुत पसंद आयी।” जेनिथ ने कहा- “एक हम लोग हैं जो पिछले 7 दिनों से एक ही कपड़े पहन कर जंगल में घूम रहे हैं। यह जंगल बनाने वाले ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाया...अरे एक शॉपिंग मॉल भी खोल देता, तो उसका क्या जाता?”

जेनिथ की बात सुनकर सभी जोर से हंस दिये और पुनः आगे की ओर बढ़ गये।

उल्का पिंड :
(13 जनवरी 2002, रविवार, 15:30, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)

धरा कल ही होश में आ गयी थी, लेकिन वेगा के बारे में जानने के लिये वह एक दिन का बहाना करके वेगा के घर ही रुक गयी थी।

वेगा ने धरा और मयूर को एक कमरा दे दिया था। धरा और मयूर इस समय उस कमरे में अकेले थे।

“यह वेगा तो बहुत ही साधारण इंसान है, यह हमारी धरा शक्ति को नहीं चुरा सकता, शायद इसे किसी ने वह घड़ी भेंट स्वरुप दी है और वेगा को भी इस घड़ी की शक्तियों के बारे में कुछ भी नहीं पता है?” धरा ने खिड़की के बाहर की ओर देखते हुए कहा।

“तुम सही कह रही हो धरा, वैसे भी वेगा एक अच्छा इंसान है, देखा नहीं कल उसने बिना हमें जाने हुए कैसे हमारी मदद की थी और आज भी वह अंजान व्यक्तियों को अपने घर में रखे है।” मयूर ने कहा।

“तो फिर क्या करें? क्या धरा शक्ति के कण को हम वेगा के ही पास छोड़ दें?” धरा के शब्दों में उलझन के भाव थे।

“हम एक काम करते हैं, आज भर हम वेगा के साथ रहकर उसके बारे में जानने की कुछ और कोशिश करते हैं। अगर हमें लगा कि वेगा उस धरा शक्ति के कण को संभाल सकने वाला उचित व्यक्ति है, तो हम धरा शक्ति के उस कण को वेगा के पास ही छोड़ देंगे। लेकिन अगर हमें लगा कि वेगा उस शक्ति का सही अधिकारी नहीं है, तो हम अपनी शक्ति अपने साथ वापस लेते चलेंगे।” मयूर ने कहा।

“ठीक है, फिर आज मैं उससे अपने तरीके से कुछ उगलवाने की कोशिश करती हूं। जरा देखें तो यह इंसान अंदर से है कैसा?” धरा ने मयूर के प्लान पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा।

तभी वेगा ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। वेगा की आवाज सुन दोनों चुप हो गये।

वेगा ने कमरे में प्रवेश करते हुए धरा से पूछा- “अब तबियत कैसी है आपकी?”

“पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हूं।” धरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- “वैसे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने हमारी काफी मदद की।”

“कोई बात नहीं....मैं तो वैसे भी इतने बड़े फ्लैट में अकेला ही रहता हूं।” वेगा ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।

“आपके परिवार वाले यहां नहीं रहते हैं क्या?” धरा ने अपनापन दिखाते हुए पूछा।

“नहीं मेरे परिवार वाले यहां से हजारों किलोमीटर दूर रहते हैं।” वेगा ने कहा।

“और इतने बड़े शहर में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या आपकी?” धरा ने वेगा से थोड़ा मस्ती करते हुए पूछा।

यह सुन वेगा के चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान उभर आयी- “मेरे कॉलेज की एक लड़की है। जिसका नाम वीनस है। मैं तो उससे प्यार करता हूं, पर वह मुझे सिर्फ दोस्त ही समझती है...मुझे लगता है कि शायद वह भी मुझे मन ही मन पसंद करती है, पर उसने कभी ऐसा बोला नहीं?”

“अरे वाह! फिर तो तुम्हें धरा की ट्रेनिंग की जरुरत है। यह तुम्हारी सेटिंग जरुर करवा देगी। यह इन सब चीजों में निपुण है।” मयूर ने हंसते हुए कहा।

“क्या सच में आप मेरा यह काम बनवा सकती हैं?” वेगा धरा के सामने किसी बच्चे की तरह से बैठकर बोला।

उसका यह तरीका देख धरा को जोर से हंसी आ गयी- “ठीक है...ठीक है वेगा...मैं तुम्हारा ये काम कर दूंगी। आखिर तुमने मेरी जान बचाई है... पर इसके लिये तुम्हें वीनस को यहां बुलाना पड़ेगा।“

तभी दरवाजे की घंटी बज उठी। वेगा उठकर दरवाजे की ओर बढ़ा।

वेगा ने आई होल से बाहर की ओर झांक कर देखा।

दरवाजे पर वीनस खड़ी थी। वीनस को देख वेगा दरवाजा खोलने के बजाय भागता हुआ धरा के पास पहुंच गया।

“दरवाजे पर वीनस है।” वेगा ने फुसफुसा कर कहा।

“अरे वाह! लगता है ईश्वर भी तुम्हारी सेटिंग जल्दी कराना चाहता है।” धरा बेड से खड़ी होती हुई बोली-

“चलो मैं भी अपने कॉलेज की थोड़ी सी यादें ताजा कर लूं। अच्छा मयूर जी अब आप चुपचाप इस कमरे
में ही रहिये। जब तक मैं ना कहूं, आप बाहर मत आइयेगा।” यह कह धरा ने मयूर को आँख मारी और वेगा के साथ बाहर ड्रांइग रुम में आ गयी।

तब तक वीनस 2 बार घंटी और बजा चुकी थी। धरा ने जल्दी से वेगा के कान में कुछ फुसफुसा कर कहा और स्वयं वेगा के बेडरुम में चली गयी।

वेगा ने धरा को अपने कमरे में जाते देख दरवाजा खोल दिया और वीनस को देखकर जानबूझकर घबराने की एक्टिंग की।

वीनस से वेगा की घबराहट छिपी ना रह सकी।

“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में।” वीनस ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।

“तुम भी तो बिना बताए आ गयी। अगर बता कर आती तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो कर तुम्हारा इंतजार करता।” वेगा ने डरे-डरे स्वर में कहा।

तभी वीनस ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “ये तुम लेडीज परफ्यूम कब से लगाने लगे?”

“वो मेरी एक बहुत पुरानी दोस्त आयी है। उसी ने लगाया था यह परफ्यूम।” वेगा ने घबराते हुए कहा।

तभी वेगा के बेडरुम से धरा निकलकर बाहर आ गयी। उसकी आँखें ऐसे लग रहीं थीं कि जैसे वह सो रही थी।

“यह कौन है वेगा?” धरा ने वीनस की ओर देखते हुए पूछा।

“इसकी छोड़ो।” वीनस ने गुस्सा होते हुए कहा- “पहले मुझे बताओ कि ये तुम्हारी कौन सी दोस्त है?.. तुमने आज तक मुझे इसके बारे में बताया क्यों नहीं?...और ये तुम्हारे बेडरुम में क्या कर रही थी?”

“मैं तो हमेशा ही वेगा के रुम में सोती हूं....क्यूं वेगू डार्लिंग...बताओ ना इसे मेरे बारे में।” धरा ने फुल एक्टिंग करते हुए वेगा के कंधे पर सहारा लेते हुए कहा।

“वेगू डार्लिंग!” अब वीनस का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया- “मुझे सच-सच बताओ वेगा...कौन है ये? नहीं तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी।”

“ये मेरी गर्लफ्रेंड है...इसका नाम धरा है।” वेगा ने मन ही मन हंसते हुए अपनी एक्टिंग को जारी रखते हुए कहा।

“तो मैं तुम्हारी कौन हूं?” वीनस ने चीख कर कहा।

“तुम तो मेरी दोस्त हो ना....तुमने तो इससे ज्यादा कभी मुझे कुछ बताया ही नहीं।” वेगा ने कहा।

“मैं तुम्हारी दोस्त नहीं दुश्मन थी वेगा....पर मुझे कब तुमसे प्यार हो गया, मुझे पता ही नहीं चला....पर अब मैं ये नाटक और ज्यादा नहीं चला सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दूंगी क्यों कि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं वेगा... मुझे लगा कि तुम मेरी फीलिंग्स को समझते होगे, पर तुम...तुमने मेरा दिल दुखाया है।” यह कहकर वीनस रोने लगी।

वेगा को समझ नहीं आया कि वीनस क्या कह रही है, पर इससे ज्यादा अब उसमें नाटक करने की हिम्मत नहीं थी इसलिये वह बोल पड़ा-

“सॉरी वीनस...मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी ज्यादा हर्ट हो जाओगी। दरअसल हम लोग नाटक कर रहे थे। यह धरा है, ये मेरी बड़ी बहन की तरह है। ये नाटक में सिर्फ मेरा साथ दे रही थी। मैं सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं पगली।”

वेगा के बड़ी बहन वाले शब्दों को सुन धरा भी एक पल के लिये वेगा के चेहरे को देखने लगी।

पता नहीं ऐसा क्या था वेगा के उन शब्दों में कि धरा की आँखों में आँसू की एक बूंद आ गयी, पर धरा ने अपना चेहरा पीछे करके तुरंत उसे पोंछ लिया।

वेगा ने वीनस को सहारा देकर एक कुर्सी पर बैठा दिया।

तभी मयूर भी दूसरे कमरे से निकलकर वहां आ गया।

वीनस ने एक पल के लिये सभी को देखा और फिर बोलना शुरु कर दिया-
“वेगा मैं तुम्हारे बारे में सबकुछ जानती हूं.....कि तुम सामरा राज्य के युवराज हो और तुम्हारे भाई युगाका ने जानबूझकर तुम्हें यहां रखा हुआ है। वो नहीं चाहते कि तुम्हारे दुश्मन सीनोर राज्य वाले तुम्हारे बारे में कुछ भी जानें और तुम पर हमला करें।”

वेगा ध्यान से वीनस की बात सुन रहा था।

“तुम यह सब कैसे जानती हो वीनस?” वेगा ने वीनस से पूछा।

“क्यों कि मैं तुम्हारे दुश्मन देश सीनोर की राजकुमारी हूं।”

वीनस के यह शब्द सुन वेगा ने अपना चेहरा वीनस की ओर से घुमा लिया।

वीनस बिना रुके बोले जा रही थी- “सीनोर राज्य के मांत्रिक मकोटा को जैसे ही तुम्हारे बारे में पता चला, उसने मेरे भाई लुफासा से कह के मुझे तुम्हारे कॉलेज में रखवाया।
मेरा काम तुम्हारे हर पल की रिपोर्ट
अपने भाई तक पहुंचाना था। मेरा भाई लुफासा इच्छाधारी शक्तियों का स्वामी है।

वो किसी भी जानवर का रुप धारण कर सकता है। उसने ही पहले बाज, टुंड्रा हंस, बुल शार्क, ईल मछली, सर्प और फिर बैल बनकर तुम पर आक्रमण किये थे। मकोटा ने मेरे भाई से तुम्हारी सिर्फ रिपोर्ट ही मंगवाई थी।

उसने तुम्हें मारने का आदेश नहीं दिया था। पर लुफासा ने मेरी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार की भाषा पढ़ ली। इसलिये वह तुम्हें जान से मार देना चाहता था। मैं आज तुम्हें सबकुछ बताने के लिये ही यहां आयीथी।”

इतना कहकर वीनस चुप हो गयी और वेगा को देखने लगी। वह जानना चाहती थी कि वेगा अब उसके बारे में क्या सोच रहा है।

“मैं तुमसे हमेशा प्यार करता था और करता रहूंगा वीनस..दुनिया की कोई शक्ति मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकती। तुमने अच्छा किया कि मुझे सबकुछ बता दिया। वैसे अगर नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं
पड़ता क्यों कि....मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पहले से ही पता था।”

“क्या ऽऽऽऽ?” इस बार हैरान होने की बारी वीनस की थी- “तुम्हें सबकुछ पहले से ही पता था, फिर भी तुमने मुझे मारने की कोशिश नहीं की?”

“मुझे पता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो, इसलिये मैंने तुम्हारी भावनाओं को सम्मान दिया।” वेगा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी- “क्यों धरा दीदी....मैंने सही किया ना?” इस बार वेगा ने धरा की ओर मुड़ते हुए कहा।

“बिल्कुल सही किया...मेरा भाई कभी गलत नहीं कर सकता।” धरा ने वेगा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।

“पर मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि तुम मेरे बारे में जाने कैसे?” वीनस की आँखों में अभी भी आश्चर्य के भाव थे।


जारी रहेगा________✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Awe

Awesome update and nice story

Nice update....

अद

अद्भुत अद्भुत अद्भुत बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Maza aa gya bhai update padhkar agle update ka intezar h ab

Shandar update bro

Bhut hi badhiya update Bhai
To klika ne sabhi darvajo ko par karke prkash shakti hashil kar li or uske tarko ko sunkar yakshraj ne use ek vardan bhi de Diya
Vahi dusri or jenith ki vajah se sabhi ki jaan bach gayi
Dhekte hai ab aage kya hota hai

Awesome update and nice story

Sabhi ne ek behad hi khatarnak musibat ko paar kiya hai par ye musibat ka ant nahi hai phir se inke samne ek nayi musibat kaise aur kis roop mein aa jayegi kisi ko nahi pata hai, they will have to be very careful till the end.

Wonderful and lovely update brother 🌹 🌹

बहुत ही सुंदर update....

romanchak update. kalika ne sabhi sawalo ka sahi jawab diya aur apne buddhi aur sanyam ka parichay dete huye Prakash shakti ko prapt kar liya jisse gyan ka Prakash faila sake ..par uske ladki ka naam nahi pata chal paya jisko himshakti ka vardan diya yaksh ne ..

khunkhar chitiya aur uske baad khooni tejaab ki barish se bach paaye sab sirf jenith ki wajah se ..ab aage aur kya musibat aayegi dekhte hai ..

Nice update....

राज भाई मुझे तो यह चैप्टर सभी से मजेदार लगा त्रिकाली और व्योम का एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधना
पर बिचारे व्योम को तो मालूम ही नहीं है कि उसने त्रिकाली को जो रक्षा सूत्र बांधा एंव बंधवाया है वह त्रिकाली और व्योम को एक दूसरे से जोड़ दिया है जिसे देवी काली ने भी स्वीकार कर लिया है

Sign in nahi ho raha tha isliye mujhe password create karna pada dekhte hain phir se google sign hota hai ya nahi.

Addicted ko pm nahi kiya hai lekin ask staff section mein query file kar diya hai.

115:
भाई चाहे कुछ कहो - कई तीर्थों में मैंने भव्य आरतियाँ होती देखी हैं। सच में, शंख, घंटे, ढोल, मृदंग इत्यादि की ध्वनियाँ जब गूंजती हैं, तो ऐसा माहौल बनता है कि क्या कहें! एकदम दिव्य! मन कहीं और ही चला जाता है। आपने उतना बड़ा लिखा नहीं - कहानी का वो उद्देश्य ही नहीं है - लेकिन अगर लिखते, तो आनंद आ जाता! :)

गुरुत्व शक्ति व्योम को मिली, उधर उस डिबिया में वापस भी आ गई। यह रोचक बात है। जैसा कि आपने एक्सप्लेन किया है, कि अगर गुरुत्व शक्ति किसी सुयोग्य व्यक्ति को मिलती है - हमारे केस में ‘व्योम’ को - तो वो उसका रिप्लेसमेंट भी वापस अपने सही स्थान पर चला जाता है। बढ़िया। पॉजिटिव मल्टिप्लिकेशन! 👍

चिकनी अंडाकार चट्टानें - यह सुनते ही मुझको पहला शब्द जो चमका वो था “अंडे”! हा हा! 😂

टेरोसौर (Pterosaur) उड़ने वाले डायनासौर की एक प्रजाति थी। शायद कुछ पाठकों को न मालूम हो, लेकिन वैज्ञानिक ये मानते हैं कि आधुनिक चिड़ियें, दरअसल, डायनासौर से ही विकसित हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया की कुछ चिड़ियाँ, जैसे, ऐमू, कैसोवरी, या फिर अफ्रीका के ऑस्ट्रिच (शुतुरमुर्ग) देखने में डायनासौर जैसे ही प्रतीत होते हैं।

ख़ैर…

वर्णन थोड़ा अतिशय लगा - स्पीलबर्ग की जुरैसिक पार्क फिल्मों जैसा! छोटे चूज़े बहुत निर्बल होते हैं, ख़ास कर बड़ी प्रजाति के चिड़ियों के। वो पूरी तरह से अपनी माँ / पिता पर आश्रित होते हैं खाने पीने के लिए। उनके लिए ऐसे शिकार कर पाना... अगर असंभव नहीं है, तो देखा नहीं गया है। बेहतर होता आगर आप बड़े टेरोसौर को यह करते दिखाते।

कहाँ सोचा था कि तौफ़ीक़ नपेगा, लेकिन यहाँ तो अल्बर्ट ही चला गया। 😢


अल्बर्ट के जाने से अब इस ग्रुप को वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि देने वाला कोई नहीं बचा। शेफ़ाली तार्किक रूप से संपन्न है, लेकिन उसका अलग महत्त्व है।


116:
यार वो मछली गायब कैसे और किधर हो गई? पहले और दूसरे वार से वेगा को जोडिएक घड़ी ने बहुत हद तक बचा लिया। लेकिन प्रश्न ये है कि इतने कम समय में इतनी बार हमला! वेगा को मार कर किसको क्या हासिल होने वाला है? जिस तरह से मछली और नाग गायब हुए हैं, यह बहुत ही रहस्यमय है।

लेकिन सांड़ नहीं गायब हुआ? वो कैसे? छुट्टा सांड़ अमेरिका की सड़कों पर यूँ नहीं घूमते।

लेकिन… अब दोहरी मुसीबत एक साथ ही वेगा के सर पर मँडरा रही है।

117:
एलेक्स ज़िंदा है? हम्म्म!

एक तो अनगिनत पात्र हैं और थोक के भाव मर रहे हैं; ऐसे में किस किस का ब्यौरा रखा जाए भला! :confused3:

एलेक्स की हरकत समझ नहीं आई - पहले तो भाई का पृष्ठभाग मेडुसा को देख कर फ़ट गया, फिर वो उसका पीछा भी करने लगा। अरे यार - कोई मुसीबत के पीछे जान-बूझ कर क्यों जाना चाहेगा? इस समय उसकी हालत आसमान से गिरे, खजूर पर अटके जैसी ही है।

फिर भी उंगली करने की गज़ब की खुजली है उसमें।

विषधर ने सही कहा - एलेक्स सौ फ़ीसदी मूर्ख है। घंटा कोई अच्छाई है उसमें - पहले बार-बार बार-बार उंगली करना, फिर बोलने वाले सर्प की बात मानना (ओल्ड टेस्टामेंट और कृष्ण लीला की कहानियों से भी कुछ नहीं सीखा इसने)! लेकिन विषधर के बचने से क्या प्रभाव होगा? देखने वाली बात रहेगी।

118:
क्रिस्टी की हिम्मत और हौसले, तेजी और बुद्धिमत्ता की दाद देनी ही पड़ेगी। सच में - यही सब तो मनुष्य के हथियार हैं। इन्ही के बल बूते पर उसने इस आधुनिक संसार की रचना करी है।

वाह भाई! 👏

119:
यार ये बात समझ में नहीं आई कि इतना खतरा होने पर भी राजकुमारी त्रिकाली महादेवी की पूजा करने क्यों निकले?

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।” -- हो सकता है, होना भी चाहिए -- लेकिन जिस समय आपने यह लिखा, उस समय असंभव है। जब गाँ* फटती है, तो किसी पर मोहित होने वाला विचार सबसे अंत में आता है। इस समय त्रिकाली को व्योम की मदद करने का विचार आना चाहिए था। इसलिए थोड़ा अटपटा लगा यहाँ।

हाँ - गोंजालो की पराजय के बाद वो व्योम पर मोहित होती, तो सब समझ में आता।

तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।” -- चल गया तीर, लग गया निशाना! हा हा हा हा हा!!! 😂😂

त्रिकाली ने बिना बताये व्योम भाई से बियाह कर लिया है, और महादेवी उसकी साक्षी भी बन गई हैं। धोखेबाज़ त्रिकाली!! हा हा हा! 😂😂👏

120:
सुयश को भी पाने बुद्धि कौशल को आजमाने का मौका मिला।

121:
आपने रूपकुण्ड झील के बारे में लिखा - मैंने वहाँ दो बार ट्रेक किया है (करीब बीस साल पहले)। क़रीब साढ़े सोलह हज़ार फ़ीट ऊँचाई पर है यह और त्रिशूल और नंदा-घुंटी पीक्स के बीच है। बहुत बड़ी नहीं है - कोई 38-40 मीटर ही होगा इसका डायमीटर। गोल नहीं है, अंडाकार है। लेकिन एक छोटी झील के लिए इसकी गहराई में बहुत अंतर रहता है - शायद 3 से 50 मीटर तक! ट्रेकिंग करते समय बेदनी बुग्याल (बहुत ही सुन्दर जगह… यहाँ पर ब्रह्म कमल मिलते हैं), भगवाबासा, कालु विनायक स्टॉप्स आते हैं। कालु विनायक में भगवन गणेश की काले रंग की मूर्ति है। इसलिए उसका नाम यह है।

जिन नर कंकालों का आपने ज़िक्र किया है, उनके दो समय काल बताए जाते हैं। नौवीं (राजजात यात्रा उसी समय शुरू हुई थी, इसलिए यह इंडिकेशन होता है ये लोग धार्मिक यात्रा पर आए हुए थे) और उन्नीसवीं शताब्दी (इनका डीएनए टेस्ट बताता है कि ये लोग ईस्टर्न मेडिटेरेनियन से रहे होंगे)। यह एक बेहद महत्वपूर्ण झील है, जिसका समुचित संरक्षण होना चाहिए। लेकिन ढीली ढाली सरकारों और लम्पट ट्रेकर्स, टूरिस्ट्स, और धर्म-यात्रियों के चलते, झील को बहुत नुक़सान हो रहा है। झील क्या, हर चीज़ को। बीस साल पहले जब गया था वहाँ, तो बेदनी बुग्याल में ढेरों ब्रह्म कमल मिलते थे, लेकिन तीन साल पहले एक मित्र वहाँ गए, उनको एक नहीं दिखा।

कलिका --- अनंत किरदारों की फ़ेहरिस्त में एक और!!

कलिका का द्वार चुनाव और तर्क बहुत बढ़िया लगा। मेरा भी यही तर्क था।
मेरे हिसाब से उस स्त्री को “पति के सर और भाई के धड़” वाले व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसकी चेतना, स्मृतियों, और व्यक्तित्व से बनती है, जो उसके मस्तिष्क में निहित होती हैं। पति के सर वाला व्यक्ति उस स्त्री का वैवाहिक साथी है, जिसके साथ उसका भावनात्मक और सामाजिक बंधन है। विवाह में संतान आवश्यक हैं, लेकिन कहानी में स्त्री के संतानों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए यह कह नहीं सकते कि उसकी कोई संतान है या नहीं। अतः, यह भी मान सकते हैं कि स्त्री और उसके पति की संतान हो चुकी हों और उन्होंने अपना ऋण उतार दिया है।

122:
कलिका के तर्क वितर्क के लिए, “अहो,” “अहो,”! देवि, तुम धन्य हो!
मैं भी महर्षि व्यास को चुनता, क्योंकि गुरु ही “प्रकाश” का अर्थ समझाते हैं… प्रकाश (ज्ञान) और अन्धकार (जड़ता) के भेद को बताते हैं।


Raj_sharma राज भाई - यह कहानी न केवल मनोरंजन ही करती है, बल्कि नीति, दर्शन, और संस्कृति से परिचय भी कराती है। सच में - फ़ोरम तो क्या, बाहर बड़े बड़े नामचीन लेखकों की लिखी कहानियों/उपन्यासों में से भी कोई भी इसके निकट नहीं फ़टकती दिखती। यह एक कालजयी रचना है भाई!

अति उत्तम! वाह! वाह! 👏👍♥️

आपने इसके लिए न जाने कितना शोध किया होगा! और फिर उनको अपनी कल्पना के तार से पिरोया! अत्यंत कठिन कार्य है।
रचना को निःशुल्क हमारे संग साझा कर रहे हैं, हमको आपका धन्यवाद करना चाहिए! 🙏

वैसे, इस बार भी मैंने फिर से फ़ूफागिरी (जबरदस्ती का ज्ञान बघारू) दिखा दी। 😂😂😂😂

Nice update....

Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,

Ab is story me itna ulajh gaya hoon ki raat ko sapne me bhi suyash and party aate he........

Naa jane kaise niklenge vo in musibato se..........

Keep rocking Bro

nice update

Mind blowing Update bhai ji, kalika ab tak ke sabhi jabaab bakhubi de chuki hai, dekhna ye hai, ki kya wo aage ke dono dwar bina rukawat ke paar kar legi?🤔 awesome story and superb update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

Raj_sharma bhai iss baar review late aayega abhi kahani ka dusra bhag Atlantic ke rahasya reread kar raha hu .

Nice update👌👌🔥🔥

चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।

शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।

दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।


इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !

कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी ! :D

सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।
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parkas

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#124.

तभी शैफाली को एक ऐसी गुफा दिखाई दी, जिसका द्वार एक सुनहरी धातु का बना था और देखने से ही मानव निर्मित प्रतीत हो रहा था।

डॉल्फिन उस दरवाजे के पास जाकर पता नहीं कहां गायब हो गयी।

“यह झील के अंदर मानव निर्मित गुफा कैसी है? शायद डॉल्फिन इसी को दिखाने के लिये मुझे यहां तक लायी है। इसके अंदर चलकर देखती हूं। शायद इस द्वीप के किसी राज का पता चल जाये?”

यह सोच शैफाली गुफा के द्वार में प्रविष्ठ हो गई।

गुफा के अंदर एक बहुत विशालकाय स्थान था। जो पूरी तरह से रोशनी से नहाया था। वहां पर एक 20 फुट ऊंचा बड़ा सा सफेद रंग का सीप रखा था।

शैफाली ने कहानियों में भी कभी इतने बड़े सीप के बारे में सुन नहीं रखा था, इसलिये वह इतना बड़ा सीप देखकर आश्चर्य से भर गई।

सीप के बाहर एक सफेद रंग का बटन लगा हुआ था। कुछ सोचने के बाद शैफाली ने उस सफेद बटन को दबा दिया।

बटन के दबाते ही सीप किसी संदूक की तरह खुल गया।

उस सीप के अंदर 10 फुट का एक गोल परंतु पारदर्शी मोती रखा था।

शैफाली को उस मोती के अंदर कुछ चलता हुआ सा प्रतीत हुआ। इसलिये शैफाली, मोती से आँख सटाकर अंदर की ओर देखने लगी।

पर शैफाली ने जैसे ही अपना चेहरा उस मोती से सटाया, वह उस मोती के अंदर प्रवेश कर गई।

मोती कें अंदर बिल्कुल भी पानी नहीं था।

मोती के अंदर एक समुद्री हरे रंग की रबर की ड्रेस हवा में तैर रही थी। यह वही ड्रेस थी, जिसे सपने में शैफाली ने मैग्ना को पहने हुए देखा था।

शैफाली ने उत्सुकता वश उस ड्रेस को हाथ लगाया।

शैफाली के हाथ लगाते ही वह ड्रेस आश्चर्यजनक तरीके से शैफाली के शरीर पर स्वतः धारण हो गई।

वह ड्रेस शैफाली के शरीर पर बिल्कुल फिट लग रही थी। शैफाली उस ड्रेस को देखकर खुश हो गयी, पर जैसे ही वह मोती से निकलने चली, वह निकल नहीं पायी।

“अरे... ये क्या हो गया? मैं मोती में प्रवेश तो आसानी से कर गई थी फिर मैं इस से निकल क्यों नहीं पा रही हूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं इस ड्रेस के साथ इस मोती से बाहर नहीं जा सकती?”

यह सोच शैफाली ने अपनी ड्रेस उतारने की कोशिश की, पर वह ड्रेस तो मानों उसके शरीर से चिपक गयी थी।

शैफाली के बहुत प्रयत्नों के बाद भी वह ड्रेस उसके शरीर से नहीं उतरी।

शैफाली ने मोती में चारो ओर देखा, पर वहां कोई भी ऐसी चीज नहीं थी, जो शैफाली को वहां से निकलने में मदद कर सके।

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, शैफाली की उलझन बढ़ती जा रही थी, यह तो भला हो कि मोती के अंदर भी उसे साँस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।

तभी शैफाली को बाहर फिर डॉल्फिन तैरती हुई नजर आयी।

शैफाली ने अपने मुंह से सीटी बजाकर डॉल्फिन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

सीटी की आवाज सुन डॉल्फिन उस मोती के पास आ गयी। शैफाली ने इशारे से डॉल्फिन को समझाने की कोशिश की।

पता नहीं डॉल्फिन को क्या समझ आया? कि वह पहले थोड़ा पीछे हटी और फिर तेजी से आगे बढ़कर एक जोरदार टक्कर उस मोती को मार दी।

डॉल्फिन की टक्कर से मोती सीप से निकलकर नीचे गिर गया और पानी में लुढ़कता हुआ एक चट्टान से जाकर टकरा गया।

मोती के लुढ़कने से शैफाली का शरीर अनियंत्रित होकर उस मोती में गोल-गोल नाचने लगा।

तभी अंजाने में ही शैफाली का हाथ उस ड्रेस की बेल्ट पर बने एक डॉल्फिन की आकृति वाले बक्कल से छू गया।

डॉल्फिन की आकृति को छूते ही शैफाली की ड्रेस से एक तेज गोलाकार अल्ट्रा-सोनिक तरंगें निकलीं और उन तरंगों के प्रभाव से वह मोती टूटकर बिखर गया।

मोती के टूटते ही शैफाली स्वतंत्र हो गई। उसने एक बार बेल्ट पर बनी डॉल्फिन की आकृति को देखा और तैरकर झील की सतह की ओर चल दी।

उधर जब काफी देर तक शैफाली उस झील से बाहर नहीं आयी, तो सुयश उस झील में उतरने का प्रयास करने लगा।

तभी पानी की सतह पर शैफाली का चेहरा दिखाई दिया।

सभी शैफाली को देखकर खुश हो गये। सुयश ने आगे बढ़कर शैफाली का हाथ पकड़ उसे झील से बाहर
खींच लिया।

“अरे...यह इतनी सुंदर ड्रेस तुम्हें कहां से मिल गयी?” जेनिथ ने खुश होते हुए पूछा।

शैफाली ने शुरु से अंत तक सारी कहानी सभी को सुना दी।

“अब तो यह साफ हो गया कि शैफाली का इस द्वीप से कोई ना कोई रिश्ता तो जरुर है?” सुयश ने कहा- “शायद यह द्वीप ही शैफाली के सपनों का कारण भी है। अब या तो मैग्ना शैफाली की कोई पहचान की थी, या फिर......।” कहते-कहते सुयश ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

“या.....?” क्रिस्टी ने ना समझने वाले अंदाज में ‘या ’शब्द पर जोर देते हुए सुयश से पूछा।

“या फिर शैफाली ही मैग्ना थी?” सुयश ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा।

“अब तो मुझे भी लगने लगा है कि शैफाली ही मैग्ना थी और इसका इस द्वीप से कुछ गहरा नाता था।” तौफीक ने कहा।

“चाहे जो भी हो, पर मुझे ये ड्रेस बहुत पसंद आयी।” जेनिथ ने कहा- “एक हम लोग हैं जो पिछले 7 दिनों से एक ही कपड़े पहन कर जंगल में घूम रहे हैं। यह जंगल बनाने वाले ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाया...अरे एक शॉपिंग मॉल भी खोल देता, तो उसका क्या जाता?”

जेनिथ की बात सुनकर सभी जोर से हंस दिये और पुनः आगे की ओर बढ़ गये।

उल्का पिंड :
(13 जनवरी 2002, रविवार, 15:30, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)

धरा कल ही होश में आ गयी थी, लेकिन वेगा के बारे में जानने के लिये वह एक दिन का बहाना करके वेगा के घर ही रुक गयी थी।

वेगा ने धरा और मयूर को एक कमरा दे दिया था। धरा और मयूर इस समय उस कमरे में अकेले थे।

“यह वेगा तो बहुत ही साधारण इंसान है, यह हमारी धरा शक्ति को नहीं चुरा सकता, शायद इसे किसी ने वह घड़ी भेंट स्वरुप दी है और वेगा को भी इस घड़ी की शक्तियों के बारे में कुछ भी नहीं पता है?” धरा ने खिड़की के बाहर की ओर देखते हुए कहा।

“तुम सही कह रही हो धरा, वैसे भी वेगा एक अच्छा इंसान है, देखा नहीं कल उसने बिना हमें जाने हुए कैसे हमारी मदद की थी और आज भी वह अंजान व्यक्तियों को अपने घर में रखे है।” मयूर ने कहा।

“तो फिर क्या करें? क्या धरा शक्ति के कण को हम वेगा के ही पास छोड़ दें?” धरा के शब्दों में उलझन के भाव थे।

“हम एक काम करते हैं, आज भर हम वेगा के साथ रहकर उसके बारे में जानने की कुछ और कोशिश करते हैं। अगर हमें लगा कि वेगा उस धरा शक्ति के कण को संभाल सकने वाला उचित व्यक्ति है, तो हम धरा शक्ति के उस कण को वेगा के पास ही छोड़ देंगे। लेकिन अगर हमें लगा कि वेगा उस शक्ति का सही अधिकारी नहीं है, तो हम अपनी शक्ति अपने साथ वापस लेते चलेंगे।” मयूर ने कहा।

“ठीक है, फिर आज मैं उससे अपने तरीके से कुछ उगलवाने की कोशिश करती हूं। जरा देखें तो यह इंसान अंदर से है कैसा?” धरा ने मयूर के प्लान पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा।

तभी वेगा ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। वेगा की आवाज सुन दोनों चुप हो गये।

वेगा ने कमरे में प्रवेश करते हुए धरा से पूछा- “अब तबियत कैसी है आपकी?”

“पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हूं।” धरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- “वैसे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने हमारी काफी मदद की।”

“कोई बात नहीं....मैं तो वैसे भी इतने बड़े फ्लैट में अकेला ही रहता हूं।” वेगा ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।

“आपके परिवार वाले यहां नहीं रहते हैं क्या?” धरा ने अपनापन दिखाते हुए पूछा।

“नहीं मेरे परिवार वाले यहां से हजारों किलोमीटर दूर रहते हैं।” वेगा ने कहा।

“और इतने बड़े शहर में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या आपकी?” धरा ने वेगा से थोड़ा मस्ती करते हुए पूछा।

यह सुन वेगा के चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान उभर आयी- “मेरे कॉलेज की एक लड़की है। जिसका नाम वीनस है। मैं तो उससे प्यार करता हूं, पर वह मुझे सिर्फ दोस्त ही समझती है...मुझे लगता है कि शायद वह भी मुझे मन ही मन पसंद करती है, पर उसने कभी ऐसा बोला नहीं?”

“अरे वाह! फिर तो तुम्हें धरा की ट्रेनिंग की जरुरत है। यह तुम्हारी सेटिंग जरुर करवा देगी। यह इन सब चीजों में निपुण है।” मयूर ने हंसते हुए कहा।

“क्या सच में आप मेरा यह काम बनवा सकती हैं?” वेगा धरा के सामने किसी बच्चे की तरह से बैठकर बोला।

उसका यह तरीका देख धरा को जोर से हंसी आ गयी- “ठीक है...ठीक है वेगा...मैं तुम्हारा ये काम कर दूंगी। आखिर तुमने मेरी जान बचाई है... पर इसके लिये तुम्हें वीनस को यहां बुलाना पड़ेगा।“

तभी दरवाजे की घंटी बज उठी। वेगा उठकर दरवाजे की ओर बढ़ा।

वेगा ने आई होल से बाहर की ओर झांक कर देखा।

दरवाजे पर वीनस खड़ी थी। वीनस को देख वेगा दरवाजा खोलने के बजाय भागता हुआ धरा के पास पहुंच गया।

“दरवाजे पर वीनस है।” वेगा ने फुसफुसा कर कहा।

“अरे वाह! लगता है ईश्वर भी तुम्हारी सेटिंग जल्दी कराना चाहता है।” धरा बेड से खड़ी होती हुई बोली-

“चलो मैं भी अपने कॉलेज की थोड़ी सी यादें ताजा कर लूं। अच्छा मयूर जी अब आप चुपचाप इस कमरे
में ही रहिये। जब तक मैं ना कहूं, आप बाहर मत आइयेगा।” यह कह धरा ने मयूर को आँख मारी और वेगा के साथ बाहर ड्रांइग रुम में आ गयी।

तब तक वीनस 2 बार घंटी और बजा चुकी थी। धरा ने जल्दी से वेगा के कान में कुछ फुसफुसा कर कहा और स्वयं वेगा के बेडरुम में चली गयी।

वेगा ने धरा को अपने कमरे में जाते देख दरवाजा खोल दिया और वीनस को देखकर जानबूझकर घबराने की एक्टिंग की।

वीनस से वेगा की घबराहट छिपी ना रह सकी।

“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में।” वीनस ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।

“तुम भी तो बिना बताए आ गयी। अगर बता कर आती तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो कर तुम्हारा इंतजार करता।” वेगा ने डरे-डरे स्वर में कहा।

तभी वीनस ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “ये तुम लेडीज परफ्यूम कब से लगाने लगे?”

“वो मेरी एक बहुत पुरानी दोस्त आयी है। उसी ने लगाया था यह परफ्यूम।” वेगा ने घबराते हुए कहा।

तभी वेगा के बेडरुम से धरा निकलकर बाहर आ गयी। उसकी आँखें ऐसे लग रहीं थीं कि जैसे वह सो रही थी।

“यह कौन है वेगा?” धरा ने वीनस की ओर देखते हुए पूछा।

“इसकी छोड़ो।” वीनस ने गुस्सा होते हुए कहा- “पहले मुझे बताओ कि ये तुम्हारी कौन सी दोस्त है?.. तुमने आज तक मुझे इसके बारे में बताया क्यों नहीं?...और ये तुम्हारे बेडरुम में क्या कर रही थी?”

“मैं तो हमेशा ही वेगा के रुम में सोती हूं....क्यूं वेगू डार्लिंग...बताओ ना इसे मेरे बारे में।” धरा ने फुल एक्टिंग करते हुए वेगा के कंधे पर सहारा लेते हुए कहा।

“वेगू डार्लिंग!” अब वीनस का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया- “मुझे सच-सच बताओ वेगा...कौन है ये? नहीं तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी।”

“ये मेरी गर्लफ्रेंड है...इसका नाम धरा है।” वेगा ने मन ही मन हंसते हुए अपनी एक्टिंग को जारी रखते हुए कहा।

“तो मैं तुम्हारी कौन हूं?” वीनस ने चीख कर कहा।

“तुम तो मेरी दोस्त हो ना....तुमने तो इससे ज्यादा कभी मुझे कुछ बताया ही नहीं।” वेगा ने कहा।

“मैं तुम्हारी दोस्त नहीं दुश्मन थी वेगा....पर मुझे कब तुमसे प्यार हो गया, मुझे पता ही नहीं चला....पर अब मैं ये नाटक और ज्यादा नहीं चला सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दूंगी क्यों कि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं वेगा... मुझे लगा कि तुम मेरी फीलिंग्स को समझते होगे, पर तुम...तुमने मेरा दिल दुखाया है।” यह कहकर वीनस रोने लगी।

वेगा को समझ नहीं आया कि वीनस क्या कह रही है, पर इससे ज्यादा अब उसमें नाटक करने की हिम्मत नहीं थी इसलिये वह बोल पड़ा-

“सॉरी वीनस...मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी ज्यादा हर्ट हो जाओगी। दरअसल हम लोग नाटक कर रहे थे। यह धरा है, ये मेरी बड़ी बहन की तरह है। ये नाटक में सिर्फ मेरा साथ दे रही थी। मैं सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं पगली।”

वेगा के बड़ी बहन वाले शब्दों को सुन धरा भी एक पल के लिये वेगा के चेहरे को देखने लगी।

पता नहीं ऐसा क्या था वेगा के उन शब्दों में कि धरा की आँखों में आँसू की एक बूंद आ गयी, पर धरा ने अपना चेहरा पीछे करके तुरंत उसे पोंछ लिया।

वेगा ने वीनस को सहारा देकर एक कुर्सी पर बैठा दिया।

तभी मयूर भी दूसरे कमरे से निकलकर वहां आ गया।

वीनस ने एक पल के लिये सभी को देखा और फिर बोलना शुरु कर दिया-
“वेगा मैं तुम्हारे बारे में सबकुछ जानती हूं.....कि तुम सामरा राज्य के युवराज हो और तुम्हारे भाई युगाका ने जानबूझकर तुम्हें यहां रखा हुआ है। वो नहीं चाहते कि तुम्हारे दुश्मन सीनोर राज्य वाले तुम्हारे बारे में कुछ भी जानें और तुम पर हमला करें।”

वेगा ध्यान से वीनस की बात सुन रहा था।

“तुम यह सब कैसे जानती हो वीनस?” वेगा ने वीनस से पूछा।

“क्यों कि मैं तुम्हारे दुश्मन देश सीनोर की राजकुमारी हूं।”

वीनस के यह शब्द सुन वेगा ने अपना चेहरा वीनस की ओर से घुमा लिया।

वीनस बिना रुके बोले जा रही थी- “सीनोर राज्य के मांत्रिक मकोटा को जैसे ही तुम्हारे बारे में पता चला, उसने मेरे भाई लुफासा से कह के मुझे तुम्हारे कॉलेज में रखवाया।
मेरा काम तुम्हारे हर पल की रिपोर्ट
अपने भाई तक पहुंचाना था। मेरा भाई लुफासा इच्छाधारी शक्तियों का स्वामी है।

वो किसी भी जानवर का रुप धारण कर सकता है। उसने ही पहले बाज, टुंड्रा हंस, बुल शार्क, ईल मछली, सर्प और फिर बैल बनकर तुम पर आक्रमण किये थे। मकोटा ने मेरे भाई से तुम्हारी सिर्फ रिपोर्ट ही मंगवाई थी।

उसने तुम्हें मारने का आदेश नहीं दिया था। पर लुफासा ने मेरी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार की भाषा पढ़ ली। इसलिये वह तुम्हें जान से मार देना चाहता था। मैं आज तुम्हें सबकुछ बताने के लिये ही यहां आयीथी।”

इतना कहकर वीनस चुप हो गयी और वेगा को देखने लगी। वह जानना चाहती थी कि वेगा अब उसके बारे में क्या सोच रहा है।

“मैं तुमसे हमेशा प्यार करता था और करता रहूंगा वीनस..दुनिया की कोई शक्ति मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकती। तुमने अच्छा किया कि मुझे सबकुछ बता दिया। वैसे अगर नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं
पड़ता क्यों कि....मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पहले से ही पता था।”

“क्या ऽऽऽऽ?” इस बार हैरान होने की बारी वीनस की थी- “तुम्हें सबकुछ पहले से ही पता था, फिर भी तुमने मुझे मारने की कोशिश नहीं की?”

“मुझे पता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो, इसलिये मैंने तुम्हारी भावनाओं को सम्मान दिया।” वेगा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी- “क्यों धरा दीदी....मैंने सही किया ना?” इस बार वेगा ने धरा की ओर मुड़ते हुए कहा।

“बिल्कुल सही किया...मेरा भाई कभी गलत नहीं कर सकता।” धरा ने वेगा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।

“पर मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि तुम मेरे बारे में जाने कैसे?” वीनस की आँखों में अभी भी आश्चर्य के भाव थे।


जारी रहेगा________✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Sushil@10

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#124.

तभी शैफाली को एक ऐसी गुफा दिखाई दी, जिसका द्वार एक सुनहरी धातु का बना था और देखने से ही मानव निर्मित प्रतीत हो रहा था।

डॉल्फिन उस दरवाजे के पास जाकर पता नहीं कहां गायब हो गयी।

“यह झील के अंदर मानव निर्मित गुफा कैसी है? शायद डॉल्फिन इसी को दिखाने के लिये मुझे यहां तक लायी है। इसके अंदर चलकर देखती हूं। शायद इस द्वीप के किसी राज का पता चल जाये?”

यह सोच शैफाली गुफा के द्वार में प्रविष्ठ हो गई।

गुफा के अंदर एक बहुत विशालकाय स्थान था। जो पूरी तरह से रोशनी से नहाया था। वहां पर एक 20 फुट ऊंचा बड़ा सा सफेद रंग का सीप रखा था।

शैफाली ने कहानियों में भी कभी इतने बड़े सीप के बारे में सुन नहीं रखा था, इसलिये वह इतना बड़ा सीप देखकर आश्चर्य से भर गई।

सीप के बाहर एक सफेद रंग का बटन लगा हुआ था। कुछ सोचने के बाद शैफाली ने उस सफेद बटन को दबा दिया।

बटन के दबाते ही सीप किसी संदूक की तरह खुल गया।

उस सीप के अंदर 10 फुट का एक गोल परंतु पारदर्शी मोती रखा था।

शैफाली को उस मोती के अंदर कुछ चलता हुआ सा प्रतीत हुआ। इसलिये शैफाली, मोती से आँख सटाकर अंदर की ओर देखने लगी।

पर शैफाली ने जैसे ही अपना चेहरा उस मोती से सटाया, वह उस मोती के अंदर प्रवेश कर गई।

मोती कें अंदर बिल्कुल भी पानी नहीं था।

मोती के अंदर एक समुद्री हरे रंग की रबर की ड्रेस हवा में तैर रही थी। यह वही ड्रेस थी, जिसे सपने में शैफाली ने मैग्ना को पहने हुए देखा था।

शैफाली ने उत्सुकता वश उस ड्रेस को हाथ लगाया।

शैफाली के हाथ लगाते ही वह ड्रेस आश्चर्यजनक तरीके से शैफाली के शरीर पर स्वतः धारण हो गई।

वह ड्रेस शैफाली के शरीर पर बिल्कुल फिट लग रही थी। शैफाली उस ड्रेस को देखकर खुश हो गयी, पर जैसे ही वह मोती से निकलने चली, वह निकल नहीं पायी।

“अरे... ये क्या हो गया? मैं मोती में प्रवेश तो आसानी से कर गई थी फिर मैं इस से निकल क्यों नहीं पा रही हूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं इस ड्रेस के साथ इस मोती से बाहर नहीं जा सकती?”

यह सोच शैफाली ने अपनी ड्रेस उतारने की कोशिश की, पर वह ड्रेस तो मानों उसके शरीर से चिपक गयी थी।

शैफाली के बहुत प्रयत्नों के बाद भी वह ड्रेस उसके शरीर से नहीं उतरी।

शैफाली ने मोती में चारो ओर देखा, पर वहां कोई भी ऐसी चीज नहीं थी, जो शैफाली को वहां से निकलने में मदद कर सके।

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, शैफाली की उलझन बढ़ती जा रही थी, यह तो भला हो कि मोती के अंदर भी उसे साँस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।

तभी शैफाली को बाहर फिर डॉल्फिन तैरती हुई नजर आयी।

शैफाली ने अपने मुंह से सीटी बजाकर डॉल्फिन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

सीटी की आवाज सुन डॉल्फिन उस मोती के पास आ गयी। शैफाली ने इशारे से डॉल्फिन को समझाने की कोशिश की।

पता नहीं डॉल्फिन को क्या समझ आया? कि वह पहले थोड़ा पीछे हटी और फिर तेजी से आगे बढ़कर एक जोरदार टक्कर उस मोती को मार दी।

डॉल्फिन की टक्कर से मोती सीप से निकलकर नीचे गिर गया और पानी में लुढ़कता हुआ एक चट्टान से जाकर टकरा गया।

मोती के लुढ़कने से शैफाली का शरीर अनियंत्रित होकर उस मोती में गोल-गोल नाचने लगा।

तभी अंजाने में ही शैफाली का हाथ उस ड्रेस की बेल्ट पर बने एक डॉल्फिन की आकृति वाले बक्कल से छू गया।

डॉल्फिन की आकृति को छूते ही शैफाली की ड्रेस से एक तेज गोलाकार अल्ट्रा-सोनिक तरंगें निकलीं और उन तरंगों के प्रभाव से वह मोती टूटकर बिखर गया।

मोती के टूटते ही शैफाली स्वतंत्र हो गई। उसने एक बार बेल्ट पर बनी डॉल्फिन की आकृति को देखा और तैरकर झील की सतह की ओर चल दी।

उधर जब काफी देर तक शैफाली उस झील से बाहर नहीं आयी, तो सुयश उस झील में उतरने का प्रयास करने लगा।

तभी पानी की सतह पर शैफाली का चेहरा दिखाई दिया।

सभी शैफाली को देखकर खुश हो गये। सुयश ने आगे बढ़कर शैफाली का हाथ पकड़ उसे झील से बाहर
खींच लिया।

“अरे...यह इतनी सुंदर ड्रेस तुम्हें कहां से मिल गयी?” जेनिथ ने खुश होते हुए पूछा।

शैफाली ने शुरु से अंत तक सारी कहानी सभी को सुना दी।

“अब तो यह साफ हो गया कि शैफाली का इस द्वीप से कोई ना कोई रिश्ता तो जरुर है?” सुयश ने कहा- “शायद यह द्वीप ही शैफाली के सपनों का कारण भी है। अब या तो मैग्ना शैफाली की कोई पहचान की थी, या फिर......।” कहते-कहते सुयश ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

“या.....?” क्रिस्टी ने ना समझने वाले अंदाज में ‘या ’शब्द पर जोर देते हुए सुयश से पूछा।

“या फिर शैफाली ही मैग्ना थी?” सुयश ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा।

“अब तो मुझे भी लगने लगा है कि शैफाली ही मैग्ना थी और इसका इस द्वीप से कुछ गहरा नाता था।” तौफीक ने कहा।

“चाहे जो भी हो, पर मुझे ये ड्रेस बहुत पसंद आयी।” जेनिथ ने कहा- “एक हम लोग हैं जो पिछले 7 दिनों से एक ही कपड़े पहन कर जंगल में घूम रहे हैं। यह जंगल बनाने वाले ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाया...अरे एक शॉपिंग मॉल भी खोल देता, तो उसका क्या जाता?”

जेनिथ की बात सुनकर सभी जोर से हंस दिये और पुनः आगे की ओर बढ़ गये।

उल्का पिंड :
(13 जनवरी 2002, रविवार, 15:30, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)

धरा कल ही होश में आ गयी थी, लेकिन वेगा के बारे में जानने के लिये वह एक दिन का बहाना करके वेगा के घर ही रुक गयी थी।

वेगा ने धरा और मयूर को एक कमरा दे दिया था। धरा और मयूर इस समय उस कमरे में अकेले थे।

“यह वेगा तो बहुत ही साधारण इंसान है, यह हमारी धरा शक्ति को नहीं चुरा सकता, शायद इसे किसी ने वह घड़ी भेंट स्वरुप दी है और वेगा को भी इस घड़ी की शक्तियों के बारे में कुछ भी नहीं पता है?” धरा ने खिड़की के बाहर की ओर देखते हुए कहा।

“तुम सही कह रही हो धरा, वैसे भी वेगा एक अच्छा इंसान है, देखा नहीं कल उसने बिना हमें जाने हुए कैसे हमारी मदद की थी और आज भी वह अंजान व्यक्तियों को अपने घर में रखे है।” मयूर ने कहा।

“तो फिर क्या करें? क्या धरा शक्ति के कण को हम वेगा के ही पास छोड़ दें?” धरा के शब्दों में उलझन के भाव थे।

“हम एक काम करते हैं, आज भर हम वेगा के साथ रहकर उसके बारे में जानने की कुछ और कोशिश करते हैं। अगर हमें लगा कि वेगा उस धरा शक्ति के कण को संभाल सकने वाला उचित व्यक्ति है, तो हम धरा शक्ति के उस कण को वेगा के पास ही छोड़ देंगे। लेकिन अगर हमें लगा कि वेगा उस शक्ति का सही अधिकारी नहीं है, तो हम अपनी शक्ति अपने साथ वापस लेते चलेंगे।” मयूर ने कहा।

“ठीक है, फिर आज मैं उससे अपने तरीके से कुछ उगलवाने की कोशिश करती हूं। जरा देखें तो यह इंसान अंदर से है कैसा?” धरा ने मयूर के प्लान पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा।

तभी वेगा ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। वेगा की आवाज सुन दोनों चुप हो गये।

वेगा ने कमरे में प्रवेश करते हुए धरा से पूछा- “अब तबियत कैसी है आपकी?”

“पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हूं।” धरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- “वैसे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने हमारी काफी मदद की।”

“कोई बात नहीं....मैं तो वैसे भी इतने बड़े फ्लैट में अकेला ही रहता हूं।” वेगा ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।

“आपके परिवार वाले यहां नहीं रहते हैं क्या?” धरा ने अपनापन दिखाते हुए पूछा।

“नहीं मेरे परिवार वाले यहां से हजारों किलोमीटर दूर रहते हैं।” वेगा ने कहा।

“और इतने बड़े शहर में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या आपकी?” धरा ने वेगा से थोड़ा मस्ती करते हुए पूछा।

यह सुन वेगा के चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान उभर आयी- “मेरे कॉलेज की एक लड़की है। जिसका नाम वीनस है। मैं तो उससे प्यार करता हूं, पर वह मुझे सिर्फ दोस्त ही समझती है...मुझे लगता है कि शायद वह भी मुझे मन ही मन पसंद करती है, पर उसने कभी ऐसा बोला नहीं?”

“अरे वाह! फिर तो तुम्हें धरा की ट्रेनिंग की जरुरत है। यह तुम्हारी सेटिंग जरुर करवा देगी। यह इन सब चीजों में निपुण है।” मयूर ने हंसते हुए कहा।

“क्या सच में आप मेरा यह काम बनवा सकती हैं?” वेगा धरा के सामने किसी बच्चे की तरह से बैठकर बोला।

उसका यह तरीका देख धरा को जोर से हंसी आ गयी- “ठीक है...ठीक है वेगा...मैं तुम्हारा ये काम कर दूंगी। आखिर तुमने मेरी जान बचाई है... पर इसके लिये तुम्हें वीनस को यहां बुलाना पड़ेगा।“

तभी दरवाजे की घंटी बज उठी। वेगा उठकर दरवाजे की ओर बढ़ा।

वेगा ने आई होल से बाहर की ओर झांक कर देखा।

दरवाजे पर वीनस खड़ी थी। वीनस को देख वेगा दरवाजा खोलने के बजाय भागता हुआ धरा के पास पहुंच गया।

“दरवाजे पर वीनस है।” वेगा ने फुसफुसा कर कहा।

“अरे वाह! लगता है ईश्वर भी तुम्हारी सेटिंग जल्दी कराना चाहता है।” धरा बेड से खड़ी होती हुई बोली-

“चलो मैं भी अपने कॉलेज की थोड़ी सी यादें ताजा कर लूं। अच्छा मयूर जी अब आप चुपचाप इस कमरे
में ही रहिये। जब तक मैं ना कहूं, आप बाहर मत आइयेगा।” यह कह धरा ने मयूर को आँख मारी और वेगा के साथ बाहर ड्रांइग रुम में आ गयी।

तब तक वीनस 2 बार घंटी और बजा चुकी थी। धरा ने जल्दी से वेगा के कान में कुछ फुसफुसा कर कहा और स्वयं वेगा के बेडरुम में चली गयी।

वेगा ने धरा को अपने कमरे में जाते देख दरवाजा खोल दिया और वीनस को देखकर जानबूझकर घबराने की एक्टिंग की।

वीनस से वेगा की घबराहट छिपी ना रह सकी।

“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में।” वीनस ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।

“तुम भी तो बिना बताए आ गयी। अगर बता कर आती तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो कर तुम्हारा इंतजार करता।” वेगा ने डरे-डरे स्वर में कहा।

तभी वीनस ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “ये तुम लेडीज परफ्यूम कब से लगाने लगे?”

“वो मेरी एक बहुत पुरानी दोस्त आयी है। उसी ने लगाया था यह परफ्यूम।” वेगा ने घबराते हुए कहा।

तभी वेगा के बेडरुम से धरा निकलकर बाहर आ गयी। उसकी आँखें ऐसे लग रहीं थीं कि जैसे वह सो रही थी।

“यह कौन है वेगा?” धरा ने वीनस की ओर देखते हुए पूछा।

“इसकी छोड़ो।” वीनस ने गुस्सा होते हुए कहा- “पहले मुझे बताओ कि ये तुम्हारी कौन सी दोस्त है?.. तुमने आज तक मुझे इसके बारे में बताया क्यों नहीं?...और ये तुम्हारे बेडरुम में क्या कर रही थी?”

“मैं तो हमेशा ही वेगा के रुम में सोती हूं....क्यूं वेगू डार्लिंग...बताओ ना इसे मेरे बारे में।” धरा ने फुल एक्टिंग करते हुए वेगा के कंधे पर सहारा लेते हुए कहा।

“वेगू डार्लिंग!” अब वीनस का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया- “मुझे सच-सच बताओ वेगा...कौन है ये? नहीं तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी।”

“ये मेरी गर्लफ्रेंड है...इसका नाम धरा है।” वेगा ने मन ही मन हंसते हुए अपनी एक्टिंग को जारी रखते हुए कहा।

“तो मैं तुम्हारी कौन हूं?” वीनस ने चीख कर कहा।

“तुम तो मेरी दोस्त हो ना....तुमने तो इससे ज्यादा कभी मुझे कुछ बताया ही नहीं।” वेगा ने कहा।

“मैं तुम्हारी दोस्त नहीं दुश्मन थी वेगा....पर मुझे कब तुमसे प्यार हो गया, मुझे पता ही नहीं चला....पर अब मैं ये नाटक और ज्यादा नहीं चला सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दूंगी क्यों कि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं वेगा... मुझे लगा कि तुम मेरी फीलिंग्स को समझते होगे, पर तुम...तुमने मेरा दिल दुखाया है।” यह कहकर वीनस रोने लगी।

वेगा को समझ नहीं आया कि वीनस क्या कह रही है, पर इससे ज्यादा अब उसमें नाटक करने की हिम्मत नहीं थी इसलिये वह बोल पड़ा-

“सॉरी वीनस...मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी ज्यादा हर्ट हो जाओगी। दरअसल हम लोग नाटक कर रहे थे। यह धरा है, ये मेरी बड़ी बहन की तरह है। ये नाटक में सिर्फ मेरा साथ दे रही थी। मैं सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं पगली।”

वेगा के बड़ी बहन वाले शब्दों को सुन धरा भी एक पल के लिये वेगा के चेहरे को देखने लगी।

पता नहीं ऐसा क्या था वेगा के उन शब्दों में कि धरा की आँखों में आँसू की एक बूंद आ गयी, पर धरा ने अपना चेहरा पीछे करके तुरंत उसे पोंछ लिया।

वेगा ने वीनस को सहारा देकर एक कुर्सी पर बैठा दिया।

तभी मयूर भी दूसरे कमरे से निकलकर वहां आ गया।

वीनस ने एक पल के लिये सभी को देखा और फिर बोलना शुरु कर दिया-
“वेगा मैं तुम्हारे बारे में सबकुछ जानती हूं.....कि तुम सामरा राज्य के युवराज हो और तुम्हारे भाई युगाका ने जानबूझकर तुम्हें यहां रखा हुआ है। वो नहीं चाहते कि तुम्हारे दुश्मन सीनोर राज्य वाले तुम्हारे बारे में कुछ भी जानें और तुम पर हमला करें।”

वेगा ध्यान से वीनस की बात सुन रहा था।

“तुम यह सब कैसे जानती हो वीनस?” वेगा ने वीनस से पूछा।

“क्यों कि मैं तुम्हारे दुश्मन देश सीनोर की राजकुमारी हूं।”

वीनस के यह शब्द सुन वेगा ने अपना चेहरा वीनस की ओर से घुमा लिया।

वीनस बिना रुके बोले जा रही थी- “सीनोर राज्य के मांत्रिक मकोटा को जैसे ही तुम्हारे बारे में पता चला, उसने मेरे भाई लुफासा से कह के मुझे तुम्हारे कॉलेज में रखवाया।
मेरा काम तुम्हारे हर पल की रिपोर्ट
अपने भाई तक पहुंचाना था। मेरा भाई लुफासा इच्छाधारी शक्तियों का स्वामी है।

वो किसी भी जानवर का रुप धारण कर सकता है। उसने ही पहले बाज, टुंड्रा हंस, बुल शार्क, ईल मछली, सर्प और फिर बैल बनकर तुम पर आक्रमण किये थे। मकोटा ने मेरे भाई से तुम्हारी सिर्फ रिपोर्ट ही मंगवाई थी।

उसने तुम्हें मारने का आदेश नहीं दिया था। पर लुफासा ने मेरी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार की भाषा पढ़ ली। इसलिये वह तुम्हें जान से मार देना चाहता था। मैं आज तुम्हें सबकुछ बताने के लिये ही यहां आयीथी।”

इतना कहकर वीनस चुप हो गयी और वेगा को देखने लगी। वह जानना चाहती थी कि वेगा अब उसके बारे में क्या सोच रहा है।

“मैं तुमसे हमेशा प्यार करता था और करता रहूंगा वीनस..दुनिया की कोई शक्ति मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकती। तुमने अच्छा किया कि मुझे सबकुछ बता दिया। वैसे अगर नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं
पड़ता क्यों कि....मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पहले से ही पता था।”

“क्या ऽऽऽऽ?” इस बार हैरान होने की बारी वीनस की थी- “तुम्हें सबकुछ पहले से ही पता था, फिर भी तुमने मुझे मारने की कोशिश नहीं की?”

“मुझे पता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो, इसलिये मैंने तुम्हारी भावनाओं को सम्मान दिया।” वेगा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी- “क्यों धरा दीदी....मैंने सही किया ना?” इस बार वेगा ने धरा की ओर मुड़ते हुए कहा।

“बिल्कुल सही किया...मेरा भाई कभी गलत नहीं कर सकता।” धरा ने वेगा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।

“पर मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि तुम मेरे बारे में जाने कैसे?” वीनस की आँखों में अभी भी आश्चर्य के भाव थे।


जारी रहेगा________✍️
Awesome update
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
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तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।” -- चल गया तीर, लग गया निशाना! हा हा हा हा हा!!! 😂😂

त्रिकाली ने बिना बताये व्योम भाई से बियाह कर लिया है, और महादेवी उसकी साक्षी भी बन गई हैं। धोखेबाज़ त्रिकाली!! हा हा हा! 😂😂👏

और आप सही कह रहे है, त्रिकाली ने मोर्चा मार लिया है।🫡

जब मैने ये कहा तब तुम नहीं माने। 🤣🤣
 
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