Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाअंकित और उसकी मां बाजार के लिए निकल गए थे,,, घर पर वापस आने पर सुगंधा को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी कि उसके पीठ पीछे घर पर क्या हुआ था उसे नहीं मालूम था कि सीधा-साधा दिखने वाला उसका बेटा दूसरी औरतों के साथ कितना बेशरम बन चुका था,,, सुमन की मां सुगंधा के घर पर आने से पहले कभी सोचा ही नहीं थी कि उसके घर पर आने पर उसे इतना अदभुत सुख प्राप्त होगा इसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी उसे नहीं मालूम था कि सीधा-साधा ऐसा दिखाने वाला अंकित पूरी तरह से मर्द बन चुका है,,, अगर इस बात की खबर सुगंधा हो जाए तो शायद इसी समय वाहन बाजार न जाकर अपने बेटे का हाथ पकड़ कर उसे वापस अपने घर पर ले आए और उसके साथ अपने बरसों की दबी हुई प्यास को अपनी प्यासी बंजर जमीन को हरी भरी कर ले,,, लेकिन वह जानती नहीं थी कि उसका बेटा इतना ज्यादा चालाक हो चुका है और ज्यादा नहीं केवल पांच छः दिनों में ही,,, और उसे एक सीधा-साधा लड़का से मर्द बनने वाली कोई और नहीं बल्कि सुगंधा की ही मां थी।
रास्ते भर अंकित भी इस बात से हैरान था की दूसरी औरतों के साथ वह इतना खुल कैसे जाता है जबकि उसकी मां इतना इशारा करके उसे अपने पास बुलाने की कोशिश करती है उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करती है लेकिन वहां हिम्मत नहीं दिखा पाता और अपनी मां के साथ हम बिस्तर नहीं हो पाता,,, वह अपनी मन में यही सोच रहा था कि सुषमा आंटी के साथ जो कुछ भी उसने किया और बेहद काबिले तारीफ था उसकी हिम्मत इतनी बढ़ चुकी थी जिसका अंदाजा उसे खुद नहीं था और इसी बात से वह हैरान था अगर थोड़ी हिम्मत दिखा दे तो शायद दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत उसकी बिस्तर पर होगी लेकिन इतनी हिम्मत दिखाने में न जाने कैसा डर उसके ईर्द गिर्द मंडराने लगता है कि वह आगे बढ़ने से अपने आप को रोक देता है,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर सुषमा आंटी उसकी हरकत पर एतराज जता देती तब क्या होता अगर उसकी हरकत सुषमा आंटी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आती और इस बारे में उसकी मां को बता देती तब क्या होता,,,,, अपने मन में उठ रही सवाल का जवाब खुद अपने आप से ही देते हुए वह बोला कि भला ऐसे कैसे हो सकता है,,, अगर सुषमा आंटी को जरा भी ऐतराज होता तो जैसे ही उसकी कमर से टॉवल छुट कर नीचे गिरी थी तभी वह शर्म के मारे अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा देती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था बल्कि बटन प्यासी नजरों से उसकी दोनों टांगों के बीच खड़े हथियार को देख रही थी और वह भी प्यासी नजरों से सुषमा आंटी की नजर में बिल्कुल भी शर्म और मर्यादा नजर नहीं आ रही थी,,,,, और वह काफी देर तक उसके लंड को ही घर रही थी और शायद उसके लंड की मोटाई और लंबाई उन्हें पूरी तरह से मजबूर कर गई थी उसे अपने हाथ में पकड़ने के लिए तभी तो अपना हाथ आगे बढ़कर बेशर्मी की सारी हद पार करते हुए उसे ज़ोर से पकड़ ली थी और यही तो इशारा था जो वह शब्दों में ना कह सकी थी अपने एक हरकत से बता दी थी कि उन्हें क्या चाहिए,,,,।
अगर मान लो कि यह सब भी सिर्फ भावनाओं में बहकर हुआ था तो,,, तब भी वह अपने आप को पूरी तरह से होश में लाकर अपनी मर्यादा की लाज रख सकती थी जब वह उसकी हरकत पर उसे अपनी बाहों में भर लिया था उसके होठों पर अपने होंठ रख दिया था। और अगर वह तब भी अपने आप को इन सबसे अलग करना चाह रही होती तो अलग कर चुकी होती लेकिन शायद यह सब सोने के बावजूद भी उन्हें मौका ना मिला हो क्योंकि उसकी अगली हरकत पूरी तरह से किसी भी औरत को बेहोश कर सकती थी मर्यादा की दीवार तोड़ने के लिए अपने संस्कारों को एक तरफ रखकर मदहोशी में डूब जाने के लिए जब वह साड़ी उठाकर उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे रगड़ना शुरू कर दिया था तभी सुषमा आंटी एकदम बेहाल हो चुकी थी,,,, इन सबके बावजूद भी एक संस्कारी और मर्यादा वाली औरत अपने आप को अपने मान मर्यादा को बचाने के लिए अपने आप को इन सब से रोक सकती थी लेकिन वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं की क्योंकि वह भी यही चाहती थी शायद वह भी पति से संतुष्टि और प्यार नहीं प्राप्त कर पा रही थी या उनके पति उन्हें वर्षों कब नहीं दे पा रहा था जैसा जवानी के दिनों में दिया करता था इसीलिए वह भावना में पूरी तरह से बह गई थी और अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के साथ सारी संबंध बनाकर अपने आप को संतुष्ट कर गई थी। यह सब सो कर अंकित के चेहरे पर प्रसन्नता और संतुष्टि का भाव साफ नजर आ रहा था उसे अपने लंड पर गर्व होने लगा था,,, क्योंकि उसके लंड ने एक उम्र दराज औरत की जमकर चुदाई करके उसे संतुष्टि का एहसास कराया था और दूसरी अपनी ही मां के हम उम्र औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे भी पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था।
अंकित बहुत खुश था जी सुख के लिए वह तड़पता था मचलता था सपना देखा था और अपने मन में कल्पनाए किया करता था कल्पनाओं में अपनी मां का साथ पाकर अपने हाथ से ही अपनी जवानी की गर्मी शांत किया करता था अब वह दिन आ गया था जब वह एक औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी जवानी की गर्मी को शांत कर रहा था । कल्पनाओं की दुनिया से वह पूरी तरह से बाहर आ चुका था अब हकीकत से उसका सामना हो रहा था कल्पनाओं से अत्यधिक आनंद उसे हकीकत में आ रहा था। कल्पनाओं में जिस अंग के बारे में सोच सोच कर वह मदहोश हुआ करता था वह अंग वह अपनी आंखों से देखकर उसे छूकर उसे मसल कर उस गुलाबी छेद में अपने मर्दाना अंग को डालकर जिस तरह की रगड़ महसूस करके उसे आनंद आ रहा था वह शायद अपने हाथ से खिलाकर उसे कभी भी प्राप्त नहीं हो रहा था एक कमी रह जाती थी जो धीरे-धीरे पूरी हो रही थी। अंकित तो अपनी मां को चोदना चाहता था अपनी मां की चुदाई करना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों से खेलना चाहता था उसे अपने हाथों से नंगी करना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों को अपने हाथ में लेकर अपने मुंह में भरकर उनका रस पीना चाहता था लेकिन हम जाने में ही मां की जगह मां की मां और पड़ोस की सूषमा आंटी जवानी का मजा उसे चखा दी थी। लेकिन इन सबके बावजूद भी इसका मुख्य थे अग्रिम लक्ष्य उसकी मां ही थी। वह कीसी भी तरह से संभोग करना चाहता था और इससे पहले दो औरतों के साथ शारीरिक संबंध को वह एक अभ्यास के तौर पर ले रहा था। जैसे वार्षिक परीक्षा के पहले अभ्यास के रूप में परीक्षा होती है और अंतिम परीक्षा ही मुख्य परीक्षा के तौर पर मानी जाती है इस तरह से अभी उसकी अंतिम परीक्षा बाकी थी जिसमें उसे पूरी तरह से खराब उतरना था यह दो परीक्षा तो अभ्यास के तौर पर थे वह देखना चाहता था कि वह अंतिम परीक्षा में संपूर्ण रूप से उत्तीर्ण हो पता है कि नहीं लेकिन आप उसे पूरा विश्वास हो चुका था वह आत्मविश्वास से भर चुका था वह अपने आप से वादा कर चुका था कि जैसे ही अंतिम परीक्षा उसके जीवन में आएगी वह डंके की चोट पर पूरी तरह से अग्रिम स्थान लेते हुए उत्तीर्ण होकर दिखाएगा।
मां बेटे दोनों बाजार पहुंच चुके थे। सुगंधा का दिल जोरो से तड़प रहा था क्योंकि आज वह अपने लिए एक नए वस्त्र का चयन करने जा रही थी जिसे केवल वह फिल्मों में ही देखी थी जिसे पहनकर फिल्म की हीरोइन जॉगिंग वगैरा करती थी आज वही वस्त्र वह अपने लिए खरीदने जा रही थी जिसके लिए वह काफी उत्साहित थी क्योंकि ऐसे वस्त्र को पहनकर वह देखना चाहती थी कि वह उन वस्त्रो में कैसी लगती है और उन वस्त्र में वह अपने आपको कैसा महसूस करती है। बाजार में पहुंचकर दोनों एक बड़ी सी दुकान में जाने लगे जिसका चयन खुद अंकित नहीं किया था और जानता था कैसी दुकानों पर इस तरह के वस्त्र बड़े आराम से मिल जाएंगे लेकिन दुकान में प्रवेश करते समय सुगंधा के हाथ पैर सुन्न हो रहे थे। दोनों दुकान में प्रवेश कर चुके थे बड़ी सी दुकान में अलग-अलग काउंटर लगा हुआ था एक तरफ बच्चों के कपड़े तो दूसरी तरफ बड़ों के कपड़े एक तरफ साड़ी का काउंटर लगा हुआ था तो दूसरी तरफ औरतों के अंतरवस्त्र थे,,, जिन पर कुछ पल के लिए सुगंधा की नजर टिक गई थी लेकिन फिर उसे समझ में नहीं आया कि वह जिस तरह कपड़े लेने आई है वह किस काउंटर पर मिलेंगे इसलिए वह अपने बेटे से बोली।
अंकित मुझे समझ में नहीं आ रहा की कुर्ता पजामा मिलेगा कहां मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है तू ही जाकर पूछ,,,।
तुम चिंता मत करो मैं पूछ कर आता हूं,,,,(और अंकित एक ऐसे काउंटर पर गया जहां पर लेडी खड़ी थी वह इन सबके वस्त्रो के बारे में अच्छी तरह से जानकारी रखनी होगी इसका अंदाजा अंकित को हो गया था,,, सुगंधा दुकान के बीच में खड़ी होकर अपने बेटे को भी देख रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा क्या बोल रहा होगा क्या पूछ रहा होगा तो समझ में नहीं आ रहा है लेकिन थोड़ी देर में वह मुस्कुराता हूं अपनी मां के पास आया और बोला,,,)
चलो उसी काउंटर पर मिल जाएगा,,,,(इतना कहकर मां बेटे दोनों उस काउंटर के पास पहुंच गए,,, सुगंधा की तरफ देखते हैं वह काउंटर वाली लेडी मुस्कुराते हुए बोली)
गुड इवनिंग मैम,,, बताइए मैं आपके लिए किस तरह के वस्त्र दिखा सकती हुं,,,,।(यह बात उसने सुगंधा से बोली थी इसलिए सुगंध पल भर के लिए एकदम से हड़बड़ा गई थी और उसके मुंह से निकला,,,)
ईईई,,, इन्होंने जो बताया ना वही कपड़ा चाहिए,,,,,(सुगंधा के शब्दों में इस तरह के शब्द थे जो औरत बड़ी इज्जत से पेश आने पर बोलती है और ऐसे मर्द के लिए प्रयोग करती है जो उसका बहुत खास हो उसका प्रेमी या पति हो इसलिए सुगंधा के इन शब्दों को सुनकर वह लेडी मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ मुखातिब हुई और बोली,,,)
बताइए सर आपकी मैडम के लिए किस तरह के कपड़े चाहिए,,,,।
(उस काउंटर वाली लाडी की यह बात सुनते ही सुगंधा एकदम से संन्न रह गई,,, वह शर्म से पानी पानी होने लगी और शर्म के मारे वह अंकित की तरफ देखने लगी अंकित समझ गया था कि उसकी मां क्या सोच रही है इसलिए मुस्कुराने लगा और उस काउंटर वाली लेडी से बोला,,)
इन मैडम को कुर्ता और पैजामा चाहिए ताकि उसे पहनकर वह सुबह अच्छी तरह से जॉगिंग कर सकें,,,।
ओहहह यह बात है मैडम अपने आप को फिट रखने का पूरा कोशिश करती है और इसीलिए तो एकदम फिट भी है,,,, मैं समझ गई मैडम आपको क्या चाहिए,,,,।(और इतना कहकर दूसरी तरफ रखे हुए अलग-अलग कपड़ों के बीच चली गई और सुगंध का पूरा हाल था क्योंकि उसके बेटे ने जिस तरह से इन मैडम को कहा था यह शब्द उसके दिलों दिमाग के साथ साथ उसके दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर दस्तक दे रहे थे यह शब्द बहुत कुछ कह जा रहा था, अपने आप में ही यह दो शब्द एक तरह से किसी भी औरत को अपनापन दिखाने का सबसे अच्छा तरीका है,,,, सुगंधा जो इस समय पूरी तरह से शर्मा से पानी पानी हुए जा रही थी और एक अद्भुत एहसास में डूबती चली जा रही थी इस बात से हैरान भी थी कि उसका बेटा उसे मम्मी कहकर संबोधन क्यों नहीं कर रहा है। और यह काउंटर वाली लेडी भी कुछ और ही समझ रही है,,, यह एहसास होते ही सुगंधा का तन-बदन ऊपर से नीचे तक उत्तेजना से गनगनाने लगा था,,, वह अपने चारों तरफ देख ले रही थी की कहीं कोई पहचान का तो नहीं है लेकिन ऐसा कोई भी शख्स वहां नहीं था जो दोनों को जानता हो,,, सुगंधा बार-बार अपने बेटे की तरफ देख ले रही थी और अंकित खुशी के मारे बहुत प्रसन्न नजर आ रहा था और अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देख रहा था,,,,।
Ankit ki kalpna
तभी थोड़ी ही देर में,,, वह काउंटर वाली लेडी पांच छ सेट कुर्ता और पजामा का लेकर आई, और सबको काउंटर पर रखते हुए बोली।
देख लीजिए मैडम एक से एक कुर्ता और पैजामा है और इतना मुलायम और मखमली है कि आपके बदन पर बहुत अच्छा लगेगा,,,,, सर आप भी देख लीजिए आपकी मैडम को कौन सा कलर अच्छा लगेगा,,,,।
इन मैडम पर तो कोई भी कलर खूब जंचता है,, बस मैडम को पसंद करने की देरी है।
(अंकित पूरी तरह से मौके का फायदा उठा रहा था और सुगंधा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि पता नहीं काउंटर वाली लेडी उन दोनों के बीच कौन से रिश्ते को देख रही है पति पत्नी का या प्रेमी प्रेमिका का होना हो यह प्रेमी प्रेमिका वाला ही जोड़ा अपने मन में वह सोच रही है इसलिए तो बार-बार मैडम और कर कहके प्रयोग कर रही है। उस काउंटर वाली लाडी की बात सुनकर सुगंधा कुर्ते और पजामे को अपने हाथ में लेकर देखने लगी,,,, जितने भी काउंटर पर रखे हुए थे सब एक से बढ़कर एक थे और उनका कपड़ा इतना मखमल जैसा था कि इसी समय सुगंधा का मन उसे पहनने को कर रहा था वह समझ गई थी कि वाकई में इन कपड़ो में उसके बदन को कितना आराम मिलेगा,,,, काउंटर वरी लेडी बार-बार दोनों की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे अंकित भी मुस्कुरा रहा था लेकिन सुगंधा का हाल बेहाल था वह जल्द से जल्द इस दुकान से बाहर निकल जाना चाहती थी,,, इसलिए एक लाल रंग का कुर्ता और पैजामा बहुत पसंद कर ले और अंकित अपनी मां के द्वारा पसंद किए गए कुर्ते और पजामी को अपने हाथ में ले लिया और कुर्ते को सीधे उसे नापने के लिए उसके गले तक हुआ कपड़ा करके देखने लगा और उसके ऐसा करने पर उसकी उंगलियां उसकी मां की चूचियों और स्पर्श हो गई और चूचियां हल्के से अपने बेटे की उंगली का दबाव महसूस करके दब गई ऐसा लग रहा था जैसे कोई स्पंज स्पर्श हो गया हो इसका एहसास अंकित को भी हुआ था और उसकी मां को भी हुआ था और इस स्पर्श से सुगंधा की बुर में सनसनी से दौड़ने लगी,,,, और इस हरकत को काउंटर वाली लेडी भी देख चुकी थी इसलिए वह मुस्कुराने लगी,,,, और बोली,,,,)
Nupoor or ankit
बहुत प्यार है आप दोनों में दिखाई देता है,,,।
(काउंटर वाली लेडी के कहने का मतलब कुछ सुगंधा अच्छी तरह से समझ रही थी,,,,, वह जान गई थी कि जो कुछ भी अभी हुआ था वह उस लेडी की नजरों से बच नहीं पाया था,,, इसलिए मैं कुछ बोल नहीं पाई बस उसे काउंटर वाली लेडी को बुरा ना लगे इसलिए मुस्कुरा दी,,,,)
तो आपको यह पसंद है मैडम।
जी जी,,, मुझे यह पसंदहै,,,।
कुछ और लेना चाहेंगी,,,,
नहीं नहीं बस यही चाहिए था,,,।
सर आप कुछ और दिलाना चाहते हैं,,,(अंकित की तरफ देखते हुए वह काउंटर वाली लेडी बोली और जवाब में अंकित फिर मुस्कुराते हुए बोला)
अगर मैडम चाहेंगी तो जरूर और भी कुछ लेना चाहेंगे,,,।
ले लीजिए मैडम सर भी दिलाने के लिएतैयार है,,,।
नहीं नहीं मुझे और कुछ नहीं चाहिए बस यही चाहिए,,,,।
अगर आप बुरा ना माने तो आपके लिए,,, रुकीए में दिखा देती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ है वह काउंटर वाली लेडी फिर से अंदर कहीं और एक पैकेट लेकर आई और उसे काउंटर पर रखकर खोलने लगी,,,, उसे खोलते ही जो वस्त्र उसमें से बाहर निकाला उसे देखकर सुगंधा के होश उड़ गए और अंकित का भी हाल बुरा हो गया वह एक गांव था जो जाऊंगा तक आता था और आगे से बिल्कुल खुला हुआ था बस एक डोरी थी उसे आपस में बांधने के लिए,,, उसे देखकर अंकित समझ गया था कि इसे पहनने के बाद तो उसकी मां स्वर्ग से होती हुई अप्सरा लगेगी,,,, वैसे तो वस्त्र होते हैं बदन को ढकने के लिए लेकिन यह जो गाउन था वह पूरी तरह से अपने खूबसूरत अंगों को दिखाने के लिए उनकी खूबसूरती बढ़ाने के लिए ही था उसे काउंटर वाली लेडिस से हाथ में लेकर सुगंधा को दिखाते हुए बोली,,,,)
यह देखिए मैडम इसे पहनने के बाद तो आप स्वर्ग से उतरी अप्सरा फिल्म की हीरोइन लगेगी सच में यह आप पर बहुत खूबसूरत लगेगा ले लीजिए सर भी खुश हो जाएंगे,,,,
(उस कपड़े का हाल सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी वह जानते थे कि उसे पहनने के बाद वह वाकई में बहुत खूबसूरत लगेगी लेकिन इस समय वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी,,,, क्योंकि काउंटर वाली लेडी के व्यवहार से इतना तो समझ में आ गया था कि वाकई में वह काउंटर वाली लेडी उन दोनों को मां बेटा ना समझ कर कुछ और ही समझ रही थी इसलिए इस तरह का वस्त्र दिखा रही थी,,, उसे वस्त्र को देखकर कुछ पल के लिए सुगंधा भी कल्पना करने लगी थी कि वाकई में इसे पहनने के बाद वह बेहद खूबसूरत लगेगी और किसी मर्द को आकर पूरी तरह से अपने बस में करना हो तो यह वस्त्र पूरी तरह से कारगर साबित होगा लेकिन इस समय वह पूरी तरह से डर गई थी घबरा गई थी और शर्म से पानी पानी हो गई थी इस तरह का वस्त्र खरीदने में और वह भी अपने बेटे की आंखों के सामने उसे वाकई में शर्म महसूस हो रही थी भले ही वह काउंटर वाली लेडी उन दोनों को किसी और रूप में देख रही हो लेकिन फिर भी वह तो जानती थी ना कि दोनों के बीच कौन सा रिश्ता है अपने ही बेटे के सामने इस तरह का वस्त्र खरीदने में न जाने क्यों उसे ईस समय शर्म महसूस हो रही थी। इसलिए वह बोली,,,)
Ankit ki adbhut kalpna ,,,apni ma k sath
नहीं नहीं मुझे नहीं चाहिए,,,, रहने दो मैं जो कपड़ा लेने आई थी वह मुझे मिल गया इसके लिए शुक्रिया,,,,।
क्या सर बोलिए ना,,,,(मायूसी से अंकित की तरफ देखते हुए,,,, उस काउंटर वाली लेडी को देखकर अंकित बोला,,,)
ले लो मैडम इतना कह रही हैं तो तुम पर सही में बहुत अच्छा लगेगा,,,,।
नहीं नहीं मुझे नहीं चाहिए बस इतना पैक कर दो,,,,,।
(सुगंधा का मिजाज देखकर वह काउंटर वाली लेडी समझ चुकी थी कि वह इस कपड़े को नहीं खरीदेंगी,,,,, इसलिए वह वापस उस कपड़े को पैक करने लगी लेकिन सुगंधा की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली,,,)
वैसे भी मैडम इतनी खूबसूरत है कि इस तरह के कपड़े की जरूरत उन्हें है भी नहीं,,,,,।
(काउंटर वाली लाडी की बात सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न होने लगे क्योंकि वाकई में उसे काउंटर वाली लाडी ने सुगंधा की खूबसूरती की तारीफ की थी,,,,, थोड़ी देर में कुर्ता और पैजामा को पैक करके अंकित के हाथ में थमाते हुए वह लेडी बोली,,,)
जाकर काउंटर पर पैसे चुका दीजिए।
ठीक है और आपकी मदद के लिए धन्यवाद,,,।
वेलकम सर,,, आते रहीएगा मैडम को लेकर,,,
(थोड़ी ही देर में अंकित और उसकी मां काउंटर पर पहुंच कर वहां पर पैसा चुकाने के बाद दोनों दुकान से बाहर निकल गए दुकान के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसे देखते हुए अंकित समझ गया था कि उसकी मां उसे डांटेगी या कुछ ऐसा जरुर बोलेगी,,, लेकिन इससे पहले ही दुकान की सीढ़ियां उतरते हुए अंकित एकदम से बोल पड़ा,,,)
देखी मम्मी आपकी खूबसूरती और बदन की बनावट को देखकर कोई समझ ही नहीं पता कि हम दोनों मां बेटे हैं वह काउंटर वाली लेडी भी हम दोनों को मां बेटा नहीं समझ रही थी।
यह तो मैं खूब अच्छे से समझ रही हूं और तू बहुत मजा ले रहा था ना वहां पर,,,,(आंखों को गोल-गोल घूमाते हुए सुगंधा बोली तो उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए अंकित बोला,,,)
आप कर भी क्या सकते हैं वह लेडी हम दोनों को मां बेटा नहीं समझ रही थी तो मैं भी सोचा कि चलो जब वह हम दोनों को जानती ही नहीं है तो भला उसे बात कर क्या फायदा कि हम दोनों मां बेटे हैं ना कि प्रेमी प्रेमिका,,,,(अंकित जानबूझकर इस शब्द का प्रयोग किया था और इस शब्द को सुनकर सुगंध भी हैरान हो गई थी और उसकी तरफ देखते हुए बोली)
प्रेमी प्रेमिका,,,,
Ankit or uski mummy
क्यों हम दोनों लगते नहीं है क्या,,,,?(अंकित भी मजा लेते हुए बोला)
बड़ा बेशर्म हो गया है तू,,,,।
नहीं ऐसी बात नहीं है वह तो हम दोनों को कोई जानता नहीं था इसलिए सोचा चलो जैसा वह समझ रही है वैसा ही नाटक किया जाए,,,।
अच्छा जब कोई हम दोनों के रिश्ते के बारे में नहीं समझेगा तो हम दोनों कुछ और बन जाएंगे पति-पत्नी प्रेमी प्रेमिका है ना,,,,(सुगंधा भी एकदम से यह शब्द बोल गई थी लेकिन पति-पत्नी वाली बात पर खुद ही वह शर्म से पानी पानी हो गई और अंकित अपनी मां की बात सुनकर मुस्कुराने लगा था उसकी मुस्कुराहट बहुत कुछ बयां कर रही थी,,, लेकिन यह सब बातें सुगंधा की गर्म जवानी थोड़ा-थोड़ा करके पिघला रही थी जिससे उसकी पेंटि गीली हो रही थी। और उसे बड़े जोरों की पैसाब भी लगी हुई थी लेकिन यहां कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां पर वह बैठकर पेशाब कर सके।
शाम ढलने लगी थी समय भी थोड़ा ज्यादा हो रहा था इसलिएवह बोली,,,।
आज कुछ नाश्ता खरीद लेते हैं घर पर खाना नहीं बनाऊंगी काफी देर हो गई है,,, अंधेरा हो रहा है घर पहुंचते पहुंचते और देर हो जाएगी।
ठीक है कुछ खरीद लो,,,,।
पहले तो मुझे पानी पुरी खाना है,,, तू भी खाएगा,,,,।
नहीं नहीं मैं नहीं खाऊंगा तुम खा लो,,,।
चल तू भी खा लेना,,,,।
नहीं मेरे लिए समोसे और जलेबी ले लेना,,,,।
वह तो लेना ही है लेकिन पहले पानी पुरी तो खा ले,,,,।
नहीं,,,, मुझे नहीं पसंद है जानती हो ना जब मैं खाता हूं तो आंख से पानी गिरने लगता है,,,।
चल कोई बात नहीं मैं ही खा लेती हूं,,,,।
(, इतना कहकर वह सड़क के किनारे पर लगे पानी पुरी के ठेले पर पहुंच गई पीछे-पीछे अंकित भी वही पहुंच गया और पानी पुरी खाने लगी लेकिन पानी पुरी खाने से पहले वह अपने हाथ से अपने आगे की साड़ी को दोनों टांगों के बीच फंसा कर आगे की तरफ झुक कर पानी पुरी मुंह में डालकर खाने लगी क्योंकि पानी पुरी का पानी साड़ी पर गिरने का डर रहता है इसलिए अपनी साड़ी को बचाने के लिए वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई थी और उसकी इस अदा पर उसके ब्लाउज से झांकते हुए उसके दोनों जवानी एकदम से उजागर हो गई थी,,, आगे से दोनों चुचीया और पीछे से गोलाकार गांड कुल मिलाकर मर्दों को बेहाल कर रहा था,,,। अंकित अपनी मां की छलकती हुई जवान का रस अपनी आंखों से पी रहा था,,, और यह रस शायद आसपास में खड़े दूसरे मर्द भी पी रहे थे क्योंकि बार-बार उन मर्दों की नजर सुगंधा करी जा रही थी और इस बात का एहसास अंकित को भी हो रहा था लेकिन अंकित को अपनी मां की जवानी पर उसकी खूबसूरती पर गर्व महसूस हो रहा था।
सुगंधा धीरे-धीरे एक-एक करके बड़े चाव से पानी पुरी खा रही थी और उसके स्वाद से निहाल हुए जा रही थी,,,, अंकित अपनी मां की ईस अदा को प्यासी नजरों से देख रहा था और जब पानी पुरी वाले आदमी की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि वह आदमी भी,,, उसकी मां की चूचियों की तरफ ही देख रहा है जब जब वह पानी पुरी सुगंधा की तरफ ले जा रहा था तब तक नजर भरकर उसके ब्लाउज से झांकती हुई उसकी दोनों जवानी को देखकर मन मसोस कर रह जा रहा था। इस बात का एहसास होते ही अंकित अपने मन में सोचने लगा कि वाकई में उसकी मां को चोदने के लिए कितने लोग तैयार है अगर इसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह होती तो शायद अब तक अपनी बुर में न जाने कितने लंड ले ली होती,,,, और इस बात का गर्व भी अंकित को हो रहा था कि अच्छा हुआ उसकी मां दूसरी औरतों की तरह नहीं है जब भी उसे उसकी मां की बुर मिलेगी तो उसके पापा के बाद उसके बुरे में जाने वाला लंड उसकी ही होगा इस बात को सोचकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। तभी पास में दो आदमी खड़े थे जो इंतजार कर रहे थे अपना नंबर आने का और सुगंध की तरफ देख कर आपस में ही बात करते हुए बोले।
यार कितनी मस्त औरत है गांड तो देखो कितनी कसी हुई है ऐसा लग रहा है की साड़ी फाड़ कर बाहर आ जाएगी,,,,।
गांड तो छोड़ वह तो ढकी हुई है आगे देख दोनों चुचीया छलक रही हैं कसम से मैं अगर पानी पूरी वाला होता तो सिर्फ चूचियों को दबाने का बदले उसे जी भर कर पानी पूरी खिलाता,,,,,(उसके साथ वाला आदमी बोला दोनों की बातें सुनकर अंकित का दिमाग एकदम से सन्न रह गया उन दोनों आपस में बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे सिर्फ अंकित उन दोनों के पास में खड़ा था इसलिए उसे सुनाई दे रहा था बाकी किसी को सुनाई नहीं दे रहा था लेकिन दोनों की बातें उसकी मां के बारे में थी उसकी मां की जवानी देखकर बेहद गंदे ख्यालात उन दोनों के मन में आ रहे थे शायद इस तरह के खलत दूसरे मर्दों को भी आते होंगे जब उसकी मां की जवानी को देखते होंगे इस बात का एहसास अंकित को उत्तेजित कर रहा था,,,, अभी अंकित उन दोनों के बारे में उनकी कही गई बातों के बारे में सोच ही रहा था कि तभी पहले वाला आदमी फिर से उसकी मां के बारे में बोला।)
यार कसम से एक रात के लिए मिल जाए ना तो समझ लो जन्नत का मजा मिल जाए ऐसी औरत का मैं आज तक नहीं देखा,,,।
सच कह रहा है यार तु साली जब कपड़े उतारती होगी तो नंगी होने के बाद तो गजब लगती होगी,,,।
बात तो सही है लेकिन जो लेती होगा उसकी किस्मत कितनी तेज होगी,,, मजा ही मजा देती होगी हम लोग तो सिर्फ सोच कर ही इतना मत हो जा रहे हैं लेने वाला तो बहुत किस्मत वाला होगा।
(गंदे शब्दों में ही सही वह दोनों अंकित की मां की खूबसूरती की और उसकी जवानी की तारीफ ही कर रहे थे इस बात का एहसास अंकित को अच्छी तरह से था,, इस तरह की बातें करने से वह उन दोनों को रोक नहीं सकता था अगर रोकता भी तो क्या कहकर कुछ बताने लायक भी नहीं था सबके बीच में खुद उसका ही मजाक बन जाता और यह सब कुछ चाहता नहीं था लेकिन वह जितना उन दोनों के करीब था इतना तो बताया था कि उन दोनों को भी पता होगा कि बगल वाला लड़का या सब सुन रहा होगा इसलिए वह नहीं चाहता था कि उन दोनों को पता चले की उनके बगल में खड़ा लड़का उस औरत का बेटा है,,, वरना उन दोनों को लगेगा कि बेटा पूरी तरह से निकम्मा है तभी तो यह सब सुनकर भी कुछ बोल नहीं पाया इसलिए वह तुरंत सड़क पार करके दूसरी तरफ आ गया जहां पर लोगों का आने जाना ज्यादा ही था थोड़ी देर में उसकी मां भी पानी पुरी खाकर दूसरी तरफ आ गई और दोनों घर की तरफ जाने लगे।)
घर पर चलकर मुझे पहन कर दिखाना कैसा लगता है,,,,।
(यह बात सुनते ही सुगंधा को वह पल याद आ गया जब उसका बेटा उसके लिए पेंटि खरीद कर लाया था और उसे पहन कर दिखाने के लिए बोला था और वह दिखाइए भी थी पैंटी पहनने में और दिखने में जो कुछ भी हुआ था उसे सब कुछ अच्छी तरह से याद था इसलिए उन पल को याद करके एक बार फिर से उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी। वह अपने मन में सोचने लगी कि कहीं फिर से कपड़े पहन कर दिखाते समय उसका बेटा ऐसी वैसी हरकत ना करते और यह ख्याल उसके मन में आते ही उसका पूरा बदन गनगनाने लगा।)
Ankit taiyar honchuka hdSugandha ko chodne keliye Ankit ko aur kitne Saal lagega vai???
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सुमन ने तृप्ति को चुदाई का पहला पाठ पढ़ा दिया हैउस गंदी किताब को तृप्ति को देकर सुमन बाथरूम चली गई थी इस दौरान वह प्यासी नजरों से उसे गंदी किताब के रंगीन पन्नों को देख रही थी, उसे पाने में जितने भी चित्र थेवह बेहद कामुकता से भरे हुए थे और तृप्ति इस तरह के दृश्य को इस तरह की किताब को पहली बार देख रही थी इसलिए उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ने लगी थी उसमें छपे हुए हीरो की तस्वीर को देखकरउसके मोटे तगड़े लंड को देखकर तृप्ति को अपने भाई का मोटा तगड़ा लंड बना रहा था,,, इस बीच उसे संदीप भी याद आ रहा था और इस समय संदीप के याद आने का कारण भी वही मोटा तगड़ा लंड था,,, तृप्ति अच्छी तरह से जानती थी कि संदीप का लंडचित्र के मुताबिक और उसके भाई के लंड के मुताबिक काफी छोटा और पतला था,,,।
और इस समय जिस तरह के हाव-भाव वहचित्र में छपी हीरोइन के चेहरे पर देख रही थी उससे साफ पता चल रहा था कि औरत की बुर में मोटा लंड की क्या अहम भूमिका है,,, तृप्ति के तो दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख ले रही थी और गंदी किताब की तरफ,,, देख ले रही थी जल्दी-जल्दी वह पन्ने पलट रही थी,,, लेकिन तभी वह किताब के बीच वाले पन्ने को खोलकरकर उसमें लिखे शब्दों को पढ़ने लगी जिसे पढ़कर तो उसके होश उड़ गए वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह की भी किताब होती होगी जिसमें रिश्तो के बीच चुदाई का इस तरह से वर्णन लिखा होता होगा लेकिन जो कुछ भी हो उसकी आंखों के सामने था उससे वह इनकार नहीं कर पा रही थी कि वाकई में इस तरह की भी किताबें होती हैं,,, उसमें लिखा एक-एक शब्द उसके मन मस्तिष्क पर हथौड़े बरसा रहा थाउसके दिल की धड़कन को बढ़ा रहा था एक तरफ उसे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन दूसरी तरफइन सबको पढ़ने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,।
दीदी अपनी टांगे खोलो मुझे तुम्हारी बुर देखनी है,,।
क्या करेगा मेरी बुर देखकर,,,,
मुझे उसमें अपना लंड डालकर तुझे चोदना है,,,।
क्या तू ऐसा कर पाएगा,,,।
क्यों नहीं आखिरकार तुम्हारी बुर मेरे लंड के लिए तो बनी है दीदी,,,।
तुझे कैसे मालूम कि मेरी बुर तेरे लंड के लिए बनी है,,,।
मैंने देखा हुं मम्मी की बुर में पापा अपना लंड डालते हैं,,, और तुम्हारे पास बुर है और मेरे पास लंड,,,।
बाप रे इतना शैतान हो गया है तु मम्मी पापा की चुदाई देखता है,,।
तो क्या हो गया तुम भी तो देख रही थी तभी तो मैंने देखा,,,।
मे कब देख रही थी,,।
परसों रात कोजब मैं पानी पीने के लिए उठा था तो मैंने देखा कि तुम खिड़की से मम्मी पापा के कमरे में देख रही थी,,,।
मैं तो बड़ी हूं तू छोटा है मैं देख सकती हूं,,,।
लेकिन मेरा लंड तो पापा से भी ज्यादा बड़ा है।
दिखा तो मैं भी देखूं,,,।
बाप रे तू तो सच कह रहा है रे,,, तू तो मुझे पागल कर देगा ला ठीक से देखने दे,,,,ओहहहहह यह तो बहुत गर्म है अगर इस पर घी रख दो तो वह भी पिघल जाए,,,।
तभी तो कह रहा हूं अब मुझे भी अपनी बुर दिखा दो,,,।
अब तो दिखाना ही होगा लेकिन यह सब तु किसी से कहना नहीं,,,।
किसी से नहीं कहूंगा,,,,।
ले देख,,,,,।
आहहहह दीदी यह तो कितनी गुलाबी है,,,
छूकर देख यह भी तेरे लंड की तरह गर्म है,,, इस पर तो घी रखने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि अंदर से ही पिघल कर निकलती है,,, चाट कर देखेगा,,,।
इसे,,,।
तो क्या देखा नहीं पापा कैसे मम्मी की बुर चाटते हैं,,,।
ओहहहहह दीदी इसका स्वाद तो बहुत नमकीन है मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,ऊममममममम,,,,आहहहहह,,,
जोर-जोर से चाट मुझे बहुत मजा आ रहा है,,, अगर खुश कर देगा तो मैं भी तेरे लंड को इसमें डालने नहीं दूंगी,,,,आहहहहह तू तो पक्का खिलाड़ी निकला,,, अब मेरी बारी है,,,,।
क्या करोगी,,,?
तेरा लंड चूसूंगी,,,।
सच में,,,
तो क्या देखा नहीं था मम्मी को,,,
देखा था,,,।
आहहहहह आहहहहहहह दीदी मुझे कुछ कुछ हो रहा है,,,,,आहहहहहहह,,,,।
हां बिल्कुल भी देर मत कर इसे मेरी बुर में डाल दे,,,,,
लो दीदी गया,,,।
बस अब जोर-जोर से अपनी कमर हिला,,,,।
आहहहह आहहहहहहह आहहहहहहह बहुत मजा आ रहा है जोर-जोर से धक्का लगा,,,।
(अभी तृप्तिदूसरे पेज पर आगे बड़ी ही थी कि कमरे का दरवाजा खुल गया और सुमन कमरे में दाखिल हो गई यह देखकर वह तुरंत किताब को बंद कर दी उसके चेहरे काहाल एकदम पर हाल हो चुका था उसका गोरा चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था वह शर्म और उत्तेजना से तमतमा रही थी,,, कमरे में दाखिल होते ही सुमन मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
क्या हुआ मजा आया कि नहीं,,,?
बाप रे में तो सोच भी नहीं सकती कि ईस तरह की भी कहानी होती है,,,।
तुझे अभी कुछ नहीं मालूम हैयह सिर्फ कहानी नहीं ऐसा होता भी होगा,,,। लेकिन तूने अभी तक कपड़े नहीं बदली कपड़े तो बदल ले जल्दी से,,,।
(सुमन समझ गई थी की तृप्ति की हालत खराब हो रही है वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है तभी तो उसके चेहरे का रंग लाल हो चुका था,,,, सुमन की बातें सुनकर प्रीति अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और अपनी सलवार की डोरी खोलकर उसे उतारने लगी इस समय उत्तेजना के मारे उसके चेहरे पर शर्म के भाव तो दिख रहे थे लेकिन शर्म का नामोनिशान नहीं था वह बड़े आराम से अपनी सलवार उतार कर एक तरफ रख दी और गाऊन को पहनने लगी उसका कसा हुआ छरहरा बदन देखकर सुमन के मुंह में पानी आने लगा और वह उसे छेड़ते हुए बोली,,,)
वाह तृप्ति तेरी चुचीयां तो अभी एकदम अमरुद जैसी है,,, लगता है अभी तक किसी का हाथ नहीं पड़ा है,,,।
मेरा ध्यान अभी पूरी तरह से पढ़ाई में है,,,।
तेरा ध्यान पढ़ाई में है ना लेकिन दूसरों का तो नहीं दूसरों का ध्यान तो तेरी चूचियों पर और तेरी गांड पर ही होगा,,।
तू भी ना,,,,(इसे कहते हुए वह गाऊन उठाकर पहनने लगी,,,)
नहीं मैं सच कह रही हूं,,,, तू सच में बहुत खूबसूरत है,,,।
(एक लड़की के मुंह सेअपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर तृप्ति मन ही मन प्रसन्न हो रही थी उसे अच्छा लग रहा था कि उसके ही हम उम्र की लड़की उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रही थी फिर भी वह बेमन से बोली,,,)
चल रहने दे,,, सोने का समय हो रहा है,,, काफी समय हो गया,,,।(ऐसा कहते हुए वह बिस्तर पर लेट गई,,, और उसके बगल में सुमन भी लेटते हुए बोली,,)
तू सो जा मुझे अभी नींद नहीं आ रही है मैं थोड़ी देर तक इस कहानी को पढ़ूंगी,,,।
तू ही पढ़ मैं तो सोने जा रही हूं मुझे नींद आ रही है,,,,(ऐसा कहते हुए वह दूसरी तरफ मुंह घूमाकर करवट लेकर सोने की कोशिश करने लगी वैसे उसे गांधी किताब का असर उसके कोमल मन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ रहा था,,,उसकी आंखों में भी नींद नहीं थी लेकिन वह अब इस तरह से खुलकर उसके सामने उसे किताब को पढ़ नहीं सकती थी,,।
तृप्ति सोने की लाख कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी दूसरी तरफ सुमन उस गंदी किताब को पढ़कर गर्म हो रही थी,,, किताबको पढ़ते समय बार-बार उसकी नजर तृप्ति पर चली जा रही थी उसके उभारदार नितंबों पर चली जा रही थी,,,, तकरीबन 1 घंटे का समय गुजर गया था लेकिन ना तो सुमन को नींद आ रही थी और ना ही तृप्ति को बस तृप्ति सोने का नाटक कर रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि गंदी किताब की गंदी कहानियों को पढ़कर सुमन को मजा आ रहा होगा,,, उस किताब में लिखा है एक शब्द तृप्ति के मन पर हथौड़े बरसा रहा था,,, और दूसरी तरफ सुमन की हालत खराब हो रही थी उससे रहा नहीं जा रहा था,,,। तृप्ति के साथ उसे कुछ करने का मन कर रहा है क्योंकि जो आग उसके गुलाबी छेद में लगी हुई थी उसकी आग बुझाना बेहद जरूरी हो गया था और वैसे भी सुमन के लिए यह कोई नया नहीं था अपनी सहेली के साथ वह इस तरह का खेल खेल चुकी थी और उसे मालूम था कि इसमें भी बहुत मजा आता है,,।
काफी देर तक बात तृप्ति की तरफ देखती रही तृप्ति के बदन में किसी भी प्रकार का हलचल नहीं हो रहा था तो उसे ऐसा ही लगा कि वह गहरी नींद में सो रही है,,, इसलिए हिम्मत दिखाते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाई और उसके गोलाकार नितंबो पर रख दी,,,जैसे ही तृप्ति को सुमन का हाथ अपनी गांड पर महसूस हुआ उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह अपनी नज़रें घूमाकर सुमन की तरफ देखना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि वह ऐसा क्यों कर रही है उसकी गांड पर हाथ क्यों रख रही है,,,अभी वह ऐसा सोच ही रही थी कि सुमन हिम्मत दिखाते हुए उत्तेजना के चलते गाउन के ऊपर से ही उसकी गोल-गोल गांड को सहलाना शुरू कर दी,,अब तृप्ति कुछ बोलना भी चाह रही थी तो भी नहीं बोल पा रही थी न जाने क्यों सुमन की हथेली का असर उसे पर छाने लगा था,,,, सुमन का इस तरह से सहलाना उसे अच्छा लगने लगा था,,,उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी और वह देखना चाहती थी कि अब इससे ज्यादा बढ़कर सुमन क्या करती है,,,।
गंदी कहानी और अपने बगल में खूबसूरत लड़की की मौजूदगी उसे पूरी तरह से मदहोश कर रही थी,,, गंदी किताब के रंगीन पन्ने उसके जीवन में भी रंग भर रहे थे उसकी कल्पनाओं काघोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ रहा था और वह अपनी कल्पना को हकीकत में बदलना चाहती थी जिसकी शुरुआत उसने कर दी थी सुमन एक लड़की के मन को अच्छी तरह से समझती थी और गंदी किताब को देखते समय जिस तरह के हाव-भाव तृप्ति के चेहरे पर बदल रहे थे उसे देखकर सुमन समझ गई थी कि बस उसके पहल करने की देरी है और यह लड़की एकदम से पिघल जाएगी,,, सुमन कुछ देर तक उसके नितंबों को गाउन के ऊपर से ही सहलाती रही इतना तो समझ ही गई थी की तृप्ति पूरी तरह से चिकनी थी,,, और इस क्रिया को करने में सुमन को भी मजा आ रहा था।
जब सुमन ने देखी कि उसकी हरकत के बावजूद भी तृप्ति के बदन में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हो रही है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,, उसे यकीन हो गया था कि वह पूरी तरह से गहरी नींद में सो रही है और वह इसका पूरा फायदा उठाना चाहती थी इसलिए धीरे-धीरे उसके गाऊन को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,ऊपर वाला भाग तो बढ़िया आराम से उसकी कमर तक पहुंच चुका था लेकिन उसके नितंबों के नीचे दबा हुआ उसका गाउन ऊपर की तरफ सरक नहीं पा रहा था,,,लेकिन ऊपर से भी उसकी चिकनी जाने और उसके नितंबों का आकार पूरी तरह से दिखाई दे रहा था जिसे देखकर सुमन के मुंह में पानी आने लगा था और उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में भी मदन रस इकट्ठा हो रहा था,, सुमन गहरी सांस लेते हुए उसकी गोल-गोल गोरी गोरी गांड को सहलाना शुरू कर दी।
इसका प्रभाव तृप्ति के मन पर और उसके बदन पर बहुत ही गहरा पड़ रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थीउसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें सुमन की हथेली का जादू उस पर पूरी तरह से छाने लगा था,,, यहां तक की उसकी गुलाबी छेद से मदन रस टपकना शुरू हो गया था,,, तृप्ति का भी मन भटक रहा था वह भी खुलकर मजा लेना चाहती थी,,, लेकिन आगे बढ़ने से डर रही थीक्योंकि वह एक सीधी साधी और संस्कारी लड़की थी इस तरह की हरकत करने के बारे में वह सोच भी नहीं सकती थी लेकिन सुमन ने अपनी हरकतों से उसके बदन में जवानी की उमंग को उछालना शुरू कर दी थी,,, उसकी सांसों की गति के साथ उसके छोटे-छोटे अमरुद भी ऊपर नीचे हो रहे थे उसके छोटे अमरुद भी खुली हवा में सांस लेना चाहते थे ऐसा लग रहा था कि ब्रा की कैद में उन अमरूदों का विकास नहीं हो पाया है,,,। एक तरफ तृप्ति की हालत खराब हो रही थी वहीं दूसरी तरफ सुमनका दिमाग बड़ी तेजी से चल रहा था अब तक उसने किसी भी प्रकार की हलचल को तृप्ति के बदन में महसूस नहीं की थी इसलिए उसकी हरकत और उसकी हिम्मत दोनों बढ़ती चली जा रही थी।
इन सभी हरकतों से उसकी खुद की बरु पानी छोड़ रही थी,,,और इसीलिए वह देखना चाहती थी कि उसके इस हरकत का असर तृप्ति पर कितना पड़ रहा है इसलिए वह उसकी बुर को टटोलना चाहती थी,,,, इसलिए वह अपनी हथेली कोऔर भी ज्यादा हरकत मिलना चाहती थी उसकी गोल-गोल कांड को सहलाते हुए वह धीरे-धीरे अपनी हथेलियां को ऊपर की तरफ ले जाने लगी और जैसे-जैसे उसकी हथेली ऊपर की तरफ बढ़ रही थी वैसे-वैसे तृप्ति की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसे लग रहा था कि उसकी बुर से मदन रस का लावा फूट पड़ेगा,,, क्योंकि वह जानती थी किस तरह की स्थिति में ऐसा ही होता है,,, उसकी हालत इतनी खराब थी कि वह खुद अपनी बुर को अपनी हथेली में लेकर मसलना चाहती थी,,,,एक तरफ सुमन की हथेली और उंगलियों से उसके बदन में गुदगुदी का एहसास हो रहा था औरदूसरी तरफ मदहोशी से वह पूरी तरह से डूबती चली जा रही थी देखते ही देखते वह गाउन में अपना हाथ डालकर अपनी हथेली को उसके कमर के ऊपरी हिस्से उसके पेट पर लेकर आ चुकी थी,,,।
तृप्ति की सांसों की गति के साथ-साथ उसका पेट भी ऊपर नीचे हो रहा था जिसका एहसास सुमन को अपनी हथेली पर बराबर हो रहा था सुमन अपने मन में सोच रही थी कि यह लड़की कितना सोती है ऐसा लग रहा है कि जैसे घोड़े बेचकर सो रही हो,,, अगर नींद में कोई इसकी चुदाई करके चला जाए तो ईसे पता भी ना चले,,,। यही सब सोचते सोचतेसुमन की हरकत बढ़ने लगी और वह धीरे-धीरे उसकी पेंटि के अंदर अपनी उंगली को सरकाना शुरू कर दी,,, उसकी इस हरकत पर तृप्ति की सांसे थमने लगी,,, उसकी हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बस इस पल को अपनी आंखों को बंद करके महसूस कर रही थी। और वैसे भी दिन भर जो कुछ भी हुआ था वह सब बिल्कुल ताजा ही था जिसकी मदहोशी में वह अभी तक थी और उसकी मदहोशी को सुमन और भी ज्यादा बढ़ाने लगी थी,,,
सुमनउस गंदी किताब को एक तरफ रख दी थी और अपना पूरा ध्यान तृप्ति के ऊपर टीकाए हुए थी,,, दिल की धड़कन लगातार बढ़ती जा रही थी बदन में कम से हाथउत्पन्न हो रही थी लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाले हुए थी,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि अब ज्यादा देर तक वह अपने आप को संभाल नहीं पाएगी वह पूरी तरह से बेकाबू होती जा रही थी,, और धीरे-धीरे सुमन की उंगलियां आगे बढ़ती जा रही थी,, जैसे-जैसे सुमन की उंगली उसके बुरे के करीब पहुंच रही थी वैसे-वैसे उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और उसका बदन संकुचा जा रहा था। और फिर सुमन की उंगलियां उसके मंजिल तक पहुंच गई,,, पल भर में ही सुमन का एहसास हो गया कि तृप्ति की बुर पूरी तरह से गर्म आ चुकी थी और उसमें से मदन रस भी टपक रहा था जो उसकी हथेली में लग गया था इस बात से वह बेहद खुश थी कि नींद में होने के बावजूद भी उसका अंतर्मन पूरी तरह से काम कर रहा था। और दूसरी तरफ जैसे ही तृप्ति को अपनी बुर पर सुमन के कोमल हथेली का स्पर्श हुआ,, वह पूरी तरह से रोमांचित हो गई,, अब उसे सब्र करना मुश्किल हुआ जा रहा था,,, वह समझ गई थी कि अब शांत रहने में भलाई नहीं है इसलिए वह तुरंत एकदम से नजर घूमाकर सुमन की तरफ देखने लगी और बोली,,,।
यह क्या कर रही है तू,,,?
तू बहुत खूबसूरत है तृप्ति,,, तेरी जवानी देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,(सुमन इस तरह की स्थिति से निपटना अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी किउसे क्या करना है एक लड़की होने के नाते उसे अच्छी तरह से मालूम था कि एक लड़की अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर एकदम से पिघल जाती है और वही उसने की भी थी जिसका असर तृप्ति के चेहरे पर एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,, सुमन की बात सुनकर तृप्ति एकदम सेसुमन की आंखों में देखने लगी और यही मौका था जब दोनों को एक होना था और इस मौके को सुमन अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी,,,सुमन एकदम अपने प्यास होठों को उसके लाल-लाल होठों की तरफ आगे बढ़ाने लगी और अगले ही पल दोनों के होठ आपस में सट गए थे,,,,,।
तृप्ति को तुरंत संदीप याद आ गयाजब वह ट्यूशन से अपने घर की तरफ लौट रही थी और अपने घर के पीछे वाली सड़क पकड़कर,, जहां पर हमेशा अंधेरा ही रहता था शाम के वक्त कोई आता जाता नहीं था और उसी समय वहां पर संदीप खडा होकर उसका इंतजार कर रहा था,,,और उसे देखते ही तुरंत उसके सामने आ गया था तृप्ति कुछ समझ पाती ईससे पहले ही,,वह उसे अपनी बाहों में भरकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होठ रखकर उसके होठों का रसपान करने लगा था,,, जिंदगी में यह तृप्ति का पहला चुंबन थाऔर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी वह तो सही समय पर वह पूरी तरह से होश में आ गई थी वरना उसी दिन संदीप उसके कौमार्य को भंग कर दिया होता,,,,और वही हरकत आज सुमन उसके साथ कर रही थी लेकिन आज वह पूरी तरह से होशो हवास में थी,,,।
सुमन का यह सुमन पूरी तरह से गहरा होता जा रहा था जिसमें तृप्ति भी उसका सहकार करने लगी थी तृप्ति को भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी जब सुमन ने देखी की तृप्ति पूरी तरह से मदहोश हो रही है तो वह अपनी हथेली को उसकी गुलाबी बर पर जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दी जिसका असर तृप्ति के बदन में बेतहाशा उत्तेजना प्रकट कर रहा था और तृप्ति कसमसा रही थी,,,सुमन की हरकत से तृप्ति पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करना है लेकिन सुमन की हरकत का वह पूरा आनंद ले रही थी सुमन एक ही समय में दोनों तरफ से उस पर प्रहार कर रही थी। और इस प्रहार से बचने का तृप्ति के पास कोई रास्ता नहीं था,,,तृप्ति धीरे-धीरे सुमन की हरकत से उत्तेजित हुए जा रही थी वह मदहोश में जा रही थी और धीरे से अपने हाथ कोसुमन की पीठ पर रख दीजिए जिसे सुमन का मनोबल और ज्यादा बढ़ने लगा और देखते ही देखते हो अपनी बीच वाली उंगली को धीरे-धीरे उसकी बुर के अंदर सरकाना शुरू कर दी,,, जब तृप्ति को यह एहसास हुआ तो वह मदहोशी के सागर में डूबने लगी,,,।
लेकिन तृप्तिकी मदहोशी को देखकर सुमन अपनी उंगली को एकदम से रोक दी क्योंकि वह समझ गई थी कि अब खेल में मजा आने वाला है,,,, और पल भर के लिए उसके होठों से अपने होठों को अलग करकेबिस्तर पर बैठे-बैठे ही वह अपनी फ्रॉक को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ खींचने लगी और अगले ही पल अपने बदन से अपनी फ्रॉक को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी,,,बिस्तर पर वह केवल ब्रा में ही थी जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम मस्त लग रही थी,, सुमन की हरकत को तृप्ति प्यासी आंखों से देख रही थीतृप्ति भी समझ गई थी कि अब आगे बहुत कुछ होने वाला है जिसे रोक पाना उसके बस में अब बिल्कुल भी नहीं था,,,,मुस्कुराकर तृप्ति की तरफ देखते हुए सुमन अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लेकर और अपनी ब्रा का हुक खोलते हुए बोली,,,।
अब आएगा असली मजा,,,(और इतना कहने के साथ हीसुमन अपनी ब्रा उतार कर उसे भी बिस्तर के नीचे फेंक दी और पूरी तरह से नंगी हो गई उसके नंगे बदन को देखकर तृप्ति की आंखें फटी की फटी रह गई नंगी होने के बाद सुमन बेहद खूबसूरत और गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी,,,,अपने कपड़े उतार लेने के बाद सामान अपने दोनों हाथ आगे बढ़कर उसके गाउन को पकड़ ली और बोली,,,)
मजा लेने के लिए तुम्हें भी नंगी होना पड़ेगा,,,।
(तृप्ति खुद भी यही चाहती थी इसलिए सुमन को रोक नहीं पाई और सुमन देखते ही देखते उसके गांव को निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दी लेकिन अभी भी उसके नंगेपन को ढकने के लिए बदन पर ब्रा और पैंटी थी जिसे सुमन अपने हाथों से निकाल कर उसके बदन से अलग कर दी,,, और उसके छोटे संतरों को एक हाथ में पकड़कर मुस्कुराते हुए बोली,,,)
अब देखना मैं तुम्हारी चूचियों को भी अपनी तरह खरबूजा बना दूंगी,,,,।
क्या सच में ऐसा हो जाएगा,,,!
बिल्कुल मेरी रानी,,,(और इतना कहने के साथ ही वहां उसकी चूचियों को हल्के हल्के दबाते हुए अपने लाल-लाल होठों को हल्के से खोली और उसके निप्पल को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,,तृप्ति मदहोशी के सागर में पूरी तरह से डूबने लगी थी यह उसके जीवन का पहला अवसर था जब कोई उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पी रहा थाऔर वह भी कोई मर्द नहीं बल्कि उसकी हम उम्र एक खूबसूरत लड़की थी जो इस तरह की कलाबाजी में माहिर थी,,,सुमन की हरकत से उसके बदन में मदहोशी छाने लगी थी उसकी आंखें बंद होने लगी थी उसकी आंखों में सुरूर छा रहा था,,, वाकई में इस समय तृप्ति को बहुत मजा आ रहा था,,,, सुमन की हरकतेंनिरंतर आगे बढ़ती जा रही थी वह दोनों चूचियों को हाथ में लेकर हाल-चाल के दबाते हुए बारी-बारी से उसे मुंह में लेकर पी रही थी,,, ।
सहहहह आहहहहहहह ऊममममममम,,, ओहहहहह फफफ,,,,,,ऊमममममममम सुमन,,,,,,आहहबबबबबब मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,।
तुझे मजा मिले तभी तो मैं यह कर रही हूं,,,,(धीरे से अपने मुंह में से उसकी चूची को निकाल कर इतना बोलकर फिर से उसे मुंह में लेकर पीना शुरू कर दी,,,,तृप्ति बार-बार अपनी आंखों को खोलकर इस नजारे को देख नहीं रही थी क्योंकि उसे देखने में भी बहुत मजा आ रहा था उसकी आंखों के सामने उसके मुकाबलेज्यादा बड़ी-बड़ी चूचियां सुमन के पास थी जिसे देखकर उसका भी मन लालच रहा था और वह अपने इस लालच को रोक नहीं पाई और अपने दोनों हाथ आगे पकडकर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में पकड़ ली और उसे सुमन की तरह ही धीरे-धीरे से दबाना शुरू कर दी,,,तृप्ति के जीवन का यह पहला अवसर था जब वह इस तरह से एक लड़की के साथ आने लग रही थी उसे मजा आ रहा था वाकई में आज उसे एहसास हो रहा था की चूचियां दबाने में कितना मजा आता है,,,, वह भी सुमन की तरह चुचियों का मुंह में लेकर पीना चाहती थी लेकिन अभी इस क्रिया में सुमन लगी हुई थीलेकिन थोड़ी देर बाद जैसे ही वह दोनों चूचियों को छोड़कर गहरी सांस लेने लगी,,, तृप्तिभी उसी की तरह ही अपने प्यास होठों को खोलकर उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दी और इस खेल में उसे आनंद आने लगा वह भी बारी-बारी से दोनों चुचियों का मजा ले रही थी,,,।
रात के 1:30 रहे थे लेकिन दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थीदोनों की बुर से मदन रस टपक रहा था दोनों की चूचियां टमाटर की तरह लाल हो चुकी थी,,,तृप्ति के लिए तो यह पहली बार था इसलिए वह पागलों की तरह उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों से प्यार कर रही थी उससे खेल रही थी,,,तृप्ति की तरह ही सुमन की भी हालत खराब होने लगी और उसके मुंह से भी गरमा गरम शिसकारी की आवाज निकलने लगी उसकी गरमा गरम शिसकारी की आवाज सुनकर तृप्ति मदहोश होने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी। लेकिन इस बीचसुमन अपनी हथेली को एक बार फिर से उसकी पेंटि में डालकर उसकी गुलाबी बुर को अपनी हथेली में जोर से दबोच ली थी,,,। उसकी सरकार पर एकदम सेतृप्ति की सांस रुक गई थी और पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी लेकिन अब वह किसी भी तरह से सुमन को रोकना नहीं चाहती थी,,, सुमन भीउसे धक्का देकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट दे और तुरंत अपने दोनों हाथों से उसकी चड्डी पकड़ कर अपनेहाथों से खींचते हुए उसे उसकी लंबी चिकनी टांगों से बाहर निकाल दी अब वह भी उसकी तरह पूरी तरह से बिस्तर पर नंगी हो चुकी थी
सुमन अपने बिस्तर पर एक नंगी खूबसूरत लड़की को देखकर मदहोश हुए जा रही थी,,, उसकी आंखों में वासना उतर आया था,,,वह अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों टांगों को पकड़ कर उसे खोलते हुए घुटनों के बल उसकी दोनों टांगों के बीच आगे बढ़ने लगी,,,, तृप्ति की बुर एकदम चिकनी थी उस पर बाल का नामोनिशान नहीं था,,,जिसे देख कर सुमन के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपनी हथेली आगे बढ़ाकर उसकी बुर को अपनी हथेली में रखकर उसे दबाते हुए बोली,,,।
हाय रे तेरी बुर कितनी चिकनी है लगता है अभी-अभी साफ की है,,,।
मुझे सफाई पसंद है 10 15 दिन में मैं एक बार सफाई कर देता हूं क्रीम लगाकर,,,(सुमन की दोनों टांगों के बीच देखते हुए) तेरी बुर भी तो बहुत चिकनी है,,,।
मैंने भी कल ही साफ की हुं क्रीम लगाकर,,, ज्यादा बाल रहते हैं तो खुजली होने लगती है,,,,(ऐसा कहते हुए सुमन बार-बार उसकी बुर को अपनी मुट्ठी में दबा रही थी खोल रही थी ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसमें से निकलने वाला मदन रस पूरी तरह से उसकी हथेलियां को भिगो रहा था,,, और उसकी हरकत पर तृप्ति के चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से बदलते जा रहे थे,,,अब बिल्कुल भी देर ना करते हुए सुमन धीरे से अपने प्यासे होठों को उसकी दोनों टांगों के बीच ले जाने लगी और अगले ही पल उसके गुलाबी छेद पर अपने होठ रखकर उसे जीभ से चाटना शुरू कर दी,,,,यह पल तृप्ति के लिए बेहद अद्भुत था जिसे वह कभी जिंदगी में महसूस नहीं की थी इसलिए वह जैसे ही सुमन के होठों को अपनी प्यासी बुरर पर महसूस की वह पूरी तरह से गन गना गई,, उसके बदन में कंपन होने लगा और उसके हाथ खुद-ब-खुद सुमन के सर पर आ गया और वह दोनों हाथों को उसके रेशमी बालों में डाल दी और उसके सर को पकड़ ली,,,।
सुमन भी पूरी तरह से एक अंश हुई तरोताजा बुर की महक को अपने अंदर महसूस करके पागल हो गई और पागलों की तरह जीभ से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दी,,,, दोनों पागल हुए जा रहे थे,, तृप्ति कभी सोची नहीं थी कि एक लड़की लड़की की बुर को इस तरह से चाटती होगी,,, इसीलिए तो तृप्ति कोअपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन वह जानती थी कि जो कुछ भी हो रहा है वहां हकीकत में हो रहा है यह कोई सपना नहीं कोई कल्पना नहीं है,,, इसलिए वह इस पल को जी लेना चाहती थी,,,बिस्तर पर वह पूरी तरह से उत्तेजना से कसमस आ रही थी और उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर सुमन लपा लप उसकी बुर को चाट रही थी,,,इस खेल में वैसे भी वह माहिर थी इस खेल को अच्छी तरह से खेलना जानती थी इसीलिए तो उसका यह खेल रंग ला रहा था,,,।
तृप्ति अपने मन में यही सोच रही थी कि जब उसे इतना मजा आ रहा है तो क्या ऐसा करने में सुमन को मजा आता होगा,,,अपने ही सवाल का जवाब वह खुद देते हुए अपने आप से ही बोली जरूर आता होगा तभी तो वह इतनी मदहोश होकर यह कार्य को कर रही हैऔर सुमन थी की लगातार उसकी बुर को चाट कर उसे पूरी तरह से पागल बना देना चाहती थी क्योंकि वह चाहती थी कि इस क्रिया को वह भी उसके साथ दोहराएं,,,, लेकिन जो कुछ भी करना था उसे ही करना था और सुमन अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है,,,।
सुमन और तृप्ति दोनों पूरी तरह से नंगी होकर एक ही बिस्तर पर मजे लूट रही थी कमरे में जल रही डिम लाइट की रोशनी में सबको साफ नजर आ रहा था दोनों की जवानी बेलगाम हो चुकी थी,,, सुमन तो इस खेल की पक्की खिलाड़ी थी लेकिन तृप्ति अभी अनाड़ी थी उसका सीखना अभी बाकी था लेकिन सुमन की संगत में वह सब कुछ सीख जाएगी अब ऐसा लगने लगा था।इसलिए तृप्ति अपने मन में सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि वह यहां पर सोने के लिए तैयार हो गई वरना इतनी अद्भुत सुख की वह कभी कल्पना भी नहीं कर पाती,,, वह अभी अपने मन में यह सोच ही रही थी कि सुमन अपनी बीच वाली ऊंगली को धीरे से उसके गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दी,,,जैसे-जैसे उसकी उंगली अंदर बाहर हो रही थी वैसे-वैसे उसकी मदहोशी बढ़ती जा रही थी उसे मजा आ रहा था और इस दौरान वह लगातार अपनी जीभ से उसकी बुर को चाट भी रही थी,,,और सुमन की यह क्रिया लगातार जारी थी वह पूरी तरह से तृप्ति को पागल बना देना चाहती थी और जब उसे लगने लगा कि उसका किया कार्य काम करने लगा है तो वह धीरे से गहरी सांस लेते हुए उसकी दोनों टांगों के पीछे से अपने चेहरे को ऊपर की तरफ उठाई औरतृप्ति की तरफ देखने लगी दोनों की नजर आपस में टकराई दोनों की आंखों में वासना साफ झलक रही थी,,।
सुमन समझ गई थी कि अब वह जैसा कहेगी तृप्ति वैसा ही करेगी इसलिए धीरे से उठी और,,, 69 की अवस्था में उसके ऊपर लेट गई।पहले तो तृप्ति को कुछ समझ में ही नहीं आया और सुमन अपना कार्य जारी करती थी वह उसकी बुर को चाटना शुरू कर दी थी लेकिन तृप्ति कुछ कर नहीं रही थी बस बेहद करीब से सुमन की बुर को देख रही थी और उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर उतार रही थी,और सुमन इशारे से उसे समझा रही थी कि क्या करना है लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी वह अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए अपनी बुर को उसके होठों से सटा दे रही थी,,, लेकिन तृप्ति कुछ कर नहीं रही थी तो,,, आखिरकार सुमन को बोलना पड़ा,,,।
तू भी जीभ से चाट बहुत मजा आएगा,,,,।
(उसकी बात सुनकरतृप्ति के दिल की धड़कन बढ़ने लगी क्योंकि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस क्रिया को वह कैसे कर पाएगी लेकिन वह अच्छी तरह से देख रही थी कि इसी क्रिया को सुमन बड़े आराम से कर रही थी और आनंदित हो रही थी इतना तो वह मालूम था किस क्रिया को करने में मजा बहुत आता है इसलिए वह भी हिम्मत करके धीरे से अपनी जीभ को हल्के से निकाली और उसकी नौक को सुमन की बुर से हल्का सा स्पर्श कराई और एकदम से गनगना गई,, फिर दोबारा उसने कोशिश की और इस बार हुआ पूरी तरह से अपनी जीभ को उसकी गरम बुर से सटा दी,,, ऐसा करने से वह पूरी तरह से आनंदित हो गई और इस दौरानसुमन अपनी बीच वाली उंगली को फिर से उसकी बुर में प्रवेश कर दी और ऐसा होते ही वह उत्तेजना में तुरंत अपने होठों को पूरी तरह से सुमन की बुर से सटा दी और उसे चाटना शुरू कर दी पहले तो उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन थोड़ी ही देर में उसे आनंद आने लगा मजा आने लगा वह अभी सुमन की तरह ही उसकी बुर की चटाई करना शुरू कर दि।
सच पूछो इस क्रिया को करने में उसे बहुत मजा आ रहा था वह पागल हो जा रही थी उसे पहली बार एहसास हो रहा था कि वाकई में इस तरह के खेल खेलने में कितना मजा आता हैवह भी अपनी बीच वाली उंगली को सुमन की तरह ही उसकी खुद की बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगे और उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर अंदर से कितनी गर्म है जैसा कि उसकी खुद की गरम रहती है,,, दोनों कीक्रिया निरंतर बढ़ती जा रही थी दोनों का नितंबों का आकार एकदम गोल था लेकिन सुमन की गांड को ज्यादा बड़ी थी और दोनों गोल-गोल अपनी गांड को एक दूसरे के चेहरे पर घूम रही थी जिससे दोनों की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी।
देखते ही देखते दोनों चरम सुख की तरफ आगे बढ़ रही थी दोनों की उंगली एक दूसरे की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रही थी ऐसा लग रहा था कि मैं जैसे दोनों की उंगली ना होकर एक मजबूत लंड हो,,,वासना की आग में दोनों सुलग रही थी दोनों पसीने से तरबतर हो चुकी थी,,,,और देखते ही देखते दोनों एकदम चरम सुख को प्राप्त कर ली दोनों की बुर से मदन रस का फवारा फूट पड़ा जिसे दोनों अपने होठों से जीभ से चाट कर मदहोश होने लगी,,,और यह खेल तकरीबन सुबह 5:00 बजे तक चलता रहा और उसके बाद कब दोनों की आंख लग गई दोनों को पता ही नहीं चला,,,।
सुबह जबसुमन की मां दरवाजे पर दस्तक देने लगी तो दोनों की आंख खुली दोनों बिस्तर पर एकदम नंगी थी और जल्दी-जल्दी दोनों अपने कपड़े समेट कर पहनने लगी,,, इसके बाद एक अद्भुत अनुभव के साथ तृप्ति अपने घर आ गई।