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Incest मुझे प्यार करो,,,

lovlesh2002

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सुगंधा किसी काम से पड़ोस में गई हुई थी और यह बात उसने अपने बेटे से बताई थी क्योंकि उसे शाम को बाजार जाना था अपने लिए लूज पजामा और कुर्ता लेने के लिए ताकि सुबह की जॉगिंग आराम से हो सके क्योंकि साड़ी में उसे भी उचित नहीं लग रहा था दौड़ना उसे इस बात का डर लगा रहता था कि कहीं पैर फस न जाए और वह गिर ना जाए। गर्मी का महीना होने की वजह से अंकित दोबारा बिस्तर पर नहीं लेटा और वह नहाने के लिए बाथरुम में घुस गया था घर में किसी के न होने की वजह से वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा ही नहा रहा था दरवाजे पर कड़ी लगाकर पहले ही वह दरवाजा बंद कर चुका था।




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लेकिन जैसे ही बनना शुरू किया था वैसे ही दरवाजे पर 10 तक होने लगी थी और जब उसे एहसास हुआ कि दरवाजे पर कोई और नहीं बल्कि सुमन की मां है तो उसकी आंखों की चमक बढ़ गई पल भर में ही बीती हुई कुछ बातें कुछ यादें एकदम से ताजा हो गई उसे अच्छी तरह से याद था कि वह सुषमा आंटी के घर गया था सुमन से परीक्षा के बारे में कुछ पूछने के लिए तो वहां पर अनजाने में ही वहां बाथरूम के करीब पहुंच गया था और बाथरूम के अंदर सुमन की मां एकदम नंगी होकर नहा रही थी उसे समय उसके नंगे बदन को देखकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, उसे समय सुषमा आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियां और झांटो वाली बुर देखकर अंकित का लंड एकदम से खड़ा हो गया था,,, अंकित को अच्छी तरह से याद था कि अपनी आंखों के सामने उसे देखकर सुमन की मन एकदम से हड़बड़ा गई थी और अपने बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी,, लेकिन फिर भी बिना दरवाजे पर जा सकती है वहां तक पहुंच जाने पर उसे एक शब्द नहीं बोली थी इससे अंकित की हिम्मत थोड़ी इस समय बढ़ रही थी,।




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आवाज पर गौर करके खुश होते हुए अंकित अपने बदन पर ठंडा पानी डाल रहा था और बाहर से लगातार आवाज आ रही थी।

सुगंधा,,, ओ सुगंधा अरे सच में सो गई क्या दरवाजा तो खोल मुझे काम है,,,।
(सुमन की मां की आवाज सुनकर एक तरफ अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था लेकिन दूसरी तरफ थोड़ी घबराहट उसे हो रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके मन में चल रहा था उसे कार्य को अंजाम देने के लिए काफी हिम्मत की जरूरत थी इसलिए उसका दिन जोरों से धड़कता है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ उसके मन में चल रहा है उसे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी वह अपने मन में ऐसा सोच लिया था कि जो कुछ भी होगा सुषमा आंटी को ऐसा ही लगेगा कि अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह तुरंत बाथरूम से बाहर आया और कुर्सी पर पड़ी चावल को अपने बदन से लपेट लिया बदन से क्या अपनी कमर से लपेट लिया लेकिन उसके टावल में भी अद्भुत तंबू बना हुआ था क्योंकि बाथरूम के अंदर वह अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था जिसके चलते उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था। अंकित सुषमा आंटी को अपने टावल में बने हुए तंबू को दिखाना चाहता था यह एहसास दिलाना चाहता था कि उसके पड़ोस में ही एक लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका है जो अगर वह चाहे तो उसकी ख्वाहिश उसकी इच्छा को उसकी प्यास को बुझा सकता है,,,, और किसी भी औरत की प्यास को बुझाने और उसे संतुष्ट करने का हाथ में विश्वास उसे अपनी नानी से मिला था नानी की चुदाई करके वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और आत्मविश्वास से भर चुका था। और यह इस आत्मविश्वास का असर था जो आज वह एक अद्भुत कार्य करने जा रहा था और वह भी किसी गैर औरत के सामने।





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अपनी कमर पर टावल लपेटने के बाद वह एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच डालकर अपनी स्थिति का मुआयना कर लेना चाहता था और वाकई में ही समय उसका तंबू काफी आकर्षक लग रहा था उसे पूरा विश्वास था कि सुषमा आंटी अगर इसे देखेगी तो जरूर मस्त हो जाएगी मदहोश हो जाएगी। लगातार दरवाजे के बाहर से आवाज आ रही थी दरवाजे पर दस्तक हो रही थी और वैसे भी दोपहर का समय था इस समय सब लोग अपनी-अपने घरों में आराम कर रहे थे और सबसे फायदे वाली बात यह थी कि इस समय उसकी मां भी घर पर नहीं थी इसलिए वह धीरे से दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजे की कड़ी को खोलकर दरवाजे के दोनों पट को धीरे से खोल दिया सामने सुषमा आंटी थी जिसे देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला,,,।)





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क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,? मैं नहा रहा था इसलिए दरवाजा खोलने में देर हो गई और वैसे भी मम्मी घर पर नहीं है,,,(अंकित एक ही सांस में उस सारे सवाल भी पूछ ले रहा था और यह भी बता दे रहा था कि घर पर इस समय उसकी मां नहीं है घर पर वह अकेला ही है अगर वाकई में सुषमा आंटी के मन में भी दूसरे औरतों वाली बात होगी तो जरूर इस मौके का फायदा उठाएगी,,, सुषमा आंटी उसकी बात तो सुन रही थी लेकिन वह दरवाजे पर अंकित को खड़ा देखकर न जाने किस एहसास में डूबने लगी थी,,, सुषमा को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था की उसकी आंखों के सामने एकदम जवान लड़का खड़ा है जिसे देखकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह अच्छी तरह से देख रही थी कि दरवाजे पर खड़ा अंकित नहा कर बाथरूम से पर अभी-अभी बाहर आया था और उसके कमर पर टावल लपटी हुई थी लेकिन अभी तक सुषमा का ध्यान उसके तंबू पर बिल्कुल भी नहीं किया था वह इसकी चौड़ी छाती को देख रही थी पल भर के लिए सुषमा को लग रहा था कि इसकी चौड़ी छाती में एकदम से समा जाए क्योंकि दरवाजे पर खड़ा अंकित उसे पूरा मर्द लग रहा था मोहल्ले में दौड़ता हुआ वह छोटा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था इस बात का एहसास सुषमा आंटी को हो रहा था। कुछ देर तक सुषमा आंटी एकदम खामोश रही उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके जवानी का जादू उसकी मर्दानगी का असर सुमन आंटी पर थोड़ा-थोड़ा हो रहा है इसलिए वह फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,)




क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,?

हां मुझे तेरी मम्मी से काम था लेकिन वह तो है ही नहीं,,,।

तो क्या हुआ आंटी मैं तो हूं ना मुझसे कहिए क्या काम है,,,,।

वह क्या है ना थोड़ा चीनी चाहिए था,,, शाम को बाजार जाऊंगी तो ले आऊंगी अभी है नहीं,,,,,(उसका इतना कहना था कि उसके हाथ से कटोरी गिर गई और वह कटोरी लेने के लिए नीचे जो की लेकिन कटोरी उठते समय उसकी नजर अंकित के टावल पर गई तो उसमे बना हुआ तंबू देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए,,, सुषमा को समझते देर नहीं लगी की अंकित की दोनों टांगों के बीच का हथियार कैसा है वह कुछ क्षण तक टॉवल की तरफ अच्छी और फिर सहज बनने का नाटक करते हुए धीरे से उठकर बोली,,,) क्या तु मुझको चीनी देगा,,,।

(अंकित का पूरा ध्यान सुषमा आंटी पर ही था सुषमा की नजरों को अच्छी तरह से देख लिया था वह समझ गया थाकी आंटी उसके तंबू की तरफ देख चुकी हैं और जरूर उनके मन में कुछ चल रहा होगा इस बात की खुशी अंकित के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन वह जताना नहीं चाहता था पानी की बूंदे अभी भी इसकी चौड़ी छाती पर फिसल रही थी जिसे देखकर इस समय ऐसे हालात में जबकि सुषमा की नजरे उसके तंबू पर जा चुकी थी अब उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होना शुरू हो गया था,,,, अंकित सुषमा आंटी की बात सुनकर बोला।)

क्यों नहीं आंटी यह तो मेरा फर्ज है और वैसे भी चीनी क्या आप यहां से चाय पी कर जाइए,,, मैं अभी बना देताहूं,,,(अंकित चाय के बहाने सुषमा आंटी को अपने घर पर रोकना चाहता था क्योंकि अभी उसकी मां के आने में बहुत समय था अपनी नानी की जी भर कर चुदाई कर लेने के बाद उसकी हिम्मत खुलने लगी थी और यह उसी का नतीजा था जो आज वह सुमन की मां से इस तरह से बातें कर रहा था वरना वह कभी हां और ना से ज्यादा जवाब ही नहीं देता था,,,, अंकित की बात सुनकर सुषमा बोली,,,)

अरे नहीं नहीं अंकित बेटा रहने दे मैं यहां चाय पीने के लिए नहीं आई हूं बल्कि चीनी लेने के लिए आई हूं,,,, और हां तुझे अगर चाय पीना है तो मेरे घर चल मैं तुझे चाय पिलाती हूं,,,,(बात करते हुए अपनी नजरों को हल्के से नीचे करते हुए वह अंकित के टॉवल की तरफ देख रही थी उसमें बने हुए तंबू को देख रही थी और अपने मन में सोच रही थी बाप रे कितना बड़ा लंड है ईसका पूरा हथियार है,,,, सुषमा की बात सुनकर अंकित बोला,,,)

फिर कभी आंटी थोड़ी देर बाद मुझे बाजार जाना है,,,, आप अंदर तो लिए कब से दरवाजे पर खड़ी है,,,,।
(अंकित की बात सुनकर धीरे से सुषमा आंटी घर में आ गई,,, और अंकित आगे बढ़कर दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद कर दिया हालांकि उसने दरवाजे पर कड़ी नहीं लगाई,,,, पल भर के लिए सुषमा आंटी के बदन में सनसनी से दौड़ने लगी जब आगे बढ़कर अंकित दरवाजे को बंद कर रहा था तब सुषमा आंटी को ऐसा ही एहसास हो रहा था कि मानो जैसे अंकित उसके साथ कुछ करना चाहता हो इसलिए दरवाजा बंद कर रहा है,,,, दरवाजा बंद करने के बाद अंकित बोला,,)

आप रुकिए में चीनी लेकर आता हूं,,,(वह ऐसे ही जा रहा था कि सुषमा बोल पड़ी)

अरे ले कटोरी तो लेता जा,,,,।

ओहहह,,,लाईए,,,(ऐसा कहते हुए वापस सुषमा आंटी की तरफ मोडा और अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी लेने लगा सुषमा आंटी भी अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी को अंकित की तरफ बढ़ा दी और अंकित उसके हाथों में से कटोरी लेने का कटोरी लेते समय उसकी उंगलियां सुषमा आंटी की उंगलियों से स्पर्श करने लगी और यह स्पर्श सुषमा आंटी को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार तक महसूस होने लगी सुषमा आंटी को ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे उसकी बुर फुल पिचक कर रही हो,,,, और अंकित कटोरी लेकर रसोई घर की तरफ चल दिया जाते समय उसके पीठ सुषमा की आंखों के सामने एकदम चौड़ी पीठ कमर की तरफ एकदम आकर्षक कमर के नीचे का उसके उभरे हुए नितंब टॉवल में भी सुडौल लग रहे थे,,, जहां एक तरफ मर्द औरतों की गांड देखकर आकर्षित होते हैं वहीं सुषमा आंटी आज अंकित के कसरती बदन के साथ-साथ उसके नितंबों को देखकर भी आकर्षित हो रही थी,,, अंकित रसोई घर में जा चुका था और सुषमा आंटी अंकित के बारे में बहुत सारी बातें सोच रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि अंकित पूरी तरह से जवान मर्द हो चुका है और अपने बदन को आकर्षक बनाने के लिए कितना मेहनत किया है कितना कसरत किया है तभी तो उसे देखते ही उसे न जाने क्या होने लगा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था रह रहकर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी।

सुषमा अंकित के लंड के बारे में सोच रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जब उसका तंबू इतना शानदार है तो बिना कपड़ों के उसका लंड तो औरतों के होश उड़ा देगा,,, काश उसके लंड को देख पाती तो कितना मजा आता,,, सुगंधा कितनी किस्मत वाली है कि उसका बेटा इतना दमदार है। वह तो दिन रात अपने बेटे को देखती होगी उसे बिना कपड़ों के भी देख चुकी है जाने अनजाने में नजर तो पड़ ही जाती होगी,,,, पल भर में सुगंधा के बारे में और बहुत सारी बातें सोचने लगी सुषमा के मन में बहुत सी बातें चल रही थी पल भर में ही सुगंध के जीवन के बारे में सोचने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी की सुषमा को तो अपने बेटे के साथ ही शारीरिक संबंध बनाकर संतुष्ट हो जाना चाहिए,,, घर के चार दिवारी के अंदर क्या हो रहा है दूसरों को क्या पता,,,, लेकिन सुगंधा वाकई में एक संस्कारी और मर्यादा वाली औरतें इतने बरस हो गए पति के गुजरे लेकिन वह इतने दिनों में कभी भी कोई ऐसा काम नहीं की जिससे उसकी बदनामी हो वरना एक खूबसूरत और जवान औरत और वह भी जवानी से भरी हुई औरत के पैर फिसल जाते हैं लेकिन सुगंधा के बारे में आज तक ऐसी कोई भी बातें सुनने को नहीं मिली,,, अगर मुझे अंकित के साथ एक ही घर में रहना हो तो शायद एक साथ भी गुजारना मुश्किल हो जाए और ना चाहते हुए कि मुझे अंकित के साथ शारीरिक संबंध बनाना ही पड़ जाए,,,।

क्या अंकित के मर्दाना बदन और उसके अंग का ही कमाल था जो सुषमा उसके बारे में इतना कुछ सोचने लगी थी,,, सुष्मा अपने मन में यह सब बातें सोच रही थी और रसोई घर के अंदर अंकित अपनी ही जुगाड़ में लगा हुआ था अंकित या तो जान चुका था कि सुषमा आंटी उसकी टांगों के पीछे देख रही थी जरूर उनके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था और इस समय वह पूरी तरह से सुषमा को अपने लैंड के दर्शन करना चाहता था जिसके चलते वह अपनी टॉवल को कमर पर इतनी देरी बांध लिया था कि 5 6 कदम चलने के बाद ही वह अपने आप ही कमर से छूटकर नीचे गिर जाती और फिर हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह रसोई घर से बाहर आ गया वह जानता था कि उसका टावल उसका ज्यादा देर तक साथ देने वाली नहीं है,,, उसकी उत्तेजना कम भी नहीं हो रही थी उसका तंबु ज्यों का त्यों खड़ा था,,, रसोई घर से बाहर आते हुए अंकित को देखकर सुषमा आंटी मुस्कुराने लगी लेकिन अभी भी उसकी नजर उसके दोनों टांगों के बीच ही थी जो की बेहद आकर्षक और मदहोश कर देने वाला लग रहा था देखते ही देखते अंकित सुषमा आंटी के करीब आ गया। ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया और हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए बोला।

लीजिए आंटी मैं पूरी कटोरी भरकर लाया हूं,,,( उसका इतना कहना था की वाकई में उसका टॉवल उसकी कमर से छूटकर उसके कदमों में जा गिरा और उसका टनटनाया हुआ लंड एकदम से सुषमा आंटी के सामने लहराता हुआ आ गया जिसे देखकर सुषमा आंटी के सांसे एकदम से रुक गई,,, और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, सुषमा अपना हाथ भी आगे नहीं बढ़ा पाई थी कि उसकी आंखों के सामने एक अद्भुत मंजर दिखाई देने लगा था जिसे देखकर उसकी सिटी पिट्टी गुम हो चुकी थी उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल बढ़ने लगी थी और अंकित तो यही चाहता ही था इसलिए वह पूरी तरह से सहज था वह जी भरकर सुमन की मां को अपने लंड के दर्शन करा देना चाहता था,,,, क्योंकि वह लंड के दर्शन करने की महिमा को अच्छी तरह से जानता था जिसके चलते उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए आतुर हो चुकी थी,और इस समय वह यही चाहता था,,, अंकित का आत्मविश्वास पूरी तरह से कायम था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो सकती है तो सुमन तो अभी भी उसकी मां की उम्र की है इसमें भी तो जवान कूट-कूट कर भरी हुई है जिसके दर्शन वह खुद अनजाने में कर लिया था,,,,।

अंकित दोनों हाथ में कटोरी को पकड़े हुए था और वह पूरी तरह से नंगा था उसके बदन पर टावल भी नहीं था टावल के गिरने के साथ ही उसका मर्दाना अंग पूरी तरह से प्रदर्शित हो रहा था जिसे देखकर सुषमा आंटी पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी उनकी नज़रें अंकित के लंड से एक पल के लिए भी नहीं है रही थी शायद इस तरह का वह अपने जीवन में पहली बार देख रही थी और वाकई में यह सच भी था क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इस तरह का लंड तो वह गंदी फिल्म मेंदेखी थी। और कभी सोची भी नहीं थी कि उसे इस तरह का लंड देखने को मिलेगा लेकिन आज उसकी मुराद पूरी हो रही थी,,, उसकी आंखों के सामने टनटनाया हुआ लंड था जो किसी भी बुर में जाकर बुर का भोसड़ा बनाने के लिए सक्षम था। सुषमा की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वह पागलों की तरह अंकित के लंड को देखे जा रही थी मानो कि जैसे देखकर ही उसे अपने अंदर ले लेगी,,, अंकित पूरी तरह से उसे दिखा देना चाहता था इसलिए अभी कुछ बोल नहीं रहा था लेकिन जब उसे एहसास हो गया कि आप समय को ज्यादा हाय दइया हो गया है सुषमा आंटी जी भर कर उसके लंड के दर्शन कर चुकी है इसलिए वह एकदम से बोला,,,)

बाप रे यह क्या हो गया यह टावल भी ना,,,,, जल्दी पकड़िए कटोरी आंटी,,,, मुझे शर्म आ रही है जल्दी करिए,,,,।

हाय दइया कैसी बातें कर रहा है सर में तो मुझे आनी चाहिए जो आंखों के सामने यह सब देख रही हूं,,,सहहहहहह,,,, कितना बड़ा है रे तेरा कितना मोटा और लंबा बाप रे तेरा हथियार तो गजब का है,,,,,(बिना कटोरी को अपने हाथ में पकड़े हुए ही सुषमा आंटी इस तरह की बातें बोल रही थी और यह सब सुनकर अंकीत मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए बोला।)

यह कैसी बातें कर रही हो आंटी जल्दी से कटोरी पकड़ो समझो मेरी हालत को मैं पूरी तरह से नंगा हुं और मुझे शर्म आ रही है,,,,,,।
(अंकित की हालत को देखकर सुषमा के अंदर की औरत पूरी तरह से जाग गई थी वह एक कदम आगे बढ़कर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और अपना हाथ आगे बढ़कर तुरंत अंकित के लंड को अपने हाथ में पकड़ ली उसकी गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि उसकी बुर से मदन रस की बुंद टपकने लगी थी,,,, सुषमा की सांस एकदम से गहरी चलने लगी थी पहली बार जीवन में वह इतने मोटे तगड़े लंड अपने हाथ में पड़ रही थी उसकी गर्माहट पूरी तरह से उसे पानी पानी कर रही थी,,, अपनी नानी से प्राप्त अनुभव को यहां पर थोड़ा दिखाना चाहता था इसलिए तुरंत अपने हाथ में लिए हुए कटोरी को पास में ही पड़ी कुर्सी पर रख दिया वह सुमन की मां की हरकत को देखकर इतना तो समझ ही गया था कि सुषमा आंटी भी राहुल की मां नुपुर और उसकी नानी से बिल्कुल कम नहीं थी इसलिए वह यहां पर थोड़ा अनुभव दिखा देना चाहता था,,,,,,, बस तुरंत अपना एक हाथ सुमन की मां की कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और तुरंत उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,, यह सब इतनी जल्दबाजी में हुआ था कि सुमन की मां को भी इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था लेकिन वह अंकित की हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई थी।

उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि मोहल्ले में घूमने वाला वह छोटा सा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था सुषमा आंटी अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी वह इस तूफान में पूरी तरह से बहाने को तैयार हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी अभी भी उनके हाथ में अंकित का मोटा तगड़ा लंड था जिसकी गर्माहट उसे धीरे-धीरे पिघला रही थी। अंकित पागलों की तरह सुमन की मां की लाल लाल होठों का चुंबन का रस पीते हुए उसकी कमर में हाथ हटा लिए हुए उसे एकदम से दीवार से सटा दिया अंकित की हरकत से सुषमा आंटी की बोलती बंद हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी,,, जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़की के साथ वह पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी,,, अंकित इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, अपनी नानी की बुर की गर्मी आई है उसे अच्छी तरह से महसूस होती थी जब भी वह अपनी नानी को याद करता था तब तक उसका लंड बुर में जाने के लिए खड़ा पड़ता था और ऐसा लग रहा था कि आज वह अपनी नानी की कमी को पूरा कर लेगा,,,,,।

सुमन की मां को दीवार से सटाकर वह उसके होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा सुषमा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसे घबराहट होने लगी थी कि वह क्या कर रही है वह अंकित को रोकना चाहती थी लेकिन वह कुछ बोल पाती से पहले ही अंकित उसकी साली को कमर तक उठा दिया था और उसकी नसीब इतनी तेज थी कि उसने आज साड़ी के अंदर पेटी भी नहीं पहनी थी इसलिए वह तुरंत अपनी हथेली को उसकी नंगी बुर पर रख दिया जो पूरी तरह से झांटों के झुरमुट के घेरे में थी,,, जिस तरह से अंकित अपनी हथेली को उसकी बुर की रगड़ रहा था उसे देखकर एक बार फिर से सुषमा की बोलती बंद हो चुकी थी वह उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पाई थी उसके होठों से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,, अंकित पागलों की तरह उसकी बुर को रगड़ रहा था अपनी हथेली से गर्म कर रहा था और अभी भी सुषमा अंकित के लंड को पकड़कर उसे जोर-जोर से दबा रही थी,,,, जिंदगी में पहली बार इतना मोटा तरो ताजा लंड देखकर वह भी अपना आपा खो चुकी थी,,,, अंकित को अपनी हथेली में सुषमा आंटी की बुर से निकला हुआ मदन रस एकदम साफ महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से अकेली होती चली जा रही थी,,,,, आगे बढ़ने से पहले फिर भी वह सुषमा आंटी से एक बार पूछ लेना चाहता था अपने मन को तसल्ली दिला देना चाहता था कि वाकई महसूस मानती क्या चाहती है इसलिए वह अपने होठों को एकदम से सुषमा आंटी के होठों से अलग करता हुआ गहरी सांस लेता हुआ सुषमा आंटी के चेहरे को फिर से अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोला लेकिन इस दौरान दोनों हाथों को ऊपर उठने से एक बार फिर से सुषमा की साड़ी वापस अपनी स्थिति में आ चुकी थी और उसके कदम में जा गिरी थी खूबसूरत है तेरे से पर पर्दा पड़ चुका था लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसका लंड था,,,, अंकित उत्तेजित स्वर में बोला,,,,)

तुम तो मुझे पागल कर दी आंटी बोलो अब क्या करूं,,,,,।

(अंकित का सवाल सुनकर सुषमा आंटी कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, वह नजर भर कर अंकित की तरफ देख रही थी अंकित के मासूम चेहरे की तरफ देख रही थी उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि मासूम चेहरा पूरी तरह से जवान हो चुका था वह कुछ बोल नहीं पाई अपने मन की बात अपने होठों पर लाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह दरवाजे की तरफ देखते हुए सिर्फ इतना ही बोली।)

दरवाजे की कड़ी नहीं लगी है,,,।
(बस सुषमा का इतना कहना उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत दे रहा था उसकी तरफ से निमंत्रण दे रहा था जिसे सुनकर अंकित एकदम खुश हो गया और तुरंत दरवाजे की तरफ आगे बढ़कर और दरवाजे की कड़ी लगा दिया वह भी मदहोशी में भूल चुका था कि दरवाजा का पल्ला सिर्फ बंद है उसे पर कड़ी नहीं लगी है ऐसे में उसकी मां आ सकती थी कोई भी आ सकता था वह दरवाजे पर कड़ी लग रहा था और सुषमा उसके गोल-गोल नितंबों की तरफ देख रही थी वाकई में वह अंकित के नितंबों को देखकर आकर्षित हो चुकी थी फुर्ती दिखाता हुआ अंकित दरवाजे पर खड़ी लगा चुका था और वापस अपनी जगह पर आ चुका था लेकिन इस बार वह तुरंत सुषमा आंटी को दीवार की तरफ घुमा दिया था औरउनकी पीठ को अपनी तरफ कर दिया था और पीछे से उसे अपनी बाहों में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों चुचियों का दबाना शुरू कर दिया था इतना तो अंकित को मालूम नहीं था कि उसके पास समय अब ज्यादा नहीं था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाता हुआ सुषमा आंटी के ब्लाउज के निचले हिस्से के दो बटन को खोल दिया और दोनों हाथों से चुचियों को बाहर निकाल दिया,,,, सुषमा की दोनों चूचियां भी पपाया की तरह थी,,,, जिसे हम की जोर-जोर से दबा रहा था और इस तरह के स्तन मर्दन में सुषमा को भी बहुत मजा आ रहा था,,, इसदौरान वह लगातार साड़ी के ऊपर से ही सुषमा के पिछवाड़े पर अपना लंड रगड़ रहा था जिससे सुषमा की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी वह भी जल्दी से जल्दी अंकित के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी।

समय के अभाव को देखते हुए अंकित भी ज्यादा देर नहीं करना चाहता था वह भी जल्द से जल्द इस खेल को खत्म कर देना चाहता था आज उसके जीवन में सुषमा उसके नीचे आने वाली दूसरी औरत थी और इस पल को वह गंवाना नहीं चाहता था और वह देखते ही देखते एक बार फिर से अपने दोनों हाथों से चश्मा की साड़ी पड़कर कमर तक उठा दिया और उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसकी गांड को अपने हिसाब से अपनी स्थिति में लाने लगा,,, सुषमा के मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहे थे वह इस समय अंकित के हाथों की कठपुतली बन चुकी थी उसका मोटा तगड़ा लंड उसे पूरी तरह से मजबूर कर चुका था उसके सामने घोड़ी बनने के लिए,,, और फिर अंकित अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर धीरे से उसे सुषमा की गांड की दोनों आंखों के बीच से अंदर की तरफ ले जाने लगा उसे सुषमा का गुलाबी छेद बराबर दिख नहीं रहा था इसलिए वह अपने हाथों से ही सुषमा की दोनों टांगों को पकड़ कर फैला दिया और अब उसे सुषमा के झांटों की झुरमुट में उसका गुलाबी छेद नजर आने लगा और वह धीरे से अपने लंड पर थूक लगाकर अपने सुपाड़े को उस छेद में प्रवेश कराने लगा।

सुषमा को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है क्योंकि उसकी बुर में घुसने में थोड़ी सी मस्सकत पैस आ रही थी,,, लेकिन अंकित की नानी का अनुभव उसे आगे बढ़ने में मदद कर रहा था,,, सुषमा की हालत खराब हो रही थी और अंकित धीरे-धीरे अपने लंड की सुपाड़े को उसकी बुर की गहराई में उतर रहा था और देखते ही देखते धीरे-धीरे करके अंकित का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया और फिर वह दोनों हाथों से सुषमा की कमर पकड़ कर ज्यादा जोर लगाकर बाकी काफी लंड उसकी बुर में डाल दिया और फिर दोनों कमर पकड़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। सुषमा पागल हो जा रही थी मदहोश हो जा रही थी क्योंकि यह सुख उसे महीनों बाद महसूस हो रहा था महीनो बाद तो वह चुदवा रही थी बाकी अद्भुत एहसास उसे जीवन में पहली बार महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से मत हो रही थी और अंकित जोर-जोर से धक्के लगा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था।

वह कभी सोचा भी नहीं था कि सुषमा आंटी को इस तरह से छोड़ने का सुख प्राप्त होगा और ना तो सुषमा कभी सोची थी कि चीनी मांगने पर उसे इतना मोटा तगड़ा लंड मिल जाएगा वह भी इस चुदाई से पूरी तरह से मत हो रही थी अंकित बार-बार उसकी कमर पकड़ ले रहा था तो कभी उसकी चूची को दबा दे रहा था वह पूरी तरह से सुषमा को मदहोश कर रहा था उसे मस्त कर रहा था,,,, और फिर देखते ही देखते सुषमा की सांसे उखड़ने लगी क्योंकि वह अपने चरम सुख के करीब पहुंच रही थी और यही हाल अंकित का भी हो चुका था वह जोर-जोर से धक्के लग रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे,,,, दोनों का काम बन चुका था सुषमा पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसका लाल-लाल चेहरा साफ बता रहा था कि वह पूरी तरह से संतुष्टि का एहसास लेकर यहां से जाने वाली थी वह धीरे से अपने कपड़ों को व्यवस्थित की वासना का तूफान उतर जाने पर अंकित से नजर मिलाने मुझे सब महसूस हो रही थी इसलिए वह बिना कुछ बोले कुर्सी पर से चीनी की कटोरी हाथ मिला और अपने हाथ से ही दरवाजे की कड़ी खोलकर कमरे से बाहर चली गई अंकित उसे जाता हुआ देख रहा था और फिर वापस दरवाजा बंद करके मुस्कुराता हुआ बाथरुम में चला गया और नहाने लगा।


अंकित बहुत खुश था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सुषमा आंटी के साथ इतनी हिम्मत दिखा कर पहली बार में ही उससे चुदाई का सुख प्राप्त कर लिया था लेकिन यही हिम्मत हुआ अपनी मां के साथ क्यों नहीं दिखा पता ऐसा क्या हो जाता है कि अपनी मां के सामने वह घबरा जाता है और आगे बढ़ने से डरने लगता है और सब कुछ समय पर छोड़ देता है जबकि अगर वह भी हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ जाए तो ऐसा ही सुख उसे अपने घर में भी मिल सकता है,,, यही सब सोचता हुआ नहा कर बाहर निकल गया और कपड़े पहन कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां भी आ चुकी थी और दोनों तैयार होकर मार्केट के लिए निकल गए थे।
सुगंधा किसी काम से पड़ोस में गई हुई थी और यह बात उसने अपने बेटे से बताई थी क्योंकि उसे शाम को बाजार जाना था अपने लिए लूज पजामा और कुर्ता लेने के लिए ताकि सुबह की जॉगिंग आराम से हो सके क्योंकि साड़ी में उसे भी उचित नहीं लग रहा था दौड़ना उसे इस बात का डर लगा रहता था कि कहीं पैर फस न जाए और वह गिर ना जाए। गर्मी का महीना होने की वजह से अंकित दोबारा बिस्तर पर नहीं लेटा और वह नहाने के लिए बाथरुम में घुस गया था घर में किसी के न होने की वजह से वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा ही नहा रहा था दरवाजे पर कड़ी लगाकर पहले ही वह दरवाजा बंद कर चुका था।




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लेकिन जैसे ही बनना शुरू किया था वैसे ही दरवाजे पर 10 तक होने लगी थी और जब उसे एहसास हुआ कि दरवाजे पर कोई और नहीं बल्कि सुमन की मां है तो उसकी आंखों की चमक बढ़ गई पल भर में ही बीती हुई कुछ बातें कुछ यादें एकदम से ताजा हो गई उसे अच्छी तरह से याद था कि वह सुषमा आंटी के घर गया था सुमन से परीक्षा के बारे में कुछ पूछने के लिए तो वहां पर अनजाने में ही वहां बाथरूम के करीब पहुंच गया था और बाथरूम के अंदर सुमन की मां एकदम नंगी होकर नहा रही थी उसे समय उसके नंगे बदन को देखकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, उसे समय सुषमा आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियां और झांटो वाली बुर देखकर अंकित का लंड एकदम से खड़ा हो गया था,,, अंकित को अच्छी तरह से याद था कि अपनी आंखों के सामने उसे देखकर सुमन की मन एकदम से हड़बड़ा गई थी और अपने बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी,, लेकिन फिर भी बिना दरवाजे पर जा सकती है वहां तक पहुंच जाने पर उसे एक शब्द नहीं बोली थी इससे अंकित की हिम्मत थोड़ी इस समय बढ़ रही थी,।




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आवाज पर गौर करके खुश होते हुए अंकित अपने बदन पर ठंडा पानी डाल रहा था और बाहर से लगातार आवाज आ रही थी।

सुगंधा,,, ओ सुगंधा अरे सच में सो गई क्या दरवाजा तो खोल मुझे काम है,,,।
(सुमन की मां की आवाज सुनकर एक तरफ अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था लेकिन दूसरी तरफ थोड़ी घबराहट उसे हो रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके मन में चल रहा था उसे कार्य को अंजाम देने के लिए काफी हिम्मत की जरूरत थी इसलिए उसका दिन जोरों से धड़कता है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ उसके मन में चल रहा है उसे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी वह अपने मन में ऐसा सोच लिया था कि जो कुछ भी होगा सुषमा आंटी को ऐसा ही लगेगा कि अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह तुरंत बाथरूम से बाहर आया और कुर्सी पर पड़ी चावल को अपने बदन से लपेट लिया बदन से क्या अपनी कमर से लपेट लिया लेकिन उसके टावल में भी अद्भुत तंबू बना हुआ था क्योंकि बाथरूम के अंदर वह अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था जिसके चलते उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था। अंकित सुषमा आंटी को अपने टावल में बने हुए तंबू को दिखाना चाहता था यह एहसास दिलाना चाहता था कि उसके पड़ोस में ही एक लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका है जो अगर वह चाहे तो उसकी ख्वाहिश उसकी इच्छा को उसकी प्यास को बुझा सकता है,,,, और किसी भी औरत की प्यास को बुझाने और उसे संतुष्ट करने का हाथ में विश्वास उसे अपनी नानी से मिला था नानी की चुदाई करके वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और आत्मविश्वास से भर चुका था। और यह इस आत्मविश्वास का असर था जो आज वह एक अद्भुत कार्य करने जा रहा था और वह भी किसी गैर औरत के सामने।





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अपनी कमर पर टावल लपेटने के बाद वह एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच डालकर अपनी स्थिति का मुआयना कर लेना चाहता था और वाकई में ही समय उसका तंबू काफी आकर्षक लग रहा था उसे पूरा विश्वास था कि सुषमा आंटी अगर इसे देखेगी तो जरूर मस्त हो जाएगी मदहोश हो जाएगी। लगातार दरवाजे के बाहर से आवाज आ रही थी दरवाजे पर दस्तक हो रही थी और वैसे भी दोपहर का समय था इस समय सब लोग अपनी-अपने घरों में आराम कर रहे थे और सबसे फायदे वाली बात यह थी कि इस समय उसकी मां भी घर पर नहीं थी इसलिए वह धीरे से दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजे की कड़ी को खोलकर दरवाजे के दोनों पट को धीरे से खोल दिया सामने सुषमा आंटी थी जिसे देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला,,,।)





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क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,? मैं नहा रहा था इसलिए दरवाजा खोलने में देर हो गई और वैसे भी मम्मी घर पर नहीं है,,,(अंकित एक ही सांस में उस सारे सवाल भी पूछ ले रहा था और यह भी बता दे रहा था कि घर पर इस समय उसकी मां नहीं है घर पर वह अकेला ही है अगर वाकई में सुषमा आंटी के मन में भी दूसरे औरतों वाली बात होगी तो जरूर इस मौके का फायदा उठाएगी,,, सुषमा आंटी उसकी बात तो सुन रही थी लेकिन वह दरवाजे पर अंकित को खड़ा देखकर न जाने किस एहसास में डूबने लगी थी,,, सुषमा को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था की उसकी आंखों के सामने एकदम जवान लड़का खड़ा है जिसे देखकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह अच्छी तरह से देख रही थी कि दरवाजे पर खड़ा अंकित नहा कर बाथरूम से पर अभी-अभी बाहर आया था और उसके कमर पर टावल लपटी हुई थी लेकिन अभी तक सुषमा का ध्यान उसके तंबू पर बिल्कुल भी नहीं किया था वह इसकी चौड़ी छाती को देख रही थी पल भर के लिए सुषमा को लग रहा था कि इसकी चौड़ी छाती में एकदम से समा जाए क्योंकि दरवाजे पर खड़ा अंकित उसे पूरा मर्द लग रहा था मोहल्ले में दौड़ता हुआ वह छोटा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था इस बात का एहसास सुषमा आंटी को हो रहा था। कुछ देर तक सुषमा आंटी एकदम खामोश रही उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके जवानी का जादू उसकी मर्दानगी का असर सुमन आंटी पर थोड़ा-थोड़ा हो रहा है इसलिए वह फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,)




क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,?

हां मुझे तेरी मम्मी से काम था लेकिन वह तो है ही नहीं,,,।

तो क्या हुआ आंटी मैं तो हूं ना मुझसे कहिए क्या काम है,,,,।

वह क्या है ना थोड़ा चीनी चाहिए था,,, शाम को बाजार जाऊंगी तो ले आऊंगी अभी है नहीं,,,,,(उसका इतना कहना था कि उसके हाथ से कटोरी गिर गई और वह कटोरी लेने के लिए नीचे जो की लेकिन कटोरी उठते समय उसकी नजर अंकित के टावल पर गई तो उसमे बना हुआ तंबू देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए,,, सुषमा को समझते देर नहीं लगी की अंकित की दोनों टांगों के बीच का हथियार कैसा है वह कुछ क्षण तक टॉवल की तरफ अच्छी और फिर सहज बनने का नाटक करते हुए धीरे से उठकर बोली,,,) क्या तु मुझको चीनी देगा,,,।

(अंकित का पूरा ध्यान सुषमा आंटी पर ही था सुषमा की नजरों को अच्छी तरह से देख लिया था वह समझ गया थाकी आंटी उसके तंबू की तरफ देख चुकी हैं और जरूर उनके मन में कुछ चल रहा होगा इस बात की खुशी अंकित के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन वह जताना नहीं चाहता था पानी की बूंदे अभी भी इसकी चौड़ी छाती पर फिसल रही थी जिसे देखकर इस समय ऐसे हालात में जबकि सुषमा की नजरे उसके तंबू पर जा चुकी थी अब उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होना शुरू हो गया था,,,, अंकित सुषमा आंटी की बात सुनकर बोला।)

क्यों नहीं आंटी यह तो मेरा फर्ज है और वैसे भी चीनी क्या आप यहां से चाय पी कर जाइए,,, मैं अभी बना देताहूं,,,(अंकित चाय के बहाने सुषमा आंटी को अपने घर पर रोकना चाहता था क्योंकि अभी उसकी मां के आने में बहुत समय था अपनी नानी की जी भर कर चुदाई कर लेने के बाद उसकी हिम्मत खुलने लगी थी और यह उसी का नतीजा था जो आज वह सुमन की मां से इस तरह से बातें कर रहा था वरना वह कभी हां और ना से ज्यादा जवाब ही नहीं देता था,,,, अंकित की बात सुनकर सुषमा बोली,,,)

अरे नहीं नहीं अंकित बेटा रहने दे मैं यहां चाय पीने के लिए नहीं आई हूं बल्कि चीनी लेने के लिए आई हूं,,,, और हां तुझे अगर चाय पीना है तो मेरे घर चल मैं तुझे चाय पिलाती हूं,,,,(बात करते हुए अपनी नजरों को हल्के से नीचे करते हुए वह अंकित के टॉवल की तरफ देख रही थी उसमें बने हुए तंबू को देख रही थी और अपने मन में सोच रही थी बाप रे कितना बड़ा लंड है ईसका पूरा हथियार है,,,, सुषमा की बात सुनकर अंकित बोला,,,)

फिर कभी आंटी थोड़ी देर बाद मुझे बाजार जाना है,,,, आप अंदर तो लिए कब से दरवाजे पर खड़ी है,,,,।
(अंकित की बात सुनकर धीरे से सुषमा आंटी घर में आ गई,,, और अंकित आगे बढ़कर दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद कर दिया हालांकि उसने दरवाजे पर कड़ी नहीं लगाई,,,, पल भर के लिए सुषमा आंटी के बदन में सनसनी से दौड़ने लगी जब आगे बढ़कर अंकित दरवाजे को बंद कर रहा था तब सुषमा आंटी को ऐसा ही एहसास हो रहा था कि मानो जैसे अंकित उसके साथ कुछ करना चाहता हो इसलिए दरवाजा बंद कर रहा है,,,, दरवाजा बंद करने के बाद अंकित बोला,,)

आप रुकिए में चीनी लेकर आता हूं,,,(वह ऐसे ही जा रहा था कि सुषमा बोल पड़ी)

अरे ले कटोरी तो लेता जा,,,,।

ओहहह,,,लाईए,,,(ऐसा कहते हुए वापस सुषमा आंटी की तरफ मोडा और अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी लेने लगा सुषमा आंटी भी अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी को अंकित की तरफ बढ़ा दी और अंकित उसके हाथों में से कटोरी लेने का कटोरी लेते समय उसकी उंगलियां सुषमा आंटी की उंगलियों से स्पर्श करने लगी और यह स्पर्श सुषमा आंटी को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार तक महसूस होने लगी सुषमा आंटी को ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे उसकी बुर फुल पिचक कर रही हो,,,, और अंकित कटोरी लेकर रसोई घर की तरफ चल दिया जाते समय उसके पीठ सुषमा की आंखों के सामने एकदम चौड़ी पीठ कमर की तरफ एकदम आकर्षक कमर के नीचे का उसके उभरे हुए नितंब टॉवल में भी सुडौल लग रहे थे,,, जहां एक तरफ मर्द औरतों की गांड देखकर आकर्षित होते हैं वहीं सुषमा आंटी आज अंकित के कसरती बदन के साथ-साथ उसके नितंबों को देखकर भी आकर्षित हो रही थी,,, अंकित रसोई घर में जा चुका था और सुषमा आंटी अंकित के बारे में बहुत सारी बातें सोच रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि अंकित पूरी तरह से जवान मर्द हो चुका है और अपने बदन को आकर्षक बनाने के लिए कितना मेहनत किया है कितना कसरत किया है तभी तो उसे देखते ही उसे न जाने क्या होने लगा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था रह रहकर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी।

सुषमा अंकित के लंड के बारे में सोच रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जब उसका तंबू इतना शानदार है तो बिना कपड़ों के उसका लंड तो औरतों के होश उड़ा देगा,,, काश उसके लंड को देख पाती तो कितना मजा आता,,, सुगंधा कितनी किस्मत वाली है कि उसका बेटा इतना दमदार है। वह तो दिन रात अपने बेटे को देखती होगी उसे बिना कपड़ों के भी देख चुकी है जाने अनजाने में नजर तो पड़ ही जाती होगी,,,, पल भर में सुगंधा के बारे में और बहुत सारी बातें सोचने लगी सुषमा के मन में बहुत सी बातें चल रही थी पल भर में ही सुगंध के जीवन के बारे में सोचने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी की सुषमा को तो अपने बेटे के साथ ही शारीरिक संबंध बनाकर संतुष्ट हो जाना चाहिए,,, घर के चार दिवारी के अंदर क्या हो रहा है दूसरों को क्या पता,,,, लेकिन सुगंधा वाकई में एक संस्कारी और मर्यादा वाली औरतें इतने बरस हो गए पति के गुजरे लेकिन वह इतने दिनों में कभी भी कोई ऐसा काम नहीं की जिससे उसकी बदनामी हो वरना एक खूबसूरत और जवान औरत और वह भी जवानी से भरी हुई औरत के पैर फिसल जाते हैं लेकिन सुगंधा के बारे में आज तक ऐसी कोई भी बातें सुनने को नहीं मिली,,, अगर मुझे अंकित के साथ एक ही घर में रहना हो तो शायद एक साथ भी गुजारना मुश्किल हो जाए और ना चाहते हुए कि मुझे अंकित के साथ शारीरिक संबंध बनाना ही पड़ जाए,,,।

क्या अंकित के मर्दाना बदन और उसके अंग का ही कमाल था जो सुषमा उसके बारे में इतना कुछ सोचने लगी थी,,, सुष्मा अपने मन में यह सब बातें सोच रही थी और रसोई घर के अंदर अंकित अपनी ही जुगाड़ में लगा हुआ था अंकित या तो जान चुका था कि सुषमा आंटी उसकी टांगों के पीछे देख रही थी जरूर उनके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था और इस समय वह पूरी तरह से सुषमा को अपने लैंड के दर्शन करना चाहता था जिसके चलते वह अपनी टॉवल को कमर पर इतनी देरी बांध लिया था कि 5 6 कदम चलने के बाद ही वह अपने आप ही कमर से छूटकर नीचे गिर जाती और फिर हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह रसोई घर से बाहर आ गया वह जानता था कि उसका टावल उसका ज्यादा देर तक साथ देने वाली नहीं है,,, उसकी उत्तेजना कम भी नहीं हो रही थी उसका तंबु ज्यों का त्यों खड़ा था,,, रसोई घर से बाहर आते हुए अंकित को देखकर सुषमा आंटी मुस्कुराने लगी लेकिन अभी भी उसकी नजर उसके दोनों टांगों के बीच ही थी जो की बेहद आकर्षक और मदहोश कर देने वाला लग रहा था देखते ही देखते अंकित सुषमा आंटी के करीब आ गया। ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया और हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए बोला।

लीजिए आंटी मैं पूरी कटोरी भरकर लाया हूं,,,( उसका इतना कहना था की वाकई में उसका टॉवल उसकी कमर से छूटकर उसके कदमों में जा गिरा और उसका टनटनाया हुआ लंड एकदम से सुषमा आंटी के सामने लहराता हुआ आ गया जिसे देखकर सुषमा आंटी के सांसे एकदम से रुक गई,,, और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, सुषमा अपना हाथ भी आगे नहीं बढ़ा पाई थी कि उसकी आंखों के सामने एक अद्भुत मंजर दिखाई देने लगा था जिसे देखकर उसकी सिटी पिट्टी गुम हो चुकी थी उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल बढ़ने लगी थी और अंकित तो यही चाहता ही था इसलिए वह पूरी तरह से सहज था वह जी भरकर सुमन की मां को अपने लंड के दर्शन करा देना चाहता था,,,, क्योंकि वह लंड के दर्शन करने की महिमा को अच्छी तरह से जानता था जिसके चलते उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए आतुर हो चुकी थी,और इस समय वह यही चाहता था,,, अंकित का आत्मविश्वास पूरी तरह से कायम था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो सकती है तो सुमन तो अभी भी उसकी मां की उम्र की है इसमें भी तो जवान कूट-कूट कर भरी हुई है जिसके दर्शन वह खुद अनजाने में कर लिया था,,,,।

अंकित दोनों हाथ में कटोरी को पकड़े हुए था और वह पूरी तरह से नंगा था उसके बदन पर टावल भी नहीं था टावल के गिरने के साथ ही उसका मर्दाना अंग पूरी तरह से प्रदर्शित हो रहा था जिसे देखकर सुषमा आंटी पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी उनकी नज़रें अंकित के लंड से एक पल के लिए भी नहीं है रही थी शायद इस तरह का वह अपने जीवन में पहली बार देख रही थी और वाकई में यह सच भी था क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इस तरह का लंड तो वह गंदी फिल्म मेंदेखी थी। और कभी सोची भी नहीं थी कि उसे इस तरह का लंड देखने को मिलेगा लेकिन आज उसकी मुराद पूरी हो रही थी,,, उसकी आंखों के सामने टनटनाया हुआ लंड था जो किसी भी बुर में जाकर बुर का भोसड़ा बनाने के लिए सक्षम था। सुषमा की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वह पागलों की तरह अंकित के लंड को देखे जा रही थी मानो कि जैसे देखकर ही उसे अपने अंदर ले लेगी,,, अंकित पूरी तरह से उसे दिखा देना चाहता था इसलिए अभी कुछ बोल नहीं रहा था लेकिन जब उसे एहसास हो गया कि आप समय को ज्यादा हाय दइया हो गया है सुषमा आंटी जी भर कर उसके लंड के दर्शन कर चुकी है इसलिए वह एकदम से बोला,,,)

बाप रे यह क्या हो गया यह टावल भी ना,,,,, जल्दी पकड़िए कटोरी आंटी,,,, मुझे शर्म आ रही है जल्दी करिए,,,,।

हाय दइया कैसी बातें कर रहा है सर में तो मुझे आनी चाहिए जो आंखों के सामने यह सब देख रही हूं,,,सहहहहहह,,,, कितना बड़ा है रे तेरा कितना मोटा और लंबा बाप रे तेरा हथियार तो गजब का है,,,,,(बिना कटोरी को अपने हाथ में पकड़े हुए ही सुषमा आंटी इस तरह की बातें बोल रही थी और यह सब सुनकर अंकीत मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए बोला।)

यह कैसी बातें कर रही हो आंटी जल्दी से कटोरी पकड़ो समझो मेरी हालत को मैं पूरी तरह से नंगा हुं और मुझे शर्म आ रही है,,,,,,।
(अंकित की हालत को देखकर सुषमा के अंदर की औरत पूरी तरह से जाग गई थी वह एक कदम आगे बढ़कर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और अपना हाथ आगे बढ़कर तुरंत अंकित के लंड को अपने हाथ में पकड़ ली उसकी गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि उसकी बुर से मदन रस की बुंद टपकने लगी थी,,,, सुषमा की सांस एकदम से गहरी चलने लगी थी पहली बार जीवन में वह इतने मोटे तगड़े लंड अपने हाथ में पड़ रही थी उसकी गर्माहट पूरी तरह से उसे पानी पानी कर रही थी,,, अपनी नानी से प्राप्त अनुभव को यहां पर थोड़ा दिखाना चाहता था इसलिए तुरंत अपने हाथ में लिए हुए कटोरी को पास में ही पड़ी कुर्सी पर रख दिया वह सुमन की मां की हरकत को देखकर इतना तो समझ ही गया था कि सुषमा आंटी भी राहुल की मां नुपुर और उसकी नानी से बिल्कुल कम नहीं थी इसलिए वह यहां पर थोड़ा अनुभव दिखा देना चाहता था,,,,,,, बस तुरंत अपना एक हाथ सुमन की मां की कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और तुरंत उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,, यह सब इतनी जल्दबाजी में हुआ था कि सुमन की मां को भी इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था लेकिन वह अंकित की हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई थी।

उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि मोहल्ले में घूमने वाला वह छोटा सा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था सुषमा आंटी अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी वह इस तूफान में पूरी तरह से बहाने को तैयार हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी अभी भी उनके हाथ में अंकित का मोटा तगड़ा लंड था जिसकी गर्माहट उसे धीरे-धीरे पिघला रही थी। अंकित पागलों की तरह सुमन की मां की लाल लाल होठों का चुंबन का रस पीते हुए उसकी कमर में हाथ हटा लिए हुए उसे एकदम से दीवार से सटा दिया अंकित की हरकत से सुषमा आंटी की बोलती बंद हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी,,, जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़की के साथ वह पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी,,, अंकित इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, अपनी नानी की बुर की गर्मी आई है उसे अच्छी तरह से महसूस होती थी जब भी वह अपनी नानी को याद करता था तब तक उसका लंड बुर में जाने के लिए खड़ा पड़ता था और ऐसा लग रहा था कि आज वह अपनी नानी की कमी को पूरा कर लेगा,,,,,।

सुमन की मां को दीवार से सटाकर वह उसके होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा सुषमा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसे घबराहट होने लगी थी कि वह क्या कर रही है वह अंकित को रोकना चाहती थी लेकिन वह कुछ बोल पाती से पहले ही अंकित उसकी साली को कमर तक उठा दिया था और उसकी नसीब इतनी तेज थी कि उसने आज साड़ी के अंदर पेटी भी नहीं पहनी थी इसलिए वह तुरंत अपनी हथेली को उसकी नंगी बुर पर रख दिया जो पूरी तरह से झांटों के झुरमुट के घेरे में थी,,, जिस तरह से अंकित अपनी हथेली को उसकी बुर की रगड़ रहा था उसे देखकर एक बार फिर से सुषमा की बोलती बंद हो चुकी थी वह उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पाई थी उसके होठों से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,, अंकित पागलों की तरह उसकी बुर को रगड़ रहा था अपनी हथेली से गर्म कर रहा था और अभी भी सुषमा अंकित के लंड को पकड़कर उसे जोर-जोर से दबा रही थी,,,, जिंदगी में पहली बार इतना मोटा तरो ताजा लंड देखकर वह भी अपना आपा खो चुकी थी,,,, अंकित को अपनी हथेली में सुषमा आंटी की बुर से निकला हुआ मदन रस एकदम साफ महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से अकेली होती चली जा रही थी,,,,, आगे बढ़ने से पहले फिर भी वह सुषमा आंटी से एक बार पूछ लेना चाहता था अपने मन को तसल्ली दिला देना चाहता था कि वाकई महसूस मानती क्या चाहती है इसलिए वह अपने होठों को एकदम से सुषमा आंटी के होठों से अलग करता हुआ गहरी सांस लेता हुआ सुषमा आंटी के चेहरे को फिर से अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोला लेकिन इस दौरान दोनों हाथों को ऊपर उठने से एक बार फिर से सुषमा की साड़ी वापस अपनी स्थिति में आ चुकी थी और उसके कदम में जा गिरी थी खूबसूरत है तेरे से पर पर्दा पड़ चुका था लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसका लंड था,,,, अंकित उत्तेजित स्वर में बोला,,,,)

तुम तो मुझे पागल कर दी आंटी बोलो अब क्या करूं,,,,,।

(अंकित का सवाल सुनकर सुषमा आंटी कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, वह नजर भर कर अंकित की तरफ देख रही थी अंकित के मासूम चेहरे की तरफ देख रही थी उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि मासूम चेहरा पूरी तरह से जवान हो चुका था वह कुछ बोल नहीं पाई अपने मन की बात अपने होठों पर लाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह दरवाजे की तरफ देखते हुए सिर्फ इतना ही बोली।)

दरवाजे की कड़ी नहीं लगी है,,,।
(बस सुषमा का इतना कहना उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत दे रहा था उसकी तरफ से निमंत्रण दे रहा था जिसे सुनकर अंकित एकदम खुश हो गया और तुरंत दरवाजे की तरफ आगे बढ़कर और दरवाजे की कड़ी लगा दिया वह भी मदहोशी में भूल चुका था कि दरवाजा का पल्ला सिर्फ बंद है उसे पर कड़ी नहीं लगी है ऐसे में उसकी मां आ सकती थी कोई भी आ सकता था वह दरवाजे पर कड़ी लग रहा था और सुषमा उसके गोल-गोल नितंबों की तरफ देख रही थी वाकई में वह अंकित के नितंबों को देखकर आकर्षित हो चुकी थी फुर्ती दिखाता हुआ अंकित दरवाजे पर खड़ी लगा चुका था और वापस अपनी जगह पर आ चुका था लेकिन इस बार वह तुरंत सुषमा आंटी को दीवार की तरफ घुमा दिया था औरउनकी पीठ को अपनी तरफ कर दिया था और पीछे से उसे अपनी बाहों में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों चुचियों का दबाना शुरू कर दिया था इतना तो अंकित को मालूम नहीं था कि उसके पास समय अब ज्यादा नहीं था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाता हुआ सुषमा आंटी के ब्लाउज के निचले हिस्से के दो बटन को खोल दिया और दोनों हाथों से चुचियों को बाहर निकाल दिया,,,, सुषमा की दोनों चूचियां भी पपाया की तरह थी,,,, जिसे हम की जोर-जोर से दबा रहा था और इस तरह के स्तन मर्दन में सुषमा को भी बहुत मजा आ रहा था,,, इसदौरान वह लगातार साड़ी के ऊपर से ही सुषमा के पिछवाड़े पर अपना लंड रगड़ रहा था जिससे सुषमा की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी वह भी जल्दी से जल्दी अंकित के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी।

समय के अभाव को देखते हुए अंकित भी ज्यादा देर नहीं करना चाहता था वह भी जल्द से जल्द इस खेल को खत्म कर देना चाहता था आज उसके जीवन में सुषमा उसके नीचे आने वाली दूसरी औरत थी और इस पल को वह गंवाना नहीं चाहता था और वह देखते ही देखते एक बार फिर से अपने दोनों हाथों से चश्मा की साड़ी पड़कर कमर तक उठा दिया और उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसकी गांड को अपने हिसाब से अपनी स्थिति में लाने लगा,,, सुषमा के मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहे थे वह इस समय अंकित के हाथों की कठपुतली बन चुकी थी उसका मोटा तगड़ा लंड उसे पूरी तरह से मजबूर कर चुका था उसके सामने घोड़ी बनने के लिए,,, और फिर अंकित अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर धीरे से उसे सुषमा की गांड की दोनों आंखों के बीच से अंदर की तरफ ले जाने लगा उसे सुषमा का गुलाबी छेद बराबर दिख नहीं रहा था इसलिए वह अपने हाथों से ही सुषमा की दोनों टांगों को पकड़ कर फैला दिया और अब उसे सुषमा के झांटों की झुरमुट में उसका गुलाबी छेद नजर आने लगा और वह धीरे से अपने लंड पर थूक लगाकर अपने सुपाड़े को उस छेद में प्रवेश कराने लगा।

सुषमा को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है क्योंकि उसकी बुर में घुसने में थोड़ी सी मस्सकत पैस आ रही थी,,, लेकिन अंकित की नानी का अनुभव उसे आगे बढ़ने में मदद कर रहा था,,, सुषमा की हालत खराब हो रही थी और अंकित धीरे-धीरे अपने लंड की सुपाड़े को उसकी बुर की गहराई में उतर रहा था और देखते ही देखते धीरे-धीरे करके अंकित का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया और फिर वह दोनों हाथों से सुषमा की कमर पकड़ कर ज्यादा जोर लगाकर बाकी काफी लंड उसकी बुर में डाल दिया और फिर दोनों कमर पकड़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। सुषमा पागल हो जा रही थी मदहोश हो जा रही थी क्योंकि यह सुख उसे महीनों बाद महसूस हो रहा था महीनो बाद तो वह चुदवा रही थी बाकी अद्भुत एहसास उसे जीवन में पहली बार महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से मत हो रही थी और अंकित जोर-जोर से धक्के लगा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था।

वह कभी सोचा भी नहीं था कि सुषमा आंटी को इस तरह से छोड़ने का सुख प्राप्त होगा और ना तो सुषमा कभी सोची थी कि चीनी मांगने पर उसे इतना मोटा तगड़ा लंड मिल जाएगा वह भी इस चुदाई से पूरी तरह से मत हो रही थी अंकित बार-बार उसकी कमर पकड़ ले रहा था तो कभी उसकी चूची को दबा दे रहा था वह पूरी तरह से सुषमा को मदहोश कर रहा था उसे मस्त कर रहा था,,,, और फिर देखते ही देखते सुषमा की सांसे उखड़ने लगी क्योंकि वह अपने चरम सुख के करीब पहुंच रही थी और यही हाल अंकित का भी हो चुका था वह जोर-जोर से धक्के लग रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे,,,, दोनों का काम बन चुका था सुषमा पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसका लाल-लाल चेहरा साफ बता रहा था कि वह पूरी तरह से संतुष्टि का एहसास लेकर यहां से जाने वाली थी वह धीरे से अपने कपड़ों को व्यवस्थित की वासना का तूफान उतर जाने पर अंकित से नजर मिलाने मुझे सब महसूस हो रही थी इसलिए वह बिना कुछ बोले कुर्सी पर से चीनी की कटोरी हाथ मिला और अपने हाथ से ही दरवाजे की कड़ी खोलकर कमरे से बाहर चली गई अंकित उसे जाता हुआ देख रहा था और फिर वापस दरवाजा बंद करके मुस्कुराता हुआ बाथरुम में चला गया और नहाने लगा।


अंकित बहुत खुश था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सुषमा आंटी के साथ इतनी हिम्मत दिखा कर पहली बार में ही उससे चुदाई का सुख प्राप्त कर लिया था लेकिन यही हिम्मत हुआ अपनी मां के साथ क्यों नहीं दिखा पता ऐसा क्या हो जाता है कि अपनी मां के सामने वह घबरा जाता है और आगे बढ़ने से डरने लगता है और सब कुछ समय पर छोड़ देता है जबकि अगर वह भी हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ जाए तो ऐसा ही सुख उसे अपने घर में भी मिल सकता है,,, यही सब सोचता हुआ नहा कर बाहर निकल गया और कपड़े पहन कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां भी आ चुकी थी और दोनों तैयार होकर मार्केट के लिए निकल गए थे।
खूबसूरत अपडेट है, मैं ricky4545 भाई को सजेशन देना चाहता हूं कि ये कहानी अंकित और सुगंधा के ऊपर केंद्रित है और आप उसको छोड़ कर जरूरत से ज्यादा दूसरों के साथ अंकित का टंका भिड़ा रहे हो, कहानी में जितना भी अंकित और सुगंधा को अकेले में वक्त मिला है उसको दोनों का अच्छा और कामुक घटनाएं दिखाओ तो पढ़ने वालों को ज्यादा अच्छे लगेगा, अंकित किसी की गुफा में भी अपना सांप क्यों ना घुसा दे वो सुगंधा और अंकित की नॉर्मल बातों से भी ज्यादा उत्तेजित नहीं कर सकते वो बस टाइम निकाल रहे है, आप कहानी का फोकस अंकित और सुगंधा और उसके परिवार पर ही करो, और आगे अगर अंकित सुगंधा को पेट से कर देता है और उसकी कहानी आगे बढ़ाओ कि कैसे कैसे दोनों का रिश्ता दुनिया से आगे बढ़ के प्रेमी प्रेमिका से बढ़ कर पति पत्नी जैसा हो जाएगा। कहानी को बेवजह लम्बा करने का कोई फायदा नहीं है कहानी और भी लिखी जा सकती हैं। लेकिन कहानी का हर अपडेट ऐसा होना चाहिए जिसके बिना कहानी अधूरी रहे, इस अपडेट को कोई नहीं भी पढ़ेगा और आने वाले अपडेट को पढ़ लेगा तो भी कहानी में कुछ फर्क नहीं आयेगा और ना ही पाठक को पता चलेगा कि इसके पहले कोई अपडेट है भी या नहीं। आप इस बात को ध्यान में रखो, मैं आपकी बहुत प्रशंसा करता हूं और आप बहुत अच्छा लिखते है लेकिन आजकल आप बस कहानी को लम्बा करने पर ध्यान दे रहे है, अंकित की बहन और नानी को गए हुए कई दिन हो गए लेकिन अंकित और सुगंधा के बीच अभी तक कुछ रोमांटिक घटनाएं नहीं हुई है अकेले रहते हुए भी जबकि इस से कही ज्यादा तो अंकित की बहन के रहते हुए हो गई थी। आप इस बात को समझिए अंकित को आपको कोई औरतबाज साबित नहीं करना है वो सभ्य लड़का है, कहानी में संतुलन की कमी होती जा रही है एक तरह अंकित अनगिनत औरतों का मजा ले रहा है और उसकी मां सुगंधा नीरस जीवन जी रही है। आप सुगंधा के साथ कहानी आगे ही नहीं बढ़ा रहे हो ना जाने कितने अपडेट वैसे ही निकल गए है जो कहानी की कामुकता और रोमांचकता को कम करते जा रहे है लगातार ये एक बेहतरीन कहानी है लेकिन अब ये रस्ते से भटकने लगी है
 

Raja jani

आवारा बादल
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खूबसूरत अपडेट है, मैं ricky4545 भाई को सजेशन देना चाहता हूं कि ये कहानी अंकित और सुगंधा के ऊपर केंद्रित है और आप उसको छोड़ कर जरूरत से ज्यादा दूसरों के साथ अंकित का टंका भिड़ा रहे हो, कहानी में जितना भी अंकित और सुगंधा को अकेले में वक्त मिला है उसको दोनों का अच्छा और कामुक घटनाएं दिखाओ तो पढ़ने वालों को ज्यादा अच्छे लगेगा, अंकित किसी की गुफा में भी अपना सांप क्यों ना घुसा दे वो सुगंधा और अंकित की नॉर्मल बातों से भी ज्यादा उत्तेजित नहीं कर सकते वो बस टाइम निकाल रहे है, आप कहानी का फोकस अंकित और सुगंधा और उसके परिवार पर ही करो, और आगे अगर अंकित सुगंधा को पेट से कर देता है और उसकी कहानी आगे बढ़ाओ कि कैसे कैसे दोनों का रिश्ता दुनिया से आगे बढ़ के प्रेमी प्रेमिका से बढ़ कर पति पत्नी जैसा हो जाएगा। कहानी को बेवजह लम्बा करने का कोई फायदा नहीं है कहानी और भी लिखी जा सकती हैं। लेकिन कहानी का हर अपडेट ऐसा होना चाहिए जिसके बिना कहानी अधूरी रहे, इस अपडेट को कोई नहीं भी पढ़ेगा और आने वाले अपडेट को पढ़ लेगा तो भी कहानी में कुछ फर्क नहीं आयेगा और ना ही पाठक को पता चलेगा कि इसके पहले कोई अपडेट है भी या नहीं। आप इस बात को ध्यान में रखो, मैं आपकी बहुत प्रशंसा करता हूं और आप बहुत अच्छा लिखते है लेकिन आजकल आप बस कहानी को लम्बा करने पर ध्यान दे रहे है, अंकित की बहन और नानी को गए हुए कई दिन हो गए लेकिन अंकित और सुगंधा के बीच अभी तक कुछ रोमांटिक घटनाएं नहीं हुई है अकेले रहते हुए भी जबकि इस से कही ज्यादा तो अंकित की बहन के रहते हुए हो गई थी। आप इस बात को समझिए अंकित को आपको कोई औरतबाज साबित नहीं करना है वो सभ्य लड़का है, कहानी में संतुलन की कमी होती जा रही है एक तरह अंकित अनगिनत औरतों का मजा ले रहा है और उसकी मां सुगंधा नीरस जीवन जी रही है। आप सुगंधा के साथ कहानी आगे ही नहीं बढ़ा रहे हो ना जाने कितने अपडेट वैसे ही निकल गए है जो कहानी की कामुकता और रोमांचकता को कम करते जा रहे है लगातार ये एक बेहतरीन कहानी है लेकिन अब ये रस्ते से भटकने लगी हrhony
 
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Raja jani

आवारा बादल
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भाई का अपना ही स्टाइल है वो ऐसे ही लिख रहे तो जब अपने मन का आए तो पढ़ लो बाकी जाने दो।
 
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Ajju Landwalia

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सुगंधा किसी काम से पड़ोस में गई हुई थी और यह बात उसने अपने बेटे से बताई थी क्योंकि उसे शाम को बाजार जाना था अपने लिए लूज पजामा और कुर्ता लेने के लिए ताकि सुबह की जॉगिंग आराम से हो सके क्योंकि साड़ी में उसे भी उचित नहीं लग रहा था दौड़ना उसे इस बात का डर लगा रहता था कि कहीं पैर फस न जाए और वह गिर ना जाए। गर्मी का महीना होने की वजह से अंकित दोबारा बिस्तर पर नहीं लेटा और वह नहाने के लिए बाथरुम में घुस गया था घर में किसी के न होने की वजह से वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा ही नहा रहा था दरवाजे पर कड़ी लगाकर पहले ही वह दरवाजा बंद कर चुका था।




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लेकिन जैसे ही बनना शुरू किया था वैसे ही दरवाजे पर 10 तक होने लगी थी और जब उसे एहसास हुआ कि दरवाजे पर कोई और नहीं बल्कि सुमन की मां है तो उसकी आंखों की चमक बढ़ गई पल भर में ही बीती हुई कुछ बातें कुछ यादें एकदम से ताजा हो गई उसे अच्छी तरह से याद था कि वह सुषमा आंटी के घर गया था सुमन से परीक्षा के बारे में कुछ पूछने के लिए तो वहां पर अनजाने में ही वहां बाथरूम के करीब पहुंच गया था और बाथरूम के अंदर सुमन की मां एकदम नंगी होकर नहा रही थी उसे समय उसके नंगे बदन को देखकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, उसे समय सुषमा आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियां और झांटो वाली बुर देखकर अंकित का लंड एकदम से खड़ा हो गया था,,, अंकित को अच्छी तरह से याद था कि अपनी आंखों के सामने उसे देखकर सुमन की मन एकदम से हड़बड़ा गई थी और अपने बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी,, लेकिन फिर भी बिना दरवाजे पर जा सकती है वहां तक पहुंच जाने पर उसे एक शब्द नहीं बोली थी इससे अंकित की हिम्मत थोड़ी इस समय बढ़ रही थी,।




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आवाज पर गौर करके खुश होते हुए अंकित अपने बदन पर ठंडा पानी डाल रहा था और बाहर से लगातार आवाज आ रही थी।

सुगंधा,,, ओ सुगंधा अरे सच में सो गई क्या दरवाजा तो खोल मुझे काम है,,,।
(सुमन की मां की आवाज सुनकर एक तरफ अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था लेकिन दूसरी तरफ थोड़ी घबराहट उसे हो रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके मन में चल रहा था उसे कार्य को अंजाम देने के लिए काफी हिम्मत की जरूरत थी इसलिए उसका दिन जोरों से धड़कता है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ उसके मन में चल रहा है उसे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी वह अपने मन में ऐसा सोच लिया था कि जो कुछ भी होगा सुषमा आंटी को ऐसा ही लगेगा कि अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह तुरंत बाथरूम से बाहर आया और कुर्सी पर पड़ी चावल को अपने बदन से लपेट लिया बदन से क्या अपनी कमर से लपेट लिया लेकिन उसके टावल में भी अद्भुत तंबू बना हुआ था क्योंकि बाथरूम के अंदर वह अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था जिसके चलते उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था। अंकित सुषमा आंटी को अपने टावल में बने हुए तंबू को दिखाना चाहता था यह एहसास दिलाना चाहता था कि उसके पड़ोस में ही एक लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका है जो अगर वह चाहे तो उसकी ख्वाहिश उसकी इच्छा को उसकी प्यास को बुझा सकता है,,,, और किसी भी औरत की प्यास को बुझाने और उसे संतुष्ट करने का हाथ में विश्वास उसे अपनी नानी से मिला था नानी की चुदाई करके वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और आत्मविश्वास से भर चुका था। और यह इस आत्मविश्वास का असर था जो आज वह एक अद्भुत कार्य करने जा रहा था और वह भी किसी गैर औरत के सामने।





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अपनी कमर पर टावल लपेटने के बाद वह एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच डालकर अपनी स्थिति का मुआयना कर लेना चाहता था और वाकई में ही समय उसका तंबू काफी आकर्षक लग रहा था उसे पूरा विश्वास था कि सुषमा आंटी अगर इसे देखेगी तो जरूर मस्त हो जाएगी मदहोश हो जाएगी। लगातार दरवाजे के बाहर से आवाज आ रही थी दरवाजे पर दस्तक हो रही थी और वैसे भी दोपहर का समय था इस समय सब लोग अपनी-अपने घरों में आराम कर रहे थे और सबसे फायदे वाली बात यह थी कि इस समय उसकी मां भी घर पर नहीं थी इसलिए वह धीरे से दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजे की कड़ी को खोलकर दरवाजे के दोनों पट को धीरे से खोल दिया सामने सुषमा आंटी थी जिसे देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला,,,।)





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क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,? मैं नहा रहा था इसलिए दरवाजा खोलने में देर हो गई और वैसे भी मम्मी घर पर नहीं है,,,(अंकित एक ही सांस में उस सारे सवाल भी पूछ ले रहा था और यह भी बता दे रहा था कि घर पर इस समय उसकी मां नहीं है घर पर वह अकेला ही है अगर वाकई में सुषमा आंटी के मन में भी दूसरे औरतों वाली बात होगी तो जरूर इस मौके का फायदा उठाएगी,,, सुषमा आंटी उसकी बात तो सुन रही थी लेकिन वह दरवाजे पर अंकित को खड़ा देखकर न जाने किस एहसास में डूबने लगी थी,,, सुषमा को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था की उसकी आंखों के सामने एकदम जवान लड़का खड़ा है जिसे देखकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह अच्छी तरह से देख रही थी कि दरवाजे पर खड़ा अंकित नहा कर बाथरूम से पर अभी-अभी बाहर आया था और उसके कमर पर टावल लपटी हुई थी लेकिन अभी तक सुषमा का ध्यान उसके तंबू पर बिल्कुल भी नहीं किया था वह इसकी चौड़ी छाती को देख रही थी पल भर के लिए सुषमा को लग रहा था कि इसकी चौड़ी छाती में एकदम से समा जाए क्योंकि दरवाजे पर खड़ा अंकित उसे पूरा मर्द लग रहा था मोहल्ले में दौड़ता हुआ वह छोटा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था इस बात का एहसास सुषमा आंटी को हो रहा था। कुछ देर तक सुषमा आंटी एकदम खामोश रही उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके जवानी का जादू उसकी मर्दानगी का असर सुमन आंटी पर थोड़ा-थोड़ा हो रहा है इसलिए वह फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,)




क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,?

हां मुझे तेरी मम्मी से काम था लेकिन वह तो है ही नहीं,,,।

तो क्या हुआ आंटी मैं तो हूं ना मुझसे कहिए क्या काम है,,,,।

वह क्या है ना थोड़ा चीनी चाहिए था,,, शाम को बाजार जाऊंगी तो ले आऊंगी अभी है नहीं,,,,,(उसका इतना कहना था कि उसके हाथ से कटोरी गिर गई और वह कटोरी लेने के लिए नीचे जो की लेकिन कटोरी उठते समय उसकी नजर अंकित के टावल पर गई तो उसमे बना हुआ तंबू देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए,,, सुषमा को समझते देर नहीं लगी की अंकित की दोनों टांगों के बीच का हथियार कैसा है वह कुछ क्षण तक टॉवल की तरफ अच्छी और फिर सहज बनने का नाटक करते हुए धीरे से उठकर बोली,,,) क्या तु मुझको चीनी देगा,,,।

(अंकित का पूरा ध्यान सुषमा आंटी पर ही था सुषमा की नजरों को अच्छी तरह से देख लिया था वह समझ गया थाकी आंटी उसके तंबू की तरफ देख चुकी हैं और जरूर उनके मन में कुछ चल रहा होगा इस बात की खुशी अंकित के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन वह जताना नहीं चाहता था पानी की बूंदे अभी भी इसकी चौड़ी छाती पर फिसल रही थी जिसे देखकर इस समय ऐसे हालात में जबकि सुषमा की नजरे उसके तंबू पर जा चुकी थी अब उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होना शुरू हो गया था,,,, अंकित सुषमा आंटी की बात सुनकर बोला।)

क्यों नहीं आंटी यह तो मेरा फर्ज है और वैसे भी चीनी क्या आप यहां से चाय पी कर जाइए,,, मैं अभी बना देताहूं,,,(अंकित चाय के बहाने सुषमा आंटी को अपने घर पर रोकना चाहता था क्योंकि अभी उसकी मां के आने में बहुत समय था अपनी नानी की जी भर कर चुदाई कर लेने के बाद उसकी हिम्मत खुलने लगी थी और यह उसी का नतीजा था जो आज वह सुमन की मां से इस तरह से बातें कर रहा था वरना वह कभी हां और ना से ज्यादा जवाब ही नहीं देता था,,,, अंकित की बात सुनकर सुषमा बोली,,,)

अरे नहीं नहीं अंकित बेटा रहने दे मैं यहां चाय पीने के लिए नहीं आई हूं बल्कि चीनी लेने के लिए आई हूं,,,, और हां तुझे अगर चाय पीना है तो मेरे घर चल मैं तुझे चाय पिलाती हूं,,,,(बात करते हुए अपनी नजरों को हल्के से नीचे करते हुए वह अंकित के टॉवल की तरफ देख रही थी उसमें बने हुए तंबू को देख रही थी और अपने मन में सोच रही थी बाप रे कितना बड़ा लंड है ईसका पूरा हथियार है,,,, सुषमा की बात सुनकर अंकित बोला,,,)

फिर कभी आंटी थोड़ी देर बाद मुझे बाजार जाना है,,,, आप अंदर तो लिए कब से दरवाजे पर खड़ी है,,,,।
(अंकित की बात सुनकर धीरे से सुषमा आंटी घर में आ गई,,, और अंकित आगे बढ़कर दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद कर दिया हालांकि उसने दरवाजे पर कड़ी नहीं लगाई,,,, पल भर के लिए सुषमा आंटी के बदन में सनसनी से दौड़ने लगी जब आगे बढ़कर अंकित दरवाजे को बंद कर रहा था तब सुषमा आंटी को ऐसा ही एहसास हो रहा था कि मानो जैसे अंकित उसके साथ कुछ करना चाहता हो इसलिए दरवाजा बंद कर रहा है,,,, दरवाजा बंद करने के बाद अंकित बोला,,)

आप रुकिए में चीनी लेकर आता हूं,,,(वह ऐसे ही जा रहा था कि सुषमा बोल पड़ी)

अरे ले कटोरी तो लेता जा,,,,।

ओहहह,,,लाईए,,,(ऐसा कहते हुए वापस सुषमा आंटी की तरफ मोडा और अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी लेने लगा सुषमा आंटी भी अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी को अंकित की तरफ बढ़ा दी और अंकित उसके हाथों में से कटोरी लेने का कटोरी लेते समय उसकी उंगलियां सुषमा आंटी की उंगलियों से स्पर्श करने लगी और यह स्पर्श सुषमा आंटी को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार तक महसूस होने लगी सुषमा आंटी को ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे उसकी बुर फुल पिचक कर रही हो,,,, और अंकित कटोरी लेकर रसोई घर की तरफ चल दिया जाते समय उसके पीठ सुषमा की आंखों के सामने एकदम चौड़ी पीठ कमर की तरफ एकदम आकर्षक कमर के नीचे का उसके उभरे हुए नितंब टॉवल में भी सुडौल लग रहे थे,,, जहां एक तरफ मर्द औरतों की गांड देखकर आकर्षित होते हैं वहीं सुषमा आंटी आज अंकित के कसरती बदन के साथ-साथ उसके नितंबों को देखकर भी आकर्षित हो रही थी,,, अंकित रसोई घर में जा चुका था और सुषमा आंटी अंकित के बारे में बहुत सारी बातें सोच रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि अंकित पूरी तरह से जवान मर्द हो चुका है और अपने बदन को आकर्षक बनाने के लिए कितना मेहनत किया है कितना कसरत किया है तभी तो उसे देखते ही उसे न जाने क्या होने लगा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था रह रहकर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी।

सुषमा अंकित के लंड के बारे में सोच रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जब उसका तंबू इतना शानदार है तो बिना कपड़ों के उसका लंड तो औरतों के होश उड़ा देगा,,, काश उसके लंड को देख पाती तो कितना मजा आता,,, सुगंधा कितनी किस्मत वाली है कि उसका बेटा इतना दमदार है। वह तो दिन रात अपने बेटे को देखती होगी उसे बिना कपड़ों के भी देख चुकी है जाने अनजाने में नजर तो पड़ ही जाती होगी,,,, पल भर में सुगंधा के बारे में और बहुत सारी बातें सोचने लगी सुषमा के मन में बहुत सी बातें चल रही थी पल भर में ही सुगंध के जीवन के बारे में सोचने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी की सुषमा को तो अपने बेटे के साथ ही शारीरिक संबंध बनाकर संतुष्ट हो जाना चाहिए,,, घर के चार दिवारी के अंदर क्या हो रहा है दूसरों को क्या पता,,,, लेकिन सुगंधा वाकई में एक संस्कारी और मर्यादा वाली औरतें इतने बरस हो गए पति के गुजरे लेकिन वह इतने दिनों में कभी भी कोई ऐसा काम नहीं की जिससे उसकी बदनामी हो वरना एक खूबसूरत और जवान औरत और वह भी जवानी से भरी हुई औरत के पैर फिसल जाते हैं लेकिन सुगंधा के बारे में आज तक ऐसी कोई भी बातें सुनने को नहीं मिली,,, अगर मुझे अंकित के साथ एक ही घर में रहना हो तो शायद एक साथ भी गुजारना मुश्किल हो जाए और ना चाहते हुए कि मुझे अंकित के साथ शारीरिक संबंध बनाना ही पड़ जाए,,,।

क्या अंकित के मर्दाना बदन और उसके अंग का ही कमाल था जो सुषमा उसके बारे में इतना कुछ सोचने लगी थी,,, सुष्मा अपने मन में यह सब बातें सोच रही थी और रसोई घर के अंदर अंकित अपनी ही जुगाड़ में लगा हुआ था अंकित या तो जान चुका था कि सुषमा आंटी उसकी टांगों के पीछे देख रही थी जरूर उनके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था और इस समय वह पूरी तरह से सुषमा को अपने लैंड के दर्शन करना चाहता था जिसके चलते वह अपनी टॉवल को कमर पर इतनी देरी बांध लिया था कि 5 6 कदम चलने के बाद ही वह अपने आप ही कमर से छूटकर नीचे गिर जाती और फिर हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह रसोई घर से बाहर आ गया वह जानता था कि उसका टावल उसका ज्यादा देर तक साथ देने वाली नहीं है,,, उसकी उत्तेजना कम भी नहीं हो रही थी उसका तंबु ज्यों का त्यों खड़ा था,,, रसोई घर से बाहर आते हुए अंकित को देखकर सुषमा आंटी मुस्कुराने लगी लेकिन अभी भी उसकी नजर उसके दोनों टांगों के बीच ही थी जो की बेहद आकर्षक और मदहोश कर देने वाला लग रहा था देखते ही देखते अंकित सुषमा आंटी के करीब आ गया। ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया और हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए बोला।

लीजिए आंटी मैं पूरी कटोरी भरकर लाया हूं,,,( उसका इतना कहना था की वाकई में उसका टॉवल उसकी कमर से छूटकर उसके कदमों में जा गिरा और उसका टनटनाया हुआ लंड एकदम से सुषमा आंटी के सामने लहराता हुआ आ गया जिसे देखकर सुषमा आंटी के सांसे एकदम से रुक गई,,, और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, सुषमा अपना हाथ भी आगे नहीं बढ़ा पाई थी कि उसकी आंखों के सामने एक अद्भुत मंजर दिखाई देने लगा था जिसे देखकर उसकी सिटी पिट्टी गुम हो चुकी थी उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल बढ़ने लगी थी और अंकित तो यही चाहता ही था इसलिए वह पूरी तरह से सहज था वह जी भरकर सुमन की मां को अपने लंड के दर्शन करा देना चाहता था,,,, क्योंकि वह लंड के दर्शन करने की महिमा को अच्छी तरह से जानता था जिसके चलते उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए आतुर हो चुकी थी,और इस समय वह यही चाहता था,,, अंकित का आत्मविश्वास पूरी तरह से कायम था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो सकती है तो सुमन तो अभी भी उसकी मां की उम्र की है इसमें भी तो जवान कूट-कूट कर भरी हुई है जिसके दर्शन वह खुद अनजाने में कर लिया था,,,,।

अंकित दोनों हाथ में कटोरी को पकड़े हुए था और वह पूरी तरह से नंगा था उसके बदन पर टावल भी नहीं था टावल के गिरने के साथ ही उसका मर्दाना अंग पूरी तरह से प्रदर्शित हो रहा था जिसे देखकर सुषमा आंटी पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी उनकी नज़रें अंकित के लंड से एक पल के लिए भी नहीं है रही थी शायद इस तरह का वह अपने जीवन में पहली बार देख रही थी और वाकई में यह सच भी था क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इस तरह का लंड तो वह गंदी फिल्म मेंदेखी थी। और कभी सोची भी नहीं थी कि उसे इस तरह का लंड देखने को मिलेगा लेकिन आज उसकी मुराद पूरी हो रही थी,,, उसकी आंखों के सामने टनटनाया हुआ लंड था जो किसी भी बुर में जाकर बुर का भोसड़ा बनाने के लिए सक्षम था। सुषमा की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वह पागलों की तरह अंकित के लंड को देखे जा रही थी मानो कि जैसे देखकर ही उसे अपने अंदर ले लेगी,,, अंकित पूरी तरह से उसे दिखा देना चाहता था इसलिए अभी कुछ बोल नहीं रहा था लेकिन जब उसे एहसास हो गया कि आप समय को ज्यादा हाय दइया हो गया है सुषमा आंटी जी भर कर उसके लंड के दर्शन कर चुकी है इसलिए वह एकदम से बोला,,,)


Ankit ka mardaana ang dekhkar suman ki ma mast ho gayi


बाप रे यह क्या हो गया यह टावल भी ना,,,,, जल्दी पकड़िए कटोरी आंटी,,,, मुझे शर्म आ रही है जल्दी करिए,,,,।

हाय दइया कैसी बातें कर रहा है सर में तो मुझे आनी चाहिए जो आंखों के सामने यह सब देख रही हूं,,,सहहहहहह,,,, कितना बड़ा है रे तेरा कितना मोटा और लंबा बाप रे तेरा हथियार तो गजब का है,,,,,(बिना कटोरी को अपने हाथ में पकड़े हुए ही सुषमा आंटी इस तरह की बातें बोल रही थी और यह सब सुनकर अंकीत मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए बोला।)

यह कैसी बातें कर रही हो आंटी जल्दी से कटोरी पकड़ो समझो मेरी हालत को मैं पूरी तरह से नंगा हुं और मुझे शर्म आ रही है,,,,,,।
(अंकित की हालत को देखकर सुषमा के अंदर की औरत पूरी तरह से जाग गई थी वह एक कदम आगे बढ़कर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और अपना हाथ आगे बढ़कर तुरंत अंकित के लंड को अपने हाथ में पकड़ ली उसकी गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि उसकी बुर से मदन रस की बुंद टपकने लगी थी,,,, सुषमा की सांस एकदम से गहरी चलने लगी थी पहली बार जीवन में वह इतने मोटे तगड़े लंड अपने हाथ में पड़ रही थी उसकी गर्माहट पूरी तरह से उसे पानी पानी कर रही थी,,, अपनी नानी से प्राप्त अनुभव को यहां पर थोड़ा दिखाना चाहता था इसलिए तुरंत अपने हाथ में लिए हुए कटोरी को पास में ही पड़ी कुर्सी पर रख दिया वह सुमन की मां की हरकत को देखकर इतना तो समझ ही गया था कि सुषमा आंटी भी राहुल की मां नुपुर और उसकी नानी से बिल्कुल कम नहीं थी इसलिए वह यहां पर थोड़ा अनुभव दिखा देना चाहता था,,,,,,, बस तुरंत अपना एक हाथ सुमन की मां की कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और तुरंत उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,, यह सब इतनी जल्दबाजी में हुआ था कि सुमन की मां को भी इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था लेकिन वह अंकित की हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई थी।

उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि मोहल्ले में घूमने वाला वह छोटा सा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था सुषमा आंटी अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी वह इस तूफान में पूरी तरह से बहाने को तैयार हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी अभी भी उनके हाथ में अंकित का मोटा तगड़ा लंड था जिसकी गर्माहट उसे धीरे-धीरे पिघला रही थी। अंकित पागलों की तरह सुमन की मां की लाल लाल होठों का चुंबन का रस पीते हुए उसकी कमर में हाथ हटा लिए हुए उसे एकदम से दीवार से सटा दिया अंकित की हरकत से सुषमा आंटी की बोलती बंद हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी,,, जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़की के साथ वह पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी,,, अंकित इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, अपनी नानी की बुर की गर्मी आई है उसे अच्छी तरह से महसूस होती थी जब भी वह अपनी नानी को याद करता था तब तक उसका लंड बुर में जाने के लिए खड़ा पड़ता था और ऐसा लग रहा था कि आज वह अपनी नानी की कमी को पूरा कर लेगा,,,,,।

सुमन की मां को दीवार से सटाकर वह उसके होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा सुषमा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसे घबराहट होने लगी थी कि वह क्या कर रही है वह अंकित को रोकना चाहती थी लेकिन वह कुछ बोल पाती से पहले ही अंकित उसकी साली को कमर तक उठा दिया था और उसकी नसीब इतनी तेज थी कि उसने आज साड़ी के अंदर पेटी भी नहीं पहनी थी इसलिए वह तुरंत अपनी हथेली को उसकी नंगी बुर पर रख दिया जो पूरी तरह से झांटों के झुरमुट के घेरे में थी,,, जिस तरह से अंकित अपनी हथेली को उसकी बुर की रगड़ रहा था उसे देखकर एक बार फिर से सुषमा की बोलती बंद हो चुकी थी वह उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पाई थी उसके होठों से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,, अंकित पागलों की तरह उसकी बुर को रगड़ रहा था अपनी हथेली से गर्म कर रहा था और अभी भी सुषमा अंकित के लंड को पकड़कर उसे जोर-जोर से दबा रही थी,,,, जिंदगी में पहली बार इतना मोटा तरो ताजा लंड देखकर वह भी अपना आपा खो चुकी थी,,,, अंकित को अपनी हथेली में सुषमा आंटी की बुर से निकला हुआ मदन रस एकदम साफ महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से अकेली होती चली जा रही थी,,,,, आगे बढ़ने से पहले फिर भी वह सुषमा आंटी से एक बार पूछ लेना चाहता था अपने मन को तसल्ली दिला देना चाहता था कि वाकई महसूस मानती क्या चाहती है इसलिए वह अपने होठों को एकदम से सुषमा आंटी के होठों से अलग करता हुआ गहरी सांस लेता हुआ सुषमा आंटी के चेहरे को फिर से अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोला लेकिन इस दौरान दोनों हाथों को ऊपर उठने से एक बार फिर से सुषमा की साड़ी वापस अपनी स्थिति में आ चुकी थी और उसके कदम में जा गिरी थी खूबसूरत है तेरे से पर पर्दा पड़ चुका था लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसका लंड था,,,, अंकित उत्तेजित स्वर में बोला,,,,)

तुम तो मुझे पागल कर दी आंटी बोलो अब क्या करूं,,,,,।

(अंकित का सवाल सुनकर सुषमा आंटी कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, वह नजर भर कर अंकित की तरफ देख रही थी अंकित के मासूम चेहरे की तरफ देख रही थी उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि मासूम चेहरा पूरी तरह से जवान हो चुका था वह कुछ बोल नहीं पाई अपने मन की बात अपने होठों पर लाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह दरवाजे की तरफ देखते हुए सिर्फ इतना ही बोली।)

दरवाजे की कड़ी नहीं लगी है,,,।
(बस सुषमा का इतना कहना उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत दे रहा था उसकी तरफ से निमंत्रण दे रहा था जिसे सुनकर अंकित एकदम खुश हो गया और तुरंत दरवाजे की तरफ आगे बढ़कर और दरवाजे की कड़ी लगा दिया वह भी मदहोशी में भूल चुका था कि दरवाजा का पल्ला सिर्फ बंद है उसे पर कड़ी नहीं लगी है ऐसे में उसकी मां आ सकती थी कोई भी आ सकता था वह दरवाजे पर कड़ी लग रहा था और सुषमा उसके गोल-गोल नितंबों की तरफ देख रही थी वाकई में वह अंकित के नितंबों को देखकर आकर्षित हो चुकी थी फुर्ती दिखाता हुआ अंकित दरवाजे पर खड़ी लगा चुका था और वापस अपनी जगह पर आ चुका था लेकिन इस बार वह तुरंत सुषमा आंटी को दीवार की तरफ घुमा दिया था औरउनकी पीठ को अपनी तरफ कर दिया था और पीछे से उसे अपनी बाहों में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों चुचियों का दबाना शुरू कर दिया था इतना तो अंकित को मालूम नहीं था कि उसके पास समय अब ज्यादा नहीं था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाता हुआ सुषमा आंटी के ब्लाउज के निचले हिस्से के दो बटन को खोल दिया और दोनों हाथों से चुचियों को बाहर निकाल दिया,,,, सुषमा की दोनों चूचियां भी पपाया की तरह थी,,,, जिसे हम की जोर-जोर से दबा रहा था और इस तरह के स्तन मर्दन में सुषमा को भी बहुत मजा आ रहा था,,, इसदौरान वह लगातार साड़ी के ऊपर से ही सुषमा के पिछवाड़े पर अपना लंड रगड़ रहा था जिससे सुषमा की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी वह भी जल्दी से जल्दी अंकित के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी।

समय के अभाव को देखते हुए अंकित भी ज्यादा देर नहीं करना चाहता था वह भी जल्द से जल्द इस खेल को खत्म कर देना चाहता था आज उसके जीवन में सुषमा उसके नीचे आने वाली दूसरी औरत थी और इस पल को वह गंवाना नहीं चाहता था और वह देखते ही देखते एक बार फिर से अपने दोनों हाथों से चश्मा की साड़ी पड़कर कमर तक उठा दिया और उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसकी गांड को अपने हिसाब से अपनी स्थिति में लाने लगा,,, सुषमा के मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहे थे वह इस समय अंकित के हाथों की कठपुतली बन चुकी थी उसका मोटा तगड़ा लंड उसे पूरी तरह से मजबूर कर चुका था उसके सामने घोड़ी बनने के लिए,,, और फिर अंकित अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर धीरे से उसे सुषमा की गांड की दोनों आंखों के बीच से अंदर की तरफ ले जाने लगा उसे सुषमा का गुलाबी छेद बराबर दिख नहीं रहा था इसलिए वह अपने हाथों से ही सुषमा की दोनों टांगों को पकड़ कर फैला दिया और अब उसे सुषमा के झांटों की झुरमुट में उसका गुलाबी छेद नजर आने लगा और वह धीरे से अपने लंड पर थूक लगाकर अपने सुपाड़े को उस छेद में प्रवेश कराने लगा।

सुषमा को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है क्योंकि उसकी बुर में घुसने में थोड़ी सी मस्सकत पैस आ रही थी,,, लेकिन अंकित की नानी का अनुभव उसे आगे बढ़ने में मदद कर रहा था,,, सुषमा की हालत खराब हो रही थी और अंकित धीरे-धीरे अपने लंड की सुपाड़े को उसकी बुर की गहराई में उतर रहा था और देखते ही देखते धीरे-धीरे करके अंकित का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया और फिर वह दोनों हाथों से सुषमा की कमर पकड़ कर ज्यादा जोर लगाकर बाकी काफी लंड उसकी बुर में डाल दिया और फिर दोनों कमर पकड़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। सुषमा पागल हो जा रही थी मदहोश हो जा रही थी क्योंकि यह सुख उसे महीनों बाद महसूस हो रहा था महीनो बाद तो वह चुदवा रही थी बाकी अद्भुत एहसास उसे जीवन में पहली बार महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से मत हो रही थी और अंकित जोर-जोर से धक्के लगा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था।

वह कभी सोचा भी नहीं था कि सुषमा आंटी को इस तरह से छोड़ने का सुख प्राप्त होगा और ना तो सुषमा कभी सोची थी कि चीनी मांगने पर उसे इतना मोटा तगड़ा लंड मिल जाएगा वह भी इस चुदाई से पूरी तरह से मत हो रही थी अंकित बार-बार उसकी कमर पकड़ ले रहा था तो कभी उसकी चूची को दबा दे रहा था वह पूरी तरह से सुषमा को मदहोश कर रहा था उसे मस्त कर रहा था,,,, और फिर देखते ही देखते सुषमा की सांसे उखड़ने लगी क्योंकि वह अपने चरम सुख के करीब पहुंच रही थी और यही हाल अंकित का भी हो चुका था वह जोर-जोर से धक्के लग रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे,,,, दोनों का काम बन चुका था सुषमा पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसका लाल-लाल चेहरा साफ बता रहा था कि वह पूरी तरह से संतुष्टि का एहसास लेकर यहां से जाने वाली थी वह धीरे से अपने कपड़ों को व्यवस्थित की वासना का तूफान उतर जाने पर अंकित से नजर मिलाने मुझे सब महसूस हो रही थी इसलिए वह बिना कुछ बोले कुर्सी पर से चीनी की कटोरी हाथ मिला और अपने हाथ से ही दरवाजे की कड़ी खोलकर कमरे से बाहर चली गई अंकित उसे जाता हुआ देख रहा था और फिर वापस दरवाजा बंद करके मुस्कुराता हुआ बाथरुम में चला गया और नहाने लगा।


अंकित बहुत खुश था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सुषमा आंटी के साथ इतनी हिम्मत दिखा कर पहली बार में ही उससे चुदाई का सुख प्राप्त कर लिया था लेकिन यही हिम्मत हुआ अपनी मां के साथ क्यों नहीं दिखा पता ऐसा क्या हो जाता है कि अपनी मां के सामने वह घबरा जाता है और आगे बढ़ने से डरने लगता है और सब कुछ समय पर छोड़ देता है जबकि अगर वह भी हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ जाए तो ऐसा ही सुख उसे अपने घर में भी मिल सकता है,,, यही सब सोचता हुआ नहा कर बाहर निकल गया और कपड़े पहन कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां भी आ चुकी थी और दोनों तैयार होकर मार्केट के लिए निकल गए थे।

Gazab ki romachak update he ricky4545 Bhai,

Ek chini ki katori ke badle ankit ko sushma ki chut mil gayi..........

Ankit ki to mauj ho gayi..........

Keep rocking Bro
 

lovlesh2002

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भाई का अपना ही स्टाइल है वो ऐसे ही लिख रहे तो जब अपने मन का आए तो पढ़ लो बाकी जाने दो।
भाई आप सही कह रहे हो, लेकिन एक बहुत खूबसूरत कहानी अगर एंड भी खूबसूरत तरीके से हो तो सजेशन देने में क्या बुराई है, मैं जिद तो नहीं कर रहा हूं ricky4545 भाई से की आप पूरी तरह मेरे हिसाब से चलो नहीं तो कहानी नहीं पढूंगा। बस मैं रिकी भाई को एक सजेशन दे रहा हूं ताकि उनके उनके दिमाग में भी बात रहे कि उनको सबसे ज्यादा फोकस कहा करना ही बाकी तो सब अच्छा ही है मैं पर्सनली रौनी भाई की कहानियों को बहुत पसंद करता हूं। लेकिन अब दूसरे कैरेक्टर्स ज्यादा ही आ रहे है कहानी में इस लिए कहानी इतनी ज्यादा विस्तृत कर दी है, की उसको रोनी भाई अचानक से खत्म की देंगे अपनी मां के साथ समागम होते ही ये बहुत दुखद सा लगता है कहानी को ऐसी खूबसूरत यादों के साथ एंड होना चाहिए जो पाठकों के दिल को छू जाए और एक यादगार लव स्टोरी की तरह एंड हो। मेरी तरफ से रौनी4545 / रिक्की4545 भाई को शुभकामनाएं। बस मैं ये चाहता हूं कि अंकित और सुगंधा की कामुक शरारतों को ज्यादा लिखो चू दा ई कोई नई बात नहीं रह गई है पाठकों के लिए। इसको बार बार लिखना जरूरी नहीं है कि इस से कर ली उसको भी ठोक दिया और उसके बाद किसी और को भी, जिस तरह पति पत्नी या प्रेमी प्रेमिका के बीच समागम से ज्यादा आपस कि बहुत सारी कामुक हरकते होती है वो ज्यादा लुभावनी लगती है बजाए सीधे सेक्स के। भाई को कहानी ज्यादा रसीली कामुक और मनोरंजक और खड़ा करने वाली कहानी के लिए इस तरह की छोटी छोटी बार बार घटनाएं ऐड करनी पड़ेगी वो ही कहानी को रसदार और एक्साइटेड करने वाली बनाए रखती हैं। रोनी भाई से इस कॉमेंट पर प्रतिक्रिया चाहूंगा। वो क्या सोचते हैं।
 

ricky4545

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अंकित और उसकी मां बाजार के लिए निकल गए थे,,, घर पर वापस आने पर सुगंधा को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी कि उसके पीठ पीछे घर पर क्या हुआ था उसे नहीं मालूम था कि सीधा-साधा दिखने वाला उसका बेटा दूसरी औरतों के साथ कितना बेशरम बन चुका था,,, सुमन की मां सुगंधा के घर पर आने से पहले कभी सोचा ही नहीं थी कि उसके घर पर आने पर उसे इतना अदभुत सुख प्राप्त होगा इसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी उसे नहीं मालूम था कि सीधा-साधा ऐसा दिखाने वाला अंकित पूरी तरह से मर्द बन चुका है,,, अगर इस बात की खबर सुगंधा हो जाए तो शायद इसी समय वाहन बाजार न जाकर अपने बेटे का हाथ पकड़ कर उसे वापस अपने घर पर ले आए और उसके साथ अपने बरसों की दबी हुई प्यास को अपनी प्यासी बंजर जमीन को हरी भरी कर ले,,, लेकिन वह जानती नहीं थी कि उसका बेटा इतना ज्यादा चालाक हो चुका है और ज्यादा नहीं केवल पांच छः दिनों में ही,,, और उसे एक सीधा-साधा लड़का से मर्द बनने वाली कोई और नहीं बल्कि सुगंधा की ही मां थी।


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रास्ते भर अंकित भी इस बात से हैरान था की दूसरी औरतों के साथ वह इतना खुल कैसे जाता है जबकि उसकी मां इतना इशारा करके उसे अपने पास बुलाने की कोशिश करती है उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करती है लेकिन वहां हिम्मत नहीं दिखा पाता और अपनी मां के साथ हम बिस्तर नहीं हो पाता,,, वह अपनी मन में यही सोच रहा था कि सुषमा आंटी के साथ जो कुछ भी उसने किया और बेहद काबिले तारीफ था उसकी हिम्मत इतनी बढ़ चुकी थी जिसका अंदाजा उसे खुद नहीं था और इसी बात से वह हैरान था अगर थोड़ी हिम्मत दिखा दे तो शायद दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत उसकी बिस्तर पर होगी लेकिन इतनी हिम्मत दिखाने में न जाने कैसा डर उसके ईर्द गिर्द मंडराने लगता है कि वह आगे बढ़ने से अपने आप को रोक देता है,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर सुषमा आंटी उसकी हरकत पर एतराज जता देती तब क्या होता अगर उसकी हरकत सुषमा आंटी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आती और इस बारे में उसकी मां को बता देती तब क्या होता,,,,, अपने मन में उठ रही सवाल का जवाब खुद अपने आप से ही देते हुए वह बोला कि भला ऐसे कैसे हो सकता है,,, अगर सुषमा आंटी को जरा भी ऐतराज होता तो जैसे ही उसकी कमर से टॉवल छुट कर नीचे गिरी थी तभी वह शर्म के मारे अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा देती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था बल्कि बटन प्यासी नजरों से उसकी दोनों टांगों के बीच खड़े हथियार को देख रही थी और वह भी प्यासी नजरों से सुषमा आंटी की नजर में बिल्कुल भी शर्म और मर्यादा नजर नहीं आ रही थी,,,,, और वह काफी देर तक उसके लंड को ही घर रही थी और शायद उसके लंड की मोटाई और लंबाई उन्हें पूरी तरह से मजबूर कर गई थी उसे अपने हाथ में पकड़ने के लिए तभी तो अपना हाथ आगे बढ़कर बेशर्मी की सारी हद पार करते हुए उसे ज़ोर से पकड़ ली थी और यही तो इशारा था जो वह शब्दों में ना कह सकी थी अपने एक हरकत से बता दी थी कि उन्हें क्या चाहिए,,,,।



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अगर मान लो कि यह सब भी सिर्फ भावनाओं में बहकर हुआ था तो,,, तब भी वह अपने आप को पूरी तरह से होश में लाकर अपनी मर्यादा की लाज रख सकती थी जब वह उसकी हरकत पर उसे अपनी बाहों में भर लिया था उसके होठों पर अपने होंठ रख दिया था। और अगर वह तब भी अपने आप को इन सबसे अलग करना चाह रही होती तो अलग कर चुकी होती लेकिन शायद यह सब सोने के बावजूद भी उन्हें मौका ना मिला हो क्योंकि उसकी अगली हरकत पूरी तरह से किसी भी औरत को बेहोश कर सकती थी मर्यादा की दीवार तोड़ने के लिए अपने संस्कारों को एक तरफ रखकर मदहोशी में डूब जाने के लिए जब वह साड़ी उठाकर उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे रगड़ना शुरू कर दिया था तभी सुषमा आंटी एकदम बेहाल हो चुकी थी,,,, इन सबके बावजूद भी एक संस्कारी और मर्यादा वाली औरत अपने आप को अपने मान मर्यादा को बचाने के लिए अपने आप को इन सब से रोक सकती थी लेकिन वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं की क्योंकि वह भी यही चाहती थी शायद वह भी पति से संतुष्टि और प्यार नहीं प्राप्त कर पा रही थी या उनके पति उन्हें वर्षों कब नहीं दे पा रहा था जैसा जवानी के दिनों में दिया करता था इसीलिए वह भावना में पूरी तरह से बह गई थी और अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के साथ सारी संबंध बनाकर अपने आप को संतुष्ट कर गई थी। यह सब सो कर अंकित के चेहरे पर प्रसन्नता और संतुष्टि का भाव साफ नजर आ रहा था उसे अपने लंड पर गर्व होने लगा था,,, क्योंकि उसके लंड ने एक उम्र दराज औरत की जमकर चुदाई करके उसे संतुष्टि का एहसास कराया था और दूसरी अपनी ही मां के हम उम्र औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे भी पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था।




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अंकित बहुत खुश था जी सुख के लिए वह तड़पता था मचलता था सपना देखा था और अपने मन में कल्पनाए किया करता था कल्पनाओं में अपनी मां का साथ पाकर अपने हाथ से ही अपनी जवानी की गर्मी शांत किया करता था अब वह दिन आ गया था जब वह एक औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी जवानी की गर्मी को शांत कर रहा था । कल्पनाओं की दुनिया से वह पूरी तरह से बाहर आ चुका था अब हकीकत से उसका सामना हो रहा था कल्पनाओं से अत्यधिक आनंद उसे हकीकत में आ रहा था। कल्पनाओं में जिस अंग के बारे में सोच सोच कर वह मदहोश हुआ करता था वह अंग वह अपनी आंखों से देखकर उसे छूकर उसे मसल कर उस गुलाबी छेद में अपने मर्दाना अंग को डालकर जिस तरह की रगड़ महसूस करके उसे आनंद आ रहा था वह शायद अपने हाथ से खिलाकर उसे कभी भी प्राप्त नहीं हो रहा था एक कमी रह जाती थी जो धीरे-धीरे पूरी हो रही थी। अंकित तो अपनी मां को चोदना चाहता था अपनी मां की चुदाई करना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों से खेलना चाहता था उसे अपने हाथों से नंगी करना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों को अपने हाथ में लेकर अपने मुंह में भरकर उनका रस पीना चाहता था लेकिन हम जाने में ही मां की जगह मां की मां और पड़ोस की सूषमा आंटी जवानी का मजा उसे चखा दी थी। लेकिन इन सबके बावजूद भी इसका मुख्य थे अग्रिम लक्ष्य उसकी मां ही थी। वह कीसी भी तरह से संभोग करना चाहता था और इससे पहले दो औरतों के साथ शारीरिक संबंध को वह एक अभ्यास के तौर पर ले रहा था। जैसे वार्षिक परीक्षा के पहले अभ्यास के रूप में परीक्षा होती है और अंतिम परीक्षा ही मुख्य परीक्षा के तौर पर मानी जाती है इस तरह से अभी उसकी अंतिम परीक्षा बाकी थी जिसमें उसे पूरी तरह से खराब उतरना था यह दो परीक्षा तो अभ्यास के तौर पर थे वह देखना चाहता था कि वह अंतिम परीक्षा में संपूर्ण रूप से उत्तीर्ण हो पता है कि नहीं लेकिन आप उसे पूरा विश्वास हो चुका था वह आत्मविश्वास से भर चुका था वह अपने आप से वादा कर चुका था कि जैसे ही अंतिम परीक्षा उसके जीवन में आएगी वह डंके की चोट पर पूरी तरह से अग्रिम स्थान लेते हुए उत्तीर्ण होकर दिखाएगा।



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मां बेटे दोनों बाजार पहुंच चुके थे। सुगंधा का दिल जोरो से तड़प रहा था क्योंकि आज वह अपने लिए एक नए वस्त्र का चयन करने जा रही थी जिसे केवल वह फिल्मों में ही देखी थी जिसे पहनकर फिल्म की हीरोइन जॉगिंग वगैरा करती थी आज वही वस्त्र वह अपने लिए खरीदने जा रही थी जिसके लिए वह काफी उत्साहित थी क्योंकि ऐसे वस्त्र को पहनकर वह देखना चाहती थी कि वह उन वस्त्रो में कैसी लगती है और उन वस्त्र में वह अपने आपको कैसा महसूस करती है। बाजार में पहुंचकर दोनों एक बड़ी सी दुकान में जाने लगे जिसका चयन खुद अंकित नहीं किया था और जानता था कैसी दुकानों पर इस तरह के वस्त्र बड़े आराम से मिल जाएंगे लेकिन दुकान में प्रवेश करते समय सुगंधा के हाथ पैर सुन्न हो रहे थे। दोनों दुकान में प्रवेश कर चुके थे बड़ी सी दुकान में अलग-अलग काउंटर लगा हुआ था एक तरफ बच्चों के कपड़े तो दूसरी तरफ बड़ों के कपड़े एक तरफ साड़ी का काउंटर लगा हुआ था तो दूसरी तरफ औरतों के अंतरवस्त्र थे,,, जिन पर कुछ पल के लिए सुगंधा की नजर टिक गई थी लेकिन फिर उसे समझ में नहीं आया कि वह जिस तरह कपड़े लेने आई है वह किस काउंटर पर मिलेंगे इसलिए वह अपने बेटे से बोली।




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अंकित मुझे समझ में नहीं आ रहा की कुर्ता पजामा मिलेगा कहां मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है तू ही जाकर पूछ,,,।

तुम चिंता मत करो मैं पूछ कर आता हूं,,,,(और अंकित एक ऐसे काउंटर पर गया जहां पर लेडी खड़ी थी वह इन सबके वस्त्रो के बारे में अच्छी तरह से जानकारी रखनी होगी इसका अंदाजा अंकित को हो गया था,,, सुगंधा दुकान के बीच में खड़ी होकर अपने बेटे को भी देख रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा क्या बोल रहा होगा क्या पूछ रहा होगा तो समझ में नहीं आ रहा है लेकिन थोड़ी देर में वह मुस्कुराता हूं अपनी मां के पास आया और बोला,,,)

चलो उसी काउंटर पर मिल जाएगा,,,,(इतना कहकर मां बेटे दोनों उस काउंटर के पास पहुंच गए,,, सुगंधा की तरफ देखते हैं वह काउंटर वाली लेडी मुस्कुराते हुए बोली)

गुड इवनिंग मैम,,, बताइए मैं आपके लिए किस तरह के वस्त्र दिखा सकती हुं,,,,।(यह बात उसने सुगंधा से बोली थी इसलिए सुगंध पल भर के लिए एकदम से हड़बड़ा गई थी और उसके मुंह से निकला,,,)

ईईई,,, इन्होंने जो बताया ना वही कपड़ा चाहिए,,,,,(सुगंधा के शब्दों में इस तरह के शब्द थे जो औरत बड़ी इज्जत से पेश आने पर बोलती है और ऐसे मर्द के लिए प्रयोग करती है जो उसका बहुत खास हो उसका प्रेमी या पति हो इसलिए सुगंधा के इन शब्दों को सुनकर वह लेडी मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ मुखातिब हुई और बोली,,,)




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बताइए सर आपकी मैडम के लिए किस तरह के कपड़े चाहिए,,,,।
(उस काउंटर वाली लाडी की यह बात सुनते ही सुगंधा एकदम से संन्न रह गई,,, वह शर्म से पानी पानी होने लगी और शर्म के मारे वह अंकित की तरफ देखने लगी अंकित समझ गया था कि उसकी मां क्या सोच रही है इसलिए मुस्कुराने लगा और उस काउंटर वाली लेडी से बोला,,)

इन मैडम को कुर्ता और पैजामा चाहिए ताकि उसे पहनकर वह सुबह अच्छी तरह से जॉगिंग कर सकें,,,।

ओहहह यह बात है मैडम अपने आप को फिट रखने का पूरा कोशिश करती है और इसीलिए तो एकदम फिट भी है,,,, मैं समझ गई मैडम आपको क्या चाहिए,,,,।(और इतना कहकर दूसरी तरफ रखे हुए अलग-अलग कपड़ों के बीच चली गई और सुगंध का पूरा हाल था क्योंकि उसके बेटे ने जिस तरह से इन मैडम को कहा था यह शब्द उसके दिलों दिमाग के साथ साथ उसके दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर दस्तक दे रहे थे यह शब्द बहुत कुछ कह जा रहा था, अपने आप में ही यह दो शब्द एक तरह से किसी भी औरत को अपनापन दिखाने का सबसे अच्छा तरीका है,,,, सुगंधा जो इस समय पूरी तरह से शर्मा से पानी पानी हुए जा रही थी और एक अद्भुत एहसास में डूबती चली जा रही थी इस बात से हैरान भी थी कि उसका बेटा उसे मम्मी कहकर संबोधन क्यों नहीं कर रहा है। और यह काउंटर वाली लेडी भी कुछ और ही समझ रही है,,, यह एहसास होते ही सुगंधा का तन-बदन ऊपर से नीचे तक उत्तेजना से गनगनाने लगा था,,, वह अपने चारों तरफ देख ले रही थी की कहीं कोई पहचान का तो नहीं है लेकिन ऐसा कोई भी शख्स वहां नहीं था जो दोनों को जानता हो,,, सुगंधा बार-बार अपने बेटे की तरफ देख ले रही थी और अंकित खुशी के मारे बहुत प्रसन्न नजर आ रहा था और अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देख रहा था,,,,।
Ankit ki kalpna

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तभी थोड़ी ही देर में,,, वह काउंटर वाली लेडी पांच छ सेट कुर्ता और पजामा का लेकर आई, और सबको काउंटर पर रखते हुए बोली।

देख लीजिए मैडम एक से एक कुर्ता और पैजामा है और इतना मुलायम और मखमली है कि आपके बदन पर बहुत अच्छा लगेगा,,,,, सर आप भी देख लीजिए आपकी मैडम को कौन सा कलर अच्छा लगेगा,,,,।

इन मैडम पर तो कोई भी कलर खूब जंचता है,, बस मैडम को पसंद करने की देरी है।
(अंकित पूरी तरह से मौके का फायदा उठा रहा था और सुगंधा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि पता नहीं काउंटर वाली लेडी उन दोनों के बीच कौन से रिश्ते को देख रही है पति पत्नी का या प्रेमी प्रेमिका का होना हो यह प्रेमी प्रेमिका वाला ही जोड़ा अपने मन में वह सोच रही है इसलिए तो बार-बार मैडम और कर कहके प्रयोग कर रही है। उस काउंटर वाली लाडी की बात सुनकर सुगंधा कुर्ते और पजामे को अपने हाथ में लेकर देखने लगी,,,, जितने भी काउंटर पर रखे हुए थे सब एक से बढ़कर एक थे और उनका कपड़ा इतना मखमल जैसा था कि इसी समय सुगंधा का मन उसे पहनने को कर रहा था वह समझ गई थी कि वाकई में इन कपड़ो में उसके बदन को कितना आराम मिलेगा,,,, काउंटर वरी लेडी बार-बार दोनों की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे अंकित भी मुस्कुरा रहा था लेकिन सुगंधा का हाल बेहाल था वह जल्द से जल्द इस दुकान से बाहर निकल जाना चाहती थी,,, इसलिए एक लाल रंग का कुर्ता और पैजामा बहुत पसंद कर ले और अंकित अपनी मां के द्वारा पसंद किए गए कुर्ते और पजामी को अपने हाथ में ले लिया और कुर्ते को सीधे उसे नापने के लिए उसके गले तक हुआ कपड़ा करके देखने लगा और उसके ऐसा करने पर उसकी उंगलियां उसकी मां की चूचियों और स्पर्श हो गई और चूचियां हल्के से अपने बेटे की उंगली का दबाव महसूस करके दब गई ऐसा लग रहा था जैसे कोई स्पंज स्पर्श हो गया हो इसका एहसास अंकित को भी हुआ था और उसकी मां को भी हुआ था और इस स्पर्श से सुगंधा की बुर में सनसनी से दौड़ने लगी,,,, और इस हरकत को काउंटर वाली लेडी भी देख चुकी थी इसलिए वह मुस्कुराने लगी,,,, और बोली,,,,)



Nupoor or ankit

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बहुत प्यार है आप दोनों में दिखाई देता है,,,।

(काउंटर वाली लेडी के कहने का मतलब कुछ सुगंधा अच्छी तरह से समझ रही थी,,,,, वह जान गई थी कि जो कुछ भी अभी हुआ था वह उस लेडी की नजरों से बच नहीं पाया था,,, इसलिए मैं कुछ बोल नहीं पाई बस उसे काउंटर वाली लेडी को बुरा ना लगे इसलिए मुस्कुरा दी,,,,)

तो आपको यह पसंद है मैडम।

जी जी,,, मुझे यह पसंदहै,,,।

कुछ और लेना चाहेंगी,,,,

नहीं नहीं बस यही चाहिए था,,,।

सर आप कुछ और दिलाना चाहते हैं,,,(अंकित की तरफ देखते हुए वह काउंटर वाली लेडी बोली और जवाब में अंकित फिर मुस्कुराते हुए बोला)

अगर मैडम चाहेंगी तो जरूर और भी कुछ लेना चाहेंगे,,,।

ले लीजिए मैडम सर भी दिलाने के लिएतैयार है,,,।

नहीं नहीं मुझे और कुछ नहीं चाहिए बस यही चाहिए,,,,।





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अगर आप बुरा ना माने तो आपके लिए,,, रुकीए में दिखा देती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ है वह काउंटर वाली लेडी फिर से अंदर कहीं और एक पैकेट लेकर आई और उसे काउंटर पर रखकर खोलने लगी,,,, उसे खोलते ही जो वस्त्र उसमें से बाहर निकाला उसे देखकर सुगंधा के होश उड़ गए और अंकित का भी हाल बुरा हो गया वह एक गांव था जो जाऊंगा तक आता था और आगे से बिल्कुल खुला हुआ था बस एक डोरी थी उसे आपस में बांधने के लिए,,, उसे देखकर अंकित समझ गया था कि इसे पहनने के बाद तो उसकी मां स्वर्ग से होती हुई अप्सरा लगेगी,,,, वैसे तो वस्त्र होते हैं बदन को ढकने के लिए लेकिन यह जो गाउन था वह पूरी तरह से अपने खूबसूरत अंगों को दिखाने के लिए उनकी खूबसूरती बढ़ाने के लिए ही था उसे काउंटर वाली लेडिस से हाथ में लेकर सुगंधा को दिखाते हुए बोली,,,,)


यह देखिए मैडम इसे पहनने के बाद तो आप स्वर्ग से उतरी अप्सरा फिल्म की हीरोइन लगेगी सच में यह आप पर बहुत खूबसूरत लगेगा ले लीजिए सर भी खुश हो जाएंगे,,,,




(उस कपड़े का हाल सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी वह जानते थे कि उसे पहनने के बाद वह वाकई में बहुत खूबसूरत लगेगी लेकिन इस समय वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी,,,, क्योंकि काउंटर वाली लेडी के व्यवहार से इतना तो समझ में आ गया था कि वाकई में वह काउंटर वाली लेडी उन दोनों को मां बेटा ना समझ कर कुछ और ही समझ रही थी इसलिए इस तरह का वस्त्र दिखा रही थी,,, उसे वस्त्र को देखकर कुछ पल के लिए सुगंधा भी कल्पना करने लगी थी कि वाकई में इसे पहनने के बाद वह बेहद खूबसूरत लगेगी और किसी मर्द को आकर पूरी तरह से अपने बस में करना हो तो यह वस्त्र पूरी तरह से कारगर साबित होगा लेकिन इस समय वह पूरी तरह से डर गई थी घबरा गई थी और शर्म से पानी पानी हो गई थी इस तरह का वस्त्र खरीदने में और वह भी अपने बेटे की आंखों के सामने उसे वाकई में शर्म महसूस हो रही थी भले ही वह काउंटर वाली लेडी उन दोनों को किसी और रूप में देख रही हो लेकिन फिर भी वह तो जानती थी ना कि दोनों के बीच कौन सा रिश्ता है अपने ही बेटे के सामने इस तरह का वस्त्र खरीदने में न जाने क्यों उसे ईस समय शर्म महसूस हो रही थी। इसलिए वह बोली,,,)


Ankit ki adbhut kalpna ,,,apni ma k sath

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नहीं नहीं मुझे नहीं चाहिए,,,, रहने दो मैं जो कपड़ा लेने आई थी वह मुझे मिल गया इसके लिए शुक्रिया,,,,।

क्या सर बोलिए ना,,,,(मायूसी से अंकित की तरफ देखते हुए,,,, उस काउंटर वाली लेडी को देखकर अंकित बोला,,,)

ले लो मैडम इतना कह रही हैं तो तुम पर सही में बहुत अच्छा लगेगा,,,,।

नहीं नहीं मुझे नहीं चाहिए बस इतना पैक कर दो,,,,,।

(सुगंधा का मिजाज देखकर वह काउंटर वाली लेडी समझ चुकी थी कि वह इस कपड़े को नहीं खरीदेंगी,,,,, इसलिए वह वापस उस कपड़े को पैक करने लगी लेकिन सुगंधा की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

वैसे भी मैडम इतनी खूबसूरत है कि इस तरह के कपड़े की जरूरत उन्हें है भी नहीं,,,,,।
(काउंटर वाली लाडी की बात सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न होने लगे क्योंकि वाकई में उसे काउंटर वाली लाडी ने सुगंधा की खूबसूरती की तारीफ की थी,,,,, थोड़ी देर में कुर्ता और पैजामा को पैक करके अंकित के हाथ में थमाते हुए वह लेडी बोली,,,)




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जाकर काउंटर पर पैसे चुका दीजिए।

ठीक है और आपकी मदद के लिए धन्यवाद,,,।

वेलकम सर,,, आते रहीएगा मैडम को लेकर,,,

(थोड़ी ही देर में अंकित और उसकी मां काउंटर पर पहुंच कर वहां पर पैसा चुकाने के बाद दोनों दुकान से बाहर निकल गए दुकान के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसे देखते हुए अंकित समझ गया था कि उसकी मां उसे डांटेगी या कुछ ऐसा जरुर बोलेगी,,, लेकिन इससे पहले ही दुकान की सीढ़ियां उतरते हुए अंकित एकदम से बोल पड़ा,,,)


देखी मम्मी आपकी खूबसूरती और बदन की बनावट को देखकर कोई समझ ही नहीं पता कि हम दोनों मां बेटे हैं वह काउंटर वाली लेडी भी हम दोनों को मां बेटा नहीं समझ रही थी।

यह तो मैं खूब अच्छे से समझ रही हूं और तू बहुत मजा ले रहा था ना वहां पर,,,,(आंखों को गोल-गोल घूमाते हुए सुगंधा बोली तो उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए अंकित बोला,,,)

आप कर भी क्या सकते हैं वह लेडी हम दोनों को मां बेटा नहीं समझ रही थी तो मैं भी सोचा कि चलो जब वह हम दोनों को जानती ही नहीं है तो भला उसे बात कर क्या फायदा कि हम दोनों मां बेटे हैं ना कि प्रेमी प्रेमिका,,,,(अंकित जानबूझकर इस शब्द का प्रयोग किया था और इस शब्द को सुनकर सुगंध भी हैरान हो गई थी और उसकी तरफ देखते हुए बोली)

प्रेमी प्रेमिका,,,,



Ankit or uski mummy

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क्यों हम दोनों लगते नहीं है क्या,,,,?(अंकित भी मजा लेते हुए बोला)

बड़ा बेशर्म हो गया है तू,,,,।

नहीं ऐसी बात नहीं है वह तो हम दोनों को कोई जानता नहीं था इसलिए सोचा चलो जैसा वह समझ रही है वैसा ही नाटक किया जाए,,,।

अच्छा जब कोई हम दोनों के रिश्ते के बारे में नहीं समझेगा तो हम दोनों कुछ और बन जाएंगे पति-पत्नी प्रेमी प्रेमिका है ना,,,,(सुगंधा भी एकदम से यह शब्द बोल गई थी लेकिन पति-पत्नी वाली बात पर खुद ही वह शर्म से पानी पानी हो गई और अंकित अपनी मां की बात सुनकर मुस्कुराने लगा था उसकी मुस्कुराहट बहुत कुछ बयां कर रही थी,,, लेकिन यह सब बातें सुगंधा की गर्म जवानी थोड़ा-थोड़ा करके पिघला रही थी जिससे उसकी पेंटि गीली हो रही थी। और उसे बड़े जोरों की पैसाब भी लगी हुई थी लेकिन यहां कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां पर वह बैठकर पेशाब कर सके।

शाम ढलने लगी थी समय भी थोड़ा ज्यादा हो रहा था इसलिएवह बोली,,,।

आज कुछ नाश्ता खरीद लेते हैं घर पर खाना नहीं बनाऊंगी काफी देर हो गई है,,, अंधेरा हो रहा है घर पहुंचते पहुंचते और देर हो जाएगी।

ठीक है कुछ खरीद लो,,,,।

पहले तो मुझे पानी पुरी खाना है,,, तू भी खाएगा,,,,।

नहीं नहीं मैं नहीं खाऊंगा तुम खा लो,,,।

चल तू भी खा लेना,,,,।

नहीं मेरे लिए समोसे और जलेबी ले लेना,,,,।

वह तो लेना ही है लेकिन पहले पानी पुरी तो खा ले,,,,।

नहीं,,,, मुझे नहीं पसंद है जानती हो ना जब मैं खाता हूं तो आंख से पानी गिरने लगता है,,,।





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चल कोई बात नहीं मैं ही खा लेती हूं,,,,।
(, इतना कहकर वह सड़क के किनारे पर लगे पानी पुरी के ठेले पर पहुंच गई पीछे-पीछे अंकित भी वही पहुंच गया और पानी पुरी खाने लगी लेकिन पानी पुरी खाने से पहले वह अपने हाथ से अपने आगे की साड़ी को दोनों टांगों के बीच फंसा कर आगे की तरफ झुक कर पानी पुरी मुंह में डालकर खाने लगी क्योंकि पानी पुरी का पानी साड़ी पर गिरने का डर रहता है इसलिए अपनी साड़ी को बचाने के लिए वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई थी और उसकी इस अदा पर उसके ब्लाउज से झांकते हुए उसके दोनों जवानी एकदम से उजागर हो गई थी,,, आगे से दोनों चुचीया और पीछे से गोलाकार गांड कुल मिलाकर मर्दों को बेहाल कर रहा था,,,। अंकित अपनी मां की छलकती हुई जवान का रस अपनी आंखों से पी रहा था,,, और यह रस शायद आसपास में खड़े दूसरे मर्द भी पी रहे थे क्योंकि बार-बार उन मर्दों की नजर सुगंधा करी जा रही थी और इस बात का एहसास अंकित को भी हो रहा था लेकिन अंकित को अपनी मां की जवानी पर उसकी खूबसूरती पर गर्व महसूस हो रहा था।





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सुगंधा धीरे-धीरे एक-एक करके बड़े चाव से पानी पुरी खा रही थी और उसके स्वाद से निहाल हुए जा रही थी,,,, अंकित अपनी मां की ईस अदा को प्यासी नजरों से देख रहा था और जब पानी पुरी वाले आदमी की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि वह आदमी भी,,, उसकी मां की चूचियों की तरफ ही देख रहा है जब जब वह पानी पुरी सुगंधा की तरफ ले जा रहा था तब तक नजर भरकर उसके ब्लाउज से झांकती हुई उसकी दोनों जवानी को देखकर मन मसोस कर रह जा रहा था। इस बात का एहसास होते ही अंकित अपने मन में सोचने लगा कि वाकई में उसकी मां को चोदने के लिए कितने लोग तैयार है अगर इसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह होती तो शायद अब तक अपनी बुर में न जाने कितने लंड ले ली होती,,,, और इस बात का गर्व भी अंकित को हो रहा था कि अच्छा हुआ उसकी मां दूसरी औरतों की तरह नहीं है जब भी उसे उसकी मां की बुर मिलेगी तो उसके पापा के बाद उसके बुरे में जाने वाला लंड उसकी ही होगा इस बात को सोचकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। तभी पास में दो आदमी खड़े थे जो इंतजार कर रहे थे अपना नंबर आने का और सुगंध की तरफ देख कर आपस में ही बात करते हुए बोले।

यार कितनी मस्त औरत है गांड तो देखो कितनी कसी हुई है ऐसा लग रहा है की साड़ी फाड़ कर बाहर आ जाएगी,,,,।





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गांड तो छोड़ वह तो ढकी हुई है आगे देख दोनों चुचीया छलक रही हैं कसम से मैं अगर पानी पूरी वाला होता तो सिर्फ चूचियों को दबाने का बदले उसे जी भर कर पानी पूरी खिलाता,,,,,(उसके साथ वाला आदमी बोला दोनों की बातें सुनकर अंकित का दिमाग एकदम से सन्न रह गया उन दोनों आपस में बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे सिर्फ अंकित उन दोनों के पास में खड़ा था इसलिए उसे सुनाई दे रहा था बाकी किसी को सुनाई नहीं दे रहा था लेकिन दोनों की बातें उसकी मां के बारे में थी उसकी मां की जवानी देखकर बेहद गंदे ख्यालात उन दोनों के मन में आ रहे थे शायद इस तरह के खलत दूसरे मर्दों को भी आते होंगे जब उसकी मां की जवानी को देखते होंगे इस बात का एहसास अंकित को उत्तेजित कर रहा था,,,, अभी अंकित उन दोनों के बारे में उनकी कही गई बातों के बारे में सोच ही रहा था कि तभी पहले वाला आदमी फिर से उसकी मां के बारे में बोला।)

यार कसम से एक रात के लिए मिल जाए ना तो समझ लो जन्नत का मजा मिल जाए ऐसी औरत का मैं आज तक नहीं देखा,,,।

सच कह रहा है यार तु साली जब कपड़े उतारती होगी तो नंगी होने के बाद तो गजब लगती होगी,,,।





बात तो सही है लेकिन जो लेती होगा उसकी किस्मत कितनी तेज होगी,,, मजा ही मजा देती होगी हम लोग तो सिर्फ सोच कर ही इतना मत हो जा रहे हैं लेने वाला तो बहुत किस्मत वाला होगा।

(गंदे शब्दों में ही सही वह दोनों अंकित की मां की खूबसूरती की और उसकी जवानी की तारीफ ही कर रहे थे इस बात का एहसास अंकित को अच्छी तरह से था,, इस तरह की बातें करने से वह उन दोनों को रोक नहीं सकता था अगर रोकता भी तो क्या कहकर कुछ बताने लायक भी नहीं था सबके बीच में खुद उसका ही मजाक बन जाता और यह सब कुछ चाहता नहीं था लेकिन वह जितना उन दोनों के करीब था इतना तो बताया था कि उन दोनों को भी पता होगा कि बगल वाला लड़का या सब सुन रहा होगा इसलिए वह नहीं चाहता था कि उन दोनों को पता चले की उनके बगल में खड़ा लड़का उस औरत का बेटा है,,, वरना उन दोनों को लगेगा कि बेटा पूरी तरह से निकम्मा है तभी तो यह सब सुनकर भी कुछ बोल नहीं पाया इसलिए वह तुरंत सड़क पार करके दूसरी तरफ आ गया जहां पर लोगों का आने जाना ज्यादा ही था थोड़ी देर में उसकी मां भी पानी पुरी खाकर दूसरी तरफ आ गई और दोनों घर की तरफ जाने लगे।)


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घर पर चलकर मुझे पहन कर दिखाना कैसा लगता है,,,,।

(यह बात सुनते ही सुगंधा को वह पल याद आ गया जब उसका बेटा उसके लिए पेंटि खरीद कर लाया था और उसे पहन कर दिखाने के लिए बोला था और वह दिखाइए भी थी पैंटी पहनने में और दिखने में जो कुछ भी हुआ था उसे सब कुछ अच्छी तरह से याद था इसलिए उन पल को याद करके एक बार फिर से उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी। वह अपने मन में सोचने लगी कि कहीं फिर से कपड़े पहन कर दिखाते समय उसका बेटा ऐसी वैसी हरकत ना करते और यह ख्याल उसके मन में आते ही उसका पूरा बदन गनगनाने लगा।)
 
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