पंडित जी ! आप की यह " अटलांटिस संतति " एक्स फोरम के लाइब्रेरी मे नही , काॅलेज और युनिवर्सिटी के लाइब्रेरी मे होना चाहिए था ।
आप की यह रचना देवकी नंदन बाबु की याद दिलाती है । उन्होने चन्द्रकांता संतति लिखी और आपने 21 वीं सदी मे अटलांटिस संतति लिख डाली ।
ऐसी कहानियाँ बहुत ही विस्तृत होती है । इन्हे अगर पढ़ना हो तो आप कोई दूसरी कहानी नही पढ़ सकते । इसे पढ़ने के लिए एक नोटबुक की आवश्यकता होती है ।
वगैर नोटबुक के आप न ही सभी किरदार के नाम याद रख पाते है और न ही घटनाक्रम के । इस अपडेट मे आपने स्वयं ही 71 सवाल उठाए है और मै दावे से कहता हूं कोई भी रीडर बीस सवाल तक नही ढूँढ सकता ।
और जब रीडर्स बीस सवाल तक नही पुछ सकते तो फिर वो जबाव क्या ही दे सकते हैं !
इस कहानी मे अटलांटिस सभ्यता के साथ साथ भारतीय माइथोलाॅजी का भी सम्मिश्रण हुआ है । सनातनी धर्म के साथ साथ साइंस का भी समावेश हुआ है । चमत्कार और फैंटेसी इस कहानी का अभिन्न भाग है ही ।
यही नही , यह कहानी हजारों वर्ष पूर्व से लेकर वर्तमान के दौर से भी जुड़ी हुई है ।
आसान नही होता ऐसे कहानी पर प्रत्येक अपडेट पर अपनी विस्तृत राय जाहिर करना ।
पंडित जी , हम रीडर्स तो आप के दिखाए गए चमत्कारिक वर्ल्ड की सैर कर रहे हैं । और हां , मजा भी खूब आ रहा है । एक एडल्ट फोरम पर इस तरह की कहानी भी एक चमत्कार से कम नही है । कहानी के अपडेट मे निरन्तरता , अथक परिश्रम और इस कहानी के प्रति समर्पण भाव के लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद ।