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Erotica हलाला के बाद (Completed)

aamirhydkhan

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सायरा को पत्नी रूप में पाकर अनवर बहुत खुश था, माँ ने जब पहली बार बहू को देख कर कहाथा कि चाँद का टुकड़ा है तब अनवर अचानक ही बोल पड़ा था, “माँ यह चाँद का टुकड़ा नहीं,पूरा का पूरा चाँद है और मैं खुशनसीब हूँ जो यह मेरे भाग्य में आया, ऊपर वाले का मैं बहुत हीशुक्रगुजार हूँ कि उसने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी माँ दी और अब दुनिया की सबसे सुंदर पत्नी दी है।”

सायरा और अनवर एक दूसरे को बहुत चाहने लगे थे, अगर कभी सायरा एक दो दिन के लिएमायके चली जाती तो अनवर का घर में मन नहीं लगता था यही हाल सायरा का भी था, जबकभी अनवर को व्यवसाय के सिलसिले में शहर से बाहर जाना पड़ता तब सायरा बुझी बुझी सीरहती और जल्दी से जल्दी अनवर के वापस लौट आने की ऊपर वाले से दुआ मांगती।

शुरू में तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन जब एक माँ और पत्नी का अभिमान आपस में टकरानेलगे तब घर बिगड़ने में देर नहीं लगती। माँ को लगने लगा कि अनवर अब सायरा के कारण मेरीअवहेलना करने लगा है तो सायरा उसको दुश्मन नजर आने लगती। माँ ने बहू के विरुद्ध अनवर केकान भरने शुरू कर दिये, जब किसी झूठ को बार बार दोहराया जाए तो वह भी सच लगनेलगता है। सायरा ने भी एक दो बार माँ के बदले हुए व्यवहार के बारे में अनवर को बतायालेकिन अनवर ने अनसुनी कर दिया।

उस दिन कुछ ज्यादा ही हो गया और सायरा ने अपने मायके जाने का फैसला कर लिया, अनवरने काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी और जाने की जिद पर अड़ी रही। अनवर सायरा सेबेहद प्यार करता था लेकिन उस दिन उसके अंदर का पुरुष उसके ऊपर हावी हो गया और अनवरने आव देखा न ताव और सायरा से दो टूक कह दिया, “अगर सायरा तू जाना चाहती है तो जामैं भी आज से तुझे आज़ाद करता हूँ।” तलाक-3 कह कर सायरा को छोड़ दिया अपना निकाह तोड़ दिया।

सायरा चली गयी लेकिन उसके जाने के बाद अनवर पागल सा हो गया और सायरा को लेने उसकेघर चला गया। सायरा के पिता ने अनवर को समझाया, “बेटा अब सायरा तुम्हारी पत्नी नहींरही, अब तुम दोनों का निकाह टूट चुका है, अब ये तुम्हारे साथ नहीं जा सकती।”

अनवर बोला, “मैं सायरा से दोबारा निकाह करने को तैयार हूँ।” सायरा के पिता ने अनवरको फिर समझाया, “बेटा, इससे दोबारा निकाह करने के लिए सायरा को हलाला करनाहोगा, हलाला मतलब सायरा को किसी दूसरे से निकाह करके उसके साथ कम से कम एक रातउसकी पत्नी के रूप में गुजारनी होगी, उसके बाद सायरा का शौहर जब अपनी मर्जी से इसेतलाक देगा तभी इसके साथ तुम्हारी दोबारा शादी हो सकती है। इसमे अहम है दोनों को पतिपत्नी के रूप में रिश्ता कायम करना, और इसके लिए हर कोई तैयार भी नहीं होता, और यहरिश्ता दोनों की रजामंदी से बनाया जाता है किसी की ज़ोर जबर्दस्ती से नहीं।

दरअसल हलाला की पूरी जानकारी न होने की वजह से लड़के तलाक तो दे देते हैं और फिर बाद मेंपछताते हैं।”

अनवर ने कहा, “अगर मैं अपने किसी जानकार को हलाला के लिए तैयार कर लूँ तो क्या आपरजामंद होंगे?”

सायरा के पिता बोले, “हाँ! अगर कोई विश्वसनीय व्यक्ति हुआ तो अवश्य हम रजामंद होजाएंगे, हमारी बेटी के जीवन का जो सवाल है।”

अनवर वहाँ से वापस आकर सीधा सुहेल के घर गया। सुहेल का घड़ियों का कारोबार था और इसीसिलसिले में उसको स्विट्ज़रलैंड भी जाना पड़ता था। सौभाग्य से सुहेल उस दिन घर पर ही था,अचानक काफी दिनों बाद अपने बचपन के मित्र अनवर को देखकर खुश हो गया एवं बड़ीगर्मजोशी से उसको गले लगा लिया।
घर के अंदर पहुँच कर सुहेल ने अनवर से पूछा, “भाई! सब ठीक है? मुंह क्यो लटका रखा है?” तबअनवर ने अपनी पूरी परेशानी सुहेल के सामने रख दी एवं सायरा के हलाला के लिए सुहेल से विनती की।

सुहेल अभी कुँवारा था, सच पूछो तो व्यवसाय को जमाने में उसे शादी के बारे में सोचने का वक़्तही नहीं मिला। सुहेल बोला, “अनवर भाई! यह सब तो ठीक है परंतु आजकल मेरे रिश्ते भी काफी आ रहे है, हर रोज़ कोई न कोई आकर दरवाजे पर बैठा रहता है, जरा सोच कर देखो अगर मैंने सायरा से निकाह कर लिया तो कोई भी रिश्ते वाला मेरे दरवाजे पर नहीं फटकेगा।”

अनवर ने हाथ जोड़ कर कहा, “सुहेल भाई, तुम मेरे बचपन के दोस्त हो, तुम्हें मेरी सभीअच्छाइयाँ और बुराइयाँ पता है और मेरा भला बुरा भी खूब जानते हो, अब मुझे बस तुम्हारा हीसहारा है और इस निकाह का सिर्फ हम तीनों और काजी को ही पता ओग, आप जल्दी से तलाक दे देना बस आप आजाद हो जाएंगे।”

सुहेल बोला, “भाई इन कार्यों में जल्दी नहीं चलती, वक्त देना पड़ता है अगर तुम्हारा औरसायरा का भला करते करते मुझसे जरा भी चूक हो गयी तो दोज़ख की आग में तो मुझे ही जलनापड़ेगा।”

“ठीक है भाई, तुम समय ले लेना लेकिन एक बार मुझे इस गलती से बाहर निकाल दो।” अनवर हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

सुहेल से सायरा का निकाह हो गया, पहली रात को सुहेल ने सायरा को समझाया, “देखो, तुममेरे पास अनवर की अमानत हो, मैं तुम्हारी मर्जी के बिना तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा फिरभी हम दोनों को एक बार तो रिवाज निभाना ही होगा क्योंकि उसके बिना मैं तुम्हें तलाकभी नहीं दे सकूँगा अतः तुम इस घर में सुकून से रह सकती हो और थोड़ा खुश रहने की कोशिशकरोगी तो आगे का रास्ता और भी आसान हो जाएगा।”

काफी बड़ा घर था जिसमे सुहेल और सायरा के अलावा बस नौकर चाकर ही रहते थे, सुहेल भीज्यादा समय बाहर ही रहता, रात में घर आता, खाना खाकर थोड़ी देर दोनों टहलते फिरअपने अपने कमरे में सोने चले जाते, दोनों अलग अलग कमरों में सोते थे।

सुहेल को कुछ दिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जाना था तो उसने सायरा को बताया, “सायरा मैं कुछदिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, तुम यहाँ अकेली बोर होगी, चाहों तो अपने मायके चलीजाओ या मेरे साथ चलना चाहो तो मेरे साथ चलो स्विट्ज़रलैंड, तुम्हें भी अच्छा लगेगा और मनभी बहल जाएगा।”

सायरा ने एक दिन सोचा और फिर सुहेल के साथ स्विट्ज़रलैंड जाने का निर्णय ले लिया।

सायरा और सुहेल स्विट्ज़रलैंड चले गए, वहाँ की खूबसूरत वादियाँ और मनमोहक नजारे सायरा कोभा रहे थे, सायरा को लगा जैसे वह एक खूबसूरत दुनिया में आ गयी है, अब वह दिल्ली की तंग गलियों को भूल चुकी थी।

स्विट्ज़रलैंड मे सुहेल का अपना एक घर था, वह सायरा को वहाँ छोड़ कर अपने व्यवसाय के लिएचला जाता, जिस दिन कोई काम नहीं होता उस दिन वह सायरा को घुमाने ले जाता।

क्रिसमस पर स्विट्ज़रलैंड में बहुत बर्फबारी होती है, वहाँ की बर्फबारी के सुंदर दृशयों कोदिखाने के लिए सुहेल सायरा को भी ले गया। दुनिया भर से बड़ी संख्या में सैलानी वहाँ कीबर्फबारी देखने व स्कीइंग करने आते हैं, सायरा ने तो यह सब पहली बार देखा था, उसे इन सबको देखकर बड़ा आनंद आ रहा था।

वे दोनों एक बर्फीली चोटी के ढलान पर चढ़ रहे थे, ऊपर से सफ़ेद बर्फ रुई के फ़ाहों की तरहगिर रही थी, सायरा ऊपर से गिरती बर्फ को देखने लगी तो उसका संतुलन बिगड़ गया एवं वहडगमगाकर गिरने लगी तभी सुहेल ने अपनी बाहों के सहारे से सायरा को गिरने से रोक लिया,सायरा बुरी तरह घबरा गयी क्योंकि नीचे गहरी खाई थी और ड़र कर सुहेल से लिपट गयी।

तभी घोषणा होने लगी, “सभी सैलानियों से अनुरोध है कि वे तुरंत ही वापस आ जाए, एकभयंकर बर्फीले तूफान ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है।”

सुहेल वापस चलने ही वाला था कि तूफान में घिर गए और वह बड़ी फुर्ती से सायरा को लगभगखींचते हुए नजदीक वाले होटल में घुस गया।

“सायरा आज हम घर नहीं जा सकेंगे, सारे रास्ते बंद हैं, आज की रात हमे यही ठहरना पड़ेगा,मैं जाकर देखता हूँ और दो कमरे बुक करवा लेता हूँ।”

काफी कोशिशों के बाद भी उस होटल में सुहेल को एक कमरा और वह भी सिंगल मिला। सुहेल नेसायरा को कमरे में सोने के लिए कहा और बताया कि वह बाहर ठहरकर ही रात गुजर लेगालेकिन सायरा इस बात के लिए तैयार नहीं हुई और उसने कठोरता से सुहेल से कहा, “अगर कमरेमें रात गुजारेंगे तो दोनों नहीं तो मैं भी तुम्हारे साथ बाहर ही रहूँगी।”

काफी बहस के बाद दोनों कमरे में सोने चले गए। बर्फ़ीला तूफान बहुत तेज था, बाहर कातापमान ज़ीरो डिग्री से भी नीचे चला गया था लेकिन कमरों का तापमान सामान्य था, अतःलेटते ही दोनों को नींद आ गयी।

नींद में न जाने कब सायरा सुहेल के आगोश में थी, दोनों की गरम साँसे एक दूसरे से टकरा रहींथी, तभी सुहेल ने सायरा को कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया, सायरा को भी अच्छा लगरहा था और उसने भी अपनी नर्म बाहें फैलाकर सुहेल को अपने आगोश में ले लिया। उस रातभयंकर तूफान के बीच फंसी सायरा का हलाला हो गया।

सुबह तूफान थम गया था और सुहेल वापस अपने घर आ गया था, अभी कुछ दिन और सुहेल कोस्विट्ज़रलैंड में ही रहना था, लेकिन उस होटल वाली रात के बाद भी घर पर आकर दोनों अपनेअपने कमरों मे ही सोते थे।

एक दिन सायरा की तबीयत अचानक बिगड़ गयी, सुहेल उसको लेकर डॉक्टर के पास गया।डॉक्टर ने सभी तरह के टेस्ट किए, पूरा चेक अप करने के बाद डॉक्टर ने बताया, “सुहेल सर,एक खुशखबरी है, आप पिता बनने वाले है और सायरा माँ बनने वाली है।”

सुहेल जब सायरा को लेकर वापस दिल्ली आया तो अनवर दौड़ा दौड़ा उससे मिलने आया। अनवरने सुहेल और सायरा के हाल चाल जानने के बाद सुहेल से विनती की, “भाई! अब सायरा केबिना जीना मुश्किल रहा है, तू जल्दी से उसे तलाक दे दे, मैं जल्दी से जल्दी उससे निकाह करकेउसे अपने घर ले जाना चाहता हूँ।”

सुहेल बोला, “भाई अनवर, मैं अब सायरा को तलाक नहीं दे सकता, वह मेरे बच्चे की माँ बननेवाली है।”

अनवर के तो पैरों तले जमीन खिसक गयी और वह सुहेल को तरह तरह की लानत देने लगा यहाँतक कह दिया कि सुहेल तूने दोस्त होकर दगा किया है, मैंने कभी नहीं सोचा थी कि तू मेरेसाथ विश्वासघत करेगा।

सुहेल बोला, “अनवर भाई! मैं, सायरा और मेरा खुदा ही जानता है कि मैंने सायरा को हमेशातेरी अमानत समझ कर रखा और हलाला के सिवा मैंने कभी भी
उसके साथ कुछ नहीं किया लेकिनखुदा को शायद यह मंजूर नहीं था कि हलाला के बाद सायरा तुम्हें मिल जाएगी।”

“भाई तुम मेरी सायरा वापस लौटा दो, मैं तुम्हारे बच्चे को तुम्हें सौंप दूंगा।” अनवर ने गिड़गिड़ा कर कहा।

“तो क्या अब मैं एक माँ को उसके बच्चे से जुदा करने का महापाप भी कर लूँ? नहीं भाई! अब मैंसायरा को किसी भी हालत में तलाक नहीं दे सकता, वह मेरी बीवी है, मैंने उससे निकाहकिया है और उसको लेकर मैं वापस स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, सायरा बच्चे को वहीं जन्म देगी।”

अनवर अब मन मसोस कर रह गया, अपने क्षणिक गुस्से पर पछताने लगा, “क्यो, आखिर क्यों मैंनेबिना सोचे समझे सायरा को तीन तालक देकर घर से निकाल दिया था, मैंने तो सोचा था कि हलाला के बाद सायरा फिर मेरी हो जाएगी लेकिन यह तो कभी नहीं सोचा था कि हलाला केबाद ऐसा भी हो सकता है कि सायरा हमेशा के लिए बेगानी हो जाएगी।”

................COMPLETED....................

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चौदहवे दिन मस्त पंजाबन को चोद कर औलाद दी
सहेली का हलाला अपने शौहर से करवाया

हलाला के बाद
 
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aamirhydkhan

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Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

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Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

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aamirhydkhan

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aamirhydkhan

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नव वर्ष 2023 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

यह नया वर्ष आपको ऐश्वर्य, धन समृद्धि, सौभाग्य प्रदान करे ऐसी कामना करता हूँ।
 
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The Immortal

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सायरा और अनवर एक दूसरे को बहुत चाहने लगे थे, अगर कभी सायरा एक दो दिन के लिएमायके चली जाती तो अनवर का घर में मन नहीं लगता था यही हाल सायरा का भी था, जबकभी अनवर को व्यवसाय के सिलसिले में शहर से बाहर जाना पड़ता तब सायरा बुझी बुझी सीरहती और जल्दी से जल्दी अनवर के वापस लौट आने की ऊपर वाले से दुआ मांगती।

शुरू में तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन जब एक माँ और पत्नी का अभिमान आपस में टकरानेलगे तब घर बिगड़ने में देर नहीं लगती। माँ को लगने लगा कि अनवर अब सायरा के कारण मेरीअवहेलना करने लगा है तो सायरा उसको दुश्मन नजर आने लगती। माँ ने बहू के विरुद्ध अनवर केकान भरने शुरू कर दिये, जब किसी झूठ को बार बार दोहराया जाए तो वह भी सच लगनेलगता है। सायरा ने भी एक दो बार माँ के बदले हुए व्यवहार के बारे में अनवर को बतायालेकिन अनवर ने अनसुनी कर दिया।

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सायरा चली गयी लेकिन उसके जाने के बाद अनवर पागल सा हो गया और सायरा को लेने उसकेघर चला गया। सायरा के पिता ने अनवर को समझाया, “बेटा अब सायरा तुम्हारी पत्नी नहींरही, अब तुम दोनों का निकाह टूट चुका है, अब ये तुम्हारे साथ नहीं जा सकती।”

अनवर बोला, “मैं सायरा से दोबारा निकाह करने को तैयार हूँ।” सायरा के पिता ने अनवरको फिर समझाया, “बेटा, इससे दोबारा निकाह करने के लिए सायरा को हलाला करनाहोगा, हलाला मतलब सायरा को किसी दूसरे से निकाह करके उसके साथ कम से कम एक रातउसकी पत्नी के रूप में गुजारनी होगी, उसके बाद सायरा का शौहर जब अपनी मर्जी से इसेतलाक देगा तभी इसके साथ तुम्हारी दोबारा शादी हो सकती है। इसमे अहम है दोनों को पतिपत्नी के रूप में रिश्ता कायम करना, और इसके लिए हर कोई तैयार भी नहीं होता, और यहरिश्ता दोनों की रजामंदी से बनाया जाता है किसी की ज़ोर जबर्दस्ती से नहीं।

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अनवर वहाँ से वापस आकर सीधा सुहेल के घर गया। सुहेल का घड़ियों का कारोबार था और इसीसिलसिले में उसको स्विट्ज़रलैंड भी जाना पड़ता था। सौभाग्य से सुहेल उस दिन घर पर ही था,अचानक काफी दिनों बाद अपने बचपन के मित्र अनवर को देखकर खुश हो गया एवं बड़ीगर्मजोशी से उसको गले लगा लिया।
घर के अंदर पहुँच कर सुहेल ने अनवर से पूछा, “भाई! सब ठीक है? मुंह क्यो लटका रखा है?” तबअनवर ने अपनी पूरी परेशानी सुहेल के सामने रख दी एवं सायरा के हलाला के लिए सुहेल से विनती की।

सुहेल अभी कुँवारा था, सच पूछो तो व्यवसाय को जमाने में उसे शादी के बारे में सोचने का वक़्तही नहीं मिला। सुहेल बोला, “अनवर भाई! यह सब तो ठीक है परंतु आजकल मेरे रिश्ते भी काफी आ रहे है, हर रोज़ कोई न कोई आकर दरवाजे पर बैठा रहता है, जरा सोच कर देखो अगर मैंने सायरा से निकाह कर लिया तो कोई भी रिश्ते वाला मेरे दरवाजे पर नहीं फटकेगा।”

अनवर ने हाथ जोड़ कर कहा, “सुहेल भाई, तुम मेरे बचपन के दोस्त हो, तुम्हें मेरी सभीअच्छाइयाँ और बुराइयाँ पता है और मेरा भला बुरा भी खूब जानते हो, अब मुझे बस तुम्हारा हीसहारा है और इस निकाह का सिर्फ हम तीनों और काजी को ही पता ओग, आप जल्दी से तलाक दे देना बस आप आजाद हो जाएंगे।”

सुहेल बोला, “भाई इन कार्यों में जल्दी नहीं चलती, वक्त देना पड़ता है अगर तुम्हारा औरसायरा का भला करते करते मुझसे जरा भी चूक हो गयी तो दोज़ख की आग में तो मुझे ही जलनापड़ेगा।”

“ठीक है भाई, तुम समय ले लेना लेकिन एक बार मुझे इस गलती से बाहर निकाल दो।” अनवर हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

सुहेल से सायरा का निकाह हो गया, पहली रात को सुहेल ने सायरा को समझाया, “देखो, तुममेरे पास अनवर की अमानत हो, मैं तुम्हारी मर्जी के बिना तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा फिरभी हम दोनों को एक बार तो रिवाज निभाना ही होगा क्योंकि उसके बिना मैं तुम्हें तलाकभी नहीं दे सकूँगा अतः तुम इस घर में सुकून से रह सकती हो और थोड़ा खुश रहने की कोशिशकरोगी तो आगे का रास्ता और भी आसान हो जाएगा।”

काफी बड़ा घर था जिसमे सुहेल और सायरा के अलावा बस नौकर चाकर ही रहते थे, सुहेल भीज्यादा समय बाहर ही रहता, रात में घर आता, खाना खाकर थोड़ी देर दोनों टहलते फिरअपने अपने कमरे में सोने चले जाते, दोनों अलग अलग कमरों में सोते थे।

सुहेल को कुछ दिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जाना था तो उसने सायरा को बताया, “सायरा मैं कुछदिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, तुम यहाँ अकेली बोर होगी, चाहों तो अपने मायके चलीजाओ या मेरे साथ चलना चाहो तो मेरे साथ चलो स्विट्ज़रलैंड, तुम्हें भी अच्छा लगेगा और मनभी बहल जाएगा।”

सायरा ने एक दिन सोचा और फिर सुहेल के साथ स्विट्ज़रलैंड जाने का निर्णय ले लिया।

सायरा और सुहेल स्विट्ज़रलैंड चले गए, वहाँ की खूबसूरत वादियाँ और मनमोहक नजारे सायरा कोभा रहे थे, सायरा को लगा जैसे वह एक खूबसूरत दुनिया में आ गयी है, अब वह दिल्ली की तंग गलियों को भूल चुकी थी।

स्विट्ज़रलैंड मे सुहेल का अपना एक घर था, वह सायरा को वहाँ छोड़ कर अपने व्यवसाय के लिएचला जाता, जिस दिन कोई काम नहीं होता उस दिन वह सायरा को घुमाने ले जाता।

क्रिसमस पर स्विट्ज़रलैंड में बहुत बर्फबारी होती है, वहाँ की बर्फबारी के सुंदर दृशयों कोदिखाने के लिए सुहेल सायरा को भी ले गया। दुनिया भर से बड़ी संख्या में सैलानी वहाँ कीबर्फबारी देखने व स्कीइंग करने आते हैं, सायरा ने तो यह सब पहली बार देखा था, उसे इन सबको देखकर बड़ा आनंद आ रहा था।

वे दोनों एक बर्फीली चोटी के ढलान पर चढ़ रहे थे, ऊपर से सफ़ेद बर्फ रुई के फ़ाहों की तरहगिर रही थी, सायरा ऊपर से गिरती बर्फ को देखने लगी तो उसका संतुलन बिगड़ गया एवं वहडगमगाकर गिरने लगी तभी सुहेल ने अपनी बाहों के सहारे से सायरा को गिरने से रोक लिया,सायरा बुरी तरह घबरा गयी क्योंकि नीचे गहरी खाई थी और ड़र कर सुहेल से लिपट गयी।

तभी घोषणा होने लगी, “सभी सैलानियों से अनुरोध है कि वे तुरंत ही वापस आ जाए, एकभयंकर बर्फीले तूफान ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है।”

सुहेल वापस चलने ही वाला था कि तूफान में घिर गए और वह बड़ी फुर्ती से सायरा को लगभगखींचते हुए नजदीक वाले होटल में घुस गया।

“सायरा आज हम घर नहीं जा सकेंगे, सारे रास्ते बंद हैं, आज की रात हमे यही ठहरना पड़ेगा,मैं जाकर देखता हूँ और दो कमरे बुक करवा लेता हूँ।”

काफी कोशिशों के बाद भी उस होटल में सुहेल को एक कमरा और वह भी सिंगल मिला। सुहेल नेसायरा को कमरे में सोने के लिए कहा और बताया कि वह बाहर ठहरकर ही रात गुजर लेगालेकिन सायरा इस बात के लिए तैयार नहीं हुई और उसने कठोरता से सुहेल से कहा, “अगर कमरेमें रात गुजारेंगे तो दोनों नहीं तो मैं भी तुम्हारे साथ बाहर ही रहूँगी।”

काफी बहस के बाद दोनों कमरे में सोने चले गए। बर्फ़ीला तूफान बहुत तेज था, बाहर कातापमान ज़ीरो डिग्री से भी नीचे चला गया था लेकिन कमरों का तापमान सामान्य था, अतःलेटते ही दोनों को नींद आ गयी।

नींद में न जाने कब सायरा सुहेल के आगोश में थी, दोनों की गरम साँसे एक दूसरे से टकरा रहींथी, तभी सुहेल ने सायरा को कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया, सायरा को भी अच्छा लगरहा था और उसने भी अपनी नर्म बाहें फैलाकर सुहेल को अपने आगोश में ले लिया। उस रातभयंकर तूफान के बीच फंसी सायरा का हलाला हो गया।

सुबह तूफान थम गया था और सुहेल वापस अपने घर आ गया था, अभी कुछ दिन और सुहेल कोस्विट्ज़रलैंड में ही रहना था, लेकिन उस होटल वाली रात के बाद भी घर पर आकर दोनों अपनेअपने कमरों मे ही सोते थे।

एक दिन सायरा की तबीयत अचानक बिगड़ गयी, सुहेल उसको लेकर डॉक्टर के पास गया।डॉक्टर ने सभी तरह के टेस्ट किए, पूरा चेक अप करने के बाद डॉक्टर ने बताया, “सुहेल सर,एक खुशखबरी है, आप पिता बनने वाले है और सायरा माँ बनने वाली है।”

सुहेल जब सायरा को लेकर वापस दिल्ली आया तो अनवर दौड़ा दौड़ा उससे मिलने आया। अनवरने सुहेल और सायरा के हाल चाल जानने के बाद सुहेल से विनती की, “भाई! अब सायरा केबिना जीना मुश्किल रहा है, तू जल्दी से उसे तलाक दे दे, मैं जल्दी से जल्दी उससे निकाह करकेउसे अपने घर ले जाना चाहता हूँ।”

सुहेल बोला, “भाई अनवर, मैं अब सायरा को तलाक नहीं दे सकता, वह मेरे बच्चे की माँ बननेवाली है।”

अनवर के तो पैरों तले जमीन खिसक गयी और वह सुहेल को तरह तरह की लानत देने लगा यहाँतक कह दिया कि सुहेल तूने दोस्त होकर दगा किया है, मैंने कभी नहीं सोचा थी कि तू मेरेसाथ विश्वासघत करेगा।

सुहेल बोला, “अनवर भाई! मैं, सायरा और मेरा खुदा ही जानता है कि मैंने सायरा को हमेशातेरी अमानत समझ कर रखा और हलाला के सिवा मैंने कभी भी
उसके साथ कुछ नहीं किया लेकिनखुदा को शायद यह मंजूर नहीं था कि हलाला के बाद सायरा तुम्हें मिल जाएगी।”

“भाई तुम मेरी सायरा वापस लौटा दो, मैं तुम्हारे बच्चे को तुम्हें सौंप दूंगा।” अनवर ने गिड़गिड़ा कर कहा।

“तो क्या अब मैं एक माँ को उसके बच्चे से जुदा करने का महापाप भी कर लूँ? नहीं भाई! अब मैंसायरा को किसी भी हालत में तलाक नहीं दे सकता, वह मेरी बीवी है, मैंने उससे निकाहकिया है और उसको लेकर मैं वापस स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, सायरा बच्चे को वहीं जन्म देगी।”

अनवर अब मन मसोस कर रह गया, अपने क्षणिक गुस्से पर पछताने लगा, “क्यो, आखिर क्यों मैंनेबिना सोचे समझे सायरा को तीन तालक देकर घर से निकाल दिया था, मैंने तो सोचा था कि हलाला के बाद सायरा फिर मेरी हो जाएगी लेकिन यह तो कभी नहीं सोचा था कि हलाला केबाद ऐसा भी हो सकता है कि सायरा हमेशा के लिए बेगानी हो जाएगी।”

................COMPLETED....................

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