Ajju Landwalia
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Bahut
Alex zinda to bach gaya lekin, nayi musibat me fans gaya he.......
Vishaka ne dhokhe se apni mani prapt kar li Alex se........
Ab Medusa se kaise bachega Alex......
Keep rocking Bro
Bahut hi romanchak update he Raj_sharma Bro#117.
कालसर्प विषाका: (3 दिन पहले........09 जनवरी 2002, बुधवार, 16:10, मायावन)
जंगल में पक्षियों का कलरव गूंज रहा था। ठण्डी-ठण्डी हवाओं के झोंको से ऐलेक्स की आँख खुल गयी।
ऐलेक्स ने धीरे से उठकर चारो ओर नजर मारी। उसके आसपास कोई भी नहीं था।
तभी उसे याद आया कि किसी इंसान ने हाथों से निकलते हरे रंग के धुंए को सूंघकर वह बेहोश हो गया था।
“कौन था वह आदमी ? उसने मुझे क्यों बेहोश किया...और...और कैप्टेन सहित सारे लोग मुझे बिना साथ लिये क्यों चले गये?”
परंतु थोड़ी देर तक सोचने के बाद भी जब ऐलेक्स को अपने सवालों का जवाब नहीं मिला, तो वह अपने कपड़ों को झाड़कर, अंदाज से ही जंगल में एक ओर बढ़ गया।
अकेले होने की वजह से ऐलेक्स को अब थोड़ा डर लग रहा था। उसके पास ना तो खाने-पीने की कोई चीज थी और ना ही अपने बचाव के लिये कोई हथियार। अब तो बस जंगल का सहारा ही बचा था।
ऐलेक्स अभी कुछ आगे ही बढ़ा था कि तभी उसे एक पेड़ के पास कोई लड़की का साया दिखाई दिया।
ऐलेक्स यह देख तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।
ऐलेक्स ने धीरे से किसी चोर की तरह पेड़ की ओट से झांककर उस साये को देखा।
वह साया अब उजाले में आ गया था। उस साये पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स के होश उड़ गये।
“बाप रे....यह तो मेडूसा है। ग्रीक कहानियों की पात्र, जिसकी आँख में देखते ही इंसान पत्थर का बन जाता है....यह...यह इस जंगल में क्या कर रही है...मुझे तो लगता था कि ग्रीक कहानियों के सभी पात्र झूठे थे...पर ...पर इसे देखने के बाद ....देखने से याद आया मुझे इसकी आँखों में नहीं देखना है, नहीं तो मैं भी पत्थर का बन जाऊंगा।”
ऐलेक्स मन ही मन बड़बड़ाते पूरी तरह से भयभीत हो गया। जब थोड़ी देर तक कुछ नहीं घटा, तो ऐलेक्स ने धीरे से अपनी आँखें खोलकर चारो ओर देखा।
मेडूसा का कहीं भी पता नहीं था। यह देख ऐलेक्स ने राहत की साँस ली।
“लगता है कहीं चली गयी?....पर मैंने तो कहानियों में सुना था कि मेडूसा को पर्सियस ने मार दिया था, फिर ये जिंदा कैसे है?... क्या ये भी किसी मायाजाल का हिस्सा है?.... पर ये उस पेड़ के पास क्या कर रही
थी?”
ऐलेक्स के दिमाग में अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे।
थोड़ी देर तक ऐलेक्स अपनी जगह पर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच वह उस पेड़ की ओर बढ़ा, जिसके पास से उसने मेडूसा को निकलते हुए देखा था।
उस पेड़ के पास पहुंचकर ऐलेक्स ने घूरकर देखा, उसे उस पेड़ में बड़ा सा कोटर दिखाई दिया।
ऐलेक्स ने उस कोटर में झांककर देखा, पर अंदर अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।
कुछ सोच ऐलेक्स धीरे से उस कोटर में दाखिल हो गया। वह कोटर अंदर से काफी बड़ा था, ऐलेक्स उसमें खड़ा भी हो सकता था।
ऐलेक्स धीरे-धीरे टटोलकर आगे की ओर बढ़ने लगा।
कुछ आगे जाने पर उसे काफी दूर एक हल्की सी नीले रंग की रोशनी दिखाई दी। ऐलेक्स उस रोशनी की दिशा में आगे बढ़ने लगा।
एक छोटे से पेड़ में इतनी बड़ी सुरंग के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। थोड़ा आगे बढ़ने पर रास्ता ऊपर की ओर से संकरा होने लगा, यह देख ऐलेक्स अब झुककर चलने लगा।
उस संकरे रास्ते में भी पर्याप्त ऑक्सीजन थी, इसलिये ऐलेक्स को साँस लेने में किसी प्रकार की कोई भी तकलीफ नहीं हो रही थी।
बैठकर चलते-चलते ऐलेक्स, कुछ ही देर में उस रोशनी के स्थान पर पहुंच गया।
वहां पर जमीन में एक 4 फुट व्यास का गड्ढा था, रोशनी उसी गड्ढे से आ रही थी।
ऐलेक्स ने रोशनी के स्रोत का पता लगाने के लिये उस गड्ढे में झांककर देखा। गड्ढे में झांकते ही ऐलेक्स का पैर फिसल गया और वह 20 फुट गहरे उस गड्ढे में गिर पड़ा।
गड्ढे में गिरने के बाद भी ऐलेक्स को चोट नहीं लगी, क्यों कि उसका शरीर किसी गुलगुली चीज पर गिरा था।
वह एक बड़ा सा तहखाना था। तहखाना रोशनी से भरा था,शइसलिये ऐलेक्स को देखने में जरा भी मुश्किल नहीं हुई कि वह किस चीज पर गिरा है? पर उस चीज पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स की धड़कन बिल्कुल रुक सी गयी, वह एक तीन सिर वाला विशालकाय काला सर्प था, जो कि उस तहखाने में सो रहा था।
ऐलेक्स हड़बड़ा कर उस सर्प से दूर हो गया। भला यही था ऐलेक्स के गिरने के बावजूद भी, वह सर्प नींद से नहीं जागा था।
ऐलेक्स ने तुरंत अपने बचने के लिये तहखाने में चारो ओर नजरें डाली, तहखाने में एक भी दरवाजा नहीं था।
ऐलेक्स यह देख और भी डर गया।
“हे भगवान...यह मैं कहां फंस गया? इस तहखाने में तो निकलने का एक मात्र वहीं रास्ता है, जिससे मैं यहां नीचे गिरा था, पर वह तो 20 फुट की ऊंचाई पर है...और इस तहखाने में कोई भी ऐसी चीज नहीं है? जिस पर खड़ा हो कर मैं उतनी ऊंचाई तक पहुंच सकूं....और ऊपर से यह काला साँप?....अगर यह उठ गया तो मुझे मरने से कोई भी नहीं बचा सकता। हे ईश्वर बचाले इस मुसीबत से।”
ऐलेक्स काफी देर तक डरा-डरा तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठा रहा। पर जब काफी देर हो गया तो ऐलेक्स का डर थोड़ा सा कम हुआ।
अब उसने पूरे तहखाने पर नजर मारना शुरु कर दिया। पूरा तहखाना दो भागों में बंटा था।
तहखाने के बीचो बीच एक लाल रंग की रेखा खिंची हुई थी। उस रेखा के एक ओर वह सर्प सो रहा था और दूसरी ओर कुछ सामान रखा था।
ऐलेक्स अब उस समान के पास पहुंचकर उन्हें देखने लगा।
वहां मौजूद सामान में एक बीन थी, एक काँच की बोतल थी, जिसमें सुनहरे रंग का धुंआ भरा था। बीच-बीच में उस धुंए में लाइट स्पार्क हो रही थी।
बोतल को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे बोतल में बादल कैद हैं और उन बादलों में बीच-बीच में बिजली सी चमक रही है।
बोतल के पास एक काँच का पारदर्शी घड़ा रखा था, जिसका मुंह छोटा था और उस काँच के घड़े में एक कंचे के आकार की, नीले रंग की हीरे सी चमचमाती एक मणि रखी थी।
उसी मणि का प्रकाश तहखाने में चारो ओर बिखरा हुआ था।
“क्या मुझे यहां रखे इन सामान को छूना चाहिये?” ऐलेक्स के दिमाग की घंटी बज रही थी- “कहीं ऐसा ना हो कि किसी सामान को छूते ही यह तीन सिर वाला साँप जाग जाये?.. ...नहीं...नहीं मुझे यहां रखी किसी
चीज को भी नहीं छूना।”
ऐलेक्स यह सोच चुपचाप बैठ गया, पर जब 2 घंटे बीत गये तो ऐलेक्स फिर से खड़ा हुआ और उस काँच के मटके में हाथ डालकर उस मणि को निकाल लिया।
ऐलेक्स ने मणि को उलट-पलट कर देखा और फिर से वापस उसी घड़े में रख दिया।
अब ऐलेक्स ने उस काँच की बोतल को उठा कर देखा। उस बोतल के ऊपर एक कार्क का ढक्कन लगा था।
ऐलेक्स ने ढक्कन को खोलने की बहुत कोशिश की, पर वह ढक्कन ऐलेक्स से ना खुला।
आखिरकार ऐलेक्स ने बोतल को रख अब बीन उठा ली। ऐलेक्स उस बीन को कुछ देर तक देखता रहा और फिर उसने बीन को बजाना शुरु कर दिया।
ऐलेक्स के द्वारा बीन के बजाते ही वह तीन मुंह वाला सर्प जाग गया।
यह देख ऐलेक्स ने डरकर बीन को एक ओर फेंक दिया और वापस डरता हुआ तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठकर उस साँप को देखने लगा।
जागते ही उस साँप ने एक जोर की फुंफकार मारी और अपने तीनों सिर से ऐलेक्स को घूरकर देखने लगा।
ऐलेक्स उसे साँप को अपनी ओर देखते पाकर और भी ज्यादा डर गया।
तभी उस साँप का बीच वाला सिर बोल उठा- “तुम कौन हो मानव? क्या तुमने ही मुझे इस नींद से जगाया है?”
साँप को बोलता देख ऐलेक्स की घबराहट थोड़ी सी कम हो गयी।
“म...म....मैं तो उस बीन को देख रहा था...वह तो मुझसे गलती से बज गयी...मेरा तुमको उठाने का कोई इरादा नहीं था।” ऐलेक्स ने घबराते हुए कहा।
“घबराओ नहीं मानव...मैं तुमको कोई हानि नहीं पहुंचाऊंगा।” साँप बोला- “तुमने तो मुझे जगा कर मेरी मदद ही की है।”
“मदद!....कैसी मदद।” ऐलेक्स उस सर्प के शब्द को सुनकर अब थोड़ा बेहतर दिखने लगा।
“मेरा नाम विषाका है, मुझे एक विषकन्या ने हजारों सालों से इस स्थान पर कैद करके रखा है, उस विषकन्या ने मेरी सारी शक्तियों को उस बोतल में बंद कर दिया है और मेरी मणि भी छीनकर उस घड़े में रखी है।
मैं एक अच्छा नाग हूं, मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।” विषाका ने कहा- “हे मनुष्य क्या तुम मेरी मणि को उस घड़े से निकालकर मुझे दे सकते हो ?”
“तुम स्वयं क्यों नहीं ले लेते उस मणि को ?” ऐलेक्स ने शंकित स्वर
में कहा- “अब तो तुम जाग गये हो।”
“मैं अपनी मणि और शक्तियों के बिना इस लाल रेखा को नहीं पार कर सकता।” विषाका ने कहा- “इसी लिये मैं तुमसे उसे देने को कह रहा हूं। मुझे पता है तुम अच्छे इंसान हो, तुम मुझे मणि और वह बोतल अवश्य दोगे।”
“थैंक गॉड कि यह सर्प तहखाने के इस तरफ नहीं आ सकता।” ऐलेक्स ने मन में ही ईश्वर को धन्यवाद किया- “पर पता नहीं यह सर्प सही बोल रहा है या फिर झूठ बोल रहा है?...कहीं ऐसा ना हो कि मैं जैसे ही
इसे यह दोनों वस्तुएं दूं, यह मुझे ही मार दे।”
ऐलेक्स को सोचता देख विषाका ने फिर आग्रह किया- “ज्यादा मत सोचो मानव, मैं कभी झूठ नहीं बोलता, इससे पहले कि वह विषकन्या वापस लौटे, मुझे वह दोनों चीजें दे दो। मैं यहां से आजाद होते ही तुम्हें भी यहां से निकाल दूंगा। अगर वह विषकन्या वापस आयी तो वह तुम्हें पत्थर का बना देगी, फिर तुम कभी भी यहां से निकल नहीं पाओगे।”
ऐलेक्स को वह सर्प सही बोलता दिख रहा था, पर फिर भी जाने क्यों उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी, उस सर्प को दोनों वस्तुएं देने की। ऐलेक्स के लिये यह स्थिति असमंजस से भरी थी।
विषाका बार-बार ऐलेक्स से निवेदन कर रहा था, मगर विषाका समझ गया था कि ऐलेक्स इतनी आसानी से उसे वह दोनों वस्तुंए नहीं देगा।
अचानक विषाका जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। ऐलेक्स यह देख कर डर गया।
“ऐ अच्छे मनुष्य, मेरी मणि मेरे पास ना होने से मेरा दम घुटने लगा है।” विषाका ने तड़पते हुए कहा- “अगर तुमने मुझे मणि नहीं दी तो मैं कुछ ही मिनटों में अपने प्राण त्याग दूंगा। अगर तुम्हें सोचने के लिये और समय चाहिये तो तुम सोचो, पर कम से कम मणि मुझे देकर मेरी जान तो बचालो। वैसे भी मैं बिना बोतल की शक्तियों के इस लाल रेखा को पार नहीं कर सकता और अगर मैं मर गया तो तुम्हारी यहां से निकलने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो जायेगी।”
विषाका की इस बात ने ऐलेक्स पर असर किया। उससे विषाका का यूं तड़पना देखा नहीं गया।
कुछ सोच ऐलेक्स ने काँच के घड़े से मणि को निकाला और विषाका की ओर उछाल दिया।
मणि को अपनी ओर आते देख अचानक विषाका तड़पना छोड़ मणि की ओर झपटा।
विषाका ने मणि को हवा में ही अपने बीच वाले मुंह से पकड़ लिया। अब विषाका सही नजर आने लगा।
“हे मनुष्य, मैं तुम्हारा नाम जानना चाहता हूं।” विषाका ने ऐलेक्स को देखते हुए कहा।
“मेरा नाम ऐलेक्स है।” ऐलेक्स ने जवाब दिया।
यह सुन विषाका जोर से फुफकारा और लाल रेखा को पारकर ऐलेक्स के पास आ गया।
विषाका को लाल रेखा पार करते देख, ऐलेक्स को एक मिनट में ही अपनी भूल का अहसास हो गया।
“तुम्हें पता है कि मैंने तुम्हारा नाम क्यों पूछा ?” विषाका ने अपने तीनों फन को हवा में लहराते हुए कहा- “ताकि मैं पूरे नागलोक को तुम्हारी मूर्खता की कहानी सुना सकूं। मैं उन्हें बताऊंगा कि एक मूर्ख मनुष्य मुझे मिला था, जिसने एक विषधर के नाटक पर विश्वास करके उसकी चमत्कारी मणि वापस कर दी। हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ अरे मूर्ख उस बोतल में तो मेरी शक्तियां हैं ही नहीं। मेरी सारी शक्तियां तो इस मणि में थीं।....अब बताओ तुम्हारा क्या किया जाये?”
विषाका की बात सुनकर ऐलेक्स आशा के विपरीत गुस्सा होते हुए बोला-
“अगर तुम मेरी अच्छाई को मूर्खता का नाम दे रहे हो, तो तुम से बड़ा धोखेबाज तो आज तक मैंने इंसानों में भी नहीं देखा। मुझे गर्व है कि मैं इंसान हूं...तुम मुझे मारना चाहते हो तो मार दो, पर ये याद रखना कि तुम जब भी कभी जिंदगी में मेरे बारे में सोचोगे, तुम्हें बहुत बेचैनी महसूस होगी।”
ऐलेक्स के ऐसे शब्दों को सुन विषाका एक पल को हिल गया, उसे डरे-डरे ऐलेक्स से ऐसी वीरता की उम्मीद नहीं थी।
कुछ सोच विषाका पलटा और उसने अपने दांए फन से वहां रखी बोतल को उठा लिया।
बोतल उठाकर विषाका वापस ऐलेक्स की ओर घूमा- “कुछ भी हो मुझे तुम्हारा यह रुप बहुत अच्छा लगा, इसलिये मैं तुम्हें जीवनदान देता हूं, वैसे भी मेरे जाने के बाद या तो तुम भूख-प्यास से मर जाओगे या फिर विषकन्या तुम्हें मार देगी, तो फिर मैं तुम्हें मारकर इस पाप को अपने सिर क्यों लूं।”
इतना कहकर विषाका अपनी पूंछ पर खड़ा हो कर छत पर लगे उस
छेद से बाहर निकल गया।
विषाका के बाहर निकलते ही तहखाने में पूरी तरह से अंधकार छा गया। अब ऐलेक्स के पास उस तहखाने से बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं बचा था।
जारी रहेगा______![]()
Alex zinda to bach gaya lekin, nayi musibat me fans gaya he.......
Vishaka ne dhokhe se apni mani prapt kar li Alex se........
Ab Medusa se kaise bachega Alex......
Keep rocking Bro
ab baat karte hai site ki to aap befikar rahiye, ye site band nahi hogi ,
Jaha tak baat kare 15 min. Baad verification ki to wo filhaal jarurat hai, taki fir se DDOS attack na ho.
Aur ek kaam kariye, aap kisi bhi thread ka ek extra tab khol ke rakha karo new tab me, jab bhi atake to aap us tab me jakar refresh kar liya karo, aur wapas old thread pe aajao, jo karna chahte ho, ho jayega
And ek aur baat, ye aapke aur hamare dono ke liye ek barabar hi chal rahi hai, balki ek din to aap sabke pas chal raha tha aur mere pas site nahi chal rahi thi
रही बात वेगा की तो वह उसे नहीं मारेंगे।
