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Fantasy समय की ताकत

Rocksanna999

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नोट:- इस कहानी के सभी पात्र एवं घटना क्रम काल्पनिक है जिसका किसी भी व्यक्ति या वस्तु से कोई सम्बन्ध नहीं है यादी हो तो इसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा।।


दिवंगत प्रोफ़ेसर श्री जगन्नाथ स्वामी, इनका देहांत हुए आज पूरे 5 वर्ष हो चुके है। ये एक मशहूर खोज करता हुआ करते थे। इन्होने कई प्राचिन वस्तुओं की खोज की थी जिसके पश्चात अचानक हृदय घात के कारण से इनकी मृत्यु हो गयी।
श्रीमती दीपिका स्वामी ये एक मल्लू औरत है जो प्रोफ़ेसर जगन्नाथ स्वामी जी विधवा पत्नी है इनकी आयु लगभग 45 वर्ष है। इनका भी आगे परिचय दिया जावेगा कहानी के दौरान,
इनकी दो पुत्रियाँ और एक पुत्र है।
पुत्री श्रुति स्वामी आयु 20 वर्ष व दूसरी पुत्री काव्या आयु 20 वर्ष ये दोनो जुड़वा नही है परन्तु इनका जन्म एक हि दिन को एक हि समय पर हुआ था। दोनो एक दूसरे से भिन्न है।
पुत्र रघुनाथ स्वामी इसकी आयु 18 वर्ष है यही कहानी का हीरो भी है और विल्लन भी कैसे वो आगे कहानी से पटा चलेगा।
पिछले 5 वर्ष से दीपिका आपने परिवार का गुजारा कर रही थी अपने पति की मृत्यु पर सरकार द्वारा प्राप्त राशि से परन्तु अब वो राशि भी समाप्त होने को है दीपिका अपने लिए कोई काम ढूंढ रही है वाही इनकी दोनो पुत्रियां अभी इंटर की परीक्षा दी है जिसका परिणाम आना शेष है।
इनका पुत्र रघुनाथ अभी 10 कक्षा का छात्र है जिसका दिमाग अपने पिता की तरह गहन विचार में गुम रहता है पढ़ने में होशियार शरीर से भी बलिष्ठ ईश्वर की असमीम कृपा है इस पर, दीपिका ने कल रघुनाथ को डॉक्टर को दिखाया था क्युकी रघुनाथ उर्फ़ रघु को अचानक से पैलवीस मैं दर्द होना शुरु हो गया था जहाँ डॉक्टर द्वारा उसका सम्पूर्ण निरक्षण किया गया जिस दौरान कुछ असमानताए सामने आयी।
 

Rocksanna999

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कहानी की एक छोटी सी भूमिका
 
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dil_he_dil_main

Royal 🤴
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Congratulations 🎊
 

Rocksanna999

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Rocksanna999

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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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:congrats: for new story
Hawas ka Gulam complete kar dete
 

Rocksanna999

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Rocksanna999

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अपडेट -1
सीधे कहानी के उस भाग पर जाते है जहाँ कहानी के पात्र का चरित्र निर्माण होता है एयर कहानी किसी और हि अगले की और जाने लगती है।
हीरो एक 20 वर्षीय हैंडसम चहरे पर हलकी दाडी, मस्सूम आँखे और और ना स्मोकिंग करता है ना हि कुछ और इसके कॉलेज में सभी इसके मित्रश है चाहे लड़के हो या लड़किया कारण एक हि है की इसका नेचर सबसे दोस्ताना रहा है। लेकिन इसका एक दूसरा चेहरा ओर भी है हीरो के हाथ में एक पुरानी सी घड़ी है जिसके अंदर कई कांटे है जो हीरो को सही समय भी बताती है। अब यहाँ मैंने समय भी बताती है क्यों कहा यही इस कहानी का उद्देश्य है। दरअसल बात ये है की जब अपना हीरो 18 का हुआ तब हीरो के कुछ दोस्त जो की स्कूल टाइम में हुआ करते थे उसके जन्म दिन पर उसे एक तोहफा दिया वो था वर्जिनिटी खोने का, रघु के लिए उसके दोस्तों ने एक रंडी का इंतजाम किया था उसके लिए वो उसे रात को अपने घर रोकना चाहते थे जिसका इजाजत उन्होंने रघु की मम्मी से ले ली उसके बाद दोस्तों ने मिलकर हीरो को एक रंडी पेश की इस कहानी को ज्यादा लम्बा ना करते हुए सिद्धे मुद्दे पर आता हूं ,
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आयशा ना की इस रंडी से इस कहानी की शुरुआत होती है जो ना जाने कहाँ ख़तम होगी।
रघु क्युकी पहली बार चुदाई करने वाला था तो उसे कुछ ज्ञान नहीं था इस लिए उस रंडी ने रघु को सब बताया सब सिखाया लेकिन जब रघु ने उस रंडी की चुदाई करना शुरु किया तो रंडी की हालत खराब हो गयी ये कहानी की नीव यही से शुरु होनी चाहिए शायद। दरअसल् आज की चुदाई के बाद वो रंडी चलने लायक नही रही थी और रघु चल नहीं पा रहा था, रंडी की चूत खुन खच्चर हुयी पड़ी थी इसका कारण ये नही था की रघु के पास बहुत बड़ा लंड है हालाँकि रघु का लड़ 9 इंच का है


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लेकिन फिर भी एक रांड की हालत खराब बड़ा लंड नही बल्कि रघु का स्टेमिना ने खराब कर दिया था। अब चलते है डॉक्टर की रिपोर्ट की तरफ,
डॉक्टर लिसा दत्ता: मैडम इस लड़के मैं कोई कमी नहीं है भगवान ने इसको सब कुछ ज्यादा हि दिया है।
दीपिका: मतलब?
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डॉक्टर: मैडम आपके बेटे को एक बीमारी है जिसको डी ई (डीलेड इजेकुलेशन कहते है ) मतलब इसका जल्दी से नही छूटता।
दीपिका: शर्मसार हो जाति है।
डॉक्टर: मैडम इसे हलके में मत लीजिये एक तो आपके बेटे का लंड मेरा मतलब लिंग भी बड़ा है ऊपर से डी ई बीमारी ये किसी की भी हालत खराब कर सकता है।
यही कारण था की रघु ने चुदाई शुरु की तो मज़ा आने लगा लेकिन खुद को शान्त करने के लिए उसने रंडी की हालत खराब कर दी ।
तो दूसरे दिन रघु का माल नही छूटने के कारण दोनों आंड सूज गये। अब बहन चौ... रघु क्या करे उसे इतना ज्ञान नहीं तो रोने लगा उसका नतीजा अब दीपिका को पता है की उसका बेटा किस बीमारी से ग्रस्त है। लेकिन डॉक्टर ने दीपिका को पहले हि बता दिया था की इस बीमारी का कोई इलाज नही होता बल्कि उम्र के साथ ये खुद बा खुद सही होती जाति है और नहीं भी होती। जब ये सही नही होती तो पुरुष कभी भी काम से मिलने वाले सुख को नहीं भोग पाता ।
 
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