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मैं उन दिनों २० साल की थी और बिंदास अपनी जवानी के दिन गुज़ार रही थी। मेरी सहेली थी नाज़। वह पढ़ने भी बहुत अच्छी थी और खूबसूरत तो वह बेहद थी . कुछ ही दिनों में मालूम हुआ की वह जितनी खूबसूरत हैं उतनी ही ज्यादा चुदक्कड़ भी है बुर चोदी। सबसे पहले उसी ने मेरे हाथ में अपने भाई जान का लण्ड रखा था और बोली रितिका आज से तू मेरी तरह लण्ड का मज़ा लेना शुरू कर दे। मेरे हाथ में लण्ड आया तो मैं सकपका गई थोड़ा घबरा भी गई। मैं पहली बार असली लण्ड देख रही थी वैसे तो मैंने पोर्न में कए लण्ड देखे थे। मुझे लण्ड देकर वो साली बिलकुल नंगी हो गई मेरे आगे। मैं लण्ड का टोपा चाटने लगी तो उसने मुझे भी नंगी कर दिया। मैं उत्तेजित थी तो कुछ बोल नहीं पाई. उसका भाई अपनी बहन यानि नाज़ की बुर चाटने लगा और नाज़ साली मेरी बुर चाटने लगी। मैं भी जवानी के जोश सब कुछ करती जा रही थी। मुझे उसका नंगा भाई बड़ा मज़ा देने लगा।
लण्ड का मज़ा क्या होता है यह मैं पहली बार महसूस कर रही थी। मेरा भी मन लग गया। मैं वहां से हटना नहीं चाहती थी। कुछ देर में उसने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया। मुझे दर्द हुआ मैं चिल्ला पड़ी। लेकिन कुछ देर बाद एक मस्त मज़ा आने लगा। मैं मजे से चुदने लगी। नाज़ मेरी गाँड़ में ऊँगली करने लगी। उसका भाई मुझे जोर शोर से चोदने लगा, बोला नाज़ तेरी दोस्त की बुर एकदम नई ताज़ी है। इसे चोदने में ज़न्नत का मज़ा आ रहा है। वह भी बहुत ज्यादा उत्साहित था। मेरी पहली चुदाई थी तो मैं ज्यादा देर तक ठहर नहीं सकी। वह भी भोसड़ी वाला ज्यादा रुक नहीं पाया और मेरे ऊपर ही झड़ गया।
दो दिन बाद नाज़ ने फोन किया बोली रितिका तुम अभी सीधे मेरे बेड रूम में आ जाओ। मैं पहंच गई। मैंने देखा की वह सोफे पर अपने अब्बू के साथ बैठी है। मुझे अपने सामने बैठा लिया। बातें होने लगीं तो उसने अपना हाथ धीरे से अब्बू की लुंगी में घुसेड़ दिया। मेरे मन में आया की नाज़ साली क्या अपने बाप का लण्ड पकड़ेगी ? मैं उसे गौर से देखने लगी, सच में हुआ वही जो मैं सोंच रही थी। उसने पल भर ने लुंगी निकाल कर फेंक दी और अपने अब्बू का टनटनाता हुआ लण्ड मुझे दिखाती हुई बोली ले बुर चोदी रितिका पकड़ ले मेरे अब्बू का लण्ड ? लण्ड देख कर मैं भी जोश में आ गयी और पकड़ लिया लण्ड। लण्ड पकड़ कर मुझे एहसास हुआ की ये तो इसके बेटे के लण्ड से ज्यादा मोटा है और सख्त। मैं बहुत खुश हुई. बातों बातों में उसने बताया की यार मैं अपने भाई जान और अब्बू जान दोनों से ओपन हूँ और दोनों मुझे मिलकर चोदते हैं। इसी तरह ससुराल में मुझे मेरा शौहर और मेरा ससुर दोनों एक साथ चोदते हैं। मैंने कहा वाओ, तू यहाँ अपने बाप और बेटे से चुदवाती है और वहा भी बाप बेटे से चुदवाती है। तू तो साली बहुत बड़ी कुतिया रंडी है।
फिर उसने मेरे कपड़े दिया और मुझे उसके आगे नंगीं कर दिया। मैं नंगी हुई तो लण्ड साला और तन गया। मैंने फिर लण्ड मुंह में लिया और चूसने लगी। इसके लण्ड का टोपा बड़ा था इसलिए उसे चूसने में ज्यादा मज़ा आने लगा। मुझे हैरानी तब हुई जब वह मादर चोद नंगा नंगा अपनी बिटिया नाज़ की बुर चाटने लगा और नाज़ मेरी बुर चाटने लगीं। हम तीनो के बीच चुदाई का खेल शुरू हो गया। कुछ देर बाद नाज़ ने अपने अब्बू का लण्ड पकड़ कर मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मैं तो चुदने के लिए तैयार थी ही। मुझे उसके मोटे लण्ड ने चोदना शुरू किया तो ज़न्नत का मज़ा आने लगा. नाज़ मेरी चूत में पास अपन मुंह लगाकर बैठ गई। लण्ड बीच बीच में मेरी चूत से निकाल लेती और फिर चाट कर अंदर घुसेड़ देती। मेरे मुंह से निकला आआ होहोहोह और चोदो भोसड़ी वाले फाड़ डालो मेरी बुर साला तू बड़ा हरामी है हाय रे बड़ा मज़ा आ रहा है। तू बहन चोद बड़ा हरामी आदमी है साला अपनी बिटिया की बुर लेता है बेशरम तेरी माँ का भोसड़ा।
चुदाई के टाइम मेरा मुंह बंद नहीं होता या तो मैं सिसकारियां लेती हूँ या फिर खूब ढेर सारी गालियां देती हूँ। वह मुझे लण्ड से चोदता है तो मैं गालियों से उसकी माँ चोदती हूँ। इस तरह नाज़ के अब्बू ने मुझे दो बार चोदा और एक बार मेरे सामने अपनी बेटी की बुर चोदी। मुझे नाज़ के घर में हुई चुदाई आज भी याद है। मैं फिर उसके घर वापस आयी तो दो दिन बाद ही मुझे लण्ड की याद आने लगी। फिर क्या मैं लण्ड के चक्कर में इधर उधर घूमने लगी। मैं लण्ड तलाश कर ही रही थी की मुझे मालूम हुआ की मेरी शादी होने वाली है। फिर क्या ? मैं लण्ड की तलाश में दिन रात जुट गयी। मेरे मन में आया की मैं जितना शादी के पहले नए नए लण्ड से चुद लूंगी उतना अच्छा है क्योंकि शादी के बाद तो फिर एक ही लण्ड से चिपक कर रहना होगा।
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