• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Funny वास्तविकता

383
1,366
139
एक शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं।

दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक युवकों ने टोली बनाई और तय किया कि जहाँ भी मिलेगा हम ऐसे साहित्‍य को छीन लेंगे और उसकी सार्वजनिक जलाएँगे।

उन्‍होंने एक दुकान पर छापा मारकर बीच-पच्‍चीस अश्‍लील पुस्‍तकें अपने क़ब्ज़े में की। प्रत्येक के पास दो या तीन किताबें थीं।

युवकों के मुखिया ने कहा - आज तो देर हो गई है लेकिन कल शाम को अखबार में सूचना देकर परसों किसी सार्वजनिक स्‍थान में इन अश्लील पुस्तकों को जलाएँगे। प्रचार करने से दूसरे लोगों पर भी असर पड़ेगा। कल शाम को सब मेरे घर पर मिलो। इतनी सारी पुस्तकों को इकट्ठी अभी घर नहीं ले जा सकता। बीस-पच्‍चीस हैं। पिताजी और चाचाजी भी घर पर फिलहाल मौजूद हैं। देख लेंगे तो आफत हो जाएगी। ये दो-तीन किताबें तुमलोग प्रत्येक छिपाकर अपने घर ले जाओ। कल शाम को जरूर ले आना।

दूसरे दिन शाम को सब मिले पर किताबें कोई नहीं लाया।

मुखिया ने कहा - किताबें दो तो मैं इस बोरे में छिपाकर रख दूँ। फिर कल जलाने की जगह बोरा ले चलेंगे।

लेकिन किताब कोई भी लाया नहीं था।

एक ने कहा - कल नहीं, परसों जलाना। पढ़ तो लें।

दूसरे ने कहा - अभी हम पढ़ रहे हैं। किताबों को दो-तीन बाद जला देना। अब तो किताबें जब्‍त ही कर लीं।

उस दिन जलाने का कार्यक्रम नहीं बन सका। तीसरे दिन फिर किताबें लेकर मिलने का तय हुआ।

तीसरे दिन भी कोई किताबें नहीं लाया।

एक ने कहा - अरे यार, बाप के हाथ किताबें पड़ गईं। वे पढ़ रहे हैं।

दूसरे ने कहा - अंकल पढ़ लें, तब ले आऊँगा।

तीसरे ने कहा - भाभी उठाकर ले गई। बोली की दो-तीन दिनों में पढ़कर वापस कर दूँगी।

चौथे ने कहा - अरे, पड़ोस की चाची मेरी गैरहाजिर में उठा ले गईं। पढ़ लें तो दो-तीन दिन में जला देंगे।

अश्‍लील पुस्‍तकें कभी नहीं जलाई गईं। वे अब औऱ अधिक व्‍यवस्थित ढंग से पढ़ी जाने लगीं।
🧐🧐🧐
यही हाल वर्तमान में हैं...सभी अश्लीलता का विरोध तो करते हैं मगर अश्लील वीडियो, रील्स और लेखों और कामुक फोटो वालों के उतने ही लाखों और करोड़ों फालोवर्स हैं
 
Last edited by a moderator:

Hell Strom

🦁
6,224
9,646
174
एक शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं।

दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक युवकों ने टोली बनाई और तय किया कि जहाँ भी मिलेगा हम ऐसे साहित्‍य को छीन लेंगे और उसकी सार्वजनिक होलीका जलाएँगे।

उन्‍होंने एक दुकान पर छापा मारकर बीच-पच्‍चीस अश्‍लील पुस्‍तकें अपने क़ब्ज़े में की। प्रत्येक के पास दो या तीन किताबें थीं।

युवकों के मुखिया ने कहा - आज तो देर हो गई है लेकिन कल शाम को अखबार में सूचना देकर परसों किसी सार्वजनिक स्‍थान में इन अश्लील पुस्तकों को जलाएँगे। प्रचार करने से दूसरे लोगों पर भी असर पड़ेगा। कल शाम को सब मेरे घर पर मिलो। इतनी सारी पुस्तकों को इकट्ठी अभी घर नहीं ले जा सकता। बीस-पच्‍चीस हैं। पिताजी और चाचाजी भी घर पर फिलहाल मौजूद हैं। देख लेंगे तो आफत हो जाएगी। ये दो-तीन किताबें तुमलोग प्रत्येक छिपाकर अपने घर ले जाओ। कल शाम को जरूर ले आना।

दूसरे दिन शाम को सब मिले पर किताबें कोई नहीं लाया।

मुखिया ने कहा - किताबें दो तो मैं इस बोरे में छिपाकर रख दूँ। फिर कल जलाने की जगह बोरा ले चलेंगे।

लेकिन किताब कोई भी लाया नहीं था।

एक ने कहा - कल नहीं, परसों जलाना। पढ़ तो लें।

दूसरे ने कहा - अभी हम पढ़ रहे हैं। किताबों को दो-तीन बाद जला देना। अब तो किताबें जब्‍त ही कर लीं।

उस दिन जलाने का कार्यक्रम नहीं बन सका। तीसरे दिन फिर किताबें लेकर मिलने का तय हुआ।

तीसरे दिन भी कोई किताबें नहीं लाया।

एक ने कहा - अरे यार, बाप के हाथ किताबें पड़ गईं। वे पढ़ रहे हैं।

दूसरे ने कहा - अंकल पढ़ लें, तब ले आऊँगा।

तीसरे ने कहा - भाभी उठाकर ले गई। बोली की दो-तीन दिनों में पढ़कर वापस कर दूँगी।

चौथे ने कहा - अरे, पड़ोस की चाची मेरी गैरहाजिर में उठा ले गईं। पढ़ लें तो दो-तीन दिन में जला देंगे।

अश्‍लील पुस्‍तकें कभी नहीं जलाई गईं। वे अब औऱ अधिक व्‍यवस्थित ढंग से पढ़ी जाने लगीं।
🧐🧐🧐
यही हाल वर्तमान में हैं...सभी अश्लीलता का विरोध तो करते हैं मगर अश्लील वीडियो, रील्स और लेखों और कामुक फोटो वालों के उतने ही लाखों और करोड़ों फालोवर्स हैं
झूठी मानवता इस तरह आवाम
पर काम करती है,

पहले आंखें फोड देती है फिर
चशमें दान करती है।
 

Aakash.

sᴡᴇᴇᴛ ᴀs ғᴜᴄᴋ
Staff member
Sr. Moderator
46,084
160,880
304
एक शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं।

दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक युवकों ने टोली बनाई और तय किया कि जहाँ भी मिलेगा हम ऐसे साहित्‍य को छीन लेंगे और उसकी सार्वजनिक होलीका जलाएँगे।

उन्‍होंने एक दुकान पर छापा मारकर बीच-पच्‍चीस अश्‍लील पुस्‍तकें अपने क़ब्ज़े में की। प्रत्येक के पास दो या तीन किताबें थीं।

युवकों के मुखिया ने कहा - आज तो देर हो गई है लेकिन कल शाम को अखबार में सूचना देकर परसों किसी सार्वजनिक स्‍थान में इन अश्लील पुस्तकों को जलाएँगे। प्रचार करने से दूसरे लोगों पर भी असर पड़ेगा। कल शाम को सब मेरे घर पर मिलो। इतनी सारी पुस्तकों को इकट्ठी अभी घर नहीं ले जा सकता। बीस-पच्‍चीस हैं। पिताजी और चाचाजी भी घर पर फिलहाल मौजूद हैं। देख लेंगे तो आफत हो जाएगी। ये दो-तीन किताबें तुमलोग प्रत्येक छिपाकर अपने घर ले जाओ। कल शाम को जरूर ले आना।

दूसरे दिन शाम को सब मिले पर किताबें कोई नहीं लाया।

मुखिया ने कहा - किताबें दो तो मैं इस बोरे में छिपाकर रख दूँ। फिर कल जलाने की जगह बोरा ले चलेंगे।

लेकिन किताब कोई भी लाया नहीं था।

एक ने कहा - कल नहीं, परसों जलाना। पढ़ तो लें।

दूसरे ने कहा - अभी हम पढ़ रहे हैं। किताबों को दो-तीन बाद जला देना। अब तो किताबें जब्‍त ही कर लीं।

उस दिन जलाने का कार्यक्रम नहीं बन सका। तीसरे दिन फिर किताबें लेकर मिलने का तय हुआ।

तीसरे दिन भी कोई किताबें नहीं लाया।

एक ने कहा - अरे यार, बाप के हाथ किताबें पड़ गईं। वे पढ़ रहे हैं।

दूसरे ने कहा - अंकल पढ़ लें, तब ले आऊँगा।

तीसरे ने कहा - भाभी उठाकर ले गई। बोली की दो-तीन दिनों में पढ़कर वापस कर दूँगी।

चौथे ने कहा - अरे, पड़ोस की चाची मेरी गैरहाजिर में उठा ले गईं। पढ़ लें तो दो-तीन दिन में जला देंगे।

अश्‍लील पुस्‍तकें कभी नहीं जलाई गईं। वे अब औऱ अधिक व्‍यवस्थित ढंग से पढ़ी जाने लगीं।
🧐🧐🧐
यही हाल वर्तमान में हैं...सभी अश्लीलता का विरोध तो करते हैं मगर अश्लील वीडियो, रील्स और लेखों और कामुक फोटो वालों के उतने ही लाखों और करोड़ों फालोवर्स हैं
Anjum :butt:wake up to reality :evillaugh:
 
Last edited:

Elon Musk_

Let that sink in!
Supreme
53,054
31,057
354
एक शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं।

दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक युवकों ने टोली बनाई और तय किया कि जहाँ भी मिलेगा हम ऐसे साहित्‍य को छीन लेंगे और उसकी सार्वजनिक जलाएँगे।

उन्‍होंने एक दुकान पर छापा मारकर बीच-पच्‍चीस अश्‍लील पुस्‍तकें अपने क़ब्ज़े में की। प्रत्येक के पास दो या तीन किताबें थीं।

युवकों के मुखिया ने कहा - आज तो देर हो गई है लेकिन कल शाम को अखबार में सूचना देकर परसों किसी सार्वजनिक स्‍थान में इन अश्लील पुस्तकों को जलाएँगे। प्रचार करने से दूसरे लोगों पर भी असर पड़ेगा। कल शाम को सब मेरे घर पर मिलो। इतनी सारी पुस्तकों को इकट्ठी अभी घर नहीं ले जा सकता। बीस-पच्‍चीस हैं। पिताजी और चाचाजी भी घर पर फिलहाल मौजूद हैं। देख लेंगे तो आफत हो जाएगी। ये दो-तीन किताबें तुमलोग प्रत्येक छिपाकर अपने घर ले जाओ। कल शाम को जरूर ले आना।

दूसरे दिन शाम को सब मिले पर किताबें कोई नहीं लाया।

मुखिया ने कहा - किताबें दो तो मैं इस बोरे में छिपाकर रख दूँ। फिर कल जलाने की जगह बोरा ले चलेंगे।

लेकिन किताब कोई भी लाया नहीं था।

एक ने कहा - कल नहीं, परसों जलाना। पढ़ तो लें।

दूसरे ने कहा - अभी हम पढ़ रहे हैं। किताबों को दो-तीन बाद जला देना। अब तो किताबें जब्‍त ही कर लीं।

उस दिन जलाने का कार्यक्रम नहीं बन सका। तीसरे दिन फिर किताबें लेकर मिलने का तय हुआ।

तीसरे दिन भी कोई किताबें नहीं लाया।

एक ने कहा - अरे यार, बाप के हाथ किताबें पड़ गईं। वे पढ़ रहे हैं।

दूसरे ने कहा - अंकल पढ़ लें, तब ले आऊँगा।

तीसरे ने कहा - भाभी उठाकर ले गई। बोली की दो-तीन दिनों में पढ़कर वापस कर दूँगी।

चौथे ने कहा - अरे, पड़ोस की चाची मेरी गैरहाजिर में उठा ले गईं। पढ़ लें तो दो-तीन दिन में जला देंगे।

अश्‍लील पुस्‍तकें कभी नहीं जलाई गईं। वे अब औऱ अधिक व्‍यवस्थित ढंग से पढ़ी जाने लगीं।
🧐🧐🧐
यही हाल वर्तमान में हैं...सभी अश्लीलता का विरोध तो करते हैं मगर अश्लील वीडियो, रील्स और लेखों और कामुक फोटो वालों के उतने ही लाखों और करोड़ों फालोवर्स हैं

:kiss2:
 

Agasthya

𝕿𝖍𝖊 𝕯𝖊𝖛𝖎𝖑 𝖄𝖔𝖚 𝕯𝖔𝖓’𝖙 𝕶𝖓𝖔𝖜..
Staff member
Moderator
38,645
19,142
274
एक शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं।

दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक युवकों ने टोली बनाई और तय किया कि जहाँ भी मिलेगा हम ऐसे साहित्‍य को छीन लेंगे और उसकी सार्वजनिक जलाएँगे।

उन्‍होंने एक दुकान पर छापा मारकर बीच-पच्‍चीस अश्‍लील पुस्‍तकें अपने क़ब्ज़े में की। प्रत्येक के पास दो या तीन किताबें थीं।

युवकों के मुखिया ने कहा - आज तो देर हो गई है लेकिन कल शाम को अखबार में सूचना देकर परसों किसी सार्वजनिक स्‍थान में इन अश्लील पुस्तकों को जलाएँगे। प्रचार करने से दूसरे लोगों पर भी असर पड़ेगा। कल शाम को सब मेरे घर पर मिलो। इतनी सारी पुस्तकों को इकट्ठी अभी घर नहीं ले जा सकता। बीस-पच्‍चीस हैं। पिताजी और चाचाजी भी घर पर फिलहाल मौजूद हैं। देख लेंगे तो आफत हो जाएगी। ये दो-तीन किताबें तुमलोग प्रत्येक छिपाकर अपने घर ले जाओ। कल शाम को जरूर ले आना।

दूसरे दिन शाम को सब मिले पर किताबें कोई नहीं लाया।

मुखिया ने कहा - किताबें दो तो मैं इस बोरे में छिपाकर रख दूँ। फिर कल जलाने की जगह बोरा ले चलेंगे।

लेकिन किताब कोई भी लाया नहीं था।

एक ने कहा - कल नहीं, परसों जलाना। पढ़ तो लें।

दूसरे ने कहा - अभी हम पढ़ रहे हैं। किताबों को दो-तीन बाद जला देना। अब तो किताबें जब्‍त ही कर लीं।

उस दिन जलाने का कार्यक्रम नहीं बन सका। तीसरे दिन फिर किताबें लेकर मिलने का तय हुआ।

तीसरे दिन भी कोई किताबें नहीं लाया।

एक ने कहा - अरे यार, बाप के हाथ किताबें पड़ गईं। वे पढ़ रहे हैं।

दूसरे ने कहा - अंकल पढ़ लें, तब ले आऊँगा।

तीसरे ने कहा - भाभी उठाकर ले गई। बोली की दो-तीन दिनों में पढ़कर वापस कर दूँगी।

चौथे ने कहा - अरे, पड़ोस की चाची मेरी गैरहाजिर में उठा ले गईं। पढ़ लें तो दो-तीन दिन में जला देंगे।

अश्‍लील पुस्‍तकें कभी नहीं जलाई गईं। वे अब औऱ अधिक व्‍यवस्थित ढंग से पढ़ी जाने लगीं।
🧐🧐🧐
यही हाल वर्तमान में हैं...सभी अश्लीलता का विरोध तो करते हैं मगर अश्लील वीडियो, रील्स और लेखों और कामुक फोटो वालों के उतने ही लाखों और करोड़ों फालोवर्स हैं
:Doggo:
 
  • Like
Reactions: अंजुम

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
Staff member
Sr. Moderator
25,807
24,847
274
Mutth Man :wave:
 
Top