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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २५४

दोनो मां बेटी बाते करती रही.. तबतक सहेरमे लखन भी सबको लेकर घरपे आगया.. तो पुनम जटसे कारसे उतर गइ.. ओर अंदरकी ओर दोड पडी जीसे देखकर तीनो हसने लगे.. दयाभी तीनोके कपडेकी बेग लेकर उतर गइ.. तो भावना भी अपनी बच्चीको गोदमे लेकर उतर गइ..

लखन उतरके कारको लोक करके भावनाके पास आ गया.. ओर बच्चीको अपनी गोदमे लेलीया.. बच्चीको लेते लखनने धीरेसे भावनाके बुब्स दबा दीया.. तो भावना बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर कामुक नजरोसे मुस्कुराते लखनको जुठे गुस्सेसे मुका मार दीया.. फीर तीनो घरके अंदर जाने लगे.. तभी.... अब आगे

भावना : (हसते) दया बहेन.. देखा आपने..? अपने ससुराल जानेके लीये कीतनी उतावली हो रही हे..

लखन : (भावनासे बच्चीको लेते) अ‍े हेलो.. ये आप दोनोका भी ससुराल हे.. मत भुलो ये भाइका ही घर हे.. समजी..?

भावना : (हसते लखनकी पीठमे मुका मारते धीरेसे) आप तो चुप ही रहो.. पता हे हमे.. सेतान कहीके.. कीसीने देख लीया होता तो..? अकेले मीलो.. आपकी तो बादमे खबर लेती हु..

लखन : (मुस्कुराते कानमे) मे अकेलेमे मीलनेका इन्तजार करुगा..

भावना : (सर्मसार होते पीठमे मुका मारते) अब अब अंदर चलीये.. (बंगलेकी ओर देखते) देवरजी.. हमारा बंगलोतो बहुत मस्त हे.. अंदरसे भी दीखानां.. मेतो यहा पहेली बार आइ हु..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. अंदर तो चलो.. सब दीखाउगा.. बडासा होल कीचनके अलावा छे छे कमरे हे.. दो नीचे चार उपर..

भावना : (कामुक मुस्कानसे) लगता हे यहा तो आपकी बले बले हे.. चलीये..

अंदरकी ओर सृती ओर रजीया खाना खाकर होलमे ही सोफेपे लेटकर बाते कर रही थी.. तभी रजीयाने कारकी आवाज सुनी तो वो जटसे बैठ गइ ओर बार देखने जाने लगी.. तो सृती भी सोफेपे सही होकर बैठ गइ.. तभी अंदर पुनम दोडके आगइ.. तो सृतीने देख लीया.. ओर वो खुस होते वोकरके सहारे खडी होगइ.. तो पुनम उनको देखते ही दोडकर गले लगा लीया.. तो सृतीने भी कसके बाहोमे भीच लीया.. ओर रोने लगी..

पुनम : (कंधेपे सर रखते खुसीके मारे) दीदी.. मे आगइ.. अरे.. अरे.. रोइअ‍े मत.. कैसी हो आप..?

सृती : (खुसीसे आख गीली करते) दीदी.. मस्त.. अ‍ेकदम मजेमे.. बस.. आपको देखा तो खुसीसे आंसु आगये.. आप कहो.. कैसी हे आप..? अकेली आइहो..?

पुनम : (अलग होते दोनो हाथ थामते हसते) नही.. भावनादी ओर दयादीदी भी आइ हे.. आती ही होगी..

तभी भावना दया ओर लखन भी आजाते हे.. तो रजीया दयाको देखते ही खुसीसे उनके गले लग गइ.. फीर भावनाको भी गले मीली.. ओर अंदर आते दोनो सृतीके गले लग गइ.. फीर सब लोग सोफेपे बैठ गये.. तो लखन बच्चीको लेकर सृती ओर पुनमके बीच बैठ गया तो दोनो सर्मसार होगइ.. ओर मुस्कुराने लगी.. लखन बच्चीके साथ खेलने लगा.. तो भावना ओर दया हसने लगी..

भावना : (हसते) देवरजी.. अभीसे बच्चेको सम्हालनेकी प्रैक्टीस करलो.. आपको काम आयेगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) भावुदीदी.. मत छेडो इनको.. देखना कही पछताना ना पडे.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) रजु.. तुम चाइ नास्ता बनालो.. तबतक हम सब फ्रेस होजाते हे.. फीर चाइ नास्ता करके हम सब नीकलते हे.. मम्मीने कहा हे.. आज जीतनी खरीदी हो सके करलो.. हम सब जा रहे हे..

सृती : (मुस्कुराते) भैया.. मे इस हालतमे कहा चलुगी.. आप सबलोग चले जााइअ‍े.. मे भावनादी की बच्चीको रखती हु..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. आप कारमे बैठी रहेना.. ओर वहा बच्चीको सम्हालना.. हम आपके बीना नही जायेगे.. क्युकी मम्मीने कहा हे.. आपके लीये भी कुछ लेना हे.. चलीये.. आप भी कंपलीट होजाइअ‍े.. क्या कपडे उपर हे..?

लखन : (पुनमको बच्ची देते) दीदी सम्हालीये इसे मे सृती दीदीको उपर लेजाता हु.. आप भी सब चलीये.. घर भी देख लीजीये ओर कंपलीट भी होजाइअ‍े.. तबतक रजु चाइ नास्ता बना लेगी..

दया : (मुस्कुराते) अरे वो अकेली सब कहा बनायेगी.. मे उनकी मदद करती हुनां.. फीर हम दोनो भी तैयार होजायेगे.. चल रजु.. कीतने दिनोके बाद मीली हे..

तभी लखन सृतीको अपनी गोदमे उठालेता हे.. तो सृती दोनो हाथ लखनके गलेमे डाल देती हे.. ओर सरमाके हसने लगती हे.. तो भावना बच्चीको ओर पुनम बेग लेकर हसते हुअ‍े उनके पीछे चली जाती हे.. रजीया ओर दया कीचनमे चाइ नास्ता बनाने चली जाती हे.. उपर जाकर लखन सृतीको सीधा बाथरुममे छोडके आजाता हे.. ओर सृती वाले रुममे फ्रेस होने चला जाता हे.. तभी..
 

dilavar

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भावना : (हसते) दीदी.. लखन भैयातो सृतीदीकी बडी सेवा कर रहे हे..

पुनम : (हसते धीरेसे कानमे) दीदी.. सेवा तो करते हे.. लेकीन रातमे वसुल भी करलेते हे.. हें..हें..हें..

भावना : (खुसीसे सोक्ट होते हसते धीरेसे) व्होट..? वसुल कर लेते हे..? मतलब..? आइ मीन.. दोनो रीलेशनमे..? कबसे..?

पुनम : (सरमाते धीरेसे) वैसे तो दोनो दश बाराह दीनसे रीलेशनमे आगये हे.. लेकीन दोनो पीछले तीन दिनसे मील रहे हे.. अब ये मेरी सौतन होने वाली हे.. तो जरा सम्हालके..

भावना : (हसते धीरेसे) दीदी.. लेकीन लखन भैयातो इनको भी दीदी.. दीदी.. कहेकर बुलाते हे..

पुनम : (हसते कानमे धीरेसे) दीदी.. लखन भैया हेना बहुत कमीने हे.. उनको अपनी बीवीसे ज्यादा बहेनको ठोकनेमे मजा आता हे.. बीलकुल हमारे बापुपे गये हे.. बडे भैया भी अ‍ैसे ही हे.. देखना उनकी अ‍ेक भी बहेन नही बचेगी.. कमीसी सब इनके पीछे पागल होजायेगी..

सृती : (बाथरुमसे थोडा जोरोसे) दीदी.. लखन भैया यहा हे क्या..? आइ अ‍ेम रेडी..

पुनम : (अंदर जाते) नही दी.. वो फ्रेस होने गये हे.. चलीये मे आपकी मदद करती हु.. चल सकोगी क्या..?

सृती : (मुस्कुराते कंधा पकडकर) हां.. बस थोडा सहारा दीजीये.. अब डोक्टरने भी थोडा थोडा चलनेको कहा हे.. तो मे वोकर लेकर चलती हु.. चलीये.. मेरे कपडे भी वहा हे..

लखन : (अंदर आते) दीदी.. ये लीजीये आपके कपडे.. आज ये पहेनीये.. मस्त लगोगी..

भावना : (जोरोसे हसते) अरे वाह.. ये भी आपको पता हे..? दीदीकी तो बडी सेवा हो रही हे..?

लखन : (हसते) भाभी.. कहोतो आपकी भी सेवा करदु..

भावना : (सृतीकी ओर देखते जोरोसे हसते) अरे ना बाबा नां.. मुजे पता हे आपकी सेवाके बारेमे.. हें..हें..हें.. मुजे नही करवानी सेवा आपसे.. अपनी बीवीओकी सेवा ही करीये..

पुनम : (सरमाते हसते) क्या दी आपभी.. मे तो हमेसा भाइके चोइसके कपडे ही पहेनती हु.. जब हम दोनो स्कुलमे पढते थे.. लाइअ‍े बच्चीको.. आप फ्रेस होजाइअ‍े..

कहा तो भावना बच्ची पुनमको देकर लखनकी ओर कातील स्माइल करते अंदर चली गइ.. लखन भी अपने कपडे लेकर वापस सृतीके रुममे चला गया.. तो पुनमने दरवाजा बंध करदीया ओर सृतीको कपडे पहेनानेमे हेल्प करने लगी.. फीर वो भी फ्रेस होकर कंपलीट होगइ.. सबलोग तैयार होगये तो लखन सृतीको वापस गोदमे उठाकर नीचे आगया ओर सृतीको सीधा डाइनींगपे बीठा दीया..

दया : (चाइ नास्ता बहार लाते) चलो चलो सबलोग आजाओ.. चाइ नास्ता रेडी हे.. फीर हमे भी तैयार होना हे..

पुनम : दीदी.. लाइअ‍े मे नीकालती हु.. आप दोनो भी बैठ जाइअ‍े.. फीर तैयार होजाना..

फीर सबलोग चाइ नास्ता कर लेते हे पुनम ओर भावना कीचनका काम देखती हे.. ओर दया रजीया तैयार होजाती हे.. लखन सबको लेकर घरको ताला लगाकर मार्केट चला जाता हे.. वहा अ‍ेक बडे मोलमे कारको पार्किंग कर देता हे.. तो लखन वहा सृतीको गोदमे उठाकर चलने लगता हे.. तो सृती बहुत ही सर्मसार होने लगी.. ओर कारमे बेठनेकी जीद करने लगी.. लेकीन लखनने उनकी अ‍ेक नही सुनी..
 

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पुनम : (हसते) दीदी.. चलीयेना.. आपकी भी खरीदी होजायेगी.. आपको सीर्फ बैठना ही तो हे.. बाकी आपकी सब खरीदी मे ओर भाइ कर लेगे..

फीर सबलोग अ‍ेक बडी शोपमे चले जाते हे.. वहा लखन सृतीको अ‍ेक चेरपे बीठा देता हे.. ओर सब लोग सारीया देखने लगते हे.. सबसे पहेले सब पुनमके लीये सीलेक्ट करते हे.. लखनने पुनमका अ‍ेक सादीका जोडा सीलेक्ट कीया जो सबको पसंद आ गया.. फीर सबके लीये सारीया ओर ओर कुछ ड्रेसीस लीये.. ओर सृती के लीये भी कपडे लीये.. जीसे लखनकी चोइस देखकर सृती बहुत खुस होने लगी..

सृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. आपने मेरे लीये मस्त साडी ली हे.. बीलकुल सादीके जोडे जैसी हे..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. देखती जाइअ‍े.. मेरे सब कपडे भाइ ही लाते थे.. ओर अभी भी ले रहे हे..

फीर लखन दया रजीया ओर भावनाके लीये भी सारी ओर ड्रेसीस लेता हे.. ओर भावेश ओर भावनाकी बच्चीके लीये लेता हे.. ओर मंजु चंदा सब लोगके लीये कुछना कुछ ले लेता हे.. फीर रजीया दयाको अपने लीये ओर नीलमके लीये सारी ओर ड्रेस देखनेको कहेकर लखन बच्चीको सृतीके हाथोमे थमाकर पुनम ओर भावनाको लेकर बहार चला जाता हे..

तो आज भावना भी बहुत खुस होगइ.. बहार नीकलते ही लखन पुनमका हाथ थाम लेता हे.. तो पुनमभी बीन्दास्त लखनका हाथ पकड लेती हे जैसे दोनो प्रेमी हो.. दोनोको अ‍ैसे देखते भावना हसने लगी.. ओर वो जटसे चलते लखनकी दुसरी साइड आकर लखनके साथ उनसे सटकर चलने लगी.. जीसे देखकर पुनम भी भावनाकी ओर देखते हसने लगती हे.. लखन दोनोको लेकर चुपकेसे अ‍ेक ज्वेलेरी शोपमे चला जाता हे..

पुनम : (समरमाते धीरेसे) भाइ.. ये भी आपकी चोइसका लुगी.. मम्मीने कहा हे सृतीदीदीके लीये भी लेना हे.. ओर दो पीस ओर लेना हे.. लता ओर वंदुके लीये..

लखन : (हसते) दीदी.. पता हे मुजे.. मम्मी मुजे भी बोलकर गइ हे.. तभी तो तुम दोनोको लेकर आया हु..

भावना : (मुस्कुराते) दीदी.. बताइेअ‍ेतो सही.. यहा हम क्या लेने आये हे..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. मंगलसुत्र.. पुनोदी ओर सृतीदीके लीये.. कहोतो आपके लीये भी लेले..?

भावना : (जुठे गुस्सेसे लखनको मारते) नही.. कीतने कमीने हो.. होने वाली बीवीके सामने ही.. मुजे नही लेना.. मुजे आपके भाइने पहेनाया हे.. आप ही अपनी बीवीओके लीये लेलो..

पुनम : (हसते) भाभी.. येतो मजाक कर रहे हे.. चलीये आप भी देखीये..

भावना : (लखनकी ओर कातीलाना अंदाजमे मुस्कुराते) दीदी.. मुजे भी पता हे ये मजाक कर रहे हे.. मेरे अ‍ेक लोते देवरजो होगये हे.. लेकीन आजकल कुछ ज्यादाही मजाक करने लगे हे.. अ‍ेक दिन मेरे हाथोसे पीटेगे.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) हाये.. हम तो कबसे पीटवानेके लीये तैयार हे.. क्यु दीदी..? आप पीटती ही नही..

भावना : (दांत पीसते दो तीन मुके जडते) बडे बेसर्म हे आप..? सचमे पीटोगे..

पुनम : (हसते) भाभी.. देखीयेनां.. बादमे पीट लेना.. पीटनेमे मे भी आपकी हेल्प करुगी.. फीर देखते हे कौन पीट जाते हे..

भावना : (सरमाते हसते) मीया बीवी दोनो अ‍ेक जैसे हो.. चलो चलो लेलो.. जो लेना हो..

फीर लखन पुनम ओर सृतीके लीये मंगलसुत्र लेता हे.. मंजुके कहेनेपे दो ओर मंगलसुत्र भी लेता हे.. फीर दोनोके लीये अ‍ेक अ‍ेक डाइमंड नेकलेस भी लेता हे.. फीर कानमे बडे अ‍ेरींग्स.. नाककी नथनी.. हाथकी चुडीया.. पैरके लीये पायल.. सबकुछ लेलेता हे.. जीसे लखनकी चोइस देखकर भावनाभी दंग रेह गइ.. फीर लखन दयाके लीये भी अ‍ेक टायमंड नेकलेश अ‍ेरींग्स.. ओर कुछ ओर ज्वेलेरी लेता हे..

जब पुनम ओर भावना अपनी बातोमे बीजी थी तब लखन पुनम भावनासे छुपकर अ‍ेक सोनेका चेइनके साथ पेन्डल भी लेता हे.. जो सीर्फ भावनाके लीये था.. ओर वो भावनाको अपनी तरफसे गीफ्ट देकर सरप्राइज देना चाहता था.. लखन सबका पेमेन्ट कर देता हे.. ओर तीनो वहासे बहार नीकल जाते हे.. फीर लखन दोनोको लेकर अ‍ेक अंडर गारमेन्टकी शोपमे चला जाता हे.. तो भावना बहुत ही सर्मसार होगइ..
 

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भावना : (कातील नजरोसे सरमाते धीरेसे) देवरजी.. यहा भी आप आओगे..?

लखन : (भावनको हाथ कपडकर वही बीठाते) हां.. मे ले लुगा.. आप दोनो चुपचाप बैठो इधर.. बडी आइ सलाह देने वाली..

भावना : (जुठे गुस्सेसे अ‍ेक मुका मारते) कीतने कमीने हो.. सरम भी नही आती..

पुनम : (लखन चला गया तो सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. अ‍ेक बात कहु..? जब हम स्कुलमे थे.. ओर मेने जवानीके देहलीजपे कदम रखा.. तबसे मेरे सारे अंडरगार्मेन्ट भाइ ही लेकर आते हे.. सृतीदी.. चंदा भाभी ओर मंजु मोमके लीये भी.. सब इन्हीके लाये हुअ‍े ही पहेनती हे.. अ‍ेक चीज ओर.. वो मेरे लीये पेड्स भी लाते थे..

भावना : (हसते धीरेसे) क्या..? पेड भी..? इनको सबकी साइज पता हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां.. भैयाको ये सब खरीदी करनेका बहुत सौक हे.. सबकी साइजका पता हे.. दया बहेन रजीया.. आपकी भी.. हें..हें..हें..

भावना : (सोक्ट होते मुह भाडते देखते) क्या..? मेरी भी..? लेकीन कैसे..? आइ मीन इनको कीसने बताया..?

पुनम : (सरमाते धीरेसे कानमे) मेने..? मेने इनको सबकी साइज बताके रखी हे.. वैसे भी उनको देखकर भी पता सच जाता हे.. हें..हें..हें..

भावना : (आस्चर्यसे) बडे कमीने हे.. दीदी.. तुम भाइ बहेन बहुत डेन्जर हो.. चलीये.. आपको जो लेना हे ले लीजीये..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. हम तो अ‍ैसे ही आये हे.. देखो.. भाइ वहा हमारे लीये ले रहे हे.. मुजे ये सब लेना कहा आता हे.. दीदी.. आपसे अ‍ेक बात कहेनी हे.. अभी हमने सृतीदीके लीये जो भी कुछ लीया हे.. आप उनको मत बताना.. क्युकी हम उनको सरप्राइज देना चाहते हे..

भावना : (मुस्कुराते) दीदी.. मे कुछ समजी नही.. सरप्राइज..? लेकीन कीस चीजकी..?

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. दो तीन दिनके बाद हम वापस जायेगेनां.. तब सृती दीको भी साथ लेजायेगे.. ओर बीच जंगलमे हमारे पुर्खोका अ‍ेक मंदिर हे.. वहा हम लखन भैया ओर सृतीदीकी सादी करवायेगे.. ये बात सृतीदीको नही पता.. इसीलीये हम इनको सादीकी सरर्पाइज देना चाहते हे..

भावना : (धीरेसे) दीदी.. क्या सृतीदी सचमे लखन भैयासे सादी कर रही हे..? तो फीर जीजु.. आइ मीन..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. अब बडे भैया आपके जीजु नही पती हे.. ओर रही बात सृतीदीकी.. तो वो भैयासे सब रीस्ता तोडके गइ हे.. सृतीदी भाइको डीवोर्स दे रही हे.. ओर हम दोनोको लखन भैयासे प्यार होगया हे.. तबसे जब हम दोनोका डीवोर्स भी नही हुआ था.. तब सृतीदी भाइकी बीवी थी.. ओर मे धीरेनकी.. अभी दस बाराह दिन पहेलेही सृतीदीने अपने प्यारका इजहार कीया.. ओर तीन दिन पहेले दोनो पहेली बार मीले..

भावना : (खुसीसे हसते) ओह गोड..? बात यहा तक बढ गइ..? क्या इस बारेमे घरपे सबको पता हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) नही.. अभी यहा सीर्फ रजुदी ओर नीलमको.. ओर वहा सीर्फ मुजे ओर मम्मीको ही पता हे.. बाकी कीसीको नही.. भैया इनसे सादी करके सबको सरप्राइज देना चाहते हे.. इसीलीये उन्होने कीसीको नही बताया.. तो आप भी खयाल रखीयेगा.. ओर हां.. आपकी भी कुछ मम्मीसे बात हुइ हे..

भावना : (थोडी जेंपते जानकर भी अन्जान होते) मंजुदीके साथ..? कीस बारेमे..?

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) देखीये भाभी.. अ‍ैसे अनजान मत होइअ‍े.. अब आगे सीर्फ हम चारोको ही सबकुछ सम्हालना हे.. तो जाहीरसी बात हे.. लखन भैयाके बारेमे.. कुछ बात हुइ हेकी नही..?

भावना : (नजरे चुराते धीरेसे सरमाते) अरे हां.. वो.. वो.. अ‍ेक बात हुइ हे.. अब आपकोतो सब पता ही हे.. दीदीने मुजे थोडा डांटा भी.. ओर समजाया की अब लखन भैयाके साथ ही हम चारोको रहेना हे..

पुनम : (मुस्कुराते) तो फीर बात करनेमे इतनी सरमाती क्यु हे.. अब सच ही तो कहा हे मम्मीने.. हमे ही देखना हे.. भाभी.. आप लखन भैयाके साथ आगे बढ सकती हो..

भावना : (आंख गीली करते) दीदी.. जीजुके साथ सादी करके दस दिन भी नही हुअ‍े.. वो पहेला प्यार था मेरा.. जीसके लीये मेने भानुको भी छोड दिया.. तो ये सब इतनी जल्दी कैसे अ‍ेक्सेप्ट कर सकती हु..?

पुनम : (मुस्कुराते) क्यु नही..? क्या प्रोबलेम हे..? पता हे.. जब हम स्कुलमे थेनां..? तब लखन भैया मुजसे प्यार करते थे.. ओर मे बडे भैयाको.. मेने भाइसे सादी भी करली.. फीर धिरेनके साथ भी सादी करनी पडी.. तबभी मेने लखन भैयाके बारेमे नही सोचा.. जो मेरी सबसे बडी भुल थी..
 

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भावना : (धीरेसे) तो फीर उधरेनके साथ सादी क्यु की..?

पुनम : (मुस्कुराते) धिरेन मेरा दुसरा पती था.. इस बारेमे सीर्फ मोम ही जानती थी.. लेकीन मेरा धिरेनके साथ सफर यही तक था.. ओर बडे भैयासे भी रीस्ता तोड दीया.. आखीर मुजे अपनी मंजील मील गइ.. मेरा लखन.. जो मुजसे बेहद प्यार करते हे.. हम लोगोकी जींदगी अ‍ैसी ही हे.. ओर आपकी आखरी मंजील भी लखन भैया ही हे.. तो आप कबतक उनसे दुर रहेगी..?

भावना : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. मंजुदी भी यही केह रही थी.. लेकीन मे मना भी नही कर रही.. बस.. थोडी उलजनमे हु.. तो फीर सीर्फ दस दिनके लीये जीजुसे सादी क्यु करवाइ..?

पुनम : (मुस्कुराते) बडे भैया आपका पहेला प्यार थानां..? आपको लखन भैयासे सादीके लीये नही केह रही हु.. ओर नाही बडे भैयाको छोडने.. बीवी तो आप बडे भैयाकी ही रहोगी.. मे सीर्फ रीलेशनके लीये केह रही हु.. जब बडे भैया आपको टाइम ही नही देपायेगे तो आप क्या करोगी..? बाकी आपकी मरजी.. देखते हे आप कबतक लखन भैयासे दुर रेह सकती हो..

भावना : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. आपकी बात सही हे.. आपने भी लखन भैयाका प्यार अ‍ेक्सेप्ट करलीया हेनां..? दोनो कहा तक आगे बढे..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. सच कहु..? सीर्फ कीस बीस.. ओर हग.. इसीलीये आज मे सीर्फ लखन भैयाको मीलने ही आइ हु.. मेने ओर सृती दीने लखन भैयाको अ‍ेक वादा कीया था.. तो मुजे आना ही था..

भावना : (मुस्कुराते धीरेसे) क्या..? सृतीदीने भी..? दीदी.. बताइअ‍ेना कैसा वादा..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. हम दोनोने वादा कीया था.. की हमारी सादीसे पहेले हम दोनो अ‍ेक बार लखन भैयासे जरुर मीलेगे.. सृती दीदीने तो मील लीया.. आज मेरी बारी हे.. इसीलीये तो मे यहा आइ हु.. दोनो काम होजायेगे.. सादीकी खरीदी.. ओर लखन भैयासे मीलन.. मे अपना वादा पुरा करने आइ हु..

भावना : (आस्चर्यसे देखते मुस्कुराते) क्या..? लखन भैयासे मीलन..? आइ मीन.. दोनो फीजीकल.. सचमे..? कही मजाकतो नही कर रही..?

पुनम : (सरमाते नांमे गरदन हीलाते) नही दीदी.. कोइ मजाक नही.. सच केह रही हु.. आज मे पहेली बार लखन भैयासे मीलुगी.. समजोना ये हम तीनोकी फेन्टासी हे..

भावना : (खुस होते धीरेसे हसते) वाव.. दीदी.. कीतना रोमांचकारी पल होगानां..? जब अ‍ेक बहेन अपने भाइके साथ मीलन करेगी.. वो भी उनकी सादीसे पहेले..

पुनम : (मुस्कुराते खुस होते) हां दीदी.. आइ अ‍ेम सो अ‍ेक्साइटेड.. कीतना सुहाना पल होगा.. मे तो कहेती हु यहा आइ होतो आप भी अ‍ेक बार उनसे मीललो.. आप बडे भैयाको भुल जाओगी..

भावना : (सर्मसार होते धीरेसे मुस्कुराते) दीदी.. लेकीन कैसे..? आपने तो बातोसे ही गरम करदीया यार.. मुजे बहुत सरम आ रही हे..

पुनम : (हसते धीरेसे) दीदी इसमे सरमाना क्या..? आप उसे रीजाते थोडी हीन्ट देदो.. इस मामलेमे वो बहुत कमीने हे.. वो समज जायेगे ओर खुद आगे बढेगे.. आपको ज्यादा महेनत करनेकी जरुरत नही हे.. देखो.. आज सृतीदी ओर भैया कीतने मजे कर रहे हे.. सृतीदी कीतनी खुस हे..

भावना : (सरमाते हसते धीरेसे) हां यार.. मे देख रही हु.. अब वो लखन भैयासे कुछ ज्यादा ही सरमा रही हे.. जैसे उनकी बीवी हो.. ओर लखन भैयाभी उनकी कीतनी कैर करते हे.. ठीक हे दीदी.. मे भी इस बारेमे सोचुगी.. अगर मौका मीला तो..

पुनम : (सरारतसे धीरेसे) दीदी.. वैसे कल मे राधु दीदीके घरे रहुगी.. अ‍ेक बार सोचलो.. आपके पास अच्छा मौका हे.. ये कभी मत सोचना मे अपने नये पतीको धोखा दे रही हु..

भावना : (सरमाते धीरेसे) हां दीदी.. बस मनमे भी वोही खयाल आते रहेते हे.. तभी तो हींमत नही कर पा रही..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. मत सोचो अ‍ैसा.. बडे भैया भी लताके साथ लगे रहेते हे.. वोभी तो लखन भैयाकी बीवी थी.. मंजुमोमने आज इसीलीये तो लताको हमारे साथ नही भेजा.. आज उन दोनोका भी मीलन होजायेगा.. अब लता मेरी सौतन नही आपकी सोतन होजायेगी..

भावना : (अपना सर पकडते) ओ गोड.. जीजुभीना.. सादीपे सादी कीये ही जा रहे हे.. सही कहा आपने.. उनके पास सबके लीये टाइम कहासे होगा..?

पुनम : (हसते धीरेसे) अब गील्टी फील होती हे..? तो क्या सोचा आपने..?

भावना : (मुस्कुराते धीरेसे) थेन्क्स दीदी.. अब गीलटी फील नही होती.. देखती हु.. आइ मेनेज.. अगर हमे मोका मीला तो मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. मे आगे बढुगी..

पुनम : (खुस होते धीरेसे) हां.. ये हुइना बात.. दीदी देखना अ‍ेक बार उनसे मीलोगी तो अपने नये पतीको भी भुल जाओगी..

दोनो बाते कर रही थी तबतक लखन भी सबके लीये खरीदी करके दोनोके पास आगया.. उसने पुनम सृती ओर रजीयाके लीये चार चार ओर दया भावनाके लीये दो पीस लेटेस्ट ब्रा पेन्टीके सेट लेलीये थे.. तो पुनम ओर सृतीके लीये दो दो पीस पारदर्शी नाइटी भी लेली थी.. जो उसमे पुरा बदन दीखता हो.. सभी केरी बेग पुनम ओर भावनाको पकडा दी.. ओर तीनो वापस सारीके शो रुमपे आगये..

तो दुसरी ओर गांवमे भी सामको देवायत रामुकाकाको खेतोसे लेकर घरपे आगया.. ओर रामुकाकाको अ‍ेक रुममे सुला दीया.. मंजु नीर्मला ओर भुमीका उनका हाल चाल पुछकर उनकी देखभाल करने लगी.. क्युकी रामुकाकाकी हालत वाकइ सीरीयस थी.. फीर साम ढलते ही मंजुने रामुकाकाको खीला दीया फीर सबलोग रातका खाना खाने बैठ गये..
 

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आज खानेपे सीर्फ नीर्मला भुमीकाके अलावा मंजु ओर लता ही थी.. चंदा धीरे धीरे खाते कीसी सोचमे डुबी हुइ थी.. तो मंजु उसे समजाकर खीला रही थी.. फीर सबने खाना खालीया तो देवायत नीर्मला ओर भुमीका चंदाको लेकर होलमे चले गये.. ओर बाते करने लगे.. तो मंजु मोका देखकर लताको लेकर अपने रुममे चली गइ..

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) लता.. तुजे पता हेनां मेने तुजे वहा क्यु जाने नही दीया..?

लता : (सर जुकाते सरमाकर धीरेसे) जी दीदी.. पुनोदीसे बात हुइ थी..

मंजुला : (मुस्कुराते) गुड.. तो फीर सुन.. आज पुनोके रुममे सोनेकी जरुरत नही हे.. घर पे सीर्फ हम ही लोग हे.. तो तुम आज सजधजके उपर अपने वाले कमरेमे चली जाओ.. मे देर रात देवुको वहा भेज दुगी.. अभी तेरा सही समय चल रहा हे.. तो तेरा काम आसानीसे होजायेगा.. ओर सुन.. लखन पुनोके साथ तेरी ओर देवुकी भी सादी करवा रही हु.. क्या तुम तेरे घरवालोको बुलाना चाहोगी..?

लता : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. ये सब आप तैय करलेना..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. गुड.. मे चाहती हु वो लोग यहा रहे.. ओर सुन.. वहा नीलुने रमा भाभीको सबकुछ बता दीया हे.. उन्होने हमारे खीलाफ जो साजीस रचीथी उसे छोड दीया हे.. तो अब उनके प्रती कोइ रागदेस रखनेकी जरुरत नही हे.. रमा भाभीको अपनी गलतीका अहेसास हो चुका हे..

लता : (सामने देखते) दीदी.. उनपे आप वीस्वास कर सकती हे.. मे नही.. अ‍ैसी ओरतोका वीस्वास नही कीया जाता.. वो मां बेटी बहुत ही अ‍ैयास ओर कामी ओरते हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. मुतो भुलो वो भी हम मेसे अ‍ेक हे.. फीर भी तुम उनकी फीकर मत कर.. उसे लखन ओर पुनो सम्हाल लेगे..

लता : (आंख गीली करते) दीदी.. आपसे अ‍ेक बात कहेनी हे.. लगता हे मे यहा आइ तो लखन मुजसे रुठे हुअ‍े लगते हे.. वो मुजसे बात भी नही करते..

मंजुला : (सामने देखते) क्यु..? ये तेरा ही तो नीर्णय था.. की तेरे पीरीयडके बाद पहेले देवुसे मीलन करेगी.. ओर हम इसे गलत भी नही मानते.. मेरा लखन.. तुजे बहुत प्यार करने लगा था.. ओर तु अचानक उसे छोडदे.. तो दुख तो होता ही हे..

लता : (आंसु बहाते धीरेसे) दीदी.. लेकीन आपहीने कहा था.. की हम तीनोको सीर्फ बडे भैयाही प्रेगनेन्ट कर सकते हे.. मुजे बच्चा चाहीये.. तो फीर मे क्या करती..? ओर उसने भी तो बडे भैयाकी बीवीओके साथ रीलेशन रखा हे..

मंजुला : (सामने देखते) हंम.. चल मानाकी मेने सबको छुट दी हे.. तो फीर बता उसने देवुकी कौनसी बीवीके साथ रीलेशन रखा..? मेरे साथ..? चंदा दीदीके साथ..?

लता : (आंसु पोछते धीरेसे) क्यु..? सृती दीदी.. पुनोदीदी.. वोभी तो उनकी बीवी हेनां..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हे नही.. थी.. तुजे पता हे सृतीने देवुके साथ ओर पुनोने धिरेनके साथ सभी रीलेशन खतम करलीये हे.. तब जाके मेरे लखनने उन दोनोको अपनाया हे.. जो अब वो दोनो उनकी लीगल बीवीया हो जायेगी.. खैर जानेदो.. ये सब बाते अब बेमायने हे.. अगर तुम चाहोतो दोनोके साथ रीलेशन रख सकती हो.. अब तुम कीसीकी भी बीवी हो.. क्या फर्क पडता हे..

लता : (सर जुकाते) दीदी.. मे कदम आगे बढा चुकी हु.. ओर मे बडे भैयाको प्यार भी करती हु.. ओर बच्चेके खातीर उनसे रीलेशन बनाना जरुरी भी था.. इसीलीये ये कदम उठाया हे..

मंजुला : (खडी होकर) हंम.. तो तुजे गलत भी कौन केह रहा हे..? ठीक हे.. सही कीया हे तुमने.. जा.. मनमे कोइ क्षोभ मत रखना.. यहा हम सबको सभी तराहकी छुट हे.. तुम उपर जाकर अपनी तैयारीया करो.. आज तेरा काम होजायेगा..

लता : (सरमाते खडी होते) जी दीदी.. तो वो मुजसे नाराज क्यु हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते) वो तुमसे कोइ नाराज नही हे.. मे उनसे बात करलुगी.. ठीक हे..?

लता : (मुस्कुराते) जी दीदी.. थेन्क्स..

मंजुला : (जाते जाते अचानक रुकते सामने देखकर मनमे) लता.. अब तुजे कैसे कहु..? की लखनको हमने जडी बुटी क्यु दी हे.. वो अब मेरे देवुसे भी ज्यादा सक्षम हो गया हे.. जो अब वो मुजे.. तुजे.. ओर पुनोको भी प्रेगनेन्ट कर सकता हे.. लेकीन ये बात अभी तुजे नही बता सकती.. हम तीनोको देवुका अंस चाहीये.. इसीलीये देवुसे मीलन करना जरुरी हे..

लता : (सरमाते मुस्कुराते) दीदी.. कुछ कहेना हे क्या..? मेने कोइ गलती तो नही की..?

मंजुला : (मुस्कुराते जाते हुअ‍े) नही.. तुम आरामसे जा.. ओर खुस रहाकर..

लता उपर चली गइ.. ओर बाथरुममे जाकर अपनी तैयारीया करने लगी.. आज उसने नीचेसे उपर तक सब सफाइ करने लगी.. वो देवायतके साथ मीलनकी बात सुनकर बहुत ही अ‍ेक्साइट होने लगी.. फीर भी उसे बार बार लखनका खयाल आने लगा.. यहा आकर वो देवायतके साथ काफी आगे बढ चुकी थी.. अ‍ेक बार तो दोनोको मौका मीला तो बहेक भी गये थे.. लेकीन मील नही पाये..

तो दुसरी ओर अब भावनाका भी लखनकी ओर देखनेका नजरीया बदल गया था.. सब लोग सादीकी खरीदारीमे व्यस्त थे.. लखनने पुनम भावनाको भी नही बतायाकी उन्होने अंडर गाम्रेन्टकी शोपसे सबके लीये क्या क्या लीया हे.. फीर सब लोग मोलसे नीकल गये.. तो अ‍ेक जगहसे लखनने बच्चीके लीये अ‍ेक जुला भी लेलीया.. तो लखनकी समजदारी देखके भावना बहुत खुस होगइ..

सबकी खरीदी होगइ तबतक साम भी ढल चुकी थी.. जब भी मौका मीलता पुनम ओर लखन अ‍ेक दुसरेका हाथ थाम लेते.. अब तो ये सब सबको सामान्य लगने लगा.. फीर सब लोग अ‍ेक बडी होटलपे डीनर करने चले गये.. तो वहा भी लखनने सृतीको गोदमे उठालीया.. तो सृती फीरसे सरमाइ.. लखन सबको लेकर अंदर चला गया.. तो अ‍ेक वेइटर दोडकर आगया.. ओर सबको अ‍ेक खाली टेबलपे ले गया....

कन्टीन्यु
 
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