लखन : (मुस्कुराते) हां यार वो भी क्या दिन थे.. हमने पुजा दीदीकी सादीमे कीतना धमाल कीया था.. कमीने उनकी सादीके अगली रात तुम दोनोने चोकीदार बना दीया था मुजे..
धृव : (मुस्कुराते) हां यार.. सुन.. इस बारेमे अभी कीसीको पता नही हे.. तो बी केरफुल..
लखन : (मुस्कुराते) ठीक हे यार.. बाय ध वे.. कैसी हे वो..? इन्डीया बीन्डीया आती हेकी नही..? क्या उजसे बात करता हे..? मीन्स.. क्या तुम दोनो अभी भी..
धृव : (आंख गीली करते) हां यार.. अभी भी घरपे कीसीको नही पता.. तुजे तो सब पता हे हम दोनोके बारेमे.. सुन.. उनका डीवोर्स हो गया हे.. हाल हीमे पापाने उनकी दुसरी सादी करदी.. अहेमदाबादमे मम्मीकी कीसी कजीनका लडका हे.. बहुत बडे इन्डट्रीयालीस्ट हे.. अेक बीमारीमे उनकी बीवी गुजर गइ थी.. तो पापाने दीदीकी सादी उनसे करवादी.. अभी भी हम दोनो रीलेशनमे हे..
लखन : (आस्चर्यसे देखते) हां यार.. वो वादेकी पकी हे.. लेकीन पुजा दीदीका डीवोर्स कैसे हुआ..? कुछ प्रोबलेम था क्या..?
धृव : (फीकी मुस्कानसे) छोडना यार.. थोडी लंबी कहानी हे.. इस बारेमे बादमे बताता हु.. अभी तो चल साथमे डीनर करते हे..
लखन : (हसते) नही यार हम बहुत लोग हे.. यही बैठे हे.. मेरी बीवीया ओर पुनोदीदी भी हे.. तु भाभीके साथ आरामसे डीनर करले.. फीर आरामसे मीलते हे.. तुम संकोच मत कर.. अबतो मे यही हु.. हम फीर कभी साथमे डीनर करेगे.. फीर वेइटींग रुममे मीलते हे.. वहा सब आइसक्रिम बाइसक्रिम खायेगे.. चल.. मीलता हु..
तो दोनो अपने अपने टेबलकी ओर जाते हे तो सब लोगोको देखकर धृव हसते हुअे हाथ जोडकर सबको नमस्ते करते अपने टेबलकी ओर चला जाता हे.. पुनम उनको देख लेती हे.. तो मुस्कुराती हे.. फीर दोनो अपने अपने टेबलपे बैठ जाते हे.. तो यहा सभी लेडीस अपनी बातोमे मसगुल थी.. तो पुनमके अलावा कीसीका धृवकी ओर ध्यान ही नही गया.. लखन पुनमके पास ही बैठा था..
पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) भाइ.. इतनी देर कहां थे..? इनके साथ थे क्या..? सायद मेने इनको कही देखा हे.. लेकीन कहा..? याद नही आता..
लखन : (हसते धीरेसे) दीदी ये मेरा खास दोस्त था.. भुल गइ..? अरे वो धृव.. याद आया..?
पुनम : (खुसीसे धीरेसे) अरे हां.. क्या ये धृव भैया थे..? लेकीन कीतने मोटे होगये हे.. मेतो इनको पहेचान भी नही पाइ.. हां कभी कभी आपके साथ होस्टेलपे आते थे.. जब आप मुजे मीलनेके लीये आते थे..
दोनो बाते कर रहेथे तभी वेइटर आकर सबका ओर्डर लेजाता हे.. तो कुछ देरके बाद सबका खाना भी आजाता हे तो सबलोग डीनर करने लगते हे.. तो दुसरी ओर धृवभी अपनी बीवीके पास चला गया.. जीहा.. ये वोही धृव हे.. मंत्रीका बेटा.. ओर सृतीकी डोक्टर फ्रेन्ड भावीकाका पती.. जो अेक जमानेमे लखन ओर धृव साथमे पढते थे.. ओर धृवके पीताजी कीशनको जानते थे.. तभी धृव बैठा ही था.. तभी..
भावीका : (मुस्कुराते) जानु.. इतनी देर कहा लगादी..? आपकी तबीयत बवीयत तो ठीक हेनां..?
धृव : (मुस्कुराते) अरे अैसा कुछ नही हे.. यहा अेक स्कुलका बहुत पुराना खास दोस्त मील गया था.. वो लोग भी वहा डीनर करने आये हे.. गांवमे अेक रोयल फेमीलीसे तालुकात हे.. उनके पीता पापाके अच्छे दोस्त थे.. स्कुल छोडनेके बाद आज अचानक मील गया मुजे.. मेने तुमको अेक बार बताया तो था उनके बारेमे..
भावीका : (मुस्कुराते) कौन..? वोही तो नही.. जो अपनी ही बहेनको प्यार करता था.. हें..हें..हें..
धृव : (हसते) हां.. वोही.. लखन नाम हे उनका.. मेरा खास दोस्त था.. मीन्स.. अभी भी हे.. चल पहेले डीनर करले.. फीर मीलवाता हु उसे..
ओर वो दोनो भी डीनर करने लगे.. लखनको मीलनेके बाद पुरे डीनरके दरम्यान आज धृव कुछ भी नही बोला.. तो भावीका कोभी थोडा अजीब लगा.. लेकीन वोभी चुप चाप खाना खाती रही.. धृव डीनर करते भी गहेरी सोचमे डुबा रहा.. उनको अपने अतीतकी याद ताजा होगइ.. जो स्कुलमे लखन पुनमको प्यार करने लगाथा तब अपनी हर बात धृवसे सेर करता था..