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Incest यह क्या हुआ

sunoanuj

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rajesh bhagat

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अगले दिन राजेश, मोहन के पास गया। वे दोनो पास के गांव जहां फौजी रामसिंग काका रहता था, उसके घर पहुंचे।
मोहन ने दरवाजा खटखटाया।
मोहन _घर में कोई है।
राम सिंग अपनी पत्नी से _देखो तो कोई दरवाजा खटखटा रहा है।
रामसिंग की पत्नी दरवाजा खोलती है।
फौजी की पत्नी _, की आप लोग कौन है?
राजेश _,, चाची हम सूरज पुर के रहने वाले है। फौजी काका से मिलना चाहते है, वो घर में है क्या,,?
फौजी की पत्नी _हा, अभी उन्हें खबर देती हूं।
फौजी की पत्नी ने अपने पति को जाकर बताया कि सूरज पुर से दो लड़के आपसे मिलने आए है।
रामसिंग _, सूरज पुर से दो लड़के मुझसे मिलना चाहते हैं। उन्हें अंदर बुला लो।
रामसिंग की पत्नी राजेश और मोहन को अंदर आने को कहा।
मोहन _नमस्ते काका जी।
रामसिंग _नमस्ते, आओ बैठो। बोलो किस काम से आए हो तुम दोनो।
मोहन _काका, ये राजेश है।
राजेश _नमस्ते काका जी।
रामसिंग _नमस्ते,तुम तो शहरी बाबू लगते है। बोलो क्या काम था मुझसे।
राजेश _जी काका हम लोग गांव में प्रशिक्षण केंद्र खोलना चाहते हैं, जहां गांव के युवाओं को पुलिस एवम आर्मी में भर्ती हेतु प्रशिक्षित किया जा सके।
रामसिंग _ये तो बड़ी अच्छी बात है।
राजेश _, काका, इसके लिए आपकी मदद की जरूरत है।
रामसिंग _कैसी मदद चाहिए?
राजेश _इसके लिए एक कुशल अनुभवी प्रशिक्षक की आवश्यकता है, अगर युवाओं को आप प्रशिक्षित करे तो। हमारी योजना सफल हो जायेगी।
रामसिंग _तुम लोग बड़े अच्छे कार्य कर रहे हैं इसलिए मैं युवाओं को प्रशिक्षण देने तैयार हूं।
पर आर्मी और पुलिस में भर्ती के लिए फिजिकल के साथ रिटन टेस्ट भी होता है, मैं युवाओं को फिजिकल के लिए तैयार तो कर दूंगा पर रिटन टेस्ट मुझसे नहीं हो पाएगा।
राजेश _काका आप उसकी चिंता न करे। उसके लिए हम कोई दूसरा ट्यूटर ढूंढ लेंगे।
रामसिंग _अरे सुनती हो भाग्यवान, बच्चो के लिए चाय बना बना दो।
रामसिंग ने अपनी पत्नी से कहा।
राजेश _काका जी काकी को काहे तकलीफ उठाने बोल रहे हैं। रहने दीजिए न चाय।
रामसिंग _अरे यार पहली बार आए हो, घर ऐसे ही चले जाओगे तो हमे अच्छा नही लगेगा।
कुछ देर में
रामसिंग की पत्नी ने चाय बना कर ले आई। राजेश और मोहन, राम सिंग से योजना पर बातचीत करते हुवे चाय पीने लगे।
उसके बाद रामसिंग से इजाजत लेकर वे सूरज पुर वापस आ गए।
वे स्कूल पहुंचे।
राजेश _नमस्ते मैम।
माधुरी _, नमस्ते राजेश आओ बैठो। बड़े दिन बाद आए।
राजेश _जी, बच्चो की पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है, देखने आया था। सब ठीक तो चल रहा है न, कोई समस्या तो नही।
माधुरी _पढ़ाई बड़ी अच्छी चल रही है तुम खुद ही देख लो क्लास में जाकर। आओ मेरे साथ।
माधुरी ने राजेश को आरती के क्लास में ले गई। आरती बच्चो को पड़ा रही थी।
बच्चो ने माधुरी और राजेश का अभिवादन किया।
राजेश _आरती, पढ़ाई ठीक चल रहा है न।
आरती _जी भैया।
राजेश _कोई समस्या तो नही।
आरती _नही भैया।
राजेश ने बच्चो से कुछ प्रश्न किया, बच्चो ने बड़े अच्छे से उत्तर दिया।
उसके बाद माधुरी ने एक एक कर सभी कक्षाओं में राजेश को ले गई। वहा राजेश ने बच्चो की पढ़ाई का अवलोकन किया।
बच्चो की पढ़ाई से संतुष्ट हुवा।
राजेश _मैम बच्चो की पढ़ाई तो बड़ी अच्छी चल रही हैं। मुझे बड़ा अच्छा लगा। मैम इन शिक्षकों से आपको कोई शिकायत तो नही।
माधुरी _, नही राजेश, सभी बड़ी मेहनत कर रहे हैं वे लगन और निष्ठापूर्वक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
राजेश _ये तो बड़ी अच्छी बात है।
दरअसल मैं लाला जी द्वारा दिए गए 3एकड़ जमीन को खेल मैदान बनाने के लिए, जेपीसी वाले को बुलाया है। उसी का निरीक्षण करने आया था।
जेसीबी वाले अभी तक पहुंचा नही। मोहन जरा फोन लगाकर पता करो, कहा रह गया।
मोहन ने फोन लगकर पता किया।
मोहन _राजेश, ड्राइवर ने कह की वह बस पहुंचने वाला है।
माधुरी _राजेश तुम स्कूल के लिए कितना कुछ कर रहे हो।
राजेश मैम, शिक्षा ही तो बच्चो का भविष्य तय करता है। अगर बच्चो को अच्छी शिक्षा मिलेगा तो बच्चे पढलिख कर कुछ बन पाएंगे। इससे ने केवल इन गरीब बच्चो का भला होगा, बल्कि गांव का नाम भी रौशन होगा।
मोहन _लो जेसीबी वाला भी पहुंच गया।
ड्राइयर _बताओ भैया क्या करना हैं?
राजेश _खेत को खेल मैदान बनाना हैं। मिट्टी को बराबर करनी है।
ड्राइवर _ठीक है, भैया।
ड्राइवर ने अपना काम शुरू कर दिया।
राजेश _, अच्छा मैम अब मैं चलता हूं, दोपहर का भोजन का समय भी होने को है घर में भाभी इंतजार कर रही होगी। कोई समस्या आती हैं मुझे फोन कर बताइएगा।
माधुरी _ठीक है राजेश।
राजेश और मोहन अपने घर चले गए।
राजेश भोजन करने के बाद, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था।
तभी पूनम कमरे में आई।
राजेश _क्या बात है भाभी कुछ काम था क्या?
पूनम _राजेश, लाला की बेटी तुमसे मिलने आई हैं।
राजेश, अपने कमरे से बाहर आया।
लाजो राजेश से लिपट गई।
राजेश _, अरे लाजो तुम, कुछ काम था क्या? बड़ी खुश लग रही हो।
लाजो _हा,राजेश भैया, मैं आपको खुशखबरी सुनाने आई थी। लो पहले मिठाई खाओ। लो भाभी आप भी।
राजेश _किस बात की मिठाई खिलाई जा रही हैं भई, हम भी तो जाने।
लाजो _भैय्या मैं पास हो गई। पता हैं मेरे कितने मार्क्स आए हैं। सौ में पूरे 99
राजेश _ओह ये तो बड़ी खुशी की बात हैं।
लाजो _, भईया, मैं तो सपने में भी कभी नहीं सोंची थी की गणित में मेरे कभी इतने मार्क्स आयेंगे। भईया ये सब आपके कारण संभव हो पाया।
राजेश _मुझे पता था तुम अच्छे मार्क्स लाओगी, तुम काफी मेहनत जो कर रही थी।
अब आगे क्या करना चाहती हो।
लाजो _भईया अब मैं कालेज में एडमिशन लेकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं। आप ही की तरह मैं भी अफसर बनने पीएससी फाइट करना चाहती हूं।
राजेश,_ये तो बड़ी खुशी की बात हैं। तुम्हारी लगन मैने देखा हैं तुम अपनी लक्ष्य में जरूर कामयाब होगी।
लाजो _अच्छा भईया अब मैं चलती हूं, सबको मिठाई बाटनी है। सबसे पहले आपही के पास आई थी खुशखबरी सुनाने।
राजेश _ठीक है जाओ,अपने सभी दोस्तो के साथ अपनी खुशियां शेयर करो।

लाजो वहा से चली गई।
कुछ देर बाद ज्योति राजेश के कमरे में आई।
ज्योति _राजेश क्या कर रहा है?
राजेश _कुछ नही दीदी, थोड़ी पढ़ाई कर रहा था। कुछ काम था क्या?
ज्योति _वो तुमने कहा था न मेरी परेशानी दूर करोगे।
राजेश _हा दीदी बोलो कैसी परेशानी है?
ज्योति _दूदू फिर से भारी हो गए हैं। दर्द करने लगा है।
राजेश _ओह, मुझे दिखाओ दीदी, आपकी तकलीफ दूर कर दू।
ज्योति ने अपनी ब्लाउज का बटन खोल दिया।
राजेश ने उसकी चूचियां बारी बारी से चूसना शुरु कर दी।
उसके दूध गटक गटक कर पीने लगा।
ज्योति, प्यार से उसका बाल सहलाने लगी।
तभी कमरे में पूनम भी आ गई।
पूनम _क्या चल रहा है दीदी भाई के बीच?
ज्योति _मेरे दूध भारी हो गए थे, राजेश से दूध खाली करा रही हूं।
पूनम _हूं, दीदी आपके दूध पीने के बाद, देखो उसका लोअर , में फिर तंबू बन गया हैं।
लगता हैं फिर मेरी ठुकाई होगी।
ज्योति हसने लगी ,,
ज्योति _ये तो अच्छी बात हैं, तुम्हारे लिए।
कर ले मजे,,,
पूनम _सच दीदी।
ज्योति _हा हा, तू तो मरी जा रही है राजेश का लेने,,,
पूनम ने राजेश का लोअर नीचे कर उसका लंद बाहर निकाल कर चूसना शुरु कर दी।
राजेश, पूनम को घोड़ी बनाकर चोदना शुरू कर दिया। वह ज्योति का दूध चूस चूस कर खाली कर रहा था साथ में पूनम कि ठुकाई भी कर रहा था। कमरे में पूनम कि सिसकारी गूंज रही थी।
दूध खली होने के बाद।
एक राउंड ज्योति को भी चोदा, फिर पूनम कि जमकर ठुकाई कर उसकी गाड़ मारते हुए झड़ गया।
राजेश कुछ देर सुस्ताने के बाद स्कूल की ओर चला गया, मैदान एक काम देखने।
इधर प्रशिक्षण केंद्र खोलने की भी सारी तैयारी हो गई।
वह दिन भी आ गया। आज केंद्र का उद्घाटन था। सभी युवा प्रशिक्षण स्थल पर इकठ्ठे हो गए।
पंचायत के सभी पधाधिकारी एकत्रित हुए थे। जिला पंचायत अध्यक्ष होने के नाते गीता ठाकुर को और विधायक होने के नाते ठाकुर बालेंद्र सिंह को भी आमंत्रित किया गया।
ठाकुर तो नहीं आया, पर गीता निर्धारित समय पर पहुंच गई।
गीता ने गीता और सविता दोनो ने संयुक्त हाथो से रिबन कांट कर, केंद्र का उद्घाटन किया।
उद्घाटन के बाद सविता और गीता दोनो ने मंच से सभा को संबोधित किया और युवाओं को प्रेरित किया। राजेश को उसके कार्य की प्रशंसा की।
अगले दिन से फौजी रामसिंग के नेतृत्व मे युवाओं का प्रशिक्षण शुरू हो गया। प्रशिक्षण का समय था सुबह 6से 8बजे।
इधर राजेश ने स्कूल को लाला जी के द्वारा दिए गए खेत का समतली करण कर, उसके किनारे किनारे चारो क्यारी बनाकर पेड़ पौधे लगाए।
बच्चो के खेलने के लिए झूले, फिसल पट्टी भी लगाए गए। कबड्डी प्रतियोगिता से मिले पैसे से सारी व्यवस्था किया गया। कुछ दिन में ही मैदान बन कर तैयार हो गया।
उसका भी उद्घाटन गांव की सरपंच सविता देवी के हाथो से कराया गया।
अब बच्चे पढ़ाई के समय पढ़ाई करते शेष समय मैदान मे खेलते।
एक दिन संडे को दिव्या ने राजेश को फ़ोन किया।

दिव्या _राजेश कहां हो।
राजेश _मैं घर मे ही हूं दिव्या जी नहा रहा कर आया हूं। कुछ काम था क्या?

दिव्या _तुमने तो अपनी नई बाइक पे घुमाने की बात कही थी, भूल गए क्या? कितने दिन हो गए मिले ही नहीं।
राजेश _नही दिव्या जी? कहिए कब चलना हैं घूमने।
दिव्या _आज संडे हैं दोपहर बाद खाली रहूंगी तुम दोपहर मे स्वास्थ्य केंद्र आ जाना। वही से घूमने चलेंगे बाइक पे कही।
राजेश _ठीक हैं दिव्या जी।
राजेश दोपहर मे भोजन करने के बाद। अपनी बाइक लेकर लक्ष्मण पुर के लिए निकल गए।
जब वह स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा।
दिव्या अपनी केबिन पे नही थी। उसने एक नर्स से पूछा। दिव्या मैम कहा हैं?
नर्स ने बताया कि वह पेसेंट को देखने गई हैं।
राजेश केबिन के बाहर बैठकर उसके आने का इंतजार करने लगा।
राजेश _जब दिव्या आई।
दिव्या _राजेश तुम कब आए।
राजेश _बस कुछ ही देर पहले दिव्या जी।
दिव्या _आओ अंदर बैठो।
राजेश दिव्या के साथ उसके केबिन में चला गया। वहा लगा चेयर पर बैठ गया।
दिव्या _क्या लोगे चाय या काफी।
राजेश _रहने दो दिव्या जी।
दिव्या _क्यू?
राजेश _अब घूमने जा रहे हैं उधर ही पी लेंगे किसी रेस्टो रेंट में।
दिव्या _अच्छा, कहा ले जाओगे मुझे घुमाने।
राजेश _, आप जहां चाहे।
दिव्या _यहां से 40km दूर एक फूलों की घाटी हैं। चलो वही चलते हैं।
राजेश,_चलो जैसे आपकी ईच्छा जी।
दिव्या और राजेश स्वास्थ्य केंद्र से निकल पड़े।
जाते समय दिव्या ने अपने ड्राइवर को हवेली चले जाने को कहा,,,
ड्राइवर कार को लेकर भानपुर चला गया।
और इधर राजेश और दिव्या बाइक से फूलो की घाटी के लिए निकल पड़े।
रास्ते में दोनो सड़क के दोनो साइड मनोरम दृश्य देखकर, दोनो रोमांच का अनुभव करने लगे।
करीब एक घंटे बाद वे फूलो की पहुंचे।
घाटी में रंग बिरंगे फूल खिले थे।
दिव्या _राजेश देखो, कितने सुंदर सुंदर फूल खिले हैं। ऐसा लग रहा हैं जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।


राजेश _हा, सही कहा आपने।
कालेज के कई लड़के लड़कियां। घाटी में घूमने आए थे।
दिव्या _, देखो तो उन लड़के लड़कियों को तो बिलकुल शर्म नही। कैसे झाड़ी के पीछे चूमा चाटी कर रहे हैं।
राजेश _दिव्या जी, आप उन लोगों पर ध्यान न दो,,
दिव्या _क्यों, तू भी निशा को ऐसी जगह ले जाकर, ऐसी हरकत करता था क्या?
राजेश _नही दिव्या जी? मैने तो निशा जी को आज तक कभी छूए भी नही।
दिव्या _अच्छा, इतनी मोहब्बत करता है उससे और उसे अभी तक छूए नही।
राजेश _दिव्या जी, क्या तुमने कभी किसी से प्यार नहीं किया?
दिव्या _,, मुझे कोई ढंग का मिला ही नहीं।
राजेश _क्यों लडको की कमी है क्या दुनिया में?
, दिव्या _, कुछ लोग मुझे प्रपोज किए, लेकिन मैने उसका प्रपोज ठुकरा दिया। क्यों कि वे लोग मुझे पसंद नही थे?
राजेश _कैसा लड़का चाहिए आपको, मैं ढुढूंगा आपके लिए लड़का?
दिव्या _अच्छा मेरे लिए तुम लड़का ढुढोगे,। दिव्या हसने लगी।
राजेश _, बताओ ना कैसा लड़का चाहिए तुम्हे?
दिव्या _ऐसा लड़का, जो सबका चहेता हो, जो सबकी मदद करे। दूसरो का दर्द समझे। जो दूसरो के लिए अपनी प्राण की परवाह न करे।
क्यों ,हैं तुम्हारी नजर में ऐसा लड़का?
राजेश _अभी तक तो नही पर ढूंढने से मिल जायेगा।
दिव्या _ठीक हैं जब मिल जायेगा तो मुझे बता देना।
चलो वहा पर बैठते है।
राजेश और दिव्या दोनो वहा बैठने के लिए, बेंच रखा था वहा जाकर बैठ गए।
उधर जब ड्राइवर घर पहुंचा। दिव्या कार से नही उतरी,,
ठाकुर _क्यों बे, दिव्या बेटी कहा है? तू अकेला कैसे आ गया।
ड्राइवर _जी, मालिक वो दिव्या बेटी राजेश के साथ बाइक में कही घूमने निकल गई। मुझे हवेली जाने बोल दी।
ठाकुर _क्या? ठाकुर गुस्से से आग बबूला हो गया।
मुनीम _हुजूर अब पानी सिर से ऊपर चढ़ता जा रहा है। कुछ कीजिए नही तो हवेली की इज्जत पर,,,
ठाकुर _मुनीम जी,, अपने जुबान पर लगाम दो,,,
ठाकुर ने चीखते हुए कहा।
मुनीम _माफ करना हुजूर? हवेली की इज्जत, मुझे अपने घर की इज्जत की तरह प्यारी है आखिर मैंने आपका नमक खाया है।
ठाकुर _ठकुराइन ने अपनी बेटियों सर पे कुछ ज्यादा ही चढ़ा रखी है।
कुछ करना ही पड़ेगा।
इधर गार्डन में राजेश और दिव्या, बेंच पर बैठ कर प्रकृति का आनंद ले रहे थे।
राजेश _दिव्या जी, आप यही बैठो मैं कैंटीन से काफी लेकर आता हूं।
दिव्या _ठीक है।
दिव्या राजेश को जाते हुवे देखने लगी,,,,
और सपनो में खो गई,,,,
सपनो में देखी की राजेश गाना गा रहा है।

ये मौसम आया है।
कितने सालों में,,
आजा खो जाए खाबो खयालों में,,,,
कि आजा खो जाए खाबो खयालों में,,,

कुछ डर बाद राजेश काफी लेकर आया।
R
राजेश_दिव्या जी,,,
दिव्या, जैसे नींद से जागी।
राजेश _कहा खो गई थी आप।
दिव्या _कहीं तो नही।
राजेश _, लीजिए कॉफी लीजिए।
राजेश और दिव्या दोनो कॉफी पीने लगे।
कॉफी पीने के बाद कुछ देर और गार्डन में रहे उसके लिए दोनो वहा से निकल गए।
रास्ते में एक रेस्टोरेंट आया वे नाश्ता करने के लिए रुक गए।
दोनों वहा नाश्ता करने के बाद घर के लिए निकल पड़े।
इधर हवेली में,,
ठाकुर _ठकुराइन, फ़ोन लगाओ दिव्या को शाम ढल चुकी है अभी तक उसका कुछ पता नहीं है।
ठकुराइन _ठीक है जी।
रत्नावती ने दिव्या को फ़ोन लगाया,,,
दिव्या _,, हा मां,,,
रत्नावति _बेटी तू कहां है? शाम ढल चुकी है अभी तक घर नहीं लौटी, तुम्हारेपिता जी बड़े चिंतित हो रहे है।
दिव्या _, मां मैं राजेश के साथ हूं, काफी दिनों बाद मन किया कही घूमने का तो, राजेश के साथ चली गई। हम आ ही रहे है बस आधे घण्टे में पहुंच जायेंगे।
रत्नावती _ठीक है बेटा तुम जल्दी घर आ जाओ।
ठाकुर _, क्या बोल रही थी? दिव्या।
रत्नावती _वो राजेश के साथ कही घूमने गई थी। आधे घण्टे में पहुंच जाएगी।
ठाकुर _देखो ठकुराइन, दिव्या कोई साधारण लड़की नही है। इस गांव क्षेत्र की राजकुमारी है। इस तरह उसका घूमना ठीक नहीं है। तुम उसे अपना सर पे बिठा रखी हो।
रत्नावती _, देखो जी, दिव्या कोई छोटी बच्ची है नही, पड़ी लिखी समझदार लड़की है, उसे अपना भला बुरा सब पता है। तुम्हे उसकी चिन्ता करने की जरूरत नहीं।
ठाकुर _क्यों, क्या मैं उसका बाप नही। मैं उसका भला बुरा नहीं सोचूंगा तो और कौन सोचेगा।
रत्नावती _आपकी करतूतों को बेटियों से छुपाती हू तो आपकी इज्जत बेटियों के सामने बनी हुई है, कही बेटियों को आपकी करतूतों का पता चल गया न तो अपने बेटियों को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
ठाकुर _अरे मेरी जान क्यों नाराज होती हो। वो तो एसपी साहब ने बोला है।
सावधान रहने के लिए की नक्सली लोग कुछ बड़े मूवमेंट को अंजाम देने वाले है। इसलिए मुझे दिव्या की चिंता हो रही थी।
इधर करीब आधे घण्टे बाद, राजेश और दिव्या दोनो हवेली पहुंचे।
दिव्या _आओ राजेश मां और दीदी से मिलकर जाना।
राजेश _दिव्या जी फिर कभी बाद में मिल लूंगा। घर वाले। चिंतित न हो। मुझे निकलना चाहिए।
दिव्या _ठीक है राजेश, फिर मिलेंगे।
राजेश सूरज पुर चला गया।
दिव्या हवेली के अंदर गई।
ठाकुर _अरे बेटी, बड़ी देर कर दी आने में। हम चिंतित थे।
दिव्या _पिता जी, काफी दिनों से मै घर में और अपने ड्यूटी के कारण बोर हो गई थी तो राजेश के साथ टहलने चली गई थी।
ठाकुर _बेटी कही जाती हो तो बता दिया करो, हमे तुम्हारी चिन्ता हो रही थी।
दिव्या _सारी पिता जी।
ठाकुर _कोई बात नही बेटा, अब ख्याल रखना।
जाओ अपने कमरे में जाकर आराम करो, थक गई होगी।
दिव्या _ठीक है पिता जी।
दिव्या अपने कमरे में चली गई।
ठाकुर _मुनीम जी, अब तो कुछ करना ही पड़ेगा,,,
मुनीम _हुजूर, आप कहे तो मेरे पास एक प्लान है, इस राजेश को रास्ता से हटाने का।
ठाकुर _कैसा प्लान मुनीम जी?
मुनीम जी _एसपी साहब ने, सावधानी बरतने कहा है न, नक्सलियों को लेकर।
ठाकुर _हा,
मुनीम _तुम राजेश को, गीता बेटी का बॉडीगार्ड बना दो।
ठाकुर _मुनीम जी,, ये तुम क्या कह रहे हो अपने दुश्मन को अपने बेटी का बॉडीगार्ड। तुम पागल हो गए हो क्या?
मुनीम _यही तो प्लान है हुजूर, हमारे आदमी नक्सली बनकर, गीता बेटी पर अटैक करेंगे। राजेश उसे बचाने की कोशिश करेगा। हमारे आदमी राजेश को मार देगा। गीता को अगवा कर लेंगे। और पैसे का डिमांड करेंगे।
हम जाकर पैसे दे आयेंगे। हमारे आदमी बिटिया को छोड़ देगा। किसी को शक नही होगा। पुलिस को भी।
ठाकुर _क्या दिमाक लगाया है, मुनीम जी मान गए। अब तो राजेश को रास्ते से हटना ही पड़ेगा।
ह ह ह ह,,,
रात में भोजन करते समय,,,
ठाकुर _गीता बेटी, आज जिले के एसपी साहब ने फोन किया था, बता रहा था कि नक्सली लोग किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने वाले है। हमे सावधान रहने कहा है?
माखन तो मेरा साथ रहेगा,,,
मै तो कहता हु तुम अपने लिए भी एक बॉडी गार्ड रख लो,,,
गीता _, पिता जी मुझे किसी से कोई डर नहीं।
ठकुराइन तुम ही समझाओ गीता को।
रत्नावती _अगर एसपी साहब का कहना सही हो तो, गीता बेटी तुम्हारे पिता जी ठीक कह रहे हैं,,, तुम भी कोई बॉडीगार्ड रख लो।
दिव्या _हा दीदी, मां पिता जी ठीक कह रहे हैं। नक्सलियों का क्या भरोसा।
गीता _, ठीक है आप लोग जैसा उचित समझे।
ठाकुर _बेटा, मैने यहां के आई जी साहब से बात किया है कोई बॉडी गार्ड के लिए। उसने कहा है कि उसके जानकारी में है एक बॉडी गार्ड, अभी वह बाहर गया huwa है। २माह लगेंगे। तब तक तुम यही हमारे आसपास के किसी ताकतवर पुरुष को अपना बॉडीगार्ड बना लो।
दिव्या _हमारे क्षेत्र में तो सबसे ताकतवर अभी एक ही पुरुष है।
गीता _कौन?
दिव्या _राजेश।
गीता _वो तो है पर क्या वो मेरा बॉडीगार्ड बनेगा।
दिव्या _मै बोलूंगा तो वो न नही कहेगा।
रत्नावती _अपने पिता जी से पहले पूछ लो उसे कोई आपत्ती तो नही।
ठाकुर _, भाई तुम लोगो कि इच्छा में मुझे भला क्या आपत्ति हो सकती है।
रत्ना वती _तो ठीक है दिव्या बेटा तुम राजेश को मना लेना कम से कम दो माह गीता के साथ रहकर उसकी सुरक्षा करे।
दिव्या _मुझे विश्वास है मां, राजेश मेरा कहना जरुर मानेगा।










 

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अगले दिन राजेश, मोहन के पास गया। वे दोनो पास के गांव जहां फौजी रामसिंग काका रहता था, उसके घर पहुंचे।
मोहन ने दरवाजा खटखटाया।
मोहन _घर में कोई है।
राम सिंग अपनी पत्नी से _देखो तो कोई दरवाजा खटखटा रहा है।
रामसिंग की पत्नी दरवाजा खोलती है।
फौजी की पत्नी _, की आप लोग कौन है?
राजेश _,, चाची हम सूरज पुर के रहने वाले है। फौजी काका से मिलना चाहते है, वो घर में है क्या,,?
फौजी की पत्नी _हा, अभी उन्हें खबर देती हूं।
फौजी की पत्नी ने अपने पति को जाकर बताया कि सूरज पुर से दो लड़के आपसे मिलने आए है।
रामसिंग _, सूरज पुर से दो लड़के मुझसे मिलना चाहते हैं। उन्हें अंदर बुला लो।
रामसिंग की पत्नी राजेश और मोहन को अंदर आने को कहा।
मोहन _नमस्ते काका जी।
रामसिंग _नमस्ते, आओ बैठो। बोलो किस काम से आए हो तुम दोनो।
मोहन _काका, ये राजेश है।
राजेश _नमस्ते काका जी।
रामसिंग _नमस्ते,तुम तो शहरी बाबू लगते है। बोलो क्या काम था मुझसे।
राजेश _जी काका हम लोग गांव में प्रशिक्षण केंद्र खोलना चाहते हैं, जहां गांव के युवाओं को पुलिस एवम आर्मी में भर्ती हेतु प्रशिक्षित किया जा सके।
रामसिंग _ये तो बड़ी अच्छी बात है।
राजेश _, काका, इसके लिए आपकी मदद की जरूरत है।
रामसिंग _कैसी मदद चाहिए?
राजेश _इसके लिए एक कुशल अनुभवी प्रशिक्षक की आवश्यकता है, अगर युवाओं को आप प्रशिक्षित करे तो। हमारी योजना सफल हो जायेगी।
रामसिंग _तुम लोग बड़े अच्छे कार्य कर रहे हैं इसलिए मैं युवाओं को प्रशिक्षण देने तैयार हूं।
पर आर्मी और पुलिस में भर्ती के लिए फिजिकल के साथ रिटन टेस्ट भी होता है, मैं युवाओं को फिजिकल के लिए तैयार तो कर दूंगा पर रिटन टेस्ट मुझसे नहीं हो पाएगा।
राजेश _काका आप उसकी चिंता न करे। उसके लिए हम कोई दूसरा ट्यूटर ढूंढ लेंगे।
रामसिंग _अरे सुनती हो भाग्यवान, बच्चो के लिए चाय बना बना दो।
रामसिंग ने अपनी पत्नी से कहा।
राजेश _काका जी काकी को काहे तकलीफ उठाने बोल रहे हैं। रहने दीजिए न चाय।
रामसिंग _अरे यार पहली बार आए हो, घर ऐसे ही चले जाओगे तो हमे अच्छा नही लगेगा।
कुछ देर में
रामसिंग की पत्नी ने चाय बना कर ले आई। राजेश और मोहन, राम सिंग से योजना पर बातचीत करते हुवे चाय पीने लगे।
उसके बाद रामसिंग से इजाजत लेकर वे सूरज पुर वापस आ गए।
वे स्कूल पहुंचे।
राजेश _नमस्ते मैम।
माधुरी _, नमस्ते राजेश आओ बैठो। बड़े दिन बाद आए।
राजेश _जी, बच्चो की पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है, देखने आया था। सब ठीक तो चल रहा है न, कोई समस्या तो नही।
माधुरी _पढ़ाई बड़ी अच्छी चल रही है तुम खुद ही देख लो क्लास में जाकर। आओ मेरे साथ।
माधुरी ने राजेश को आरती के क्लास में ले गई। आरती बच्चो को पड़ा रही थी।
बच्चो ने माधुरी और राजेश का अभिवादन किया।
राजेश _आरती, पढ़ाई ठीक चल रहा है न।
आरती _जी भैया।
राजेश _कोई समस्या तो नही।
आरती _नही भैया।
राजेश ने बच्चो से कुछ प्रश्न किया, बच्चो ने बड़े अच्छे से उत्तर दिया।
उसके बाद माधुरी ने एक एक कर सभी कक्षाओं में राजेश को ले गई। वहा राजेश ने बच्चो की पढ़ाई का अवलोकन किया।
बच्चो की पढ़ाई से संतुष्ट हुवा।
राजेश _मैम बच्चो की पढ़ाई तो बड़ी अच्छी चल रही हैं। मुझे बड़ा अच्छा लगा। मैम इन शिक्षकों से आपको कोई शिकायत तो नही।
माधुरी _, नही राजेश, सभी बड़ी मेहनत कर रहे हैं वे लगन और निष्ठापूर्वक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
राजेश _ये तो बड़ी अच्छी बात है।
दरअसल मैं लाला जी द्वारा दिए गए 3एकड़ जमीन को खेल मैदान बनाने के लिए, जेपीसी वाले को बुलाया है। उसी का निरीक्षण करने आया था।
जेसीबी वाले अभी तक पहुंचा नही। मोहन जरा फोन लगाकर पता करो, कहा रह गया।
मोहन ने फोन लगकर पता किया।
मोहन _राजेश, ड्राइवर ने कह की वह बस पहुंचने वाला है।
माधुरी _राजेश तुम स्कूल के लिए कितना कुछ कर रहे हो।
राजेश मैम, शिक्षा ही तो बच्चो का भविष्य तय करता है। अगर बच्चो को अच्छी शिक्षा मिलेगा तो बच्चे पढलिख कर कुछ बन पाएंगे। इससे ने केवल इन गरीब बच्चो का भला होगा, बल्कि गांव का नाम भी रौशन होगा।
मोहन _लो जेसीबी वाला भी पहुंच गया।
ड्राइयर _बताओ भैया क्या करना हैं?
राजेश _खेत को खेल मैदान बनाना हैं। मिट्टी को बराबर करनी है।
ड्राइवर _ठीक है, भैया।
ड्राइवर ने अपना काम शुरू कर दिया।
राजेश _, अच्छा मैम अब मैं चलता हूं, दोपहर का भोजन का समय भी होने को है घर में भाभी इंतजार कर रही होगी। कोई समस्या आती हैं मुझे फोन कर बताइएगा।
माधुरी _ठीक है राजेश।
राजेश और मोहन अपने घर चले गए।
राजेश भोजन करने के बाद, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था।
तभी पूनम कमरे में आई।
राजेश _क्या बात है भाभी कुछ काम था क्या?
पूनम _राजेश, लाला की बेटी तुमसे मिलने आई हैं।
राजेश, अपने कमरे से बाहर आया।
लाजो राजेश से लिपट गई।
राजेश _, अरे लाजो तुम, कुछ काम था क्या? बड़ी खुश लग रही हो।
लाजो _हा,राजेश भैया, मैं आपको खुशखबरी सुनाने आई थी। लो पहले मिठाई खाओ। लो भाभी आप भी।
राजेश _किस बात की मिठाई खिलाई जा रही हैं भई, हम भी तो जाने।
लाजो _भैय्या मैं पास हो गई। पता हैं मेरे कितने मार्क्स आए हैं। सौ में पूरे 99
राजेश _ओह ये तो बड़ी खुशी की बात हैं।
लाजो _, भईया, मैं तो सपने में भी कभी नहीं सोंची थी की गणित में मेरे कभी इतने मार्क्स आयेंगे। भईया ये सब आपके कारण संभव हो पाया।
राजेश _मुझे पता था तुम अच्छे मार्क्स लाओगी, तुम काफी मेहनत जो कर रही थी।
अब आगे क्या करना चाहती हो।
लाजो _भईया अब मैं कालेज में एडमिशन लेकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं। आप ही की तरह मैं भी अफसर बनने पीएससी फाइट करना चाहती हूं।
राजेश,_ये तो बड़ी खुशी की बात हैं। तुम्हारी लगन मैने देखा हैं तुम अपनी लक्ष्य में जरूर कामयाब होगी।
लाजो _अच्छा भईया अब मैं चलती हूं, सबको मिठाई बाटनी है। सबसे पहले आपही के पास आई थी खुशखबरी सुनाने।
राजेश _ठीक है जाओ,अपने सभी दोस्तो के साथ अपनी खुशियां शेयर करो।

लाजो वहा से चली गई।
कुछ देर बाद ज्योति राजेश के कमरे में आई।
ज्योति _राजेश क्या कर रहा है?
राजेश _कुछ नही दीदी, थोड़ी पढ़ाई कर रहा था। कुछ काम था क्या?
ज्योति _वो तुमने कहा था न मेरी परेशानी दूर करोगे।
राजेश _हा दीदी बोलो कैसी परेशानी है?
ज्योति _दूदू फिर से भारी हो गए हैं। दर्द करने लगा है।
राजेश _ओह, मुझे दिखाओ दीदी, आपकी तकलीफ दूर कर दू।
ज्योति ने अपनी ब्लाउज का बटन खोल दिया।
राजेश ने उसकी चूचियां बारी बारी से चूसना शुरु कर दी।
उसके दूध गटक गटक कर पीने लगा।
ज्योति, प्यार से उसका बाल सहलाने लगी।
तभी कमरे में पूनम भी आ गई।
पूनम _क्या चल रहा है दीदी भाई के बीच?
ज्योति _मेरे दूध भारी हो गए थे, राजेश से दूध खाली करा रही हूं।
पूनम _हूं, दीदी आपके दूध पीने के बाद, देखो उसका लोअर , में फिर तंबू बन गया हैं।
लगता हैं फिर मेरी ठुकाई होगी।
ज्योति हसने लगी ,,
ज्योति _ये तो अच्छी बात हैं, तुम्हारे लिए।
कर ले मजे,,,
पूनम _सच दीदी।
ज्योति _हा हा, तू तो मरी जा रही है राजेश का लेने,,,
पूनम ने राजेश का लोअर नीचे कर उसका लंद बाहर निकाल कर चूसना शुरु कर दी।
राजेश, पूनम को घोड़ी बनाकर चोदना शुरू कर दिया। वह ज्योति का दूध चूस चूस कर खाली कर रहा था साथ में पूनम कि ठुकाई भी कर रहा था। कमरे में पूनम कि सिसकारी गूंज रही थी।
दूध खली होने के बाद।
एक राउंड ज्योति को भी चोदा, फिर पूनम कि जमकर ठुकाई कर उसकी गाड़ मारते हुए झड़ गया।
राजेश कुछ देर सुस्ताने के बाद स्कूल की ओर चला गया, मैदान एक काम देखने।
इधर प्रशिक्षण केंद्र खोलने की भी सारी तैयारी हो गई।
वह दिन भी आ गया। आज केंद्र का उद्घाटन था। सभी युवा प्रशिक्षण स्थल पर इकठ्ठे हो गए।
पंचायत के सभी पधाधिकारी एकत्रित हुए थे। जिला पंचायत अध्यक्ष होने के नाते गीता ठाकुर को और विधायक होने के नाते ठाकुर बालेंद्र सिंह को भी आमंत्रित किया गया।
ठाकुर तो नहीं आया, पर गीता निर्धारित समय पर पहुंच गई।
गीता ने गीता और सविता दोनो ने संयुक्त हाथो से रिबन कांट कर, केंद्र का उद्घाटन किया।
उद्घाटन के बाद सविता और गीता दोनो ने मंच से सभा को संबोधित किया और युवाओं को प्रेरित किया। राजेश को उसके कार्य की प्रशंसा की।
अगले दिन से फौजी रामसिंग के नेतृत्व मे युवाओं का प्रशिक्षण शुरू हो गया। प्रशिक्षण का समय था सुबह 6से 8बजे।
इधर राजेश ने स्कूल को लाला जी के द्वारा दिए गए खेत का समतली करण कर, उसके किनारे किनारे चारो क्यारी बनाकर पेड़ पौधे लगाए।
बच्चो के खेलने के लिए झूले, फिसल पट्टी भी लगाए गए। कबड्डी प्रतियोगिता से मिले पैसे से सारी व्यवस्था किया गया। कुछ दिन में ही मैदान बन कर तैयार हो गया।
उसका भी उद्घाटन गांव की सरपंच सविता देवी के हाथो से कराया गया।
अब बच्चे पढ़ाई के समय पढ़ाई करते शेष समय मैदान मे खेलते।
एक दिन संडे को दिव्या ने राजेश को फ़ोन किया।

दिव्या _राजेश कहां हो।
राजेश _मैं घर मे ही हूं दिव्या जी नहा रहा कर आया हूं। कुछ काम था क्या?

दिव्या _तुमने तो अपनी नई बाइक पे घुमाने की बात कही थी, भूल गए क्या? कितने दिन हो गए मिले ही नहीं।
राजेश _नही दिव्या जी? कहिए कब चलना हैं घूमने।
दिव्या _आज संडे हैं दोपहर बाद खाली रहूंगी तुम दोपहर मे स्वास्थ्य केंद्र आ जाना। वही से घूमने चलेंगे बाइक पे कही।
राजेश _ठीक हैं दिव्या जी।
राजेश दोपहर मे भोजन करने के बाद। अपनी बाइक लेकर लक्ष्मण पुर के लिए निकल गए।
जब वह स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा।
दिव्या अपनी केबिन पे नही थी। उसने एक नर्स से पूछा। दिव्या मैम कहा हैं?
नर्स ने बताया कि वह पेसेंट को देखने गई हैं।
राजेश केबिन के बाहर बैठकर उसके आने का इंतजार करने लगा।
राजेश _जब दिव्या आई।
दिव्या _राजेश तुम कब आए।
राजेश _बस कुछ ही देर पहले दिव्या जी।
दिव्या _आओ अंदर बैठो।
राजेश दिव्या के साथ उसके केबिन में चला गया। वहा लगा चेयर पर बैठ गया।
दिव्या _क्या लोगे चाय या काफी।
राजेश _रहने दो दिव्या जी।
दिव्या _क्यू?
राजेश _अब घूमने जा रहे हैं उधर ही पी लेंगे किसी रेस्टो रेंट में।
दिव्या _अच्छा, कहा ले जाओगे मुझे घुमाने।
राजेश _, आप जहां चाहे।
दिव्या _यहां से 40km दूर एक फूलों की घाटी हैं। चलो वही चलते हैं।
राजेश,_चलो जैसे आपकी ईच्छा जी।
दिव्या और राजेश स्वास्थ्य केंद्र से निकल पड़े।
जाते समय दिव्या ने अपने ड्राइवर को हवेली चले जाने को कहा,,,
ड्राइवर कार को लेकर भानपुर चला गया।
और इधर राजेश और दिव्या बाइक से फूलो की घाटी के लिए निकल पड़े।
रास्ते में दोनो सड़क के दोनो साइड मनोरम दृश्य देखकर, दोनो रोमांच का अनुभव करने लगे।
करीब एक घंटे बाद वे फूलो की पहुंचे।
घाटी में रंग बिरंगे फूल खिले थे।
दिव्या _राजेश देखो, कितने सुंदर सुंदर फूल खिले हैं। ऐसा लग रहा हैं जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।


राजेश _हा, सही कहा आपने।
कालेज के कई लड़के लड़कियां। घाटी में घूमने आए थे।
दिव्या _, देखो तो उन लड़के लड़कियों को तो बिलकुल शर्म नही। कैसे झाड़ी के पीछे चूमा चाटी कर रहे हैं।
राजेश _दिव्या जी, आप उन लोगों पर ध्यान न दो,,
दिव्या _क्यों, तू भी निशा को ऐसी जगह ले जाकर, ऐसी हरकत करता था क्या?
राजेश _नही दिव्या जी? मैने तो निशा जी को आज तक कभी छूए भी नही।
दिव्या _अच्छा, इतनी मोहब्बत करता है उससे और उसे अभी तक छूए नही।
राजेश _दिव्या जी, क्या तुमने कभी किसी से प्यार नहीं किया?
दिव्या _,, मुझे कोई ढंग का मिला ही नहीं।
राजेश _क्यों लडको की कमी है क्या दुनिया में?
, दिव्या _, कुछ लोग मुझे प्रपोज किए, लेकिन मैने उसका प्रपोज ठुकरा दिया। क्यों कि वे लोग मुझे पसंद नही थे?
राजेश _कैसा लड़का चाहिए आपको, मैं ढुढूंगा आपके लिए लड़का?
दिव्या _अच्छा मेरे लिए तुम लड़का ढुढोगे,। दिव्या हसने लगी।
राजेश _, बताओ ना कैसा लड़का चाहिए तुम्हे?
दिव्या _ऐसा लड़का, जो सबका चहेता हो, जो सबकी मदद करे। दूसरो का दर्द समझे। जो दूसरो के लिए अपनी प्राण की परवाह न करे।
क्यों ,हैं तुम्हारी नजर में ऐसा लड़का?
राजेश _अभी तक तो नही पर ढूंढने से मिल जायेगा।
दिव्या _ठीक हैं जब मिल जायेगा तो मुझे बता देना।
चलो वहा पर बैठते है।
राजेश और दिव्या दोनो वहा बैठने के लिए, बेंच रखा था वहा जाकर बैठ गए।
उधर जब ड्राइवर घर पहुंचा। दिव्या कार से नही उतरी,,
ठाकुर _क्यों बे, दिव्या बेटी कहा है? तू अकेला कैसे आ गया।
ड्राइवर _जी, मालिक वो दिव्या बेटी राजेश के साथ बाइक में कही घूमने निकल गई। मुझे हवेली जाने बोल दी।
ठाकुर _क्या? ठाकुर गुस्से से आग बबूला हो गया।
मुनीम _हुजूर अब पानी सिर से ऊपर चढ़ता जा रहा है। कुछ कीजिए नही तो हवेली की इज्जत पर,,,
ठाकुर _मुनीम जी,, अपने जुबान पर लगाम दो,,,
ठाकुर ने चीखते हुए कहा।
मुनीम _माफ करना हुजूर? हवेली की इज्जत, मुझे अपने घर की इज्जत की तरह प्यारी है आखिर मैंने आपका नमक खाया है।
ठाकुर _ठकुराइन ने अपनी बेटियों सर पे कुछ ज्यादा ही चढ़ा रखी है।
कुछ करना ही पड़ेगा।
इधर गार्डन में राजेश और दिव्या, बेंच पर बैठ कर प्रकृति का आनंद ले रहे थे।
राजेश _दिव्या जी, आप यही बैठो मैं कैंटीन से काफी लेकर आता हूं।
दिव्या _ठीक है।
दिव्या राजेश को जाते हुवे देखने लगी,,,,

और सपनो में खो गई,,,,
सपनो में देखी की राजेश गाना गा रहा है।

ये मौसम आया है।
कितने सालों में,,
आजा खो जाए खाबो खयालों में,,,,
कि आजा खो जाए खाबो खयालों में,,,

कुछ डर बाद राजेश काफी लेकर आया।
R
राजेश_दिव्या जी,,,
दिव्या, जैसे नींद से जागी।
राजेश _कहा खो गई थी आप।
दिव्या _कहीं तो नही।
राजेश _, लीजिए कॉफी लीजिए।
राजेश और दिव्या दोनो कॉफी पीने लगे।
कॉफी पीने के बाद कुछ देर और गार्डन में रहे उसके लिए दोनो वहा से निकल गए।
रास्ते में एक रेस्टोरेंट आया वे नाश्ता करने के लिए रुक गए।
दोनों वहा नाश्ता करने के बाद घर के लिए निकल पड़े।
इधर हवेली में,,
ठाकुर _ठकुराइन, फ़ोन लगाओ दिव्या को शाम ढल चुकी है अभी तक उसका कुछ पता नहीं है।
ठकुराइन _ठीक है जी।
रत्नावती ने दिव्या को फ़ोन लगाया,,,
दिव्या _,, हा मां,,,
रत्नावति _बेटी तू कहां है? शाम ढल चुकी है अभी तक घर नहीं लौटी, तुम्हारेपिता जी बड़े चिंतित हो रहे है।
दिव्या _, मां मैं राजेश के साथ हूं, काफी दिनों बाद मन किया कही घूमने का तो, राजेश के साथ चली गई। हम आ ही रहे है बस आधे घण्टे में पहुंच जायेंगे।
रत्नावती _ठीक है बेटा तुम जल्दी घर आ जाओ।
ठाकुर _, क्या बोल रही थी? दिव्या।
रत्नावती _वो राजेश के साथ कही घूमने गई थी। आधे घण्टे में पहुंच जाएगी।
ठाकुर _देखो ठकुराइन, दिव्या कोई साधारण लड़की नही है। इस गांव क्षेत्र की राजकुमारी है। इस तरह उसका घूमना ठीक नहीं है। तुम उसे अपना सर पे बिठा रखी हो।
रत्नावती _, देखो जी, दिव्या कोई छोटी बच्ची है नही, पड़ी लिखी समझदार लड़की है, उसे अपना भला बुरा सब पता है। तुम्हे उसकी चिन्ता करने की जरूरत नहीं।
ठाकुर _क्यों, क्या मैं उसका बाप नही। मैं उसका भला बुरा नहीं सोचूंगा तो और कौन सोचेगा।
रत्नावती _आपकी करतूतों को बेटियों से छुपाती हू तो आपकी इज्जत बेटियों के सामने बनी हुई है, कही बेटियों को आपकी करतूतों का पता चल गया न तो अपने बेटियों को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
ठाकुर _अरे मेरी जान क्यों नाराज होती हो। वो तो एसपी साहब ने बोला है।
सावधान रहने के लिए की नक्सली लोग कुछ बड़े मूवमेंट को अंजाम देने वाले है। इसलिए मुझे दिव्या की चिंता हो रही थी।
इधर करीब आधे घण्टे बाद, राजेश और दिव्या दोनो हवेली पहुंचे।
दिव्या _आओ राजेश मां और दीदी से मिलकर जाना।
राजेश _दिव्या जी फिर कभी बाद में मिल लूंगा। घर वाले। चिंतित न हो। मुझे निकलना चाहिए।
दिव्या _ठीक है राजेश, फिर मिलेंगे।
राजेश सूरज पुर चला गया।
दिव्या हवेली के अंदर गई।
ठाकुर _अरे बेटी, बड़ी देर कर दी आने में। हम चिंतित थे।
दिव्या _पिता जी, काफी दिनों से मै घर में और अपने ड्यूटी के कारण बोर हो गई थी तो राजेश के साथ टहलने चली गई थी।
ठाकुर _बेटी कही जाती हो तो बता दिया करो, हमे तुम्हारी चिन्ता हो रही थी।
दिव्या _सारी पिता जी।
ठाकुर _कोई बात नही बेटा, अब ख्याल रखना।
जाओ अपने कमरे में जाकर आराम करो, थक गई होगी।
दिव्या _ठीक है पिता जी।
दिव्या अपने कमरे में चली गई।
ठाकुर _मुनीम जी, अब तो कुछ करना ही पड़ेगा,,,
मुनीम _हुजूर, आप कहे तो मेरे पास एक प्लान है, इस राजेश को रास्ता से हटाने का।
ठाकुर _कैसा प्लान मुनीम जी?
मुनीम जी _एसपी साहब ने, सावधानी बरतने कहा है न, नक्सलियों को लेकर।
ठाकुर _हा,
मुनीम _तुम राजेश को, गीता बेटी का बॉडीगार्ड बना दो।
ठाकुर _मुनीम जी,, ये तुम क्या कह रहे हो अपने दुश्मन को अपने बेटी का बॉडीगार्ड। तुम पागल हो गए हो क्या?
मुनीम _यही तो प्लान है हुजूर, हमारे आदमी नक्सली बनकर, गीता बेटी पर अटैक करेंगे। राजेश उसे बचाने की कोशिश करेगा। हमारे आदमी राजेश को मार देगा। गीता को अगवा कर लेंगे। और पैसे का डिमांड करेंगे।
हम जाकर पैसे दे आयेंगे। हमारे आदमी बिटिया को छोड़ देगा। किसी को शक नही होगा। पुलिस को भी।
ठाकुर _क्या दिमाक लगाया है, मुनीम जी मान गए। अब तो राजेश को रास्ते से हटना ही पड़ेगा।
ह ह ह ह,,,
रात में भोजन करते समय,,,
ठाकुर _गीता बेटी, आज जिले के एसपी साहब ने फोन किया था, बता रहा था कि नक्सली लोग किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने वाले है। हमे सावधान रहने कहा है?
माखन तो मेरा साथ रहेगा,,,
मै तो कहता हु तुम अपने लिए भी एक बॉडी गार्ड रख लो,,,
गीता _, पिता जी मुझे किसी से कोई डर नहीं।
ठकुराइन तुम ही समझाओ गीता को।
रत्नावती _अगर एसपी साहब का कहना सही हो तो, गीता बेटी तुम्हारे पिता जी ठीक कह रहे हैं,,, तुम भी कोई बॉडीगार्ड रख लो।
दिव्या _हा दीदी, मां पिता जी ठीक कह रहे हैं। नक्सलियों का क्या भरोसा।
गीता _, ठीक है आप लोग जैसा उचित समझे।
ठाकुर _बेटा, मैने यहां के आई जी साहब से बात किया है कोई बॉडी गार्ड के लिए। उसने कहा है कि उसके जानकारी में है एक बॉडी गार्ड, अभी वह बाहर गया huwa है। २माह लगेंगे। तब तक तुम यही हमारे आसपास के किसी ताकतवर पुरुष को अपना बॉडीगार्ड बना लो।
दिव्या _हमारे क्षेत्र में तो सबसे ताकतवर अभी एक ही पुरुष है।
गीता _कौन?
दिव्या _राजेश।
गीता _वो तो है पर क्या वो मेरा बॉडीगार्ड बनेगा।
दिव्या _मै बोलूंगा तो वो न नही कहेगा।
रत्नावती _अपने पिता जी से पहले पूछ लो उसे कोई आपत्ती तो नही।
ठाकुर _, भाई तुम लोगो कि इच्छा में मुझे भला क्या आपत्ति हो सकती है।
रत्ना वती _तो ठीक है दिव्या बेटा तुम राजेश को मना लेना कम से कम दो माह गीता के साथ रहकर उसकी सुरक्षा करे।
दिव्या _मुझे विश्वास है मां, राजेश मेरा कहना जरुर मानेगा।
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