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Incest मोहिनी रत्न

Ajju Landwalia

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अध्याय ०१


“बाबू उठो न! बहुत देर हो गई है। तुमको कॉलेज भी जाना है न।” मैं गहरी नींद में सोया हुआ था कि मेरी भाभी की मीठी आवाज मेरे कानो में पड़ी। भाभी खुद जगाने आए और मैं न जागू ऐसा कभी हो नहीं सकता। मैं अंगड़ाई लेता हुआ जग गया।

मैने अपने सामने देखा तो मेरी आंखे फटक से खुल गई। मेरे सामने भाभी का खूबसूरत सा चेहरा था। शायद वह अभी अभी नहा कर आई थी। ऐसा लग रहा था कि वह भींगी हुई फूल हो। मैं उनको एक तक देख रहा था। मुझे ऐसे देखते हुए पाकर वह अपनी आंखें उचकाते हुए बोली, “बाबू ऐसे क्यों देख रहे हो? मेरे चेहरे पर कुछ लगा है क्या?”

मैं उनकी आवाज सुनकर हड़बड़ा गया। और तेजी से जवाब दिया “नहीं भाभी, आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।”

“ओह। और दिन बदसूरत लगती थी क्या मैं?” आरुषि भाभी नाराज़ होते हुए बोली। वह मजाक कर रही थी। मैं इतना तो जनता था। लेकिन मैं फिर उनको हकीकत में नाराज नहीं करना चाहता था। आखिर मेरे पेट का सवाल था। कही भाभी खाना देना ही न बंद कर दे। इसलिए मैने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया, “नहीं नहीं भाभी, आप हमेशा खूबसूरत लगती हो। आज आप और दिनों से ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।”

मेरी हड़बड़ाहट देख कर भाभी खिलखिला कर हसने लगी। मैं उनको देखता ही रह गया। पिछली तीन चार सालों में मैने आरुषि भाभी को इक्का दुक्का ही हंसते हुए देखा होगा। जब से मेरे भाई की मौत हुई है। भाभी हंसना ही भूल गई थी। वह एकदम से बदल गई और शांत रहने लगी।

उनको भी शायद महसूस हो गया था। वह चुप हो गई। मुझे बोली, “चलो चलो समय देखो। आठ बज गए है। तुमको कॉलेज भी तो जाना है।”

“जी भाभी। मैं अभी तैयार हो जाता हु।” मैं जवाब देते हुए बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। मुझे याद आया कि आज मेरी गर्लफ्रेंड की बर्थडे भी है। मैं खुशी खुशी तैयार होने चला गया।

कुछ देर बाद मैं देश हो कर शावर लेकर कमरे में आ गया। मैने अपने अंडरवियर और बनियान पहन कर शर्ट पेंट खोज रहा था। तभी भाभी कमरे में आ गई। वह बिस्तर पर बिखड़े कपड़े को देख कर मुझसे पूछी, “बाबू क्या खोज रहे हो? पूरा घर उथल पुथल कर दिए हो।”

घर पर अक्सर हम एक दूसरे को अंदरूनी कपड़े पहने देख लिया करते थे। मैने कई बार भाभी या अपनी बहन को ब्रा पैंटी में देखा था। कई बार मैं उन सबके सामने अंडरवियर में ही रहता था। इसलिए हम दोनों को कोई झिझक महसूस नहीं हुई।


“भाभी, आज सलोनी का बर्थडे है। मुझे कॉलेज के बाद पार्टी में भी जाना है। उसके लिए शर्ट पेंट ढूंढ रहा हु।” मैने भाभी की तरफ देखे बिना जवाब देते हुए बोला। भाभी कुछ देर मेरे कपड़े को ढूंढी और एक ब्लू कलर की जींस और मरून कलर की शर्ट देते हुए बोली, “इसको रख लो। तुम कॉलेज के बाद चेंज कर लेना। कोई दूसरा कपड़ा कॉलेज के लिए पहन लो।”

“थैंक्यू भाभी। आप बहुत अच्छी हो।” मैं भाभी के गाल पर किस करते हुए खुशी से बोला। ये हमारे बीच नॉर्मल था। भाभी नाराजगी से अपने गाल को पोंछते हुए बोली, “बाबू यह सब अपनी गर्लफ्रेंड के साथ करना। चलो अभी खाना खा लो। मुझे भी काम पर जाना है।”

“जी भाभी।” मैं अपने कपड़े पहन कर खाना खाने चला गया। मैं अपनी भाभी के साथ डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठ गया। खाना खाने के बाद जब मैं कॉलेज के लिए निकल रहा था तब भाभी मुझे दस हजार रुपए देते हुए बोली “बाबू यह रुपए रख लो। तुम सलोनी केलिए एक बढ़िया सा गिफ्ट खरीद लेना।”

“नहीं भाभी इसकी जरूरत नहीं है। आप इतने मेहनत से कमाती हो। अगर वह मुझे नापसंद करती होगी तो कितने भी गिफ्ट मैं दे दी वह मुझे छोड़ कर चली जाएगी। इसको अपने पास रख लो।” मैने भाभी के गाल पर किस करते हुए बोला और घर से निकल गया। मैं अपनी साइकिल से रोज कॉलेज जाता था।

मेरा नाम आदित्य ठाकुर है। मैं अभी २२ साल का हु। मेरा कॉलेज में आखिरी साल चल रहा है। मैं दिखने में बहुत हैंडसम तो नहीं लेकिन ठीक ठाक हु। पढ़ने में भी मैं बहुत ही बढ़िया हु। मैं पिछले तीन सालों से कॉलेज में हाईएस्ट मार्क्स लेकर आ रहा हु। मैं पढ़ाई के कारण ही सलोनी को जान पाया था।

सलोनी शर्मा मेरी गर्लफ्रेंड है। शुरू शुरू में हम दोनों प्रोजेक्ट के सिलसिले में मिले थे। उसके बाद से हम एक दूसरे को जानने लगें। पता नहीं कब मैं उससे प्यार करने लगा था। जब मैने उसको प्रपोज किया तो वह उसको एक्सेप्ट कर ली। जिसके बाद से हम साथ रहते थे। हम दोनों अभी फिजिकल नहीं हुए है।

सलोनी का परिवार बहुत ही अमीर घराने से ताल्लुक रखता है। वह अपनी फैमिली में अकेली लड़की थी। वह भी २२ साल की थी। उसकी फैमिली से मैं अभी तक नहीं मिला हु।

***

इधर आदित्य के घर से जाने के बाद आरुषि अपने कमरे में जाती है। वह जल्दी जल्दी अपने कपड़े खोल कर नंगी बिस्तर पर लेट जाती है। उसकी आंखों में लाली छाने लगी थी। उसके चेहरा लाल हो गया था। वह अपने बूब्स पर हाथ घुमाने लगती है। उसके मुंह से मादक सिसकारियां निकल रही थी।

“अग्ह्ह्ह्ह् बाबू, तू हमेशा मेरे शरीर में आग लगा कर क्यों भाग जाता है। अग्ह्ह्ह्ह् उम्ममम!” आरुषि के मुख से मादक सिसकी निकल रही थी।

आरुषि उतनी ज्यादा सेंसेटिव औरत नहीं थी। पिछले तीन सालों में कोई संबंध न होने के कारण वह किसी मर्द के छुवन के लिए बहुत ही सेंसेटिव हो गई थी। पिछले तीन सालों में आदित्य का ख्याल रखते रखते पता नहीं कब वह खुद ही उसके प्यार में पर गई आरुषि को पता नहीं चला। वह पिछले तीन सालों में उसकी कल्पना कर न जाने कितनी बार मूठ मार चुकी थी।

ऐसा नहीं था कि वह आदित्य को अपना प्यार नहीं बताना चाहती थी। उसको पता था कि इसका हश्र क्या होने वाला है। वह अपने अंदर की सीक्रेट को अपने पास ही रखना चाहती थी।

“अग्ह्ह्ह्ह् बाबू!!!!!” आदित्य की कल्पना करने के साथ ही उसने एक तेज चींख लगाकर अपना पानी छोड़ दिया। उसको ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर पर से बहुत बड़ा बोझ खत्म हो गया है। वह अपने आप को बहुत हल्का महसूस कर रही थी। जैसे वह आकाश में उड़ रही हो।

कुछ देर बाद वह बाथरूम में गई। अपने आप को साफ कर अपनी पुलिस की यूनिफॉर्म पहन लेती है। उसके ऊपर से वह अपना उजला कोट पहन लेती है। आरुषि पुलिस फोर्स में फॉरेंसिक एक्सपर्ट थी।

आरुषि के पति यानी कि आदित्य के भाई एक फ़ॉन्ट लाइन पुलिस ऑफिसर थे। उनकी ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद परिवार में कोई कमाने वाला नहीं था। घर में चार मुंह खाने वाले थे। जिसमें एक आदित्य, दूसरा खुद आरुषि, तीसरा आदित्य की बड़ी बहन आयुषी ठाकुर और आखिरी में आदित्य की छोटी बहन आरोही ठाकुर।

परिवार में किसी के नौकरी की शख्त जरूरत थी। जिसके चलते आरुषि को जॉब मिली थी। आरुषि पहले मेडिकल स्टूडेंट थी। उस समय क्राइम ब्रांच में असिस्टेंट डॉक्टर की जरूरत थी। आरुषि ने उसका इंटरव्यू दिया। वह उसको पास कर गई। उसके बाद से वह वही पर काम करती है।


आरुषि की उम्र अभी ३० साल है। वह सिंपल ड्रेस पहनना पसंद करती है। काम पर से आने के बाद उसको म्यूजिक सुनना और डांस करना बहुत पसंद है। वह योगा की शौकीन है। सुबह जागकर रोज वह आधा घंटा योगा करती है। आरुषि की फिगर 36C-26-38 है। आरुषि को अपनी फिगर की पहचान है। इसलिए वह हमेशा ढीला कपड़ा पहनती है।

Bahut hi badhiya shuruwat he story ki dps

Agle update ki pratiksha he......
 

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अध्याय ०१


“बाबू उठो न! बहुत देर हो गई है। तुमको कॉलेज भी जाना है न।” मैं गहरी नींद में सोया हुआ था कि मेरी भाभी की मीठी आवाज मेरे कानो में पड़ी। भाभी खुद जगाने आए और मैं न जागू ऐसा कभी हो नहीं सकता। मैं अंगड़ाई लेता हुआ जग गया।

मैने अपने सामने देखा तो मेरी आंखे फटक से खुल गई। मेरे सामने भाभी का खूबसूरत सा चेहरा था। शायद वह अभी अभी नहा कर आई थी। ऐसा लग रहा था कि वह भींगी हुई फूल हो। मैं उनको एक तक देख रहा था। मुझे ऐसे देखते हुए पाकर वह अपनी आंखें उचकाते हुए बोली, “बाबू ऐसे क्यों देख रहे हो? मेरे चेहरे पर कुछ लगा है क्या?”

मैं उनकी आवाज सुनकर हड़बड़ा गया। और तेजी से जवाब दिया “नहीं भाभी, आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।”

“ओह। और दिन बदसूरत लगती थी क्या मैं?” आरुषि भाभी नाराज़ होते हुए बोली। वह मजाक कर रही थी। मैं इतना तो जनता था। लेकिन मैं फिर उनको हकीकत में नाराज नहीं करना चाहता था। आखिर मेरे पेट का सवाल था। कही भाभी खाना देना ही न बंद कर दे। इसलिए मैने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया, “नहीं नहीं भाभी, आप हमेशा खूबसूरत लगती हो। आज आप और दिनों से ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।”

मेरी हड़बड़ाहट देख कर भाभी खिलखिला कर हसने लगी। मैं उनको देखता ही रह गया। पिछली तीन चार सालों में मैने आरुषि भाभी को इक्का दुक्का ही हंसते हुए देखा होगा। जब से मेरे भाई की मौत हुई है। भाभी हंसना ही भूल गई थी। वह एकदम से बदल गई और शांत रहने लगी।

उनको भी शायद महसूस हो गया था। वह चुप हो गई। मुझे बोली, “चलो चलो समय देखो। आठ बज गए है। तुमको कॉलेज भी तो जाना है।”

“जी भाभी। मैं अभी तैयार हो जाता हु।” मैं जवाब देते हुए बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। मुझे याद आया कि आज मेरी गर्लफ्रेंड की बर्थडे भी है। मैं खुशी खुशी तैयार होने चला गया।

कुछ देर बाद मैं देश हो कर शावर लेकर कमरे में आ गया। मैने अपने अंडरवियर और बनियान पहन कर शर्ट पेंट खोज रहा था। तभी भाभी कमरे में आ गई। वह बिस्तर पर बिखड़े कपड़े को देख कर मुझसे पूछी, “बाबू क्या खोज रहे हो? पूरा घर उथल पुथल कर दिए हो।”

घर पर अक्सर हम एक दूसरे को अंदरूनी कपड़े पहने देख लिया करते थे। मैने कई बार भाभी या अपनी बहन को ब्रा पैंटी में देखा था। कई बार मैं उन सबके सामने अंडरवियर में ही रहता था। इसलिए हम दोनों को कोई झिझक महसूस नहीं हुई।


“भाभी, आज सलोनी का बर्थडे है। मुझे कॉलेज के बाद पार्टी में भी जाना है। उसके लिए शर्ट पेंट ढूंढ रहा हु।” मैने भाभी की तरफ देखे बिना जवाब देते हुए बोला। भाभी कुछ देर मेरे कपड़े को ढूंढी और एक ब्लू कलर की जींस और मरून कलर की शर्ट देते हुए बोली, “इसको रख लो। तुम कॉलेज के बाद चेंज कर लेना। कोई दूसरा कपड़ा कॉलेज के लिए पहन लो।”

“थैंक्यू भाभी। आप बहुत अच्छी हो।” मैं भाभी के गाल पर किस करते हुए खुशी से बोला। ये हमारे बीच नॉर्मल था। भाभी नाराजगी से अपने गाल को पोंछते हुए बोली, “बाबू यह सब अपनी गर्लफ्रेंड के साथ करना। चलो अभी खाना खा लो। मुझे भी काम पर जाना है।”

“जी भाभी।” मैं अपने कपड़े पहन कर खाना खाने चला गया। मैं अपनी भाभी के साथ डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठ गया। खाना खाने के बाद जब मैं कॉलेज के लिए निकल रहा था तब भाभी मुझे दस हजार रुपए देते हुए बोली “बाबू यह रुपए रख लो। तुम सलोनी केलिए एक बढ़िया सा गिफ्ट खरीद लेना।”

“नहीं भाभी इसकी जरूरत नहीं है। आप इतने मेहनत से कमाती हो। अगर वह मुझे नापसंद करती होगी तो कितने भी गिफ्ट मैं दे दी वह मुझे छोड़ कर चली जाएगी। इसको अपने पास रख लो।” मैने भाभी के गाल पर किस करते हुए बोला और घर से निकल गया। मैं अपनी साइकिल से रोज कॉलेज जाता था।

मेरा नाम आदित्य ठाकुर है। मैं अभी २२ साल का हु। मेरा कॉलेज में आखिरी साल चल रहा है। मैं दिखने में बहुत हैंडसम तो नहीं लेकिन ठीक ठाक हु। पढ़ने में भी मैं बहुत ही बढ़िया हु। मैं पिछले तीन सालों से कॉलेज में हाईएस्ट मार्क्स लेकर आ रहा हु। मैं पढ़ाई के कारण ही सलोनी को जान पाया था।

सलोनी शर्मा मेरी गर्लफ्रेंड है। शुरू शुरू में हम दोनों प्रोजेक्ट के सिलसिले में मिले थे। उसके बाद से हम एक दूसरे को जानने लगें। पता नहीं कब मैं उससे प्यार करने लगा था। जब मैने उसको प्रपोज किया तो वह उसको एक्सेप्ट कर ली। जिसके बाद से हम साथ रहते थे। हम दोनों अभी फिजिकल नहीं हुए है।

सलोनी का परिवार बहुत ही अमीर घराने से ताल्लुक रखता है। वह अपनी फैमिली में अकेली लड़की थी। वह भी २२ साल की थी। उसकी फैमिली से मैं अभी तक नहीं मिला हु।

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इधर आदित्य के घर से जाने के बाद आरुषि अपने कमरे में जाती है। वह जल्दी जल्दी अपने कपड़े खोल कर नंगी बिस्तर पर लेट जाती है। उसकी आंखों में लाली छाने लगी थी। उसके चेहरा लाल हो गया था। वह अपने बूब्स पर हाथ घुमाने लगती है। उसके मुंह से मादक सिसकारियां निकल रही थी।

“अग्ह्ह्ह्ह् बाबू, तू हमेशा मेरे शरीर में आग लगा कर क्यों भाग जाता है। अग्ह्ह्ह्ह् उम्ममम!” आरुषि के मुख से मादक सिसकी निकल रही थी।

आरुषि उतनी ज्यादा सेंसेटिव औरत नहीं थी। पिछले तीन सालों में कोई संबंध न होने के कारण वह किसी मर्द के छुवन के लिए बहुत ही सेंसेटिव हो गई थी। पिछले तीन सालों में आदित्य का ख्याल रखते रखते पता नहीं कब वह खुद ही उसके प्यार में पर गई आरुषि को पता नहीं चला। वह पिछले तीन सालों में उसकी कल्पना कर न जाने कितनी बार मूठ मार चुकी थी।

ऐसा नहीं था कि वह आदित्य को अपना प्यार नहीं बताना चाहती थी। उसको पता था कि इसका हश्र क्या होने वाला है। वह अपने अंदर की सीक्रेट को अपने पास ही रखना चाहती थी।

“अग्ह्ह्ह्ह् बाबू!!!!!” आदित्य की कल्पना करने के साथ ही उसने एक तेज चींख लगाकर अपना पानी छोड़ दिया। उसको ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर पर से बहुत बड़ा बोझ खत्म हो गया है। वह अपने आप को बहुत हल्का महसूस कर रही थी। जैसे वह आकाश में उड़ रही हो।

कुछ देर बाद वह बाथरूम में गई। अपने आप को साफ कर अपनी पुलिस की यूनिफॉर्म पहन लेती है। उसके ऊपर से वह अपना उजला कोट पहन लेती है। आरुषि पुलिस फोर्स में फॉरेंसिक एक्सपर्ट थी।

आरुषि के पति यानी कि आदित्य के भाई एक फ़ॉन्ट लाइन पुलिस ऑफिसर थे। उनकी ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद परिवार में कोई कमाने वाला नहीं था। घर में चार मुंह खाने वाले थे। जिसमें एक आदित्य, दूसरा खुद आरुषि, तीसरा आदित्य की बड़ी बहन आयुषी ठाकुर और आखिरी में आदित्य की छोटी बहन आरोही ठाकुर।

परिवार में किसी के नौकरी की शख्त जरूरत थी। जिसके चलते आरुषि को जॉब मिली थी। आरुषि पहले मेडिकल स्टूडेंट थी। उस समय क्राइम ब्रांच में असिस्टेंट डॉक्टर की जरूरत थी। आरुषि ने उसका इंटरव्यू दिया। वह उसको पास कर गई। उसके बाद से वह वही पर काम करती है।


आरुषि की उम्र अभी ३० साल है। वह सिंपल ड्रेस पहनना पसंद करती है। काम पर से आने के बाद उसको म्यूजिक सुनना और डांस करना बहुत पसंद है। वह योगा की शौकीन है। सुबह जागकर रोज वह आधा घंटा योगा करती है। आरुषि की फिगर 36C-26-38 है। आरुषि को अपनी फिगर की पहचान है। इसलिए वह हमेशा ढीला कपड़ा पहनती है।
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Life's story goes on and on
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अध्याय ०




मैं कॉलेज में नौ बजे पहुंचा। कॉलेज दस बजे शुरू होती है। मेरी और सलोनी की पहली क्लास ११ बजे से शुरू होती है। आज हमारे क्लासरूम में ११ बजे से पहले कोई भी क्लास नहीं थीं।


मैं अपने क्लास रूम में बैग रख कर टॉयलेट करने निकल गया। जब मैं टॉयलेट कर के हाथ धो रहा था तो मुझे दो लोग किसी लड़की को उठा कर ले जाते हुए दिखें। क्लासरूम कॉम्प्लेक्स के पीछे बहुत बड़ा जंगल था। वह पर पुरानी बिल्डिंग का खंडहर भी था जहां पर लड़के लड़कियां प्यार करने के लिए जाते थे।


मैने अपनी भाभी और भैया के साथ कई बार पुलिस ट्रेनिंग कैंप पर गया था। मुझे ऐसा लगा कि जरूर कुछ बुरा होने वाला है। इसलिए मैंने उन दोनों आदमियों का पीछा करना सही समझा। मैने बिल्डिंग से निकलते हुए सबसे पहले मैने अपनी भाभी को लोकेशन शेयर की। उसके बाद मैने जो देख था उसको बताया। और मैं उनका पीछा कर रहा हु यह भी बताया।


भाभी मुझे अपना ख्याल रखने के लिए बोली। इधर मैं उन दोनों आदमियों का पीछा कर रहा था। शुक्र था कि वह पेड़ थे। मैं पेड़ की ओट से दोनों आदमियों का पीछा करने लगा। कुछ देर बाद मैने देखा कि वो लोग लड़की को उठा कर खंडहर के कुछ दूर बने पुरानी मंदिर में ले जा रहे है। मैने दूर से देखा कि बहुत कोई काले कपड़े पहन कर वह पर पहरा दे रहा है। मुझे लगने लगा कि यह उन सबका अड्डा है।


मैं चुपके से पास गया। वहां का नज़ारा देख कर मेरा खून खौल गया। जब दोनों आदमी गेट खोल कर अंदर जा रहे थे तो मैने देखा कि कई लड़कियां नंगी बंधी पड़ी है। उन लोगों ने मंदिर जैसी जगह को वासना का अड्डा बना दिया था। मैने एक दो फोटो खींच कर भाभी को भेज दी।


उसके बाद मैं मंदिर के पीछे गया। जहां एक आदमी मूतने आया हुआ था। मैने उनके सिर पर डंडे से वार किया। वह चीख पता की उसके मुंह को मैने बंद कर दिया। उसके बाद मैने उस आदमी के जूते के फीते से उसको बंद दिया। उसके मुंह में मैने उसका मोजा ठुस दिया। साथ में ही बगले को झाड़ियों से एक लतर को काट कर उससे उसको बंद दिया।


उसके बाद मैं चुपके से दीवार के कोने से देखने लगा। कुछ देर बाद मुझे एक और आदमी आता हुआ दिखाई दिया। मैने उसके साथ भी वही किया। अब दो आदमी गायब हो चुके थे। कुछ देर में ही गुंडों को पता लग जाने वाला था। इसलिए मैने दूसरी साइड से दो और आदमियों को जल्दी बांधा। अब बहुत कम आदमी बच गए थे।


मैने उसके बाद एक कपड़े से अपना मुंह ढका और सामने से आया। मेरे हाथ में एक लाठी थी। मैने देखा कि तीन आदमी अपने साथियों को ढूंढने आ रहे है। मुझे लाठी चलनी अच्छे से आती थी। मैने तीन चार बार लाठी चलाकर तीनों आदमियों को बेहोश कर दिया।


मैं गेट के अंदर झांका तो तीन आदमी और मंदिर के हॉल में बचे हुए थे। मैने उन तीनों पर हमला कर दिया। वे सब इस हमले के लिए तैयार नहीं थे। क्योंकि वे सब अभी चुदाई करने में बिजी थे। उनको संभालने का मौका ही नहीं मिला। लेकिन उनके गिरने की आवाज और लड़कियों की चीख सुनकर मंदिर के अंदर बाकी के लोग सावधान हो चुके थे। मैने उन लोगों पर हमला कर दिया। उन लोगों के पास चाकू भी था। कुछ चाकू मेरे शरीर पर भी लगा। लेकिन मैने सभी आदमियों को बेकाम कर दिया था। चाकू लगने से मेरे शरीर से खून भी बहने लगे थे। मुझे कमजोरी का अहसास होने लगा। उसके साथ ही मैं मूर्ति के पास गिर गया।


****


इधर जब आरुषि को आदित्य का मैसेज मिला तो वह सीधा अपने डायरेक्टर के ऑफिस में चली गई। उसने डायरेक्टर को वह मैसेज दिखाया। जब डायरेक्टर ने मैसेज देखा तो वह जल्दी से सबको तैयार होने के लिए बोला। जब सब रास्ते में थे तब आदित्य द्वारा भेजी गई दूसरी फोटो उनको मिली। डायरेक्टर तेजी से गाड़ी चलने को बोला।


जिले कारण कुछ देर में ही वह लोग तेजी से स्कूल पहुंच गए। आदित्य के मोबाइल का लॉकेसन ऑन था। इसलिए उन लोगों को लोकेशन ढूंढने में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। जब वे लोग मंदिर में पहुंचे तब तक आदित्य आखिरी आदमी को डंडे से मार चुका था।


“बाबू!” आदित्य को गिरते हुए देख कर आरुषि के दिल में बहुत तेज दर्द हुआ। वह भाग कर उसके पास चली गई। तब तक आदित्य बेहोश हो चुका था।


बाकी पुलिस ऑफिसर सभी गुंडों को हथकड़ी लगा कर जीप में भर रहे थे। उन्होंने पीछे से भी चार पांच लोगों को उठाया। एक ऑफिसर ने उन आदमियों को देख कर डायरेक्टर से बोला, “सर, यह सब फरार कैदी है। बहुतों की पोस्टर हमारे पुलिस ऑफिस में है।”


“बहुत अच्छा। बहुत अच्छा।” डायरेक्टर उसकी बात सुनकर बहुत खुश हो गया। आखिर उन लोगों ने भागे हुए अपराधियों को जो पकड़ लिया था। जिससे उन लोगों को बोनस भी मिलेगा। डायरेक्टर आरुषि के पास आते हुए बोला, “आरुषि बेटी, वह कैसा है अभी?”


आरुषि आदित्य की हालत देख कर बहुत भावुक थी। उसकी आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे। साथ में वह उसके घाव को पट्टी भी कर रही थी। वह अपनी नम आंखों से डायरेक्टर को जवाब दी, “सर अभी उसको हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा।”


“हम्ममम, एक काम करो। तुम इस लड़के को और इन लड़कियों को भी हॉस्पिटल लेते जाओ। जल्दी करो। इन लड़कियों की भी हालत सही नहीं है।” डायरेक्टर बोला। कुछ देर पहले ही एम्बुलेंस आई हुई थी।


आरुषि ने देखा कि वहां पांच लड़कियां पड़ी हुई है। जिसमें से चार नंगी अवस्था में थी। उनके शरीर पर बहुत घाव के निशान थे। उनको गुंडे हॉल में टॉर्चर कर रहे थे। वहीं जो अभी आई हुई लड़की थी वह ब्रा पैंटी में थी। वह भी बेहोश थी। आरुषि उन सबके साथ हॉस्पिटल चली गई।


***

सिटी हॉस्पिटल


डॉक्टर की केबिन में अभी आरुषि और उसके सामने एक डॉक्टर बैठे हुए थे। डॉक्टर बड़े गैर से आदित्य और लड़कियों का रिपोर्ट पढ़ रहा था। आरुषि सभी को लेकर हॉस्पिटल आई हुई थी। उसको आए हुए करीब दो घंटे हो गए थे। इस बीच सभी लड़कियों को होश आ गया था। उन सबके घाव पर पट्टी हो गई थी। आदित्य को अभी तक होश नहीं आया था। इसलिए आरुषि बहुत परेशान थी।
 

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अध्याय ०




मैं कॉलेज में नौ बजे पहुंचा। कॉलेज दस बजे शुरू होती है। मेरी और सलोनी की पहली क्लास ११ बजे से शुरू होती है। आज हमारे क्लासरूम में ११ बजे से पहले कोई भी क्लास नहीं थीं।


मैं अपने क्लास रूम में बैग रख कर टॉयलेट करने निकल गया। जब मैं टॉयलेट कर के हाथ धो रहा था तो मुझे दो लोग किसी लड़की को उठा कर ले जाते हुए दिखें। क्लासरूम कॉम्प्लेक्स के पीछे बहुत बड़ा जंगल था। वह पर पुरानी बिल्डिंग का खंडहर भी था जहां पर लड़के लड़कियां प्यार करने के लिए जाते थे।


मैने अपनी भाभी और भैया के साथ कई बार पुलिस ट्रेनिंग कैंप पर गया था। मुझे ऐसा लगा कि जरूर कुछ बुरा होने वाला है। इसलिए मैंने उन दोनों आदमियों का पीछा करना सही समझा। मैने बिल्डिंग से निकलते हुए सबसे पहले मैने अपनी भाभी को लोकेशन शेयर की। उसके बाद मैने जो देख था उसको बताया। और मैं उनका पीछा कर रहा हु यह भी बताया।


भाभी मुझे अपना ख्याल रखने के लिए बोली। इधर मैं उन दोनों आदमियों का पीछा कर रहा था। शुक्र था कि वह पेड़ थे। मैं पेड़ की ओट से दोनों आदमियों का पीछा करने लगा। कुछ देर बाद मैने देखा कि वो लोग लड़की को उठा कर खंडहर के कुछ दूर बने पुरानी मंदिर में ले जा रहे है। मैने दूर से देखा कि बहुत कोई काले कपड़े पहन कर वह पर पहरा दे रहा है। मुझे लगने लगा कि यह उन सबका अड्डा है।


मैं चुपके से पास गया। वहां का नज़ारा देख कर मेरा खून खौल गया। जब दोनों आदमी गेट खोल कर अंदर जा रहे थे तो मैने देखा कि कई लड़कियां नंगी बंधी पड़ी है। उन लोगों ने मंदिर जैसी जगह को वासना का अड्डा बना दिया था। मैने एक दो फोटो खींच कर भाभी को भेज दी।


उसके बाद मैं मंदिर के पीछे गया। जहां एक आदमी मूतने आया हुआ था। मैने उनके सिर पर डंडे से वार किया। वह चीख पता की उसके मुंह को मैने बंद कर दिया। उसके बाद मैने उस आदमी के जूते के फीते से उसको बंद दिया। उसके मुंह में मैने उसका मोजा ठुस दिया। साथ में ही बगले को झाड़ियों से एक लतर को काट कर उससे उसको बंद दिया।


उसके बाद मैं चुपके से दीवार के कोने से देखने लगा। कुछ देर बाद मुझे एक और आदमी आता हुआ दिखाई दिया। मैने उसके साथ भी वही किया। अब दो आदमी गायब हो चुके थे। कुछ देर में ही गुंडों को पता लग जाने वाला था। इसलिए मैने दूसरी साइड से दो और आदमियों को जल्दी बांधा। अब बहुत कम आदमी बच गए थे।


मैने उसके बाद एक कपड़े से अपना मुंह ढका और सामने से आया। मेरे हाथ में एक लाठी थी। मैने देखा कि तीन आदमी अपने साथियों को ढूंढने आ रहे है। मुझे लाठी चलनी अच्छे से आती थी। मैने तीन चार बार लाठी चलाकर तीनों आदमियों को बेहोश कर दिया।


मैं गेट के अंदर झांका तो तीन आदमी और मंदिर के हॉल में बचे हुए थे। मैने उन तीनों पर हमला कर दिया। वे सब इस हमले के लिए तैयार नहीं थे। क्योंकि वे सब अभी चुदाई करने में बिजी थे। उनको संभालने का मौका ही नहीं मिला। लेकिन उनके गिरने की आवाज और लड़कियों की चीख सुनकर मंदिर के अंदर बाकी के लोग सावधान हो चुके थे। मैने उन लोगों पर हमला कर दिया। उन लोगों के पास चाकू भी था। कुछ चाकू मेरे शरीर पर भी लगा। लेकिन मैने सभी आदमियों को बेकाम कर दिया था। चाकू लगने से मेरे शरीर से खून भी बहने लगे थे। मुझे कमजोरी का अहसास होने लगा। उसके साथ ही मैं मूर्ति के पास गिर गया।


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इधर जब आरुषि को आदित्य का मैसेज मिला तो वह सीधा अपने डायरेक्टर के ऑफिस में चली गई। उसने डायरेक्टर को वह मैसेज दिखाया। जब डायरेक्टर ने मैसेज देखा तो वह जल्दी से सबको तैयार होने के लिए बोला। जब सब रास्ते में थे तब आदित्य द्वारा भेजी गई दूसरी फोटो उनको मिली। डायरेक्टर तेजी से गाड़ी चलने को बोला।


जिले कारण कुछ देर में ही वह लोग तेजी से स्कूल पहुंच गए। आदित्य के मोबाइल का लॉकेसन ऑन था। इसलिए उन लोगों को लोकेशन ढूंढने में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। जब वे लोग मंदिर में पहुंचे तब तक आदित्य आखिरी आदमी को डंडे से मार चुका था।


“बाबू!” आदित्य को गिरते हुए देख कर आरुषि के दिल में बहुत तेज दर्द हुआ। वह भाग कर उसके पास चली गई। तब तक आदित्य बेहोश हो चुका था।


बाकी पुलिस ऑफिसर सभी गुंडों को हथकड़ी लगा कर जीप में भर रहे थे। उन्होंने पीछे से भी चार पांच लोगों को उठाया। एक ऑफिसर ने उन आदमियों को देख कर डायरेक्टर से बोला, “सर, यह सब फरार कैदी है। बहुतों की पोस्टर हमारे पुलिस ऑफिस में है।”


“बहुत अच्छा। बहुत अच्छा।” डायरेक्टर उसकी बात सुनकर बहुत खुश हो गया। आखिर उन लोगों ने भागे हुए अपराधियों को जो पकड़ लिया था। जिससे उन लोगों को बोनस भी मिलेगा। डायरेक्टर आरुषि के पास आते हुए बोला, “आरुषि बेटी, वह कैसा है अभी?”


आरुषि आदित्य की हालत देख कर बहुत भावुक थी। उसकी आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे। साथ में वह उसके घाव को पट्टी भी कर रही थी। वह अपनी नम आंखों से डायरेक्टर को जवाब दी, “सर अभी उसको हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा।”


“हम्ममम, एक काम करो। तुम इस लड़के को और इन लड़कियों को भी हॉस्पिटल लेते जाओ। जल्दी करो। इन लड़कियों की भी हालत सही नहीं है।” डायरेक्टर बोला। कुछ देर पहले ही एम्बुलेंस आई हुई थी।


आरुषि ने देखा कि वहां पांच लड़कियां पड़ी हुई है। जिसमें से चार नंगी अवस्था में थी। उनके शरीर पर बहुत घाव के निशान थे। उनको गुंडे हॉल में टॉर्चर कर रहे थे। वहीं जो अभी आई हुई लड़की थी वह ब्रा पैंटी में थी। वह भी बेहोश थी। आरुषि उन सबके साथ हॉस्पिटल चली गई।


***

सिटी हॉस्पिटल


डॉक्टर की केबिन में अभी आरुषि और उसके सामने एक डॉक्टर बैठे हुए थे। डॉक्टर बड़े गैर से आदित्य और लड़कियों का रिपोर्ट पढ़ रहा था। आरुषि सभी को लेकर हॉस्पिटल आई हुई थी। उसको आए हुए करीब दो घंटे हो गए थे। इस बीच सभी लड़कियों को होश आ गया था। उन सबके घाव पर पट्टी हो गई थी। आदित्य को अभी तक होश नहीं आया था। इसलिए आरुषि बहुत परेशान थी।
बहुत ही मस्त लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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अध्याय ०




मैं कॉलेज में नौ बजे पहुंचा। कॉलेज दस बजे शुरू होती है। मेरी और सलोनी की पहली क्लास ११ बजे से शुरू होती है। आज हमारे क्लासरूम में ११ बजे से पहले कोई भी क्लास नहीं थीं।


मैं अपने क्लास रूम में बैग रख कर टॉयलेट करने निकल गया। जब मैं टॉयलेट कर के हाथ धो रहा था तो मुझे दो लोग किसी लड़की को उठा कर ले जाते हुए दिखें। क्लासरूम कॉम्प्लेक्स के पीछे बहुत बड़ा जंगल था। वह पर पुरानी बिल्डिंग का खंडहर भी था जहां पर लड़के लड़कियां प्यार करने के लिए जाते थे।


मैने अपनी भाभी और भैया के साथ कई बार पुलिस ट्रेनिंग कैंप पर गया था। मुझे ऐसा लगा कि जरूर कुछ बुरा होने वाला है। इसलिए मैंने उन दोनों आदमियों का पीछा करना सही समझा। मैने बिल्डिंग से निकलते हुए सबसे पहले मैने अपनी भाभी को लोकेशन शेयर की। उसके बाद मैने जो देख था उसको बताया। और मैं उनका पीछा कर रहा हु यह भी बताया।


भाभी मुझे अपना ख्याल रखने के लिए बोली। इधर मैं उन दोनों आदमियों का पीछा कर रहा था। शुक्र था कि वह पेड़ थे। मैं पेड़ की ओट से दोनों आदमियों का पीछा करने लगा। कुछ देर बाद मैने देखा कि वो लोग लड़की को उठा कर खंडहर के कुछ दूर बने पुरानी मंदिर में ले जा रहे है। मैने दूर से देखा कि बहुत कोई काले कपड़े पहन कर वह पर पहरा दे रहा है। मुझे लगने लगा कि यह उन सबका अड्डा है।


मैं चुपके से पास गया। वहां का नज़ारा देख कर मेरा खून खौल गया। जब दोनों आदमी गेट खोल कर अंदर जा रहे थे तो मैने देखा कि कई लड़कियां नंगी बंधी पड़ी है। उन लोगों ने मंदिर जैसी जगह को वासना का अड्डा बना दिया था। मैने एक दो फोटो खींच कर भाभी को भेज दी।


उसके बाद मैं मंदिर के पीछे गया। जहां एक आदमी मूतने आया हुआ था। मैने उनके सिर पर डंडे से वार किया। वह चीख पता की उसके मुंह को मैने बंद कर दिया। उसके बाद मैने उस आदमी के जूते के फीते से उसको बंद दिया। उसके मुंह में मैने उसका मोजा ठुस दिया। साथ में ही बगले को झाड़ियों से एक लतर को काट कर उससे उसको बंद दिया।


उसके बाद मैं चुपके से दीवार के कोने से देखने लगा। कुछ देर बाद मुझे एक और आदमी आता हुआ दिखाई दिया। मैने उसके साथ भी वही किया। अब दो आदमी गायब हो चुके थे। कुछ देर में ही गुंडों को पता लग जाने वाला था। इसलिए मैने दूसरी साइड से दो और आदमियों को जल्दी बांधा। अब बहुत कम आदमी बच गए थे।


मैने उसके बाद एक कपड़े से अपना मुंह ढका और सामने से आया। मेरे हाथ में एक लाठी थी। मैने देखा कि तीन आदमी अपने साथियों को ढूंढने आ रहे है। मुझे लाठी चलनी अच्छे से आती थी। मैने तीन चार बार लाठी चलाकर तीनों आदमियों को बेहोश कर दिया।


मैं गेट के अंदर झांका तो तीन आदमी और मंदिर के हॉल में बचे हुए थे। मैने उन तीनों पर हमला कर दिया। वे सब इस हमले के लिए तैयार नहीं थे। क्योंकि वे सब अभी चुदाई करने में बिजी थे। उनको संभालने का मौका ही नहीं मिला। लेकिन उनके गिरने की आवाज और लड़कियों की चीख सुनकर मंदिर के अंदर बाकी के लोग सावधान हो चुके थे। मैने उन लोगों पर हमला कर दिया। उन लोगों के पास चाकू भी था। कुछ चाकू मेरे शरीर पर भी लगा। लेकिन मैने सभी आदमियों को बेकाम कर दिया था। चाकू लगने से मेरे शरीर से खून भी बहने लगे थे। मुझे कमजोरी का अहसास होने लगा। उसके साथ ही मैं मूर्ति के पास गिर गया।


****


इधर जब आरुषि को आदित्य का मैसेज मिला तो वह सीधा अपने डायरेक्टर के ऑफिस में चली गई। उसने डायरेक्टर को वह मैसेज दिखाया। जब डायरेक्टर ने मैसेज देखा तो वह जल्दी से सबको तैयार होने के लिए बोला। जब सब रास्ते में थे तब आदित्य द्वारा भेजी गई दूसरी फोटो उनको मिली। डायरेक्टर तेजी से गाड़ी चलने को बोला।


जिले कारण कुछ देर में ही वह लोग तेजी से स्कूल पहुंच गए। आदित्य के मोबाइल का लॉकेसन ऑन था। इसलिए उन लोगों को लोकेशन ढूंढने में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। जब वे लोग मंदिर में पहुंचे तब तक आदित्य आखिरी आदमी को डंडे से मार चुका था।


“बाबू!” आदित्य को गिरते हुए देख कर आरुषि के दिल में बहुत तेज दर्द हुआ। वह भाग कर उसके पास चली गई। तब तक आदित्य बेहोश हो चुका था।


बाकी पुलिस ऑफिसर सभी गुंडों को हथकड़ी लगा कर जीप में भर रहे थे। उन्होंने पीछे से भी चार पांच लोगों को उठाया। एक ऑफिसर ने उन आदमियों को देख कर डायरेक्टर से बोला, “सर, यह सब फरार कैदी है। बहुतों की पोस्टर हमारे पुलिस ऑफिस में है।”


“बहुत अच्छा। बहुत अच्छा।” डायरेक्टर उसकी बात सुनकर बहुत खुश हो गया। आखिर उन लोगों ने भागे हुए अपराधियों को जो पकड़ लिया था। जिससे उन लोगों को बोनस भी मिलेगा। डायरेक्टर आरुषि के पास आते हुए बोला, “आरुषि बेटी, वह कैसा है अभी?”


आरुषि आदित्य की हालत देख कर बहुत भावुक थी। उसकी आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे। साथ में वह उसके घाव को पट्टी भी कर रही थी। वह अपनी नम आंखों से डायरेक्टर को जवाब दी, “सर अभी उसको हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा।”


“हम्ममम, एक काम करो। तुम इस लड़के को और इन लड़कियों को भी हॉस्पिटल लेते जाओ। जल्दी करो। इन लड़कियों की भी हालत सही नहीं है।” डायरेक्टर बोला। कुछ देर पहले ही एम्बुलेंस आई हुई थी।


आरुषि ने देखा कि वहां पांच लड़कियां पड़ी हुई है। जिसमें से चार नंगी अवस्था में थी। उनके शरीर पर बहुत घाव के निशान थे। उनको गुंडे हॉल में टॉर्चर कर रहे थे। वहीं जो अभी आई हुई लड़की थी वह ब्रा पैंटी में थी। वह भी बेहोश थी। आरुषि उन सबके साथ हॉस्पिटल चली गई।


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सिटी हॉस्पिटल


डॉक्टर की केबिन में अभी आरुषि और उसके सामने एक डॉक्टर बैठे हुए थे। डॉक्टर बड़े गैर से आदित्य और लड़कियों का रिपोर्ट पढ़ रहा था। आरुषि सभी को लेकर हॉस्पिटल आई हुई थी। उसको आए हुए करीब दो घंटे हो गए थे। इस बीच सभी लड़कियों को होश आ गया था। उन सबके घाव पर पट्टी हो गई थी। आदित्य को अभी तक होश नहीं आया था। इसलिए आरुषि बहुत परेशान थी।
Nice update.....
 
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