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दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
अब आगे..
वसु जब अपनी गांड मटकाते हुए किचन में जाती है तो उसे पता था की उसके पीछे एक लट्टू की तरह दीपू आएगा और कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ. वो किचन में काम कर रही थी तो दीपू पीछे से आकर उसको बाहों में भर लेता है और धीरे से कान में कहता है..
तुम्हे याद है ना की तुम्हारी जन्मदिन पर मेरी तरफ से तुम्हारी गांड का उद्धघाटन कर के तुम्हे तोहफा दूंगा लेकिन तुम अगर ऐसी गांड मटकाकर घर में चलोगी तो मैं तुम्हारे जन्मदिन तक भी नहीं रुकूंगा और एक दिन जल्दी ही वो दरवाज़ा भी खोल दूंगा और हस देता है...
वसु ये बात सुनती है तो एकदम शर्मा जाती है और कहती है की वो मैं नहीं करने दूँगी. दीपू उसकी चूची को दबाते हुए... क्यों अपने पति को मन करोगी तुम्हे तोहफा देने में... वसु कुछ नहीं कहती तो दीपू वसु को पलट देता है और उसकी आँखों में देखता है. उसकी आँखों में भी बहुत प्यास नज़र आती है तो दीपू भी कहाँ रुकने वाला था. वो आगे बढ़कर उसके होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है और दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है और एक दुसरे की जीभ को भी जमकर चूसते है. दीपू उसको चूमते हुए उसकी चूची को दबाते रहता है. लगभग ३- ४ मं बाद जब दोनों अलग होते है तो दोनों हाँफते रहते है.
वसु दीपू को देख कर कहती है.. अभी तो तो दिव्या को चोद कर आया है लेकिन तुम्हारा मन नहीं भरा क्या?
दीपू: अपनी सेक्सी और हॉट माँ से कभी मन भर सकता है क्या? वसु भी एकदम मदमस्त और गरम हो जाती है और उसके लंड को पकड़ लेती है तो वो अभी ढीला पड़ा हुआ था क्यूंकि कुछ देर पहले ही उसने अपना माल दिव्या की चूत में छोडा था.
वसु: तुम तो कह रहे थे की तुम्हारा मन नहीं भरा लेकिन ये तो एकदम ठंडा पद गया है.
दीपू: हां पता है लेकिन तुम्हारे मुँह और हाथ में वो जादू है की एक मुर्दा भी जाग जाए. फिर मैं तो एक जीता जागता आदमी हूँ तो तुम जल्दी ही इसे अपने लिए तैयार कर दोगी और ऐसा कहते हुए दीपू उसका कन्धा पकड़ कर नीचे झुकता है जिसे वसु समझ जाती है और फिर दीपू का लंड उसके पैंट से बाहर निकल कर पहले एक चुम्मा देती है जो ढीला पड़ा हुआ था. धीरे धीरे उसे हिलाने लगती है और फिर मुँह में लेकर उसका चूसना शुरू करती है.
हिलाने और चूसने से दीपू के लंड पे भी अब जान आने लगती है और दीपू भी अपना कमर आगे पीछे करता है और २ मं में ही वो उसके लंड को वसु के मुँह में भर देता है. दीपू का लंड अब पूरा तन गया था और उसे वसु के गले तक अंदर डालता है जिसे वो अपने पूरे मुँह में ले लेती है.
वसु को भी अब इसमें मजा आ रहा था और दीपू भी अब झटके मार रहा था. वो तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था. ६- ७ मं तक अच्छे से उसके लंड को चूसने के बाद दीपू उसे उठाता है और फिर उसे किस करते हुए उसको पूरा नंगा कर देता है.
दीपू: मैंने कहा था ना की तुम्हारे मुँह और हातों में जादू है. देखो ये फिर से तुम्हारी मुनिया को सलाम कर रहा है.
वसु: चुप कर कुछ भी बकता रहता है. अब वसु भी बहुत गरम हो गयी थी और उसकी चूत भी पानी से बेह रही थी. जल्दी से अंदर डालना.
दीपू: क्या डालूं और कहाँ डालूं?
वसु: तू भी ना... बहुत परेशान कर रहा है… सुधरेगा नहीं .. सुन्ना है तो सुन... जल्दी से तेरा ये लंड मेरी चूत में दाल दे. बस... खुश?
दीपू: ये बात हुई ना जान.. लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे मेरे मुँह का जादू दिखाता हूँ ना.
और ऐसा कहते हुए दीपू उसे ऊपर से पूरा नंगा कर देता है और उसकी एकदम ठोस चूचियां और तानी हुई निप्पल को देख कर कहता है.. ये तो एकदम तानी हुई है. मुझे बहुत उत्तेजित कर रही है.
वसु: उत्तेजित तो मैं भी हूँ. तानी क्यों नहीं होगी? इतनी देर से मुझे उकसा रहे हो तो ये भी तो उत्तेजित जो जायेगी ना.
फिर दीपू चूची को मुँह में लेकर चूसता है और दुसरे को दबाता है. वसु तो पहले से ही गरम थी तो वो उसका सर अपने चूची पे दबा देती है. ५ मं तक अच्छे से रसपान करने के बाद झुक कर उसकी नाभि को चूमता और छाता है और ऐसे ही उसकी मस्त थोड़ी मोती जाँघों को भी चूमता और थोड़ा काटता है जिसमें वसु आँहें भर्ती रहती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है जिससे उसकी चूचियां भी मस्त हिलती रहती है.
वसु बड़बड़ाते हुए... देखना मेरी चूत इतनी पानी बहा रही है और तू उसपे ध्यान ही नहीं दे रहा है.
दीपू को भी इसमें मजा आ रहा था और वो आखिर में उसकी रस से भरी हुई गुलाबी चूत पे पहले एक गीला चुम्बन देता है और उसकी फांकों को फैलाते हुए अपनी जीभ अंदर दाल कर मस्त चूसता है.
वसु भी मजे से उसके सर को पकड़ कर ना जाने कितनी बार झड़ जाती है. लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. वो वसु को पलटा कर पिछसे से उसकी चूत और गांड को मस्त चाटता है. जब दीपू उसकी गांड को चाटता है तो वसु पीछे मुड कर उसको देखती है तो दीपू हस देता है और कहता है की तुम्हारी गांड तो एकदम मस्त और टाइट है. तुम्हारे जन्मदिन पे तुम्हे बहुत मजा दूंगा और फिर उसकी गांड को चाटने लग जाता है .
थोड़ी देर बाद वसु कहती है की अब उससे खड़ा नहीं रहा जा रहा है तो दीपू उसे बगल में किचन के स्लैब में बिठा कर उसके पाँव अपनी कंधे पे रखते हुए फिर से उसकी चूत को चाटने लग जाता है.
वसु अब अपने मदहोश में नहीं थी और बड़बड़ाती रहती है. उसे भी पता नहीं था की वो क्या बोल रही है. अब तू सिर्फ चूत ही चाटेगा क्या? शायद अब तक तेरा लंड भी बैठ गया होगा.
दीपू: ऐसे कैसे? तुम्हारा पानी पी कर तो अभी तो लंड और भी टाइट हो गया है और उसपर थोड़ा दया करते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास रख कर उसको देखते हुए कहता है देखो कितना खड़ा है और एक ज़ोरदार धक्का मारता है और इस बार एक ही बार में उसका पूरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत के जड़ तक चले जाता है.
वसु नै ऐसा नहीं सोचा था और उस झटके से उसकी आँखें बाहर आ जाती है और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. वो भी थोड़े गुस्से में... पूरा एक साथ किसने डालने को बोलै था? मैं तो जैसे मर ही गयी. दीपू भी फिर झुक कर उसको चूमते हुए.. थोड़ा दर हुआ है लेकिन मजा भी आ रहा है ना... अगर नहीं तो अब देखो... और ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकल कर फिर से अंदर डालते हुए अब धीरे धीरे उसको चोदने लगता है. अब वसु को थोड़ी राहत मिलती है और उसे भी अब मजा आने लगता है. 5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद दीपू उसे स्लैब से उठा कर दीवार से सटाते हुए एक टांग को अपने कंधे पे रखते हुए फिर से उसे चोदने लगता है.
दीपू: मजा आ रहा है के नहीं?
वसु: ये सब तूने कहाँ से सीखा? कभी किचन के स्लैब पे तो कभी दीवार से सटा कर चोद रहा है.
दीपू: तुम उसकी चिंता क्यों करती हो? बस मजे करो.. और फिर दीपू फिरसे उसे चूमते हुए पेलने लग जाता है. आधे घंटे की दुमदार चुदाई के बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका भी होने वाला है. इस आधे घंटे में वसु ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी. दीपू फिर उसको चोदते हुए कहता है की वो आज उसके अंदर ही अपना पानी छोड़ेगा. वसु भी सिसकारियां और मजे लेते हुए हाँ कहती है तो 4-5 और धक्के मारते हुए दीपू अपना पूरा गरम और गाड़ा वीर्य उसके अंदर ही निकालता है और काफी निकालता है. 3-4 min मं बाद जब दोनों अपनी सांसें संभालते है तो
वसु: तू तो इतना पानी छोड़ा है की मैं शायद पेट से हो जाऊं.
दीपू: मैं तो यही चाहता हूँ ना.. की तुम फिर से जल्दी माँ बन जाओ और मुझे भी बाप बना दो. इस बात पे वसु भी शर्मा जाती है और प्यार से दीपू के सीने में हल्का सा मुक्का मारती है लेकिन हस देती है जिसका मतलब दोनों को पता था.
दोनों फिर थके हारे अपने आप को ठीक करते है और कमरे में जाते है तो दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही थी. उसको देख कर दोनों हस्ते है और वो दोनों भी सो जाते है.
अगली सुबह सब उठ जाते है और अपना काम करते है. दीपू चाय पीते वक़्त दीपक को फ़ोन करता है.
दीपू: दिनेश आंटी कैसी है?
दिनेश: माँ तो ठीक है. अब उसका बुखार भी काम हो गया है.
दीपू: तू आज काम पे आ रहा है क्या? मुझे तुझसे एक ज़रूरी बात करनी है.
दिनेश: हाँ आ रहा हूँ. बात क्या है?
दीपू: बात थोड़ी सीरियस है लेकिन मैं फ़ोन पे नहीं बता सकता.
दिनेश: ठीक है मैं जल्दी ही आता हूँ. चल Bye.
दीपू जब ये बात दिनेश को फ़ोन पे बताता है तो वसु पूछती है की प्रॉब्लम क्या है? दीपू बात को टाल देता है और कहता है की कुछ ख़ास बात नहीं है और फिर वो भी रेडी हो कर काम के लिए निकलता है. जब वो दरवाज़े पे जाता है तो पलट के देखता है तो दोनों समझ जाते है और फिर वसु और दिव्या भी उसके पास आकर दीपू के होंठ चूमते है. दीपू भी मस्त दोनों के होंठ चूमता है और साथ में दोनों की गांड भी दबा देता है.
दोनों एक साथ: अब जाओ. तुम्हारा दिन अच्छा रहेगा.
दीपू: हाँ अब मुँह मीठा हो गया है तो दिन अच्छा ही रहेगा और फिर हस्ते हुए वो अपने काम के लिए निकल जाता है.
दोनों भी अपने मन में: ये बहुत ठरकी बनता जा रहा है लेकिन मजा भी उतना ही देता है और मन में दोनों भी हस देते है.
दीपू ऑफिस जाता है तो उसी समय दिनेश भी आ जाता है. दिनेश: क्या हुआ जो तू मुझे फ़ोन पे कुछ नहीं बता सकता था?
दीपू फिर अपना लैपटॉप खोल कर उसे एकाउंट्स दिखाता है और दिनेश क्या कहेगा ये सोचता है. दिनेश एकाउंट्स देखता है तो उसे कुछ गलत नहीं लगता (उसे ऐसा लगता है).
दिनेश: क्या है ये? सब तो ठीक है. इसमें इतना क्या सीरियस है?
दीपू: अबे ठीक से फिर से देख... और इस बार दीपू दिनेश को फिर से एकाउंट्स दिखाता है और कहता है की अब गड़बड़ समझ में आया क्या?
दिनेश फिर एक बार अच्छे से देखता है और कहता है की ये तो मैंने भी ठीक से नहीं देखा. कुछ तो लोचा है. एक min रुक और दिनेश अपनी माँ ऋतू को फ़ोन करता है.
दिनेश: माँ ये एकाउंट्स कौन देखता है अपने ऑफिस में? तुमने कभी ठीक से देखा नहीं क्या?
ऋतू: नहीं बेटा मैंने कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. अपने ऑफिस में जो अकाउंटेंट है वही सब देखता है. क्यों कुछ प्रॉब्लम है क्या? दिनेश को लगता है की उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है तो वो उससे कुछ नहीं बताता और कहता है की सब ठीक है और फिर फ़ोन रख देता है.
दिनेश: एक काम करते है. ये एक बार किसी अच्छे Auditor को दिखाते है और कन्फर्म करते है की अपने एकाउंट्स ठीक नहीं है. इतने में मैं भी अपने Accountant से बात करता हूँ. दीपू को भी ये बात सही लगती है तो फिर दोनों एक अच्छे Auditor के पास जाते है और उनके Accounts का Audit करवाते है.
Auditor कहता है की वो १- २ दिन में वो उनको results बताएगा.
फिर दोनों अपने ऑफिस आ जाते है और अपने काम में फिर से लग जाते है. वो अब अपने बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते थे तो इसी प्लान में दोनों लग जाते है.
२ दिन बाद ऑडिटर उनको फ़ोन करके बताता है की एकाउंट्स ठीक से मैच नहीं हो रहे है और कुछ लाखों रुपयों का मिसमैच है. दिनेश फिर अपने स्टाफ को बुलाता है और पूछ ताछ करता है लेकिन उस दिन कंपनी का अकाउंटेंट नहीं था और वो पिछले २ दिन से आया नहीं था. दिनेश को कुछ गड़बड़ लगता है लेकिन उस वक़्त वो ज़्यादा कुछ नहीं कहता और फिर अपने सब स्टाफ को ध्यान से काम करने के लिए कहता है और सब अपने काम में लग जाते है.
एक लड़का चुपके से बाहर जाता है और वो Accountant को फ़ोन करता है जो की उसका दोस्त था.
लड़का: क्यों रे आज तू आया नहीं? मालिक तेरे बारे में पूछ रहे थे.
Accountant: क्या पूछ रहे थे?
लड़का: तूने कुछ घपला किया है क्या? वो लोग कुछ पैसों के बारे में पूछ रहे थे जिसका मुझे कोई आईडिया नहीं है. वो सब काम तो तू ही देखता है ना. Accountant ये बात सुनकर थोड़ा घबरा जाता है लेकिन फ़ोन पे नार्मल होते हुए कहता है की उसने कुछ नहीं किया. वो लड़का उससे और ज़्यादा बात नहीं करता और अपने काम में लग जाता है.
इतने में दिनेश दीपू से कहता है की वो एक बार बैंक जाकर पता करे की वहां से कुछ काम निकलेगा क्या? दीपू फिर बैंक निकल जाता है और पता करता है की कंपनी का आदमी ने कुछ पैसे निकाले थे लेकिन उसको कंपनी के बुक्स में नहीं लिखा गया था. दीपू को भी ये बात अलग लगती है और वो दिनेश को भी बताता है. दिनेश कहता है की जब accountant आएगा तो वो लोग इस बारे में उससे बात करेंगे.
दीपू फिर बाकी काम कर के घर आ जाता है लेकिन आज उसका मूड ठीक नहीं था. वसु और दिव्या उससे पूछते है तो वो कहता है की ऑफिस के काम से बिजी था और आज वो बहुत थक गया है. वो दोनों भी कुछ ज़्यादा बात नहीं करते और उन्हें भी अब थोड़ी आराम की ज़रुरत थी क्यूंकि पिछले २ दिनों से दीपू उन दोनों की जब की ठुकाई किया था.
अगले दिन दोनों ऑफिस में मिलते है तो फिर पता चलता है की वो अकाउंटेंट आज भी ऑफिस नहीं आया था. दिनेश उसको फ़ोन करता है तो उसका फ़ोन ऑफ होता है. दिनेश फिर कुछ काम से बाहर जाता है. अपना काम कर के जब वो वापस आ रहा था तो वो उस अकाउंटेंट को देखता है जो एक बैग लिए कहीं जा रहा है. दिनेश को आश्चर्य होता है तो उसका पीछा करता है. वो आदमी किसीसे मिलता है और वो बैग उसे देता है और कुछ बातें करता है (जो दिनेश समझ नहीं पाता क्यूंकि वो उससे दूरी बनाये हुए था और उनकी बातें दिनेश को सुनाई नहीं देती). दिनेश को मामला ठीक नहीं लगता तो वो वहां से निकलता है और दीपू को फ़ोन करके बताता है. दोनों इस बारें में बात करते है और सोचते है की पुलिस में रिपोर्ट करे. दोनों फिर मिलकर पुलिस स्टेशन जाते है और फिर एक रिपोर्ट करते है. पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर के मामले की छान बीन करती है और जो शक दिनेश को हुआ था वही सच निकलता है. वो अकाउंटेंट ने पैसे चोरी किये थे और उसे लगा था की मालकिन (ऋतू) इसके बारे में कुछ ज़्यादा ध्यान नहीं देती तो उसे कोई डर नहीं था पकडे जाने का... लेकिन उसने दिनेश और दीपू के बारे में सोचा नहीं था की वो लोग इस पर ज़्यादा ध्यान देंगे. पुलिस वो अकाउंटेंट को गिरफ्तार कर लेती है. कुछ पैसे तो मिल जाते है लेकिन पूरा नहीं मिल पाता. (Not writing in much detail as it is not that important and want to move the story forward).
जा बी वो आदमी को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो वो बहुत गुस्सा हो जाता है और सोचता है की जब वो बाहर आएगा तो उन दोनों से बदला लेगा. जब ये सब हो जाता है तो दिनेश और दीपू भी अब संभाल कर कंपनी का काम देखते है. कुछ दिनों बाद अब काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और उनका बिज़नेस भी बढ़ जाता है और कंपनी भी अब अच्छे प्रॉफिट में थी. अब वो लोग भी बहुत खुश थे.
उस दिन जब दीपू शाम को घर आता है तो वो बहुत खुश नज़र आ रहा था. वसु पूछती है कि क्या बात है तो दीपू कहता है की उनका काम बहुत अच्छे से हो रहा है और कंपनी में प्रॉफ़िट्स भी अच्छे है. वो वसु को ख़ुशी से उठा लेता है और उसके होंठ चूमता है जिसमें वो भी उसका साथ देती है. उन दोनों को देख कर दिव्या भी पूछती है की ख़ुशी की क्या बात है... तो दीपू उसे भी बाहों में ले लेता है और उसे भी चूमते हुए कहता है की आज रात दोनों तैयार रहना.सा बी खुशियां मनाएंगे. दोनों इस बात का मतलब समझ जाते है लेकिन कुछ नहीं कहते.. और उससे छूट कर किचन में अपना काम करने चले जाते है.... और दीपू मन में सोचते हुए कमरे में निकल जाता है की आज रात को वो क्या करने वाला है....
वहीँ दिनेश भी अपने घर जाता है और अपनी माँ को भी बताता है की उनका बिज़नेस अब बहुत अच्छे से चल रहा है. उसकी माँ ऋतू भी बहुत खुश हो जाती है और उसे भी अपने गले लगा लेती है. वो भी दीपू को फ़ोन करती है और उसे भी बधाई देती है की वो दोनों और अच्छे से आगे काम करे और अपने बिज़नेस को आगे बढाए. उसी वक़्त ऋतू भी वसु से बात करती है और कहती है की वो भी जल्दी ही निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है. वसु भी इस बात पे हामी भर्ती है और कहती है की जल्दी ही वो भी आपकी बहु जल्दी ही बन जायेगी. वो लोग भी अब शादी की तैयारी कर रहे है. इस बात पे सब खुश हो जाते है और निशा की शर्म के मारे अपने कमरे में भाग जाती है.
रात को निशा दिनेश से फ़ोन पे बात करती है. दिनेश भी आज अच्छे मूड में था तो वो भी निशा से सेक्सी बातें करता है और दोनों भी एक दुसरे को फ़ोन पे ही चुम्मा देते है और अपने होने वाले शादी के बारे में भी बात करते है. निशा भी मस्ती में सो जाती है ये सोचते हुए की वो (दिनेश) सेक्सी बातें करने में जितना अच्छा है उसी तरह वो बिस्तर पे भी अच्छा होगा...
वहीँ दीपू के कमरे में दीपू दोनों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. दोनों भी आज अच्छे मूड में थे क्यूंकि वो लोग भी २- ३ दिन अच्छे से आराम कर पाए थे. दोनों जब कमरे में आते है तो पहले वो अपना कमरा बंद कर देते है और फिर इस बार दोनों दीपू पे टूट पड़ती है. दीपू भी इसी पल का इंतज़ार कर रहा था. पहले वो वसु को चूमता है फिर बाद में दिव्या को और फिर तीनो एक साथ चूमते है.
देखते देखते तीनो नंगे हो जाते है. आज दोनों की चूतें भी बहुत पानी बहा रही थी. दीपू वसु की चूत चाटता है तो दिव्या भी वसु के मुँह पे बैठ जाती है और दिव्या भी अपनी चूत वसु से चटवाती है और दिव्या झुक कर वसु की चूची को दबाती है. तीनो खुल के मजे ले रहे थे और कमरे में आवाज़ें भी आ रही थी. आज उन तीनो को कोई परवाह नहीं थी की आवाज़ निशा को भी सुनाई दे सकती है.
कुछ समय बाद जब वसु का पानी निकल जाता है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है तो दीपू भी अब बिस्तर पे लेट जाता है. इस बार वसु उसका लंड चूसती है तो दिव्या उसके मुँह पे बैठते हुए अपनी चूत चटवाती है तो वो भी झुक कर वसु के साथ वो भी दीपू का लंड चूसती है. दीपू भी मस्ती में दिव्या को चूसते हुए अपना एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करता है लेकिन दिव्या की गांड भी कुंवारी और बहुत टाइट थी तो उसकी ऊँगली नहीं जा पाती. दीपू फिर मन में सोचता है की कभी और दिन वो आराम से उसकी गांड मारेगा. अभी चूत ही सही... ५ मं बाद जब दोनों उसका लंड चूस कर एकदम खड़ा कर देते है तो दिव्या उसके लंड पे बैठ जाती है और ऊपर नीचे होते हुए दीपू से चुडते रहती है.
वसु भी दिव्या के पीछे आकर उसकी चूचियां दबाती रहती है. कमरे में अब माहौल बहुत गरम हो गया था. कमरे में सिसकारियों और फच फच की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था. काफी देर था दिव्या की ठुकाई के बाद अब वसु की बारी थी तो दीपू वसु को घोड़ी बना कर चोदता है. इस पोजीशन में वसु कोभी बहुत मजा आ रहा था. दीपू का पूरा ८ इन का लंड उसकी चूत की जड़ तक चला गया था. इस बार दिव्या को लिटा कर वसु उसकी चूत चूस रही थी और पीछे से दीपू उसे पेल रहा था.
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
अब आगे..
वसु जब अपनी गांड मटकाते हुए किचन में जाती है तो उसे पता था की उसके पीछे एक लट्टू की तरह दीपू आएगा और कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ. वो किचन में काम कर रही थी तो दीपू पीछे से आकर उसको बाहों में भर लेता है और धीरे से कान में कहता है..
तुम्हे याद है ना की तुम्हारी जन्मदिन पर मेरी तरफ से तुम्हारी गांड का उद्धघाटन कर के तुम्हे तोहफा दूंगा लेकिन तुम अगर ऐसी गांड मटकाकर घर में चलोगी तो मैं तुम्हारे जन्मदिन तक भी नहीं रुकूंगा और एक दिन जल्दी ही वो दरवाज़ा भी खोल दूंगा और हस देता है...
वसु ये बात सुनती है तो एकदम शर्मा जाती है और कहती है की वो मैं नहीं करने दूँगी. दीपू उसकी चूची को दबाते हुए... क्यों अपने पति को मन करोगी तुम्हे तोहफा देने में... वसु कुछ नहीं कहती तो दीपू वसु को पलट देता है और उसकी आँखों में देखता है. उसकी आँखों में भी बहुत प्यास नज़र आती है तो दीपू भी कहाँ रुकने वाला था. वो आगे बढ़कर उसके होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है और दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है और एक दुसरे की जीभ को भी जमकर चूसते है. दीपू उसको चूमते हुए उसकी चूची को दबाते रहता है. लगभग ३- ४ मं बाद जब दोनों अलग होते है तो दोनों हाँफते रहते है.
वसु दीपू को देख कर कहती है.. अभी तो तो दिव्या को चोद कर आया है लेकिन तुम्हारा मन नहीं भरा क्या?
दीपू: अपनी सेक्सी और हॉट माँ से कभी मन भर सकता है क्या? वसु भी एकदम मदमस्त और गरम हो जाती है और उसके लंड को पकड़ लेती है तो वो अभी ढीला पड़ा हुआ था क्यूंकि कुछ देर पहले ही उसने अपना माल दिव्या की चूत में छोडा था.
वसु: तुम तो कह रहे थे की तुम्हारा मन नहीं भरा लेकिन ये तो एकदम ठंडा पद गया है.
दीपू: हां पता है लेकिन तुम्हारे मुँह और हाथ में वो जादू है की एक मुर्दा भी जाग जाए. फिर मैं तो एक जीता जागता आदमी हूँ तो तुम जल्दी ही इसे अपने लिए तैयार कर दोगी और ऐसा कहते हुए दीपू उसका कन्धा पकड़ कर नीचे झुकता है जिसे वसु समझ जाती है और फिर दीपू का लंड उसके पैंट से बाहर निकल कर पहले एक चुम्मा देती है जो ढीला पड़ा हुआ था. धीरे धीरे उसे हिलाने लगती है और फिर मुँह में लेकर उसका चूसना शुरू करती है.
हिलाने और चूसने से दीपू के लंड पे भी अब जान आने लगती है और दीपू भी अपना कमर आगे पीछे करता है और २ मं में ही वो उसके लंड को वसु के मुँह में भर देता है. दीपू का लंड अब पूरा तन गया था और उसे वसु के गले तक अंदर डालता है जिसे वो अपने पूरे मुँह में ले लेती है.
वसु को भी अब इसमें मजा आ रहा था और दीपू भी अब झटके मार रहा था. वो तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था. ६- ७ मं तक अच्छे से उसके लंड को चूसने के बाद दीपू उसे उठाता है और फिर उसे किस करते हुए उसको पूरा नंगा कर देता है.
दीपू: मैंने कहा था ना की तुम्हारे मुँह और हातों में जादू है. देखो ये फिर से तुम्हारी मुनिया को सलाम कर रहा है.
वसु: चुप कर कुछ भी बकता रहता है. अब वसु भी बहुत गरम हो गयी थी और उसकी चूत भी पानी से बेह रही थी. जल्दी से अंदर डालना.
दीपू: क्या डालूं और कहाँ डालूं?
वसु: तू भी ना... बहुत परेशान कर रहा है… सुधरेगा नहीं .. सुन्ना है तो सुन... जल्दी से तेरा ये लंड मेरी चूत में दाल दे. बस... खुश?
दीपू: ये बात हुई ना जान.. लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे मेरे मुँह का जादू दिखाता हूँ ना.
और ऐसा कहते हुए दीपू उसे ऊपर से पूरा नंगा कर देता है और उसकी एकदम ठोस चूचियां और तानी हुई निप्पल को देख कर कहता है.. ये तो एकदम तानी हुई है. मुझे बहुत उत्तेजित कर रही है.
वसु: उत्तेजित तो मैं भी हूँ. तानी क्यों नहीं होगी? इतनी देर से मुझे उकसा रहे हो तो ये भी तो उत्तेजित जो जायेगी ना.
फिर दीपू चूची को मुँह में लेकर चूसता है और दुसरे को दबाता है. वसु तो पहले से ही गरम थी तो वो उसका सर अपने चूची पे दबा देती है. ५ मं तक अच्छे से रसपान करने के बाद झुक कर उसकी नाभि को चूमता और छाता है और ऐसे ही उसकी मस्त थोड़ी मोती जाँघों को भी चूमता और थोड़ा काटता है जिसमें वसु आँहें भर्ती रहती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है जिससे उसकी चूचियां भी मस्त हिलती रहती है.
वसु बड़बड़ाते हुए... देखना मेरी चूत इतनी पानी बहा रही है और तू उसपे ध्यान ही नहीं दे रहा है.
दीपू को भी इसमें मजा आ रहा था और वो आखिर में उसकी रस से भरी हुई गुलाबी चूत पे पहले एक गीला चुम्बन देता है और उसकी फांकों को फैलाते हुए अपनी जीभ अंदर दाल कर मस्त चूसता है.
वसु भी मजे से उसके सर को पकड़ कर ना जाने कितनी बार झड़ जाती है. लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. वो वसु को पलटा कर पिछसे से उसकी चूत और गांड को मस्त चाटता है. जब दीपू उसकी गांड को चाटता है तो वसु पीछे मुड कर उसको देखती है तो दीपू हस देता है और कहता है की तुम्हारी गांड तो एकदम मस्त और टाइट है. तुम्हारे जन्मदिन पे तुम्हे बहुत मजा दूंगा और फिर उसकी गांड को चाटने लग जाता है .
थोड़ी देर बाद वसु कहती है की अब उससे खड़ा नहीं रहा जा रहा है तो दीपू उसे बगल में किचन के स्लैब में बिठा कर उसके पाँव अपनी कंधे पे रखते हुए फिर से उसकी चूत को चाटने लग जाता है.
वसु अब अपने मदहोश में नहीं थी और बड़बड़ाती रहती है. उसे भी पता नहीं था की वो क्या बोल रही है. अब तू सिर्फ चूत ही चाटेगा क्या? शायद अब तक तेरा लंड भी बैठ गया होगा.
दीपू: ऐसे कैसे? तुम्हारा पानी पी कर तो अभी तो लंड और भी टाइट हो गया है और उसपर थोड़ा दया करते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास रख कर उसको देखते हुए कहता है देखो कितना खड़ा है और एक ज़ोरदार धक्का मारता है और इस बार एक ही बार में उसका पूरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत के जड़ तक चले जाता है.
वसु नै ऐसा नहीं सोचा था और उस झटके से उसकी आँखें बाहर आ जाती है और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. वो भी थोड़े गुस्से में... पूरा एक साथ किसने डालने को बोलै था? मैं तो जैसे मर ही गयी. दीपू भी फिर झुक कर उसको चूमते हुए.. थोड़ा दर हुआ है लेकिन मजा भी आ रहा है ना... अगर नहीं तो अब देखो... और ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकल कर फिर से अंदर डालते हुए अब धीरे धीरे उसको चोदने लगता है. अब वसु को थोड़ी राहत मिलती है और उसे भी अब मजा आने लगता है. 5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद दीपू उसे स्लैब से उठा कर दीवार से सटाते हुए एक टांग को अपने कंधे पे रखते हुए फिर से उसे चोदने लगता है.
दीपू: मजा आ रहा है के नहीं?
वसु: ये सब तूने कहाँ से सीखा? कभी किचन के स्लैब पे तो कभी दीवार से सटा कर चोद रहा है.
दीपू: तुम उसकी चिंता क्यों करती हो? बस मजे करो.. और फिर दीपू फिरसे उसे चूमते हुए पेलने लग जाता है. आधे घंटे की दुमदार चुदाई के बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका भी होने वाला है. इस आधे घंटे में वसु ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी. दीपू फिर उसको चोदते हुए कहता है की वो आज उसके अंदर ही अपना पानी छोड़ेगा. वसु भी सिसकारियां और मजे लेते हुए हाँ कहती है तो 4-5 और धक्के मारते हुए दीपू अपना पूरा गरम और गाड़ा वीर्य उसके अंदर ही निकालता है और काफी निकालता है. 3-4 min मं बाद जब दोनों अपनी सांसें संभालते है तो
वसु: तू तो इतना पानी छोड़ा है की मैं शायद पेट से हो जाऊं.
दीपू: मैं तो यही चाहता हूँ ना.. की तुम फिर से जल्दी माँ बन जाओ और मुझे भी बाप बना दो. इस बात पे वसु भी शर्मा जाती है और प्यार से दीपू के सीने में हल्का सा मुक्का मारती है लेकिन हस देती है जिसका मतलब दोनों को पता था.
दोनों फिर थके हारे अपने आप को ठीक करते है और कमरे में जाते है तो दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही थी. उसको देख कर दोनों हस्ते है और वो दोनों भी सो जाते है.
अगली सुबह सब उठ जाते है और अपना काम करते है. दीपू चाय पीते वक़्त दीपक को फ़ोन करता है.
दीपू: दिनेश आंटी कैसी है?
दिनेश: माँ तो ठीक है. अब उसका बुखार भी काम हो गया है.
दीपू: तू आज काम पे आ रहा है क्या? मुझे तुझसे एक ज़रूरी बात करनी है.
दिनेश: हाँ आ रहा हूँ. बात क्या है?
दीपू: बात थोड़ी सीरियस है लेकिन मैं फ़ोन पे नहीं बता सकता.
दिनेश: ठीक है मैं जल्दी ही आता हूँ. चल Bye.
दीपू जब ये बात दिनेश को फ़ोन पे बताता है तो वसु पूछती है की प्रॉब्लम क्या है? दीपू बात को टाल देता है और कहता है की कुछ ख़ास बात नहीं है और फिर वो भी रेडी हो कर काम के लिए निकलता है. जब वो दरवाज़े पे जाता है तो पलट के देखता है तो दोनों समझ जाते है और फिर वसु और दिव्या भी उसके पास आकर दीपू के होंठ चूमते है. दीपू भी मस्त दोनों के होंठ चूमता है और साथ में दोनों की गांड भी दबा देता है.
दोनों एक साथ: अब जाओ. तुम्हारा दिन अच्छा रहेगा.
दीपू: हाँ अब मुँह मीठा हो गया है तो दिन अच्छा ही रहेगा और फिर हस्ते हुए वो अपने काम के लिए निकल जाता है.
दोनों भी अपने मन में: ये बहुत ठरकी बनता जा रहा है लेकिन मजा भी उतना ही देता है और मन में दोनों भी हस देते है.
दीपू ऑफिस जाता है तो उसी समय दिनेश भी आ जाता है. दिनेश: क्या हुआ जो तू मुझे फ़ोन पे कुछ नहीं बता सकता था?
दीपू फिर अपना लैपटॉप खोल कर उसे एकाउंट्स दिखाता है और दिनेश क्या कहेगा ये सोचता है. दिनेश एकाउंट्स देखता है तो उसे कुछ गलत नहीं लगता (उसे ऐसा लगता है).
दिनेश: क्या है ये? सब तो ठीक है. इसमें इतना क्या सीरियस है?
दीपू: अबे ठीक से फिर से देख... और इस बार दीपू दिनेश को फिर से एकाउंट्स दिखाता है और कहता है की अब गड़बड़ समझ में आया क्या?
दिनेश फिर एक बार अच्छे से देखता है और कहता है की ये तो मैंने भी ठीक से नहीं देखा. कुछ तो लोचा है. एक min रुक और दिनेश अपनी माँ ऋतू को फ़ोन करता है.
दिनेश: माँ ये एकाउंट्स कौन देखता है अपने ऑफिस में? तुमने कभी ठीक से देखा नहीं क्या?
ऋतू: नहीं बेटा मैंने कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. अपने ऑफिस में जो अकाउंटेंट है वही सब देखता है. क्यों कुछ प्रॉब्लम है क्या? दिनेश को लगता है की उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है तो वो उससे कुछ नहीं बताता और कहता है की सब ठीक है और फिर फ़ोन रख देता है.
दिनेश: एक काम करते है. ये एक बार किसी अच्छे Auditor को दिखाते है और कन्फर्म करते है की अपने एकाउंट्स ठीक नहीं है. इतने में मैं भी अपने Accountant से बात करता हूँ. दीपू को भी ये बात सही लगती है तो फिर दोनों एक अच्छे Auditor के पास जाते है और उनके Accounts का Audit करवाते है.
Auditor कहता है की वो १- २ दिन में वो उनको results बताएगा.
फिर दोनों अपने ऑफिस आ जाते है और अपने काम में फिर से लग जाते है. वो अब अपने बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते थे तो इसी प्लान में दोनों लग जाते है.
२ दिन बाद ऑडिटर उनको फ़ोन करके बताता है की एकाउंट्स ठीक से मैच नहीं हो रहे है और कुछ लाखों रुपयों का मिसमैच है. दिनेश फिर अपने स्टाफ को बुलाता है और पूछ ताछ करता है लेकिन उस दिन कंपनी का अकाउंटेंट नहीं था और वो पिछले २ दिन से आया नहीं था. दिनेश को कुछ गड़बड़ लगता है लेकिन उस वक़्त वो ज़्यादा कुछ नहीं कहता और फिर अपने सब स्टाफ को ध्यान से काम करने के लिए कहता है और सब अपने काम में लग जाते है.
एक लड़का चुपके से बाहर जाता है और वो Accountant को फ़ोन करता है जो की उसका दोस्त था.
लड़का: क्यों रे आज तू आया नहीं? मालिक तेरे बारे में पूछ रहे थे.
Accountant: क्या पूछ रहे थे?
लड़का: तूने कुछ घपला किया है क्या? वो लोग कुछ पैसों के बारे में पूछ रहे थे जिसका मुझे कोई आईडिया नहीं है. वो सब काम तो तू ही देखता है ना. Accountant ये बात सुनकर थोड़ा घबरा जाता है लेकिन फ़ोन पे नार्मल होते हुए कहता है की उसने कुछ नहीं किया. वो लड़का उससे और ज़्यादा बात नहीं करता और अपने काम में लग जाता है.
इतने में दिनेश दीपू से कहता है की वो एक बार बैंक जाकर पता करे की वहां से कुछ काम निकलेगा क्या? दीपू फिर बैंक निकल जाता है और पता करता है की कंपनी का आदमी ने कुछ पैसे निकाले थे लेकिन उसको कंपनी के बुक्स में नहीं लिखा गया था. दीपू को भी ये बात अलग लगती है और वो दिनेश को भी बताता है. दिनेश कहता है की जब accountant आएगा तो वो लोग इस बारे में उससे बात करेंगे.
दीपू फिर बाकी काम कर के घर आ जाता है लेकिन आज उसका मूड ठीक नहीं था. वसु और दिव्या उससे पूछते है तो वो कहता है की ऑफिस के काम से बिजी था और आज वो बहुत थक गया है. वो दोनों भी कुछ ज़्यादा बात नहीं करते और उन्हें भी अब थोड़ी आराम की ज़रुरत थी क्यूंकि पिछले २ दिनों से दीपू उन दोनों की जब की ठुकाई किया था.
अगले दिन दोनों ऑफिस में मिलते है तो फिर पता चलता है की वो अकाउंटेंट आज भी ऑफिस नहीं आया था. दिनेश उसको फ़ोन करता है तो उसका फ़ोन ऑफ होता है. दिनेश फिर कुछ काम से बाहर जाता है. अपना काम कर के जब वो वापस आ रहा था तो वो उस अकाउंटेंट को देखता है जो एक बैग लिए कहीं जा रहा है. दिनेश को आश्चर्य होता है तो उसका पीछा करता है. वो आदमी किसीसे मिलता है और वो बैग उसे देता है और कुछ बातें करता है (जो दिनेश समझ नहीं पाता क्यूंकि वो उससे दूरी बनाये हुए था और उनकी बातें दिनेश को सुनाई नहीं देती). दिनेश को मामला ठीक नहीं लगता तो वो वहां से निकलता है और दीपू को फ़ोन करके बताता है. दोनों इस बारें में बात करते है और सोचते है की पुलिस में रिपोर्ट करे. दोनों फिर मिलकर पुलिस स्टेशन जाते है और फिर एक रिपोर्ट करते है. पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर के मामले की छान बीन करती है और जो शक दिनेश को हुआ था वही सच निकलता है. वो अकाउंटेंट ने पैसे चोरी किये थे और उसे लगा था की मालकिन (ऋतू) इसके बारे में कुछ ज़्यादा ध्यान नहीं देती तो उसे कोई डर नहीं था पकडे जाने का... लेकिन उसने दिनेश और दीपू के बारे में सोचा नहीं था की वो लोग इस पर ज़्यादा ध्यान देंगे. पुलिस वो अकाउंटेंट को गिरफ्तार कर लेती है. कुछ पैसे तो मिल जाते है लेकिन पूरा नहीं मिल पाता. (Not writing in much detail as it is not that important and want to move the story forward).
जा बी वो आदमी को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो वो बहुत गुस्सा हो जाता है और सोचता है की जब वो बाहर आएगा तो उन दोनों से बदला लेगा. जब ये सब हो जाता है तो दिनेश और दीपू भी अब संभाल कर कंपनी का काम देखते है. कुछ दिनों बाद अब काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और उनका बिज़नेस भी बढ़ जाता है और कंपनी भी अब अच्छे प्रॉफिट में थी. अब वो लोग भी बहुत खुश थे.
उस दिन जब दीपू शाम को घर आता है तो वो बहुत खुश नज़र आ रहा था. वसु पूछती है कि क्या बात है तो दीपू कहता है की उनका काम बहुत अच्छे से हो रहा है और कंपनी में प्रॉफ़िट्स भी अच्छे है. वो वसु को ख़ुशी से उठा लेता है और उसके होंठ चूमता है जिसमें वो भी उसका साथ देती है. उन दोनों को देख कर दिव्या भी पूछती है की ख़ुशी की क्या बात है... तो दीपू उसे भी बाहों में ले लेता है और उसे भी चूमते हुए कहता है की आज रात दोनों तैयार रहना.सा बी खुशियां मनाएंगे. दोनों इस बात का मतलब समझ जाते है लेकिन कुछ नहीं कहते.. और उससे छूट कर किचन में अपना काम करने चले जाते है.... और दीपू मन में सोचते हुए कमरे में निकल जाता है की आज रात को वो क्या करने वाला है....
वहीँ दिनेश भी अपने घर जाता है और अपनी माँ को भी बताता है की उनका बिज़नेस अब बहुत अच्छे से चल रहा है. उसकी माँ ऋतू भी बहुत खुश हो जाती है और उसे भी अपने गले लगा लेती है. वो भी दीपू को फ़ोन करती है और उसे भी बधाई देती है की वो दोनों और अच्छे से आगे काम करे और अपने बिज़नेस को आगे बढाए. उसी वक़्त ऋतू भी वसु से बात करती है और कहती है की वो भी जल्दी ही निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है. वसु भी इस बात पे हामी भर्ती है और कहती है की जल्दी ही वो भी आपकी बहु जल्दी ही बन जायेगी. वो लोग भी अब शादी की तैयारी कर रहे है. इस बात पे सब खुश हो जाते है और निशा की शर्म के मारे अपने कमरे में भाग जाती है.
रात को निशा दिनेश से फ़ोन पे बात करती है. दिनेश भी आज अच्छे मूड में था तो वो भी निशा से सेक्सी बातें करता है और दोनों भी एक दुसरे को फ़ोन पे ही चुम्मा देते है और अपने होने वाले शादी के बारे में भी बात करते है. निशा भी मस्ती में सो जाती है ये सोचते हुए की वो (दिनेश) सेक्सी बातें करने में जितना अच्छा है उसी तरह वो बिस्तर पे भी अच्छा होगा...
वहीँ दीपू के कमरे में दीपू दोनों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. दोनों भी आज अच्छे मूड में थे क्यूंकि वो लोग भी २- ३ दिन अच्छे से आराम कर पाए थे. दोनों जब कमरे में आते है तो पहले वो अपना कमरा बंद कर देते है और फिर इस बार दोनों दीपू पे टूट पड़ती है. दीपू भी इसी पल का इंतज़ार कर रहा था. पहले वो वसु को चूमता है फिर बाद में दिव्या को और फिर तीनो एक साथ चूमते है.
देखते देखते तीनो नंगे हो जाते है. आज दोनों की चूतें भी बहुत पानी बहा रही थी. दीपू वसु की चूत चाटता है तो दिव्या भी वसु के मुँह पे बैठ जाती है और दिव्या भी अपनी चूत वसु से चटवाती है और दिव्या झुक कर वसु की चूची को दबाती है. तीनो खुल के मजे ले रहे थे और कमरे में आवाज़ें भी आ रही थी. आज उन तीनो को कोई परवाह नहीं थी की आवाज़ निशा को भी सुनाई दे सकती है.
कुछ समय बाद जब वसु का पानी निकल जाता है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है तो दीपू भी अब बिस्तर पे लेट जाता है. इस बार वसु उसका लंड चूसती है तो दिव्या उसके मुँह पे बैठते हुए अपनी चूत चटवाती है तो वो भी झुक कर वसु के साथ वो भी दीपू का लंड चूसती है. दीपू भी मस्ती में दिव्या को चूसते हुए अपना एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करता है लेकिन दिव्या की गांड भी कुंवारी और बहुत टाइट थी तो उसकी ऊँगली नहीं जा पाती. दीपू फिर मन में सोचता है की कभी और दिन वो आराम से उसकी गांड मारेगा. अभी चूत ही सही... ५ मं बाद जब दोनों उसका लंड चूस कर एकदम खड़ा कर देते है तो दिव्या उसके लंड पे बैठ जाती है और ऊपर नीचे होते हुए दीपू से चुडते रहती है.
वसु भी दिव्या के पीछे आकर उसकी चूचियां दबाती रहती है. कमरे में अब माहौल बहुत गरम हो गया था. कमरे में सिसकारियों और फच फच की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था. काफी देर था दिव्या की ठुकाई के बाद अब वसु की बारी थी तो दीपू वसु को घोड़ी बना कर चोदता है. इस पोजीशन में वसु कोभी बहुत मजा आ रहा था. दीपू का पूरा ८ इन का लंड उसकी चूत की जड़ तक चला गया था. इस बार दिव्या को लिटा कर वसु उसकी चूत चूस रही थी और पीछे से दीपू उसे पेल रहा था.
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
अब आगे..
वसु जब अपनी गांड मटकाते हुए किचन में जाती है तो उसे पता था की उसके पीछे एक लट्टू की तरह दीपू आएगा और कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ. वो किचन में काम कर रही थी तो दीपू पीछे से आकर उसको बाहों में भर लेता है और धीरे से कान में कहता है..
तुम्हे याद है ना की तुम्हारी जन्मदिन पर मेरी तरफ से तुम्हारी गांड का उद्धघाटन कर के तुम्हे तोहफा दूंगा लेकिन तुम अगर ऐसी गांड मटकाकर घर में चलोगी तो मैं तुम्हारे जन्मदिन तक भी नहीं रुकूंगा और एक दिन जल्दी ही वो दरवाज़ा भी खोल दूंगा और हस देता है...
वसु ये बात सुनती है तो एकदम शर्मा जाती है और कहती है की वो मैं नहीं करने दूँगी. दीपू उसकी चूची को दबाते हुए... क्यों अपने पति को मन करोगी तुम्हे तोहफा देने में... वसु कुछ नहीं कहती तो दीपू वसु को पलट देता है और उसकी आँखों में देखता है. उसकी आँखों में भी बहुत प्यास नज़र आती है तो दीपू भी कहाँ रुकने वाला था. वो आगे बढ़कर उसके होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है और दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है और एक दुसरे की जीभ को भी जमकर चूसते है. दीपू उसको चूमते हुए उसकी चूची को दबाते रहता है. लगभग ३- ४ मं बाद जब दोनों अलग होते है तो दोनों हाँफते रहते है.
वसु दीपू को देख कर कहती है.. अभी तो तो दिव्या को चोद कर आया है लेकिन तुम्हारा मन नहीं भरा क्या?
दीपू: अपनी सेक्सी और हॉट माँ से कभी मन भर सकता है क्या? वसु भी एकदम मदमस्त और गरम हो जाती है और उसके लंड को पकड़ लेती है तो वो अभी ढीला पड़ा हुआ था क्यूंकि कुछ देर पहले ही उसने अपना माल दिव्या की चूत में छोडा था.
वसु: तुम तो कह रहे थे की तुम्हारा मन नहीं भरा लेकिन ये तो एकदम ठंडा पद गया है.
दीपू: हां पता है लेकिन तुम्हारे मुँह और हाथ में वो जादू है की एक मुर्दा भी जाग जाए. फिर मैं तो एक जीता जागता आदमी हूँ तो तुम जल्दी ही इसे अपने लिए तैयार कर दोगी और ऐसा कहते हुए दीपू उसका कन्धा पकड़ कर नीचे झुकता है जिसे वसु समझ जाती है और फिर दीपू का लंड उसके पैंट से बाहर निकल कर पहले एक चुम्मा देती है जो ढीला पड़ा हुआ था. धीरे धीरे उसे हिलाने लगती है और फिर मुँह में लेकर उसका चूसना शुरू करती है.
हिलाने और चूसने से दीपू के लंड पे भी अब जान आने लगती है और दीपू भी अपना कमर आगे पीछे करता है और २ मं में ही वो उसके लंड को वसु के मुँह में भर देता है. दीपू का लंड अब पूरा तन गया था और उसे वसु के गले तक अंदर डालता है जिसे वो अपने पूरे मुँह में ले लेती है.
वसु को भी अब इसमें मजा आ रहा था और दीपू भी अब झटके मार रहा था. वो तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था. ६- ७ मं तक अच्छे से उसके लंड को चूसने के बाद दीपू उसे उठाता है और फिर उसे किस करते हुए उसको पूरा नंगा कर देता है.
दीपू: मैंने कहा था ना की तुम्हारे मुँह और हातों में जादू है. देखो ये फिर से तुम्हारी मुनिया को सलाम कर रहा है.
वसु: चुप कर कुछ भी बकता रहता है. अब वसु भी बहुत गरम हो गयी थी और उसकी चूत भी पानी से बेह रही थी. जल्दी से अंदर डालना.
दीपू: क्या डालूं और कहाँ डालूं?
वसु: तू भी ना... बहुत परेशान कर रहा है… सुधरेगा नहीं .. सुन्ना है तो सुन... जल्दी से तेरा ये लंड मेरी चूत में दाल दे. बस... खुश?
दीपू: ये बात हुई ना जान.. लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे मेरे मुँह का जादू दिखाता हूँ ना.
और ऐसा कहते हुए दीपू उसे ऊपर से पूरा नंगा कर देता है और उसकी एकदम ठोस चूचियां और तानी हुई निप्पल को देख कर कहता है.. ये तो एकदम तानी हुई है. मुझे बहुत उत्तेजित कर रही है.
वसु: उत्तेजित तो मैं भी हूँ. तानी क्यों नहीं होगी? इतनी देर से मुझे उकसा रहे हो तो ये भी तो उत्तेजित जो जायेगी ना.
फिर दीपू चूची को मुँह में लेकर चूसता है और दुसरे को दबाता है. वसु तो पहले से ही गरम थी तो वो उसका सर अपने चूची पे दबा देती है. ५ मं तक अच्छे से रसपान करने के बाद झुक कर उसकी नाभि को चूमता और छाता है और ऐसे ही उसकी मस्त थोड़ी मोती जाँघों को भी चूमता और थोड़ा काटता है जिसमें वसु आँहें भर्ती रहती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है जिससे उसकी चूचियां भी मस्त हिलती रहती है.
वसु बड़बड़ाते हुए... देखना मेरी चूत इतनी पानी बहा रही है और तू उसपे ध्यान ही नहीं दे रहा है.
दीपू को भी इसमें मजा आ रहा था और वो आखिर में उसकी रस से भरी हुई गुलाबी चूत पे पहले एक गीला चुम्बन देता है और उसकी फांकों को फैलाते हुए अपनी जीभ अंदर दाल कर मस्त चूसता है.
वसु भी मजे से उसके सर को पकड़ कर ना जाने कितनी बार झड़ जाती है. लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. वो वसु को पलटा कर पिछसे से उसकी चूत और गांड को मस्त चाटता है. जब दीपू उसकी गांड को चाटता है तो वसु पीछे मुड कर उसको देखती है तो दीपू हस देता है और कहता है की तुम्हारी गांड तो एकदम मस्त और टाइट है. तुम्हारे जन्मदिन पे तुम्हे बहुत मजा दूंगा और फिर उसकी गांड को चाटने लग जाता है .
थोड़ी देर बाद वसु कहती है की अब उससे खड़ा नहीं रहा जा रहा है तो दीपू उसे बगल में किचन के स्लैब में बिठा कर उसके पाँव अपनी कंधे पे रखते हुए फिर से उसकी चूत को चाटने लग जाता है.
वसु अब अपने मदहोश में नहीं थी और बड़बड़ाती रहती है. उसे भी पता नहीं था की वो क्या बोल रही है. अब तू सिर्फ चूत ही चाटेगा क्या? शायद अब तक तेरा लंड भी बैठ गया होगा.
दीपू: ऐसे कैसे? तुम्हारा पानी पी कर तो अभी तो लंड और भी टाइट हो गया है और उसपर थोड़ा दया करते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास रख कर उसको देखते हुए कहता है देखो कितना खड़ा है और एक ज़ोरदार धक्का मारता है और इस बार एक ही बार में उसका पूरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत के जड़ तक चले जाता है.
वसु नै ऐसा नहीं सोचा था और उस झटके से उसकी आँखें बाहर आ जाती है और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. वो भी थोड़े गुस्से में... पूरा एक साथ किसने डालने को बोलै था? मैं तो जैसे मर ही गयी. दीपू भी फिर झुक कर उसको चूमते हुए.. थोड़ा दर हुआ है लेकिन मजा भी आ रहा है ना... अगर नहीं तो अब देखो... और ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकल कर फिर से अंदर डालते हुए अब धीरे धीरे उसको चोदने लगता है. अब वसु को थोड़ी राहत मिलती है और उसे भी अब मजा आने लगता है. 5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद दीपू उसे स्लैब से उठा कर दीवार से सटाते हुए एक टांग को अपने कंधे पे रखते हुए फिर से उसे चोदने लगता है.
दीपू: मजा आ रहा है के नहीं?
वसु: ये सब तूने कहाँ से सीखा? कभी किचन के स्लैब पे तो कभी दीवार से सटा कर चोद रहा है.
दीपू: तुम उसकी चिंता क्यों करती हो? बस मजे करो.. और फिर दीपू फिरसे उसे चूमते हुए पेलने लग जाता है. आधे घंटे की दुमदार चुदाई के बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका भी होने वाला है. इस आधे घंटे में वसु ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी. दीपू फिर उसको चोदते हुए कहता है की वो आज उसके अंदर ही अपना पानी छोड़ेगा. वसु भी सिसकारियां और मजे लेते हुए हाँ कहती है तो 4-5 और धक्के मारते हुए दीपू अपना पूरा गरम और गाड़ा वीर्य उसके अंदर ही निकालता है और काफी निकालता है. 3-4 min मं बाद जब दोनों अपनी सांसें संभालते है तो
वसु: तू तो इतना पानी छोड़ा है की मैं शायद पेट से हो जाऊं.
दीपू: मैं तो यही चाहता हूँ ना.. की तुम फिर से जल्दी माँ बन जाओ और मुझे भी बाप बना दो. इस बात पे वसु भी शर्मा जाती है और प्यार से दीपू के सीने में हल्का सा मुक्का मारती है लेकिन हस देती है जिसका मतलब दोनों को पता था.
दोनों फिर थके हारे अपने आप को ठीक करते है और कमरे में जाते है तो दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही थी. उसको देख कर दोनों हस्ते है और वो दोनों भी सो जाते है.
अगली सुबह सब उठ जाते है और अपना काम करते है. दीपू चाय पीते वक़्त दीपक को फ़ोन करता है.
दीपू: दिनेश आंटी कैसी है?
दिनेश: माँ तो ठीक है. अब उसका बुखार भी काम हो गया है.
दीपू: तू आज काम पे आ रहा है क्या? मुझे तुझसे एक ज़रूरी बात करनी है.
दिनेश: हाँ आ रहा हूँ. बात क्या है?
दीपू: बात थोड़ी सीरियस है लेकिन मैं फ़ोन पे नहीं बता सकता.
दिनेश: ठीक है मैं जल्दी ही आता हूँ. चल Bye.
दीपू जब ये बात दिनेश को फ़ोन पे बताता है तो वसु पूछती है की प्रॉब्लम क्या है? दीपू बात को टाल देता है और कहता है की कुछ ख़ास बात नहीं है और फिर वो भी रेडी हो कर काम के लिए निकलता है. जब वो दरवाज़े पे जाता है तो पलट के देखता है तो दोनों समझ जाते है और फिर वसु और दिव्या भी उसके पास आकर दीपू के होंठ चूमते है. दीपू भी मस्त दोनों के होंठ चूमता है और साथ में दोनों की गांड भी दबा देता है.
दोनों एक साथ: अब जाओ. तुम्हारा दिन अच्छा रहेगा.
दीपू: हाँ अब मुँह मीठा हो गया है तो दिन अच्छा ही रहेगा और फिर हस्ते हुए वो अपने काम के लिए निकल जाता है.
दोनों भी अपने मन में: ये बहुत ठरकी बनता जा रहा है लेकिन मजा भी उतना ही देता है और मन में दोनों भी हस देते है.
दीपू ऑफिस जाता है तो उसी समय दिनेश भी आ जाता है. दिनेश: क्या हुआ जो तू मुझे फ़ोन पे कुछ नहीं बता सकता था?
दीपू फिर अपना लैपटॉप खोल कर उसे एकाउंट्स दिखाता है और दिनेश क्या कहेगा ये सोचता है. दिनेश एकाउंट्स देखता है तो उसे कुछ गलत नहीं लगता (उसे ऐसा लगता है).
दिनेश: क्या है ये? सब तो ठीक है. इसमें इतना क्या सीरियस है?
दीपू: अबे ठीक से फिर से देख... और इस बार दीपू दिनेश को फिर से एकाउंट्स दिखाता है और कहता है की अब गड़बड़ समझ में आया क्या?
दिनेश फिर एक बार अच्छे से देखता है और कहता है की ये तो मैंने भी ठीक से नहीं देखा. कुछ तो लोचा है. एक min रुक और दिनेश अपनी माँ ऋतू को फ़ोन करता है.
दिनेश: माँ ये एकाउंट्स कौन देखता है अपने ऑफिस में? तुमने कभी ठीक से देखा नहीं क्या?
ऋतू: नहीं बेटा मैंने कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. अपने ऑफिस में जो अकाउंटेंट है वही सब देखता है. क्यों कुछ प्रॉब्लम है क्या? दिनेश को लगता है की उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है तो वो उससे कुछ नहीं बताता और कहता है की सब ठीक है और फिर फ़ोन रख देता है.
दिनेश: एक काम करते है. ये एक बार किसी अच्छे Auditor को दिखाते है और कन्फर्म करते है की अपने एकाउंट्स ठीक नहीं है. इतने में मैं भी अपने Accountant से बात करता हूँ. दीपू को भी ये बात सही लगती है तो फिर दोनों एक अच्छे Auditor के पास जाते है और उनके Accounts का Audit करवाते है.
Auditor कहता है की वो १- २ दिन में वो उनको results बताएगा.
फिर दोनों अपने ऑफिस आ जाते है और अपने काम में फिर से लग जाते है. वो अब अपने बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते थे तो इसी प्लान में दोनों लग जाते है.
२ दिन बाद ऑडिटर उनको फ़ोन करके बताता है की एकाउंट्स ठीक से मैच नहीं हो रहे है और कुछ लाखों रुपयों का मिसमैच है. दिनेश फिर अपने स्टाफ को बुलाता है और पूछ ताछ करता है लेकिन उस दिन कंपनी का अकाउंटेंट नहीं था और वो पिछले २ दिन से आया नहीं था. दिनेश को कुछ गड़बड़ लगता है लेकिन उस वक़्त वो ज़्यादा कुछ नहीं कहता और फिर अपने सब स्टाफ को ध्यान से काम करने के लिए कहता है और सब अपने काम में लग जाते है.
एक लड़का चुपके से बाहर जाता है और वो Accountant को फ़ोन करता है जो की उसका दोस्त था.
लड़का: क्यों रे आज तू आया नहीं? मालिक तेरे बारे में पूछ रहे थे.
Accountant: क्या पूछ रहे थे?
लड़का: तूने कुछ घपला किया है क्या? वो लोग कुछ पैसों के बारे में पूछ रहे थे जिसका मुझे कोई आईडिया नहीं है. वो सब काम तो तू ही देखता है ना. Accountant ये बात सुनकर थोड़ा घबरा जाता है लेकिन फ़ोन पे नार्मल होते हुए कहता है की उसने कुछ नहीं किया. वो लड़का उससे और ज़्यादा बात नहीं करता और अपने काम में लग जाता है.
इतने में दिनेश दीपू से कहता है की वो एक बार बैंक जाकर पता करे की वहां से कुछ काम निकलेगा क्या? दीपू फिर बैंक निकल जाता है और पता करता है की कंपनी का आदमी ने कुछ पैसे निकाले थे लेकिन उसको कंपनी के बुक्स में नहीं लिखा गया था. दीपू को भी ये बात अलग लगती है और वो दिनेश को भी बताता है. दिनेश कहता है की जब accountant आएगा तो वो लोग इस बारे में उससे बात करेंगे.
दीपू फिर बाकी काम कर के घर आ जाता है लेकिन आज उसका मूड ठीक नहीं था. वसु और दिव्या उससे पूछते है तो वो कहता है की ऑफिस के काम से बिजी था और आज वो बहुत थक गया है. वो दोनों भी कुछ ज़्यादा बात नहीं करते और उन्हें भी अब थोड़ी आराम की ज़रुरत थी क्यूंकि पिछले २ दिनों से दीपू उन दोनों की जब की ठुकाई किया था.
अगले दिन दोनों ऑफिस में मिलते है तो फिर पता चलता है की वो अकाउंटेंट आज भी ऑफिस नहीं आया था. दिनेश उसको फ़ोन करता है तो उसका फ़ोन ऑफ होता है. दिनेश फिर कुछ काम से बाहर जाता है. अपना काम कर के जब वो वापस आ रहा था तो वो उस अकाउंटेंट को देखता है जो एक बैग लिए कहीं जा रहा है. दिनेश को आश्चर्य होता है तो उसका पीछा करता है. वो आदमी किसीसे मिलता है और वो बैग उसे देता है और कुछ बातें करता है (जो दिनेश समझ नहीं पाता क्यूंकि वो उससे दूरी बनाये हुए था और उनकी बातें दिनेश को सुनाई नहीं देती). दिनेश को मामला ठीक नहीं लगता तो वो वहां से निकलता है और दीपू को फ़ोन करके बताता है. दोनों इस बारें में बात करते है और सोचते है की पुलिस में रिपोर्ट करे. दोनों फिर मिलकर पुलिस स्टेशन जाते है और फिर एक रिपोर्ट करते है. पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर के मामले की छान बीन करती है और जो शक दिनेश को हुआ था वही सच निकलता है. वो अकाउंटेंट ने पैसे चोरी किये थे और उसे लगा था की मालकिन (ऋतू) इसके बारे में कुछ ज़्यादा ध्यान नहीं देती तो उसे कोई डर नहीं था पकडे जाने का... लेकिन उसने दिनेश और दीपू के बारे में सोचा नहीं था की वो लोग इस पर ज़्यादा ध्यान देंगे. पुलिस वो अकाउंटेंट को गिरफ्तार कर लेती है. कुछ पैसे तो मिल जाते है लेकिन पूरा नहीं मिल पाता. (Not writing in much detail as it is not that important and want to move the story forward).
जा बी वो आदमी को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो वो बहुत गुस्सा हो जाता है और सोचता है की जब वो बाहर आएगा तो उन दोनों से बदला लेगा. जब ये सब हो जाता है तो दिनेश और दीपू भी अब संभाल कर कंपनी का काम देखते है. कुछ दिनों बाद अब काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और उनका बिज़नेस भी बढ़ जाता है और कंपनी भी अब अच्छे प्रॉफिट में थी. अब वो लोग भी बहुत खुश थे.
उस दिन जब दीपू शाम को घर आता है तो वो बहुत खुश नज़र आ रहा था. वसु पूछती है कि क्या बात है तो दीपू कहता है की उनका काम बहुत अच्छे से हो रहा है और कंपनी में प्रॉफ़िट्स भी अच्छे है. वो वसु को ख़ुशी से उठा लेता है और उसके होंठ चूमता है जिसमें वो भी उसका साथ देती है. उन दोनों को देख कर दिव्या भी पूछती है की ख़ुशी की क्या बात है... तो दीपू उसे भी बाहों में ले लेता है और उसे भी चूमते हुए कहता है की आज रात दोनों तैयार रहना.सा बी खुशियां मनाएंगे. दोनों इस बात का मतलब समझ जाते है लेकिन कुछ नहीं कहते.. और उससे छूट कर किचन में अपना काम करने चले जाते है.... और दीपू मन में सोचते हुए कमरे में निकल जाता है की आज रात को वो क्या करने वाला है....
वहीँ दिनेश भी अपने घर जाता है और अपनी माँ को भी बताता है की उनका बिज़नेस अब बहुत अच्छे से चल रहा है. उसकी माँ ऋतू भी बहुत खुश हो जाती है और उसे भी अपने गले लगा लेती है. वो भी दीपू को फ़ोन करती है और उसे भी बधाई देती है की वो दोनों और अच्छे से आगे काम करे और अपने बिज़नेस को आगे बढाए. उसी वक़्त ऋतू भी वसु से बात करती है और कहती है की वो भी जल्दी ही निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है. वसु भी इस बात पे हामी भर्ती है और कहती है की जल्दी ही वो भी आपकी बहु जल्दी ही बन जायेगी. वो लोग भी अब शादी की तैयारी कर रहे है. इस बात पे सब खुश हो जाते है और निशा की शर्म के मारे अपने कमरे में भाग जाती है.
रात को निशा दिनेश से फ़ोन पे बात करती है. दिनेश भी आज अच्छे मूड में था तो वो भी निशा से सेक्सी बातें करता है और दोनों भी एक दुसरे को फ़ोन पे ही चुम्मा देते है और अपने होने वाले शादी के बारे में भी बात करते है. निशा भी मस्ती में सो जाती है ये सोचते हुए की वो (दिनेश) सेक्सी बातें करने में जितना अच्छा है उसी तरह वो बिस्तर पे भी अच्छा होगा...
वहीँ दीपू के कमरे में दीपू दोनों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. दोनों भी आज अच्छे मूड में थे क्यूंकि वो लोग भी २- ३ दिन अच्छे से आराम कर पाए थे. दोनों जब कमरे में आते है तो पहले वो अपना कमरा बंद कर देते है और फिर इस बार दोनों दीपू पे टूट पड़ती है. दीपू भी इसी पल का इंतज़ार कर रहा था. पहले वो वसु को चूमता है फिर बाद में दिव्या को और फिर तीनो एक साथ चूमते है.
देखते देखते तीनो नंगे हो जाते है. आज दोनों की चूतें भी बहुत पानी बहा रही थी. दीपू वसु की चूत चाटता है तो दिव्या भी वसु के मुँह पे बैठ जाती है और दिव्या भी अपनी चूत वसु से चटवाती है और दिव्या झुक कर वसु की चूची को दबाती है. तीनो खुल के मजे ले रहे थे और कमरे में आवाज़ें भी आ रही थी. आज उन तीनो को कोई परवाह नहीं थी की आवाज़ निशा को भी सुनाई दे सकती है.
कुछ समय बाद जब वसु का पानी निकल जाता है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है तो दीपू भी अब बिस्तर पे लेट जाता है. इस बार वसु उसका लंड चूसती है तो दिव्या उसके मुँह पे बैठते हुए अपनी चूत चटवाती है तो वो भी झुक कर वसु के साथ वो भी दीपू का लंड चूसती है. दीपू भी मस्ती में दिव्या को चूसते हुए अपना एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करता है लेकिन दिव्या की गांड भी कुंवारी और बहुत टाइट थी तो उसकी ऊँगली नहीं जा पाती. दीपू फिर मन में सोचता है की कभी और दिन वो आराम से उसकी गांड मारेगा. अभी चूत ही सही... ५ मं बाद जब दोनों उसका लंड चूस कर एकदम खड़ा कर देते है तो दिव्या उसके लंड पे बैठ जाती है और ऊपर नीचे होते हुए दीपू से चुडते रहती है.
वसु भी दिव्या के पीछे आकर उसकी चूचियां दबाती रहती है. कमरे में अब माहौल बहुत गरम हो गया था. कमरे में सिसकारियों और फच फच की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था. काफी देर था दिव्या की ठुकाई के बाद अब वसु की बारी थी तो दीपू वसु को घोड़ी बना कर चोदता है. इस पोजीशन में वसु कोभी बहुत मजा आ रहा था. दीपू का पूरा ८ इन का लंड उसकी चूत की जड़ तक चला गया था. इस बार दिव्या को लिटा कर वसु उसकी चूत चूस रही थी और पीछे से दीपू उसे पेल रहा था.
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
very very............................................................................................................................................................Nice
दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
अब आगे..
वसु जब अपनी गांड मटकाते हुए किचन में जाती है तो उसे पता था की उसके पीछे एक लट्टू की तरह दीपू आएगा और कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ. वो किचन में काम कर रही थी तो दीपू पीछे से आकर उसको बाहों में भर लेता है और धीरे से कान में कहता है..
तुम्हे याद है ना की तुम्हारी जन्मदिन पर मेरी तरफ से तुम्हारी गांड का उद्धघाटन कर के तुम्हे तोहफा दूंगा लेकिन तुम अगर ऐसी गांड मटकाकर घर में चलोगी तो मैं तुम्हारे जन्मदिन तक भी नहीं रुकूंगा और एक दिन जल्दी ही वो दरवाज़ा भी खोल दूंगा और हस देता है...
वसु ये बात सुनती है तो एकदम शर्मा जाती है और कहती है की वो मैं नहीं करने दूँगी. दीपू उसकी चूची को दबाते हुए... क्यों अपने पति को मन करोगी तुम्हे तोहफा देने में... वसु कुछ नहीं कहती तो दीपू वसु को पलट देता है और उसकी आँखों में देखता है. उसकी आँखों में भी बहुत प्यास नज़र आती है तो दीपू भी कहाँ रुकने वाला था. वो आगे बढ़कर उसके होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है और दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है और एक दुसरे की जीभ को भी जमकर चूसते है. दीपू उसको चूमते हुए उसकी चूची को दबाते रहता है. लगभग ३- ४ मं बाद जब दोनों अलग होते है तो दोनों हाँफते रहते है.
वसु दीपू को देख कर कहती है.. अभी तो तो दिव्या को चोद कर आया है लेकिन तुम्हारा मन नहीं भरा क्या?
दीपू: अपनी सेक्सी और हॉट माँ से कभी मन भर सकता है क्या? वसु भी एकदम मदमस्त और गरम हो जाती है और उसके लंड को पकड़ लेती है तो वो अभी ढीला पड़ा हुआ था क्यूंकि कुछ देर पहले ही उसने अपना माल दिव्या की चूत में छोडा था.
वसु: तुम तो कह रहे थे की तुम्हारा मन नहीं भरा लेकिन ये तो एकदम ठंडा पद गया है.
दीपू: हां पता है लेकिन तुम्हारे मुँह और हाथ में वो जादू है की एक मुर्दा भी जाग जाए. फिर मैं तो एक जीता जागता आदमी हूँ तो तुम जल्दी ही इसे अपने लिए तैयार कर दोगी और ऐसा कहते हुए दीपू उसका कन्धा पकड़ कर नीचे झुकता है जिसे वसु समझ जाती है और फिर दीपू का लंड उसके पैंट से बाहर निकल कर पहले एक चुम्मा देती है जो ढीला पड़ा हुआ था. धीरे धीरे उसे हिलाने लगती है और फिर मुँह में लेकर उसका चूसना शुरू करती है.
हिलाने और चूसने से दीपू के लंड पे भी अब जान आने लगती है और दीपू भी अपना कमर आगे पीछे करता है और २ मं में ही वो उसके लंड को वसु के मुँह में भर देता है. दीपू का लंड अब पूरा तन गया था और उसे वसु के गले तक अंदर डालता है जिसे वो अपने पूरे मुँह में ले लेती है.
वसु को भी अब इसमें मजा आ रहा था और दीपू भी अब झटके मार रहा था. वो तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था. ६- ७ मं तक अच्छे से उसके लंड को चूसने के बाद दीपू उसे उठाता है और फिर उसे किस करते हुए उसको पूरा नंगा कर देता है.
दीपू: मैंने कहा था ना की तुम्हारे मुँह और हातों में जादू है. देखो ये फिर से तुम्हारी मुनिया को सलाम कर रहा है.
वसु: चुप कर कुछ भी बकता रहता है. अब वसु भी बहुत गरम हो गयी थी और उसकी चूत भी पानी से बेह रही थी. जल्दी से अंदर डालना.
दीपू: क्या डालूं और कहाँ डालूं?
वसु: तू भी ना... बहुत परेशान कर रहा है… सुधरेगा नहीं .. सुन्ना है तो सुन... जल्दी से तेरा ये लंड मेरी चूत में दाल दे. बस... खुश?
दीपू: ये बात हुई ना जान.. लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे मेरे मुँह का जादू दिखाता हूँ ना.
और ऐसा कहते हुए दीपू उसे ऊपर से पूरा नंगा कर देता है और उसकी एकदम ठोस चूचियां और तानी हुई निप्पल को देख कर कहता है.. ये तो एकदम तानी हुई है. मुझे बहुत उत्तेजित कर रही है.
वसु: उत्तेजित तो मैं भी हूँ. तानी क्यों नहीं होगी? इतनी देर से मुझे उकसा रहे हो तो ये भी तो उत्तेजित जो जायेगी ना.
फिर दीपू चूची को मुँह में लेकर चूसता है और दुसरे को दबाता है. वसु तो पहले से ही गरम थी तो वो उसका सर अपने चूची पे दबा देती है. ५ मं तक अच्छे से रसपान करने के बाद झुक कर उसकी नाभि को चूमता और छाता है और ऐसे ही उसकी मस्त थोड़ी मोती जाँघों को भी चूमता और थोड़ा काटता है जिसमें वसु आँहें भर्ती रहती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है जिससे उसकी चूचियां भी मस्त हिलती रहती है.
वसु बड़बड़ाते हुए... देखना मेरी चूत इतनी पानी बहा रही है और तू उसपे ध्यान ही नहीं दे रहा है.
दीपू को भी इसमें मजा आ रहा था और वो आखिर में उसकी रस से भरी हुई गुलाबी चूत पे पहले एक गीला चुम्बन देता है और उसकी फांकों को फैलाते हुए अपनी जीभ अंदर दाल कर मस्त चूसता है.
वसु भी मजे से उसके सर को पकड़ कर ना जाने कितनी बार झड़ जाती है. लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. वो वसु को पलटा कर पिछसे से उसकी चूत और गांड को मस्त चाटता है. जब दीपू उसकी गांड को चाटता है तो वसु पीछे मुड कर उसको देखती है तो दीपू हस देता है और कहता है की तुम्हारी गांड तो एकदम मस्त और टाइट है. तुम्हारे जन्मदिन पे तुम्हे बहुत मजा दूंगा और फिर उसकी गांड को चाटने लग जाता है .
थोड़ी देर बाद वसु कहती है की अब उससे खड़ा नहीं रहा जा रहा है तो दीपू उसे बगल में किचन के स्लैब में बिठा कर उसके पाँव अपनी कंधे पे रखते हुए फिर से उसकी चूत को चाटने लग जाता है.
वसु अब अपने मदहोश में नहीं थी और बड़बड़ाती रहती है. उसे भी पता नहीं था की वो क्या बोल रही है. अब तू सिर्फ चूत ही चाटेगा क्या? शायद अब तक तेरा लंड भी बैठ गया होगा.
दीपू: ऐसे कैसे? तुम्हारा पानी पी कर तो अभी तो लंड और भी टाइट हो गया है और उसपर थोड़ा दया करते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास रख कर उसको देखते हुए कहता है देखो कितना खड़ा है और एक ज़ोरदार धक्का मारता है और इस बार एक ही बार में उसका पूरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत के जड़ तक चले जाता है.
वसु नै ऐसा नहीं सोचा था और उस झटके से उसकी आँखें बाहर आ जाती है और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. वो भी थोड़े गुस्से में... पूरा एक साथ किसने डालने को बोलै था? मैं तो जैसे मर ही गयी. दीपू भी फिर झुक कर उसको चूमते हुए.. थोड़ा दर हुआ है लेकिन मजा भी आ रहा है ना... अगर नहीं तो अब देखो... और ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकल कर फिर से अंदर डालते हुए अब धीरे धीरे उसको चोदने लगता है. अब वसु को थोड़ी राहत मिलती है और उसे भी अब मजा आने लगता है. 5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद दीपू उसे स्लैब से उठा कर दीवार से सटाते हुए एक टांग को अपने कंधे पे रखते हुए फिर से उसे चोदने लगता है.
दीपू: मजा आ रहा है के नहीं?
वसु: ये सब तूने कहाँ से सीखा? कभी किचन के स्लैब पे तो कभी दीवार से सटा कर चोद रहा है.
दीपू: तुम उसकी चिंता क्यों करती हो? बस मजे करो.. और फिर दीपू फिरसे उसे चूमते हुए पेलने लग जाता है. आधे घंटे की दुमदार चुदाई के बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका भी होने वाला है. इस आधे घंटे में वसु ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी. दीपू फिर उसको चोदते हुए कहता है की वो आज उसके अंदर ही अपना पानी छोड़ेगा. वसु भी सिसकारियां और मजे लेते हुए हाँ कहती है तो 4-5 और धक्के मारते हुए दीपू अपना पूरा गरम और गाड़ा वीर्य उसके अंदर ही निकालता है और काफी निकालता है. 3-4 min मं बाद जब दोनों अपनी सांसें संभालते है तो
वसु: तू तो इतना पानी छोड़ा है की मैं शायद पेट से हो जाऊं.
दीपू: मैं तो यही चाहता हूँ ना.. की तुम फिर से जल्दी माँ बन जाओ और मुझे भी बाप बना दो. इस बात पे वसु भी शर्मा जाती है और प्यार से दीपू के सीने में हल्का सा मुक्का मारती है लेकिन हस देती है जिसका मतलब दोनों को पता था.
दोनों फिर थके हारे अपने आप को ठीक करते है और कमरे में जाते है तो दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही थी. उसको देख कर दोनों हस्ते है और वो दोनों भी सो जाते है.
अगली सुबह सब उठ जाते है और अपना काम करते है. दीपू चाय पीते वक़्त दीपक को फ़ोन करता है.
दीपू: दिनेश आंटी कैसी है?
दिनेश: माँ तो ठीक है. अब उसका बुखार भी काम हो गया है.
दीपू: तू आज काम पे आ रहा है क्या? मुझे तुझसे एक ज़रूरी बात करनी है.
दिनेश: हाँ आ रहा हूँ. बात क्या है?
दीपू: बात थोड़ी सीरियस है लेकिन मैं फ़ोन पे नहीं बता सकता.
दिनेश: ठीक है मैं जल्दी ही आता हूँ. चल Bye.
दीपू जब ये बात दिनेश को फ़ोन पे बताता है तो वसु पूछती है की प्रॉब्लम क्या है? दीपू बात को टाल देता है और कहता है की कुछ ख़ास बात नहीं है और फिर वो भी रेडी हो कर काम के लिए निकलता है. जब वो दरवाज़े पे जाता है तो पलट के देखता है तो दोनों समझ जाते है और फिर वसु और दिव्या भी उसके पास आकर दीपू के होंठ चूमते है. दीपू भी मस्त दोनों के होंठ चूमता है और साथ में दोनों की गांड भी दबा देता है.
दोनों एक साथ: अब जाओ. तुम्हारा दिन अच्छा रहेगा.
दीपू: हाँ अब मुँह मीठा हो गया है तो दिन अच्छा ही रहेगा और फिर हस्ते हुए वो अपने काम के लिए निकल जाता है.
दोनों भी अपने मन में: ये बहुत ठरकी बनता जा रहा है लेकिन मजा भी उतना ही देता है और मन में दोनों भी हस देते है.
दीपू ऑफिस जाता है तो उसी समय दिनेश भी आ जाता है. दिनेश: क्या हुआ जो तू मुझे फ़ोन पे कुछ नहीं बता सकता था?
दीपू फिर अपना लैपटॉप खोल कर उसे एकाउंट्स दिखाता है और दिनेश क्या कहेगा ये सोचता है. दिनेश एकाउंट्स देखता है तो उसे कुछ गलत नहीं लगता (उसे ऐसा लगता है).
दिनेश: क्या है ये? सब तो ठीक है. इसमें इतना क्या सीरियस है?
दीपू: अबे ठीक से फिर से देख... और इस बार दीपू दिनेश को फिर से एकाउंट्स दिखाता है और कहता है की अब गड़बड़ समझ में आया क्या?
दिनेश फिर एक बार अच्छे से देखता है और कहता है की ये तो मैंने भी ठीक से नहीं देखा. कुछ तो लोचा है. एक min रुक और दिनेश अपनी माँ ऋतू को फ़ोन करता है.
दिनेश: माँ ये एकाउंट्स कौन देखता है अपने ऑफिस में? तुमने कभी ठीक से देखा नहीं क्या?
ऋतू: नहीं बेटा मैंने कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. अपने ऑफिस में जो अकाउंटेंट है वही सब देखता है. क्यों कुछ प्रॉब्लम है क्या? दिनेश को लगता है की उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है तो वो उससे कुछ नहीं बताता और कहता है की सब ठीक है और फिर फ़ोन रख देता है.
दिनेश: एक काम करते है. ये एक बार किसी अच्छे Auditor को दिखाते है और कन्फर्म करते है की अपने एकाउंट्स ठीक नहीं है. इतने में मैं भी अपने Accountant से बात करता हूँ. दीपू को भी ये बात सही लगती है तो फिर दोनों एक अच्छे Auditor के पास जाते है और उनके Accounts का Audit करवाते है.
Auditor कहता है की वो १- २ दिन में वो उनको results बताएगा.
फिर दोनों अपने ऑफिस आ जाते है और अपने काम में फिर से लग जाते है. वो अब अपने बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते थे तो इसी प्लान में दोनों लग जाते है.
२ दिन बाद ऑडिटर उनको फ़ोन करके बताता है की एकाउंट्स ठीक से मैच नहीं हो रहे है और कुछ लाखों रुपयों का मिसमैच है. दिनेश फिर अपने स्टाफ को बुलाता है और पूछ ताछ करता है लेकिन उस दिन कंपनी का अकाउंटेंट नहीं था और वो पिछले २ दिन से आया नहीं था. दिनेश को कुछ गड़बड़ लगता है लेकिन उस वक़्त वो ज़्यादा कुछ नहीं कहता और फिर अपने सब स्टाफ को ध्यान से काम करने के लिए कहता है और सब अपने काम में लग जाते है.
एक लड़का चुपके से बाहर जाता है और वो Accountant को फ़ोन करता है जो की उसका दोस्त था.
लड़का: क्यों रे आज तू आया नहीं? मालिक तेरे बारे में पूछ रहे थे.
Accountant: क्या पूछ रहे थे?
लड़का: तूने कुछ घपला किया है क्या? वो लोग कुछ पैसों के बारे में पूछ रहे थे जिसका मुझे कोई आईडिया नहीं है. वो सब काम तो तू ही देखता है ना. Accountant ये बात सुनकर थोड़ा घबरा जाता है लेकिन फ़ोन पे नार्मल होते हुए कहता है की उसने कुछ नहीं किया. वो लड़का उससे और ज़्यादा बात नहीं करता और अपने काम में लग जाता है.
इतने में दिनेश दीपू से कहता है की वो एक बार बैंक जाकर पता करे की वहां से कुछ काम निकलेगा क्या? दीपू फिर बैंक निकल जाता है और पता करता है की कंपनी का आदमी ने कुछ पैसे निकाले थे लेकिन उसको कंपनी के बुक्स में नहीं लिखा गया था. दीपू को भी ये बात अलग लगती है और वो दिनेश को भी बताता है. दिनेश कहता है की जब accountant आएगा तो वो लोग इस बारे में उससे बात करेंगे.
दीपू फिर बाकी काम कर के घर आ जाता है लेकिन आज उसका मूड ठीक नहीं था. वसु और दिव्या उससे पूछते है तो वो कहता है की ऑफिस के काम से बिजी था और आज वो बहुत थक गया है. वो दोनों भी कुछ ज़्यादा बात नहीं करते और उन्हें भी अब थोड़ी आराम की ज़रुरत थी क्यूंकि पिछले २ दिनों से दीपू उन दोनों की जब की ठुकाई किया था.
अगले दिन दोनों ऑफिस में मिलते है तो फिर पता चलता है की वो अकाउंटेंट आज भी ऑफिस नहीं आया था. दिनेश उसको फ़ोन करता है तो उसका फ़ोन ऑफ होता है. दिनेश फिर कुछ काम से बाहर जाता है. अपना काम कर के जब वो वापस आ रहा था तो वो उस अकाउंटेंट को देखता है जो एक बैग लिए कहीं जा रहा है. दिनेश को आश्चर्य होता है तो उसका पीछा करता है. वो आदमी किसीसे मिलता है और वो बैग उसे देता है और कुछ बातें करता है (जो दिनेश समझ नहीं पाता क्यूंकि वो उससे दूरी बनाये हुए था और उनकी बातें दिनेश को सुनाई नहीं देती). दिनेश को मामला ठीक नहीं लगता तो वो वहां से निकलता है और दीपू को फ़ोन करके बताता है. दोनों इस बारें में बात करते है और सोचते है की पुलिस में रिपोर्ट करे. दोनों फिर मिलकर पुलिस स्टेशन जाते है और फिर एक रिपोर्ट करते है. पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर के मामले की छान बीन करती है और जो शक दिनेश को हुआ था वही सच निकलता है. वो अकाउंटेंट ने पैसे चोरी किये थे और उसे लगा था की मालकिन (ऋतू) इसके बारे में कुछ ज़्यादा ध्यान नहीं देती तो उसे कोई डर नहीं था पकडे जाने का... लेकिन उसने दिनेश और दीपू के बारे में सोचा नहीं था की वो लोग इस पर ज़्यादा ध्यान देंगे. पुलिस वो अकाउंटेंट को गिरफ्तार कर लेती है. कुछ पैसे तो मिल जाते है लेकिन पूरा नहीं मिल पाता. (Not writing in much detail as it is not that important and want to move the story forward).
जा बी वो आदमी को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो वो बहुत गुस्सा हो जाता है और सोचता है की जब वो बाहर आएगा तो उन दोनों से बदला लेगा. जब ये सब हो जाता है तो दिनेश और दीपू भी अब संभाल कर कंपनी का काम देखते है. कुछ दिनों बाद अब काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और उनका बिज़नेस भी बढ़ जाता है और कंपनी भी अब अच्छे प्रॉफिट में थी. अब वो लोग भी बहुत खुश थे.
उस दिन जब दीपू शाम को घर आता है तो वो बहुत खुश नज़र आ रहा था. वसु पूछती है कि क्या बात है तो दीपू कहता है की उनका काम बहुत अच्छे से हो रहा है और कंपनी में प्रॉफ़िट्स भी अच्छे है. वो वसु को ख़ुशी से उठा लेता है और उसके होंठ चूमता है जिसमें वो भी उसका साथ देती है. उन दोनों को देख कर दिव्या भी पूछती है की ख़ुशी की क्या बात है... तो दीपू उसे भी बाहों में ले लेता है और उसे भी चूमते हुए कहता है की आज रात दोनों तैयार रहना.सा बी खुशियां मनाएंगे. दोनों इस बात का मतलब समझ जाते है लेकिन कुछ नहीं कहते.. और उससे छूट कर किचन में अपना काम करने चले जाते है.... और दीपू मन में सोचते हुए कमरे में निकल जाता है की आज रात को वो क्या करने वाला है....
वहीँ दिनेश भी अपने घर जाता है और अपनी माँ को भी बताता है की उनका बिज़नेस अब बहुत अच्छे से चल रहा है. उसकी माँ ऋतू भी बहुत खुश हो जाती है और उसे भी अपने गले लगा लेती है. वो भी दीपू को फ़ोन करती है और उसे भी बधाई देती है की वो दोनों और अच्छे से आगे काम करे और अपने बिज़नेस को आगे बढाए. उसी वक़्त ऋतू भी वसु से बात करती है और कहती है की वो भी जल्दी ही निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है. वसु भी इस बात पे हामी भर्ती है और कहती है की जल्दी ही वो भी आपकी बहु जल्दी ही बन जायेगी. वो लोग भी अब शादी की तैयारी कर रहे है. इस बात पे सब खुश हो जाते है और निशा की शर्म के मारे अपने कमरे में भाग जाती है.
रात को निशा दिनेश से फ़ोन पे बात करती है. दिनेश भी आज अच्छे मूड में था तो वो भी निशा से सेक्सी बातें करता है और दोनों भी एक दुसरे को फ़ोन पे ही चुम्मा देते है और अपने होने वाले शादी के बारे में भी बात करते है. निशा भी मस्ती में सो जाती है ये सोचते हुए की वो (दिनेश) सेक्सी बातें करने में जितना अच्छा है उसी तरह वो बिस्तर पे भी अच्छा होगा...
वहीँ दीपू के कमरे में दीपू दोनों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. दोनों भी आज अच्छे मूड में थे क्यूंकि वो लोग भी २- ३ दिन अच्छे से आराम कर पाए थे. दोनों जब कमरे में आते है तो पहले वो अपना कमरा बंद कर देते है और फिर इस बार दोनों दीपू पे टूट पड़ती है. दीपू भी इसी पल का इंतज़ार कर रहा था. पहले वो वसु को चूमता है फिर बाद में दिव्या को और फिर तीनो एक साथ चूमते है.
देखते देखते तीनो नंगे हो जाते है. आज दोनों की चूतें भी बहुत पानी बहा रही थी. दीपू वसु की चूत चाटता है तो दिव्या भी वसु के मुँह पे बैठ जाती है और दिव्या भी अपनी चूत वसु से चटवाती है और दिव्या झुक कर वसु की चूची को दबाती है. तीनो खुल के मजे ले रहे थे और कमरे में आवाज़ें भी आ रही थी. आज उन तीनो को कोई परवाह नहीं थी की आवाज़ निशा को भी सुनाई दे सकती है.
कुछ समय बाद जब वसु का पानी निकल जाता है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है तो दीपू भी अब बिस्तर पे लेट जाता है. इस बार वसु उसका लंड चूसती है तो दिव्या उसके मुँह पे बैठते हुए अपनी चूत चटवाती है तो वो भी झुक कर वसु के साथ वो भी दीपू का लंड चूसती है. दीपू भी मस्ती में दिव्या को चूसते हुए अपना एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करता है लेकिन दिव्या की गांड भी कुंवारी और बहुत टाइट थी तो उसकी ऊँगली नहीं जा पाती. दीपू फिर मन में सोचता है की कभी और दिन वो आराम से उसकी गांड मारेगा. अभी चूत ही सही... ५ मं बाद जब दोनों उसका लंड चूस कर एकदम खड़ा कर देते है तो दिव्या उसके लंड पे बैठ जाती है और ऊपर नीचे होते हुए दीपू से चुडते रहती है.
वसु भी दिव्या के पीछे आकर उसकी चूचियां दबाती रहती है. कमरे में अब माहौल बहुत गरम हो गया था. कमरे में सिसकारियों और फच फच की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था. काफी देर था दिव्या की ठुकाई के बाद अब वसु की बारी थी तो दीपू वसु को घोड़ी बना कर चोदता है. इस पोजीशन में वसु कोभी बहुत मजा आ रहा था. दीपू का पूरा ८ इन का लंड उसकी चूत की जड़ तक चला गया था. इस बार दिव्या को लिटा कर वसु उसकी चूत चूस रही थी और पीछे से दीपू उसे पेल रहा था.
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
अब आगे..
वसु जब अपनी गांड मटकाते हुए किचन में जाती है तो उसे पता था की उसके पीछे एक लट्टू की तरह दीपू आएगा और कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ. वो किचन में काम कर रही थी तो दीपू पीछे से आकर उसको बाहों में भर लेता है और धीरे से कान में कहता है..
तुम्हे याद है ना की तुम्हारी जन्मदिन पर मेरी तरफ से तुम्हारी गांड का उद्धघाटन कर के तुम्हे तोहफा दूंगा लेकिन तुम अगर ऐसी गांड मटकाकर घर में चलोगी तो मैं तुम्हारे जन्मदिन तक भी नहीं रुकूंगा और एक दिन जल्दी ही वो दरवाज़ा भी खोल दूंगा और हस देता है...
वसु ये बात सुनती है तो एकदम शर्मा जाती है और कहती है की वो मैं नहीं करने दूँगी. दीपू उसकी चूची को दबाते हुए... क्यों अपने पति को मन करोगी तुम्हे तोहफा देने में... वसु कुछ नहीं कहती तो दीपू वसु को पलट देता है और उसकी आँखों में देखता है. उसकी आँखों में भी बहुत प्यास नज़र आती है तो दीपू भी कहाँ रुकने वाला था. वो आगे बढ़कर उसके होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है और दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है और एक दुसरे की जीभ को भी जमकर चूसते है. दीपू उसको चूमते हुए उसकी चूची को दबाते रहता है. लगभग ३- ४ मं बाद जब दोनों अलग होते है तो दोनों हाँफते रहते है.
वसु दीपू को देख कर कहती है.. अभी तो तो दिव्या को चोद कर आया है लेकिन तुम्हारा मन नहीं भरा क्या?
दीपू: अपनी सेक्सी और हॉट माँ से कभी मन भर सकता है क्या? वसु भी एकदम मदमस्त और गरम हो जाती है और उसके लंड को पकड़ लेती है तो वो अभी ढीला पड़ा हुआ था क्यूंकि कुछ देर पहले ही उसने अपना माल दिव्या की चूत में छोडा था.
वसु: तुम तो कह रहे थे की तुम्हारा मन नहीं भरा लेकिन ये तो एकदम ठंडा पद गया है.
दीपू: हां पता है लेकिन तुम्हारे मुँह और हाथ में वो जादू है की एक मुर्दा भी जाग जाए. फिर मैं तो एक जीता जागता आदमी हूँ तो तुम जल्दी ही इसे अपने लिए तैयार कर दोगी और ऐसा कहते हुए दीपू उसका कन्धा पकड़ कर नीचे झुकता है जिसे वसु समझ जाती है और फिर दीपू का लंड उसके पैंट से बाहर निकल कर पहले एक चुम्मा देती है जो ढीला पड़ा हुआ था. धीरे धीरे उसे हिलाने लगती है और फिर मुँह में लेकर उसका चूसना शुरू करती है.
हिलाने और चूसने से दीपू के लंड पे भी अब जान आने लगती है और दीपू भी अपना कमर आगे पीछे करता है और २ मं में ही वो उसके लंड को वसु के मुँह में भर देता है. दीपू का लंड अब पूरा तन गया था और उसे वसु के गले तक अंदर डालता है जिसे वो अपने पूरे मुँह में ले लेती है.
वसु को भी अब इसमें मजा आ रहा था और दीपू भी अब झटके मार रहा था. वो तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था. ६- ७ मं तक अच्छे से उसके लंड को चूसने के बाद दीपू उसे उठाता है और फिर उसे किस करते हुए उसको पूरा नंगा कर देता है.
दीपू: मैंने कहा था ना की तुम्हारे मुँह और हातों में जादू है. देखो ये फिर से तुम्हारी मुनिया को सलाम कर रहा है.
वसु: चुप कर कुछ भी बकता रहता है. अब वसु भी बहुत गरम हो गयी थी और उसकी चूत भी पानी से बेह रही थी. जल्दी से अंदर डालना.
दीपू: क्या डालूं और कहाँ डालूं?
वसु: तू भी ना... बहुत परेशान कर रहा है… सुधरेगा नहीं .. सुन्ना है तो सुन... जल्दी से तेरा ये लंड मेरी चूत में दाल दे. बस... खुश?
दीपू: ये बात हुई ना जान.. लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे मेरे मुँह का जादू दिखाता हूँ ना.
और ऐसा कहते हुए दीपू उसे ऊपर से पूरा नंगा कर देता है और उसकी एकदम ठोस चूचियां और तानी हुई निप्पल को देख कर कहता है.. ये तो एकदम तानी हुई है. मुझे बहुत उत्तेजित कर रही है.
वसु: उत्तेजित तो मैं भी हूँ. तानी क्यों नहीं होगी? इतनी देर से मुझे उकसा रहे हो तो ये भी तो उत्तेजित जो जायेगी ना.
फिर दीपू चूची को मुँह में लेकर चूसता है और दुसरे को दबाता है. वसु तो पहले से ही गरम थी तो वो उसका सर अपने चूची पे दबा देती है. ५ मं तक अच्छे से रसपान करने के बाद झुक कर उसकी नाभि को चूमता और छाता है और ऐसे ही उसकी मस्त थोड़ी मोती जाँघों को भी चूमता और थोड़ा काटता है जिसमें वसु आँहें भर्ती रहती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है जिससे उसकी चूचियां भी मस्त हिलती रहती है.
वसु बड़बड़ाते हुए... देखना मेरी चूत इतनी पानी बहा रही है और तू उसपे ध्यान ही नहीं दे रहा है.
दीपू को भी इसमें मजा आ रहा था और वो आखिर में उसकी रस से भरी हुई गुलाबी चूत पे पहले एक गीला चुम्बन देता है और उसकी फांकों को फैलाते हुए अपनी जीभ अंदर दाल कर मस्त चूसता है.
वसु भी मजे से उसके सर को पकड़ कर ना जाने कितनी बार झड़ जाती है. लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. वो वसु को पलटा कर पिछसे से उसकी चूत और गांड को मस्त चाटता है. जब दीपू उसकी गांड को चाटता है तो वसु पीछे मुड कर उसको देखती है तो दीपू हस देता है और कहता है की तुम्हारी गांड तो एकदम मस्त और टाइट है. तुम्हारे जन्मदिन पे तुम्हे बहुत मजा दूंगा और फिर उसकी गांड को चाटने लग जाता है .
थोड़ी देर बाद वसु कहती है की अब उससे खड़ा नहीं रहा जा रहा है तो दीपू उसे बगल में किचन के स्लैब में बिठा कर उसके पाँव अपनी कंधे पे रखते हुए फिर से उसकी चूत को चाटने लग जाता है.
वसु अब अपने मदहोश में नहीं थी और बड़बड़ाती रहती है. उसे भी पता नहीं था की वो क्या बोल रही है. अब तू सिर्फ चूत ही चाटेगा क्या? शायद अब तक तेरा लंड भी बैठ गया होगा.
दीपू: ऐसे कैसे? तुम्हारा पानी पी कर तो अभी तो लंड और भी टाइट हो गया है और उसपर थोड़ा दया करते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास रख कर उसको देखते हुए कहता है देखो कितना खड़ा है और एक ज़ोरदार धक्का मारता है और इस बार एक ही बार में उसका पूरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत के जड़ तक चले जाता है.
वसु नै ऐसा नहीं सोचा था और उस झटके से उसकी आँखें बाहर आ जाती है और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. वो भी थोड़े गुस्से में... पूरा एक साथ किसने डालने को बोलै था? मैं तो जैसे मर ही गयी. दीपू भी फिर झुक कर उसको चूमते हुए.. थोड़ा दर हुआ है लेकिन मजा भी आ रहा है ना... अगर नहीं तो अब देखो... और ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकल कर फिर से अंदर डालते हुए अब धीरे धीरे उसको चोदने लगता है. अब वसु को थोड़ी राहत मिलती है और उसे भी अब मजा आने लगता है. 5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद दीपू उसे स्लैब से उठा कर दीवार से सटाते हुए एक टांग को अपने कंधे पे रखते हुए फिर से उसे चोदने लगता है.
दीपू: मजा आ रहा है के नहीं?
वसु: ये सब तूने कहाँ से सीखा? कभी किचन के स्लैब पे तो कभी दीवार से सटा कर चोद रहा है.
दीपू: तुम उसकी चिंता क्यों करती हो? बस मजे करो.. और फिर दीपू फिरसे उसे चूमते हुए पेलने लग जाता है. आधे घंटे की दुमदार चुदाई के बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका भी होने वाला है. इस आधे घंटे में वसु ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी. दीपू फिर उसको चोदते हुए कहता है की वो आज उसके अंदर ही अपना पानी छोड़ेगा. वसु भी सिसकारियां और मजे लेते हुए हाँ कहती है तो 4-5 और धक्के मारते हुए दीपू अपना पूरा गरम और गाड़ा वीर्य उसके अंदर ही निकालता है और काफी निकालता है. 3-4 min मं बाद जब दोनों अपनी सांसें संभालते है तो
वसु: तू तो इतना पानी छोड़ा है की मैं शायद पेट से हो जाऊं.
दीपू: मैं तो यही चाहता हूँ ना.. की तुम फिर से जल्दी माँ बन जाओ और मुझे भी बाप बना दो. इस बात पे वसु भी शर्मा जाती है और प्यार से दीपू के सीने में हल्का सा मुक्का मारती है लेकिन हस देती है जिसका मतलब दोनों को पता था.
दोनों फिर थके हारे अपने आप को ठीक करते है और कमरे में जाते है तो दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही थी. उसको देख कर दोनों हस्ते है और वो दोनों भी सो जाते है.
अगली सुबह सब उठ जाते है और अपना काम करते है. दीपू चाय पीते वक़्त दीपक को फ़ोन करता है.
दीपू: दिनेश आंटी कैसी है?
दिनेश: माँ तो ठीक है. अब उसका बुखार भी काम हो गया है.
दीपू: तू आज काम पे आ रहा है क्या? मुझे तुझसे एक ज़रूरी बात करनी है.
दिनेश: हाँ आ रहा हूँ. बात क्या है?
दीपू: बात थोड़ी सीरियस है लेकिन मैं फ़ोन पे नहीं बता सकता.
दिनेश: ठीक है मैं जल्दी ही आता हूँ. चल Bye.
दीपू जब ये बात दिनेश को फ़ोन पे बताता है तो वसु पूछती है की प्रॉब्लम क्या है? दीपू बात को टाल देता है और कहता है की कुछ ख़ास बात नहीं है और फिर वो भी रेडी हो कर काम के लिए निकलता है. जब वो दरवाज़े पे जाता है तो पलट के देखता है तो दोनों समझ जाते है और फिर वसु और दिव्या भी उसके पास आकर दीपू के होंठ चूमते है. दीपू भी मस्त दोनों के होंठ चूमता है और साथ में दोनों की गांड भी दबा देता है.
दोनों एक साथ: अब जाओ. तुम्हारा दिन अच्छा रहेगा.
दीपू: हाँ अब मुँह मीठा हो गया है तो दिन अच्छा ही रहेगा और फिर हस्ते हुए वो अपने काम के लिए निकल जाता है.
दोनों भी अपने मन में: ये बहुत ठरकी बनता जा रहा है लेकिन मजा भी उतना ही देता है और मन में दोनों भी हस देते है.
दीपू ऑफिस जाता है तो उसी समय दिनेश भी आ जाता है. दिनेश: क्या हुआ जो तू मुझे फ़ोन पे कुछ नहीं बता सकता था?
दीपू फिर अपना लैपटॉप खोल कर उसे एकाउंट्स दिखाता है और दिनेश क्या कहेगा ये सोचता है. दिनेश एकाउंट्स देखता है तो उसे कुछ गलत नहीं लगता (उसे ऐसा लगता है).
दिनेश: क्या है ये? सब तो ठीक है. इसमें इतना क्या सीरियस है?
दीपू: अबे ठीक से फिर से देख... और इस बार दीपू दिनेश को फिर से एकाउंट्स दिखाता है और कहता है की अब गड़बड़ समझ में आया क्या?
दिनेश फिर एक बार अच्छे से देखता है और कहता है की ये तो मैंने भी ठीक से नहीं देखा. कुछ तो लोचा है. एक min रुक और दिनेश अपनी माँ ऋतू को फ़ोन करता है.
दिनेश: माँ ये एकाउंट्स कौन देखता है अपने ऑफिस में? तुमने कभी ठीक से देखा नहीं क्या?
ऋतू: नहीं बेटा मैंने कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. अपने ऑफिस में जो अकाउंटेंट है वही सब देखता है. क्यों कुछ प्रॉब्लम है क्या? दिनेश को लगता है की उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है तो वो उससे कुछ नहीं बताता और कहता है की सब ठीक है और फिर फ़ोन रख देता है.
दिनेश: एक काम करते है. ये एक बार किसी अच्छे Auditor को दिखाते है और कन्फर्म करते है की अपने एकाउंट्स ठीक नहीं है. इतने में मैं भी अपने Accountant से बात करता हूँ. दीपू को भी ये बात सही लगती है तो फिर दोनों एक अच्छे Auditor के पास जाते है और उनके Accounts का Audit करवाते है.
Auditor कहता है की वो १- २ दिन में वो उनको results बताएगा.
फिर दोनों अपने ऑफिस आ जाते है और अपने काम में फिर से लग जाते है. वो अब अपने बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते थे तो इसी प्लान में दोनों लग जाते है.
२ दिन बाद ऑडिटर उनको फ़ोन करके बताता है की एकाउंट्स ठीक से मैच नहीं हो रहे है और कुछ लाखों रुपयों का मिसमैच है. दिनेश फिर अपने स्टाफ को बुलाता है और पूछ ताछ करता है लेकिन उस दिन कंपनी का अकाउंटेंट नहीं था और वो पिछले २ दिन से आया नहीं था. दिनेश को कुछ गड़बड़ लगता है लेकिन उस वक़्त वो ज़्यादा कुछ नहीं कहता और फिर अपने सब स्टाफ को ध्यान से काम करने के लिए कहता है और सब अपने काम में लग जाते है.
एक लड़का चुपके से बाहर जाता है और वो Accountant को फ़ोन करता है जो की उसका दोस्त था.
लड़का: क्यों रे आज तू आया नहीं? मालिक तेरे बारे में पूछ रहे थे.
Accountant: क्या पूछ रहे थे?
लड़का: तूने कुछ घपला किया है क्या? वो लोग कुछ पैसों के बारे में पूछ रहे थे जिसका मुझे कोई आईडिया नहीं है. वो सब काम तो तू ही देखता है ना. Accountant ये बात सुनकर थोड़ा घबरा जाता है लेकिन फ़ोन पे नार्मल होते हुए कहता है की उसने कुछ नहीं किया. वो लड़का उससे और ज़्यादा बात नहीं करता और अपने काम में लग जाता है.
इतने में दिनेश दीपू से कहता है की वो एक बार बैंक जाकर पता करे की वहां से कुछ काम निकलेगा क्या? दीपू फिर बैंक निकल जाता है और पता करता है की कंपनी का आदमी ने कुछ पैसे निकाले थे लेकिन उसको कंपनी के बुक्स में नहीं लिखा गया था. दीपू को भी ये बात अलग लगती है और वो दिनेश को भी बताता है. दिनेश कहता है की जब accountant आएगा तो वो लोग इस बारे में उससे बात करेंगे.
दीपू फिर बाकी काम कर के घर आ जाता है लेकिन आज उसका मूड ठीक नहीं था. वसु और दिव्या उससे पूछते है तो वो कहता है की ऑफिस के काम से बिजी था और आज वो बहुत थक गया है. वो दोनों भी कुछ ज़्यादा बात नहीं करते और उन्हें भी अब थोड़ी आराम की ज़रुरत थी क्यूंकि पिछले २ दिनों से दीपू उन दोनों की जब की ठुकाई किया था.
अगले दिन दोनों ऑफिस में मिलते है तो फिर पता चलता है की वो अकाउंटेंट आज भी ऑफिस नहीं आया था. दिनेश उसको फ़ोन करता है तो उसका फ़ोन ऑफ होता है. दिनेश फिर कुछ काम से बाहर जाता है. अपना काम कर के जब वो वापस आ रहा था तो वो उस अकाउंटेंट को देखता है जो एक बैग लिए कहीं जा रहा है. दिनेश को आश्चर्य होता है तो उसका पीछा करता है. वो आदमी किसीसे मिलता है और वो बैग उसे देता है और कुछ बातें करता है (जो दिनेश समझ नहीं पाता क्यूंकि वो उससे दूरी बनाये हुए था और उनकी बातें दिनेश को सुनाई नहीं देती). दिनेश को मामला ठीक नहीं लगता तो वो वहां से निकलता है और दीपू को फ़ोन करके बताता है. दोनों इस बारें में बात करते है और सोचते है की पुलिस में रिपोर्ट करे. दोनों फिर मिलकर पुलिस स्टेशन जाते है और फिर एक रिपोर्ट करते है. पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर के मामले की छान बीन करती है और जो शक दिनेश को हुआ था वही सच निकलता है. वो अकाउंटेंट ने पैसे चोरी किये थे और उसे लगा था की मालकिन (ऋतू) इसके बारे में कुछ ज़्यादा ध्यान नहीं देती तो उसे कोई डर नहीं था पकडे जाने का... लेकिन उसने दिनेश और दीपू के बारे में सोचा नहीं था की वो लोग इस पर ज़्यादा ध्यान देंगे. पुलिस वो अकाउंटेंट को गिरफ्तार कर लेती है. कुछ पैसे तो मिल जाते है लेकिन पूरा नहीं मिल पाता. (Not writing in much detail as it is not that important and want to move the story forward).
जा बी वो आदमी को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो वो बहुत गुस्सा हो जाता है और सोचता है की जब वो बाहर आएगा तो उन दोनों से बदला लेगा. जब ये सब हो जाता है तो दिनेश और दीपू भी अब संभाल कर कंपनी का काम देखते है. कुछ दिनों बाद अब काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और उनका बिज़नेस भी बढ़ जाता है और कंपनी भी अब अच्छे प्रॉफिट में थी. अब वो लोग भी बहुत खुश थे.
उस दिन जब दीपू शाम को घर आता है तो वो बहुत खुश नज़र आ रहा था. वसु पूछती है कि क्या बात है तो दीपू कहता है की उनका काम बहुत अच्छे से हो रहा है और कंपनी में प्रॉफ़िट्स भी अच्छे है. वो वसु को ख़ुशी से उठा लेता है और उसके होंठ चूमता है जिसमें वो भी उसका साथ देती है. उन दोनों को देख कर दिव्या भी पूछती है की ख़ुशी की क्या बात है... तो दीपू उसे भी बाहों में ले लेता है और उसे भी चूमते हुए कहता है की आज रात दोनों तैयार रहना.सा बी खुशियां मनाएंगे. दोनों इस बात का मतलब समझ जाते है लेकिन कुछ नहीं कहते.. और उससे छूट कर किचन में अपना काम करने चले जाते है.... और दीपू मन में सोचते हुए कमरे में निकल जाता है की आज रात को वो क्या करने वाला है....
वहीँ दिनेश भी अपने घर जाता है और अपनी माँ को भी बताता है की उनका बिज़नेस अब बहुत अच्छे से चल रहा है. उसकी माँ ऋतू भी बहुत खुश हो जाती है और उसे भी अपने गले लगा लेती है. वो भी दीपू को फ़ोन करती है और उसे भी बधाई देती है की वो दोनों और अच्छे से आगे काम करे और अपने बिज़नेस को आगे बढाए. उसी वक़्त ऋतू भी वसु से बात करती है और कहती है की वो भी जल्दी ही निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है. वसु भी इस बात पे हामी भर्ती है और कहती है की जल्दी ही वो भी आपकी बहु जल्दी ही बन जायेगी. वो लोग भी अब शादी की तैयारी कर रहे है. इस बात पे सब खुश हो जाते है और निशा की शर्म के मारे अपने कमरे में भाग जाती है.
रात को निशा दिनेश से फ़ोन पे बात करती है. दिनेश भी आज अच्छे मूड में था तो वो भी निशा से सेक्सी बातें करता है और दोनों भी एक दुसरे को फ़ोन पे ही चुम्मा देते है और अपने होने वाले शादी के बारे में भी बात करते है. निशा भी मस्ती में सो जाती है ये सोचते हुए की वो (दिनेश) सेक्सी बातें करने में जितना अच्छा है उसी तरह वो बिस्तर पे भी अच्छा होगा...
वहीँ दीपू के कमरे में दीपू दोनों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. दोनों भी आज अच्छे मूड में थे क्यूंकि वो लोग भी २- ३ दिन अच्छे से आराम कर पाए थे. दोनों जब कमरे में आते है तो पहले वो अपना कमरा बंद कर देते है और फिर इस बार दोनों दीपू पे टूट पड़ती है. दीपू भी इसी पल का इंतज़ार कर रहा था. पहले वो वसु को चूमता है फिर बाद में दिव्या को और फिर तीनो एक साथ चूमते है.
देखते देखते तीनो नंगे हो जाते है. आज दोनों की चूतें भी बहुत पानी बहा रही थी. दीपू वसु की चूत चाटता है तो दिव्या भी वसु के मुँह पे बैठ जाती है और दिव्या भी अपनी चूत वसु से चटवाती है और दिव्या झुक कर वसु की चूची को दबाती है. तीनो खुल के मजे ले रहे थे और कमरे में आवाज़ें भी आ रही थी. आज उन तीनो को कोई परवाह नहीं थी की आवाज़ निशा को भी सुनाई दे सकती है.
कुछ समय बाद जब वसु का पानी निकल जाता है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है तो दीपू भी अब बिस्तर पे लेट जाता है. इस बार वसु उसका लंड चूसती है तो दिव्या उसके मुँह पे बैठते हुए अपनी चूत चटवाती है तो वो भी झुक कर वसु के साथ वो भी दीपू का लंड चूसती है. दीपू भी मस्ती में दिव्या को चूसते हुए अपना एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करता है लेकिन दिव्या की गांड भी कुंवारी और बहुत टाइट थी तो उसकी ऊँगली नहीं जा पाती. दीपू फिर मन में सोचता है की कभी और दिन वो आराम से उसकी गांड मारेगा. अभी चूत ही सही... ५ मं बाद जब दोनों उसका लंड चूस कर एकदम खड़ा कर देते है तो दिव्या उसके लंड पे बैठ जाती है और ऊपर नीचे होते हुए दीपू से चुडते रहती है.
वसु भी दिव्या के पीछे आकर उसकी चूचियां दबाती रहती है. कमरे में अब माहौल बहुत गरम हो गया था. कमरे में सिसकारियों और फच फच की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था. काफी देर था दिव्या की ठुकाई के बाद अब वसु की बारी थी तो दीपू वसु को घोड़ी बना कर चोदता है. इस पोजीशन में वसु कोभी बहुत मजा आ रहा था. दीपू का पूरा ८ इन का लंड उसकी चूत की जड़ तक चला गया था. इस बार दिव्या को लिटा कर वसु उसकी चूत चूस रही थी और पीछे से दीपू उसे पेल रहा था.
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
अब आगे..
वसु जब अपनी गांड मटकाते हुए किचन में जाती है तो उसे पता था की उसके पीछे एक लट्टू की तरह दीपू आएगा और कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ. वो किचन में काम कर रही थी तो दीपू पीछे से आकर उसको बाहों में भर लेता है और धीरे से कान में कहता है..
तुम्हे याद है ना की तुम्हारी जन्मदिन पर मेरी तरफ से तुम्हारी गांड का उद्धघाटन कर के तुम्हे तोहफा दूंगा लेकिन तुम अगर ऐसी गांड मटकाकर घर में चलोगी तो मैं तुम्हारे जन्मदिन तक भी नहीं रुकूंगा और एक दिन जल्दी ही वो दरवाज़ा भी खोल दूंगा और हस देता है...
वसु ये बात सुनती है तो एकदम शर्मा जाती है और कहती है की वो मैं नहीं करने दूँगी. दीपू उसकी चूची को दबाते हुए... क्यों अपने पति को मन करोगी तुम्हे तोहफा देने में... वसु कुछ नहीं कहती तो दीपू वसु को पलट देता है और उसकी आँखों में देखता है. उसकी आँखों में भी बहुत प्यास नज़र आती है तो दीपू भी कहाँ रुकने वाला था. वो आगे बढ़कर उसके होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है और दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है और एक दुसरे की जीभ को भी जमकर चूसते है. दीपू उसको चूमते हुए उसकी चूची को दबाते रहता है. लगभग ३- ४ मं बाद जब दोनों अलग होते है तो दोनों हाँफते रहते है.
वसु दीपू को देख कर कहती है.. अभी तो तो दिव्या को चोद कर आया है लेकिन तुम्हारा मन नहीं भरा क्या?
दीपू: अपनी सेक्सी और हॉट माँ से कभी मन भर सकता है क्या? वसु भी एकदम मदमस्त और गरम हो जाती है और उसके लंड को पकड़ लेती है तो वो अभी ढीला पड़ा हुआ था क्यूंकि कुछ देर पहले ही उसने अपना माल दिव्या की चूत में छोडा था.
वसु: तुम तो कह रहे थे की तुम्हारा मन नहीं भरा लेकिन ये तो एकदम ठंडा पद गया है.
दीपू: हां पता है लेकिन तुम्हारे मुँह और हाथ में वो जादू है की एक मुर्दा भी जाग जाए. फिर मैं तो एक जीता जागता आदमी हूँ तो तुम जल्दी ही इसे अपने लिए तैयार कर दोगी और ऐसा कहते हुए दीपू उसका कन्धा पकड़ कर नीचे झुकता है जिसे वसु समझ जाती है और फिर दीपू का लंड उसके पैंट से बाहर निकल कर पहले एक चुम्मा देती है जो ढीला पड़ा हुआ था. धीरे धीरे उसे हिलाने लगती है और फिर मुँह में लेकर उसका चूसना शुरू करती है.
हिलाने और चूसने से दीपू के लंड पे भी अब जान आने लगती है और दीपू भी अपना कमर आगे पीछे करता है और २ मं में ही वो उसके लंड को वसु के मुँह में भर देता है. दीपू का लंड अब पूरा तन गया था और उसे वसु के गले तक अंदर डालता है जिसे वो अपने पूरे मुँह में ले लेती है.
वसु को भी अब इसमें मजा आ रहा था और दीपू भी अब झटके मार रहा था. वो तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था. ६- ७ मं तक अच्छे से उसके लंड को चूसने के बाद दीपू उसे उठाता है और फिर उसे किस करते हुए उसको पूरा नंगा कर देता है.
दीपू: मैंने कहा था ना की तुम्हारे मुँह और हातों में जादू है. देखो ये फिर से तुम्हारी मुनिया को सलाम कर रहा है.
वसु: चुप कर कुछ भी बकता रहता है. अब वसु भी बहुत गरम हो गयी थी और उसकी चूत भी पानी से बेह रही थी. जल्दी से अंदर डालना.
दीपू: क्या डालूं और कहाँ डालूं?
वसु: तू भी ना... बहुत परेशान कर रहा है… सुधरेगा नहीं .. सुन्ना है तो सुन... जल्दी से तेरा ये लंड मेरी चूत में दाल दे. बस... खुश?
दीपू: ये बात हुई ना जान.. लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे मेरे मुँह का जादू दिखाता हूँ ना.
और ऐसा कहते हुए दीपू उसे ऊपर से पूरा नंगा कर देता है और उसकी एकदम ठोस चूचियां और तानी हुई निप्पल को देख कर कहता है.. ये तो एकदम तानी हुई है. मुझे बहुत उत्तेजित कर रही है.
वसु: उत्तेजित तो मैं भी हूँ. तानी क्यों नहीं होगी? इतनी देर से मुझे उकसा रहे हो तो ये भी तो उत्तेजित जो जायेगी ना.
फिर दीपू चूची को मुँह में लेकर चूसता है और दुसरे को दबाता है. वसु तो पहले से ही गरम थी तो वो उसका सर अपने चूची पे दबा देती है. ५ मं तक अच्छे से रसपान करने के बाद झुक कर उसकी नाभि को चूमता और छाता है और ऐसे ही उसकी मस्त थोड़ी मोती जाँघों को भी चूमता और थोड़ा काटता है जिसमें वसु आँहें भर्ती रहती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है जिससे उसकी चूचियां भी मस्त हिलती रहती है.
वसु बड़बड़ाते हुए... देखना मेरी चूत इतनी पानी बहा रही है और तू उसपे ध्यान ही नहीं दे रहा है.
दीपू को भी इसमें मजा आ रहा था और वो आखिर में उसकी रस से भरी हुई गुलाबी चूत पे पहले एक गीला चुम्बन देता है और उसकी फांकों को फैलाते हुए अपनी जीभ अंदर दाल कर मस्त चूसता है.
वसु भी मजे से उसके सर को पकड़ कर ना जाने कितनी बार झड़ जाती है. लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. वो वसु को पलटा कर पिछसे से उसकी चूत और गांड को मस्त चाटता है. जब दीपू उसकी गांड को चाटता है तो वसु पीछे मुड कर उसको देखती है तो दीपू हस देता है और कहता है की तुम्हारी गांड तो एकदम मस्त और टाइट है. तुम्हारे जन्मदिन पे तुम्हे बहुत मजा दूंगा और फिर उसकी गांड को चाटने लग जाता है .
थोड़ी देर बाद वसु कहती है की अब उससे खड़ा नहीं रहा जा रहा है तो दीपू उसे बगल में किचन के स्लैब में बिठा कर उसके पाँव अपनी कंधे पे रखते हुए फिर से उसकी चूत को चाटने लग जाता है.
वसु अब अपने मदहोश में नहीं थी और बड़बड़ाती रहती है. उसे भी पता नहीं था की वो क्या बोल रही है. अब तू सिर्फ चूत ही चाटेगा क्या? शायद अब तक तेरा लंड भी बैठ गया होगा.
दीपू: ऐसे कैसे? तुम्हारा पानी पी कर तो अभी तो लंड और भी टाइट हो गया है और उसपर थोड़ा दया करते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास रख कर उसको देखते हुए कहता है देखो कितना खड़ा है और एक ज़ोरदार धक्का मारता है और इस बार एक ही बार में उसका पूरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत के जड़ तक चले जाता है.
वसु नै ऐसा नहीं सोचा था और उस झटके से उसकी आँखें बाहर आ जाती है और उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. वो भी थोड़े गुस्से में... पूरा एक साथ किसने डालने को बोलै था? मैं तो जैसे मर ही गयी. दीपू भी फिर झुक कर उसको चूमते हुए.. थोड़ा दर हुआ है लेकिन मजा भी आ रहा है ना... अगर नहीं तो अब देखो... और ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकल कर फिर से अंदर डालते हुए अब धीरे धीरे उसको चोदने लगता है. अब वसु को थोड़ी राहत मिलती है और उसे भी अब मजा आने लगता है. 5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद दीपू उसे स्लैब से उठा कर दीवार से सटाते हुए एक टांग को अपने कंधे पे रखते हुए फिर से उसे चोदने लगता है.
दीपू: मजा आ रहा है के नहीं?
वसु: ये सब तूने कहाँ से सीखा? कभी किचन के स्लैब पे तो कभी दीवार से सटा कर चोद रहा है.
दीपू: तुम उसकी चिंता क्यों करती हो? बस मजे करो.. और फिर दीपू फिरसे उसे चूमते हुए पेलने लग जाता है. आधे घंटे की दुमदार चुदाई के बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका भी होने वाला है. इस आधे घंटे में वसु ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी. दीपू फिर उसको चोदते हुए कहता है की वो आज उसके अंदर ही अपना पानी छोड़ेगा. वसु भी सिसकारियां और मजे लेते हुए हाँ कहती है तो 4-5 और धक्के मारते हुए दीपू अपना पूरा गरम और गाड़ा वीर्य उसके अंदर ही निकालता है और काफी निकालता है. 3-4 min मं बाद जब दोनों अपनी सांसें संभालते है तो
वसु: तू तो इतना पानी छोड़ा है की मैं शायद पेट से हो जाऊं.
दीपू: मैं तो यही चाहता हूँ ना.. की तुम फिर से जल्दी माँ बन जाओ और मुझे भी बाप बना दो. इस बात पे वसु भी शर्मा जाती है और प्यार से दीपू के सीने में हल्का सा मुक्का मारती है लेकिन हस देती है जिसका मतलब दोनों को पता था.
दोनों फिर थके हारे अपने आप को ठीक करते है और कमरे में जाते है तो दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही थी. उसको देख कर दोनों हस्ते है और वो दोनों भी सो जाते है.
अगली सुबह सब उठ जाते है और अपना काम करते है. दीपू चाय पीते वक़्त दीपक को फ़ोन करता है.
दीपू: दिनेश आंटी कैसी है?
दिनेश: माँ तो ठीक है. अब उसका बुखार भी काम हो गया है.
दीपू: तू आज काम पे आ रहा है क्या? मुझे तुझसे एक ज़रूरी बात करनी है.
दिनेश: हाँ आ रहा हूँ. बात क्या है?
दीपू: बात थोड़ी सीरियस है लेकिन मैं फ़ोन पे नहीं बता सकता.
दिनेश: ठीक है मैं जल्दी ही आता हूँ. चल Bye.
दीपू जब ये बात दिनेश को फ़ोन पे बताता है तो वसु पूछती है की प्रॉब्लम क्या है? दीपू बात को टाल देता है और कहता है की कुछ ख़ास बात नहीं है और फिर वो भी रेडी हो कर काम के लिए निकलता है. जब वो दरवाज़े पे जाता है तो पलट के देखता है तो दोनों समझ जाते है और फिर वसु और दिव्या भी उसके पास आकर दीपू के होंठ चूमते है. दीपू भी मस्त दोनों के होंठ चूमता है और साथ में दोनों की गांड भी दबा देता है.
दोनों एक साथ: अब जाओ. तुम्हारा दिन अच्छा रहेगा.
दीपू: हाँ अब मुँह मीठा हो गया है तो दिन अच्छा ही रहेगा और फिर हस्ते हुए वो अपने काम के लिए निकल जाता है.
दोनों भी अपने मन में: ये बहुत ठरकी बनता जा रहा है लेकिन मजा भी उतना ही देता है और मन में दोनों भी हस देते है.
दीपू ऑफिस जाता है तो उसी समय दिनेश भी आ जाता है. दिनेश: क्या हुआ जो तू मुझे फ़ोन पे कुछ नहीं बता सकता था?
दीपू फिर अपना लैपटॉप खोल कर उसे एकाउंट्स दिखाता है और दिनेश क्या कहेगा ये सोचता है. दिनेश एकाउंट्स देखता है तो उसे कुछ गलत नहीं लगता (उसे ऐसा लगता है).
दिनेश: क्या है ये? सब तो ठीक है. इसमें इतना क्या सीरियस है?
दीपू: अबे ठीक से फिर से देख... और इस बार दीपू दिनेश को फिर से एकाउंट्स दिखाता है और कहता है की अब गड़बड़ समझ में आया क्या?
दिनेश फिर एक बार अच्छे से देखता है और कहता है की ये तो मैंने भी ठीक से नहीं देखा. कुछ तो लोचा है. एक min रुक और दिनेश अपनी माँ ऋतू को फ़ोन करता है.
दिनेश: माँ ये एकाउंट्स कौन देखता है अपने ऑफिस में? तुमने कभी ठीक से देखा नहीं क्या?
ऋतू: नहीं बेटा मैंने कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. अपने ऑफिस में जो अकाउंटेंट है वही सब देखता है. क्यों कुछ प्रॉब्लम है क्या? दिनेश को लगता है की उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है तो वो उससे कुछ नहीं बताता और कहता है की सब ठीक है और फिर फ़ोन रख देता है.
दिनेश: एक काम करते है. ये एक बार किसी अच्छे Auditor को दिखाते है और कन्फर्म करते है की अपने एकाउंट्स ठीक नहीं है. इतने में मैं भी अपने Accountant से बात करता हूँ. दीपू को भी ये बात सही लगती है तो फिर दोनों एक अच्छे Auditor के पास जाते है और उनके Accounts का Audit करवाते है.
Auditor कहता है की वो १- २ दिन में वो उनको results बताएगा.
फिर दोनों अपने ऑफिस आ जाते है और अपने काम में फिर से लग जाते है. वो अब अपने बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते थे तो इसी प्लान में दोनों लग जाते है.
२ दिन बाद ऑडिटर उनको फ़ोन करके बताता है की एकाउंट्स ठीक से मैच नहीं हो रहे है और कुछ लाखों रुपयों का मिसमैच है. दिनेश फिर अपने स्टाफ को बुलाता है और पूछ ताछ करता है लेकिन उस दिन कंपनी का अकाउंटेंट नहीं था और वो पिछले २ दिन से आया नहीं था. दिनेश को कुछ गड़बड़ लगता है लेकिन उस वक़्त वो ज़्यादा कुछ नहीं कहता और फिर अपने सब स्टाफ को ध्यान से काम करने के लिए कहता है और सब अपने काम में लग जाते है.
एक लड़का चुपके से बाहर जाता है और वो Accountant को फ़ोन करता है जो की उसका दोस्त था.
लड़का: क्यों रे आज तू आया नहीं? मालिक तेरे बारे में पूछ रहे थे.
Accountant: क्या पूछ रहे थे?
लड़का: तूने कुछ घपला किया है क्या? वो लोग कुछ पैसों के बारे में पूछ रहे थे जिसका मुझे कोई आईडिया नहीं है. वो सब काम तो तू ही देखता है ना. Accountant ये बात सुनकर थोड़ा घबरा जाता है लेकिन फ़ोन पे नार्मल होते हुए कहता है की उसने कुछ नहीं किया. वो लड़का उससे और ज़्यादा बात नहीं करता और अपने काम में लग जाता है.
इतने में दिनेश दीपू से कहता है की वो एक बार बैंक जाकर पता करे की वहां से कुछ काम निकलेगा क्या? दीपू फिर बैंक निकल जाता है और पता करता है की कंपनी का आदमी ने कुछ पैसे निकाले थे लेकिन उसको कंपनी के बुक्स में नहीं लिखा गया था. दीपू को भी ये बात अलग लगती है और वो दिनेश को भी बताता है. दिनेश कहता है की जब accountant आएगा तो वो लोग इस बारे में उससे बात करेंगे.
दीपू फिर बाकी काम कर के घर आ जाता है लेकिन आज उसका मूड ठीक नहीं था. वसु और दिव्या उससे पूछते है तो वो कहता है की ऑफिस के काम से बिजी था और आज वो बहुत थक गया है. वो दोनों भी कुछ ज़्यादा बात नहीं करते और उन्हें भी अब थोड़ी आराम की ज़रुरत थी क्यूंकि पिछले २ दिनों से दीपू उन दोनों की जब की ठुकाई किया था.
अगले दिन दोनों ऑफिस में मिलते है तो फिर पता चलता है की वो अकाउंटेंट आज भी ऑफिस नहीं आया था. दिनेश उसको फ़ोन करता है तो उसका फ़ोन ऑफ होता है. दिनेश फिर कुछ काम से बाहर जाता है. अपना काम कर के जब वो वापस आ रहा था तो वो उस अकाउंटेंट को देखता है जो एक बैग लिए कहीं जा रहा है. दिनेश को आश्चर्य होता है तो उसका पीछा करता है. वो आदमी किसीसे मिलता है और वो बैग उसे देता है और कुछ बातें करता है (जो दिनेश समझ नहीं पाता क्यूंकि वो उससे दूरी बनाये हुए था और उनकी बातें दिनेश को सुनाई नहीं देती). दिनेश को मामला ठीक नहीं लगता तो वो वहां से निकलता है और दीपू को फ़ोन करके बताता है. दोनों इस बारें में बात करते है और सोचते है की पुलिस में रिपोर्ट करे. दोनों फिर मिलकर पुलिस स्टेशन जाते है और फिर एक रिपोर्ट करते है. पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर के मामले की छान बीन करती है और जो शक दिनेश को हुआ था वही सच निकलता है. वो अकाउंटेंट ने पैसे चोरी किये थे और उसे लगा था की मालकिन (ऋतू) इसके बारे में कुछ ज़्यादा ध्यान नहीं देती तो उसे कोई डर नहीं था पकडे जाने का... लेकिन उसने दिनेश और दीपू के बारे में सोचा नहीं था की वो लोग इस पर ज़्यादा ध्यान देंगे. पुलिस वो अकाउंटेंट को गिरफ्तार कर लेती है. कुछ पैसे तो मिल जाते है लेकिन पूरा नहीं मिल पाता. (Not writing in much detail as it is not that important and want to move the story forward).
जा बी वो आदमी को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है तो वो बहुत गुस्सा हो जाता है और सोचता है की जब वो बाहर आएगा तो उन दोनों से बदला लेगा. जब ये सब हो जाता है तो दिनेश और दीपू भी अब संभाल कर कंपनी का काम देखते है. कुछ दिनों बाद अब काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और उनका बिज़नेस भी बढ़ जाता है और कंपनी भी अब अच्छे प्रॉफिट में थी. अब वो लोग भी बहुत खुश थे.
उस दिन जब दीपू शाम को घर आता है तो वो बहुत खुश नज़र आ रहा था. वसु पूछती है कि क्या बात है तो दीपू कहता है की उनका काम बहुत अच्छे से हो रहा है और कंपनी में प्रॉफ़िट्स भी अच्छे है. वो वसु को ख़ुशी से उठा लेता है और उसके होंठ चूमता है जिसमें वो भी उसका साथ देती है. उन दोनों को देख कर दिव्या भी पूछती है की ख़ुशी की क्या बात है... तो दीपू उसे भी बाहों में ले लेता है और उसे भी चूमते हुए कहता है की आज रात दोनों तैयार रहना.सा बी खुशियां मनाएंगे. दोनों इस बात का मतलब समझ जाते है लेकिन कुछ नहीं कहते.. और उससे छूट कर किचन में अपना काम करने चले जाते है.... और दीपू मन में सोचते हुए कमरे में निकल जाता है की आज रात को वो क्या करने वाला है....
वहीँ दिनेश भी अपने घर जाता है और अपनी माँ को भी बताता है की उनका बिज़नेस अब बहुत अच्छे से चल रहा है. उसकी माँ ऋतू भी बहुत खुश हो जाती है और उसे भी अपने गले लगा लेती है. वो भी दीपू को फ़ोन करती है और उसे भी बधाई देती है की वो दोनों और अच्छे से आगे काम करे और अपने बिज़नेस को आगे बढाए. उसी वक़्त ऋतू भी वसु से बात करती है और कहती है की वो भी जल्दी ही निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है. वसु भी इस बात पे हामी भर्ती है और कहती है की जल्दी ही वो भी आपकी बहु जल्दी ही बन जायेगी. वो लोग भी अब शादी की तैयारी कर रहे है. इस बात पे सब खुश हो जाते है और निशा की शर्म के मारे अपने कमरे में भाग जाती है.
रात को निशा दिनेश से फ़ोन पे बात करती है. दिनेश भी आज अच्छे मूड में था तो वो भी निशा से सेक्सी बातें करता है और दोनों भी एक दुसरे को फ़ोन पे ही चुम्मा देते है और अपने होने वाले शादी के बारे में भी बात करते है. निशा भी मस्ती में सो जाती है ये सोचते हुए की वो (दिनेश) सेक्सी बातें करने में जितना अच्छा है उसी तरह वो बिस्तर पे भी अच्छा होगा...
वहीँ दीपू के कमरे में दीपू दोनों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. दोनों भी आज अच्छे मूड में थे क्यूंकि वो लोग भी २- ३ दिन अच्छे से आराम कर पाए थे. दोनों जब कमरे में आते है तो पहले वो अपना कमरा बंद कर देते है और फिर इस बार दोनों दीपू पे टूट पड़ती है. दीपू भी इसी पल का इंतज़ार कर रहा था. पहले वो वसु को चूमता है फिर बाद में दिव्या को और फिर तीनो एक साथ चूमते है.
देखते देखते तीनो नंगे हो जाते है. आज दोनों की चूतें भी बहुत पानी बहा रही थी. दीपू वसु की चूत चाटता है तो दिव्या भी वसु के मुँह पे बैठ जाती है और दिव्या भी अपनी चूत वसु से चटवाती है और दिव्या झुक कर वसु की चूची को दबाती है. तीनो खुल के मजे ले रहे थे और कमरे में आवाज़ें भी आ रही थी. आज उन तीनो को कोई परवाह नहीं थी की आवाज़ निशा को भी सुनाई दे सकती है.
कुछ समय बाद जब वसु का पानी निकल जाता है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है तो दीपू भी अब बिस्तर पे लेट जाता है. इस बार वसु उसका लंड चूसती है तो दिव्या उसके मुँह पे बैठते हुए अपनी चूत चटवाती है तो वो भी झुक कर वसु के साथ वो भी दीपू का लंड चूसती है. दीपू भी मस्ती में दिव्या को चूसते हुए अपना एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करता है लेकिन दिव्या की गांड भी कुंवारी और बहुत टाइट थी तो उसकी ऊँगली नहीं जा पाती. दीपू फिर मन में सोचता है की कभी और दिन वो आराम से उसकी गांड मारेगा. अभी चूत ही सही... ५ मं बाद जब दोनों उसका लंड चूस कर एकदम खड़ा कर देते है तो दिव्या उसके लंड पे बैठ जाती है और ऊपर नीचे होते हुए दीपू से चुडते रहती है.
वसु भी दिव्या के पीछे आकर उसकी चूचियां दबाती रहती है. कमरे में अब माहौल बहुत गरम हो गया था. कमरे में सिसकारियों और फच फच की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था. काफी देर था दिव्या की ठुकाई के बाद अब वसु की बारी थी तो दीपू वसु को घोड़ी बना कर चोदता है. इस पोजीशन में वसु कोभी बहुत मजा आ रहा था. दीपू का पूरा ८ इन का लंड उसकी चूत की जड़ तक चला गया था. इस बार दिव्या को लिटा कर वसु उसकी चूत चूस रही थी और पीछे से दीपू उसे पेल रहा था.
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...