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Adultery मेरी पतिव्रता पत्नी और दुकानवाला

Bhosmarani

ChudasiKuttiHu
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भाग -----1

निशित जहाँ इस उधेड़बुन में था कि उसने नेहा को छेदी से चुदवा कर ठीक किया या नहीं। वही नेहा को भी चुदाई का खुमार उतर जाने के बाद खुद को दोषी महसूस कर रही थी। वो सोच रही थी कि कैसे वो पिछले कुछ दिनों में इतने गंदे-बदबुदार लोगों के साथ हमबिस्तर हो चुकी थी। जिनको हाथ लगाने के नाम से ही उसकी जैसी हाई क्लास मॉडर्न औरत को उल्टी आ जाए। इतना हैंडसम पति के होते हुए भी कैसे वो इतने गंदे लोगों की तरफ आकर्शित हुई.......? कैसे उसे बदबुदार बीड़ी पीने वाले होठों से होठ मिला कर चुम्बन लेने में आनंद आने के लगा? कैसा वो बार-बार इन लोगों के हाथों कि कठपुतली बनती जा रही है? नेहा की कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

निशित ने कितने प्लान बनाए कैमरा भी फिट किया पर जब नेहा चुदी तो वो देख नहीं पाया। सावी ने भी संक्षिप्त में ही उसे बताया। क्योंकि जब ये कुछ हुआ था तब सावी ने भी नहीं देखा था। पर सिर्फ ये आप कल्पना करना से ही की नेहा का गोरा बेदाग जिस्म छेदी लाल के बड़े मोटे शरीर के नीचे उछल-उछल कर चुदवा रही है। इस कल्पना मात्र से ही निशित के लंड में हलचल होने लगी है। वो नेहा से प्यार करता था पर सेक्स के प्रति उसकी उदासीनता उसे पसंद नहीं थी। वो उसे हॉट और सेक्सी बनाना चाहता था और वो जनता था की कैसे उसने ही नेहा को सेक्स के दलदल में ढकेला था? इसलिये जो भी ये हुआ उसके लिए वो ना नेहा को कसूरवार मान रहा था ना उससे नेहा से कोई गिला था। उसे बस एक ही चिंता थी कि कहीं नेहा को ये पता न चल जाए कि इस सबके लिए वो ही जिम्मेदार था। उसका बस एक ही राजदार था और वो थी सावी...। उसे सावी से बात करनी पड़ेगी ये सोचते-सोचते निशित को नींद आ गई। नेहा भी ये सोचते हुए सो गई की, अब वो छेदी लाल से कभी नहीं मिलेगी।
छेदी लाल विवाहित महिलाओ के साथ संबंध बनाने के मामले में पुराना खिलाड़ी था, वो जनता था की नेहा है वक्त किस दौर से गुजर रही होगी? ऐसी चुदाई के फौरन बाद अपने को अपराध बोध मानना स्वाभाविक था और उसे यही सोच कर नेहा को कुछ दिन परेशान न करने का फैसला कर लिया था। आखिर इतने हसीन माल को चोदने का उसका ख्वाब तो पूरा हो गया था पर उसे पूरी तरह से अपने लंड पर नचाने के लिए उसे अब सब्र की जरूरत थी जो की उसमे काफी था।

सुबह जब सावी ने दरवाजा खटखटाया तो नेहा ने ही खोला। सावी उसे देख कर चहक कर मुस्कराई पर नेहा ने ठंडा सा प्रतिक्रिया दिया। सावी समझ गई की नेहा मैडम का मूड खराब है। उसे ज्यादा दखल देना सही नहीं समझा और वो अपने काम में लग गई। नेहा का सर दर्द हो रहा था इसलिय वो भी अपने बेडरूम में जा कर लेट गई। सावी जब किचन में बरतन साफ कर रही थी। तब निशित ने आ कर उसकी गांड़ पर जोर से चुँगटी काटी जिससे वो एक बार उछल पड़ी पर फिर निशित को देखकर शांत हो गई। निशित ने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया और अपने खड़े लण्ड को उसकी गांण की दरार में चुभाते हुए अपने हाथों से उसके दोनों चुची को ज़ोर से निचोड़ दिया
सावी- "क्या बात है साहब आज सुबह-सुबह ही तैयार हो गए हो क्या बात है?"
निशित- “अरे बात तो वही है जो तुने कल बतायी थी। विश्वास नहीं हो रहा की जो तुने कहा था वो सच था।”

सावी- "क्यों नहीं लग रहा?, क्या नेहा मैडम का मूड नहीं दिख रहा है?"
निशित- "हां पर ये तो उल्टा ही हो गया मैं हाॅट और सेक्सी बनाना चाहता था और वो तो एकदम ठंडी लग रही है आज।"
सावी मुस्कराई और अपना एक हाथ पीछे ले जा कर उसके लंड को सहलाते हुए बोली

सावी- “अरे साहब कुछ तो समझो.. नेहा मैडम कोई रण्डी नहीं है जो इतनी बड़ी बात से खुश होगी। अरे वो तो आपको बहुत प्यार करती है। अगर आपने और मैंने खुद से उनको छेदी की ओर ना ढकेला होता तो वो कभी भी उसके हाथ न लगती।”

निशित- "हां पर मैं गलत निकला जो ये सोचता था की नेहा ऐसा कभी नहीं कर सकती।"
सावी ने हस्ते हुई उसके लंड को ज़ोर से दबाया और बोली

सावी- "अरे साहब उसको अगर ऐसे ही भुखा रखोगे तो मौका मिलने पर ये कुछ भी कर गुजरेगी।"

निशित- "जो भी हो मुझे हाॅट और सेक्सी नेहा चाहिए। इस तरह से स्थिर और गंभीर नहीं।"

सावी- "आप चिंता मत करो साहब आज का दिन जाने दो। मैं मैडम को फिर से मूड में लेकर आऊंगी।"

निशित को ऑफिस जाना था इसलिये ज्यादा देर सावी के साथ नहीं खेल सका। सावी भी काम करके नेहा को आवाज लगा कर चल दी। नेहा सारे दिन अनमने भाव से काम करती रही। समय पास करती रही। रह-रह कर उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था। शाम होते-होते वो थोड़ा बेहतर महसूस करने लगी और तब उसे अहसास हुआ की आज छेदी लाल ने फोन नहीं किया। वो तो सोच रही थी आज छेदी लाल उससे मिलने से रोक नहीं पाएगा और जब वो घर आएगा तो वो उसे साफ-साफ मना कर देगी। पर घर आना तो दुर उसने उसे फोन तक नहीं किया। खैर मुझे क्या ये सोच कर नेहा फिर से अपने काम में लग गई। शाम को निशित ने खाने के बाद उसे पान खाने के लिए चलने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया और बेडरूम में जा कर लेट गई। निशित पान खाने चला गया। निशित को देख कर न-जाने क्यों आज छेदी लाल का दिल धड़क गया। यूं तो वो कई बार नेहा के साथ निशित के पीठ पीछे मस्ती कर चुका था पर अब जबकी वो उसकी बीवी को चोद चुका था। उसे लगा की अगर ये बात निशित को पता लगी तो वो न-जाने क्या करेगा?
छेदी- "आइये निशित बाबू आज अकेले?"

फिर भी अपने स्वर में बिना कोई परिवर्तन लाए अपने ही अंदाज में छेदी बोला

निशित- "अरे हां आज नेहा की तबियत कुछ ठीक नहीं थी।"

छेदी- "अरे बाबू क्या हुआ खैरियत तो है ना?"
निशित ने गहरायी से उसकी आंखों में देखा पर साला एकदम शातिर था उसे बिलकुल भी जाहीर ना होने दिया।

निशित- "अरे कुछ खास नहीं बस ऐसे ही।"
कहकर उसने छेदी से पान खाया। और बोला

निशित- "कल शनिवार है और भारत और वेस्टइंडीज का वनडे मैच भी है आ जाओ पार्टी करते हैं।" निशित ने पासा फेंका। छेदी खुश तो हुआ पर वो जनता था ये अभी उसके सब्र का इम्तेहान है, वो बोला

छेदी- “अरे नहीं साहब वो कुछ दिन पहले मेरी मां की तबियत खराब हो गई थी। कल उनको डॉक्टर के पास लेकर जाना है। चेकअप के लिए इसलिय गाँव जाऊँगा कल तो।
हां अगले मैच में अगर आपका मुड हुआ तो याद करना।”

निशित- "अच्छा ठीक है, अभी चलता हूं।"
निशित मायुस होकर घर लौट आया।
वो बेडरूम में नेहा की बगल में आकर लेट गया तो देखा की नेहा जग रही है। उसकी आंखें सूजी हुई लग रही थी। साफ लग रहा था की वो बहुत रोई थी। उसने देखकर भी अनदेखा किया वो नहीं चाहता था की नेहा इमोशनल होकर कुछ भी उसके सामने कबूल करे, वो बोला
निशित- "नेहा ये साला छेदी भी बहुत भाव खाने लगा है।"
छेदी का नाम सुन कर नेहा ने तुरंत उसकी ओर देखी फिर धीरे से बोली
नेहा- "क्यों क्या हुआ?"

निशित- "अरे साले को बोला की कल मैच है घर एक जाओ पार्टी करते हैं पर बोला मुझे गाँव जाना है।"

नेहा-“अरे तो इसमें क्या है? जाना होगा उसे गाँव। उसकी माँ की तबियत खराब थी ना।"
नेहा बोल कर अचानक से चुप हो गई।
निशित- "अच्छा तुम्हे मालुम है?"
निशित ने उसकी आँखों में झाँका
नेहा- "हां वो कुछ दिन पहले जब में सावी के घर गई थी तब उसने बताया था।"
निशित- "हम्म वैसा बोल रहा था अगले मैच में आ जाएगा.. ठीक है देखते हैं..वैसे साले का पान लाजवाब है। सॉरी तुम्हारे लिए नहीं लाया आज।"
नेहा- "कोई बात नहीं मेरा मूड नहीं है।"

निशित- "क्या हुआ है तुम्हें सुबह से देख रहा हूं .... किसी से कोई बात हुई क्या?"

नेहा- "नहीं बस ऐसे ही सुबह से सर में दर्द हो रहा है।"
निशित- "टैबलेट दू।"

नेहा- "नहीं शायद सो कर ठिक हो जाएगा।"

निशित- "ठीक है तो शुभ-रात्रि।"
ने
हा- "शुभ-रात्रि"
अगले दिन सावी निशित के जाने के बाद ही आई। नेहा को देख कर आज भी सावी जोर से मुस्कराई और बदले में नेहा ने भी उसका मस्कुरा कर अभिवादन स्वीकर किया। उसको काम बता कर नेहा नहाने चली गई और सावी अपने काम में व्यस्त हो गई। नेहा नहा कर पीले कलर के खूबसूरत गाउन में बहार आई। स्लीवलेस गाउन उस पर खूब खिल रहा था और वो बला की खूबसूरत लग रही थी।

सावी- "वाह मेमसाब आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।"

नेहा- "चुप कर हर वक्त मसका लगाती रहती है।"
सावी- "नहीं मेमसाब वकाई में कसम ले लो।"
नेहा- "चल ठीक है। सुन.... उस दिन जो हुआ वो...।"

सावी ने आगे बढ़के उसके होठों पर उगली रख दी।

सावी- "मेमसाब ये सिर्फ आपके और मेरे बीच रहेगा आप चिंता न करें।"

नेहा उसके चेहरे को देखती रही फिर मुस्करा दी। सावी ने फिर कुछ देर काम करके अपने और नेहा के लिए चाय बनाई और वो साथ में बैठक रूम में बैठकर चाय पीन लगी।

सावी- "मेमसाब छेदी लाल की मां की तबियत फिर खराब हो गई है इसलिय वो आज गाँव जा रहा है।"

नेहा- "हां मुझे मालूम है निशित ने बताया था।"

सावी- "वो मैं कह रही थी की दो दिन आपके यहाँ रुचि आएगी तो चलेगा?"

नेहा- “क्यों तू कहा जा रही है?………. ओह तो तू भी छेदी लाल के गाँव जाएगी?”

नेहा को पता नहीं क्यों इस बात से हल्की सी जलन सी हुई।

सावी- "वो मेमसाब छेदी लाल मान ही नहीं रहा। कह रहा था कि आखिरी बार बोल रहा हूं। अगली बार नेहा मेमसाब को लेकर जाऊंगा।"

नेहा- "मैं क्यों जाने लगी उसके गाँव?"
नेहा तुनक कर बोली।

सावी-"अरे मेमसाब मस्त गाँव है उसका। शांति और सुकुन है, एक नदी बहती जिसमे खुब नहाओ नंगे होकर कोई देखने वाला भी नहीं.. ही ही ही।"

सावी के चेहरे पर कुछ सोचकर लाली आ गई।

नेहा- "हम्म तो ये बात है। माँ के इलाज के लिए जाता है की नंगा नहाने।”
इस बार सावी और छेदी लाल को नंगे नहाने का सीन की कल्पना करते हुये उसे थोड़ी ज्यादा जलन हुई, पर उसने सावी को ज़हीर नहीं होने दिया।

सावी- "अरे मेमसाब मां को ठीक देखने के बाद ही उसका मूड बन जाता है।"

नेहा- "ठीक है भेज देना रुचि को समय से।"

सावी- "धन्यवाद मेमसाब।"
नेहा अब नॉर्मल होने लगी थी। उसे लग रहा था कि अब उसे छेदी लाल से मिलने की कोई जरूरत नहीं थी पर वो कहां जानती थी कि जो स्वाद उसकी चुत को इन निचले होठों को लंड का लग गया है। अब वो उसे चेन से जीने नहीं देंगा, और इस चुत की भूख के आगे कैसे बार-बार बेबस हो जाएगी?

रुचि- "नेहा मैडम वो अकरम(छोटु) मिलने के लिए बोल रहा था।" रुचि अपना काम निपटाने के बाद डरते-डरते नेहा से बोली।

नेहा- "क्यों उसे और कोई जगह नहीं मिलती क्या?"

रुचि- "नहीं मैडम.. और आज छेदी लाल भी गाँव गया है और मां भी घर पर नहीं है। ऐसा मौका हम दोनों कभी-कभी ही मिलता है।"
उसकी मासुमियत भरी बात सुन कर नेहा को हँसी आ गई।

नेहा- "अच्छा आग तो तुझमें भी कम नहीं लगी है.. पर मुझे तेरा ये अकरम(छोटु) बिलकुल पसंद नहीं है।"

रुचि- “पता नहीं मैडम वैसा वो बहुत अच्छा है और मैडम वो तो आपको बहुत पसंद करता है। कहता है ऐसे मक्खन जैसे जिस्म वाली को तो हीरोइन होने चाहिए।”

नेहा- "अच्छा ज्यादा मसका न लगा।"

रुचि- “नहीं मैडम सच कह रही हूं आपकी बहुत तारिफ करता है और कहता है कि आपके पति बहुत भाग्यशाली है जो आप जैसी सेक्सी----- मतलाब खूबसूरत औरत उन्हे मिली है।"

नेहा- "चल-चल लेकिन देख समय से निकल जाना निशित के आने से पहले।"

नेहा ने रुचि का मन देखते हुए न चाहते हुए भी इजाजत दे दी।
थोड़ी ही देर बाद बेल बजी तो रूचि ने ही उठकर दरवाजा खोला। छोटू उर्फ अकरम अन्दर आया और बड़े ही सम्मान से उसे नेहा का अभिवादन किया।

छोटु- "क्या मेमसाब आजकल आप पान खाने नहीं आ रही?"

नेहा- "वो मेरा मूड नहीं है।"

छोटु- "मैडम आज आईयेगा ना क्योंकि उस्ताद गाँव गया है और आज मुझे मौका मिलेगा आपको पान खिलाने का।"

नेहा- "मेरा कोई मूड नहीं है फिर भी देखेंगे।" नेहा जनती थी की छोटू को जितनी बाते पता है उतनी तो सावी और छेदी लाल को भी नहीं पता इसलिये वो उससे ज्यादा बहस करके उसे गुस्सा नहीं दिलाना चाहती थी।

नेहा- "ठीक है मैं बेडरूम में जा रही हुँ। रुचि कुछ जरूरत हो तो बता देना।"

छोटू को भी लगा की नेहा थोड़ी सीरियस है इसलिय उसने भी कुछ मजाक करना ठिक नहीं समझा और नेहा अपने बेडरूम में आ गयी। दरवाजा उसने थोड़ा सा बन्द किया और वो आराम करने लगी।
रुचि- "अरे क्या कर रहा है इतनी जल्दी किसलिए?"

छोटु- “अरे उस दिन भी खड़े लंड पर धोखा हो गया था। आज जम के चोदुँगा तुझे।”

कहते हुये उसने रुचि को बाहों में भर लिया और उसके होठो को बेतहाशा चूमने लगा। रुचि के हाथ भी उसके सर के पीछे आ गए और वो भी उसके चुंबन उसका साथ देने लगी। दोनों की जिभ एक-दुसरे से कुस्ती लड़ने लगी। और दोनों किस करते-करते सोफे के पास आ गये। छोटु ने जल्दी से रुचि का टॉप उतार कर सोफे के पीछे फेंक दिया, और ब्रा का हुक भी खोल दिया। रूचि भी उतनी ही उतावली थी उसने भी झट से छोटू की पैंट के हुक और ज़िप खोल कर पैंट को नीचे की ओर सरका दिया। ये सब करते हुये भी उन दोनों ने एक-दुसरे को चुमना चालु रखा। छोटू ने अपनी पैंट को भी लात मार के दुर फेंक दिया और रुचि की स्कर्ट की जिप खोल दी। जिप खुलते ही उसकी स्कर्ट जमीन पर सरक गई, और दो कदम आगे बढ़कर रुचि ने स्कर्ट को आजाद कर दिया। अब रुचि सिर्फ एक पैंटी में थी, और छोटू अभी भी टी-शर्ट और अंडरवियर में था। दोनों का चुम्बन रुका तो दोनों की साँसे भारी हो रही थी। रुचि ने आगे बढ़कर छोटू की टी-शर्ट को उतारा और छोटू ने खुद को अपने अंडरवियर से आज़ाद कर दिया। उसका लंड तम्बु की तरह तन गया था। उसने फिर से रुचि से लिपट कर उसके होठों को चुसने लगा। और फिर उसकी शरीर को चुमते हुये नीचे की ओर बढ़ने लगा। रुचि के जवान और टाइट चुची को एक-एक कर दबाया। उसके दोनों निप्पल तन कर खड़े थे। उनको बारी-बारी से मुह में लेकर चुसा। जिससे की रुचि के मुह से सिसकारी निकल गयी। छोटु घुटनो के बल बैठ गया, और रुचि की नाभि को जीभ से कुरेदने लगा। फिर उसने उसकी चुत की महक को पैंटी के उपर से सूंघा और पीछे हाथ ले जा कर पैंटी के उपर से ही उसकी गाड़ को जोर से दबाया तो रूची की कराह निकल गई। उसने हल्के से छोटू के सर पर थप्पड़ मारा।

रुचि- "धीर नहीं कर सकता क्या?"
छोटु- "अरे गांड़ चीज ही ऐसी है, ना इसे धीरे दबाया जाता है और ना धीरे मारा जाता है।"

कहते हैं छोटू ने रुचि की पैंटी भी उतर दी‌ जिससे उसके कोमल हल्के बालों वाली प्यारी सी चुत सामने आ गई। छोटू ने उसकी चुत को चुमा। और बोला

छोटु- “यार बहुत दिन हो गए तेरी चुत मारे अब रहा नहीं जाता।"

कहकर उसने रुचि को गोद में उठाकर सोफे पर लिटा दिया। दोनों बेतहाशा एक-दुसरे को चुमने लगे। दोनों की सिसकियाँ और आवाज नेहा को अन्दर बेडरूम तक सुनाई दे रही थी। काफ़ी देर तक बर्दाश्त करने के बाद नेहा में भी उत्सुकता जागी। दोनों की काम-क्रीड़ा देखने की। तो वो चुप-चाप दरवाजे के पीछे आ कर देखने लगी। छोटू की पीठ उसकी तरफ थी और रुचि अगर पूरी गर्दन घुमाती तो उसे देख शक्ति थी। मतलब उसके लिए वो नजारा देखना बेहद आसान था। छोटू उस वक्त रुचि की टाइट चूचियों को ज़ोरों से मसल रहा था। और रह-रह कर उसके निपल्स को भी मसल रहा था। जिससे उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी। तुरंत ही नेहा के रोंगटे खड़े हो गए और जो अपराधबोध की भावना अब तक उसके अंदर थोड़ी बहुत बची हुई थी, वो भी बिना डर के गायब हो गई। दो जवान नंगे जिस्म उसके ही बैठक वाले कमरे में मस्ती कर रहे थे। ये देख उसकी चुत फड़कने लगी। इस बीच छोटू नीचे से रुचि की दोनों टंगों के बीच आ गया था और उसकी चुत को बड़ी ही तन्मयता से जिभ से चाटने लगा।
“आआह कमीने ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् और और या और और और या नहीं.

रूचि इतनी ज़ोर से चिल्लाई की छोटू चौंक गया, और मुड़कर बेडरूम के दरवाजे की ओर देखने लगा, पर नेहा ने तब तक अपने आप को छुपा लिया था।
छोटु- "पागल तेरी मेमसाब आ जाएगी और फिर हमारा खेल बिगाड़ देंगी।"
रुचि- "आह आज वो नहीं आएगी। आज उन्हे पता है ना कि हम क्या कर रहे हैं?"

कहते हैं उसने अपनी दोनों टांगे उठाकर उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट दी, और उसके सर को अपनी चुत पर जोर से दबा दिया।
नेहा- "कैसी उतावली हो रही है ये रूचि भी?"

नेहा मन ही मन बुदबुदाई पर खुद उसका एक हाथ बार-बार उसकी चुत को कपड़ो के उपर से ही दबा रहा था। अब दोनों ही पूरी तरह एक्साइट हो चुके थे। छोटू ने रुचि को ठीक से सोफ़े पर लिटाया, और फिर अपनी पैंट ढुढ़ने लगा। पैंट से पर्स निकला और बोला

छोटु- "इसकी माँ को चोदु, कंडोम तो घर ही रह गया।"
रुचि- "घर में क्या तेरी मां के लिए रखा है...? जा फिर मैं नहीं करने देती?"
छोटू उसके पास आ गया और उसे चुमता हुआ बोला
छोटु- "अरे बेबी खड़े लंड पर धोखा मत दे, मैं तेरे अंदर पानी नहीं छोडुँगा वादा।"

रुचि- "नहीं अगर तुने गड़बड़ कर दी तो मुझे बापु जान से मार देगा।"

छोटु -"अरे कोई गड़बड़ नहीं होगी मैं सारा माल बहार ही निकालूंगा। चल जल्दी कर नहीं तो मेमसाब बाहर आ जाएगी।"

कहते हैं उसे अपने लंड को उसकी चुत की दरार पर टिकाया और लंड की टिप से चुत की दरार पर उपर से नीचे फिराने लगा।

रुचि- “आह कमीने अब देर क्यों कर रहा है? डाल दे ना जल्दी कहते हुये रुचि ने अपनी दोनो टांगे उठा कर उसकी कमर के पीछे जकड़ लिया पर इससे पहले की छोटू शॉट मारता दरवाजे की घंटा बज गई। उन दोनों के साथ-साथ नेहा भी चौंक गई और अपने आप को दरवाजे के पीछे चुप लिया।

छोटु- "अब कौन माँ चुदाने आ गया भोसड़ी का।"
बोलते हुए छोटू उठा और नंगा ही दरवाजे की तरफ बढ़ा। दरवाजा पर लगे एक-तरफा मिरर से उसे बाहर झाँका और तुरंत भागता हुआ रूचि के पास आया।”

छोटु- "इसकी मां को चोदु अब तेरा बाप यहाँ क्या गाण मराने आया है।"
रुचि- "क्या बाबा...? हे तुम बाबा के बारे में कुछ गलत मत बोलना।"

छोटु- “अरे बेबी पर आया क्यों है तुम्हारा बाबा? मैडम का इससे क्या लफड़ा है?''

नेहा का दिल धड़क उठा, पर
रुचि बोली- "अरे कुछ भी मत बोल होगा कोई काम पर अब हम क्या करें?"
तब तक घंटी तीन बार और बाज गई, और तभी नेहा दरवाजे के बहार आ गई। छोटू सोफे के पास नंगा खड़ा था और अब उसका लंड थोड़ा लटक गया था। रुचि नंगी हड़बड़ाकर सोफ़े से उठी और अपने को ढकने करने के लिए कुछ ढूंढ़ने लगी पर उसके आस पास कुछ भी नहीं था।

नेहा- "ये कपड़े कितना बिखरा रखे हो ये सब उठाओ और जल्दी से मेरे बेडरूम में जाओ जल्दी?"
कहते हैं नेहा दरवाजे की ओर बढ़ गई। छोटू और रुचि भी जैसे नींद से जागे और अपने कपड़े समेट कर बेडरूम के अंदर भाग गए।
नेहा ने दरवाजा खोला तो जग्या खड़ा था। हल्की सी मुस्कान के साथ बोला-
जग्या- "मेमसाब नमस्कार.....वो सावी कहीं काम से गई है इसलिये सोचा ..."

नेहा- "क्या सोचा तुमने... समझ क्या रखा है मुझे... जब मुह उठाया चले आए?"

नेहा ने इस तरह से बोला की अंदर छोटू और रुचि ना सुन पाए हैं।
जग्या- "अरे मेमसाब नाराज ना हो वो मैंने सोचा की इस गरीब को कुछ पल आपके साथ बिताने का मौका .."

नेहा- "सुनो जग्या अब यहां कभी मत आना... और इस वक्त तुम्हारी बेटी रुचि अन्दर काम कर रही है कहो तो बुलाओ यहाँ।"

रुचि का नाम सुनते ही जग्या का चेहरा पीला पड़ गया।

जग्या- "क्या अरे नहीं मेमसाब उसे न बताना की मैं यहां आया था नहीं तो दस सवाल करेगी।
नेहा- "तो चलो दफा हो जाओ और आगे से आने की जरूरत नहीं है।"
छोटू और रुचि अन्दर से सुनने की कोशिश कर रहे थे। पर उन्हे कुछ सुनाई नहीं दिया तो वो दोनों फिर से एक-दुसरे को चुमने लगे।
Bhenchod teri gaaliya mera bhosda khada kr deti h chutiye khike
 

Arjun007

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भाग-19

फोटोग्राफर- "खूब भालो अब तुम लोग करो किस।"
पिछली बार का याद था दोनों को इसलिये उन दोनों ने एक-दूसरे के होठों पर होंठ बस टिका दिए। पर निशित (फोटोग्राफर) घूम कर आया और छेदी की आंखों में देखते हुए नेहा की नंगी पीठ पर उपर से नीचे हाथ फेरता हुआ बोला-
फोटोग्राफर- "ये एक कामुक मुद्रा है। मतलब इससे तुम लोगों का बेइन्तहा प्यार जाहीर होना चाहिए। दोनों का शरीर तो एकदम मस्त चिपक गया है। अब होठों की चुसाई भी जंगली होगा तो शॉट बहुत अच्छा आएगा।"
कहते हैं उसने हाथ नीचे ले जाकर नेहा की गांण को हल्का सा दबाया। अब छेदी और नेहा को क्या चाहिए था?वो दोनों जोश में आकर एक-दूसरे को जंगली की तरह होठों की चुसाई करने लगे और निशित फोटो क्लिक करने लगा। निशित ने देखा की नेहा ने उसके शरीर को छुने से एक बार भी बुरा नहीं माना था। नेहा अब बहुत अधिक उत्तेजित हो चुकी थी। उसकी नंगी चुत छेदी के लंड को धोती के उपर से आमंत्रित कर रही थी। उसे लंड के घर्षण से मजा आ रहा था। निशित देख रहा था कि किस प्रकार उसकी प्यारी बीवी लंड के लिए छटपटा रही है,और बेशर्मो की तरह अपनी गांण आगे पीछे कर रही है। कुछ फोटो क्लिक करने के बाद उसने इस कामुक घटना का छोटा सा वीडियों भी बना लिया है। छेदी भी बहुत भड़क चुका था। उसका मन कर रहा था कि धोती को हटा के लंड जड़ तक नेहा की चुत में पेल दूं। पर पता नहीं किस कारण उसने अपने आप को रोक रखा था, क्योंकि उस बुड्ढे फोटोग्राफर की तो उसे अब घण्टा भी परवाह नहीं थी। जिस प्रकार की उत्तेजक अवस्था में नेहा थी। परवाह तो उसे भी नहीं थी बल्की वो तो अपने ओर से पूरी कोशिश कर रही थी कि छेदी अपना लंड पेल दे उसकी चुत में। पर निशित इस खेल को इतनी जल्दी खत्म नहीं करना चाह रहा था। उसने एक बार फिर नेहा की नंगी पीठ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और बोला-
फोटोग्राफर- "बस मैडम आराम करो। एक-दो पोज़ और फ़िर पैक अप।"
उसकी बात सुन कर नेहा जैसे होश में आई और छेदी ने भी नेहा के होठों को आज़ाद कर दिया। सावी भी उन दोनों के पास आ गई और बोली-
सावी- "क्या सीन था? सच में लग रहा था अभी तुम लोग यही चुदाई शुरू कर दोगे।"
नेहा ने धीरे से उसके हाथ पर हाथ मारा और बुढ्ढे फोटोग्राफर की तरफ इशारा किया तो
सावी बोली- “उनकी तरफ क्या इशारा कर रही है उनके सामने ही अभी सब कुछ हो जाता वकाई में बहुत ही गरम सीन था। बुढ़ऊ आप तो बड़े मास्टर हो।"
कहकर सावी ने निशित को आंख मारी।
फोटोग्राफर- "अरे सावी जी यही तो मेरा काम है। छेदी जी अगर आपको चलेगा तो मैं थोड़ा और गरम फोटो ले लू। आप दोनों के लिये हमेसा यादगार रहेगा आपका हनीमून।"
छेदी- "ले लो चाचा इतना गरम मत कर देना की फट जाऊ मैं हा हा हा हा।"
अपनी ही बात पर जोर से हँसने लगा छेदी। पहली बार आज उसको अहसास हुआ की फिल्मों के हीरो हेरोईन गरम सीन देते होंगे तो उनकी क्या हालत होती होगी?
फोटोग्राफर- "अब आप खड़े हो जाओ"
कहकर निशित उर्फ हरिओम फोटोग्राफर ने दोनों को खड़ा कर दिया।
फोटोग्राफर- "छेदी साहब आप अपना कुर्ता उतर दिजिये।" छेदी के नंगा होने में कोई शर्म कभी भी नहीं थी, वो तो फोटोग्राफर अगर धोती उतारने को बोलता तो भी तुरंत उतार देता है। उसने कुर्ता उतार कर चारपाई पर डाल दिया।
फोटोग्राफर- "नेहा मैडम अब आप छेदी साहब के पीछे चिपक कर अपने दोनों हाथ उनकी छाती पर ले अईयें और अपनी गार्दन साइड में लाकर कैमरा की ओर देखिये।"
नेहा छेदी के पीछे चिपक गई और उसके हाथ छेदी की छाती पर फिराने लगी। निशित दोनों के चारों ओर घूम कर उनका पोज देखने लगा और फिर उसे मौका मिल गया और पीछे आकर उसने नेहा की गांण को हल्के से थपकी दी और बोला-
फोटोग्राफर- "इसे बिलकुल आगे चिपका लो।"
नेहा ने तुरंत अपनी गांण को आगे छेदी की गांण में धसा दिया। कमर से उपर नंगे छेदी के पीछे से झाँकती नेहा की फोटो मस्त आयी। जिसे निशित ने तीन चार बार क्लिक किया और बोला-
फोटोग्राफर- "अब मैडम अपने हाथ छेदी साहब की धोती में घुसा दो।"
नेहा- "क्या ????"
फोटोग्राफर- "अरे ….. अपने हाथ छेदी साहब की धोती में घुसा कर उनका लंड पकड़ लो बाबा।"
थोड़ा तेज आवाज में निशित बोला-
वो ध्यान रख रहा था कि उसका लहजा और आवाज गंदी रहे। छेदी ने नेहा को झिझकते देखा तो खुद उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपनी धोती में घुसा दिए और बोला-
छेदी- "पकड़ ले ना लंड बहनछोद.....। ये चाचा आज पागल कर के छोड़ेगा।"
नेहा ने छेदी से चिपकते हुए अपने दोनों हाथों से छेदी के लंड को धोती के अन्दर थाम लिया और उसके लंड को आगे पीछे करने लगी। निशित अपने लंड को संभलता हुआ दोनों की तस्वीरें लेने लगा।
फोटोग्राफर- “अब नेहा मैडम आप छेदी साहब को सामने से आकर गले लगा लो। आपकी पीठ कैमरा की तरफ रहेगी।"
नेहा ने छेदी के लंड को आखिरी बार थोड़ा जोर से दबाया और हाथ निकाल कर सामने आ गयी और दोनों ने एक-दूसरे को कस कर गले लगा लिये।
फोटोग्राफर- "हां छेदी साहब एक हाथ नेहा मैडम की गर्दन पर, और दूसरा हाथ मैडम की गाण वो मेरा मतलब वह पीछे रख लिजिये।"
छेदी- "कहाँ रखू क्या बोला?"
निशित आया और उसने खुद छेदी का हाथ पकड़ कर नेहा की गाण पर रख दिया।
छेदी- "अरे तो ऐसा बोल ना की नेहा की गाण पर रख लो। क्यों अंग्रेजी की मां चोद रहा है हिंदी में बात कर पुरा बिंदास।"
फोटोग्राफर- "ठीक है बाबा बस थोड़ा गांण को मुठ्ठी में हां बिलकुल ऐसे ही रुको तो जरा हां मस्त शॉट आया है‌। अब नेहा मैडम आप पलट जाइए तो जरा मेरा मतलब है घूम जाइए पूरा हाँ ऐसे ही छेदी साहिब पहले तो आप कस के नेहा मैडम के पीछे चिपक जाईये और इनकी चोली के नीचे हाथ रखिए हां बिलकुल ऐसे ही और इनके चुची को उपर की ओर दबाये हां बिलकुल ऐसे ही एक सेकेण्ड रुकना हिलना मत।"
कहकर निशित बिलकुल उनके पास आया और देखा की नेहा का एक निप्पल चोली के बाहर आ गया है। पहले तो उसने क्लोज अप में उसका फोटो लिया। फिर अपने हाथ से नेहा की चोली को पकड़ कर दुसरे हाथ से उसके निप्पल और को चोली के अन्दर कर दिया।" फोटोग्राफर- "वो ये निप्पल थोड़ा बहार आ गया था अब ठीक है। आपकी पत्नी के बूब्स तो कमाल है। ये चोली में और भी कमाल लग रहे हैं।"
निशित ने फील किया की नेहा का निप्पल एकदम कड़क हो चुका था।
बोलकर निशित पीछे जाकर दोनों का उस पोज में फोटो लेने लगा। बुढ्ढे फोटोग्राफर के इस प्रकार नेहा के निप्पल से छेड़खानी करने और नेहा के कुछ ना बोलने से छेदी को भी मजा आया। और उसका लंड खड़ा होकर नेहा की गांण में दस्तक देने लगा। छेदी नेहा के कान में बोला-
छेदी-"क्या माल है तू बुलबुल, ये चाचा भी तेरा दीवाना हो गया लगता है।"
नेहा- "और तुम्हे इससे बड़ा मजा आ रहा है"।
नेहा ने अपनी गांण को पीछे उसके लंड की ओर ढकेलते हुए कहा।
छेदी- “हां यार मजा तो बहुत आ रहा है।"
कहते हैं छेदी नेहा की गर्दन को चुमने लगा और उसके स्तन को जोरों से मसलने लगा। और निशित कुछ देर तस्वीरें लेने के बाद छेदी की उस हरकत का छोटा सा वीडियो बना लिया।
फोटोग्राफर- "अब छेदी साहब आप नेहा मैडम की चोली खोल दो और नेहा मैडम आप वापस पलट कर छेदी साहिब की तरफ मुह कर लो।"
नेहा छेदी को रोकती उससे पहले ही उसने चोली की डोरी खोल दी और इससे पहले की नेहा के चुचियों से चोली हट जाती। नेहा ने घूमकर छेदी के तरफ मुह और कैमरा की तरफ अपनी पीठ कर ली। छेदी ने उसकी चोली निकाल कर चारपाई पर फेंक दी। अब नेहा के नंगे चुची छेदी की छाती में गड़ गए थे।
फोटोग्राफर- "हाँ छेदी साहब आप नेहा मैडम की गर्दन चुमते हुए उनकी नंगी पीठ पर हाथ फेरते जाओ। हां ऐसे ही बहुत अच्छा शॉट मस्त चिकना शरीर है आपकी पत्नी का। हां ऐसे ही एक दो बार मैडम की गांण भी दबाओ तो जरा। हां दोनों हाथो से भी दबाओ तो। बहुत ही सेक्सी फोटो आया है, मैडम का गाण बहुत मस्त है। छेदी साहब आप तो बहुत ही भाग्यशाली है। हां मस्त तस्वीर है इधर साइड से मैडम के चुची का तस्वीर मस्त आया है। हहहह ठीक अब आगे एक।"
निशित आगे बोला पर अब नेहा और छेदी उपर से नंगे थे। अब फोटोग्राफर की तरफ घूमना नहीं चाह रही थी। उधर सावी बार-बार अपनी चुत पर साड़ी के उपर से ही हाथ फिरा रही थी। वो सोच रही थी कि एक दिन बैठकर लैपटॉप पर इस पूरे शूट को दोबारा देखेंगी।
उधर छेदी और नेहा एक दूसरे से चिपके हुए थे। निशित के अगले आदेश का इंतजार कर रहे थे।
फोटोग्राफर- "नेहा मैडम आप अब वापस कैमरे की तरफ घूम जाओ और छेदी साहब आप नेहा मैडम के चुची को अपने हाथों से दबा लो।"
नेहा घूमने के लिए मना करना ही वाली थी की छेदी उसके कान में बोला-
छेदी- "अरे कुछ नहीं होगा मजे ले तू भी।" और नेहा फोटोग्राफर की ओर घूमी और छेदी ने उसके दोनों चुचीयों को दबोच लिया।
फोटोग्राफर- "वाह अच्छी तस्वीर हाँ ऐसे ही, नेहा मैडम आप अपना एक हाथ छेदी साहब के गर्दन के पीछे ले जाइये। हाँ ऐसे ही और उनकी गर्दन आगे झुका लिजिये सही से। छेदी साहब आप मैडम की गर्दन को चुमिये और चुची दबाते रहिये। हाँ अच्छा शाॅट है। हाँ छेदी साहब अब आप एक हाथ मैडम के घाघरे में डाल दिजिये।"
छेदी ने तूरंत ऐसा ही किया जिससे नेहा का एक चुची को खुला छोड़ा तो नेहा थोड़ी कसमसाई और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। छेदी ने अपना हाथ तुरन्त उसकी चुत तक पहुँचा दिया था, और वो उसकी तरबतर भीगी चुत की पंखुड़ियों से खेलने लगा नेहा मदमस्त हो चुकी थी।
फोटोग्राफर- "वाह छेदी साहब आपकी मैडम तो मस्त है एकदम। क्या चुची, क्या गांण, क्या चेहरा है बहुत शानदार फोटो आया है आपके लिए बहुत यादगार रहेगी।"
क्लिक करता हुआ निशित एकदम उन दोनों के पास आ गया और बोला-
फोटोग्राफर- "छेदी साहब आपने तो धोती के अंदर कुछ नहीं पहना है पर मैडम आपने पैंटी पहनी है क्या?"
ऐसा सीधा सवाल उस बुढ्ढे से सुनकर नेहा शर्मा गई और समझ नहीं आया की क्या जवाब दे पर छेदी उसके कान में बोला जो की निशित भी सुन सकता था।
छेदी- "लगता है चाचा आज तुझे पूरा नंगा करके छोडे़गा।"
फोटोग्राफर- "नहीं बाबा मैं तो कह रहा था कि अगर पैंटी पहनी है मैडम ने तो मैं घाघरे का नाड़ा और आपकी धोती खोल देता। तो उससे क्या होता की मैडम की चुत वो सॉरी क्या करुं हिंदी में थोड़ा बुरा लगता है। पर वो मैं कह रहा था कि मैडम की चुत तो पैंटी में छिपी होती और आपका लंड मैडम के पीछे छिप जाता तो फोटो हॉट भी आता और आप दोनों का जननांग भी नहीं दिखता।”
छेदी- "क्या जननांग नहीं दिखता?"
फोटोग्राफर- "वो छेदी साहब आप लोगों का गुप्तांग नहीं दिखता। मेरा मतलब है आपका लंड और चुत फोटों में नहीं दिखता पर फोटो एकदम गर्म हो जाता। इस वास्ते मैडम से पूछ रहा था के वो पैंटी पहनी है की नहीं?"
छेदी- "वो क्या है हमने तय किया था की इस हनीमून पर हम अन्दर कुछ नहीं पहनेगें इसलिय बुलबुल ने भी घाघरे के नीचे कुछ नहीं पहना है।"
फोटोग्राफर- "ओह अब घाघरे के नीचे मैडम आप अगर नंगी है तो फिर मैं कुछ और सोचता हूं।"
निशित सोचते हुए घूमता है और सावी की ओर देख कर आंख मरता है और सावी भी थम्स अप का निशान दिखाती है।
नेहा फिर से छेदी की ओर घूम जाती है। छेदी नेहा के कान में कहता है-
छेदी- “अगर इस चाचा ने अब ज्‍यादा देर लगाई तो तुझे यहीं खड़े-खड़े चोद दूंगा फिर ये साला अपनी वीडियो उतरता रहेगा।
नेहा- "अब इसे बोलो खत्म भी करे कमरे में चलते हैं।"
नेहा भी तड़पते हुए बोली।
छेदी- “चुदासी हो रही है न मेरी बुलबुल। वो तो तेरी भीगी चुत देखकर ही समझ गया हूं। पर क्या कँरू इस बुढ्ढे ने मजा तो बहुत करा दिया। तभी निशित आया और बोला-
निशित (फोटोग्राफर)- “फिर हम आखिरी फोटो ऐसा लेते है कि छेदी साहिब आप अपनी धोती उतर कर नेहा मैडम को दे दिजिये और नेहा मैडम आप बस धोती का एक छोर पकड़ कर अपनी वो क्या बोलते है अपनी चुत के सामने रख लिजिये उसके बाद मैं आपके घाघरे का नाड़ा खोल दुगाँ। और उस पोज में आपके फोटो ले लुंगा। इसमे ये तो पता चलेगा की आप दोनों पूरे नंगे है पर आपका गुप्तांग नहीं दिखेगा बोले तो आपका चुत और लंड नहीं दिखेगा।
छेदी- "वो तो ठीक है चाचा पर घाघरे का नाड़ा तू क्यों खोलेगा वो तो मैं भी खोल सकता हुँ ना?"
फोटोग्राफर- "वो क्या है नेहा मैडम जब कैमरा की तरफ होगी तो आपके दोनों हाथ उसके चुची को दबायेंगे ना इसलिय।"
छेदी-"हम्म अच्छा चाचा तू भी इतना मेहनत कर रहा है तो मजे भी ले ही ले।"
छेदी बोला तो नेहा ने उसकी छाती में हल्का सा मुक्का मारा।
फोटोग्राफर- "हाँ तो छेदी साहब अपना धोती उतर कर मैडम को दे दो। हां वैसे एक बात बोलता हूं कि मैडम एक मस्त माल है तो आपके पास भी तगड़ा लंड है उनके लिए।"
सुनकर छेदी का सीना और चौड़ा हो गया।
फोटोग्राफर- "मैडम आप घूम जाइए छेदी साहिब आप उनकी चुची मसलिए। हम्म ऐसे ही....। मस्त बूब्स है आपकी बीबी के। मैडम आप सिर्फ धोती का छोर ही आपके हाथ में रखिए बाकी की धोती नीचे गिरने दिजिये हां ऐसे ही।"
निशित नेहा का हाथ पकड़ कर उसके घाघरे के नाड़े की तरफ जाकर नाड़ा खिंच देता है। चुंकी छेदी नेहा से चिपका हुआ था घाघरा थोड़ा नीचे खिसक कर अटक जाता है।
फोटोग्राफर- "छेदी जी आप थोड़ा पीछे हो जाना तो जरा ये आपका मोटा लंड उसे रोक रहा है।"
छेदी मस्कुरा कर पीछे होता है तो घाघरा नेहा के पैरों में गिर जाता है।
फोटोग्राफर- "अब आप चिपक जाइये वापस....। ओह आप तो पहले ही चिपक गए हैं। इसमे कहने वाली क्या बात है?"
फ़िर निशित नेहा के सामने नीचे झुककर बोलता है।
फोटोग्राफर- "मैडम एक-एक पैर उठाइए तो जरा आपका घाघरा निकलना है।"
झीनी सी धोती के छोर के पीछे निशित को नेहा की चिकनी पाव रोटी जैसी चुत साफ नजर आ रही थी। पर वो फिर भी अपनी ही पत्नी की चुत को नजर बचा कर देख रहा था। नेहा के पैरों से घाघरा निकलने के बाद उसने उसे चारपाई पर फेंक दिया। और फोटो खिचने के लिए तैयार हुआ और बोला-
फोटोग्राफर- "ओह शिट मैडम आपका चुत नजर आ रहा है।"
कहकर वो उसके पास आया और नेहा के हाथ से धोती ले लिया। जिससे नेहा पूरी नंगी सामने आ गई। पर उसने उसकी तरफ देखने की कोशिश नहीं की और धोती के छोर को थोड़ा सा फैलाकर उसके हाथ में दिया। धीरे-धीरे सही जगह लाकर बोला-
फोटोग्राफर- "बस मैडम बिलकुल यही रखना हाथ मत हिलाना नहीं तो.... अच्छा छेदी साहब आपने चुची को अच्छे से दबाईये है पर अगर आप ऐसे दबायेगें कि दोनों निपल्स आपकी अंगुग्लियों के बीच से झांके तो फोटो नशीला हो जाएगा। छेदी अपने हाथों को एडजस्ट कर रहा था कि निशित ने खुद उसका एक हाथ पकड़ कर नेहा के चुची को पकड़कर उसकी अंगुग्लियों को सेट किया फिर ऐसा ही दूसरे चुची के लिए किया। एक साथ दो-दो मर्दों के हाथों के टच से नेहा के पुरे बदन पर रोंगटे खड़े हो गए थे। उसे तो बस अब चुदना था वो चाह रही थी कि कब ये खेल खत्म हो और वो छेदी को लेकर रूम में जाए।
फोटोग्राफर- "बहुत ही अच्छा शॉट है। मस्त लग रहे है आप दोनों नंगे। छेदी साहब आप मैडम के गर्दन को किस भी कर सकते हैं। हाँ ऐसे ही अच्छा शॉट ओह मैडम आपका हाथ थोड़ा उपर हां वो आपकी चुत है बस अब ठीक है। और ये हो गया ठीक है अच्छा काम। अब आप कपड़े पहन सकते हैं”।
पर छेदी ने नंगी नेहा को अपनी गोद में उठा लिया और नंगा ही कमरे की तरफ बढ़ चला और बोला-
छेदी- "सावी तु कपड़े लेकर आ जल्दी से"।
सावी कपड़े समेटे हुए उनके पीछे भागी जबकी निशित अपने कैमरा पैक करने लगा। वो तीनों अन्दर घुसे ही थे कि छेदी का फोन बज उठा जो मंगेश था जो आधे घंटे से उसे फोन कर रहा था।
मंगेश- "अरे कहा था।"
छेदी-"अरे फोन रूम में था मैं नदी पर था।"
मंगेश- "वो मैं मुख्यालय आया हुआ था तुझे तत्काल झिलमिल के गाँव जाना होगा उसे लेकर। उसकी मां की तबियत खराब है।"
छेदी- इसकी मां की छेदी ने मन ही मन गली दी। नेहा के मन में भी ऐसा ही कुछ ख्याल आया पर स्थिति को समझते हैं वो अपने कपड़े बदलने लगे। तभी निशित आया और उसे एसडी कार्ड नेहा को पकड़ा दिया और बोला-
फोटोग्राफर- "बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत अच्छा फोटोशूट था आपके लिए और मेरे लिए भी यादगार रहेगा।"
कहकर वो सावी को अलविदा बोल कर निकल गया।

...…...कमेंट करते रहिये।
 

Arjun007

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भाग-20

छेदी, नेहा और सावी मंगेश वाले घर आ गए। वहाँ झिलमिल रोए जा रही थी। छेदी का मन नेहा को छोड़ने का नहीं था। उसने बोला- नेहा तुम भी अपना बैग ले लो झिलमिल के साथ रहोगी तो ठीक रहेगा। नेहा ने हाँ में सर हिलाया और कमरे में चली गई। सावी भी उसके साथ हमारे कमरे में आ गई।
सावी- "क्या मेमसाब छेदी तो आपको बिलकुल छोड़ना नहीं चाहता। झिलमिल के गाँव भी साथ ले जा रहा है।"
नेहा- "तो मैं क्या करूँ कमिनी, यहाँ भी तो वो ही लाया है।"
सावी- "ये झिलमिल का जो बाप है ना वैसा तो मंगेश का ससुर है पर वो छेदी का पक्का दोस्त है।"
नेहा- "अच्छा तू जानती है उनको।"
सावी- "अरे जानुँगी क्यों नहीं, ये छेदी के यहां रह कर जा चुका है कुछ दिन।"
नेहा- "अच्छा इसलिये।"
सावी- "छेदी और झिलमिल का बाप भीमा ने अपने जमाने में दोनों गाँवो की बहुत सी लड़कियों और भाभियों का कल्याण किये है।"
नेहा- "हाॅय अररे बाप रे छेदी का ही भाई है क्या?"
सावी- "पता है यूं तो छेदी का भाई मंगेश है पर उन दोनों का कोई गुण नहीं मिलता है पर छेदी और भीमा के पुरे गुण मिलते हैं।"
नेहा- "हम्म हां अक्सर ऐसा होता है भाई से ज्यादा दोस्तों में बनती है।"
सावी- “एक बात बताती हूं किसी को बोलना नहीं। मेमसाब आज तक जिंदगी में छेदी से भी तगड़ा लंड देखा है तो वो भीमा का है।”
नेहा- "हे भगवान तू सबके लण्ण्ण्...... वो देखती रहती है क्या?"
सावी- "अरे तुम्हारे छेदी ने ही मुझे चुदवाया था। वही छेदी की दुकान के बगल वाले कमरे में ही भीमा से‌। इसलिये दो दिन छुट्टी भी मारी थी मैंने दर्द के मारे।"
नेहा- "ओह गॉड सावी तू तो बहुत पहुँची हुई है, झिलमिल को पता चला तो।"
सावी- "उसे कैसे पता चलेगा ये हमारे शहर की बात है। पर हाँ अपने बाप की हरामपंती के किस्से उसे भी पता है।"
नेहा- "अच्छा पर वो मैं क्या मतलब वो .... छेदी का तो खुद इतना ... बड़ा है और तू कह रहा है ऐसा भी कहीं होता है।"
सावी- "सही कह रही है मेमसाब बहुत बड़ा मुसल लंड है उसका, छेदी भी उसे चुदाई में अपना गुरु मानता है।"
नेहा- "पागल है तू तो।"
सावी- "सच कह रही हूं। वहाँ अपने खेत के एक टुकड़े में वो अफीम उगाता है। छेदी और भीमा दोनों चिलम में अफीम फुंकते और लड़कियों की चुदाई करते हैं। वो तो झिलमिल बड़ी हो गई और छेदी शहर चला गया तब से कम कर दिया है।”
नेहा- "बाप रे अब तो वहाँ जाने में डर लग रहा है।"
सावी- “अरे मैं तुम्हे पहले की बात बता रही हूं। वैसे भी अभी तो झिलमिल की मां की तबियत का मामला है। झिलमिल को देख लेना रुके तो छोड़ देना नहीं तो सुबह तक वापस आ जाना, और आपका किसी से क्या लेना देना।"
नेहा- "हां वो तो है मैं तो किसी को जानती भी नहीं।"
सावी- "पर हां छेदी बहुत भड़का हुआ है उसकी KLPD जो हो गई।"
नेहा-"KLPD?"
सावी- "खड़े लंड पे धोखा?"
नेहा- "बेशर्म।"
सावी- "अपनी बेशर्मी देखी नहीं आज लगता है अगर छेदी लंड पेल देता तो वही उछल-उछल के चुदवती। उस बुढ्ढे फोटोग्राफर के सामने।"
नेहा- "वो बुढ्ढा तो महाशातिर था। उसने कोई मौका नहीं छोड़ा मुझे हाथ लगाने का।"
सावी- "वो तो है, आपकी गांण पर कुछ खाश ही फिदा था वो, कई बार दबाई थी उसने आपकी गाण मैंने देखा था।"
नेहा- "हां और कई बार मेरी पीठ पर भी हाथ फेरा था, और एक बार तो छेदी के हाथों से मेरा निप्पल निकाल दिया था बदमाश ने।"
सावी- "हां मजा ले तो रहा था वो आप से। पर मैं देखी की आप और छेदी भी उसे पूरी छुट दे रहे थे और खुद भी मस्तिया रहे थे।"
नेहा- "हां मजा तो बहुत आया मुझे भी।"
सावी- "घर चल कर आपकी फोटो साथ-साथ देखेंगे और मजा आएगा।"
सावी, नेहा को बाहों में भरकर किस करना चाहती थी की छेदी का बुलावा आ गया। सावी अपने मन में सोचने लगी। घर चलिये मेमसाब फिर आपकी बाकि बची शर्म को भी दुर कर दुँगी। नयी नवेली दुल्हन वाली नौकरानी बनवा कर सबको मजा करवाऊँगी।
झिलमिल के जाने से छोटू और रुचि भी उदास हो गए थे, क्योंकि झिलमिल ने उनको पूरी प्राइवेसी दी थी, और उन्होने कई बार चुदाई कर ली थी। अब सावी के ना जाने और झिलमिल के चले जाने से छोटु का अगला दिन मुश्किल से कटने वाले है ऐसा लग रहा था।

गाड़ी लेकर छेदी झिलमिल के गाँव की ओर चल दिया। जिला मुख्यालय झिलमिल के गाँव से और 20 किमी आगे था। अगर उसकी मां को अस्पताल ले जाना होता तो बड़ा अस्पताल जिला मुख्यालय में ही था। झिलमिल घर पहुँचते ही अपने मां के कमरे में जाकर उनसे लिपट गई। उसकी मां अब ठीक थी। शहर से डॉक्टर ने आकर उसे इंजेक्शन दे दिया था और वो बता गया था कि उनको दो-तीन दिन में आराम मिल जाएगा। झिलमिल का बाप भी झिलमिल से मिलने के बाद छेदी और नेहा के पास आया और छेदी से बड़े आत्मीयता से गले मिला। उसके व्यक्तित्व को देखकर नेहा काफ़ी प्रभावित हुई। क्योंकि कद काठी में वो बाहुबली फिल्म में राणा दुग्गुबाती की तरह लग रहा था। उसने नेहा की ओर देखकर कहा-
भीमा- "यही है वो।"
तो छेदी ने हां में सर हिलाया
भीमा- "मस्त है।"
बस इतना कह कर वो वापस झिलमिल की मां के पास गया और बोला-
भीमा- “बस अब तो खुश है सबको इकठ्ठा कर लिया। अब झिलमिल से सेवा करवा लेना दो-तीन दिन। इसी बहाने मेरा यार आया है। अब तू ठीक है तो मैं भी इसके साथ पुरानी याद ताजा कर लुंगा।”
भीमा- "चलो छेदी फर्म पर चलते हैं।"
छेदी- "अरे नहीं भीमा मुझे अभी जाना होगा बुल... मेरा मतलब है नेहा यहाँ तो झिलमिल की वजह से यह आई थी अगर झिलमिल रुक रही है तो हम चलते हैं।"
भीमा- “अरे हां बाबा कल सुबह चले जाना तेरा घर या मेरा घर। तेरी नेहा मेमसाब को यहाँ कोई तकलीफ नहीं होगी"
फिर नेहा की तरफ देख कर उसे आंख मारी और गंदी सी हँसी हस्ता हुआ बोला-
भीमा- "ये मेरा वादा है, नेहा मेमसाब।"
नेहा झेपते हुए बोली- "प्लीज आप सब मुझे नेहा ही बोलिए... छेदी तुम भी... ठीक है।"

छेदी- "ओके मेमसाब"
छेदी गले पर हाथ रखते हुए बोला तो सब हंस पड़े।
काफ़ी बड़े एरिया में फैला था भीमा का घर पर उसने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के लिए थोड़ा छोटा लेकिन फिर भी काफ़ी बड़ा घर उसके खेतों के बीच में भी बनवा रखा था। जो की बाकी फसल की देख भाली के काम आता था। आज झिलमिल की मां की तबियत ठीक होने और छेदी के उसके यहां आने और वो भी नेहा जैसी आइटम के साथ है। इस वजह से भीमा का मूड पार्टी का बन गया था।
थोड़ी देर वही बात करके और चाय नाश्ता लेने के बाद भीमा, छेदी और नेहा गाड़ी में थोड़ी ही दुरी पर खेतों के बीच वाले घर में पहुँच गये। जब वो जा रहे थे तो झिलमिल देखकर मुस्करा रही थी। उसने अपनी सहेलियों के साथ चुपके-चुपके अपने बाप की मस्तियाँ उस मकान में देखी थी और वो जान गई थी कि आज भी वहाँ खूब मस्तियाँ होने वाली है। पर आज अपनी मां की वजह से वहाँ जाने का उसका मूड नहीं था। उधर दो मुस्तंडो के बीच अकेली जाने में नेहा को थोड़ा डर सा लग रहा था, और उसने भी कहा भी था कि वो झिलमिल के साथ रह लेगी, पर छेदी ने कहा की वो लोग सुबह जल्दी ही वही से घर के लिये निकल जाएंगे और छेदी के होते हुये उसे किस बात की फ़िकर है। ये सुनकर नेहा चुप हो गई। जैसे ही वो फर्म के गेट के अंदर पहुँचे। तो वहाँ दो जर्मन शेपर्ड कुत्ते भोंकते हुए उनकी तरह आए। तो नेहा डर के मारे छेदी के पीछे छिप गई पर भीमा के आवाज देते ही वो दोनों दुम हिलाने लगे और शांत हो गए।
अब वो अन्दर आ गए और चौक में बैठे जहां बांस की कुर्सियाँ और टेबल रखे हुए थे और टेबल पर शराब की बोतलें और खाने पीने का सामान रखा था। वो लोग वहाँ बैठ गए तब भीम बोला-
भीमा- "और बताओ छेदी कैसे हो? तुम उसे नहीं लाए क्या वो थी ना क्या नाम था उसका?"
छेदी- "सावी।"
भीमा- "हां सावी यार बहुत बिंदास है वो।"
छेदी- “वो आई है गाँव में है मुझे लगा यहाँ सबको को लाना ठीक नहीं रहेगा। अगर पता होता की भाभी ठीक है तो उसे भी ले आता।”
भीमा- "नेहा कैसे फंसी तुम इस छेदी के जाल में.. मैं मानता हूं कि हुनर है इस बन्दे में पर फिर भी आपका क्लास अलग है।"

नेहा का चेहरा शर्म से लाल हो गया है इस सीधे सवाल से। अब इस बात का वो क्या जवाब देती है वो कैसे फँसी। वो कुछ ना बोल पाई।
भीमा- “अरे हम से क्या शर्माना मैं और छेदी तो बचपन से ही हरामजादे है हा हा हा। मुझे लगा था कि छेदी के साथ रह रही हो तो इतना तो खुल ही गई होगी।”

छेदी- "अरे भीमा मेम .... मतलब नेहा बहुत ही पढ़ी लिखी और अच्छे घर से ताल्लुक रखती है वो ऐसे ही हर किसी के सामने ऐसी बात नहीं कर सकती।"

भीमा- "हां वही तो मैं कह रहा हूं नेहा कि मैं हर कोई नहीं हूं छेदी का दोस्त मतलब मेरा दोस्त और मैं उसका दोस्त।"
कहते हैं उसे तीन पेग बना दिया.. एक गिलास छेदी की ओर बड़ा तो उसे ले लिया। फिर दूसरा ग्लास उसने नेहा की ओर बढ़ाया-
नेहा- "नहीं वो मैं नहीं पीती.."
छेदी- "अरे ले ले नेहा एक पेग से कुछ नहीं होता।"
नेहा ने थोड़ा गुस्से से छेदी को देखा तो भीमा बोला-
भीमा-“अरे नेहा या तो तुम लेती हो या नहीं लेती अगर लेती हो तो ले लो ज्यादा नहीं तो एक पेग ले लो हमारा साथ देने के लिए। और हां ये काजू-बादाम आप लोगों के लिए ही रोस्ट करवाया हैं मैंने।”
अब नेहा ने ग्लास ले लिया और हल्के- हल्के पीने लगी।
थोडी देर ये दौर चलता रहा और छेदी भीमा से खेत और गाँव के बारे में बात करता रहा। झिलमिल की बात आई तो भीमा बोला-
भीमा- "यार ये मंगेश अभी तक बाप नहीं बन पाया है कोई गड़बड़ तो नहीं है।"
छेदी- "अरे नहीं वो बस हमारे तुम्हारे जैसा ठरकी नहीं है हाहाहा पर बिलकुल नाकारा भी नहीं है पर हां झिलमिल जैसी चुलबुली लड़की के लिए थोड़ा अलग है वो।"
भीमा- "हां पर मेरी झिलमिल ने कभी कोई शिकायत नहीं की।"
छेदी- "हां मैं भी सोचता हूं की तेरे जैसे मदरचोद की लड़की ऐसी कैसे हुई? घर के काम में या किसी बात में वो हमेशा खुश रहती है और सबको खुश रखती है।"
भीमा- “हां पर मैं झिलमिल से कैसे पुँछु उसका बाप हूं, कि मंगेश उसे खुश रखता है की नहीं। नेहा तुम बातों-बातों में उससे पुछ लेना।”
नेहा- "मैं?"
भीमा- "हां तुम दोनों लगभग एक उमर की हो ये बात तो कर ही शक्ति हो।"
नेहा- "ठीक है मैं पूछूंगी।"
"क्या पूछोगी?"
भीमा बोला से नेहा एकदम से चौंक उठी।
नेहा- "वो मैं पूछूंगी की मंगेश उसे खुश रखता हैं कि नहीं।"
कहते हुये उसने अपना ग्लास खाली कर दिया। छेदी और भीमा तो पहले ही दूसरा पेग ले रहे थे। भीमा ने उसके ग्लास में फिर पेग बनाकर उसके हाथ में देते हुये कहा-
भीमा- “अरे ऐसे पूछेगी तो वो बोलेगी हां खुश रखता है। इसमे क्या बड़ी बात है। औरत अगर कपड़े, गहने लाकर देने से अगर खुश हो जाती तो तु छेदी के साथ ना चुदवाती है ना। मतलब मेरे कहने का है कि मंगेश उसे शारिरीक सुख देता है की नहीं।"
भीमा ने नेहा की ऐसी बेईज्जती कर दी कि उसके चेहरा कानों तक लाल हो गया। वो कुछ बोलती उससे पहले ही छेदी बोला जिससे उसके थोड़ा मरहम लग गया। छेदी बोला-
छेदी- "अरे ये बाप है इससे झूठ नहीं बोल पा रहा वो पुछना कि मंगेश झिलमिल को ढंग चोदता है कि से नहीं।"
नेहा हल्के से मुस्कुरा कर भीमा की ओर देखा तो साफ लगा कि झिलमिल के बारे में ऐसी बात सुनकर उसे अच्छा तो नहीं लगा। पर वो कर भी क्या सकता था। उसने अभी नेहा के बारे में भी ऐसी ही बात कहीं थी।
नेहा के लिए दो पेग काफ़ी हो चुके थे। उसने आगे लेने से मना कर दिया था। पर उन दोनों का अब चौथा पेग चल रहा था। अब तीनों ही शराब के सुरूर में आ चुके था‌। छेदी और भीमा तो खुलकर बाते कर रहे थे।

छेदी बोला- "भीम वो एक छुईमुई सी लड़की थी ना जिसको सब लोग बहुत शरीफ़ समझते थे और हम दोनो ने मिलकर उसको चोदा था क्या नाम था उसका।"

भीमा- "अरे वो बिंदिया हाहाहा। शादी के बाद पहली होली पर आई थी वो। पता है नेहा हम दोनो ने साथ में उसे चोदा था और उसको यहाँ से गर्भवती कर के भेजा था।"
नेहा- "अच्छा है। कितने बदमाश हो तुम लोग?"
छेदी-"अरे पूछ मत नेहा मुझे लगता है हम बिंदिया का लड़का हम से भी बड़ा हरामी निकलेगा।"
कहते हुए छेदी हँसने लगा।
तभी वहाँ चोली-घाघरा पहने एक कमसिन सी लड़की आई। जो उमर में झिलमिल से भी छोटी होगी। पर उसके स्तन और गाण देख कर कोई भी बता सकता था कि वो बहुत खेली खाई है।
भीमा- "आओ कांता आओ तुम्हारा ही इंतजार था।"
भीमा बोला और कांता आकर भीमा के पास बैठा गई।"
कांता- "अरे छेदी चाचा भी आए हैं।"
छेदी- "तेरे को कितनी बार बोला है कि यहाँ चाचा मत बोला कर।"
कांता- “भूल गई चाचा ओह्ह माफ करना छेदी हाहाहा बहुत दिन हो गए आपको यहां देखे। इतनी सुंदर शहरी मेम जो मिल गई है तुम्हें।"
छेदी- "चुप कर और पेग उठा।"
नेहा देखती ही रह गई जब पहला पेग कांता ने एक ही सांस में खाली कर दिया। और दूसरा अपने आप भरने लगी।
छेदी- "जब भी भीमा को अपनी ठरक मिटानी होती है ये इसे बुला लेता है। इसका पति शहर में हमारी कॉलोनी में ही रहता है।"
छेदी ने नेहा के ओर झुकते हुए धीरे से बताया।"
नेहा को कांता कुछ खास पसंद नहीं आयी पर उसे इस बात की दिलासा हुई की इन दो मुस्तंडो के बीच अब वो अकेली नहीं थी। तभी अंदर से एक बुढ्ढा आदमी आया और
भीमा से बोला- "बाबूजी मैंने पूरा खाना बना दिया है फिर भी आगर जरूरत पड़े तो बुला लेना।"
भीमा- "अरे नहीं नहीं शंभू अब अगर तुम्हे जरूरत भी हो तो यहाँ मत आना ठीक है हाहाहा।"
हस्ता हुआ भीम बोला तो शंभू सर झुका कर निकल गया।

छेदी- "क्या भीमा तुमने तो पार्टी का पूरा इंतज़ाम कर रखा है?"
भीमा- "और क्या अपना यार इतने दिनों बाद आया है और इतनी शानदार आइटम लेकर आया है तो पार्टी तो बनती है, फिर अपने लिए मैंने कांता राड़ को बुला लिया।"

नेहा को इस तरह की खुल्ली बातों की आदत नहीं थी पर वो दोनों थे की रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
भीमा- "अरे कांता तुझे अभी भी गांण पर थप्पड़ खाने का शौक है क्या?"
छेदी ने पुछा तो भीमा बोला- "अरे पूछ मत मजा आ जाता है इसकी गांण को लाल करने में।"
नेहा को कुछ समझ नहीं आया तो छेदी उसकी तरफ झुककर धीरे से बोला-
"इस साली रांड़ को पिटाई खाने में भी मजा आता है। जब तक इसकी गांण पर चार थप्पड़ ना पड़े इसकी चुत गीली ही नहीं होती।"
नेहा हैरानी से कांता की ओर देखने लगी और सोचने लगी ऐसी भी किसी का शौक होता है क्या?
वैसा उसे याद आया की छेदी ने भी एक दो बार उसके पीछे जोरदार थप्पड़ मारा है और सेक्स के गर्मी में उसने भी ध्यान नहीं दिया पर हां उसने छेदी को शायद रोका भी नहीं इसके लिए। लेकिन उसे याद आया की एक बार छोटू ने भी पान की दुकान के चौबारे पर उसके जोर से थप्पड़ लगाया था। जिस पर वो कुछ कर तो नहीं सकी थी पर उससे छोटू पर गुस्सा बहुत आया था। कांता भी उन सब लोगों की तरह सुरूर में आ गई थी। छेदी ने नेहा की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर सरका लिया है। इस वक्त नेहा कुर्ती और लेगिंग में थी। नेहा ने अपनी नशीली आंखें से छेदी की ओर देखा पर उससे अलग होने की कोशिश नहीं की।
कांता- "छेदी इस गोरी मेम ने तेरी वो दूसरी रांड़ का पत्ता काट दिया लगा है। जिसको तू पहले गाँव लेकर आता था।"
छेदी- "नहीं रे कांता ये मेरी पटरानी है और बाकी सब नॉर्मल रानी।"
छेदी बोला तो भीम हँसा
भीमा- "इसको पटाने में समय लगा इसलिये पटरानी हाहाहाहा।"
सब लोग नशे में थे इसलिये भीमा के बकवास चुटकुले पर भी जोर-जोर से हँसने लगे। नेहा भी अपने पर बने चुटकुले पर हँस रही थी। वो पहली बार कांता की ओर देख कर बोली-
नेहा- "तुम इसकी कौन सी रानी हो?"
कांता- “अरे गोरी मेम यहाँ मैं ना रानी हूं, ना तू रानी है, मैं भी रांड़ हूं और तू भी एक रांड़ है। थोड़ी देर बाद ये दोनों हम दोनों को चोदेंगे तो हम दोनों का हाल एक जैसा ही होगा क्यों भीमा?"

भीमा- “अब वो तो थोड़ी देर बाद ही पता चलेगा। अरे छेदी तेरी नेहा को भी पेग दे ये तो रुक ही गई एकदम से।”
कहते हुये भीमा ने एक बार फिर से सबके गिलास भर दिए।
कांता ने ग्लास उठा और नेहा की ओर देख कर मस्कुराई तो नेहा ने भी ग्लास उठने में ना नुकुर नहीं की। तभी कांता उठी और भीमा की गोद में बैठ गई और उसके होठों को चुसने लगी। दोनों मदमस्त होकर होठों की चुसाइ कर रहे हैं। पर उन दोनों की नजर नेहा की तरफ थी। जैसे चुनौती दे रही हो। छेदी ने नेहा की तरफ देखा और मुस्काराया। नेहा भी थोड़ी लड़खड़ाई और उठकर छेदी की गोद में बैठ गई। और उसने खुद ही छेदी की गर्दन को झुकाया और मदहोश होकर वो भी होठों की चुसाई करने लगी। छेदी ने उसे बाहों में भर लिया और उसके भारी स्तन दबाता हुआ‌ उसे होठों की चुसाई में सहयोग करने लगा। फिर नेहा ने भी चुंबन करते हुए अपनी नजर कांता और भीमा की तरफ कर ली। भीमा भी कांता के बूब्स मसला रहा था। उसके छोटी सी चोली से स्तन बहार आने को उबल रहे थे। जबकी नेहा ने कुर्ती पहनी हुई थी इसलिये उसके स्तन दिखाई नहीं दे रहे थे।
छेदी- "बुलबुल ये साली रांड अपने स्तन दिख कर बहुत इतरा रही है इसको क्या पता मेरी बुलबुल के स्तन कितने चिकने और गोरे है तु कुर्ती उतरेगी तो मजा आ जाएगा?"
नेहा- "पर मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है।"
लड़खड़ाते स्वर में नेहा बोली।
इतना नशा में होने पर भी उसे ध्यान थी ये बात।
छेदी- "ओह तो ठीक है थोड़ा रुकते है जब ये रांड़ अपनी चोली उतरेगी तब देखेंगे उसको ठीक है।"
छेदी उसे चढ़ाते हुये ऐसे बोला जैसे की दो टीमो के बीच कोई खेल चल रहा है। और नेहा भी जोश में आकर सर हिलाती है और फिर से उसे चुमने लगती है। जबकी छेदी उसे चुमते हुए उसके संवेदनशील निपल्स को और मसलता है। भीमा तभी कांता की चोली उतर कर छेदी और नेहा के उपर फेंक देता है। और नेहा को दिखते हुये कांता के स्तन मसलने लगता है। जबकि कांता उत्तेजक आवाज निकालने लगती है।
कांता- "आह आह आह मारेगा क्या ज़ालिम आह आह आह।"

नेहा, छेदी की आंखों में देखती है और छेदी उसकी आंखें में‌ और फिर नेहा हां में सर हिलाती है और छेदी नेहा की कुर्ती उतरता है और नेहा उसकी सहायता के लिए अपने दोनों हाथ उपर कर लेती हैं। और भीमा का लंड कांता की गांण में गड़ जाता है। छेदी वो कुर्ती उतार कर नेहा के हाथों में देता है और नेहा खुद अपनी कुर्ती पूरी ताकत से भीमा और कांता के उपर फेंक देती है। भीमा उसकी कुर्ती अपने हाथ में लेकर अपनी नाक से लगा कर सूंघने लगता है। नेहा की मादक महक पाकर उसका लंड एक बार और कांता की गांण में दस्तक देता है। अब नेहा कमर से उपर नंगी हो चुकी थी। उसकी काली लेगिंग्स नाभि से काफ़ी नीचे चुत के हल्का से उपर बंधी हुई थी। और वही एक कपड़ा था जो उस समय नेहा ने पहना हुआ था। छेदी उसे प्यार से किस कर रहा था?पर बेरहमी से उसके स्तन मसल रहा था। और अपने बचपन के दोस्त को चिढ़ा रहा था। भीमा ने ख़ूब लड़कियाँ चोदी थी पर नेहा जैसा मखमली, गोरा और चिकना बदन उसे आज तक नहीं देखा था। उसी उत्साह की सारा सजा कांता भुगत रही थी क्योंकि वो अपना सारा जोश कांता के स्तन पर निकल रहा था। उसने देखा की इस किस के चक्कर में सबने अपना-अपना आधा ग्लास टेबल पर छोड़ दिया है वो कांता को अपना गोद से उठा कर उसकी घाघरे में कैद गांण पर एक थप्पड़ मारता हुआ बोला-

भीमा- "अरे पहले ये बचे हुए ग्लास खत्म करने दे। तुझे बहुत जल्दी मस्ती चढ़ जाती है।"
कांता अपने झूलते स्तन के साथ एक ग्लास सबको पकड़ाती है। और फिर से आकर भीमा के बगल में बैठ जाती है। नेहा अभी भी छेदी की गोद में ही बैठी थी। पर छेदी के ग्लास पकड़ लेने के कारण उसका एक चुची भीमा और कांता के सामने था जबकी दुसरे को छेदी ने अभी अपनी हथेली में दबोच रखा था। नेहा ग्लास पकड़ने के बहाने अपने खुले चुची को चुपाने का असफल प्रयास कर रही थी। सभी ने अपने ग्लास खत्म कर दिए और टेबल पर रख दिए तो
भीमा बोला- “वकाई में नेहा तुम्हारे जैसा चिकना और गोरा बदन आज तक नहीं देखा। इतना हुस्न, इतनी खूबसूरती और मेरा भाई छेदी फिदा ना होता‌ ये कैसे हो सकता था। उसकी तकदीर अच्छी थी जो उसकी जगह मैं नहीं था नहीं तो मैं भी वही कोशिश करता।”

भीमा छेदी के सामने खुलकर नेहा की तारीफ कर रहा था और छेदी को उसकी बात पर कोई भी ऐतराज नहीं था। वैसे अब चारों नशे के सुरूर में भी हो चुके थे।
छेदी बोला- "साले भीमा तु तो अभी भी मेरी बुलबुल पर लाईन मार रहा है ना।"
भीमा- "यार तु तो अपने को जानता है साला इसके अलावा जीवन में किया क्या है अपन दोनों ने।"
दोनों हँसने लगे। फिर छेदी कांता से बोला-
छेदी- "क्यों रे राड़ कांता बड़ी चैलेंज कर रही थी मेरी बुलबुल को। कर दी ना तेरी छुट्टी।"

कांता- "अरे मेरा तेरी शहर वाली गोरी में से क्या मुक़ाबला मैं तो थोड़ी मस्ती मज़ाक कर रही थी। तुझे या नेहा मेम को बुरा लगा हो तो माफ़ करना।"
नशे में थी इसलिये माफ़ी भी मांग रही थी।
छेदी- "अरे माफ़ी क्या मांगती है हम सब मस्ती मजा कर रहे हैं तू चिंता मत कर।"
छेदी बोला से काँता जोश में बोली-
कांता- "अच्छा ऐसा है तो ले साले छेदी तू भी क्या याद करेगा?"
कांटा जोश में बोली और भीमा के पास से उठकर आई और छेदी की गोद में बैठ गई। नेहा ने देखा तो उसका बुरा सा मुह बन गया। उसे और चिड़ होने लगी‌। जब कांता ने अपने होठ छेदी के होठों पर टीका दी। ये सब देखकर नेहा के तन बदन में आग लग गई। जब छेदी भी उसके होठ को मस्ती में चूसने लगा और उसके चुचियों को मसलने लगा। नेहा अपने दोनों हाथों से अपने चुचियों को छुपा कर गुस्से में छेदी और कांता को देख रही थी। ये देख भीम बोला-

भीमा-"अरे नेहा उधर क्या देख रही है कांता ने चैलेंज किया है तू भी उसके पार्टनर की गोद में बैठा कर इसका बदला ले शक्ति है। हा हा हा।"
कहते हैं अपने पैजामे में से अपने लंड को मसलने लगा। नेहा का मन तुरंत उठा कर भीमा की गोद में जाने का हुआ पर फिर भी एक बात उसके गहरे कोने में चली गई थी कि वो अब छेदी की राड़ है। इसलिये इस खेल में भी वो छेदी की मर्जी जानना चाहती थी। उनसे छेदी की तरफ देखा तो छेदी ने हां में सर हिलाया और साथ ही उसकी पीठ पर उठने के लिए दबाव दिया। उसके जोर देने पर नेहा उठ गई और लड़खड़ाते हुए भीम के पास आई। वो उसके गोद में आती उससे पहले ही बेताब भीम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में खीच लिया और भीमा उसके होठों पर टूट पड़ा। साथ ही अपने बड़े-बड़े हाथों में नेहा के चुचियों को लेकर मसलने लगा। उसके चुमने का स्टाईल और चुचियों के दबाने का स्टाईल छेदी से बिलकुल अलग था। उसमें एक वहशीनुमा अक्रमकता थी। जिसको फील करके एक छन्न के लिए नेहा हस्तप्रभ रह गई। पर जैसा कोई खरगोश किसी बाज के कब्जे में आ जाती है वैसे उसकी स्थिती थी। आज उसने एक और पड़ाव पार कर लिया था। निशित के बाद छेदी और छेदी के बाद भीमा के गोद में वो मसली जा रही थी। निसहाय सी उसकी आंखें जब छेदी से मिली तो उसे देखा की छेदी कांता के होठों को चुसने में मगन है। देखकर उसने भी भीमा के साथ होठों की चुसाई में सहयोग करना शुरू कर दिया। भीमा के तो मजे हो गए। उसने नेहा के मुह में पुरी जीभ एक लंड की तरह ठुस दी। और उसके दूध को इतनी जोर से मसला की नेहा की दर्द और आनंद से मिश्रित आह निकल गई। और भीमा के हाथ नेहा के नंगे पेट पर फिरने लगे वो उसकी नाभी टलोलने लगा और फिर बेताबी में उसने नेहा की दोनों टाँगो के बीच में अपनी अगुंलियां पहुँचा दी और बिना पैंटी के लेगिंग्स के उपर से बड़ी आसानी से चुत की रेखा को ढुढ़कर उस पर हाथ फेरा दिया‌। जिससे नेहा मचल उठी‌ और उसने भीमा के होठों को दांतों से काट लिया। उधर छेदी को लग गया था कि अगर नेहा ज्यादा देर भीमा के हाथ में रही तो अभी चुदने को तैयार हो जाएगी। इसलिय उसने कांता को छोड़ दिया और नेहा को अपने पास आने का इसारा कर दिया। भीमा का मन नहीं था पर वो अपने दोस्त को नाराज करके नेहा के मजे नहीं ले सकता था। इसलिया उसने लास्ट बार नेहा की गांण दबा कर उसे छोड़ दिया। और नेहा फिर से गिरती पड़ती छेदी की गोद आ पहुँची।
कमर से उपर नंगी नेहा को वापस अपनी बाहों में देखकर छेदी के मन को शांति मिली और वो उसके चुचियों से खेलता हुआ और उसे जगह-जगह चुंबन करता हुआ बोला-

छेदी- "बड़ी गरम हो जाती है बुलबुल तू तो। ऐसी हालत में तो सड़क पर चलता कोई भी आवारा तुझे चोद सकता है... है ना?"
अब नेहा क्या बोलती नशे ने उसकी बोलती पहले ही बंद कर रखी थी। उस पर दो तरफ़ा अटैक छेदी और भीमा का उससे समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है? खैर छेदी ने अपने पास पड़ी काँता की चोली को भीमा के पास फेंका तो उसने भी नेहा की कुर्ती को वापस कर दिया। रात के भोजन का समय हो चुका था इसलिय दोनों कांता और नेहा ने अपने-अपने कपड़े पहने और सबके लिए खाना लगाने किचन की ओर चल दी।

कमेंट करते रहिये दोस्तों.........
 

Arjun007

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भाग-19 और 20 का अपडेट कर दिया हुँ।
आपके कमेन्ट का इतजार रहेगा
🙏🙏🙏🙏
 
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Devil 888

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भाग-19

फोटोग्राफर- "खूब भालो अब तुम लोग करो किस।"
पिछली बार का याद था दोनों को इसलिये उन दोनों ने एक-दूसरे के होठों पर होंठ बस टिका दिए। पर निशित (फोटोग्राफर) घूम कर आया और छेदी की आंखों में देखते हुए नेहा की नंगी पीठ पर उपर से नीचे हाथ फेरता हुआ बोला-
फोटोग्राफर- "ये एक कामुक मुद्रा है। मतलब इससे तुम लोगों का बेइन्तहा प्यार जाहीर होना चाहिए। दोनों का शरीर तो एकदम मस्त चिपक गया है। अब होठों की चुसाई भी जंगली होगा तो शॉट बहुत अच्छा आएगा।"
कहते हैं उसने हाथ नीचे ले जाकर नेहा की गांण को हल्का सा दबाया। अब छेदी और नेहा को क्या चाहिए था?वो दोनों जोश में आकर एक-दूसरे को जंगली की तरह होठों की चुसाई करने लगे और निशित फोटो क्लिक करने लगा। निशित ने देखा की नेहा ने उसके शरीर को छुने से एक बार भी बुरा नहीं माना था। नेहा अब बहुत अधिक उत्तेजित हो चुकी थी। उसकी नंगी चुत छेदी के लंड को धोती के उपर से आमंत्रित कर रही थी। उसे लंड के घर्षण से मजा आ रहा था। निशित देख रहा था कि किस प्रकार उसकी प्यारी बीवी लंड के लिए छटपटा रही है,और बेशर्मो की तरह अपनी गांण आगे पीछे कर रही है। कुछ फोटो क्लिक करने के बाद उसने इस कामुक घटना का छोटा सा वीडियों भी बना लिया है। छेदी भी बहुत भड़क चुका था। उसका मन कर रहा था कि धोती को हटा के लंड जड़ तक नेहा की चुत में पेल दूं। पर पता नहीं किस कारण उसने अपने आप को रोक रखा था, क्योंकि उस बुड्ढे फोटोग्राफर की तो उसे अब घण्टा भी परवाह नहीं थी। जिस प्रकार की उत्तेजक अवस्था में नेहा थी। परवाह तो उसे भी नहीं थी बल्की वो तो अपने ओर से पूरी कोशिश कर रही थी कि छेदी अपना लंड पेल दे उसकी चुत में। पर निशित इस खेल को इतनी जल्दी खत्म नहीं करना चाह रहा था। उसने एक बार फिर नेहा की नंगी पीठ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और बोला-
फोटोग्राफर- "बस मैडम आराम करो। एक-दो पोज़ और फ़िर पैक अप।"
उसकी बात सुन कर नेहा जैसे होश में आई और छेदी ने भी नेहा के होठों को आज़ाद कर दिया। सावी भी उन दोनों के पास आ गई और बोली-
सावी- "क्या सीन था? सच में लग रहा था अभी तुम लोग यही चुदाई शुरू कर दोगे।"
नेहा ने धीरे से उसके हाथ पर हाथ मारा और बुढ्ढे फोटोग्राफर की तरफ इशारा किया तो
सावी बोली- “उनकी तरफ क्या इशारा कर रही है उनके सामने ही अभी सब कुछ हो जाता वकाई में बहुत ही गरम सीन था। बुढ़ऊ आप तो बड़े मास्टर हो।"
कहकर सावी ने निशित को आंख मारी।
फोटोग्राफर- "अरे सावी जी यही तो मेरा काम है। छेदी जी अगर आपको चलेगा तो मैं थोड़ा और गरम फोटो ले लू। आप दोनों के लिये हमेसा यादगार रहेगा आपका हनीमून।"
छेदी- "ले लो चाचा इतना गरम मत कर देना की फट जाऊ मैं हा हा हा हा।"
अपनी ही बात पर जोर से हँसने लगा छेदी। पहली बार आज उसको अहसास हुआ की फिल्मों के हीरो हेरोईन गरम सीन देते होंगे तो उनकी क्या हालत होती होगी?
फोटोग्राफर- "अब आप खड़े हो जाओ"
कहकर निशित उर्फ हरिओम फोटोग्राफर ने दोनों को खड़ा कर दिया।
फोटोग्राफर- "छेदी साहब आप अपना कुर्ता उतर दिजिये।" छेदी के नंगा होने में कोई शर्म कभी भी नहीं थी, वो तो फोटोग्राफर अगर धोती उतारने को बोलता तो भी तुरंत उतार देता है। उसने कुर्ता उतार कर चारपाई पर डाल दिया।
फोटोग्राफर- "नेहा मैडम अब आप छेदी साहब के पीछे चिपक कर अपने दोनों हाथ उनकी छाती पर ले अईयें और अपनी गार्दन साइड में लाकर कैमरा की ओर देखिये।"
नेहा छेदी के पीछे चिपक गई और उसके हाथ छेदी की छाती पर फिराने लगी। निशित दोनों के चारों ओर घूम कर उनका पोज देखने लगा और फिर उसे मौका मिल गया और पीछे आकर उसने नेहा की गांण को हल्के से थपकी दी और बोला-
फोटोग्राफर- "इसे बिलकुल आगे चिपका लो।"
नेहा ने तुरंत अपनी गांण को आगे छेदी की गांण में धसा दिया। कमर से उपर नंगे छेदी के पीछे से झाँकती नेहा की फोटो मस्त आयी। जिसे निशित ने तीन चार बार क्लिक किया और बोला-
फोटोग्राफर- "अब मैडम अपने हाथ छेदी साहब की धोती में घुसा दो।"
नेहा- "क्या ????"
फोटोग्राफर- "अरे ….. अपने हाथ छेदी साहब की धोती में घुसा कर उनका लंड पकड़ लो बाबा।"
थोड़ा तेज आवाज में निशित बोला-
वो ध्यान रख रहा था कि उसका लहजा और आवाज गंदी रहे। छेदी ने नेहा को झिझकते देखा तो खुद उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपनी धोती में घुसा दिए और बोला-
छेदी- "पकड़ ले ना लंड बहनछोद.....। ये चाचा आज पागल कर के छोड़ेगा।"
नेहा ने छेदी से चिपकते हुए अपने दोनों हाथों से छेदी के लंड को धोती के अन्दर थाम लिया और उसके लंड को आगे पीछे करने लगी। निशित अपने लंड को संभलता हुआ दोनों की तस्वीरें लेने लगा।
फोटोग्राफर- “अब नेहा मैडम आप छेदी साहब को सामने से आकर गले लगा लो। आपकी पीठ कैमरा की तरफ रहेगी।"
नेहा ने छेदी के लंड को आखिरी बार थोड़ा जोर से दबाया और हाथ निकाल कर सामने आ गयी और दोनों ने एक-दूसरे को कस कर गले लगा लिये।
फोटोग्राफर- "हां छेदी साहब एक हाथ नेहा मैडम की गर्दन पर, और दूसरा हाथ मैडम की गाण वो मेरा मतलब वह पीछे रख लिजिये।"
छेदी- "कहाँ रखू क्या बोला?"
निशित आया और उसने खुद छेदी का हाथ पकड़ कर नेहा की गाण पर रख दिया।
छेदी- "अरे तो ऐसा बोल ना की नेहा की गाण पर रख लो। क्यों अंग्रेजी की मां चोद रहा है हिंदी में बात कर पुरा बिंदास।"
फोटोग्राफर- "ठीक है बाबा बस थोड़ा गांण को मुठ्ठी में हां बिलकुल ऐसे ही रुको तो जरा हां मस्त शॉट आया है‌। अब नेहा मैडम आप पलट जाइए तो जरा मेरा मतलब है घूम जाइए पूरा हाँ ऐसे ही छेदी साहिब पहले तो आप कस के नेहा मैडम के पीछे चिपक जाईये और इनकी चोली के नीचे हाथ रखिए हां बिलकुल ऐसे ही और इनके चुची को उपर की ओर दबाये हां बिलकुल ऐसे ही एक सेकेण्ड रुकना हिलना मत।"
कहकर निशित बिलकुल उनके पास आया और देखा की नेहा का एक निप्पल चोली के बाहर आ गया है। पहले तो उसने क्लोज अप में उसका फोटो लिया। फिर अपने हाथ से नेहा की चोली को पकड़ कर दुसरे हाथ से उसके निप्पल और को चोली के अन्दर कर दिया।" फोटोग्राफर- "वो ये निप्पल थोड़ा बहार आ गया था अब ठीक है। आपकी पत्नी के बूब्स तो कमाल है। ये चोली में और भी कमाल लग रहे हैं।"
निशित ने फील किया की नेहा का निप्पल एकदम कड़क हो चुका था।
बोलकर निशित पीछे जाकर दोनों का उस पोज में फोटो लेने लगा। बुढ्ढे फोटोग्राफर के इस प्रकार नेहा के निप्पल से छेड़खानी करने और नेहा के कुछ ना बोलने से छेदी को भी मजा आया। और उसका लंड खड़ा होकर नेहा की गांण में दस्तक देने लगा। छेदी नेहा के कान में बोला-
छेदी-"क्या माल है तू बुलबुल, ये चाचा भी तेरा दीवाना हो गया लगता है।"

नेहा- "और तुम्हे इससे बड़ा मजा आ रहा है"।
नेहा ने अपनी गांण को पीछे उसके लंड की ओर ढकेलते हुए कहा।
छेदी- “हां यार मजा तो बहुत आ रहा है।"
कहते हैं छेदी नेहा की गर्दन को चुमने लगा और उसके स्तन को जोरों से मसलने लगा। और निशित कुछ देर तस्वीरें लेने के बाद छेदी की उस हरकत का छोटा सा वीडियो बना लिया।
फोटोग्राफर- "अब छेदी साहब आप नेहा मैडम की चोली खोल दो और नेहा मैडम आप वापस पलट कर छेदी साहिब की तरफ मुह कर लो।"
नेहा छेदी को रोकती उससे पहले ही उसने चोली की डोरी खोल दी और इससे पहले की नेहा के चुचियों से चोली हट जाती। नेहा ने घूमकर छेदी के तरफ मुह और कैमरा की तरफ अपनी पीठ कर ली। छेदी ने उसकी चोली निकाल कर चारपाई पर फेंक दी। अब नेहा के नंगे चुची छेदी की छाती में गड़ गए थे।
फोटोग्राफर- "हाँ छेदी साहब आप नेहा मैडम की गर्दन चुमते हुए उनकी नंगी पीठ पर हाथ फेरते जाओ। हां ऐसे ही बहुत अच्छा शॉट मस्त चिकना शरीर है आपकी पत्नी का। हां ऐसे ही एक दो बार मैडम की गांण भी दबाओ तो जरा। हां दोनों हाथो से भी दबाओ तो। बहुत ही सेक्सी फोटो आया है, मैडम का गाण बहुत मस्त है। छेदी साहब आप तो बहुत ही भाग्यशाली है। हां मस्त तस्वीर है इधर साइड से मैडम के चुची का तस्वीर मस्त आया है। हहहह ठीक अब आगे एक।"
निशित आगे बोला पर अब नेहा और छेदी उपर से नंगे थे। अब फोटोग्राफर की तरफ घूमना नहीं चाह रही थी। उधर सावी बार-बार अपनी चुत पर साड़ी के उपर से ही हाथ फिरा रही थी। वो सोच रही थी कि एक दिन बैठकर लैपटॉप पर इस पूरे शूट को दोबारा देखेंगी।
उधर छेदी और नेहा एक दूसरे से चिपके हुए थे। निशित के अगले आदेश का इंतजार कर रहे थे।
फोटोग्राफर- "नेहा मैडम आप अब वापस कैमरे की तरफ घूम जाओ और छेदी साहब आप नेहा मैडम के चुची को अपने हाथों से दबा लो।"
नेहा घूमने के लिए मना करना ही वाली थी की छेदी उसके कान में बोला-
छेदी- "अरे कुछ नहीं होगा मजे ले तू भी।" और नेहा फोटोग्राफर की ओर घूमी और छेदी ने उसके दोनों चुचीयों को दबोच लिया।
फोटोग्राफर- "वाह अच्छी तस्वीर हाँ ऐसे ही, नेहा मैडम आप अपना एक हाथ छेदी साहब के गर्दन के पीछे ले जाइये। हाँ ऐसे ही और उनकी गर्दन आगे झुका लिजिये सही से। छेदी साहब आप मैडम की गर्दन को चुमिये और चुची दबाते रहिये। हाँ अच्छा शाॅट है। हाँ छेदी साहब अब आप एक हाथ मैडम के घाघरे में डाल दिजिये।"
छेदी ने तूरंत ऐसा ही किया जिससे नेहा का एक चुची को खुला छोड़ा तो नेहा थोड़ी कसमसाई और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। छेदी ने अपना हाथ तुरन्त उसकी चुत तक पहुँचा दिया था, और वो उसकी तरबतर भीगी चुत की पंखुड़ियों से खेलने लगा नेहा मदमस्त हो चुकी थी।
फोटोग्राफर- "वाह छेदी साहब आपकी मैडम तो मस्त है एकदम। क्या चुची, क्या गांण, क्या चेहरा है बहुत शानदार फोटो आया है आपके लिए बहुत यादगार रहेगी।"
क्लिक करता हुआ निशित एकदम उन दोनों के पास आ गया और बोला-
फोटोग्राफर- "छेदी साहब आपने तो धोती के अंदर कुछ नहीं पहना है पर मैडम आपने पैंटी पहनी है क्या?"
ऐसा सीधा सवाल उस बुढ्ढे से सुनकर नेहा शर्मा गई और समझ नहीं आया की क्या जवाब दे पर छेदी उसके कान में बोला जो की निशित भी सुन सकता था।
छेदी- "लगता है चाचा आज तुझे पूरा नंगा करके छोडे़गा।"
फोटोग्राफर- "नहीं बाबा मैं तो कह रहा था कि अगर पैंटी पहनी है मैडम ने तो मैं घाघरे का नाड़ा और आपकी धोती खोल देता। तो उससे क्या होता की मैडम की चुत वो सॉरी क्या करुं हिंदी में थोड़ा बुरा लगता है। पर वो मैं कह रहा था कि मैडम की चुत तो पैंटी में छिपी होती और आपका लंड मैडम के पीछे छिप जाता तो फोटो हॉट भी आता और आप दोनों का जननांग भी नहीं दिखता।”
छेदी- "क्या जननांग नहीं दिखता?"
फोटोग्राफर- "वो छेदी साहब आप लोगों का गुप्तांग नहीं दिखता। मेरा मतलब है आपका लंड और चुत फोटों में नहीं दिखता पर फोटो एकदम गर्म हो जाता। इस वास्ते मैडम से पूछ रहा था के वो पैंटी पहनी है की नहीं?"
छेदी- "वो क्या है हमने तय किया था की इस हनीमून पर हम अन्दर कुछ नहीं पहनेगें इसलिय बुलबुल ने भी घाघरे के नीचे कुछ नहीं पहना है।"
फोटोग्राफर- "ओह अब घाघरे के नीचे मैडम आप अगर नंगी है तो फिर मैं कुछ और सोचता हूं।"
निशित सोचते हुए घूमता है और सावी की ओर देख कर आंख मरता है और सावी भी थम्स अप का निशान दिखाती है।
नेहा फिर से छेदी की ओर घूम जाती है। छेदी नेहा के कान में कहता है-
छेदी- “अगर इस चाचा ने अब ज्‍यादा देर लगाई तो तुझे यहीं खड़े-खड़े चोद दूंगा फिर ये साला अपनी वीडियो उतरता रहेगा।
नेहा- "अब इसे बोलो खत्म भी करे कमरे में चलते हैं।"
नेहा भी तड़पते हुए बोली।
छेदी- “चुदासी हो रही है न मेरी बुलबुल। वो तो तेरी भीगी चुत देखकर ही समझ गया हूं। पर क्या कँरू इस बुढ्ढे ने मजा तो बहुत करा दिया। तभी निशित आया और बोला-
निशित (फोटोग्राफर)- “फिर हम आखिरी फोटो ऐसा लेते है कि छेदी साहिब आप अपनी धोती उतर कर नेहा मैडम को दे दिजिये और नेहा मैडम आप बस धोती का एक छोर पकड़ कर अपनी वो क्या बोलते है अपनी चुत के सामने रख लिजिये उसके बाद मैं आपके घाघरे का नाड़ा खोल दुगाँ। और उस पोज में आपके फोटो ले लुंगा। इसमे ये तो पता चलेगा की आप दोनों पूरे नंगे है पर आपका गुप्तांग नहीं दिखेगा बोले तो आपका चुत और लंड नहीं दिखेगा।
छेदी- "वो तो ठीक है चाचा पर घाघरे का नाड़ा तू क्यों खोलेगा वो तो मैं भी खोल सकता हुँ ना?"
फोटोग्राफर- "वो क्या है नेहा मैडम जब कैमरा की तरफ होगी तो आपके दोनों हाथ उसके चुची को दबायेंगे ना इसलिय।"
छेदी-"हम्म अच्छा चाचा तू भी इतना मेहनत कर रहा है तो मजे भी ले ही ले।"
छेदी बोला तो नेहा ने उसकी छाती में हल्का सा मुक्का मारा।
फोटोग्राफर- "हाँ तो छेदी साहब अपना धोती उतर कर मैडम को दे दो। हां वैसे एक बात बोलता हूं कि मैडम एक मस्त माल है तो आपके पास भी तगड़ा लंड है उनके लिए।"
सुनकर छेदी का सीना और चौड़ा हो गया।
फोटोग्राफर- "मैडम आप घूम जाइए छेदी साहिब आप उनकी चुची मसलिए। हम्म ऐसे ही....। मस्त बूब्स है आपकी बीबी के। मैडम आप सिर्फ धोती का छोर ही आपके हाथ में रखिए बाकी की धोती नीचे गिरने दिजिये हां ऐसे ही।"
निशित नेहा का हाथ पकड़ कर उसके घाघरे के नाड़े की तरफ जाकर नाड़ा खिंच देता है। चुंकी छेदी नेहा से चिपका हुआ था घाघरा थोड़ा नीचे खिसक कर अटक जाता है।
फोटोग्राफर- "छेदी जी आप थोड़ा पीछे हो जाना तो जरा ये आपका मोटा लंड उसे रोक रहा है।"
छेदी मस्कुरा कर पीछे होता है तो घाघरा नेहा के पैरों में गिर जाता है।
फोटोग्राफर- "अब आप चिपक जाइये वापस....। ओह आप तो पहले ही चिपक गए हैं। इसमे कहने वाली क्या बात है?"
फ़िर निशित नेहा के सामने नीचे झुककर बोलता है।
फोटोग्राफर- "मैडम एक-एक पैर उठाइए तो जरा आपका घाघरा निकलना है।"
झीनी सी धोती के छोर के पीछे निशित को नेहा की चिकनी पाव रोटी जैसी चुत साफ नजर आ रही थी। पर वो फिर भी अपनी ही पत्नी की चुत को नजर बचा कर देख रहा था। नेहा के पैरों से घाघरा निकलने के बाद उसने उसे चारपाई पर फेंक दिया। और फोटो खिचने के लिए तैयार हुआ और बोला-
फोटोग्राफर- "ओह शिट मैडम आपका चुत नजर आ रहा है।"
कहकर वो उसके पास आया और नेहा के हाथ से धोती ले लिया। जिससे नेहा पूरी नंगी सामने आ गई। पर उसने उसकी तरफ देखने की कोशिश नहीं की और धोती के छोर को थोड़ा सा फैलाकर उसके हाथ में दिया। धीरे-धीरे सही जगह लाकर बोला-
फोटोग्राफर- "बस मैडम बिलकुल यही रखना हाथ मत हिलाना नहीं तो.... अच्छा छेदी साहब आपने चुची को अच्छे से दबाईये है पर अगर आप ऐसे दबायेगें कि दोनों निपल्स आपकी अंगुग्लियों के बीच से झांके तो फोटो नशीला हो जाएगा। छेदी अपने हाथों को एडजस्ट कर रहा था कि निशित ने खुद उसका एक हाथ पकड़ कर नेहा के चुची को पकड़कर उसकी अंगुग्लियों को सेट किया फिर ऐसा ही दूसरे चुची के लिए किया। एक साथ दो-दो मर्दों के हाथों के टच से नेहा के पुरे बदन पर रोंगटे खड़े हो गए थे। उसे तो बस अब चुदना था वो चाह रही थी कि कब ये खेल खत्म हो और वो छेदी को लेकर रूम में जाए।
फोटोग्राफर- "बहुत ही अच्छा शॉट है। मस्त लग रहे है आप दोनों नंगे। छेदी साहब आप मैडम के गर्दन को किस भी कर सकते हैं। हाँ ऐसे ही अच्छा शॉट ओह मैडम आपका हाथ थोड़ा उपर हां वो आपकी चुत है बस अब ठीक है। और ये हो गया ठीक है अच्छा काम। अब आप कपड़े पहन सकते हैं”।
पर छेदी ने नंगी नेहा को अपनी गोद में उठा लिया और नंगा ही कमरे की तरफ बढ़ चला और बोला-
छेदी- "सावी तु कपड़े लेकर आ जल्दी से"।
सावी कपड़े समेटे हुए उनके पीछे भागी जबकी निशित अपने कैमरा पैक करने लगा। वो तीनों अन्दर घुसे ही थे कि छेदी का फोन बज उठा जो मंगेश था जो आधे घंटे से उसे फोन कर रहा था।
मंगेश- "अरे कहा था।"
छेदी-"अरे फोन रूम में था मैं नदी पर था।"
मंगेश- "वो मैं मुख्यालय आया हुआ था तुझे तत्काल झिलमिल के गाँव जाना होगा उसे लेकर। उसकी मां की तबियत खराब है।"
छेदी- इसकी मां की छेदी ने मन ही मन गली दी। नेहा के मन में भी ऐसा ही कुछ ख्याल आया पर स्थिति को समझते हैं वो अपने कपड़े बदलने लगे। तभी निशित आया और उसे एसडी कार्ड नेहा को पकड़ा दिया और बोला-
फोटोग्राफर- "बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत अच्छा फोटोशूट था आपके लिए और मेरे लिए भी यादगार रहेगा।"
कहकर वो सावी को अलविदा बोल कर निकल गया।


...…...कमेंट करते रहिये।
Bdia update bhai.... Neha ka next wild encounter nishit ki presence mei hona chahiye😉😁
 
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