भाग-20
छेदी, नेहा और सावी मंगेश वाले घर आ गए। वहाँ झिलमिल रोए जा रही थी। छेदी का मन नेहा को छोड़ने का नहीं था। उसने बोला- नेहा तुम भी अपना बैग ले लो झिलमिल के साथ रहोगी तो ठीक रहेगा। नेहा ने हाँ में सर हिलाया और कमरे में चली गई। सावी भी उसके साथ हमारे कमरे में आ गई।
सावी- "क्या मेमसाब छेदी तो आपको बिलकुल छोड़ना नहीं चाहता। झिलमिल के गाँव भी साथ ले जा रहा है।"
नेहा- "तो मैं क्या करूँ कमिनी, यहाँ भी तो वो ही लाया है।"
सावी- "ये झिलमिल का जो बाप है ना वैसा तो मंगेश का ससुर है पर वो छेदी का पक्का दोस्त है।"
नेहा- "अच्छा तू जानती है उनको।"
सावी- "अरे जानुँगी क्यों नहीं, ये छेदी के यहां रह कर जा चुका है कुछ दिन।"
नेहा- "अच्छा इसलिये।"
सावी- "छेदी और झिलमिल का बाप भीमा ने अपने जमाने में दोनों गाँवो की बहुत सी लड़कियों और भाभियों का कल्याण किये है।"
नेहा- "हाॅय अररे बाप रे छेदी का ही भाई है क्या?"
सावी- "पता है यूं तो छेदी का भाई मंगेश है पर उन दोनों का कोई गुण नहीं मिलता है पर छेदी और भीमा के पुरे गुण मिलते हैं।"
नेहा- "हम्म हां अक्सर ऐसा होता है भाई से ज्यादा दोस्तों में बनती है।"
सावी- “एक बात बताती हूं किसी को बोलना नहीं। मेमसाब आज तक जिंदगी में छेदी से भी तगड़ा लंड देखा है तो वो भीमा का है।”
नेहा- "हे भगवान तू सबके लण्ण्ण्...... वो देखती रहती है क्या?"
सावी- "अरे तुम्हारे छेदी ने ही मुझे चुदवाया था। वही छेदी की दुकान के बगल वाले कमरे में ही भीमा से। इसलिये दो दिन छुट्टी भी मारी थी मैंने दर्द के मारे।"
नेहा- "ओह गॉड सावी तू तो बहुत पहुँची हुई है, झिलमिल को पता चला तो।"
सावी- "उसे कैसे पता चलेगा ये हमारे शहर की बात है। पर हाँ अपने बाप की हरामपंती के किस्से उसे भी पता है।"
नेहा- "अच्छा पर वो मैं क्या मतलब वो .... छेदी का तो खुद इतना ... बड़ा है और तू कह रहा है ऐसा भी कहीं होता है।"
सावी- "सही कह रही है मेमसाब बहुत बड़ा मुसल लंड है उसका, छेदी भी उसे चुदाई में अपना गुरु मानता है।"
नेहा- "पागल है तू तो।"
सावी- "सच कह रही हूं। वहाँ अपने खेत के एक टुकड़े में वो अफीम उगाता है। छेदी और भीमा दोनों चिलम में अफीम फुंकते और लड़कियों की चुदाई करते हैं। वो तो झिलमिल बड़ी हो गई और छेदी शहर चला गया तब से कम कर दिया है।”
नेहा- "बाप रे अब तो वहाँ जाने में डर लग रहा है।"
सावी- “अरे मैं तुम्हे पहले की बात बता रही हूं। वैसे भी अभी तो झिलमिल की मां की तबियत का मामला है। झिलमिल को देख लेना रुके तो छोड़ देना नहीं तो सुबह तक वापस आ जाना, और आपका किसी से क्या लेना देना।"
नेहा- "हां वो तो है मैं तो किसी को जानती भी नहीं।"
सावी- "पर हां छेदी बहुत भड़का हुआ है उसकी KLPD जो हो गई।"
नेहा-"KLPD?"
सावी- "खड़े लंड पे धोखा?"
नेहा- "बेशर्म।"
सावी- "अपनी बेशर्मी देखी नहीं आज लगता है अगर छेदी लंड पेल देता तो वही उछल-उछल के चुदवती। उस बुढ्ढे फोटोग्राफर के सामने।"
नेहा- "वो बुढ्ढा तो महाशातिर था। उसने कोई मौका नहीं छोड़ा मुझे हाथ लगाने का।"
सावी- "वो तो है, आपकी गांण पर कुछ खाश ही फिदा था वो, कई बार दबाई थी उसने आपकी गाण मैंने देखा था।"
नेहा- "हां और कई बार मेरी पीठ पर भी हाथ फेरा था, और एक बार तो छेदी के हाथों से मेरा निप्पल निकाल दिया था बदमाश ने।"
सावी- "हां मजा ले तो रहा था वो आप से। पर मैं देखी की आप और छेदी भी उसे पूरी छुट दे रहे थे और खुद भी मस्तिया रहे थे।"
नेहा- "हां मजा तो बहुत आया मुझे भी।"
सावी- "घर चल कर आपकी फोटो साथ-साथ देखेंगे और मजा आएगा।"
सावी, नेहा को बाहों में भरकर किस करना चाहती थी की छेदी का बुलावा आ गया। सावी अपने मन में सोचने लगी। घर चलिये मेमसाब फिर आपकी बाकि बची शर्म को भी दुर कर दुँगी। नयी नवेली दुल्हन वाली नौकरानी बनवा कर सबको मजा करवाऊँगी।
झिलमिल के जाने से छोटू और रुचि भी उदास हो गए थे, क्योंकि झिलमिल ने उनको पूरी प्राइवेसी दी थी, और उन्होने कई बार चुदाई कर ली थी। अब सावी के ना जाने और झिलमिल के चले जाने से छोटु का अगला दिन मुश्किल से कटने वाले है ऐसा लग रहा था।
गाड़ी लेकर छेदी झिलमिल के गाँव की ओर चल दिया। जिला मुख्यालय झिलमिल के गाँव से और 20 किमी आगे था। अगर उसकी मां को अस्पताल ले जाना होता तो बड़ा अस्पताल जिला मुख्यालय में ही था। झिलमिल घर पहुँचते ही अपने मां के कमरे में जाकर उनसे लिपट गई। उसकी मां अब ठीक थी। शहर से डॉक्टर ने आकर उसे इंजेक्शन दे दिया था और वो बता गया था कि उनको दो-तीन दिन में आराम मिल जाएगा। झिलमिल का बाप भी झिलमिल से मिलने के बाद छेदी और नेहा के पास आया और छेदी से बड़े आत्मीयता से गले मिला। उसके व्यक्तित्व को देखकर नेहा काफ़ी प्रभावित हुई। क्योंकि कद काठी में वो बाहुबली फिल्म में राणा दुग्गुबाती की तरह लग रहा था। उसने नेहा की ओर देखकर कहा-
भीमा- "यही है वो।"
तो छेदी ने हां में सर हिलाया
भीमा- "मस्त है।"
बस इतना कह कर वो वापस झिलमिल की मां के पास गया और बोला-
भीमा- “बस अब तो खुश है सबको इकठ्ठा कर लिया। अब झिलमिल से सेवा करवा लेना दो-तीन दिन। इसी बहाने मेरा यार आया है। अब तू ठीक है तो मैं भी इसके साथ पुरानी याद ताजा कर लुंगा।”
भीमा- "चलो छेदी फर्म पर चलते हैं।"
छेदी- "अरे नहीं भीमा मुझे अभी जाना होगा बुल... मेरा मतलब है नेहा यहाँ तो झिलमिल की वजह से यह आई थी अगर झिलमिल रुक रही है तो हम चलते हैं।"
भीमा- “अरे हां बाबा कल सुबह चले जाना तेरा घर या मेरा घर। तेरी नेहा मेमसाब को यहाँ कोई तकलीफ नहीं होगी"
फिर नेहा की तरफ देख कर उसे आंख मारी और गंदी सी हँसी हस्ता हुआ बोला-
भीमा- "ये मेरा वादा है, नेहा मेमसाब।"
नेहा झेपते हुए बोली- "प्लीज आप सब मुझे नेहा ही बोलिए... छेदी तुम भी... ठीक है।"
छेदी- "ओके मेमसाब"
छेदी गले पर हाथ रखते हुए बोला तो सब हंस पड़े।
काफ़ी बड़े एरिया में फैला था भीमा का घर पर उसने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के लिए थोड़ा छोटा लेकिन फिर भी काफ़ी बड़ा घर उसके खेतों के बीच में भी बनवा रखा था। जो की बाकी फसल की देख भाली के काम आता था। आज झिलमिल की मां की तबियत ठीक होने और छेदी के उसके यहां आने और वो भी नेहा जैसी आइटम के साथ है। इस वजह से भीमा का मूड पार्टी का बन गया था।
थोड़ी देर वही बात करके और चाय नाश्ता लेने के बाद भीमा, छेदी और नेहा गाड़ी में थोड़ी ही दुरी पर खेतों के बीच वाले घर में पहुँच गये। जब वो जा रहे थे तो झिलमिल देखकर मुस्करा रही थी। उसने अपनी सहेलियों के साथ चुपके-चुपके अपने बाप की मस्तियाँ उस मकान में देखी थी और वो जान गई थी कि आज भी वहाँ खूब मस्तियाँ होने वाली है। पर आज अपनी मां की वजह से वहाँ जाने का उसका मूड नहीं था। उधर दो मुस्तंडो के बीच अकेली जाने में नेहा को थोड़ा डर सा लग रहा था, और उसने भी कहा भी था कि वो झिलमिल के साथ रह लेगी, पर छेदी ने कहा की वो लोग सुबह जल्दी ही वही से घर के लिये निकल जाएंगे और छेदी के होते हुये उसे किस बात की फ़िकर है। ये सुनकर नेहा चुप हो गई। जैसे ही वो फर्म के गेट के अंदर पहुँचे। तो वहाँ दो जर्मन शेपर्ड कुत्ते भोंकते हुए उनकी तरह आए। तो नेहा डर के मारे छेदी के पीछे छिप गई पर भीमा के आवाज देते ही वो दोनों दुम हिलाने लगे और शांत हो गए।
अब वो अन्दर आ गए और चौक में बैठे जहां बांस की कुर्सियाँ और टेबल रखे हुए थे और टेबल पर शराब की बोतलें और खाने पीने का सामान रखा था। वो लोग वहाँ बैठ गए तब भीम बोला-
भीमा- "और बताओ छेदी कैसे हो? तुम उसे नहीं लाए क्या वो थी ना क्या नाम था उसका?"
छेदी- "सावी।"
भीमा- "हां सावी यार बहुत बिंदास है वो।"
छेदी- “वो आई है गाँव में है मुझे लगा यहाँ सबको को लाना ठीक नहीं रहेगा। अगर पता होता की भाभी ठीक है तो उसे भी ले आता।”
भीमा- "नेहा कैसे फंसी तुम इस छेदी के जाल में.. मैं मानता हूं कि हुनर है इस बन्दे में पर फिर भी आपका क्लास अलग है।"
नेहा का चेहरा शर्म से लाल हो गया है इस सीधे सवाल से। अब इस बात का वो क्या जवाब देती है वो कैसे फँसी। वो कुछ ना बोल पाई।
भीमा- “अरे हम से क्या शर्माना मैं और छेदी तो बचपन से ही हरामजादे है हा हा हा। मुझे लगा था कि छेदी के साथ रह रही हो तो इतना तो खुल ही गई होगी।”
छेदी- "अरे भीमा मेम .... मतलब नेहा बहुत ही पढ़ी लिखी और अच्छे घर से ताल्लुक रखती है वो ऐसे ही हर किसी के सामने ऐसी बात नहीं कर सकती।"
भीमा- "हां वही तो मैं कह रहा हूं नेहा कि मैं हर कोई नहीं हूं छेदी का दोस्त मतलब मेरा दोस्त और मैं उसका दोस्त।"
कहते हैं उसे तीन पेग बना दिया.. एक गिलास छेदी की ओर बड़ा तो उसे ले लिया। फिर दूसरा ग्लास उसने नेहा की ओर बढ़ाया-
नेहा- "नहीं वो मैं नहीं पीती.."
छेदी- "अरे ले ले नेहा एक पेग से कुछ नहीं होता।"
नेहा ने थोड़ा गुस्से से छेदी को देखा तो भीमा बोला-
भीमा-“अरे नेहा या तो तुम लेती हो या नहीं लेती अगर लेती हो तो ले लो ज्यादा नहीं तो एक पेग ले लो हमारा साथ देने के लिए। और हां ये काजू-बादाम आप लोगों के लिए ही रोस्ट करवाया हैं मैंने।”
अब नेहा ने ग्लास ले लिया और हल्के- हल्के पीने लगी।
थोडी देर ये दौर चलता रहा और छेदी भीमा से खेत और गाँव के बारे में बात करता रहा। झिलमिल की बात आई तो भीमा बोला-
भीमा- "यार ये मंगेश अभी तक बाप नहीं बन पाया है कोई गड़बड़ तो नहीं है।"
छेदी- "अरे नहीं वो बस हमारे तुम्हारे जैसा ठरकी नहीं है हाहाहा पर बिलकुल नाकारा भी नहीं है पर हां झिलमिल जैसी चुलबुली लड़की के लिए थोड़ा अलग है वो।"
भीमा- "हां पर मेरी झिलमिल ने कभी कोई शिकायत नहीं की।"
छेदी- "हां मैं भी सोचता हूं की तेरे जैसे मदरचोद की लड़की ऐसी कैसे हुई? घर के काम में या किसी बात में वो हमेशा खुश रहती है और सबको खुश रखती है।"
भीमा- “हां पर मैं झिलमिल से कैसे पुँछु उसका बाप हूं, कि मंगेश उसे खुश रखता है की नहीं। नेहा तुम बातों-बातों में उससे पुछ लेना।”
नेहा- "मैं?"
भीमा- "हां तुम दोनों लगभग एक उमर की हो ये बात तो कर ही शक्ति हो।"
नेहा- "ठीक है मैं पूछूंगी।"
"क्या पूछोगी?"
भीमा बोला से नेहा एकदम से चौंक उठी।
नेहा- "वो मैं पूछूंगी की मंगेश उसे खुश रखता हैं कि नहीं।"
कहते हुये उसने अपना ग्लास खाली कर दिया। छेदी और भीमा तो पहले ही दूसरा पेग ले रहे थे। भीमा ने उसके ग्लास में फिर पेग बनाकर उसके हाथ में देते हुये कहा-
भीमा- “अरे ऐसे पूछेगी तो वो बोलेगी हां खुश रखता है। इसमे क्या बड़ी बात है। औरत अगर कपड़े, गहने लाकर देने से अगर खुश हो जाती तो तु छेदी के साथ ना चुदवाती है ना। मतलब मेरे कहने का है कि मंगेश उसे शारिरीक सुख देता है की नहीं।"
भीमा ने नेहा की ऐसी बेईज्जती कर दी कि उसके चेहरा कानों तक लाल हो गया। वो कुछ बोलती उससे पहले ही छेदी बोला जिससे उसके थोड़ा मरहम लग गया। छेदी बोला-
छेदी- "अरे ये बाप है इससे झूठ नहीं बोल पा रहा वो पुछना कि मंगेश झिलमिल को ढंग चोदता है कि से नहीं।"
नेहा हल्के से मुस्कुरा कर भीमा की ओर देखा तो साफ लगा कि झिलमिल के बारे में ऐसी बात सुनकर उसे अच्छा तो नहीं लगा। पर वो कर भी क्या सकता था। उसने अभी नेहा के बारे में भी ऐसी ही बात कहीं थी।
नेहा के लिए दो पेग काफ़ी हो चुके थे। उसने आगे लेने से मना कर दिया था। पर उन दोनों का अब चौथा पेग चल रहा था। अब तीनों ही शराब के सुरूर में आ चुके था। छेदी और भीमा तो खुलकर बाते कर रहे थे।
छेदी बोला- "भीम वो एक छुईमुई सी लड़की थी ना जिसको सब लोग बहुत शरीफ़ समझते थे और हम दोनो ने मिलकर उसको चोदा था क्या नाम था उसका।"
भीमा- "अरे वो बिंदिया हाहाहा। शादी के बाद पहली होली पर आई थी वो। पता है नेहा हम दोनो ने साथ में उसे चोदा था और उसको यहाँ से गर्भवती कर के भेजा था।"
नेहा- "अच्छा है। कितने बदमाश हो तुम लोग?"
छेदी-"अरे पूछ मत नेहा मुझे लगता है हम बिंदिया का लड़का हम से भी बड़ा हरामी निकलेगा।"
कहते हुए छेदी हँसने लगा।
तभी वहाँ चोली-घाघरा पहने एक कमसिन सी लड़की आई। जो उमर में झिलमिल से भी छोटी होगी। पर उसके स्तन और गाण देख कर कोई भी बता सकता था कि वो बहुत खेली खाई है।
भीमा- "आओ कांता आओ तुम्हारा ही इंतजार था।"
भीमा बोला और कांता आकर भीमा के पास बैठा गई।"
कांता- "अरे छेदी चाचा भी आए हैं।"
छेदी- "तेरे को कितनी बार बोला है कि यहाँ चाचा मत बोला कर।"
कांता- “भूल गई चाचा ओह्ह माफ करना छेदी हाहाहा बहुत दिन हो गए आपको यहां देखे। इतनी सुंदर शहरी मेम जो मिल गई है तुम्हें।"
छेदी- "चुप कर और पेग उठा।"
नेहा देखती ही रह गई जब पहला पेग कांता ने एक ही सांस में खाली कर दिया। और दूसरा अपने आप भरने लगी।
छेदी- "जब भी भीमा को अपनी ठरक मिटानी होती है ये इसे बुला लेता है। इसका पति शहर में हमारी कॉलोनी में ही रहता है।"
छेदी ने नेहा के ओर झुकते हुए धीरे से बताया।"
नेहा को कांता कुछ खास पसंद नहीं आयी पर उसे इस बात की दिलासा हुई की इन दो मुस्तंडो के बीच अब वो अकेली नहीं थी। तभी अंदर से एक बुढ्ढा आदमी आया और
भीमा से बोला- "बाबूजी मैंने पूरा खाना बना दिया है फिर भी आगर जरूरत पड़े तो बुला लेना।"
भीमा- "अरे नहीं नहीं शंभू अब अगर तुम्हे जरूरत भी हो तो यहाँ मत आना ठीक है हाहाहा।"
हस्ता हुआ भीम बोला तो शंभू सर झुका कर निकल गया।
छेदी- "क्या भीमा तुमने तो पार्टी का पूरा इंतज़ाम कर रखा है?"
भीमा- "और क्या अपना यार इतने दिनों बाद आया है और इतनी शानदार आइटम लेकर आया है तो पार्टी तो बनती है, फिर अपने लिए मैंने कांता राड़ को बुला लिया।"
नेहा को इस तरह की खुल्ली बातों की आदत नहीं थी पर वो दोनों थे की रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
भीमा- "अरे कांता तुझे अभी भी गांण पर थप्पड़ खाने का शौक है क्या?"
छेदी ने पुछा तो भीमा बोला- "अरे पूछ मत मजा आ जाता है इसकी गांण को लाल करने में।"
नेहा को कुछ समझ नहीं आया तो छेदी उसकी तरफ झुककर धीरे से बोला-
"इस साली रांड़ को पिटाई खाने में भी मजा आता है। जब तक इसकी गांण पर चार थप्पड़ ना पड़े इसकी चुत गीली ही नहीं होती।"
नेहा हैरानी से कांता की ओर देखने लगी और सोचने लगी ऐसी भी किसी का शौक होता है क्या?
वैसा उसे याद आया की छेदी ने भी एक दो बार उसके पीछे जोरदार थप्पड़ मारा है और सेक्स के गर्मी में उसने भी ध्यान नहीं दिया पर हां उसने छेदी को शायद रोका भी नहीं इसके लिए। लेकिन उसे याद आया की एक बार छोटू ने भी पान की दुकान के चौबारे पर उसके जोर से थप्पड़ लगाया था। जिस पर वो कुछ कर तो नहीं सकी थी पर उससे छोटू पर गुस्सा बहुत आया था। कांता भी उन सब लोगों की तरह सुरूर में आ गई थी। छेदी ने नेहा की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर सरका लिया है। इस वक्त नेहा कुर्ती और लेगिंग में थी। नेहा ने अपनी नशीली आंखें से छेदी की ओर देखा पर उससे अलग होने की कोशिश नहीं की।
कांता- "छेदी इस गोरी मेम ने तेरी वो दूसरी रांड़ का पत्ता काट दिया लगा है। जिसको तू पहले गाँव लेकर आता था।"
छेदी- "नहीं रे कांता ये मेरी पटरानी है और बाकी सब नॉर्मल रानी।"
छेदी बोला तो भीम हँसा
भीमा- "इसको पटाने में समय लगा इसलिये पटरानी हाहाहाहा।"
सब लोग नशे में थे इसलिये भीमा के बकवास चुटकुले पर भी जोर-जोर से हँसने लगे। नेहा भी अपने पर बने चुटकुले पर हँस रही थी। वो पहली बार कांता की ओर देख कर बोली-
नेहा- "तुम इसकी कौन सी रानी हो?"
कांता- “अरे गोरी मेम यहाँ मैं ना रानी हूं, ना तू रानी है, मैं भी रांड़ हूं और तू भी एक रांड़ है। थोड़ी देर बाद ये दोनों हम दोनों को चोदेंगे तो हम दोनों का हाल एक जैसा ही होगा क्यों भीमा?"
भीमा- “अब वो तो थोड़ी देर बाद ही पता चलेगा। अरे छेदी तेरी नेहा को भी पेग दे ये तो रुक ही गई एकदम से।”
कहते हुये भीमा ने एक बार फिर से सबके गिलास भर दिए।
कांता ने ग्लास उठा और नेहा की ओर देख कर मस्कुराई तो नेहा ने भी ग्लास उठने में ना नुकुर नहीं की। तभी कांता उठी और भीमा की गोद में बैठ गई और उसके होठों को चुसने लगी। दोनों मदमस्त होकर होठों की चुसाइ कर रहे हैं। पर उन दोनों की नजर नेहा की तरफ थी। जैसे चुनौती दे रही हो। छेदी ने नेहा की तरफ देखा और मुस्काराया। नेहा भी थोड़ी लड़खड़ाई और उठकर छेदी की गोद में बैठ गई। और उसने खुद ही छेदी की गर्दन को झुकाया और मदहोश होकर वो भी होठों की चुसाई करने लगी। छेदी ने उसे बाहों में भर लिया और उसके भारी स्तन दबाता हुआ उसे होठों की चुसाई में सहयोग करने लगा। फिर नेहा ने भी चुंबन करते हुए अपनी नजर कांता और भीमा की तरफ कर ली। भीमा भी कांता के बूब्स मसला रहा था। उसके छोटी सी चोली से स्तन बहार आने को उबल रहे थे। जबकी नेहा ने कुर्ती पहनी हुई थी इसलिये उसके स्तन दिखाई नहीं दे रहे थे।
छेदी- "बुलबुल ये साली रांड अपने स्तन दिख कर बहुत इतरा रही है इसको क्या पता मेरी बुलबुल के स्तन कितने चिकने और गोरे है तु कुर्ती उतरेगी तो मजा आ जाएगा?"
नेहा- "पर मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है।"
लड़खड़ाते स्वर में नेहा बोली।
इतना नशा में होने पर भी उसे ध्यान थी ये बात।
छेदी- "ओह तो ठीक है थोड़ा रुकते है जब ये रांड़ अपनी चोली उतरेगी तब देखेंगे उसको ठीक है।"
छेदी उसे चढ़ाते हुये ऐसे बोला जैसे की दो टीमो के बीच कोई खेल चल रहा है। और नेहा भी जोश में आकर सर हिलाती है और फिर से उसे चुमने लगती है। जबकी छेदी उसे चुमते हुए उसके संवेदनशील निपल्स को और मसलता है। भीमा तभी कांता की चोली उतर कर छेदी और नेहा के उपर फेंक देता है। और नेहा को दिखते हुये कांता के स्तन मसलने लगता है। जबकि कांता उत्तेजक आवाज निकालने लगती है।
कांता- "आह आह आह मारेगा क्या ज़ालिम आह आह आह।"
नेहा, छेदी की आंखों में देखती है और छेदी उसकी आंखें में और फिर नेहा हां में सर हिलाती है और छेदी नेहा की कुर्ती उतरता है और नेहा उसकी सहायता के लिए अपने दोनों हाथ उपर कर लेती हैं। और भीमा का लंड कांता की गांण में गड़ जाता है। छेदी वो कुर्ती उतार कर नेहा के हाथों में देता है और नेहा खुद अपनी कुर्ती पूरी ताकत से भीमा और कांता के उपर फेंक देती है। भीमा उसकी कुर्ती अपने हाथ में लेकर अपनी नाक से लगा कर सूंघने लगता है। नेहा की मादक महक पाकर उसका लंड एक बार और कांता की गांण में दस्तक देता है। अब नेहा कमर से उपर नंगी हो चुकी थी। उसकी काली लेगिंग्स नाभि से काफ़ी नीचे चुत के हल्का से उपर बंधी हुई थी। और वही एक कपड़ा था जो उस समय नेहा ने पहना हुआ था। छेदी उसे प्यार से किस कर रहा था?पर बेरहमी से उसके स्तन मसल रहा था। और अपने बचपन के दोस्त को चिढ़ा रहा था। भीमा ने ख़ूब लड़कियाँ चोदी थी पर नेहा जैसा मखमली, गोरा और चिकना बदन उसे आज तक नहीं देखा था। उसी उत्साह की सारा सजा कांता भुगत रही थी क्योंकि वो अपना सारा जोश कांता के स्तन पर निकल रहा था। उसने देखा की इस किस के चक्कर में सबने अपना-अपना आधा ग्लास टेबल पर छोड़ दिया है वो कांता को अपना गोद से उठा कर उसकी घाघरे में कैद गांण पर एक थप्पड़ मारता हुआ बोला-
भीमा- "अरे पहले ये बचे हुए ग्लास खत्म करने दे। तुझे बहुत जल्दी मस्ती चढ़ जाती है।"
कांता अपने झूलते स्तन के साथ एक ग्लास सबको पकड़ाती है। और फिर से आकर भीमा के बगल में बैठ जाती है। नेहा अभी भी छेदी की गोद में ही बैठी थी। पर छेदी के ग्लास पकड़ लेने के कारण उसका एक चुची भीमा और कांता के सामने था जबकी दुसरे को छेदी ने अभी अपनी हथेली में दबोच रखा था। नेहा ग्लास पकड़ने के बहाने अपने खुले चुची को चुपाने का असफल प्रयास कर रही थी। सभी ने अपने ग्लास खत्म कर दिए और टेबल पर रख दिए तो
भीमा बोला- “वकाई में नेहा तुम्हारे जैसा चिकना और गोरा बदन आज तक नहीं देखा। इतना हुस्न, इतनी खूबसूरती और मेरा भाई छेदी फिदा ना होता ये कैसे हो सकता था। उसकी तकदीर अच्छी थी जो उसकी जगह मैं नहीं था नहीं तो मैं भी वही कोशिश करता।”
भीमा छेदी के सामने खुलकर नेहा की तारीफ कर रहा था और छेदी को उसकी बात पर कोई भी ऐतराज नहीं था। वैसे अब चारों नशे के सुरूर में भी हो चुके थे।
छेदी बोला- "साले भीमा तु तो अभी भी मेरी बुलबुल पर लाईन मार रहा है ना।"
भीमा- "यार तु तो अपने को जानता है साला इसके अलावा जीवन में किया क्या है अपन दोनों ने।"
दोनों हँसने लगे। फिर छेदी कांता से बोला-
छेदी- "क्यों रे राड़ कांता बड़ी चैलेंज कर रही थी मेरी बुलबुल को। कर दी ना तेरी छुट्टी।"
कांता- "अरे मेरा तेरी शहर वाली गोरी में से क्या मुक़ाबला मैं तो थोड़ी मस्ती मज़ाक कर रही थी। तुझे या नेहा मेम को बुरा लगा हो तो माफ़ करना।"
नशे में थी इसलिये माफ़ी भी मांग रही थी।
छेदी- "अरे माफ़ी क्या मांगती है हम सब मस्ती मजा कर रहे हैं तू चिंता मत कर।"
छेदी बोला से काँता जोश में बोली-
कांता- "अच्छा ऐसा है तो ले साले छेदी तू भी क्या याद करेगा?"
कांटा जोश में बोली और भीमा के पास से उठकर आई और छेदी की गोद में बैठ गई। नेहा ने देखा तो उसका बुरा सा मुह बन गया। उसे और चिड़ होने लगी। जब कांता ने अपने होठ छेदी के होठों पर टीका दी। ये सब देखकर नेहा के तन बदन में आग लग गई। जब छेदी भी उसके होठ को मस्ती में चूसने लगा और उसके चुचियों को मसलने लगा। नेहा अपने दोनों हाथों से अपने चुचियों को छुपा कर गुस्से में छेदी और कांता को देख रही थी। ये देख भीम बोला-
भीमा-"अरे नेहा उधर क्या देख रही है कांता ने चैलेंज किया है तू भी उसके पार्टनर की गोद में बैठा कर इसका बदला ले शक्ति है। हा हा हा।"
कहते हैं अपने पैजामे में से अपने लंड को मसलने लगा। नेहा का मन तुरंत उठा कर भीमा की गोद में जाने का हुआ पर फिर भी एक बात उसके गहरे कोने में चली गई थी कि वो अब छेदी की राड़ है। इसलिये इस खेल में भी वो छेदी की मर्जी जानना चाहती थी। उनसे छेदी की तरफ देखा तो छेदी ने हां में सर हिलाया और साथ ही उसकी पीठ पर उठने के लिए दबाव दिया। उसके जोर देने पर नेहा उठ गई और लड़खड़ाते हुए भीम के पास आई। वो उसके गोद में आती उससे पहले ही बेताब भीम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में खीच लिया और भीमा उसके होठों पर टूट पड़ा। साथ ही अपने बड़े-बड़े हाथों में नेहा के चुचियों को लेकर मसलने लगा। उसके चुमने का स्टाईल और चुचियों के दबाने का स्टाईल छेदी से बिलकुल अलग था। उसमें एक वहशीनुमा अक्रमकता थी। जिसको फील करके एक छन्न के लिए नेहा हस्तप्रभ रह गई। पर जैसा कोई खरगोश किसी बाज के कब्जे में आ जाती है वैसे उसकी स्थिती थी। आज उसने एक और पड़ाव पार कर लिया था। निशित के बाद छेदी और छेदी के बाद भीमा के गोद में वो मसली जा रही थी। निसहाय सी उसकी आंखें जब छेदी से मिली तो उसे देखा की छेदी कांता के होठों को चुसने में मगन है। देखकर उसने भी भीमा के साथ होठों की चुसाई में सहयोग करना शुरू कर दिया। भीमा के तो मजे हो गए। उसने नेहा के मुह में पुरी जीभ एक लंड की तरह ठुस दी। और उसके दूध को इतनी जोर से मसला की नेहा की दर्द और आनंद से मिश्रित आह निकल गई। और भीमा के हाथ नेहा के नंगे पेट पर फिरने लगे वो उसकी नाभी टलोलने लगा और फिर बेताबी में उसने नेहा की दोनों टाँगो के बीच में अपनी अगुंलियां पहुँचा दी और बिना पैंटी के लेगिंग्स के उपर से बड़ी आसानी से चुत की रेखा को ढुढ़कर उस पर हाथ फेरा दिया। जिससे नेहा मचल उठी और उसने भीमा के होठों को दांतों से काट लिया। उधर छेदी को लग गया था कि अगर नेहा ज्यादा देर भीमा के हाथ में रही तो अभी चुदने को तैयार हो जाएगी। इसलिय उसने कांता को छोड़ दिया और नेहा को अपने पास आने का इसारा कर दिया। भीमा का मन नहीं था पर वो अपने दोस्त को नाराज करके नेहा के मजे नहीं ले सकता था। इसलिया उसने लास्ट बार नेहा की गांण दबा कर उसे छोड़ दिया। और नेहा फिर से गिरती पड़ती छेदी की गोद आ पहुँची।
कमर से उपर नंगी नेहा को वापस अपनी बाहों में देखकर छेदी के मन को शांति मिली और वो उसके चुचियों से खेलता हुआ और उसे जगह-जगह चुंबन करता हुआ बोला-
छेदी- "बड़ी गरम हो जाती है बुलबुल तू तो। ऐसी हालत में तो सड़क पर चलता कोई भी आवारा तुझे चोद सकता है... है ना?"
अब नेहा क्या बोलती नशे ने उसकी बोलती पहले ही बंद कर रखी थी। उस पर दो तरफ़ा अटैक छेदी और भीमा का उससे समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है? खैर छेदी ने अपने पास पड़ी काँता की चोली को भीमा के पास फेंका तो उसने भी नेहा की कुर्ती को वापस कर दिया। रात के भोजन का समय हो चुका था इसलिय दोनों कांता और नेहा ने अपने-अपने कपड़े पहने और सबके लिए खाना लगाने किचन की ओर चल दी।
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