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Incest मुझे प्यार करो,,,

rohnny4545

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रॉनी भाई लगातार 2 3 अपडेट दे दीजिए और पाठकों के जो भी असमंजस है उनको इन 2 3 अपडेट्स में दूर करने की कोशिश करिए, कहानी शुरू से ही बहुत हो रोमांचक रही है लेकिन कुछ दिनों से कहानी में नाटकीय मोड आया है जो मजा कम दे रही है सोचने पर ज्यादा मजबूर कर रही है कि आगे कहानी कैसे पहले कैसी रोमांचक होगी हम आपके पुराने पाठक है मुझे पता है अपने पहले से सब सोचा हुआ होगा लेकिन जिस कामोत्जैना और चरम सुख वाले अपडेट की जरूरत है ताकि सब कुछ सही हो जाए और कहानी पहले कैसे मजे वाली बन जाए
Ab samayaa gaya he
 

dholbajane wala

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सुगंधा की सांसें उपर नीचे हो रही थी ऐसा कहते हुए वह अपनी टांगों के बीच तो कभी अंकित के चेहरे को देख ले रही थी,,, सुगंधा का चेहरा साफ बता रहा था कि वह क्या चाहती है वह सिर्फ ऊपर से अपने बेटे को जाने की कोशिश कर रही थी जबकि वह अपने बेटे से यही उम्मीद लगा कर बैठी थी,,)

Aur ankit phir ek baar mitha ban ke kahe ga mujhe kuch pata nahi ma 🤣🤣🤣
Gajab ki kahani he
 

rohnny4545

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ककककक,,,, कुछ नहीं मम्मी यह पूरी गीली हो गई है अगर तुम्हें पेशाब लगा है तो जाकर करके आ जाओ धीरे-धीरे इसमें से पेशाब निकल रही है,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर ही सुगंधा मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)

अरे तू सच में बुद्धू है इतना बड़ा हो गया और मर्द बनने का ढोंग कर रहा है यह पैसाब नहीं है यह कुछ और है,,,।

कुछ और मैं कुछ समझा नहीं,,,,(अंकित सब कुछ समझ रहा था जानता था कि उसकी मां की बुर से निकलने वाला तरल पदार्थ क्या है वह अच्छी तरह से जानता था कि यह उसके पेशाब की बूंद बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन फिर भी अनजान बनने का नाटक कर रहा था अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा बोली,,,)

तू सच में अभी छोटा ही है इसलिए तुझे समझ में नहीं आएगा कि यह क्या हैजब तू औरतों को समझने लगेगा तो तुझे खुद में खुद पता चल जाएगा कि यह क्या चीज निकल रहा है,,,,

तुमको तो मैं समझता हूं तो फिर क्यों नहीं समझ में आ रहा है मुझे ,,,,।

अच्छी तरह से नहीं समझता अभी तो मुझे सिर्फ अपनी मां की तरह समझता है जब एक औरत की तरह समझने लगेगा तो तुझे पता चल जाएगा फिर तुझे कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,

(अंकित अपनी मां के कहने का मतलब कुछ समझ कर पूरी तरह से अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रहा था उत्साहित हो रहा था यह शब्द उसकी मां की तरफ से आगे बढ़ने का इशाराजिसे अंकित समझ गया था और आज की रात अनजान बनने का ढोंग उसे बिल्कुल भी नहीं करना था नहीं तो यह सिलसिला न जाने कब तक चलता ही रहेगा आज खत्म कर देना चाहता था इसलिए वह बोला)

कोई बात नहीं ये भी करके देख लेते हैं तब तो समझ में आ जाएगा ना,,,।

बिल्कुल समझ में आ जाएगा,,,(सुगंधा अपने चेहरे पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,,,,)

लेकिन अभी तो लग रहा है कि तुम्हारी इसको साफ करने की जरूरत है,,,

फिर से इसको,,,,

मेरा मतलब है कि तुम्हारी,,,बबबब,बुर को,,,(अंकित का हकलाना देखकर उसे खूबसूरत शब्द को कहते हुए सुगंधा मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,)

अभी डर के यह शब्द निकल रहा है जब तु मुझे समझने लगेगा तो मजे से यह सब निकलेगा,,,,।
(अंकित अपनी मां की बात सुनकर मदहोश हो रहा था वह उसकी आंखों में वासना का तूफान देख रहा था जिसमें वह डुब जाना चाहता था और फिर धीरे से अपनी हथेली का दबाव अपनी मां की बुर पर बढ़ाने लगा,, जो कि इस समय कचौड़ी की तरह फुल चुकी हैअंकित को मजा आ रहा था उसकी मां को भी मजा आ रहा था,,,, सुगंधा कुछ भी नहीं बोल रही थीक्योंकि वह भी यही चाहते थे और आज पूरी तरह से बहक जाने वाली रात थी आज के दिन वह अपने बेटे को रोकना नहीं चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा अब क्या करता है,,, अंकित की पूरी हथेली उसके कामरस से भीग गई थी। यह देख कर सुगंधा बोली,,)

तेरी हथेली पूरी तरह से गीली हो रही है,,,।

तुम अपनी ही इतना छोड़ रही हो मैं तो दबा कर उसका पानी निकलने से रोक रहा हूं,,,,।

पानी रोक कर क्या करेगा,,,,।

तब तुम्हारी बुर और मेरी हथेली गीली नहीं होगी,,,,।

लेकिन इसे तो रोक नहीं जा सकता इसे तो निकल जाने दिया जाता है जैसे पैसाब को निकल जाने दिया जाता है,,,,।

तभी तुम इसको रोकने की कोशिश नहीं कर रही हो,,,।

नहीं,,,,(गहरी सांस लेते हुए सुगंधा बोली)


लेकिन इससे तो कपड़े गीले हो रहे हैं देखो चादर कितने गीली हो गई है अगर तुम्हें समय पैंटी पहनी होती तो वह भी पूरी तरह से भीग गई होती तुम्हारी साड़ी भी गीली हो जाती होगी ऐसे दिन में न जाने कितनी बार तुम अपने कपड़े गीला कर लेती होगी,,,(अंकित इस तरह से अपनी मां की बुर पर अपनी हथेली का दबाव बनाते हुए बोला और हल्के हल्के उसे हथेली से ही सहला रहा था एक तरह से वह अपनी मां को गर्म कर रहा था,,,,)

यह हमेशा थोड़ी ना निकलता है,,,,


फिर कब निकलता है,,,(अंकित अच्छी तरह से जानता था कि औरत की बुर से काम रस कब निकलता है लेकिन वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था वह देखना चाहता था उसकी मां क्या कहती है,,,)

जब औरत को कुछ कुछ होता है जब वह किसी मर्द के करीब होती है और मर्द उसके अंगों को सहलाता है उसका हाथ रखता है तब औरत की ऐसी हालत हो जाती है तब ईसमें से ऐसा रस निकलता है,,,(अपनी बुर की तरफ उंगली से इशारा करते हुए बोली)

तो क्या इस समय तुम्हें ऐसा ही लग रहा है कि तुम किसी मर्द के साथ हो,,,,।

ऐसा तो नहीं लग रहा है लेकिनतेरे में कुछ बात तो है जो मेरी हालत ऐसी हो रही है पूरा मर्द है कि नहीं यह तो बाद में ही पता चलेगा,,,,।

(अपनी मां की तरफ से खुला निमंत्रण पाकर अंकित की भावनाएं भड़क रही थी उसका मन बहक रहा था और वह अपनी हथेली का दबाव एकदम से अपनी मां की बुर पर बढ़ाता हुआ बोला,,)

मम्मी अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो एक बात कहूं,,,।

क्या बोल,,,,


हम दोनों की स्थिति भी उस गंदी कहानी के उस परिवार की तरह ही है,,,,।

कैसे,,,?


अब देखो ना मम्मी,,,(अपनी हथेली का दबाव अपनी मां की बुर पर एकदम से बढ़ाते हुए जिसकी वजह से सुगंधा की हालत खराब होने लगी,,) कहानी में उसके बेटे को बाथरूम के अंदर क्या दिखाई दे रहा था,,,।

उसकी मां पेशाब करते हुए दिखाई दे रही थी,,,।

पेशाब करते हुए दिखाई तो दे रही थी लेकिन वह अपनी मां की गांड देख रहा था और अपनी मां की नंगी गांड देखकर उसकी हालत खराब होने लगी थी,,,,।

और इस समय मेरी आंखों के सामने क्या है,,,?(अपनी मां की तरफ सवालिया नजरों से देखते हुए अंकित बोल तो उसकी मां अपने बेटे की बात समझ कर मुस्कुरा दी और बोली,,,)

तू बहुत शैतान है,,,।

वह तो जब तुम्हारे साथ होता हूं तो न जाने क्यों ऐसा सुझने लगता है,,,, मेरी आंखों के सामने तुम्हारी बुर है उसके सामने उसकी मां की गांड थी नंगी और मेरे सामने मेरी मां की बुर है एकदम नंगी,,,, और वह अपनी मां की नंगी गांड देखकर कैसे-कैसे विचार अपने मन में ला रहा था यह तो तुम सुन ही चुकी हो,,,।

हां वह तो मैं जानती हूं लेकिन क्या तेरे मन में भी उसी तरह के विचार आ रहे हैं क्या,,?(अपनी आंखों को नचाते हुए सुगंधा बोली,,,)

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो उसकी स्थिति में और अपनी स्थिति में कितनी समानता है उस बारे में बता रहा था,,,,,,।

लेकिन इस बात पर भी गौर करना कि उसने अपनी मां को उंगली करते हुए देखा था तब जाकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा भड़क गई थी लेकिन मैं यहां पर ऐसा कुछ नहीं कर रही हूं,,,, इसलिए अपनी भावनाओं पर काबू रखना,,,,,(अपनी आंखों को गोल-गोल नचाते हुए वह बोली,,,)

मैं अच्छी तरह से समझ रहा हूं लेकिन न जाने मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है,,,,,(हल्के से अपनी बीच वाली उंगली से अपनी मां की बुर की पतली लकीर के गुलाबी पत्तियों को कुरेदते हुए) ऐसा लग रहा है कि कुछ भी मेरे बस में नहीं है.

(अपने बेटे की बात और उसकी हरकत को देखकर सुगंधा पागल हुए जा रही थीक्योंकि इस समय उसका बेटा उसकी बुर के गुलाबी पत्तियों से खेल रहा था जो औरत के उत्तेजना को परम सीमा तक ले जाती हैं उसकी आंखें नशा में बंद होने लगी थी,,,, और वह सिर्फ इतना ही बोल पाई,,)

तु कहना क्या चाहता है,,,,।

हम दोनों उसे कहानी के मां बेटे की तरह तो नहीं लेकिन,,(धीरे से अपने बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर में प्रवेश कराते हुए) इतना तो कर ही सकते हैं ना,,,,,।


सहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,,,,(अपने बेटे की हरकत से एकदम मदहोश होते हुए) यह क्या कर रहा है अंकित यह गलत है,,,,, मैं उसकी मां की तरह नहीं हूं,,,वह मजबूर थी अपने बदन की प्यास की वजह से लेकिन मैं मजबूर रही हूं मुझे इसकी कोई जरूरत नहीं है,,,,(सुगंधा ऐसा बोल भी जा रही थी और अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लेकर अपनी आंखों को मदहोशी में बंद करके गहरी सांस भी ले रही थी जो कि इस बातको जाहिर कर रहा था कि उसे इस समय किस चीज की जरूरत है और अंकित अच्छी तरह से अपनी मां की प्यास को समझ रहा था इसलिए वह लगातार अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए अपनी मां को और ज्यादा मदहोश कर रहा था और बोला)

तुम उसे औरत की तरह नहीं हो मम्मी मैं अच्छी तरह से जानता हूं लेकिन मैं ज्यादा कुछ करने को नहीं कह रहा हूं सिर्फ उंगली को अंदर बाहर करने दो तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, वह कहानी वाली उसकी मां भी तुम्हारी जैसी खूबसूरत नहीं होगी,,, उसने तो सिर्फ अपनी मां की गांड देखकर उसे चोदने का विचार बना लिया था,,,, तुम जरा सोचो तुम तो सर से पांव तक एकदम क़यामत ही कयामत उसने तो अपनी मां की नंगी गांड देखकर भावनाओं में बह गया था लेकिन तुम पूरी तरह से साड़ी में रहती हो तो भी तुम्हारी कसी हुई गांड साड़ी के ऊपर से देख कर किसी की भी हालत खराब हो जाए,,,(अपनी मां की बुर में अपनी बीच वाली उंगली को अंदर बाहर करते हुए अंकित बोल रहा था उसकी बातें सुनकर मदहोशी के आलम में सुगंधा बोली)

तो यह बात सच कह रहा है या मुझे बहकाने के लिए कह रहा है,,,।

तुम छोटी बच्ची थोड़ी ना हो कि मेरी बातों से बैठ जाओगी अच्छा बुरा सब जानती हो स्कूल की टीचर हो तुम्हें कोई कैसे बहका सकता है मैं तो सिर्फ अपने मन की बात बता रहा हूं,,,,।

तो क्या तुझे उंगली करने में मजा आ रहा है,,,(इस तरह से अपनी आंखों को बंद किए हुए मदहोशी भरे स्वर में बोली)

सच पूछो तो उस कहानी वाले लड़के को भी मजा नहीं आया होगा जितना मजा मुझे आ रहा हैतुम इससे ज्यादा आगे बढ़ने की इजाजत न भी दो तो भी है मेरे लिए बहुत है,,,सससहहहह कितनी गर्म बर है तुम्हारी अंदर कितनी चल रही है ऐसा लग रहा है कि मैं अपनी उंगली को किसी भट्टी में डाल दिया है,,,,।


सहहहहहह क्या सच में इतनी गरम है,,,,।

तो क्या,,, बहुत ज्यादा गर्म है,,,,, लेकिन मैं एक बात कहना भूल गया,,,,,(धीरे से अपनी मां की उठती बैठी चूचियों पर वह अपनी हथेली रख दिया जो कि इसमें ब्लाउज के अंदर कैद थी अपनी चूचियों पर ब्लाउज के ऊपर से अपने बेटे की हथेली महसूस करते ही सुगंधा पूरी तरह से गनगना गई,,,, और अपने मुंह से एकदम मादक स्वर निकालते हुए बोली,,)

सहहहहहह,,,ं अब यह क्या है अंकित,,,, अब ईससे ज्यादा मत बढ़ हटा ले अपना हाथ,,,

मैंने कोई जानबूझकर नहीं कियातुम्हारी छाती ऊपर नीचे हो रही है मुझे लगा कि तुम्हें तकलीफ हो रही है इसलिए ब्लाउज के ऊपर से मैंने थाम लिया।

नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,,

तो फिर कैसा है मम्मी,,,(बातोंके बहाने अंकित अपनी हथेली को अपनी मां की चूची पर से बिल्कुल भी नहीं हटाया जो इसमें ब्लाउज में कैद थी उसकी गर्माहट उसकी नरमाहट पूरी तरह से अंकित की भावनाओं को भड़का रही थी उससे रहा नही गया और वह धीरे-धीरे ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,,, उत्तेजना के मारे सुगंधा का गला सूखने लगा वह अंदर ही अंदर बहुत खुश थी क्योंकि उसका बेटाअपनी हरकत को अंजाम दे रहा था आगे बढ़ रहा था हिम्मत दिखा रहा था और सच में एक मर्द वाला काम कर रहा था,,, उत्तेजना से अपने सूखते हुए गले को अपने थूक से गिला करते हुए वह बोली,,,)

ऊममममम,,,,,, ऐसा मत कर तेरी हरकत से मुझे भी न जाने क्या हो रहा है,,,।

क्या हो रहा है मम्मी मुझे भी तो बताओ तुम्हें अच्छा लग रहा है कि खराब लग रहा है,,,,।

(अंकित का इतना कहना था कि सुगंधा धीरे से अपनी आंखें खोल कर अपने बेटे की तरफ देखने लगी,,, मदहोशी उसकी आंखों में पूरी तरह से छाई हुई थी वह पूरी तरह से अपने बस में नहीं थी वह बेकाबू हुए जा रहे थे वह कुछ बोलने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी। क्योंकि उसे पर अंकित दोहरा दबाव बनाए हुए थाएक तरफ से वहां उसकी दोनों टांगों के बीच की पत्ली दरार में अपनी उंगली डालकर अंदर बाहर कर रहा था और ऊपर से वह ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की चूची को धीरे-धीरे दबा रहा था,,,,यह दोनों औरतों के लिए उत्तेजना के केंद्र बिंदु होते हैं जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जाती है,,, अगर औरत का मरना भी कर रहा हो और मर्द का हाथ उसकी चूची या किसी तरह से उसकी बुर तक पहुंच जाए और वह हल्के हल्के सहला कर उसे मजा देने लगे तो वह तुरंत चुदवासी हो जाती है,,,,और यही हाल ही समय सुगंधा का भी हो रहा था सिर्फ अपने मुंह से बोल नहीं पा रही थी,,,, हालात पूरी तरह से बेकाबू हुए चले जा रहे थे। बुर की गर्मी अंकित अपनी उंगली पर महसूस तो कर रहा था लेकिन उसका सीधा असर उसके लंड पर पड़ रहा था,,,, जो कि इस समय गदर मचाने को तैयार थालेकिन अभी उसे बंदिश में रहना जरूरी था क्योंकि अंकित को मालूम था कि अभी उसकी बारी नहीं आई है,,,,।

अंकित और उसकी मां दोनों खामोश हो चुके थे दोनों एक दूसरों को देख रहे थे,उत्तेजना से लाल हुआ सुगंधा का चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था जो की ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,, सुगंधा के काम रस से भरे हुए उसके लाल-लाल होठ एकदम धधक रहे थे,,, और अपनी मां के होठों को देखकर अंकित के मन में प्यास जाग रही थी दो हाथ तो उसके व्यस्त ही थे पहले से ही लेकिन अब वह अपने होठों को भी व्यस्त करना चाहता था। पहले भी दो बार चुंबन हो चुका था इसलिए उसे मालूम था कि इस हरकत पर भी उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं करेगी जब बुर में उंगली डलवा ली चुची दबवाली तो चुंबन करने से कैसा एतराज,,,, दोनों एक दूसरे को देख ही रहे थेअंकित पूरी तरह से कामवासना से लिप्त हो चुका था और यही हाल उसकी मां का भी था वह भी मदहोशी के हर में डूबने लगी थी वह इस समय अपने बेटे के हाथों की कठपुतली बन जाना चाहती थीक्योंकि उसे ऐसा ही लगता था कि उसका बेटा औरतों के मामले में अभी भी नादान है जबकि वह नहीं जानती थी कि वही नादान बेटा उसकी मां की चुदाई कर चुका था पड़ोस कि उसकी सहेली की भी चुदाई कर चुका था,,,, गहरी गहरी सांस लेते हुए सुगंधा और भी ज्यादा मतवाली घोड़ी लग रही थी,,,, अंकित लगातार अपने बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा थासुगंधा पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी अपने बेटे की हरकत से उसकी हिम्मत को देखकर वह गदगद हुई जा रही थीउसे लगने लगा था कि आज उसकी अभिलाषा पूरी होने वाली है वर्षों से जिस चाहत को अपने सीने में दबा कर रखी थी आज उसकी चाहत पूरी होने वाली है,,, अभी तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है आगे भी इसी तरह से चलता रहे तो मजा आ आए सुगंधा अपने मन में ऐसा सोच रही थी और गरम आंहे भर रही थी।

तभी अंकित एकदम मदहोश होता हुआअपने होठों को तुरंत अपनी मां के लाल लाल होठों पर रख दिया,,,उसे लग रहा था कि उसकी मां अपने होठों को हटा लेंगे लेकिन उसके सोच के विपरीत उसकी मां भी तुरंत अपने लाल-लाल होठों को खोल दी और खुद ही अंकित के होठों को चूसना शुरू कर दी,,,,अंकित एकदम पागल हो गया अपनी मां के लिए शहर का से उसे रहने की और अपने हथेली कादबाव अपनी मां की चूची पर एकदम से बढ़ाना शुरू कर दिया सुगंधा भी मदहोश होने लगी उसकी बुर से लगातार मदन रस का भा हो रहा था जो कि अंकित की उंगलियों को पूरी तरह से अपने रस में डुबो दे रहा था अंकित अपनी मां की चूची को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया था जिसका आनंद सुगंधा बड़ी मस्ती के साथ लेते हुए उसके असर को अपने बेटे के होठों को चुस कर दिखा रही थी,,, चुंबन बेहद गहरा होता चला जा रहा था अंकित की उंगलियां लगातार उसकी मां की गुलाबी गली में अंदर बाहर हो रही थी उसकी गर्माहट खुद उसके लंड को पिघलने के करीब ला चुकी थी अपने बेटे की उंगलियों की हरकत से सुगंधा एकदम से चुदवासी हो गई थी,,,, मन तो उसका कर रहा था कि इसी समयअपने बेटे का पेंट खोलकर उसके खड़े लंड को अपनी बुर में ले ले और अपनी प्यास बुझा ले,,, लेकिन सुगंधा बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाओं पर काबू किए हुए थीक्योंकि वह बेहद आशावादी थी अपनी किसी भी हरकत से हुआ या नहीं जताना चाहती थी कि वह इसके लिए तड़प रही है क्योंकि अभी तक जो कुछ भी हो रहा था उसके मन का ही हो रहा था और वह यही सोच रही थी कि आगे भी जो कुछ भी होगा इसमें दोनों का ही फायदा होगा । इसलिए वह सब कुछ हालात पर ही छोड़ दी थी और उसे अब अपने बेटे पर पूरा विश्वास हो चुका था कि वही उसकी नैया पार लगाएगा।

धीरे-धीरे घड़ी में 12 बज चुका थामोहल्ले में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था सब लोग अपने-अपने घरों में चैन के नीचे सो रहे थे लेकिन सुगंधा के घर में मां बेटे दोनों की नींद हराम की दोनों का चैन लूटा हुआ था और मां बेटे दोनों एक दूसरे में अपना चैन सुकून खोज रहे थे सुगंधा अधनंगी हालत में अपने बेटे के साथ मस्ती के सागर में डुबकी लगा रही थीइतने से ही उसे एहसास हो रहा था कि इतने वर्षों में उसने कितना कुछ खो दिया था इतनी अनमोल पल सिर्फ जिम्मेदारी निभाने में वह गुजार दी थी कभी अपने बारे में नहीं सोची थी लेकिन अब वह अपने लिए जीएगी अपने शरीर के लिए उसकी जरूरतों को पूरी करेगी,,, ऐसा अपने मन में सोचकर सुगंधा मदहोश में जा रही थी अपने बेटे की हरकत की पूरी तरह से मजा ले रही थी अब वह उसे रोकने की हालत में बिल्कुल भी नहीं थी,,, सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि इन सब हरकतों के बाद क्या होता है,,। और वह आने वाले पल के लिए बेहद उत्सुक भी थी,,,,

दोनों के बीच अब किसी भी प्रकार की वार्तालाप की सत्यता बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि दोनों के होंठ एक दूसरे के होठों में चपे हुए थे,,,, दोनों मदहोश हो रही थीसुगंधा का मन भर-भर कर रहा था कि अपना हाथ आगे बढ़कर पेंट के ऊपर से अपने बेटे के लंड को थाम ले लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,वह केवल चुंबन करते समय अपने बेटे के चेहरे को दोनों हाथों से थामे हुए थे उसके बालों को सहला रही थी और उत्तेजना से खींच रही थी।जिसकी वजह से अंकित की उत्तेजना की ओर ज्यादा बढ़ती चली जा रही थी वह बारी बारी से एक ही हाथ से अपनी मां की दोनों चूचियों से खेल रहा था ब्लाउज पहने होने केबावजूद भी अंकित को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और उसकी मां को भी,,,,यह पहला मौका था जब ब्लाउज के ऊपर से अंकित अपनी मां की चूचियों को खुले तौर पर दबा रहा था। इसलिए तो वह ज्यादा उत्तेजित और आनंदित नजर आ रही थीउसे बहुत मजा आ रहा था लेकिन अंकित की उंगलियों का कमल बढ़ता जा रहा था वह अपनी उंगली को अपनी मां की बुर में डालकर गोल गोल घूमा रहा था,जिसकी वजह से वह अपनी चरम सुख के करीब पहुंचने की कगार पर आ चुकी थी,,,,सुगंधा की सांस ऊपर नीचे हो रही है उसकी हालत खराब हो रही थी क्योंकि वह झढ़ने वाली थी और अंकित भी अपनी मां के बदन में बढ़ रही हलचल को पहचान चुका था,,,वह और तेजी से अपने बीच वाली मेरे को अपनी मां की बुर की गहराई में अंदर बाहर कर रहा था एक तरह से वह अपनी मां की बुर में अपने लंड के लिए जगह बना रहा था।

सुगंधा की सांसें फुल रही थी, उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारियां निकालने को तैयार थी लेकिन अपने बेटे के होंठों के बीच अपने होंठ देकर वह सिसकारी भी नहीं ले सकती थी,,लेकिन उसकी चूचियां बहुत तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी जो एहसास दिला रही थी कि अब वह झड़ने वाली है,,,, और फिर एकदम से उसकी बुर से मदन रस का फव्वारा फुट पड़ा अंकितबड़ी तेजी से अपनी उंगली के अंदर बाहर कर रहा था वह अपनी मां को जो मजा दे रहा था उसमें उसका भी सुख छुपा हुआ था वह जानता था कि औरत की बुर में उंगली से ज्यादा लंड डालने में मजा आता है,,,,और वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि जब उसकी मां इस समय उसे अपनी बुर में उंगली डालने दिए तो उसके समझाने पर जरूर लंड भी डालने देगीभले ही वह अपने मुंह से कुछ ना बोल रही हो लेकिन अंदर ही अंदर वह भी यही चाहती है क्योंकि औरतों के मन के बारे में उनकी जरूरत के बारे में वह अच्छी तरह से जानता था । अंकित पागल हुआ जा रहा था सुनैना की सांस बड़ी तेजी से चल रही थी और लगातार उसका शरीर झटका मार रहा था और हर झटका के साथ उसकी बुर से मदन रस बाहर झटक दे रहा था,,,,

उनकी धीरे से अपने होठों से अपनी मां के होठों को अलग किया औरनशीली आंखों से अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखने लगा इसके अंदर अभी भी उसकी उंगली खुशी हुई थी और उसकी पूरी हथेली उसके मदन रस से भीगी हुई थी अंकित जानता था कि उसकी बुर से निकलने वाला द्रव्य क्या है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर अनजान बनता हुआ अपनी मां से बोला,,,।

सससससहहहह,,, ओहहहहह मम्मी तुम तो मुतने लगी,,,(अंकित यह शब्द अपनी मां से एकदम से अश्लील भाषा में बोला थाजिसे सुनकर सुगंधा के भी तन बदन में आग लग गई थी उसे अपने बेटे के मुंह से मुतना शब्द सुनकर बेहद उत्तेजित कर देने वाला लग रहा था,,,, सुगंधा अंकित की तरफ नशीली आंखों से देख रही थी और उसकी बात पर मुस्कुराते हुए बोली,,)

अरे बुद्धु यह मुत नहीं है,,,,।

मुत नहीं है तो फिर क्या है,,,?(जानबूझकर अनजान बनता हुआ अंकित बोला)

और जब ऐसे हालात में मर्द के साथ होती है और जब उसे अच्छा लगने लगता है तो इसी तरह से निकलता है,,,,।

ओहहहह,,,,आज तो मैं बिल्कुल नई बात सुन रहा हूं मुझे तो इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था मुझे तो लगता था कि सिर्फ इसमें से पेशाब निकलती है,,,,,।

धीरे-धीरे औरतों के बारे में तु सब कुछ सीख जाएगा,,,,(सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली)

लेकिन मम्मी जो कुछ भी है बहुत ढेर सारा निकला है देखो तो सही मेरी पूरी हथेली गीली हो गई,,,(धीरे से अपनी मां की बुर में से उंगली को बाहर निकाल कर वह अपनी मां के मदन रस में डूबी हुई पूरी हथेली को थोड़ा सा ऊपर करके अपनी मां को दिखाने लगा जिसमें से उसका मदन रस उसकी उंगलियों से उसकी हथेलियां से नीचे टपक रहा था यह देखकर सुगंधा शर्म से लाल हो गई, शर्म से लाल हुआ अपनी मां का चेहरा देखकर अंकित मुस्कुराता हुआ बोला,,,) देखो तो सही तुम्हारी जांघें भी पूरी तरह से गीली हो गई है,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा अपनी जांघों की तरफ देखने लगी वाकई में वह पूरी गीली हो चुकी थी और नीचे बिस्तर पर बिछी चादर भी गीली हो चुकी थी,,,, चादर पर अपनी मदन रस का धब्बा देखकर सुगंधा शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, उसे बड़े जोरों की पेशाब भी लगी थी इसलिए वह धीरे से बोली,,,)

मैं अभी आती हूं,,,(इतना कहते हुए वह घुटनों के बाल वेट करें लेकिन साड़ी को अपने हाथ से पकड़ कर कमर तक उठाए हुए थे और घुटनों से चलते हुए वह बिस्तर से नीचे उतर रही थी यह देखकर अंकित की हालत खराब हो रही थी एक तो पहले से ही उसका लंड पूरी तरह से बेहाल हो चुका था,,,,अपनी उंगली और अपनी हरकतों से उसने अपनी मां को तो ठंडा कर दिया था लेकिन खुदगर्म होकर तड़प रहा था इसका इलाज उसकी मां के पास ही था लेकिन कब हुआ इसका इलाज करेगी या अंकित जानता नहीं था लेकिन उसे उम्मीद थी कि आज की रात को ही जो होना ही हो जाएगा,,,सुगंधा कमर तक साड़ी अपने हाथ में पड़े वह बिस्तर से नीचे उतर चुकी थी ऐसे हालात में कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड ट्यूबलाइट की दुधिया रोशनी में चमक रही थी,,,, वह दरवाजे की तरफ जा रही थी अपनी गांड मटका कर यह देखकर अंकित देखना चाहता था कि उसकी मां के मन में अब क्या चल रहा है इसलिए वह बोला,,,)

ऐसे में कहां जा रही हो,,,।

मुझे बड़े जोरों की पेशाब आई है,,,,
(अंकित बहुत खुश था क्योंकि उसकी मां खुले शब्दों में पेशाब करने की बात कर रही थी और उसकी बात सुनकर अंकित मुस्कुराता हुआ बोला)

मैं यही रुकूं की छत पर बिस्तर लेकर चलु,,,(ऐसा कहकर वह अपनी मां का मन टटोलना चाहता था,,, वह देखना चाहता था कि उसकी मां अब क्या चाहती हैं,,,, अपने बेटे का सवाल सुनकर सुगंधा भी कुछ देर के लिए असमंजस में पड़ गई थी कि अब वह अपने बेटे से क्या बोले,,,,,लेकिन फिर थोड़ा हिम्मत दिखा कर वह अपने मन में सोची कि जो कुछ भी होगा देखा जाएगा इतना कुछ तो मां बेटे के बीच हो चुका हैजो कि नहीं होना चाहिए और जब इतना होकर आए तो थोड़ा और होने में क्या दिक्कत है इसलिए वहां दरवाजा खोलकर कमरे से बाहर जाते हुए बोली,,,)

अभी यही रूक में आती हूं,,,,।

(इतना कहकर हुआ कमरे से बाहर निकल गई थी लेकिन अपने बेटे के लिए खुशखबरी छोड़ गई थी क्योंकि उसकी मां की तरफ से यह है खुला आमंत्रण था कि आज की रात बहुत खास थी मर्यादा की दीवार गिरा देने की रात थी अपने संस्कारों का पर्दा हटा देने की रात थी अपनी मां का जवाब सुनकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था।)
 

liverpool244

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भाई यार सब बात तो ठीक है पर आप ये अंकित को सीधेपन का कौन मेडल दिलवाना चाहते हो यार।मतलब बुर का पानी हाथों में लगा हुआ है मां भी पूरी तरह से तैयार है पर अंकित को तो आप इतना दूध का धुला दिखा रहे हो कि पूछो मत।।।
 

liverpool244

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सुगंधा का तो पर्दा आप गिरा रहे पर मेरे भाई यार अंकित को भी तो अपने असली रूप में आने तो दो औरतें को चोद चुका है और आप उसको इतना सीधा दिखा रहे हो कि क्या ही बोले
 
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