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"नहाना है तो बीच धारों में नहाओ, किनारों में क्या रखा है… प्यार करना है तो बाहों में आओ, इशारों में क्या रखा है!" 

रात गहरी हो चली थी, हल्की बारिश की फुहारें खिड़की पर पड़ रही थीं, और कमरे में एक अजीब सी गर्माहट घुली हुई थी।

रिया आईने के सामने खड़ी थी, गीले बाल उसकी पीठ पर लहराते हुए गिर रहे थे। उसने हल्के से शॉल ओढ़ा, लेकिन रवि की नज़रों ने उसे महसूस कर लिया।

"कहाँ जा रही हो?" रवि ने मुस्कुराते हुए पूछा, उसकी आँखों में शरारत थी।
रिया ने इतराते हुए जवाब दिया, "सोने!"
रवि धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा, "इतनी ठंड में सोने की क्या जल्दी? जब नहाना हो, तो बीच धारों में नहाना चाहिए, किनारों पर क्या रखा है?"

रिया ने आँखें ऊपर उठाकर रवि की तरफ देखा, उसकी उँगलियाँ हल्के से रवि की शर्ट के कॉलर तक आ गईं…
"और प्यार?" रिया ने धीमे से पूछा, उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं।
रवि ने हल्के से उसके कान के पास फुसफुसाया, "प्यार करना हो तो बाहों में आओ, इशारों में क्या रखा है?"

रिया हल्के से मुस्कुराई, लेकिन इस बार उसकी आँखों में वो इकरार था, जिसका रवि कब से इंतजार कर रहा था…


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रिया आईने के सामने खड़ी थी, गीले बाल उसकी पीठ पर लहराते हुए गिर रहे थे। उसने हल्के से शॉल ओढ़ा, लेकिन रवि की नज़रों ने उसे महसूस कर लिया।


"कहाँ जा रही हो?" रवि ने मुस्कुराते हुए पूछा, उसकी आँखों में शरारत थी।
रिया ने इतराते हुए जवाब दिया, "सोने!"
रवि धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा, "इतनी ठंड में सोने की क्या जल्दी? जब नहाना हो, तो बीच धारों में नहाना चाहिए, किनारों पर क्या रखा है?"


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"और प्यार?" रिया ने धीमे से पूछा, उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं।
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रिया हल्के से मुस्कुराई, लेकिन इस बार उसकी आँखों में वो इकरार था, जिसका रवि कब से इंतजार कर रहा था…





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