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Adultery दिलवाले

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#२

“कैसे हत्थे चढ़ी इनके ” पुछा मैंने

लड़की- कालेज का वार्षिक उत्सव था , प्रोग्राम देर तक चला उसी में लेट हो गयी बारिश की वजह से कोई ऑटो नहीं मिला , उधेड़बुन में थी की क्या करू तभी ये लोग आ गए और फिर .......

मैं- ये तुझे जानते है क्या

लड़की-शायद उनमे से एक इसी कालेज में पढता है . बाकी उसके दोस्त थे

मैं- हम्म, फिर तो परेशानी वाली बात खैर, तुझे घर छोड़ देता हूँ .कहाँ है घर तेरा

लड़की- इस हालत में घर तो नहीं जा पाऊँगी कपडे फटे है , वहां और तमाशा होगा.

मैं- बाज़ार भी बंद है , घर जाना ही सुरक्षित होगा.पर बात तेरी भी ठीक है फिलहाल ये पहन ले

मैंने अपना कोट उतार कर उसे दिया और हम लोग मेन सड़क पर आ गए. मुझे लड़की की बड़ी ही फ़िक्र हो गयी थी .

लड़की- मेरी वजह से आपको भी परेशानी हो गयी

मैं- वो बात नहीं है , लड़का तेरे ही कालेज का है तो तुझे पहचान लेगा , कुछ दिन के लिए तू घर पर ही रहना . मैं देखता हु तेरी सुरक्षा के लिए क्या कुछ हो सकता है वैसे तू चाहे तो पुलिस में शिकायत दे सकती है .

लड़की- घर नहीं जा पा रही शिकायत तो दूर की बात है और फिर घरवाले तो मुझे ही उल्टा समझेंगे .

सड़क पर चलते हुए मुझे एक दूकान दिखी लेडिज कपड़ो की मैंने उसका ताला तोडा और शटर खोल दिया.

“देख ले अपने लिए कुछ ” कहा तो वो झिझकते हुए अन्दर पहुची और जल्दी ही एक सूट पहन आई. बारिश की वजह से कोई टैक्सी-ऑटो भी नहीं मिल रहा था और रात थी की ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

“मेरा घर थोड़ी ही दूर है अगर तुझे दिक्कत ना हो तो तू वहां रुक जा सुबह ऑटो मिलेंगे ही ” मैंने झिझकते हुए कहा

उसने हाँ में सर हिलाया और हम लोग मेरे घर आ गए. ताला खोल कर हम अन्दर आये. कहने को तो घर था पर ये चारदीवारिया थी और मैं था. मैंने उसे सोने को कहा और एक जाम बना कर बाहर सीढियों पर बैठ गया. टपकती बूंदों को देखते हुए एक पल को मैं कहीं खो सा गया था की किसी ने मुझे झकझोर दिया. देखा तो पाया की सुबह हो चुकी थी , वो लड़की हाथ में चाय का कप लिए खड़ी थी .

“चाय ” उसने मुझे कप दिया . रात की बात समझ आई तो अन्दर आया , उसने घर की सलीके से सजा दिया था हर सामान कायदे से रखा था .

“सोचा आप जब तक उठेंगे तब तक मैं सफाई ही कर लेती हु ” उसने कहा

मैं- अब तक तुम्हे चली जाना चाहिए था .

लड़की- बिन बताये चली जाती तो फिर नजरे ना उठा पाती जिस सख्स ने कल मेरी लाज बचाई उसका नाम तो जानने का हक़ है मेरा.

मैं- अब तो मुझे भी याद नहीं की क्या नाम है मेरा. इस बस्ती में बुजुर्ग बेटा कह देते है बच्चे चाचा कह देते है तुम्हे जो ठीक लगे तुम भी पुकार लेना

“मैं तो भाई ही कहूँगी ” उसने कहा

मैं मुस्कुरा दिया. बेशक वो चली गयी थी पर दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी . बहुत दिनों बाद खुद को आईने में देखा बढ़ी हुई दाढ़ी बिखरे हुए सर के बाल. पता नहीं क्यों पर अब लगने लगा था की इस शहर की आबोहवा ही साली चुतिया थी . सोचा तो था की इस शहर में जी लूँगा पर यहाँ आकर भी चैन नहीं मिला. काम पर जाते समय मेरी नजर कालेज ग्राउंड के गेट पर पड़ी, नीली ड्रेस में बैठा चोकीदार बीडी पी रहा था .. मैं उसके पास गया.

“तू इधर का चोकीदार है क्या ” मैंने पुछा

“तेरे को और क्या लगता मैं ” उसने दांत दिखाते हुए कहा . और अगले ही पल थप्पड़ उसके झुर्रियो भरे गाल को लाल कर गया.

“बहन के लंड फिर रात को कहाँ तेरी माँ चुदवा रहा था .” मैंने एक थप्पड़ और मारा उसको. दो मिनट तो उसको समझ ही नहीं आया उसको कुछ और फिर वो रो पड़ा.

“मैं मजबूर था साहब , जोनी बाबा की बात नहीं मानता तो मेरी नौकरी जाती, नौकरी क्या जान भी जाती पुरे शहर में कोई भी नहीं बात टालता उसकी ” चोकीदार ने मरी हुई आवाज में कहा.

चोकीदार की बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, आखिर कौन था ये जोनी और कल वो कह भी रहा था की उसका बाप बहुत बड़ी चीज है.

मैं- इसका मतलब वो जोनी पहले भी बहुत बार लड़की/औरतो को इधर ही लाके उनके साथ गलत काम कर चूका है.

चोकीदार- कालेज जोनी के बाप का ही है, जो चाहे करे कौन रोकेगा. लडकिया तो लडकिया मैडम लोगो तक के साथ मनमानी करते रहता है वो . पर साहब आप क्यों पूछ रहे हो ये सब , पुलिस वाले तो ....... नहीं पुलिस वाले तो सलाम ठोकते उन लोगो को आप कौन हो साहब.

चोकीदार की बात ने मुझे गहरी सोच में डाल दिया था . इसका मतलब ये था की जोनी इसी ग्राउंड में बहुत बार रेप जैसी वारदातों को अंजाम दे चुका था .

“जान जायेगा, तू जान जायेगा .पर एक बात बता तेरी लड़की भी तो स्टूडेंट होगी ना अगर कोई उसके साथ रेप करने की कोशिश करेगा तब भी तू क्या देखता ही रहेगा ” मैंने सवाल किया पर उसने नज़र झुका ली कहने को था ही क्या . आदमी साला मुर्दा तब होता है जब वो मर जाए पर ये तो साला जिन्दा मुर्दों का सहर था . वहां से चल तो पड़ा था पर सोच में बस जोनी ही बसा था, कल रात जो घटना हुई थी , वो नहीं होनी चाहिए थी . न जोनी के लिए न उस लड़की के लिए.



खैर, मैं अपने धंधे बढ़ गया , दूकान पहुंचा तो पाया की सेठ ऐसे बैठा था की जैसे कोई मौत हो गयी हो. इतना परेशान मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था .

“सेठ जी , क्या बात है कुछ परेशां से दिखते हो ” मैंने पूछ ही लिया.

सेठ- बेटा, क्या बताऊ.अजीब सी स्तिथि आन पड़ी है तुझे तो मालूम है ही की कुछ दिनों बाद चुनाव होने वाले है .

मैं- अपना क्या लेना देना वोटो से

सेठ-चुनाव की तो ख़ास चिंता नहीं है पार्टियों के फंड में पैसे देने है पर मेरी असल चिंता का कारण कुछ और है

मैं- भरोसा करते हो तो बता सकते हो सेठ जी

सेठ- पिछले कुछ दिनों से मैं परेशानी में हु, कुछ लोग मुझसे हफ्ते के नाम पर वसूली कर रहे है. धंधा करना है तो ये सब झेलना ही होता है पर अचानक से वो लोग ५ करोड़ रूपये की मांग करने लगे है. कहते है की जहाँगीर लाला के आदमी है.

मैं- जहाँगीर लाला ये कौन हुआ भला.

सेठ – तू उसे नहीं जानता, शहर का बाप है . सरकार उसके इशारे पर बनती और गिरती है. कल उसके गुर्गे का फ़ोन आया था की या तो पांच करोड़ और दो वर्ना वो सेठानी को ले जायेगा

सेठ जैसे रोने को ही था. और मैं हैरान की पांच साल बीतने के बाद भी मैंने शहर में ये नाम क्यों नहीं सुना था .

मैं- आज पांच करोड़ दोगे कल दस मांगेगा फिर बीस

सेठ- दो करोड़ तो मैं पहले ही दे चूका हूँ

मैं- ये तो गलत है पुलिस की मदद लेनी चाहिए

सेठ- dsp के पास गया था , उसने जो बात कही मेरे तो घुटने जवाब दे गए.

मैं- ऐसा क्या कह दिया .

सेठ- उसकी लुगाई एक हफ्ते से जहाँगीर लाला के बेटे के पास गिरवी पड़ी थी . ..................... सेठ की दूकान नहीं होती तो मैं थूक देता हिकारत से . बहनचोद क्या ही नंगा नाच हो रहा था इस शहर में .

मैं- सेठ जी , पैसे दे दो

सेठ- हो तो दू, तुझे तो मालूम ही है बेटी भाग गयी थी उसकी शादी जैसे तैसे करवाई . नाम का ही सेठ रह गया हूँ ये कुरता नया है अन्दर बनियान फटी पड़ी है. करू तो क्या करू

मैं- सेठानी को कुछ समय के लिए गाँव भेज दो . क्या मालूम इलेक्शन के बाद सरकार बदल जाये तो इन गुंडों पर लगाम लगे .

सेठ- बात तो सही कही है तूने , विचार करता हूँ.


हम बात कर ही रहे थे की अचानक से गुंडों की जिप्सिया एक के बाद एक बाजार में आती चली गयी और बाजार बंद करवाने लगी. जल्दी ही बाजार में खबर फ़ैल गयी की जहाँगीर लाला के पोते जोनी को कल किसी ने बुरी तरह से मारा और उसका हाथ उखाड़ दिया. ना जाने क्यों मेरे चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी. ..................
To shehar ka so called baap hai jahangir lala. Aur shayad ab usse takrane ka samay aa gaya hai. Solid story hai bhai
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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To matlab kabeer ko bhabhi bachana chahti thi, to marna kon chahta tha fir?? Bhaai? :?:
#35

“मैं एक हारा हुआ आदमी हूँ बलबीर जी मैं क्या ही किसी की मदद कर पाउँगा वो भी इस हालत में जब मैं खुद अपनी जिन्दगी को तलाश कर रहा हु ” मैंने दरोगा से कहा

दरोगा- मैं भी जिन्दगी के लिए ही तुमसे बात करने आया हु

मैं- तो फिर पहेलियाँ न बुझाओ, साफ़ साफ कहो

दरोगा- कबीर मैं शादी करना चाहता हु

मैं- ये तो बहुत अच्छी बात है , हमारा ना सही किसी का घर तो बस रहा है

दरोगा – तुम्हारी मदद के बिना नहीं बस पायेगा

मैं – ऐसा क्यों भला

दरोगा- कबीर, मैं मंजू से शादी करना चाहता हूँ, पहली मुलाकात से ही मैं उसको पसंद करने लगा हु. तुम्हे बहुत मानती है वो अगर तुम कहोगे तो मेरी शादी हो जाएगी.

दरोगा ने ऐसी बात कह दी थी ,खैर, गलत तो उसमे कुछ भी नहीं था, मैं खुद ये चाहता था की मंजू की गृहस्थी बस जाये.

“पसंद और प्रेम में बहुत अंतर होता है ” मैंने कहा

दरोगा- पुरुषो को कहाँ आया है अपने मन की बात कहना

मैं- फिर भी तुम्हे ये बात मंजू से ही कहनी चाहिए

दरोगा- तुम्हे तो इतनी मुश्किल से कह पाया हूँ, ऐसा नहीं है की मैंने कोशिश की नहीं, पर जैसे ही वो सामने आते है नर्वस सा हो जाता हु मैं

मैं- फिर भी मेरा ये ही मानना है की तुम उस से इजहार करो ये बेहद जरुरी है जितना मुझसे होगा मैं भी बात करूँगा उस से, दूसरी बात ये की अगर मंजू तलाकशुदा है . और फिर भी अगर तुम्हे ठीक लगे तो एक बार उसके परिवार से भी बात कर लेना.

दरोगा- कोशिश करूँगा.

मैं- खुश रखना उसे

मैंने कहा और वहां से चल दिया. चलो किसी को तो उसके हिस्से की ख़ुशी मिल सकती थी होते है कुछ लोग हम जैसे जिनकी चाहत तो बहुत होती है पर पास कुछ नहीं होता. मैं उलझा था अपनी उलझनों में .हौले से मैंने दरवाजे की कुण्डी खोली. सब कुछ पराया सा लग रहा था . अकेले होने का कभी कभी फायदा होता है कोई आपको परेशान नहीं करता. मैंने अलमारी खोली, ब्लाउज, साडिया, लहंगे पर मेरी दिलचस्पी जिस चीज में थी उसे देखने को मैं हद से ज्यादा बेताब था. रंग बिरंगी सिल्क की कच्छिया मेरे हाथो में थी, पर ये कोई सबूत नहीं था गाँव में न जाने कितनी ही औरते हो जो ऐसी कच्छी पहनती हो.पर मन के शक को दूर करना तो जरुरी था, और इसके लिए मुझे बहुत प्रयास करना था .

मैं जब खेतो पर पहुंचा तो मुझे थोडा अटपटा सा लगा. टीनो के निचे सफाई की गयी थी , हीरो के कोई टुकड़े अब नहीं थे, सब कुछ एक दम साफ़ लग रहा था .मुझे कुछ लेनादेना नही था तो मैं वहां से होते हुए जंगल की तरफ बढ़ गया पर जा नहीं पाया. खेतो में कुछ गड्ढे किये गए थे मिटटी का ढेर पड़ा था , ऐसा लगता था की जमीन को खोद कर कुछ निकाला गया हो वहां से.

“क्या चुतियापा है ये, बरसो तक किसी को इस जमीन की परवाह नहीं थी और अचानक से कोई खोद गया इसको . कुछ तो झोल जरुर है ले जाने वाला क्या ले गया ” मैंने अपने आप से कहा और सोच में डूब गया. जब तक मैं नहीं था सब कुछ शांत था , जैसे ही मैं लौटा ये तमाशे शुरू हो गए. धरती से कुछ तो निकाला गया था पर किसी ऐसे साधन के निशान भी नहीं थे जो बता सके की जाने वाला किधर , किस दिशा में गया है . मेरे लिए इन तमाम गुत्थियो को सुलझाना बेहद जरुरी हो गया था.

बाड को पार करके एक बार फिर मैं जंगल में घुस गया था, खान की तरफ जाते हुए जब मैं तालाब के पास से गुजर रहा था तो मैंने वहां पर भाभी को बैठे पाया. हमने एक दुसरे को देखा .

“यहाँ क्या कर रहे हो तुम ” भाभी ने मेरे कहने से पहले ही सवाल कर लिया.

मैं- यही बात मैं तुमसे भी पूछ सकता हूँ

भाभी- बदतमीज बहुत हो गए हो तुम आजकल

मैं- तुम भी तो कातिल हो गयी मैंने कुछ कहा क्या

भाभी- कह लेते तो बेहतर होता .

मैं- क्या ही कहना , सब कुछ तो छीन लिया तुमने

भाभी- अपना हक़ कोई नहीं छोड़ता , शायद मैं तुमसे काबिल थी इसलिए पिताजी ने सब कुछ मेरे नाम कर दिया.

मैं- पर तुमने काबिलियत निभाई तो नहीं, हवेली को कभी नहीं छोडती अगर तुम वारिस होने का मतलब समझती तो.

भाभी- हवेली तुम्हारे कुकर्मो की गवाह है, तुम्हारे किये पाप इतने ज्यादा हो गए थे की वहां रहना मुमकिन नहीं था .

“मेरे पाप, क्या तुम भूल गयी अगर वो पाप थे तो तुम बराबर की हक़दार थी उन तमाम पापो की ” मैंने कहा

भाभी- काश मैं भूल जाती ,पर अपने हिस्से की सजा तो भोगनी ही है मुझे.

मैं- भाई कैसा है

भाभी- मुझसे बात नहीं करता , साथ होकर भी हम अनजबियो जैसे जीते है.बहुत बार कहता है की मैं छोड़ दू उसे

मैं- छोड़ दो फिर

भाभी- उसे छोड़ दिया तो फिर क्या ही जीना हुआ. उसका हक़ मारा मैंने , प्रायश्चित तो कर सकती हु, वो माफ़ करे ना करे .

मैं-कितना सुख था जिदंगी में

भाभी- तुम्हारी हवस खा गयी उस सुख को

मैं- मेरी हवस , वाह जी वाह बेगैरत बहुत देखी तुमसी नहीं देखी.

“जो भी हुआ था वो भूल थी कबीर ”भाभी ने कहा

मैं- भूल थी तो रुक जाती, क्यों दोहराई तुमने उस भूल को बार बार.

भाभी- तूने हमेशा गलत लोगो को चुना

मैं- ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है भाभी, तुम रोक सकती थी न उस भूल को

भाभी- नहीं रोक पाई. कहाँ पता था नादानी सब तबाह कर देगी.

मैं- तो फिर मुझे दोष क्यों . अपनी तसल्ली के लिए दुसरो को दोष देना ख्याल अच्छा है पर सच तो हम दोनों ही जानते है न

भाभी- काश तू सच जानता

मैं- तो तुम बता दो क्या है सच , वो कौन सा सच था जिसकी वजह से तुमने अपने देवर को मारना चाहा

भाभी- मैं तुझे बचाना चाहती थी पगले,तूने सिर्फ मुझे देखा , तुझे वो देखा जो सामने था तू वो नहीं देख पाया जो छुपा था . मेरी पिस्तौल से गोली चली ही नहीं थी कबीर. ..........
 

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#४

बिना परवाह किये की निचे से नंगा हु मैंने बचे हुए जाम को उठाया और मुंडेर पर खड़ा होकर बारिश को देखने लगा.

“याद आती है न तुम्हे उसकी ” रत्ना ने मेरे पास आकर कहा

मैं- मुझे किसी की याद नहीं आती

रत्ना- मुझसे तो झूठ बोल सकता है पर अपने आप से नहीं , कितनी ही रातो को रोते हुए देखा है तुझे, चीखता तू है बेबसी मैं महसूस करती हु. सयाने कह गए की कहने से दिल का बोझ हल्का हो जाता है

मैं- ऐसा कुछ भी नहीं है रत्ना

रत्ना थोड़ी देर बाद निचे चली गयी मैं रह गया , बस मैं रह गया मन तो साला दूर कही खेतो में घूम रहा था . रात को फिर से रत्ना मेरे साथ थी, कहने को मकानमालिकिन थी पर उसने इस शहर में बहुत मदद की थी मेरी, बदले में कभी कुछ नहीं माँगा .अगले दिन मैं कालेज के पास से गुजर रहा था की ग्राउंड के पास भीड़ देख कर रुक गया. बीस तीस गाडिया तो होंगी ही जिन्होंने रास्ता रोक रखा था उत्सुकतावश मैं भी ग्राउंड में पहुँच गया.वहां पर मैंने पहली बार जहाँगीर लाला को देखा. गंजा सर , पचपन-साठ की उम्र चेहरे पर घहरी दाढ़ी बेहद ही महंगे कपडे पहने वो बीचोबीच खड़ा था और उसके साथ जोनी बाबा का वो ही दोस्त था जिसे मैंने जाने दिया था .

मुझे उम्मीद थी की ये सब होगा पर इतनी जल्दी ये नहीं . खास परवाह तो नहीं थी मुझे पर मैंने महसूस किया की वो लड़की इसी कालेज की है जोनी के दोस्त ने उसे पहचान लिया तो बात बहुत बढ़ जाएगी.

“जिसने भी जोनी पर हाथ उठाया उसका अंजाम पूरा शहर देखेगा ”जहाँगीर लाला के शब्द बहुत देर तक मेरे जेहन में थे. खैर, मैं कालेज के अन्दर गया और उसी लड़की को तलाशने लगा. पर वो नहीं मिली. शायद नहीं आई होगी कालेज में . सेठ ने मुझे घर पर बुलाया था वहां पहुंचा तो पहले से कुछ मावली लोग मोजूद थे .सेठ मुझे अन्दर ले गया .

सेठ- बेटे बड़ी मुसीबत में फंस गया हु . करार एक हफ्ते का हुआ था और ये लोग आज ही आ गए .

“मैं देखता हु बात करके ” मैंने कहा और बैठक में आ गया.

“किस चीज के पैसे मांगने आये हो तुम लोग ” मैंने कहा

“तू कौन बे शाने , ” उनमे से एक ने पान की पीक कालीन पर थूकते हुए कहा

मैं- पैसे नहीं मिलेंगे

“क्या बोला रे , जानता है न किसको मना कर रहा है ” उसने फिर से पीक थूकी

मैंने उसके कान पर एक थप्पड़ दे मारा और बोला- अब ठीक से सुनेगा तुझे . पैसे नहीं मिलेंगे .

“तेरी तो साले ” अगले ही पल मारपीट शरू हो गयी . मैंने दो लोगो को घसीट कर सीढियों से निचे की तरफ फेंका और पान वाले को बेल्ट से मारते हुए गली में ले आया.

“बहनचोद तेरा बाप छोड़ के गया था पैसे जो मन में आये तब आ जाते हो मांगने. ” जब तक बेल्ट टूट नहीं गयी तब तक मैंने रेल बनाई उन लोगो को

“तू गया साले , महंगा पड़ेगा तू रुक इधर ही ” जाते जाते वो धमकी देता गया .

सेठ की शकल मरे हुए चूहे जैसी हो गयी थी , आनन फानन में सेठ अपने परिवार को लेकर भाग गया. मैने सोचा बहनचोद इन चुतियो का क्या ही भला करना. शहर में किसी ने इतनी जुर्रत नहीं की थी की ऐसे लाला के आदमियों को कुत्ते की तरह सड़क पर पीटा गया हो. दूसरा लाला के पोते का हाथ उखाड़ दिया गया था . पता नहीं किस खुमार में मैं उस दुश्मनी की तरफ बढ़ रहा था जिसका अंजाम क्या ही हो.

घर आकर नलके पर हाथ मुह धो ही रहा था की रत्ना आ गयी . अस्त व्यस्त कपड़ो को देख कर बोली- क्या करके आया तू

मैं- जहाँगीर लाला के आदमियों को पीट कर

रत्ना के चेहरे की रौनक तुरंत ही गायब हो गयी,मुर्दानगी ही तो छा गयी. वो तुरंत अन्दर गयी और एक बैग और कुछ पैसे लेकर आई-“तू निकल, अभी के अभी शहर छोड़ दे ये , बाबा रे बाबा क्या करके आया है तू ये ”

मैं- वो जो मेरे से पहले किसी को तो कर ही देना चाहिए था

रत्ना- येडा है तू ये तो जानती थी पर इतना होगा आज जान लिया. मरने से बचना है तो चला जा यहाँ से कही दूर.

मैं-गलत को गलत कहना गलत तो नहीं

रत्ना- ये बाते फ़िल्मी रे, तू कोई हीरो नहीं न जिन्दगी फिलम . क्या जाने क्या होगा रे. पुलिस तक लाला के पैर छूती

मैं- तू मत घबरा

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ा और अन्दर ले आई

“ये देख मेरा मर्द , कभी तुझे बताया नहीं कैसे मरा ये . पुलिस में था ये . इसको भी तेरे जैसे समाज का भला करने का कीड़ा था . एक दिन मारा गया . सबको मालूम किसने मारा पर कुछ हुआ नहीं . ये मुर्दों का शाहर है , यहाँ ये सब ऐसे ही जीते है . तू मत कर रे किसी का भला मत कर ” रत्ना भावुक हो गयी. मैंने रत्ना को उस रात की पूरी बात बताई की क्या हुआ था .

“मैं फिर भी यही कहूँगी की तू वापिस लौट जा लड़ाई में कोई गारंटी नहीं की जीत अपनी ही हो खासकर जब दुश्मन भी ऐसा चुना तूने. ” रत्ना बोली और मेरे पास उसकी बात का जवाब नहीं था .

“तेरे पास जवाब क्यों नहीं मेरी बात का ”

“तू ही बता क्या करूँ मैं नहीं है मुझमे इतनी हिम्मत की ये सब झेल सकू ”


अतीत की बाते एक बार फिर से मेरे मन में आने लगी . यादो को झटक पाता उस से पहले ही घर के बाहर एक जीप आकर रुकी .......................
Panga to pehlay hi le rakha thaa ab is baar aag me ghee daal diya lo aa gaye re mamu log. Ek ghundey ke bhadwe ban ke.
 
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#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........
Yah kaisa ateet samne aa kar khada ho gaya hai. Bohat hi dhakad story line rakho hai maza hi aa gaya bhool gaya thaa aapki lekhni ko magar aapne sab yaad dila diya in 6 updates me
 
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Ajju Landwalia

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#38

हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.

हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .

गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.

“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.

दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.

मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.

“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा

“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.

“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.

“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा

दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.

“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा

दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ

औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है

दरोगा- क्या सच में

औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .

दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.

आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.

“कैसा है भाई ” बोला वो.

जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .

“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.

“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने

मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा

भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे

मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.

भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .

मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं

भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु

पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.

“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा

मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद

ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .

ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.

“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली

मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये

मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी


. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................

Bahut hi umda update he HalfbludPrince Fauji Bhai,

Kabir ke sath kaun sajish kar raha he, aur kaun sath he.........

Abhi kuch nahi keh sakte.........

Chhote Bhai Bahan ke certificates sab pade huye sad rahe he haveli me........

Agar vo videsh me he to in documents ki jarurat unko jarur hogi..........

Sab Golmaal lag raha he Bhai

Keep posting
 
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#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........
Yah kaisa ateet samne aa kar khada ho gaya hai. Bohat hi dhakad story line rakho hai maza hi aa gaya bhool gaya thaa aapki lekhni ko magar aapne sab yaad dila diya in 6 updates me
 
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#12



“ज्यादा जल्दी है तो ऊपर से ले जा ना ” मैंने कहा और आगे बढ़ गया. नशे में मालूम ही नही था की मैं रोड के बीच में चल रहा हूँ, गाडी ने दुबारा से हॉर्न दिया.

“बहुँत दिनों बाद यादे आई थी तुमको भी बर्दाश्त नहीं है तो जाओ यार ” कहते हुए मैं पलटा ही था की दो बाते एक साथ हो गयी. एक बरसात और दूजा सनम का दीदार. गाड़ी में वो शक्श था जो कभी अपना हुआ करता था . धीमे से गाड़ी से बाहर आई वो . भीगा मौसम , भीगी धड़कन , और भीगी ये मुलाकात . कभी सोचा नहीं था की हालातो के आगे इतना मजबूर हो जायेगे, मेरा जहाँ मेरे सामने खड़ा था और हिम्मत नहीं हो रही थी उसे सीने से लगाने की.

“कबीर ” बहुत मुश्किल से बोल पायी वो . हाथ से बोतल छुट कर गिर गयी.

“मेरी सरकार ” बस इतना ही कह सका मैं क्योंकि अगले ही छाती से आ लगी थी वो . डूबती रात मे बरसते मेह में अपनी जान को आगोश में लिए बहुत देर तक रोता रहा मैं न बोली कुछ वो ना मैंने कुछ कहा. बस दिल था जो दिल से बात कर गया.

“तू मेरा कबीर नहीं है, तू वो कबीर नहीं है जिसकी बनी थी मैं ” अचानक से उसने मुझे धक्का दे दिया.

मैं- पहले जैसा तो अब कुछ भी नहीं रहा न सरकार.

निशा- तू बोल रहा है या ये नशा बोल रहा है , अरे अपनी नहीं तो अपनों का सोचा होता ,वो कबीर जो सबके लिए था वो कबीर जो सबका था वो नशे में कैसे डूब गया . किस बात का गम है तुझे जो शराब को साथी बना लिया.

“वो पूछ ले हमसे की किस बात का गम है , तो फिर किस बात का गम है अगर वो पूछ ले हमसे ” मैंने कहा.

निशा- गम, दुनिया के मेले में झमेले बहुत, तू एक अकेला तो नहीं नजर उठा कर तो देख जग में अकेले बहुत है.

मैं- सही कहाँ तुमने मेरी जान, मैं अकेला था नहीं अकेला हो गया हूँ

निशा- मेरे इश्क में शर्ते तो नहीं थी , सुख की कामना तेरे साथ की थी तो वनवास तू अकेला भोगेगा कैसे सोच लिया. कितने बरस बीत गए. कोई हिचकी नहीं आई जो अहसास करा सके की कोई है जिसके साथ जीने का सपना देखा था मैंने , खुदगर्जी की बात करता है. अकेले तूने ही विष नहीं पिया कबीर .

बारिश थोड़ी तेज हो गयी थी .

“मुझे याद नहीं आई तेरी, मुझे. मेरी प्रतीक्षा इतनी की सदिया तेरा इंतज़ार कर सकू, मेरी व्याकुलता इतनी की एक पल तेरे बिना न जी सकू ” मैंने कहा .

“”



“चल मेरे साथ अभी दिमाग ख़राब है कुछ कर बैठूंगी , दिल तो करता है की बहुत मारू तुझे ” उसने बस इतना कहा और फिर गाड़ी सीधा मंजू के घर जाकर रुकी.

“आँखे तरस गयी थी तुम्हे साथ देखने को . ” मंजू ने हमें देखते हुए कहा .

निशा- भूख लगी है बहुत, थकी हुई हु. इसे बाद में देखूंगी.

निशा ने अपना बैग लिया और अन्दर चली गयी. .

मंजू- क्या कहा तूने उसे

मैं- कुछ नहीं.

हम तीनो ने खाना खाया .

मंजू- मैं दुसरे कमरे में हु तुम यही रहो.

निशा- जरुरत नहीं है. मैं बस सोना चाहती हु. अगर जागी तो कोई शिकार हो जायेगा मेरे गुस्से का.

मंजू मुस्कुरा दी. वैसे भी रात थोड़ी ही बची थी . सुबह जागा तो निशा मुझे ही देख रही थी.

“नशा उतर गया ” थोड़ी तेज आवाज में बोली वो.

मैं कुछ नहीं बोला.

निशा- बोलता क्यों नहीं

मैं- कुछ भी नहीं मेरे पास कहने को तेरा दीदार हुआ अब कोई और चाहत नहीं

निशा- फ़िल्मी बाते मत कर कुत्ते, ऐसी मार मारूंगी की सारा जूनून मूत बन के बह जायेगा

मैं- एक बार सीने से लगा ले सरकार, बहुत थका हूँ दो घडी तेरी गोद में सर रखने दे मुझे . मेरे हिस्से का थोडा सकून तो दे मुझे , ये नाराजगी सारी कागजी मेरी . इस चाँद से चेहरे को देखने दे मुझे

फिर उसने कुछ नहीं कहा मुझे , वो आँखे थी जो कह गयी निशा मेरी पीठ से अपनी पीठ जोड़ कर बैठ गयी.

“शहर में काण्ड नहीं करना था तुझे जोर बहुत लग गया तेरे फैलाये रायते को समेटने में ” बोली वो

मैं- छोटी सी बात थी हाँ और ना की बस बात बढ़ गयी.

निशा- इस दुनिया के कुछ नियम -कायदे है

मैं- तू जाने ये सब . कायदे देखता तो उस लड़की का नाश हो जाता ,इन खोखले कायदों को न कबीर ने माना है ना मानेगा

निशा- तेरी जिद कबीर, सब कुछ बर्बाद करके भी तू ये बात कहता है . इसी स्वाभाव इसी जिद के कारण देख तू क्या हो गया

मैं- जिद कहाँ है सरकार, जिद होती तो तेरी मांग सुनी ना होती , तेरे हाथो में मेरी चूडिया होती . मेरा आँगन मेरी खुशबु से महक उठता , मोहब्बत थी इसलिए तुझसे दूर हु मोहब्बत की इसलिए आज मैं ऐसा हु. सीने में जो आग लगी है ज़माने में लगाने के देर नहीं लगती

निशा- उस आग का धुआं अपनी मोहब्बत का ही तो उठता कबीर.बद्दुआ लेकर अगर घर बसा भी लेती तो सुख नहीं मिलता .

मैं- अपने हिस्से का सुख मिलेगा जरुर . वैसे ज़माने में खबर तो ये ही है की निशा ने भाग कर कबीर संग शादी कर ली

निशा- मालूम है ,पर फिर दिल इस ख्याल से बहला लिया की चलो ख्यालो में ही सही हम साथ तो है पर तू गायब क्यों था इतने दिन . कोशिश क्यों नहीं की तूने

मैंने निशा को तमाम बात बताई की उस रात क्या हुआ था .

निशा- आखिर क्या वजह हो सकती है

मैं- पता चल जायेगा वो जो भी है उसे ये मालूम हो ही गया होगा की मैं वापिस आ गया हूँ तो उम्मीद है की वो फिर कोशिश करेगा.

निशा- मुझे चाचा के घर जाना है, आज संगीत का प्रोग्राम है

मैं- मत जा , तुझे जी भर कर देखने दे

निशा- जाना पड़ेगा, घर का बेटा गायब हो जायेगा तो बहु को अपने फर्ज निभाने ही पड़ेंगे न. मैं हमेशा रहूंगी परिवार के लिए


मैंने निशा के माथे को चूमा की तभी मंजू आ गयी फिर वो दोनों चाचा के घर चली गयी . मैं हवेली चला गया एक बार फिर से पिताजी की यादो को तलाशने .................
Haye purana pyaar Mila kuch gile shikwe door huay to kuch naye sawal khade ho jayege. Ab kabir jaata hai chacha ke yaha shadi me to waha kia naya tandav karega ya chacha se kuch panga hoga uska.
 
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#19

“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा

मैं – मैंने किया क्या.

“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा

निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.

मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम

मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.

निशा- शांत हुआ न

मैंने हाँ में सर हिलाया.

निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.

मैं- समझता हु.

निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.

मंजू- कौन लाला.

निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.

मैं- मेरा कोई दोष नहीं

निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.

मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.

निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना

मंजू ने हाँ में सर हिलाया.

मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी

“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.

मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......

मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.

मैं- शक तो चाचा पर है मेरा

निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है

मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .

निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार

मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.

निशा- क्यों हुआ झगडा.

अब मैं क्या कहता निशा से ,

मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.

निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .

मैं- सही कहती हो

मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .

निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.

सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .

तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.

अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .

“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .

“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा

मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .

मैं- क्या हुआ .

मंजू- तू चल मेरे साथ ..


मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
Story pacheda hoti jaa rahi hai aisa kia hua vartmaan me ki Jo Aaj bhi kharab kar raha hai aur bhavishya bhi kharaab karega. Ek cheez to pakka apne baap ki kartoot ko apne sar ley lia thaa kabeer ne. To zoru wala masla to aa hi gaya thaa.
 
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#20

भीड़ जमा थी , चीखपुकार मची थी , भीड़ हटाते हुए मैं आगे गया और मैंने अपनी आँखे बंद कर ली. सामने चाचा की लाश पड़ी थी. बस यही नहीं देखना था. जैसे ही चाची की नजर मुझ पर पड़ी वो चिल्ला पड़ी ,”तूने , कबीर तूने मारा है मेरे पति को ” चाची ने मेरा गला पकड़ लिया.

मैंने उसे अपने से दूर किया.

“होश में रह कर बात कर चाची , तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर आरोप लगाने की ” मैंने गुस्से से कहा

चाची- तूने ही मेरी बेटी की शादी में तमाशा किया तू ही है वो जिसे हमारी खुशिया रास नहीं . गाँव वालो ये ही है कातिल इसी ने मेरा पति मारा है मुझे इंसाफ चाहिए.

मैं- खुशिया, बहन की लौड़ी . अपने करम देख . अरे भूल गयी तू वो मैं ही था जिसने तेरे पाप अपने सर लिए. मेरा मुह मत खुलवा , मैंने लिहाज छोड़ा न तो बहुत कुछ याद आ जायेगा मुझे भी और तुझे भी . तेरा पति अपने कर्मो की मौत मरा है . और गाँव वाले क्या करेंगे सारे गाँव को पता है तुम्हारी औकात . तेरे से जो हो वो तू कर ले , जहाँ जाना है जा , किसी भी थाने -तहसील में जा . मैंने मारा ही नहीं इस चूतिये को तो मुझे क्या परवाह .

गुस्से से मैंने थूका और वहां से चल दिया. पर आने वाले कठिन समय का अंदेशा मुझे हो गया था चाची ने जिस प्रकार आरोप लगाया था , गाँव वालो ने शादी में तमाशा देखा ही था तो सबके मन में शक का बीज उपज जाना ही था . मुझे जरा भी दुःख नहीं था चाचा के मरने का . हवेली आकर मैंने पानी पिया और गहरी सोच में डूब गया . परिवार का एक स्तम्भ और डूब गया था , तीन भाई तीनो अब दुनिया से रुखसत हो चुके थे .

शाम होते होते पुलिस आ पहुंची थी मैं जानता था की शिकायत तो देगी ही वो . दरोगा को मैंने अपनी तरफ से संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की पर चूँकि मर्डर का मामला था तो वो भी अहतियात बरत रहा था

“दरोगा , चाहे कितनी बार पूछ लो मेरा जवाब यही रहेगा की पूरी रात मैं हवेली में ही था . ”मैंने जोर देते हुए कहा

दरोगा- गाँव में बहुत लोगो ने बताया की तुम्हारी दुश्मनी थी तुम्हारे चाचा के साथ , उसकी बेटी की शादी में भी तुमने हंगामा किया

मैं- दुश्मनी , बरसो पहले परिवार ख़तम हो गया था दरोगा साहब . परिवार के इतिहास के बारे में गाँव वालो से आपने पूछताछ कर ही ली होगी ऐसा मुझे यकीं है .फिर भी आप अपनी तहकीकात कीजिये , यदि आपको मेरे खिलाफ कोई सबूत मिले तो गिरफ्तार कर लेना. लाश आपने देख ली ही होगी. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट भी आएगी

मेरी बातो से दरोगा के चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए.

दरोगा- तुम्हारी बाते जायज है पर फिर भी आरोप तुम पर ही है . कोई ऐसा सबूत दे सकते हो जो ये पुष्टि करे की तुम तमाम रात हवेली में ही थे.

“मैं हूँ गवाह की कबीर पूरी रात हवेली में ही था ” मंजू ने आते हुए कहा और मैंने माथा पीट लिया

“और आप कौन मोहतरमा ” दरोगा ने सवाल किया

मंजू- मैं मंजू, इसी गाँव की हूँ और आपका वो सबूत जो कहता है की कबीर पूरी रात हवेली में था क्योंकि उसके साथ मैं थी .

दरोगा की त्योरिया चढ़ गयी पर वो कुछ बोल नहीं पाया .क्योंकि ठीक तभी हवेली के दर पर एक गाडी आकर रुकी और उसमे से जो उतरा मैं कभी सोच भी नहीं सकता था की वो यहाँ आयेगा.

“ठाकुर साहब” दरोगा ने खड़े होते हुए हाथ जोड़ लिए

निशा के पिताजी हवेली आ पहुंचे थे .

“दरोगा, कबीर का सेठ की मौत में कोई हाथ नहीं है ऐसा हम आपको आश्वस्त करते है ” उन्होंने कहा

दरोगा- जी ठाकुर साहब पर इसकी चाची ने शिकायत इसके नाम की है तो पूछताछ करनी ही होगी.

“बेशक, तुम अपनी कार्यवाही करो , यदि जांच में ये दोषी निकले तो कानून अनुसार अपना कार्य करना पर गिरफ़्तारी नहीं होगी ” ठाकुर ने कहा

मैं हैरान था की मुझसे नफरत करने वाला ये इन्सान मेरे पक्ष में इतना मजबूती से खड़ा था .

दरोगा- जैसा आपका आदेश पर ये गाँव से बाहर नहीं जायेगा और जब भी जरुरत पड़ेगी तो इसे थाने आना हो गा.

ठाकुर- कोई दिक्कत नहीं.

दरोगा – मंजू जी , आपको लिखित में बयान देना होगा.

मंजू ने हाँ कहा और वो दोनों चले गये. रह गए हम दोनों और हमारे बीच का सन्नाटा. पर किसी न किसी को तो बर्फ पिघलाने की कोशिस करनी ही थी .

मैं- आपको इस मामले में नहीं पड़ना था .

ठाकुर- मुझे विश्वास है तुम पर

मैं- सुन कर अच्छा लगा.

ठाकुर- कैसी है वो

मैं- कौन

ठाकुर- हम दोनों बहुत अच्छी तरह से जानते है की मैं क्या कह रहा हूँ और तुम क्या सुन रहे हो .

मैं- - आपके आशीर्वाद के बिना कैसी हो सकती है वो . आज वो इतनी बड़ी हो गयी है की जमाना उसके सामने झुकता है और एक वो है की अपने बाप के मुह से बेटी सुनने को तरसती है .

“तो फिर क्यों गयी थी बाप को छोड़ कर ” ठाकुर ने कहा

मैं- कभी नहीं गयी वो आपको छोड़ कर.

ठाकुर- तुमने मुझसे मेरी आन छीन ली कबीर.

मैं- इस ज़माने की तरह आप भी उसी गुमान में हो. क्या माँ ने आपको बताया नहीं

ठाकुर- तो फिर भागे क्यों

मैं- कोई नहीं भागा, मेरी परिस्तिथिया अलग थी और निशा ने घर छोड़ा नौकरी के लिए. बस दोनों काम साथ हुए इसलिए सबको लगता है की हमने भाग कर शादी कर ली.

ठाकुर- सच कहते हो

मैं- हाथ थामा है निशा का , मान है वो मेरे मन का उसे बदनाम कैसे कर सकता हूँ, भाग कर ही शादी करनी होती तो कौन रोक सकता था हमें, ना तब ना आज पर उसकी भी जिद है की विदा होगी तो अपने आँगन से ही. बाप की इज्जत का ख्याल था उसे तभी वनवास का चुनाव किया उसने. हम आज भी साथ होकर अलग है ठाकुर साहब पर हमें उम्मीद है की एक दिन हमें हमारे हिस्से का सुख जरुर मिलेगा.

ठाकुर- मैं अपनी बेटी को देखना चाहता हु

मैं- आपकी बेटी है जब चाहे मिलिए एक पिता को बेटी से मिलने से कौन रोक सकता है .

ठाकुर- गाँव समाज में प्रेम का कोई महत्त्व नहीं

मैं- मेरे प्रेम पर तो थोड़ी देर पहले ही आपने स्वीक्रति प्रदान कर दी है

ठाकुर के चेहरे पर छिपी मुस्कुराहट को मैंने पहचान लिया.

“दरोगा बहुत इमानदार है , तह तक जायेगा मामले की वो ” बोले वो

मैं- अगर मैं गलत नहीं तो फिर मुझे भय नहीं


ठाकुर ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले- उसे ले आओ कबीर, उसे ले आओ..............
Chalo in sab me ek kaam badiya hua Nisha ka banvas khatam hone ko aaya.
 
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