एपिसोड 1
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शाम का वक़्त था, और मधु छत पे बैठी चाय की चुस्की ले रही थी, घर मे कोई नहीं था और इसी वजह से वो आज थोड़ा आराम फरमाने के मूड मे थी।
चाय की चुस्की लेते लेते मधु की नज़र बगल मे रहने वाली शर्मा आंटी पे जाती है, जो खुद मधु को देख आवाज़ लगाती हैँ...
"ऐ मधु कैसी है तू, आज कल कहाँ गायब रहती hai"
"अरे ऐसी कुछ बात नहीं आंटी"
"बिलकुल बात हैँ मधु, काम करते करते मर जाएगी बेवकूफ.....और आंटी मत बुलाओ मुझे"
शर्मा आंटी ये बोल हंसाने लगाती हैँ, और उन्हें देख मधु के मुँह पे भी मुस्कान आ जाता है.... और मधु आंटी के साथ गप्पे लड़ाने लगाती हैँ।
अंधेरा काफ़ी हो चला था जिसे देखते हुए शर्मा आंटी मधु को अलविदा कर खुद घर को चली जाती हैँ, और मधु चाय का कप उठा खुद घर को निकल जाती है।
मधु को फोन बज उठता है, और मधु को उसके पति रमेश का फ़ोन आया हुआ था, मधु झट से फोबे उठा लेती है...
"हेलो "
"हेलो मधु कैसी हो तूँ, सब अच्छे से हैँ ना "
"हाँ रमेश अब मुझे क्या होने वाला हैँ, हा हा हा, आप चिंता मत करो, वैसे भी कल शाम तक तो आप आ ही जाओगे"
"हाँ ये तो हैँ, क्या करूँ मधु चाचा जी के मरने के बाद दिल थोड़ा कमजोड़ सा हो गया है......कहीं बाबूजी...."
"रमेश अच्छा अच्छा बोलिये, कुछ नहीं हुआ हैँ, छोटी मोटी तो बीमारी तो उस उम्र मे आम बात hai"
"........ हा ये तो hai"
"रमेश आप ऐसा क्यों नहीं करते हैँ, माजी और बाबूजी को आप यही ले आईये वैसे भी सारे बच्चे तो कॉलेज चले गए हैँ, घर तो सुना सुना सा हो ही गया hai"
"अरे मधु तुम तो अच्छे से जानती हो, वो नहीं मानेंगे, चलो गुड नाईट, कल मैं फ़ोन करूँगा "
मधु का फ़ोन कट गया और वो अपने खाने के लिए सोचने लगाती है, उसे अपने अकेले के लिए खाना बनाने का जरा भज मन नहीं था, तो उसने अपने बड़े बेटे को व्हाट्सप्प पे उसके लिए डाल तड़का और रोटी आर्डर करने के लिए कह दिया, और जल्दी ही उसके बेटे से ओके का रिप्लाई कर दिया, ये देख मधु हॉल मे रखे टीवी को ऑन करती है, और खुद उठ मधु अपने लिए पानी फ्रिज से निकल वापस टीवी के आती है, सामने उसके पति का न्यूज़ चैनल था, पानी पीते हुए मधु कुछ पल न्यूज़ सुनती है, और फिर उसका मन उठ जाता है और मधु अपने पसंद का सीरियल लगा लेती है....
मधु टीवी देखते देखते नींद मे चली गयी, और सोफे पे परी हुई थी, कई दिनों के बाद वो इतना आराम से थी, इसलिए उसका शरीर बिलकुल मारा पड़ा था, और वो दुनिया से बेखबर थी, और इस बात से बेखबर की उसके घर पे एक काले छाया का नज़र था...
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रेहमत शैख़ एक अव्वल दर्ज़े का हरामी आदमी था, वो सडक छाप इंसान था, जिसका कोई सर पैर नहीं था, रेहमत एक कमज़ोर लड़का था और छोटे से ही लोग उसका मज़ाक उड़ाया करते थे, और वो हर किसी से पिट जाता था, इस वजह से रेहमत एक चमचा बन गया था, जो अपने से किसी भी ताकतवर इंसान के साथ चिपक जाए...
रेहमत इन्ही ख़राब संगत की वजह से बिलकुल बिगड़ गया था, उसके गरीब बाप से उसे सुधारने की काफ़ी कोसिस की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, और आखिरकार परेशान होकर उसने रेहमत को घर से धक्के मर ले निकल दिया, जब उसे पता चला की रेहमत से जुए मे एक दबंग गुंडे से 10 लाख रुपये हार गया है...
रेहमत आज कल रात को घरों मे चोरी करता था, और उसकी गंदी मधु के घर पे थी, करीब 12 बजे रेहमत अपने चेहरे पे काला कपड़ा बंधता है, और मधु के घर के तरफ चल देता है, रेहमत की ये पहली चोरी नहीं थी और वो मधु के घर के अंदर जाने की जगह तालाशाने लगता है, उसे लेकिन कोई जगह नहीं मिला तो उसने मैं गेट के चिठ्ठीकिली को झटके से तोड़ दिया जिस से एक तेज़ आवाज़ घर मे फ़ैल जाता है, और रेहमत घर मे घुसता है, उसे जानकारी मिली थी की इस घर का मालिक घर मे नहीं है, लेकिन घर मे घुसते ही उसके सामने एक डरी हुई एक औरत देख रही थी, जिसे देख रेहमत का गांड फट गया...
"कौन हो तूम"
रेहमत काफ़ी डरा हुआ था, और वो झट से पीछे हटाता है, और पीछे भाहने लगता है की उसका पैर ज़मीन पर गिरी हुई चिठ्ठीकिली के तुकारे रख जाता है, और दर्द से वो चीख पडता है, मधु अकेले नहीं थी, उसके हाँथ मे किचन की चाकू थी, जिसे मौका देख वो फेकाती है, और चाकू रेहमत के कंडे मे घुप जाता है....
"है अल्लाह"
रेहमत दर्द से चीख पडता है, और खून की धार देख मधु डर जाती है, लेकिन वो पीछे नहीं हटतीं है और आगे बढ़ रेहमत के सर पे पैर से मराठी है, और रेहमत उठाने की कोसिस कर नाकाम हो जाता है....
"चोर दो माफ़ कर दो "
रेहमत उस औरत के पैर पकड़ के गिड़गिड़ाने लगता है,
"तेरी हिंमात कैसे हुई कलमुहे"
मधु एक हाथ से रेहमत के बाल पकड़ लेती है, और दूसरे हाँथ से रेहमत को तप्पड़ रसीदने लगाती है... दर्द के मारे रेहमत के अंशु निकलने लगाते हैँ।
रेहमत को छोड़ मधु अपने फ़ोन को लेने जाती है, उसे पुलिस को फ़ोन जो करना था, लेकिन ये सायद मधु के ज़िन्दगी की सबसे बड़ी गलती होने वाली थी, इस मौके का फायदा उठा के रेहमत मधु के उपाध्यक्ष खुद पडता है, और अपने पॉकेट से मेडिसन निकल मधु के चेहरे पे डालाने लगता है, मधु की उसके चंगुल से निअक्लने की पूरी कोसिस कर रही थी लेकिन बेहोंशी की दवा तुरंत असर कर देता है, और इससे मधु वहीँ ज़मीन पे निढाल पड़ी हुई थी....
रेहनत का भी सर चककर आने लगा था, लेकिन उसने सांस ना लेकर अपने आप को बच्चा लिया था...
मधु को ज़मीन पे देख रेहमत गुस्से से आग बबूला हो गया, और वो मुठी बांध कर बेहोश मधु को बुरी तरह से मरने लगा, जिस से मधु के नाक और मुँह से खून निकल गया। लेकिन रेहमत का जानवर और गुस्सा ने उसे पागल कर दिया था, वो मधु के कपडे नोचाने लगा और मधु को बिलकुल नंगा कर दिया, और फिर मधु को उठा कर रेहमत उसी हालत मे अपने सस्ते रिक्शा पिक उप मे ले कर फेक देता है, जिसे उसने घर साफ करने के लिए लाया था, फिर रेहमत मधु को लेकर चल देता है, रेहमत के हाँथ मधु के दूध और उसके चुत के बाल पे बार बार जा रहे थे, रेहमत मधु को सीधे शहर से दूर नदी के पास एक फार्म हाउस पे ले जाता है, और फिर मधु को रेहमत उतर कर घसीट कर फार्म हाउस के एक नौकर के कमरे मे ले जाता है, और फिर मधु के हाथ पैर बांध देता है, और फिर हंफाने लगता है।
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मधु का सर बुरी तरह से दर्द कर रहा था और उसका शरीर बुरी तरह से सुझा हुआ था, और मधु जिसे सिर्फ एक डरावाना सपना समझ रही थी वो सच हो गया था, आंख खुलाने पे मधु को अहसास हुआ की उसका एक आंख खुल नहीं पा रहा था, और उसके शरीर के हर एक कोने से उसे दर्द महसूस हो रहा था लेकिन अपने आप को बंधा हुआ देख मधु का हाल बेहाल हो गया, लेकिन फिर मधु की नज़र ज़मीन पे एक सख्श पे पड़ी जिसे देख मधु जोड़ से चीखती जिसे सुन निचे वो पतला दुबाला हैवान् खड़ा होता है, उसका हाल भी कुछ कुछ मधु जैसा था, और उसका मैला सा शर्ट खून से आगे की और सना हुआ था...
"तुम कौन हो क्या चाहते हो मुझसे "
ये कहना ही था की मधु का आँख फट गया, उसे अहसास हुआ की को बिलकुल नंगी थी, और ये देख मधु के आंख मे अंशु आ गए और वो रोने लगी...
वहीँ सामने रेहमत खड़ा था, और वो जोड़ जोड़ से हंसाने लगा, जिसकी हंसी सुन मधु बिलकुल टूट गयी, और वो वापस मुँह दूसरे तरफ करने लगी लेकिन ये देकज रेहमत और हंसा और उसने मधु को पकड़ लिया, और एक और थप्पड़ उसके गाल पे मारा, लेकिन मधु ने हाथयार डाल दिए थे, वो अंदर से टूट चुकी थी, और उसकी आँखों मे पानी बहे जा रहा था...
रेहमत फिर मधु के दूध पकड़ जोड़ से मारता है, और फिर वो मधु के झांट के बाल उखाड़ता है, और मधु को दर्द इतनी खौफ़नाक उठता है की वो चटपटाने लगाती है, और रेहमत फिर हंसाने लगता है....
"ये तेरे इस चाकू के लिए था"
"मुझे जाने दो, प्लीज खुदा का खौफ करो, मुझे जाने दो"
"नहीं साली, तू मेरी इन्सटॉलमेंट है, ऐसे कैसे जाने दूँ तुझे "
मधु सर दूसरे तरफ कर लेती है, और वो कुछ सोचने लगाती है, उसे मालूम था की ये बहुत मज़बूत नहीं था, और अगर उसे मौका मिले तो वो आराम से भाग सकती है, वैसे भी अबतक पुलिस को खबर तो हो ही चुकी होंगी, ये सोचते हुए मधु वापस रेहमत की और देखती है लेकिन वो उसे अकेला छोड़ के निकल जाता है।
और मधु वापस नींद मे चली जाती है, और रेहमत अपने लीडर को फ़ोन लगता है, ताकि उसे वो मधु को सौंप सके...
रेहमत का लीडर इलाके का एक गुंडा था, और रेहमत की बात सुन वो सीधे फार्म हाउस को निकल जाता है, और रेहमत खुद दारु और बकरे का इंतज़ाम करने को निकल जाता है, वहीँ मधु कमरे मे सड़ रही थी, शाम को मधु की नींद उसके चेहरे पे पानी परने से चली जाती है, सामने उसके रेहमत खड़ा था हाले और उसके साथ दो और आदमी थी जिन्हे देख मधु डर गयी।
"क क कौन हो तुमलोग "
इस से पहले की मधु कुछ और बोलती वो आदमी मधु को पकड़ के ले जाते हैँ, और रेहमत को मधु को तैयार करने को बोल खुद बाहर चले जाते हैँ...
रेहमत मधु को पकड़ लेता है, अजर उसे फार्म हाउस के एक कमरे मे ले जाता है, और फिर मधु को पकड़ ले नेहलाता है, और मधु जो अब बिलकुल टूट चुकी थी कुछ नहीं बोलती है, रेहमत फिर उसे कमरे मे ले जा कर पोछाता है, और फिर मधु के नंगे शरीर पे एक दुपट्टा डाल देता है, और मधु को बगल के कमरे मे वैसे ही ले जाने लगता है।
वहीँ दूसरे और रमेश घर पहुंचता है, और घर की हाल देख वो तुरंत पुलिस को फ़ोन करता है, और उसे अहसास होता है की मधु क्यों उसका फ़ोन नहीं उठा रही थी, रमेश डर से काँम्पाने लगता है, खून के धब्बे देख उसका आत्मविश्वास ज़मीन पे जा गिरा...
रेहमत मधु को घसीट पे उस कमरे मे ले जाता है, वहां पे एक आदमी दारु पी रहा था, और उसके साथ 8-9 राइफलधारी बैठे हुए थे...
"अरे रेहमत भाईजान लगता है आप कोई बेग़म उठा लाये हैँ, बाज़ारू तो नहीं लगाती है "
"आपने सही फ़रमाया सर, ये आपके पसंद की होंगी, कल चोरी करने गया था तो हाँथ लगी"
मधु बिलकुल नीरस थी और वो इन बातों को सुन अंदर से और मर गयी, और दर्द की मुस्कान उसके चेहरे पे आ गया...
लेकिन मधु को अपने से ज्यादा रेहमत पे तरस आ रहा था, उसका तो ये ज़ालिम रेप कर रहे थे, लेकिन रेहमत तो एक नंबर का चुतिया था, लेकिन मधु की आंख फट के चार हो गयी जब रेहमत आगे बढ़ उनमे से लीडर का पजामा खुद खोल देता है, और दौड़ के मधु के पास आता है, और पकड़ के वो मधु को बूस्टर पे धकेल देता है...
"रेहमत साहब ज़रा जाँच तो करो मैडम की चुत गीली है भी की नहीं, सुखी बुड़ मुझे पसंद नहीं hai"
रेहमत मधु का पैर फैला अंगुली डाल देता है, और मधु का चुत रेगिस्तान की तरह सूखा देख, झट से रेहमत अपना मुँह मधु के चुत पे लगा देता है, और जोड़ जोड़ से चूसने लगता है, और साथ साथ चुत के दाने को मसालाने लगता हैँ, वहीँ लीडर एक मांस का तुकाराम मधु के मुँह पे लगता है, और मधु जो खुद शाकाहारी थी ज़िन्दगी मे पहली दफा मांस चबा चबा के खाने लगाती है, वहीँ रेहमत की कलाकारी उसे ना चाह कर हिला दिया था, और मधु की चुत रिसाने लगी, और मधु ना चाह कर भी अपने सरिए को मना नहीं कर पा रही थी, और वो रेहमत का सीर पकड़ लेती है, और अपने सूझे हुए दर्द के बावजूस चीख मराठी है....
"तेरा काम हो गागा रेहमत, चल उसे मेरे गोदी पे चढ़ा de"
लीडर अपना लुंड निकल सोफे पे बैठा हुआ था, और रेहनत झट से मधु को उठता है और मधु को लीडर के गॉड मे बिठा देता है...
मधु रेहमत की हरकत से चौंक गयी थी, कोई ऐसा कैसे हो सकता है, मधु के गांड को फिर रेहमत पकड़ के लीडर का लंड रेहमत खुद मधु की चुत पे टिका देता है, और फिर मधु के कमर और गांड को पकड़ ऊपर निचे करने लगता है...