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Urlover

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Update 53

सरदार... सरदार..

क्या हुआ ढोला.. सुबह सुबह क्यों आये हो? क्या बात है?

सरदार.. नदी का प्रवाह बढ़ने लगा है.. इस बार बारिश में नदी के आसपास की सारी जगह डूबने की सम्भावना है.. आस पास के काबिले अपना पड़ाव यहां से उठाकर कहीं और डालने की बात कर रहे है.. हमें भी कोई कदम उठाना होगा..

हाक़िम - ठीक है ढोला.. तुम आज काबिले का अगला पड़ाव डालने के लिए कोई और जगह देखो और रात को मुझे बताओ... कल हम यहां से अपना पड़ाव उठा लेंगे और नदी के बहाव क्षेत्र से दूर चले जाएंगे.. मंगरू को भी अपने साथ ले जाना..

ढोला - सरदार... कल पढ़ाव उठाना अशुभ होगा.. कल अमावस्या है.. और नदी का प्रवाह कभी भी असामान्य रूप से बढ़ सकता है..

हाक़िम चौंकते हुए - कल अमावस्या है?

ढोला - हाँ सरदार.. कल अमावस्या है.. और मैंने काबिले का अगला पड़ाव डालने के लिए जगह भी देख ली है जो यहां से 12 मिल दूर पूर्बमें है.. हमें आज ही यहां से अगले पढ़ाव के लिए निकलना होगा..

हाक़िम गहरी सोच में खो जाता है जिसे उस सोच से बाहर निकालते हुए ढोला आगे कहता है - क्या हुआ सरदार? किस स्वप्न में चले गए.. हमें आज ही अगले पढ़ाव के लिए निकलना होगा..

हाक़िम - ठीक है.. तुम मंगरू के साथ पुरे काबिले को कह दो कि हम अगले पढ़ाव के लिए सूरज चढ़ते ही निकलेंगे..

ढोला - ठीक है सरदार..

हाक़िम - ढोला..

ढोला - जी सरदार...

हाक़िम - मैं जागीरदार से मिलने जा रहा हूँ तुम मंगरू के साथ मिलकर पुरे काबिले को अगले पढ़ाव तक ले जाओ.. मगर ध्यान रहे.. अगले पढ़ाव पर पानी कि उचित व्यवस्था हो..

ढोला - मैं सब देख चूका हूँ सरदार.. वहा एक छोटा पानी का स्रोत है जो नदी से निकलता है और अविरल बहता है.. आप निश्चित होकर जागीरदार से मिल आइये मगर सरदार पौखा बता रहा था आज जागीरदार किसी पर हमले के लिए सेना लेकर निकल चूका है.. सरदार.. जागीरदार वीरेंद्र सिंह ने आस पास की सारी रियासत तो पहले ही जीत ली अब पता नहीं किसपर हमले के लिए सेना लेकर जा रहा है...

हाक़िम - ढोला क्या कह रहा है? ये कब हुआ?

ढोला - सरदार आप पिछले एक महीने से आपकी पत्नियों के साथ थे.. मंगरू ने आपको बताना भी चाहा मगर आपने उसे जाने को कह दिया.. मैंने भी इन गतिविधियों से आपको सचेत करने का प्रयास किया किन्तु ऐसा करने में नाकाम रहा..

हाक़िम - मतलब बैरागी...

ढोला - बैरागी की मृत्यु हो चुकी है सरदार.. अफवाह है की जागीरदार ने उसकी हत्या कर दी.. रानी सुजाता भी मारी गई..

हाक़िम सर पकड़ के बैठता हुआ - इसका मतलब.. अब मैं बैरागी से नहीं मिल पाऊंगा..

ढोला - सरदार ये आप क्या कर रहे है.. हमें अभीकुछ देर में निकलना होगा..

हाक़िम - वीरेंद्र सिंह.. उसके पास जदिबूती की सारी जानकारी होगी.. इससे पहले की जोगी उससे नर्क दिखाए.. मुझे अब उससे ही मिलकर मुझे वो जदिबूती हासिल करनी पड़ेगी..

ढोला - कोनसी जदिबूती.. और कौन जोगी सरदार..

हाक़िम - कुछ नहीं ढोला.. तुम पुरे काबिले को कह दो की पढ़ाव की जगह बदलने वाली है सब अपना सामान बाँध ले..

ढोला जाते हुए - जी सरदार..



मंगरू - आपने बुलाया सरदार..

हाक़िम - मंगरू मैं जागीरदार के पास जा रहा हूँ.. ढोला ने एक नई जगह देखी है जहाँ अगला पढ़ाव डाला जाएगा.. उर्मि के साथ माँ और मौसी सकुशल अगले पड़ाव तक पहुंच जाए ये तुम्हारा काम है..

मंगरू - जी सरदार.. मैं समझा गया.. मगर आपका जागीर जाना उचित नहीं होगा.. पौखा ने कहा है जागीरदार बदल गया है अब वो काबिले के सरदारो से नहीं मिलता..

हाक़िम - वो सब तू मुझपर छोड़ दे मंगरू.. तू बस वही कर जो मैं कहता हूँ..

मंगरू - जी सरदार..



हाक़िम काबिले से चल देता है और जागीरदार के महल के पास पहुंचते पहुंचते सूरज चढ़ आया था और महल के आस पास हाक़िम लोगों को भागता हुआ देखता है.. हर तरफ अफरा तफरी मची हुई थी.. ऐसा लगता था की लोग अपनी जान बचा के वहा से भाग रहे है..



हाक़िम जब तक महल के दरवाजे पर पंहुचा उसने देखा की वहा कोई नहीं था और हर तरफ उजाड़ और ताबही का मंजर था.. वीरेंद्र सिंह को उसने महल के हर कोने में और आस पास की हर जगह देखा मगर उसे कहीं नहीं पाया.. हाक़िम सोच रहा था की अब वो क्या करेगा? कैसे जड़ी बूटी हासिल करेगा?



हाक़िम वीरेंद्र सिंह को ढूंढ़ते हुए दुपहर की शाम कर चूका था मगर उसका कहीं पता नहीं था और अब हाक़िम यही सोच रहा था की वो वापस जाकर वीरेंद्र सिंह और बैरागी को क्या जवाब देगा?



हाक़िम अपने आप को इस सब का दोष देने लगा की वो भोग विलास में इतना डूब गया की उसे अपने लक्ष्य की याद ही नहीं रही..



हाक़िम काबिले के अगले पड़ाव की और चल दिया था की रास्ते में उसे जोगी की याद आई और वो सोचने लगा की जोगी को वीरेंद्र का पता होगा और वो वीरेंद्र सिंह को जरुर ढूंढ़कर उसे बता सकता है मगर अब जोगी उसे कहा मिलेगा? हाक़िम को उसी जगह की याद आई जागा जोगी की कुटीया थी.. हाक़िम तेज़ी से अपने कदम बढ़ाता हुआ जोगी की उस कुटिया के पास आ गया जहाँ उसने देखा की जोगी घोर विलाप के आंसू अपनी आँखों से बहा रहा है और वो जहाँ बैठा है वो मृदुला की क़ब्र थी..



हाक़िम - एक्सक्यूज़ मी अंकल...

जोगी अपनी रूआसी आँखों मी गुस्सा भरके हाक़िम की तरफ देखकर - कौन है तू और यहां क्या कर रहा है?

हाक़िम - अंकल मैं फ्यूचर.. मतलब भविष्य से आया हूँ और आपकी मदद चाहता हूँ..

जोगी - मैं तेरी कोई मदद नहीं कर सकता लड़के चला जा यहां नहीं तो मेरा क्रोध मुझे तेरे प्राण लेने पर विवश कर देगा.. चला जा अपने प्राण बचाके यहां से..

हाक़िम - देखो अंकल.. मैं चला जाऊँगा तो बहुत गलत हो जाएगा.. जिन लोगों ने मुझे यहां भेजा है उन्होंने कुछ काम देकर भेजा था मगर मैं वो काम नहीं कर पाया.. अगर वापस जाऊँगा तो मुझसे मेरा बड़ा लंड... मतलब मेरी शक्तियां छीन लेंगे और मुझे वापस दुख दर्द तकलीफ के साथ जीने को मजबूर कर देंगे.. आप प्लीज मेरी मदद करिये..

जोगी - लड़के तू मेरी बात मान और चला जा यहां से नहीं तो तेरे लिए ये घड़ी जीवन की अंतिम घड़ी हो जायेगी..

हाक़िम - मैं बिना आपसे मदद लिए नहीं जाऊँगा अंकल..

जोगी अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हुए - तू ऐसे नहीं मानेगी.. बता तुझे क्या चाहिए..

हाक़िम - अंकल.. वीरेंद्र सिंह का पता चाहिए..

जोगी क्रोध से - तू वीरेंद्र सिंह के साथ है? मैं तुझे जीवित नहीं छोडूंगा..

ये कहते हुए जोगी ने अपने सुला हाक़िम की तरफ फेंका मगर जोगी का सुला हाक़िम के ऊपर आकर बेअसर हो गया और जोगी हाक़िम को रहस्य की निगाहो से देखने लगा.. जोगी ने हाक़िम के गले में वही ताबिज़ देखा जो उसने बैरागी के गले में देखा था जब उसने बैरागी की क़ब्र के पास पड़ा हुआ देखा था.. और जोगी समझा चूका था की ये ताबिज़ वही है और इसके करण ही हाक़िम की रक्षा हुई है..

जोगी गुस्से में - तू वीरेंद्र सिंह को क्यों पूछ रहा है?

हाक़िम - जदिबूती के लिए..

जोगी - कोनसी जदिबूती?

हाक़िम - अरे वही जिसे खाकर वो अगले 800 सालों के लिए अमर हो गया.. मगर आपने उससे सारा भौतिक सुख छीनकर उसे धरती पर नर्क भोगने के लिए आजाद के दिया.. मैं उस जदिबूती के बारे में वीरेंद्र सिंह से पूछना चाहता हूँ जिससे मे वापस भविष्य में जा सकूँ.. और वापस भविष्य में जाकर वीरेंद्र सिंह को वही जड़ीबूटी खिला सकूँ जिससे वीरेंद्र सिंह मर कर मुक्त हो सके और बैरागी आगे आयाम पर जा सके..

जोगी - तू कैसे जानता है आज बैरागी को मैंने वीरेंद्र सिंह के सर पर बाँध दिया है..

हाक़िम आगे आते हुए - देखो अंकल... मैंने कहा मैं भविष्य से आया हूँ..

जोगी का शेर दहाड़ने लगता है..

हाक़िम - अंकल संभालो इस शेर को.. कहीं काट वात लेगा तो मैं जान और जहान दोनों से चला जाऊँगा..

जोगी - मैं तेरी मदद नहीं करूँगा लड़के.. तू जा यहां से वरना मैं तेरे गले से ये ताबिज़ निकालकर तेरी जान ले लूंगा..

हाक़िम पास आकर बैठते हुए - अंकल.. मैं जानता हूँ आपको दुख है तकलीफ है और मृदुला के जाने की बहुत पीड़ा है.. पर आपने वीरेंद्र सिंह के साथ बैरागी को भी सजा दे दी.. जो उन्होंने 300 सालों तक भोगा है.. अब और नहीं अंकल.. आप अपना गुस्सा शांत करके मेरी मदद करो अंकल...

जोगी - तू मुझसे झूठ कहता है.. तू भविष्य से कैसे आ सकता है.. भूतकाल और भविष्य पर किसका जोर चलता है..

हाक़िम - आज नहीं चलता मगर हो सकता है आगे चलकर चले.. देखो.. मैं झूठ नहीं बोल रहा है.. मेरा विश्वास करो... वीरेंद्र सिंह अब हर साधू सन्यासी और तांत्रिक के पास जाकर आपके बंधन को काटने की विद्या सीखेगा मगर उसे सफलता नहीं मिलेगी और आखिर में वो मुझे भविष्य से यहां अपने पिछले जन्म में भेजेगा..

जोगी हाक़िम के सर पर हाथ रखकर उसकी सारी यादे देखता है... और जब वापस आता है उसके मुंह से आवाज आती है - मृदुला..

जोगी - मृदुला??

हाक़िम - क्या हुआ? मृदुला... अंकल ओ अंकल.. प्लीज मुझे वीरेंद्रसिंह के पास वापस वो जदिबूती लेकर जाने में मेरी मदद करें..

जोगी - मुझे ले चल बेटा... अगले जन्म में मुझे ले चल..

हाक़िम - मुझे जड़ी बूटी लेकर जाना है अंकल... आपको लेजाकर क्या करूँगा...

जोगी - अगर तू मुझे नहीं ले जाएगा तो मैं तुझे यही समाप्त कर दूंगा.. मुझे मेरी मृदुला से मिलना है.. मैंने जाते हुए उससे वादा किया था..

हाक़िम - पर मृदुला तो आपको छोडके जा चुकी है.. आप कैसे उसे मिलोगे?

जोगी - मृदुला ने कुसुम बनकर जन्म लिया है.. और अगर तू मुझे अपने साथ लेकर नहीं गया और मुझे मेरी मृदुला से नहीं मिलवाया तो मैं तेरा काबिला समाप्त कर दूंगा...

हाक़िम - ठीक है ठीक है.. पर वीरेंद्र सिंह का क्या? बैरागी? वो कैसे मुक्त होंगे?

जोगी - तू मुझे उनके पास ले जा मैं उसका बंधन खुद ही काट दूंगा और वो मेरे बंधन से आजाद हो जाएंगे..

हाक़िम - पर मेरी शर्त है..

जोगी - क्या?

हाक़िम - मुझे ये पावर चाहिए जैसे आप सर पर हाथ रखकर सब देख लेते हो मुझे भी सीखना है..

जोगी - ये एक सिद्धि है बेटा.. अगर तू मुझे वापस ले गया तो मैं तुझे ये सिद्धि दे दूंगा..

हाक़िम - ठीक है.. कल सुबह मुझे जंगल पूर्व वाली झील पर मिलना..

जोगी - और एक बात सिर्फ मृदुला का ही नहीं मुन्नी का भी अगला जन्म हुआ है तेरे ही समकालीन..

हाक़िम - कौन?

जोगी - प्रमिला..

हाक़िम - मेरी माँ मुन्नी अगले जन्म में मेरी बुआ पिंकी है...

जोगी - हाँ... अब जा कल मैं तुझे झील के पास मिलूंगा सुबह समय से आ जाना...



*************



इतना समय क्यों लग गया तुम्हे..

हाक़िम रोते हुए - कुछ नहीं अंकल... बस ऐसे ही.. चलो उस पेड़ के नीचे आपको गाड़ना होगा फिर मैं इस झील में उतर जाऊँगा और हम दोनों अगले जन्म में पहुंच जाएंगे...

जोगी - रुको मैं खड्डा का निर्माण करता हूँ..

हाक़िम - ठीक है.. फ़ालतू मेहनत नहीं करनी पड़ेगी..

जोगी खड्डा बना देता है और उसमे बैठ जाता वही हाक़िम जोगी के ऊपर मिट्टी डालकर उसके दबा देता है और नंगा होकर रोते हुए झील में उतर जाता है..



वीरेंद्र सिंह गौतम को होश में आते देखकर - बैरागी ये देखो.. गौतम वापस आ गया है.. लगता है इसने हमारा कार्य सफल कर दिया है..

बैरागी - हुकुम पहले इसे पूरी तरफ होश में आने दो और पूछो कि क्या ये जदिबूती लाने में सफल हो भी पाया है या नहीं..

वीरेंद्र सिंह - गौतम... गौतम..

गौतम होश में आते हुए - बड़े बाबाजी.. प्रणाम..

वीरेंद्र सिंह उत्सुकता से - बोल बेटा.. क्या तुम वो जड़ी बूटी लाये हो.. क्या मेरा कार्य सफल हुआ है?

बोलो बेटा..

गौतम - जदिबूती तो नहीं ला पाया बाबाजी.. मैं जब तक महल पंहुचा सब बर्बाद हो चूका था..

वीरेंद्र सिंह क्रोध से - क्या?

बैरागी - तुमसे जो कहा गया था तुमने जरुरत उससे विपरीत कुछ किया होगा तभी ये कार्य सफल नहीं हुआ.. अब हमने हमेशा ऐसे ही रहना पड़ेगा..

गौतम - नहीं.. नहीं रहना पड़ेगा.. मैं कुछ ऐसा लाया हूँ जो बाबाजी के समस्या का समाधान करके मुक्ति दे देगा.. और तुमको भी आजाद कर देगा..

वीरेंद्र सिंह क्रोध को भूलकर ख़ुशी से - क्या? क्या लाया है जो मुझे मृत्यु दे देगा.. और मुक्त कर देगा उस अभिश्राप से..

गौतम - वो आप खुद ही पेड़ के नीचे खोद कर देख लो..

वीरेंद्र सिंह - नहीं वो तुम्हे खोदना पड़ेगा.. तभी तुम्हारी गाडी हुई चीज यहां आ पाएगी..

गौतम - ठीक चलते है.. मगर मेरी एक शर्त है..

वीरेंद्र सिंह - क्या?

गौतम - आपको मुक्ति मिलने मेरे पास जो है वो तो नहीं छीन जायेगा ना..

बैरागी - नहीं गौतम.. ऐसा कुछ नहीं होगा..

गौतम पेड़ के नीचे आते हुए - आप सच कह रहे है?

वीरेंद्र सिंह - हाँ.. सच है गौतम.. यकीन आ ये तो मैं तुझे अपनी सारी सिद्धिया और ज्ञान देकर मुक्ति लूंगा..

गौतम खड्डा खोदते हुए - ठीक है कोई पुराना मिलने वाला है आपका जिसमे में लाया हूँ..

वीरेंद्र सिंह - ऐसा कौन मेरा पुराना मिलने वाला हो सकता है जो मेरी मुक्ति कर सके..

गौतम खड्डे खोड़कर - खुद देख लो..

वीरेंद्र सिंह जोगी को देखकर उसके पैरों में गिरता हुआ - माफ़ी... माफ़ी... माफ़ी... दे दो मुझे.. मेरी गलती की माफ़ी दे दो महाराज...

जोगी - मैं तुझे मुक्ति देने ही आया हूँ वीरेंद्र सिंह..

बैरागी - मुझे भी माफ़ी चाहिए बाबा..

जोगी - तुझे नहीं मुझे तुझसे माफ़ी मांगनी चाहिए रागी... मैं इतना क्रोध में था कि मृदुला के मरने का क्रोध तेरे ऊपर भी उतार दिया.. और तुझे वीरेंद्र सिंह के साथ बाँध दिया.. लेकिन अब मैं तुम्हे इस बंधन से मुक्त करने आ गया हूँ...

गौतम - अंकल बाबाजी को मुक्त करने से पहले बाबाजी मुझे अपनी सिद्धिया देना चाहते है..

जोगी - बेटा तू प्रकृति से खिलवाड़ मत कर.. वीरेंद्र सिंह ने जो हासिल किया है वो आम विद्या नहीं है.. और ना ही तू इसे संभाल पायेगा..

गौतम - तो क्या अब आप वो सर ओर हाथ रखकर यादे देखने वाला मंतर भी नहीं सिखाओगे मुझे? मतलब आपने मुझे चुतिया बना दिया..

जोगी - मैं तुझे वो दूंगा जिसकी तुझे जरुरत है.. मगर उसकी मांग मत कर जो तेरे किसी काम का नहीं..

गौतम उदासी से - ठीक है.. अब जल्दी मुक्ति दो बाबाजी और बैरागी को.. बेचारे 300साल से लटके हुए है..

जोगी बीरेंद्र सिंह और बैरागी पर से अपने बंधन को वापस ले लेता है जिसके कारण बैरागी कि आत्मा अपने नए आयाम में चली जाती है और पुनर्जन्म के लिए आगे बढ़ जाती है वही वीरेंद्र सिंह के ऊपर से बामधन हटते ही वो फिर से एक आम इंसान बन जाता है जो 73 वर्ष का वृद्ध होता है.. मगर अब वो अपनी मर्ज़ी का खा सकता था पहन सकता था और सो भी सकता था..



वीरेंद्र सिंह हाथ जोड़ कर - मुझे माफ़ कर दो..

जोगी - अब जो हुआ उसे भूल जाओ वीरेंद्र सिंह.. तुम्हारे करण बहुत लोगों का कल्याण भी हुआ जिसका फल तुम्हे मिलेगा.. तुम चाहो तो मृत्यु को गले लगा सकते हो या कुछ और साल जीवित रहकर मन मुताबित जीवन जी सकते हो..

वीरेंद्र सिंह हाथ जोड़कर - मुंहे तो मृत्यु ही चाहिए.. बहुत तरसा हूँ मैं मृत्यु के लिए अब जीने की लालसा ख़त्म हो गई है.. मगर एक बार में विरम से मिलना चाहता हूँ और उसे अपने जाने की बात बतलाना चाहता हूँ...

जोगी - जैसा तुम चाहो वीरेंद्र सिंह.. आज तुम्हरे प्राण स्वाहा हो जायेगे...



गौतम - देखो अंकल अब चलो.. और ये भेस नहीं चलेगा.. बाबाजी आश्रम में कुछ अच्छे कपड़े होंगे?

वीरेंद्र सिंह - विरम सबकी व्यवस्था कर देगा..



गौतम जोगी को आश्रम में ले आता है और जोगी नहा कर वर्तमान के कपड़े पहन लेता है गौतम भी नहा कर नये कपड़े पहन लेता है..



गौतम - आज रात यही रहो अंकल.. कल सुबह में कुसुम से मिलवाने ले जाऊँगा आपको..

जोगी - ठीक है बेटा..





***********





तू नहीं आता वही अच्छा था.. दोपहर से मेरी चुत में घुसा हुआ है मन नहीं भरता क्या तेरा? मैं कितना झेल पाउंगी तुझे.. मेरी चुत फिर पहले जैसी कर दी तूने.. कमीने तेरी माँ हूँ थोड़ी तो शर्म कर.. जिस चुत से निकला है उसीको चोद चोद के सुजा दिया है.. पहले तेरी शकल देखकर प्यार आता था अब शर्म आती है..

गौतम मिशनरी में पेलते हुए - शर्म तो औरत का गहना होता है माँ.. तू शरमाते हुए इतनी प्यारी लगती है कि क्या कहु.. माँ जब तू चुदवाते हुए मुंह बनाती है ना दिल कि धड़कन बढ़ जाती है.. मन करता है तुझे ऐसे ही चोदता रहू..

सुमन - हां.. तू तो मुझे चोदता रहेगा मगर मेरा क्या? मुश्किल से चाल सही हुई थी तूने आते ही वापस मुझे लंगड़ी घोड़ी बना दिया.. दोपहर से बस नंगा करके लिटा रखा है.. ना खाना खाया है ना कुछ और..

गौतम चुत में झाड़ता हुआ - मतलब भूक लगी है मेरी माँ को? अभी तो रात के 10 बजे कोई ना कोई रेस्टोरेंट खुला होगा.. बाहर चलके खाते है..

सुमन गुस्से से आँख दिखाती हुई - लंगड़ी करके बाहर ले जाएगा खाना खिलाने? तूझे बिलकुल शर्म नहीं है ना.. और अब निकाल अपने लंड को मेरी चुत से बाहर.. कैसी लाल कर दी है..

गौतम लंड निकालता हुआ - ठीक है माँ.. अच्छा यही आर्डर कर लेते है रुको.. बताओ क्या खाओगी?

सुमन अपनी चुत से निकलता वीर्य साफ करते हुए - कुछ मगा ले..

गौतम - ठीक है हांडी मटन और नान मगा लेता हूँ.. रायते के साथ..

सुमन ब्रा पेंटी पहनते हुए - नहीं.. आज मंगलवार है.. तू कुछ वेज मंगा..

गौतम - मिक्स वेज कर देता हूँ चपाती के साथ.. और कुछ?

सुमन बेड से खड़ी होती हुई - नहीं..

और लचकती हुई बाथरूम चली जाती है..



हेलो बुआ?

हां मेरे बाबू..

कैसी हो?

मैं अच्छी.. तू तो टूर ओर क्या गया गायब ही हो गया.. पता नहीं कैसे निकला है ये महीना तुझसे बात किये बिना..

अब नहीं जाऊँगा बुआ.. I love you.. पता है किसी ने मुझे बताया है कि पिछले जन्म में आप मेरी माँ थी..

काश इस जन्म में भी होती मेरे बाबू..

मेरी नहीं तो क्या हुआ मेरे बच्चे ही तो हो बुआ..

कल आ रही हूँ मैं तेरे पास.. अब मिले भी ना रहा जाता मेरे बाबू..

बुआ गाँव आना.. कल गाँव जा रहा हूँ मैं..

क्यों?

बुआ कल कुसुम को बंधन में लेने वाला हूँ..

अरे पर तीन महीने बोला था ना अभी तो एक ही हुआ है..

बुआ वो नाराज़ है एक महीने उससे भी बात नहीं कि थी तो मेरा फ़ोन तक नहीं उठा रही.. लगता है मेरी शामत आने वाली है..

अरे अरे.. इतना भी क्या अपनी होने वाली पत्नी से डरना..

डरना तो पड़ेगा बुआ वो कोई आम लड़की थोड़ी है.. शैतान है उसके अंदर अगर उसे खुश नहीं रखूँगा तो मेरा पता नहीं क्या हाल करेगी वो..

ठीक है.. वो तो खुश हो जायेगी..

फ़ोन तो उठाये मेरा..

अरे तू चिंता मत कर मैं बोल देती हूँ उठा लेगी फ़ोन..

थैंक्स बुआ.. यू आर बेस्ट..

सुमन - किसका फ़ोन है?

गौतम - बुआ का.. बात करोगी..

सुमन - मैं क्या बात करूंगी.. तू कर ले..

गौतम सुमन का हाथ पकड़ कर खींचते हुए - अरे बुआ माँ बनने वाली है..

सुमन - पता है.. बताया था जगमोहन ने..

गौतम - मेरे बच्चे की...

सुमन हैरात से - क्या?

पिंकी - ग़ुगु..

गौतम फ़ोन स्पीकर पर डाल कर - बुआ माँ को सब पता है हमारे बारे में..

पिंकी - क्या कह रहा है तू.. पागल हो गया है क्या..

गौतम - लगता है खाना आ गया.. बुआ माँ से बात करो..

सुमन - पिंकी..

पिंकी - भाभी ग़ुगु की बात को सीरियस मत लेना वो मज़ाक़ कर रहा है..

सुमन - मैं सब जानती हूँ पिंकी.. अब मुझसे छिपाने की जरुरत नहीं है तुम्हे.. मुझे तेरे और गौतम के रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है..

पिंकी - भाभी क्या आप भी..

सुमन - अब मैं कुछ छिपाना नहीं चाहती तुझसे पिंकी.. मैं भी गौतम के साथ वैसे ही रिश्ते में हूँ जैसे कि तू..

पिंकी - भाभी ग़ुगु आपका बेटा है.. उसके साथ आप.. ये सही नहीं है..

सुमन - ये बात तुम कर रही हो पिंकी.. हवस में अंधी होकर अपने भतीजे के साथ सोने में तुम्हे शर्म नहीं आई और मुझे सही गलत समझा रही हो.. पिंकी मैं जानती हूँ तुम भी गौतम से बहुत प्यार करती हो.. मैं तुम्हे कुछ नहीं कहूँगी..

पिंकी - भाभी.. ग़ुगु के साथ आपका वो रिश्ता समाज के लिए पाप है.. आपने मुझे अपने बारे में बता दिया है पर आप और किसीसे इस बात का जिक्र तक नहीं करना.. कुसुम से तो बिलकुल नहीं..

सुमन - मैं अच्छे से जानती हूँ पिंकी.. मुझे किसके साथ क्या बात करनी है.. तूम उसकी चिंता मत करो..



गौतम - खाना तैयार है माँ.. आ जाओ..

सुमन - लो बात करो अपनी बुआ से..

गौतम - हाँ बुआ..

पिंकी - कमीने कुत्ते अपनी माँ के साथ ही सो गया तू.. भाभी ने सब बता दिया कैसे तूने भाभी के साथ अपना रिश्ता बनाया..

गौतम हसते हुए - बुआ अब मैं क्या करू.. आपकी तरफ माँ से भी बहुत प्यार करता हूँ..

पिंकी - अच्छा.. तो क्या भाभी को नंगा ही रखेगा घर में.. बेचारी तुझे इतना प्यार करती है और तू उनके साथ पता नहीं क्या क्या करता है.

गौतम खाना खाते हुए - आप आ जाओ ना.. बचा लो अपनी भाभी को मुझसे..

पिंकी - जल्दी आउंगी.. अब खाना खा..

गौतम - अच्छा किस्सी तो दे दो गीली वाली..

पिंकी - उम्महां... अब मिलूंगी ना भाभी के साथ मिलकर तेरा चीरहरण करूंगी.. चल बाय..

गौतम - love you बुआ..

पिंकी - love you too बाबू..

सुमन - बाय पिंकी..

पिंकी - बाय भाभी.. ज्यादा तंग करें तो एक थप्पड़ रख देना इस शैतान के..

सुमन हसते हुए - अच्छा ठीक है.. बाय...



सुमन और गौतम खाना ख़ाकर वापस बेड ओर आ जाते है..

सोने दे ना ग़ुगु..

मैं कहा रोक रहा हूँ सोने से माँ..

ऐसे छेड़खानी करेगा तो कैसे सो पाउंगी.. तू वापस शुरू हो गया.. देख सोने वरना सच में एक थप्पड़ मार दूंगी..

अच्छा ठीक है मेरी माँ.. सो जाओ..

तू कहा जा रहा है?

कहीं नहीं.. छत पर..

क्यों?

बस ऐसे ही..

नहीं जाना.. यहां आ.. मेरे पास.. सो जा तू भी..

गौतम सुमन को बाहों में भरकर लेट जाता है..

अरे अब किसका फ़ोन आ गया तेरे फ़ोन पर?

कुसुम का है माँ..

बात कर क्या कहती है..

कहेगी क्या.. मुझे ताने मारेगी..

बात तो कर..

हेलो...

बोलो?

क्या बोलू?

बुआ ने कहा तुम कुछ बोलना चाहते हो तो बोलो..

इतना गुस्से में क्यों है तू? एक महीने बात नहीं कि तो इतनी नाराज़गी?

एक महीना... तुम्हारे लिए सिर्फ एक महीना है.. पता है मेरा कितना बुरा हाल हुआ है.. रोज़ तुम्हे याद करके.. मन तो कररहा है फ़ोन में घुसकर तुम्हारा वो हाल करू कि याद रखो तुम..

अच्छा सॉरी ना कुसुम..

सॉरी.. सोरी से सब ठीक नहीं होता.. कितने फ़ोन और massage किये पर तुम हो कि.. छोडो.. जो कहना है कहो मुझे सोना है..

अकेले सोना है? मेरे साथ नहीं सोना चाहती?

मसखरी करने के लिए फ़ोन किया है? कितने बुरे तो तुम.. जरा भी अंदाजा नहीं है तुम्हे मेरे मन का.. क्या बीत रही है मेरे ऊपर.. और तुम्हे इस रात में मसखारी करनी है..

ठीक है मेरी प्यारी कुसुम.. कल आ रहा हूँ मैं तुझे लेने.. मैं भी तेरे बिना नहीं रह पाऊंगा अब...

फिर से मसखरी.. देखो ऐसा करोगे ना तो याद रखना मैं भी बहुत सताऊंगी तुम्हे..

मज़ाक़ नहीं कर रहा पागल.. सच में कल आ रहा हूँ मैं माँ को लेकर.. यक़ीन ना हो तो बात कर लो..

सुमन - हेलो कुसुम...

कुसुम - हाँ बड़ी माँ..

सुमन - गौतम मज़ाक़ नहीं कर रहा बेटा.. कल वो सच में आ रहा है.. और कल ही तेरे साथ बंधन करके तुझे अपने साथ ले आएगा..

कुसुम ख़ुशी से - सच..

गौतम सुमन से फ़ोन लेकर - और क्या मज़ाक़ कर रहा हूँ?

कुसुम - हाय.. मुझे तो लाज आ रही है..

गौतम - अभी से.. अभी तो कुछ हुआ भी नहीं..

कुसुम फ़ोन काटते हुए - छी...



सुमन मुस्कुराते हुए - बेचारी...

गौतम बिन बताये सुमन कि पेंटी सरकाकर लंड अंदर घुसाते हुए - माँ गलती से चला गया..

सुमन सिसकते हुए - अह्ह्ह.. बार बार यही गलती करता है ना तू..

गौतम - माँ गलती से अंदर फिसल गया सच्ची..

सुमन - अह्ह्ह.. बेशर्म.. अब चोद भी गलती से रहा है क्या?

गौतम - माँ.. पता नहीं.. अपने आप लंड अंदर बाहर हो रहा है..

सुमन - झूठे मक्कार.. बहाने बहाने से चुत में घुसा देता है.. कहता है गलती से हो गया. अह्ह्ह.. आराम से मदरचोद..

गौतम चोदते हुए - गाली कितनी प्यारी लगती है तुम्हारे मुहसे माँ...

सुमन - कमीने मेरा बेटा नहीं होता ना.. बहुत मार खाता तू..

गौतम - घोड़ी बनो ना..

सुमन - बाल नहीं खींचेगा..

गौतम - ठीक है..

सुमन घोड़ी बनती हुई - प्यार से कर..

गौतम चुत में ड़ालते हुए - आराम से करूँगा माँ तुझे भी मज़ा आएगा..

सुमन चुदवाते हुए - अह्ह्ह... अह्ह्ह... अह्ह्ह...

गौतम टीवी पर एक ब्लू फ़िल्म चला देता है और अपनी माँ को घोड़ी वाले पोज़ में चोदता रहता है..

सुमन - अब झड़ भी जा.. मैं कितना झेलू तुझे.. तू तो बस चोदना ही जानता है.. झड़ने का नाम ही नहीं लेता..

गौतम - माँ यार मैं क्या करू? आप जल्दी झड़ जाती हो तो.. मेरा होने में टाइम लगता है..

सुमन मिशनरी में चुदवाती हुई - एक घंटा हो गया.. जलन सूजन और अब दर्द भी होने लगा है मुझे.. और तू है कि बस..

गौतम चुत में झड़ते हुए - अच्छा बस हो गया माँ...

सुमन - अह्ह्ह... महीने भर से दूर तो बहुत याद आता था अब आ गया है तो ऐसा लगता है दूर ही अच्छा था.. कितना गन्दा चोदता है तू.. कुसुम का तो पता नहीं क्या हाल होगा.. देख... कितना सूज गई है फिर से..

गौतम - चाटकर सूजन कम करदु.. आप कहो तो?

सुमन - अब सो जा शहजादे.. कल जाना भी है गाँव...

गौतम - ठीक है माँ..





अह्ह्ह...

क्या हुआ? ठीक तो हो माँ...

कल इतना बुरा किया और पूछ रहा है ठीक हूँ या नहीं.. वापस लंगड़ी कर दिया तूने..

अच्छा सॉरी माँ.. लो आओ मैं गोद में उठाके ले चलता हूँ..

नहीं रहने दे मैं चलकर ही गाडी में बैठ जाउंगी..

गौतम सुमन को उठाते हुए - ज्यादा नखरे मत किया करो... समझी..

सुमन - अरे दरवाजा तो बंद कर दे.. और लॉक भी कर दे..

गौतम - ठीक है..

गौतम रास्ते में उसी पहाड़ी के नीचे आजाता है..

सुमन - बाबाजी के पास क्यों लाया है? गाँव जाना था ना..

गौतम किसीको फ़ोन करता हुआ - एक और आदमी है जो गाँव चलेगा..

हेलो... हाँ.. नीचे बरगद के पास.. ठीक आ जाओ...

सुमन - कौन आदमी गौतम?

गौतम - है कोई बाबाजी चाहते है बंधन के समय वो उपस्थित रहे...

सुमन - मुझसे तो कुछ नहीं कहा बाबाजी ने..

गौतम - पर मुझसे कहा था... लो वो आ गया.. कैसे हो अंकल...

किशोर जोगी को गाडी में बैठाते हुए - गौतम बड़े बाबाजी और बैरागी...

गौतम - जानता हूँ...

जोगी - बहुत तरक्की कर ली है दुनिया ने..

गौतम गाडी चलाता हुआ - हाँ अंकल..

जोगी - ये तुम्हारी माँ है..

गौतम - हाँ... आप तो सब जानते हो..

सुमन - ये कौन है गौतम?

गौतम - माँ ये बाबाजी के पापा जी है.. जो बाबाजी नहीं कर सकते वो सब ये कर सकते है.. उन्होंने बताया है कि बुआ पिछले जन्म में मेरी माँ थी.. अंकल माँ के बारे में बताओ ना कुछ.. अगले पिछले जन्म में माँ कौन थी..

जोगी - क्या करेगा ये जानकार बेटा...

सुमन - नहीं नहीं.. मुझे कुछ ऐसी पहेली बुझा दो कि ये मुझसे झूठ ना कह पाए कभी..

जोगी - तेरा बेटा जब भी झूठ बोलेगा तुझे पता चल जाएगा बेटी...

सुमन - कैसे?

जोगी - तेरा मन तुझे बता देगा..

गौतम - अंकल ऐसा मत करो... यार..

सुमन - अब बोल बच्चू...

गौतम - अंकल ठीक नहीं किया आपने.. अब आपको मृदुला से नहीं मिलवा सकता..

सुमन - कौन मृदुला?

गौतम - कुसुम पिछले जन्म में इनकी बेटी मृदुला थी.. और ये 300 साल पहले से यहां आये है..

सुमन हसते हुए - चल झूठा..

गौतम - अंकल आप ही समझा दो..

जोगी - बेटी ये सच कह रहा है...

सुमन - अच्छा..

गौतम - हाँ.. और मैं कोई टूर पर नहीं गया था.. पिछले जन्म में गया था बड़े बाबाजी के काम से..

सुमन - बड़े बाबाजी तुझसे मिले थे?

गौतम - सिर्फ मिले नहीं थे.. उन्होंने ही मुझे पिछले जन्म में भेजा था.. ताकि मैं जदिबूती लाकर उनको दे सकूँ और वो मर सके.. बड़े बाबाजी को अंकल ने ही जागीरदार से एक फ़कीर बना दिया था.. और 300 साल से बड़े बाबाजी अपनी सजा काटरहे थे..

सुमन - क्या कह रहा है ग़ुगु...

गौतम - सच कह रहा हूँ माँ.. मैं जदिबूती कि जगह अंकल को ले आया और अंकल ने बड़े बाबाजी और उनके ऊपर जो बैरागी की आत्मा थी दोनों को मुक्ति दे दी..

जोगी - और कितना समय है बेटा..

गौतम - बस आधे घंटे में पहुंच जायेंगे अंकल.. वैसे कुसुम तो आपको पहचानेगी नहीं फिर आप क्या करोगे?

जोगी - मैंने मृदुला से वादा किया था बेटा.. मैं उसे मिलने जरुर आऊंगा.. वो जैसे ही मुझे देखेगी उसे सब याद आ जाएगा..

गौतम - बैरागी भी?

जोगी - इस जन्म में उसके लिए अब तू ही बैरागी है बेटा..

सुमन - क्या बात हो रही मेरी तो कुछ समझ नहीं आता..

गौतम - आप मत समझो.. लो अंकल आ गया गाँव भी.. मिल लो आपकी मृदुला से...

हेमा - आओ बेटा... ये बहुत अच्छा फैसला किया तुमने जो बंधन जल्दी करने की हामी भर ली.. आज रात बहुत धूमधाम से सब होगा..

मानसी - आओ जमाई राजा.. बड़ा इंतजार हो रहा है तुम्हारा.. आओ सुमन..

गौतम - कुसुम कहा है?

मानसी - थोड़ा सब्र रखो जमाई राजा.. कुसुम अपने कमरे में है.. शाम को बंधन के बाद आराम से मिल लेना और ले जाना अपने साथ..



शाम को पंचायत के सामने बंधन की सारी रस्मे हो जाती है और गौतम कुसुम को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेता है..



कुसुम - छत ओर क्या कर रहे हो?

गौतम - किसीको मिलना है तुमसे..

कुसुम - कौन?

गौतम - तुम्हारे बाबा..

कुसुम - बाबा?

गौतम - हाँ.. देखो..

कुसुम जोगी को देखकर आंसू बहती हुई - बाबा...

जोगी - रोते हुए - मृदुला..

सुमन नीचे से ऊपर छत पर आती हुई - गौतम??

जोगी - मैंने वादा किया था ना मृदुला.. मैं तुमसे मिलने जरुर आऊंगा..

कुसुम - बाबा... आप कहा चले गए थे..

जोगी - मृदुला.. तूने व्यर्थ ही हठ करके जान गवा दी.. अगर बैरागी की बात मानकर जंगल से बाहर चली जाती तो शायद मुझे और तुझे मिलने के लिए इतना इंतेज़ार नहीं करना होता..

कुसुम - बाबा.. आप अब कहीं नहीं जाएंगे ना..

जोगी - जाना तो पड़ेगा मृदुला.. प्रकृति के नियम तोड़कर मैं यहां नहीं रह सकता मुझे वापस उस दुनिया में जाना होगा...

कुसुम - मैं भी आपके साथ चलूंगी बाबा...

जोगी कुसुम के सर ओर हाथ रखकर - नहीं मृदुला.. मैं तुझे तेरी सारी विद्या जो पिछले जन्म में तेरे पास थी उसे तुझे स्मरण करवा रहा हूँ.. अब तू साधारण नहीं है..

गौतम - ओ अंकल ये सब मत करो.. ये पहले ही मुझे बहुत तंग करती है इतना ताक़त और शक्ति पाने के बाद तो ये पागल हो जायेगी..

कुसुम हस्ती हुई - बाबा... ये बहुत मनमौजी है..

जोगी - इसका उपचार तो तू ही कर सकती है मृदुला... अब मुझे जाने दे.. अब मैं सुख से रह पाऊंगा वहा..

कुसुम गले लगते हुए - बाबा..

सुमन हैरात से - मतलब... सच में..

गौतम सुमन - और क्या मैं मज़ाक़ कर रहा था..

जोगी - अपना ख्याल रखना मेरी बच्ची...

जोगी ये कहकर जने लगता है..

गौतम - वापस जाओगे कैसे ससुर जी?

जोगी - मरने से पहले वीरेंद्र सिंह से मैंने आयामों के मध्य का रहस्य जान लिया था.. मेरे लिए वापस जाना कठिन नहीं.. लेकिन अब मेरी मृदुला की रक्षा और सुख तेरे ऊपर है बेटा..

गौतम - टेंशन मत लो.. ससुर जी..

कुसुम - बाबा.. मेरी चिंता मत करो..

जोगी जाते हुए - सुखी रह मेरी बच्ची..



जोगी के जाने के बाद..

सुमन - कुसुम सँभालना अपने गौतम को.. मुंह मारने की आदत है इसे...

कुसुम गौतम को पकड़कर उसके लंड ओर हाथ लगती हुई - आप फ़िक्र मर करो बड़ी माँ.. घर के अलावा अगर ये किसी और के साथ मुंह काला करना भी चाहेगा तो इसका सामान खड़ा नहीं होगा..

गौतम - ऐ जादूगरनी... ये फालतू का जादूगर टोना मुझे ओर मत करना समझी ना..

कुसुम मुस्कुराते हुए - जादू तो हो चूका है..

सुमन - घर की मतलब?

कुसुम - मैं आपका मन पढ़ सकती हूँ बड़ी माँ.. मैं गौतम का मन भी पढ़ सकती हूँ.. घर की मतलब घर की..

सुमन - कुसुम.. तू?

कुसुम - हाँ बड़ी माँ.. आप और बुआ सब..

गौतम - और भाभी..

कुसुम - हम्म भाभी भी घर की है..

गौतम कुसुम और सुमन को बाहों में भरकर - मतलब दोनों दुल्हन आज मेरे साथ.....


*******************

एक जोर का थप्पड़ सो रहे गौतम के गाल पर पड़ता है....
गोतम नींद से जागता हुआ - हा.... क्या.. क्या हुआ..
सुमन गुस्से में - खड़ा हो जा.. कब तक सोता रहेगा.. ऊपर से नींद में अनाप शनाप बोले जा रहा है... जल्दी से तैयार हो जा... आज बाबाजी के जाना है.. तेरे पापा भी आज जल्दी थाने चले गए..

गौतम. - ये पुलिस क्वाटर?
सुमन - तो और क्या महल में रहता है तू... उठा जा.. और ये सपने देखना बंद कर...
गौतम - मतलब ये सब सपना था...
सुमन गुस्से से - ओ सपनो के सौदागर... उठता है या और एक जमाउ तेरे गाल पर... बस सपने ही देखता रहता है दिन रात...

गौतम सोच रहा था की कितना हसीन सपना था.. जिसमे उसकी सारी ख्वाहिश और इच्छाएं पूरी हो रही थी.. वो उठकर बाथरूम में चला जाता है और आम दिनों की तरह मुट्ठी मारके नहाता है और फिर अपना कीपेड फ़ोन उठाकर अपनी माँ सुमन को उसी पुरानी और बाबा आदम के जामने की बाइक जिसे उसके बाप जगमोहन ने दिलवाया था उसपर बैठाकर बाबाजी के चल पड़ता है..

गौतम उदासी से - पेट्रोल नहीं है..
सुमन - 500 का नोट देती हुई.. डलवा ले..

गौतम 200 का पेट्रोल डलवा कर 300 जेब में डाल लेता है और सुमन को बाबाजी के पास उसी पहाड़ी के नीचे बरगद के पास ले आता है..

सुमन - चल ऊपर..
गौतम - नहीं जाना आप जाओ..

सुमन - सुबह से देख रही हूँ जब से जागा है अजीब बर्ताव कर रहा है.. क्या बात है..
गौतम कुछ नहीं... आप जाओ मैं यही इंतेज़ार कर लूंगा..
सुमन - ठीक है तेरी मर्ज़ी पर यही मिलना.. समझा..

सुमन चली जाती है और गौतम के फ़ोन ओर आदिल का फ़ोन आता है..

आदिल - क्या कर रहा था रंडी?
गौतम - नींद में तेरी अम्मी शबाना को चोद रहा था..
आदिल - अबे लोड़ू.. फालतू बात मत कर..
गौतम - तो बोल ना रंडी के क्या बात है..
आदिल - रांड चोदने चलेगा रात को..
गौतम - पैसे तू दे तो चल...

आदिल - आज तक कौन तेरा बाप ठुल्ला दे रहा था.. रात को 7 बजे घर आ जाना..
गौतम - ठीक है गांडू... फ़ोन कट हो जाता है...


गौतम मन में - कितना हसीन सपना था यार... काश वो सब सच होता...

Achi story thi yr
 
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Kuch din pehle ki baat hai I was chatting with my gf

At one moment maine bola kholo naa

But mujhse bola gya kholo maa

Us din I was hard I can't sleep that night

On 2nd nov my mom is cleaning my room .no one is home

Wo room saaf kar rhi thi jhuk ke achanak kya hua malum nahi mai unke piche jaake khada ho gya

Position tha ki Mera lund unki ass me fix set ho rha tha

Unhone dhakka diya ek thappad maara kya hai maine bola sorry

Lekin mai payjama me tha to lund dikh gya unko

Wo dekhne lagi

Fir maine himmat hi yaar unki saari upar kar ke andar ghus gya aur piche se pakad lia unko

Mera muh unki gand sungh rha tha dheere dheere normal hua

Maine unka pura badan chum lia wo kaafi garam thi unhone turant Mera lund muh me le liya..

Then we stated fucking season she came 3 time

I fuck her 2 time one time I come in her cunt one maa ne bola muh me de de beta..

Meri zindgi ka sabse pahla wo ahsaas jise me puri zindgi nahi bhul pauga

Her age - 40 figure - 38,36,40, vinita
 
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रजनी 34
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रजनी - कम इन..
रजनी किसी फ़ाइल को देखते हुए बोली और सामने से अंदर आते हुए गौतम को एक नज़र सर उठा के देखा फिर अपनी उंगलियों में सुलगती सिगरेट का एक कश लेकर टेबल पर रखे पोट में बुझा कर बेल का बटन दबा दिया..
गौतम - मेम ये फ़ाइल..
गौतम ने फ़ाइल रजनी को देते हुए कहा और फिर सामने खड़ा हो गया, इतने में एक वर्दी पहना हवलदार
बाहर से अंदर आया और अपने दोनों हाथ बांधकर बोला.
ज़ी मैडम.
रजनी गौतम की तरफ इशारा करके - ये बच्चा कौन है?
हवलदार - ज़ी मैडम वो ये जगमोहन का लड़का है. गौतम सब ग़ुगु बुलाते है.
रजनी - ठीक है मेरे लिए एक चाय ले आओ. और तुम, क्या नाम है तुम्हारा? हां गौतम. तुम घर जाओ.
गौतम - ज़ी मेम.. गौतम पलटकर जाने लगता है मगर उसे रजनी के साथ कुछ अजीब लगता है वो एक पीछे मुड़कर देखता है तो उसे कुछ अहसास होता है और वो रुक जाता है..
रजनी गौतम को देखकर वापस कहती है - क्या हुआ? चाय पीके जाएगा?
गौतम - नहीं मेम, वो आपके गर्दन में दर्द रहता है?
रजनी हैरानी से - तुझे कैसे पता?
गौतम - नहीं वो आपके गले में सूजन है दाई तरफ तो उससे पता लग गया.
रजनी - तू डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा है?
गौतम - नहीं पर मैं इसे ठीक कर सकता हूँ.
रजनी - 3 साल हो गए डॉक्टर से कुछ नहीं हुआ तू क्या करेगा?
गौतम - बस थोड़ी गले की मसाज करनी पड़ेगी गीले हाथों से.
रजनी - चल ठीक है तू भी कोशिश कर ले.
गौतम रजनी की चेयर के पीछे जाकर पानी से अपने हाथ गीले करता है और रजनी के कंधे और गले के जोड़ पर अपनी उंगलियां फिराते हुए मसाज करने लगता है रजनी को इस मसाज में बहुत आराम और सुकून मिलता है गौतम कुछ देर मसाज करके फिर रजनी के गले-कंधे के आस पास कुछ जगह को सहलाकर और हड्डियों के जोड़ को दबाकर उसका दर्द कुछ पलो में छूमंतर कर देता है.
गौतम - अब ठीक है मेम. अब गर्दन हिलाने में आपको दर्द नहीं होगा.
रजनी अपनी गर्दन दाए बाए ऊपर नीचे हिलाकर - अरे वाह तूने तो सच में 3 सालों का दर्द 3 मिनटों में ठीक कर दिया? कमाल है तेरे हाथों में. जादूगर है तू तो. कहाँ से सीखा ये सब?
गौतम - वो नाना ज़ी वेद्य थे सबका इलाज़ भी किया करते थे.. बचपन में कुछ साल उनके साथ रहकर ही थोड़ा बहुत हुनर सीखा.
रजनी अपने पर्स से अपना कार्ड निकाल कर - ये लो कोई भी प्रॉब्लम हो या कोई परेशान करें तो सीधा मुझे कॉल करना. ठीक है?
गौतम - ज़ी.. मेम एक बात पुछु?
रजनी - हां बोलो?
गौतम - आपकी मदर नोबल अकेडमी में टीचर थी ना?
रजनी - हां पर तुझे कैसे पता? तू नोबल अकेडमी से है?
गौतम - हां 7th & 8th standard में वही हमारी क्लास टीचर थी उसके बाद उन्होंने पढ़ना छोड़ दिया.
रजनी - हां.. वो मेरे साथ कोटा चली गई थी..
गौतम - मैं चलता हूँ.
रजनी - ठीक है पर कार्ड में घर का एड्रेस भी है कभी अपनी क्लास टीचर से मिलने का मन करें तो घर आ सकते हो.
गौतम - और आपसे मिलने का मन करें तो?
गौतम ने रजनी की बात के जवाब में ये लाइन बोल तो दी थी मगर बोलने के बाद उसे अगले ही पल अहसास हो गया था की उसने ये क्या कह दिया है मगर वो फिर भी चुपचाप खड़ा रहा और अपनी आँखे झुका ली रजनी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था की गौतम कुछ ऐसा कह जाएगा, दोनों की हालत लगभग एक सी थी और हालात अलग.
रजनी ने एक पेन उठकर एक कागज़ पर कुछ लिखा और गौतम को देते हुए कहा - मुझसे मिलने का मन करें तो इस नम्बर पर टाइम और जगह व्हाट्सप्प करना.
गौतम नम्बर सेव करके तुरंत व्हाट्सप्प पर रजनी को कुछ लिखकर सेंड करता है जिसे देखकर रजनी मुस्कुराते हुए ok बोल देती है और गौतम शुक्रिया बोलकर चेम्बर से बाहर आ जाता है और वापस अपने घर के लिए निकल जाता है.


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रजनी ने ये बात मुस्कुराते हुए नरमी भरे लहज़े में कही थी और पहले जो उसकी बात में रुखाई और सख़्ती थी वो अब पिघलकर पानी हो चुकी थी रजनी ने पहली बार गौतम के खूबसूरत और चाँद से चेहरे को गौर से देखा और उसकी आँखों में घुली ठंडक को महसूस करने लगी थी उसका मन गौतम को रोककर कुछ देर और उससे बात करने का था मगर फिर भी ना जाने क्यू वो गौतम को जाते हुए रोक ना सकी और ख़ामोशी से अपनी कुर्सी पर बैठकर उसे जाते हुए देखती रही.
रजनी 34 साल की तलाक़शुदा औरत थी जिसे मर्दो कुछ ख़ास लगाव नहीं था अपने पिता और पति की बेशर्मी भरी हरकतो ने उसके मन में मर्द की ऐसी तस्वीर बनाई थी जो कतई अच्छी नहीं कही जा सकती. चेहरे से साधारण दिखने वाली रजनी शारीरिक बनावट और कसावट में किसी हीरोइन से कम ना थी मगर किसी में उसके आगे बोलने की हिम्मत ना थी, जिस तरह का उसका बर्ताव था छोटे तो क्या बड़े अफसर तक उससे कुछ उल्टी बात करने से पहले सोच लेते थे.
आज रजनी को ना जाने क्यू गौतम के चेहरे की खूबसूरती, स्वभाव की सादगी और जुबान में घुली मिश्री सी मीठी बाते मोह गयी थी. गौतम बिलकुल वैसा ही था जैसा रजनी अपने लिए पति माँगा करती थी जब वो नई जवान हुई थी, मगर जिंदगी और हालात ने उस नाजुक लड़की को कब कठोर बना दिया उस नाजुक लड़की को भी पता नहीं चला. आज बहुत सालों बाद उसे ये अहसास हुआ था की वो एक औरत भी है और उसके अंदर करुणा स्नेह और प्रेम का विलक्षण गुण भी मोज़ूद है..


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गौतम घर पंहुचा तो उसने देखा की सुमन बेड पर लेटी हुई सो रही थी और उसने साड़ी खोलकर मैक्सी पहन ली थी..
गौतम चुपचाप जाकर सुमन के पास बेड पर बैठ गया और झुककर सुमन के गाल को चूमते हुए बोला..
गौतम - माँ थक गई?
सुमन गौतम को अपने पास बैठे देखकर - हम्म थोड़ी सी, पैरों में हल्का दर्द है..
गौतम - अच्छा? मैंने कहा था उस पाखंडी के चक्कर में कुछ नहीं रखा.. ढाई ढाई सो सीढ़िया चढ़ोगी और उतरेगी तो दर्द तो होगा ही. मैं पैरों की मालिश कर देता हूँ रुको.
सुमन - ग़ुगु रहने दे, क्यू बेवजह परेशान हो रहा है? कुछ देर आराम कर लुंगी तो ठीक हो जाउंगी.
गौतम - आप बिलकुल चुप रहो और लेटी रहो, मैं अभी मालिश कर देता हूँ..
सुमन - ग़ुगु रहने दे बेटू.. मैं ठीक हूँ.
गौतम - मैंने कहा चुप रहो आप..
गौतम एक बोतल से थोड़ा तेल अपने हाथो पर लेकर अपनी माँ सुमन के पैर की मालिश करने लगता है जिसे देखकर सुमन मुस्कुराते हुए आज ही नए ख़रीदे फ़ोन से जो बगल में पड़ा हुआ था उठाकर गौतम का वीडियो बनाने लगती है..
गौतम सुमन से - किसे दिखाओगी वीडियो बनाकर?
सुमन - पूरी दुनिया को
गौतम - वो कैसे?
सुमन - इंस्टा पर लाइव आके
गौतम - पागल हो क्या माँ? क्या कर रही हो?
सुमन - जो तुमने सिखाया था, तुमने ही तो कहा था इससे लोग फ़ॉलो करते है अकाउंट को. देखो 74 लोगों ने तो फॉलो भी कर लिया.
गौतम - ये सब नहीं दिखाना होता इंस्टा लाइव पर समझी आप? मुझे बिना बात में फेमस कर रही हो. मुझे नहीं होना फेमस.
सुमन - अच्छा अब हो गया, छोड़ दे मेरे पैर वरना मुझे पाप लगेगा..
गौतम - अच्छा जब मेरे पैरो के हाथ लगाती हो तब पाप नहीं लगता?
सुमन - फ़ोन को क्या हो गया?
गौतम - क्या हुआ?
सुमन - देखो चलते चलते रुक गया. पहले वो क्या कहते है उसे वो तुमने बताया था जो रील्स.. वो आ रही थी अब नहीं आ रही..
गौतम - कैसे आएगी 1 घंटे में तो पूरा इंटरनेट डाटा उड़ा दिया आपने..
सुमन - मतलब?
गौतम - मतलब ये की रोज का दो gb इंटरनेट डाटा मिलता है मुझे जो आपने रील्स देख देखकर और ये फ़ालतू की अप्प्स चला चला के ख़त्म कर दिया.. अब रात को बारह बजे के बाद ही अगला 2gb डाटा मिलेगा..
सुमन - अच्छा. मुझे कहा ये सब आता था..
गौतम - ये क्या फालतू की वीडियो बनाके डाली है आपने अकाउंट पर.
सुमन - अच्छी तो है तुमने कहा गाने की डालेंगे तो सब फ़ॉलो करेंगे. देखो 117 लोगों ने फॉलो भी किया है.
गौतम - पर ये बग्राउंड में कितना शोर है आपकी आवाजे ही नहीं आ रही है आप क्या गा रही है..
सुमन - वो सब मुझे नहीं पता..
गौतम - अच्छा ठीक है छोडो, कल से मैं आपकी मदद करूंगा.. आप आराम करो मैं जाता हूँ..
सुमन - ग़ुगु..
गौतम - हां?
सुमन - चाय मिलेगी?
गौतम - 200 रुपए लगेंगे.
सुमन - इतनी महगी? मैं खुदसे बना लुंगी.
गौतम - लेटे रहो मैं बनाता हूँ आप भी पापा की तरह कंजूस हो..
सुमन - अब आये ना लाइन पर, मसाले वाली बनाना एकदम कड़क.
गौतम रसोई में जाकर चाय बनाने लगता है इतने में उसका फ़ोन बजता है..
गौतम फ़ोन उठाकर - मुझे पता था तू जुगाड़ कर लेगा भाई. कुछ भी जुगाड़ने में तेरेसे बड़ा आदमी मैंने आज तक नहीं देखा. जीनियस है तू गांडु जीनियस.
आदिल - भोस्डिके इतने भी मेरे आंड मत चाट वरना शुगर हो जायेगी तुझे, 7 बजे मेरी गली के कोने पर आके मिल और लेट मत करना..
गौतम - 10 मिनट पहले पहुंच जाऊंगा भाई. चल रखता हूँ..
गौतम चाय बनाके सुमन के पास ले जाता है..
गौतम - माँ. चाय
सुमन चाय लेटे हुए - बाबाजी तेरे जैसा बच्चा सबको दे.
गौतम - माँ वो आज पढ़ाई के लिए फ्रेंड के घर जाना है रात को वही सो जाऊंगा..
सुमन - कोनसा फ्रेंड?
गौतम - कॉलेज फ्रेंड है आप नहीं जानती.
सुमन - कहीं जाने की जरुरत नहीं है घर पर ही बुला लो जिसके साथ पढ़ना है.
गौतम - यहां कैसे बुलाऊ माँ? जगह कहाँ है? आप तो जानती हो, आप कहोगी तो नहीं जाऊंगा.
सुमन - ओ ड्रामा क्वीन, तेरे ना ये नाटक अब मेरे सामने नहीं चलने वाले समझा? इमोशनल ब्लैकमेल करके रातभर गायब रहता है आज तो पक्का नहीं जाने दूंगी.
गौतम सुमन के बिलकुल नजदीक आकर उसे गले से लगा लेता है और सुमन के गाल पर 3-4 चुम्मिया करके कहता है - सचमें पढ़ाई करने जा रहा हूँ, आप चाहो तो जिसके पास जा रहा हूँ उसका अड्रेस और नम्बर दे जाता हूँ आपको यक़ीन ना हो तो कभी भी आकर चेक कर लेना.
सुमन - ठीक है पर सिर्फ पढ़ाई करना. फ़ोन में नंगी नंगी लड़कियों की देखकर बिगड़ मत जाना.
गौतम - छी, आप जानती हो मैं सिर्फ आपको देखता हूँ.
सुमन - मुझे सब पता है, मैं खाना बना देती हूँ खाके जाना.
गौतम - माँ वो अभी भूख नहीं लग रही मैं उसीके घर कुछ खा लूंगा. आप अपना ख्याल रखना.

गौतम अपनी बाइक लेकर आदिल के घर के कोने पर आ जाता है और अपनी बाइक का हॉर्न बजाकर जोर जोर से चिल्लाने लगता है..
गौतम - कबाड़ी वाले.. कबाड़ी वाले.. कबाड़ी वाले..
गौतम की आवाज सुनकर आदिल की बहन रेशमा घर की बालकनी से गौतम को देखती और खा जाने वाली नज़रो से उसे घूरती है इतने में पीछे से आदिल एक टपली मारते हुए गौतम से कहता है..
आदिल - अपने बाप की मैयत का रोना रो रहा है साले इतनी जोर से चिल्ला चिल्लाकर. और पीछे बैठ जाता है..
गौतम बाइक स्टार्ट करके - भाई कसम से तू मेरी जिंदगी में नहीं होता ना तो मैं वर्जिन ही रह जाता.
आदिल - हां तू वर्जिन रह जाता और मैं बेवा..
गौतम - अच्छा गाडी में तेल तो डलवा दे भाई.
आदिल - मूत देता हूँ भोस्डिके भर जाएगा टेंक. अब तेल भी मैं डलवाऊ तेरी गाडी में?
गौतम - छोटी छोटी बातों में तेरा मेरा कर रहा है भड़वे, मैंने आज तक तेरा मेरा किया है दोस्ती में? मत डलवा बहनचोद रिजर्व में भी चल जायेगी घर तक तो..
आदिल - रोये मत रंडी.. रोक ले पंप पर डलवा ले मूत इसमें..
गौतम पेट्रोल पंप पर बाइक रोककर - भईया 1000 का डाल दो..
आदिल - तूने एक साथ देखे है कभी 1000 रुपए? भोस्डिके. भाई तू 200 का डाल.
तेल डलवाकर गौतम और आदिल दोनों नवाब खान की दूकान के आगे बाइक रोकते है और ऊपर जाकर एक टेबल पर बैठते है..
आदिल वेटर से - भाई दो प्लेट बिरयानी लगा दे..
गौतम - और एक प्लेट पैक भी कर देना.
आदिल - घर लेके जाएगा क्या?
गौतम - नहीं बे चोदने के बाद भी भूख लगती है मुझे.
आदिल - साले चोदू पिछली बार तो तू भी ढीला पड़ गया था..
गौतम - अबे तो वो लड़की थोड़ी थी पक्की छिनाल थी, साली ने अपना हाथ अंदर डाल लिया मेरे लोडे से क्या फर्क पड़ता उसको?
वेटर बिरयानी रखकर जाने लगा तो गौतम वेटर से..
गौतम - भाई रायता भी ला दे.
आदिल - उफ्फ्फ यार बहनचोद हैदराबाद और लखनऊ तो फालतू फैमस है बिरयानी हो तो अजमेर जैसी.. इसकी माँ को चोदू खाते ही करंट आ जाता है नस नस में.
गौतम - सही बोल रहा है मेरे दोस्त, वैसे पैसो का जुगाड़ कहा से किया?
आदिल - मम्मू का गल्ला और क्या कहा से?
गौतम - भोस्डिके जिस दिन उसे पता लगा ना तू गल्ले पर बैठकर क्या करता है वो तेरी गांड मार मारके वसूलेगा..
आदिल - अबे तो क्या वो अपनी छाती पे धरके ले जाएगा पैसा? मोटा ग़ल्ला है रोज़ का, 2-3 हज़ार इधर उधर करने से उसे घंटा नहीं पता चलने वाला..
गौतम - सही कह रहा है वैसे भी तू होने वाला दामाद है.. तुझे क्या बोलेगा.
आदिल - भाई बोलने की तो बात मत कर, साला अपने बेटे तक को ना छोड़े कमीना.. मुझे तो नरगिस पसंद है इसलिए निकाह कर रहा हूँ. पहले भी अम्मी से कहकर बहुत कोशिश की पर उससे निकाह नहीं हो पाया. मामू ने टांग अड़ा दी और उस सऊदी अरब वाले हसन के साथ निकाह करवा दिया लेकिन हुआ क्या? साले ने 2 महीने के बाद ही तलाक़ देकर वापस भेज दिया.
गौतम - बस भाई अब आगे की कहानी मत सुना वरना आंसू आ जाएंगे. इससे पहले की बिरयानी ठंडी हो खाने में फ़ायदा है..
आदिल वेटर से - बियर कोनसी पड़ी है?
वेटर - सर यहां सिर्फ खाना मिलता है अल्कोहल नहीं मिलती..
आदिल - नया काम पर आया है क्या?
वेटर - हां इसी हफ्ते से..
गौतम - सुन.. अनवर के पास जा और उसको बोल वो दे देगा तुझे..
वेटर जाता है कुछ देर बाद किंगफ़िशर के दो कैन लेकर टेबल पर रख देता है..
आदिल और गौतम बिरयानी के साथ बियर पीते हुए बातें करने लगते है और आखिर में बियर और बिरयानी दोनों ख़त्म कर के टेबल से उठ जाते है..
आदिल - कितना हुआ अनवर?
अनवर - 920
गौतम बिल देखकर - अबे सब पर रेट बढ़ा दी क्या दस दिन में? परमानेंट लोगों के लिए डिस्काउंट रखा कर. बहनचोद लोग गल्लों में पैसे चुरा चुरा के बिरयानी खाने आते है तुम्हारे..
आदिल - चूतिये एक बियर में फेल हो गया क्या? क्या बकवास कर रहा है?
अनवर - यार तुम पुरानी रेट पर दे दो.. लाओ 750 हो गए..
आदिल - ये लो पैसे..
गौतम - मेरे अफीम का पैकेट कहा है?
अनवर - ले तेरी अफीम.. चम्मच भी है अंदर.. वापस मत आना चम्मच माँगने..
आदिल - भोस्डिका एक बियर में बिरयानी को अफीम बोल रहा है दूसरी पिला दी तो स्प्लेंडर को हवाई जहाज समझके उड़ा ना दे..
गौतम - चल भाई i can't wait to fuck bhabhi ji.. bhabhi ji i am coming for you..
आदिल - भोस्डिके ये तेरी नोबल अकेडमी नहीं है समझा? चल पीछे होजा मुझे चलाने दे..
गौतम - आजा मेरी घोड़ी जल्दी बैठ.. क्या गांड है तेरी.
आदिल - माँ के लोडे चिपका चिपकी मत कर.
गौतम - भाई तेरी गांड मारने का मन कर रहा है.
आदिल - पीछे हो जा भड़वे, क्यू अपनी माँ चुदा रहा है चूतिये..
गौतम - ये गांड मुझे दे दे आदिल.. ये गांड मुझे देदे..
आदिल - मादरचोद गाडी गिरा दूंगा, ढंग से बैठ जा.
गौतम - भाई तेरा बाप ऐसे ही आवाजे लगता है ना.. कबाड़ी वाले.. कबाड़ी वाले..
आदिल - चुदाईखाने चुपचाप बैठ जा वरना तेरी अफीम फेंक दूंगा. ठुल्ले की औलाद..
गौतम - नहीं नहीं ओ गांडू, मज़ाक़ कर रहा था गिरा मत देना उसको..
आदिल - बहन के लोडे एक बियर नहीं झीलती तुमसे.
गौतम - भाई और कितना दूर है यार एक घंटे से चलाये जा रहा है कार को..
आदिल - साले फालतू मज़ाक़ मत कर, दस मिनट भी नहीं हुई नवाबवाले के से निकले.. जगताल जाना है अभी टाइम लगेगा..
गौतम - जगताल? कबाड़ी की औलाद अब तू मुझे रंडीखाने में ले जाएगा.. साले दलाल..
आदिल - ज्यादा नाटक करेगा ना रंडी यही से वापस भेज दूंगा..
गौतम - अच्छा ठीक है यार, तू बुरा मान जाता है बात बात में लड़कियों की तरह, तू तो मेरा भाई है. ला एक पप्पी दे दे..
आदिल - सूअर तू मीठा बन गया क्या? कभी गांड के हाथ लगा रहा है कभी पप्पी ले रहा है..
गौतम - भाई दारू पिने के बाद तेरी गांड भी मिया खलीफा जैसी लगती है..
आदिल - भोस्डिके झांटभर की दारु पीकर ये हाल है कभी ढंग से पी लिया तो क्या होगा?
गौतम - भाई एक और बियर पीनी है.
आदिल - मेरा मूत पिले लोडे.
गौतम - रोक बहनचोद रोक बाइक, मुझे उतार दे.. एक बियर पर औकात दिखा रहा है झाँटु, जाने दे वापस मुझे. जा तू अकेला नहीं करना मुझे कुछ भी रोक..
आदिल - दिला दूंगा भड़वे चुप बैठ जा अब.
गौतम - वो ठेका आ गया सामने..
आदिल - भाई बंद है.
गौतम - नीचे से सब खुला है लोडे देख..
आदिल ठेके के सामने गाडी रोक कर - पिने के बाद परेशान नहीं करेगा..
गौतम - बोलूगा भी नहीं भाई..
आदिल - ठीक है रुक मैं लाता हूँ
गौतम - ठंडी लाना..
आदिल - चिल्ला मत रंडी..
गौतम - नमकीन हो तो वो भी..
आदिल ठेके के नीचे एक छोटे से खाने में नॉक करता है अंदर से आदमी की आवाज आती है..
आदमी - क्या चाहिए?
आदिल - एक बियर
आदमी - कोनसी?
आदिल - कोई सी भी सस्ती
आदमी - 170 रुपए
आदिल - लो.
आदमी अंदर से एक किंगफ़िशर की बोतल बाहर सरका देता है जिसे आदिल लेकर गौतम के पास आ जाता है..
आदिल - ले पीछे जाके पिले
गौतम बोतल लेकर खोलते हुए - पीछे क्यू बहनचोद सामने पिएंगे सबके. तू कार चला.
आदिल - चल ठीक है मगर कोई बकचोदी मत करियो.
गौतम बियर पीते हुए - भाई एक बात बोलू?
आदिल - बोल
गौतम - भाई तेरा बाप कबाड़ी वाले मस्त बोलता है..
आदिल - अबे ठुल्ले की औलाद वापस शुरु हो गया तू?
गौतम बियर पीते हुए - अच्छा सॉरी सॉरी. भाई अब नहीं बोलूंगा.
आदिल - भाई यार बकचोदी मत कर वैसे भी गांड फट रही है रंडीखाने जाने में..
गौतम - भाभी केसे बुक की तूने गंडमरे?
आदिल - अरे सोनू ने फोटो भेजी थी देखते ही पसंद आ गई साली..
गौतम - तो बुलवा लेता उसे..
आदिल - रूम पर आने के 10 हज़ार मांग रही थी, तेरी माँ के घेहने बेचने पड़ जाते..
गौतम - कबाड़ी वाले की औलाद साले भिखारी ऐसी गन्दी जगाह ले जा रहा है मुझे.. हाय किसी ने मेरी इज़्ज़त लूट ली तो? मेरा क्या होगा? मैं तो मुंह दिखाने लायक ही नहीं रहूँगा..
आदिल - रंडी पहुंचने वाले है अगर यहा तूने नाटक किया ना बहुत मारुंगा तुझे..
गौतम - भाई नहीं कुंगा बस एक बियर और पीला दे..
आदिल - भड़वे आँख चढ़ रही है तेरी इससे ज्यादा में यही सो जाएगा.. कभी कभार वाले के लिए इतनी बियर बहुत है.. अब चल.. वो साला सोनू कहा मर गया..
गौतम नशे में - भाई तू है तो दल्ला..
आदिल - अबे तेरे पैर छूता हूँ भाई तू अब कोई हरकते मत कर मेरी पहले फट रही है अंदर जाने में..
गौतम - क्यू डर रहा है भाई? बाप पुलिस में है मेरा इन सबकी माँ चोद देगा हवा में उछाल के..
आदिल - चूतिये उसको पता चल गया ना की तू यहां है तो सबसे पहले तेरी चोदेगा, वो भी हवा में उछाल के. अब मुंह बंद रख..
गौतम - अरे वो रहा तेरा सोनू.. ओ सोनू दल्ले.. सोनू दलाल..
आदिल - बहन के लोडे मुंह बंद रख अपना..
सोनू गौतम की आवाज सुन लेता है और उनके पास आ जाता है..
सोनू आदिल से - ये तेरा दोस्त ग़ुगु है ना..
गौतम - हां सोनू भाई मैं आदिल का दोस्त हूँ और आप चाहो तो मुझे अपना बाप बना सकते हो..
सोनू - क्या बकचोदी कर रहा है ये..
आदिल - अरे थोड़ा नशे में है बस तू वो बात कर जो अपने बीच हुई थी..
सोनू - भाई वो बिहारन तो किसी के साथ चली गई यार..
आदिल - भाई दिमाग अम्मी मत चोद, फटी गांड हाथ में लेके आया हूँ यहांपर..
सोनू - तो भाई मैं क्या करू अगली को वहा डबल पैसा मिला तो चली गई.. वैसे एक-दो भाभी ज़ी और है अगर मिले तो बता उसी रेट में.
गौतम - मिलेंगे मिलेंगे सोनू बेटा सबसे मिलेंगे..
आदिल - अबे चुप कर चूतिये.. अफीम गिरा दूंगा तेरी वरना.. सोनू भाई कोई फोटो कुछ है उनका..
सोनू फ़ोन निकाल कर भाई ये दो है लाल सूट वाली हरयाना की देसी है एकदम कड़क माल और दूसरी उप्र की है मज़ा ये भी पूरा देती है..
आदिल - भाई थोड़ी ज्यादा बड़ी नहीं लग रही?
सोनू - अबे तो तुमको कोनसी शादी करनी है? पेलना है और खेलना है रातभर बस.. पहले जों बुक की थी वो 32 की थी ये दोनों 34-35 के आस पास है बताओ करना है तो वरना मैं जाऊ?
आदिल - भाई सर्विस?
सोनू - फुल सर्विस नो एक्स्ट्रा चार्ज दोनों का.. बोलो करना है?
आदिल - अब आये है करके ही जाएंगे और क्या?
सोनू - कोनसी?
आदिल - हरयाना वाली.. पर कोई फालतू बसड नहीं चाहिए..
सोनू - बसड़ किस बात की? चलो आ जाओ मेरे पीछे पीछे..
सोनू आदिल और गौतम अपने पीछे पीछे जगताल की उन बदनाम गलियों से घूमता हुआ एक पुराने से दिखने वाले मकान के सामने ले आया और दोनों को दरवाजे पर रोक कर खुद अंदर चला गया..
गौतम नशे के सुरूर में अपने दोस्त आदिल की फटी हुई गांड को और फाड़ने का काम किये जा रहा था और आदिल मज़बूरी में उसे झेले जा रहा था गौतम को अपने साथ रखना उसकी मज़बूरी थी गौतम के अलावा उसका एक भी पक्का दोएत नहीं था जो उसके लिए खड़ा हो सकता था और वो जानता था की गौतम दिल का बुरा नहीं है यही कारण था की गौतम की इन हरकतो के बावजूद आदिल उसे भाई की तरह मानता था..
सोनू बाहर आकर - अंदर आ जाओ..
आदिल गौतम के साथ अंदर चला गया और सोनू के पीछे चलते हुए मकान की तीसरी मंज़िल पर पहुंचकर एक बड़े कमरे में पहुंच गये जहाँ 4-5 औरते एक साथ बेड पर बैठी थी और उनमे से एक औरत जो करीब 50-52 साल की थी दूसरी औरत से अपने पैर दबवा रही थी..
सोनू और उसके पीछे पीछे गौतम और आदिल भी कमरे के अंदर आ गए थे..
सोनू - रेखा काकी.. ये दोनों लड़के है. पैसे एडवांस ले लिए..
रेखा काकी आदिल और गौतम को देखकर - क्या रे नाबालिक तो नहीं हो दोनों? तू चिकने..
सोनू ने गौतम की तरफ इशारा किया..
रेखा ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा - ये तेरे हाथ में क्या है? क्या है इस थैली में?
गौतम - इसमें अफीम है खानी है?
आदिल ने अपनी फटी हुई गांड सँभालते हुए गौतम को देखा और इशारे से चुप रहने को कहा..
रेखा काकी - बेटा यहां मसखारी नहीं.. वरना इज़्ज़त लेने की जगह देनी पड़ सकती है.. समझा?
गौतम - मैं तो लेने और देने दोनों के लिए त्यार हूँ बताओ किसको देनी है और किसकी लेनी है?
कमरे में बैठे सभी लोग जोर से खिलखिलाकर हंसने लगे और रेखा भी हस्ते हुए गौतम को देखने लगी.
रेखा काकी - क्यू रे नाम क्या है इसका?
सोनू - काकी ग़ुगु..
रेखा काकी हस्ते हुए - क्या चिकने? ज्यादा जवानी चढ़ी है? कहे तो पुलिस के आदमी बुलाके उतरवा दू? जेल में जाएगा तो सारी उतर जायेगी.. ऐ नीतू जरा लगा तो फ़ोन उस ठुल्ले को..
आदिल - नहीं नहीं हमे कुछ नहीं करना पुलिस को मत बुलाओ.. हम जाते है यहां से.. ये तो बस थोड़ी दारू पी रखा है इसलिए ऐसा बोल रहा है..
गौतम - अबे क्या छोरियो की तरह रो रहा है गांडु बुलाने दे पुलिस को.. मेरा बाप पुलिस वाला है हम तो एक दो घंटे में छूट जाएंगे मगर तुम्हारे ऊपर इतने फ़र्ज़ी केस लगेंगे की गिनती भूल जाओगे..
रेखा काकी - अरे ये देखो, मुझे लगा की मेरे थोड़ा डराने से रोने लगेगा मगर ये मुझे ही धमकाता है.. बेटा तेरे बाप जैसे बहुत सारे ठुल्ले रेखा काकी के ब्लाउज में बंद है समझा? नादान बच्चा समझके माफ़ किये देती हूँ वरना तेरी ये चाँद सी सूरत अमावस जैसी करवा डालती मैं आज.. सोनू लेजा इस लाल शर्ट को और मिला दे काजल से..
सोनू - काकी ग़ुगु को
रेखा काकी - इस ग़ुगु को रूपा के कमरे में भेज, बहुत दिनों से उदास है बेचारी शायद इस ताज़ा खिले फूल का मीठा रस पीकर खुश हो जाए.. कहना काकी ने बर्थडे गिफ्ट भिजवाया है
आदिल - हमारे पास और पैसे नहीं है देने के लिए..
रेखा काकी - तुमसे मागे मैंने और पैसे? diwali ऑफर है एक के साथ एक फ्री.. चलो अब जाओ..
सोनू - चलो
सोनू गौतम और आदिल को नोचे दूसरी मंज़िल पर ले आता है और चुनी हुई लड़की के पास आदिल को छोड़कर कोने वाले कमरे में गौतम को ले जाता है जहाँ खिड़की के सामने खड़ी हुई औरत जो अपनी उंगलियों में सुलगती हुई सिगरेट लगाए कश लेकर धुआँ बाहर छोड़ रही थी को पुकारता है..
सोनू - रूपा मौसी..

रूपा - 40
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सोनू की आवाज से रूपा का सारा ध्यान खिड़की के बाहर से अंदर की ओर मुड़ जाता है रूपा दरवाजे पर खड़े सोनू को देखती है ओर सोनू आगे कहता है..
सोनू - मौसी वो काकी ने इस लड़के को भिजवाया था आपके आप, काकी बोली आपका बर्थडे गिफ्ट है.
गौतम अपने बहकते हुए कदमो पर खड़ा होकर नशीली आँखों से कमरे की सजावट देखे जा रहा था उसने इतना सजा हुआ कमरा कभी नहीं देखा था उसका ध्यान ना रूपा पर था ना सोनू पर ना ही उन दोनों की बातों पर..
रूपा - और क्या कहा दीदी ने?
सोनू - कुछ नहीं. बस यही कहा..
रूपा - नाम क्या है इसका?
सोनू - ग़ुगु..
रूपा - ठीक है तू जा..

सोनू रूपा के कहने पर वहा से चला गया और रूपा ने सोनू के जाने के बाद अपनी उंगलियों में सुलगती हुई सिगरेट का एक लम्बा कश खींचा और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया..
Superb story
 

sam21003

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सुमन (43)


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अजमेर के पश्चिमी इलाके में बने पुलिस क्वाटर के छोटे से कमरे में गौतम रात को इतिहास की किताब पढ़ते हुए कब सो गया था उसे भी पता नहीं चला. सुबह जब उसकी माँ सुमन चाय का कप हाथ में लेकर आई और गौतम को अपना हाथ लगाकर नहीं जगा दिया तब तक गौतम की नींद नहीं खुली थी.

सुबह के साढ़े आठ बजे का समय हो चूका था और गौतम के पिता जगमोहन जो पुलिस में हेड कांस्टेबल थे अपनी वर्दी पहन के थाने के लिए निकल चुके थे, सुमन भी घर का सारा काम आज जल्दी निपटाकर बैठ गई थी और अब गौतम जिसे सुमन प्यार से ग़ुगु कहकर पुकारती थी जगाने आ गई गई और चाय का कप बेड के किनारे रख कर प्यार से गौतम को जगा रही थी..

गौतम - सोने दो ना माँ..

सुमन - बहुत सो चुके नवाबसाब.. अब उठो और जल्दी से त्यार हो जाओ. कल बताया था ना आज बाबाज़ी के थान पर जाना है माथा टेकने.

सुमन ने गौतम के गालो सहलाते हुए कहा और उसके बगल में जो किताब पड़ी थी उसे उठाकर साइड में स्टडी टेबल पर रख दिया.

गौतम - कब तक इन पाखंडी बाबाओ के चक्कर में रहोगी माँ. कुछ फ़ायदा नहीं है वहा जाने से, उन्हें तो बस चढावे के पैसो से मतलब है, अन्धविश्वास फैलाते है और लोगों को लुटते है.

गौतम ने तकिये को अपने सीने से लगाकर आँख बंद किये हुए ही ये बात सुमन से कही जिसके जवाब में सुमन ने गौतम के हाथों से वो तकिया खींच लिया और हाथ पकड़कर उठाते हुए बोली..

सुमन - मेरा अन्धविश्वास है तो अंधविश्वास ही सही. तुम अंदर मत जाना मैं जाकर बाबाजी को माथा टेक आउंगी. बाबाजी के कारण ही ये गृहस्थी खुशहाल चल रही है वरना ना जाने क्या होता? मेरी सुनी कोख भी तो उनके आशीर्वाद से हरी हुई थी डाक्टर तक ने जवाब दे दिया था कि मैं बाँझ ही रहूंगी पर बाबाजी के आशीर्वाद से मुझे मेरा ग़ुगु मिला और तेरे पापा जब ससपेंड हुए थे तब भी बाबाजी के करम से ही वापस उनकी बहाली हुई.

सुमन कि बातों से गौतम चिढ़ते हुए अंगड़ाई लेकर उठ गया और सुमन का हाथ पकड़ते हुए बोला..

गौतम - अच्छा ठीक है माँ आपको मानना है तो मानो पर कह देता हूँ मैं कभी ऐसे बाबा-वाबा के चक्कर में नहीं आऊंगा. आप तो वैसे भी इतनी भोली हो कि कोई भी आपको बेवकूफ बनाकर अपने उल्लू सीधा कर सकता है. गौतम ने चाय का कप लिया और एक सिप लेकर वापस कहा माँ.. सुबह सुबह आपके हाथो कि अदरक वाली चाय ना मिले तो सुबह सुबह जैसी नहीं लगती.

सुमन गौतम की बात सुनकर मुस्कुराते हुए उसके पास आई और एक प्यार से भरा हुआ ममतामई चुम्बन गौतम के गाल पर करके बोली - अब ये मस्का लगाना बंद कर और जल्दी से नाहधो कर त्यार होजा मैं नास्ता लगाती हूँ.

सुमन इतना कहकर कमरे से भर आ गई और गौतम चाय की चुस्की लेटे हुए खड़ा होकर खिड़की से बाहर सडक के दूसरी तरफ अपने काम से आते जाते लोगों को देखने लगा.. इतने मे गौतम की नज़र टेबल पर पड़े अपने फ़ोन पर चली गई जो साइलेंट पर था और कब से उसमे किसीका फ़ोन आ रहा था.

गौतम ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ उसका दोस्त आदिल था जो हड़बड़ी में था.

आदिल - भोस्डिके रंडी.. कब से फ़ोन कर रहा हूँ गांड में डालके बैठा था क्या? उठाया क्यू नहीं? क्या कर रहा था?

गौतम - तेरी अम्मी चोद रहा था घोड़ी बनाके गांडु. वैसे सुबह सुबह क्यू फ़ोन कर रहा है? गांड देने का इरादा है क्या?

आदिल - मज़ाक़ मत कर, सुन एक बिहारन भाभी है मस्त सिर्फ 4 हज़ार में फुल नाईट सर्विस देने को त्यार है. आज रात दोनों भाई मचका देते है बता क्या बोलता है? बुक करू?

गौतम - पैसे कौन तेरा कबाड़ी बाप देगा मेरी रांडबाजी के लिए?

आदिल - अबे तुझे दो हज़ार का ही तो जुगाड़ करना है सोच ले. ऐसा माल बार बार नहीं मिलता. सिर्फ दो हज़ार की बात है.

गौतम - साले 5G के जमाने मैं कीपैड वाला 2G फ़ोन इस्तेमाल कर रहा हूँ और तू बोल रहा है 2 हज़ार की बात है.

आदिल - अबे इससे ज्यादा तो तेरा बाप एक दिन में ऊपर की कमाई कर लेता होगा. तू बहनचोद फिर भी ऐसे रो रहा है.

गौतम - भाई मेरा बाप जितना भी कमाता है अपनी गांड में छुपा के रखता है मुझे दो टाइम की रोटी के अलावा कुछ नहीं देता. सो रुपए भी मांगूगा तो दस सवाल पूछेगा. मेरे पास तो पैसे नहीं है फ्री दिलाये तो बता देना.

आदिल - फ्री में मेरा लंड लेले साले भिखारी. बहनचोद हर बार का तेरा यही रंडी रोना होता है.

गौतम - लंड है तेरे पास गांडु? साले हर बार बस पांच मिनट में जड़ जाता है और फिर चोदने की जगह बस हिलाके आ जाता है. मेरे पास तो नहीं है कुछ, भी तू करावाये तो बता देना.

आदिल - हां साले बचपन से अब तक मैने ही पाला है तुझे. चल देखता हूँ पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर लूंगा.

गौतम - थोड़ा एक्स्ट्रा जुगाड़ करना भाई बहुत दिन हो गए नवाबवाले की बिरयानी भी खाके आएंगे.

आदिल - भोस्डिके अब ऊँगली पकड़ा दी तो कंधे पर चढ़कर कान में मत मूत. पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर दूंगा वरना हिला के सोजाना अपनी फेवरेट tisca chopda पर साले आंटी लवर.

गौतम चाय पीकर कप टेबल पर रखते हुए आदिल से कहता है

गौतम - साले सुबह सुबह उसका नाम लेना जरुरी था क्या? मेरा नाग वैसे ही खड़ा होकर फुफकार रहा है अब तो हिलना ही पड़ेगा.

आदिल हँसते हुए - साले वहशी 50 साल की बुढ़िया है वो, तेरे जैसे बच्चे को निम्बू की तरह निचोड़ देगी.

गौतम - भाई 50 की उम्र में भी पूरी माल लगती है साली. ऐसी बुढ़िया के लिए तो ख़ुशी खुशी निम्बू की तरह नीचुड़ जाऊ, अपनी मर्ज़ी से अपनी इज़्ज़त लुटवा दूँ. चल अब रखता हूँ.

आदिल - भाई पूरा हवसी है तू. ठीक है मिलते है शाम को.

आदिल का फ़ोन कटने पर गौतम टॉवल के साथ बाथरूम चला गया और पहले अपनी पसंदीदा एक्ट्रेस tisca chopda को cum ट्रिब्यूट दिया और फिर नहाने लगा. सुमन नास्ता त्यार कर वापस गौतम के कमरे में आई और जब उसने देखा की गौतम अब तक नहीं नहाया है तो उसने बाथरूम का दरवाजा बजाते हुए गौतम से कहा.

सुमन - ग़ुगु.. ग़ुगु..

नहाते हुए ही गौतम ने अपनी माँ सुमन का जवाब दिया

गौतम - हां माँ..

सुमन - ग़ुगु और कितनी देर लगाएगा बाबू? जरा जल्दी कर ना. शाम से पहले वापस भी आना है.

गौतम - आ गया बस पांच मिनट और.

सुमन - अच्छा ठीक है मैं तेरे कपडे निकाल कर बेड पर रख देती हूँ तू जरा जल्दी कर.

सुमन ने बेड के सामने दिवार से सटी हुई एक पुरानी सी लड़की की अलमीरा का दरवाजा खोला और उसमे गौतम के कपडो को टटोलने लगी ज्यादातर लवर टीशर्ट ही उसे दिखी और नीचे कुछ जीन्स शर्ट भी नज़र आई सबकुछ इतना अव्यवस्थित था की सुमन को समझ नहीं आया वो कोनसे कपडे निकाले और कोनसे नहीं, इतने में उसकी नज़र नीचे इस्त्री किये हुए एक जोड़े पर पड़ी जो उसीने गौतम को दिलाई थी मगर गौतम ने एक भी बार उन कपड़ो को नहीं पहना था. सुमन ने वो डस्टी ऑफ ग्रे जीन्स और उसके साथ ही डार्क पिंक डेनिम शर्ट निकालकर बेड पर रख दी इतने में गौतम नहाकर तौलिया लपेटे बाहर आ गया और कपडे देखकर सुमन से कहने लगा..

गौतम - माँ ये पिंक शर्ट रहने दो लड़कियों वाला कलर लगता है.

सुमन - अच्छा? रंग में कब से लड़की और लड़का होने लगा? तेरे ऊपर गुलाबी रंग खिलता है इसलिए निकाला है चुपचाप पहन ले समझा?

सुमन इतना कहकर बाहर आ गयी और गौतम ने उन कपड़ो को पहनकर नीचे स्पोर्ट शूज डाल लिये और बाल बनाकर कमरे से बाहर निकलकर रसोई में आ गया.


कॉलेज के आखिरी साल में पढ़ रहे गौतम की उम्र करीब 20 साल थी, रंग सुमन के जैसा ही गोरा और नयननक्ष भी सुमन की तरह मनमोहक और आकर्षक थे कद करीब 6 फुट और बाल हलके से घूँघराले थे जो उसके चेहरे को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने का काम कर रहे थे.. सुमन ने जब गौतम को उन कपड़ो में देखा तो देखती रह गई गौतम किसी फ़िल्मी हीरो से ज्यादा ही अच्छा लग रहा था.

सुमन ने नास्ते की प्लेट गौतम के आगे करते हुए कहा..

सुमन - लीजिये राजासाहब आपकी सल्तनत में आज ये बना है खाने को..

गौतम सुमन से नास्ते की प्लेट लेकर रसोई में बनी मार्बल की पट्टी पर उछलकर बैठ गया और सुमन की बात का जवाब देते हुए कहा..

गौतम - काहे का राजा माँ.. एक फ़ोन के लिए बोला था वो तो नहीं दिलाया अभी तक आपने? और आज भी नास्ते में पोहे बना दिए? कम से कम पराठे बना देती.

सुमन बर्तन साफ करती हुई - पराठे शाम को खा लेना और वैसे फ़ोन कितने तक का आएगा तुम्हारा?

गौतम खुश होकर - ज्यादा महँगा नहीं चाहिए बस 30-35 हज़ार तक दिला दो..

सुमन 30-35 हज़ार सुनकर चौंकते हुए बोली - इतना महंगा? बेटा इसके तो तेरे पापा से बात कर, मुझे तो चोरी करनी पड़ेगी या डाका डालना पड़ेगा तुझे उतना महँगा फ़ोन दिलाने के लिए. कोई 10-15 हज़ार वाला लेना हो तो दिला सकती हूँ..

गौतम - पापा से क्या बात करू? वो मुझे फ़ोन क्या चार्जर तक नहीं दिलाने वाले और 10-15 हज़ार वाले फ़ोन ज्यादा दिनो तक चलते नहीं है.

सुमन - फिर तो बेटू ज़ी इसी से काम चलाओ.

गौतम - माँ..

सुमन - हम्म?

गौतम - एक काम हो सकता है.

सुमन - क्या?

गौतम - आप इंस्टालमेंट पर फ़ोन दिला दो. हर मैंने 2-3 हज़ार तो आप पापा से जुगाड़ ही लोगी उसके लिए.

सुमन - बदले में मुझे क्या मिलेगा.

गौतम - बदले में मैं आपका एक अकाउंट बना दूंगा इंस्टा पर वहां आप रील्स में गाना गा कर लोगों को अपनी मीठी आवाज सुना सकती है जैसे किसी फंक्शन में आप गाती हो. लोग अगर ज्यादा फॉलो करेंगे तो उससे पैसे भी मिलते है और आप फेमस भी हो जाओगी.

सुमन - वो क्या होता है?

गौतम - एक ऐप होती है व्हाट्सप्प की तरह. बस ज्यादातर कुछ नहीं करना होता.

सुमन - चल ठीक है.. दिला दूंगी अब खुश?

गौतम - पक्का ना?

सुमन - हां पक्का, बाबाजी के से आते हुए ले लेंगे फ़ोन बस.

गौतम ख़ुशी से सुमन को गले लगाकर उसके गालो पर चुम्बन करते हुए कहता है..

गौतम - थैंक यू माँ.. यू आर बेस्ट.. ई लव यू..

सुमन शरमाते हुए - चल हट, बदमाश कहीं का. माँ को आई लव यू बोलता है.

गौतम - तो क्या हुआ सब बोलते है. इसमें क्या बुरा है.

सुमन गौतम की शर्ट का एक्स्ट्रा खुला हुआ बटन बंद करते हुए कहती है..

सुमन - हां हां अग्रेज की औलाद.. समझ गई मैं. मैंने ही तेरे पापा से ज़िद करके तुझे बड़ी वाली इंग्लिश मेडियम स्कूल में भिजवाया था. अब अंग्रेजो वाले लक्षण तो आयेंगे ही.

गौतम नास्ते की प्लेट रखते हुए मज़ाकिया ढंग से - अच्छा तो मैं अंग्रेजो की औलाद हूँ?

सुमन शरमाते हुए गुस्से में - चुप बेशर्म.. कुछ भी बोलता है. अब चल वरना आते आते पक्का शाम हो जायेगी, पाता नहीं कितनी भीड़ बैठी होगी बाबाजी के सामने.

गौतम - चलो तो..

सुमन - कमरे की खिड़की बंद है ना?

गौतम - हां

सुमन - ठीक है जाके बाइक स्टार्ट कर मैं ताला लगा के आती हूँ.

गौतम सुमन की बात मानकर घर के बाहर आ जाता है और घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाई तरफ खड़ी एक पुरानी स्प्लेंडर को स्टार्ट के सुमन का इंतजार करने लगता है वही सुमन घर के मुख्य दरवाजे पर डबल लॉक लगा कर गौतम के पीछे बैठ जाती है और दोनों शहर से बाहर एक पहाड़ी के ऊपर बने छोटे मगर बहुत पुराने मन्दिरनुमा ढांचे पर जाने के लिए निकल जाते है.. थोड़ी दूर जाकर ही गौतम पीछे बैठी सुमन से कहता है..

गौतम - माँ..

सुमन - हां.

गौतम - पेट्रोल ख़त्म होने वाला है.

सुमन - ठीक है आगे भरवा लेना.

गौतम सुमन की बात सुनकर चुपचाप गाडी चलाता है और आगे एक पेट्रोल पंप के सामने गाडी रोक लेता है

गौतम - माँ आप यही रुको मैं तेल डलवा के आता हूँ..

सुमन एक 500 का नोट देते हुए - ठीक है ले डलवा ला.

गौतम पैसे लेकर पम्प के सामने आ जाता है.

गौतम भईया - 100 का डाल दो..

गौतम 100 का तेल डलवा कर बाकी अपनी जेब में रख लेटा है और वापस सुमन के पास आ जाता है..

गौतम - माँ बैठो..

सुमन - हां रुक.

गौतम - माँ वापस भूक लगी है आगे कोटा कचोरी वाले के रोक लूँ? कचोरी खाके चलते है.

सुमन - अच्छा ठीक है मेरे भुक्कड़ बेटू.. सुमन ने गौतम के दोनों गालो को अपने एक हाथ से पिचकाते हुए प्यार से कहा और वापस बाइक पर बैठ गई.

गौतम थोड़ा आगे चलकर बाइक को किनारे लगा देता है और सुमन से 100 रुपए लेकर दो कचोरी ले आता है.

गौतम - कैसी है माँ कचोरी?

सुमन - अच्छी है पर थोड़ा जल्दी कर ग़ुगु बाबाजी के पहुंचना भी है.

गौतम - अब वो पाखंडी बाबा इतनी दूर अपनी दूकान खोलके बैठा है तो मैं क्या करू? समय तो लगता ही है जाने मैं.

सुमन - ग़ुगु तमीज से, क्या अनाप शनाप फालतू बात कर रहा है. पागल लड़का.

गौतम - पागल मैं नहीं हूँ. पागल आपके बाबाजी सबको बनाते है. चलो अब, पता नहीं आज कोनसा टोना टोटका बताएगा वो बाबा. क़ब्र में पैर है फिर भी ये सब कर रहा है.

सुमन गौतम के पीछे बैठ गयी और अपने हाथ को आगे लेजाकर गौतम को पकड़ते हुए उसकी गर्दन पर चुम लिया प्यार से वापस बोली.

सुमन - बड़े लोग सही कहकर गए है ज्यादा पढ़ाई लिखाई मति भ्र्स्ट कर देती है. तुझे किसी छोटे स्कूल ही भेजना चाहिए था.

गौतम ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और बाइक को चलाने लगा. इस बार उसने पहाड़ी के नीचे एक बरगद के बड़े से पेड़ के पास बाइक रोक दी जहाँ और भी बहुत सी गाड़िया खड़ी थी. थोड़ा आगे से टूटी फूटी सीढ़िया ऊपर की तरफ जा रही थी और ऊपर एक तरह का बड़ा सा हॉल बना हुआ था जिसके चारो तरफ पत्थर की दिवार और छत पर लोहे की पट्टीया लगी हुई थी देखने से मंदिरनुमा लगने वाला ये ढांचा अंदर से खाली था बस एक तरफ एक बूढा आदमी हाथ में लकड़ी की डंडी लिए आसान पर बैठा था और बहुत से लोग कतार लगाए सामने बैठे थे और बारी बारी से अपना दुखड़ा लेकर उस बूढ़े आदमी के सामने जाते थे.


गौतम - चलो अब सीढिया चढ़ो, बहुत शोक है ना बाबाजी के पास जाने का.

सुमन ने गौतम का हाथ पकड़ा और उसकी बात का जवाब देते हुए बोली - चलना तो तुझे भी पड़ेगा मेरे साथ बिगड़ैल शहजादे..

सुमन ये कहकर गौतम के साथ सीढिया चढ़ने लगी और एक के बाद एक 250 सीढ़िया चढ़कर उस ढाचे के सामने पहुंच गई..

गौतम - लो माँ पानी..

सुमन पानी की बोतल लेकर पानी के दो घूंट लगाती है और दो चार मिनट सांस लेकर बोतल वापस गौतम को दे देती है..

गौतम - जाओ जब फ्री हो जाओ बता देना मैं यही हूँ..

सुमन मज़ाकिया अंदाज़ में - जैसी आपकी आज्ञा. और उस ढाचे के अंदर जाकर उस कतार में बैठ गई. करीब 50 लोग सुमन से आगे कतार में थे और सब अपनी अपनी बात बूढ़े आदमी को बताते थे और बूढा आदमी उनकी समस्या का निवारण करने के लिए कोई ना कोई तरतीब पर्चे पर लिखकर सुझा देता था.


गौतम बाहर टहलता हुआ वहां से बाई तरफ आ गया और पहाड़ी पर से उतरने के बने हुए दूसरे कच्चे रास्ते पर थोड़ा नीचे जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया जहा से पीछे का जंगल साफ दिखाई देता था, वहां से गौतम हर बार की तरह जंगल के अंदर बने एक तलब को देखने लगा जहा नीलगाय और बाकी जानवर पानी पी रहे थे. उसका मन वहा जाकर उस तलब को पास से देखने का होता मगर जंगल में कौन जाए? कहीं कोई जानवर सामने आ गया तो क्या होगा? और अगर उसे कुछ हो गया तो उसकी माँ सुमन का क्या हाल होगा? कितना लाड करती है वो गौतम से. गौतम यही सब सोचते हुए उस पेड़ के नीचे बैठकर जंगल की खूबसूरती देखने रहा था मगर कुछ देर बाद उसे नीचे से किसी के ऊपर पहाड़ी पर आने की आवाज सुनाई दी उसने देखा एक बूढा सा दिखने वाला आदमी जिसके तन पर एक मैली धोती लिपटी थी वो ऊपर चले आ रहा था.

बूढ़े ने गौतम को देखा तो वो वही ठहर गया और गौतम से पिने के लिए पानी मांगा. गौतम ने बिना कुछ सोचे समझें उस बूढ़े को अपने पास रखी पानी की बोतल पकड़ा दी और वापस जंगल की और देखने लगा. बूढ़े ने थोड़ा सा पानी अपनी हथेली पर लेकर अपने सर पर छिड़का और फिर थोड़ा पानी पीकर बोतल रख दी.

बूढा - यहां बैठके किसे देख रहा है? कुछ चाहिए तो जा बाबाजी से बोल वो तुझे कोई ना कोई रास्ता बता देंगे.

गौतम - तुमसे मतलब? जिसे देखो वही बाबाजी कर रहा है यहा.

बूढा हसते हुए - अच्छा ठीक है, गुस्सा क्यू करता है सच कहु मुझे भी ये बाबा ढोंगी नज़र आता है.

गौतम - तुम्हे जो लगता है उससे मुझे क्या मतलब?जाके अपना काम करो.

बूढा - वही तो करने ऊपर आया हूँ. मैंने बहुत बार तुझे इस तरह यही पर इसी पेड़ के नीचे बैठकर जंगल को देखते हुए देखा है, आज सोचा आकर तुझसे कुछ बात करू की तू क्या देखता है और क्या तेरे मन में है?

गौतम ने एक नज़र बूढ़े को ऊपर से नीचे की तरफ देखा.. मैली कुचेली धोती को बदन पर लपेटे 70 साल का देखने वाला वो बूढा सर और दादी के सारे बाल सफ़ेद करवा चूका था जिनमे से आधे से ज्यादा झड़ भी चुके थे पैरों में पुरानी सी चप्पल जो मानो एक दूसरे से बिलकुल जुदा थी शायद अलग अलग साइज की भी होंगी. बूढ़े की ऐसी हालात और उसपर उसकी जटिल बातें गौतम के सर के ऊपर से ही जा रही थी गौतम को वो बूढा कोई सठयाया हुआ पागल मालूम पड़ता था.

गौतम - देख बुड्ढे ऐसी बात है 250 सीढ़ी चढ़कर आया हूँ पहले ही दिमाग खराब है तू और मत कर. जा यहां से.

बूढा- जाता हूँ लेकिन तूने मुझे पानी पिलाया है बदले में अगर तुझे कुछ चाहिए तो बता? मैं अभी दे देता हूँ.

गौतम बूढ़े की बात सुनके ओर ज्यादा झुंझला गया, एक तो बूढा फटीचर और फटेहाल ऊपर से बाते ऐसी की किसी सल्तनत का सुल्तान हो. गौतम ने गुस्से में आकर चिल्लाते हुए बूढ़े से कहा..

गौतम - ऐसा लोडा चाहिए जो हर औरत को दीवाना बना दे. देगा? चल भाग यहां से पागल बूढा, कब से सर खाये जा रहा है.

बूढ़े ने हँसते हुए गौतम से कहा - अच्छा अच्छा गुस्सा मत कर बच्चे, मैं चलता हूँ पर वहा उस पेड़ से थोड़े जामुन तोड़कर देदे इस उम्र में मुझसे नहीं तोड़े जाते..

गौतम का मन किया की उस बूढ़े को वापस कोई उल्टा जवाब दे दे मगर उसकी हालात और देखने से साफ दिखती बदन की हड्डिया देखकर गौतम को उसपर तरस आ गया और वो जाकर जामुन तोड़ लाया और उस बूढ़े को जो धोती के छोर को झोली बनाये खड़ा था दे देता है.

बुड्ढा - एक जामुन तू भी खा ले बेटा. इस पेड़ के जामुन बहुत स्वादिस्ट है.

इस बार गौतम बुड्ढे से बहस करने के मूंड में नहीं था उसने एक जामुन उसकी झोली से उठाया और पानी से धोकर अपने मुंह में डाल लिया. बुड्ढा ये देखकर मुस्कुराते हुए वापस नीचे चला गया और गौतम उस जामुन की गुठली को थूकते हुए वापस पहाड़ी के ऊपर आ गया जहा वही के एक पुराने आदमी ने गौतम से पूछा..

आदमी - वो बड़े बाबाजी क्या बात कर रहे थे तुमसे?

गौतम - पता नहीं क्या बकवास रहा था बुड्ढा. मुझे तो पागल-वागल लग रहा था.

आदमी - लड़के जबान संभाल के. जानता है वो कौन है? वो हमारे बाबाजी के बड़े भाई है, सालों से नीचे जंगल में रहते है उनकी वही कुटिया है. बाबाजी भी उनके चरण छूते है.

गौतम - जो भी हो मुझे उनसे क्या मतलब? हालात से भिखारी लग रहे थे.

आदमी - लड़के तू किस्मत वाला है जो बड़े बाबाजी ने तुझसे बात की है वरना लोग तरसते है उनसे मिलने के लिए. बाबा जी खुद भी कई-कई दिनो तक कई बार तो महीनों तक उनसे मिलने के लिए इंतजार करते है..

गौतम आदमी की बाते सुनकर वहा से जाता हुआ - लगता है यहां सारे लोग पागल है और फिर अपनेआप से बात करता हुआ गौतम वापस वही आ जाता है जहा उसने सुमन को छोड़ा था..


सुबह ग्यारह बजे कतार में बैठी सुमन की बारी आते आते दोपहर के डेढ़ बज गए..

सुमन हाथ जोड़कर - प्रणाम बाबाजी.

बुढ़ा - बोल बिटिया अब क्या चाहिए है?

सुमन - बाबाजी आपकी कृपा से एक प्यारासा बेटा मिला है पति की नोकरी वापस मिली है और गृहस्थी भी अच्छी चल रही है बस अब एक छोटे से घर की कमी है. सालों से सरकारी क्वाटर में गुजर हो रही है जहाँ ना सामान रखने की जगह है ना रहने की. आशीर्वाद दीजिये बाबाजी घर का कोई इंतज़ाम हो जाए.

बुढ़ा - घर का संजोग इस बरस के आखिर में बनता दिख रहा है बिटिया. तुझे दो काम करने होंगे, कर पाएगी?

सुमन - मैं करूंगी बाबाजी, जो आप कहोगे वैसा ही करुँगी. बस अपना खुदका एक छोटा सा घर बन जाए बाबाजी.

बुढ़ा - तो ठीक है मैं पर्चे पर दोनों काम लिख देता हूँ तू पढ़ने के बाद पर्चा बाहर आग में जाला देना.

सुमन - जैसा आप बोलो.

बुढ़ा पर्चा लिखते हुए - अगले छः माह तक ये दोनो काम तुझे बिना रुके करने होंगे..

बुढ़ा से पर्चा लेकर सुमन उठ जाती है बाहर आकर पर्चा पढ़ने लगती है.. पर्चे में पहला काम लिखा था की सुमन को हर पूर्णिमा लाल रंग के कपडे पहनने होंगे और दूसरा उसे पूर्णिमा वाले दिन ही अपने बेटे को अपना स्तनपान कराना होगा.

सुमन ने पर्चा पढ़कर यही एक जलती गोबर के उपलों की आग में डालकर स्वाह कर दिया और गौतम को देखने लगती है जो सामने ही एक पत्थर पर बैठा नीचे की तरफ देख रहा था.

सुमन - चले?

गौतम - शुक्र है पिछली बार की तरह शाम नहीं हुई.

सुमन - हां आज भीड़ थोड़ी कम थी.

दोनों एक साथ सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए बात करने लगते है..

गौतम - तो कितना चढ़ावा दिया आज बाबाज़ी को?

सुमन - बाबाजी कहा कुछ मांगते है लोग तो अपनी इच्छा से देते है जो देना है.

गौतम - तो आज क्या इच्छा थी आपकी?

सुमन - तू भी ना बहुत उल्टी सीधी बातें करने लगा है आजकल. कोई और बात नहीं सूझती तुझे? जब देखो हर चीज में दोष निकालता रहता है. कभी किसी चीज में कुछ अच्छा नहीं दीखता?

गौतम - मुझे तो अच्छा बुरा सब दीखता है. पर आपको बस सबमे अच्छा ही दीखता है. कभी किसी बुरी चीज नहीं दिखती.

सुमन - चल अब जल्दी घर चल, तेरे पापा का फ़ोन आया था उनको सुबह कुछ साथ में ले जाना था जो घर छूट गया तू थाने जाकर दे आना..

गौतम बाइक के किक मारते हुए - छूटा नहीं होगा जानबूझ कर छोड़ गए होंगे. उन्हें तो मज़ा आता मुझे घुमाने में.

सुमन - अच्छा? तू सबको अपना दुश्मन मानता है..

गौतम - लो अब इस कबाड को स्टार्ट कर लो.. एक न्यू बाइक लेने के लिए कहा था ये सेकंड हेंड खटारा लाकर दे दी.. बिना दस लात खाये स्टार्ट होने का नाम ही नहीं लेती.

सुमन - ग़ुगु प्यार से करो हो जायेगी, देखो हो गई ना.

गौतम - माँ अब चलो बैठो इससे पहले की ये वापस अपना दम तोड़ दे..

सुमन बाइक पर बैठकर - चल. गुस्से में तेरी ऐसे लाल होती है जैसे टमाटर. और भी प्यारा लगता है मेरा बच्चा.

गौतम और सुमन शहर की गलियों में दाखिल हो जाते है और गौतम एक दूकान के आगे गाडी रोक लेता है.

सुमन - क्या हुआ?

गौतम - क्या मतलब? याद नहीं आपने क्या कहा था फ़ोन दिलाओगी?

सुमन - अरे मैं तो वो भूल ही गई थी.

गौतम - पर मुझे सब याद है.

सुमन - अच्छा चल ले ले जो चाहिए.

गौतम - आप भी चलो..

दूकान में कई फ़ोन देखने और परखने के बाद गौतम ने एक फ़ोन पसंद किया और उसे कुछ डाउनपेमेंट देकर इनस्टॉलमेंट पर खरीद लिया..

सुमन - ज्यादा महंगा नहीं ले लिया? तेरे पापा को पता चलेगा तो तेरे साथ मुझे भी कच्चा चबा जाएंगे.

गौतम - उन्हें कीमत बताएगा कौन? आप कह देना 15 हज़ार का है. उनको कोनसा पता चलेगा?

सुमन - तू मुझसे पता नहीं क्या क्या करवाएगा? अगर उन्होंने झूठ पकड़ लिया तो शामत पक्की है. कहीं देखकर ना पहचान ले की फ़ोन 15 नहीं 35 का है.

गौतम - आप अगर इस तरह हड़बड़ाकर बताओगी तो उन्हें बिना देखे पता चल जाएगा. बिलकुल वैसे कहना जैसे बुआ कहती है.

सुमन - हम्म अब वही डायन बची है नक़ल करने के लिए?

गौतम - चलो अब खोलो इस ताज़महल का दरवाजा या मैं खुल जा सिम सिम बोलू?

सुमन चाबी निकालकर - तू ना पिटेगा मुझसे पक्का.

गौतम - अंदर चलकर पिट लेना वैसे भी गब्बर सिंह का दो बार फ़ोन आ चूका है आज ना जाने कोनसी फ़ाइल भूल गए जल्दी से दे आता हूँ..

सुमन दरवाजा खोलकर - जा अलमारी में नीचे की तरफ पड़ी होगी ले आ मैं तब तक तेरे लिए एक ग्लास निम्बू पानी बना देती हूँ.

गौतम अपने माँ पापा के कमरे में चला जाता है और अलमीरा खोलके फ़ाइल देखने लगता है. कपड़ो और बाकी चीज़ो से लबालब भरी अलमीरा में जब गौतम सामने की तरफ इधर उधर देखता है तो उसे फ़ाइल नहीं मिलती और उसे याद आता है की सुमन ने उसे नीचे की तरफ फ़ाइल होने की बात कही थी मगर जैसे ही वो झुकने लगता है तब तेह किये हुए तौलिये के बीच गौतम को कुछ काला सा दिखाई देता है जिसे वो जब हाथ बढ़ाकर निकालकर देखता है तो उसकी आँखे फटी रह जाती और वो झट से उस कंडोम के पैकेट को वापस उसी जगह रख देता है और नीचे से फ़ाइल लेकर वापस बाहर आ जाता है..

सुमन - मिल गई फ़ाइल? ले निम्बू पानी पिले गर्मी में थक गया होगा.

गौतम निम्बू पानी का ग्लास लेकर एक सांस में पी जाता है और बिना कुछ बोले फ़ाइल लेकर बाहर आ जाता है. बाइक स्टार्ट कर गौतम सीधे थाने की तरफ चल देता है जहा पहुंचकर वो अपने पिता जगमोहन के साथी रामपाल से मिलता है जो उसे फ़ाइल इंचार्ज मैडम को देने के लिए कहते हुए बाहर चला जाता है..

फ़ाइल लेकर गौतम इंचार्ज मैडम रजनी के चेम्बर के बाहर आकर खड़ा हो जाता है और डोर नॉक करता है..


Superb fantastic
 

Carry Minati

Tushar
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BC kya family hai koi kisi ke bhi sath sota hai

Suman bhi apne bahi ke sath soi thi aur 2 bache bhi kiye aur ab shrif ban rhi hai
 

Carry Minati

Tushar
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अगली कहानी किस पर लिखू?

Incest me mom son yaa bhai bahan
Adultery
Romantic
Horror
Fantasy

Comments me Please suggest kro..


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Kuch bhi bnao bhai but mere ko dm kr dena yar bohot acha likhta hai
 
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