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Incest चरित्र बदलाव

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odin chacha

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This is a cnp story all credit goes to the writer for this beautiful story hope you guys read and enjoy it....
note :- this is story based on incest so who are doesn't like please stay away from this and the reader of the story please consider it is a purely fictional stroy the story has no connection with real world.....please read enjoy and forget it....
1st update coming shortly.....thank you
 
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odin chacha

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Update -1
मेरा नाम अमित है, मैं दिल्ली(रोहिणी) का रहने वाला एक इंजीनीयर हूँ. मैं 23 साल का लड़का हूँ . इस घटना से पहले मैंने किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था. मुझे नहीं मालूम था कि मुझे मेरा पहले सेक्स के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. मैं बहुत शर्मीला था मगर मेरे चरित्र में बदलाव किस तरह हुआ वो मैं बताने जा रहा हूँ.

हमारा खानदान बहुत बड़ा है, मेरे पापा की 5 बहनें हैं जिनमें से तीन दिल्ली में ही रहती हैं. कहानी तब की हैं जब मैं बी टेक के तीसरे वर्ष में था. मेरी बड़ी बुआ के लड़के की शादी थी, मेरी सबसे छोटी बुआ की लड़की चित्रा भी आई थी, उम्र 18 साल, गोरा बदन, सेक्सी, लंबाई 5 फीट 6 इंच और उसके मम्में करीब 34 और गांड 36 की होगी. चित्रा 20 से कम की नहीं लगती थी.

शादी के घर में भीड़ की वजह से बुआ और चित्रा हमारे घर पर रुकी. शादी को अभी चार दिन बाकी थे मगर शादी के घर में कितने काम होते हैं यह तो हम सभी जानते हैं.

इसलिए मम्मी बुआ के घर मदद के लिए सुबह ही चली जाती थी और मेरी बहन स्वाति भी जॉब पर चली जाती थी. मेरी बहन खुद खूबसूरत जिस्म की मालकिन है वो 24 साल की है कोई भी उसे देख ले तो चोदे बिना ना छोड़े! उसका पूरा बदन कसा हुआ है.

मेरा भाई-भाभी भी जॉब पर चले जाते थे और घर में मैं और चित्रा बचते थे मगर फिर भी मेरी चित्रा से बात करने की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि तब मैं थोड़ा शर्मीला था.

एक दिन की बात हैं मैं और चित्रा घर पर अकेले थे तभी एक सेल्सगर्ल ने दरवाजा खटकाया.
मैंने दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि वो ब्रा बेचने के लिए आई थी.
उसने कहा- घर में कोई लेडी है?
मैंने मना किया, तभी चित्रा आई और बोली- रुको मुझे खरीदनी है!

मगर उसको पसंद नहीं आई और उसने मुझे शाम को उसके साथ मार्केट चलने को कहा तो मैंने हाँ कर दी.
बाज़ार में सबसे पहले हमने कुछ खाया फिर उसने कहा कि उसे ब्रा-पेंटी खरीदनी है.

फिर हमने शॉपिंग की और भी काफी सामान खरीदा. घर आते-आते शाम के छः बज गए. जब हम घर पहुँचे तो भाई घर पर पहले से था. भाई थोड़ा थका हुआ था तो जाकर सो गया. चित्रा भी अपने कमरे में चली गई और मैं टीवी देखने लग गया.

थोड़ी देर में किसी ने मुझे पीछे से आवाज लगाई, मैंने मुड़ कर देखा तो वो चित्रा थी, वो बोली- मैं कैसी लग रही हूँ?

चित्रा सिर्फ ब्रा-पेंटी पहने थे और वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी. उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया मगर वो मेरी बुआ की लड़की थी इसलिए मैंने अपने आप को रोक लिया और उससे कपड़े पहन कर आने के लिए कहा.

रात को मेरे ख़यालों में सिर्फ चित्रा और उसके चूचे घूम रहे थे और हाथ अपने आप पैंट के अंदर जा रहा था.

मैं उठा और चित्रा के कमरे की ओर बढ़ा. मैंने देखा कि चित्रा वहाँ नहीं थी और उसकी ब्रा वहाँ पड़ी थी. मैंने उसे उठाया और अपने कमरे में ले जाकर ब्रा लंड पर रख कर चित्रा के नाम की मुठ मारने लगा.

मैं मुठ मार रहा था, इतने में पीछे से आवाज़ आई. मैं मुड़ा तो देखा तो चित्रा थी.

मुझे अपनी हरकत पर शर्म आ रही थी और मैं एक बुत की तरह वहीं खड़ा रहा. चित्रा अंदर आई और चादर लेकर बिना कुछ कहे चली गई.

अगले दिन मैं चित्रा से नजर नहीं मिला पा रहा था, मैंने माफी मांगने की सोची.

जब सब चले गए तो मैं चित्रा के कमरे में गया. चित्रा ने काले रंग का सूट पहना था. मैं कुछ कहता इससे पहले चित्रा ने कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ!
और यह कह कर उसने मुझे गले लगा लिया.

मैं भी सब कुछ भूल गया और चित्रा को चूमने लगा. आज मेरा भी सपना सच हो गया मैं कब से उसे ख्यालों में चोद रहा था, कब से उसके नाम की मुठ मार रहा था, आज वो चूत मेरी होने वाली थी. थोड़ी ही देर में उसकी साँसें तेज़ चलने लगी.

मैंने अपने एक हाथ से उसके चूचे मसलने चालू कर दिए और दूसरे हाथ से सलवार के ऊपर से उसके चूतड़ दबाने लगा. फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पेंटी के अंदर हाथ डालकर उसकी चूत सहलाने लगा.

वो सिसकारियाँ लेने लगी और साथ में हल्का सा विरोध भी कर रही थी.

फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और पंद्रह मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे. फिर उसके बाद मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार दी.
उसके चुचे ऐसे लग रहे थे जैसे दो रसदार संतरे!!

मैंने उसके एक चूचे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसलना शुरू कर दिया. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी. फिर उसने मेरी पैंट खोलकर मेरा लंड पकड़ लिया और मेरे लंड को दबाने लगी.

मुझे लगा जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया. इतने में मैंने उसकी पेंटी नीचे सरका दी. उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने खड़े थे. उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे.


फिर मैंने चित्रा को अपनी बाहों में समेटा और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और जीभ से उसकी चूत चाटने लगा वो तो जैसे पागल हो उठी.

वो बोली- भैया, मुझे भी आपका लंड चूसना है!

उसके बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए. हम दोनों पंद्रह मिनट तक एक-दूसरे को ऐसे ही चूसते रहे और हम दोनों एक एक करके झड़ गए. फिर हम एक दूसरे के ऊपर लेट गए. थोड़ी देर में हम फिर गर्म हो गए और मैं फिर उसके चूचे चूसने लगा तो वो बोली- भैया, रहा नहीं जाता अपना लंड अंदर डाल दो!

उसकी चूत कुंवारी थी और मैं उसको दर्द नहीं पहुंचाना चाहता था इसलिए मैंने थोड़ी वेसलिन लेकर उसकी चूत की मालिश कर दी.
मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.

उसके बाद मैंने अपना लंड चित्रा की चूत पर लगाया और हल्के-हल्के लंड को अंदर करने लगा पर अंदर जा ही नहीं जा रहा था क्योंकि उसकी चूत कुँवारी थी. मैंने हल्का सा धक्का लगाया तो वो तड़प गई और उसके मुँह से आह की आवाज़ निकल गई. मेरे लंड का सुपारा अंदर जा चुका था. फिर मैंने हल्के-हल्के अंदर डालना चालू किया और बीच-बीच में हल्का धक्का भी मार देता जिससे उसकी चीख निकल जाती. उसकी चूत बहुत कसी हुई थी. अब तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था फिर मैं हल्के हल्के अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा.

शुरू में तो उसे थोड़ा दर्द हुआ फिर वो भी मेरा साथ देने लगी. हम दोनों चुदाई का पूरा आनन्द ले रहे थे.

फिर हम दोनों बीस मिनट तक चुदाई का आनन्द लेते रहे और फिर वो झड़ गई. मैं भी बस झड़ने वाला था फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को कस के पकड़ किया और फिर अपना अपना पानी एक दूसरे में मिला दिया और उसके बाद हम एक-दूसरे में समा गए.

हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद बाथरूम में जा कर एक-दूसरे को साफ किया. हम लोग उस वक़्त भी बिल्कुल नंगे थे. एक दूसरे को साफ करते वक़्त मैंने उसे कई बार चूमा भी जिससे मेरा लंड फिर खड़ा हो गया, मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और वो उसे दस मिनट तक चूसती रही. फिर हम दोनों नंगे ही बाहर आ गए.

मैंने बाहर आकर देखा तो स्वाति दीदी बिस्तर पर बैठी थी. मैं अपने लंड को एक कपड़े से छुपाने लगा.
दीदी ने आकर मुझे एक तमाचा मार दिया और बोली- यह क्या कर रहे थे.
तब चित्रा ने स्थिति को संभालते हुए कहा- मैंने कहा था! हम आगे से ऐसा कुछ दोबारा नहीं करेंगे.

तब कहीं जाकर दीदी शांत हुई और मैं वापिस अपने कपड़े पहनने लगा तो दीदी बोली- अपनी दीदी की आग शांत नहीं करेगा?

यह कह कर दीदी मुझे चूमने लगी और चित्रा यह सब देखती रही मगर मैंने कहा- दीदी, मम्मी आने वाली है. हम दोनों तो कभी भी कर सकते हैं.
 

odin chacha

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Update - 2
चित्रा के साथ सेक्स करते हुए पकड़े जाने के बाद दीदी की आग शांत करने की जिमेदारी मेरे मजबूत लौड़े पर आ गई. मगर शादी की वजह से भैया-भाभी ने ऑफिस से छुट्टी ले ली तो कोई मौका नहीं मिल रहा था. मगर कहते है न जहाँ चाह वहाँ राह.

शादी से दो दिन पहले सभी मंदिर गए थे. मगर दीदी के सर में दर्द था इसलिए दीदी घर पर ही रुक गई. जैसा कि मैंने पहले भाग में बताया था, दीदी बहुत ही सेक्सी है, एक दम गोरा रंग, कसा हुआ शरीर, तनी हुई चूचियाँ जो बड़ी थी. दीदी की चूचियों को देखते ही मेरा लंड सलामी देने लगता था. मैं पहले भी कई बार दीदी के नाम की मुठ मार चुका था मगर मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी मस्त चूत का मैं कभी राजा बनूँगा.

सभी के जाने के बाद मैं दीदी के कमरे की तरफ बढ़ा मगर तबीयत खराब होने की वजह से दीदी सोई हुई थी. उन्हें सोया देखकर मैं वापिस अपने कमरे में आ गया और अपनी किस्मत को कोसने लगा. मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और दीदी के नाम की मुठ मारने लगा.

थोड़ी देर के बाद सभी घर वापिस आ गए.
मैंने मम्मी से कहा- मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ!
तो चित्रा ने साथ चलने को कहा. मैं चित्रा की शरारत समझ गया और मैंने भी हाँ कह दी.

मैंने अपने और चित्रा के सेक्स के बारे में अपने दोस्त योगेंद्र को पहले ही बता दिया था. हम सभी उसे योगी कहते थे. वो भी आज इंजीनियर है हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते. जब मैं उसके घर पहुँचा तो योगी के अलावा उसके घर में कोई और नहीं था. वैसे योगी के घर में उसके माता-पिता के अलावा उसकी दो बहनें भी हैं.

योगी के घर पहुँचने के बाद हम तीनों बात करने लगे. योगी चित्रा की तारीफ करने लगा, वैसे योगी एक नंबर का ठर्की है. फिर उसने हमें बीयर पेश की. चित्रा ने मना किया मगर मेरे कहने पर चित्रा ने हाँ कह दी. चित्रा को थोड़ी चढ़ने लगी जिसके कारण वो अंगड़ाई लेने लगी जिससे चित्रा के चूचों की गोलाई साफ-साफ दिखने लगी जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने योगी की तरफ देखा तो उसका लंड भी साँप की तरह खड़ा था.

फिर मैंने चित्रा को देखा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये और उसे बाहों में उठा कर योगी के कमरे में ले गया.

योगी भी पीछे-पीछे आ गया, मैंने उसका सूट उतार दिया और फिर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और फिर मैंने चित्रा की पेंटी भी निकाल दी और उसकी चूत चाटने लगा. फिर योगी भी उसके होंठ चूमने लगा मगर चित्रा ने योगी का भी कोई विरोध नहीं किया.

फिर मैंने अपना मोबाइल निकाला और योगी को बिना बताए चित्रा और योगी की फोटो खींच ली. योगी तो चित्रा को चूमने में लगा हुआ था. अब चित्रा पूरे होश में थी और वो हमारा पूरा साथ दे रही थी शायद वो भी दो-दो लंड का मजा एक साथ लेना चाहती थी. फिर योगी उसके चूचे चूसने लगा और मैंने अपना लंड चित्रा के मुँह में डाल दिया.

मैंने योगी को हटाया और चित्रा को घोड़ी बनने के लिए कहा और अपना लंड उसकी गांड पर रख कर रगड़ने लगा. इतने में योगी ने अपना लंड चित्रा के मुँह में रख दिया. चित्रा पहली बार गांड मरवा रही थी इसलिए मैंने पहले उसकी गांड पर क्रीम की मालिश की और फिर उसकी गांड में हल्का सा धक्का दिया तो वो चिल्लाने की कोशिश करने लगी मगर योगी का लंड उसके मुंह में था इसलिए वो चिल्ला भी नहीं सकी.

फिर मैं धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा और बीच-बीच में हल्के धक्के मार देता जिससे उसकी चीख निकल जाती. मैं तीस मिनट तक उसकी गांड मारता रहा. इतनी देर में वो दो बार झड़ गई. जैसे ही मैं झड़ने वाला था मैंने अपना लंड निकाल और पूरा पानी उसके मुँह में डाल दिया.

हम तीनों बिस्तर पर लेट गए. हम पंद्रह मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे फिर मैंने अपने होंठ फिर से चित्रा के होंठों पर रख दिये. उसके बाद हम बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ करने लगे. फिर हम तीनों नंगे ही बाहर आ गए तो योगी ने चित्रा को पकड़ लिया और चित्रा के चूचे चूसने लगा. उसने चित्रा को बाहों में लेकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया तो चित्रा बोली- अभी मैं थक गई हूँ!

मगर योगी ने उसकी एक नहीं सुनी और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया तो वो दर्द के मारे चिल्ला उठी.

योगी पंद्रह मिनट तक उसकी चूत मारता रहा. फिर वो दोनों जाकर नहाये और फिर हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और मैं और चित्रा वापिस घर आने लगे.

तभी चित्रा ने योगी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थेंक-यू कहा और फिर हम दोनों वापिस घर आ गए.

चित्रा और मैं काफी थक गए थे इसलिए हम दोनों मेरे कमरे में जाकर एक ही बिस्तर पर सो गए. जब मैं सो कर उठा तो देखा चित्रा वहाँ नहीं थी.

मैं उठा और चित्रा के कमरे की तरफ बढ़ा मगर चित्रा के कमरे का दरवाजा बंद था और अंदर से आवाजें आ रही थी. मैंने ध्यान से सुना तो चित्रा किसी से बात कर रही थी.

सुनने के लिए मैं दरवाजे के बिल्कुल पास आ गया तो यह कोई और नहीं बल्कि स्वाति दीदी थी.

मैं वापिस अपने कमरे में आ गया क्योंकि मुझे अब स्वाति दीदी का कोई डर नहीं था. मैं फ्रेश होने के बाद नीचे आ गया तो स्वाति दीदी और चित्रा पहले से ही नीचे थी. चित्रा ने सूट और स्वाति दीदी ने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी. उस साड़ी में दीदी क्या कयामत लग रही थी.

थोड़ी देर में मुझे किसी की मिस कॉल आई मैंने देखा तो वो स्वाति दीदी की थी. मुझे समझते देर न लगी और मैंने रिटर्न कॉल की तो दीदी ने फोन नहीं उठाया.

मैं सीधा दीदी के कमरे की ओर बढ़ा. मैंने दरवाजे को हाथ लगाया तो दरवाजा खुला हुआ था. मैं अंदर गया तो दीदी अंदर थी, उन्होंने लाल रंग की पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी. उनकी लाल रंग की ब्रा और पेंटी उस नाइटी में से साफ दिखाई दे रही थी.

मैंने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गया. दीदी मेरे ऊपर टूट पड़ी और मेरी टी-शर्ट और बनियान उतार दी और मेरी छाती पर जीभ फेरने लगी.

मैंने भी देर न करते हुए दीदी के होंठो पर अपने होंठ रख दिये और हम दोनों पंद्रह मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे. फिर मैंने दीदी की नाइटी उतार दी और ब्रा के ऊपर से ही उनके चूचे मसलने लगा जिससे दीदी मचल उठी. मैंने दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया और अपना मुँह दीदी के होंठो से हटा कर उनके चूचे चूसने लगा.

हमें किसी का ड़र नहीं था क्योंकि रात का समय था और ज़्यादातर लोग सो चुके थे.

दीदी ने जोश में आते हुए मेरी पैंट और अंडरवीयर उतार दी और मेरा लंड दबाने लगी. मैंने भी स्वाति दीदी की पेंटी निकाल दी और उनको बाहों में लेकर उन्हें चूमने लगा जिससे उन्हें भी जोश आ गया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी.

फिर मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूत चाटने लगा जिससे वो सिहर उठी. मैंने आव देखा न ताव, अपना लंड दीदी के मुँह में रख दिया और फिर दीदी उसे लोलीपॉप की तरह चूसने लगी और हम 69 की अवस्था में आ गए. हम पंद्रह मिनट तक एक दूसरे को चाटते रहे और फिर मैंने अपना लंड दीदी की चूत पर रख दिया.

मेरी दीदी पहली बार किसी से चुदने वाली थी इसलिए मैं धीरे धीरे धक्का मारने लगा. जैसे ही मैं धक्का मारता, दीदी चिल्ला उठती. हमारा चुदाई कार्यक्रम बीस मिनट तक चला. इतने में दीदी दो बार झड़ गई, मैं भी झड़ने वाला था इसलिए मैंने धक्के मारना तेज़ कर दिया. दीदी को भी अब मजा आ रहा था. फिर मैं भी झड़ गया और हमारा पानी एक-दूसरे में मिल गया. फिर हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए, हम काफी देर तक वैसे ही लेटे रहे और हम एक दूसरे को चूमते रहे जिससे दीदी फिर से गर्म हो गई और मेरा लंड भी फिर खड़ा हो गया.

मैंने फिर से दीदी को चोदा. उस रात मैंने उन्हें चार बार चोदा. हम सुबह तक एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे. सुबह किसी ने दरवाजा खटकाया तो हम डर गए. मैंने खिड़की में से देखा तो वो चित्रा थी. चित्रा को सब पता था इसलिए वो चली गई और फिर मैं और दीदी उसके बाद बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ करने लगे. दीदी अपने चूचों पर पानी डाल-डाल कर साफ कर रही थी जिसे देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने दीदी को बाहों में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया एक बार फिर उनकी चुदाई की.

फिर मैंने दीदी से कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है!
तो दीदी ने कहा- अभी नहीं! सुबह हो चुकी है, कोई भी आ सकता है. और मेरे भैया राजा, अब तो मैं पूरी तुम्हारी हूँ, कभी भी मार लेना! और अब मुझे अकेले में दीदी नहीं डार्लिंग बोला करो.
फिर हमने एक-दूसरे को एक लंबा चुंबन दिया और कपड़े पहन कर नीचे आ गए.
 

odin chacha

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Update - 3
सुबह नीचे आने के बाद मुझे बहुत ग्लानि महसूस हो रही थी कि मैंने अपनी बहन के साथ सेक्स किया मगर मुझे रह-रह कर उसकी उसकी मस्त चूचियों की चुसाई और उसकी चूत की खुशबू भी याद आती. मैं फिर अपने कमरे में वापिस चला गया. तभी दीदी मेरे कमरे में आई तो मैं वहाँ से उठ कर जाने लगा. तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये जिससे मेरी बची हुई शर्म भी चली गई और मैं भी उनके होंठ चूसने लगा.

पाँच मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसने के बाद दीदी उठी और वहाँ से जाने लगी तो मैंने उन्हें पकड़ लिया तो वो मुझसे बिल्कुल चिपक गई जैसे एक साँप चन्दन के पेड़ से चिपकता हैं और मैं फिर से उनके होंठो का रसपान करने लगा.

मगर फिर मम्मी की आवाज़ आई और दीदी नीचे चली गई.

उसके बाद शादी की वजह से मैं और दीदी दो दिनों तक सही से एक-दूसरे से बात भी नहीं कर पाये. खैर किसी तरह शादी निपट गई और चित्रा भी अपने घर चली गई. अब दीदी सुबह ही अपनी जॉब पर निकल जाती और शाम को लेट आती इसलिए मेरे लिए उनके पास कोई वक़्त नहीं बचता था और रविवार को सभी घर पर होते थे.

शनिवार था, मेरी कॉलेज की छुट्टी थी इसलिए मैं घर पर अपने कमरे में बैठा था तभी मम्मी की आवाज़ आई.

मैं नीचे गया तो मम्मी ने एक फ़ाइल मुझे देते हुए मुझे कहा- स्वाति यह फ़ाइल भूल गई है, उसका फोन आया है, तू जाकर यह फ़ाइल उसे उसके ऑफिस में दे आ.

मैंने फ़ाइल उठाई और ऑफिस चल दिया. दीदी का ऑफिस काफी दूर था इसलिए मैं कार ले गया. मैं ऑफिस पहुंचा तो चपरासी ने कहा- मैडम बॉस के साथ मीटिंग में हैं! आप इंतज़ार कीजिये.

मगर मुझे घर जाने कि जल्दी थी इसलिए मैं स्वाति के बॉस के कैबिन की तरफ बढ़ गया. मैंने कैबिन का दरवाजा खोलना चाहा तो दरवाजा नहीं खुला, शायद दरवाजा अंदर से बंद था. मैंने खिड़की से झांक कर देखा तो मैं दंग रह गया क्योंकि अंदर दीदी बॉस की बाहों में थी और उनके तन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ पेंटी थी और उनका बॉस उनके चूचे चूस रहा था.

दीदी के बॉस का नाम श्यामलाल था और उनकी उम्र 48 थी मगर फिर भी वो काफी जवान दिख रहा था. यह देख कर मेरी आँखों से आंसू आ गए और मैं वापिस दीदी के कैबिन में आ गया.

थोड़ी देर के बाद दीदी वापिस अपने कैबिन में आई, मुझे देख कर बोली- तू इतनी जल्दी कैसे आ गया?
मैंने कहा- मैं कार से आया हूँ.
उनके पीछे उनका बॉस श्यामलाल आया और चपरासी से तीन चाय कह कर मुझे और दीदी को अपने कैबिन में बुलाया.

हम सब बैठ कर बात कर रहे थे. तभी कंपनी का मैंनेजर अब्दुल आया और कोई फ़ाइल दीदी के बॉस को दी और फिर मुझे देख कर चला गया.

चाय पीने के बाद मैं कंपनी के गेट से निकला तो मुझे याद आया कि मैं अपनी चाभी तो दीदी के बॉस के कमरे में छोड़ आया. मैं चाभी लेने के लिए वापिस मुडा और दीदी के बॉस के कमरे की तरफ बढ़ा. मैंने दरवाजा खोलना चाहा तो दरवाजा फिर से बंद था.

मुझे समझते देर न लगी और मैंने खिड़की से झाँका तो मैंने जो सोचा था उससे ज्यादा देखने को मिला. दीदी का बॉस श्यामलाल और कंपनी का मैंनेजर अब्दुल दोनों मेरी बहन को बड़ी बेदर्दी से चोद रहे थे और मैं कुछ नहीं कर पा रहा था. मगर मैं अंदर भी नहीं जा सकता था और मैं वहाँ खड़ा रह कर देख भी नहीं सकता था क्योंकि मेरी कार की चाभी अंदर थी. फिर मैंने अपना मोबाइल निकाला और दीदी की उसके बॉस और कंपनी के मैंनेजर के साथ फोटो खींच लिए.

तभी मैंनेजर उठा और कपड़े पहनने लगा मुझे लगा कि शायद दीदी का चुदाई कार्यक्रम खत्म हो गया. मगर दीदी का बॉस रुक नहीं रहा था और दीदी की चूत का भोसड़ा बनाने में लगा था. श्यामलाल अपना जोशीला लंड दीदी की चूत से निकालने को ही तैयार ही नहीं था.

तभी गेट खुला, मैं छुप गया और फ़िर एकदम फ़ुर्ती से सीधा अंदर घुस गया. दीदी और उसका बॉस मुझे देख कर हैरान रह गए.

अब दीदी मुझे तरह-तरह के कारण देने लगी मगर मैंने बिना कुछ कहे चाभी उठाई और बाहर आ गया और दीदी के कैबिन में जाकर बैठ गया.

तभी दीदी और उसके बॉस श्यामलाल कपड़े पहन कर दीदी के कैबिन में आ गए और फिर दोनों मिल कर तरह-तरह के कारण देने लगे.

दीदी के बॉस बहुत ज्यादा घबराए हुए थे शायद उन्हे यह नहीं पता था कि यह चुदाई का कार्यक्रम मैं और स्वाति पहले ही खेल चुके हैं. श्यामलाल ने कहा- तुम यह बात किसी को मत बताना. मैं वायदा करता हूँ कि इसके बदले में तुम जो मांगोगे वो मैं तुम्हें दे दूंगा.

मगर मैंने कहा- मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए जब जरूरत होगी तब मांग लूँगा.

यह कह कर मैं वहाँ से चल दिया, दीदी भी मेरे पीछे आने लगी, शायद श्यामलाल ने दीदी की छुट्टी कर दी थी.

मैं और दीदी कार में बैठे और हम घर कि तरफ चल दिये मगर दीदी शांत बैठी थी. मैंने एक सुनसान जगह पर कार रोक दी और दीदी के गालों पर एक चुंबन दिया और कहा- आपको घबराने या शर्माने की कोई जरूरत नहीं, मैं जानता हूँ इस उम्र में ऐसा हो जाता है.

मैंने इतना कहा तो दीदी की आँखों से आँसू निकल आए और फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया. उसके बाद दीदी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये. दस मिनट तक दीदी ने अपने होंठ मेरे होंठो से नहीं हटाए.

फिर हम दोनों घर की तरफ चल दिये, मगर घर का दरवाजा बंद था. मैंने डुप्लिकेट चाभी से दरवाजा खोला और और फिर हम अंदर आ गए. फिर मैंने मम्मी को फोन किया तो मम्मी ने कहा कि वो चार घंटे बाद आएंगी.

यह सुनने के बाद मेरी खुशी का ठिकाना न रहा क्योंकि आज मेरे पास वो मौका था जो मुझे कई दिनों से नहीं मिल रहा था.

मैं दीदी के कमरे की तरफ बढ़ा तो देखा कि दीदी कपड़े बदल रही थी. आज मुझे दरवाजा बंद करने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि घर पर कोई नहीं था.

दीदी ने उस वक़्त सफ़ेद टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी. मैं जैसे ही अंदर घुसा तो दीदी ने कहा- मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी.
मैं थोड़ा घबरा गया और मैंने कहा- दीदी दीदी!!!
तो दीदी बोली- मैंने तुमसे कहा था कि अकेले में मुझे दीदी नहीं डार्लिंग बोला करो.

दीदी कुछ और बोलती इससे पहले मैंने उसका मुंह बंद करने के लिए अपने होंठ उनके होंठो पर रख दिये और टी-शर्ट के ऊपर से ही उनके चूचे मसलने लगा तो दीदी मचल उठी.

इतने में दीदी ने मेरी भी टी-शर्ट और पैंट उतार दी. इससे मैं भी और जोश में आ गया और मैंने भी उनकी टी-शर्ट और जीन्स निकाल दी और पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत रगड़ने लगा जिससे वो झड़ गई और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया. मैंने देर ना करते हुए उनकी पेंटी उतारी और उनकी चूत का पानी पीने लगा.

फिर मैंने उनकी ब्रा भी निकाल फेंकी और हम दोनों एक-दूसरे के सामने नंगे खड़े थे. मैंने उन्हें बाहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और वो मेरा लंड चूसने लगी फिर मैंने उनको घोड़ी बनने के लिए कहा.

मैंने पहले उनकी गांड में उंगली डाली तो उनकी गांड ज्यादा कसी नहीं थी. शायद उसके बॉस श्यामलाल पहले भी उसकी गांड मार चुके थे इसलिए मैंने ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा लगभग आधा लंड स्वाति की गांड में समा गया और वो चिल्ला उठी.

फिर मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा तो उन्हें भी मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी. मैंने बीस मिनट तक उनकी गांड मारी फिर मैंने पानी छोड़ दिया और निढाल होकर बिस्तर पर लेट गया.

हम दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ करने लगे और फिर कपड़े पहन लिए.

अब मैं कभी भी दीदी के साथ सेक्स के मजे ले सकता था.
एक लड़का जो थोड़ा शर्मीला था उसका चरित्र अपनी फ़ुफ़ेरी बहन और सगी बहन के साथ सेक्स करने के बाद बदल चुका था क्योंकि जिस बहन की वो इज्जत करता था वो बहन अब उसकी तथाकथित बन चुकी थी.
 

odin chacha

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Update - 4
दीदी स्वाति और चित्रा के साथ सेक्स का मजा लेने और दीदी के साथ सेक्स करने की आजादी मिलने के बाद मैंने काफी दिनों तक उनके साथ सेक्स किया. मगर कहते हैं ना जिस तरह बुरे दिन ज्यादा दिन तक नहीं रुकते उसी तरह अच्छे दिन भी ज्यादा दिनों तक नहीं रुकते.

दीदी की शादी तय हो गई और वो घर छोड़ कर अपने ससुराल चली गई जिसके बाद मैं भी उदास रहने लगा और उसी के कारण मैं एक विषय में फेल हो गया. पापा को ट्यूशन से बहुत नफरत थी इसलिए मैं वो भी नहीं लगवा सकता था तो भाभी से मदद मांगी तो उन्होंने मदद करने के लिए हाँ कह दी.

अब जो लड़का अपनी बहन के साथ सेक्स कर चुका हो वो अपनी भाभी की कितनी इज्ज़त करेगा यह तो हम सब अंदाजा लगा ही सकते हैं. मेरी नज़र हमेशा भाभी के ब्लाऊज के अंदर तक झांकती थी. वैसे तो भाभी की उम्र 26 साल थी लेकिन कामकाजी महिला होने के कारण उन्होंने अपने आपको काफी अच्छा संवार कर रखा था. उनका नाम तो प्रियंका था मगर सब घर में उनको प्रिया ही कहते थे.

योगी(मेरा मित्र) के निवेदन पर भाभी ने उसे भी पढ़ाने के लिए हाँ कह दी क्योंकि वह मेरा मित्र था. अगले दिन से भाभी हमें पढ़ाने लगी क्योंकि भाभी ऑफिस जाती थी इसलिए वो हमें हफ्ते में दो दिन यानि शनिवार व रविवार को ही पढ़ाती थी. वैसे तो योगी पढ़ाई में अच्छा है लेकिन जैसा मैं पहले ही बता चुका हूँ, वह एक नंबर का ठरकी है वो भी बस भाभी को देखने के लिए ही पढ़ने आता था.

एक शुक्रवार की बात है, घर पर भी मेरे अलावा कोई नहीं था, भाभी ऑफिस से जल्दी घर आ गई और बिना कपड़े बदले ही मुझे पढ़ाने लग गई ताकि मेरी पढ़ाई का नुक्सान ना हो क्योंकि अगले दिन हम सबका पिकनिक पर जाने की योजना थी मगर उस दिन मेरा ध्यान पढ़ाई की जगह भाभी के चूचे देखने में ज्यादा था क्यूंकि भाभी ने शर्ट पहनी थी और उसमें से उनके चूचो का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था.

कुछ देर पढ़ाने के बाद भाभी बोलने लगी- तुम पढ़ो, मैं अभी आती हूँ.

काफी देर तक भाभी के ना आने पर मैं बिना कुछ सोचे उनके कमरे की तरफ चल दिया. जब मैं उनके कमरे में पहुँचा तो जो देखा वो देख मैं हैरान रह गया. मैंने देखा कि भाभी पारदर्शी नाईटी में बैठी हुई हैं, यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैंने किताबें एक तरफ फेंकी और बिना कुछ सोचे भाभी के पास जाकर उन्हें चूम लिया.

भाभी ने मुझे एक तरफ करते हुए कहा- क्या करते हो? सबके आने का समय हो गया है, किसी ने देख लिया तो?

लेकिन मैंने भाभी की एक ना सुनी और उन्हें फिर चूमने लगा तो भाभी ने मेरे गालो पर एक थप्पड़ मार दिया और चली गई.

मैं वहीं बैठ गया और रोते हुए सोचने लगा कि भैया के रहते हुए भाभी को इसकी क्या जरूरत पड़ गई .

अगले दिन क्योंकि हम सबको पिकनिक पर जाना था सो हम सभी सुबह जल्दी उठ गए लेकिन अचानक ऑफिस का जरूरी काम पड़ने के कारण भैया का आना कैंसल हो गया तो भैया ने मुझसे भाभी को घुमा लाने को कहा मगर भाभी ने मना कर दिया. लेकिन भैया के जोर देने पर भाभी मान गई. मैं भी भाभी को घुमाने के लिए मेट्रो वाक मॉल ले गया लेकिन भाभी के दिल की बात जानने के लिए मैंने कार जापानी पार्क की तरफ ले ली.

जब हम अंदर पहुँचे तो दूसरे जोड़ों को देखकर भाभी शर्माने और हंसने लगी क्योंकि बाकी एक दूसरे को चूम रहे थे, मैं भी भाभी के मन की बात समझ गया और हम दोनों भी एक बेंच पर बैठ गए और फिर मैंने जबरदस्ती भाभी के होंठो पर होंठ रख दिए, कोई विरोध ना होता देख मैं ऊपर से ही उनके वक्ष मसलने लगा जिससे शायद भाभी थोड़ा गर्म हो गई थी और चुम्बन में मेरा साथ देने लगी.

थोड़ी देर के बाद मैंने भाभी से पूछा- आपने कल ऐसा क्यों कहा कि कोई देख लेगा? क्या आपको इस पर ऐतराज नहीं था?
तो वो बोली- मुझे पता है कि तुम और स्वाति पहले सेक्स कर चुके हो.
पूछने पर उन्होंने बताया कि स्वाति ने ही उन्हें बताया था.

मैं थोड़ा डर गया मगर भाभी की मर्ज़ी देख मेरा भी डर निकल गया और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे क्योंकि शाम का समय था और पार्क इतने बड़ा है कि हमें कोई भी देख नहीं सकता था इसलिए मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकल लिया और भाभी को उसे चूसने को कहा.
मगर भाभी ने मना कर दिया.

इस बार मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की और चुपचाप अपनी ज़िप बंद कर ली. फिर हम दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे को चूमा और घर के लिए निकल पड़े.

जैसे ही हम घर पहुँचे तो मम्मी और पापा ने हमें खाने के लिए बुलाया मगर मुझे भूख नहीं थी इसलिए मैंने मना कर दिया और मैं सीधा अपने कमरे की तरफ चल दिया. कमरे में पहुँच कर मुझे अपने ऊपर अफ़सोस हो रहा था क्योंकि भाभी की हाँ के बावजूद मैं उन्हें चोद नहीं पाया.

मैंने सोच लिया कि आज रात को मैं उन्हें जरूर चोदूँगा इसलिए मैं मम्मी और पापा के सोने का इंतज़ार करने लगा.

मैंने मोबाइल में 12 बजे का अलार्म लगा दिया और सो गया. रात को जैसे ही अलार्म बजा, मैं उठ गया और अपने रात के पहने हुए कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में भाभी के कमरे की तरफ चल दिया.

जब मैं भाभी के कमरे के पास पहुँचा तो देखा कि भाभी के कमरे की बत्ती जल रही है और भाभी के अलावा किसी और की भी आवाज़ आ रही है मगर आवाज़ साफ़ ना होने कि वजह से मुझे समझ नहीं आया कि भाभी किससे बात कर रही है.

मैंने कमरे का दरवाजा खोलने की कोशिश कि मगर दरवाजा अंदर से बंद था. मैंने भी दरवाजा बजाना ठीक नहीं समझा क्योंकि इससे मम्मी पापा जग सकते थे, मैं अपने कमरे में वापिस आ गया मगर एक सवाल मुझे बार बार परेशान कर रहा था कि भाभी किससे बात कर रही थी और मैं यही सोचते सोचते सो गया.

सुबह करीब 8 बजे भाभी मुझे जगाने आई. जब मैं उठा तो देखा कि घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था.

मैंने भाभी से पूछा- मम्मी-पापा कहाँ हैं?
तो उन्होंने कहा- वो कल रात को दस बजे ही तुम्हारी लक्ष्मी नगर वाली बुआ के यहाँ चले गए क्योंकि तुम्हारी बुआ की तबीयत ठीक नहीं है.

मैं तभी समझ गया कि इससे अच्छा मौका मुझे जिंदगी में कभी नहीं मिलेगा.
भाभी ने कहा- तुम नहा-धो कर फ्रेश हो जाओ, मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ.
मैंने देर ना करते हुए भाभी का हाथ पकड़ लिया और कहा- जो उस दिन नहीं हो पाया उसे आज पूरा कर लेते हैं.

भाभी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया मगर उन्होंने इस बात पर कोई नाराज़गी भी नहीं दिखाई.

मैंने इसे उनकी हाँ समझ कर उनके होंठो पर चुम्बन जड़ दिया, अपना एक हाथ उनकी कमर में डाल कर चारों तरफ से उन्हें जकड़ लिया और उनके शरीर के हर भाग पर चुम्बनों की बारिश कर दी. इससे भाभी भी जोश में आ गई और उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने चूचों पर रख दिया और हम दूसरे को पकड़ कर चूमते रहे. मैं बीच-बीच में भाभी के चूचे भी दबा दिया करता थे जिससे वो चिल्ला उठती थी.

थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा- भाभी! मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ!
तो वो हँस दी.
कहते हैं ना कि हंसी तो फँसी.

मैंने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया और उन्हें अपने कमरे में ले गया. फिर मैंने उनसे कहा- भाभी! भैया का कितना बड़ा है?

तो भाभी ने कहा- वैसे तो तुम मुझे चोदना चाहते हो और अभी भी मुझे भाभी बोल रहे हो? तुम मुझे प्रिया कह कर बुलाओ, मुझे अच्छा लगेगा और ऐसे सवाल पूछ कर क्यों समय खराब कर रहे हो? फिर मैंने इस बेकार के सवालों को छोड़ते हुए प्रिया के बाल पकड़ लिए और फिर से उसके होंठ चूसने लगा ताकि उसका जोश खत्म ना हो और चुदाई में ज्यादा मजा आये. मैंने नाइटी के ऊपर से ही उनके चूचे मसल दिए जिससे वो चिल्ला उठी.

मैंने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने भाभी की भी नाइटी खींच कर उतार दी. भाभी ने खुद ही अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और अपने स्तनों को आजाद कर दिया. भाभी के स्तन सच में स्वाति दीदी से भी बड़े थे, प्रिया भाभी के स्तन 36′ से कम नहीं थे.

मैंने धक्का देकर भाभी को बिस्तर पर पटक दिया और अपना मुँह उनके स्तनों में गड़ा दिया और स्तनपान करने लगा. मेरे स्तनपान करने के कारण भाभी धीमी धीमी सिसकारियाँ लेने लगी मगर शायद भाभी को इस सब में मजा आ रहा था.

फिर मैंने अपने हाथ से अपना अंडरवीयर उतार दिया और फिर थोड़ी ही देर में उनकी पेंटी भी उतार फेंकी. मैंने देखा कि चूत पर एक भी बाल नहीं था शायद प्रिया ने अपनी चूत की ताजी-ताजी सफाई की थी.

मैं बिस्तर पर लेट गया और भाभी मेरा लण्ड चूसने लगी. थोड़ी ही देर में हम 69 की अवस्था में आ गए और प्रिया मेरा लण्ड और मैं उसकी चूत चूसने लगा. मैंने धीरे से उनकी चूत पर काट लिया जिससे भाभी जोर से चिल्ला उठी.

थोड़ी ही देर में हमने दोनों ही पानी छोड़ दिया.
फिर मैंने प्रिया को उठाया और…

कहानी जारी रहेगी!
 

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मैं बिस्तर पर लेट गया और भाभी की चूत चूसने लगा. मैंने धीरे से उनकी चूत पर काट लिया, भाभी जोर से चिल्ला उठी.
थोड़ी ही देर में हमने दोनों ही पानी छोड़ दिया.
फिर मैंने प्रिया को उठाया और…

बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया. प्रिया की चूत को देख कर ही मैं समझ गया कि भाभी को चुदवाने का काफी तजुर्बा है और भैया के अलावा भी बाहर कई लोगों से चुदवा चुकी हैं.

मैंने बिल्कुल भी देर नहीं की, अपना लण्ड निशाने पर रख दिया और एक जोर का धक्का मार दिया. भाभी की चूत कुँवारी नहीं थी मगर फिर भी भाभी चिल्ला उठी और उनकी चूत से खून आने लगा. तभी भाभी बोली- बहनचोद, अपनी बहन की चूत का भोंसड़ा बना दिया! अब मेरी का भी बनाएगा क्या?

फिर भी मैंने कोई रहम नहीं किया और अपने झटके तेज कर दिए. भाभी चिल्लाती रही और मुझे गालियाँ देती रही मगर मैं भी बिना रुके उन्हें चोदता रहा.

थोड़ी देर में मैंने उनकी चूत में ही अपना पानी छोड़ दिया और मैं भाभी के वक्ष के ऊपर थक कर गिर गया, भाभी ने मेरे होंठ चूम लिए और बोली- थैंक्यू देवर जी!

फिर हम दोनों बाथकमरे में गए और एक दूसरे को साफ़ करने लगे. उस पूरे दिन घर पर किसी के ना होने के कारण मैंने भाभी को तीन बार चोदा.

रात को करीब 8 बजे मम्मी-पापा घर वापिस आ गए. मैंने उनसे पूछा- बुआ की तबीयत कैसी है?

तो उन्होंने कहा- वो शायद बच नहीं पाएगी इसलिए वो चाहती है कि मनीषा(चित्रा की बड़ी बहन) की शादी जल्द से जल्द हो जाए.

वैसे तो मनीषा चित्रा से कम सुन्दर नहीं है, उसके स्तन 22 साल की उम्र में ही भाभी को टक्कर दे सकते हैं और रंग तो उसका ऐसा है कि दूध भी उसके आगे काला लगता है.

तो मैंने कहा- मनीषा तो अभी पढ़ाई कर रही है तो इतनी जल्दी शादी!

मेरी इस बात पर मम्मी-पापा चुप हो गए.

कुछ देर बाद करीब रात के दस बजे भैया भी ट्रिप से वापिस आ गए. सुबह भैया-भाभी को ऑफिस जाना था इसलिए सभी अपने अपने कमरों में जाकर सो गए और मैं भी आराम से अपने कमरे में आ गया और दुबारा भाभी को चोदने की योजना बनाने लगा मगर एक सवाल मेरे दिमाग में अभी भी था कि आखिर शनिवार की रात को भाभी के कमरे में कौन था.

अगले दिन मैं सुबह 6 बजे ही योगी के घर पहुँच गया. जैसे ही मैंने दरवाजा बजाया तो योगी की छोटी बहन आयशा ने दरवाजा खोला, सुबह का वक्त होने की वजह से बाकी सारे सोये हुए थे तो मैं आयशा से बात करने लगा.

जैसा कि मैंने दूसरे भाग में बताया था कि योगी की दो बहनें हैं- छोटी आयशा और बड़ी ज्योति!

ज्योति डी.यू. के मिरांडा कॉलेज में पढ़ती थी और योगी से करीब दो साल बड़ी है. जिन लोगों को नहीं पता उन्हें मैं बता दूँ कि मिरांडा कॉलेज एक गर्ल्स कॉलेज है और वहाँ की ज्यादातर लड़कियों के लिए स्मोकिंग और ड्रिंकिंग तो आम बात है. मगर आयशा उस वक्त बहुत ही मासूम थी, इस कारण मैंने कभी उसे गलत नजरों से नहीं देखा.

थोड़ी ही देर में योगी वहाँ आ गया और आयशा वहाँ से उठ कर चली गई. तो योगी ने मुझसे पूछा- कैसे आना हुआ?

तो मैंने उसे अपने और अपनी भाभी के सेक्स के बारे में सारी बात बता दी और कहा- मैं प्रिया भाभी को दोबारा चोदना चाहता हूँ इसलिए तुम्हारी मदद की जरूरत है.

तो उसने पूछा- मैं तेरी मदद कैसे कर सकता हूँ?

तो मैंने कहा- शनिवार को तेरे घर कोई नहीं होता. अगले हफ्ते हम तेरे घर पढ़ने का कह कर भाभी को यहाँ बुला लेंगे और तू और मैं प्रिय भाभी के साथ सेक्स करेंगे.

यह सुन कर योगी भी मान गया क्योंकि वो भी भाभी को काफी समय से चोदना चाहता था.

भाभी के साथ एक बार सेक्स करने के बाद मैंने बहुत कोशिश की मगर भाभी के साथ सेक्स करने का मौका ही नहीं मिला इसलिए मैं अगले शनिवार का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा लेकिन भाभी किसी काम से बुधवार को ही अपने मायके चली गई, मैं भी अपना मन मसोस कर रह गया और कुछ नहीं कर पाया.

वीरवार को जब मैं कॉलेज से वापिस आया तो मम्मी बोली- बेटा! तुम्हारे दोस्त योगी का फोन आया था.

मैं भी हैरान था क्योंकि अगर उसे कुछ काम था तो वो मेरे मोबाइल पर कॉल कर सकता था मगर फिर भी उसने घर पर फोन किया. मैंने जब उसको वापिस फोन किया तो उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था. मैं फिर सोचने लगा कि आखिर ऐसी क्या बात है इसलिए मैं सीधा योगी के घर चल दिया.

मैंने योगी के घर पहुँच कर घण्टी बजाई तो आयशा ने घर का दरवाजा खोला और मैं घर के अंदर आ गया.
आयशा बोली- भैया तो घर पर नहीं है.
मैंने पूछा-कहाँ गया?
तो आयशा बोली- भैया तो अभी कुछ देर पहले ही मम्मी-पापा के साथ खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए चले गए.

मैंने दुबारा योगी को फोन किया तब भी उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था. फिर मैंने आयशा से अंकल का नंबर लेकर मिलाया तो योगी ने उठाया. मेरे पूछने पर उसने बताया कि जल्दी में कार्यक्रम बन गया और मुझे मम्मी-पापा के साथ निकलना पड़ा.

मैंने उससे पूछा- मुझे घर फोन क्यों मिलाया था?
तो वो बोला- हमें घर वापिस आने में 3-4 दिन लग जायेंगे तो मम्मी पापा चाहते है कि तब तक तुम हमारे घर और मेरी बहनों का ख्याल रखो.

मैंने उन्हें भरोसे के साथ हाँ कह दी और फोन रख दिया. मैंने फिर अपने घर पर फोन मिलाया और बोल दिया कि मैं 3-4 दिन तक योगी के घर पर रहूँगा.

फिर मैंने आयशा से पूछा- ज्योति कहाँ है?
वो बोली- ज्योति दीदी तो अभी कॉलेज से वापिस ही नहीं आई!
मैंने उसे फोन मिलाया तो ज्योति ने काट दिया.

रात को करीब 8 बजे जब ज्योति घर पहुंची तो वो खाना खाकर सीधा अपने कमरे में चली गई और फिर आयशा भी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई और मैं टी.वी. देखने लग गया.

रात को 10 बजे जब मैं योगी के कमरे में जाने लगा तो देखा कि ज्योति के कमरे की बत्ती जल रही थी.

मैंने धीरे से ज्योति के कमरे का दरवाजा खोल दिया, अंदर का नजारा देख कर मेरे Xforum जागृत हो गई क्योंकि ज्योति अपने बिस्तर पर सिर्फ ब्रा-पेंटी में सो रही थी जिसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया मगर मैंने अपने ऊपर काबू करते हुए वहाँ से चल दिया और योगी के कमरे में आकर सो गया.

अगले दिन सुबह 7 बजे मेरे कमरे का दरवाजा बजा, मैंने जब उठ कर दरवाजा खोला तो देखा कि आयशा चाय ले कर आई हुई थी. पहली बार आयशा को देख कर मेरे दिल में कुछ अजीब सा हुआ क्योंकि जिस आयशा को मैं अब तक बच्ची समझता था उसका शरीर भी अपनी उम्र के हिसाब से बड़ा था. मेरे दिमाग में ज्योति का वो ब्रा-पेंटी और आयशा का नाईटी वाला रूप घूमने लगा और मैंने सामने खड़ी आयशा को बाहों में ले लिया वो चिल्ला पड़ी, जिसे सुन कर ज्योति भागती हुई आ गई.

मैं डर के मारे कांपने लगा और आयशा के मुँह पर हाथ रखने लगा. लेकिन शायद आयशा कि चीख की वजह से ज्योति को यह याद नहीं रहा कि उसने ब्रा-पेंटी के अलावा और कुछ नहीं पहना है. ज्योति के आते ही आयशा चुप हो गई और..

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अगले दिन सुबह 7 बजे मेरे कमरे का दरवाजा बजा, मैंने जब उठ कर दरवाजा खोला तो देखा कि आयशा चाय ले कर आई हुई थी. पहली बार आयशा को देख कर मेरे दिल में कुछ अजीब सा हुआ क्योंकि जिस आयशा को मैं अब तक बच्ची समझता था उसका शरीर भी अपनी उम्र के हिसाब से बड़ा था. मेरे दिमाग में ज्योति का वो ब्रा-पेंटी और आयशा का नाईटी वाला रूप घूमने लगा और मैंने सामने खड़ी आयशा को बाहों में ले लिया वो चिल्ला पड़ी, जिसे सुन कर ज्योति भागती हुई आ गई.

मैं डर के मारे कांपने लगा और आयशा के मुँह पर हाथ रखने लगा. लेकिन शायद आयशा कि चीख की वजह से ज्योति को यह याद नहीं रहा कि उसने ब्रा-पेंटी के अलावा और कुछ नहीं पहना है. ज्योति के आते ही आयशा चुप हो गई और..

इधर-उधर देखने लगी, मैं भी दूसरी तरफ देखने लगा और ज्योति वापिस अपने कमरे में मुड़ गई.

ज्योति में जाते ही मैं आयशा से तरह तरह से माफ़ी मांगने लगा. आयशा ने मुझसे बात भी नहीं की.

कुछ देर बाद जब ज्योति वापिस आई तो उसने पूछा- क्या हुआ था?

तो आयशा ने कहा कि वो कॉकरोच देख कर डर गई थी. फिर आयशा और ज्योति दोनों ही कमरे से चले गए और करीब 8 बजे आयशा स्कूल के लिए निकल गई और ज्योति अपने कमरे में थी. मैं भी योगी के कमरे में आकर गाने सुनने लगा.

कुछ देर के बाद ज्योति योगी के कमरे में आई और बोली- आज मैं कॉलेज से कुछ देर से वापिस आऊँगी!

पूछने पर उसने बताया कि करीब 11 बजे तक आएगी क्योंकि उसके एक दोस्त का जन्मदिन है और कॉलेज से सीधा ही डिस्को निकल जायेंगे.

यह सुन कर मैं भी कुछ नहीं कह सकता था क्योंकि ज्योति वैसे भी मुझसे दो साल बड़ी थी. घर पर रहने के लिए मैंने भी अपने कॉलेज से छुट्टी ले ली.

दोपहर को दो बजे जब आयशा घर पर वापिस आई तो मैं उससे बात नहीं कर पा रहा था और मैं खाना लगा कर योगी के कमरे में चला गया.

कुछ देर के बाद आयशा ने दरवाजा खटकाया.
जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि आयशा दरवाजे पर खड़ी है और उसने साड़ी पहनी हुई थी. उसे ऐसे देख कर मैं हैरान रह गया क्योंकि उस साड़ी वो एक युवती की बजाय बिल्कुल औरत लग रही थी और मेरा तो दिल कर रहा था कि अभी उसके साथ सुहागरात मना लूँ.

लेकिन वो दोबारा ना चिल्ला दे इस बात का डर भी लग रहा था.

मगर उसके इस रूप को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो चाह कर भी नहीं बैठ रहा था. जैसे ही आयशा अंदर घुसी मैंने आयशा को पकड़ लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए मगर इस बार आयशा ने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया और मेरा साथ देने लगी.

उसके बाद मैंने भी कोई जल्दी ना करते हुए आराम से उसकी साड़ी उतारी और उसको ब्लाऊज़-पेटीकोट में कर दिया.

आयशा पहली बार सेक्स कर रही थी शायद इसलिए वो बहुत रोमांचित थी.

मैंने ब्रा-पेंटी को छोड़कर उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार कर फेंक दिए और अंडरवीयर में हो गया, और फिर उसकी ब्रा के ऊपर ही अपना मुँह रख दिया और उसकी ब्रा चाटने लगा ताकि उसको अच्छा लगे और फिर अपने दोनों हाथो से उसके दोनों चूचे पकड़ लिए.

आयशा का आकार 32 के करीब था, कुंवारी चूत का क्या मजा होता है यह तो हम सभी जानते हैं जिस कारण से मैं भी काफी रोमांचित था. कुछ देर तक ऊपर से दबाने के बाद मैंने उसकी ब्रा खोल दी और आजाद चूचों को चूसने लगा. पहली बार कोई उसके चूचे चूस रहा था इसलिए वो मचल गई और दूर जाकर खड़ी हो गई.

मैंने भी जाकर उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया और दोबारा से उसके चूचे चूसने लगा. फिर मैंने धीरे से उसकी पेंटी उतार दी और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और फिर मैंने जैसे ही उसकी चूत पर अपना मुँह रखा वो सिसकारियाँ लेने लगी और रुकने के लिए बोलने लगी.

लेकिन मैं रुका नहीं और चूसता रहा.

उसकी चूत चूसने के बाद मैंने भी अपनी अंडरवियर हटा दिया और अपना लण्ड आयशा के मुँह में डालने लगा मगर उसने चूसने से मना कर दिया.

मेरे जबरदस्ती करने पर वो मान गई और चूसने लगी. काफी देर तक चूसने के बाद वो थक कर बिस्तर पर लेट गई और मैंने उसकी टांगें ऊपर की तो उसने पूछा- भैया अब क्या करोगे?

भैया शब्द सुन कर मुझे स्वाति की याद आ गई और मैं हंस दिया और धीरे से अपना लण्ड आयशा कि चूत में पेल दिया. कुंवारी चूत होने की वजह से लण्ड अंदर घुस ही नहीं पाया. आयशा दर्द के मारे चिल्ला उठी.

फिर मैं उठा और बाथरूम में से तेल की बोतल ले आया और थोड़ा सा तेल अपने लण्ड और थोडा सा उसकी चूत में डाल दिया ताकि लण्ड आसानी से अंदर घुस जाए और उसके बाद मैं अपना लण्ड झटके से अंदर घुसाने लगा मगर झटके की वजह से आयशा फिर से चिल्ला उठी और मना करने लगी लेकिन मैं तेज-तेज झटके मारता रहा. लगभग पन्द्रह मिनट तक उसकी चूत मारने के बाद जब मेरा पानी निकलने वाला था मैंने अपना लण्ड बाहर निकल लिया और वापिस आयशा के मुँह की तरफ कर दिया. इस बार उसने चूसने से मना नहीं किया और मेरे लण्ड का सारा पानी पी गई.

फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और लेटे-लेटे एक दूसरे को चूमने लगे.

कुछ देर के बाद हम बाथरूम में गए और एक दूसरे को साफ़ करने लगे मगर आयशा ने फिर मेरा लण्ड पकड़ लिया और वहीं चूसने लगी. मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और कमरे में आ गया और फिर से उसकी चूत मारने लगा. इस बार मैंने अपना मोबाइल निकाला और हमारे सेक्स की वीडियो बना ली ताकि आयशा आगे कभी अपनी चुदवाने से मना ना करे!

अपनी चूत मरवाने के बाद आयशा थक कर बिस्तर पर उल्टी लेट गई, मैं उठा और तेल की बोतल से उसकी गाण्ड में तेल टपका दिया. एक तेज झटके से अपना लण्ड आयशा की गाण्ड में गाड़ दिया.

वो सहन नहीं कर पाई और दर्द के मारे बिस्तर की चादर फाड़ दी.

उसके बाद धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया और हम दोनों फिर से बिस्तर पर लेट गए.

हम शाम के छः बजे तक लेटे रहे और फिर उठ कर खाना खाया और ज्योति के आने का इंतज़ार करने लगे.

चूत मरवाने के कारण आयशा को काफी दर्द हो रहा था इसलिए आयशा रात को जल्दी से 9 बजे ही सो गई और मैं ज्योति के आने का इन्तजार करने लगा.

रात को करीब 11 बजे दरवाजे की घण्टी बजी और जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि ज्योति नशे में थी और उसके साथ एक लड़का खड़ा था.
मैंने उस लड़के का नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम अनिल है.
मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा. फिर हम दोनों ने सहारा देकर ज्योति को बिस्तर पर लिटा दिया.

रात ज्यादा होने के कारण मैंने अनिल को रात वहीं पर रुकने के लिए कहा तो वो मान गया और मैं और अनिल योगी के कमरे में आकर सो गए.

मैंने सुबह जल्दी का अलार्म लगा दिया और सुबह 5 बजे ही उठ गया.

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रात को करीब 11 बजे दरवाजे की घण्टी बजी और जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि ज्योति नशे में थी और उसके साथ एक लड़का खड़ा था.
मैंने उस लड़के का नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम अनिल है.
मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा. फिर हम दोनों ने सहारा देकर ज्योति को बिस्तर पर लिटा दिया.

रात ज्यादा होने के कारण मैंने अनिल को रात वहीं पर रुकने के लिए कहा तो वो मान गया और मैं और अनिल योगी के कमरे में आकर सो गए.
मैंने सुबह जल्दी का अलार्म लगा दिया और सुबह 5 बजे ही उठ गया.

मैं सुबह-सुबह ही आयशा के कमरे में चल दिया. मैंने आयशा के रूम का दरवाजा बजाया, आयशा ने उठकर दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि वो नाईटी में है, मैं अंदर घुस गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया क्योंकि आयशा को देखने के बाद अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था.
मगर आयशा ने कहा- ज्योति दीदी घर पर है अभी हम नहीं कर सकते.
मैंने कहा- ज्योति तो सो रही है और वो सात बजे से पहले नहीं उठेगी!

तो आयशा मान गई और मैं योगी के पापा के कमरे में गया और वहाँ से दो कंडोम उठा कर ले आया ताकि आयशा को चोदने के बाद मुझे अपना लण्ड जल्दी में बाहर ना निकलना पड़े.

आयशा के कमरे में आने के बाद मैंने जल्दी से उसके कपड़े उतारे और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया. इस बार आयशा इतना नहीं चिल्लाई क्योंकि अब उसकी चूत कुंवारी नहीं थी. मैंने उसको 6:30 बजे तक चोदा, उसके बाद वो स्कूल के लिए तैयार होने चली गई.

उसके स्कूल जाने के बाद 8 बजे मैं ज्योति के कमरे में उसको जगाने के लिए गया तो उसके कपडे अस्त-व्यस्त थे. तब मैंने देखा कि ज्योति की छाती पर काटने के निशान थे. मुझे समझते भी देर ना लगी कि ज्योति ने कल किसी के साथ चूमा-चाटी की है मगर उस निशान को छोड़ मैंने ज्योति को आवाज़ लगाई जिसे सुनकर वो जग गई.

उसके बाद मैंने अनिल को भी उठा दिया और मैं रसोई में आ गया. कुछ देर में मैं चाय लेकर अनिल के कमरे में गया तो देखा कि वहाँ कोई नहीं था.

मैं समझ गया कि ज्योति ने सब कुछ इस अनिल के साथ ही किया है.

उसके बाद मैं चाय लेकर ज्योति के कमरे में गया और जब मैं पहुँचा तो नजारा देख मुझे गुस्सा आ गया क्योंकि ज्योति अपने ही घर में सिगरेट जला कर बैठी थी और दोनों बैठ कर सिगरेट पीते हुए बातें कर रहे थे.

मगर यह मेरा नहीं योगी का घर था इसलिए मैं कुछ नहीं कर पाया और चुप रह गया.

मैं फिर उन दोनों की बातों में शामिल हो गया, बातों ही बातों में पता चला कि वो लड़का तो ज्योति का बॉयफ़्रेंड है. कुछ देर के बाद ज्योति फ्रेश होने चली गई और मैं और अनिल बातें करने लगे. अनिल मुझसे कहने लगा- मैं ज्योति को अभी चोदना चाहता हूँ.

मैंने भी कह दिया- हम दोनों एक साथ इस रण्डी को चोदेंगे!
तो अनिल ने हाँ कह दी. शायद अनिल ज्योति को पहले भी चोद चुका था.

ज्योति जब नहा कर बाहर निकली तो अनिल और मैं तो ज्योति को देखते ही रह गए क्योंकि ज्योति ने उस वक्त काले रंग का चमकदार सूट पहना हुआ था जिसे देख किसी का भी मन डोल जाए. अनिल ने उठकर ज्योति को पकड़ लिया मगर ज्योति ने उसे झटक दिया, शायद ज्योति मेरी वजह से शरमा रही थी.

अनिल बोला- मेरी रानी! तू कब से दो लण्डों से चुदवाना चाहती थी, आज हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करेंगे.

यह बात सुनकर ज्योति घबरा गई, मगर अनिल काफी शातिर खिलाड़ी था, उसने देर ना करते हुए ज्योति का सूट उतार फेंका और ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध मसलने लगा.

मैंने भी उठ कर उसकी पेंटी उतार दी और उसकी चूत चूसने लगा. उसकी चूत में एक अजीब सा नशा था क्यूंकि उसने एक दिन पहले ही चूत मरवाई थी.

हम दोनों ने ज्योति को पकड़ा और ले जाकर सोफे पर बिठा दिया, हम दोनों ने एक-एक चूचा पकड़ लिया और मसलने लगे. मैंने अपनी पैंट खोली और अपना लंड ले जाकर ज्योति के मुँह के पास ले गया तो ज्योति ने खुद ही उसे पकड़ा और चूसने लगी क्योंकि वो इस खेल में काफी माहिर खिलाड़ी थी तो वो सब कुछ जानती थी और काफी देर तक मेरा लण्ड चूसती रही.

जैसे ही मैंने अपना लण्ड हटाया, अनिल ने अपना लण्ड उसके मुँह में घुसा दिया और मैं उसके दूध मसलने लगा. फिर मैंने ज्योति को अपनी बाहों में उठाया और अंदर ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया. मैंने अनिल को एक तरफ करते हुए एक जोर का झटका ज्योति की चूत में लगा दिया.

ज्योति बहुत जोर से चिल्ला उठी शायद अनिल का लण्ड मुझसे छोटा था इसलिए ज्योति को ज्यादा दर्द हुआ. मैं 10 मिनट तक उसकी चूत पेलता रहा, इस बीच ज्योति दो बार झड़ गई. उसके बाद मैंने पानी छोड़ दिया.

मैं हट गया और अनिल उसकी चूत मारने के लिए गया.

इतने में मैंने फिर से पाना लण्ड जाकर ज्योति में मुँह में रख दिया और वो उसको बड़े मजे से चूसने लगी. थोड़ी ही देर में अनिल भी झड़ गया और हम एक दूसरे के ऊपर लेट गए.

फिर मैंने ज्योति को उल्टा किया तो ज्योति मना करने लगी. शायद ज्योति ने उससे पहले कभी गाण्ड नहीं मरवाई थी, मगर मैंने उसकी एक भी ना सुनी और उसके दोनों चूतड़ों के बीच में अपना लण्ड घुसाने लगा. मुझे देख अनिल भी जोश में आ गया. फिर मैंने सामने की तरफ़ से ज्योति को अनिल के ऊपर लिटाया और पीछे से मैं ज्योति की गाण्ड में धीरे धीरे अपना लंड घुसाने लगा.

20 मिनट तक गाण्ड मारने के बाद मैं रुका और मैंने ज्योति को सीधा कर दिया और उसके बाद हम काफी देर तक बिस्तर पर लेटे रहे.

उसके बाद हमने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया, लगभग 11 बजे अनिल चला गया और उसके बाद मैंने और ज्योति बातें करने लगे.
तभी ज्योति मुझसे बोली- तुम मेरे साथ सेक्स करने की फीस नहीं दोगे?
तो मैंने भी कह दिया- जो चाहे मांग लो मेरी जान!

ज्योति ने एक सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी, वो पहली बार था जब मैंने सिगरेट पी थी. फिर हम सिगरेट पीते हुए एक-दूसरे से बातें करने लगे.
लगभग दो बजे आयशा भी घर वापिस आ गई.
शाम को 7 बजे योगी का फोन आया कि वो आज रात ही 10-11 बजे तक घर पहुँच जायेंगे.
 
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