Update - 22
मै गेट खोल देता हु, बाहर बसंती खड़ी थि, उसे देखकर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था बहनचोद ने अच्छे ख़ासे मूड की माँ चोद दि....
तभी बसंती की नजर मेरे शार्ट मे बने तम्बू पर पड़ती है... और मुझे देख कर एक सेक्सी सी स्माइल देती हुई वो अंदर आते हुए मेरे लंड को शार्ट के ऊपर से ही सेहला देती है.... मेरा लंड उसका हाथ पड़ते ही शार्ट मे एक झटका मारता है....
ओर मे गेट बंद करके अंदर सोफ़े पर बैठ कर टीवी ऑन कर लेता हु... बसंती किचन मे काम करने चलि जाती है.... और मे टीवी देखने लगता हूँ पर थोड़ी थोड़ी देर मे ही मे माँ के रूम की तरफ देख रहा था वो अभी तक बाहर नहि आई थी....
तभी मुझे माँ नजर आती है... उन्हें देखते ही मेरी नजर तो उन्ही पर टिक जाती है, उन्होंने एक स्लीवलेस स्ट्रिप ब्लाउज पहना हुआ था जोकि उनके स्तनो पर काफी टाइट था ऐसा लग रहा था की उनके स्तन अभी ब्लाउज पहाड़ कर बाहर आ जाएंगे, ऐसा लग रहा था जैसे वो ब्लाउज उन्होंने अपने स्तन छुपाने के लिए बल्कि दिखने के लिए पहना था और उस पर रेड साड़ी जोकि उन्होंने अपने नाभि से काफी निचे बांधी हुई थी..... उन्हें देख कर तो मे मस्त ही हो गया और माँ भी मुझे ही देख रही थी और वो इशारे मे मुझसे पूछती है की कैसे लग रही हु.... और मे जवाब मे अपने खड़े लंड पर हाथ फेरने लगा... माँ एक सेक्सी स्माइल देती है और किचन की तरफ बढ़ जाती है.... और मे साडी मे से उनके उभरे हुए मटकते चूतडों को देखते हुए लंड को सेहलाने लगता हु.... आज माँ भी अपनों चूतडो को कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए चल रही थी.....
आज तो जैसे मेरा कत्ल ही होने वाला था.... मे टीवी की तरफ अपना रुख करता हूँ और गाने सुन्ने लगता हु.... पर मेरा मन तो जैसे किसी काम मे लग ही नहि रहा था और ऊपर से लिंग महाराज तो आज जैसे बैठने का नाम ही ले रहे थे...... मन तो कत रहा था की अभी जाकर माँ को पटक कर चोद दू पर मजबूर था..... हाय मेरी किस्मत, माल तो मिल गया पर माल के साथ स्पेंड करने को टाइम नहि मिल रहा था.... खैर में अपना मन मारकर टीवी देखने लगता हु....
थोड़ि देर मे ही माँ किचन से बाहर आ जाती है और मेरे पास आकर बैठ जाती है.... वो मेरे से सट कर बैठि थी और मेरा हाथ उनके स्तनो से टच हो रहा था... में अपना हाथ उनके चिकने पेट् पर रख कर सहलाने लगता हु....
सोनाली : क्या कर रहा है, बसंती देख लेगी....
माँ ने मुझे मना तो किया पर उन्होंने मेरा हाथ हटाने की कोई कोशिश नहि की, यानी की उन्हें भी ये अच्छा लग रहा था....
मै- अरे माँ वो तो किचन मे बिजी है और देख भी लेगी तो क्या हुआ उसकी चुत मे भी बहोत आग है उसको भी चोद दूंगा....
मा मुस्कुराते हुये- धत्त गन्दा कही का, तेरे दिमाग मे यहि सब चलता रहता है ना और कोई काम नहि है तेरे को...
मै- काम तो बहोत है पर ये काम सबसे ज्यादा जरुरी है...
ओर में अपना एक हाथ उनकी जाँघ पर रख कर उसे सहलाने लगता हु... थोड़ी देर तक जाँघ सेहलाने बाद मे उनका हाथ अपने लंड पर रख देता हु... माँ थोड़ा सा हिचकिचातीं है पर फिर वो अपना हाथ शार्ट के ऊपर से मेरे लंड पर फेरने लगती है.... मेरे लंड का तो हाल ही बुरा हो गया था.. और मे सोफ़े से थोड़ा सा अपने चुत्तड़ उठकर शार्ट निचे खिसका देता हु... और मेरा लंड एकदम से बाहर आ जाता है....
मों मेरी हरक़त से चौक जाती है और किचन की तरफ देखते हुये- ए...ये क्या कर रहा तू सतीश इसे अंदर कर बसंती की नजर पड़ गई तो सब गड़बड़ हो जाएगी....
मैन उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता हु....
मै- अरे कुछ नहि होता मोम... आप इतना डरती क्यों हो... लाइफ के खुल कर मजे लिया करो....
सोनाली : पर..
मैन- कुछ पर वर नहि मोम, में हूँ न आप चिंता क्यों करती हो... में कुछ भी ऐसा नहि करूँगा जिससे मेरी माँ को शर्मिंदगी उठानि पडे..... क्या मुझ पर विश्वाश नहि है आपको,
माँ मेरी आँखों मे देखते हुये- तुझ पर तो अपनी जान से भी ज्यादा भरोसा है...
ओर अब वो बिना झिजक के मेरे लंड को अपने हथेली मे भर कर उसकी मुट्ठ मार रही थी और में तो जैसे सातवे आसमान पर था... में मजे की एक अलग दुनिया मे ही था पर बीच बीच मे में मे किचन की तरफ ही देख रहा था...
मै- आह मोम.... अब और मत तडपाओ इसे अपने मुह मे लेकर चुसो ना....
माँ चौकते हुये- क्या पर....
मै-फिर से पर....
ओर फिर माँ मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर झुक जाती है और मेरे टोपे पर अपने होंठ रख कर एक किस करती है, फिर अपनी जीभ निकालकर मेरे टोपे पर निकल आये प्रेकम को अपनी जीभ से चाट लेती ही.... मेरे मुह से एक सिसकि निकल जाती है.... और फिर अपना मुह खोल कर मेरे लंड को अपने मुह मे भर लेती है और उसपर चुप्पे लगाने लगती है....
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लंड उनके मुह मे बहोत कसा हुआ जा रहा था.... और वो मेरे लंड को अपने मुह मे लेकर अंदर बाहर कर रही थी और कभी कभी टोपे पर अपनी जीभ फिरा देती... वो अपने मुह मे मेरे लंड को अपने मुह मे भर कर सक कर रही थी.... मे बड़ी मुस्किल से अपनी सिस्कियों पर कण्ट्रोल कर रहा था.... तभी मुझे लगता है जैसे मेरे पीछे कोई खड़ा है मे गर्दन घुमा कर देखता हूँ तो पीछे बसन्ती अपनी आँखे फाडे खड़ी हुई हमे ही देख रही थी.... मम्मी मेरा लंड चुस्ने मे बिजी थी इस्लिये वो बसन्ती को नहि देख पाइ थी....
मै अपना एक हाथ पीछे कर बसंती का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास खिंच लेता लिया तब उसकी नजर मेरे पर जाती है... और में उसे खिंच कर उसके होंठो को अपने होंठो मे भर लेता हूँ और एक हाथ से उसके दूध दबा दिया... थोड़ी देर मे में उसको छोड़ देता हूँ और उसे इशारे से जाने को कहता हु.... वो एक बहोत ही सेक्सी सी स्माइल दे कर किचन मे चलि गयी .... और बसंती के द्वारा मुझे और माँ को ये सब करता देख मुझे और जोश चढ़ जाता है और मे माँ के बालों को पकड़ कर उसके मुह को अपने लंड पर ऊपर निचे होने करने लगता हु.... माँ भी बहोत ही मस्ती मे मेरे लंड चुस रही थी और अब मेरे गोटो मे उफान आने लगा था और मेने अपना सारा माल उनकी हलक मे उडेल दिया....
मै- आह...... क्या चुस्ती है तू मा.... मजा आ गया....आह
माँ मेरे सारे पानी को पि जाती है फिर मेरे लंड को साफ़ करके वो उठ कर बैठ जाती है और अपने होठो पर जीभ फिरा कर चटकारे लेते हुये- टेस्ट अच्छा है....
ओर एक कातिल मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखते हुए अपना पल्लू सही करने लगती है....
सोनाली : मजा आया....
मै- मजा, बहोत ज्यादा मजा आया मोम... कसम से क्या लंड चूसती हो तुम मॉम.... निचोड कर रख देती हो मेरे मुन्ने को...
मै- आह..... क्या चुस्ती है तू मा.... मजा आ गया....आआह्ह्ह्ह
माँ एक सेक्सी सी स्माइल के साथ मेरे कंधे पर एक हाथ मारती है- धत्त बदमाश कही का, एक तो खुले मे मुझसे ये सब करता है और ऊपर से इतनी गन्दी बातें बोलता है....
मै- आरे माँ खुले मे ही तो सेक्स करने मे मजा है.... लाओ अब आपने तो मेरे मुन्ने का जूस पि लिया अब मुझे भी अपनी मुनिया का जूस पिने दो....
ओर इतना कह कर मे उनकी साड़ी को उठाने लगता हु....
सोनाली : पागल हो गया है क्य, मुझे नहि पीलाना तुझे अपनी मुनिया का जुस....
मैन- ये तो चीटिंग है माँ आपने तो मजे ले लिए और अब मुझे मना कर रही हो मे तो अब मुनिया का जूस पीकर ही रहुंगा....
ओर में उनकी साड़ी को उठा कर उनकी कमर तक उठा देता हु.....
माँ अपनी साड़ी को निचे करते हुये- हे भगवान् तू तो वाकयी पागल हो गया है, मुझे नहीं पीलाना मतलब नहीं पीलाना, बसंती के जाने का वेट करले फिर जितना जी चाहे पि लेना....
मैन- मुझे तो अभी पीना है....
सोनाली : नहीं कहा ना....
मैन- देखो माँ लास्ट टाइम कह रहा हूँ पीला दो वरना मे बसंती की मुनिया का जूस पि लुंगा, फिर मत कहना कुछ.....
माँ मेरी बात सुनकर हास् देती है- है है ह.... ठीक है तो तू जाकर उसकी मुनिया का ही जूस पिले....
माँ मेरी बात को मजाक मे ले रही थी....
मै- सोच लो माँ मेरे पास चुतो की कोई कमी नहीं है पर आपको ढूँढ़ने पर भी ऐसा मस्त लंड नहि मिलेगा....
माँ हस्ते हुये- हम्म्म वो तो है तेरे जैसा तो वाक़ई मे नहि मिलेगा पर अभी तो मे तुझे पिलाने से रहि....
मै सोफ़े से उठते हुये- ठीक है मत पिलाओँ पर आज मे भी चुत का रस पीकर रहूँगा भले ही आज बसंती के ही चुत का रस क्यों न पीना पडे....
सोनाली : तो जा न पिले उसका ही रस मुझे क्यों परेशान कर रहा है...
मै ग़ुस्से मे किचन की तरफ चल देता हूँ मुझे बसंती दिखाइ देती है वो झांक कर हमे ही देख रही थी पर उसे हमारी बाते नहि सुनाइ दी होंगी... वो मुझे आता देख एक स्माइल देती है.... माँ भी मुझे देख रही थी वो सोच रही होंगीं की में ताव मे आकर ये सब बोल गया हूँ पर वाक़ई मे बसंती की चुत का रस थोड़े ही पिलुंगा.... पर उन्हें क्या पता की में तो बसंती की चुत की सवारी पहले ही कर चुका हु..... मे मुड़कर माँ को देखता हूँ और इशारे मे उनसे पूछता हूँ की पिने दोगी की नहीं वो भी मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन ना मे हिला देती है....
मै किचन मे घुस जाता हु, बसंती अब सब्जी काटने का बहाना करने लगती है क्युकी मुझे पता था की वो हमें ही देख रही थी.... खैर मे जाकर उसे पीछे से हग कर लेता हु.... और अपने हाथ उसके स्तनो पर रख कर मसलने लगता हु.. और पीछे से अपना लंड उनके चूतडो की दरार मे टीका देता हु.....
बसन्ती- आअह्हह्ह्...क्या कर रहा है....
मै- तुझे क्या लगता है क्या कर रहा हूँ मैं....
बसन्ती- मालकिन बाहर बैठि है.... आअह्ह्ह्ह मत कर.....
मैन- अरे उन्ही ने तो भेजा है मुझे तेरी चुत का रस पिने को....
बसन्ती- हाय.... ये क्या कह रहा है तु....
मैन- अरे सही कह रहा हूँ यकीन नहीं होता तो माँ से पूछ लो....
बसन्ती- वैसे बड़ा हरामी है तू अपनी माँ को भी नहि छोड़ा तूने... कैसे उनसे अपना लंड चुस्वा रहा था और वो भी तो कैसे मजे से तेरा लंड मुह मे लेकर चुस रही थी....
मै- क्या करू वो है ही इतना बढ़िया माल की रहा नहीं गया.....
तभी बसंती सीधी हो जाती है और मेरे होंठो को अपने होंठो मे भर लेती है.... मे उसके होंठो को चुस्ने के साथ उसके स्तन भी मसले जा रहा था.... काफी देर तक किस करने के बाद हम किस तोड़ते है.... और बसंती शार्ट पर से मेरे लंड को पकड़ कर सेहलाने लगती है....
बसन्ती- आह्हः... अब चोद भी दे मुझे जालिम क्यों तडपा रहा है.... जब से तेरा लंड इसमें गया है तब से ये पानी बहाती रहती है और आज तुम दोनों को देख कर तो इसका और भी बुरा हाल हो गया....
मै उसे घुमा देता हूँ वो स्लैब पर अपने हाथ टीका कर झुक जाती है और अपनी गांड को ऊपर उठा लेती है.... में उसकी साड़ी को उसकी कमर तक पेटीकोट सहित उठा देता हूँ अब उसकी बड़ी गोल गांड मेरे सामने थी और उसमे से झाँकती उसकी चुत की फाकें नजर आ रही थी जोकि पानी बहा रही थी... में अपना लंड निकल लेता हूँ और उसकी गांड की दरार मे सेट करके उसे ऊपर से ही धक्का लगाता हूँ फिर में अपना लंड उसकी चुत पर टिकाकर एक जोर का झटका मारता हु... मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ आधा लंड अंदर घुस जाता है..... आह क्या मजा था, वाक़ई हर चुत का अपना अलग मजा होता है....
बसन्ती बड़ी मुस्किल से अपनी सिस्कियों को रोक्ति हुयी- सस्शह्ह्ह आअह्ह्ह्हह जालिम क्या लंड है तेरा.... आअह्ह्ह्हह अंदर तक खोल देता है.....आह आह
अब मे अपने लंड को टोपे तक बाहर खिंच कर एक करारा झटका मारता हु, अब मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ पूरा अंदर घुस गया था....
आहाहहहह... फाड़ दी रीई तूने.... आअह्ह्ह्हह चोद.... मादरचोद..... चोद मुझे.....
उसके मुह से मुझे मादरचोद सूनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा और अब मे और तेज शॉट मारने लगा.... मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था....
बाहर माँ आराम से बैठि हुई टीवी देख रही थी ओर बीच बीच मे वो किचन की तरफ देख रही थी वो सोच रही थी की में जाकर किचन मे टाइम लगा रहा था जिससे की उन्हें लगे की में बसंती की चुत का रस पि रहा हु... पर जब काफी देर तक मे नहीं आता तो उन्हें टेंशन होती है और वो उठ कर किचन की तरफ चल देती है और जैसे ही वो वह पहुचती है अंदर का सिन देख कर उनकी आँखे फटी की फटी रह जाती है....
अंदर में तेजी मे बसंती के कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु
उधर में तेजी मे बसंती की कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु....
ओ तो बस लंड को चुत मे जाते हुए देख रही थी.... और मे उनको देखते हुए बसंती को पेले जा रहा था... अपनी माँ के सामने किसी और औरत को पेलने से मुझे एक अलग ही रोमाँच आ रहा था.... और मे बसंती के चूतडो पर एक थप्पड़ मारता हूँ और तेजी से शॉट लगाने लगता हु... थप्पड़ की आवाज से माँ का ध्यान तूट जाता है और वो मेरी तरफ देखति है, में तो उन्ही की तरफ देख रहा था पर बसंती का मुह दूसरी तरफ था वो तो बस सिस्कियाते हुए चुदाई का मजा ले रही थी.... उसकी सिसकियाँ अब माँ अच्छे से सुन सकती थी... माँ मेरी तरफ देखति है तो हम दोनों की नजरे मिलति है और मे उन्हें एक स्माइल देता हूँ पर माँ की आँखों मे आस्चर्य के भाव थे शायद उन्हें समझ नहीं आ रहा था की ये सब कैसे हो गया....
मेरे लंड और बसंती की चुत की लड़ाई मे बसंती की चुत मेरे लंड के आगे हथियार दाल देती है और वो झड़ने लगती है....
बसन्ती- आअह्हह्ह्ह्ह मे गइआइइइ .....आएह्ठ्ठ्ह
पर मेरा अभी भी नहीं हुआ था और मेरे धक्के चालू थे..... बसंती अपनी साँसे कण्ट्रोल कर रही थी....
बसन्ती- क्या मस्त चोदता है तु.....मेरा बस चले तो मे तो दिन रात तेरा लंड अपनी चुत मे लेकर पिलवाती रहु...
माँ बस हम दोनों को ही देख रही थी... बसंती अपने चरम तक पहुच गई थी और अब ठण्डी पड़ गई थी और उसकी चुत मारने मे वो मजा नहीं आ रहा था.... मे उसकी चुत मे से लंड निकाल लेता हु.... लंड पुक्क की आवाज के साथ बाहर निकल आता है तभी बसंती पलट कर मुझे देखति है और उसकी नजर माँ पर पड़ी वो शॉकेड हो जाती है और कुछ नहीं कह पाती ओर मे उसकी चुत के पानी से सने लंड को लेकर माँ की तरफ बढ़ जाता हु... माँ बस मुझे ही देख रही थी... और में माँ के पास पहुच कर उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता हु....
मों तुरंत निचे देखति है उनके हाथ मे बसंती की चुत के रस से भिगा मेरा लंड था वो उसे कस कर दबा देती है.......
सोनाली : ये क्या कर रहा था तु...
मै- मैंने तो पहले ही आपसे कहा था की अपनी मुनीया का रस पिने दो पर आपने नहीं दिया तो मैंने अपने मुन्ने को बसंती की मुनिया का रस पीला दिया....
सोनाली : बहोत बिगड रहा है तु...
इसके आगे के शब्द माँ के मुह मे ही रह जाते है में उनके होंठो को अपने होंठो मे भर लेता हूँ और उनके स्तनो को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगता हु.... थोड़ी देर तक तो माँ मुझे अपने से दुर करने की कोशिश करती है और फिर कुछ देर बाद ही मेरे किस का रिस्पांस देणे लगती है, अब उनका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगता है.... अब उनका हाथ मेरे लंड पर ऊपर निचे हो रहा था.... अब मे माँ से अलग होता हु...
मै- अब इन कपड़ो को भी
तो उतार दो...
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