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काल वन की श्रापित हवेली
चार दोस्त - अमित, रोहन, नीलम और सिम्मी - किसी हफ्ते के अंत में जंगल में कैम्पिंग करने का प्लान बनाते हैं। शहर के शोरगुल से दूर ये चारों, ताजगी और रोमांच की तलाश में जंगल की तरफ निकल पड़ते हैं।
रात का समय था, और रास्ता ढूँढते-ढूँढते वो लोग गहरी जंगल में जा पहुँचे। वहाँ एक पुरानी, जर्जर हवेली दिखाई दी, जो देखने में ही खौफनाक थी। हवेली की खिड़कियों से रह-रहकर एक अजीब-सी लाल रोशनी चमकती थी, और ठंडी हवा में एक अजीब-सी सिहरन थी। किसी पुराने डरावने किस्से के जैसे हवेली खामोश और गूंजती सी लग रही थी।
अमित ने मजाक करते हुए कहा, "आओ, अंदर चलते हैं। कौन जानता है, शायद यहाँ कुछ खज़ाना हो।"
सिम्मी थोड़ी डर गई थी, पर दोस्तों के कहने पर वो भी अंदर जाने को तैयार हो गई। सबके दिलों में थोड़ा-सा डर था, लेकिन रोमांच की लहर ने उनके कदम रोकने नहीं दिए।
जैसे ही वो चारों हवेली में दाखिल हुए, दरवाज़ा खुद-ब-खुद जोर से बंद हो गया। सब चौंक उठे और बाहर जाने का रास्ता तलाशने लगे। तभी, हवेली में एक गहरी, डरावनी हंसी गूंज उठी। सिम्मी ने रोहन का हाथ पकड़ लिया और बोली, "चलो, यहाँ से निकलते हैं। ये जगह ठीक नहीं है।"
लेकिन बाहर का रास्ता ढूंढने के बजाय, वो सब हवेली के अंदर और गहरे उतरते चले गए। गलियारे में चारों ओर अजीबो-गरीब चित्र लगे हुए थे और हल्की-हल्की रोशनी में वो तस्वीरें भूतों की तरह लग रही थीं।
अचानक, अमित सबसे अलग हो गया। बाकी तीनों ने उसे ढूंढने की कोशिश की, मगर हवेली की दीवारों में ऐसी रहस्यमयी गूंज उठ रही थी कि उनकी आवाजें खो गईं। थोड़ी ही देर में एक चीख सुनाई दी, और जब बाकी तीनों अमित के पास पहुँचे, तो उन्होंने उसे जमीन पर पड़ा हुआ देखा, उसकी आंखें सफेद हो चुकी थीं, और उसके चेहरे पर दर्द और भय की छाया थी।
रोहन, नीलम और सिम्मी अब पूरी तरह से घबरा चुके थे। वो समझ गए थे कि ये हवेली शापित है, और यहाँ कोई भूत या बुरी आत्मा मौजूद है।
अगले ही पल, रोहन के कंधे पर अचानक से किसी ने भारी हाथ रखा, और उसने पीछे मुड़कर देखा, तो वहां कोई भी नहीं था। तभी एक ठंडी हवा का झोंका आया और रोहन बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। उसकी चीख सुनकर नीलम और सिम्मी उसके पास दौड़े, लेकिन रोहन भी अब दुनिया छोड़ चुका था।
अब बस नीलम और सिम्मी ही बचे थे। दोनों तेजी से दरवाज़े की ओर भागने लगे। मगर हवेली के भीतर एक भयानक आवाज गूंज रही थी - "तुम्हें अब यहाँ से बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं मिलेगा!"
नीलम और सिम्मी ने अपने-अपने हाथ थामे और बचने का हर संभव प्रयास किया। तभी अचानक, एक धुंधले साये ने नीलम को अपनी जकड़ में ले लिया, और वह दर्द से चिल्लाने लगी। सिम्मी ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, मगर नीलम की चीखें गूंजती रहीं, और फिर वो भी सन्नाटे में खो गई।
अब हवेली में केवल सिम्मी बची थी। डर से काँपती हुई, उसने खुद को बचाने की आखिरी कोशिश की, पर उसकी भाग्य ने उसका साथ छोड़ दिया। एक गहरे काले साये ने उसे भी दबोच लिया, और हवेली एक बार फिर खामोश हो गई।
सुबह की रोशनी फैलने पर गांव वालों को पता चला कि चार लोग हवेली में आए थे, मगर वे कभी वापस नहीं लौटे। लोगों का कहना था कि उस हवेली में कई सदियों से भूतों का बसेरा है, और जो एक बार वहां जाता है, फिर कभी वापस नहीं लौटता।
और तब से लेकर आज तक, वो हवेली खामोश खड़ी है, जैसे किसी और शिकार का इंतजार कर रही हो।

चार दोस्त - अमित, रोहन, नीलम और सिम्मी - किसी हफ्ते के अंत में जंगल में कैम्पिंग करने का प्लान बनाते हैं। शहर के शोरगुल से दूर ये चारों, ताजगी और रोमांच की तलाश में जंगल की तरफ निकल पड़ते हैं।
रात का समय था, और रास्ता ढूँढते-ढूँढते वो लोग गहरी जंगल में जा पहुँचे। वहाँ एक पुरानी, जर्जर हवेली दिखाई दी, जो देखने में ही खौफनाक थी। हवेली की खिड़कियों से रह-रहकर एक अजीब-सी लाल रोशनी चमकती थी, और ठंडी हवा में एक अजीब-सी सिहरन थी। किसी पुराने डरावने किस्से के जैसे हवेली खामोश और गूंजती सी लग रही थी।
अमित ने मजाक करते हुए कहा, "आओ, अंदर चलते हैं। कौन जानता है, शायद यहाँ कुछ खज़ाना हो।"
सिम्मी थोड़ी डर गई थी, पर दोस्तों के कहने पर वो भी अंदर जाने को तैयार हो गई। सबके दिलों में थोड़ा-सा डर था, लेकिन रोमांच की लहर ने उनके कदम रोकने नहीं दिए।
जैसे ही वो चारों हवेली में दाखिल हुए, दरवाज़ा खुद-ब-खुद जोर से बंद हो गया। सब चौंक उठे और बाहर जाने का रास्ता तलाशने लगे। तभी, हवेली में एक गहरी, डरावनी हंसी गूंज उठी। सिम्मी ने रोहन का हाथ पकड़ लिया और बोली, "चलो, यहाँ से निकलते हैं। ये जगह ठीक नहीं है।"
लेकिन बाहर का रास्ता ढूंढने के बजाय, वो सब हवेली के अंदर और गहरे उतरते चले गए। गलियारे में चारों ओर अजीबो-गरीब चित्र लगे हुए थे और हल्की-हल्की रोशनी में वो तस्वीरें भूतों की तरह लग रही थीं।
अचानक, अमित सबसे अलग हो गया। बाकी तीनों ने उसे ढूंढने की कोशिश की, मगर हवेली की दीवारों में ऐसी रहस्यमयी गूंज उठ रही थी कि उनकी आवाजें खो गईं। थोड़ी ही देर में एक चीख सुनाई दी, और जब बाकी तीनों अमित के पास पहुँचे, तो उन्होंने उसे जमीन पर पड़ा हुआ देखा, उसकी आंखें सफेद हो चुकी थीं, और उसके चेहरे पर दर्द और भय की छाया थी।
रोहन, नीलम और सिम्मी अब पूरी तरह से घबरा चुके थे। वो समझ गए थे कि ये हवेली शापित है, और यहाँ कोई भूत या बुरी आत्मा मौजूद है।
अगले ही पल, रोहन के कंधे पर अचानक से किसी ने भारी हाथ रखा, और उसने पीछे मुड़कर देखा, तो वहां कोई भी नहीं था। तभी एक ठंडी हवा का झोंका आया और रोहन बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। उसकी चीख सुनकर नीलम और सिम्मी उसके पास दौड़े, लेकिन रोहन भी अब दुनिया छोड़ चुका था।
अब बस नीलम और सिम्मी ही बचे थे। दोनों तेजी से दरवाज़े की ओर भागने लगे। मगर हवेली के भीतर एक भयानक आवाज गूंज रही थी - "तुम्हें अब यहाँ से बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं मिलेगा!"
नीलम और सिम्मी ने अपने-अपने हाथ थामे और बचने का हर संभव प्रयास किया। तभी अचानक, एक धुंधले साये ने नीलम को अपनी जकड़ में ले लिया, और वह दर्द से चिल्लाने लगी। सिम्मी ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, मगर नीलम की चीखें गूंजती रहीं, और फिर वो भी सन्नाटे में खो गई।
अब हवेली में केवल सिम्मी बची थी। डर से काँपती हुई, उसने खुद को बचाने की आखिरी कोशिश की, पर उसकी भाग्य ने उसका साथ छोड़ दिया। एक गहरे काले साये ने उसे भी दबोच लिया, और हवेली एक बार फिर खामोश हो गई।
सुबह की रोशनी फैलने पर गांव वालों को पता चला कि चार लोग हवेली में आए थे, मगर वे कभी वापस नहीं लौटे। लोगों का कहना था कि उस हवेली में कई सदियों से भूतों का बसेरा है, और जो एक बार वहां जाता है, फिर कभी वापस नहीं लौटता।
और तब से लेकर आज तक, वो हवेली खामोश खड़ी है, जैसे किसी और शिकार का इंतजार कर रही हो।
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