- 3
- 6
- 4
अपडेट 1
ये कहानी है एक श्रापित गांव कि जिसमें कोई भी पुरुष 25 वर्ष से ज्यादा जी नहीं पाता है तो उस गांव में सिर्फ महिलाएं बचती है ।
तो उस गांव में एक घर की कहानी से शुरू करते है अगर समय से अच्छा रिस्पॉन्स आया तो आगे बढ़ाएंगे
पात्र परिचय
शुभलक्ष्मी 64 वर्ष दादी घर की सबसे बड़ी और पूरे घर को चलाने वाली । इतनी उमर होने के बाद भी पूरे शरीर में जान है और बहुत गर्म भी है
सुनीता 50 वर्ष ताई जी दादी के बाद घर का सारा काम देखना । ये ज्यादातर पूजा पाठ ही करती है और बाहर कोई दिमाग नहीं लगाती साइज (38 - 28 - 38)
मीनाक्षी 48 वर्ष मेरी मां इनमें बात आग है लेकिन हमेशा गाजर मूली से काम चलाती रहती है और किसी से कुछ कह भी नहीं पाती और गांव में कोई ढंग का पुरूष बचा भी नहीं है (36-24-36)
राखी 43 वर्ष ये मेरी चाची है बहुत मजाकिया टाइप की है और हमेशा मेरा बहुत ध्यान रखती है
मुस्कान ये मेरी चाची की बेटी है इसका परिचय बाद में देंगे
कविता ये हु में मैने हमेशा अपने आप को कभी लड़की नहीं माना मै हमेशा से लड़का बन कर रहना चाहती थी मेरी वो ख़ाविश कैसे पूरी हुई आपको स्टोरी में पता चलेगा
ये कहानी है एक श्रापित गांव कि जिसमें कोई भी पुरुष 25 वर्ष से ज्यादा जी नहीं पाता है तो उस गांव में सिर्फ महिलाएं बचती है ।
तो उस गांव में एक घर की कहानी से शुरू करते है अगर समय से अच्छा रिस्पॉन्स आया तो आगे बढ़ाएंगे
पात्र परिचय
शुभलक्ष्मी 64 वर्ष दादी घर की सबसे बड़ी और पूरे घर को चलाने वाली । इतनी उमर होने के बाद भी पूरे शरीर में जान है और बहुत गर्म भी है
सुनीता 50 वर्ष ताई जी दादी के बाद घर का सारा काम देखना । ये ज्यादातर पूजा पाठ ही करती है और बाहर कोई दिमाग नहीं लगाती साइज (38 - 28 - 38)
मीनाक्षी 48 वर्ष मेरी मां इनमें बात आग है लेकिन हमेशा गाजर मूली से काम चलाती रहती है और किसी से कुछ कह भी नहीं पाती और गांव में कोई ढंग का पुरूष बचा भी नहीं है (36-24-36)
राखी 43 वर्ष ये मेरी चाची है बहुत मजाकिया टाइप की है और हमेशा मेरा बहुत ध्यान रखती है
मुस्कान ये मेरी चाची की बेटी है इसका परिचय बाद में देंगे
कविता ये हु में मैने हमेशा अपने आप को कभी लड़की नहीं माना मै हमेशा से लड़का बन कर रहना चाहती थी मेरी वो ख़ाविश कैसे पूरी हुई आपको स्टोरी में पता चलेगा