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हमेशा मोबाइल में घुसा रहता था लगता था जैसे नशे में घूम रहा हूं मोबाइल के नशे में। और इसका मुझे एक फायदा भी था कि बीती कुछ बातें मुझे याद नहीं रहती थी कहने का मतलब है कि वह यादें तो यहां थी लेकिन उनकी भावनाएं जैसे हमें कहीं भूल गया था आज ऐसा लग रहा है जैसे बहुत लंबी नींद से जागा हूं और सोच रहा हूं कि फेसबुक खोल कर देखो और शायद उसका मैसेज आ गया हो, लेकिन फिर याद आता है कि वह मैसेज कैसे करेगी, पता है जैसे जैसे में होश में आ रहा हूं ऐसा लग रहा है धीरे धीरे में मर रहा हूं इससे अच्छा तो मैं मोबाइल के नशे में ही था। कम से कम उसके मर जाने के बाद फीलिंग तो दब गई थी।