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Mene sayad kaafi samay baad is story pe comment Kiya or ye story Mene pehle xossip pe padhi thi or ye MERI one of the best story thi kyunki isko Mene apni college me shuruati Dino me pada tha mgr USS time ye story ko aapne beech me hi chod Diya tha or aaj 4 Saal baad ISS story ko padha jisme hum...
आखरी भाग
दूसरे दिन दरबार के समय बादशाह ने शहजादा अहमद को बुलाया और कहा, बेटे, तुमने सिद्ध कर दिया कि तुमसे बढ़ कर सपूत कोई हुआ है न होगा। अब तुम मेरी एक अंतिम इच्छा पूरी कर दो। शहजादे के पूछने पर उसने कहा, मैं अपने दरबार में एक ऐसा आदमी रखना चाहता हूँ जिसके अस्तित्व की लोग कल्पना भी न कर...
भाग-१२
फिर परीबानू ने बताना शुरू किया के वो कैसे उस पानी को ला सकता है।
परीबानू- कल सुबह उस ओर की सड़क पर जाना। काफी दूर जाने के बाद एक लोहे का फाटक मिलेगा, जिसके अंदर वह सरोवर है जिसका पानी लाने को तुमसे कहा गया है। अब इस सरोवर का पानी लाने की तरकीब सुनो। अपने साथ दो घोड़े लो। एक पर बैठो और...
भाग-११
जादूगरनी शाही महल पहुँची और महल के चोर दरवाजे से, जहाँ से वह साधारणतः महल में जाया करती थी, प्रविष्ट हुई। बादशाह ने उसे अपने कमरे में बुलाया और दासों से एकांत करने को कहा। बादशाह ने कहा, तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ है। मालूम होता है कि इस बार भी तुम्हें सफलता नहीं मिली है। जादूगरनी ने कहा...
भाग-१०
बादशाह उसके बहकावे में आ गया और अहमद का हाल जानने के लिए उत्सुक रहने लगा। इसी कर्मचारी के कहने से उसने मंत्री की जानकारी के बगैर ही महल में चोर दरवाजे से जादूगरनी को बुला कर कहा, तुमने अहमद के जीवित होने की बात कहीं थी, वह तो ठीक निकली। अब तुम उसका पूरा हाल मालूम करो। यूँ तो वह हर...
भाग - ९
सारे नगर निवासी और गणमान्य लोग शहजादे को देख कर बड़े प्रसन्न और आश्चर्य हुए। वे अपना कामकाज छोड़ कर शहजादे को देखने और उसे आशीर्वाद देने को आ गए। शहजादे की शान और शौकत देखकर सभी बड़े आश्चर्य में थे । दूर दूर तक शेहजादे से आ रही मधुर सुगंध हवा में फेल चुकी थी, अब शहजादे को जो भी देखता...
भाग ८
शहजादा बहुत ही समझदार था उसे पता था कि परीबानू को केसे अपनी बातों में लेना है। शहजादे ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और चूम कर कहा, ऐसी बात मेरे मन में आ नहीं सकती। मुझे सिर्फ यह ख्याल है कि मेरे बूढ़े बाप मेरे अचानक गायब हो जाने से बहुत परेशान होंगे। मैंने तो पहले भी कहा था और अब भी...
भाग ८
परीबानू से यह सुन कर अहमद आनंद से अभिभूत हो गया और परीबानू के पैरों पर गिरने लगा। परी ने उसे इससे रोका और सम्मानपूर्वक अपना वस्त्र भी न चूमने दिया बल्कि अपना हाथ बढ़ा दिया जिसे अहमद ने चूमा और हृदय और आँखों से लगाया। उस समाज में सम्मान प्रदर्शन की यही रीति थी। परीबानू ने मुस्कुरा कर...
भाग ७
उसने देखा कि एक अत्यंत रूपवती स्त्री अनुचरियों सहित उसकी ओर आ रही है।जो एक दम किसी देश की शहजादी मालूम पड़ती थी । जिसे देखकर अहमद वहीं रुक गया उसके शरीर ने प्रतिक्रिया करना छोड़ दिया ये पहली बार था कि अहमद ने अपने जीवन में इतने सौंदर्य की प्रतिरूप देखी हो, जिसमें इतना ऐश्वर्या और चमक थी...
भाग ६
बादशाह ने गलीचे, दूरबीन और सेब को भंडार गृह में भेजा और दूसरी सुबह सामंतों और सभासदों के साथ मैदान में पहुँचा। तीनों शहजादे भी आ गए और तीरंदाजी शुरू हुई। सब से पहले बड़े शहजादे हुसैन ने तीर फेंका। वह काफी दूर पर जा कर गिरा। इसके बाद अली ने तीर फेंका जो हुसैन के तीर के कुछ आगे गया। फिर...
धन्यवाद आप सभी के सहयोग के लिए मुझे उम्मीद है आप लोगो को यह कहानी आगे भी पसंद आएगी और अगले भाग में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा की कोन जीतेगा और हीरो बनेगा इस कहानी का जल्द ही नया भाग आएगा
प्रिय मित्रो इसका अगला भाग आप पढ़िए और बताइए कि इनमें से कोनसा शहजादा जीतेगा
यह कहानी थोड़ा धीरे आगे बढ रही है मगर कहानी पूरी तरह से अप्रत्याशित है आप इसमें अपनी कल्पना का ही इस्तेमाल कर सकते है
चाहे जो भी हो मगर अगले भाग में यह साफ हो जाएगा कि कोन इस कहानी का हीरो बनेगा और अगले भाग में सब साफ...
भाग ५
कुछ समय के बाद वह उसी सराय में पहुँचा जहाँ उसके दोनों भाई उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। तीनों ही इकट्ठे होने पर बहुत प्रसन्न थे कि सभी की यात्रा सकुशल समाप्त हुई। फिर उन्होंने अपनी-अपनी यात्राओं और उपलब्धियों का वर्णन किया। हुसैन ने कहा, मैं विष्णुगढ़ गया था। वह बड़ा समृद्ध देश है और वहाँ के...
भाग ४
छोटा शहजादा अहमद समरकंद की ओर गया और उस नगर में एक सराय में उतरा। वहाँ उसने देखा कि एक दलाल एक सेब को हाथ में लिए है और आवाज लगा रहा है कि यह सेब पैंतीस हजार अशर्फियों में बिकाऊ है। अहमद ने उसे बुला कर पूछा कि इस सेब में ऐसी क्या बात है कि तुम इसका इतना अधिक मूल्य माँग रहे हो। दलाल ने...
भाग ३
मँझला शहजादा अली व्यापारियों के एक दल के साथ फारस देश को रवाना हुआ। चार महीने की यात्रा के बाद शीराज में, जो फारस की राजधानी थी, पहुँचा। वह जौहरियों के वेश में था। उसने साथ के व्यापारियों से अच्छी दोस्ती कर ली। वे सब शीराज की एक सराय में उतरे। व्यापारी लोग व्यापार करने बाजार गए तो शहजादा...
भाग २
उन तीनों को अपनी बुद्धि और पराक्रम पर पूरा विश्वास था और हर एक सोचता था कि मैं ही सबसे अच्छी चीज लाऊँगा और नूरुन्निहार का हाथ मेरे हाथ में दिया जाएगा। बादशाह ने हर एक को यथेष्ट धन दे कर विदा कर दिया। उन में से हर एक ने कुछ सेवक अपने साथ लिए और व्यापारियों के वेश में राजधानी से निकल पड़े।...
भाग १
हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उसने उसकी पुत्री को अपने महल में रख कर उसका पालन-पोषण किया। उसने उसकी शिक्षा-दीक्षा के लिए कई गुणवान और विद्वान नियुक्त किए। वह बचपन में...